धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (8 जनवरी 2023)
8 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बढ़िया यात्रा विवाद मातृकष्ट व्यर्थ का विरोध होगा कार्य शेष हो।
वृष राशि :- धन व्यय व व्यापार में प्रगति शुभ कार्य होवे परिणाम अनुभवशील रहेगा।
मिथुन राशि :- पितृ कष्ट हो सकता है। व्यय लाभ अशांति का वातावरण अवश्य रहेगा।
कर्क राशि :- शुभ भूमि का लाभ हर्ष कार्य सिद्ध खेती व गृह कार्य व्यवस्था पूर्वक रहेगा।
सिंह राशि :- शत्रु भय विरोध लाभ उद्योग व्यापार लाभ कार्य सफलता अवश्य होवेगा।
कन्या राशि :- चिन्ता लाभ विद्या लाभ उन्नति घरेलू विरोध शिक्षा लेखन कार्य सफलता होगे।
तुला राशि :- सुख सफलता निर्माण प्रवास मन कार्य में व्यय से लाभ अवश्य होवेगी।
वृश्चिक राशि :- लाभ सिर नेत्र परेशानी अवश्य होवेगा ध्यान अवश्य ही देवे।
धनु राशि :- हानि होगी पदोन्नति लाभ होवेगा व्यर्थ का सामना करना पड़ेगा।
मकर राशि : धन लाभ स्थानान्तरण होवेगा राज कार्य में असमंजस्य बना रहेगा।
कुंभ राशि :- अभाव विवाद चिन्ता लाभ कर विरोधी असफलता का आभाव रहेगा।
मीन राशि :- संतान सुख प्रवास धन लाभ अपने मित्रों व परिवारों का विरोध रहेगा।
मुखिया में हो ये गुण तो परिवार पर आंच भी नहीं आ सकती, आज की चाणक्य नीति
7 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य को भारत के महान विद्वानों और ज्ञानियों में से एक माना गया है इनकी नीतियां आज पूरे विश्व में विख्यात है चाणक्य ने अपनी नीतियों के द्वारा मनुष्य को सही मार्ग दिखाने का काम किया है आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र ग्रंथ में पिरोया है जिसे आज चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है चाणक्य की इन नीतियों का अनुसरण जो भी व्यक्ति करता है उसका जीवन सरल और सहज हो जाता है
चाणक्य नीति अनुसार परिवार को एक डोर से बांधने का काम घर का मुखिया करता है इसलिए घर के मुखिया की परिवार में अहम भूमिका होती है घर के मुखिया के पद को विशेष बताया गया है क्योंकि मुखिया का एक फैसला पूरे परिवार का भविष्य बना सकता है और बिगाड़ सकता है चाणक्य नीति अनुसार मुखिया में अगर कुछ आदतें हो तो उसका पूरा परिवार सुखी जीवन जी सकता है और परिवार का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि चाणक्य ने अपनी नीतियों में मुखिया में किन आदतों का होना जरूरी बताया है तो आइए जानते है।
चाणक्य नीति अनुसार घर के मुखिया की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है ऐसे में उस पर सभी विश्वास करते हैं मुखिया को कान का कच्चा नहीं होना चाहिए किसी भी छोटे बड़े विषयों के हर पहलू पर गौर करने के बाद ही विचार बनाना बेहतर होगा। घर के मुखिया को अपने विवेक और समझदारी से काम करना चाहिए तो उसके परिवार का कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता है। घर के मुखिया को धन का व्यवस्थित तरीके से प्रयोग करना चाहिए बेवजह खर्चों पर लगाम लगाकर रखना बेहतर होगा। ऐसा करने से परिवार एकजुट रहता है
संकट के समय में भी परिवार की खुशियां बनी रहती है। चाणक्य कहते हैं कि घर का मुखियां पंक्ति में खड़े पहले व्यक्ति तरह होता है जो जैसा खड़ा होता है कतार में बाकी लोग भी वैसे ही खड़े रहते हैं यानी की मुखिया को हमेशा ही अच्छे काम करने की भावना और सोच समझकर लिए निर्णय पर डटे रहने की आदत रखनी चहिए ये आदते पूरे परिवार का भविष्य सुधार देती है परिवार के सभी सदस्यों पर अनुशासन बनाए रखने के लिए मुखिया को अपने फैसलों पर अडिग रहना चाहिए तभी वह परिवार में सुख शांति दोनों को कायम रख सकता है।
क्या होती है अकाल मृत्यु, गरुड़ पुराण में क्या है इसकी सजा
7 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कुल 18 महापुराण है जिनमें कई रहस्यमयी ज्ञान छिपा हुआ है इन्हीं महापुराणों में से एक है गरुड़ पुराण जिसमें भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ की वार्तालाप का वर्णन किया गया है गरुड़ पुराण को मानव की मृत्यु के पश्चात उसकी सद्गति प्रदान करने वाला पुराण बताया गया है
इस महापुराण में जातक के जीवन मृत्यु, स्वर्ग नरक और मृत्यु के बाद आत्मा की यात्रा के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है आम धारणा है कि गरुड़ पुराण का पाठ तब किया जाता है जब किसी की मृत्यु हो जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है आप जानकारी पाने के लिए भी इसका पाठ कर सकते हैं गरुड़ पुराण में अकाल मृत्यु से जुड़ी कई जानकारी बताई गई है तो आज हम इसी पर चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्युकाल यानी जब मनुष्य की मृत्यु का समय निकट आता है तो जीवात्मा से प्राण और देह का वियोग होता है इसमें वर्णन किया गया है कि हर व्यक्ति के जन्म और उसकी मृत्यु का समय निश्चित है जिसे पूरा करने के बाद ही व्यक्ति को मोक्ष मिलता है ऐसे में अगर किसी की अचानक यानी अकाल मृत्यु हो जाती है तो उस जीवात्मा साथ क्या किया जाता है और अकाल मुत्यु की सजा क्या होती है यह सब गरुड़ पुराण में वर्णित है। गरुण पुराण की मानें तो मानव जीवन के सात चक्र निश्चित होते हैं इस चक्र को पूरा करने के बाद जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है वह मोक्ष पाता है लेकिन जो इस चक्र को पूर्ण नहीं कर पाता है वही अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है ऐसे लोगों की आत्मा को कई प्रकार के कष्ट उठाने पड़ते हैं
हमारे वेदों और पुराणों में वर्णित है कि मानव सौ वर्षों तक जीवित रह सकता है लेकिन जब वो निंदित कार्य करता है तो ऐसे लोग शीघ्र विनष्ट हो जाते हैं जीवन में किए गए कई महादोषों के कारण भी मनुष्य की आयु कम हो जाती है और वे अकाल मृत्यु को प्राप्त होता है ऐसे लोगों की आत्मा निश्चित समय से पहले यमलोक जाती है। गरुण पुराण के अनुसार जिनकी मृत्यु प्राकृतिक रूप से होती है उनकी आत्मा तीन,दस , तेरह या फिर 40 दिनों के अंदर दूसरा शरीर प्राप्त करती है लेकिन आत्महत्या का अपराध करने वाले मनुष्य की आत्मा तब तक भटकती है जब तक उसका समय काल पूर्ण न हो जाएं मान्यता है कि ऐसी आत्माओं को न तो स्वर्ग की प्राप्ति होती है और ना ही नर्क, ये आत्माएं लोक परलोक के बीच में भी भटकती रहती है।
इसे कहते हैं देवी लक्ष्मी का 'भाई', इसके जैसा निशान हथेली पर हो तो कोई भी बन सकता है मालामाल
7 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हस्तरेखा में न सिर्फ रेखाओं बल्कि हथेली पर बनने वाले चिह्नों पर भी गौर किया जाता है। कुछ चिह्न ऐसे होते हैं जो बहुत कम लोगों की हथेली में बनते हैं पर जिसकी भी हथेली में होते हैं, उसे मालामाल कर देते हैं।
तंत्र-मंत्र का जानकार होता है ऐसा व्यक्ति
हस्तरेखा के अनुसार, जिस व्यक्ति के शनि पर्वत (मध्यमा अंगुली के नीचे) पर शंख का चिह्न होता है, ऐसा व्यक्ति प्रकांड विद्वान, ज्योतिषाचार्य या तंत्र-मंत्र और वेदों का ज्ञाता होता है। इनके नाम की प्रसिद्धि देश-विदेश तक रहती है। ये लोग जो चाहते हैं, उसे प्राप्त करते ही दम लेते हैं। बड़े-बड़े लोग इनके अनुयायी होते हैं।
स्मार्ट बिजनेसमैन होते हैं ये लोग
जिन लोगों के बुध पर्वत (छोटी अंगुली के नीचे) पर शंख का चिह्न होता है, ऐसे लोग स्मार्ट बिजनेसमैन होते हैं। ये देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी धन अर्जित करते हैं। ऐसा व्यक्ति समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं, भोग, ऐश्वर्य, स्त्री सुख आदि प्राप्त करता है। दूर देशों की यात्राएं भी लगातार करता रहता है।
कुशल राजनेता होता है ऐसा व्यक्ति
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति के सूर्य पर्वत (अनामिका अंगुली के नीचे) पर शंख का चिह्न होता है, वो या तो प्रशासनिक सेवाओं में उच्च पद हासिल करता है या फिर राष्ट्रीय राजनीति में बड़े पद पर होता है। इन लोगों के पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं रहती है। हजारों लोग इनके कहने पर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। विदेश में भी इनकी धाक रहती है।
ऐसा व्यक्ति होता है भाग्यशाली
हस्तरेखा के अनुसार, जिस व्यक्ति की हथेली में बीचों-बीच शंख का निशान हो, वह बहुत ही भाग्यशाली होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन भर ऐशो-आराम से रहता है। समाज में उसे मान-सम्मान प्राप्त होता है। ऐसा व्यक्ति या तो कोई बड़ा राजनीतिज्ञ या कानून के क्षेत्र में उच्च पद पर रहता है। कई लोग इनके अधीनस्थ होते हैं यानी इनके हाथ के नीचे काम करते हैं।
क्यों कहते हैं विष्णु भगवान को नारायण
7 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान विष्णु के हजारों नाम हैं। इनमें एक प्रमुख नाम है नारायण। फिल्मों टीवी सीरियल या रामलीला में आपने देखा होगा कि नारद मुनि भगवान विष्णु को नारायण नाम से पुकारते हैं। इस नाम का धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। इस एक नाम में सृष्टि का संपूर्ण सार छिपा हुआ है। इसलिए शास्त्रों में अधिकांश स्थानों पर विष्णु भगवान को नारायण नाम से संबोधित किया गया है। हिन्दू धर्म में अठारह पुराणों का वर्णन मिलता है। इन अठारह पुराणों में विष्णु पुराण एक है। इस पुराण में सृष्टि की रचना का वर्णन किया गया है। इसी प्रम में बताया गया है किस प्रकार विष्णु भगवान ने वाराह रूप धारण करके पृथ्वी को रसातल यानी पाताल लोक से उठाकर जल के मध्य में स्थित किया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने सत्व रज और तम गुणों से असुर देव राक्षस यक्ष मनुष्य सर्प एवं अन्य जीव-जन्तुओं की रचना की।
विष्णु पुराण में बताया गया है कि सृष्टि के समाप्ति के समय सब कुछ जल में समा जाता है और संपूर्ण ब्रह्माण्ड अंधकारमय हो जाता है। भगवान विष्णु चिर निद्रा में जल में शयन करते हैं। देवताओं का दिन आरंभ होने पर भगवान विष्णु फिर से सृष्टि की रचना करते हैं और ब्रह्मा एवं शिव की उत्पत्ति उन्हीं से होती है। भगवान विष्णु प्रथम नर रूप में व्यक्त होते हैं। इसलिए शास्त्रों में इन्हें आदिपुरूष कहा गया है। आदि पुरूष विष्णु का निवास यानी आयन नार यानी जल है इसलिए भगवान विष्णु को नारायण नाम से संबोधित किया जाता हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (7 जनवरी 2023)
7 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- परिश्रम भय कष्ट व्यवसाय बाधा लाभ पारिवारिक सम्ास्या उलझन भरी रहेगी।
वृष राशि :- राज भय रोग स्वजन सुख शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होवेगी।
मिथुन राशि :- वाहन भय हानि व अशान्ति का वातावरण रहेगा लाभ के अवसर बनेंगे।
कर्क राशि :- सफलता उन्नति शुभ कार्य विवाद राजकार्य मामले मुकदमें की स्थिति कष्टप्रद रहेगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट व्यय कार्य में सफलता आर्थिक सुधार होने के कार्य बन जायेगे
कन्या राशि :- खर्च विवाद स्त्री कष्ट विद्या लाभ में धीरे-धीरे सुधार होगा सुधार होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हर्ष लाभ शरीर कष्ट खर्च की यात्रा बढ़ेगी आर्थिक कष्ट बढ़ जायेगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य वृत्ति से लाभ यात्रा सम्पत्ति लाभ व्यापारी गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि :- अल्प लाभ चोट और अग्नि शरीर भय मानसिक परेशानी अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि कार्य व्यर्थ शरीरिक सुख होवे कुछ कष्ट अवश्य होवेगा।
कुंभ राशि :- सुख व्यय संतान सुख कार्य सफलता होगी। उत्साह की कमी होगी ध्यान देवें।
मीन राशि :- पदोन्नति राजभय न्याय लाभ हानि अधिकारियों से मनमुटाव अवश्य बनेगा।
श्री सम्मेद शिखर जी तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित करने से क्या होगा?
6 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
झारखंड सरकार ने जैन धर्म के सबसे बड़े तीर्थ क्षेत्र सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है।
सबसे पहले तो यह समझना होगा कि किसी भी तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल क्यों घोषित किया जाता है और इसे पर्यटन क्षेत्र बनाने से क्या होगा? इसके लिए एक उदाहरण से यह बात समझना होगी, जो किसी राजनीतिज्ञ या उद्योगपति को शायद समझ में न आए।
हिन्दू पुराणों में चार धाम को पवित्र तीर्थ क्षेत्र माना गया है। इसमें भी बद्रीनाथ को परम तीर्थ और जगन्नाथ को वैकुण्ठ कहा गया है। एक दौर था जबकि बद्रीनाथ धाम में पैदल यात्रा होती थी और यहां पर अधिकतर साधु संत ही संगत बनाकर यात्रा करते थे। उन्हीं के साथ आम तीर्थयात्री भी होते थे। हालांकि इस क्षेत्र में आम लोगों के यात्रा पर जाने के लिए कई तरह की हिदायत दी गई है।
पुराणों के अनुसार केदारनाथ और बद्रीनाथ क्षेत्र नर और नारायण पर्वत के आसपास हैं। यह संपूर्ण क्षेत्र देवत्व हिमालय के अंतर्गत आता है। यहां पर प्रत्यक्ष और सूक्ष्म रूप में लाखों साधु-संत और ऋषि-मुनि तपस्यारत है। यहां पर नर और नारायण ने हजारों वर्ष तपस्या करके इस क्षेत्र को पवित्र बनाया है। इस संपूर्ण क्षेत्र की ऊर्जा और इसका महत्व आध्यात्मिक है। श्रीमद्भागवत पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। यह संपूर्ण क्षेत्र उन लोगों के लिए हैं जो स्वयं की यात्रा पर निकलें हैं या जो मोक्ष चाहते हैं। यह क्षेत्र उन लोगों के लिए नहीं है जो वहां पर जाकर प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं, सेल्फी लेना चाहते हैं या पिकनिक मनाना चाहते हैं।
लेकिन दुख की बात है कि पहले लोग सिर्फ बद्रीनाथ धाम की यात्रा करते थे लेकिन अब इस संपूर्ण क्षेत्र को छोटा चार धाम के नाम से पर्यटन स्थल की तरह विकसित करके इसे एक व्यावसायिक क्षेत्र बना दिया गया है, जिसके चलते अब न केवल इसकी प्रकृति नष्ट हो रही है बल्कि यह अपवित्र भी होता जा रहा है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि इस संपूर्ण क्षेत्र की प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की गई तो यह तीर्थ क्षेत्र न केवल लुप्त हो जाएंगे बल्कि लुप्त होकर ये भूगर्भीय गतिविधियों को भी बढ़ाकर भारतीय जलवायु और यहां की धरती को खतरे में डाल देंगे। यही बात नर्मदा नदी को लेकर भी लिखी है स्कंद पुराण के रेवाखंड में। नर्मदा को रोकने से एक दिन भारत समुद्र में समा जाएगा।
जहां पर पर्यटन के लिए सभी धर्म और देश विदेश के लोग जाने लगते हैं वहां धीरे धीरे अवैध गतिविधियां भी प्रारंभ होने लगती है। वहां पर शराब और मांस की बिक्री भी बढ़ जाती है। किसी भी तीर्थ स्थल के 100 मीटर के दायरे को छोड़कर सब कुछ बेचा जा सकता है। जैन अनुयायियों की सिर्फ यही एक चिंता नहीं है बल्कि यह भी कि श्री सम्मेद शिखरजी की प्राकृतिक सुंदरता और यहां की जैव विविधता के साथ भी भविष्य में छेड़छाड़ की जाएगी जिसके चलते इस संपूर्ण क्षेत्र की न केवल पवित्रता नष्ट होगी बल्कि यहां आने का जो आध्यात्मिक भाव और अनुभव होता है वह भी प्रभावित होगा।
तपोभूमि को तपोभूमि ही रहने दिया जाना चाहिए और तीर्थ क्षेत्र को तीर्थ क्षेत्र की तरह ही रहने देने भी ही भलाई है। इस देश में लोगों की मोज मस्ती के लिए हजारों अन्य स्थानों को विकसित किया जा सकता है। यह भलिभांति जान लेना चाहिए कि पर्यटन और परिक्रमा परिव्राजक में जमीन आसमान का फर्क होता है। तपोभूमि या तीर्थ क्षेत्र की लोग परिक्रमा करने जाते हैं और संतजन परिव्राजक होते हैं जो हमेशा ही तपोभूमि पर ध्यान और तीर्थों में परिक्रमा करते रहते हैं।
पर्यटन के नाम पर हिन्दुओं के कई तीर्थों को नष्ट कर दिया गया है। आज हम देखते हैं कि लोग तीर्थ क्षेत्र में न तो सत्संग, ध्यान या धर्म अर्जित करने जाते हैं और न ही वे दर्शन करने जाते हैं। वहां जाकर वे क्या करते हैं यह सभी जानते हैं। दर्शन करने नहीं बल्कि सैर-सपाटा करने जाते हैं और फेसबुक या इंस्टाग्राम पर पोस्ट करते हैं।
खबरों में हमने पढ़ा भी है कि किस तरह गंगा के पवित्र तट पर लोग बैठकर डांस या शराब पार्टी कर रहे हैं और किस तरह महाकाल मंदिर प्रांगण में लड़कियां कम कपड़े पहनकर इंस्टा के लिए डांस कर रही है।
झारखंड के जिस क्षेत्र में श्री सम्मेद शिखर जी है वहां का संपूर्ण क्षेत्र आदिवासियों का क्षेत्र है। झारखंड सरकार वोट की राजनीति के चलते उस क्षेत्र को पर्यटन स्थल जैसा बनाकर वहां पर आने के लिए लोगों को आकर्षित करेगी और इससे सरकारी खजाना भरा जाएगा। लेकिन इससे होगा यह कि जो जैन धर्म के अनुयायी हैं वे पीछे रह जाएंगे और वहां पर सैर सपाटा और मौज मस्ती करने वाले लोगों की संख्या बढ़ जाएगी। इससे न केवल उस तपोभूमि को नुकसान पहुंचेगा जहां से कई तीर्थंकर मोक्ष को गए हैं वहीं इसकी पवित्रता भी नष्ट हो जाएगी। इसलिए जैन समाज का विरोध करना जायज ही नहीं बल्कि कहना यह चाहिए कि अभी नहीं तो फिर कभी नहीं। सभी को इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।
पौष पूर्णिमा पर करें ये असरदार उपाय, धन से हमेशा भरी रहेगी तिजोरी
6 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बेहद ही खास बताया गया है यह हर मास के अंत में एक पड़ती है इस तिथि को बेहद पवित्र बताया गया है इस दिन स्नान दान, व्रत पूजा का विशेष महत्व होता है ऐसे में साल 2023 की पहली पूर्णिमा कल यानी 6 जनवरी को पड़ रही है और इसी के बाद 7 जनवरी से माघ मास का आरंभ होने जा रहा है
इस साल की पहली पूर्णिमा बेहद ही खास है इस दिन कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है ऐसे में इस दिन व्रत पूजा के साथ साथ कुछ उपायों को भी करना लाभकारी रहेगा मान्यता है कि इन उपायों को करने धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर कृपा बरसाती है तो आज हम आपको पौष पूर्णिमा पर किए जाने वाले अचूक उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पौष पूर्णिमा पर करें ये उपाय-
अगर आप जीवन में आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में पौष पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं मान्यता है कि देवी मां को खीर बेहद प्रिय है इससे माता प्रसन्न होकर धन से जुड़ी परेशानियों को दूर कर देंगी। माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पौष पूर्णिमा के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का संपूर्ण पाठ करें इस पाठ को करने से घर परिवार में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है इसके अलावा धन संकट भी दूर हो जाता है।
धन लाभ की प्राप्ति के लिए पौष पूर्णिमा पर 11 कौड़ियों लें और उन पर हल्दी लगाकर माता लक्ष्मी को अर्पित कर दें इसके बाद अगले दिन एक लाल वस्त्र में इन्हें बांधकर धन रखनी वाली जगह पर रख दे मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर में धन आगमन होता है और धन से जुड़ी परेशानियां समाप्त हो जाती है। इस दिन आप पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें मिठाई आदि का भोग लगाएं ऐसा करने से घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
शवयात्रा के आगे मटकी में आग लेकर क्यों चलते है परिजन
6 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई सारी रीति रिवाज और पंरपराएं है जिनका पालन हर किसी को करना पड़ता है इस धर्म में मृत्यु के बाद शव का दाह संस्कार किया जाता है जो मानव के 16 संस्कारों में से एक होता है जिसे अंतिम संस्कार के नाम से भी जाना जाता है यह व्यक्ति के जीवन का आखिरी संस्कार होता है हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के परिवार में जब किसी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक को घर में रखने से लेकर उसका अंतिम संस्कार करने और बाद के 13 दिनों तक कुछ खास रस्मों और नियमों का पालन किया जाता है
जिन्हें शास्त्रों में बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है मृत्यु से जुड़ी इन परंपराओं में एक रस्म यह भी शामिल है कि जब धर से श्मशान घाट के लिए शव यात्रा निकलती है तो शव के आगे मृतक का एक परिजन अपने एक हाथ में मटकी लेकर चलता है और इस मटकी में एक सुलगा हुआ कंडा रखा होता है ऐसा क्यों होता है और इसके पीछे का कारण है यह प्रश्न अधिकतर लोगों के मन में उठता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं प्रश्नों के उत्तर दे रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए इसके पीछे का कारण-
आपने अधिकतर शव यात्रा में देखा होगा की एक पतली सी रस्सी में मटकी बंधी होती है और इससे धुंआ निकलता रहता है इस मटकी को मृतक के परिवार का ही कोई एक सदस्य हाथ में पकड़ कर शवयात्रा के सबसे आगे चलता है फिर श्मशान में जाकर इसी मटकी की अग्नि को घास पर रखकर सुलगाया जाता है और इसी से मृतक का दाह संस्कार किया जाता है इसका अर्थ यह है कि लोग धर से लाई गई अग्नि से ही मृतक का शरीर जलाते हैं
इस अग्नि से अंतिम संस्कार करने के पीछे की वजह बेहद महत्वपूर्ण है मान्यता है कि पुराने समय में दूल्हा दुल्हान जिस अग्नि के फेरे लेते हैं उस अग्नि को घर में स्थापित कर लिया जाता था इसी अग्नि से दाह संस्कार होता था उसी पृथा के भाग के रूप में आज भी लोग अपने घर की अग्नि जलाकर मटकी में श्मशान घाट तक लेकर जाते हैं और फिर इसी से मृतक के शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक व्यक्ति की आत्मा को शांति प्राप्त होती है।
षटतिला एकादशी पर करें ये अद्भुत उपाय, दूर हो जाएगी हर परेशान
6 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक रूप से हर त्योहार महत्वपूर्ण होता है लेकिन एकादशी का व्रत बेहद खास माना जाता है यह तिथि श्री हरि विष्णु को प्रिय है और एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए उत्तम माना जाता है भक्त एकादशी के दिन उपवास रखकर जगत के पालनहार की उपासना करते है मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है
माघ मास में पड़ने वाली षटतिला एकादशी का व्रत इस साल 18 जनवरी दिन बुधवार को किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन विष्णु साधना करने से सभी तरह के पापों का नाश हो जाता है और दुख दरिद्रता से भी मुक्ति मिलती है इस दिन पूजा पाठ के साथ साथ कुछ उपायों को भी करना लाभकारी माना जाता है तो आज हम आपको षटतिला एकादशी पर किए जाने वाले उपाय और मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
षटतिला एकादशी पूजा का मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की षटतिला एकादशी तिथि का आरंभ 17 जनवरी दिन मंगलवार की शाम 6 बजकर 5 मिनट से हो रहा है वही इसका समापन 18 जनवरी दिन बुधवार को शाम 4 बजकर 3 मिनट पर हो जाएगा वही उदयातिथि अनुसार एकादशी का व्रत 18 जनवरी को रखा जाएगा। वही व्रत का पारण 19 जनवरी को सुबह 7 बजकर 14 मिनट से सुबह 9 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।
षटतिला एकादशी पर करें ये उपाय-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी के दिन तिल का दान करने से जातक को स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त होता है इस दिन तिल और गुड़ से बने 11 लड्डू गरीबों को दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है षटतिला एकादशी पर जल में तिल डालकर माता तुलसी को अर्पित करें इसके साथ ही जल में तुलसी के पत्ते डालकर पूरे घर में छिड़काव करें मान्यता है कि इस उपाय को करने से घर की नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और सकारात्मकता का संचार होता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (6 जनवरी 2023)
6 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति किसी परेशानी से बचिये कुटुम्ब की समस्या में समय बीतेगा।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिये नहीं तो अपने किये पर पछताना पड़ेगा ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्यों में सफलता से संतोष धन लाभ बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
कर्क राशि :- विरोधी वर्ग का समर्थन फलप्रद हो तथा शुभ कार्यों के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे स्थिति पूर्ण नियंत्रण में रहे कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी धन लाभ तथा आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से समर्थन प्राप्त होगा तथा रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ कार्यकुशलता से संतोष पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे।
धनु राशि :- स्त्री-शरीर कष्ट चिन्ता विवादग्रस्त होने से बचिये कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य मिलेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय में उत्तेजना धन का व्यय एवं शक्ति निष्फल अवश्य होगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटायें इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे समय का ध्यान रखें।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (5 जनवरी 2023)
5 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी दुघ&टना ग्रस्त होने से बचें तथा अधिकारियों से तनाव हो।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो सफलता के साधन जुटायें तथा विशेष लाभ हो।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो विशेष काय& स्थिगित रखे काय& अवरोध हो।
कक& राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले अथ&व्यवस्था की विशेष चिंता बनी रहे।
सिंह राशि :- किसी अपवाद व दुघ&टना से बचें व्यवसायिक क्षमता में बाधा अवश्य होवे।
कन्या राशि :- व्यवसायिक गति उत्तम चिन्ताएं कम होगी अवरोध के बाद काय& बनेंगे।
तुला राशि :- मानसिक बेचैनी उद्विघ्नता के योग बनेंगे तथा कुटुम्ब में क्लेश होंगे।
वृश्चिक राशि :- सामथ्य& वृद्धि के साथ तनाव अडंगे तथा झगड़े संभावित होगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद हो तथा व्यथ& धन का व्यय होवे।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो सफलता के साधन जुटाएं तथा काय& बनें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता मानसिक बेचैनी तथा बने हुए काय& अवश्य बनें।
मीन राशि :- तनाव क्लेश व अशांति बनेगी परिश्रम विफल होंगे काय&गति मंद होगी।
30 साल बाद शनि बदलेंगे अपनी चाल, इन राशियों को रहना होगा सावधान
4 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि का राशि परिवर्तन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. 17 जनवरी 2023 को शाम 05 बजकर 04 मिनट पर शनि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.
शनि के इस प्रवेश से मकर राशि के तीसरे चरण, कुंभ राशि के दूसरे चरण और मीन राशि के प्रथम चरण की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी. शनि के इस गोचर से कुछ राशियों को सावधान भी रहना होगा. आइए जानते हैं उन राशियों के बारे में.
1. मेष
इस नए साल में मेष राशि के जातकों को शनि की दृष्टि से सावधान रहना होगा. मेष राशि वालों को सेहत को लेकर इस समय सावधान रहना होगा. परिवार में मदभेद बढ़ सकते हैं. शनि की दृष्टि के कारण मेष राशि वालों के खर्चों में भी वृद्धि हो सकती है. भूलकर भी इस समय नौकरी बदलने के बारे में न सोचें. कार्यक्षेत्र में अनबन हो सकती है. सहकर्मियों से सावधान रहें क्योंकि स्पर्धा का माहौल बना रहेगा.
2. मिथुन
इस गोचर का प्रभाव आपके आर्थिक पक्ष पर पड़ेगा और उसमें रुकावट आएगी. इस दौरान आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. आपके दुश्मन आपको नीचा दिखाने की पूरी कोशिश करेंगे. इससे आपके मन में असुरक्षा की भावना आ सकती है. किसी भी टकराव की स्थिति से बचें वरना इसका नुकसान आपको ही उठाना पड़ेगा. अपनी ऊर्जा को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाएं. इस दौरान आपका मुख्य ध्यान आपके करियर पर होगा. रिश्तों में भी कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते हैं.
3. सिंह
सिंह जातकों के लिए शनि का गोचर अच्छे परिणाम नहीं लेकर आएगा. व्यावसायिक तौर पर आपके प्रयास इस समय के दौरान कुछ खास नतीजे नहीं दिखा पाएंगे. इस दौरान आपके आत्मविश्वास में भी कमी हो सकती है. अपनी पुरानी गलतियों से सबक लें और भविष्य इन्हें दोहराने से बचें. इस गोचर के दौरान अपनी क्षमता पर भरोसा रखें. इस दौरान ना तो किसी को उधार दें और ना ही लें. माता-पिता के सेहत पर खास ध्यान देने की जरूरत है. अपनी दिनचर्या सही बनाने की कोशिश करें.
4. वृश्चिक
इस गोचर का असर जातकों पर व्यावसायिक रूप से पड़ेगा. इस समय अपने पूरे धन को किसी एक जहां पर लगाने से बचें वरना आपको नुकसान हो सकता है. व्यक्तिगत रूप से आप इस समय के दौरान थोड़े परेशान और चिड़चिड़े हो सकते हैं, इसका असर आपके रिश्तों पर पड़ सकता है. अपने स्वभाव का ध्यान रखें यही आपके रिश्ते के लिए अच्छा रहेगा. सेहत पर ध्यान देने की जरूरत है. इस दौरान आपको पेट के क्षेत्र से जुड़ी कुछ समस्या हो सकती है.
5. मीन
यह गोचर मीन राशि के जातकों के लिए खराब परिणाम आने वाला है. इस दौरान आपको मेहनत का उचित फल नहीं प्राप्त होगा. आपके हर काम में अनावश्यक देरी हो सकती है. कई प्रयासों के बाद भी नतीजे ना मिलने की वजह से आप परेशान हो सकते हैं. आपका गुस्सा बढ़ेगा और यह गुस्सा आपके प्रियजनों पर निकल सकता है. जितना हो सके खुद को शांत रखें और चीजों को वैसे ही चलने दें. किसी भी तरह के वाद-विवाद या बहस में ना पड़ें. सेहत पर ध्यान दें. ध्यान और व्यायाम करें, इससे आपको ऊर्जा मिलेगी.
गरुण और शेष: जानिए क्यों गरुण और शेष शत्रु होते हुए भी एक साथ रहते हैं
4 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान विष्णु का आसन शेषनाग है। क्षीर सागर में श्री हरि नारायण पीताम्बरा धारण किये हुए चतुर्भुज रूप में शेषनाग पर विराजमान हैं। श्री हरि विष्णु एक ही वाहन रूप में गरुड़ पर विराजमान हैं।
पर क्या वाय के रुपये में शेशनाग उर गुडौर है। पशु रूप में देखा जाए तो गिद्ध और सांप एक दूसरे के दुश्मन हैं, आज इस रोचक कहानी के माध्यम से आप सांप और गिद्ध के बीच की इस कड़वाहट की कहानी जानेंगे। जानिए इस दिलचस्प कहानी में क्यों है भगवान के दोनों भक्तों में कड़वाहट.
महर्षि कश्यप और उनकी पत्नियाँ
ऋषि कश्यप की बनिता और कद्रू नाम की दो पत्नियां थीं। एक बार महर्षि कश्यप अपनी पत्नियों से बहुत प्रसन्न हुए और खुशी-खुशी दोनों को अपने साथ विवाह करने के लिए कहा। कद्रू ने जहां एक हजार वीर सर्पों को अपने पति के वरदान के रूप में पुत्रों के रूप में मांगा, वहीं बनिता ने महर्षि कश्यप से पुत्रों के रूप में अरुण और गरुण को प्राप्त किया।
कद्रू और वनिता
एक बार ऋषि कश्यप की दोनों पत्नियां एक साथ बैठी थीं और तभी इस बात पर बहस छिड़ गई कि सूर्य के रथ के घोड़े काले हैं या सफेद। बनिता बड़ी ज्ञानी थी, इसलिए उसने भगवान सूर्यनारायण के रथ के घोड़े का रंग सफेद बताया, लेकिन कद्रू नहीं मानी। वह केवल एक ही बात पर अड़ी हुई थी कि सूर्य के रथ के घोड़े काले हैं। कद्रू के इस रवैये को देखकर बनिता ने अंतिम शर्त रखी और कहा, "यदि घोड़ों का रंग सफेद होगा, तो तुम और तुम्हारे पुत्र हमारे दास होंगे, अन्यथा मैं अपने पुत्रों सहित तुम्हारी दासी बन जाऊंगी"। कद्रू ने बनिता की यह शर्त मान ली।
कादरा और वनिता का विवाद
कद्रू ने अपने पुत्रों से इस स्थिति की चर्चा की तो नागगण चिंतित हो उठे। वे किसी के अधीन नहीं रहना चाहते थे। इसलिए शेषनाग को छोड़कर सभी पुत्रों ने एक युक्ति निकाली और माता से कहा, "माता, आप अधिक चिंता न करें। हम आपको उनसे किसी भी तरह से हारने नहीं देंगे। हम जाकर घोड़ों को गले लगा लेंगे ताकि वे दूर से काले दिखाई दें और तुम यह बाजी जीत जाओगे। यह सुनकर कद्रू बहुत खुश हुआ, जिसके बाद बनिता को यह रहस्य पता चला और तभी से गरुण और नागों के बीच दुश्मनी चल रही है।
6 जनवरी को शुभ योग में करें देवी लक्ष्मी के उपाय, बनेंगे धन लाभ के योग
4 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में तिथि, नक्षत्र, ग्रहों आदि सभी विशेष महत्व है। तिथि और नक्षत्र मिलकर ही कई शुभ-अशुभ योग बनाते हैं। (Paush Purnima 2023) कुल 16 तिथियां पंचांग में बताई गई हैं। इनमें से प्रतिपदा से लेकर चतुर्दशी तक की तिथि दोनों पक्षों (शुक्ल और कृष्ण) में एक समान रहती है। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहते हैं। इस तिथि के स्वामी चंद्रदेव हैं। इस बार साल 2023 की पहली पूर्णिमा तिथि 6 जनवरी, शुक्रवार को है। ये पौष मास की पूर्णिमा है। आगे जानिए इस तिथि पर कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं और इस दिन के जाने वाले उपाय.
पौष पूर्णिमा पर बनेंगे ये शुभ योग
पंचांग के अनुसार, पौष मास की पूर्णिमा तिथि 5 जनवरी की रात 02:14 से 06 जनवरी की रात 04:37 तक रहेगी। चूंकि पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय और चंद्रोदय दोनों 6 जनवरी को होगा, इसलिए पूर्णिमा तिथि इसी दिन मानी जाएगी। इस दिन पद्म, ब्रह्म और इंद्र नाम के शुभ योग दिन भर रहेंगे। इन शुभ योगों के चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। शुक्रवार को पूर्णिमा होने से ये दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए अति शुभ रहेगा। आगे जानिए इस दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या उपाय करें.
उपाय 1
शुक्रवार और पूर्णिमा के शुभ योग में देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। लाल वस्त्र, चूड़ी आदि चढ़ाएं और शुद्ध घी का दीपक लगाएं। संभव हो तो इस दिन उपवास रखें और शाम को चंद्रमा उदय होने के बाद पहले देवी लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। फिर स्वयं भोजन करें।
उपाय 2
6 जनवरी को शुभ योग में देवी लक्ष्मी की प्रतिमा किसी चौड़े बर्तन में रखें और गाय के दूध से अभिषेक करें। इस उपाय से धन लाभ के योग बनते हैं। संभव हो तो ये उपाय सुबह करें और इसके बाद अभिषेक में उपयोग किए गए दूध को पीपल पर चढ़ा दें। कुछ ही समय में आपकी परेशानियां दूर हो सकती हैं।
उपाय 3
देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्रों की रचना की गई है। इन मंत्रों का जाप स्फटिक की माला से करना चाहिए। लेकिन इसके पहले देवी लक्ष्मी की पूजा करें। ये हैं देवी लक्ष्मी के कुछ मंत्र-
- ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
- ऊं धनाय नम:
- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
उपाय 4
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र ग्रह के शुभ होने पर ही जीवन में सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। शुक्रवार और पूर्णिमा के शुभ योग में शुक्र ग्रह से संबंधित चीजों का दान करना चाहिए जैसे चावल, दूध, सफेद वस्त्र आदि। इन चीजों का दान जररूतमंदों को करने से शुक्र ग्रह से संबंधित शुभ फल मिलने लगते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।