व्यापार
Wistron की जगह Tata: Apple ने भारत में आफ्टर-सेल्स सर्विस के लिए बदली पार्टनरशिप!
6 Jun, 2025 09:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में एप्पल के स्मार्टफोन और लैपटॉप की मांग तेजी से बढ़ रही है. खासकर मिड और प्रीमियम सेगमेंट में iPhone की लोकप्रियता में भारी इजाफा हुआ है. इसी को देखते हुए एप्पल अब भारत में अपने प्रोडक्ट्स की रिपेयरिंग को मजबूत करने पर जोर दे रहा है. रिपोर्ट् के मुताबिक, एप्पल ने अपने तेजी से बढ़ते भारतीय बाजार में आईफोन और मैकबुक डिवाइस की रिपेयरिंग का काम संभालने के लिए टाटा ग्रुप को सौंप दिया है. दोनों कंपनियों के बीच एक बड़ी डील हुई है.
कंपनी रिपेयरिंग का काम कर्नाटक में करेगी
इस समय Apple, iPhones बनाने के लिए चीन को छोड़ भारत पर नजर बनाया हुआ है. टाटा तेजी से इसके प्रमुख सप्लायर के रूप में उभरा है.टाटा पहले से ही दक्षिण भारत में तीन फीचर्स में स्थानीय और विदेशी बाजारों के लिए आईफोन को असेंबल कर रहा है. जिनमें से एक में कुछ आईफोन के पार्ट्स भी बनाए जा रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील में टाटा ताइवान की विस्ट्रॉन की भारतीय यूनिट आईसीटी सर्विस मैनेजमेंट का काम संभाल रही है. सेल के बाद कंपनी रिपेयरिंग का अपने कर्नाटक आईफोन असेंबली परिसर से करेगी.
iPhone की बिक्री आसमान छू रही है
दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन मार्केट में, भारत के अंदर रिपेयरिंग का मार्केट तेजी से बढ़ने वाला है. क्योंकि iPhone की बिक्री आसमान छू रही है. काउंटरपॉइंट रिसर्च का अनुमान है कि पिछले साल भारत में करीब 11 मिलियन iPhone बिके, जिससे Apple को 7% बाजार हिस्सेदारी मिली, जबकि 2020 में यह सिर्फ 1% थी.
Apple का टाटा पर बढ़ता भरोसा
लेटेस्ट कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड Apple के टाटा पर बढ़ते भरोसे का संकेत देता है क्योंकि ये दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन कंपनी है. साइबरमीडिया रिसर्च के उपाध्यक्ष प्रभु राम ने कहा, “एप्पल के साथ टाटा की गहरी होती साझेदारी, भारत में एप्पल द्वारा सीधे तौर पर रिफर्बिश्ड डिवाइस बेचने के लिए आधार तैयार कर सकती है, जैसा को अभी अमेरिका में करता है. चीन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ के बीच, भारत भी iPhone निर्यात के लिए एक पसंदीदा जगह के रूप में उभर रही है. एप्पल के सीईओ टिम कुक ने कहा है कि जून तिमाही के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में बिकने वाले अधिकांश iPhone भारत की फैक्ट्रियों में बनाए जाएंगे.
अमेरिकियों को महंगा पड़ेगा भारतीय लोहा: ट्रंप की नई नीति से $4.56 अरब के निर्यात पर सीधा असर!
6 Jun, 2025 08:37 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका में स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिसका प्रभाव भारत के निर्यात, स्थानीय विनिर्माण, कीमतों और व्यापार पर पड़ सकता है. वैसे तो भारतीय स्टील कंपनियों पर फिलहाल इसका कोई बड़ा सीधा असर नहीं दिख रहा है. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और अन्य देशों की ओर से डंपिंग की आशंका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. विश्लेषकों के अनुसार, भारत से अमेरिका को स्टील का सीधा निर्यात सीमित मात्रा में होता है.
हालांकि, भारत के लिए चिंता का विषय उन उत्पादों पर हो सकता है जो लोहे या स्टील से बनते हैं. मसलन, ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स और इंजीनियरिंग गुड्स. इन पर पड़ने वाला अप्रत्यक्ष असर आने वाले समय में अहम हो सकता है. यह टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार के परिदृश्य को बदल सकती है, जिससे भारत सहित कई देशों के निर्यातकों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
भारत के निर्यात पर असर
अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण निर्यात बाजार है. स्टील और एल्यूमिनियम उत्पादों पर 50% टैरिफ लगने से भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में कमी आ सकती है क्योंकि अमेरिकी आयातकों को यह महंगा पड़ेगा. इससे भारत की स्टील और एल्यूमिनियम उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित हो सकती है और उनके उत्पादों की मांग में गिरावट आ सकती है.
भारत ने वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को लगभग 4.56 बिलियन डॉलर मूल्य के स्टील, एल्यूमीनियम और संबंधित उत्पादों का निर्यात किया है, यह जानकारी ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के आंकड़ों पर आधारित है. इनमें शामिल हैं:
लोहा और स्टील उत्पादों का निर्यात 587.5 मिलियन डॉलर
लोहा या स्टील के आर्टिकल्स का निर्यात 3.1 बिलियन डॉलर (पिछले वर्ष की तुलना में 14.1 प्रतिशत वृद्धि)
एल्यूमीनियम और संबंधित वस्तुओं का निर्यात 860 मिलियन डॉलर
इन उत्पादों का बड़ा हिस्सा महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु में स्थित छोटे और मध्यम आकार के निर्माताओं से आता है, जहां नौकरी के नुकसान अपरिहार्य हो सकते हैं.
मूडीज ने 10 फरवरी को जारी एक नोट में चेतावनी दी है कि टैरिफ बढ़ोतरी के बाद भारतीय स्टील उत्पादकों के लिए अपने उत्पादों का निर्यात करना और भी कठिन हो जाएगा. मूडीज के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट हुई टिंग सिम ने कहा, “पिछले 12 महीनों में, भारत में स्टील के भारी आयात ने पहले ही कीमतों और आय को दबा दिया है.”
स्थानीय विनिर्माण और कीमतों पर असर
इस टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना है, जिससे घरेलू उत्पादकों को फायदा मिलेगा. हालांकि, इससे अमेरिका में स्टील और एल्यूमिनियम की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो विभिन्न उद्योगों में उत्पादन लागत बढ़ाने का कारण बनेगी. यह अंततः उपभोक्ता उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि कर सकता है.
ट्रेड डाइवर्जन पर असर
भारत सहित अन्य देशों के निर्यातकों को नई टैरिफ नीति के कारण व्यापारिक मार्ग बदलने पड़ सकते हैं. निर्यातक अमेरिका के बजाय अन्य देशों या क्षेत्रों की ओर रुख कर सकते हैं जहां टैरिफ कम या नहीं हैं. इससे वैश्विक व्यापार में प्रवाह और प्रतिस्पर्धा के पैटर्न में बदलाव आ सकता है.
वायरल वीडियो पर इतने पैसे उड़ाए कि खुद हुए गरीब? मिस्टर बीस्ट की पर्सनल फाइनेंस पर खुली पोल!
6 Jun, 2025 07:10 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया के सबसे अमीर और चर्चित YouTuber MrBeast यानी जिमी डोनाल्डसन एक बार फिर सुर्खियों में हैं—लेकिन इस बार वजह उनके किसी धमाकेदार वीडियो या रिकॉर्ड तोड़ इनकम की नहीं, बल्कि उनकी पर्सनल लाइफ और पैसों की तंगी है. जी हां, यह सुनकर जितना हैरान आप हुए, उतने ही हैरान उनके करोड़ों फैंस भी हैं.
अरबों की नेटवर्थ के मालिक MrBeast ने खुद खुलासा किया है कि वे अपनी मां से उधार लेने वाले हैं और ये मज़ाक नहीं, बल्कि उन्होंने खुद इसे सोशल मीडिया पर पूरी गंभीरता से लिखा है. आइए जानते हैं आखिर 8500 करोड़ की नेटवर्थ वाले Mr Beast को पैसों की क्या जरुरत पड़ गई?
शादी के लिए मां से लेंगे पैसे
MrBeast ने अपनी पोस्ट में बताया कि वे अपनी अधिकतर कमाई को अपने कंटेंट में दोबारा निवेश कर देते हैं. उन्होंने कहा, मेरे पास व्यक्तिगत रूप से बहुत कम पैसा है, क्योंकि मैं सब कुछ रीइंवेस्ट करता हूं. इस साल हम अपने कंटेंट पर लगभग 30 मिलियन डॉलर (करीब 250 करोड़ रुपये) खर्च करेंगे. विडंबना यह है कि मैं अपनी शादी के लिए अपनी मां से पैसे उधार ले रहा हूं. लेकिन हां, कागजों पर मेरे बिजनेस बहुत मूल्यवान हैं.
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
उनकी इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर हंसी, हैरानी और तारीफों की बाढ़ आ गई. एक यूजर ने लिखा, एक साम्राज्य खड़ा किया, कंटेंट पर करोड़ों खर्च किए और फिर भी शादी के लिए मां से उधार लिया… लीजेंड! दूसरे ने चुटकी लेते हुए कहा, जो पैसे मां से उधार ले रहे हो, शायद वही तुमने उन्हें कभी दिए होंगे.
MrBeast की लव स्टोरी
MrBeast जल्द ही अपनी मंगेतर थिया बोयसेन (Thea Booysen) से शादी करने जा रहे हैं. थिया एक दक्षिण अफ्रीकी कंटेंट क्रिएटर हैं. दोनों की पहली मुलाकात 2022 में हुई थी और MrBeast ने दिसंबर 2024 में उन्हें क्रिसमस पर प्रपोज किया.
अरबपति लेकिन अनोखे अंदाज़ में
Celebrity Net Worth के मुताबिक, MrBeast की कुल संपत्ति अब 1 बिलियन डॉलर यानी करीब 8500 करोड़ रुपये हो चुकी है. खास बात ये है कि वे 30 साल से कम उम्र के एकमात्र ऐसे अरबपति हैं जिन्हें यह संपत्ति विरासत में नहीं मिली. 27 वर्षीय MrBeast आज दुनिया के 8वें सबसे युवा अरबपति हैं.
ऐसे करते हैं कमाई
फोर्ब्स और सेलिब्रिटी नेट वर्थ की रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने ऑनलाइन काम करके बहुत ज्यादा दौलत बनाई है. वह यूट्यूब से कमाई के अलावा ब्रैंड के साथ भी काम करते हैं, जिससे उन्हें डायरेक्ट रेवेन्यू आता है. रिपोर्ट के अनुसार, जून 2023 से जून 2024 तक उन्होंने लगभग 85 मिलियन डॉलर यानी करीब 372 करोड़ रुपये कमाए हैं.
MrBeast की वित्तीय स्थिति एक "अरबपति जो दिवालिया है" जैसी है, क्योंकि वह अपने लगभग सभी पैसे को अपने सामग्री निर्माण और व्यावसायिक विस्तार में वापस लगा देते हैं, जिससे उनके पास व्यक्तिगत खर्चों के लिए बहुत कम नकदी बचती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार: ट्रंप का ट्रेड वॉर और कोविड ने बढ़ाई भारत समेत उभरते देशों की मुश्किलें
5 Jun, 2025 02:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों से शुरू हुआ ग्लोबल ट्रेड वॉर एक बार फिर तेज़ हो गया है। इस बार यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सेंट्रल बैंकों के लिए कोविड महामारी से भी बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर गीता गोपीनाथ का।
कोविड में नीति आसान थी, ट्रेड वॉर में मुश्किल बढ़ी
गीता गोपीनाथ ने कहा कि जब 2020 में कोविड आया था, तब दुनिया के ज़्यादातर सेंट्रल बैंक एक साथ काम कर रहे थे- ब्याज दरें घटाई गई थीं, राहत पैकेज लाए गए थे। लेकिन अब माहौल बंटा हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से बने टैरिफ अलग-अलग देशों को अलग तरह से प्रभावित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “इस बार चुनौती पहले से बड़ी है। कोविड के दौरान सभी देश एक जैसी दिशा में आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अब असमान असर हो रहा है।”
भारत जैसे देशों के लिए दोहरी मुश्किल
अब उभरती अर्थव्यवस्थाएं दोतरफा दबाव में हैं। एक तरफ उन्हें घरेलू मांग को सहारा देने के लिए ब्याज दरें कम करनी पड़ सकती हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची रहने से डॉलर मज़बूत है, जिससे विदेशी निवेश बाहर जा सकता है। ऐसे में अगर भारत जैसे देश ब्याज दरें घटाते हैं तो उनकी करेंसी पर दबाव आ सकता है। RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की 6 जून को बैठक है, जिसमें रेपो रेट को 25 से 50 बेसिस प्वाइंट तक कम करने की उम्मीद जताई जा रही है। यह इस साल की लगातार तीसरी कटौती होगी।
वहीं अमेरिका का फेडरल बैंक ट्रंप के दबाव के बावजूद दरें घटाने के मूड में नहीं है। जब तक उसे यह भरोसा नहीं हो जाता कि टैरिफ से महंगाई नहीं बढ़ेगी, वह किसी रेट कट की संभावना नहीं देखता। गोपीनाथ के अनुसार, इससे ग्लोबल वित्तीय माहौल सख्त हो सकता है और विकासशील देशों की नीति सीमित हो सकती है।
OECD की चेतावनी: कैपिटल फ्लाइट और करेंसी पर खतरा
OECD (ऑर्गनाइज़ेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) ने भी अपनी रिपोर्ट में चेतावनी दी है कि अगर वैश्विक निवेशकों का भरोसा डगमगाया, तो उभरते बाज़ारों से पूंजी बाहर जा सकती है। इससे उन देशों की करेंसी पर दबाव और कर्ज़ लेने की लागत बढ़ सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, “कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने पूंजी निकासी, करेंसी में गिरावट और कर्ज़ महंगा होने का खतरा है।”
ट्रेड वॉर की अनिश्चितता से उलझन
गीता गोपीनाथ ने कहा कि फिलहाल उभरती अर्थव्यवस्थाएं “धुंध में रास्ता तलाश रही हैं”। अमेरिका-चीन के बीच थोड़े समय के लिए समझौता हुआ था, लेकिन बाद में ट्रंप ने चीन पर आरोप लगाए कि वह डील का उल्लंघन कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने स्टील और एल्युमिनियम पर डबल टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जिससे तनाव और बढ़ गया।
सरकार की GST दरों को सरल बनाने की पहल, 12% स्लैब खत्म करने पर फोकस
5 Jun, 2025 02:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
GST Rate Rationalization को लेकर GST Council की तरफ से जल्द ही बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. बताया जा रहा है कि परिषद इसे लेकर गंभीर है और चार की जगह सिर्फ सिर्फ तीन टैक्स स्लैब बनाने की तैयारी कर रही है. रिपोर्ट के मुताबिक परिषद की आगामी बैठक 12 फीसदी के स्लैब को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा. इसके बाद सिर्फ 5, 18 और 28 फीसदी के स्लैब बचेंगे.
रिपोर्ट में बताया गया है कि ज्यादातर अधिकारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि 12 फीसदी वाला स्लैब अब प्रासंगिक नहीं है. लिहाजा, इस स्लैब में आने वाली वस्तुओं को 5 और 18 फीसदी के स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता है. इससे जीएसटी राजस्व में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन टैक्स सिंपलिफिकेशन के लिहाज से अहम कदम होगा.
12 फीसदी के स्लैब में शामिल वस्तुएं
फिलहाल, 12 फीसदी वाले स्लैब में कंडेंस्ड मिल्क, कैवियार और मछली के अंडों से तैयार कैवियार के विकल्प, 20 लीटर की बोतलों में पैक किया गया पानी, वॉकी टॉकी, टैंक और अन्य बख्तरबंद लड़ाकू वाहन, कॉन्टैक्ट लेंस, पनीर, खजूर और सूखे मेवे, जमी हुई सब्जियां, सॉसेज और इसी तरह के मांस उत्पाद, पास्ता, जैम और जेली, फलों के रस से बने पेय, भुजिया सहित नमकीन, करी पेस्ट, मेयोनीज, टूथ पाउडर, दूध पिलाने की बोतलें, कालीन, छाते, टोपी, साइकिल, विशिष्ट घरेलू बर्तन, बेंत या लकड़ी से बने फर्नीचर, पेंसिल और क्रेयॉन, जूट या कपास से बने हैंडबैग और शॉपिंग बैग, 1,000 से कम कीमत वाले जूते, डायग्नोस्टिक किट और संगमरमर और ग्रेनाइट ब्लॉक वर्तमान इस स्लैब में शामिल हैं.
ये सेवाएं भी शामिल
कुछ खास तरह के कंस्ट्रक्शन वर्क, प्रतिदिन 7,500 रुपये तक के होटल कमरे, नॉन-इकोनॉमी क्लास के हवाई टिकट, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्टेशन सर्विस और पेशेवर, तकनीकी और व्यावसायिक सेवाओं इस स्लैब में आती हैं.
रिपोर्ट में क्या दावा?
Rate Rationalisation पर मंत्री समूह को सलाह देने वाले अधिकारी और विशेषज्ञों के हवाले से रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वे सभी इस बात पर सहमत हैं कि 12 फीसदी टैक्स स्लैब को खत्म किया जाए. इस स्लैब में आने वाली वस्तुओं और सेवाओं को 5 और 18 फीसदी वाले स्लैब में ट्रांसफर कर दिया जाए. रिपोर्ट में इस घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र के हवाले से कहा गया है, यह बदलाव रेवेन्यू न्यूट्रल होगा, यानी इससे सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 फीसदी वाले स्लैब को हटाने के प्रस्ताव का केंद्र के साथ ही ज्यादातर राज्यों ने भी समर्थन किया है.
कब होगी अगली बैठक?
जीएसटी परिषद की अगली बैठक जून या जुलाई में होने की उम्मीद है. इनडायरेक्ट टैक्सेज की व्यवस्था के तहत जीएसटी परिषद शीर्ष निकाय है. इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्यों के वित्त मंत्री शामिल होते हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि परिषद की पिछली बैठक दिसंबर 2024 में हुई थी. उस बैठक में टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने और अनुपालन में आसानी लाने के लिए इस मुद्दे पर बात की जा सकती है.
मंत्री समूह में चल रही चर्चा
लखनऊ में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक के बाद 24 सितंबर, 2021 को दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक मंत्री समूह का गठन किया गया था. इसके पहले संयोजक कर्नाटक के पूर्व सीएम बसवराज एस बोम्मई थे. नवंबर 2023 में यूपी के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इसका नेतृत्व किया. इसके बाद 27 फरवरी, 2024 को बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी इसक संयोजक बने हैं.
सरकार ने SEZ लैंड रिक्वायरमेंट घटाई, सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट
5 Jun, 2025 02:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
SEZ यानी स्पेशल इकोनॉमिक जोन के लिए सरकार ने कई नियम और शर्तों में ढील देने का ऐलान किया है. सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार उन कंपनियों को छूट देगी, जो देश में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के लिए जमीन चाहती हैं.
सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए SEZ में कारखानों की स्थापना के लिए न्यूनतम भूमि आवश्यकता को कम कर दिया है. सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स के लिए अब SEZ बनाने को 50 हेक्टेयर के बजाय सिर्फ 10 हेक्टेयर जमीन की जरूरत होगी. जबकि मल्टी प्रोडक्ट SEZ में यह 20 से घटकर 4 हेक्टेयर रह जाएगी. इससे छोटे उद्यमों और स्टार्टअप्स को भी लाभ होगा.
सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार की तरफ से 3 जून को एक नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसमें स्पेशल इकोनॉमिक जोन अमेंडमेंट रूल, 2025 को पेश किया गया है. नियमों में बदलाव तमाम मैन्युफैक्चरर्स को अपने तैयार माल को ट्रांसफर करने या बेचने के लिए ज्यादा आजादी देते हैं. इसके साथ ही सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स को SEZ में छोटे भूखंडों पर कारखाने स्थापित करने में मदद मिलती है.
क्यों अहम है बदलाव?
भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए इसे किफायती बनाना जरूरी है. कम जमीन पर मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने की सुविधा मिलने पर ज्यादा कारोबारी इसका इस्तेमाल कर पाएंगे. खासतौर पर सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट की सप्लाई चेन पर चीन के एकाधिकार को खत्म करने के लिए पूरी दुनिया विकल्प चाहती है. ऐसे सरकार की यह बदली हुई नीति कारोबारियों को इस अवसर का लाभ लेने में मदद करेगी.
किन राज्यों में लागू होंगे नए नियम?
ये नियम गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, लद्दाख, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव में लागू होंगे.
किन मैन्युफैक्चरर्स को मिलेगा फायदा?
वियरेबल्स,जैसे-स्मार्ट वॉच, ईयरबड्स, डिस्प्ले मॉड्यूल सब-असेंबली, बैटरी सेल, कैमरा मॉड्यूल सब-असेंबली, बैटरी सब-असेंबली, मल्टी मॉड्यूल सब-असेंबली, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, मोबाइल और आईटी हार्डवेयर बनाने वाले मैन्युफैक्चरर्स को इन छूटों का फायदा मिलेगा.
स्टोरेज मैनेजमेंट भी होगा आसान
नए नियमों के तहत मैन्युफैक्चरर्स के लिए अपने स्टोरेज का मैनेजमेंट करना भी आसान हो जाएगा. कंपनियां अब या तो भारतीय पोर्ट्स से सीधे माल निर्यात कर सकती हैं. इसके अलावा अपने सामान को उसी सेज में या किसी अन्य सेज में बने FTWZ यानी फ्री ट्रेड एंड स्टोरेज जोन में भेज सकती हैं. इसके अलावा सामान कस्टम बाउंड स्टोरेज में भी रखा जा सकता है.
क्या शर्त माननी होगी?
मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों को अब आयात के अलावा घरेलू बाजार से भी कच्चा माल, कैपिटल गुड्स, कंपोनेंट और कंज्युमेबल खरीदने की छूट होगी. हालांकि, इन कंपनियों को नेट फॉरेन करेंसी एक्सचेंज सरप्लस में काम करना होगा. यानी ये कंपनियां जिनती विदेशी मुद्रा खर्च करेंगी, उससे ज्यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करनी होगी.
चीन-पाकिस्तान के लिए FDI नीति जस की तस, सरकार ने 2020 में लागू नियमों को रखा बरकरार
5 Jun, 2025 09:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार ने जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को नहीं बदला है. पिछले दिनों में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस तरह का दावा किया गया था कि सरकार खासतौर पर चीन से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों में ढील दे सकती है. हालांकि, PTI की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के नीतिगत मामलों की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने साफ किया है कि ऐसा कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है. फिलहाल, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों पर 2020 में जो नियम लागू किए थे, उन्हीं नियमों के मुताबिक विदेशी निवेशकों को सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है.
क्या हैं मौजूदा नियम?
2020 में केंद्र सरकार ने प्रेस नोट जारी कर बताया था कि सीमावर्ती देशों के निवेशकों को भारत में किसी भी क्षेत्र में निवेश करने से पहले सरकार की पूर्व स्वीकृति लेना जरूरी है. भारत के सभी सीमावर्ती देशों पर ये नियम समान रूप से लागू हैं. इन देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं. इन देशों से आने वाले सभी एफडीआई प्रस्ताव जांच और परीक्षण की समान प्रक्रिया से गुजरते हैं. इसके बाद सरकार की मंजूरी के बाद ही यह निवेश भारत में आ सकता है.
FDI नीति में कोई बदलाव नहीं
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में केंद्र सरकार ने प्रेस नोट-3 में जो एफडीआई नीति जारी की थी, उसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है. ऐसे में चीन या किसी भी पड़ोसी देश से आने वाले निवेश को ढील दिए जाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. अगर सरकार की तरफ से किसी विशेष मामले में कोई ढील दी जाती है, तो यह पूरी तरह अलग मामला होगा.
कैसे मिलती है मंजूरी
भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले किसी भी पड़ोसी देश की तरफ से जब कोई FDI प्रस्ताव आता है, तो इसे मानक संचालन प्रक्रिया के तहत मंजूरी लेनी होती है. इस तरह के आवेदनों पर विचार करने के लिए गृह सचिव की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति निवेशकों की जांच करती है. समिति की तरफ से जांच में निवेश के इरादे और तमाम जरूरी पहलुओं पर खरा उतरने के बाद ही निवेश को मंजूरी दी जाती है.
स्पेस इंटरनेट पर टकराव: Jio-Airtel ने Starlink की सैटेलाइट स्पेक्ट्रम फीस पर उठाया सवाल
5 Jun, 2025 08:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
COAI यानी सेलुलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने देश में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की फीस का मुद्दा सरकार के सामने उठाया है. टेलीकॉम दिग्गज रिलायंस जियो और भारती एयरटेल सहित तमाम बड़ी टेलीकॉम कंपनियों के इस समूह ने सरकार से कहा है कि अगर भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कीमतें बहुत कम रखी जाती हैं, तो यह अनुचित होगा और एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी कंपनियों को इसका फायदा मिलेगा. इसके साथ ही घरेलू कंपनियेां को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा.
कितना है प्रस्तावित स्पेक्ट्रम शुल्क?
मई में भारत के दूरसंचार नियामक TRAI ने सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा देने वाली कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम फीस को उनकी वार्षिक आय के 4 फीसदी जितना रखने का प्रस्ताव सरकार को दिया है. इसे लेकर रिलायंस जियो और एयरटेल ने खासतौर पर आपत्ति जताई है. COAI का कहना है कि सैटेलाइट स्पेक्ट्रम फीस को इतना कम रखना पारंपरिक टेलीकॉम ऑपरेटरों के लिए अनुचित है.
कहां तक पहुंची स्टारलिंक?
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट के जरिये इंटरनेट सेवा देने की शुरुआत करने के काफी करीब है. बताया जाता है कि कंपनी लाइसेंस हासिल करने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में है. इसे ध्यान में रखकर ही COAI ने 29 मई को केंद्रीय टेलीकॉम मंत्रालय को एक पत्र लिखकर आपत्ति जताई है.
क्या है COAI की आपत्ति?
COAI की तरफ से टेलीकॉम मिनिस्ट्री को लिखे पत्र में कहा गया है कि पारंपरिक टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम हासिल करने के लिए ऊंची दरों पर नीलामी के जरिये लाइसेंस लेना होता है और यह रकम पहले चुकानी पड़ती है. इस तरह देखा जाए, तो TRAI की तरफ से सैटेलाइट इंटरनेट के लिए जो स्पेक्ट्रम फीस तय की गई है, वह पारंपरिक टेलीकॉम स्पेक्ट्रम से 21 फीसदी कम है.
क्या है जियो-एयरटेल की मांग?
एक रिपोर्ट के मुताबिक COAI ने अपने पत्र में सरकार से मांग की है कि सैटेलाइट और पारंपरिक स्पेक्ट्रम के लिए प्रति मेगाहर्ट्ज कीमत बराबर होनी चाहिए. खासकर जब समान सेवाओं के लिए समान उपभोक्ताओं तक पहुंचने के लिए इसका उपयोग किया जाना है.
अपना पैसा बचाने के लिए जानें कब हेल्थ पॉलिसी लेने से इनकार कर देना चाहिए
5 Jun, 2025 06:55 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लाइफ-स्टाइल में बदलाव, तनाव और अन्य कई वजहों से लोग कम उम्र में ही कई तरह की गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि आपके पास एक अच्छा हेल्थ इंश्योरेंस हो। यह न केवल आपकी मेहनत की कमाई को अचानक खर्च होने से बचा सकता है, बल्कि खुद को और प्रियजनों को बेहतर जगह इलाज मुहैया कराने में भी मददगार साबित होता है। स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय इन चीजों का ध्यान रखें…
ये फीचर्स हों तभी लें
1- आइसीयू सहित रूम रेंट की कोई लिमिट नहीं होनी चाहिए।
2- पॉलिसी में कोई को-पेमेंट या डिडक्टिबल्स नहीं होने चाहिए।
3- 60 दिन का प्रीहॉस्पीटेलाइजेशन कवरेज और 180 दिन का पोस्ट हॉस्पिटेलाइजेशन कवरेज होना चाहिए।
4- अधिकतम वेटिंग पीरियड 30 दिन का होना चाहिए। क्रिटिकल बीमारियों के लिए यह अवधि ज्यादा से ज्यादा 90 दिन हो।
5- पहले से मौजूद बीमारियों के लिए अधिकतम वेटिंग पीरियड 3 साल हो।
6- अस्पताल में भर्ती होने के दौरान डिस्पोजेबल वस्तुओं का कवरेज हो।
7- नो क्लेम बोनस सालाना कम से कम 50% से दोगुना तक होना चाहिए।
8- कैशलेस, अनलिमिटेड रेस्टोरेशन और रिम्बर्समेंट की सुविधा हो।
9- क्रिटिकल इल वेवर ऑफ प्रीमियम और टर्मिनेशनल इलनेस बेनिफिट भी हो।
10- किसी बीमारी पर कोई कैपिंग नहीं होनी चाहिए।
कैसे चुनें सही इंश्योरेंस
1- 97% से अधिक होना चाहिए बीमा कंपनी का 3 साल का औसत क्लेंम सेटलमेंट अनुपात
2- 97% से अधिक मामलों में क्लेम का भुगतान 30 दिन के अंदर हुआ होना चाहिए
3- प्रति 10,000 क्लेम में 20 से कम होनी चाहिए पॉलिसीधारकों की शिकायतों की संख्या
4- बीमा कंपनी का सालाना कारोबार कम से कम 7500 करोड़ रुपए का होना चाहिए
ये सुविधाएं हों तो और भी अच्छा
1- फ्री-हेल्थ चेकअप, वैकल्पिक उपचार (आयुष) कवरेज, ओपीडी कवरेज।
2- 5 लाख रुपए तक का होम केयर कवरेज, 5 लाख रुपए तक का एम्बुलेंस खर्च।
3- ई-कंसल्टेशन सुविधा, 5 लाख तक का डोनर कवरेज, टॉप-अप का विकल्प।
4- स्वास्थ्य बीमा में एक्सिडेंटस डेथ बेनिफिट भी होना चाहिए।
इन चीजों का रखें ध्यान
1- वयस्कों के लिए सम इंश्योर्ड कम से कम 10 लाख रुपए और बच्चों के लिए 5 लाख हो।
2- पैन-इंडिया पॉलिसी और हॉस्पिटल का बड़ा नेटवर्क होना चाहिए।
3- इंश्योरेंस कंपनी भरोसेमंद हो और क्लेम सेटलमेंट रेश्यो जितना अधिक उतना अच्छा।
4- हमेशा सुपर टॉप-अप को प्राथमिकता दें और बीमा में क्या शामिल नहीं है, इसकी जानकारी रखें।
बीमा कंपनी का अच्छा आइसीआर जरूरी
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कुल कलेक्ट किए गए प्रीमियम के अनुपात में जितना पैसा क्लेम के तहत दिया गया है, उसे कंपनी का इंकर्ड क्लेम रेश्यो यानी आइसीआर कहते हैं। किसी इंश्योरेंस कंपनी का आइसीआर यदि 55त्न-75त्न या इससे ज्यादा है तो उस कंपनी का बीमा खरीद सकते हैं।
बिग बी ने की अनिल अंबानी की तारीफ, बताया क्यों शेयर की जॉगिंग वाली फोटो
4 Jun, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के अच्छे प्रदर्शन ने अनिल अंबानी के दिन बदल दिए है. एक समय ऐसा लग रहा था कि वे शायद ही कभी अपने बुरे दौर से लौट पाएंगे, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि वह कमबैक कर लेंगे. लोग उनकी प्रशंसा भी कर रहे हैं. इसी कड़ी में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक पोस्ट शेयर करते हुए उनकी जमकर तारीफ की है. पोस्ट में उन्होंने अनिल अंबानी की एक फोटो शेयर की है, जिसमें वह जॉगिंग करते नजर आ रहे हैं और कैप्शन में लिखा है कि मेहनत और लगन के सामने कोई दीवार नहीं टिक सकती.
क्यों शेयर की ये खास तस्वीर
असल में अनिल अंबानी फिटनेस फ्रीक है. और वह इसका बेहद ध्यान रखते हैं. उनके रूटीन में लंबी दूरी की जॉगिंग शामिल होती है. उनसे जुड़े लोगों का कहना है कि वह सुबह की जॉगिंग में 20-25 किलोमीटर तक दौड़ते हैं. अमिताभ बच्चन का अनिल अंबानी से हमेशा से करीबी नाता रहा है. ऐसे में उन्होंने अनिल अंबानी की जॉगिंग की तस्वीर शेयर कर उनके लगातार कड़े मेहनत की याद दिलाई है.
उतार-चढ़ाव से भरा रहा कारोबारी सफर
साल 2005 में अपने भाई मुकेश अंबानी से अलग होने के बाद अनिल अंबानी ने टेलीकॉम, फाइनेंस, पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर में कदम रखा. शुरूआत में कारोबार ने तेजी से आगे बढ़ी, लेकिन धीरे-धीरे समस्याएं बढ़ती गईं और 2019 में रिलायंस कम्युनिकेशंस और 2021 में रिलायंस कैपिटल को दिवालिया घोषित करना पड़ा.
फिर से कर रहे वापसी की कोशिश
भारी आर्थिक संकट के बावजूद अनिल अंबानी ने हार नहीं मानी. अब वह अपने बेटों जय अनमोल और जय अंशुल के साथ मिलकर कंपनी को ग्रीन एनर्जी और डिफेन्स जैसे भविष्य के सेक्टर में ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर जैसे ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियां इस वापसी में मुख्य भूमिका निभा रही हैं. अनिल अंबानी के लिए रिलायंस पावर सबसे पहली उम्मीद बनी. उसने हाल ही में जब चौथी तिमाही के रिजल्ट जारी किए .रिलायंस पावर का शुद्ध मुनाफा तिमाही आधार पर 199 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 125.57 करोड़ रुपये रहा. इसके अलावा कंपनी ने यह भी ऐलान किया कि उस पर अब कोई कर्ज नहीं बचा है. कंपनी ने पिछले 12 महीने में कर्ज 5,338 करोड़ रुपये के कर्ज चुकाए हैं. इसी तरह रिलायंस इंफ्रा भी कर्ज मुक्त हो गई है. वित्त वर्ष 2025 के दौरान कंपनी ने कुल 3,298 करोड़ का लोन चुकाया है.
ग्रीन एनर्जी पर लगाया बड़ा दांव
अनिल अंबानी ने ग्रीन एनर्जी को भविष्य की दिशा मानते हुए इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है. रिलायंस एनयू एनर्जी को 350 मेगावाट सोलर पावर और 175 मेगावाट बैटरी स्टोरेज प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली है. साथ ही रिलायंस एनयू सनटेक ने भारत की सबसे बड़ी सोलर और बैटरी परियोजना के लिए 25 साल का करार किया है, जिसमें 930 मेगावाट सोलर और 1860 मेगावाट घंटे की बैटरी क्षमता होगी.
रक्षा क्षेत्र में बढ़ा रहें कदम
अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेन्स अब रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रही है. महाराष्ट्र के रत्नागिरी में जर्मनी की राइनमेटल कंपनी के साथ मिलकर गोला-बारूद बनाने की फैक्ट्री तैयार की जा रही है. डील के तहत दोनों कंपनियां मिलकर तोपखाने के गोले, विस्फोटक और प्रोपेलेंट्स का प्रोडक्शन करेगी. जिसकी वार्षिक क्षमता 2,00,000 तोपखाने के गोले, 10,000 टन विस्फोटक और 2,000 टन प्रोपेलेंट्स उत्पादन की होगीयह धीरूभाई अंबानी डिफेन्स सिटी का हिस्सा होगी. कंपनी का लक्ष्य भारत की टॉप तीन रक्षा निर्यातक कंपनियों में शामिल होना है.
विदेशी फंडिंग से अडानी एयरपोर्ट्स का बड़ा प्लान, क्या शेयरों में आएगी बंपर उछाल?
4 Jun, 2025 02:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अडानी समूह को लेकर फिर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. अडानी एंटरप्राइजेज की सब्सिडियरी कंपनी अडानी एयरपोर्ट्स होल्डिंग्स लिमिटेड (AAHL) ने बताया कि उसने 750 मिलियन डॉलर का फंड हासिल किया है. यह फंड अंतरराष्ट्रीय बैंकों के एक समूह से हासिल की है. इन बैंकों में फर्स्ट अबू धाबी बैंक, बार्कलेज पीएलसी और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इस रकम को कंपनी ने बाहरी कमर्शियल बॉरोइंग के जरिए जुटाया है. यह जानकारी कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को दी. हालांकि, आज इसके शेयरों में 0.18 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
इस फंड का इस्तेमाल कहां होगा?
कंपनी इस पैसे का उपयोग अपने मौजूदा कर्ज को चुकाने, हवाईअड्डों की फैसिलिटी बेहतर करने और छह एयरपोर्ट्स अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलुरु, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के विकास में करेगी. इसके साथ ही रिटेल, खाने-पीने, ड्यूटी फ्री शॉप्स और अन्य सर्विस को भी बढ़ावा दिया जाएगा.
कंपनी के CEO अरुण बंसल ने क्या कहा?
अरुण बंसल ने कहा कि दुनिया की बड़ी वित्तीय संस्थाओं का हम पर भरोसा यह दिखाता है कि भारत के एयरपोर्ट सेक्टर में कितनी संभावनाएं हैं. हम टेक्नोलॉजी और स्थायित्व के जरिए ग्राहकों को बेहतरीन अनुभव देने की दिशा में काम कर रहे हैं.
कानूनी सलाहकार कौन थे?
इस डील में इंग्लिश कानून के लिए Latham and Watkins LLP और Linklaters LLP, जबकि भारतीय कानून के लिए Cyril Amarchand Mangaldas और TT&A को कानूनी सलाहकार नियुक्त किया गया था.
नई योजनाएं क्या हैं?
अरुण बंसल ने बताया कि कंपनी मुंबई और अहमदाबाद एयरपोर्ट्स पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं के लिए बोली लगाने पर विचार कर रही है. यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है जब तुर्की की कंपनी Celebi को भारत सरकार ने सुरक्षा मंजूरी से वंचित कर दिया है.
क्या है फ्यूचर प्लानिंग?
अडानी एयरपोर्ट्स ने पिछले वित्त वर्ष में करीब 94 मिलियन यात्रियों को सेवाएं दीं. अभी इसकी क्षमता 110 मिलियन यात्रियों की है, जिसे 2040 तक 300 मिलियन तक पहुंचाने का टारगेट है. इसके अलावा, कंपनी ने बताया कि नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट जल्द ही शुरू होने वाला है, जिसकी पहली फेज में 20 मिलियन यात्रियों की क्षमता होगी और बाद में इसे 90 मिलियन तक बढ़ाया जाएगा.
Adani Enterprises के शेयरों का हाल
4 जून ( 12:56 PM ) बजे तक कंपनी के शेयर 0.018 फीसदी गिरावट के साथ 2,466 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे.
कंपनी के शेयर अपने एक साल के हाई से 29 फीसदी नीचे हैं.
बीते एक हफ्ते में शेयर ने 3 फीसदी की गिरावट देखी गई है.
एक महीने में शेयर में 7.5 फीसदी की तेजी दिखाई है.
इधर RCB जीती, उधर इस विदेशी ने कमा लिए 3300 करोड़, माल्या का भी कनेक्शन!
4 Jun, 2025 02:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
3 जून को अहमदाबाद में खेले गए मैच में आखिरकार 18 साल के लंबे इंतजार के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने IPL का खिताब अपने नाम कर लिया है. जीतने के बाद RCB को 20 करोड़ मिले. इसके बाद हर तरफ RCB की चर्चा तेज है, लेकिन एक विदेशी नाम जिसकी चर्चा कहीं नहीं है, वह है Diageo Relay. इस कंपनी ने IPL फाइनल वाले दिन से लगभग 3,300 करोड़ रुपये कमा लिए. आइए इसके बारे में जानते हैं, साथ ही जानेंगे कि कैसे इतनी बड़ी रकम RCB की जीत के साथ कमा ली गई?
Diageo Relay ने कैसे कमाए 3,300 करोड़ रुपये
दरअसल, RCB की मालिक Diageo Relay है. ट्रेंडलाइन के मुताबिक, यह कंपनी यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड में 55.88 फीसदी होल्डिंग अपने पास रखती है. 2 जून से अब आईपीएल फाइनल वाले 2 दिन में इसमें 3 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली है. 2 जून का इसका मार्केट कैप 1,10,002 करोड़ रुपये था, जो 4 जून यानी फाइनल मैच के अगले दिन बाजार खुलने के शुरुआती कारोबार में 1,16,034.28 करोड़ रुपये पहुंच गया. इस हिसाब से Diageo Relay के शेयरों की मार्केट वैल्यू 61,472.1776 करोड़ रुपये में से 64,871.46 करोड़ रुपये पहुंच गई. मतलब Diageo Relay को लगभग 3,300 करोड़ रुपये महज 2 दिन में कमा लिए.
विजय माल्या ने भी कमाएं 12 लाख
असल में भले ही विजय माल्या आरसीबी से सीधे नहीं जुड़े हो, लेकिन यूनाइटेड स्प्रीट्स में उनकी 0.01 फीसदी हिस्सेदारी है और उनके पास 62550 शेयर है. ऐसे में जब कंपनी की मार्केट कैप में 3300 करोड़ का इजाफा हुआ, तो उसका फायदा माल्या को भी मिला है. उन्हें बैठे-बैठे 12 लाख की कमाई हो गई. यानी लंदन में बैठे माल्या ने भी आरसीबी की जीत से कमाई कर ली है.
Diageo Relay क्या करती है?
Diageo एक ग्लोबल कंपनी है जो शराब और बीयर जैसे अल्कोहलिक ड्रिंक्स बनाती और बेचती है. यह कंपनी दुनियाभर में मशहूर ब्रांड्स जैसे Johnnie Walker, Smirnoff, Guinness, Baileys और कई अन्य ब्रांड्स की मालिक है. Diageo की मौजूदगी 180 से ज्यादा देशों में है और इसका मकसद अपने ब्रांड्स को मजबूत बनाना और दुनिया भर में लोगों तक पहुंचाना है.
United Spirits Limited भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट
United Spirits Limited भारतीय शेयर बाजार में लिस्ट कंपनी है. कंपनी के शेयर BSE, NSE पर लिस्ट हैं. 4 जून (9:55 AM) तक इसके शेयरों का भाव 1,583.10 रुपये था. बीते एक हफ्ते में इसमें 4 फीसदी तक की तेजी देखी गई है.
United Spirits Limited में किसकी कितनी हिस्सेदारी
रोमांचक मैच में RCB जीता
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में अपना पहला टाइटल अपने नाम कर लिया है. टीम ने मंगलवार को खेले गए फाइनल में पंजाब किंग्स (PBKS) को 6 रन से हरा दिया. इसी के साथ 18वें सीजन में IPL को 8वां चैंपियन मिला. हालांकि मैच अंतिम ओवर तक चला था.
खुशखबरी! मूडीज ने भारतीय बैंकिंग सेक्टर पर जताया भरोसा, मजबूत इकोनॉमी और घटते NPA से शानदार ग्रोथ की उम्मीद
4 Jun, 2025 08:55 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एक रिपोर्ट में भारत की मजबूत इकोनॉमी के लिए घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को जिम्मेदार बताया है. इसके साथ ही कहा है कि अच्छी इकोनॉमिक कंडिशन की वजह से आने वाले 12 महीनों में बैंकों की एसेट क्वालिटी भी बरकरार रहेगी. इसके साथ ही बताया कि सरकार का बढ़ा हुआ कैपेक्स मध्यम वर्ग के लिए कर राहत और सहायक मौद्रिक नीति बैंकिंग प्रणाली के लिए सुरक्षा कवच का काम करेगी. हालांकि, असुरक्षित खुदरा ऋणों में एनपीए का जोखिम बना रहेगा. लेकिन, समग्र एनपीए का स्तर 2-3 फीसदी के बीच रहने का अनुमान है.
रिपोर्ट में क्या कहा?
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र पर केंद्रित एक रिपोर्ट में मूडीज ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भी घरेलू आर्थिक गतिविधियों की मजबूती के कारण भारतीय बैंकों की ग्रोथ में तेजी जारी रहेगी. मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि जब व्यापार तनाव ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता बढ़ा दी है, भारत की घरेलू आर्थिक स्थितियां विकास के लिए सहायक बनी रहेंगी. इसकी वजह से बैंकों की एसेट क्वालिटी मजबूत बनी रहेगी. हालांकि, कुछ अनसिक्योर रिटेल लोन NPA बढ़ा सकते हैं.
कौनसे घरेलू फैक्टर कर रहे काम?
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई घरेलू फैक्टर हैं, जिनसे भारती की इकोनॉमी और बैंकिंग सेक्टर को सपोर्ट मिल रहा है. इनमें सबसे पहले सरकारी पूंजीगत व्यय में हुई बढ़ोतरी है. इसके बाद उपभोग को बढ़ावा देने के लिए मध्यम वर्ग के लिए कर राहत और रिजर्व बैंक की तरफ से इकोनॉमी और बैंकिंग क्रेडिट ग्रोथ को सपोर्ट करने वाली मौद्रिक नीति शामिल हैं. इसके अलावा, वैश्विक माल व्यापार पर भारत की अपेक्षाकृत कम निर्भरता भी भारत की इकोनॉमी को बाहरी झटकों से बचाने में मदद करती है.
क्या हैं जोखिम वाले पहलू?
मूडीज ने बैंको के होलसेल कर्ज की निरंतर मजबूती का उल्लेख करते हुए कहा है कि कॉर्पोरेट प्रॉफिटेबिलिटी और लो लेवरेज बैंकों की ग्रोथ में अहम कारक हैं. होलसेल लोन भारतीय बैंकों के पोर्टफोलियो में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. फिलहाल, होलसेल कर्ज से बैंकों को सपोर्ट मिलना जारी रहने की उम्मी है.
इस खतरे के लिए चेताया
मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए कहा है कि अनसिक्योर रिटेल लोन, शॉर्ट और मिडियम टर्म के सिक्योर लोन की तुलना में ज्यादा जोखिम वाले बने रहेंगे. मूडीज के मुताबिक सिक्योर रिटेल लोन में एनपीए काफी कम है. लेकिन, अनसिक्योर लोन का NAP पिछली कुछ तिमाहियों में बढ़ा है. अगर यह प्रवृत्ति जारी रहती है, छोटे निजी क्षेत्र के बैंकों की एसेट क्वालिटी इससे प्रभावित हो सकती है.
YES Bank : ₹16,000 करोड़ के फंडरेज प्लान को मिली मंजूरी, Carlyle ग्रुप ने बेचा ₹1,775 करोड़ का स्टेक!
4 Jun, 2025 07:49 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यस बैंक ने मंगलवार को बताया कि उसकी फंड जुटाने की योजना को बोर्ड मीटिंग में मंजूरी दी गई है. बैंक ने इक्विटी और डेट सिक्योरिटीज के जरिये फंड जुटाएगा. इसके साथ ही बोर्ड ने शेयर खरीदने से जुड़े नियमों में भी बदलाव को मंजूरी दी है, ताकि जापानी बैंकिंग कंपनी SBMC की तरफ से यस बैंक में 20 फीसदी की हिस्सदारी खरीदने की प्रक्रिया को पूरा किया जा सके. वहीं, इस बीच मंगलवार को ही एक बल्क डील के जरिये ग्लोबल इन्वेस्टमेंट फर्म Carlyle group ने अपनी 2.6 फीसदी हिस्सेदारी को 1,775 करोड़ रुपये में एक ओपन मार्केट सौदे में बेच दिया.
शेयर खरीद समझौते की शर्तें बदली गईं
SBMC यानी सुमितोमो मित्सुई बैंकिंग कॉर्पोरेशन और भारतीय स्टेट बैंक के बीच मई में हुए शेयर खरीद समझौते को पूरा करने के लिए यस बैंक के बोर्ड ने आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन परसुएंट में संशोधन की भी घोषणा की है. जापानी बैंकिंग कंपनी एसबीएमसी यस बैंक में 20 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करेगी. इसके लिए यह संशोधन करना जरूरी था.
बोर्ड के फैसले पर बैंक ने क्या कहा?
बैंक ने एक स्टेटमेंट जारी कर कहा, हम बताना चाहते हैं कि बैंक के बोर्ड ने 3 जून, 2025 को आयोजित अपनी बैठक में अन्य बातों के साथ-साथ बैंक की तरफ से 16 हजार करोड़ रुपये जुटाने की योजना को मंजूरी दी है. इसके साथ ही बोर्ड ने अपने शेयर खरीद समझौते की शर्तों को रूल करने वाले आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन परसुएंट में संशोधनों को मंजूर किया है.
इक्विटी से जुटाए जाएंगे 7,500 करोड़ रुपये
बैंक ने बताया कि सभी स्वीकार्य साधनों के जरिये इक्विटी सिक्यारिटीज जारी करके धन जुटाया जाएगा. इस तरीके से कुल राशि 7,500 करोड़ से अधिक नहीं होगी. इस तरह इक्विटी का डाइलूशन 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होगा.
कर्ज के जरिये जुटाए जाएंगे 8,500 करोड़
बैंक ने बताया कि भारतीय या विदेशी मुद्राओं में डेट सिक्योरिटीज जारी कर कुल 8,500 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे. इसके लिए कंपनी एक या एक से अधिक किश्तों में घरेलू और विदेशी बाजार में डेट सिक्योरिटीज जारी करेगी.
25 करोड़ रुपये में मुंबई में टेस्ला का नया सर्विस सेंटर! लोढ़ा लॉजिस्टिक्स पार्क में लीज डील हुई पक्की
4 Jun, 2025 06:48 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत में एंट्री लेने में जुटी है. फिलहाल, कंपनी ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में सर्विस सेंटर बनाने के लिए लोढ़ा लॉजिस्टिक्स पार्क में 24,565 वर्ग फीट जमीन को पांच साल की लीज पर लिया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की दिशा में टेस्ला का यह अहम कदम है. इस जमीन का इस्तेमाल टेस्ला सर्विस सेंटर बनाने के लिए कर रही है. मुंबइ के कुर्ला वेस्ट स्थित लोढ़ा लॉजिस्टिक्स पार्क से पहले टेस्ला मुंबई में दो और जगहों पर जमीन लीज पर ले चुकी है.
कितना होगा किराया?
रिपोर्ट के मुताबिक टेस्ला इंडिया मोटर एंड एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड और लोढ़ा डेवलपर्स के बीच पांच साल की लीज पर हस्ताक्षर किए गए और 16 मई को इसे रजिस्टर किया गया है. रियल एस्टेट डाटा एनालिटिक्स फर्म सीआरई मैट्रिक्स की तरफ से उपलब्ध कराए गए डाटा के मुताबिक टेस्ला इस जमीन के लिए 37.53 लाख का शुरुआती मासिक किराया देगी, इस तरह पांच साल में कुल 24 करोड़ रुपये से ज्यादा होगा.
किस काम आएगी जमीन?
रिपोर्ट में मामले की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति के हवाले से बताया गया है कि लीज पर ली गई जगह का इस्तेमाल टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सर्विस सेंटर के तौर पर किया जा सकता है. कंपनी भविष्य में इसका विस्तार भी कर सकती है. यह सौदा इस साल मुंबई में टेस्ला की तीसरी लीज है. इससे पहले टेस्ला ने कुर्ला में एक को-वर्किंग सेंटर में 30 सीटों वाले कार्यालय के अलावा, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में मेकर मैक्सिटी कॉम्प्लेक्स में भी 881 रुपये प्रति वर्ग फीट की रिकॉर्ड रेट पर जगह लीज पर ली है.
कितना बढ़ा है लोढ़ा लॉजिस्टिक्स पार्क?
लोढ़ा लॉजिस्टिक्स पार्क 4,00,000 वर्ग फीट का इन सिटी डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर है] जो ई-कॉमर्स, क्विक-कॉमर्स और क्लाउड किचन फर्मों की लास्ट माइल डिलीवरी की जरूरतों को पूरा करता है. मुंबई के अलावा टेस्ला ने पिछले साल पुणे में 5,850 वर्ग फीट का ऑफिस स्पेस लीज पर लिया था और हाल ही में दिल्ली में भी एक शोरूम स्पेस लीज पर लिया है.