धर्म एवं ज्योतिष
चैत्र नवरात्रि से क्या है भगवान राम का नाता, अयोध्या के ज्योतिषी से जानें सब
5 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूरे देश में नवरात्रि की तैयारियां तेजी के साथ चल रही है. सनातन धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा आराधना करने का विधान है. कहा जाता है कि नवरात्रि के दिनों में माता दुर्गा धरती पर निवास करती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार साल में 4 बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. जिसमें एक चैत्र नवरात्रि दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि का पर्व होता है. तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि से प्रभु राम का क्या संबंध है?
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल को देर रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी. ये तिथि अगले दिन यानी 09 अप्रैल को संध्याकाल 08 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार 09 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी. जिसका समापन 17 अप्रैल रामनवमी के दिन होगा. वहीं चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 17 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है. अतः 17 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी.
चैत्र नवरात्रि से भगवान राम का नाता
अब आपके मन में यह सवाल चल रहा होगा कि चैत्र नवरात्रि से रामनवमी का क्या संबंध है . पंडित कल्कि राम बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि में नवमी तिथि के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था. हिंदू धर्म में मान्यता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान विष्णु ने प्रभु श्री राम के रूप में धरती पर अपना सातवां अवतार लिया था. भगवान राम के जन्म से पहले भी चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता था. जिस दौरान देवी मां की उपासना की जाती थी लेकिन जब चैत्र माह में प्रभु राम का जन्म हुआ तो देवी के साथ-साथ प्रभु राम की भी पूजा आराधना करने का प्रचलन शुरू हो गया और रामनवमी के दिन चैत्र नवरात्रि का समापन भी किया जाता है. इस वजह से रामनवमी और चैत्र नवरात्रि दोनों पर्व एक दूसरे से मुख्य रूप से जुड़े हुए हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 अप्रैल 2024)
5 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - कार्य-कुशलता एवं समृद्धि के योग तथा फलप्रद स्थिति बनेगी, कार्य बनेंगे।
वृष राशि - तत्परता से लाभ एवं इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय पर कार्य करें।
मिथुन राशि - व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष, लाभप्रद स्थिति रहेगी।
कर्क राशि - सोच-समझकर शक्ति लगायें, विभ्रम, विकार व क्लेश प्रद स्थिति रहेगी।
सिंह राशि - समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थगित रखें, लेन-देन के कार्यों में हानि की संभावना है।
कन्या राशि - मानसिक विभ्रम, किसी आरोप में फंस सकते हैं, सतर्कता से कार्य निपटायें।
तुला राशि - भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य संतोष होगा।
वृश्चिक राशि - कार्य कुशलता से संतोष, योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता मिलेगी।
धनु राशि - कार्य सफलता के साधन जुटायेंगे, धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मकर राशि - आरोप, क्लेश व असमंजस की स्थिति रहेगी, धन लाभ, सफलता से हर्ष होगा।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री शरीर कष्ट, मित्र चिन्ता, दु:ख होगा।
मीन राशि - इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता बनेगी लाभ लें।
धर्म का सही अर्थ
4 Apr, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म शब्द की उत्पत्ति ‘धृ’ धातु से हुई है, जिसका अर्थ धारण करना है। इस संसार में जो भी गुण मनुष्य के लिए धारण करने योग्य है, उसे धर्म कहा जा सकता है। इस परिभाषा से यह स्पष्ट हो जाता है कि हर पदार्थ का जो मौलिक गुण है वह उसमें निहित धर्म है। जैसे पानी का धर्म प्यास बुझाना है। अगर उसे उबाल देंगे तो वह वाष्प बन जाएगा, पर ठंडा होकर फिर प्यास बुझाएगा। वही पानी जमकर बर्फ बन जाएगा और पिघलकर फिर प्यास बुझाएगा। किसी भी स्थिति में पानी अपना मौलिक गुण, अपना धर्म नहीं छोड़ता है। प्रत्येक पदार्थ में निहित वह विशेष गुण जो उसे उपयोगी बनाता है, उसका धर्म है। अर्थात धर्म और कर्म में कोई अंतर नहीं है। प्रत्येक परिस्थिति में धर्म के अनुसार आचरण करना हमारे जीवन का कर्म है और जब हम ऐसा कर्म करते हैं हम स्वयं ही सुखों को आमंत्रित कर लेते हैं।
इस सत्य को स्वीकार करते हुए चाणक्य कहते हैं कि सभी सुखों के मूल में धर्म कार्य कर रहा है। भोजन, निद्रा, भय पशु में भी पाए जाते हैं। वहीं धर्म ही मनुष्य को पशु से अलग करता है। यहां पर विचार करने योग्य तथ्य यह है कि सिर्फ मनुष्य है जो अपने जीवन को बड़ा बनाना चाहता है। जिसके मन में कामनाएं उत्पन्न होती हैं, भविष्य को सुरक्षित करने की इच्छा होती है और जो अपने कल को बेहतर करने के लिए आज कर्मशील होने के लिए तत्पर है। पशुओं को कल की चिंता नहीं होती। यानी धर्म वह प्रयोजन है जिसके द्वारा जीवन को महानता की ओर ले जाया जा सकता है।
धर्म का आचरण करने से ही मनुष्य के जीवन में अर्थ और काम की उपलब्धि होती है। फिर धर्म को छोड़कर किसी और की शरण में आप कैसे जा सकते हैं? शास्त्र सहर्ष स्वीकार करते हैं कि जिससे जीवन में श्री, अभ्युदय अर्थात उन्नति और सिद्धि प्राप्त हो, वह धर्म है। फिर इसमें कोई दो राय किस तरह से हो सकती है कि धर्म का अर्थ ही उत्तम प्रकार के कर्म करना है, जिसके द्वारा कामनाओं को पूर्ण किया जा सके। सीधे शब्दों में कहें तो कामनाओं को पूरा करने के लिए कमाना पड़ता है और कमाई में जब कमी होती है तो जीवन दीन-हीन हो जाता है। धर्म की हानि उस समय होती है जब हम बिना कर्म किए छल से, बल से, कामनाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन उससे भी अधिक धर्म की हानि तब होती है। जब हम शोषण का प्रपंच शांत भाव से देखते हैं। उस समय यह याद रखें कि आप भी भीष्म की भांति अपने कर्म से हट रहे हैं।
इस जीवन में धर्मज्ञ बनना है, धर्मभीरु नहीं। किसी भी वस्तु, व्यक्ति अथवा विषय से भय उस समय तक ही रहता है, जब तक हमें उस विषय का पूर्ण ज्ञान न हो जाए। धर्म का वास्तविक अर्थ यथोचित कर्म करना है जो जीवन को उन्नति की ओर ले जाए। इस प्रवाह में बहने का नाम ही धार्मिकता है।
यहां है भगवान परशुराम का तप स्थल
4 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
झारखंड के गुमला जिले में भगवान परशुराम का तप स्थल है। यह जगह रांची से करीब 150 किमी दूर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी। यहीं उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को धरती पर रख दिया था। इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती-जुलती है। यही वजह है कि यहां श्रद्धालु इस फरसे की पूजा के लिए आते है। वहीं शिव शंकर के इस मंदिर को टांगीनाथ धाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं।
त्रिशूल को पूजते हैं
लोग शिवरात्रि के अवसर पर ही श्रद्धालु टांगीनाथ के दर्शन के लिए आते हैं। यहां स्थित एक मंदिर में भोलेनाथ शाश्वत रूप में हैं। स्थानीय आदिवासी ही यहां के पुजारी है और इनका कहना है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है। मान्यता है महर्षि परशुराम ने यहीं अपने परशु यानी फरसे को रख दिया था। स्थानीय लोग इसे त्रिशूल के रूप में भी पूजते हैं। आश्चर्य की बात ये है कि इसमें कभी जंग नहीं लगता। खुले आसमान के नीचे धूप, छांव, बरसात- का कोई असर इस त्रिशूल पर नहीं पड़ता है।
पौराणिक महत्व
त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम ने जनकपुर में आयोजित सीता माता के स्वयंवर में शिव जी का धनुष तोड़ा तो वहां पहुंचे भगवान परशुराम काफी क्रोधित हो गए। इस दौरान लक्ष्मण से उनकी लंबी बहस हुई और इसी बीच जब परशुराम को पता चला कि भगवान श्रीराम स्वयं नारायण ही हैं तो उन्हें बड़ी आत्मग्लानि हुई। वह पश्चाताप करने के लिए घने जंगलों के बीच एक पर्वत श्रृंखला में आ गए। यहां वे भगवान शिव की स्थापना कर आराधना करने लगे।
शनिदेव से भी जुड़ी है गाथा
टांगीनाथ धाम का प्राचीन मंदिर रखरखाव के अभाव में ढह चुका है और पूरा इलाका खंडहर में तब्दील हो गया है लेकिन आज भी इस पहाड़ी में प्राचीन शिवलिंग बिखरे पड़े हैं। यहां मौजूद कलाकृतियां- नक्काशियां और यहां की बनावट देवकाल की कहानी बयां करती हैं। साथ ही कई ऐसे स्रोत हैं, जो त्रेता युग में ले जाते हैं। वैसे एक कहानी और भी है। कहते हैं कि शिव इस क्षेत्र के पुरातन जातियों से संबंधित थे। शनिदेव के किसी अपराध के लिए शिव ने त्रिशूल फेंक कर वार किया तो वह इस पहाड़ी की चोटी पर आ धंसा। उसका अग्र भाग जमीन के ऊपर रह गया जबकि त्रिशूल जमीन के नीचे कितना गड़ा है, यह कोई नहीं जानता।
मान सम्मान इस प्रकार रहेगा बरकरार
4 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मनुष्य के जीवन में मान सम्मान का बड़ा महत्व है। हर व्यक्ति को मान सम्मान पाने की आकांक्षा होती है। मनुष्य को अपनी प्रतिष्ठा बनाने में वर्षों लग जाते हैं। अपयश की स्थिति का कोई भी सामना नहीं करना चाहता है। समाज में प्रतिष्ठा बनी रहे और लगातार इसमें वृद्धि हो, इसके लिए वास्तु में कुछ आसान से उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।
सुबह स्नान करते वक्त जल में गुड़, सोने की कोई वस्तु, हल्दी, शहद, शक्कर, नमक, पीले फूल आदि में से कोई भी एक चीज डालकर स्नान करें। ऐसा करने से गुरु दोष की शांति होती है और समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होती है। सुबह स्नान कर तांबे के पात्र में जल भरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। दुर्गा सप्तशती के द्वादश अध्याय का नियमित पाठ करने से मनुष्य की सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। रोजाना पक्षियों को दाना खिलाएं, ऐसा करने से भी सम्मान में वृद्धि होती है। रात में सोते समय अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में थोड़ा सा पानी रख लें और सुबह इस पानी को घर के बाहर डाल दें। ऐसा करने से मिथ्या लांछन या अपमान की स्थिति से हमेशा बचाव होता है।
मां ब्रह्मचारिणी हर मनोकामना करती है पूरी
4 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्र में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से हर मनोकामना पूरी होती है। मां ब्रह्मचारिणी का मंदिर काशी के सप्तसागर (कर्णघंटा) क्षेत्र में स्थित है। देवी दुर्गा की पूजा के क्रम में ब्रह्मचारिणी देवी का दर्शन-पूजन बेहद अहम माना जाता है। काशी के गंगा किनारे बालाजी घाट पर स्थित मां ब्रह्मचारिणी के मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। श्रद्धालु मां के इस रूप का दर्शन करने के लिए नारियल, माला-फूल आदि लेकर श्रद्धा-भक्ति के साथ अपनी बारी आने का इंतजार करते हैं.
मां के दर्शन करने से मिलती है परब्रह्म की प्राप्ति
ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरूप पूर्ण ज्योतिर्मय एवं अत्यन्त भव्य है। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बायें हाथ में कमंडल रहता है। जो देवी के इस रूप की आराधना करता है, उसे साक्षात परब्रह्म की प्राप्ति होती है। मां के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालुओं को यश और कीर्ति प्राप्त होती है।
हर मनोकामना होती है पूरी
यहां ना सिर्फ काशी बल्कि अन्य जिलों से भी लोग दर्शन एवं पूजन के लिए आते हैं। नवरात्रि पर तो इस मंदिर में लाखों भक्त मां के दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि मां के इस रूप का दर्शन करने वालों को संतान सुख मिलता है। साथ ही वो भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं।
हनुमान जी के ये मंदिर हैं आस्था के केन्द्र
4 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में रामभक्त हनुमान के पूजन का काफी महत्व और इनकी पूजा करने का सबसे शुभ दिन मंगलवार है। हनुमान जी को कलयुग में भी जीवित देव माना गया है और श्रृद्धाभाव से पूजा करने से वह भक्तों की मनोकामना भी तुरंत पूरी करते है। इनके कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां पर पूजन करने से आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मान्यताओं के अनुसार अगर इन मंदिरों में भगवान श्रीराम का नाम लेकर कोई भी मुराद मांगी जाए तो वह अवश्य पूरी होती है।
हनुमान गढ़ी, अयोध्या
अयोध्या के हनुमान गढ़ी मंदिर के राजा हैं हनुमान जी। मान्यता है कि मंदिर में जब हनुमान जी की आरती होती है, उस समय वरदान मांगने वाले की हर इच्छा पूरी होती है।
कहते हैं कि लंका विजय के बाद हनुमानजी पुष्पक विमान में श्रीराम सीता और लक्ष्मण जी के साथ यहां आए थे। तभी से वो हनुमानगढ़ी में विराजमान हो गये। मान्यताओं के अनुसार जब भगवान राम परमधाम जाने लगे तो उन्होंने अयोध्या का राज-काज हनुमान जी को ही सौंपा था।
पंचमुखी हनुमान, कानपुर
कानपुर के पनकी में स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर की महिमा भी बड़ी निराली है। यहीं पर हनुमान जी और लवकुश का युद्ध हुआ था। युद्ध के बाद माता सीता ने हनुमान जी को लड्डु खिलाए थे, इसीलिए इस मंदिर में भी उन्हें लड्डुओं का ही भोग लगता है। यहां आने वाले भक्तों की सारी इच्छायें सिर्फ लड्डू चढ़ाने से ही पूरी हो जाती हैं।
हनुमान मंदिर, झांसी
झांसी के हनुमान मंदिर में हैरानी की बात ये है कि यहां हर दिन सुबह पानी ही पानी बिखरा रहता है और कोई नहीं जानता कि ये पानी आता कहां से है। यहां हनुमान जी की पूजा-पाठ इसी पानी के बीच ही पूरी होती हैं। कहते हैं कि इस मंदिर के पानी का औषधीय गुणों से भरपूर है और इस पानी से चर्म रोग दूर होता है।
बंधवा हनुमान मंदिर, विन्ध्याचल
विन्ध्याचल पर्वत के पास विराजते हैं बंधवा हनुमान। यहां पर ज्यादातर लोग शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए पूजन करने आते हैं। यहां पर शनिवार को लड्डू, तुलसी और फूल चढ़ने से साढ़ेसाती का प्रभाव कम होता है।
मूर्छित हनुमान मंदिर, इलाहाबाद
कहते हैं हनुमान जी संगम किनारे भारद्वाज ऋषि से आशीर्वाद लेने आये थे लेकिन वह इतने कमजोर हो गये थे कि उन्होंने प्राण त्यागने का निर्णय लिया। तभी मां सीता आईं और उन्होंने सिंदूर का लेप लगाकर उन्हें नया जीवन दान दिया। इसी मान्यता के अनुसार यहां पर जो भी भक्त, हनुमान जी को लाल सिंदूर का लेप करते हैं, उसकी सभी कामनाऔं पूरी होती हैं।
यहां होती है खंडित हनुमान प्रतिमा की पूजा
माना जाता है कि चंदौली के कमलपुरा गांव में बरगद के पेड़ से हनुमान जी प्रकट हुए थे. यहां पर बरगद से प्रकट हुए हनुमानजी की खंडित प्रतिमा की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि बरगद वाले हनुमान भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 अप्रैल 2024)
4 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनाव, उदर रोग, मित्र लाभ, कार्य लाभ, जीवन पूर्ण संतोषप्रद रहेगा।
वृष राशि - शत्रुभय, सुख-मंगल की वृद्धि, विशेष मामले-मुकदमे में जीत की संभावना होगी।
मिथुन राशि - कुसंगति से हानि, रोग भय, यात्रा, उद्योग-व्यापार की स्थिति लाभप्रद होगी।
कर्क राशि - पराक्रम से कार्यसिद्धी, व्यापार में लाभ होगा, खेती व गृहकार्य में व्यवस्था अवश्य बनेगी।
सिंह राशि - तनाव, प्रवास के योग, विरोधी चिंता, उद्योग-व्यापार में लाभ, कार्य सफल होगा।
कन्या राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, उद्योग-व्यापार में अड़चने होंगी, कार्य पर ध्यान दें।
तुला राशि - प्रवास, वाहन भय, भूमि लाभ, कलह, अनाप-शनाप खर्च से परेशानी होगी।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्धी, विरोध होगा, लाभ से हर्ष, व्यापार में सुधार, खर्च से बचें।
धनु राशि - यात्रा से हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय होगा, लिखा-पढ़ी से लाभ होगा।
मकर राशि - शुभ कार्य, वाहन भय, रोग भय, नौकरी की स्थिति सामान्य रहेगी।
कुंभ राशि - अभिष्ट सिद्धी, राजभय, धार्मिक व मांगलिक कार्य होंगे, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि - राजभय, यात्रा होगी, मान-प्रतिष्ठा से लाभ, राज कार्य में विलम्ब से परेशानी।
इस माह लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल, 4 उपाय से दुष्प्रभाव होंगे दूर
3 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण इस माह अप्रैल में लगने वाला है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, राहु और केतु के कारण सूर्य ग्रहण लगता है क्योंकि वे सूर्य का ग्रास करने का प्रयास करते हैं. वहीं यह एक खगोलीय घटनाक्रम है. सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा जब एक सीध में आ जाते हैं तो उस समय सूर्य ग्रहण लगता है. सूर्य ग्रहण का सूतक काल ग्रहण समय से 12 घंटा पहले ही लग जाता है, जिसमें कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है. सूर्य ग्रहण के समय में गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना होता है. आइए श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं सूर्य ग्रहण कब लगेगा और समय क्या है? सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों को दूर करने के उपाय क्या हैं?
कब है पहला सूर्य ग्रहण 2024?
इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल दिन सोमवार को लगने जा रहा है. यह सूर्य ग्रहण रात 09 बजकर 12 मिनट पर लगेगा और इसका समापन 9 अप्रैल दिन मंगलवार को 02 बजकर 22 एएम पर होगा. यह सूर्य ग्रहण मीन राशि और स्वाति नक्षत्र में होगा.
सूर्य ग्रहण के दिन सोमवती अमावस्या भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण आमवस्या पर और चंद्र ग्रहण पूर्णिमा तिथि पर लगता है.
सूर्य ग्रहण 2024 का सूतक काल
सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पूर्व लगता है. इस आधार पर सूर्य ग्रहण का सूतक काल 8 अप्रैल को सुबह में 09:12 बजे से लगना चाहिए. लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा. इस वजह से सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कहां दिखाई देगा सूर्य ग्रहण 2024?
यह सूर्य ग्रहण अमेरिका, कनाडा, यूरोप के कुछ पश्चिमी भागों और मेक्सिको में दिखाई देगा. इसके अलावा यह प्रशांत महासागर, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक में भी देखा जा सकता है.
सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों को दूर करने के उपाय
1. सूर्य ग्रहण के समय में आपको सूर्य के बीज मंत्र ओम घृणि सूर्याय नम: का जाप करना चाहिए या सूर्य के किसी अन्य प्रभावशाली मंत्र का भी जाप कर सकते हैं.
2. सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए आप उस समय में अपने इष्ट देव के नाम का जाप या मंत्र का जाप कर सकते हैं.
3. सूर्य ग्रहण के बाद आपको स्नान करके सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं का दान करना चाहिए. इसमें आप गेहूं, गुड़, लाल वस्त्र, तांबे के बर्तन, घी आदि का दान कर सकते हैं.
4. सूर्य ग्रहण वाले दिन आपको अपनी राशि के शुभ रंगों के कपड़ों का चयन करना चाहिए. शुभ रंग के वस्त्रों का पहनना शुभ साबित हो सकता है.
हाथ या पैर में 6 अंगुलियां होना अभिशाप या वरदान? समुद्र शास्त्र में लिखी है बड़ी बात
3 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हाथों की लकीरों के तरह उसकी अंगुलियां भी भविष्य बताती हैं. समुद्र शास्त्र में इसका विस्तृत वर्णन है. आम तौर पर लोगों के हाथों में 5 अंगुलियां होती हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनकी हाथों में 6 अंगुलियां पाई जाती हैं. आमतौर पर ये धारणा है कि 6 अंगुलियों वाले लोग सौभाग्यशाली और बुद्धिमान होते हैं. कई लोगों के हाथ की बजाय पैरों में अतिरिक्त अंगुलियां होती हैं यह भी शुभता का प्रतीक है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि हाथों की अंगुलियां क्रियाशीलता का बोध कराती है. जिस भी इंसान के हाथों में छोटी अंगुली के पास एक अतिरिक्त अंगुली होती है उसे ज्योतिषशास्त्र में भाग्यशाली माना जाता है. जिन व्यक्तियों के हाथ या पैर की छोटी उंगली के पास अतिरिक्त उंगली होती है उस पर बुध पर्वत का अधिक प्रभाव रहता है. वहीं जिन लोगों के अंगूठे के पास अतिरिक्त उंगली होती है उस पर शुक्र पर्वत का अधिक प्रभाव रहता है.
व्यक्ति धनवान और समृद्ध होते हैं ऐसे लोग
पंडित संजय उपाध्याय ने लोकल 18 को बताया कि ऐसे व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता बहुत तेज होती है यानी वो तेज दिमाग वाले होते हैं. किसी भी काम को करने में ऐसे व्यक्ति सक्षम होते हैं और वो धन कमाने की कला जानते हैं. 6 अंगुली वाले व्यक्ति धनवान और समृद्ध होते हैं और वो जिस भी काम मे हाथ लगाते हैं उसमें सफलता निश्चित तौर पर उन्हें मिलती है.
क्या है विज्ञान की राय
ज्योतिष से इतर यदि बात विज्ञान की बात करें तो हाथ या पैर में 6 अंगुली का होना कोई बीमारी नहीं है. हिन्दू धर्म में इसे प्रकृति के उपहार के तौर पर देखा जाता है. एक आंकड़े के अनुसा 800 में से 1 इंसान के हाथ या पैर में 6 अंगुलियां होती हैं. कई लोग इसे ऑपरेट कर निकलवा भी देते हैं.
चैत्र नवरात्रि में भूलकर भी न खरीदें ये चीजें, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान, जीवन में आ जाएगी मुश्किल!
3 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष धार्मिक महत्व होता है. वैसे तो साल में चार बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. जिसमें पहले चैत्र नवरात्रि और दूसरा शारदीय नवरात्रि और दो गुप्त नवरात्रि का पर्व होता है. इस वर्ष 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. जिसका समापन 17 अप्रैल को होगा. चैत्र नवरात्रि के दौरान ज्योतिष शास्त्र द्वारा बताए गए कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. वरना कहा जाता है कि पुण्य का फल प्राप्त नहीं होता.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी की 9 अप्रैल से इस वर्ष चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है. नवरात्रि के दौरान जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए और माता जगत जननी जगदंबा को प्रसन्न करने के लिए लोग कई प्रकार के उपाय भी करते हैं. खासकर नवरात्रि में कुछ चीजों को खरीदने से भी बचना चाहिए. जैसे नवरात्रि के नौ दिनों तक चावल की खरीदारी करना शुभ नहीं माना जाता. कोई भी इलेक्ट्रॉनिक सामान की खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए, साथ ही खासकर काले कपड़ों को भी खरीदने से बचना चाहिए.
लोहे का सामान
नवरात्रि के दौरान लोहे के सामान की खरीदारी करने से बचना चाहिए. कहा जाता है नवरात्रि के दौरान लोहे का खरीदना आर्थिक तंगी का कारण बनता है.
काला कपड़ा
चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी काले कपड़े की खरीदारी नहीं करनी चाहिए. काला कपड़ा खरीदना अशुभ माना जाता है, ना ही काला कपड़ा पहनना चाहिए. कहा जाता है कि काले कपड़े पहनने से सफलता की प्राप्ति नहीं होती. ऐसी स्थिति में नवरात्रि के दिनों में काले कपड़े खरीदने से बचना चाहिए.
इलेक्ट्रॉनिक समान
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों तक किसी भी तरह का इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना अशुभ माना जाता है. कहा जाता है ऐसा करने से कुंडली में ग्रहों का प्रभाव पड़ता है और ग्रह दोष भी झेलना पड़ता है. ऐसे में नवरात्रि के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान नहीं खरीदना चाहिए.
चावल खरीदना
नवरात्रि के दौरान चावल खरीदना भी अशुभ माना जाता है. कहा जाता है कि चावल खरीदने से नवरात्रि में मिलने वाले पुण्य नष्ट हो जाते हैं.
सूर्य पूजा के समय करें 11 परिक्रमा, कुंडली में मजबूत होगी उसकी स्थिति
3 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूजा के दौरान नवग्रह की स्थापना की जाती है. नवग्रहों की पूजा के बारे में विशेष महत्व बताया गया है. सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करने के दौरान परिक्रमा करने की मान्यता है. हमारे धर्म में मान्यता है कि नवग्रहों की पूजा करने के दौरान सबसे पहले सूर्य देव की पूजा की जाती है. अगर आप पूजा के दौरान नवग्रह की परिक्रमा कर रहे हैं, तो उनकी परिक्रमा करने के कई नियम बताए गए हैं. आइए जानते हैं नवग्रहों की पूजा और परिक्रमा के बारे में विस्तार से. साथ ही जानेंगे नवग्रह की पूजा के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
ग्रहों के राजा हैं सूर्य
सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है. सूर्य देव की पूजा कर रहे हैं, तो ब्रह्म मुहूर्त देखते हुए जल अर्पित करना चाहिए. सूर्य देव की 11 परिक्रमा लगाए जाते हैं. वहीं, चंद्रदेव की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उनकी पूजा के बाद 5 बार परिक्रमा लगानी चाहिए. ऐसा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.
मंगल और बुध देव की कितनी परिक्रमा
मंगल ग्रह को लाल ग्रह माना जाता है. इन्हें भूमि का पुत्र कहा जाता है. अगर कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो मंगल देव की 12 परिक्रमा लगाएं. वहीं, बुध देव को संदेशवाहक के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें व्यापार का देवता कहते हैं. बुध देव की पूजा करने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि उनकी 6 परिक्रमा लगानी चाहिए.
मंगल और बुध देव की कितनी परिक्रमा
मंगल ग्रह को लाल ग्रह माना जाता है. इन्हें भूमि का पुत्र कहा जाता है. अगर कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति कमजोर है, तो मंगल देव की 12 परिक्रमा लगाएं. वहीं, बुध देव को संदेशवाहक के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें व्यापार का देवता कहते हैं. बुध देव की पूजा करने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि उनकी 6 परिक्रमा लगानी चाहिए.
राहु की लगाएं 4 परिक्रमा
कुंडली में राहु दोष या फिर राहु की स्थिति कमजोर है, 4 बार परिक्रमा लगाएं. समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान बढ़ाता है. केतु स्वास्थ्य, धन, भाग्य और घरेलू सुखों का कारक होता है. केतु की 2 बार परिक्रमा लगानी चाहिए.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 अप्रैल 2024)
3 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा घटना का शिकार होने से बचिये।
वृष राशि - सफलता के साधन जुटायेंगे, कार्य अवश्य बनेंगे, धन लाभ होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मिथुन राशि - चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, लाभ के अवसर प्राप्त होंगे ध्यान दें।
कर्क राशि - असमर्थता एवं अशांति का वातावरण रहेगा, क्लेश व तनाव से पीड़ा, धैर्य रखें।
सिंह राशि - कार्य व्यवस्था में संतोष, स्त्री से तनाव, मानसिक अशांति होगी, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
कन्या राशि - समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, लेन-देन के मामले में हानि होगी।
तुला राशि - कार्य कुशलता से संतोष होगा, समय स्थिति को ध्यान में रखकर कार्य करें।
वृश्चिक राशि - प्रबलता, प्रभुत्व वृद्धि, रुके कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि - व्यर्थ भ्रमण एवं धन का व्यय होगा, असमंजस व असमर्थता का वातावरण बनेगा।
मकर राशि - अचानक यात्रा के प्रसंग बनेंगे, योजना फलीभूत होगी, कार्य में हानि होगी।
कुंभ राशि - बिगड़े कार्य कुशलता से बनेंगे, समृद्धि के साधन बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि - असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, स्त्री से हर्ष-उत्साह, धैर्य रखकर कार्य करें।
भूल से हो गया है पाप तो पापमोचनी एकादशी पर पा सकेंगे मुक्ति! जानें कब रखा जाएगा व्रत, उपाय
2 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं. हर महीने में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं. एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरा शुक्ल पक्ष में. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित रहता है. वहीं, मान्यता है कि चेत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. इस दिन व्रत रखकर तुलसी पूजा कर विष्णु भगवान की आराधना करने से सभी प्रकार के पाप ब्रह्म हत्या, भोग-विलास, मद्यपान आदि नष्ट हो जाते हैं.
कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी का खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि अगर जातक के जीवन में भूलवश किसी प्रकार का पाप हो गया है, तो इस दिन व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से वो पाप नष्ट हो जाता है. मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है. पापमोचनी एकादशी पर तुलसी पूजन का भी खास महत्व है.
कब है एकादशी तिथि
चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल की शाम 4 बजकर 16 मिनट से शुरू होने जा रही है. इस तिथि का समापन 5 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर होगा. उदया तिथि को मानते हुए पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा. इस दिन तुलसी पूजन का खास महत्व है, इसलिए तुलसी पूजन का शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल को 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है. यह मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त है.
साल भर में कुल 24 एकादशी आती हैं. हर महीने में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं. एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरा शुक्ल पक्ष में. एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित रहता है. वहीं, मान्यता है कि चेत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. इस दिन व्रत रखकर तुलसी पूजा कर विष्णु भगवान की आराधना करने से सभी प्रकार के पाप ब्रह्म हत्या, भोग-विलास, मद्यपान आदि नष्ट हो जाते हैं.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को व्रत रखा जाएगा. हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी का खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि अगर जातक के जीवन में भूलवश किसी प्रकार का पाप हो गया है, तो इस दिन व्रत रखकर विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से वो पाप नष्ट हो जाता है. मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है. पापमोचनी एकादशी पर तुलसी पूजन का भी खास महत्व है.
कब है एकादशी तिथि
चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 4 अप्रैल की शाम 4 बजकर 16 मिनट से शुरू होने जा रही है. इस तिथि का समापन 5 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 55 मिनट पर होगा. उदया तिथि को मानते हुए पापमोचनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा. इस दिन तुलसी पूजन का खास महत्व है, इसलिए तुलसी पूजन का शुभ मुहूर्त 5 अप्रैल को 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक रहने वाला है. यह मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त है.
चैत्र नवरात्र में यहां लगता है अनोखा मेला, पीपल के पेड़ में बांधे जाते हैं भूत, जुटती है पीड़ितों की भीड़
2 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
समाज में कई तरह के भ्रम होते हैं. कुछ भ्रम ऐसे भी होते है जो हमारे जीवन के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. जैसा की हम जानते है कि सूरज न डूबता और न हीं उगता है. लेकिन, हम मानते है कि सूरज डूबता और उगता है. ऐसी ही आस्था और मान्यता का एक केंद्र झारखंड के पलामू जिले में है. यहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में खास मेले का आयोजन होता है. 15 दिनों तक चलने वाला यह मेला भूतों के मेला के नाम से भी जाना जाता है.जिसमें हजारों किलोमीटर दूर से भी लोग पहुंचते हैं. भूत-पिचाश से पीड़ित लोग यहां से ठीक होकर जाते हैं.
पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर हैदरनगर देवी धाम है.जिसे शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है. जहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में भूत मेला लगता है.यहां मां भगवती तीन रूप में विराजमान है.मंदिर के महंत त्यागी दास जी ने लोकल18 से कहा कि यहां चैत्र नवरात्र में मेला लगता है.जो क भूत मेला के नाम से प्रसिद्ध है. इस वर्ष इस मेले की तैयारी शुरू हो गई है. यहां 9 अप्रैल से मेला लगना शुरू होगा. जिसके बाद ये मेला 24 अप्रैल तक चलेगा. इस मेले में दूर दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है.और मुराद पूरी होने पर मां भगवती पर सिंगार, साड़ी, कपड़ा, गहना, व अन्य चीज चढ़ाते है.मान्यता है की यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है.
समाज में कई तरह के भ्रम होते हैं. कुछ भ्रम ऐसे भी होते है जो हमारे जीवन के लिए बेहद उपयोगी होते हैं. जैसा की हम जानते है कि सूरज न डूबता और न हीं उगता है. लेकिन, हम मानते है कि सूरज डूबता और उगता है. ऐसी ही आस्था और मान्यता का एक केंद्र झारखंड के पलामू जिले में है. यहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में खास मेले का आयोजन होता है. 15 दिनों तक चलने वाला यह मेला भूतों के मेला के नाम से भी जाना जाता है.जिसमें हजारों किलोमीटर दूर से भी लोग पहुंचते हैं. भूत-पिचाश से पीड़ित लोग यहां से ठीक होकर जाते हैं.
पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से लगभग 80 किलोमीटर दूर हैदरनगर देवी धाम है.जिसे शक्ति पीठ के नाम से भी जाना जाता है. जहां हर वर्ष चैत्र नवरात्र में भूत मेला लगता है.यहां मां भगवती तीन रूप में विराजमान है.मंदिर के महंत त्यागी दास जी ने लोकल18 से कहा कि यहां चैत्र नवरात्र में मेला लगता है.जो क भूत मेला के नाम से प्रसिद्ध है. इस वर्ष इस मेले की तैयारी शुरू हो गई है. यहां 9 अप्रैल से मेला लगना शुरू होगा. जिसके बाद ये मेला 24 अप्रैल तक चलेगा. इस मेले में दूर दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है.और मुराद पूरी होने पर मां भगवती पर सिंगार, साड़ी, कपड़ा, गहना, व अन्य चीज चढ़ाते है.मान्यता है की यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है.