धर्म एवं ज्योतिष
अगले 10 सालों तक 3 राशि के जातक हो जाएं सतर्क, शनि की साढ़ेसाती का रहेगा असर
8 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर एक व्यक्ति की कुंडली में शनि का बहुत बड़ा प्रभाव होता है. शनि को न्याय का देवता भी कहा जाता है. ज्योतिष शास्त्र में शनि के गुण और दोषों के बारे में विस्तार से बताया गया है. शनि ग्रह के बारे में कहा जाता है कि इसकी चाल सबसे धीमी होती है. इसका कारण है कि शनि देव को न्याय और कर्म का फलदाता माना जाता है. शनि न्याय करते हुए आगे बढ़ते हैं जिस कारण से उनकी चाल धीमी होती है. इनका प्रभाव सभी राशि के जातकों पर होता है. शनि देव सभी जातकों को कर्म के अनुसार फल देते हैं. अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो अच्छा फल और बुरे हैं तो बुरा फल प्राप्त होगा. न्यूज़18 हिंदी को इस बारे में विस्तार से बताया है दिल्ली निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित आलोक पाण्ड्या ने.
राशि परिवर्तन में लेगे हैं ढाई साल
शनि ग्रह किसी एक राशि से दूसरी राशि में स्थान परिवर्तन में करीब ढाई साल का समय लेते हैं. ज्योतिष की भाषा में इसे ढैय्या लगना कहते हैं. अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो आपको अच्छे फल मिलेंगे और अगर कर्म बुरे हैं तो आपको इन ढाई सालों में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती को शुभ नहीं माना जाता है.
मिलते हैं कई तरह के कष्ट
जब किसी राशि में शनि की साढे़साती या फिर ढैय्या लगती है तो उस राशि के जातक को कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. शनि की साढे़साती और ढैय्या के कारण जातक को पारिवारिक संकट, आर्थिक संकट, सामाजिक संकटों का सामना करना पड़ता है. शनि के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशियों पर साढ़ेसाती तो कुछ राशियों में ढैय्या शुरू हो जाती है. इस चाल से कुछ राशियों की साढ़ेसाती और ढैय्या खत्म हो जाती है.
किस राशि का कौनसा चरण
शनि ने जनवरी 2024 को मकर से कुंभ राशि में प्रवेश किया था. ऐसे में मीन राशि पर शनि की साढे़साती शुरू हो गई थी, जबकि धनु राशि से साढ़ेसाती खत्म हो गई. मकर, कुंभ और मीन राशि पर साढ़ेसाती लगी हुई है. साढ़ेसाती का दूसरा चरण कुंभ राशि पर, मकर राशि पर अंतिम चरण और मीन राशि पर पहला चरण चल रहा है. वहीं कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों पर शनि की ढैय्या जारी है.
अगले 10 साल तक इन राशियों पर रहेगी साढ़ेसाती
वैदिक ज्योतिष की गणना के अनुसार, मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का पहला चरण जारी है, यह 8 अगस्त 2029 तक रहेगी. कुंभ राशि पर साढे़साती का दूसरा चरण जारी है. इन्हें 3 जून 2027 तक साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी. मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का तीसरा और अंतिम चरण है. 29 मार्च 2025 तक साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी.
आने वाले समय में किस पर रहेगी साढ़ेसाती
मार्च 2025 में शनि राशि परिवर्तन करेंगे. ऐसे में मेष राशि के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. साल 2027 से वृषभ राशि के जातकों पर साढ़ेसाती का पहला चरण आरंभ होगा जो 2034 में खत्म होगा. मिथुन राशि पर साढे़साती 8 अगस्त 2029 से शुरू हो और साल 2036 तक रहेगी. कर्क राशि वालों पर साढ़ेसाती 31 मई 2032 से शुरू होगी और 22 अक्टूबर 2038 पर खत्म होगी. आने वाले 10 से 15 वर्षों में कुंभ, मीन, मेष, वृषभ , मिथुन और कर्क राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी.
चैत्र नवरात्रि में करें पिथौरागढ़ के इन 5 मंदिरों के दर्शन, खुल जाएगा सोया भाग्य
8 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पिथौरागढ़ जिले के उत्तर दिशा में स्थापित है मां चंडिका मंदिर. इसे मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में मां चंडिका के कृत्यों एवं स्वरूप का विशद रूप से वर्णन किया गया है. चंडिका घाट मंदिर पिथौरागढ़ से 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. चंडिका देवी को न्याय की देवी माना जाता है. इंसाफ मांगने के लिए लोग चंडिका देवी के दरबार मे पहुंचते हैं, यह मंदिर मां चंडिका का मूल स्थान माना जाता है.
हाटकालिका मंदिर उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट शहर में स्थित है. गंगोलीहाट पिथौरागढ़ जिले की तहसील है. हाटकालिका का यह मंदिर मां महाकाली माता को समर्पित है, ऐसा माना जाता है कि मां काली यहां रात्रि विश्राम के लिए आती हैं. हाटकालिका मंदिर घने देवदार के जंगलों के बीच में स्थित है. जिसका पुराणों में भी उल्लेख मिलता है. प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार गुरु शंकराचार्य ने महाकाली माता का यह शाक्तिपीठ कुमाऊं मंडल में भ्रमण करते समय स्थापित किया था, और यह मंदिर हजारों साल पुराना है.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से 7 किलोमीटर दूर कुसौली गांव में कामख्या देवी मंदिर स्थित है. यह स्थान सुंदर चोटियों से घिरा हुआ है, जिसके कारण कुसौली ग्राम में स्थित मां कामख्या देवी के इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है. यह केंद्र आध्यात्मिक शांति के साथ साथ प्रकृति से भी जोड़ता है. इस स्थान से पिथौरागढ़ का जो दृश्य दिखता है, वह बहुत ही अद्भुत है. अपने नैसर्गिक सौन्दर्य से पर्यटकों के साथ-साथ स्थानीय लोगो को भी खूब लुभा रहा है. माता कामख्या का दरबार सिर्फ धार्मिक महत्ता का ही नहीं, पर्यटन के क्षेत्र में भी प्रमुख है.
पिथौरागढ़ मुख्यालय से एक किलोमीटर दूर हुड़ेती गांव के सामने की ऊंची चोटी पर स्थित हैमाँ कौशल्या देवी मंदिर, जो कि पिथौरागढ़ के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. सड़क से पैदल 400 मीटर की चढ़ाई करते हुए घने जंगलों के बीच होते हुए मंदिर के प्रांगण तक आसानी से पहुँचा जा सकता है. माँ कौशल्या देवी मंदिर में एक दिव्य गुफा है, जिसमें कौशल्या देवी भगवती के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री राम की माता कौशल्या ने अपनी कैलाश यात्रा के दौरान इस गुफा में विश्राम किया था और उन्हें इस स्थान पर दिव्य शक्तियों का एहसास हुआ, तब उन्होंने यहां पर माँ भगवती की स्थापना कर एक छोटे मंदिर का निर्माण कराया तभी से इस स्थान को कौशल्या देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है।
पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है मां उल्का देवी का भव्य मंदिर जिसे सोर की भगवती के नाम से भी जाना जाता है. जिसकी इस क्षेत्र में काफी मान्यता है. नवरात्रि के शुरू होने के साथ ही यहां दूर दराज से लोग मां के दर्शन करने पहुंचते हैं. उल्का देवी मंदिर की शक्तियों के बारे में कहा जाता है कि उल्का माता पिथौरागढ़ जिले की गंभीर बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं को रोकने का काम करती हैं.
सूर्य ग्रहण, सोमवती अमावस्या पर पितर को करें खुश, जानें मुहूर्त, सूतक काल, राहुकाल, दिशाशूल
8 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि, उत्तर भाद्रपद नक्षत्र, इन्द्र योग, चतुष्पाद करण, पूर्व दिशाशूल और रविवार का दिन है. आज चैत्र अमावस्या है, जो सोमवार के दिन पड़ी है. सोमवार दिन होने से यह सोमवती अमावस्या है. इस अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं हैं, जिसके कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. सोमवती अमावस्या के दिन आप स्नान और दान करके पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.
सोमवती अमावस्या के अवसर पर अपने पितरों को तर्पण दें और उसके बाद उनके लिए दान करें. इससे आपके पितर खुश होंगे और आपको आशीर्वाद देंगे. सोमवती अमावस्या पर पंचबलि कर्म करके पितृ दोष से मुक्ति पा सकते हैं. अमावस्या को सूर्यास्त के बाद अपने घर के बाहर दक्षिण दिशा में या फिर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. अपने पितरों के मार्ग में प्रकाश करें, इससे भी वे खुश होंगे.
इसके अलावा आज शिव जी को प्रसन्न करने वाला सोमवार व्रत भी है. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखकर शिव जी की विधिपूर्वक पूजा करें. उनको बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल, गाय का दूध, शहद, शक्कर, भस्म आदि अर्पित करें. महिलाएं माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें. दोनों की कृपा से अखंड सौभाग्य प्राप्त होगा. शिव पूजा करने से कुंडली का चंद्र दोष भी दूर हो जाएगा. वैदिक पंचांग से जानते हैं सूर्योदय, सूर्यास्त, शुभ मुहूर्त, योग, चंद्रोदय, चंद्रास्त, राहुकाल, दिशाशूल. सूर्य ग्रहण समय आदि
आज का पंचांग, 8 अप्रैल 2024
आज की तिथि- अमावस्या – 11:50 पीएम तक, फिर प्रतिपदा तिथि
आज का नक्षत्र- उत्तर भाद्रपद – 10:12 एएम तक, उसके बाद रेवती
आज का करण- चतुष्पाद – 01:34 पीएम तक, नाग – 11:50 पीएम तक, किंस्तुघ्न
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का योग- इन्द्र – 06:14 पीएम तक, फिर वैधृति
आज का दिन- सोमवार
चंद्र राशि- मीन
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:03 एएम
सूर्यास्त- 06:43 पीएम
चन्द्रोदय- चन्द्रोदय नहीं
चन्द्रास्त- 06:25 पीएम
अभिजीत मुहूर्त- 11:58 एएम से 12:48 पीएम तक
ब्रह्म मुहूर्त- 04:32 एएम से 05:18 एएम तक
सूर्य ग्रहण का समय
रात 09 बजकर 12 मिनट से देर रात 01 बजकर 20 मिनट तक.
सोमवती अमावस्या का स्नान-दान समय
सोमवती अमावस्या पर आप ब्रह्म मुहूर्त से स्नान और दान कर सकते हैं.
अशुभ समय
राहुकाल – 07:38 एएम से 09:13 एएम तक
गुलिक काल – 01:58 पीएम से 03:33 पीएम तक
पंचक – पूरे दिन
दिशाशूल – पूर्व
शिववास
गौरी के साथ – 11:50 पीएम तक, उसके बाद श्मशान में
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 अप्रैल 2024)
8 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता से संतोष तथा सफलता के साधन अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष राशि :- समय आराम से बीते, आप व्यावसायिक क्षमता का ध्यान अवश्य रखें।
मिथुन राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा किन्तु दुष्ट मित्रों से परेशानी अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझें, धैर्य से कार्य निपटा लेवें।
सिंह राशि :- प्रतिष्ठा वृद्धि एवं बड़े लोगों से मेल-मिलाप हानिप्रद बना ही रहेगा, ध्यान देवें।
कन्या राशि :- संघर्ष में सफलता से संतोष होगा, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल तथा लाभ होगा।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य क्षमता बढ़े, समाज में प्रतिष्ठा के योग अवश्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यों में सुधार, कार्यगति में सुधार होगा तथा चिंता कम होगी।
धनु राशि :- अचानक कोई शुभ समाचार कार्यगति में सुधार लायेगा तथा कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- स्थिति यथावत् रहे, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा कार्य में सुधार होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सहयोग दे, ध्यान रहे।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति अनुकूल बनी ही रहेगी।
दाएं गाल पर है तिल? जीवनसाथी के मामले में बहुत लकी होती हैं ऐसी महिलाएं, हर जगह सपोर्ट करता है पति
7 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में सफलता पाने के लिए हम लोग कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन कई बार सफलता नहीं मिल पाती है. कई बार सफलता मेहनत के साथ-साथ भाग्य पर भी निर्भर करता है. हमारे शरीर में कुछ ऐसे चिह्न और निशान पाए जाते हैं, जो हमारे भाग्य से जुड़ी बातों को प्रकट करते हैं. तिल भी उनमें से एक है. हर व्यक्ति के शरीर के कई अंगों पर तिल पाए जाते हैं. हम आपको इस आर्टिकल में शरीर पर मौजूद तिल के संकेतों के बारे में बता रहे हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कैसे तिल हमारे भाग्य के बारे में संकेत देते हैं. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा ने.
जांघ पर तिल
यदि किसी स्त्री की दाईं जांघ पर तिल है तो ये उसके जीवनसाथी के विषय में जानकारी दे सकता है. स्त्री की दाईं जांघ पर गहरे काले रंग का तिल है, तो वह खुद अपने जीवनसाथी के साथ रिश्ते में बहुत अधिक वफादार होती है और उसका जीवनसाथी भी उतना ही रिश्ते को ईमानदारी के साथ निभाता है.
सीने पर तिल
महिलाओं के लिए सीने के तिल महत्वपूर्ण होते हैं क्योंकि यह उनके जीवनसाथी के व्यक्तित्व के बारे में संकेत देते हैं. सीने के बाईं ओर तिल है, तो उसका फल बहुत शुभ नहीं है. शादी के बाद ऐसी महिलाओं का अपने जीवनसाथी के साथ हमेशा ही मतभेद रहता है. वहीं तिल अगर दाईं ओर है तो जीवनसाथी का स्वभाव सुलझा हुआ होता है.
होंठ पर तिल
अगर किसी महिला के ऊपरी होंठ के बाईं ओर तिल है, तो यह जान लें कि ऐसी महिलाओं को स्वभाव से बहुत अच्छा जीवनसाथी नहीं मिलता है. वहीं अगर नीचे के होंठ पर तिल है तो आपको बहुत प्यार करने वाला जीवनसाथी मिलेगा.
आइब्रो के अंत में तिल
आइब्रो पर मौजूद तिल भी आपको आपके जीवनसाथी से जुड़े कुछ राज बता सकते हैं. उसका जीवनसाथी बहुत अच्छा होगा और हमेशा उसे खुश रखेगा.
पीठ पर तिल
पीठ के निचले हिस्से पर तिल है तो यह संकेत करता है कि स्त्री बहुत ही रोमांटिक स्वभाव की है. शादी के बाद यह अपने पति से पूरी वफादारी निभाती है. ऐसी महिलाओं को बहुत प्यार और सम्मान देने वाला जीवनसाथी मिलता है.
गाल पर तिल
जिन महिलाओं के दाएं गाल पर तिल होता है, वे लाइफ पार्टनर के मामले में बहुत लकी होती हैं. उन्हें आर्थिक रूप से संपन्न जीवनसाथी मिलता है. ऐसी महिलाएं बहुत ही महत्वकांक्षी होती हैं और इनका लाइफ पार्टनर इन्हें पूरी तरह से सपोर्ट करता है.
चैत्र नवरात्रि में करें 4 चमत्कारी मंत्रों का जाप...धन, विद्या के साथ मिलेगा सुंदर जीवनसाथी का वरदान
7 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है. इस दौरान देवी मां की कृपा प्राप्त करने के लिए कई उपाय भी किए जाते हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है, जिसका समापन 17 अप्रैल को रामनवमी वाले दिन होगा. नवरात्रि में धन, ऐश्वर्य, विद्या और आरोग्य की प्राप्ति के लिए अलग-अलग मंत्र बताए गए हैं. नवरात्रि के 9 दिनों में इन मंत्रों के जाप से आदि शक्ति देवी दुर्गा न सिर्फ प्रसन्न होंगी बल्कि वो आपकी मनचाही मुरादें भी पूरी करेंगी. गौरतलब है कि सनातन धर्म में मंत्रों का अपना विशेष महत्व है और किसी भी देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. आइए जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य से इन मंत्रों के बारे में
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि मंत्रों की साधना से नवरात्रि में सभी सिद्धियों को प्राप्त किया जा सकता है. यह समय शक्ति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए सबसे अहम समय माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस समय में मंत्रों की साधना से देवी को प्रसन्न कर सभी तरह के भौतिक सुख को पाया जा सकता है.
विद्या प्राप्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि नवरात्रि में विद्या प्राप्ति के लिए ‘या देवी सर्वभूतेषु विद्या-रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः’ के मंत्र के साथ यज्ञ और हवन करना चाहिए. इससे विद्या की प्राप्ति की मार्ग प्रशस्त होता है.
सुंदर जीवनसाथी के लिए करें इस मंत्र का जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि सुंदर पत्नी की प्राप्ति के लिए नवरात्रि में,’ पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ मंत्र का जाप करते हुए हवन करना चाहिए. इससे देवी प्रसन्न होती है.
धन प्राप्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि धन ,ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए नवरात्रि के 9 दिनों में दुर्गा सप्तशती का मंत्र ” या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”‘ का जाप नियमित करना चाहिए .इससे धन की प्राप्ति होती है.
सौभाग्य प्राप्ति के लिए करें इस मंत्र का जाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति सौभाग्य चाहता है तो उसे नवरात्रि के 9 दिनों में देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥ मंत्र का जाप करना चाहिए. इससे उनके सौभाग्य में वृद्धि होती है.
पूजन के दौरान दागी जाती थी तोपे, पवित्र कुंड में छिपा है अनोखा खजाना, क्या है इस मंदिर की मान्यता
7 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोटा से 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित डाढ़ देवी मंदिर रियासत कालीन दसवीं शताब्दी के समय से पहले का माता का मंदिर है. ये माता का मंदिर कोटा के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां माता घने जंगलों के बीचों-बीच विराजमान हैं. दोनों नवरात्रों पर यहां पर 9 दिनों तक मेला लगता है. लाखों श्रद्धालु कोटा ही नहीं, काफी दूर-दराज से यहां मनोकामना लेकर आते हैं.
पूजा के समय यहां दागी जाती थी तोप
कोटा में हाड़ाओ के शासनकाल के समय महाराव उम्मेद सिंह द्वितीय के शासनकाल में देवी के पूजन के लिए पंचमी के दिन हाड़ा शासक आसपास के जागीरदारों के साथ छोटी सवारी के रूप में आते थे और मंदिर परिसर में दरी खाने का भी आयोजन होता था. यहां पूजन के समय तोप दागी जाती थी.
इतिहासकार फिरोज अहमद ने बताया कि डाढ़ देवी मंदिर का निर्माण 10 वीं शताब्दी में कैथून के तंवर क्षत्रियों के द्वारा किया गया था. डाढ़ देवी वास्तव में रक्त दंतिका देवी हैं, क्योंकि देवी की डाढ़ बाहर निकली हुई है. इस कारण लोगों ने देवी का नाम डाढ़ देवी कर दिया और मंदिर इसी नाम से विख्यात हो गया.
पूर्व राज परिवार करते थे मां की आराधना
राव माधव सिंह म्यूजियम ट्रस्ट के क्यूरेटर पंडित आशुतोष दाधीच ने लोकल 18 को बताया कि डाढ़ देवी माता मंदिर पj वरात्र की पंचमी के दिन पूर्व महाराव इज्यराज सिंह और उनके पुत्र के साथ डाढ़ देवी माता मंदिर में माता की पूजा अर्चना करते है. रियासत कालीन परंपरा के तहत माता की अर्चना के साथ पोशाक धारण करवाकर रियासत कालीन परंपरा का निर्वहन किया जाता था. साथ ही हाडोती के लोगों के लिए शुभ समृद्धि खुशहाली की माताजी से कामना की जाती थी.
खेतों में छिड़काव करने पर नहीं लगता है रोग
इस मंदिर परिसर के अंदर एक पवित्र कुंड भी मौजूद है, जिसके पानी से स्नान करने से अनेक रोग दूर हो जाते हैं. वहीं आसपास के गांव के लोग मंदिर के पानी को भरकर अपने खेतों में छिड़काव करते थे, जिससे फसलों में रोग नहीं लगता था.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 अप्रैल 2024)
7 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - आशानुकूल सफलता के साधन जुटायें तथा संतोषजनक सफलता प्राप्त होगी।
वृष राशि - आय-व्यय एवं व्यवसायिक स्थिति पर नियंत्रण रखें, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि - अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, इष्ट मित्रों से परेशानी होगी।
कर्क राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, लाभ होगा।
सिंह राशि - प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा, हर्षप्रद वातावरण रहेगा।
कन्या राशि - संघर्ष से सफलता मिलेगी, संतोष, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी ध्यान दें।
तुला राशि - मान प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि होगी, कार्यक्षमता बढ़ेगी, समाज में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि - सामाजिक कार्य में सुधार, कार्यगति में अनुकूलता, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि - अचानक कोई शुभ समाचार प्राप्त होगा, कार्यगति में सुधार तथा चिन्ता होगी।
मकर राशि - स्थिति यथावत् रहेगी, सोचे कार्य समय पर पूर्ण होंगे, कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, शरीर कष्ट, चिन्ता व असमंजस की स्थिति बनेगी।
मीन राशि - इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति अनुकूल रहेगी, समय स्थिति का लाभ लें।
चैत्र नवरात्रि: इन सिद्ध पीठों में उमड़ता है भक्तों का सैलाब, दर्शन मात्र से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
6 Apr, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कन्नौज जिले के इस सिद्ध पीठ मंदिर में माता पथवारी देवी विराजमान हैं. यहां की मान्यता है कि लोग पुत्र प्राप्ति की मनोकामना लेकर आते हैं. जब मनोकामना पूरी हो जाती है तो लोग यहां पर आकर विशेष पूजा अर्चना करवाते हैं. साथ ही पथवारी माता को कन्नौज की रक्षा करने वाली माता के रूप में भी जाना जाता है. यह मंदिर कन्नौज बस स्टैंड से 7 किलोमीटर दूर मोहल्ला पटकाना में बना हुआ है.
कन्नौज में बने सिद्ध पीठ माता फूलमती मंदिर में लोग दूर-दूर से माता का चमत्कारी नीर लेने के लिए आते हैं. मान्यता यह है की लोगों के आंखों से संबंधित और सफेद दाग जैसी समस्याओं में यह नीर वरदान साबित होता है. यह मंदिर रेलवे स्टेशन से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर मकरंद नगर मार्ग पर बना हुआ है.
अन्न की देवी कहीं जाने वाली माता अन्नपूर्णा का सिद्ध पीठ कन्नौज में बना हुआ है. यह कन्नौज मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर तिर्वा क्षेत्र में बना हुआ है. श्रद्धालुओं के लिए सोने के समान है. मान्यता है कि माता के मंदिर प्रांगण की मिट्टी लोग अपने साथ ले जाते हैं. किसान अपने खेत और महिलाएं अपने रसोई घर में इसे रखती हैं. इससे खेतों की उपज और घर में कभी भी अन्य की कमी नहीं होती.
सिद्ध पीठ माता कालका देवी मंदिर कन्नौज के छिबरामऊ क्षेत्र में बना हुआ है. मान्यता है कि यहां पर स्थापित माता की मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है. और श्रद्धालुओं की मनचाही मनोकामना यहां पर पूर्ण होती है. नवरात्रों में इस मंदिर में भक्तों की अच्छी खासी भीड़ भी उमड़ती है.
सिद्ध पीठ माता क्षेमकली मंदिर कन्नौज बस स्टैंड से करीब 4 किलोमीटर दूरी पर राजा जयचंद किले के पास बना हुआ है. यहां की मान्यता ऐसी है कि देवी शक्तियों का आज भी इस मंदिर में आकाश मार्ग से आना जाना लगा रहता है. कई बार इस मंदिर में छत बनवाने की कोशिश की गई. लेकिन, वह अपने आप ही टूट जाती है.
कब है गणगौर पूजा? बनेंगे 3 शुभ योग, जानें मुहूर्त, महिलाएं पति से छिपाकर क्यों करती हैं व्रत-पूजन
6 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. उस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं, पूजा करती हैं. इस व्रत की विशेषता यह है कि महिलाएं इसे गुप्त रूप से करती हैं. वे अपने पति को व्रत और पूजा के बारे में नहीं बताती हैं. यह व्रत और पूजा पति को बिना बताए की जाती है. गणगौर का व्रत और पूजन अविवाहित युवतियां भी करती हैं ताकि उनको मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सके. इस बार गणगौर के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि गणगौर पूजा कब है? गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है?
कब है गणगौर पूजा 2024?
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 05 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 11 अप्रैल को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस साल गणगौर पूजा 11 अप्रैल दिन गुरुवार को होगी.
गणगौर पूजा पर बनेंगे 3 शुभ योग
11 अप्रैल को गणगौर पूजा के दिन रवि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग बना है. रवि योग प्रात:काल में 06:00 एएम से अगले दिन 12 अप्रैल को 01:38 एएम तक है. वहीं, प्रीति योग सुबह 07:19 एएम तक है और उसके बाद से आयुष्मान योग लगेगा. जो 12 अप्रैल को प्रात: 04:30 एएम तक रहेगा. फिर सौभाग्य योग बनेगा.
गणगौर पूजा 2024 शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 06:06 एएम से 07:41 एएम तक
लाभ-उन्नति: 07:41 एएम से 09:15 एएम तक
अमृत-सर्वोत्तम: 09:15 एएम से 10:49 एएम तक
शुभ-उत्तम: 12:24 पीएम से 01:58 पीएम तक
चर-सामान्य: 05:07 पीएम से 06:41 पीएम तक
महिलाएं छिपाकर क्यों करती हैं गणगौर व्रत और पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा की. लेकिन वो भोलेनाथ से इसके बारे में बताना नहीं चाहती थीं. शिव जी ने काफी प्रयास किया कि वे बता दें, लेकिन माता पार्वती ने उस बारे में कोई बात नहीं की. वे गुप्त रूप से वह व्रत करना चाहती थीं.
इस वजह से हर साल महिलाएं गणगौर व्रत और पूजा अपने पति से छिपाकर करती हैं. यहां तक कि इस व्रत और पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को भी पति को खाने को नहीं देती हैं.
गणगौर पूजा
गणगौर का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है. गण का अर्थ शिव और गौर का अर्थ गौरी है. इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. शिव और गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है.
नवरात्रि में करें लखनऊ के इन 7 मंदिरों के दर्शन, पूरी होगी हर मुराद
6 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि की तैयारियां शुरू हो चुकी है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार 09 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी. जिसका समापन 17 अप्रैल रामनवमी के दिन होगा. इस साल माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ भक्तों के बीच आएंगी. हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के 9 दिनों तक भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता रानी की पूजा करते हैं. ऐसे में अगर आप लखनऊ में हैं तो इन 7 मंदिरों में दर्शन जरूर करना चाहिए.
चंद्रिका देवी मंदिर : बक्शी का तालाब स्थित चंद्रिका देवी मंदिर एक शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर है. चंद्रिका देवी को लखनऊ की कुलदेवी भी कहा जाता है इसीलिए लखनऊ के लोगों को इनके दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है. यहां के पुजारी राम आसरे वाजपेई बताते हैं कि पहले यहां पर नीम का खोखला पेड़ था उसी खोखले पेड़ से यहां पर देवी मां प्रकट हुई हैं. यह मंदिर चौक चौराहे के बेहद करीब स्थित है. यहां पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थित है लेकिन उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर औरंगजेब के वक्त का है. नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है जो कि लखनऊ का सबसे बड़ा मेला होता है. नवरात्रि में यहां दर्शन करने के लिए न सिर्फ लखनऊ बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग जिलों से भी भक्त आते हैं.
संकटा देवी मंदिर : रानी कटरा में ही संकटा माई मंदिर हैं. चौपटियां के रानी कटरा में स्थित संकटा देवी मां का यह मंदिर लखनऊ में सबसे अनूठा है. यह कश्मीर में विराजमान माता खीर भवानी की प्रतिमा का स्वरूप है, जो कई कश्मीरियों की कुलदेवी भी हैं. कहा जाता है कि नवरात्रि में इनके दर्शन करने थे संकट दूर हो जाते हैं.
बंदी मां का मंदिर : बंदी मां का मंदिर कटरा में स्थित है. इन्हें कटरा की रानी भी कहा जाता है. यह मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. नवरात्रि में इनके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं और साड़ी समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं.
संदोहन मां मंदिर: यह मंदिर भी छोटी काशी चौपटिया चौराहे के करीब स्थित है. इस मंदिर को 500 साल पुराना शक्तिपीठ और सिद्धपीठ भी माना जाता है. यहां पर शादी के बाद नए जोड़े अक्सर पूजा पाठ करते हुए नजर आ जाते हैं. यहां पर मुंडन भी होता है. नवरात्रि में इस मंदिर का भी खास महत्व है यह मंदिर टिकैतगंज कदीम के सिरे पर मेहंदी गंज नामक मोहल्ले में स्थित है.
शीतला माता मंदिर : शीतला मां के मंदिर को रामायण काल का बताया जाता है. इस मंदिर की स्थापना जानकी नंदन लव द्वारा की गई थी. नवरात्रि में इस मंदिर में दर्शन करने वालों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है. इन दिनों यहां मेला भी चल रहा है.
भुईयन देवी मंदिर : यह मंदिर गणेशगंज में स्थित है. इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर पर जब जब पर्दा लगाया गया तब-तब पर्दे में या तो आग लग गई या पर्दा अपने आप ही गिर गया. जिसके बाद से इस मंदिर में माता के सामने कभी भी पर्दा नहीं लगा गया. इस मंदिर में देवी का मुख पूर्व दिशा की ओर है. इस मंदिर की खासियत यह भी है कि भुईयन देवी मां के ठीक दाहिने हाथ पर बगल में संकटा माई भी मौजूद हैं. नवरात्रि में इनकी पूजा और कीर्तन के लिए प्रदेश भर से भक्त आते हैं
.श्री ज्वाला देवी मंदिर : नवरात्रि में ज्वाला देवी के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको हिमाचल प्रदेश जाने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है क्योंकि ज्वाला देवी के दर्शन आपको उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आशियाना आलमबाग स्थित मां श्री ज्वाला देवी मंदिर में हो जाएंगे. यहां 2004 से एक अखंड ज्योत जल रही है. जो ज्वाला देवी से लाई गई थी.
कामदा एकादशी का व्रत रखने से हर प्रकार के दोष का होता है नाश, जानें कब रखा जाएगा उपवास
6 Apr, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. पद्म पुराण के अनुसार कामदा एकादशी का व्रत करने से ब्रह्महत्या और अनजाने में किए हुए सभी पापों से मुक्ति मिलती है. यह एकादशी पिशाचत्व आदि दोषों का भी नाश करने वाली है.
मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धापूर्वक कामदा एकादशी का व्रत करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ उनके सभी पापों का भी नाश हो जाता है. इस एकादशी को फलदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल ये एकादशी व्रत 19 अप्रैल, शुक्रवार को रखा जा रहा है.
कामदा एकादशी का महत्व उस समय से है ,जब भगवान श्री कृष्ण ने भक्त धनंजय को एकादशी व्रत के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर दिव्य वाहन दिया था. इस दिन भगवान विष्णु की उपासना करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और वह सुख और समृद्धि प्राप्त करता है.
कामदा एकादशी का व्रत करने से दो बड़े लाभ होते हैं. कामदा एकादशी से पहला लाभ यह कि राक्षस आदि की योनि से छुटकारा मिल जाता है. दूसरा लाभ यह कि यह सर्वकार्य सिद्धि और सभी कामनाओं को पूर्ण करती है.
वासुदेव श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए कामदा एकादशी का व्रत परम फलदायी है. हरि कृपा का ये दिन बड़ा ही दिव्य है विधि विधान और सच्चे मन से इस दिन किये गये उपाय हर समस्या का समाधान कर देते हैं. कामदा एकादशी का व्रत पाप नाश के लिए सबसे उत्तम है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (06 अप्रैल 2024)
6 Apr, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंग, मनोबल बनाये रखें, कार्य विचार कर आगे बढ़े।
वृष राशि - भाग्य का सितारा साथ देगा, मित्र सहयोग अवश्य ही करेंगे ध्यान रखें।
मिथुन राशि - इष्ट मित्रों से परेशानी, अशांति का वातावरण रहेगा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
कर्क राशि - मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि होगी, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, दैनिक कार्य में उन्नति होगी।
सिंह राशि - कार्यगति अनुकूलता से संतोष होगा, समृद्धि के साधन जुटायें लाभ होगा।
कन्या राशि - कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता एवं व्यग्रता रहेगी, भ्रमणशील स्थिति बनेगी।
तुला राशि - धन हानि, शरीर कष्ट तथा मानसिक बेचैनी, भ्रमणशील स्थिति बनेगी।
वृश्चिक राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा।
धनु राशि - कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन जुटायें, धैर्य रखें।
मकर राशि - दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार होगा, योजना फलीभूत होगी, कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
कुंभ राशि - विशेष कार्य स्थगित रखें, मानसिक विभ्रम, कार्य में सुधार अवश्य करें।
मीन राशि - कार्य विफल होगा, प्रयत्न करने पर भी सफलता न मिले, धैर्य पूर्वक आगे बढ़े।
चैत्र नवरात्रि के दौरान भूलकर भी न करें ये गलती, नाराज हो जाएंगी मां दुर्गा, बड़े नुकसान का खतरा
5 Apr, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि का महापर्व शक्ति आराधना का पर्व होता है. इसमें भगवती दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों में प्रतिदिन पूजा होती है. बहुत से व्रती पूरे नौ दिनों तक उपवास रखते हैं. कोई कोई तीन दिन, छह दिन अलग अलग सुविधा के अनुसार व्रत रखकर माता भगवती की आराधना करते हैं. इस बार 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, जो कि 17 अप्रैल तक रहेगी. छत्तीसगढ़ में कई सिद्धिपीठ हैं, इन शक्तिपीठ के साथ कई देवी मंदिरों में अखंड ज्योत जलाई जाती है. उसी तरह कई लोग अपने घर में ज्योति कलश स्थापित कर पूजा आराधना करते हैं.
चैत्र नवरात्र में साधना उपासना को विशेष महत्व बताया गया है. नवरात्रि सनातन धर्म के अहम त्योहारों में से एक है, जिसका सभी को इंतज़ार रहता है. इस दौरान ज़्यादातर लोग व्रत भी रखते हैं. लेकिन व्रत के दौरान छोटी छोटी गलतियां भी कर लेते हैं. ऐसी कौन कौन सी गलतियां है जिसे नहीं करनी चाहिए हम आपको बताने वाले हैं. ताकि आप इस नवरात्रि पर्व पर उपवास रखकर दुर्गा माता को प्रसन्न कर सकते हैं.
उपवास के दौरान मांस नहीं खाएं
पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि अगर कोई साधक नवरात्रि व्रत रख रहे हैं, तो उन्हें नौ दिन नवरात्रि उपवास के दरमियान दैनिक दिनचर्या में करने वाली बहुत सारी चीजों को नहीं करना चाहिए. जैसे कि झूठ बोलना, जानबूझकर ऐसा कोई बात करना जिससे किसी का मन प्रभावित हो, दुखी हो, अन्य दिनों में अगर मांस खाते हैं तो नवरात्रि के उपवास के दौरान मांस नहीं खाना चाहिए. इसके अलावा मदिरा पान नहीं करना चाहिए, किसी भी तरह की ऐसी कोई काम नहीं करनी चाहिए जिससे सामने वाले को कष्ट और दुख लगे.
उन्होंने बताया कि हमारे शास्त्रों में बताया गया कि चार वेद, छह शास्त्र में बात मिली है. दोय, दुख दिने दुख होत है सुख दिने सुख होय, इस नवरात्रि पर्व पर अगर आप उपवास रहकर भगवती मां दुर्गा की पूजा आराधना करना चाहते हैं तो भूलकर इन गलतियों को नहीं करना चाहिए. बहुत सारी अच्छाईयां है उसका पालन करना चाहिए. ब्रम्हचर्य का पालन, कम भोजन करते हुए तथा अपने ईष्ट के प्रति सानिध्य रख कर नवरात्रि व्रत करना चाहिए.
पापमोचनी एकादशी व्रत, सभी पापों से मिलेगी मुक्ति, देखें मुहूर्त, साध्य योग, चोर पंचक, राहुकाल, दिशाशूल
5 Apr, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, धनिष्ठा नक्षत्र, साध्य योग, बालव करण, पश्चिम का दिशाशूल और शुक्रवार दिन है. सभी पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला पापमोचनी एकादशी व्रत आज है. यह व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और पापमोचनी एकादशी व्रत कथा सुनते हैं. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु सहस्रनाम और विष्णु चालीसा का पाठ भी करना चाहिए. इसके अलावा अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ओम नमो भगवते वासदेवाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं. इस व्रत को करने से अप्सरा मंजुघोषा और ऋषि मेधावी को पापों से मुक्ति मिली थी. आज के दिन साध्य और शुभ योग बना है. आज के दिन पश्चिम दिशा में यात्रा करना वर्जित है. आज से चोर पंचक भी शुरू हो रहा है, इसमें बहुमूल्य वस्तुओं के चोरी होने का डर रहता है.
शुक्रवार के दिन एकादशी व्रत है, इसलिए आप भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करें. लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से आपके जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ेगी. शाम के समय में भी माता लक्ष्मी की पूजा करें और उनकी आरती उतारें. उनको खीर और बताशे का भोग लगाएं. लक्ष्मी चालीसा, श्रीसूक्त, कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. माता लक्ष्मी की कृपा से आपके धन और संपत्ति में भी वृद्धि होगी. शुक्रवार के दिन व्रत रखने और शुक्र ग्रह से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से कुंडली का शुक्र दोष भी दूर होता है. शुक्र के मजबूत होने से सुख और सुविधाओं में वृद्धि होती है. आज के पंचांग से जानते हैं सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त, शुभ मुहूर्त, साध्य योग, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
आज का पंचांग, 5 अप्रैल 2024
आज की तिथि- एकादशी – 01:28 पीएम तक, उसके बाद द्वादशी तिथि
आज का नक्षत्र- धनिष्ठा – 06:07 पीएम तक, फिर शतभिषा
आज का करण- बालव – 01:28 पीएम तक, उसके बाद कौलव – 11:56 पीएम तक
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का योग- साध्य – 09:56 एएम तक, फिर शुभ योग
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- मकर – 07:12 एएम तक, फिर कुंभ
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:06 एएम
सूर्यास्त- 06:41 पीएम
चन्द्रोदय- 04:29 एएम, 06 अप्रैल
चन्द्रास्त- 03:00 पीएम
अभिजीत मुहूर्त- 11:59 एएम से 12:49 पीएम तक
ब्रह्म मुहूर्त- 04:35 एएम से 05:21 एएम तक
अशुभ समय
राहुकाल – 10:49 एएम से 12:24 पीएम तक
गुलिक काल – 07:41 एएम से 09:15 एएम तक
पंचक – 07:12 एएम से 06:05 एएम तक, 06 अप्रैल
दिशाशूल – पश्चिम
शिववास
कैलाश पर – 01:28 पीएम तक, उसके बाद से नंदी पर