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राष्ट्रपति शासन के बाद मणिपुर में हथियार सरेंडर तेज, 104 हथियार सौंपे गए
27 Feb, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद हथियारों का सरेंडर जारी है. बुधवार को 6 जिलों के लोगों अपनी इक्छा से हथियार जमा कराए हैं. पुलिस ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि मणिपुर के 6 जिले में सुरक्षाबलों को कुल 104 हथियार और गोला-बारूद सौंपे गए हैं. सबसे अधिक हथियार इम्फाल पश्चिम जिले में सौंपे गए. इनमें 12 कार्बाइन मशीन गन और मैगजीन भी शामिल हैं. राज्पाल के आदेश के बाद कई हथियार सरेंडर हो चुके हैं.
राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को सात दिन के भीतर स्वेच्छा से पुलिस के सुपुर्द करने की बात कही थी. उन्होंने आश्वासन दिया था कि इस अवधि के दौरान हथियार छोड़ने वालों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह अवधि समाप्त होने के बाद सुरक्षा बल कार्रवाई करेंगे.
13 फरवरी को मणिपुर में लगा था राष्ट्रपति शासन
मई 2023 से इम्फाल घाटी स्थित मैतेई और आसपास के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं. हजारों लोग बेघर हो गए हैं. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अपने पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद पूर्वोत्तर राज्य में राजनीतिक अनिश्चितता पैदा हो गई थी.केंद्र सरकार ने 13 फरवरी को मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर विधानसभा, जिसका कार्यकाल 2027 तक है, को निलंबित कर दिया गया है.
9 फरवरी को CM एन बीरेन ने इस्तीफा दिया था
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को अपना इस्तीफा गवर्नर को सौंपा था. गवर्नर अजय कुमार भल्ला ने इस्तीफा स्वीकार किया. बीरेन सिंह पर राज्य में 21 महीने से जारी हिंसा के चलते काफी दबाव था. विपक्षी पार्टियां भी लगातार NDA से इस मुद्दे पर सवाल पूछ रही थीं. इस्तीफे का फैसला लेने से पहले बीरेन सिंह ने रविवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की थी, जिसके बाद ही इस्तीफा दिया गया था.
सोशल मीडिया यूजर्स के लिए हाई कोर्ट की नसीहत- आलोचना को सहना सीखें
27 Feb, 2025 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोशल मीडिया पर रहने के लिए कंधे चौड़े होने चाहिए. ये टिप्पणी दिल्ली हाई कोर्ट ने की है. अदालत ने मानहानि से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए ये बात कही. दरअसल, एक ऑनलाइन लीगल एजुकेशन प्लेटफॉर्म ने चार लोगों के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था. जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने फैसले में कहा, किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रियाएं मिलना तय है. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रकाशित एक पोस्ट की या तो सराहना की जाएगी या आलोचना की जाएगी और आलोचना को सहन करने के लिए यूजर्स के कंधे चौड़े होने चाहिए.
क्या है पूरा मामला?
ऑनलाइन लीगल एजुकेशन प्लेटफॉर्म लॉ सीखो ने नेशनल लॉ ग्रैजुएट्स की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था. जिसपर लॉ के 4 छात्रों ने जवाब दिया, जिसे लॉ सीखो ने मानहानि कहा.
मुकदमे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने तर्क दिया कि मुख्य ट्वीट अच्छे इरादे के साथ पोस्ट किया गया था जो कानून के छात्रों, कानून फर्मों और शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावित कर रहा था. उसने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि जवाब में आया ट्वीट अपमानजनक था. साइबरस्पेस में उसे बदनाम किया.
मुकदमे में यह भी कहा गया कि ट्वीट्स में प्रतिष्ठा, वित्तीय स्थिरता को भी नुकसान पहुंचा सकता था. वो निवेशकों के विश्वास के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा था. वहीं, एक प्रतिवादी ने तर्क दिया कि ट्वीट उत्तेजक था. लॉ सीखो पर 1 लाख डॉलर का जुर्माना लगाते हुए न्यायमूर्ति अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा कि मुख्य ट्वीट ऑनलाइन ट्रोलिंग के मापदंडों के अंतर्गत आता है.
अपने 54 पेज के फैसले में न्यायमूर्ति अरोड़ा ने कहा कि एक राय व्यक्त करना दंडनीय नहीं है, जब तक कि इससे ठोस नुकसान न हो और मुकदमा निराधार पाया, क्योंकि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अदालत में दायर करने से पहले सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत निवारण की मांग करने में विफल रहा.
मौसम विभाग का अलर्ट: उत्तराखंड में भारी बर्फबारी और बारिश की चेतावनी
27 Feb, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर भारत के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान में पश्चिमी विक्षोभ के असर से मौसम ने करवट बदली और चोटियों पर हिमपात व निचले इलाकों में रुक-रुक कर वर्षा का सिलसिला शुरू हो गया है। जम्मू-कश्मीर में पश्चिमी विक्षोभ का असर दूसरे दिन बुधवार को भी जारी रहा।
श्रीनगर में वर्षा का सिलसिला जारी
कश्मीर में हिमपात व बारिश से तापमान में गिरावट आई है। हिमपात से पवाड़ा-करनाह तथा बांडीपुर-गुरेज मार्ग को आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है। मंगलवार तड़के से श्रीनगर समेत अधिकतर इलाकों में शुरू वर्षा का सिलसिला जारी है।
मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान अधिकतर इलाकों में बर्फबारी व बारिश का सिलसिला बना रहेगा। उत्तराखंड में बुधवार को ताजा पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ और इसी के साथ उच्च हिमालय पर हिमपात का सिलसिला भी शुरू हो गया। निचले इलाकों में भी हल्की वर्षा हो रही है।
उत्तराखंड में भारी वर्षा-बर्फबारी की चेतावनी
मौसम विभाग ने गुरुवार को दून समेत समूचे प्रदेश में भारी वर्षा-बर्फबारी की चेतावनी जारी की है। शुक्रवार को प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में वर्षा-बर्फबारी को लेकर आरेंज अलर्ट जारी किया गया है। उधर, हिमाचल प्रदेश के अधिक ऊंचाई वाले स्थानों रोहतांग सहित सभी दर्रों पर बुधवार को तीन फीट से अधिक हिमपात हुआ।
लाहुल स्पीति में भारी हिमपात के कारण परिवहन सेवा बाधित हो गई है। किन्नौर के ऊपरी क्षेत्रों में चार से पांच इंच तक हिमपात हुआ है। पांगी घाटी में एक से दो फीट तक हिमपात हुआ, जिस कारण घाटी का संपर्क कट गया है। मनाली में भी बर्फ के फाहे गिरे हैं, जबकि प्रदेश के निचले क्षेत्रों में वर्षा हुई।
पंजाब में आंधी, वर्षा व ओलावृष्टि को लेकर ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग ने गुरुवार तक शीतलहर, अगले तीन दिन तक कांगड़ा, चंबा व कुल्लू जिलों के अधिकतर स्थानों पर भारी वर्षा व हिमपात का आरेंज अलर्ट जारी किया है। पंजाब में पिछले दो दिनों से बूंदाबादी व हल्की वर्षा हो रही है। बुधवार को होशियारपुर, गुरदासपुर, पटियाला, पठानकोट, चंडीगढ़, अमृतसर, लुधियाना, पटियाला, बठिंडा व फरीदकोट में बूंदाबांदी व हल्की वर्षा हुई।
मौसम विभाग ने गुरुवार व शुक्रवार को पंजाब के कई जिलों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से तेज हवाएं चलने की संभावना जताई है। कुछ जगहों पर हवा की गति 40 से 50 किलोमीटर भी रह सकती है। कुछ जगहों पर सामान्य से मध्यम वर्षा तो कुछ जगहों पर भारी वर्षा व ओलावृष्टि हो सकती है।
राजस्थान में हल्की बारिश होने की संभावना
उधर, मौसम विभाग के अनुसार नए पश्चिमी विक्षोभ के असर से उत्तर-पश्चिमी व उत्तरी राजस्थान के कुछ भागों में 27 फरवरी से एक मार्च के दौरान कहीं-कहीं मेघगर्जन के साथ हल्की बारिश होने की संभावना है। शेष अधिकतर भागों में मौसम शुष्क बना रहेगा।
महाकुंभ 2025: पीएम मोदी बोले- देशभर से संगम की ओर उमड़ा जनसैलाब
27 Feb, 2025 11:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ आज संपन्न हो गया। 45 दिनों तक चले इस महाआयोजन में 66 करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में स्नान कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया। वहीं अब पीएम मोदी ने महाकुंभ संपन्न होने के बाद एक ब्लॉग में अपने विचार शेयर किए हैं।
उन्होंने सबसे पहले कहा, महाकुंभ संपन्न हुआ एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है! महाकुंभ के पूर्ण होने पर जो विचार मन में आए, उन्हें मैंने कलमबद्ध करने का प्रयास किया है।
'महाकुंभ एकता का महाकुंभ था'
पीएम ने कहा है, 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देशभक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था, जहां 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ गई थी।
तीर्थराज प्रयाग के इसी क्षेत्र में एकता, समरसता और प्रेम का पवित्र क्षेत्र श्रृंगवेरपुर भी है, जहां प्रभु श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था। उनके मिलन का वो प्रसंग भी हमारे इतिहास में भक्ति और सद्भाव के संगम की तरह ही है। प्रयागराज का ये तीर्थ आज भी हमें एकता और समरसता की वो प्रेरणा देता है।
बीते 45 दिन, प्रतिदिन, मैंने देखा, कैसे देश के कोने-कोने से लाखों-लाख लोग संगम तट की ओर बढ़े जा रहे हैं। संगम पर स्नान की भावनाओं का ज्वार, लगातार बढ़ता ही रहा। हर श्रद्धालु बस एक ही धुन में था- संगम में स्नान। मां गंगा, यमुना, सरस्वती की त्रिवेणी हर श्रद्धालु को उमंग, ऊर्जा और विश्वास के भाव से भर रही थी।
'इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं'
प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है।
पूरी दुनिया हैरान है कि कैसे एक नदी तट पर, त्रिवेणी संगम पर इतनी बड़ी संख्या में करोड़ों की संख्या में लोग जुटे। इन करोड़ों लोगों को ना औपचारिक निमंत्रण था, ना ही किस समय पहुंचना है, उसकी कोई पूर्व सूचना थी। बस, लोग महाकुंभ चल पड़े...और पवित्र संगम में डुबकी लगाकर धन्य हो गए।
मैं वो तस्वीरें भूल नहीं सकता...स्नान के बाद असीम आनंद और संतोष से भरे वो चेहरे नहीं भूल सकता। महिलाएं हों, बुजुर्ग हों, हमारे दिव्यांग जन हों, जिससे जो बन पड़ा, वो साधन करके संगम तक पहुंचा।
युवाओं का महाकुंभ में आगे आना, बड़ा संदेश-पीएम मोदी
पीएम ने कहा, मेरे लिए ये देखना बहुत ही सुखद रहा कि बहुत बड़ी संख्या में भारत की आज की युवा पीढ़ी प्रयागराज पहुंची। भारत के युवाओं का इस तरह महाकुंभ में हिस्सा लेने के लिए आगे आना, एक बहुत बड़ा संदेश है। इससे ये विश्वास दृढ़ होता है कि भारत की युवा पीढ़ी हमारे संस्कार और संस्कृति की वाहक है और इसे आगे ले जाने का दायित्व समझती है और इसे लेकर संकल्पित भी है, समर्पित भी है।
बीते कुछ दशकों में पहले कभी नहीं हुआ-पीएम
इस महाकुंभ में प्रयागराज पहुंचने वालों की संख्या ने निश्चित तौर पर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। लेकिन इस महाकुंभ में हमने ये भी देखा कि जो प्रयाग नहीं पहुंच पाए, वो भी इस आयोजन से भाव-विभोर होकर जुड़े। कुंभ से लौटते हुए जो लोग त्रिवेणी तीर्थ अपने साथ लेकर गए, उस जल की कुछ बूंदों ने भी करोड़ों भक्तों को कुंभ स्नान जैसा ही पुण्य दिया। कितने ही लोगों का कुंभ से वापसी के बाद गांव-गांव में जो सत्कार हुआ, जिस तरह पूरे समाज ने उनके प्रति श्रद्धा से सिर झुकाया, वो अविस्मरणीय है।
कुछ ऐसा हुआ है, जो बीते कुछ दशकों में पहले कभी नहीं हुआ। ये कुछ ऐसा हुआ है, जो आने वाली कई-कई शताब्दियों की एक नींव रख गया है।
प्रयागराज में जितनी कल्पना की गई थी, उससे कहीं अधिक संख्या में श्रद्धालु वहां पहुंचे। इसकी एक वजह ये भी थी कि प्रशासन ने भी पुराने कुंभ के अनुभवों को देखते हुए ही अंदाजा लगाया था। लेकिन अमेरिका की आबादी के करीब दोगुने लोगों ने एकता के महाकुंभ में हिस्सा लिया, डुबकी लगाई।
'युग परिवर्तन की आहट'
आध्यात्मिक क्षेत्र में रिसर्च करने वाले लोग करोड़ों भारतवासियों के इस उत्साह पर अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं मानता हूं, ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो भारत का नया भविष्य लिखने जा रही है।
महाकुंभ की इस परंपरा से, हजारों वर्षों से भारत की राष्ट्रीय चेतना को बल मिलता रहा है। हर पूर्णकुंभ में समाज की उस समय की परिस्थितियों पर ऋषियों-मुनियों, विद्वत् जनों द्वारा 45 दिनों तक मंथन होता था। इस मंथन में देश को, समाज को नए दिशा-निर्देश मिलते थे।
अर्धकुंभ में परिस्थितियों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा होती
इसके बाद हर 6 वर्ष में अर्धकुंभ में परिस्थितियों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा होती थी। 12 पूर्णकुंभ होते-होते, यानि 144 साल के अंतराल पर जो दिशा-निर्देश, जो परंपराएं पुरानी पड़ चुकी होती थीं, उन्हें त्याग दिया जाता था, आधुनिकता को स्वीकार किया जाता था और युगानुकूल परिवर्तन करके नए सिरे से नई परंपराओं को गढ़ा जाता था।
144 वर्षों के बाद होने वाले महाकुंभ में ऋषियों-मुनियों द्वारा, उस समय-काल और परिस्थितियों को देखते हुए नए संदेश भी दिए जाते थे। अब इस बार 144 वर्षों के बाद पड़े इस तरह के पूर्ण महाकुंभ ने भी हमें भारत की विकासयात्रा के नए अध्याय का संदेश दिया है। ये संदेश है- विकसित भारत का।
विकसित भारत के महायज्ञ के लिए जुटना-पीएम
जिस तरह एकता के महाकुंभ में हर श्रद्धालु, चाहे वो गरीब हों या संपन्न हों, बाल हो या वृद्ध हो, देश से आया हो या विदेश से आया हो, गांव का हो या शहर का हो, पूर्व से हो या पश्चिम से हो, उत्तर से हो दक्षिण से हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी विचारधारा का हो, सब एक महायज्ञ के लिए एकता के महाकुंभ में एक हो गए। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का ये चिर स्मरणीय दृश्य, करोड़ों देशवासियों में आत्मविश्वास के साक्षात्कार का महापर्व बन गया। अब इसी तरह हमें एक होकर विकसित भारत के महायज्ञ के लिए जुट जाना है।
तेलंगाना सुरंग बचाव अभियान: खोजी कुत्तों के सहारे अब बढ़ेगी तलाश
27 Feb, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नगरकुरनूल। तेलंगाना के नगरकुरनूल जिलान्तर्गत श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में फंसे आठ लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने में बचाव दल को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पांच दिन बाद भी अभी तक उन्हें कोई सफलता नहीं मिल पाई है। फंसे हुए लोगों का पता लगाने के लिए अब खोजी कुत्ते की मदद ली जाएगी।
संपर्क करने के लिए कुत्ते की मदद
नगरकुरनूल जिला कलेक्टर बी. संतोष ने कहा, ''सुरंग में कीचड़ जमने लगा है। इसलिए अब हम फंसे हुए लोगों से संपर्क करने के लिए स्निफर डाग (खोजी कुत्ता) की भी मदद लेने पर विचार कर रहे हैं। हम भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) और राष्ट्रीय भौगोलिक अनुसंधान संस्थान (एनजीआरआइ) के विशेषज्ञों की भी सलाह ले रहे हैं ताकि आगे की कार्य योजना तैयार की जा सके।''
अभी फंसे हुए लोग काफी दूर
संतोष ने यह भी कहा कि बचाव दल थर्मल फिशिंग बोट का उपयोग करके सुरंग के अंदर दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में सक्षम हो गए हैं। शुरू में फंसे हुए लोगों और बचाव दल के बीच 40 या 50 मीटर का फासला था। वहां कीचड़ था। लेकिन, अब वह अधिकतम सीमा तक जम गया है। इसलिए बचाव दल दुर्घटना स्थल तक पहुंच सका है। हमारे पास एक खोजी कुत्ता है। हम उसे ले जाएंगे। इसलिए कुत्ते की मदद से हम उनका पता लगाने की कोशिश करेंगे जो हमारी प्राथमिकता है।
फंसे हुए लोगों से कोई संपर्क नहीं
नगरकुरनूल के पुलिस अधीक्षक वैभव गायकवाड़ ने बताया, ''एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रैट माइनर्स की 20 सदस्यीय टीम सुरंग के दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में सफल रही। लेकिन वहां बहुत सारा मलबा था। वे अब इस पर काम कर रहे हैं कि कैसे आगे बढ़ा जाए।'' कृषि मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि फंसे हुए लोगों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है, हालांकि सुरंग में लगातार आक्सीजन पहुंचाई जा रही है।
कठिन कार्यों के दौरान दुर्घटनाएं हो सकती हैं : जयप्रकाश गौर
इस परियोजना की ठेकेदार कंपनी जेपी समूह के संस्थापक अध्यक्ष जयप्रकाश गौर ने बुधवार को कहा कि कठिन कार्यों के दौरान दुर्घटनाएं हो सकती हैं। जेपी समूह की प्रमुख कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को एसएलबीसी की सुरंग खोदने का ठेका दिया गया था। उन्होंने कहा कि बचाव दल यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि फंसे हुए लोग सुरक्षित बाहर आ सकें।
असम के मोरीगांव में भूकंप के झटके, तीव्रता 5.0 दर्ज
27 Feb, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोरीगांव। असम के मोरीगांव जिले में गुरुवार तड़के रिक्टर पैमाने पर 5.0 तीव्रता का भूकंप आया। इसकी जानकारी नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) ने दी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) कहा कि भूकंप गुरुवार की रात 2:25 बजे आया और उसका केंद्र 16 किलोमीटर की गहराई पर था। इससे पहले मंगलवार तड़के बंगाल की खाड़ी में रिक्टर पैमाने पर 5.1 तीव्रता का भूकंप आया था।
गुवाहाटी और राज्य के अन्य हिस्सों में महसूस किए गए झटके
भूकंप के झटके गुवाहाटी और राज्य के अन्य हिस्सों में महसूस किए गए। 5.0 तीव्रता वाले भूकंप को मध्यम माना जाता है, जिसमें घर के अंदर की वस्तुओं के हिलने, खड़खड़ाहट की आवाज और मामूली क्षति होने की संभावना होती है। असम में भूकंप काफी आम हैं क्योंकि यह राज्य भारत के सबसे अधिक भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में से एक है।
असम में तेज भूकंप की खतरा
यह भूकंपीय क्षेत्र V के अंतर्गत आता है, जिसका अर्थ है कि यहां तेज झटकों का खतरा अधिक है। पिछले कुछ वर्षों में, इस क्षेत्र में कुछ बड़े भूकंप देखे गए हैं, जैसे 1950 का असम-तिब्बत भूकंप (8.6 तीव्रता) और 1897 शिलांग भूकंप (8.1 तीव्रता) - दोनों इतिहास में सबसे मजबूत भूकंपों में से एक हैं।
यह बंगाल की खाड़ी में आए 5.1 तीव्रता के भूकंप के कुछ दिनों बाद आया है, जिसके झटके कोलकाता और पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों में महसूस किए गए। एनसीएस ने बताया कि भूकंप 25 फरवरी को सुबह 6:10 बजे आया। भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि भूकंप ओडिशा में पुरी के पास दर्ज किया गया था।
अधिकारी ने बताया कि भूकंप बंगाल की खाड़ी में 91 किमी की गहराई पर आया। हालांकि भूकंप के झटकों से कोलकाता के निवासियों में क्षणिक दहशत फैल गई, लेकिन क्षति या हताहत की तत्काल कोई रिपोर्ट सामने नहीं आई है।
रूसी मीडिया का दावा: पीएम मोदी विजय दिवस परेड में होंगे शामिल
26 Feb, 2025 06:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 मई को मॉस्को के रेड स्क्वायर पर होने वाली परेड में भाग लेने के लिए रूस जा सकते हैं। यह परेड ग्रेट पैट्रियोटिक वॉर में विजय की 80वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित की जाएगी।
बुधवार को सूत्रों के हवाले से यह दावा किया। एजेंसी ने माना कि पीएम मोदी के दौरे की संभावनाएं काफी ज्यादा हैं।
रिहर्सल के लिए पहुंचेगी सेना की टुकड़ी
इसमें कहा गया है कि परेड में शामिल होने के लिए इंडियन आर्म्ड फोर्स की एक टुकड़ी को रिहर्सल के लिए परेड से एक महीने पहले पहुंचना होगा। एजेंसी ने दावा किया है कि इस पर भी काम किया जा रहा है।
इसके मुताबिक, भारतीय सैन्य कर्मियों को भेजने से संबंधित मु्द्दों पर फिलहाल चर्चा की जा रही है। बता दें कि इससे पहले रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि 9 मई को मॉस्को में होने वाले इवेंट के लिए कई देशों को निमंत्रण भेजा गया था, जिन्होंने इसे स्वीकार भी कर लिया है।
9 मई को होगा ग्रेट पैट्रियोटिक वॉर का जश्न
रिपोर्ट के अनुसार, 'रूसी राष्ट्रपति दिमित्री पेसकोव के प्रेस सचिव ने कहा कि 9 मई के जश्न में भाग लेने के लिए केवल CIS ही नहीं, बल्कि विभिन्न देशों के नेताओं को मॉस्को आमंत्रित किया जाएगा।'
उन्होंने संकेत दिया कि रूस उन सभी विदेशी मेहमानों को देखकर खुश होगा, जो मॉस्को में विजय दिवस के महत्व को समझते हैं।
कज़ान में मिले थे पुतिन और मोदी
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर रूस की अध्यक्षता में कज़ान में आयोजित 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस का दौरा किया था।
यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह यूक्रेन में युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका और रूसी अधिकारियों के बीच बातचीत के बीच होगी। इस महीने की शुरुआत में रियाद में पहले दौर की बातचीत हुई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पिछली यात्राओं के दौरान रूसी राष्ट्रपति और यूक्रेनी राष्ट्राध्यक्ष व्लादमीर जेलेंस्की के साथ बैठकों में शांति की वकालत की थी।
शेरगिल ने कहा- Air India को हर श्रेणी में 'सबसे खराब' का अवार्ड मिलना चाहिए, जानिए क्यों
26 Feb, 2025 01:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Air India: केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने एयर इंडिया को निशाने पर लिया है. जयवीर शेरगिल ने मंगलवार देर रात सोशल मीडिया पर मैसेज पोस्ट कर एयर इंडिया की सर्विसेज को लेकर अपनी गहरी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने अपने मैसेज में यहां तक लिख दिया है कि ‘अगर सबसे खराब एयरलाइंस के लिए कोई ऑस्कर के बराबर पुरस्कार होता तो एयर इंडिया हर श्रेणी में जीतती.’पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वकील जयवीर शेरगिल ने नाराजगी जाहिए करते हुए एयर इंडिया की खामियों के बारे में भी लिखा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में पोस्ट किए मैसेज में एयरलाइंस की बदहाली बयां करते हुए लिखा है कि टूटी हुई सीटें, सबसे खराब कर्मचारी, दयनीय ऑन ग्राउंड सपोर्ट स्टाफ, कस्टमर सर्विस को बारे में दो टूक रवैया. उन्होंने आगे लिखा है कि एयर इंडिया में उड़ान भरना एक सुखद अनुभव नहीं है, लेकिन आज इसने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं.
शिवराज सिंह भी जता चुके हैं अपनी नाराजगी
यहां आपको बता दें कि जयवीर शेरिगल खुद भी पायलट हैं. उनके पास निजी पायलट लाइसेंस है और वह शौकिया तौर पर फ्लाइट उड़ाते हैं. बीजेपी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल से पहले केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी एयर इंडिया की सर्विसेज को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. एक्स पर पोस्ट के जरिए शिवराज सिंह चौहान ने बताया था कि पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के प्रतिनिधियों से चर्चा करने के लिए उन्हें उन्हें भोपाल से दिल्ली आना था.
शिवराज सिंह ने AI को लेकर कही थी यह बात
उनके लिए एयर इंडिया की फ्लाइट AI436 में टिकट करवाया था, जिसमें उन्हें सीट नंबर 8C आवंटित की गई थी. सीट पर बैठने के बाद शिवराज सिंह को पता चला कि सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी. जिस पर बैठकर सफर करना बेहद तकलीफदायक था. जब उन्होंने क्रू से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? तब उन्हें बताया गया कि मैनेजमेंट को पहले ही इस बारे में जानकारी दे दी गई थी, ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए. ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं.
बेहतर सेवा को शिवराज ने बताया था भ्रम
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी पोस्ट में यह भी लिखा था कि ‘मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला. मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है. क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है? क्या आगे किसी यात्री को ऐसा कष्ट न हो, इसके लिए एयर इंडिया प्रबंधन कदम उठाएगा या यात्रियों की जल्दी पहुंचने की मजबूरी का फायदा उठाता रहेगा’.
महाशिवरात्रि से पहले बड़ा मामला, द्वारका के मंदिर से शिवलिंग गायब
26 Feb, 2025 01:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुजरात। महाशिवरात्रि की पूर्व संध्या पर गुजरात के देवभूमि द्वारका में हर्षद समुद्र तट के पास श्री भीदभंजन भवनीश्वर महादेव मंदिर से कथित तौर पर एक 'शिवलिंग'की चोरी हुई है। इस घटना के बाद पुलिस द्वारा बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया गया।
समु्द्र में शिवलिंग छिपाए जाने का है संदेह
पुलिस अधीक्षक नितेश पांडे ने कहा कि चोरी हुए 'शिवलिंग' का पता लगाने के लिए टीमों को तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि, अधिकारियों को संदेह है कि शिवलिंग को समुद्र में छिपाया जा सकता है इसलि स्कूबा गोताखोरों और तैराकों को सहायता के लिए बुलाया गया है।
एसपी ने कहा, "भीड़भंजन भवानीश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ने पुलिस को सूचना दी थी कि किसी ने मंदिर से 'शिवलिंग' चुरा लिया है। इसके बाद टीमें गठित की गई और जांच की जा रही है।
स्कूबा गोताखोरों और तैराकों की ली जा रही मदद
उन्होंने आगे कहा, ऐसी संभावना है कि किसी ने शिवलिंग को समुद्र में छिपा दिया होगा और इसलिए हमने विशेषज्ञ स्कूबा गोताखोरों और तैराकों को बुलाया है। आगे की जांच चल रही है।
हाईकोर्ट का आदेश: दफ्तर में झपकी लेने पर क्या है कानून, जानें नया फैसला
26 Feb, 2025 01:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बेंगलुरु: क्या दफ्तर में काम के दौरान आपको झपकी आती है, क्या आपके साथी या बॉस आपको ऑफिस में काम के दौरान झपकी लेने पर परेशान करते हैं? अगर ऐसा है तो हाईकोर्ट का यह फैसला आपको जरूर पढ़ना चाहिए. कर्नाटक के एक कांस्टेबल चंद्रशेखर के पावरनैप का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो उसे नौकरी से निलंबित कर दिया. फिर कोर्ट में उस कांस्टेबल ने जो दलीलें दी उस पर हाईकोर्ट के जज ने कहा कि संविधान के तहत लोगों के सोने और आराम करने के अधिकार की मान्यता दी है और समय-समय पर आराम और नींद के महत्व पर जोर दिया है. जज ने आगे कहा कि इसलिए, इस मामले में याचिकाकर्ता के ड्यूटी के दौरान सोने में कोई गलती नहीं मानी जा सकती है.
कर्नाटक राज्य परिवहन निगम (केकेआरटीसी) के एक ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल, जिसे लगातार दो महीने तक 16 घंटे की शिफ्ट करने के बाद 10 मिनट की झपकी लेने के लिए निलंबित कर दिया गया था. इस मामले में अब कांस्टेबल को हाईकोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने केकेआरटीसी द्वारा जारी निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति ने कहा कि केकेआरटीसी प्रबंधन ने ही गलती की थी, क्योंकि उन्होंने कांस्टेबल को बिना ब्रेक के दो महीने तक एक दिन में दो शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया था.
हाईकोर्ट ने दिया क्या आदेश?
हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता को वेतन सहित सभी लाभ मिलेंगे. यदि याचिकाकर्ता ने एक शिफ्ट में ड्यूटी के दौरान सोया होता, तो यह निश्चित रूप से गलत होता. जज ने कहा कि इस मामले में, याचिकाकर्ता को बिना ब्रेक के 60 दिनों तक एक दिन में 16 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया गया था. चंद्रशेखर को 13 मई 2016 को कोप्पल डिवीजन में कर्नाटक राज्य परिवहन कांस्टेबल के रूप में नौकरी ज्वाइन की. 23 अप्रैल 2024 को एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता को काम पर सोते हुए पाया गया था. 1 जुलाई, 2024 को चंद्रशेखर को निलंबित कर दिया गया.
क्या थी कोर्ट में कांस्टेबल की दलीलें
इसे आदेश को चुनौती देते हुए कांस्टेबल चंद्रशेखर ने हाईकोर्ट में दलील दी कि उसे सोने का मौका तक नहीं दिया जा रहा था, क्योंकि उन्हें लगातार दो महीने तक बार-बार शिफ्ट में काम करने के लिए मजबूर किया गया था और इसलिए काम पर सो गए. केकेआरटीसी ने तर्क दिया कि ड्यूटी पर सोते हुए याचिकाकर्ता के वीडियो ने निगम की बदनामी की है.
जज काम के घंटे पर क्या बोले?
न्यायमूर्ति ने नोट किया कि एक केएसटी कांस्टेबल के काम के घंटे एक दिन में आठ घंटे होते हैं. भारी काम के बोझ के कारण चंद्रशेखर को दो शिफ्ट करने के लिए कहा गया था. मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 24 में कहा गया है कि सभी को आराम और छुट्टी का अधिकार है, जिसमें काम के घंटों की उचित सीमा और वेतन के साथ समय-समय पर छुट्टियां शामिल हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, जिसका भारत एक हिस्सा है उसमें भी काम और जीवन के संतुलन को मान्यता दी गई है. काम के घंटे एक हफ्ते में 48 घंटे और एक दिन में 8 घंटे से अधिक नहीं होने चाहिए, सिवाय असाधारण परिस्थितियों के.
जज ने आगे कहा कि केकेआरटीसी की अपनी गलती के लिए निलंबन की कार्रवाई निस्संदेह एक ऐसी कार्रवाई है जो सद्भावना की कमी से ग्रस्त है. जज ने कहा कि इस आदेश को रद्द किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता को सेवा की निरंतरता और निलंबन की अवधि के लिए वेतन सहित सभी परिणामी लाभ प्राप्त करने का अधिकार है.
बस कंडक्टरों से मारपीट पर एक्शन लेगी सरकार, मंत्री प्रताप सरनाईक का बयान
26 Feb, 2025 12:57 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच बस विवाद जोर पकड़ रहा है। इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। साथ ही दोनों राज्यों के बीच इस वक्त बस सेवाएं ठप पड़ी हैं। ये राज्य एक दूसरे के स्टेट में बस सेवाएं नहीं भेज रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री ने प्रताप सरनाईक राज्य परिवहन निगम (MSRTC) में मार्शल तैनात करने की बात कही है।
परिवहन मंत्री ने कहा है, 'मराठी हमारा गौरव है और हमें अपने यात्रियों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए। महाराष्ट्र को अपने आप पर गर्व है। अगर पड़ोसी राज्य के लोग हमारे लोगों को धमकाते हैं तो हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।'
कैबिनेट की बैठक में होगी चर्चा
उन्होंने आगे कहा- इस मुद्दे पर राज्य कैबिनेट की बैठक में भी चर्चा की जाएगी। दोनों राज्यों के बीच बस सेवा टर्मिनेट होने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। परिवहन विभाग के अधिकारी कर्नाटक के अधिकारियों से बात कर रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने इस मामले में कहा बस यात्रियों को सुरक्षा देना कर्नाटक सरकार की भी जिम्मेदारी है। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं, तो महाराष्ट्र सरकार सुरक्षा देगी।
वहीं, कर्नाटक के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा- कंडक्टर पर हमला करने वालों के खिलाफ गुंडा एक्ट में कार्रवाई होगी। कंडक्टर के खिलाफ POCSO मामले में दर्ज केस वापस लेने के लिए गृह मंत्री डॉ जी परमेश्वर से चर्चा करेंगे।
पीड़ित परिवार ने शेयर किया वीडियो
पीड़िता के परिवार के लोगों ने एक वीडियो साझा कर उन्होंने मामला वापस लेने का फैसला किया है। इसके साथ उन्होंने इस मामले को बढ़ाना बंद करने का अनुरोध किया है जो कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच भाषा का मुद्दा बन गया है
विरोध प्रदर्शनों के बीच अब इस बच्ची की तरफ से बड़ा यू-टर्न लिया गया है। बच्ची की शिकायत पर कर्नाटक के बस कंडक्टर के खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया गया था। अब उसके पिता का कहना है कि वो अपनी शिकायत वापस लेने जा रहे हैं।
क्या था मामला?
पिछले सप्ताह भाषा को लेकर बेलगावी टिकट विवाद में बस कंडक्टर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई गई थी। लड़की ने मंगलवार को शिकायत वापस लेने की मांग की। उसके माता-पिता ने जोर देकर कहा कि वे भी कन्नड़ के प्रशंसक हैं ताकि सीमा पार भड़के विवाद को कम किया जा सके। दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक के बस कंडक्टर ने टिकट लेते वक्त बच्ची से कन्नड़ में बोलने का अनुरोध किया था।
शशि थरूर की कांग्रेस से नाराजगी, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बागी तेवर अपनाए
26 Feb, 2025 12:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शशि थरूर : कांग्रेस के दिग्गज नेता और चार बार के सांसद शशि थरूर इन दिनों अपनी सियासी भूमिका को लेकर कशमकश की स्थिति से गुजर रहे हैं. कांग्रेस में थरूर खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. राहुल गांधी से मुलाकात कर शशि थरूर ने पार्टी में नजरअंदाज किए जाने की शिकायत की. साथ ही पार्टी में अपने सियासी रोल के बारे में जानने की कवायद की, लेकिन राहुल के दरबार से मायूस और खाली हाथ लौटने के बाद अब थरूर ने बागी तेवर अपना लिया है.
शशि थरूर ने पहले पीएम मोदी के अमेरिका दौरे की तारीफ की और फिर केरल की पिनराई विजयन सरकार की तारीफ करते हुए एक लेख लिखा, तब से कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं. ऐसे में शशि थरूर ने साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि वो फिलहाल कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है तो उनके पास दूसरे विकल्प हैं. इस तरह थरूर ने कांग्रेस हाईकमान को सियासी संदेश दे दिया है.
थरूर लेफ्ट जाएंगे या फिर राइट
शशि थरूर ने साफ-साफ पार्टी को बता दे दिया है कि कांग्रेस मेरा इस्तेमाल करना चाहती है तो मैं पार्टी के लिए मौजूद रहूंगा. अगर पार्टी को उनकी जरूरत नहीं तो उनके पास करने के लिए अपने काम भी हैं. थरूर ने कहा कि कांग्रेस को यह नहीं सोचना चाहिए कि मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है. मेरे पास किताबें, भाषण और दुनिया भर से निमंत्रण हैं. इस तरह उन्होंने बता दिया है कि उनके पास कांग्रेस के सिवा भी काम करना का विकल्प है, जिसके बाद ही सियासी कयास लगाए जा रहे हैं.
डिप्लोमैट से सियासत में आए शशि थरूर को 16 साल हो गए हैं, लेकिन फिलहाल वो नाराज माने जा रहे हैं. शशि थरूर अगर कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनकी सियासी राह किस दिशा में आगे बढ़ेगी, लेफ्ट या फिर राइट. लेफ्ट पार्टी में जाएंगे या बीजेपी का दामन थामेंगे. लेफ्ट और राइट के साथ नहीं जाएंगे तो क्या गुलाम नबी आजाद के नक्शेकदम पर चलेंगे और अपनी खुद की पार्टी बनाएंगे. आजाद ने कांग्रेस छोड़कर अपनी पार्टी बनाई है और जम्मू-कश्मीर की सियासत में सक्रिय हैं.
शशि थरूर क्या बीजेपी में जाएंगे?
पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने पीएम मोदी के अमेरिकी दौरे पर राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हुए मुलाकात की तारीफ करते हुए देश हित में बताया था. इसके बाद थरूर ने मंगलवार को बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ अपनी फोटो X पर शेयर की, जिसमें ब्रिटेन के ट्रेड सेक्रेटरी जोनाथन रेनॉल्ड्स भी हैं. इसके बाद ही कहा जाने लगा कि शशि थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं तो बीजेपी उनका अगला सियासी ठिकाना बन सकती है.
बीजेपी केरल में अपना सियासी विस्तार करने में जुटी है. ऐसे में बीजेपी को एक ऐसे चेहरे की तलाश है, जो केरल की राजनीति में पार्टी को सियासी बुलंदी दे सके. ऐसे में बीजेपी के लिए शशि थरूर मुफीद साबित हो सकते हैं. थरूर भारतीय राजनीति के ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के चेहरे हैं. बीजेपी के साथ जाने पर थरूर को सत्ता में शामिल होने का मौका मिल सकता है. केंद्र में मंत्री बनने का रास्ता बन सकता है. इसके अलावा केरल की राजनीति में बीजेपी का चेहरा बन सकते हैं.
थरूर जिस तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट से चार बार के सांसद हैं, वहां पर बीजेपी का अच्छा-खासा जनाधार भी है. पिछले तीन आम चुनाव से तिरुवनंतपुरम सीट पर बीजेपी दूसरे नंबर पर रही है. थरूर भले ही जीतने में कामयाब रहे हों, लेकिन बीजेपी प्रत्याशी भी 3 लाख से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहे हैं. 2024 में थरूर सिर्फ 16,077 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी राजीव चंद्रशेखर से जीत सके थे. इस तरह बीजेपी में जाते हैं तो थरूर को तिरुवनंतपुरम सीट पर बहुत ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी.
बीजेपी के साथ जाने पर केंद्र में मंत्री से लेकर केरल की सियासत में चेहरे बनने जैसी तमाम सियासी संभावनाएं बनने के बावजूद शशि थरूर तैयार नहीं है. बीजेपी में जाने की संभावनाओं को थरूर ने सिरे से खारिज कर दिया है. इसकी एक बड़ी वजह वैचारिक मतभेद है. बीजेपी की हार्ड हिंदुत्व वाली राजनीति से अलग थरूर की राजनीति रही है. शशि थरूर की उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष वाली सियासत रही है. थरूर ने कहा भी है कि मैं सांप्रदायिक राजनीति का विरोध करता हूं और आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय में विश्वास रखता हूं. इस तरह थरूर ने बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है. इससे साफ है कि थरूर बीजेपी में नहीं जाएंगे.
क्या लेफ्ट का दामन थामेंगे थरूर?
शशि थरूर ने कांग्रेस छोड़ते हैं तो उनका सियासी ठिकाना लेफ्ट पार्टी हो सकती है. ये बात इसलिए कही जा रही है कि हाल ही में थरूर ने केरल के सीएम पिनराई विजयन के अगुवाई वाली एलडीएफ सरकार की औद्योगिक नीति की तारीफ की थी. शशि थरूर ने अपने लेख में यह भी कहा कि केरल भारत के टेक्नोलॉजिकल और इंडस्ट्रियल चेंज का नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है. इसी के बाद से ही कहा जा रहा है कि थरूर कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. लेफ्ट ने भी थरूर को लेने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं.
सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक ने कहा कि अगर शशि थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं तो वे केरल की राजनीति में अकेले नहीं रहेंगे. उनको अपनी राजनीतिक स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए, लेकिन सीपीआई (एम) के लिए थरूर को स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी (लेफ्ट) ने पहले भी कई कांग्रेसी नेताओं को लिया है. साथ ही कहा कि थरूर के इतने लंबे वक्त तक कांग्रेस में बने रहने को चमत्कार बताया है. इससे साफ जाहिर है कि लेफ्ट थरूर के लिए तैयार बैठी है.
शशि थरूर के लिए लेफ्ट के साथ जाने में किसी तरह की कोई वैचारिक कठिनाई नहीं होगी. केरल की राजनीति दो ध्रुव में बंटी हुई है, एक तरफ लेफ्ट की अगुवाई वाली एलडीएफ है तो दूसरी तरफ कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ है. एलडीएफ में जाने पर उनकी केरल विचारधारा भी बची रहेगी और लेफ्ट में सियासी मुकाम भी मिल सकता है. लेफ्ट में उनके जाने से कांग्रेस को बड़ा सियासी झटका लगेगा, क्योंकि अगले साल केरल में विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस दस साल से केरल की सत्ता से दूर है और थरूर की लोकप्रियता शहरी वोटों में ठीक-ठाक है.
हालांकि, शशि थरूर जिस तरह की राजनीति करते हैं, उसके चलते लेफ्ट के ढांचे में फिट बैठना आसान नहीं है. वामपंथी सियासत देश में दिन ब दिन सिकुड़ती ही जा रही है. लेफ्ट के साथ जाने में थरूर को सिर्फ केरल की सियासत में ही लाभ मिल सकता है, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में अपने मुकाम को बनाए रखना आसान नहीं होगा.
थरूर क्या आजाद की राह पर चलेंगे?
शशि थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं और लेफ्ट-राइट दोनों ही सियासी दिशा में आगे नहीं बढ़ते हैं तो उनके पास तीसरा विकल्प गुलाम नबी आजाद की तरह अपना अलग सियासी दल बनाने की होगी. शशि थरूर ने जब से राजनीति में कदम रखा है, वो लगातार चुनाव जीत रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि केरल के शहरी क्षेत्रों में उनका जनाधार है. मोदी लहर में भी तिरुवनंतपुरम जैसी सीट से जीतने में सफल रहे हैं. इससे उनकी लोकप्रियता को समझा जा सकता है.
केरल की करीब 48 फीसदी आबादी शहरी है. इन इलाकों में शशि थरूर की अपनी पैठ मानी जाती है. तिरुवनंतपुरम लोकसभा सीट क तहत सात विधानसभा की सीटें आती हैं, जिस पर थरूर का सियासी प्रभाव काफी तगड़ा है. इसके अलावा केरल 140 में से करीब 50-60 सीटें शहरी क्षेत्र की हैं, जिस पर शशि थरूर अपना प्रभाव रखते हैं.
शशि थरूर को उदारवादी से लेकर कम्युनिस्ट और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग भी पसंद करते हैं. ऐसे में अगर शशि थरूर कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बनाते हैं तो कांग्रेस के सत्ता में आने का सपना चूर हो जाएगा. इसका फायदा दूसरी पार्टियों को मिल सकता है. इसके अलावा थरूर अगर कुछ सीटें जीतने में सफल रहते हैं तो किंगमेकर की भूमिका में भी आ सकते हैं. केरल में तमाम छोटी-छोटी पार्टियां हैं, जिनका आधार एक-दो सीटें पर ही है. वो एलडीएफ या फिर यूडीएफ खेमे के साथ जुड़े हुए हैं. ऐसे में देखना होगा कि थरूर अपना किस दिशा में कदम बढ़ाते हैं?
पश्चिमी विक्षोभ का असर, यूपी-बिहार-राजस्थान में बारिश के आसार
26 Feb, 2025 12:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में इन दिनों मौसम का मिजाज बदला हुआ है। मौसम विभाग ने मौसम को लेकर नया अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण आज मौसम करवट बदलेगा और तीन दिन दिल्ली में हल्की या बहुत हल्की वर्षा हो सकती है।
आसमान में आज बादल छाए रह सकते हैं, रात में हल्की बारिश और बूंदाबांदी हो सकती है। बात करें अगर यूपी के मौसम की तो उत्तर प्रदेश में हल्की ठंड देखने को मिली है। मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में तापमान थोड़ा और नीचे जा सकता है। वहीं 27 फरवरी 2025 से प्रदेश में बारिश होने की भी संभावना है। यह बारिश अगले 2 दिनों तक जारी रह सकती है।
पश्चिमी यूपी के नोएडा, गाजियाबाद, शामली, बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, हापुड़ और मुरादाबाद में गरज-चमक के साथ बारिश होगी.
इन जिलों में होगी बारिश
1 मार्च को भी प्रदेश में बारिश होने की संभावना जताई गई है।
साथ ही बादल गरजने व बिजली चमकने का अलर्ट जारी किया गया है।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, आज उत्तराखंड के कई राज्यों में बारिश होगी।
पौड़ी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, टिहरी, देहरादून, और अल्मोड़ा में गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है।
राजस्थान में कैसा रहेगा मौसम?
मौसम विभाग की मानें तो पहाड़ी इलाकों में एक्टिव हुए पश्चिमी विक्षोभ का असर राजस्थान के मौसम पर भी देखने को मिलेगा। यहां 28 फरवरी को बारिश होने की संभावना जताई जा रही है। मौसम विभाग ने अरुणाचल प्रदेश में आंधी-तूफान के साथ बारिश होने का येलो अलर्ट जारी किया है।
पहाड़ों पर बर्फबारी के आसार
मौसम विभाग ने जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी के साथ बारिश की संभावना जताई है। जबकि पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तराखंड और हरियाणा में बारिश की संभावना जताई है।
श्रद्धालुओं की भीड़ को संभालने के लिए रेलवे का खास प्लान, अतिरिक्त ट्रेनें होंगी संचालित
26 Feb, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ के अंतिम स्नान को देखते हुए रेलवे ने विशेष तैयारी की है। बुधवार को 350 से अधिक ट्रेनें चलाने की तैयारी है। रेलवे का मानना है कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड एवं बंगाल समेत विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज आए हुए हैं।
महाशिवरात्रि के बाद भी बड़ी संख्या में संगम पहुंचेंगे श्रद्धालु
अमृत स्नान के बाद सबकी बेताबी घर लौटने की होगी। ऐसे में विभिन्न स्टेशनों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने की संभावना है। इसे देखते हुए रेलवे ने अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने कार्य स्थल पर मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है। मौनी अमावस्या के दिन भी 360 से अधिक ट्रेनें चलाकर लगभग 20 लाख से अधिक लोगों को गंतव्य तक पहुंचाया गया था।
महाशिवरात्रि के बाद भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का प्रयागराज आना-जाना जारी रह सकता है। ऐसे में बाद में भी अतिरिक्त ट्रेनें चलाने की तैयारी है। प्रयागराज के समीप वाले स्टेशनों पर अतिरिक्त रेक रखे गए हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर किया जा सकेगा।
इन स्टेशनों पर सामान्य दिनों की तुलना में अत्यधिक भीड़
रेल मंत्रालय के अनुसार, पिछले दो दिनों से बिहार के पटना, दानापुर, मुजफ्फरपुर, गया, सासाराम, कटिहार, खगडि़या, सहरसा, जयनगर, दरभंगा स्टेशनों पर यात्रियों की संख्या अधिक रही।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी, कानपुर, गोंडा, दीनदयाल उपाध्याय, झांसी जिलों के स्टेशनों पर भी ऐसी ही स्थिति देखी गई। मध्य प्रदेश के चित्रकूट, जबलपुर, सतना, खजुराहो स्टेशनों पर भी सामान्य दिनों की तुलना में अत्यधिक भीड़ थी।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के लिए रवाना
इसी तरह झारखंड के धनबाद, बोकारो, रांची, गढ़वा और मेदनीनगर से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज के लिए रवाना हुए। महाशिवरात्रि की भीड़ के मद्देनजर रेलवे ने सुरक्षा, आश्रय, आसान टिकट वितरण एवं ट्रेनों की व्यवस्था की है।
प्रयागराज के पास के स्टेशनों पर रेलवे वाणिज्य विभाग के 1500 से अधिक तथा रेल सुरक्षा बल के 3000 से अधिक जवानों की तैनाती की गई है। रेलवे सुरक्षा विशेष बल की 29 टुकडि़यां, महिला रेलवे सुरक्षा विशेष बल की दो टुकड़ियां, 22 डाग स्क्वाड एवं और बम डिस्पोजल स्क्वाड को भी तैनात किया गया है।
महाकुंभ के 42वें दिन तक 15 हजार से अधिक ट्रेनें चलाईं
महाकुंभ के लिए रेलवे ने प्रारंभ में लगभग 13500 ट्रेनें चलाने की योजना बनाई थी। महाकुंभ के 42वें दिन तक 15 हजार से अधिक ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं, जिनमें बड़ी संख्या में स्पेशल ट्रेनें भी शामिल हैं।
हिंदी थोपने के खिलाफ तमिलनाडु में गरमाया माहौल, स्टालिन ने केंद्र को घेरा
26 Feb, 2025 09:33 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चेन्नई। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत तीन भाषा मुद्दे को लेकर राजग के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच जारी विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश एक और भाषा की लड़ाई को लेकर तैयार है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश पर हिंदी थोपकर केंद्र भाषा युद्ध के बीज बो रही है और इस भाषा के वर्चस्व की अनुमति नहीं दी जाएगी।
प्रदेश किसी भाषा के विरुद्ध नहीं- डीएमके
डीएमके अध्यक्ष ने कहा कि प्रदेश किसी भाषा के विरुद्ध नहीं है और अगर कोई विशेष भाषा सीखना चाहता है तो उसके बीच में नहीं आएगा, लेकिन वे किसी अन्य भाषा को हावी होने और मातृभाषा तमिल को नष्ट करने की अनुमति ना देने के लिए भी दृढ़ हैं। यही कारण है कि हम द्विभाषी (तमिल और अंग्रेजी) का पालन कर रहे हैं।
मातृभाषा की रक्षा डीएमके के खून में
पड़ोसी राज्यों समेत देश के कई प्रदेशों ने तमिलनाडु द्वारा अपनाए गए रास्ते और दृढ़ रुख को महसूस करने के साथ अपनी चिंताएं जाहिर करना शुरू कर दिया है। हिंदी के वर्चस्व के खिलाफ संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि इसे समाप्त नहीं कर दिया जाता। मातृभाषा की रक्षा डीएमके के खून में है और मेरी जिंदगी के अंत तक कम नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि संसद में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), केंद्रीय फंड और नीट जैसे मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए पर्याप्त संख्या में सांसदों की आवश्यकता है। इस वजह से लोकसभा के परिसीमन के मुद्दे को लेकर आगामी 5 मार्च को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें सभी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया जाएगा। उन्होंने राजनीतिक मतभेद भुलाकर सभी से दलों से एकजुटता दिखाने की अपील की।
सीएम स्टालिन ने कही ये बात
स्टालिन ने कहा, ''परिसीमन के नाम पर दक्षिणी राज्यों पर तलवार लटक रही है। तमिलनाडु सभी विकास सूचकांक में अग्रणी था, जनसंख्या नियंत्रण के लिए सफलतापूर्वक परिवार नियोजन कार्यक्रम लागू करने के बावजूद आठ सीटें खोने का खतरा मंडरा रहा है। परिसीमन के बाद सीटें कम हो सकती हैं क्योंकि इसका आधार राज्यों की जनसंख्या है। हमारे केवल 31 सांसद ही बचेंगे, जबकि वर्तमान में 39 सांसद हैं। संसद में हमारा प्रतिनिधित्व कम हो जाएगा। यह तमिलनाडु के अधिकारों का मामला है। सभी राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर पार्टी लाइन से हटकर एकजुट होते हुए आवाज उठानी चाहिए।''
डीएमके की छात्र इकाई ने प्रदेश में बड़ा प्रदर्शन
वहीं, इसे लेकर मंगलवार को डीएमके की छात्र इकाई ने प्रदेश में बड़ा प्रदर्शन किया। जबकि अभिनेत्री से नेता बनीं रंजना नचियार ने इस मुद्दे को लेकर मंगलवार को भाजपा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। एआइएडीएमके सांसद एम थंबीदुरई ने चुनाव से पहले इसे डीएमके की राजनीतिक चाल बताया।