धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
कभी नहीं होगी पैसों की तंगी, तुलसी की जड़ से करें ये सरल उपाय
23 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का महत्वपूर्ण धार्मिक महत्व माना जाता है। कहा जाता है कि इस पौधे में देवी लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर के आंगन में ये पौधे लगाए जाते हैं, वहां परिवार को आगे बढ़ने और जीवन में आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।
तुलसी के धार्मिक महत्व के अलावा इसमें कई जबरदस्त आयुर्वेदिक गुण भी हैं। यही वजह है कि हर हिंदू के घर में इस पौधे को लगाना आम माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी के पत्तों के अलावा इसकी जड़ों से बने उपाय भी व्यक्ति की किस्मत बदल सकते हैं। आइए आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
धन प्राप्ति के लिए तुलसी के पौधे के ज्योतिष उपाय
ग्रह दोष शांत होते हैं
अगर आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति कमजोर रहती है, जिससे आपको काफी नुकसान हो रहा है तो चिंता न करें। अशुभ ग्रहों की शांति के लिए तुलसी की जड़ को लाल कपड़े में बांधकर रखें। कहा जाता है कि इस उपाय को करने से कुंडली में ग्रहों की स्थिति मजबूत होती है जिससे आपकी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
कार्य में सफलता प्राप्त करें
यदि बहुत प्रयास करने के बाद भी आपको अपने इच्छित कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो आपको तुलसी की जड़ का उपाय आजमाना चाहिए। इसके लिए तुलसी की जड़ को गंगाजल से साफ करके पीले कपड़े में बांध लें। माना जाता है कि ऐसा करने से लाभ मिलता है और रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं।
पैसा पाने के लिए
जो लोग आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं वे भी तुलसी की जड़ का उपाय करके अपना भाग्य चमका सकते हैं। इसके लिए उन्हें प्रतिदिन तुलसी की जड़ में जल अर्पित करना चाहिए। साथ ही सुबह-शाम तुलसी के सामने दीपक जलाना शुरू करें। आप तुलसी की जड़ को लाल कपड़े में बांधकर गले में धारण कर सकते हैं। कहा जाता है कि इस उपाय को करने से परिवार की आर्थिक तंगी दूर होने लगती है।
गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले
23 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तरकाशी में अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर विश्वप्रसिद्ध गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम (Gangotri and Yamunotri Dham) के कपाट विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा हर्षोल्लास के साथ होगी।
तय कार्यक्रमानुसार गंगोत्री धाम के कपाट सुबह 12 बजकर 35 मिनट पर और यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए। अब अगले 6 माह तक श्रद्धालु गंगोत्री में मां गंगा एवं यमुनोत्री धाम में मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे।
25 अप्रैल को श्री केदारनाथ (Kedarnath) एवं 27 अप्रैल को श्री बद्रीनाथ (Badrinath) के कपाट खुलते ही चारों धामों के दर्शन श्रद्धालु कर सकेंगे। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का देवभूमि आगमन पर स्वागत करने को आज श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल भी बरसाए गए।
देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का देवभूमि उत्तराखंड में स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि चारधाम यात्रा हर्षोल्लास के साथ होगी। धामी ने गंगोत्री धाम में पूजा-अर्चना कर मां गंगाजी का आशीर्वाद लिया। वे यमुनोत्री के शीतकालीन धाम खरसाली पहुंचे और वहां से यमुनोत्री की डोली को शनि महाराज की अगुवाई में उन्होंने यमुनोत्री रवाना कराया।
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष हरीश सेमवाल ने बताया कि शनिवार को विधि-विधान के साथ गंगापूजन, गंगा सहस्रनाम पाठ एवं विशेष पूजा-अर्चना के बाद सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग पर 12.35 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए।
यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि पूजा-अर्चना एवं हवन करने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिजीत मुहूर्त में 12.41 बजे यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए दर्शनार्थ खोल दिए गए।
सोना नहीं राशि के अनुसार खरीदें ये धातु, बनेंगे बिगड़े काम, सालभर नहीं रहेगी किसी चीज की कमी
23 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है। वैशाख मास की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं। इस शुभ अवसर पर खरीदारी करना शुभ माना जाता है। लोग इस दिन वाहन, घर या आभूषण जैसी चीजें खरीदते हैं, इसके अलावा माना जाता है कि इस दिन खाने-पीने की चीजें खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
इस दिन (अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023) अगर आप अपनी राशि के अनुसार खरीदारी करते हैं तो साल भर आप पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
मेष राशि - इस दिन मेष राशि के जातकों को मान्यताओं के अनुसार दालों की खरीदारी करनी चाहिए, ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी.
वृष :- वृष राशि वालों को चावल और बाजरा खरीदना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
मिथुन :- मिथुन राशि के लोग मग और धनिया खरीदें, ऐसा करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
कर्क :- कर्क राशि के जातकों को दूध और चावल खरीदना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
सिंह - सिंह राशि वालों के लिए फल खरीदना उन्हें अच्छे परिणाम देगा, ऐसे में आपको फल खरीदना चाहिए.
कन्या :- आज के दिन मग खरीदना कन्या राशि वालों के लिए शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
तुला राशि - तुला राशि वालों के लिए चीनी और चावल खरीदना अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से पारिवारिक जीवन सुखमय रहता है।
वृश्चिक- अक्षय तृतीया पर आपको गुड़ और जल खरीदना चाहिए, ऐसा करने से आपको आपके कार्यों में सफलता मिलेगी.
धनु - अक्षय तृतीया के शुभ अवसर पर आपको केले और चावल खरीदने चाहिए. ऐसा करने से आपको अपने काम में सफलता मिलेगी।
मकर राशि- मकर राशि के जातकों को दही और दालें खरीदनी चाहिए। यह आपको अच्छे परिणाम देगा।
कुंभ राशि- कुंभ राशि के जातकों को तिल खरीदना चाहिए। ऐसा करने से आपको परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
मीन राशि- मीन राशि के जातकों को हल्दी और दाल खरीदनी चाहिए, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है.
कर्म का फल हैं योनियां
23 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवों में शरीर तथा इन्द्रियों की विभिन्न अभिव्यक्तियां प्रकृति के कारण हैं। कुल मिलाकर 84 लाख भिन्न-भिन्न योनियां हैं और ये सब प्रकृतिजन्य हैं। जीव के विभिन्न इन्द्रिय-सुखों से ये योनिया मिलती हैं जो इस या उस शरीर में रहने की इच्छा करता है। जब उसे विभिन्न शरीर प्राप्त होते हैं तो वह विभिन्न प्रकार के सुख तथा दुख भोगता है। उसके भौतिक सुख-दुख शरीर के कारण होते हैं, स्वयं उसके कारण नहीं। उसकी मूल अवस्था में भोग में कोई सन्देह नहीं रहता, अत: वही उसकी वास्तविक स्थिति है। वह प्रकृति पर प्रभुत्व जताने के लिए भौतिक जगत में आता है। वैपुंठ लोक शुद्ध है, किन्तु भौतिक जगत में प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न प्रकार के शरीर-सुखों को प्राप्त करने के लिए संघर्षरत रहता है।
यह कहने से बात और स्पष्ट हो जाएगी कि यह शरीर इन्द्रियों का कार्य है। इन्द्रियां इच्छाओं की पूर्ति का साधन हैं। यह शरीर तथा हेतु रूप इन्द्रियां प्रकृति द्वारा प्रदत्त हैं और जीव को पूर्व आकांक्षा तथा कर्म के अनुसार परिस्थितियों के वश वरदान या शाप मिलता है। जीव की इच्छाओं तथा कर्मों के अनुसार प्रकृति उसे विभिन्न स्थानों में पहुंचाती है। जीव स्वयं ऐसे स्थानों में जाने तथा मिलने वाले सुख-दुख का कारण होता है।
एक प्रकार का शरीर प्राप्त होने पर वह प्रकृति के वश में हो जाता है। शरीर, पदार्थ होने के कारण प्रकृति के नियमानुसार कार्य करता है। उस समय शरीर में ऐसी शक्ति नहीं होती कि वह उस नियम को बदल सके। उदाहरण के लिए ज्यों ही वह कुत्ते के शरीर में स्थापित किया जाता है, उसे कुत्ते की भांति आचरण करना होता है। यदि जीव को शूकर का शरीर प्राप्त होता है, तो वह मल खाने तथा शूकर की भांति रहने के लिए बाध्य है। इसी प्रकार यदि जीव को देवता का शरीर प्राप्त होता है, तो उसे अपने शरीर के अनुसार कार्य करना होता है। यही प्रकृति का नियम है। लेकिन समस्त परिस्थितियों में परमात्मा जीव के साथ विद्यमान रहता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (23 अप्रैल 2023)
23 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा, भय कष्ट, व्यापार बाधा, लाभ, पारिवारिक समस्या उलझी रहेगी, ध्यान देवें।
वृष राशि - शुभ, भय, रोग, स्वजन, सुख लाभ, शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता प्रगति का योग है।
मिथुन राशि - वाहन भय, मातृ, कष्ट, हानि, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा, ध्यान रखेंगे।
कर्क राशि - सफलता, उन्नति, शुभ कार्य, विवाद, राजकार्य व मामलें मुकदमें की स्थिति कष्टप्रद होवें।
सिंह राशि - शरीर कष्ट, अपव्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार के योग बने, कार्य अवश्य होवें।
कन्या राशि - खर्च विवाद स्त्री कष्ट विद्या लाभ, धीरे-धीरे सुधार के साथ अर्थलाभ होवेंगा।
तुला राशि - यात्रा से हानि, राज लाभ, शरीर कष्ट, खर्च की यात्रा अधिक रहे, ध्यान रखेंगे।
वृश्चिक राशि - वृत्ति से लाभ, यात्रा से लाभ, व्यापार में सुधार होगा, खर्च होते ही रहेंगे।
धनु राशि - अल्प लाभ, चौराग्नि शरीर, भय मानसिक परेशानी अपवाद उलझनों का सामना करें।
मकर राशि - शत्रु से हानि, अपव्यय, शरीर आदि सुख होवें कभी-कभी कुछ व्यवस्था रहेंगी।
कुंभ राशि - शुभ व्यय, संतान सुख कार्य, सफलता उत्साह की वृद्धि होवेंगी, रुके कार्य करें।
मीन राशि - पदोन्नति, राजभय, न्याय लाभ हानि, अधिकारियों से मन मुटाव बनेंगा।
एक चुटकी हल्दी दूर करेगी हर परेशानी, लक्ष्मी कृपा से होगी धनवर्षा
22 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर घर की रसोई में हल्दी का प्रयोग रसोई में भोजन आदि के स्वाद को बढ़ाने के लिए किया जाता है। हल्दी सेहत के लिहाज से जितनी महत्वपूर्ण मानी जाती है। उतना ही इसका उपयोग टोने टोटको में भी किया जाता है।
ज्योतिषशास्त्र की मानें तो हल्दी के कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें सही तरीके से अगर किया जाए तो व्यक्ति की किस्मत चमक जाती है और साथ ही साथ मां लक्ष्मी की कृपा से उस पर धन वर्षा होती हैं तो आज हम आपको एक चुटकी हल्दी का उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
हल्दी के अचूक उपाय-
अगर आप पर किसी की बुरी नजर लगी हुई हैं जिसके कारण आपको रोग बीमारी व अन्य कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तो ऐसे में आप हल्दी का उपाय कर सकते हैं इसके लिए हल्दी की गांठ लेकर उसे मौली के साथ बांधें और अपने साथ रखकर सो जाएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से नजर दोष दूर हो जाता है। वही इसके अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को अगर एक चुटकी हल्दी अर्पित किया जाए तो इससे किस्मत के द्वार खुल जाते हैं और लक्ष्मी कृपा से जातक पर धन वर्षा होने लगती है।
अगर कड़ी मेहनत के बाद भी आपको कार्य में सफलता हासिल नहीं हो रही है या फिर आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। तो ऐसे में आप बुधवार के दिन भगवान श्री गणेश को हल्दी अर्पित करें। इस उपाय को करने से हर काम में आपको सफलता मिलेगी और जीवन में आने वाली परेशानियां व आर्थिक तंगी भी दूर हो जाएगी।
ब्राह्मण होते हुए भी आचरण से क्षत्रिय क्यों हुए भगवान परशुराम
22 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्कंद पुराण और विश्व पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु जन्म से एक ब्राह्मण के रूप में पैदा हुए थे और क्षत्रिय भृगुवंशी परशुराम वैशाख शुक्ल तृतीया को रेणुका के गर्भ से कर्म द्वारा पैदा हुए थे।
वह ऋषि जमदग्नि की संतान हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार, परशुराम की मां रेणुका और महर्षि विश्वामित्र की मां ने एक साथ पूजा की और ऋषि ने प्रसाद चढ़ाते हुए प्रसाद का आदान-प्रदान किया। इस आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप, परशुराम ब्राह्मण होने के बावजूद स्वभाव से क्षत्रिय थे और विश्वामित्र को क्षत्रिय पुत्र होने के बावजूद ब्रह्मर्षि कहा जाता था।
भगवान परशुराम को यह नाम इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने फरसा अर्थात परशु को अपने पास रखा था। धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि सीता स्वयंवर के समय भगवान शिव का धनुष टूट जाने के कारण उनके विशेष भक्त परशुराम स्वयंवर स्थल पर पहुंचे और धनुष टूटने पर काफी नाराजगी भी व्यक्त की, लेकिन जैसे ही वे आए हकीकत जान वह भगवान शिव के धनुष को तोड़ने के लिए आया था। उन्होंने श्री राम को अपना धनुष-बाण लौटा दिया और उन्हें समर्पण कर साधु का जीवन व्यतीत करने लगे। दक्षिण भारत में कोंकण और चिपलून में भगवान परशुराम के कई मंदिर हैं। इन मंदिरों में वैशाख शुक्ल तृतीया को परशुराम जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है और उनके जन्म की कथा भी सुनी जाती है। इस दिन परशुरामजी की पूजा और उन्हें अर्घ्य देने का बहुत महत्व है।
त्रेता युग
इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्च राशि में होते हैं। इसलिए व्यक्ति मन और आत्मा दोनों से मजबूत रहता है, इसलिए इस दिन आप जो भी काम करते हैं, वह मन और आत्मा से जुड़ा रहता है। ऐसे में अक्षय तृतीया के दिन की जाने वाली पूजा और दान-पुण्य का बहुत महत्व और असर होता है. नर नारायण, परशुराम, हयग्रीव ने इसी तिथि को अवतार लिया था और इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी।
दुनिया में सबसे शक्तिशाली हैं ये दो चीज़, आज की चाणक्य नीति
22 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य को भारतवर्ष ही नहीं बल्कि विश्व के श्रेष्ठतम विद्वानों में से एक माना जाता है। इनकी नीतियां पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिसे चाणक्य नीति नाम से जाना जाता है। चाणक्य के अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया है। कहते हैं कि चाणक्य की नीतियों का अनुसरण अगर कोई मनुष्य कर लेता है तो उसका पूरा जीवन सरल और सफल हो जाता है।
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य से जुड़े हर विषय पर अपनी नीतियों का निर्माण किया है। चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिए दो ऐसी चीजों के बारे में बताया है जो सबसे अधिक शक्तिशाली होती है। जिसके होने से मनुष्य हर चीज को अपने जीवन में हासिल कर सकता है, तो आज की हमारी चाणक्य नीति इसी विषय पर है, तो आइए जानते है।
आज की चाणक्य नीति
चाणक्य नीति कहती है कि दुनिया में सबसे शक्तिशाली और मूल्यवान वस्तु मनुष्य का ज्ञान और उसका परिश्रम है। जिस भी मनुष्य के भीतर ये दो गुण होते हैं वह हर चीज़ को हासिल कर सकता है। चाणक्य एक श्लोक के मध्यम से बताते है कि चाहे कोई भी वस्तु कितनी ही दूर क्यों ना हो। उसका मिलना कितना ही कठिन क्यों ना हो।
वह पहुंच से बाहर क्यों ना हो। लेकिन कठिन तपस्या यानी परिश्रम और ज्ञान के बल पर उसे भी प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि परिश्रम और ज्ञान ही सबसे शक्तिशाली वस्तु है। जिसके होने से मनुष्य सब कुछ हासिल कर सकता है और हर परेशानी से भी बाहर निकल सकता है।
मृत्यु का अर्थ
22 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मृत्यु एक शात सत्य है। यह अनुभूति प्रत्यक्ष प्रमाणित है, फिर भी इसके संबंध में कोई दर्शन नहीं है। अब तक जितने ऋषि-महर्षि या संत-महंत हुए हैं, उन्होंने जीवन दर्शन की चर्चा की है। जीवन के बारे में ऐसी अनेक दृष्टियां उपलब्ध हैं जिनसे जीवन को सही रूप में समझा जा सकता है और जिया जा सकता है। किंतु मृत्युक को एक अवश्यंभावी घटना मात्र मानकर उपेक्षित कर दिया गया। मृत्यु के पीछ भी कोई दर्शन है, इस रहस्य को अधिक लोग पकड़ ही नहीं पाए। यही कारण है कि जीवन दर्शन की भांति मृत्यु दर्शन जीवन में उपयोगी नहीं बन सका।
जैन दर्शन एक ऐसा दर्शन है जिसने जीवन को जितना महत्व दिया, उतना ही महत्व मृत्यु को दिया। बशत्रे कि वह कलात्मक हो। कलात्मक जीवन जीने वाला व्यक्ति जीवन की सब विसंगतियों के मध्य जीता हुआ भी उसका सार तत्व खींच लेता है। इसी प्रकार मृत्यु की कला समझने वाला व्यक्ति भी मृत्यु से भयभीत न होकर उसे चुनौती देता है। जैन दर्शन में इसका सर्वागीण विवेचन उपलब्ध है।
मृत्यु का अर्थ है- आयुष्य प्राण चुक जाने पर जीव का स्थूल शरीर से वियोग।इसके कई प्रकार हैं। उन सबका संक्षिप्त वर्गीकरण किया जाए तो मृत्यु के दो प्रकार होते हैं- बाल मरण और पंडित मरण. असंयम और असमाधिमय मरण बाल मरण है।अकाल मृत्यु, आत्महत्या, अज्ञान मरण आदि सभी प्रकार के मरण बाल मरण में अंतर्निहित हैं। संयम और समाधिमय मृत्यु पंडित मरण है। जीवन के अंतिम क्षणों में भी संयम और समाधि का स्पर्श हो जाए तो वह मरण पंडित मरण की गणना में आ जाता है। कुछ व्यक्ति मौत के नाम से ही घबराते हैं। वे जीवन को महत्व देते हैं। अपना-अपना चिंतन है। मुझे इस संबंध में अपने विचार देने हों तो मैं मृत्यु को वरीयता दूंगा। क्योंकि जीवन की सार्थकता भी मृत्यु पर ही निर्भर करती है। किसी व्यक्ति ने तपस्या की है और जागरुकता के साथ धर्म की आराधना की है, तो उसका फल समाधिमय मृत्यु ही है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (22 अप्रैल 2023)
22 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मित्र से पीड़ा, यात्रा, विवाद, मातृ-कष्ट, व्यर्थ का विरोध, पड़ोसियों से विरोध बनेगा।
वृष राशि :- धन व्यय, व्यापार में प्रगति, शुभ कार्य होगा, परिवार में अनुकूलता बनी रहेगी।
मिथुन राशि :- पितृ-कष्ट, यात्रा योग, व्यय लाभ, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा।
कर्क राशि :- यात्रा सुख, भूमि लाभ, हर्ष, सिद्धी, खेती व गृह कार्य की व्यवस्था उत्तम बनेगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, अपव्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधारादि कार्य होंगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री-कष्ट, विद्या-लाभ, धीरे-धीरे सुधार के साथ लाभ अवश्य ही होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हानि, राजलाभ, शरीर कष्ट, खर्च अधिक होगा, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पत्ति लाभ, व्यापार में सुधार होगा, खर्च होते ही रहेंगे।
धनु राशि :- अल्प लाभ, चोटाग्नि भय, शरीर भय, मानसिक परेशानी, अपवाद या उलझन का सामना करेंगे।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, अपव्यय, शरीरादि सुख होगा, कभी-कभी कुछ कमी की व्यवस्था बनेगी।
कुंभ राशि :- शुभ व्यय, संतान सुख, कार्य-सफलता, उत्साह में वृद्धि होगी, रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, लाभ-हानि तथा अधिकारियों से मनमुटाव होगा, ध्यान दें।
कब और कहां हुआ था गुरु अंगद देव जी का जन्म?
21 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सिख धर्म के दूसरे गुरु, गुरु अंगद देव (Guru Angad Dev) थे। उनका वास्तविक नाम लहणा था। गुरु अंगद साहिब यानी लहणा जी का जन्म तिथि के अनुसार वैसाख वदी 1 को पंजाब के फिरोजपुर में हरीके नामक गांव में हुआ था। तारीख के अनुसार उनका जन्म 31 मार्च 1504 ईस्वी में हुआ था। उनके पिता श्री फेरू जी एक व्यापारी थे और उनकी माता का नाम रामो जी था।
गुरु नानक जी ने इनकी भक्ति और आध्यात्मिक योग्यता से प्रभावित होकर इन्हें अपना अंग मना और अंगद नाम दिया था। गुरु अंगद देव सृजनात्मक व्यक्तित्व और आध्यात्मिक क्रियाशीलता थी जिससे पहले वे एक सच्चे सिख बने और फिर एक महान गुरु।
उन्हें खडूर निवासी भाई जोधा सिंह से गुरु दर्शन की प्रेरणा मिली। एक बार उन्होंने गुरु नानक जी का एक गीत एक सिख भाई को गाते हुए सुन लिया। इसके बाद उन्होंने गुरु नानक देव जी से मिलने का मन बनाया। और कहते हैं कि गुरु नानक जी से पहली मुलाकात में ही गुरु अंगद जी ने सिख धर्म में परिवर्तित होकर कतारपुर में रहने लगे। इन्होंने ही गुरुमुखी की रचना की और गुरु नानक देव की जीवनी लिखी थी।
कहा जाता है कि गुरु बनने के लिए नानक देव जी ने उनकी 7 परिक्षाएं ली थी। सिख धर्म और गुरु के प्रति उनकी आस्था देखकर गुरु नानक जी ने उन्हें दूसरे नानक की उपाधि दी और गुरु अंगद का नाम दिया। तब से वे सिक्खों के दूसरे गुरु कहलाएं। नानक देव जी के निधन के बाद गुरु अंगद देन ने नानक के उपदेशों को आगे बढ़ाने का काम किया और गुरु अंगद साहब के नेतृत्व में ही लंगर की व्यवस्था का व्यापक प्रचार हुआ।
सिखों के तीसरे गुरु, गुरु अमर दास जी ने एक बार अपनी पुत्रवधू से गुरु नानक देव जी द्वारा रचित एक 'शबद' सुना। उसे सुनकर वे इतने प्रभावित हुए कि पुत्रवधू से गुरु अंगद देव जी का पता पूछकर तुरंत उनके गुरु चरणों में आ बिराजे। उन्होंने 61 वर्ष की आयु में अपने से 25 वर्ष छोटे और रिश्ते में समधी लगने वाले गुरु अंगद देव जी को गुरु बना लिया और लगातार 11 वर्षों तक एकनिष्ठ भाव से गुरु सेवा की।
सिखों के दूसरे गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा और समर्पण से प्रसन्न होकर एवं उन्हें सभी प्रकार से योग्य जानकर 'गुरु गद्दी' सौंप दी। इस प्रकार वे गुरु अमर दास जी उनके उत्तराधिकारी और सिखों के तीसरे गुरु बन गए। 29 मार्च 1552 को गुरु अंगद देव जी ने अपना शरीर त्याग दिया।
अक्षय तृतीया 2023 पर कब कर सकते हैं गृह प्रवेश?
21 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
22 अप्रैल को अक्षया तृतीया का शुभ दिन है। इसे दिन को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है। अबूझ मुहूर्त में पूरे दिन को ही शुभ मुहूर्त माना जाता है अत: किसी भी समय गृह प्रवेश किया जा सकता है।
फिर भी यदि आप शुभ मुहूर्त में गृह प्रवेश करना चाहते हैं तो जानिए गृह प्रवेश के शुभ मुहूर्त।
नोट : हालांकि ज्योतिष के अनुसार अप्रैल में गृह प्रवेश के कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। 1, 3, 6, 11, 15, 20, 22, 29 और 31 मई को शुभ मुहूर्त है। लेकिन यदि फिर भी आप अक्षया तृतीया के शुभ दिन गृह प्रवेश करना चाहते हैं तो निम्नलिखित मुहूर्त में करें गृह प्रवेश।
शुभ मुहूर्त:-
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त : प्रात: 07:51:19 से 12:19:56 तक।
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12:12 से 01:03 तक।
विजय मुहूर्त : दोपहर 02:44 से 03:35 तक।
अमृत काल : रात्रि 08:58 से 10:35 तक।
शुभ योग:-
त्रिपुष्कर योग : सुबह 06:17 से 07:49 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : सुबह 11:24 से अगले दिन सुबह 06:16 तक।
अमृत सिद्धि योग : रात्रि 11:24 से अगले दिन सुबह 06:16 तक।
रवि योग : रात्रि 11:24 से अगले दिन 06:16 तक।
समुद्र मंथन से जुड़ी है राहुकाल की कथा, जानें- क्यों माना जाता है इसे अशुभ
21 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवताओं की श्रेणी में बैठे दैत्य राहु ने धोखा देकर समुद्र मंथन के दौरान निकला अमृत प्राप्त कर लिया और वह अमृत उसके गले तक पहुंच गया, इसलिए चंद्रमा और सूर्य ने उस रूप में विष्णु से बात की।
मोहिनी नाम की स्त्री। विष्णुजी ने तुरंत अपने चक्र से उसका सिर काट दिया, तब सिर आकाश में गर्जना करने लगा और उसका भारी धड़ तड़प कर जमीन पर गिर पड़ा। इस घटना से विष्णुजी ने अपना मोहिनी रूप त्याग दिया और नाना प्रकार के भयानक अस्त्र-शस्त्रों से राक्षसों को डराने लगे।
इस पर उसी समुद्र के तट पर देवताओं और असुरों में भयानक युद्ध हुआ। दोनों ओर से तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग होने लगा। भगवान विष्णु ने भी तेजी से पहिया घुमाया, जिससे असुरों के टुकड़े-टुकड़े हो गए या मारे गए। जैसे ही चक्र का प्रभाव होता, अंग उसके शरीर से अलग हो जाते और रक्तधारा फट जाती। कुछ असुर देवताओं की तलवार से घायल हो गए और जमीन पर तड़पने लगे। पूरा समुद्र तट लाल हो गया और रक्त समुद्र की ओर बहने लगा। असुर और देवता किसी तरह एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। चारों तरफ लड़ाई-झगड़े का शोर सुनाई दे रहा था।
इस भीषण युद्ध में भगवान विष्णु को युद्ध के मैदान में नर और नारायण की भूमिका में देखा गया था। उस पुरुष के दिव्य धनुष को देखकर नारायण को अपने चक्र की याद आई और उसी समय सूर्य के समान चमकते हुए आकाश में एक गोलाकार चक्र दिखाई दिया। भगवान नारायण द्वारा संचालित, चक्र दुश्मन दल के चारों ओर चला गया और एक ही समय में सैकड़ों राक्षसों को मारना शुरू कर दिया। असुर भी आकाश में उड़ गए और पहाड़ों के बड़े-बड़े टुकड़े फेंककर देवताओं को चोट पहुँचाने लगे, लेकिन जल्द ही देवता अभिभूत हो गए, इसलिए असुर भाग गए और समुद्र और पृथ्वी में छिप गए। उसके स्थान पर मंदराचल पर्वत लाया गया। देवताओं और इंद्र ने भगवान नर को सुरक्षा के लिए अमृत का पात्र सौंपा।
बिगड़ रहा है हर काम, तो शनिवार के दिन करें ये उपाय
21 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू मान्यताओं के अनुसार हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है। वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है।
इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से शनि कृपा होती है। लेकिन शनिवार के दिन अगर कुछ ज्योतिषीय उपायों को किया जाए तो शनिदेव अतिशीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं और सभी दुखों व पीड़ाओं से मुक्ति दिलाते है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कुछ ऐसे उपाय बता रहे हैं जिन्हें करने से व्यक्ति का हर काम बनने लगता है साथ ही सुख में वृद्धि होती है तो आइए जानते है।
शनिवार के दिन करें ये आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली में शनि दोष है और अशुभ प्रभाव छोड़ रहा है तो ऐसे में जातक को शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करनी चाहिए। इसके साथ ही शनिवार के दिन रसोई में बनने वाली पहली रोटी गाय को खिलाएं। काली गाय को सिंदूर का तिलक करें और फिर गाय की सींग में मौली का धागा बांधकर उसे मोतीचूर के लड्डू खिलाएं। मान्यता है कि इस उपाय को करने से शनिदोष दूर हो जाता है साथ ही शनि कृपा बरसती है।
अगर आप शनि के अशुभ प्रभावों को झेल रहे हैं और इससे मुक्ति पाना चाहते हैं या फिर शनिदेव के क्रोध से बचना चाहते हैं तो ऐसे में आप शनिवार के दिन अपने हाथ के नाम का 29 इंच लंबा काला धागा लें। इस धागे की माला बनाकर गले में धारण करें ऐसा करने से शनि का क्रोध शांत होता है। साथ ही सभी बिगड़े काम भी बनने लग जाते है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (21 अप्रैल 2023)
21 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, रोग, उदर विकार, लाभ, राजभय, पारिवारिक समस्या उलझी रहेंगी।
वृष राशि - शत्रुभय, सुख, मंगल कार्य, विरोध, मामले-मुकदमे में जीत की सम्भावना रहेगी।
मिथुन राशि :- कुसंगत से हानि, विरोध, व्यय, यात्रा व सामाजिक कार्यों में सावधानी रखें।
कर्क राशि - पराक्रम, कार्यसिद्ध, व्यापार लाभ, सामान्य लाभ हो सकता है, कार्य बनेंगे।
सिंह राशि - तनाव, प्रवास से बचें, विरोध, चिन्ता, राजकार्य में प्रतिष्ठा मिल सकती है।
कन्या राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ की गति बढ़ेगी।
तुला राशि - प्रगति, वाहन भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे, लाभ होगा।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, कष्ट, हर्ष, व्यय होगा, व्यापार में सुधार, कार्य होगा।
धनु राशि - यात्रा में हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय, उन्नति में कुछ कमी, व्यवस्था की अनुभूति।
मकर राशि - शुभ कार्य, वाहनादि रोगभय, धार्मिक कार्य, कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं, ध्यान रखें।
कुंभ राशि - अभिष्ट सिद्धी, राजभय, कार्य बाधा, सामाजिक कार्यों से लाभ होगा।
मीन राशि - अल्प हानि, रोगभय, सम्पत्ति लाभ, राजकार्य में विलम्ब, परेशानी होगी।