राजनीति
वन नेशन, वन इलेक्शन पर सियासी घमासान, वोटिंग रिजल्ट को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा
18 Dec, 2024 11:08 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। एक देश, एक चुनाव की बहस एक बार फिर से संसद और राजनीतिक गलियारों में गर्मा गई है। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान मंगलवार को केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में 129वें संविधान संशोधन विधेयक को पेश किया। विपक्ष की कड़ी आपत्तियों के बीच विधेयक को वोटिंग के बाद पेश किया गया, जहां सरकार के पक्ष में 269 वोट पड़े जबकि विपक्ष को 198 वोट मिले।
सरकार का उद्देश्य लोकसभा और सभी राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है, लेकिन विपक्ष इसे संविधान की मूल भावना पर हमला करार दे रहा है। हालांकि, विधेयक को साधारण बहुमत से पेश किया गया, लेकिन इसके पारित होने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत पर सवाल उठने लगे हैं।
सरकार के पास संख्या नहीं - विपक्ष
कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विधेयक की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार के पास इसे पारित कराने के लिए आवश्यक दो-तिहाई बहुमत नहीं है। कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने ई-वोटिंग के स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कहा कि कुल 461 सांसदों में से 307 वोट दो-तिहाई बहुमत के लिए जरूरी थे, लेकिन सरकार को केवल 269 ही वोट मिले।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि, इस विधेयक को पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत चाहिए, जो सरकार के पास नहीं है। इसे आगे बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
कांग्रेस का विरोध और विपक्ष की एकजुटता
वोटिंग के बाद कांग्रेस ने इसे सरकार की संविधान विरोधी जिद बताया। कांग्रेस के मनीष तिवारी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और डीएमके के टीआर बालू ने संयुक्त रूप से इसका विरोध किया।
विपक्षी दलों ने एक स्वर में कहा कि यह विधेयक जनमत और संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीएम और आईयूएमएल जैसे कई छोटे दलों ने भी विरोध में अपनी आवाज बुलंद की।
एक देश, एक चुनाव की बहस न केवल संसदीय राजनीति में बल्कि देशव्यापी चर्चा का विषय बन गई है। जहां सरकार इसे चुनावी प्रक्रिया में सुधार का बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र और संविधान के मूल सिद्धांतों पर खतरा मान रहा है।
पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की
18 Dec, 2024 10:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर उन्हें शुभकामनाएं दीं। दरअसल, शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन उद्धव ठाकरे विधानमंडल पहुंचे, जहां उन्होंने सीएम देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद सूबे में सियासी पारा हाई है। वहीं इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
वहीं मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि यह सिर्फ सद्भावना मुलाकात थी, हम चुनाव नहीं जीत सके, महागठबंधन चुनाव जीत गया। इसलिए अब उम्मीद है कि महाराष्ट्र के हित में काम किया जाएगा। अब हम जनता के जरिए आवाज उठाने जा रहे हैं। इस खास मुलाकात को लेकर शिवसेना नेता और उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने कहा, आज हमारे पार्टी चीफ उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की। हम भले ही विरोधी पक्ष में हैं और वे सत्ता पक्ष में हैं लेकिन फिर भी हम सभी जनता द्वारा चुनकर आए हुए विधायक हैं। साथ में काम करते हुए हमारी अपेक्षा है कि वे हमारी बात सुनें और विकास के कार्य आगे बढ़े। राजकीय विचारधारा अलग-अलग है। जिस पर बहस तो होती रहेगी लेकिन इस बहस से कुछ अच्छा निकले ये ही हमारा लक्ष्य है।
उद्धव ठाकरे ने की वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग, कांग्रेस ने किया विरोध
18 Dec, 2024 09:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । शिवसेना यूबीटी के मुखिया उद्धव ठाकरे ने वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग की है। उधर कांग्रेस नेता नाना पटोले ने इसे ठाकरे का निजी मत बताया है. शिवसेना यूबीटी के मुखिया उद्धव ठाकरे द्वारा वीर सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर महाविकास अघाड़ी के घटक दलों के बीच ही विरोधाभास देखने को मिल रहा है।
इस बीच कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने बयान देते हुए कहा है कि यह शिवसेना की पार्टी का मत हो सकता है। वहीं एकनाथ शिंदे गुट के कोटे से मंत्री बने आशीष जायसवाल ने कहा, उद्धव ठाकरे का मित्र पक्ष रोज सावरकर का अपमान कर रहा है। उनको लात मारकर पहले अलग कीजिए। जब तक आप यह करेंगे नहीं तब तक यह प्रश्न आप पूछ नहीं सकते हैं। शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी से प्रश्न किया कि सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दे रहे? उद्धव ठाकरे द्वारा उठाए गए सवाल पर जब कांग्रेस पार्टी के महाराष्ट्र के अध्यक्ष नाना पटोले से सवाल किया गया तो नाना पटोले ने कहा कि यह शिवसेना यूबीटी के भीतर का मामला है। हमें महाराष्ट्र के वर्तमान की चिंता है। हमें इतिहास में नहीं जाना है। महाराष्ट्र का वर्तमान खतरे में आ गया है। यह शिवसेना की पार्टी का मत हो सकता है। वहीं शिवसेना शिंदे गुट से मंत्री बने आशीष जायसवाल ने भी इस मामले पर उद्धव ठाकरे को जवाब दिया। आशीष जायसवाल ने कहा कि वीर सावरकर को भारत रत्न देना बड़ी बात नहीं है। यह होना चाहिए। यह संकोच का विषय नहीं है। यह होगा, सरकार निर्णय लेगी। उद्धव ठाकरे को कांग्रेस से पूछना चाहिए, उनका मित्र पक्ष जो है आपका सहयोगी पक्ष पहले उसे लात मारकर अलग हो जाइए। आप रोज सावरकर का अपमान करते हैं। आपका मित्र पक्ष रोज सावरकर का अपमान कर रहा है। उसको लात मार के अलग कीजिए। जब तक आप यह करेंगे नहीं तब तक आप प्रश्न नहीं पूछ सकते हैं। राहुल गांधी रोज वीर सावरकर के लिए गलत शब्द का इस्तेमाल करते हैं। आप किसी को सम्मान नहीं दे सकते तो किसी का अपमान मत कीजिए।
मोहब्बत दिल में बसाने का जज्बा है, मोहब्बत दूसरों को महसूस कराने का लम्हा है - अमित शाह
18 Dec, 2024 08:02 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर जमकर तंज कसे। राहुल गांधी के मोहब्बत की दुकान वाले बयान को लेकर अमित शाह ने कहा, हमने मोहब्बत की दुकान के बहुत नारे सुने हैं। मोहब्बत की दुकान हर गांव में खोलने की महत्वाकांक्षा रखने वाले लोगों के भाषण भी हमने बहुत सुने हैं। मेरा उनको कहना है कि मोहब्बत दुकान से बेचने की चीज नहीं है भैया, मोहब्बत प्रचार की चीज नहीं है। मोहब्बत दिल में बसाने का जज्बा है, मोहब्बत दूसरों को महसूस कराने का लम्हा है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम लिये बिना उनकी ओर संकेत करते कहा, ‘‘अभी कुछ राजनेता आये हैं, 54 साल की आयु में अपने को युवा कहते हैं। घूमते रहते हैं और (कहते हैं कि सत्तारूढ़ दल वाले) संविधान बदल देंगे, संविधान बदल देंगे। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि संविधान बदलने का प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 368 में ही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने 16 साल के शासन में 22 बार संविधान में संशोधन किया है। साथ ही कहा कि कांग्रेस ने 55 साल शासन किया और इस दौरान उसने संविधान में 77 बार परिवर्तन (संविधान संशोधन) किए। गृह मंत्री ने दावा किया कि संविधान संशोधन में यह देखने वाली बात है कि किसने देश के नागरिकों की भलाई के लिए संशोधन किए और किसने अपनी सत्ता को बचाये रखने के लिए इसमें परिवर्तन किए।
अमित शाह ने कहा, संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए। इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा। किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं। संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया। संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है। संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया।
असदुद्दीन ओवैसी ने सीएम योगी के बयान पर साधा निशाना, कहा- 'इजराइल की चाहे जितनी पूजा कर लें...'
17 Dec, 2024 06:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश विधानसभा में बयान देते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि कांग्रेस की एक नेता (प्रियंका गांधी वाड्रा) फिलिस्तीन लिखा हुआ बैग लेकर संसद भवन पहुंच गईं। उन्होंने कहा, 'यूपी के युवा इजरायल में काम करने जा रहे हैं। यूपी के 5600 से ज्यादा युवा इजरायल में काम करने गए हैं। सुरक्षा की गारंटी है। हाल ही में इजरायल के राजदूत आए और उन्होंने कहा कि वह यूपी के और युवाओं को अपने साथ ले जाना चाहेंगे, क्योंकि वे वास्तव में बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। दुनिया अब यूपी की कौशल शक्ति को देख रही है।'
एआईएमआईएम सांसद ने सीएम योगी पर किया हमला:
इस मामले पर हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बयान दिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने इंस्टाग्राम पर सीएम योगी आदित्यनाथ की पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 'भारत सरकार खुद भारतीयों को इजरायल की यात्रा न करने की सलाह दे रही है। यह भाजपा की राज्य और केंद्र सरकारों की विफलता का ठोस सबूत है कि गरीब लोग इजरायल जैसी जगह पर काम करने के लिए जाने को मजबूर हैं। अगर यहां रोजगार के अवसर होते तो कोई इजरायल में काम करने क्यों जाता? योगी चाहे जितना भी इजरायल की पूजा करें, लेकिन भारत में सबसे ज्यादा पैसा अरब देशों से ही आता है।
प्रियंका गांधी फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद पहुंचीं
आपको बता दें कि कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद भवन पहुंचीं। प्रियंका गांधी के फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर संसद भवन पहुंचने पर बवाल मच गया। इसको लेकर बीजेपी ने प्रियंका गांधी पर हमला बोला है। केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल ने इस मामले पर कहा कि प्रियंका गांधी मुस्लिम वोट को खुश करने के लिए फिलिस्तीन लिखा बैग लेकर आई हैं। आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन का समर्थन किया हो
अखिलेश की केजरीवाल से दोस्ती राहुल गांधी के लिए खतरे की घंटी
17 Dec, 2024 06:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । कड़ाके की सर्दी में दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव ने दिल्ली से लखनऊ तक की सियासत को गर्मा दियास है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली केंद्र को निशाने पर रखते हुए लगाई गई एक अदालत ने कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के साथ मंच साझा करने वाले सपा प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कांग्रेस को नया क्लेश दे दिया है। यह घटनाक्रम तब हुआ है जब इंडिया गठबंधन के कई साथी राहुल गांधी की जगह ममता बनर्जी को नेतृत्व सौंपने की बात कर रहे हैं।
यूं तब आप और सपा दोनों इंडिया गठबंधन के साथी हैं, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस एक दूसरे के आमने-सामने हैं। इसके बाद सपा ने कांग्रेस की बजाय केजरीवाल को तरजीह देकर नए समीकरणों को हवा दे दी है। यूपी में राहुल गांधी के साथ दो लड़कों की जोड़ी बना चुके अखिलेश के ताजा कदम के कई मायने निकाले जा रहे हैं। अखिलेश यादव ने ना सिर्फ केजरीवाल के साथ मंच साझा किया बल्कि उन्हें दिल्ली का लाल बताकर फिर उन्हें जितवाने की अपील की।
इस मौके पर अखिलेश ने केजरीवाल की जमकर तारीफ कर निशाने पर भाजपा और मोदी सरकार को रखा। भले ही उन्होंने कांग्रेस का नाम नहीं लिया, लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए अखिलेश का रुख एक बड़े झटके को तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस की बजाय केजरीवाल को तरजीह देकर अखिलेश ने कांग्रेस को स्पष्ट संकेत दे दिया है। भले ही दिल्ली चुनाव में सपा की कोई खास भूमिका ना हो, लेकिन उन्होंने कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरु कर दिया है। दूसरी तरफ खुद केजरीवाल और संजय सिंह ने अखिलेश यादव की खूब तारीफ की और उन्हें सुख दुख में साथ देने वाला नेता बताया।
नेतृत्व को लेकर पहले ही दबाव में चल रही कांग्रेस फिलहाल अखिलेश की नई दोस्ती पर चुप्पी साधे हुए है। आगे सपा और कांग्रेस के रिश्ते किस दिशा में बढ़ते हैं इस पर लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। कुछ विश्लषकों का मानना है कि यह अखिलेश की प्रेशर पॉलिटिक्स से अधिक कुछ नहीं है। ना अखिलेश केजरीवाल की दिल्ली में ज्यादा कुछ मदद कर सकते हैं और ना ही आप यूपी में कोई खास जनाधार रखती है। अखिलेश अगले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को दबाव में रखना चाहते हैं।
लोकसभा में पेश हुआ वन नेशन-वन इलेक्शन बिल
17 Dec, 2024 05:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। लोकसभा में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वन नेशन-वन इलेक्शन का संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया। इस बिल को लेकर भाजपा ने जहां कहा कि इस विधेयक से राष्ट्र का विकास तेज गति से हो सकेगा वहीं कांग्रेस ने इसे संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बताया है। कांग्रेस समेत सपा व अन्य विपक्षी दल इस विधेयक के खिलाफ हैं।
लोकसभा में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने वन नेशन-वन इलेक्शन बिल पेश किया है, जिसे लेकर भाजपा का कहना है कि यह बिल देश के विकास को गति प्रदान करेगा, क्योंकि बार-बार होने वाले चुनावों से व्यवस्था बिगड़ती है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि यह बिल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। बताते चलें कि लोकसभा में बिल पेश होने से पहले भाजपा ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया था। वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने इस बिल का जोरदार विरोध किया है। कांग्रेस ने कहा है कि यह संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है। वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध करने वालों में कांग्रेस समेत कई दल शामिल हैं। इसमें कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, टीएमसी,
आरजेडी, पीडीपी, शिवसेना उद्धव गुट और जेएमएम शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त वन नेशन-वन इलेक्शन के पक्ष एनडीए के सहयोगी दलों के अलावा बहुजन समाज पार्टी के साथ आने की बात कही जा रही है। बसपा ने भी बिल का समर्थन किया है। इस प्रकार भाजपा समेत जेडीयू, टीडीपी और वाईएआर कांग्रेस इसके समर्थन में हैं।
सपा सांसद धर्मेंद्र यादव का बिल को लेकर कहना था कि यह एक ऐसा बिल है, जिसके जरिए तानाशाही के विकल्प तलाशे जा रहे हैं और इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है।
बिहार में विधानसभा चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ा जाए, नीतीश कुमार भी साथ आएं
17 Dec, 2024 01:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूर्णिया। बिहार के पूर्णिया सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव ने कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बड़े भाई की भूमिका निभाए। चुनाव कांग्रेस के नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए। बिहार में क्षेत्रीय पार्टियों को हरियाणा और महाराष्ट्र से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने इच्छा जताई कि सीएम नीतीश कुमार भी साथ आएं, लेकिन गठबंधन में किसे शामिल किया जाए यह राहुल गांधी तय करें।
पप्पू यादव ने कहा कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ अगर किसी में लड़ने की ताकत है तो वह राहुल और प्रियंका गांधी में ही है। इसलिए बिहार में गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस करे। कांग्रेस बिहार में 15 जनवरी के बाद से अपने संगठन का विस्तार करने के साथ ही उसे मजबूत करेगी। पेपर लीक मामले पर पप्पू यादव ने कहा कि बिहार में पेपर लीक एक पर्याय बन गया है। नालंदा जुर्म का केंद्र बन गया है। जितने पेपर लीक हो रहे, उसमें नालंदा ही केंद्र बिंदु है। दो दिन पहले भी बच्चों को पेपर नहीं दिए गए, ताला लगा दिया। जिन्हें माफिया ने सेंटर भेजा, टीचर की भूमिका निभाई, उसी को आंसर लिखाया गया। पढ़ने वाले बच्चे इससे वंचित रह गए।
पप्पू यादव ने कहा कि राहुल गांधी जिन मुद्दों को लोकसभा में उठाते रहे हैं, वही मुद्दे मेरे भी हैं। हमारी सरकार बनेगी तो हम प्राइवेट नौकरी में आरक्षण का प्रावधान करेंगे। सभी ठेकेदारी में 40 फीसदी बेरोजगार युवाओं के लिए 10 लाख रुपए तक के ठेके को आरक्षित करेंगे। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्य सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन ने कहा कि पार्टी 2025 का रोडमैप बनाकर आगे की रणनीति तय करेगी। पप्पू यादव ने रविवार को पार्टी के पटना कार्यालय में आयोजित प्रदेश पदाधिकारी, जिला अध्यक्षों और जिला प्रभारी की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक डॉ. अनिल कुमार ने कहा कि सदस्यता महाअभियान के तहत दिसंबर तक 10 लाख सदस्य बनाना था, जिसके करीब पार्टी पहुंच चुकी है।
सदस्यता महाअभियान की तिथि बढ़ा कर 31 जनवरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी का जिला सम्मेलन वहीं होगा, जिससे जुड़े विधानसभा क्षेत्र में पार्टी मजबूत हो। प्रदेश अध्यक्ष ने लोजपा (पारस) महिला प्रकोष्ठ की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्मिता शर्मा को उनके समर्थकों के साथ सदस्यता दिलाई।
अपनी कुर्सी बचाने के लिए कानून में संशोधन करना कांग्रेस का असली संविधान विरोधी चेहरा : निर्मला सीतारमण
17 Dec, 2024 12:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर लोकसभा में दो दिन हुई चर्चा के बाद सोमवार को राज्यसभा में संविधान के महत्व और विरासत पर दो दिवसीय चर्चा शुरू हुई। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चर्चा की शुरुआत की, जबकि पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव 17 दिसंबर को इसका समापन करने वाले हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने राज्यसभा में कहा, हमारे संविधान के 75 साल पूरे होने के ऐतिहासिक मौके पर मुझे यह अवसर देने पर मैं बहुत सम्मानित और विनम्र महसूस करती हूं। मैं संविधान सभा के सभी 389 सदस्यों विशेष रूप से उन 15 महिलाओं को श्रद्धांजलि देकर शुरुआत करती हूं, जिन्होंने तीन साल से भी कम समय में भारत के संविधान को बहुत ही चुनौतीपूर्ण माहौल में तैयार करने की कठिन चुनौती का सामना किया। आज हमें इस बात पर बेहद गर्व है कि भारत का लोकतंत्र कैसे बढ़ रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला ने कहा, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 50 से अधिक देश स्वतंत्र हो गए थे और उनका अपना संविधान था। लेकिन कई देशों ने अपने संविधान में बदलाव किया, न केवल संशोधन किया बल्कि अपने संविधान की पूरी विशेषता को ही पूरी तरह बदल दिया। लेकिन हमारा संविधान समय की कसौटी पर खरा उतरा है और निश्चित रूप से इसमें कई संशोधन हुए हैं। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान का कितना दुरुपयोग किया, इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि नेहरू विरोधी कविता के लिए मशहूर गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी और अभिनेता बलराज साहनी को जेल जाना पड़ा था। न्यायपालिका को दबाने के लिए कांग्रेस ने संविधान में कई संशोधन किए। लेकिन आज जब कांग्रेस न्यायपालिका की स्वतंत्रता की बात करती है, तब हमें हंसी आती है। कैसे 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अदालत का फैसला आने से पहले कानून में संशोधन करना कांग्रेस का असली संविधान विरोधी चेहरा रहा है। एक विशेष परिवार को बचाने के लिए संविधान में कई बार संशोधन हुआ है। कांग्रेस ने नियमों का उल्लंघन कर कानून बदला और लोकसभा का कार्यकाल 6 साल कर दिया। तब पूरे विपक्ष को जेल में डाला गया था। इसके बाद यह सब बदलाव हुआ। एक लोकतांत्रिक देश में इस घटनाओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता। वित्त मंत्री ने कहा कि इस देश के पहले प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार पर प्रेस की निगरानी की निंदा की, जबकि उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रेस की स्वतंत्रता की प्रशंसा की। इसमें कोई संदेह नहीं है। संविधान को अपनाने के एक साल के भीतर ही कांग्रेस द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए पहला संवैधानिक संशोधन लाया गया। वहीं कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता पाने के उनके अधिकार से वंचित किया। उन्होंने कहा कि साल 1950 में सुप्रीम कोर्ट ने कम्युनिस्ट पत्रिका क्रॉस रोड्स और आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइजर के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन इसके जवाब में तत्कालीन अंतरिम सरकार ने इनकी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में संशोधन किया। 1975 में माइकल एडवर्ड्स द्वारा लिखी गई राजनीतिक जीवनी नेहरू पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उन्होंने किस्सा कुर्सी का नामक एक फिल्म पर भी प्रतिबंध लगा दिया, क्योंकि इसमें प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे पर सवाल उठाए गए थे।
महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार होते ही कई नेता नाराज, बढ़ी शिंदे की मुश्किलें
17 Dec, 2024 11:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार का कैबिनेट विस्तार हो गया और 39 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ले ली है। इसके साथ ही शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित गुट) में नाराजगी नजर आ रही है। ऐसे कई नेता नाराज हैं, जो लगातार जीतते आ रहे हैं और फिर भी मंत्री नहीं बनाए गए हैं। सबसे बड़ी मुश्किल तो एकनाथ शिंदे के सामने है और उनकी पार्टी के विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने विदर्भ के संयोजक और उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है। यही नहीं खुलकर नाराजगी जाहिर करते हुए एकनाथ शिंदे से कहा कि ऐसा लगता है कि हमने आपका साथ देकर ही गलती कर दी।
नरेंद्र भोंडेकर ने कहा कि आपने जब ढाई साल पहले शिवसेना से बगावत करके अलग रास्ता अपनाया था तो उन दस निर्दलीय विधायकों में मैं पहला था, जिसने आपका साथ दिया था। मैं बिना किसी स्वार्थ के साथ आपके पास आया और आपकी ढाई साल की सरकार में बिना कुछ मांगे बना रहा। आपने कहा था कि हमारी सरकार होगी और मैं आपको मंत्री पद दूंगा। ढाई साल में ऐसा कुछ नहीं हुआ और अब फिर से भरोसा मिला कि आपको मंत्री पद दिया जाएगा। आखिर कब तक दूसरे जिलों के मंत्री यहां का प्रभार देखेंगे।
भोंडेकर ने एकनाथ शिंदे से अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आखिर हम अपने जिले के लोगों को क्या जवाब दें। वह भंडारा जिले की शहर सीट से लगातार तीसरे बार चुनाव जीते हैं। उन्होंने अपना पद एकनाथ शिंदे, उदय सामंत और श्रीकांत शिंदे को मेसेज करके छोड़ा है। नरेंद्र भोंडेकर ने अपने इस्तीफे के साथ ऐसे नेताओं पर भी भड़ास निकाली है, जो हाल ही में आए हैं और उन्हें मंत्री बना दिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे भी कई लोग हैं, जो पीछे के दरवाजे से पार्टी में आए और मंत्री बन गए। फिर आखिर ईमानदार और विश्वस्त लोगों के लिए क्या बचा है।
उन्होंने कहा कि मेरे पास 6 जिलों के संयोजक की जिम्मेदारी है, लेकिन मेरे से किसी भी मसले पर सलाह नहीं ली गई। ना ही मुझे कोई सूचना दी गई और मैं खुद भी मंत्री परिषद में जगह नहीं बना सका। ऐसी स्थिति में आखिर मैं अपने क्षेत्र और जिले के लोगों को क्या जवाब दे पाऊंगा। यही नहीं उन्होंने कहा कि मैं तो विधायक के पद से भी इस्तीफा देने वाला था, लेकिन क्षेत्र की जनता के बारे में सोच कर रुक गया। इस दौरान उन्होंने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की और कहा कि उनकी ओर से बीजेपी जॉइन करने का ऑफर था। मैं उन्हें भी अपना नेता मानता हूं, लेकिन साथ नहीं गया। क्या यह मेरी गलती थी।
आप ने किया महिला अदालत का आयोजन, मोदी सरकार को सुनाई खरी-खरी
17 Dec, 2024 10:25 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली में सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से महिला अदालत का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में बढ़ते अपराधों और बिगड़ती कानून-व्यवस्था पर चर्चा करना था। पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर निशाना साधकर उनकी नीतियों पर सवाल उठाए।
इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी शामिल हुए, जिन्होंने महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों के मुद्दे पर अपनी राय साझा की। आयोजन के दौरान महिलाओं ने अपनी समस्याओं और अनुभवों को साझा किया। आप प्रमुख केजरीवाल ने कहा, दिल्ली में अपराध बढ़ रहे हैं और कानून व्यवस्था पूरी तरह धराशाही हो चुकी है। केंद्र को इस ओर ध्यान देना चाहिए, लेकिन वे केवल राजनीतिक फायदे के लिए काम कर रहे हैं।
अखिलेश ने भी महिला सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, देश को महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए एक ठोस योजना की जरूरत है। केवल वादे करने से कुछ नहीं होगा, हमें ठोस कदम उठाना होगा।
बीजेपी के लिए महाराष्ट्र मॉडल फिलहाल बिहार विधानसभा में लागू करना असंभव
17 Dec, 2024 09:23 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद बीजेपी की राजनीति की नई रणनीति पर चर्चा शुरू हुई है। दरअसल देवेंद्र फडणवीस को फिर मुख्यमंत्री बनाने और एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम के रूप में स्थापित करने के फैसले ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचा दी है। अब सवाल उठा रहा हैं कि क्या बिहार में भी ऐसा हो सकता है, जहां नीतीश कुमार को फिलहाल मुख्यमंत्री बनाए रखा जाए, लेकिन चुनाव बाद समीकरण बदल दिए जाएं।
इस बारे में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बिहार चुनाव और नीतीश के नेतृत्व को लेकर सवाल किया गया, तब उन्होंने सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा। उन्होंने कहा कि एनडीए में कोई दरार नहीं है और इस मुद्दे पर फैसला पार्टी और सहयोगी दलों के बीच चर्चा के बाद होगा। हालांकि, उनके बयान ने स्पष्ट कर दिया कि बीजेपी नीतीश कुमार के साथ अपने रिश्ते को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।
नीतीश का कद और एकनाथ शिंदे की भूमिका में बड़ा अंतर है। शिंदे महाराष्ट्र में सीएम बनने से पहले प्रदेश स्तर के नेता ही माने जाते थे, जबकि नीतीश राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं और यहां तक कि पीएम पद के दावेदार के रूप में भी चर्चा में रहे हैं। उनके प्रयासों से विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन आकार ले सका था। हालांकि, गठबंधन छोड़ने के बाद से विपक्ष की दिशा कमजोर पड़ी है, लेकिन बिहार में उनकी लोकप्रियता और वोट बैंक अब भी बरकरार है।
वहीं महाराष्ट्र की तुलना में बिहार की राजनीति अधिक जटिल है। यहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) जैसा मजबूत विपक्ष वर्तमान में मौजूद है, जिसके विधायकों की संख्या बीजेपी के करीब है। एनडीए के पास बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए जेडीयू का सहयोग जरुरी है। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन जनता की नजरों में कमजोर माना जा रहा था, जिससे बीजेपी और महायुति को फायदा हुआ।
बिहार बीजेपी के पास फडणवीस जैसा कोई नेता नहीं है, जो नीतीश की लोकप्रियता और अनुभव का मुकाबला कर सके। फडणवीस ने एक मुख्यमंत्री और डिप्टी सीएम के रूप में अपनी साख बनाई है, जबकि बिहार बीजेपी नेतृत्व में ऐसा कोई चेहरा नहीं है, जो राज्य भर में नीतीश के कद का मुकाबला कर सके।
इन बातों से साफ हो जाता हैं कि बिहार में महाराष्ट्र मॉडल लागू करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होगा। एक ओर नीतीश की राजनीतिक पकड़ मजबूत है, दूसरी ओर आरजेडी जैसे विपक्षी दल की मजबूती एनडीए के लिए चुनौती बनी हुई है। साथ ही, बिहार के जातीय और सामाजिक समीकरण महाराष्ट्र की तुलना में अधिक जटिल हैं, जिससे बिना जेडीयू के सरकार बनाने की संभावना बेहद कम है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान में करेंगे अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास
17 Dec, 2024 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राजस्थान सरकार के एक वर्ष पूर्ण होने पर मंगलवार, 17 दिसंबर को जयपुर के दादिया गांव मे आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम ‘एक वर्ष-परिणाम उत्कर्ष’ में भाग लेंगे। इस दौरान पीएम मोदी 46,300 करोड़ रुपये से अधिक की ऊर्जा, सड़क, रेलवे और जल से संबंधित 24 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। यह जानकारी भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी है। राजस्थान में पीएम मोदी 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की 9 परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे, जिसमें 7 केंद्र सरकार की परियोजनाएं और 2 राज्य सरकार की परियोजनाएं शामिल हैं और 35,300 करोड़ रुपये से अधिक की 15 परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे, जिसमें 9 केंद्र सरकार की परियोजनाएं और 6 राज्य सरकार की परियोजनाएं शामिल हैं। कार्यक्रम के दौरान जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा, उनमें नवनेरा बैराज, स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन नेटवर्क और एसेट प्रबंधन प्रणाली से जुड़ी परियोजनाएं, रेलवे भीलड़ी-समदड़ी-लूणी-जोधपुर-मेड़ता रोड-डेगाना-रतनगढ़ खंड का विद्युतीकरण और दिल्ली-वडोदरा ग्रीन फील्ड अलाइनमेंट (एनएच-148एन) (एसएच-37ए के जंक्शन तक मेज नदी पर प्रमुख पुल) परियोजना का 12 वां पैकेज शामिल है। ये परियोजनाएं लोगों के आवागमन को आसान करने और प्रधानमंत्री के हरित ऊर्जा के विज़न के अनुरूप राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेंगी। प्रधानमंत्री 9,400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से रामगढ़ बैराज और महलपुर बैराज के निर्माण कार्य तथा चंबल नदी पर नहर के माध्यम से नवनेरा बैराज से बीसलपुर बांध और ईसरदा बांध तक पानी स्थानांतरित करने की प्रणाली की आधारशिला रखेंगे। पीएम मोदी सरकारी कार्यालय भवनों की छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने, पूगल (बीकानेर) में 2000 मेगावाट के एक सौर पार्क और 1000 मेगावाट के दो चरणों के सौर पार्कों के विकास तथा सैपऊ (धौलपुर) से भरतपुर-डीग-कुम्हेर-नगर-कामाण और पहाड़ी तथा चंबल-धौलपुर-भरतपुर तक पेयजल आपूर्ति लाइन के रेट्रोफिटिंग कार्य का भी शिलान्यास करेंगे। इसके अतिरिक्त पीएम मोदी लूणी-समदड़ी-भीलड़ी डबल लाइन, अजमेर-चंदेरिया डबल लाइन और जयपुर-सवाई माधोपुर डबल लाइन रेलवे परियोजना के साथ-साथ अन्य ऊर्जा ट्रांसमिशन से संबंधित परियोजनाओं का भी शिलान्यास करेंगे।
मंत्री नहीं बनाने पर छगन भुजबल ने दिखाये बगावती तेवर
17 Dec, 2024 08:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने नई महायुति सरकार में शामिल नहीं किए जाने पर कहा कि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करने के बाद भविष्य की राह तय करेंगे। देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार में रविवार को महायुति के घटक दलों भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), शिवसेना और राकांपा के 19 विधायकों ने शपथ ली। कैबिनेट से 10 पूर्व मंत्रियों को हटा दिया गया और 16 नए चेहरों को शामिल किया गया है। पूर्व मंत्री भुजबल और राकांपा के दिलीप वलसे पाटिल एवं भाजपा के मुनगंटीवार और विजयकुमार गावित नए मंत्रिमंडल से बाहर किए गए कुछ प्रमुख नेता हैं। अपने भविष्य के कदम के बारे में पूछे जाने पर नासिक जिले के येओला निर्वाचन क्षेत्र के विधायक ने कहा, ‘‘मुझे देखने दीजिए। मुझे इस पर विचार करने दीजिए। मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों से बात करूंगा और समता परिषद के साथ चर्चा करूंगा।’’
महाराष्ट्र में सीएम का मामला निपटा तो मंत्रियों को लेकर फंसा पेंच?
16 Dec, 2024 08:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र में काफी दिनों की दुविधा के बाद रविवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। शपथ समारोह राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में आयोजित किया गया और यह ऐतिहासिक पल है, क्योंकि यह समारोह 30 वर्षों से अधिक समय के बाद नागपुर में आयोजित किया गया। रविवार को यहां 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। इसके बाद भी महाराष्ट्र में मंत्रियों को लेकर पेंच फंसा हुआ बताया जा रहा है। पहले सीएम पद को लेकर घमासान था इसके बाद मंत्री और विभाग को लेकर पूरी तरह मामला शांत नहीं होने की खबरें आ रहीं है।
राज्यपाल ने नागपुर में नवनिर्वाचित मंत्रियों को मंत्री पद की शपथ दिलाई, लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार शपथ लिए मंत्रियों का कार्यकाल पांच साल का नहीं, बल्कि ढाई साल का होगा और मंत्री पद का शपथ लेने के बाद उन्हें शपथ पत्र भी लिखना होगा। इसे लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के प्रमुख अजित पवार और शिवसेना (शिंदे गुट) प्रमुख एकनाथ शिंदे का बयान भी सामने आया है, लेकिन यह फॉर्मूला भाजपा के मंत्रियों पर लागू होगा या नहीं। यह अभी साफ नहीं है।
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल के विस्तार में कुछ नए चेहरों को मौका दिया गया तो कुछ पुराने चेहरे को दोबारा मंत्री बनाया गया है। इस बीच मंत्री पद नहीं मिलने से कुछ नेताओं में नाराजगी देखी गई है। राकांपा (अजित गुट) के दो वरिष्ठ नेताओं और पूर्व मंत्रियों छगन भुजबल और दिलीप वाल्से-पाटिल को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है।
उल्लेखनीय है कि कुल 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है। इनमें भाजपा के 19, राकांपा (अजित गुट) के नौ और शिवसेना शिंदे समूह के 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है। सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया। यह सत्र सोमवार से यहां शुरू होने वाला है। इन मंत्रियों में से 33 कैबिनेट रैंक के हैं, जबकि शेष छह राज्य मंत्री हैं। इनमें से 20 नए मंत्री हैं, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं।
भंडारा विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना विधायक भोंडेकर ने मंत्री पद नहीं मिलने पर शिवसेना उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही महागठबंधन के घटक दल आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने भी अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि हमसे एक कैबिनेट मंत्रालय और एक विधान परिषद का वादा किया गया था। पर वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है।
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी संकेत दिया है कि जिन नेताओं को मंत्री पद मिला है, वे केवल ढाई साल तक ही इस पद पर रह सकते हैं। उन्होंने एक पार्टी कार्यक्रम में भाषण के दौरान यह टिप्पणी की है लेकिन भाजपा में इस बात को लेकर संशय है कि इस फॉर्मूले का पालन किया जाएगा या नहीं।