धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 अप्रैल 2023)
18 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्वभाव में आकस्मिक परिवर्तन भी हो सकता है, व्यवसाय में अच्छी गति होती है।
वृष राशि - कार्यों में सफलता मिले, मान सम्मान की प्राप्ति होगी, शत्रु कमजोर होवेंगे ध्यान दें।
मिथुन राशि - सप्ताह उत्तम फल कारक है, अधिकारियों से पूर्ण सहयोग मिलेगा, कार्य बनेंगे।
कर्क राशि - नौकरी में व्यवधान हो सकता है, व्यवसाय ठीक नहीं रहेगा ध्यान दें।
सिंह राशि - आप आनंद का अनुभव करेंगे, केतु ग्रह पीड़ा कारक है, अपनी मतभेद से बचे।
कन्या राशि - मनोरंजन से अति हर्ष होवे, व्यवसाय में लाभ होवे, रूके काम अवश्य ही बनेंगे।
तुला राशि - परिवारिक उत्तरदायित्व की वृद्धि होगी, आमोद प्रमोद में विशेष ध्यान देवें।
वृश्चिक राशि - मानसिक तनाव आकस्मिक बढ़ेगा, स्वजनों से सहानुभूति अवश्य होवेगी।
धनु राशि - व्यवसाय की उन्नति से आर्थिक स्थिति में विशेष सुधार होवेगा, ध्यान दें।
मकर राशि - विलास सामग्री का संचय होगा, अधिकारी वर्ग की कृपा लाभ मिलेगा।
कुंभ राशि - इष्ट मित्रों से अच्छा सहयोग मिले, उन्नति एवं लाभ के योग बनेंगे।
मीन राशि - ग्रह कलह की मनोवृति, शरीर पीड़ा से परेशानी अवश्य ही बनेंगी, ध्यान दें।
अक्षय तृतीया से पहले घर से निकालें ये अशुभ चीजें, बढ़ जाएगी सख-संपन्नता
17 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया को हिंदू कैलेंडर के सबसे शुभ अवसरों में से एक माना जाता है. अक्षय तृतीया को 'अखा तीज' भी कहा जाता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था. इस बार अक्षय तृतीया शनिवार, 22 अप्रैल को मनाई जाएगी. चूंकि, इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों उच्च राशि में स्थित होते हैं. इसलिए इस दिन सोना खरीदना या नई चीजों में निवेश करना शुभ माना जाता है.
हालांकि, कुछ ऐसी भी चीजें हैं, जिन्हें इस दिन घर से बाहर निकाल फेंकना चाहिए. नहीं तो मां रुष्ट हो जाती हैं.अक्षय तृतीया के दिन टूटी झाड़ू, फटे-पुराने जूते चप्पल, देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियों को बाहर कर देना चाहिए.
टूटी झाड़ू- झाडू मां लक्ष्मी का प्रतीक है. शास्त्रों में झाड़ू के बारे में ढेरों नियम दिए गए हैं. अक्षय तृतीया के दिन घर में टूटी झाड़ू के होने से घर की बरकत खत्म हो जाती है. मां लक्ष्मी की पूजा का फल भी नहीं मिलता है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन घर में रखी टूटेीझाड़ू को बाहर निकाल देना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में बरकत होती हैं.
फटे-पुराने जूते-चप्पल- फटे-पुराने जूते चप्पल से घर में दरिद्रता आती है. घर में कटे-फटे जूते चप्पल होने से माता लक्ष्मी द्वार पर आकर लौट जाती हैं. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन घर में रखे कटे-फटे जूते चप्पल को बाहर निकाल देना चाहिए.
टूटे-फूटे बर्तन- घर में टूटे-फूटे बर्तन से परिवार में अशांति फैलती है और माता लक्ष्मी का वास नहीं होता है. इसके अलावा, टूटे-फूटे बर्तन से घर में नकारात्मकता भी आती है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन टूटे फूटे बर्तन को घर से बाहर फेंक दें.
गंदे कपड़े- धार्मिक मान्याताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी को साफ-सफाई बेहद पसंद है. घर की साफ-सफाई से मां लक्ष्मी आकर्षित होती हैं. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन घर को साफ-सुथरा रखें. घर में झूठे बर्तन, गंदे-बिना धुले कपड़े भी नहीं रखें. इससे देवी मां रुष्ट हो जाती हैं.
सूखे पौधे- अगर आप अपने घर में पौधे लगाए हुए हैं. अगर वे पौधे सूख रहे हों या सूख गए हो तो उसे जमीन के अंदर गाड़ दें या उसे नदी या बहते पानी में प्रवाहित कर दें. क्योंकि सूखे पौधे घर में वास्तुदोष का कारण बनते हैं. माता लक्ष्मी इससे नाराज हो जाती हैं. सूखे पौधे को घर से दूर कर देने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और जीवन में तरक्की होती है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन इसे घर से बाहर फेंक दें.
इंद्र व ब्रह्म योग में 17 अप्रैल को किया जाएगा सोम प्रदोष व्रत, जानें विधि, मुहूर्त व कथा
17 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म ग्रंथों के अनुसार, हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस व्रत में शाम को शिवजी की पूजा की जाती है। प्रदोष काल यानी शाम को पूजा करने के कारण ही इसे प्रदोष व्रत कहा गया है।
इस बार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अप्रैल, सोमवार को होने से इस दिन सोम प्रदोष का व्रत किया जाएगा। वैशाख मास में सोम प्रदोष का योग बहुत ही शुभ है। आगे जानिए इस व्रत की विधि, मुहूर्त व अन्य खास बातें.
सोम प्रदोष के शुभ योग व मुहूर्त (Som Pradosh April 2023 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अप्रैल, सोमवार की दोपहर 03:46 से 18 अप्रैल, मंगलवार की दोपहर 01:27 तक रहेगी। त्रयोदशी तिथि की संध्या 17 अप्रैल को रहेगी, इसलिए इसी दिन ये व्रत किया जाएगा। इस दिन ब्रह्म और इंद्र नाम के 2 शुभ योग होने से इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:31 से रात 08:54 तक रहेगा।
इस विधि से करें रवि प्रदोष व्रत-पूजा (Som Pradosh Puja Vidhi)
- सोम प्रदोष की सुबह यानी 17 अप्रैल को उठकर स्नान आदि करें और दिन भर सात्विक रूप से रहें। संभव को बिना खाए-पिए ये व्रत करें, नहीं तो फलाहार या गाय का दूध ले सकते हैं।
- शाम को शिवजी की पूजा करें। सबसे पहले शिवलिंग का शुद्ध जल से फिर पंचामृत से और इसके बाद पुन: शुद्ध जल से अभिषेक करें। शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं। दीपक जलाएं।
- इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़ा, फूल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाते रहें। इस दौरान ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। सत्तू का भोग लगाएं सबसे अंत में आरती करें।
- आरती के बाद सोम प्रदोष की कथा भी सुनें। इस तरह प्रदोष व्रत की पूजा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और हर तरह की समस्या दूर रहती है।
ये है सोम प्रदोष की कथा
किसी नगर में एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी। वह शिव भक्त थी और प्रदोष व्रत पूरे मनोयोग से करती थी। वह भीख मांगकर अपना और अपने पुत्र का जीवन यापन करती थी। एक दिन जब वह भीख मांगकर घर लौट रही थी, तभी उसे एक लड़का घायल अवस्था में दिखा। वह विधर्व देश का राजकुमार था। दुश्मनों ने उसके राज्य पर अधिकार कर लिया था। ब्राह्मणी उसे अपने साथ घर ले आई। राजकुमार भी उस ब्राह्मणी के पुत्र के साथ रहने लगा। युवा होने पर एक दिन राजकुमार को गंधर्व कन्या ने देख लिया और उस उस पर मोहित हो गई। जल्दी ही दोनों का विवाह भी हो गया। राजकुमार ने गंधर्वों की सेना लेकर अपना राज्य दुश्मनों से पुन: प्राप्त कर लिया। राज्य पाकर राजकुमार ने ब्राह्मणी के पुत्र को अपना मुख्य सलाहकार बनाया। इस तरह प्रदोष व्रत के प्रभाव से उस ब्राह्मणी को सुखों की प्राप्ति हुई।
सूर्य देव के ये चमत्कारी मंत्र बदल देंगे आपका भाग्य
17 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
'ॐ हृां मित्राय नम:' इस मंत्र के जाप से स्वास्थ्य बेहतर होता है तथा कार्य करने की क्षमता बढ़ती है. अर्घ्य देते वक़्त इसका जाप करें. तपेदिक से पीड़ित व्यक्तियों को सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
तपेदिक से पीड़ित लोगों को सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए. 'ॐ हृीं रवये नम:' मानसिक शांति एवं बुद्धि बढ़ाने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करें. मानसिक शांति एवं बुद्धि बढ़ाने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ हूं सूर्याय नम:'
मूत्राशय से संबंधित समस्या को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ ह्रां भानवे नम:' मलाशय से संबंधित परेशानी के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ हृों खगाय नम:' बल एवं धीरज को बढ़ाने के लिए सूर्य देव के इस मंत्र का जाप करें. 'ॐ हृ: पूषणे नम:' शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक शक्तियों के विकास के लिए छात्रों को इस मंत्र का जाप करना चाहिए. 'ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः'
निरोगी काया प्राप्त करते के लिए मनुष्य को इस मंत्र का जाप करना चाहिए. 'ॐ मरीचये नमः' सूर्य देव के इस मंत्र के जाप से बुद्धि तेज एवं आर्थिक समस्या दूर होती है. 'ॐ आदित्याय नमः' इस मंत्र के जाप से समाज में मान-सम्मान बढ़ता है तथा कल्पना शक्ति में वृद्धि होती है. 'ॐ सवित्रे नमः' वेदों के रहस्यों को जानने के लिए इस मंत्र का जाप करें. इससे दिमाग मजबूत होता है. 'ॐ अर्काय नमः' सूर्य देव के इस मंत्र के जाप से आंतरिक एवं बाहरी शरीर स्वच्छ रहता है. 'ॐ भास्कराय नमः'
प्रेम और सहयोग का नाम है परिवार
17 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पारिवारिक सदस्यों के त्याग, सहयोग, स्वच्छता, प्रेम, संतुष्टि व व्यसनमुक्ति से ही परिवार संयुक्त और समृद्घिशाली बनता है। वे सौभाग्यशाली हैं जो संयुक्त परिवार में रह रहे हैं तथा जिन्हें माता -पिता का सान्निध्य प्राप्त हो रहा है। विश्व बंधुत्व की बात करने वालों को पहले अपने परिवार में बंधुत्व बनाए रखने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। आज छोटी-छोटी बातों को लेकर परिवार टूट रहे हैं। हम अधिकारों की बजाए एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखेंगे, तभी हमारे परिवार खुशहाल और सुदृढ़ होंगे।
एक माता-पिता अपने पाँच-पाँच बच्चों को पाल पोसकर बड़ा करके योग्य बना देते हैं जबकि पाँच-पाँच बच्चे बुढ़ापे में अपने एक माता-पिता को संभालने से कतराते हैं। आज हम जितने बूढ़े दादा-दादी के प्रति लापरवाह हैं यदि हमारे बचपन में वे हमारे प्रति इतने ही लापरवाह होते तो हमारी क्या दुर्गति हो गई होती। इस बात को युवा पीढ़ी को अच्छी तरह ध्यान रखना चाहिए।
परिवार में ब्याह कर आई नई बहू को चाहिए कि जितने उम्र का पति उसे मिला है कम से कम उतने साल तो सास-ससुर का फर्ज मानकर उन्हें निभा देना चाहिए। इस पीढ़ी को व्यसनमुक्त होकर अपने माता-पिता की सेवा करने, उनके प्रणाम करने के तरीको को जीवन में अपनाना चाहिए। जीवन में सदाचार को अपना कर हमें अपने विचारों को बदलना होगा। विचार जीवन का प्रतिबिंब है। संतों की संगति से अच्छे विचार आते हैं। विचार अच्छे होना हमारी जागरूकता को दर्शाता है। हमारे विचार हमारे जीवन का परिचय देते हैं। रुपया-पैसे का लालच छोड़कर हमें जीवन में धार्मिक आराधना करते रहना चाहिए। जिससे हमारा जीवन और हमारे परिवार का जीवन सार्थक होगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 अप्रैल 2023)
17 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होगे, मनोबल बनायें रखें तथा विचार हीनता से बचें।
वृष राशि - भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सहयोग करेंगे तथा रूचि अवश्य बने।
मिथुन राशि - इष्टमित्रों से परेशानी होगी, आशांति से दैनिक कार्य में बाधा होगी।
कर्क राशि - मान प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि के योग है, दैनिक कार्य उत्तम, कृषि के संसाधन बनेंगे।
सिंह राशि - कार्यगति अनुकूल हो, सामाजिक कार्यो में प्रभुत्वबृद्धि तथा प्रतिष्ठा अवश्य बनें।
कन्या राशि - कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता का कारण बनेगी, व्यवसाय गति उत्तम होगी।
तुला राशि - धन हानि, शरीर कष्ट तथा मानसिक बेचैनी वृथा भ्रमण तथा स्वास्थ्य का ध्यान दें।
वृश्चिक राशि - इष्ट fिमत्र सुखवर्धक हों, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद अवश्य ही हागा।
धनु राशि - कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन जुटाये स्थिति बनी रहेगी।
मकर राशि - दैनिक कार्य वृत्तियों में सुधार योजनाएं फलीभूत होगी, खर्च कार्य कर सकेगें।
कुंभ राशि - विशेष कार्य स्थिगित रखें, मानसिक विभ्रम उद्विघनता अवश्य बनें।
मीन राशि - विरोधी कार्य विफलता का प्रयास करने की चेष्टा करेंगे, सतर्कता से कार्य निपटा लेंगे।
सूतक और पातक काल क्या हैं? जानें इनका ग्रहण और जन्म-मृत्यु से संबंध
16 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण से पहले लगने वाले सूतक काल को भारत में बहुत गंभीरता के साथ लिया जाता है. सूतक काल में देवी-देवताओं की पूजा नहीं होती है और कई महत्वपूर्ण कार्य वर्जित हो जाते हैं.
क्या आप जानते हैं कि सूतक की तरह एक पातक परंपरा भी होती है. आइए आज आपको बताते हैं कि आखिर सूतक और पातक क्या हैं और ये कब-कब लागू होते हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण के अलावा जन्म और मरण के साथ सूतक और पातक का गहरा संबंध होता है. और ये दोनों ही एक इंसान का जीवन काफी हद तक प्रभावित करते हैं.
सूतक क्या है?
सूतक का समय ग्रहण और जन्म के समय हुई अशुद्धियों से है. घर में जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसके परिवार पर सूतक लागू हो जाता है. इस दौरान बच्चे के माता-पिता और घर के अन्य सदस्य किसी धार्मिक गतिविधि में हिस्सा नहीं लेते हैं. यहां तक कि छटी के पूजन तक घर की रसोई बच्चे की मां का जाना वर्जित होता है. जबकि सूर्य ग्रहण के सूतक काल में मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं. पूजा-अर्चना वर्जित होती है.
पातक क्या है?
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो वहां पातक लग जाता है. इसमें मृत व्यक्ति के घरवालों को 12 या 13 दिन तक पातक के नियमों का पालन करना पड़ता है. इसमें घर के सदस्यों को रसोई में जाने या कुछ पकाने की मनाही होती है. पातक में पूजा-पाठ और शुभ या मांगलिक कार्य भी नहीं किए जाते हैं.
क्यों लगता है पातक?
किसी व्यक्ति की मृत्यु से फैली अशुद्धि के चलते पातक काल लग जाता है. वैसे तो पातक काल सवा महीने का होता है, लेकिन दाह संस्कार से लेकर 13 दिन इसका सख्ती के साथ पालन करना पड़ता है. अस्थि विसर्जन, पवित्र नदी में स्नान और ब्राह्मण को भोज कराने के बाद ही पातक समाप्त होता है.
कब-कब लगता है पातक?
घर में किसी इंसान की मृत्यु होने के अलावा स्त्री के गर्भपात और पालतू जानवर की मृत्यु होने पर पातक के नियमों का पालन करना चाहिए. पातक के दिन और समय का निर्धारण भी अलग होता है.
रामा - श्यामा तुलसी में क्या अंतर होता है, जानें घर में कौन सी तुलसी लगाना होता है शुभ
16 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बड़ा महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में तुलसी के पौधे में मां तुलसी का वास बताया गया है। घर में तुलसी का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है।
वहां मां तुलसी और भगवान विष्णु का वास माना जाता है। तुलसी की पूजा करने से दोनों की कृपा भी प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी दो प्रकार की होती हैं- राम और श्याम तुलसी। इन दोनों तुलसी का अलग-अलग महत्व है, शास्त्रों के अनुसार घर में कौन सी तुलसी लगानी चाहिए। इन बातों का वर्णन किया है। तो आइए जानते हैं कि राम और श्यामा तुलसी में क्या अंतर है और घर में तुलसी का कौन सा पौधा लगाना चाहिए।
राम तुलसी-
राम तुलसी के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं। ऐसा माना जाता है कि राम तुलसी भगवान राम को अत्यंत प्रिय थी, इसे राम तुलसी कहा जाता है। राम तुलसी के पत्ते बहुत मीठे होते हैं और इन्हें घर में लगाना बहुत शुभ होता है। इसे लगाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है। पूजा में केवल राम तुलसी का ही प्रयोग किया जाता है।
श्यामा तुलसी-
हिंदू धर्म- भगवान श्री कृष्ण श्यामा तुलसी को बहुत प्यार करते थे। कान्हा का एक नाम श्यामा भी था इसलिए इस तुलसी को श्यामा तुलसी कहा जाता है। श्यामा तुलसी के पत्ते गहरे हरे या जामुनी रंग के होते हैं। इसमें राम तुलसी से कम मिठास होती है।
तुलसी का कौन सा पौधा घर में लगाना शुभ होता है?
शास्त्रों के अनुसार राम और श्यामा तुलसी दोनों का अपना-अपना महत्व है, इसलिए दोनों को ही घर में लगाया जा सकता है। राम तुलसी का प्रयोग अधिकतर घरों में किया जाता है। इससे उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है। गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार तुलसी की बुवाई के लिए सबसे शुभ दिन माने जाते हैं। इन दिनों भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से तुलसी की माला चढ़ाने से व्यक्ति को धन और सुख की प्राप्ति होती है। दूसरी ओर एकादशी, ग्रहण के दिन, रविवार, सोमवार और बुधवार को तुलसी चढ़ाने से बचना चाहिए।
आपका जीवन बदल देंगे नानक देव के ये 10 अनमोल वचन
16 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक साल कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है। जिसे गुरु पर्व या प्रकाश पर्व भी बोला जाता है। यहां जानिए गुरु नानक देव जी के 10 अनमोल विचार...
गुरु नानक देव जी के 10 अनमोल विचार:-
1- गुरु नानक देव कहते हैं हर मनुष्य को सबसे पहले खुद की बुराइयों और गलत आदतों पर विजय पाने की कोशिश करनी चाहिए।
2- हर इंसान को हमेशा अच्छे और विनम्र सेवाभाव से अपना जीवन गुजारना चाहिए, क्योंकि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है, अत: मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए।
3- गुरु नानक देव स्त्री और पुरुष में कोई फर्क नहीं समझते थे, वे कहते थे कभी भी महिलाओं का अनादर नहीं करना चाहिए।
4- हमेशा तनाव मुक्त रहकर हमें अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए।
5- गुरु नानक देव जी कहते थे कि हमें हमेशा लोभ का त्याग करना चाहिए और मेहनत से अपना धन कमाकर जीवन जीना चाहिए।
6- हमें जरूरतमंदों की सहायता के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिेए।
7- सभी मनुष्यों को एक-दूसरे को प्रेम, एकता, समानता और भाईचारे का संदेश देना चाहिए। जब मन में पाप से अपवित्र हो जाए तब ईश्वर का नाम लेने रहने से वह निर्मल हो जाता है।
8- गुरु नानक देव जी ने 'इक ओंकार का नारा' दिया था। वे कहते थे कि सबका पिता एक है इसलिए सभी लोगों को एक-दूसरे से प्रेम करना चाहिए।
9- गुरु नानक देव जी के अनुसार भगवान एक है और वह हर जगह पर मौजूद है।
10- धन को कभी भी अपने ह्रदय से लगाकर नहीं रखना चाहिए, उसका स्थान हमेशा जेब में ही होना चाहिए। तभी आप लालच और अहंकार से दूर रह पाएंगे।
अक्षय तृतीया पर गलती से भी किया ये काम तो होगा बड़ा नुकसान, नाराज हो जाएंगी मां लक्ष्मी
16 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्षय तृतीया के दिन विवाह, सगाई, गृहप्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य बिना किसी शुभ मुहूर्त के किए जाते हैं, अर्थात इन्हें बिना किसी शुभ मुहूर्त के भी किया जा सकता है.
इस साल अक्षय तृतीया 22 अप्रैल 2023 को पड़ रही है. खरीदारी के लिए भी यह दिन सबसे अच्छा माना जाता है, खासतौर पर सोना, चांदी और अन्य कीमती सामान खरीदना शुभ माना जाता है. इस दिन किया गया कोई भी कार्य शुभ माना जाता है और स्थायी परिणाम देता है. यही वजह है कि अक्षय तृतीया के दिन लोग बिना पंचांग देखे विवाह, मुंडन, मुंडन जैसे मांगलिक कार्यों को करते हैं. लेकिन शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि कुछ ऐसे काम भी हैं जिन्हें अक्षय तृतीया के दिन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. कहा जाता है कि ये काम करने से मां लक्ष्मी बहुत नाराज होती हैं. आइए जानते हैं कि अक्षय तृतीया पर कौन से काम नहीं करने चाहिए.
अक्षय तृतीया के दिन न खरीदें ये सामान
हालांकि जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है, लेकिन इस दिन प्लास्टिक, एल्युमीनियम या स्टील के बर्तन और सामान न खरीदें. यदि कोई ऐसा करता है तो राहु का प्रभाव हावी हो जाएगा और घर में दरिद्रता आ सकती है.
पूजा स्थान, तिजोरी को गंदा न रखें
अक्षय तृतीया के दिन पूजा स्थान, तिजोरी या धन रखने के स्थान को भूलकर भी गंदा न रहने दें. अगर ऐसा होता है तो जगह-जगह गंदगी होने से मां लक्ष्मी काफी नाराज होंगी और इससे घर में नकारात्मकता आएगी.
शराब, जुआ से रहें दूर
अक्षय तृतीया पर जुआ, चोरी, डकैती, शराब पीने और झूठ बोलने जैसे सभी प्रकार के दोषों से खुद को दूर रखना चाहिए.
किसी को धन उधार न दें
इस दिन भूलकर भी किसी को धन उधार नहीं देना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और अपना आशीर्वाद अपने साथ लेकर आपको किसी और के लिए छोड़ देती हैं.
मांस, मछली का सेवन न करें
अक्षय तृतीया पर भूलकर भी प्याज, लहसुन, मांस, मछली आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इन चीजों के सेवन से घर में दरिद्रता आएगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 अप्रैल 2023)
16 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्यकुशलता एवं समृद्धि के योग फलप्रद हों, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
वृष राशि - कार्य तत्परता से लाभ होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक हों तथा कार्य में अवश्य ध्यान दें।
मिथुन राशि - व्यवसायिक क्षमताओं में वृद्धि हो, कार्यकुशलता से संतोष, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि - सोच-समझकर शक्ति लगायें, अव्यवस्था, विभ्रम, विकार, क्लेश, मन से परेशान हों।
सिंह राशि - समय अनुकूलता हो, विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेन-देन में हानि होगी।
कन्या राशि - मानसिक विभ्रम, किसी आरोप में फंस सकते हैं, सार्थकता से कार्य बनेंगे।
तुल राशि - भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य संतोष अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि - कार्य-कुशलता से संतोष, योजनाएं फलीभूत होंगी, व्यवसाय में ध्यान दें।
धनु राशि - सफलता के साधन जुटाएं, धन-लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मकर राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, स्त्री शरीर कष्ट, मित्र चिन्ता, क्रोध से बचें।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सहायक रहें, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता आएगी, ध्यान दें।
मीन राशि - व्यवसायिक क्षमताओं में वृद्धि होगी, इष्ट मित्रों सहयोग अवश्य करेंगे, ध्यान दें।
वरुथिनी एकादशी व्रत कथा सुनने और सुनाने से मिलती है कष्टों से मुक्ति
15 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
16 अप्रैल 2023, दिन रविवार को वरुथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2023) मनाई जा रही है। इस एकादशी व्रत की कथा पढ़ने या सुनने मात्र से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह कथा भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताई थी। आइए यहां पढ़ें वरुथिनी एकादशी व्रत की पौराणिक एवं प्रामाणिक कथा-
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा, हे भगवन्! मैं आपको नमस्कार करता हूं। वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या नाम है, उसकी कथा क्या है आप विस्तारपूर्वक मुझसे कहिए।
इस पर भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे- हे राजेश्वर! इस एकादशी का नाम वरुथिनी है। यह सौभाग्य देने वाली, सब पापों को नष्ट करने वाली तथा अंत में मोक्ष देने वाली है।
इसकी कथा यह है कि प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज्य करता था। वह अत्यंत दानशील तथा तपस्वी था। एक दिन जब वह जंगल में तपस्या कर रहा था, तभी न जाने कहां से एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाने लगा।
राजा पूर्ववत अपनी तपस्या में लीन रहा। कुछ देर बाद पैर चबाते-चबाते भालू राजा को घसीटकर पास के जंगल में ले गया। राजा बहुत घबराया, मगर तापस धर्म अनुकूल उसने क्रोध और हिंसा न करके भगवान विष्णु से प्रार्थना की, करुण भाव से भगवान विष्णु को पुकारा।
उसकी पुकार सुनकर भगवान श्रीहरि विष्णु प्रकट हुए और उन्होंने चक्र से भालू को मार डाला। राजा का पैर भालू पहले ही खा चुका था। इससे राजा बहुत ही शोकाकुल हुआ।
उसे दुखी देखकर भगवान विष्णु बोले- 'हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की पूजा करो। उसके प्रभाव से पुन: सुदृढ़ अंगों वाले हो जाओगे। इस भालू ने तुम्हें जो काटा है, यह तुम्हारे पूर्व जन्म का अपराध था।'
भगवान की आज्ञा मानकर राजा मान्धाता ने मथुरा जाकर श्रद्धापूर्वक वरुथिनी एकादशी का व्रत किया। इसके प्रभाव से राजा शीघ्र ही पुन: सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। इसी एकादशी के प्रभाव से राजा मान्धाता स्वर्ग गया था।
अत: जो भी व्यक्ति भय से पीड़ित है उसे वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए। इस व्रत को करने से समस्त पापों का नाश तथा सभी कष्टों से मुक्ति होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भोजन के बाद भूलकर भी ना करें ये काम, वरना भुगतना पड़ेगा भारी खामियाजा
15 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म और वास्तुशास्त्र में मानव जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें और नियम बताए गए है। जिनके अनुसार चलने से व्यक्ति को सुख समृद्धि और तरक्की मिलती है।
लेकिन इनकी अनदेखी बहुत भारी पड़ती है।
इसी तरह वास्तुशास्त्र में भोजन से जुड़े कई नियम बताए गए है। जिसके अनुसार भोजन करने के बाद थाली में हाथ भूलकर भी नहीं धोना चाहिए। ऐसा करना व्यक्ति के दुर्भाग्य का कारण बनता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भोजन करने से जुड़े नियम के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
धार्मिक तौर पर अन्न को देवता माना गया है और अगर कोई अन्न व भोजन का अपमान करता है तो इससे मां अन्नपूर्णाा क्रोधित हो सकती है। जिसके कारण घर परिवार के लोगों को गरीबी, दरिद्रता और धन धान्य की कमी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में भूलकर भी अन्न व भोजन का अपमान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा भोजन करने के बाद थाली में हाथ धोना दुर्भाग्य को बढ़ता है और साथ ही ऐसा करने से माता लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा नाराज़ हो जाती है।
जिसके कारण धन दौलत की कमी आ सकती है। इसलिए भूलकर भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए। साथ ही भोजन की थाली में उतना ही भोजन लेना चाहिए जितना आप कर सकें। भोजन की बर्बादी को भी परेशानियों व मुसीबतों का कारण माना गया है। ऐसा करने से व्यक्ति गरीबी की आग में जलता है इसलिए भूलकर भी कभी भोजन की बर्बाद न करें।
परशुराम जयंती पर बन रहे हैं कई शुभ योग
15 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार 22 अप्रैल 2023, शनिवार के दिन भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाएगी. भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था. इस दिन अक्षय तृतीया का त्यौहार भी मनाया जाता है.
भगवान परशुराम ने हिन्दू धर्म को बढ़ाने का काम किया था. परशुराम भगवान को विष्णु जी के छठा अवतार माना जाता है.
भगवान परशुराम जी ने एक युद्ध में 21 प्रजा शोषक, धर्मांध एवं आताताई राजाओं का संहार किया था. मगर दुष्प्रचार की वजह से यह बताया गया कि इन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था. किसी धर्म जाति वर्ण या वर्ग विशेष के आराध्य ही नहीं बल्कि वे समस्त मानव मात्र के आराध्य हैं. इस दिन विष्णु जी की आराधना करने से खास फल की प्राप्ति होती है. परशुराम भगवान का नाम जब भी आता है तो क्रोध का ज्ञान होता है. अब बताते हैं भगवान परशुराम की जन्म कथा के बारे में.
भगवान परशुराम के जन्म की कथा:-
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान परशुराम को प्रभु श्री विष्णु के छठवें अवतार के रूप में माना जाता है. उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान प्राप्त हुआ था. उनके पिता ऋषि जमदग्नि थे. ऋषि जमदग्नि ने चंद्रवंशी राजा की पुत्री रेणुका से विवाह किया था. ऋषि जमदग्नि एवं रेणुका ने पुत्र की प्राप्ति के लिए एक महान यज्ञ किया. इस यज्ञ से खुश होकर इंद्रदेव ने उन्हें तेजस्वी पुत्र का वरदान दिया तथा अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जी ने जन्म लिया. ऋषि ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था. राम ने शस्त्र का ज्ञान भगवान महादेव से प्राप्त किया तथा महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें अपना फरसा मतलब परशु प्रदान किया. तत्पश्चात, वह परशुराम कहलाए. परशुराम को चिरंजीवी बोला जाता है वह आज भी जीवित हैं. उनका वर्णन रामायण एवं महाभारत दोनों काल में होता है. श्री कृष्ण को उन्होंने सुदर्शन चक्र उपलब्ध करवाया था तथा महाभारत काल में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया था.
शंखपुष्पी की जड़ के ये अचूक टोटके आपको बनाएंगे तेजी से अमीर
15 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई अपने जीवन में धनवान बनने की इच्छा रखता है इसके लिए लोग दिनों रात मेहनत और प्रयास भी करते है। लेकिन फिर भी अगर उन्हें मन मुताबिक फल नहीं मिलता है या फिर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो ऐसे में व्यक्ति निराश और परेशान हो जाता है।
अगर आप भी अपने जीवन दुख परेशानियों को झेल रहे है और धन की कमी आपकी चिंता का कारण बनी हुई है तो ऐसे में आप ज्योतिषीय उपायों को अपना सकते हैं। ज्योतिषशस्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए है। जो व्यक्ति की समस्याओं को पलभर में दूर कर सकते हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए है। शंखपुष्पी का अचूक उपाय जो आपको रातोंरात धनवान बना सकता है, तो आइए जानते है।
शंखपुष्पी के अचूक टोटके-
शंखपुष्पी को बेहद ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसका प्रयोग ज्योतिषशास्त्र में टोने टोटके आदि के लिए किया जाता है। कहते हैं कि शंखपुष्पी का टोटका धन प्राप्ति के लिए कारगर होता है। ऐसे में अगर आप आर्थिक परेशनियों व कर्ज जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं और इससे जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में जब गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र रहे।
तो शंखपुष्पी के पौधे की जड़ को गंगाजल से धोकर इस पर केसर का तिलक करें। इसके बाद इसे चांदी की डिब्बी में भरकर तिजोरी में रख दें। मान्यता है कि इस चमत्कारी उपायों को करने से जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है और धन आवक भी बढ़ सकती है। साथ ही साथ परिवार में सदा सुख समृद्धि व शांति का वास होने लगता है।