धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
यदि सम्मान को हमेशा बनाए रखना चाहते हैं तो तुरंत करें इन आदतों का त्याग
29 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों में से एक माना गया है। इनकी नीतियां आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि जो भी मनुष्य चाणक्य की नीतियों का अनुसरण करता है।
उसका पूरा जीवन सरल और सहज हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया है। जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।
चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियां बनाई हैं। चाणक्य नीति अनुसार मनुष्य को अगर अपना मान सम्मान हमेशा बनाए रखना है तो कुछ आदतों का त्याग तुरंत ही करना बेहतर होता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख में चाणक्य की इसी विषय पर बनाई गई नीति के बारे में बात कर रहे हैं तो आइए जानते है।
आज की चाणक्य नीति-
चाणक्य नीति कहती है कि मनुष्य को अगर अपना सम्मान बनाए रखना है तो कभी भी बातों को बढ़ा चढ़ाकर नहीं बोलना चाहिए। क्योंकि जो लोग हर बात को बढ़ा चढ़ाकर बोलते हैं वे समाज में मजाक के पात्र माने जाते है। ऐसे में लोग आपका सम्मान भी नहीं करते है। इसलिए व्यक्ति को अपनी इस आदत को तुरंत ही त्याग देना चाहिए। इसके अलावा जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं उन्हें एक न एक दिन अपनी इस आदत की वजह से अपमान का सामना करना पड़ता है।
ऐसे में पीठ पीछे किसी की निंदा यानी बुराई करने की इस बुरी आदत का तुरंत ही त्याग कर दें। जो लोग झूठ बोलते है या फिर झूठ के सहारे सफलता हासिल करते है। ऐसे लोगों को अपमान का सामना करना पड़ता है। इसलिए कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। अगर आप सदैव मान सम्मान पाना चाहते हैं तो लोभ से हमेशा ही दूर रहें। चाणक्य नीति कहती है कि जो लोग लालच करते हैं उनका सुख चैन सब गायब हो जाता है और ऐसे लोग अपमान झेलते है।
दिन में इतनी बार करें पाठ तो मिलेगा शुभ फल
29 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमानजी को समर्पित होता है।इस दिन सच्चे मन से बजरंगबली की पूजा करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाली कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है और मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि अंजनीपुत्र हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि हनुमान चालीसा का पाठ हनुमानजी की कृपा पाने का बहुत ही सरल और सुगम उपाय है।
ऐसा माना जाता है कि जीवन में आने वाली समस्याओं से तुरंत राहत मिल सकती है। इससे बजरंगबली प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है। लेकिन इसका पूरा लाभ तभी मिलता है जब हनुमान चालीसा का पाठ सही विधि और सही नियम से किया जाए। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा का पाठ कितनी बार और कैसे करना चाहिए।
कितनी बार करें हनुमान चालीसा का पाठ?
हनुमान चालीसा का जाप तभी शुभ और फलदायी होता है जब इसे सही तरीके से किया जाए। हनुमान चालीसा के एक श्लोक में उल्लेख है कि 'जो कोई सौ बार पाठ करता है। एक कैदी को रिहा करने में बहुत खुशी होती है। इसका अर्थ यह है कि हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करने से व्यक्ति हर बंधन से मुक्त हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करना चाहिए। यदि आप 100 बार नहीं कर सकते तो कम से कम 7, 11 या 21 बार करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही तरीका
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बजरंगबली को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। इसके लिए नित्य स्नान आदि करें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। शास्त्रों के अनुसार हनुमान चालीसा का पाठ जमीन और आसन पर बैठकर करना चाहिए। बिना बैठे पूजा करना अशुभ माना जाता है। बता दें कि पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करें और भगवान श्री राम की पूजा करें। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करें।
हनुमान चालीसा का पाठ करने का सही समय
अगर आप हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहते हैं और उनका आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो सुबह या शाम हनुमान चालीसा का पाठ करें। पाठ शुरू करने से पहले स्नान अवश्य करें। वहीं अगर आप शाम के समय पाठ कर रहे हैं तो हाथ-पैर अच्छी तरह धोकर ही पाठ शुरू करें.
कैसा था माता सीता का बचपन, जानिए 3 छोटी कथाएं
29 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माता सीता राजा जनक की दत्तक पुत्री थी।
वाल्मीकि रामायण में सीता की एक बहन उर्मिला बताई है। मांडवी व श्रुतकीर्ति जनकजी के छोटे भाई कुशध्वज की बेटियां थी। मानस मैं सीता जनकजी की इकलौती बेटी बताई गई है। कुल मिलाकर सीताजी की तीन बहनें थीं। उनके भाई का नाम मंगलदेव है जो धरती माता के पुत्र हैं।
1. पहली कथा : देवी सीता मिथिला के राजा जनक की ज्येष्ठ पुत्री थीं इसलिए उन्हें 'जानकी' भी कहा जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार मिथिला में पड़े भयंकर सूखे से राजा जनक बेहद परेशान हो गए थे, तब इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उन्हें एक ऋषि ने यज्ञ करने और धरती पर हल चलाने का सुझाव दिया। उस ऋषि के सुझाव पर राजा जनक ने यज्ञ करवाया और उसके बाद राजा जनक धरती जोतने लगे। तभी उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई एक सुंदर कन्या मिली। उस कन्या को हाथों में लेकर राजा जनक ने उसे 'सीता' नाम दिया और उसे अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया।
2. दूसरी कथा : कहते हैं कि माता सीता नने अपने बचपन में एक बार खेल खेल ही में शिवजी के धनुष को उठा लिया था। यह देखकर राजा जनक समझ गए थे कि यह कोई साधारण बालिका नहीं है। इसीलिए उन्होंने सीता स्वयंवर में धनुष तो तोड़ने की प्रतियोगिता रखी, क्योंकि वह यह जानते थे कि इसे वहीं तोड़ सकता है जो महावीर होगा।
3. तीसरी कथा : एक बार सीताजी अपनी सहेलियों के साथ जनकजी के महल के बगीचे में खेल रही थी। वहां पर एक वृक्ष पर उन्होंने तोते के एक जोड़े को देखा। दोनों आपस में बाते कर रहे थे। एक ने कहा कि अयोध्या में एक सुंदर और प्रतापी कुमार हैं जिनका नाम श्रीराम है। उनसे सीताजी का विवाह होगा। सीता ने अपना नाम सुना तो दोनों पक्षी की बात गौर से सुनने लगीं। उन्हें अपने जीवन के बारे में और बातें सुनने की इच्छा हुई। सखी सहेलियों से कहकर उन्होंने दोनों पक्षी पकड़वा लिए।
सीता ने उन्हें प्यार से सहलाया और कहा- भय मत करो! तुम बड़ी अच्छी बातें करते हो। यह बताओ ये ज्ञान तुम्हें कहां से मिला? मुझसे डरने होने की जरूरत नहीं। दोनों का डर समाप्त हुआ। वे समझ गए कि यह स्वयं सीता हैं। दोनों ने बताया कि वाल्मिकी नाम के एक महर्षि हैं। वे उनके आश्रम में ही रहते हैं। वाल्मिकी रोज श्रीराम और सीता के जीवन की चर्चा करते हैं। उन्होंने वहीं यह सब सुना जो अब सब कंठस्थ हो गया है।
सिर्फ इन श्लोकों के जाप से मिल सकता है संपूर्ण श्रीमद्भागवत पढ़ने का पुण्य
29 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार श्रीमद् भागवत का पाठ करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पाप का नाश होता है। कहा जाता है कि प्रतिदिन भागवत का पाठ करने से व्यक्ति को सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करने की शक्ति प्राप्त होती है।
इससे उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है। यदि आपके पास भागवत पढ़ने का पर्याप्त समय नहीं है, तो प्रतिदिन केवल एक मंत्र का जाप करने से आपको पूर्ण श्रीमद्भागवत पढ़ने का फल मिल सकता है। आइए जानते हैं इस एक मंत्र के बारे में।
श्लोक भगवत मंत्र
आदौ देवकी देव गर्भजनम, गोपी गृहे वद्रधनम्।
माया पूजा निक्षु उष्मा हरणम गौवद्रधानोधारं।
कंसछेदनम कौरवधिहनम, कुन्तीसुजालानम।
एतद श्रीमद्भागवत पुराण को श्रीकृष्ण लीलामृतम् कहा गया है।
अच्युतम केशव रामनारायणम कृष्ण: दामोदरं वासुदेवम हरे।
श्रीधरन माधव गोपीकवल्लभ जानकी नायक रामचंद्र भाजे।
मंत्र का अर्थ क्या है?
बता दें कि इसका मतलब है कि भगवान कृष्ण देवकी के गर्भ में पैदा हुए, गोपी-ग्वालों के साथ बड़े हुए, पूतना को मार डाला, गोवर्धन पर्वत को ले गए, कंस को मार डाला, कुंती के पुत्र यानी पांडवों की रक्षा की, कौरवों का विनाश किया। इस प्रकार कृष्ण ने अपनी लीलाओं का निर्माण किया दुनिया।
श्लोकी मंत्र जाप की विधि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस श्लोकी मंत्र का जाप अत्यंत शुभ फलदायी सिद्ध होता है। शास्त्रों के अनुसार यदि इस मंत्र का विधिपूर्वक जप किया जाए तो जीवन में वे सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं, जिनका वह हकदार होता है। इतना ही नहीं यह मंत्र पापों से मुक्ति दिलाने में भी बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है।
अगर आप भी इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सुबह उठकर स्नान आदि कर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। इसके बाद तुलसी की माला से इस मंत्र का जाप करें। कहा जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप तुलसी की माला से किया जाए तो यह बहुत फलदायी साबित होता है। प्रतिदिन पांच फेरे का जाप करना फलदायी बताया गया है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 अप्रैल 2023)
29 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यापार में प्रगति, यात्रा सुख, खर्च अधिक होंगे, व्यर्थ का विरोध होता रहेगा।
वृष राशि - कलह, अभिष्ट सिद्ध, धन लाभ, चिन्ता, शारीरिक सुख, मांगलिक कार्य, अवरोध हों।
मथुन राशि - भय, व्यापार लाभ, रक्त विकार, सामाजिक कार्यें में व्यवधान, परेशानी बढ़ेगी।
कर्क राशि -विद्या बाधा, व्यापार मध्यम, चिन्ता, धार्मिक कार्य में एवं शुभ कार्यों में विरोध।
सिंह राशि - स्त्री संतान सुख, यात्रा बाधा, विवाद, आर्थिक सुधार होवे, प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
कन्या राशि -भूमि लाभ, प्रवास कष्ट, व्यय भार बढ़ेगा, शुभ समाचार, प्रसन्नता का योग है।
तुला राशि - कारोबार मध्यम, सफलता, स्त्री कष्ट, व्यर्थ अनाप शनाप खर्च से परेशानी बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि - थोड़ा लाभ, खेती चिन्ता, उलझन, शिक्षा की स्थिति सामान्य लाभदायक रहेगी।
धनु राशि - घरेलू सुख, हानि, उन्नत खेती योग मध्यम, कुछ अच्छे कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मकर राशि - हर्ष, भूमि लाभ, यश, कारोबार बढ़ेगा, कारोबार में व्यवधान बढ़ा चढ़ा रहेगा।
कुंभ राशि - मानसिक विभ्रम उद्विघ्नता रखें, तथा मानसिक असमंजस की पीड़ा से बचें।
मीन राशि - विद्या बाधा, विवाद चोरों से भय, पारिवारिक लोगों से लाभ तथा सफलता मिलेगी।
इस दिन रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व
28 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से ही साल में आने वाली समस्त एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है. इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं.
इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को मनाई जाएगी. यहां जानें निर्जला एकादशी का महत्व.
निर्जला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार, 30 मई दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शुरू हो रही है. ये तिथि अगले दिन 31 मई दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 45 पर समाप्त होगी. ऐसे में इस बार निर्जला एकादशी 31 मई 2023 को मनाई जाएगी.
निर्जला एकादशी व्रत पूजा विधि
जो श्रद्धालु वर्षभर की समस्त एकादशियों का व्रत नहीं रख पाते हैं उन्हें निर्जला एकादशी का उपवास अवश्य करना चाहिए. क्योंकि इस व्रत को रखने से अन्य सभी एकादशियों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है. इस व्रत की विधि इस प्रकार है:
1. इस व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से अगले दिन द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक जल और भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
2. एकादशी के दिन प्रात:काल स्नान के बाद सर्वप्रथम भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करें. इसके पश्चात भगवान का ध्यान करते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
3. इस दिन भक्ति भाव से कथा सुनना और भगवान का कीर्तन करना चाहिए.
4. इस दिन व्रती को चाहिए कि वह जल से कलश भरे व सफ़ेद वस्त्र को उस पर ढककर रखें और उस पर चीनी तथा दक्षिणा रखकर ब्राह्मण को दान दें.
इसके बाद दान, पुण्य आदि कर इस व्रत का विधान पूर्ण होता है. धार्मिक महत्त्व की दृष्टि से इस व्रत का फल लंबी उम्र, स्वास्थ्य देने के साथ-साथ सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है.
निर्जला एकादशी पर दान का महत्व
यह एकादशी व्रत धारण कर यथाशक्ति अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखी तथा फल आदि का दान करना चाहिए. इस दिन जल कलश का दान करने वालों श्रद्धालुओं को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है. इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है तथा सम्पूर्ण एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलता है. श्रद्धापूर्वक जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त होकर अविनाशी पद प्राप्त करता है.
निर्जला एकादशी व्रत कथा
महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा- ''हे परम आदरणीय मुनिवर! मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं व मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं. लेकिन मैं भूख नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है.''
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा- ''पुत्र तुम निर्जला एकादशी का व्रत करो, इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है. जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है, उसे साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है.''महर्षि वेद व्यास के वचन सुनकर भीमसेन निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने लगे और पाप मुक्त हो गए.
बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण, 130 साल बाद बन रहा है ये महासंयोग
28 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को मनाई जा रही है और इसी वैसाख पूर्णिमा को साल का पहला चंद्रग्रहण भी लग रहा है. ग्रहण एक भौगोलिक घटना है.
लेकिन पौराणिक मान्यता के अनुसार जब पूर्णिमा की रात राहु और केतु चंद्रमा को निगलने का प्रयास करते हैं.
जानें इस दिन को क्यों कहते हैं बुद्ध पूर्णिमा
इस दिन घर में सत्यनारायण की कथा, रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने से धन-संपदा में वृद्धि होती है. मान्यता है कि वैशाख मास की पूर्णिमा तिथि को बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था, इस लिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा 2023 मुहूर्त (Vaishakh Purnima 2023 Muhurat)
पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा तिथि 04 मई 2023 को रात 11 बजकर 34 मिनट पर शुरू हो रही है और अगले दिन 05 मई 2023 को रात 11 बजकर 03 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी. वैशाख पूर्णिमा पर उदयातिथि और चंद्रमा की पूजा का मुहूर्त 5 मई को प्राप्त हो रहा है.
बुद्ध पूर्णिमा पर लगने जा रहा है साल का पहला चंद्र ग्रहण
बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस साल का पहले चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. चंद्रग्रहण 5 मई को रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और देर रात 1 बजे तक समाप्त होगा. चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है. लेकिन, यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा ऐसे में सूतक काल मान्य नहीं होगा. साल का यह पहला चंद्रग्रहण उपछाया चंद्रग्रहण होने जा रहा है.
130 साल बाद बना है ये संयोग
बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का योग 130 साल बाद बना है. हालांकि यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण है यानि चन्द्रमा पर पृथ्वी की छाया केवल एक तरफ रहेगी . इसलिए इसका सूतक काल भारत में मान्य नहीं होगा. बुद्धपूर्णिमा की पूजा पर इसका कोई विशेष असर नहीं पड़ेगा.
सीता नवमी के दिन जरूर करें ये काम, दूर होंगी सभी परेशानियां
28 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन सीता नवमी बेहद ही खास मानी जाती है जो कि इस बार 29 अप्रैल दिन शनिवार को पड़ रही है इसी दिन मां सीता का जन्म हुआ था।
ऐसे में सीता नवमी का दिन सीता माता की पूजा को समर्पित होता है। जिसे सीता जन्मोत्सव, सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
आपको बता दें कि सीता नवमी का महत्व राम नवमी जितना ही माना जाता है। इस दिन माता सीता की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत आदि रखा जाता है। ऐसा करने से देवी सीता का आशीर्वाद साधकों को प्राप्त होता है। लेकिन सीता नवमी के पवित्र दिन पर अगर पूजा पाठ और व्रत के साथ देवी सीता की चालीसा पढ़ी जाए तो इससे जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सीता चालीसा पाठ।
सीता चालीसा-
॥ दोहा ॥
बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥
कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥
॥ चौपाई ॥
राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥
चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥
जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी ॥
दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥
सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥
भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥
भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥
जनक निराश भए लखि कारन , जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥
यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए ॥
आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥
जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा ॥
मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥
जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥
सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥
मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा ॥
लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई ॥
कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा, मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय, हरख अपार हुए सीता हिय ॥
सब विधि बांटी बधाई, राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥
मंद मती मंथरा अडाइन, राम न भरत राजपद पाइन ॥
कैकेई कोप भवन मा गइली, वचन पति सों अपनेई गहिली ॥
चौदह बरस कोप बनवासा, भरत राजपद देहि दिलासा ॥
आज्ञा मानि चले रघुराई, संग जानकी लक्षमन भाई ॥
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं , मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥
राम गए माया मृग मारन, रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो, लंका जाई डरावन लाग्यो ॥
राम वियोग सों सिय अकुलानी, रावण सों कही कर्कश बानी ॥
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी, सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥
अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा, महावीर सिय शीश नवावा ॥
सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती, भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥
चढ़ि विमान सिय रघुपति आए, भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥
अवध नरेश पाई राघव से, सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥
रजक बोल सुनी सिय बन भेजी, लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो, लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥
विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं, दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी,रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥
भूलमानि सिय वापस लाए, राम जानकी सबहि सुहाए ॥
सती प्रमाणिकता केहि कारन, बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥
अवनि सुता अवनी मां सोई, राम जानकी यही विधि खोई ॥
पतिव्रता मर्यादित माता, सीता सती नवावों माथा ॥
॥ दोहा ॥
जनकसुत अवनिधिया राम प्रिया लवमात,
चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात ॥
मां लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर लगाने से घर में भरे रहते हैं धन के भंडार
28 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई धनवान बनने की इच्छा रखता है इसके लिए लोग दिनों रात प्रयास और मेहनत भी करते हैं लेकिन फिर भी उन्हें मनमुताबिक सफलता हासिल नहीं होती है और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इसके साथ ही नौबत कर्ज लेने की भी आ जाती है।
ऐसे में अगर आप भी धन संकट से जूझ रहे हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो वास्तुशास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए है। जिन्हें करने से आपको धन लाभ मिल सकता है। वास्तु की मानें तो माता लक्ष्मी की मूर्ति और तस्वीर को घर की सही दिशा और स्थान पर रखने से धन संकट दूर हो जाता है साथ ही लक्ष्मी कृपा भी हमेशा बनी रहती है। तो आज हम आपको बता रहे हैं कि माता लक्ष्मी की कैसी प्रतिमा घर में रखनी चाहिए।
घर में रखें मां लक्ष्मी की ऐसी प्रतिमा-
वास्तु अनुसार घर में माता लक्ष्मी की कमल के पुष्प पर बैठी हुई तस्वीर या मूर्ति रखने व लगाने से माता लक्ष्मी का सदा घर में वास होता है और धन दौलत, सोना चांदी आदि की कमी नहीं होती है। इसके साथ ही लक्ष्मी कृपा से घर में सुख समृद्धि भी बनी रहती है। इसके अलावा घर में माता लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर आप लगा सकते है। जिसमें देवी मां ऐरावत हाथी के साथ हो। मान्यता है कि इस तस्वीर को घर में लगाना शुभ होता है।
आपको बता दें कि हाथी पर सवार माता लक्ष्मी को गजलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। माना जाता है कि माता की ऐसी तस्वीर को अगर घर में लगाया जाए तो इससे धन दौलत के द्वार खुल जाते हैं और कभी भी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन आपको बता दें कि भूलकर भी माता लक्ष्मी की ऐसी तस्वीर न लगाएं जिसमें वो खड़ी मुद्रा में हो। इसे अच्छा नहीं माना जाता है। देवी की ऐसी तस्वीर घर में धन संकट पैदा करती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 अप्रैल 2023)
28 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- उन्नति, सिद्ध, वाहन भय, शरीर कष्ट, प्रवास से सफलता मिल सकती है।
वृष राशि - खर्च, सिद्ध, बाधा, शुभ कार्य, कष्ट, मांगलिक कार्य एवं शुभ समाचारों का भी योग है।
मिथुन राशि - राज से हानि, घरेलू विरोध, अपव्यय, शिक्षा लेखन कार्य में रुकावट का योग है।
कर्क राशि - संतान कष्ट, अधिक कष्ट, खर्च, शत्रु भय, धार्मिक कार्य एवं शुभ कार्यों में व्यसत्ता।
सिंह राशि - सफलता, हर्ष, भय, तबादला, विवाद, कुछ प्रसन्नता का योग, पारिवारिक सुख होगा।
कन्या राशि - हानि, अपव्यय, रोग, मातृ कष्ट, शिक्षा जगत संतोष रहेगा, व्यापार बढ़ेगा।
तुला राशि - लाभ, संतान सुख, रोग भय, झंझट, लेखन कार्य सामान्य प्रगति का योग है।
वृश्चिक राशि - अभी सिद्ध, स्वजन कष्ट, यश, संतान पक्ष अपेक्षाकृत अच्छा रहेगा, प्रसन्नता रहे।
धनु राशि - राज कष्ट, भय, स्त्री कष्ट, सिद्ध, धन लाभ, सामाजिक कार्य, व्यवधान की संभावना है।
मकर राशि - विवाद, कष्ट, यात्रा हानि, घरेलू कष्ट, नौकरी की स्थिती सामान्य रहेगी।
कुंभ राशि - यश, शुभकार्य, मुकदमों से लाभ, धार्मिक व कुछ अच्छे कार्य भी हो सकते हैं।
मीन राशि - रोग भय, अभीष्ट सिद्ध, अल्प हानि, नौकरी में अनबन।
सीता नवमी पर करें श्री सीता चालीसा का पाठ, दूर होंगी जीवन की सभी परेशानियां
27 Apr, 2023 07:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
29 अप्रैल 2023 दिन शनिवार को सीता नवमी है। मान्यता है कि इसी दिन माता सीता का जन्म हुआ था। माता सीता के जन्मोत्सव को सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है।
सीता नवमी का राम नवमी जितना ही महत्व है। मान्यता है कि भगवान श्री राम स्वयं विष्णु और माता सीता साक्षात लक्ष्मी का स्वरूप हैं। सीता नवमी के दिन माता लक्ष्मी धरा पर अवतरित हुई थीं। इस कारण इस सौभाग्यशाली दिन जो भी जातक माता सीता और भगवान राम की पूजा अर्चना करता है, उसपर भगवान श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। इसके अलावा सीता नवमी के दिन जनक दुलारी की चालीसा पढ़ने का भी बहुत महत्व है। सीता चालीसा पढ़ने से हर तरह के संकटों से बचाव होता है। संपूर्ण श्री सीता चालीसा इस प्रकार है-
श्री सीता चालीसा
॥ दोहा ॥
बन्दौ चरण सरोज निज जनक लली सुख धाम, राम प्रिय किरपा करें सुमिरौं आठों धाम ॥
कीरति गाथा जो पढ़ें सुधरैं सगरे काम, मन मन्दिर बासा करें दुःख भंजन सिया राम ॥
॥ चौपाई ॥
राम प्रिया रघुपति रघुराई बैदेही की कीरत गाई ॥
चरण कमल बन्दों सिर नाई, सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥
जनक दुलारी राघव प्यारी, भरत लखन शत्रुहन वारी ॥
दिव्या धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥
सिया रूप भायो मनवा अति, रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥
भारी शिव धनु खींचै जोई, सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥
भूपति नरपति रावण संगा, नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥
जनक निराश भए लखि कारन , जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥
यह सुन विश्वामित्र मुस्काए, राम लखन मुनि सीस नवाए ॥
आज्ञा पाई उठे रघुराई, इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥
जनक सुता गौरी सिर नावा, राम रूप उनके हिय भावा ॥
मारत पलक राम कर धनु लै, खंड खंड करि पटकिन भू पै ॥
जय जयकार हुई अति भारी, आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥
सिय चली जयमाल सम्हाले, मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥
मंगल बाज बजे चहुँ ओरा, परे राम संग सिया के फेरा ॥
लौटी बारात अवधपुर आई, तीनों मातु करैं नोराई ॥
कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा, मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय, हरख अपार हुए सीता हिय ॥
सब विधि बांटी बधाई, राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥
मंद मती मंथरा अडाइन, राम न भरत राजपद पाइन ॥
कैकेई कोप भवन मा गइली, वचन पति सों अपनेई गहिली ॥
चौदह बरस कोप बनवासा, भरत राजपद देहि दिलासा ॥
आज्ञा मानि चले रघुराई, संग जानकी लक्षमन भाई ॥
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं , मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥
राम गए माया मृग मारन, रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो, लंका जाई डरावन लाग्यो ॥
राम वियोग सों सिय अकुलानी, रावण सों कही कर्कश बानी ॥
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी, सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥
अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा, महावीर सिय शीश नवावा ॥
सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती, भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥
चढ़ि विमान सिय रघुपति आए, भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥
अवध नरेश पाई राघव से, सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥
रजक बोल सुनी सिय बन भेजी, लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो, लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥
विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं, दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी,रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥
भूलमानि सिय वापस लाए, राम जानकी सबहि सुहाए ॥
सती प्रमाणिकता केहि कारन, बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥
अवनि सुता अवनी मां सोई, राम जानकी यही विधि खोई ॥
पतिव्रता मर्यादित माता, सीता सती नवावों माथा ॥
॥ दोहा ॥
जनकसुत अवनिधिया राम प्रिया लवमात,
चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात ॥
शांति और सम्पन्नता के लिए शुक्रवार के दिन करें ये चमत्कारी उपाय
27 Apr, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में शुक्रवार का दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन भक्त देवी मां को प्रसन्न करने के लिए विधिवत उनकी पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते है।मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ अगर कुछ विशेष उपायों को किया जाए तो धन की देवी की कृपा बरसती है और घर परिवार व जीवन में सुख शांति और सम्पन्नता सदा वास होता है। तो आइए जानते हैं शुक्रवार के अचूक उपाय।
शुक्रवार के चमत्कारी उपाय-
आपको बता दें कि शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी के साथ साथ शुक्र ग्रह को भी समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन शुक्र देव के खास मंत्र 'ॐ शुं शुक्राय नम:' या 'ॐ हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम् सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्' का 108 बार जाप करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर परिवार में सदा ही सुख शांति व सम्पन्नता बनी रहती है। इसके अलावा इस दिन पूजन के समय सफेद रंग के वस्त्रों को धारण करना चाहिए ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर कृपा करती है। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए साफ सफाई का ध्यान देना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में शुक्रवार के दिन घर को गंदा न छोड़े और इसके साफ सफाई जरूर करें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी घर में वास करती है जिससे धन की कमी दूर हो जाती है। शुक्रवार की शाम घर के प्रवेश द्वार पर घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी का प्रवेश घर में होता है। जिससे दरिद्रता और गरीबी दूर हो जाती है।
शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए करें ये आसान उपाय
27 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में शनिदेव को कर्मों का दाता माना गया है। मान्यता है कि शनि महाराज व्यक्ति को उसके कर्मो के अनुसार फल प्रदान करते हैं अच्छे कार्यों को करने वाले व्यक्ति को वो शुभ फल देते हैं तो वही बुरे कार्यों से लिप्त लोगों को दंड भी देते है।
ऐसे में हर कोई शनिकृपा पाने के लिए उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करता है। ज्योतिष अनुसार शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ अगर कुछ उपायों को किया जाए तो शनि कृपा साधकों पर बरसती है जिससे जीवन की सभी परेशानियों और दुखों का अंत हो जाता है। तो आज हम आपको शनिवार के दिन किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
शनिदेव को प्रसन्न रखने के उपाय-
अगर आप शनि महाराज को प्रसन्न करना चाहते हैं तो ऐसे में शनिवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करते हुए 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' इस मंत्र का जाप करें। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा कर उस पर कच्चा सूत बांधे। मान्यता है कि इस उपाय को करने से शनिदोष से मुक्ति मिलती है साथ ही साथ जीवन में सुख शांति भी बनी रहती है। वही इसके अलावा अगर आप वैवाहिक जीवन में खुशियां चाहते हैं तो शनिवार के दिन थोड़े से काले तिल पीपल के पेड़ पर अर्पित करें। इसके साथ ही पीपल की जड़ पर जल अर्पित करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से पति पत्नी के रिश्तों में मधुरता आती है और रिश्ता भी मजबूत होता है।
घेरे हुए हैं ढेरों परेशानियां, तो करें ये अचूक उपाय
27 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली विशेष महत्व रखती है। ज्योतिष अनुसार अगर कुंडली के सभी ग्रह मजबूत हो तो इसका शुभ प्रभाव जातक के जीवन पर देखने को मिलता है। लेकिन अगर कुंडली का कोई भी ग्रह कमजोर स्थिति में है और अशुभ फल प्रदान कर रहा है तो ऐसे में व्यक्ति को ढेरों परेशानियां घेरे रहती है।
ज्योतिष की मानें तो सूर्य को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। सूर्य का संबंध व्यक्ति की सेहत और उसकी तरक्की से होता है। अगर आपके जीवन में सूर्य की दिशा और दशा खराब है और आप हमेशा ही किसी न किसी परेशानी से घिरे रहते है। तो ऐसे में आप कुछ उपायों को करके कुंडली का सूर्य मजबूत कर सकते हैं साथ ही सूर्यदेव की कृपा भी प्राप्त कर सकते हैं तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
सूर्यदेव को प्रसन्न करने के उपाय-
अगर आप सूर्यदेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो ऐसे में रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्र धारण कर सूर्यदेव को जल अर्पित करें जल देते समय उनके चमत्कारी मंत्र 'ओम सूर्याय नमः ओम वासुदेवाय नमः ओम आदित्य नमः' जाप जरूर करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से कुंडली का सूर्य मजबूत होता है और शुभ फल प्रदान करता है।
इसके अलावा करियर में तरक्की पाने के लिए रविवार के दिन घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर देसी घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से जीवन की परेशानियां दूर हो जाती है साथ ही सफलता के मार्ग खुलते है। इस दिन पूजा पाठ के समय लाल रंग के वस्त्र को धारण करना उत्तम माना जाता है ऐसा करने से सूर्य कृपा बरसती है। रविवार के दिन आप गुड़, दूध, चावल और वस्त्रों का दान जरूर करें। ऐसा करने से कार्यों में आने वाली अड़चने दूर हो जाती है तथा धन लाभ के भी योग बनने लगते है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 अप्रैल 2023)
27 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, उदर रोग , मित्र लाभ राजभय तथा दाम्पत्य जीवन भी पूर्ण संतोषप्रद रहेगा।
वृष राशि - शत्रु भय सुख मंगल कार्य, विरोध मामले मुकदमें में प्राय जीत की संभावना है।
मिथुन राशि - कुसंग हानि, रोग भय, यात्रा, उद्योग व्यापार की स्थिति लाभ हानि की रहेगी।
कर्क राशि - पराक्रम कार्य, सिद्ध व्यापार लाभ, खेती व गृह कार्य में व्यवस्था अवश्य बढ़ेगी।
सिंह राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष, स्थिति में सुधार होगा तथा कार्य अवश्य होवें।
कन्या राशि - व्यर्थ धन, हर्ष होगा, कार्यें में हस्तक्षेत्र करने से तनाव अवश्य ही बनेंगा।
तुला राशि - कार्य गति अनुकूल, आशानुकूल सफलता का हर्ष होवें, मित्र से सहयोग अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि - सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्यकुशलता से संतोष होवेगा।
धनु राशि - कार्य कुशलता से हर्ष, योजना फलीभूत होवे तथा रुके कार्य अवश्य ही बनें।
मकर राशि - अधिकारियों से संपर्क से बचें, तनाव, क्लेश, अशांति बेचैनी अवश्य होगी।
कुंभ राशि - उद्विघ्नता, असमंजस का वातावरण मन को क्लेश युक्त बनायें।
मीन राशि - बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायें।