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प्रधानमंत्री मोदी ने बताया, कल की बैठक में सीमाओं की सुरक्षा और गांवों के विकास पर होंगे बड़े फैसले
8 Apr, 2025 04:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक को लेकर एक जानकारी सामने आई है। अधिकारियों के अनुसार, 9 अप्रैल को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक होने की संभावना है। इस बीच, 5 अप्रैल को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के दूसरे चरण को मंजूरी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा इस इस बैठक में गांव के विकास को लेकर चर्चा होगी। ये बैठक सीमावर्ती गांवों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करेगी। X पर बात करते हुए, पीएम मोदी ने बैठक के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि सरकार दूसरे चरण में इस कार्यक्रम के तहत शामिल गांवों के दायरे का विस्तार कर रही है।
क्या बोले पीएम मोदी?
पीएम मोदी ने X पर लिखा, 'वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II पर कैबिनेट का फैसला हमारे सीमावर्ती गांवों के लिए बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए असाधारण खबर है। इस मंजूरी के साथ, हम वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-I की तुलना में कवर किए गए गांवों के दायरे का भी विस्तार कर रहे हैं।'
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम-II को मंजूरी दे दी, जो सुरक्षित, संरक्षित और जीवंत भूमि सीमाओं के नजरिए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाता है। यह कार्यक्रम VVP-I के तहत पहले से ही कवर की गई उत्तरी सीमा के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय भूमि सीमाओं (ILBs) से सटे ब्लॉकों में स्थित गांवों के व्यापक विकास में मदद करेगा।
किन राज्यों में चलेगा ये कार्यक्रम?
6,839 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ, यह कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर (यूटी), लद्दाख (यूटी), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा रणनीतिक गांवों में 2028-29 तक लागू किया जाएगा।
क्या है कार्यक्रम का उद्देश्य?
कार्यक्रम का उद्देश्य समृद्ध और सुरक्षित सीमाओं को सुनिश्चित करने, सीमा पार अपराध को नियंत्रित करने और सीमावर्ती आबादी को राष्ट्र के साथ आत्मसात करने और उन्हें 'सीमा सुरक्षा बलों की आंख और कान' के रूप में विकसित करने के लिए बेहतर जीवन स्थितियां और पर्याप्त आजीविका के अवसर पैदा करना है, जो आंतरिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
पैसे उपलब्ध कराएगा ये कार्यक्रम
कार्यक्रम गांव या गांवों के ग्रुप के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास, मूल्य विकास (सहकारी समितियों, एसएचजी आदि के माध्यम से), सीमा-विशिष्ट आउटरीच गतिविधि, स्मार्ट कक्षाओं जैसे शिक्षा बुनियादी ढांचे, पर्यटन सर्किट के विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों में विविध अवसर पैदा करने के लिए कार्य/परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराएगा।
ये हस्तक्षेप सीमा-विशिष्ट, राज्य-विशिष्ट और गांव-विशिष्ट होंगे, जो सहयोगात्मक नजरिए का इस्तेमाल करके तैयार की गई ग्राम कार्य योजनाओं पर आधारित होंगे।
संभल में शाही जामा मस्जिद का नाम बदलकर "जुमा मस्जिद" किया गया, ASI ने मस्जिद का नया बोर्ड भिजवाया
8 Apr, 2025 12:11 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
संभल: उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद एक बार फिर चर्चा में आ गई है, इस बार कोई विवाद या बयान नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की तरफ भेजे गए एक नए साइन बोर्ड को लेकर है. जिसमें मस्जिद को उसके सामान्य नाम "शाही जामा मस्जिद" के बजाय "जुमा मस्जिद" लिखा गया है. ऐसा माना जा रहा है कि जल्द ही ये साइन बोर्ड मस्जिद पर लगाया जाएगा.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने दस्तावेजों में जामा मस्जिद का नाम जुमा मस्जिद बताया है. ASI का दावा है कि नया साइनबोर्ड उनके रिकॉर्ड में दर्ज नाम के अनुसार है. यह मस्जिद पहले भी विवादों में रही है, जिसमें एक याचिका में इसके हिंदू मंदिर होने का दावा किया गया था. पिछले साल हुए सर्वेक्षण के दौरान भी हिंसा हुई थी.
ASI ने नाम बदलने की बताई वजह
ASI के वकील विष्णु शर्मा ने बताया कि मस्जिद के बाहर पहले ASI का एक बोर्ड लगाया गया था, लेकिन कथित तौर पर कुछ लोगों ने इसे हटाकर इसकी जगह 'शाही जामा मस्जिद' लिखा हुआ बोर्ड लगा दिया. नया बोर्ड ASI के दस्तावेजों में दर्ज नाम 'जुमा मस्जिद' के अनुसार जारी किया गया है. शर्मा ने कहा कि मस्जिद परिसर के अंदर पहले से ही इसी नाम का एक नीला ASI बोर्ड मौजूद है.
मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई थी हिंसा
संभल की जामा मस्जिद का नाता विवादों से रहा है. इसको लेकर दावा किया जाता है कि यह प्राचीन हिंदू मंदिर का स्थल था. पिछले साल 24 नवंबर को सर्वे के दौरान संभल के कोट गर्वी इलाके में हिंसा भड़क उठी थी. जिसमें चार लोग मारे गए थे, जबकि कई अन्य घायल हो गए थे. इलाके में शांति बहाली के लिए पुलिस को कई दिनों तक इंटरनेट बंद और कर्फ्यू लगाना पड़ा था. नए नाम के बोर्ड को लेकर हो सकता है कि विरोध देखने को मिले, हालांकि अब तक इस बारे में किसी ने कोई आपत्ति नहीं जताई है.
वक्फ अधिनियम कानून पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विवाद, PDP विधायक वहीद पारा को निकाला बाहर
8 Apr, 2025 11:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जम्मू-कश्मीर: वक्फ कानून को लेकर सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस बीच एक बार फिर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को जमकर हंगामा देखने को मिला है. ये हंगामा उस समय शुरू हुआ जब विपक्षी दलों की ओर से वक्फ अधिनियम पर चर्चा की मांग की गई. विपक्षी दलों के विरोध के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी सहित विपक्षी दलों ने वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था, जिसे बाद में सदन के नियम 58 के तहत अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया.
अधिनियम पर चर्चा न करने के फैसले का विरोध करने पर पीडीपी विधायक वहीद पारा को विधानसभा परिसर से बाहर निकाला गया. नियम 58 के अनुसार, कोर्ट में विचाराधीन किसी भी विधेयक पर चर्चा नहीं की जाएगी. एआईएमआईएम और कांग्रेस समेत कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने वक्फ अधिनियम के क्रियान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इससे पहले करीब 20 विधायकों ने विधानसभा में वक्फ विधेयक पर चर्चा की मांग करते हुए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था.
पीडीपी के नेता ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण
विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए पीडीपी के नेता वहीद पारा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, अगर पूरे भारत में कोई मुस्लिम मुख्यमंत्री है, तो वह जम्मू-कश्मीर में है. पूरे देश के 24 करोड़ मुसलमान इसे देख रहे हैं.'
सभी विधायकों से पीडीपी की ओर से लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, 'यहां 60 विधायक हैं, अगर उन 60 में से भी वे वक्फ अधिनियम के खिलाफ हमारे ओर से लाए गए प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते हैं, तो मुझे लगता है कि इतिहास हमेशा के लिए हमें जज करेगा.' वक्फ अधिनियम को मुसलमानों की धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं के खिलाफ बताते हुए पारा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा, जिन्होंने विधेयक पेश करने वाले केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू का "रेड कारपेट वेलकम" किया.
लोकतंत्र की हो रही हत्या- बीजेपी विधायक
वहीं विधायक विक्रम रंधावा ने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है, यहां लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. वे सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं. उन्होंने कल प्रश्न काल भी नहीं चलने दिया. नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक अपने ही स्पीकर के खिलाफ सदन के वेल में आ गए. उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. पीडीपी के लोगों ने उन्हें एहसास कराया कि आप वक्फ के लिए लड़ रहे हैं और ट्यूलिप गार्डन के दौरे किए जा रहे हैं. इसलिए, उनके झगड़े में सदन का महत्वपूर्ण समय बर्बाद हो रहा है.'
भारत-यूएई संबंधों को नया आयाम, शेख हमदान की यात्रा से होगी नई दिशा की शुरुआत
8 Apr, 2025 10:55 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुबई के क्राउन प्रिंस और यूएई के उप प्रधानमंत्री शेख हमदान बिन मोहम्मद अल मकतूम मंगलवार को दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर भारत आएंगे। वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर दो दिन के लिए भारत पहुंचेंगे।
दुबई के क्राउन प्रिंस के रूप में शेख हमदान की यह पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। उनके साथ कई मंत्री, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और एक उच्च स्तरीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी आएगा।
प्रधानमंत्री मोदी मंगलवार को शेख हमदान के लिए लंच की मेजबानी करेंगे। क्राउन प्रिंस भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक भी करेंगे।
क्राउन प्रिंस दिल्ली के बाद मुंबई जाएंगे और दोनों देशों के प्रमुख व्यापारिक नेताओं के साथ एक बिजनेस राउंड टेबल में हिस्सा लेंगे। इस बातचीत से पारंपरिक और भविष्य के क्षेत्रों में भारत-यूएई आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग मजबूत होगा।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा है, “परंपरागत रूप से दुबई ने भारत और यूएई के बीच वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूएई में भारत के लगभग 43 लाख प्रवासियों में से अधिकांश दुबई में रहते और काम करते हैं। महामहिम क्राउन प्रिंस की यात्रा भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी और दुबई के साथ हमारे बहुआयामी संबंधों को गहरा करेगी।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस साल 27-29 जनवरी को संयुक्त अरब अमीरात की अपनी यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस को प्रधानमंत्री की तरफ से भारत आने का निमंत्रण दिया था।
विदेश मंत्री ने बैठक के बाद एक्स पर पोस्ट किया था, “दुबई के क्राउन प्रिंस और यूएई के डीपीएम और रक्षा मंत्री हमदान मोहम्मद से मिलकर बहुत खुशी हुई। दोस्ती के हमारे गहरे बंधन और हमारे लोगों की भलाई के लिए उन्हें आगे बढ़ाने पर गर्मजोशी से बातचीत हुई।”
इस मुलाकात ने दुबई के साथ भारत के मजबूत और लगातार बढ़ते आर्थिक और लोगों के बीच संबंधों को और मजबूत किया।
कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन, 64 साल बाद गुजरात में मंथन की तैयारी
8 Apr, 2025 10:29 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सियासी संजीवनी मिली थी, लेकिन 2024 में बने माहौल को हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली की हार ने फीका कर दिया है. कांग्रेस दोबारा से खड़े होने और बीजेपी से मुकाबला करने के लिए सियासी मंथन करने जा रही है. गुजरात के अहमदाबाद में कांग्रेस का दो दिवसीय अधिवेशन मंगलवार से शुरू हो रहा है. अगले दो दिन तक कांग्रेस के दिग्गज नेता राष्ट्रीय राजनीति की चुनौतियों पर चिंतन और मंथन करेंगे. इसके साथ ही कई प्रमुख मुद्दों पर पार्टी का रुख तय कर भविष्य का रोड मैप तैयार किया जाएगा.
कांग्रेस ने 64 साल बाद गुजरात को अपने अधिवेशन के लिए चुना है. इससे पहले कांग्रेस का अधिवेशन 1961 में भावनगर में हुआ था, अब छह दशक के बाद दोबारा फिर से गुजरात के अहमदाबाद से जीत का मंत्र तलाशने की कवायद की जाएगी. अहमदाबाद पूर्ण अधिवेशन से पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दोनों पार्टी की कमियों पर बहुत साफगोई से बात कर चुके हैं और कहा है कि साल 2025 संगठन का साल होगा. अहमदाबाद अधिवेशन कांग्रेस 86वां पूर्ण अधिवेशन है. पार्टी के लिए नया रास्ता खोलने वाला हो सकता है.
कांग्रेस का अधिवेशन की रूपरेखा
गुजरात के अहमदाबाद में ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, संघर्ष’ टैगलाइन के साथ दो दिन का कांग्रेस अधिवेशन शुरू हो रहा. अधिवेशन के पहले दिन मंगलवार को सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय स्मारक में कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी. इसमें देशभर के 262 कांग्रेसी नेता शिरकत करेंगे, जिसकी अध्यक्षता मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे. अधिवेशन के दूसरे दिन बुधवार साबरमती रिवरफ्रंट पर कांग्रेसी सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री और कुछ वरिष्ठ नेता शामिल होंगे.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पार्टी अधिवेशन से पहले सोमवार को कहा कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ जैसे नारों के बाद पार्टी आज भी मजबूती के साथ खड़ी है और जनता उसकी ओर उम्मीदों से देख रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जन्मभूमि गुजरात कांग्रेस को इस चुनौतीपूर्ण समय में आगे का रास्ता दिखाएगी, आज समाज का हर वर्ग, चाहे वह मध्यम वर्ग हो, दलित, आदिवासी या अल्पसंख्यक हों, केंद्र और गुजरात में भाजपा शासन के तहत ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
कांग्रेस का संगठन पर होगा जोर
कांग्रेस ने बाकायदा घोषणा की है कि यह संगठन का साल है. गुजरात में साल का यह पूर्ण अधिवेशन हो रहा है. ऐसे में कांग्रेस को संगठन के नए लोगों के साथ जाना चाहिए था, लेकिन ज्यादातर पदाधिकारी पुराने हैं. बिहार में ही बदलाव हुआ है और यूपी के जिलाध्यक्ष बदले गए हैं. हालांकि, कांग्रेस बिहार से एक नई शुरुआत कर दी है और अपना संगठन जमीन से मजबूत करने की कवायद में है. कांग्रेस नेतृत्व ने अपने सभी जिला अध्यक्ष के साथ बैठक कर उनके मन की बात को जानना चाही है. पार्टी नेतृत्व अधिवेशन में आए कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाना होगा कि संगठन में बड़े बदलाव का वह इस बार सिर्फ वादा नहीं कर रहा है बल्कि इस पर अमल किया जाना है.
कांग्रेस ने जिस तरह से बिहार में कुछ ही महीनों में अपना संगठन चुस्त दुरुस्त कर दिया है वैसा ही संकल्प उसने देश भर में अपने संगठन के लिए लिया है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने संगठनात्मक कायाकल्प के बारे में कई घोषणाएं कर सकती है, जिसमें जिला कांग्रेस अध्यक्षों को अधिक अधिकार देना और जवाबदेही सुनिश्चित करना शामिल है. माना जा रहा है कि कांग्रेस चुनाव में उम्मीदवारों के चयन में जिला अध्यक्ष की भूमिका को भी शामिल करने का फैसला कर सकती है.
कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद के लिए कई अहम प्रस्ताव लाए जा सकते हैं. इस तरह से कांग्रेस का जोर संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने का रह सकता है. इसकी वजह कांग्रेस विचारों को आगे बढ़ाने वाला संगठन नहीं है. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने जिलाध्यक्ष की बैठक में भी कहा था कि पार्टी के विचारधारा को घर-घर पहुंचाने का काम जिला संगठन ही कर सकता है. कांग्रेस इस बात को समझ चुकी है कि बिन संगठन को मजबूत किए बगैर बीजेपी से मुकाबला नहीं कर सकती है.
कांग्रेस तय करेगी सियासी एजेंडा
कांग्रेस की 2 दिनों तक चलने वाले अधिवेशन को लेकर अपने आगे की दशा और दिशा तय करेगी. माना जा रहा है कि कांग्रेस किन मुद्दों पर सरकार को घेरेगी और किन एजेंडे के साथ आगे बढ़ेगी, वो अधिवेशन में स्पष्ट हो जाएगा. कांग्रेस बैठक में विदेश नीति, शिक्षा, निजी क्षेत्र में आरक्षण का क्रियान्वयन, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण की सुरक्षा, महंगाई और विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता पर कांग्रेस प्रस्ताव पास कर अपने नेताओं को सियासी संदेश देने की कवायद की जा सकती है. इ
कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला मंगलवार को सीडब्ल्यूसी के समक्ष एक कार्यपत्र प्रस्तुत करेंगे, जिसमें यह तय किया जाएगा कि एक सर्वव्यापी प्रस्ताव लाया जाए या मुद्देवार अलग-अलग प्रस्ताव बनाए जाएं. अधिवेशन में कांग्रेस राजनीतिक और आर्थिक प्रस्तावों पर चर्चा कर उन्हें अपनाने का फैसला करेगी. इस दौरान कांग्रेस दलित, ओबीसी और आदिवासी समाज के लिए मौजूदा आरक्षण की रक्षा पर जोर देगी, लेकिन साथ ही निजी क्षेत्र में भी आरक्षण पर अहम फैसला कर सकती है. कांग्रेस सामाजिक न्याय, संविधान पर हमले और धार्मिक विभाजन जैसे मसले पर लगातार मुखर है.
कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग
राहुल गांधी सामाजिक न्याय के मुद्दे को लेकर चल रहे हैं. देश में जातिगत जनगणना कराने, आरक्षण की 50 फीसदी लिमिट को बढ़ाने जैसे मुद्दे कांग्रेस लेकर चल रही है. कांग्रेस का फोकस दलित, ओबीसी, आदिवासी और अल्पसंख्यक वोटरों पर है. माना जा रहा है कि कांग्रेस इन्हीं समाज के वोटों को फोकस में रखते हुए सियासी एजेंडा तय कर सकते हैं. इसके अलावा बिहार में जिस तरह से रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस पदयात्रा निकाल रही है, वैसे ही देश के दूसरे राज्यों में भी नौकरी को लेकर मुहिम छेड़ने का फैसला कर सकती है.
आजादी के बाद कांग्रेस का कोर वोटबैंक दलित-मुस्लिम-ब्राह्मण और कुछ सवर्ण जातियां हुआ करता थीं. कांग्रेस इसी जातीय समीकरण के सहारे लंबे समय तक सियासत करती रही. ओबीसी वर्ग की तमाम जातियां कांग्रेस का विरोध करती रही हैं. देश के बदले हुए सियासी माहौल में कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक आधार भी बदलने का दिशा में कदम बढ़ा दिया है. कांग्रेस अब दलित, अति पिछड़ा और मुस्लिम समुदाय को अपने पक्ष में करने की रणनीति पर काम कर रही है. पार्टी संविधान और आरक्षण के मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है, जिससे इन वर्गों को यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि उनके अधिकारों की रक्षा सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है. इस तरह कांग्रेस एक नई सोशल इंजीनियरिंग बनाने की कवायद में है.
चुनावी राज्यों के लिए बनेगी रूपरेखा
कांग्रेस इस साल और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति को भी अंतिम रूप देगी. इसके चलते ही सभी की निगाहें कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन पर टिकी हुई हैं, जहां से उसके लिए एक नई उम्मीद की किरण जाग सकती है. साल 2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस लिहाज से भी कांग्रेस की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है.
2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 2019 की तुलना में दोगुना सीटें जीतने के बाद पार्टी नेताओं में जबरदस्त हौसला मिला था, लेकिन उसके बाद कई राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. कांग्रेस का हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में मिली हार के हताश हुई है. यही नहीं कांग्रेस जिस गुजरात में अपना अधिवेशन कर रही है, वहां पर 30 साल से चुनाव नहीं जीत सकी. कांग्रेस के लिए दिन ब दिन मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में कांग्रेस के सामने बीजेपी से मुकाबला करने की रणनीति तय करनी होगी.
बीजेपी से मुकाबले की बनेगी रणनीति
कांग्रेस ने चार महीने पहले बेलगावी में अपनी कार्यसमिति की बैठक आयोजित की थी, जो महात्मा गांधी की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई थी. बीजेपी से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने महात्मा गांधी की जन्मभूमि गुजरात को चुना है. कांग्रेस पदाधिकारियों को सबसे अच्छी उम्मीद शीर्ष नेतृत्व से यह आश्वासन मिलने की है कि पार्टी सही रास्ते पर है. राहुल-खरगे ने कुछ कदम उठाकर संकेत दिए हैं, विशेष रूप से बीजेपी खिलाफ अपनाई जाने कदम.
कांग्रेस के नेता निजी तौर पर बीजेपी सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हर बात और हर काम का विरोध करने के बजाय जनता के साथ जुड़ने वाली लड़ाइयों को चुनने की जरूरत के बारे में बात कर रहे हैं. कांग्रेस अधिवेशन में बीजेपी के खिलाफ कितनी मजबूती और किस नजरिए से लड़ना है, उसे लेकर भी स्पष्ट स्टैंड लिया जा सकता है. इसके अलावा चुनावी मैदान में बीजेपी से किस तरह से सामना करना है, उस पर मजबूत रणनीति बनाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं. इसकी वजह यह है कि बीजेपी के साथ कांग्रेस का जिन राज्यों में सीधे मुकाबला होता है, वहां बीजेपी का पलड़ा भारी रहता है.
मुद्रा योजना ने छोटे व्यवसायों को संजीवनी दी, पीएम मोदी ने लाभार्थियों से की संवाद
8 Apr, 2025 10:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी कि 8 अप्रैल को मुद्रा योजना के लाभार्थियों से बातचीत की. इस योजना की मदद से हजारों लोगों ने अपने व्यवसायों को खड़ा किया है. इसका मुख्य उद्देश्य सूक्ष्म उद्योग और छोटे व्यवसायों को वित्तपोषित करना है, इस योजना के तहत पिछले 10 सालों में 50 करोड़ लोन खाते स्वीकृत किए गए हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना के 10 साल पूरे होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि #10YearsOfMUDRA के अवसर पर, मैंने पूरे भारत से मुद्रा लाभार्थियों को अपने निवास पर आमंत्रित किया था. उन्होंने इस योजना से उनके जीवन में आए बदलावों के बारे में रोचक जानकारी साझा की.
लाभार्थियों ने बताई अपनी कहानी
पीएम मोदी से इस योजना के लाभार्थियों ने बातचीत की और इसके साथ ही अपना एक्सपीरियंस भी शेयर किया. कई लोगों ने बताया कि इस योजना की मदद से उन्हें दोबारा खड़े होने में मदद मिली है. बातचीत के दौरान लाभार्थियों ने बताया कि जो पहले महज 20 हजार रुपये कमाते थे, योजना की मदद से आज उनकी इनकम दोगुनी से ज्यादा हो चुकी है.
पीएम से बातचीत के दौरान कई युवाओं ने बताया कि उन्होंने जब नौकरी छोड़ी थी तो वे 70 हजार रुपये कमा रहे थे, लेकिन कुछ अपना करने का मन था. अपना काम करने में पैसों की जरूरत थी, कोई पैसा देने के लिए तैयार नहीं था. उस समय हमारी मदद मुद्रा योजना ने ही की थी. आज इस योजना की मदद से हम 70 हजार से 2 लाख रुपये महीने कमा रहे हैं. इसके साथ ही कई अन्य लोगों को भी रोजगार दे रहा हूं.
सबसे ज्यादा महिलाओं ने लिया इस योजना का लाभ
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने एएनआई को बताया कि प्रधानमंत्री ने यह योजना उन लोगों के लिए शुरू की थी जो बिना किसी गारंटी के लोन चाहते हैं. हमने पिछले 10 वर्षों में 50 करोड़ ऋण खाते स्वीकृत किए हैं और कुल 33 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया है. इनमें से 68 प्रतिशत महिला लाभार्थी हैं, और 50 प्रतिशत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े समुदायों से हैं. लाभार्थी ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं.
मुद्रा योजना की मदद से अपना काम धंधा शुरू करने वाले दर्जी कमलेश ने अपने काम का विस्तार किया, जिसके बाद उन्होंने तीन अन्य महिलाओं को रोजगार दिया और अपने बच्चों का एक अच्छे स्कूल में एडमिशन कराया. दूसरी लाभार्थी बिंदु, जिन्होंने एक दिन में 50 झाड़ू से शुरुआत की थी, अब 500 उत्पादन करने वाली यूनिट की हेड हैं.
हिमाचल में भी पारा बढ़ने से पर्वतीय क्षेत्र में गर्मी की लहर
8 Apr, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूरज की तपिश लोगों को परेशान करने लगी है। आलम यह है कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब व दिल्ली जैसे मैदानी राज्यों में ही नहीं, बल्कि पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी लू लोगों की समस्या बढ़ा रही है। दिल्ली में यलो अलर्ट के बीच सोमवार को दिनभर तेज धूप से लोग बेहाल रहे।
मौसम विभाग की मानें तो अभी अगले दो दिन और लू का सितम जारी रहेगा। इसके बाद तापमान में आंशिक गिरावट आने का पूर्वानुमान है। आठ से 14 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बीच-बीच में चली गर्म हवाएं भी हालत खराब कर रही हैं। दिल्ली में इस सीजन में पहली बार अधिकतम तापमान 40 डिग्री के पार हुआ है। उत्तर प्रदेश में भी गर्मी ने तेजी पकड़ ली है।
यूपी में ऐसा रहा हाल
सोमवार को झांसी और हमीरपुर सबसे गर्म रहे, जहां का अधिकतम तापमान 42.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, हरदोई, कानपुर, वाराणसी, चुर्क (सोनभद्र), प्रयागराज, बांदा, सुलतानपुर, फुरसतगंज (अमेठी), आगरा और अलीगढ़ में भी पारा 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा। लखनऊ में सोमवार को अधिकतम तापमान 39.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। कई जिलों में लू को लेकर चेतावनी जारी की गई है।
मौसम विज्ञान केंद्र की ओर से मंगलवार और बुधवार को कई जिलों में लू चलने की आशंका जताई गई है। वहीं, पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है, जो गर्मी से थोड़ी राहत दे सकती है। हिमाचल प्रदेश में सोमवार को धर्मशाला, भुंतर व सुंदरनगर में लू चली। धर्मशाला में अधिकतम तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ 31 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया।
हिमाचल में भी 30 डिग्री सेल्सियस का दर्ज किया गया तापमान
2022 में अप्रैल में 36 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया था। हिमाचल प्रदेश में 14 स्थानों पर अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस के पार, जबकि कांगड़ा और ऊना में 35 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया। सबसे अधिक तापमान ऊना में 36.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से चार डिग्री अधिक है। हिमाचल प्रदेश में अधिकतम तापमान सामान्य से छह से सात डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया है।
इसलिए पड़ रही इतनी गर्मी
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि अप्रैल में ही इस साल इतनी अधिक गर्मी पड़ने की वजह जलवायु परिवर्तन एवं ग्लोबल वार्मिंग का असर तो है ही, का अभाव भी है। मार्च में 90 प्रतिशत तक कम वर्षा दर्ज हुई तो अप्रैल में अभी तक एक बूंद भी नहीं बरसी है। इस पर भी हवा की दिशा अब दक्षिणी पूर्वी हो गई है। राजस्थान की ओर से आ रही गर्म हवा और ज्यादा गर्मी बढ़ा रही है।
मौसम विभाग के मुताबिक जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री से ऊपर और सामान्य से साढ़े चार से साढ़े छह डिग्री सेल्सियस ऊपर रहता है तो ऐसी स्थिति को लू की स्थिति मानी जाती है।
OBC आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का आया अपडेट: पिछड़े वर्गों को 27% आरक्षण देने का फैसला रखा बरकरार
7 Apr, 2025 07:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
MP OBC Reservation: मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूथ फॉर इक्वालिटी की ओर से दायर याचिका का निपटारा कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया है कि ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई बाधा नहीं है। ऐसे में राज्य में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो गया है। याचिका में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने के राज्य के फैसले को चुनौती दी गई थी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सभी 75 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दी गई थीं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले दिनों ओबीसी आरक्षण के खिलाफ याचिका को तर्कहीन मानते हुए खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने 2021 में दायर इस जनहित याचिका पर 2023 में एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश के जरिए 87:13 का फॉर्मूला निर्धारित किया था।
कोर्ट में याचिकाकर्ता की तरफ से ये थी दलील
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया था कि 2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में ओबीसी की आबादी 50.9 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 21.14 प्रतिशत और मुस्लिम समुदाय की आबादी 3.7 प्रतिशत है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने ओबीसी वर्ग को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण दिया है। जबकि एससी को 16 प्रतिशत और एसटी को 20 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।
2018 राज्य सरकार ने सुनाया था ये फैसला
मध्य प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने साल 2018 में ओबीसी आरक्षण को 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। लेकिन, कमल नाथ सरकार के इस आदेश को चुनौती देने के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के समर्थन में भी याचिकाएं दायर की गई थीं। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जुड़े एक अन्य मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के जस्टिस अरविंद धर्माधिकारी को केरल हाईकोर्ट में ट्रांसफर करने की सिफारिश की है। 20 मार्च, 24 मार्च और 3 अप्रैल 2025 को हुई कॉलेजियम की बैठकों में यह फैसला लिया गया। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता में हुई इन बैठकों में ट्रांसफर पर चर्चा हुई।
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 2 रुपये की बढ़ोतरी, 8 अप्रैल से लागू होंगे नए दाम
7 Apr, 2025 03:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पेट्रोल-डीजल: पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर बड़ी खबर है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान किया है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दी है।नई दरें आज रात 12 बजे से लागू होंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में काफी गिरावट आई है जिसके चलते यह डिसिशन लिया गया है।
आम जनता से जुड़े एक अहम फैसले में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया है। वित्त मंत्रालय की ओर से शुक्रवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक यह बढ़ोतरी मंगलवार से लागू होगी। सरकार ने जनहित का हवाला देते हुए यह कदम उठाया है। अधिसूचना में कहा गया है कि पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क अब 11 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 13 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। वहीं डीजल पर यह दर 8 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 10 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है। यानी दोनों ईंधनों पर 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है।
वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह संशोधन केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 की धारा 5ए और वित्त अधिनियम, 2002 की धारा 147 के तहत किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम जनहित में जरूरी है और इससे देश की राजस्व स्थिति मजबूत करने में मदद मिलेगी। क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमत में बढ़ोतरी से न सिर्फ निजी वाहन चलाने वाले लोगों को झटका लगेगा, बल्कि माल ढुलाई की लागत बढ़ने से रोजमर्रा की जरूरी चीजों के दाम भी बढ़ सकते हैं।
कब लागू होंगी नई दरें?
सरकारी अधिसूचना के मुताबिक, यह नया आदेश 8 अप्रैल 2025 से लागू होगा। यानी इस तारीख के बाद जो भी पेट्रोल या डीजल खरीदेगा, उसे बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी के हिसाब से कीमत चुकानी होगी।
वक्फ संशोधन बिल पर जयंत चौधरी का सरकार के साथ समर्थन, मुस्लिम समुदाय में नाराजगी; RLD से इस्तीफे
7 Apr, 2025 03:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वक्फ संसोधन बिल संसद से पास होने के बाद कानूनी रूप भी अख्तियार कर लिया है. संसद में वक्फ बिल पर मोदी सरकार के साथ जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल मजबूती से खड़ी थी. इसके चलते मुस्लिम समुदाय में RLD के रवैए से नाराज है. प्रदेश संगठन से जुड़े हुए कुछ नेताओं ने RLD से इस्तीफा दे दिया है. ऐसे में पश्चिमी यूपी की सियासत ही नहीं बल्कि जयंत चौधरी की जाट और मुस्लिम समीकरण बनाने की कोशिशों पर झटका लग सकता है.
वक्फ संशोधन बिल के समर्थन करने पर नाराजगी जताते हुए हापुड़ जिले के RLD महासचिव मोहम्मद जकी और प्रदेश महासचिव शाहजेब रिजवी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. RLD रुहेलखंड क्षेत्र के उपाध्यक्ष शमशाद अंसारी ने अपने साथियों के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया. शमशाद की पत्नी बिजनौर नगर पालिका की चेयरमैन रह चुकी हैं. पार्टी को अलविदा कहने वाले मुस्लिम नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए वक्फ संशोधन विधेयक का रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी द्वारा समर्थन दिए जाने से मुस्लिम समाज आहत है और स्वयं को ठगा महसूस कर रहा है.
RLD के जाट-मुस्लिम समीकरण क्या होगा
यूपी में सपा, BSP और RLD सिर्फ अपने-अपने जातीय आधार वाले वोटों के साथ प्लस मुस्लिम वोटों के इर्द-गिर्द पूरी राजनीति करती रही हैं. सपा यादव के साथ और मुस्लिम गठजोड़, BSP दलित के साथ मुस्लिम गठजोड़ और RLD जाट के साथ और मुस्लिम समीकरण के सहारे सियासत करती रही है. RLD पूरी तरह पश्चिमी यूपी आधारित पार्टी है, उसके सियासी आधार भी जाट और मुस्लिम वोटों पर टिका हुआ है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी लगभग 32% है और जाट समुदाय काफी प्रभावशाली है. RLD की सियासत में सिर्फ जाट वोटर ही नहीं हैं बल्कि मुस्लिम और दलित वोट भी हैं.
2022 विधानसभा चुनाव में RLD ने सपा के साथ गठबंधन कर 8 सीटें जीती थीं, जिसमें मुस्लिम वोटों की अहम भूमिका थी. RLD के लिए पश्चिमी यूपी के 32% मुस्लिम समुदाय से किनारा कर चलना आसान नहीं है. पश्चिम यूपी में जाट 20% के करीब हैं तो मुस्लिम 30 से 40% के बीच हैं. पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित काफी अहम भूमिका अदा करते हैं. RLD का कोर वोटबैंक जाट माना जाता है. अकेले जाट वोटों के सहारे जयंत चौधरी कुछ खास नहीं कर सकते हैं, लेकिन मुस्लिम या फिर कोई दूसरा बड़ा वोटबैंक जुड़ता है तभी जाट वोटर निर्णायक भूमिका अदा कर सकते हैं.
RLD का बिगड़ता सियासी समीकरण
2024 में BJP के साथ गठबंधन और अब वक्फ बिल के समर्थन ने RLD का जाट-मुस्लिम समीकरण को खतरे में डाल दिया है. BJP के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के चलते मुस्लिम वोटों के छिटकने का संकट मंडराने लगा है. वक्फ कानून जिसे केंद्र की एनडीए सरकार ने संसद में पारित किया, उसके बाद से ही मुस्लिम समुदाय के बीच से RLD की नाराजगी की खबरे आने लगी. RLD, जो एनडीए का हिस्सा है, ने इस बिल का समर्थन किया. जयंत चौधरी के इस फैसले से पार्टी के मुस्लिम नेताओं में नाराजगी फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी.
मुस्लिम नेताओं के छिटकने से RLD का परंपरागत वोट बैंक कमजोर हो सकता है. पश्चिमी यूपी की कई विधानसभा और लोकसभा सीटों, जैसे सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, और बागपत, पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इन इस्तीफों से न केवल पार्टी की आंतरिक एकता प्रभावित होगी, बल्कि इसका असर आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिल सकता है. पश्चिमी यूपी की इन्हीं इलाकों में वक्फ की ज्यादातर संपत्तियां हैं. वक्फ के नए कानून से सबसे ज्यादा प्रभावित भी इसी इलाके के मुस्लिम समुदाय होंगे, जिसके चलते ही RLD के लिए मुस्लिम वोटों को साधे रखना आसान नहीं होगा.
मुस्लिमों की नाराजगी कहीं महंगी न पड़ जाए
RLD की कमान संभालने के बाद जयंत चौधरी ने अपने दादा चौधरी चरण सिंह की विरासत को आगे बढ़ाने का दावा किया था, जो जाट-मुस्लिम एकता के प्रतीक थे. वक्फ बिल का समर्थन और मुस्लिम नेताओं का पार्टी छोड़ना इस छवि को धूमिल कर सकता है. BJP के साथ गठबंधन करने के चलते पहले ही RLD के कई बड़े मुसलमान नेता जयंत चौधरी का साथ छोड़ चुके हैं. शाहिद सिद्दीकी के बाद पिछले दिनों अमीर आलम भी RLD को अलविदा कह दिया था. इसके बाद वक्फ बिल पर RLD के समर्थन में उतरने से मुस्लिम समुदाय खुश नहीं है. यही नहीं RLD के तमाम मुस्लिम नेता भी बेचैन है और उन्हें अपनी सियासी जमीन खिसकती दिख रही है.
RLD के एक मुस्लिम विधायक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि BJP के साथ गठबंधन करने के बाद जयंत चौधरी की सेकुलर पॉलिटिक्स पर सवाल खड़े होने लगे हैं. मुसलमानों में बहुत ज्यादा नाराजगी है, जिसके चलते उनको भी अपने क्षेत्र में जवाब देते नहीं बन रहा है. उनका कहना था कि 2022 में हम चुनाव इसीलिए भी जीत गए थे, क्योंकि सपा से गठबंधन था, इसके चलते मुस्लिमों ने एकमुश्त होकर वोट दिया है, लेकिन BJP के साथ रहते हुए मुस्लिमों का समर्थन लेना पहले ही मुश्किल हो रहा था और अब वक्फ बिल पर समर्थन करके सारी सियासत खत्म होती दिख रही है.
मुस्लिम समर्थन कम होने की स्थिति में RLD को जाट वोटों पर अधिक निर्भर होना पड़ेगा. RLD में वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिम नेताओं के इस्तीफे जयंत चौधरी के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. यह घटनाक्रम से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में RLD की राजनीतिक जमीन को कमजोर हो रही. जयंत चौधरी की सेक्युलर छवि पर सवाल उठ रहे हैं. पहले उन्होंने किसान आंदोलन के जरिए जाट-मुस्लिम एकता को मजबूत किया था, लेकिन BJP के साथ गठबंधन और वक्फ बिल का समर्थन ने सियासी टेंशन RLD की बढ़ा दी है. ऐसे में जयंत चौधरी को मुस्लिम वोटों को साधे रखना मुश्किल हो जाएगा?
ग्रेटर नोएडा में पैसे लेन-देन को लेकर क्रिमिनल केस, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी DGP को हलफनामा दाखिल करने का दिया आदेश
7 Apr, 2025 03:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली: उत्तर प्रदेश में सिविल विवादों को आपराधिक मामलों में बदलने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले में कहा कि यूपी में जो हो रहा है, वह गलत है. रोजाना सिविल मुकदमों को आपराधिक मामलों में बदला जा रहा है. यह बेतुका है. केवल पैसे न देने को अपराध नहीं बनाया जा सकता. ये कानून के शासन का पूरी तरह ब्रेकडाउन है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अब जो भी मामला आएगा, हम पुलिस पर जुर्माना लगाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आपराधिक ट्रायल पर रोक भी लगाई है. साथ ही उत्तर प्रदेश के डीजीपी और जांच अफसर को भी तलब किया है और उसने जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने को कहा है. हालांकि बेंच ने साफ किया धारा 138 NI के तहत कार्यवाही जारी रहेगी. CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा अजीब है कि यूपी में यह आए दिन हो रहा है. वकील भूल गए हैं कि सिविल अधिकार क्षेत्र भी है.
क्या है मामला
ग्रेटर नोएडा में पैसे के लेनदेन के एक मामले को पुलिस ने सिविल केस की जगह क्रिमिनल केस बनाते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि पुलिस ने पैसे लेकर मामले को क्रिमिनल बना दिया. इस मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह में उत्तर प्रदेश के DGP और पुलिस के जांच अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने उपभोक्ता फोरम को आदेश दिया कि वह गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकता
7 Apr, 2025 03:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कलकत्ता हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि उपभोक्ता फोरम गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं कर सकता, बल्कि वह सिर्फ सिविल जेल में नजरबंद करने का आदेश दे सकता है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने यह अहम टिप्पणी जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर की। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने याचिकाकर्ता के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
उपभोक्ता फोरम के अधिकार में नहीं गिरफ्तारी वारंट जारी करना - हाईकोर्ट
न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष ने सुनवाई के दौरान कहा कि कानून उपभोक्ता फोरम को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत गिरफ्तारी वारंट जारी करने का अधिकार नहीं देता। इसके बाद न्यायमूर्ति घोष ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जारी वारंट को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह उपभोक्ता फोरम के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला है।
क्या है मामला
यह मामला वर्ष 2013 का है, जब एक व्यक्ति ने फाइनेंस कंपनी से लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था। लोन देने वाली कंपनी और व्यक्ति के बीच लोन को लेकर हुए एग्रीमेंट को लेकर विवाद हो गया था। जब देनदार कंपनी के 25,716 रुपये चुकाने में विफल रहा, तो कंपनी ने व्यक्ति का ट्रैक्टर जब्त कर लिया। इस पर देनदार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराई। फोरम ने 25,000 रुपये का बकाया ऋण चुकाने के बाद शिकायतकर्ता को ट्रैक्टर का पंजीकरण प्रमाण पत्र सौंपने का निर्देश दिया। लेकिन, जब याचिकाकर्ता ने निर्देशों का पालन नहीं किया, तो उपभोक्ता फोरम ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इस वारंट के खिलाफ व्यक्ति ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां अब हाईकोर्ट ने उसे राहत देते हुए उपभोक्ता फोरम के आदेश पर रोक लगा दी है।
नौकरी घोटाले में ED को झटका, लालू यादव के सहयोगी की जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इनकार
7 Apr, 2025 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रेलवे में कथित भूमि अधिग्रहण घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी और कारोबारी अमित कत्याल को जमानत दिए जाने के खिलाफ ईडी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है। पीठ ने कहा, 'कोई बड़ी मछली नहीं। मुख्य आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। आप केवल छोटी मछलियों के पीछे क्यों पड़े हैं? क्या आप उनके पीछे जाने से डरते हैं? आपने 11 अन्य आरोपियों को क्यों नहीं गिरफ्तार किया?'
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलील
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश कानून की नजर में सही नहीं है। इसे खारिज किया जाना चाहिए।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
दरअसल, पिछले साल 17 सितंबर को हाईकोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनाई गई पक्षपातपूर्ण नीति की निंदा की थी और कत्याल को जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने कहा था कि मामले में किसी अन्य आरोपी की गिरफ्तारी और जांच में शामिल होने के बावजूद उसे रांची जाने से पहले इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से अनावश्यक रूप से हिरासत में लिया गया। जमानत आदेश में कहा गया कि एजेंसी उसकी गिरफ्तारी की आवश्यकता को स्पष्ट नहीं कर सकी। अदालत ने इस आधार पर भी कत्याल को जमानत का हकदार माना कि उसकी भूमिका अन्य आरोपियों की तुलना में बहुत कम थी। 10 नवंबर, 2023 को गिरफ्तारी: कत्याल को ईडी ने 10 नवंबर, 2023 को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था। उन्हें 10 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की दो जमानतें जमा करने पर हाईकोर्ट ने जमानत दी थी।
ईडी का तर्क
ईडी ने तर्क दिया था कि कत्याल ने राजद सुप्रीमो के कथित भ्रष्ट आचरण से होने वाली आय को संभालने में लालू और उनके परिवार के सदस्यों की सक्रिय रूप से मदद की थी। ईडी ने दावा किया था कि कत्याल एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का निदेशक था। इस कंपनी ने लालू की ओर से उम्मीदवारों से जमीन खरीदी थी। इस मामले में राजद सुप्रीमो के परिवार के कुछ अन्य सदस्य भी आरोपी हैं।
निचली अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी
22 मई को एक निचली अदालत ने कत्याल की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें राहत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
जमीन के बदले नौकरी का मामला क्या है?
अधिकारियों ने बताया कि यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप-डी की नियुक्तियों से जुड़ा है। यह नियुक्ति 2004 से 2009 के बीच की गई थी, जब लालू रेल मंत्री थे। इन नियुक्तियों के बदले लोगों ने राजद सुप्रीमो के परिवार या सहयोगियों के नाम पर जमीन के टुकड़े उपहार में दिए या हस्तांतरित किए। 18 मई 2022 को लालू और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
सीडीएस ने अंतरिक्ष संस्कृति विकसित करने पर दिया जोर, कहा- एक नए क्षेत्र के रूप में उभर रहा है
7 Apr, 2025 02:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (डीएससी) जनरल अनिल चौहान ने अंतरिक्ष संस्कृति के विकास का जोरदार आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि मानवता एक ऐसे युग की कगार पर है, जहां अंतरिक्ष युद्ध एक नए क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। इसलिए, अंतरिक्ष संस्कृति विकसित की जानी चाहिए। इसमें सिद्धांत, अनुसंधान और समर्पित युद्ध विद्यालय शामिल हैं। सीडीएस अनिल चौहान ने दिल्ली में भारतीय रक्षा अंतरिक्ष संघ के तीसरे संस्करण के उद्घाटन के दौरान कहा कि भविष्य में सेना का अपना अंतरिक्ष युद्ध विद्यालय भी होगा। अतीत में, समुद्री संस्कृति, स्पेनिश, अंग्रेजी या डच ने दुनिया पर अपना दबदबा बनाया। इसके बाद, एयरोस्पेस संस्कृति ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को हवाई क्षेत्र में विखंडन स्थापित करने में मदद की। दोनों क्षेत्रों का युद्ध पर स्थायी प्रभाव है। इस विशेष संस्कृति के विकास और उस दिशा में इमारतों के निर्माण में सैन्य शक्ति वास्तव में कम थी।
उन्होंने कहा कि आज हम एक ऐसे युग की कगार पर हैं, जहां अंतरिक्ष युद्ध एक नए क्षेत्र के रूप में उभर रहा है। यह युद्ध पर हावी हो रहा है। अंतरिक्ष में युद्ध के तीन प्राथमिक तत्वों (भूमि, समुद्र, वायु) पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब युद्ध का विस्तार समुद्री क्षेत्र में हुआ, तो युद्ध का परिणाम या तो समुद्री क्षेत्र में तय होता था या फिर जमीन पर युद्ध पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता था।
जनरल ने कहा कि जब वायु शक्ति युद्ध लड़ाकू विमान एक प्रमुख उपकरण बन गए। या तो आप वायु क्षेत्र में युद्ध का फैसला करते हैं या फिर जमीन या समुद्री क्षेत्र पर युद्ध पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ता है। अब जब हम कहते हैं कि अंतरिक्ष तीन तत्वों पर प्रभावित हो रहा है, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम अंतरिक्ष को स्वीकार करें। अंतरिक्ष भविष्य में युद्ध की प्रतिबिंब संरचना बन रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे पहले कि हम ऐसी शक्ति विकसित करें, हमें अंतरिक्ष के बारे में बात करने के लिए एक संस्कृति विकसित करनी होगी। क्योंकि अंतरिक्ष संस्कृति महत्वपूर्ण है। यह अंतरिक्ष के उपयोग पर नई सोच के बारे में है, जो नई संभावनाओं के निर्माण की ओर ले जाती है। भौतिक क्षमताएं आपके द्वारा उत्पन्न डिजाइन से विभाजित होती हैं। इसलिए विचार की पीढ़ी बहुत महत्वपूर्ण है। अंतरिक्ष संस्कृति युद्ध पर मूल शोध कर रही है। यह शोध अंतरिक्ष के सिद्धांतों और चट्टानों के विकास के बारे में है। सीडीएस ने कहा कि अंतरिक्ष संस्कृति, अंतरिक्ष या स्मारक जैसे विषयों के विकास के बारे में अवलोकन हुए हैं। वैसे तो अंतरिक्ष संस्कृति के विकास की बहुत संभावना है, लेकिन स्थिर समय में यह साहित्य बहुत कम उपलब्ध है। अंतरिक्ष संस्कृति का निर्माण अंतरिक्ष पर नए स्टार्टअप बनाने के बारे में नहीं है। यह अंतरिक्ष रिकॉर्ड, ब्रह्मांड, अंतरिक्ष युद्ध के नमूने और इस पर विचार करने वाले समाजों के बारे में भी है। मुझे लगता है कि निकट भविष्य में सैनिक के पास अपना खुद का अंतरिक्ष युद्ध स्कूल होना चाहिए।
जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अंतरिक्ष, ब्रह्मांड या ब्रह्मांड के बारे में बात करना हमेशा रोमांचक होता है। अंतरिक्ष भविष्य का विषय है। यह आकर्षक और विचारोत्तेजक है। यह आपकी कल्पना को भी खोलता है। हममें से ज्यादातर लोग अंतरिक्ष और अंतरिक्ष यात्रा पर फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं। उनमें से ज्यादातर कल्पना के पहलुओं में अंतरग्रहीय और अंतरग्रहीय अंतरिक्ष के बारे में हैं। यह एक हिस्सा है जहां हमारी कल्पनाएं हैं और एक हिस्सा जहां यह वास्तविकता है।
SP नेता के खिलाफ ED की रेड, 700 करोड़ के बैंक लोन घोटाले की जांच में जुटी एजेंसी
7 Apr, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गोरखपुर: ईडी ने सोमवार को सपा नेता के ठिकानों पर कार्रवाई की। ईडी ने लखनऊ, गोरखपुर से लेकर मुंबई तक में बने 10 ठिकानों पर छापे मारे हैं। बता दें कि ईडी और सीबीआई पहले भी सपा नेता के ठिकानों पर कार्रवाई कर चुकी है। बता दें कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश में सपा नेता विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कर है। सपा नेता विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की है। सपा नेता के गंगोत्तरी इंटरप्राइजेज कंपनी के करीब 10 जगहों पर ईडी ने सर्च ऑपरेशन चलाया। करीब 700 करोड़ के बैंक लोन घोटाले का मामला सामने आया है।
ईडी ने चिल्लूपार सीट से पूर्व विधायक और सपा नेता विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर एक साथ लखनऊ, गोरखपुर से मुंबई तक ताबड़तोड़ छापेमारी की है। विनय तिवारी करोड़ों के बैंक लोन घोटाले में फंसे हुए हैं। ईडी ने सोमवार को गंगोत्री इंटरप्राइजेज के ऑफिसों पर एक साथ छापेमारी की है। सोमवार की सुबह हुई इस कार्रवाई को एक साथ अंजाम दिया गया है। ईडी ने उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली है। जल्द ही उसे कोर्ट में पेश किया जाना है।
ईडी की जांच में सामने आया था कि मेसर्स गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों, गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था। इस रकम को बाद में उन्होंने अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बैंकों की रकम को वापस नहीं किया। इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की 72.08 करोड़ रुपये की संपत्तियों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नवंबर 2023 में जब्त कर दिया था। ईडी ने यह कार्रवाई विनय तिवारी की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस लिमिटेड द्वारा बैंकों के कंसोर्टियम का करीब 1129.44 करोड़ रुपए हड़पने के मामले में की थी। बैंकों की शिकायत पर सीबीआई मुख्यालय ने केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी विनय तिवारी समेत कंपनी के समस्त निदेशक, प्रमोटर और गारंटर के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। 2023 में राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय ने विनय शंकर तिवारी की गोरखपुर, महराजगंज और लखनऊ स्थित कुल 27 संपत्तियों को जब्त किया था। इसमें कृषि योग्य भूमि, व्यवसायिक कांप्लेक्स, आवासीय परिसर, आवासीय भूखंड आदि शामिल हैं।