राजनीति
ईस्टर के दिन चर्च पहुंचे भाजपा नेता सुरेश गोपी और राजीव चंद्रशेखर
20 Apr, 2025 05:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तिरुवनंतपुरम: केरल के त्रिशूर में ईस्टर के दिन केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने चर्चों का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने त्रिशूर आर्चडायोसिस मुख्यालय में आर्कबिशप मार एंड्रयूज थजाथ से मुलाकात की.
जानकारी के मुताबिक सुरेश गोपी ने त्रिशूर में पुथनपल्ली (अवर लेडी ऑफ लूर्डेस मेट्रोपॉलिटन कैथेड्रल) और ओल्लूर चर्च का दौरा किया. इसके बाद वे आर्चडायोसिस मुख्यालय गए, जहां आर्कबिशप मार एंड्रयूज थजाथ ने उनका स्वागत किया.
दोनों ने सद्भावना के संकेत के रूप में ईस्टर की मिठाइयों का आदान-प्रदान किया. आर्कबिशप मार एंड्रयूज थजाथ ने सुरेश गोपी की यात्रा पर खुशी व्यक्त की और सभी को ईस्टर की शुभकामनाएं दीं. इस मौके पर सुरेश गोपी ने कहा, "अगर आप गिर जाते हैं, तो ईस्टर यह संदेश देता है कि आपका पुनरुत्थान होगा ." उन्होंने आगे कहा, "आशा के बिना जीवन नहीं है. परिवार, राज्य और राष्ट्र सभी आशा के माध्यम से आगे बढ़ते हैं. ईस्टर यही संदेश लेकर आता है." सुरेश गोपी के साथ भारतीय जनता पार्टी (BJP) त्रिशूर शहर जिला अध्यक्ष जस्टिन जैकब और अन्य लोग भी मौजूद थे.
राजीव चंद्रशेखर ने पलायम लूर्डेस फोरेन चर्च का दौरा किया
ईस्टर के दिन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने पलायम लूर्डेस फोरेन चर्च का दौरा किया. उन्होंने सिरो-मालाबार चर्च के आर्कबिशप कार्डिनल मार जॉर्ज एलेनचेरी से मुलाकात की. दोनों ने ईस्टर की शुभकामनाएं दीं.राजीव चंद्रशेखर ने फेसबुक पर लिखा, "प्रभु यीशु द्वारा दिया गया प्रेम का महान संदेश और इस पवित्र दिन का आशीर्वाद हमें एक विकसित केरल की ओर ले जाए."
केरल का दौरा कल से शुरू होगा
बता दें कि राजीव चंद्रशेखर का राज्यव्यापी दौरा कल से शुरू होगा, जिसमें 'विकास केरलम' सम्मेलन और जिला नेतृत्व बैठकें शामिल होंगी. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका संभालने के बाद यह उनका पहला राज्य स्तरीय दौरा है। कार्यक्रम 21 अप्रैल से 10 मई तक चलेंगे
जिला कोर कमेटी के सदस्य और मंडलम अध्यक्ष बैठकों और सम्मेलनों में भाग लेंगे
सभी जिलों में आयोजित विकास केरलम सम्मेलनों के दौरान राजीव भाजपा के "मिशन 2025" को प्रस्तुत करेंगे. 21 अप्रैल को सुबह त्रिशूर सिटी जिले में और दोपहर में त्रिशूर दक्षिण जिले में सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. 22 अप्रैल को सुबह मलप्पुरम पश्चिम और शाम को त्रिशूर उत्तर में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. कार्यक्रमों का समापन 10 मई को पलक्कड़ पश्चिम जिले में एक सम्मेलन के साथ होगा.
क्या है अनुच्छेद 142, जिसको जगदीप धनखड़ ने बताया 'परमाणु मिसाइल'? कपिल सिब्बल ने की उपराष्ट्रपति की आलोचना
20 Apr, 2025 04:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बीते गुरुवार को राष्ट्रपति द्वारा राज्यों की ओर से पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की. वह तमिलनाडु राज्य बनाम राज्यपाल मामले में 8 अप्रैल के फैसले का जिक्र कर रहे थे, जिसे पूरे भारत में राज्यों की जीत के रूप में देखा गया था.राज्यों द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने के लिए भारत के राष्ट्रपति द्वारा समयसीमा निर्धारित करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए धनखड़ ने न्यायपालिका द्वारा जवाबदेही का आह्वान किया. उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 को न्यायपालिका के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल के रूप में भी वर्णित किया.
अनुच्छेद 142 क्या है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के प्रयोग में ऐसा आदेश पारित कर सकता है या ऐसा आदेश दे सकता है जो उसके समक्ष लंबित किसी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक हो.इसका मतलब है कि यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी भी मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कोई भी आदेश पारित करने या कोई भी निर्णय देने की विवेकाधीन शक्ति देता है. सु्प्रीम कोर्ट की पूर्ण शक्ति के रूप में भी जाना जाता है.यह अनुच्छेद सुप्रीम कोर्ट को किसी व्यक्ति को न्यायालय में पेश करने, न्यायालय में किसी भी दस्तावेज की खोज या न्यायालय की अवमानना के लिए किसी को दंडित करने के उद्देश्य से कोई भी आदेश देने की शक्ति देता है.
आर्टिकल 142 से जुड़े कुछ फैसले
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने 142 का इस्तेमाल करते हुए ही रामलला को जमीन देने का आदेश दिया. साथ ही मुस्लिम पक्ष को भी 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया था. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बोफोर्स घोटाले में भी इसी अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए एक आरोपी को राहत दी थी.सहारा-सेबी केस में भी सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छे 142के तहत मिली अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया था. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अंडरट्रायल निवेशकों को पैसा वापस दिलवाने के लिए सहारा ग्रुप की संपत्तियों की बिक्री के आदेश दिए थे. इसकी तरह यूनियन कार्बाइड गैस त्रासदी के मामलों में भी कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत कंपनियों को राहत दी.
BJP सांसदों की सुप्रीम कोर्ट टिप्पणी पर कांग्रेस ने भाजपा पर निशाना साधा, कहा-पार्टी डैमेज कंट्रोल में लगी है
20 Apr, 2025 03:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: कांग्रेस ने रविवार को भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिक पर की गई कथित टिप्पणियों से खुद को अलग करने को डैमेज कंट्रोल बताया. साथ ही कहा कि उनके खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई पार्टी से उनका निष्कासन होना चाहिए.
विपक्षी दल ने यह भी पूछा कि दोनों सांसदों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई और उन्हें कारण बताओ नोटिस क्यों नहीं जारी किया गया. कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि बीजेपी के दो सांसदों द्वारा न्यायपालिका पर की गई टिप्पणी के बाद पार्टी अध्यक्ष का उनसे किनारा करना कोई मायने नहीं रखता है. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि नड्डा वैसे भी जाने वाले हैं.
रमेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'जब नफरत फैलाने वाले भाषण की बात आती है तो ये सांसद बार-बार अपराध करते हैं और अक्सर जी2 द्वारा समुदायों, संस्थाओं और व्यक्तियों पर हमला करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है. भाजपा अध्यक्ष का स्पष्टीकरण कुछ और नहीं बल्कि डैमेज कंट्रोल है.'
'निवर्तमान भाजपा अध्यक्ष' न्यायपालिका पर अस्वीकार्य टिप्पणियों पर पूरी तरह से चुप हैं. कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि संविधान पर बार-बार हो रहे हमलों पर पीएम मोदी की चुप्पी एक तरह से मौन समर्थन है क्योंकि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई भी नहीं की गई. उन्होंने पूछा क्या नड्डा जी ने इन दोनों सांसदों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है?'
कांग्रेस महासचिव मुकुल वासनिक ने रमेश की एक्स पर टिप्पणी को टैग किया और कहा कि सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ 'सबसे घृणित टिप्पणी' करने वाले भाजपा सांसदों के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई उन्हें पार्टी से निष्कासित करना है. वासनिक ने कहा, 'लेकिन क्या भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष सांसदों को चेतावनी देने से आगे कुछ करेंगे? हम जानते हैं कि कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.'
भाजपा ने शनिवार को दुबे और शर्मा द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आलोचना से खुद को अलग कर लिया और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन टिप्पणियों को उनका निजी विचार बताया. नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि पार्टी का सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिका के ऊपर की गई टिप्पणी से कोई वास्ता नहीं है. ये उनकी निजी टिप्पणियां हैं. बीजेपी उन दोनों सांसदों की टिप्पणी से सहमति नहीं रखती है किसी भी तरह से समर्थन नहीं करती है.'
'नीतीश नहीं तो कोई नहीं', क्या बिहार में फिर से 'दुलरुआ' के सामने होंगे PM मोदी के 'हनुमान'?
20 Apr, 2025 10:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना. क्या बिहार चुनाव 2025 में ‘दुलरुआ’ वर्सेज ‘हनुमान’ में फिर से जंग देखने को मिलगा? बिहार की राजनीति में पिछले कुछ दिनों से हलचल अचानक से बढ़ गई है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर सियासत पहले से ही तेज थी, लेकिन अब केंद्रीय मंत्री और एलजेपी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान की भी मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा ने माहौल को गर्मा दिया है. पीएम मोदी के ‘हनुमान’ ने सर्वे रिपोर्ट के उत्साह में आकर बड़ी बात कह दी है, जिससे पीएम मोदी के ‘दुलरुआ’ यानी नीतीश कुमार को मिर्ची लग सकती है. दूसरी ओर नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार का दावा है कि उनके पिता ही एनडीए के मुख्यमंत्री उम्मीदवार होंगे. ‘नीतीश नहीं तो कोई नहीं’ वाला बयान एनडीए में तूफान मचा सकता है. चिराग पासवान की एंट्री ने इसमें और नया ट्विस्ट दे दिया है.
इस बार के बिहार चुनाव में युवा नेतृत्व की पूरी फौज उतरने जा रही है, जिसमें प्रशांत किशोर, तेजस्वी यादव, चिराग पासवान, निशांत कुमार, मुकेश सहनी और पूर्व आईपीएस शिवदीप लांडे जैसे चेहरे शामिल हैं. निशांत कुमार के बयान के बाद चिराग पासवान भी एनडीए के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करने में जुट गए हैं. चिराग ने हाल के बयानों में नीतीश के नेतृत्व पर सीधा सवाल तो नहीं उठाया, लेकिन उनकी सक्रियता और युवा वोटरों को लुभाने की कोशिशें यह संकेत देती हैं कि वह भविष्य में बड़ी भूमिका की तैयारी में हैं. सी वोटर के हाल के सर्वे में उनकी लोकप्रियता में 2% की बढ़ोतरी से वह काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
क्या नया सियासी समीकरण बनने जा रहा है?
दूसरी ओर, बीजेपी की चुप्पी इस सियासी ड्रामे को और रहस्यमय बनाती है. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के बयान, जिसमें उन्होंने सम्राट चौधरी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही थी, ने जेडीयू खेमे में हड़कंप मचा दिया. हालांकि, बीजेपी ने बाद में स्पष्ट किया कि नीतीश ही एनडीए का चेहरा होंगे, लेकिन संसदीय बोर्ड की मंजूरी की शर्त ने संदेह के बीज बो दिए. नीतीश कुमार की उम्र और स्वास्थ्य को लेकर विपक्ष, खासकर तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर, लगातार सवाल उठा रहे हैं.
सर्वे से बिहार में भूचाल?
हाल के सर्वे में नीतीश की लोकप्रियता में 3% की गिरावट देखी गई, जबकि तेजस्वी पहले और प्रशांत किशोर दूसरे स्थान पर हैं. वक्फ बिल पर नीतीश के बीजेपी के समर्थन ने उनके मुस्लिम वोट बैंक को भी नाराज किया है, जिससे जेडीयू की स्थिति कमजोर हो सकती है. बीजेपी के पास बिहार में जेडीयू से ज्यादा सीटें हैं और वह महाराष्ट्र की तर्ज पर अपना मुख्यमंत्री लाने की रणनीति बना सकती है. सम्राट चौधरी का नाम लव-कुश समीकरण के तहत उछाला जा रहा है, लेकिन नीतीश के कद का कोई नेता बीजेपी के पास अभी नहीं है. बीजेपी की चुप्पी इस बात का संकेत हो सकती है कि वह माहौल भांप रही है.
चिराग पासवान क्या फिर करेंगे खेला?
दूसरी ओर, चिराग पासवान एनडीए में अपनी पार्टी की सीटों की संख्या बढ़ाने और युवा वोटरों को आकर्षित करने की कोशिश में हैं. 2020 में नीतीश की सीटें कम करने में उनकी भूमिका अहम थी और अब वह केंद्र में मंत्री होने का फायदा उठाकर बिहार में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं. अगर बीजेपी नीतीश को ही चेहरा बनाए रखती है तो एनडीए 2010 जैसा बहुमत हासिल करने की कोशिश करेगा. लेकिन नीतीश की घटती लोकप्रियता और मुस्लिम वोटों का नाराज होना चुनौती है. अगर बीजेपी सम्राट चौधरी या किसी अन्य नेता को आगे लाती है तो जेडीयू के साथ गठबंधन टूट सकता है. नीतीश के पास अभी भी विपक्ष के साथ जाने का विकल्प बचा है, हालांकि यह मुश्किल लगता है.
कुल मिलाकर बिहार की सियासत में नीतीश कुमार का अनुभव, बीजेपी की रणनीति, चिराग की महत्वाकांक्षा, नए युवा नेताओं का उभार और विपक्ष की आक्रामकता मिलकर एक जटिल सियासी समीकरण बना रहे हैं. फिलहाल, नीतीश का नेतृत्व एनडीए का आधिकारिक चेहरा बना हुआ है, लेकिन बीजेपी के अगले कदम और चुनावी सर्वे इस खेल को नई दिशा दे सकते हैं.
न्यायपालिका का आदेश सिर माथे! दुबे और शर्मा के बयानों से बीजेपी का लेना-देना नहीं, नड्डा की सफाई
20 Apr, 2025 09:38 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: अपने सांसदों की ओर से सुप्रीम कोर्ट पर चलाए गए तीरों से भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने खुद को दो टूक शब्दों में अलग कर लिया. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सांसद निशिकांत दुबे और राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा के बयान पूरी तरह व्यक्तिगत हैं और पार्टी इनसे कोई इत्तेफाक नहीं रखती. जेपी नड्डा ने एक स्पष्ट संदेश देते हुए कहा, ‘इन बयानों से न तो भाजपा का कोई लेना-देना है और न ही पार्टी कभी भी ऐसे विचारों का समर्थन करती है. हम इन बयानों को सिरे से खारिज करते हैं.’ बीजेपी का यह स्टैंड ऐसे समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट और संविधानिक संस्थाओं को लेकर बयानबाज़ी बढ़ती जा रही थी. नड्डा ने कहा कि उन्होंने दोनों नेताओं को और पार्टी के सभी जनप्रतिनिधियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि भविष्य में ऐसी कोई टिप्पणी न करें जो न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाए.
न्यायपालिका पर BJP का स्टैंड साफ
नड्डा ने जोर देकर कहा कि भाजपा हमेशा से न्यायपालिका का सम्मान करती आई है. उन्होंने कहा, ‘हमने सुप्रीम कोर्ट समेत सभी अदालतों के आदेशों और सुझावों को सहर्ष स्वीकार किया है. लोकतंत्र में न्यायपालिका संविधान की आत्मा है और भाजपा उसे पूरी श्रद्धा से मानती है.’ पार्टी अध्यक्ष का यह बयान न केवल संगठन की लाइन क्लियर करता है, बल्कि उन आलोचनाओं को भी शांत करने की कोशिश है जो पार्टी के सांसदों के विवादित बयानों के बाद उठी थीं.
क्या था मामला?
दुबे ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर एक के बाद एक विवादास्पद टिप्पणियां की थीं. उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाए, तो संसद को बंद कर देना चाहिए. इसके बाद उन्होंने देश के मुख्य न्यायाधीश पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें ‘सिविल वॉर’ का जिम्मेदार ठहराया था. राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी अदालतों की भूमिका पर सवाल उठाए थे, जिसके बाद विपक्ष और कानूनी समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस ने इन बयानों को ‘मानहानिपूर्ण’ और ‘लोकतंत्र के खिलाफ’ बताया.
विपक्ष हमलावर, कोर्ट सख्त
कांग्रेस के जयराम रमेश और इमरान मसूद जैसे नेताओं ने सीधे तौर पर भाजपा पर आरोप लगाया कि वह संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट को इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि उसने चुनाव आयोग, वक्फ एक्ट और इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे मामलों में सरकार से जवाब मांगा है.
राज ठाकरे ने उद्धव से गठबंधन के लिए बढ़ाया हाथ, शिवसेना UBT प्रमुख ने दिए ये संकेत
20 Apr, 2025 08:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे ने भाई और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ गठबंधन पर बड़ा बयान देकर महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है. राज ठाकरे ने अभिनेता महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में गठबंधन के संकेत दिए. वहीं, उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे के गठबंधन के प्रस्ताव पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है.मुंबई में कामगार सेना के एक कार्यक्रम के दौरान, उद्धव ठाकरे ने कहा कि, वह राज ठाकरे के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं. ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि, क्या दोनों भाई हाथ मिलाएंगे और क्या पूरे महाराष्ट्र का सपना पूरा होगा.
मुंबई में कामगार सेना के कार्यक्रम के दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि, वे भी छोटे-मोटे विवादों को छोड़कर साथ आने के लिए तैयार हैं. वे सभी से महाराष्ट्र के हित में और सभी मराठी लोगों के हित में साथ आने की अपील भी कर रहे हैं. हालांकि, इसमें उनकी एक शर्त है, जब वे लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि महाराष्ट्र की परियोजनाओं को गुजरात ले जाया जा रहा है. ठाकरे ने कहा कि, अगर हमने उस समय इसका विरोध किया होता, तो आज यहां मराठी लोगों के हित में सरकार बनती. यह सरकार महाराष्ट्र में भी नहीं बनती.
उन्होंने कहा, "मैं महाराष्ट्र के हित के खिलाफ बोलने वाले किसी भी व्यक्ति को मनोरंजन नहीं दूंगा और मैं उसे अपने घर नहीं बुलाऊंगा. मैं उसके साथ कतार में नहीं बैठूंगा. पहले यह तय करें और फिर महाराष्ट्र के हित में काम करें." उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण के दौरान यह बात कही.
दिग्गज अभिनेता महेश मांजरेकर ने इंटरव्यू में राज ठाकरे से सीधा सवाल पूछा, "क्या उद्धव ठाकरे और आप साथ आएंगे?" इस सवाल पर कोई टालमटोल किए बिना या इस सवाल पर बात करने से बचते हुए राज ठाकरे ने महेश मांजरेकर के सवाल का जवाब दिया.
इस इंटरव्यू के दौरान राज ठाकरे का यह जवाब कि, महाराष्ट्र के मुद्दों और समस्याओं के सामने हमारे मतभेद और विवाद मामूली हैं, ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू कर दी है. महेश मांजरेकर के सवाल का जवाब देते हुए राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र बहुत बड़ा है. इस राज्य के लोगों के मुद्दों और समस्याओं के सामने हमारे दोनों भाइयों के बीच मतभेद और विवाद बहुत मामूली हैं.
मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने जवाब दिया, महाराष्ट्र में मराठी लोगों के अस्तित्व के सामने ये सारी बातें महत्वहीन हैं. मुझे नहीं लगता कि हमारे लिए एक साथ आना और साथ रहना बहुत मुश्किल है. मुद्दा केवल इच्छाशक्ति का है. क्योंकि यह सिर्फ मेरे तक सीमित नहीं है. मेरी राय है कि सभी मराठी लोगों को एक साथ आना चाहिए और एक पार्टी बनानी चाहिए."
भ्रष्टाचार को लेकर नीतीश सरकार पर जोरदार राजनीतिक हमला बोलते तेजस्वी बोले- सबका 30% कमीशन होता है फिक्स
19 Apr, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शनिवार को भ्रष्टाचार को लेकर नीतीश कुमार की सरकार पर जोरदार राजनीतिक हमला बोला। उन्होंने साफ कहा कि भ्रष्टाचार इतना व्याप्त है कि सभी विभागों में टेंडर जारी किए जा रहे हैं, जिसमें सभी विभागीय मंत्रियों के लिए 30 प्रतिशत कमीशन तय है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें इससे चुनाव खर्च चलाना है।
पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि वे चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, उनकी सरकार नहीं बनने वाली है। इसीलिए जल्दबाजी में टेंडर जारी किए जा रहे हैं। महज तीन महीने में हुई कैबिनेट की बैठक में सिर्फ 76 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसमें ज्यादातर योजनाएं निर्माण से जुड़ी हैं।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि सरकार हर साल 25 से 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चुकाती है। ब्याज की बात तो छोड़ ही दीजिए। बिहार सरकार सरकारी खजाने से चुनाव के लिए यात्रा और राजनीतिक प्रचार कर रही है। जनता इसका जवाब मांग रही है। अब महिला संवाद किया जा रहा है, जिसके लिए दिल्ली से 600 वैन यहां बुलाई गई हैं। नल के पानी में भी बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। कई गांवों में अभी तक नल का पानी नहीं पहुंचा है।
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने साफ कहा-जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, मुसलमान विरोध प्रदर्शन करते रहेंगे
19 Apr, 2025 07:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वक्फ कानून के खिलाफ मुस्लिम संगठनों ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी साफ-साफ कह दिया है कि जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, मुसलमान विरोध करते रहेंगे। आज हैदराबाद में वक्फ कानून के खिलाफ बड़ा विरोध प्रदर्शन होने जा रहा है। विरोध प्रदर्शन से पहले ओवैसी ने केंद्र सरकार को अल्टीमेटम दिया है। इंडिया टीवी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने मोदी सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर चल रही सुनवाई को लेकर अपनी राय रखी। असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब बिल संसद में लाया गया था, तब हमने इसका पुरजोर विरोध किया था। जेपीसी की बैठक में विपक्षी दलों ने एक स्वर में 44 संशोधनों का विरोध किया था। लेकिन बीजेपी के पास बहुमत है और हमारे विरोध के बावजूद बिल संसद से पास हो गया।
संविधान बचाओ-वक्फ बचाओ हमारा नारा
ओवैसी ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसी तर्ज पर विरोध किया। ओवैसी ने कहा कि यूपीए सरकार 10 साल तक सत्ता में रही और एनडीए सरकार भी 10 साल से ज्यादा समय से सत्ता में है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि विपक्षी दलों ने इतने बड़े पैमाने पर किसी बिल के खिलाफ वोट किया हो. विपक्षी दलों ने वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया। यह एक बड़ा संदेश है कि देश ने वक्फ संशोधन विधेयक को स्वीकार नहीं किया है। ओवैसी ने विरोध के कारणों का जिक्र करते हुए कहा कि मुसलमानों की वक्फ संपत्ति छीनी जा रही है. हमारा एक ही नारा है 'संविधान बचाओ, वक्फ बचाओ'। उन्होंने कहा कि यह काला कानून है और सरकार को इसे वापस लेना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में है और अब देखना यह है कि सुप्रीम कोर्ट में कितना समय लगता है।
हम पहले दिन से कह रहे थे कि ऐसा मत करो
ओवैसी ने कहा कि हम पहले दिन से कह रहे थे कि ऐसा मत करो. संविधान में जो अधिकार हिंदुओं को दिए गए हैं, वही अधिकार मुसलमानों के वक्फ बोर्ड को दिए जाने चाहिए, लेकिन अगर आप इसके खिलाफ काम करेंगे तो इसके खिलाफ आवाज उठेगी। बीच का रास्ता निकालने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अब बीच का रास्ता निकालने का सवाल ही नहीं उठता। सरकार ने इस संबंध में किसी भी स्टेक होल्डर से कोई राय नहीं ली। बिल बनाने से पहले सरकार एक नोटिफिकेशन देती है कि लोग अपनी राय दें, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
अन्य स्टेक होल्डर को क्यों नहीं बुलाया गया?
पीएम मोदी के पिछले तीन सालों से दाऊदी बोहरा समुदाय के संपर्क में रहने के मुद्दे पर ओवैसी ने कहा कि पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने वक्फ संशोधन बिल पर दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रमुख से चर्चा की। फिर अन्य स्टेक होल्डर को क्यों नहीं बुलाया गया? यह कैसी प्रक्रिया है कि पिक एंड चूज के बाद दिया गया?
झारखण्ड मंत्री हसन के बयान पर आग-बबूला हुए बीजेपी नेता पूनावाला, बोले- वो विध्वंसक हैं
19 Apr, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शुक्रवार को झारखंड के मंत्री हफीजुल हसन पर पहले शरिया और फिर संविधान पर दिए गए विवादित बयान को लेकर निशाना साधा और उन्हें सीरियल क्रिमिनल बताया।
उनके लिए शरिया संविधान से ऊपर है
भाजपा नेता ने कहा कि एक सप्ताह पहले उन्होंने कहा था कि उनके लिए शरिया संविधान से ऊपर है। अब वे कहते हैं, आपने वक्फ संशोधन अधिनियम लाकर मुसलमानों को परेशान किया है। हम सड़कों पर उतरेंगे और लोगों को पीटेंगे। मुसलमानों में सब्र है, लेकिन वे कब्र में नहीं हैं।
वे संविधान के रक्षक हैं या विध्वंसक
पूनावाला ने कहा कि जो लोग ऐसी बातें कहते हैं, वे संविधान के रक्षक हैं, वे संविधान के विध्वंसक हैं। उन्होंने कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर बंगाल में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद वक्फ के नाम पर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा भड़काने का भी आरोप लगाया।
मेरी रचना का गलत अर्थ निकाला जा रहा है- मंत्री
अपनी विवादित टिप्पणी पर सफाई देते हुए हफीजुल हसन ने कहा कि मेरी रचना का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। एक मंत्री संविधान में विश्वास करता है और उसके अनुसार काम करता है। हसन ने अपना बचाव करते हुए कहा कि अन्य धर्मों की तरह शरीयत भी लोगों के दिलों में जगह रखती है, लेकिन यह संविधान की जगह नहीं लेती।
शादी के बंधन में बंधे भाजपा नेता दिलीप घोष और बीजेपी महिला मोर्चा की नेता रिंकू मजूमदार
19 Apr, 2025 01:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शुक्रवार रात कोलकाता में खास जश्न का माहौल था। भाजपा के दिग्गज नेता दिलीप घोष ने 61 साल की उम्र में नई जिंदगी की शुरुआत की और भाजपा महिला मोर्चा की नेता 47 वर्षीय रिंकू मजूमदार के साथ शादी के बंधन में बंध गए। यह निजी समारोह बेहद सादगी से आयोजित किया गया। इस मौके पर टीएमसी महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दिल को छू लेने वाला संदेश लिखकर उन्हें बधाई दी। अभिषेक ने लिखा- दिलीप घोष और श्रीमती रिंकू मजूमदार को बधाई। प्यार का अपना समय और लय होती है। आपकी यह एकता उस खूबसूरत सच्चाई को दर्शाती है। नई शुरुआत के लिए शुभकामनाएं। इस शादी की खबर ने कोलकाता के राजनीतिक गलियारों में गर्माहट ला दी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी समारोह से पहले दिलीप घोष को फूलों का गुलदस्ता और बधाई पत्र भेजा और शुभकामनाएं दीं। यह छोटा सा इशारा राजनीतिक मतभेदों के बीच भी मानवीय रिश्तों की गर्मजोशी को दर्शाता है।
दिलीप घोष को मिली दोहरी खुशी
शादी का जश्न अभी खत्म भी नहीं हुआ था और अगले दिन शनिवार को दिलीप घोष का जन्मदिन आ गया। उन्होंने इस खास दिन को न्यूटाउन स्थित अपनी पसंदीदा जगह इको पार्क में मनाया। सुबह की ताजगी में वह पार्क में टहलने निकले और हरियाली के बीच समय बिताया। इसके बाद उन्होंने अपने करीबी दोस्तों, राजनीतिक सहयोगियों और शुभचिंतकों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। इको पार्क के एक कोने में एक छोटी सी सभा आयोजित की गई, जहां केक काटा गया और मिठाइयों में पाई का स्वाद भी शामिल था। इस अवसर पर माहौल खुशनुमा और उत्साह से भरा हुआ था। दिलीप घोष की यह नई शुरुआत न केवल उनके निजी जीवन के लिए खास है, बल्कि उनके समर्थकों के लिए भी प्रेरणादायक है। शादी और जन्मदिन के इस दोहरे जश्न ने उनके प्रशंसकों को एक साथ जश्न मनाने का मौका दिया। दोपहर में वह अपनी नई जीवन संगिनी रिंकू मजूमदार के साथ खड़गपुर के लिए रवाना हुए, जहां उनके समर्थक उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब हैं। अभिषेक बनर्जी का यह संदेश राजनीतिक जगत में एक सकारात्मक मिसाल बन गया है। जहां एक ओर राजनीतिक दल एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी करते हैं, वहीं अभिषेक का यह संदेश दर्शाता है कि खुशी के मौकों पर मानवता और सम्मान की भावना बनी रहनी चाहिए। दिलीप घोष और रिंकू मजूमदार का यह नया सफर न केवल उन्हें बल्कि सभी को यह संदेश देता है कि प्यार और जिंदगी की कोई समय सीमा नहीं होती।
24 अप्रैल को पटना में होने वाली महागठबंधन की दूसरी बैठक संपन, पर 20 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे होंगे बिहार दौरे पर, आखिर इस दौरे का क्या है कारण?
19 Apr, 2025 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना/बक्सर। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के मद्देनजर 24 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की दूसरी बैठक होगी। इस बार बैठक कांग्रेस कार्यालय सदाकत आश्रम में प्रस्तावित है जिसमें भारत प्रखंड समन्वय समिति के सभी सदस्य बैठक में शामिल होंगे। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलवरु, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम समेत वाम दलों के तमाम प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल होंगे। वहीं इस बैठक में विकासशील इंसान पार्टी के संरक्षक मुकेश सहनी भी मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि सीट शेयरिंग को लेकर यह महागठबंधन की पहली औपचारिक बैठक होगी।
वहीं इस बैठक में गठबंधन के बीच चुनावी मुद्दों को अंतिम रूप दिया जाएगा। वहीं जिला और प्रदेश स्तर पर सभी दलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करने पर भी बात होगी, जबकि इससे पहले 20 अप्रैल को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बक्सर और पटना पहुंचेंगे और कांग्रेस के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे। जानकारी के मुताबिक मल्लिकार्जुन खड़गे 'जय भीम, जय संविधान' कार्यक्रम में शामिल होंगे. इसको लेकर कांग्रेस ने शाहाबाद क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने के लिए बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया है।
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश राम ने सभा स्थल का निरीक्षण किया और 20 अप्रैल को मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यक्रम की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे का यह दौरा आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है. जानकारी के मुताबिक मल्लिकार्जुन खड़गे 20 अप्रैल को बक्सर के दल सागर मैदान में आयोजित जय बापू जय भीम जय संविधान कार्यक्रम में शामिल होने के बाद पटना के बापू सभागार में संविधान सुरक्षा कार्यक्रम में शामिल होंगे. आपको बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर इस बार कांग्रेस पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रही है. इसी कड़ी में राहुल गांधी पिछले 4 महीने में 3 बार बिहार का दौरा कर चुके हैं और अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी बिहार पहुंच रहे हैं।
बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार पासवान, जुड़ने के दिए संकेत
19 Apr, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बड़ा बयान देते हुए बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि वह लंबे समय तक केंद्रीय राजनीति में नहीं रहना चाहते और बिहार उन्हें बुला रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चिराग पासवान का यह बयान काफी अहम है। आपको बता दें कि चिराग पासवान लगातार 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' की मुहिम चलाते रहे हैं, ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या चिराग पासवान बिहार चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं? क्या वह बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं? आपको बता दें कि चिराग पासवान ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा, मेरा राज्य मुझे बुला रहा है, "मेरे पिता केंद्रीय राजनीति में ज्यादा सक्रिय थे, लेकिन मेरी प्राथमिकता बिहार है और मैं ज्यादा समय तक केंद्र में नहीं रहना चाहता।" आपको बता दें कि चिराग पासवान हमेशा से ही बिहार के प्रति अपने प्रेम को बार-बार जाहिर करते रहे हैं। यहां आपको यह भी बता दें कि चिराग पासवान ने राजनीति में अपना डेब्यू साल 2013 में किया था, जब उन्होंने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' का नारा दिया था और उन्होंने बिहार में कई युवाओं से मुलाकात की थी। पटना में उन्होंने शिक्षकों से मुलाकात की और युवाओं से जुड़े मुद्दे उठाते रहे।
चिराग पासवान के बयान के बड़े राजनीतिक मायने
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान के यह कहने के बाद कि बिहार उनकी प्राथमिकता है, वे सीधे तौर पर इस बात का संकेत दे रहे हैं कि वे बड़ी भूमिका चाहते हैं और बड़ी भूमिका के साथ बिहार की राजनीति करना चाहते हैं। आपको बता दें कि इन दिनों वे बिहार के कई जिलों में भी जा रहे हैं और 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' को लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। लोजपा (रामविलास) के कार्यकर्ताओं की बात करें तो वे लगातार मांग करते हैं कि चिराग पासवान बिहार में सक्रिय भूमिका में आएं। उनकी सभाओं में युवाओं की उमड़ती भीड़ और कार्यकर्ताओं की मांग के बाद चिराग पासवान के इस बयान के बड़े राजनीतिक मायने हैं।
बिहार चुनाव से पहले एनडीए के अंदर नई राजनीति
आपको बता दें कि एनडीए ने बिहार में विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ने का ऐलान किया है। चिराग पासवान भी कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं कि बिहार चुनाव सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। लेकिन, इस बीच उनके इस बयान ने जहां बिहार की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है, वहीं एनडीए के अंदर उथल-पुथल भी मचा सकती है। दरअसल जेडीयू लगातार 2025 से 2030 तक एक बार फिर नीतीश के नारे के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में उतर रही है। वहीं अगर चिराग पासवान बिहार की राजनीति में सक्रिय होते हैं तो राज्य में और एनडीए के अंदर एक नई तरह की राजनीति देखने को मिल सकती है।
सिंधिया का ममता सरकार पर तीखा हमला, "सत्ता में रहने का कोई हक नहीं"
18 Apr, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंदौर: देश की संसद से पास नए वक्फ कानून का विरोध देश के कई हिस्सो में देखने मिल रहा है. वक्फ कानून के विरोध में सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में देखने मिली. इस हिंसा को शांत करने के बजाए खुद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस नए कानून का विरोध जता रही हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार को मध्य प्रदेश के इंदौर पहुंचे. जहां उन्होंने बंगाल के मुर्शिदाबाद में हो रही हिंसा को लेकर ममता बनर्जी पर निशाना साधा.
ममता सरकार पर सिंधिया का निशाना
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को आड़े हाथों लिया. सिंधिया ने कहा कि "जिस प्रदेश की सरकार एक अमन-चैन का वातावरण तैनात नहीं कर सकती. उस प्रदेश की सरकार को सरकार में रहने का औचित्य नहीं है." रतलाम में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर पहुंचे थे.
मणिपुर पर क्या बोले सिंधिया
इस दौरान उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर जारी बैठक और आगामी रणनीति को लेकर भी बताया. सिंधिया द्वारा किए गए पूर्वोत्तर के दौरे के दौरान उनकी राज्यपाल से चर्चा हुई है. इसके अलावा उत्तर पूर्व काउंसिल की आठ कमेटी के आगामी फैसलों पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा आने वाले दिनों में केंद्र सरकार द्वारा मणिपुर का विकास किया जाएगा. इसके अलावा मणिपुर के विकास के लिए पूर्वोत्तर काउंसिल की आठ समितियों को भी निर्देश दिए गए हैं.
केंद्र ने की नार्थ ईस्ट काउंसिल गठित
गौरतलब है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है. हालांकि यहां एक बार फिर हिंसा भड़क रही है. 8 मार्च को यहां फ्री ट्रैफिक मूवमेंट की शुरुआत की गई थी, लेकिन इसके बाद भी कई जिलों में हिंसा भड़की है. इसके अलावा यहां सुरक्षा बलों और आम लोगों के बीच हुई मुठभेड़ में एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो चुकी है. जबकि आगजनी में यहां लाखों रुपए का नुकसान हो चुका है. इसके बावजूद भी मणिपुर में फिलहाल हालात सामान्य नहीं है. जिसे लेकर केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल गठित की है.
8 राज्यों के मुख्यमंत्री के जिम्मे शांति बहाली
जिसमें अलग-अलग राज्यों के आठ मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मणिपुर में शांति बहाली और विकास के मुद्दों पर बैठक के बाद समिति केंद्र सरकार को अपनी राय भेजेगा. इधर केंद्र सरकार भी मणिपुर में शांति बहाली और विकास को लेकर अपनी अलग रणनीति लेकर चल रही है. जिसे लेकर अब केंद्र सरकार सक्रिय नजर आ रही है.
महागठबंधन की तैयारी: सीएम सस्पेंस से बिहार में बदलाव की उम्मीद
18 Apr, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच महागठबंधन में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। तेजस्वी यादव की अगुवाई में गठबंधन ने कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई है। सीट बंटवारे को लेकर भी आरजेडी और कांग्रेस में मतभेद हैं। कांग्रेस की रणनीति बिना सीएम चेहरे के चुनाव लड़ने की है, जबकि आरजेडी तेजस्वी यादव को सीएम चेहरा बनाना चाहती है। बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक दलों के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है। आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की एक के बाद एक बैठक हो रही है, लेकिन सीएम चेहरे पर सस्पेंस बना हुआ है। दिल्ली के बाद पटना में हुई बैठक में महागठबंधन को पशुपति पारस के रूप में नया साथ मिल गया है, तो मुकेश सहनी मजबूती से खड़े नजर आ रहे हैं। महागठबंधन की पटना में गुरुवार को हुई बैठक में एक कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने का फैसला किया। इस कमेटी के अध्यक्ष आरजेडी नेता तेजस्वी यादव होंगे। इस तरह से तेजस्वी यादव 2025 के चुनाव में महागठबंधन में लीड रोल में रहेंगे, लेकिन सीएम पद के चेहरे का सवाल जस का तस बना रहा। कांग्रेस तेजस्वी को सीएम का चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती, जो उसकी रणनीति का हिस्सा नहीं है। बिहार की राजधानी पटना में महागठबंधन की ढाई घंटे तक बैठक चली। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में हुई बैठक में एलजेपी (आर) के प्रमुख पशुपति पारस के महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया गया। बैठक में यह तय हुआ कि महागठबंधन में तालमेल बिठाने के लिए एक कोआर्डिनेशन कमेटी गठित की जाएगी, जिसे लीड तेजस्वी यादव करेंगे और इस कमेटी में सभी दलों के सदस्य होंगे। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा कि विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन एकता और स्पष्टता के साथ चुनाव लड़ेगा। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन बिहार की जनता के मुद्दों पर चुनाव लड़ेगा। हालांकि, सीएम चेहरे के सवाल पर अल्लापरु गोल-मोल जवाब देते नजर आए और तेजस्वी के नाम पर मुहर नहीं लगाई। हां एक बात जरूर कही कि तेजस्वी यादव के अगुवाई में महागठबंधन चुनाव लड़ेगी। वहीं, सीएम फेस पर सहमति नहीं बनने के सवाल तेजस्वी यादव ने कहा कि महागठबंधन में कोई चिंता नहीं है। चिंता एनडीए गठबंधन के लोगों को होनी चाहिए। मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार पर उन्होंने कहा कि एक ही दिन में सब कुछ घोषणा नहीं होगी, थोड़ा इंतजार का मजा लीजिए। इस दौरान उन्होंने यह भी दावा किया कि महागठबंधन के सभी दल एक साथ हैं और जो भी होगा, सब मिलकर साझा करेंगे। सीएम चेहरे पर सस्पेंस बनाए रखने की स्ट्रैटेजी के साथ कांग्रेस बिहार चुनाव लड़ना चाहती है, जिस तरह से 2024 के लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने किसी को पीएम का चेहरा घोषित नहीं किया था। इस फॉर्मूले पर बिहार चुनाव में उतरने की कवायद है। आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव कह चुके हैं कि तेजस्वी यादव सीएम का चेहरा होंगे,तो तेजस्वी भी अपने नाम का ऐलान कर चुके हैं। इसके बाद भी कांग्रेस तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुनाव नहीं लड़ना चाहती। कांग्रेस का तर्क है कि तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा घोषित कर महागठबंधन चुनावी मैदान में उतरी, तो उससे सियासी समीकरण गड़बड़ा सकता है। तेजस्वी के नाम पर यादव को छोड़कर, दलित अन्य पिछड़ी जातियां और सवर्ण समाज का वोट नहीं मिल पाएगा। ये बात राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने सीधे तौर पर दिल्ली बैठक में तेजस्वी यादव को बता दी। हां, ये जरूर आश्वासन दिया कि अगर बिहार में सरकार बनाने का मौका हाथ आता है, तो तेजस्वी यादव को सीएम बनाया जा सकता, लेकिन चुनाव में उनके नाम की घोषणा कर लड़ना जोखिम भरा कदम हो सकता है। महागठबंधन अगर तेजस्वी यादव को आगे कर चुनावी मैदान में उतरी है, तो सवर्ण जाति के वोटों के छिटकने का ज्यादा खतरा कांग्रेस को लग रहा। इसीलिए कांग्रेस बिहार में 2024 के लोकसभा चुनाव वाले फार्मूले पर लड़ने की तैयारी में है। इंडिया गठबंधन ने 2024 में पीएम पद का चेहरा घोषित करके चुनाव नहीं लड़ा था। इंडिया गठबंधन ने एक ज्वाइंट कमेटी जरूर बनाई थी, उसी तर्ज पर बिहार में कोआर्डिनेशन कमेटी बनाई जा रही है। कांग्रेस की रणनीति है कि बिना सीएम चेहरे के उतरने से किसी समाज के वोट छिटकने का खतरा नहीं होगा। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस तेजस्वी को सीएम चेहरे की बात नहीं कर रही, ऐसे में कांग्रेस ने रणनीति बनाई है कि चुनाव के बाद जो पार्टी सबसे बड़ी बनकर उभरेगी, वही पार्टी नेता तय करेगी, जिस तरह लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। उसी तरह बिहार में महागठबंधन की सत्ता में वापसी होती है और आरजेडी अगर सबसे बड़ी पार्टी बनती है तो तेजस्वी यादव को सीएम बनाया जा सकता है। कांग्रेस के फॉर्मूले पर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी ने अपनी फाइनल स्वीकृति नहीं दी है, लेकिन तेजस्वी ने जिस तरह से कहा कि महागठबंधन में कन्फ्यूजन नहीं है। इससे जाहिर होता है कि आरजेडी वेट एंड वॉच के मूड में है और कांग्रेस के फार्मूले पर मंथन कर रही है। वहीं, कांग्रेस नेतृत्व सीएम के नाम पर आधिकारिक घोषणा से पहले सभी गठबंधन सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे पर स्पष्टता जैसी औपचारिकताओं को पूरा कर लेना चाहता है।
कर्नाटक में नया कानून लाने की तैयारी? राहुल गांधी ने सिद्धारमैया को भेजा प्रस्ताव
18 Apr, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य सरकार से रोहित वेमुला एक्ट नाम से एक कानून बनाने का आग्रह किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शिक्षा प्रणाली में किसी को भी जाति आधारित भेदभाव का सामना न करना पड़े। कर्नाटक के सीएम को लिखे अपने पत्र में कांग्रेस सांसद ने बीआर अंबेडकर के साथ उनके जीवनकाल में हुए भेदभाव पर प्रकाश डाला।
बीआर अंबेडकर की एक घटना का किया जिक्र
राहुल गांधी ने बीआर अंबेडकर के एक घटना को दोहराते हुए कहा "हमारे पास बहुत सारा भोजन था। हमारे भीतर भूख जल रही थी, इन सबके साथ हमें बिना भोजन के सोना पड़ा, ऐसा इसलिए था क्योंकि हमें पानी नहीं मिल सकता था और हमें पानी इसलिए नहीं मिल सकता था क्योंकि हम अछूत थे।"
राहुल गांधी ने अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, "वे हमें स्कूल में अपने अनुभव के बारे में बताते हैं, 'मैं जानता था कि मैं अछूत हूं और अछूतों को कुछ अपमान और भेदभाव का सामना करना पड़ता है। उदाहरण के लिए, मैं जानता था कि स्कूल में अपने सहपाठियों के बीच अपनी रैंक के अनुसार नहीं बैठ सकता था, बल्कि मुझे एक कोने में अकेले बैठना था।"
कर्नाटक सीएम से राहुल गांधी की मांग
कांग्रेस नेता ने कहा कि सिद्धारमैया इस बात से सहमत होंगे कि अंबेडकर ने जो झेला वह शर्मनाक था और भारत के किसी भी बच्चे को यह नहीं सहना चाहिए। राहुल गांधी ने कहा, "यह शर्म की बात है कि आज भी दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के लाखों छात्रों को हमारी शिक्षा प्रणाली में इस तरह के क्रूर भेदभाव का सामना करना पड़ता है।"
उन्होंने कहा, "रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे प्रतिभाशाली युवाओं की हत्या बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है। इसे पूरी तरह से समाप्त करने का समय आ गया है। मैं कर्नाटक सरकार से रोहित वेमुला अधिनियम लागू करने का आग्रह करता हूं ताकि भारत के किसी भी बच्चे को वह न सहना पड़े जो डॉ. बीआर अंबेडकर, रोहित वेमुला और लाखों अन्य लोगों को सहना पड़ा है।"
राहुल ने एक्स पर किया पोस्ट
बता दें, 2016 में जाति आधारित भेदभाव के कारण दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या कर ली थी। एक्स पर लिखे पत्र को साझा करते हुए रहुल गांधी ने कहा, "हाल ही में, मैं संसद में दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदायों के छात्रों और शिक्षकों से मिला। बातचीत के दौरान, उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में जाति-आधारित भेदभाव का सामना कैसे करना पड़ता है।"
उन्होंने कहा कि अंबेडकर ने दिखाया था कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जिसके द्वारा वंचित भी सशक्त बन सकते हैं और जाति व्यवस्था को तोड़ सकते हैं। लेकिन यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि दशकों बाद भी, लाखों छात्र हमारी शिक्षा प्रणाली में जातिगत भेदभाव का सामना कर रहे हैं।
'अन्याय पर पूरी तरह से लगे रोक'
उन्होंने कहा, "इस भेदभाव ने रोहित वेमुला, पायल तड़वी और दर्शन सोलंकी जैसे होनहार छात्रों की जान ले ली है। ऐसी भयावह घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब इस अन्याय पर पूरी तरह रोक लगाने का समय आ गया है।"
राहुल गांधी ने कहा, "मैंने सिद्धारमैया को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि रोहित वेमुला एक्ट को कर्नाटक में लागू किया जाए। भारत में किसी भी बच्चे को उस जातिवाद का सामना नहीं करना चाहिए जिसका सामना बाबासाहेब अंबेडकर, रोहित वेमुला और करोड़ों लोगों ने किया है।"