धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 मार्च 2024)
30 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अपने व्यय पर नियंत्रण रखें, चिन्ता, भ्रमण व अशांति से बचिये, कष्ट होगा।
वृष राशि :- शुभ समाचार प्राप्ति से हर्ष, थकावट, बेचैनी तथा धन का व्यय अधिक होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब से तनाव, बेचैनी, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम की स्थिति बनेगी।
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, अचानक व्ययकारी स्थिति बनेगी।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट व चिंता, व्यवसाय व रुके कार्य बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अधिकारियों से तनाव व क्लेश होगा, दैनिक कार्यगति में बाधा होगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, अग्नि, चोटादि का भय होगा।
वृश्चिक राशि :- विशेष कार्य बाधा होगी, बने कार्य बिगड़ेंगे, सावधानी पूर्वक कार्य बना लें।
धनु राशि :- व्यवसाय में बेचैनी, तनाव बढ़ेगा, परिश्रम विफल होगा, शांत रहें।
मकर राशि :- चोट से कष्ट, अशुद्ध गोचर रहने से कार्य में हानि होगी, सावधानीपूर्वक कार्य करें।
कुंभ राशि :- स्त्री वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम अवश्य होगा।
मीन राशि :- समय ठीक नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, अनायास विभ्रम से मानसिक बेचैनी होगी।
देश का अनूठा मंदिर, ब्रह्मचारी पिता के साथ पुत्र की मूर्ति, लंका और रावण से जुड़ी है कहानी
29 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भरतपुर. मंदिर और वो भी बजरंग बली के तो आपने कई देखे होंगे. भरत में बजरंग बली का एक अनूठा और बिरला मंदिर है. यहां हनुमान के साथ उनके पुत्र भी विराजे हैं. ये पुत्र कौन हैं और कैसे पैदा हुए इसकी रोचक कहानी है.
भरतपुर में एक से बढ़कर एक सुंदर और भव्य मंदिर हैं, जिनकी अलग-अलग विशेषताएं हैं. लेकिन एक मंदिर ऐसा है जो दुर्लभ है. भरतपुर से लगभग 45 किलोमीटर दूर वेर क्षेत्र में यह मंदिर स्थित है. यह मंदिर रामायण के सबसे शक्तिशाली योद्धा बजरंगबली हनुमान के पुत्र और परमवीर योद्धा मकरध्वज के नाम से जाना जाता है.
इस प्रकार जन्मे थे हनुमान पुत्र
महावीर श्री हनुमान को प्रभु राम ने लंका जाकर माता सीता का पता लगाने और उन्हें अपना संदेश देने भेजा था. लंका में हनुमान का मेघनाद से युद्ध हुआ और मेघनाद ने उन्हें कपटपूर्वक ब्रह्मास्त्र की सहायता से बंदी बना लिया. उसके बाद रावण ने हनुमान की पूछ में आग लगाने का दंड दिया. महावीर हनुमान ने अपनी जलती पूंछ से पूरी लंका जला दी. जब उन्हें पूंछ जलने के कारण तीव्र वेदना हो रही थी तो उन्होंने समुद्र के जल से पूंछ की अग्नि शांत की. उस समय उनके पसीने की एक बूंद समुद्र में टपक गई जिसे एक मछली ने पी लिया और वह गर्भवती हो गई. उससे उस मछली को एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम था मकरध्वज.
पिता पुत्र का दुर्लभ मंदिर
देश के गिने-चुने मन्दिरों में से एक यह अनूठा मन्दिर भरतपुर जिला मुख्यालय से लगभग 15 कोस 45 किलोमीटर की दूरी पर है. भरतपुर रियासत के संस्थापक महाराजा सूरजमल के भाई प्रताप सिंह ने वैरिगढ़ नाम के इस कस्बे को बसाया था. इसका अधिकांश भाग प्राकृतिक और कुछ हिस्सा मानव निर्मित है. मिट्टी के इस परकोटे के अन्दर प्रताप दुर्ग एवं राजपरिवार के लिये सफेद महल है.
गढ़ से निकलीं मूर्ति
मिट्टी के बने इसी परकोटे को ”गढ़“ कहा जाता है. इसी गढ़ में महावीर हनुमान और उनके परमवीर पुत्र मकरध्वज का यह मन्दिर है. इसे गढ़ वाले हनुमान मन्दिर के नाम से पहचाना जाता है. मान्यता है पिता-पुत्र दोनों की प्रतिमाएं इसी गढ़ में से प्रकट हुई हैं.
जर्जर हो रहा है मंदिर
मौजूदा समय में देखरेख के अभाव में मन्दिर का भवन जर्जर हो चुका है. मन्दिर में मंगलवार और शनिवार को श्रद्धालुओं का तांता लगता है. हनुमान के साथ उनके पुत्र मकरध्वज की प्रतिमा के दर्शन कर श्रद्धालु अपने आपको धन्य मानते हैं.
नवरात्रि में कलश स्थापना के बाद भूलकर भी ना करें ये गलतियां, मां दुर्गा हो जाएंगी नाराज
29 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में चैत्र महीने की नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दौरान 9 दिनों तक माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होती है. इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू होगी. इस दौरान माता के भक्त 9 दिनों तक व्रत रखकर माता की पूजा अर्चना करेंगे. नवरात्रि के 9 दिन भक्तों को कुछ बातों का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि माता की आराधना सफल हो सके.
उत्तराखंड के चमोली के गौचर स्थित बमोथ के पुजारी प्रदीप लखेड़ा ने Local 18 को बताया कि नवरात्रि के दौरान भक्तों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, जिसमें साफ-सफाई का विशेष महत्व है. नवरात्रि पर घर के किसी भी हिस्से में धूल व गंदगी न होने दें. मान्यता है कि जिस घर में गंदगी होती है, वहां माता लक्ष्मी का वास नहीं होता, वहीं नवरात्रि में भूलकर भी बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए. यदि आप ऐसा करते हैं, तो जीवन पर इसका अशुभ प्रभाव पड़ सकता है.
भूलकर भी न करें नवरात्रि में ये काम
पुजारी प्रदीप लखेड़ा ने कहा कि नवरात्रि में यदि घर में कलश स्थापित हुआ है या अखंड ज्योत जलाई गई हो, तो उस घर को भूलकर भी खाली नहीं छोड़ना चाहिए. घर में हर समय कोई न कोई सदस्य मौजूद रहना चाहिए. नवरात्रि के दौरान दिन में सोना नहीं चाहिए. इन दिनों आप भजन-कीर्तन करें और परिवार के साथ मंदिरों में दर्शन के लिए जाएं. इस दौरान घर में सात्विक भोजन ही बनाना चाहिए. भूलकर भी मांसाहार और तामसिक भोजन न करें. इसके अलावा घर में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल न करें. वहीं नवरात्रि में मदिरापान भी न करें.
चैत्र नवरात्रि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत
पंडित लखेड़ा बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों में मां आदिशक्ति के 9 रूपों की विशेष विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. देशभर में नवरात्रि को बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. माना जाता है कि चैत्र नवरात्र की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर ही आदिशक्ति अपने 9 रूपों में प्रकट हुई थी, इसलिए इस तिथि के अगले 9 दिनों तक माता रानी के सभी स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिनका अपना-अपना महत्व है. इसके साथ ही चैत्र नवरात्रि से नववर्ष के पंचांग की गणना शुरू होती है, यानी इस दिन से हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है.
नगर देवता के नहीं किए दर्शन, तो अधूरा रहता है संगम स्नान, इतिहास है पुराना
29 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे देश में पूजा-पाठ और धार्मिक आस्थाएं प्रबल रही हैं. यहां के कई मंदिर ऐतिहासिक और पौराणिक स्थल के रूप में पहचाने जाते हैं. इन्हीं में एक मंदिर प्रयागराज में है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण सृष्टि निर्माण के समय ही ब्राह्मणी ने कर दिया था. इस विशेष मंदिर का नाम है वेणी माधव.
प्रयागराज संगम तपोभूमि है, यहां पर महर्षि भारद्वाज का आश्रम है. यहीं गंगा, जमुना, सरस्वती के संगम पर ही सृष्टि का निर्माण करने के बाद ब्रह्मा ने भगवान विष्णु को प्रयागराज की रक्षा के लिए स्थापित किया और नाम रखा- वेणी माधव. नगर देवता के रूप में जाना जाने वाला वेणी माधव मंदिर दारागंज में स्थित है. इस मंदिर का दर्शन करते हुए चैतन्य महाप्रभु को भी बनाया गया है.
यह है खास मान्यता
मंदिर के पुजारी आचार्य लक्ष्मीकांत शास्त्री बताते हैं कि गंगा, जमुना, सरस्वती से बने इस पावन संगम पर दर्शन करने करोड़ों श्रद्धालु आते हैं, लेकिन जब तक संगम स्नान के बाद वेणी माधव का दर्शन ना कर लिया जाए, तब तक संगम स्नान पूरा नहीं होता. इसका साक्ष्य रामचरितमानस और पुराणों में मिलता है. इसलिए कुंभ और माघ मेले के समय यहां पर भी प्रशासन की ओर से पूरा इंतजाम किया जाता है. प्रयागराज में 12 माधव मंदिर स्थित हैं. यह सभी भगवान विष्णु को समर्पित हैं, जिनमें से वेणी माधव प्रमुख माना जाता है. भगवान विष्णु के इस मंदिर को नगर देवता इसलिए मानते हैं, क्योंकि प्रयागराज के 12 कोनों पर द्वादश माधव होने के कारण भगवान विष्णु ही शहर की रखवाली का जिम्मा लिए हैं.
यह है मंदिर खुलने का समय
नगर देवता वेणी माधव का मंदिर सुबह 5:00 बजे ही खुल जाता है और दिन में 1:00 बजे तक खुला रहता है, वहीं शाम को 3:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे तक कपाट खुले रहते हैं, लेकिन माघ मेला और कुंभ के समय इस मंदिर का दरवाजा दिनभर खुला रहता है.
बड़ा चमत्कारी है यह त्रिशूल, भगवान शिव ने इससे कामदेव को किया था भस्म, छूने से पूरी होती है हर मन्नत!
29 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के चमोली जिले में पौराणिक गोपीनाथ मंदिर स्थित है, जो अपनी आकर्षक और विशाल निर्माण शैली के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर का निर्माण कत्यूरी वंश के शासकों ने करवाया था. इसके परिसर में पौराणिक त्रिशूल आज भी स्थित है, जिसे उंगली से हिलाने से मन की इच्छा पूरी होती है. मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव ने क्रोधित होकर कामदेव को मारने के लिए अपना त्रिशूल फेंका, तो वह यहां स्थापित हो गया था. मान्यता है कि दाहिने हाथ की छोटी उंगली से त्रिशूल को छूने से अगर मनोकामना मागें, तो त्रिशूल के शीर्ष पर लगा कुंडल हिलने लगता है और कुंडल के हिलने का अर्थ मनौती पूरी होने का संकेत माना जाता है. वहीं जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है, तो वह पुनः त्रिशूल की पूजा करने यहां पहुंचते हैं.
कुंडल से मिलता है ये संकेत!
वरिष्ठ पत्रकार/ जानकार क्रांति भट्ट बताते हैं कि गोपीनाथ मंदिर परिसर में स्थित त्रिशूल आकाश भैरव का त्रिशूल है, जिससे भोलेनाथ ने ध्यान भंग होने के बाद कामदेव को भस्म किया था. मान्यता है कि दाहिने हाथ की छोटी उंगली से त्रिशूल को छूने से अगर मनोकामना मागें तो, त्रिशूल के शीर्ष पर लगा कुंडल हिलने लगता है और कुंडल के हिलने का अर्थ मनौती पूरी होने के संकेत से माना जाता है.
गोपीनाथ मंदिर का महत्व!
वहीं मंदिर का महत्व बताते हुए पुजारी उमेश भट्ट कहते हैं कि गोपीनाथ मंदिर पंच केदारों में से चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ का गद्दी स्थल है. मंदिर की अलग-अलग किवदंतियां हैं. जिसमें कि एक यह भी है कि भगवान श्रीकृष्ण जब यहां रासलीला कर रहे थे, तब भगवान शिव गोपी का रूप धारण कर रासलीला में शामिल हो गए. इतने में ही कृष्ण ने भगवान शिव को पहचान लिया और उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि आप तो गोपियों के नाथ हैं, तब से इस स्थान का नाम गोपीनाथ पड़ा.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 मार्च 2024)
29 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनावपूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी होगी।
वृष राशि - अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल अवश्य होगी।
मिथुन राशि - भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद तनाव, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा।
कर्क राशि - अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ देगा, विशेष कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि - परिश्रम सफल होगा, व्यवसाय गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण होगी।
कन्या राशि - कार्य व्यवसाय गति मंद होगी, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य ही होगी।
तुला राशि - किसी दुर्घटना से बचें, चोटादि का भय होगा, कार्य व्यवसाय अनुकूल बनेगा।
वृश्चिक राशि - कार्यगति अनुकूल होगी, लाभपूर्ण कार्ययोजना बनेगी, बाधा अवश्य होगी।
धनु राशि - प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि - अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, कार्य अवरोध होगा, धैर्य रखें।
कुंभ राशि - मनोबल बनाये रखें, कार्य योजना पूर्ण होगी, नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि - दैनिक कार्यगति उत्तम होगी, कुटुम्ब में सुख समय बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
हनुमान जी की तस्वीर दक्षिण दिशा की ओर लगायें
28 Mar, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म वास्तु और ज्योतिष की मानी जाए तो किसी भी प्रकार की तस्वीर या मूर्ति को घर में रखने से पहले कुछ बातों का जानना बहुत ज़रूरी है।वास्तु और ज्योतिष के साथ-साथ हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में भी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं को रखने से चमत्कारी प्रभाव देती हैं। इसलिए शास्त्रों में इनकी प्रतिमाओं और तस्वीरों को रखने के बहुत से महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में देवी-देवताओं की तस्वीरें लगाने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है।हनुमान जी की तस्वीर का महत्व और उससे जुड़े कुछ वास्तु नियम-
शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनकी तस्वीर बेडरूम में न रखकर घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है।
वास्तु वैज्ञानिकों के अनुसार हनुमान जी का चित्र दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए क्योंकि हनुमान जी ने अपना प्रभाव अत्यधिक इसी दिशा में दिखाया है जैसे लंका दक्षिण में है, सीता माता की खोज दक्षिण से आरंभ हुई, लंका दहन और राम-रावण का युद्ध भी इसी दिशा में हुआ। दक्षिण दिशा में हनुमान जी विशेष बलशाली हैं।
इसी प्रकार से उत्तर दिशा में हनुमान जी की तस्वीर लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर नकारात्मक शक्ति को हनुमान जी रोक देते हैं। वास्तु अनुसार इससे घर में सुख और समृद्धि का समावेश होता है और दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत को हनुमान जी रोक देते हैं।
जिस रूप में हनुमान जी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हों ऐसी तस्वीर को घर में लगाने से किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश असंभव है।
भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला भक्तों के मन को है लुभाती
28 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भक्ति की परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले भगवान हैं। योगेश्वर रूप में वे जीवन का दर्शन देते हैं तो बाल रूप में उनकी लीलाएं भक्तों के मन को लुभाती है।आज पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोई कान्हा की भक्ति से सराबोर है। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय श्रीकृष्ण का जो महामंत्र प्रसिद्ध हुआ, वह तब से लेकर अब तक लगातार देश दुनिया में गूंज रहा है। आप भी मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र के जाप की शुरुआत कर सकते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
१५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय प्रसिद्ध हुए इस मंत्र को वैष्णव लोग महामन्त्र कहते हैं। इस्कान के संस्थापक के श्रील प्रभुपाद जी अनुसार इस महामंत्र का जप उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक शिशु अपनी माता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रोता है।
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
भगवान श्रीकृष्ण के इस द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। प्रेम विवाह करने वाले अभिलाषा रखने वाले जातकों के लिए यह रामबाण साबित होता है।
कृं कृष्णाय नमः
यह पावन मंत्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया है। इसके जप से जीवन से जुड़ी तमाम बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।
जीवन में आई विपदा से उबरने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यह बहुत ही सरल और प्रभावी मंत्र है। इस महामंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण बिल्कुल उसी तरह मदद को दौड़े आते हैं जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की मदद की थी।
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
श्रद्धा और विश्वास के इस मंत्र का जाप करने से न सिर्फ तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाने में यह महामंत्र काफी कारगर साबित होता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।।
कन्हैया की स्तुति करने के लिए तमाम मंत्र हैं लेकिन यह मंत्र उनकी मधुर छवि का दर्शन कराती है। इस मंत्र की स्तुति में कान्हा की अत्यंत मनमोहक छवि उभर कर सामने आती है। साथ ही साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी और विश्व के पालनकर्ता होने का भी भान होता है।
अपनी हथेली से जानिये भविष्य
28 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भविष्य की बातें जानने की उत्कंठा सभी के मन में होती है। इसके लिए लोग ज्योतिषियों के पास जाते हैं। अगर आप चाहें तो
हथेलियों से और उसके रंग से भाग्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं। हथेलियों के रंग से स्वभाव , स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति के बारे में आसानी से जाना जा सकता है परन्तु हथेलियों को देखने के लिए सुबह का ही समय सबसे उत्तम होता है, अन्यथा न तो रंग जान पायेंगे , न ही रेखा।
लाल हथेली से क्या पता चलता है ?
मंगल प्रधान लोगों की हथेलियां लाल होती हैं
ऐसे लोग क्रोधी और तुनकमिजाज़ होते हैं
अगर अंगूठा छोटा हो तो ये हिंसक भी हो जाते हैं
ऐसे लोगों को खान पान और वाहन चलाने में सावधानी रखनी चाहिए
पीली हथेली क्या कहती है ?
बृहस्पति के कमजोर होने पर हथेली पीली हो जाती है
यह बीमारी , चिडचिड़ाहट और आलस्य की सूचना है
ऐसे लोग किसी न किसी कारण से परेशान होते रहते हैं
ऐसे लोगों को उपवास जरूर रखना चाहिए साथ ही नशे से परहेज करना चाहिए
कालापन लिए हुए हथेली का अर्थ क्या है ?
जब शनि और राहु जीवन में नकारात्मक होते हैं , तब ऐसे हथेलियाँ होती हैं
यह जीवन में अत्यधिक संघर्ष और उतार चढ़ाव के बारे में बताता है
ऐसे लोगों को कदम कदम पर मेहनत करनी होती है , और ये करते भी हैं
इनको दान और अपने माता - पिता की सेवा जरूर करनी चाहिए
गुलाबी हथेली का अर्थ ?
गुलाबी हथेलियों को सर्वश्रेष्ठ हथेली माना जाता है
यह शुक्र के मजबूत प्रभाव के बारे में बताता है
जैसे जैसे व्यक्ति उन्नति करता जाता है , उसकी हथेलियाँ गुलाबी होती जाती हैं
जिनकी हथेलियाँ शुरू से गुलाबी होती हैं , ऐसे लोग जन्म से ही समृद्ध होते हैं
इनको अहंकार और गलत आकर्षण से बचना चाहिए।
शुभ कार्यों में मंगल की होती है अहम भूमिका
28 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंगल कार्य में सबसे बड़ी भूमिका स्वयं मंगल की होती है। इसके बाद इसमें तमाम शुभ ग्रहों की भूमिका होती है। गुरु भी शुभ और मंगल कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शनि, राहु और केतु मंगल कार्यों में आम तौर पर बाधा देते हैं। मंगल जब ख़राब हो तो मंगल कार्य होना एक चुनौती हो जाती है।
कब घर में शुभ कार्य सरलता से होते हैं?
मंगल ग्रह के अनुकूल होने पर शुभ कार्य आसानी से हो जाते हैं। चन्द्रमा की शुभ दशा होने पर भी मंगल कार्य होते हैं। गुरु के कुंडली में शुभ होने पर भी मंगल कार्यों का संयोग बनता है। साढ़े साती या ढैय्या के उतरने पर भी शुभ कार्यों की स्थिति बनती है। किसी संत महात्मा के आशीर्वाद मिलने पर भी ऐसा होता है।
कब घर में मंगल कार्य नहीं होते?
जीवन में शनि की दशा चलने पर मुश्किल आती है।कुंडली में राहु का प्रभाव ख़राब होने पर मंगल कार्य नहीं होते हैं।गुरु के अशुभ होने पर भी मंगल कार्य नहीं होते हैं।घर में नियमित कलह क्लेश होने पर भी शुभ कार्यों के योग नहीं बनते हैं।घर के मुख्य द्वार के ख़राब होने पर भी ऐसी स्थिति बनती है।
घर में मंगल कार्य कराने के उपाय?
घर में पूजा का स्थान बनाएं और नियमित तौर पर पूजा उपासना करें। घर में सप्ताह में एक बार सामूहिक पूजा जरूर करें। घर में कलह क्लेश कम से कम करें। घर के मुख्य द्वार पर नियमित बंदनवार लगाएं। घर में नियमित भजन कीर्तन की ध्वनि आती रहे तो उत्तम होगा।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 मार्च 2024)
28 Mar, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय कष्ट व्यवसाय बाधा, लाभ पारिवारिक समस्या उलझन भारी रहेगा।
वृष राशि - राज भयरोग, स्वजन सुख शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होवेगी।
मिथुन राशि - वाहन भय मातृकष्ट हानि तथा अशान्ति का वातावरण रहेगा ध्यान देवें।
कर्क राशि - सफलता उन्नति, शुभकार्य विवाद, राजकार्य मामले मुकदमें में प्राप्ति जीत होवेगा।
सिंह राशि - शरीर कष्ट, कार्य व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार, कार्य बन जायेगें।
कन्या राशि - व्यर्थ का खर्च, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ और धीरे धीरे स्वास्थ्य में सुधार होगा।
तुला राशि - यात्रा से हर्ष होगा। राज लाभ शरीर कष्ट होगा। व्यर्थ खर्च की यात्रा बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि - कार्यवृत्ति से लाभ यात्रा सम्पर्क लाभ व्यापारी गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि - अल्पलाभ चोट और अग्नि, शरीर भय, मानसिक परेशानी अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि - शत्रु से हानि कार्य व्यय, शारीरिक सुख होवे कभी कुछ कष्ट अवश्य होगा।
कुंभ राशि - सुख व्यय संतान सुख, कार्य सफलता, उत्साह की वृद्धि होगी ध्यान रखेगे।
मीन राशि - पदोन्नति राजभय न्यय लाभ हानि, अधिकारियों से मन मुटाव अवश्य बनेगा।
कब है होली भाई दूज? जानें शुभ मुहूर्त, तिलक लगाने का समय और महत्व
27 Mar, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रंगों के त्योहार होली के बाद होली भाई दूज का पर्व आता है. हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज मनाते हैं. यह पर्व होली के दूसरे दिन मनाते हैं. होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि को मनाते हैं. होली भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनको भोजन कराती हैं, बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं. होली भाई दूज को भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है. भाई दूज को भातृ द्वितीया भी कहते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि होली भाई दूज कब है? होली भाई दूज का मुहूर्त क्या है?
कब है होली भाई दूज 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होली भाई दूज के लिए महत्वपूर्ण चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 26 मार्च दिन मंगलवार को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से प्रारंभ है. यह तिथि 27 मार्च दिन बुधवार को शाम 05 बजकर 06 मिनट तक मान्य होगी. उदयातिथि के अनुसार, चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि 27 मार्च को है. ऐसे में होली भाई दूज का पर्व बुधवार को मनाया जाएगा.
होली भाई दूज 2024 मुहूर्त
27 मार्च को होली भाई दूज के दिन आप सुबह में 06:17 एएम से सुबह 09:22 एएम के बीच और सुबह 10:54 बजे से 12:27 बजे के बीच होली भाई दूज मना सकते हैं. यह उस दिन का शुभ समय है. इस समय में भाई को तिलक लगा सकते हैं. उस दिन का राहुकाल दोपहर 12 बजरक 27 मिनट से दोपहर 01 बजकर 59 मिनट तक है. राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य न करें. उस दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:43 एएम से 05:30 एएम तक है.
भाई दूज या भातृ द्वितीया का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, यमराज की बहन यमुना ने उनसे शिकायत की थी कि वे कभी उनके घर नहीं आते हैं. तब यमराज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन यमुना के घर गए. यह देखकर यमुना काफी प्रसन्न हुईं और अपने भाई को तिलक लगाकर स्वागत किया. उनको अपने घर पर स्वादिष्ट भोजन कराया. इससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए.\
तब उन्होंने बहन से कहा कि तुम्हें कुछ देना चाहता हूं. इस पर यमुना ने कहा कि आप वचन दो कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया पर जो भाई अपनी बहन के घर जाएगा, उससे तिलक लगवाकर भोजन ग्रहण करेगा, उसे यम का भय नहीं होगा. इस पर यमराज खुश हुए और यमुना को आशीर्वाद दिया. तब से कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यम द्वितीया मनाते हैं, जिसे भाई दूज कहते हैं. यम द्वितीया या भाई दूज दिवाली के बाद होता है.
शीतला अष्टमी पर क्यों लगता है बासी खाने का भोग?
27 Mar, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में शीतला सप्तमी और अष्टमी का विशेष महत्व है. हर साल यह पर्व चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को बासोड़ा या शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल यह पर्व 1 अप्रैल व 2 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस पर्व का वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है. इसके अनुसार देवी शीतला को दुर्गा और पार्वती का अवतार माना गया है और इन्हें रोगों से उपचार की शक्ति प्राप्त है.
मान्यता है कि इस दिन के बाद से बासी खाना उचित नहीं होता है. यह सर्दियों का मौसम खत्म होने का संकेत होता है और इसे इस मौसम का अंतिम दिन माना जाता है. इस पूजा को करने से ओली और शीतला माता प्रसन्न होती हैं. उनके आर्शीवाद से दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक, दुर्गंधयुक्त फोड़े, शीतला की फुंसियां, शीतला जनित दोष और नेत्रों के समस्त रोग दूर हो जाते हैं.
शीतला माता को लगाया जाता है ठंडा भोग
इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे जल से स्नान करते हैं, इसके बाद शीतला माता के मंदिर में वह घरों में देवी को ठंडा जल अर्पित करके उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं. श्रीफल अर्पित करते हैं और एक दिन पहले पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाते है. शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगता है. इसलिए भोजन एक दिन पहले हलवा, पूरी, दही बड़ा, पकौड़ी, पुए, रबड़ी आदि बनाकर रख लिया जाता है, अगले दिन सुबह महिलाएं इन चीजों का भोग शीतला माता को लगाकर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन शीतला माता समेत घर के सदस्य भी बासी भोजन ही करते हैं, इसी वजह से इसे बासौड़ा पर्व भी कहा जाता है.
शीतला सप्तमी की कथा सुनने के बाद महिलाऐं घर के मुख्य प्रवेश द्वार के दोनों ओर हल्दी से हाथ के पांच पांच छापे लगाए जाते हैं. जो जल शीतला माता को अर्पित किया जाता है, उसमें से थोड़ा सा बचाकर और उसे पूरे घर में छींट देते हैं. इससे शीतला माता की कृपा बनी रहती है और रोगों से घर की सुरक्षा होती है. शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है.
गणगौर 2024: इस दिन से शुरू होगा निमाड़ का सबसे बड़ा लोक पर्व
27 Mar, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
निमाड़ अंचल में गणगौर हिंदुओं का सबसे बड़ा लोक पर्व माना जाता है. हर साल चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर पर्व मनाया जाता है. यह लोक पर्व मध्य प्रदेश और राजस्थान में बड़ी धूमधाम से लोग मनाते हैं. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक खरगोन सहित पूरे निमाड़ में गणगौर लोक पर्व का खासा उत्साह रहता है.
बता दें कि इस साल चैत्र शुक्ल तृतीया गुरुवार 11 अप्रैल 2024 को मनाई जाएगी. माता की बाड़ी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन खुलेगी. इसी दिन माता की घट स्थापना भी होगी. लोग ज्वारों स्वरूप माता की टोकरियां रथों में लेकर अपने-अपने घर जाएंगे. फिर अगले तीन दिनों तक भक्त गणगौर के लोकगीत और झालरिया गाएंगे.
होती है शिव-पार्वती की आराधना
खरगोन के मंडलेश्वर निवासी बताया कि खरगोन सहित पूरे निमाड़ में गणगौर एक लोक पर्व के रूप में मनाया जाता है. गणगौर शब्द गण और गौरा से मिलकर बना है. गण का अर्थ शिवजी से है. गौरा का अर्थ माता पार्वती से है. इस पर्व में शिव और पार्वती दोनों की आराधना की जाती है
इस समय करें घट स्थापना
इस साल मंगलवार 9 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है. इसी दिन माता की घट स्थापना होगी. लेकिन, इस दिन वैधृति योग भी है. पंचांग के अनुसार, वैधृति योग अच्छा नहीं माना जाता है, इसलिए घट स्थापना का मुहूर्त अभिजीत काल का हो तो अत्यंत महत्वपूर्ण होगा. अभिजीत काल का मतलब होता है, मध्यान सूर्योदय का समय यानी दोपहर 12 बजे के 24 मिनट पहले और 24 मिनट बाद. इस हिसाब से 11:40 बजे से 12:20 बजे तक का समय घट स्थापना के लिए सबसे शुभ होगा.
8 दिनों तक मनाएंगे गणगौर पर्व
वैसे तो गणगौर चैत्र कृष्ण एकादशी से ही प्रारंभ हो जाता है. बाड़ी में ज्वारे बोए जाते हैं. हर दिन महिलाएं गणगौर के लोकगीत गाती हैं, जिन्हें झालरिया कहते हैं. पर्व के दौरान महिलाएं शिव और पार्वती दोनों की पूजा, आराधना करती हैं. तीज के दिन माता के विसर्जन के साथ पर्व का समापन होता है.
कहीं आपके घर के आंगन में भी तो नहीं लगे ये 3 पेड़? बनते हैं गरीबी की वजह, तुरंत उखाड़कर फेंक दें
27 Mar, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घर में कभी कांटे वाले पौधे नहीं लगाने चाहिए. किसी भी तरह का कैकटस का पौधा वगैरह हमें अवॉइड करना चाहिए. विशेषकर तब तो ऐसे पौधे बिलकुल नहीं लगाने चाहिए जब आपके भीतर संतुलन न हो, या आप उतने मेच्योर न हो.
यदि आपके भीतर आध्यात्मिक प्रगाढ़ता नहीं है तो ऐसे पौधे नहीं लगाने चाहिए. यानी ऐसे लोग जिनका गुस्सा बहुत तेज है, जिनका खुद पर नियंत्रण नहीं होता. ऐसे लोग जो गुस्से में कुछ भी बोलने या करने से परहेज नहीं करते. आपने कई ऐसे लोग देखें होंगे जो गुस्से में पत्नी को गाली दे देते हैं, या लड़ाई कर लेते हैं. वह तो अपना ही नुकसान कर लेंगे.
दरअसल समझ लें कि ज्योतिष या वास्तु में कुछ भी सही या गलत नहीं होता. हमें बस चीजें अपने हिसाब से देखनी होती हैं. जैसे कई बार उपाय स्वरूप में कुछ जगह कैकटस का पौधा लगवाया भी जाता है. लेकिन ये व्यक्ति के अनुसार निर्भर करता है. गृहस्थ जीवन में घर में कांटे वाले पौधे रखना यानी अपने दुश्मन बढ़ाने वाली बात होती है.
घर के भीतर बेल का पेड़ भी लगाने से मना किया जाता है. बेल का पेड़ लगाने से प्रॉपर्टी के विवाद ज्यादा उत्पन्न होते हैं. साथ ही बेल का पेड़ घर में लगाने से संघर्ष बढ़ जाता है.
ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ, श्रुति खरबंदा बताती हैं कि केले के पेड़ की पूजा की जाती है, लेकिन याद रखें कि केले का पेड़ कभी घर के भीतर न लगाएं. जिन घरों के भीतर केले का पेड़ होता है, ऐसा देखा जाता है कि उस घर के लड़के फलते-फूलते नहीं हैं, समृद्ध नहीं हो पाते. ऐसे घरों के लड़के बिजनेस न चल पाने के कारण डिप्रेशन में तक चले जाते हैं. ऐसा भी देखा गया है कि उन्हें आर्थिक रूप से भी परेशानियां बहुत झेलनी पड़ती हैं.
घर में किसी भी तरह के मुरझाए हुए पौधे भी नहीं रखने चाहिए. ये पौधे भी जीवन में नकारात्मकता लाते हैं. आपके घर का वायु तत्व बना रहे, इसके लिए जरूरी है कि आप खिले हुए पौधे ही घर में रखें.
कौनसे पौधे लगाने चाहिए: आप कोई भी एवरग्रीन पौधा अपने घर में लगा सकते हैं. वह आपके लिए बुध का तत्व दर्शाता है, जो मुरझाए न. आप तुलसी जरूर अपने घर में लगाएं. जिस घर में तुलसी होती है, वहां देवताओं को निवास हो. आप फलदार या फूल वाले पौधे लगा सकते हैं. पर याद रखें कि उनमें कांटे न हों. क्योंकि हम अपने जीवन से संघर्ष को कम करना चाहते हैं. इसके अलावा आप मनी प्लांट अपने घर में लगा सकते हैं जो उन्नति का प्रतीक होता है. ऐसे पौधे वास्तु के अनुसार आपके घर में शुभ माने जाते हैं.