धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
पूजा घर में पानी रखना क्यों है जरूरी, क्या है कारण?
26 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूजा कक्ष में पानी क्यों रखते हैं? सभी घरों में पूजाघर होता है, जहां पर पूजन सामग्री के अलावा शंख, गरुढ़ घंटी, कौड़ी, चंदन बट्टी, तांबे का सिक्का, आचमन पात्री, गंगाजल और पानी का लोटा भी रखा जाता है।
लोटा नहीं तो जल कलश रखते हैं। आखिर पूजा घर में यह पानी क्यों रखा जाता है। क्या है इसका कारण?
पवित्रता : प्रतिदिन पूजा के पूर्व हम जल से भगवान के विग्रह को स्नान कराने के बाद स्थान पर जल छिड़ककर उसे पवित्र करते हैं। इसीलिए जल की आवश्यकता हेतु एक लोटे में पानी रखा जाता है।
वरुण देव : जिस तरह गुरुड़देव की स्थापना गरुड़ घंटी के रूप में कि जाती है उसी प्रकार वरुण देव की स्थापना जल के रूप में की जाती है। ऐसा करने का कारण यह है कि जल की पूजा वरुण देव के रूप में होती है और वही दुनिया की रक्षा करते हैं।
तुलसी जल : पूजा घर में रखे जल में तुलसी के कुछ पत्ते डाल कर रखे जाते हैं जिसके चलते वह जल शुद्ध एवं पवित्र होने के साथ ही आचमन योग बन जाता है और इसी से जब हम पूजा स्थल को शुद्ध करते हैं तो देवी एवं देवता प्रसन्न होते हैं।
नैवद्य : नैवेद्य हम प्रतिदिन पूजा के बाद भगवान को प्रसाद अर्पण करते हैं जिसे नैवद्य कहते हैं। नैवद्य में मिठास या मधुरता होती है। आपके जीवन में मिठास और मधुरता होना जरूरी है। देवी और देवता को नैवद्य लगाते रहने से आपके जीवन में मधुरता, सौम्यता और सरलता बनी रहेगी। फल, मिठाई, मेवे और पंचामृत के साथ नैवेद्य चढ़ाया जाता है। नैवेद्य अर्पित करने के बाद भगवान को जल अर्पण करने के लिए ही पूजा घर में पानी रखा जाता है।
जल की स्थापना : पूजा घर या उत्तर एवं ईशान कोण में जल की स्थापना करने से घर में सुख एवं समृद्धि बनी रहती है। इसलिए पूजा घर में जल की स्थापना की जाती है। पूजा के स्थान पर तांबे के बर्तन में जल रखते हैं तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार जल रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
आरती : जब हम आरती करते है उसके बाद आरती की थाली पर थोड़ा सा जल लागकर आरती को ठंडा किया जाता है। इसके बाद चारों दिशाओं में और सभी व्यक्तियों पर जल का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद सभी को चरणामृत प्रदान करके प्रसाद देते हैं। इसलिए भी जल को पूजाघर में रखा जाता है।
घर के प्रवेश द्वार पर करें ये काम, मां लक्ष्मी का सदा होगा वास
26 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को धन, वैभव और सुख समृद्धि की देवी माना गया है। मान्यता है कि जिस पर इनकी कृपा होती है उसके जीवन में कभी धन संकट नहीं आता है और सभी भौतिक सुखों व्यक्ति प्राप्त करता है।
ऐसे में हर कोई माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय व पूजा पाठ आदि करते है।
लेकिन वास्तु की मानें तो कुछ ऐसे कार्य भी हैं जिन्हें अगर नियमित रूप से किया जाए तो देवी मां प्रसन्न होकर घर में धन की वर्षा कराती है साथ ही सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान करती है। तो आज हम आपको बता रहे हैं कि वो कौन से कार्य हैं तो आइए जानते है।
वास्तु से जुड़े नियम-
ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपने घर के अंदर की साफ सफाई तो रोजाना करते हैं लेकिन प्रवेश द्वार हमेशा ही गंदा रहता है। ऐसे में घर के मुख्य द्वार को भी साफ सुथरा करना बेहद जरूरी है। वास्तु की मानें तो घर के मुख्य द्वार को अगर सुबह उठकर साफ कर जल का छिड़काव किया जाए तो इससे सकारात्मकता का प्रवेश होता है। साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है।
रोजाना प्रवेश द्वार की साफ सफाई के बाद अगर सुबह सुबह घर का मालिक या फिर बड़ा बेट अगर द्वार के दोनों ओर सिंदूर से स्वास्तिक का निशान बनाता है तो इसे भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सकारात्मकता का वास होता है और बरकत सभी बनी रहती है।
निर्जला एकादशी पर इस मुहूर्त में करें पूजा, होगी उत्तम फलों की प्राप्ति
26 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक तौर पर वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन एकादशी का व्रत बेहद खास माना जाता है। जो कि हर माह मनाया जाता है।
एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक है जो भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होती है। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के कष्टों का भी निवारण हो जाता है।
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत करने से सभी तीर्थों पर स्नान करने के बराबर पुण्य मिलता है। इस व्रत को अगर विधिवत किया जाए तो भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती है। आपको बता दें कि निर्जला एकादशी का व्रत निर्जल रखा जाता है इस दिन पानी पीना भी वर्जित माना गया है। तो आज हम आपको एकादशी व्रत पूजन का सबसे शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते है।
एकादशी व्रत का शुभ समय-
धार्मिक पंचांग के अनुसार इस बार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि मंगलवार यानी 30 मई को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट से आरंभ हो रही है ये तिथि अगले दिन 31 मई दिन बुधवार को दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो रही है। ऐसे में एकादशी का व्रत इस बार 31 मई को करना उत्तम रहेगा।
इसी दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाएगी। इसके साथ ही एकादशी व्रत का पारण गुरुवार यानी 1 जून को सुबह 5 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 10 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में व्रत का पारण करने से व्रत पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
कब है सीता नवमी? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
26 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक वर्ष वैखाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को सीता नवमी का पावन पर्व मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी दिन जनकनंदिनी माता सीता (Maa Sita) का प्राकट्य हुआ था, इसीलिए इस तिथि को सीता नवमी या जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है.
सीता नवमी (Sita Navami) के दिन विधि-विधान से माता सीता एवं प्रभु श्री राम की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती होने का शुभ आशीर्वाद मिलता है. इस बार सीता नवमी का पावन पर्व 29 अप्रैल 2023 को मनाया जाएगा.
सीता नवमी शुभ मुहूर्त:-
हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख मास के शुक्लपक्ष की जिस नवमी तिथि को सीता नवमी का पर्व पड़ता है, वह इस बार 28 अप्रैल 2023 को सायंकाल 04:01 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 29 अप्रैल 2023 को सायंकाल 06:22 बजे समाप्त होगा. इसलिए उदया तिथि के मुताबिक, सीता नवमी इस वर्ष 29 अप्रैल 2023 को ही मनाई जाएगी. पंचांग के मुताबिक, इस बार सीता नवमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल को प्रात:काल 10:59 से दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा.
पूजन विधि:-
इस दिन माता जानकी की पूजा करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें तथा इसके पश्चात् तन और मन से पवित्र होने के पश्चात् अपने घर के ईशान कोण में एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता जानकी एवं प्रभु श्री राम की प्रतिमा या फोटो लगाएं. फिर सियाराम को फल, फूल, चंदन, आदि चढ़ाएं तथा फिर शुद्ध घी का दीया जलाएं और माता जानकी के मंत्र 'ॐ सीतायै नमः' का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें. इसके अतिरिक्त सीता नवमी के दिन माता जानकी की पूजा में खास तौर पर लाल रंग के फूल और श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 अप्रैल 2023)
26 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, रोग उदर, मित्र लाभ राजभय तथा दाम्पत्य जीवन भी पूर्ण संतोषप्रद रहेगा।
वृष राशि - शत्रु भय सुख मंगल कार्य, विरोध मामले मुकदमें में प्राय जीत की संभावना है।
मिथुन राशि - कुसंग हानि, रोग भय, यात्रा, उद्योग व्यापार की स्थिति लाभ हानि की रहेगी।
कर्क राशि - पराक्रम कार्य, सिद्ध व्यापार लाभ, खेती व गृह कार्य में व्यवस्था अवश्य बढ़ेगी।
सिंह राशि - तनाव पूर्ण से बचे, विरोध चिन्ता, उद्योग व्यापार से लाभ कार्य सफल होवें, ध्यान दें।
कन्या राशि - भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष प्रगति, हर्ष उद्योग, व्यापार में अड़चनें होती रहेगी, ध्यान दें।
तुला राशि - प्रगति वाहन का भय भूमि लाभ कलह व्यर्थ अनाप शनाप खर्च से परेशानी बढ़ें।
वृश्चिक राशि - कार्य सिद्ध विरोध, लाभ कष्ट, हर्ष होगा, व्यापार में सुधार होवें।
धनु राशि - यात्रा में हानि, मातृपितृ कष्ट, व्यय होगा, लिखा पढ़ी व शिक्षा जगत अनुकूल।
मकर राशि - शुभ कार्य, वाहन आदि रोग भय नौकरी की स्थिति सामान्य बनी रहेंगी।
कुंभ राशि - अभीष्ट fिसिद्ध, राजभय कार्य बाधा, धार्मिक कुछ अच्छे कार्य भी हो सकते हैं।
मीन राशि - अल्पहानि रोग भय, सम्पर्क लाभ, मित्रों व पारिवारिक लोगों से सावधान रखेंगे।
मोहिनी एकादशी व्रत कब है? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और कथा
25 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोहिनी एकादशी व्रत वैशाख मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है और इस वर्ष मोहिनी एकादशी व्रत 1 मई सोमवार के दिन रखा जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से एकादशी व्रत किया जाता है। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार की पूजा की जाती है।
मान्यता है इसी दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। समुद्र मंथन से अमृत कलश से निकले अमृत को देवों को पिलाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था। माना जाता है कि मोहिनी एकादशी के दिन व्रत करने से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता ये भी है कि इस दिन व्रत करने वाले जातकों की सारी परेशानी भगवान विष्णु हर लेते हैं।
एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 अप्रैल को रात 08 बजकर 28 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 1 मई दिन सोमवार को रात 10 बजकर 09 मिनट पर
व्रत पारण का समय: 02 मई को सुबह 05 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 19 मिनट तक
इस बार मोहिनी एकादशी के दिन यानी 01 मई को भद्रा सुबह 09 बजकर 22 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजकर 09 मिनट तक रहेगा। इस अवधि में शुभ कार्य को करने से बचें।
मोहिनी एकादशी के दिन रवि और ध्रुव योग बन रहा है। इस दिन रवि योग सुबह 05 बजकर 41 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। वहीं ध्रुव योग सुबह से लेकर दिन में 11 बजकर 45 मिनट तक है।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें।
पूजा स्थल भगवान विष्णु की मूर्ति पूजा चौकी पर स्थापित करे।
विष्णु जी के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
भगवान विष्णु की आरती के बाद भोग लगाएं।
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
विष्णु भगवान के भोग में तुलसी जरूर चढ़ाएं।
रात्रि को भगवान विष्णु जी की पूजा के पश्चात पलाहार करें
अगले दिन पारण के लिए शुभ मुहूर्त में तुलसी दल खाकर व्रत का पारण करें।
उसके बादृ ब्राह्मण को भोजन कराकर खुद भी भोजन करें।
प्राचीन काल में सरस्वती नदी के किनारे भद्रावती नाम का एक नगर था। वहां धनपाल नाम का वैश्य रहता था। वह सदा पुण्य कार्य करता था। उसके पांच बेटे थे। सबसे छोटा बेटा हमेशा पाप कर्मों में अपने पिता का धन लुटाता रहता था। एक दिन वह नगर वधू के गले में बांह डाले चौराहे पर घूमता देखा गया। नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया।
वैश्य का बेटा अब दिन-रात शोक में रहने लगा। एक दिन महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। कौण्डिल्य ऋषि गंगा में स्नान करके आए थे। वह मुनिवर कौण्डिल्य के पास गया और हाथ जोड़कर बोला, ब्राह्मण ! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया कीजिए और कोई ऐसा व्रत बताइए जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।'
तब ऋषि कौण्डिल्य ने बताया कि वैशाख मास के शुक्लपक्ष में मोहिनी नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। तब उसने ऋषि की बताई विधि के अनुसार व्रत किया। जिससे उसके सारे पाप कट गए और वह विष्णु धाम चला गया।
पारिवारिक कलह से छुटकारा दिलाएगी बांसुरी, जानिए उपाय
25 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में बांसुरी को बेहद ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। क्योंकि यह भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है। वही वास्तुशास्त्र में भी इसे महत्वपूर्ण बताया गया है।
मान्यता है कि बांसुरी को वास्तु अनुसार अगर घर की सही दिशा और स्थान पर रखा जाए तो इससे कई समस्याएं दूर हो जाती है साथ ही घर परिवार में सकारात्मकता का संचार होने लगता है।
तो आज हम आपको अपने इस लेख में बांसुरी से जुड़े उपाय बता रहे है। जिन्हें करने से पारिवारिक कलह और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है तो आज हम आपको बांसुरी से जुड़े उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
बांसुरी से जुड़े उपाय-
वास्तु अनुसार अगर बांसुरी को घर के स्टडी रूम या फिर दुकान आदि में रखा जाए। तो इससे करियर व कारोबार में तरक्की मिलती है साथ ही साथ जीवन की सभी परेशानियों का निदान भी हो जाता है। इसके अलावा आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए आप रोजाना घर में कम से कम पांच मिनट तक बांसुरी जरूर बताएं। मान्यता है कि इसकी मधुर आवाज से भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी प्रसन्न होकर कृपा करते है। जिससे परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
वहीं जो लोग गृहक्लेश से परेशान है और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप घर की छत पर बासुरी को लटकाकर रखें। इस उपाय को करने से पारिवारिक क्लेश दूर हो जाता है साथ ही रिश्तों में भी मधुरता बनी रहती है। वही कड़ी मेहनत और प्रयास के बाद भी अगर आपको सफलता हासिल नहीं हो रही है तो ऐसे में आप घर, दुकान या आफिस आदि में बांसुरी को रख सकते है। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है।
श्री मंगल ग्रह मंदिर में दर्शन की कतार में लगे श्रद्धालुओं के लिए बैठक व्यवस्था
25 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र के जलगांव जिले में धुले के पास अमलनेर में मंगल ग्रह का प्राचीन और दुर्लभ मंदिर है, जहां पर भूमाता और पंचमुखी हनुमानजी के साथ मंगलदेव विराजमान हैं।
यहां पर प्रति मंगलवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन दर्शन और अभिषेक करने के लिए आते हैं। भक्तों को दर्शन करने के लिए समय लगता है और वे कतारा में खड़े रहते हैं। इसीलिए मंदिर प्रबंधन ने नई व्यवस्था प्रारंभ की है।
मंदिर संस्थान ने गर्मी के मौसम को देखते हुए एक और जहां फॉगिंग सिस्टम लगाया है, वहीं उन्होंने कतारा में खड़े रहने के अलावा बैठक व्यवस्था भी की है। मंगल ग्रह मंदिर में आने वाले वरिष्ठ नागरिकों एवं विकलांग व्यक्तियों को असुविधा न हो इसके लिए मंदिर में व्हीलचेयर की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
इसी के साथ ही दूर-दूर से आने वाले भक्त कम समय में दर्शन कर सकें इसके लिए महिला-पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था भी की गई है।
राज्यभर से भक्त बड़ी संख्या में मंगलवार को अभिषेक, हवन, भोमाज्ञ आदि करने आते हैं क्योंकि मंगल ग्रह रेत, मिट्टी, कृषि से जुड़े लोगों और मांगलिक जातकों के लिए पूजा का स्थान है। मंदिर प्रशासन ने अब दर्शन की कतार के दोनों ओर बैठक की व्यवस्था की है ताकि दर्शन की कतार में खड़े न रहना पड़े और लोगों को आसानी से दर्शन लाभ मिले।
श्री गंगा दशहरा कब है? क्या है इस दिन का महत्व?
25 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रतिवर्ष वैशाख माह में गंगा सप्तमी और ज्येष्ठ माह में गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दोनों पर्वों का ही अलग-अलग महत्व है। कहा जाता हैं कि गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा भगवान शिव जी की जटाओं में उतरी थीं तथा इसके बाद गंगा दशहरा को धरती पर उनका अवतरण हुआ था। वर्ष 2023 में गंगा दशहरा पर्व दिन मंगलवार, 30 मई 2023 को मनाया जाएगा। इस बार हस्त नक्षत्र में तथा व्यतीपात योग में गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा।
महत्व- शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दशहरा कहते हैं। इसमें स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन स्वर्ग से गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए यह महापुण्यकारी पर्व माना जाता है। श्री गंगा दशहरा पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन अवसरों पर गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस पर्व के लिए गंगा मंदिरों सहित अन्य मंदिरों पर भी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। गंगाजल को सबसे अधिक पवित्र माना जाता है, जिसका उपयोग पूजा-पाठ में सबसे अधिक किया जाता है।
पुराणों के अनुसार गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2023) हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। गंगा दशहरा वो समय होता है जब मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ था जबकि गंगा जयंती (गंगा सप्तमी) वह दिन होता है जब गंगा का पुनः धरती पर अवतरण हुआ था।
गंगा दशहरा के दिन सभी गंगा मंदिरों में भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया जाता है तथा मोक्षदायिनी गंगा का पूजन-अर्चना किया जाता है। मान्यतानुसार गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
गंगा दशहरा पर्व कब है, जानिए पूजा का शुभ समय : Ganga Dussehra Pujan Time
गंगा दशहरा : 30 मई 2023, मंगलवार को
गंगा अवतरण पूजा समय
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ- सोमवार, 29 मई 2023 को 11.49 ए एम से,
ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि का समापन- मंगलवार, 30 मई 2023 को 01.07 पी एम पर।
हस्त नक्षत्र का प्रारंभ- 30 मई 2023 को 04.29 ए एम से,
हस्त नक्षत्र की समाप्ति- 31 मई 2023 को 06.00 ए एम पर।
व्यतीपात योग का प्रारंभ- 30 मई 2023 को 08.55 पी एम से,
व्यतीपात योग का समापन- 31 मई 2023 को 08.15 पी एम पर।
30 मई : दिन का चौघड़िया-
चर- 08.51 ए एम से 10.35 ए एम
लाभ- 10.35 ए एम से 12.19 पी एम
अमृत- 12.19 पी एम से 02.02 पी एम
शुभ- 03.46 पी एम से 05.30 पी एम
रात्रि का चौघड़िया-
लाभ- 08.30 पी एम से 09.46 पी एम
शुभ- 11.02 पी एम से 31 मई को 12.19 ए एम तक।
अमृत- 12.19 ए एम से 31 मई को 01.35 ए एम तक।
चर- 01.35 ए एम से 31 मई को 02.51 ए एम तक।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 अप्रैल 2023)
25 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष, यात्रा, राजसुख, सफलता, हानि गृहकलह तथा मानसिक अशान्ति होगी।
वृष राशि - विरोध, व्यय कष्ट, अशान्ति लाभ कार्य की स्थिति संतोषप्रद रहेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि - व्यापार में क्षतियात्रा, विवाद, गृहकार्य, राजकार्य में व्यवस्था कुछ हानि देवें।
कर्क राशि - शरीर आदि मध्यम रहेगा, भूमि व राज लाभ, व्यय विकार का योग हैं।
सिंह राशि - वाहन आदि भय कष्ट होगा, राजसुख यात्रा, शिक्षा की स्थिति भी अच्छी रहेगी, ध्यान दें।
कन्या राशि - व्यय प्रवास विरोध, भूमि लाभ, उद्योग व्यापार से अड़चनें हो, ध्यान रखें।
तुला राशि - कार्य सिद्ध, लाभ, विरोध, प्रगति कुछ में अच्छे कार्य भी होंगे, संतान से प्रसन्नता बनें।
वृश्चिक राशि - रोग भय, मातृ दु:ख, खर्च यात्रा, गृहकार्य व राज कार्य में रुकावट बनेंगी।
धनु राशि - लाभ धर्म रुचि हर्ष यश, यात्रा कार्य में रुकावट बनेंगी, भय, व्यवस्था रहेगी।
मकर राशि - विरोध व्यापार में हानि, शरीर कष्ट, धार्मिक खर्च बढ़ेंगे।
कुंभ राशि - व्यय प्रवास, लाभ, प्रतिष्ठा, रोग, सामाजिक कार्यों में रुकावट, अनुभव हों।
मीन राशि - राजभय, यश लाभ मान चोट भय, मित्रों पारिवारिक लोगों से परेशानी होगी।
चिंतपूर्णी मंदिर में भीड़ उमड़ने पर टूटी लाइनें
24 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी में शनिवार को दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। दर्शन करने के लिए डबल लाइन लुधियाना धर्मशाला पार कर चुकी थी। चिंतपूर्णी (सुनील): धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी में शनिवार को दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। दर्शन करने के लिए डबल लाइन लुधियाना धर्मशाला पार कर चुकी थी। ऐसे में श्रद्धालुओं को दर्शन करने के लिए 6 से 8 घंटे का इंतजार करना पड़ा। व्यवस्थाओं की बात करें तो चिंतपूर्णी में व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही, जिसके लिए कुछ लोग भी जिम्मेदार हैं।
मुख्य बाजार में जब श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा तो लाइनें टूट गईं और श्रद्धालुओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बाजार में तैनात गृहरक्षकों ने कड़ी मशक्कत की लेकिन असफल रहे। विभिन्न रास्तों से आने वाले श्रद्धालु दिनभर व्यवस्थाओं को खराब करते रहें। होमगार्ड के जवान विभिन्न रास्तों से आने वाले श्रद्धालुओं को पीछे धकेल रहे थे, लेकिन जब ज्यादा लोग एकत्रित हो गए तो लाइनें टूट गईं और होमगार्ड के जवानों को बांस लगाकर श्रद्धालुओं को रोकना पड़ा।
एस.डी.एम. विवेक महाजन ने बताया कि लिफ्ट पर रविवार और संक्रांति के दिन काफी भीड़ हो जाती थी और अव्यवस्था का आलम बना रहता था, इसलिए लिफ्ट को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है। सीनियर सिटीजन व अक्षम श्रद्धालुओं को पास बनाकर भेजने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि अब अव्यवस्था ज्यादा दिन तक सहन नहीं होगी और आने वाले दिनों में सभी अव्यवस्थाओं को समाप्त करने के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
विनायक चतुर्थी पर करें इन चमत्कारी मंत्रों का जाप, दूर हो जाएगी सारी समस्याएं
24 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। इस वक़्त वैसाख मास का शुक्ल पक्ष चल रहा है। वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि-विधान से प्रभु श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इस दिन विधि- विधान से पूजा-अर्चना करने से प्रभु श्री गणेश की खास कृपा प्राप्त होती है। वही 23 अप्रैल को विनायक चतुर्थी पड़ रही है। वही ज्योतिष के अनुसार, इस दिन कुछ मन्त्र का जाप करने से सारी समस्याएं ख़त्म हो जाती है।
विनायक चतुर्थी महत्व:-
इस पावन दिन की बहुत ज्यादा महत्व होता है।
विनायक चतुर्थी के दिन प्रभु श्री गणेश की पूजा- अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखने से विघ्न दूर हो जाते हैं।
मनोकामना पूर्ति के लिए मंत्र:-
आर्थिक संपन्नता:- आर्थिक परेशानी दूर करने और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन गणपति कुबेर मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए।
मंत्र - ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
हर काम में बाधा:- यदि काम बनते-बनते बिगड़ जाते हैं तो विनायक चतुर्थी पर इस मंत्र का जाप करें। मान्यता है इससे कार्य में आ रहे विघ्य दूर हो जाते हैं।
मंत्र - ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।
पारिवारिक कलह:- परिवार में आए दिन झगड़े होते हैं तो इस दिन इस मंत्र का एक माला जाप करें। इससे घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
मंत्र - ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरू गणेश। ग्लौम गणपति, ऋद्धि पति, सिद्धि पति। करों दूर क्लेश।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।'
शत्रु पर विजय;-
विनायक चतुर्थी के दिन शुभ योग में गणपति के शाबर मंत्र का जाप करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।
मंत्र - ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
कौन-सा युग किस माह की किस तिथि को हुआ था प्रारंभ?
24 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में समय की बहुत ही व्यापक धारणा है। क्षण के हजारवें हिस्से से भी कम से शुरू होने वाली कालगणना ब्रह्मा के 100 वर्ष पर भी समाप्त नहीं होती।
इसमें चार युग बहुत छोटी सी अवधि मानी जाती है। दिन, पक्ष, मास, अयन, युग, मन्वंतर, और कल्प में बंटा काल बहुत ही विस्तृत है। आओ जानते हैं कि चार युग किस तिथि को प्रारंभ हुए थे।
कल्प का काल सबसे बड़़ा : हिन्दू धर्म में धरती के इतिहास की गाथा 5 कल्पों में बताई गई है। ये पांच कल्प है महत्, हिरण्य, ब्रह्म, पद्म और वराह। वर्तमान में चार कल्प बितने के बाद यह वराह कल्प चल रहा है।
सतयुग : इस युग का प्रारंभ कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था।
त्रैतायुग : इस युग का प्रारंभ वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था।
द्वापर युग : इस युग का प्रारंभ फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हुआ था।
कलि युग : इस युग का प्रारंभ आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को हुआ था।
यदि हम युगों की बात करेंगे तो 6 मन्वंतर अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब 7वां मन्वंतर काल चल रहा है। 27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग (सतुयग) भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है। यह कलियुग ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में वराह कल्प के श्वेतवराह नाम के कल्प में और वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है। इसके चार चरण में से प्रथम चरण ही चल रहा है।
कलियुग की आयु : युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार शुकदेवजी राजा परीक्षित से कहते हैं जिस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र में विचरण कर रहे थे तब कलिकाल का प्रारंभ हुआ था। कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष गणना से 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्य की गणना अनुसार 4 लाख 32 हजार वर्ष की है।- 12.2.31-32
संवत्सर के मान से एक युग 5 वर्ष का : वर्ष को 'संवत्सर' कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं। बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं।
1250 वर्ष का एक युग : एक पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रत्येक युग का समय 1250 वर्ष का माना गया है। इस मान से चारों युग की एक चक्र 5 हजार वर्षों में पूर्ण हो जाता है।
गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ हुआ चारधाम यात्रा का आगाज
24 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तरकाशी जनपद के गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलते ही चारधाम यात्रा का आगाज हो गया है. 22 अप्रैल को पूरे विधि-विधान के साथ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए.
गंगोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर अभिजीत मुहूर्त में दोपहर 12:35 बजे और यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:41 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले गए. मंदिर समिति और मंदिर के मुख्य पुजारी व स्थानीय प्रशासन की मौजूदगी में यहां यमुनोत्री धाम के कपाट खोले गए.
पहले दिन दूर-दूर से यमुनोत्री धाम आए श्रद्धालुओं को भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. मार्ग संकरा और अधिक भीड़ होने के चलते पहले दिन श्रद्धालुओं को आवाजाही में काफी परेशानी हुई. श्रद्धालु काफी देर तक छोटे-छोटे रास्तों में फंसे रहे. यहां पहले ही दिन 10 हजार से अधिक श्रद्धालु यमुनोत्री धाम पहुंचे और उम्मीद है कि बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे.
वहीं, मंदिर समिति से जुड़े पदाधिकारी का कहना है कि सभी यात्रियों को आसानी से दर्शन हो सके, इसे लेकर पूरी तैयारियां की गई हैं. उन्होंने यहां पहुंचे वाले सभी श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करने की कामना की है.
इस दिन खुलेंगे केदारनाथ-बद्रीनाथ के कपाट
गंगोत्री और यमुनोत्री के बाद अब 25 अप्रैल को केदारनाथ और 27 अप्रैल को बद्रीनाथ के कपाट खुलेंगे. केदारनाथ धाम में बारिश और बर्फबारी के मद्देनजर श्रद्धालुओं के लिए एडवाइजरी भी जारी कर दी गई है. श्रद्धालुओं से आग्रह किया गया है कि वे मौसम के मद्देनजर संभलकर यात्रा प्रारंभ करें.
बारिश और ठंड से बचने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े रखकर चलें. यात्रा को सुगम बनाने के लिए रास्ते में स्वास्थ्य संबंधी पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं. श्रद्धालु यात्रा के दौरान स्वास्थ्य बिगड़ने पर तत्काल नजदीकी हेल्थ सेंटर से संपर्क कर सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 अप्रैल 2023)
24 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा प्रवृति से लाभ, कुसंग से हानि, गृह कलह तथा मानसिक अशांति बनें।
वृष राशि - अधिक व्यय, स्वजन कष्ट, विवाद, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा।
मिथुन राशि - शुभ कार्य, भूमि से हानि, लॉटरी से हानि की संभावना बनी रहेंगी।
कर्क राशि - हानि, रोग भय, नौकरी में चिन्ता, राजकार्य गृह कार्य में व्यवस्था होगी।
सिंह राशि - निराशा, खेती से लाभ तथा शुत्र भय बना रहेगा, उद्योग व्यापार से लाभ होवें।
कन्या राशि - शरीर कष्ट, राज लाभ, व्यय भार, दाम्पत्य जीवन प्राय असमंजस रहेगा।
तुला राशि - चोटाग्नि भय, धार्मिक कार्य कष्ट, व्यापार में उलझन की स्थिति बने रहें।
वृश्चिक राशि - बाधा उलझन, लाभ, यात्रा कष्ट, गृहकार्य, राजकार्य में रूकावट की स्थिति रहेगी।
धनु राशि - रोग भय, मुकदमें में जीत, रोग भय, मानसिक परेशानी, अपवाद व्यर्थ उलझन बढ़ें।
मकर राशि - व्यापार में लाभ, शत्रु भय, धन सुख, कार्यों में सफलता के योग हैं कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि - कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त, सामाजिक कार्यों में रुकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि - स्वजन सुख, पुत्र चिन्ता, धन हानि, राज कार्य में विलम्ब, परेशानी बढ़ेगी।