धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
इस दरबार के दर्शन से करें नए साल की शुरुआत, इस जगह गिरा था देवी का वाम स्कंध, बना रहेगा आशीर्वाद
27 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल के मौके पर लोग अलग-अलग जगहों पर घूमने का प्लान बनाते हैं और लोग इस दिन को खास तरीके से सेलिब्रेट करते हैं. आप भी अपने बच्चे, दोस्त, परिवार और पार्टनर संग प्लान कर रहे हैं तो आपको बता दें कि अगर नए साल की शुरुआत किसी धार्मिक यात्रा से की जाए तो इससे आने वाला पूरा साल काफी मंगलमय होता है. यही कारण है कि हर साल न्यू ईयर यानी 1 जनवरी के दिन अधिकतर लोग मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के लिए जाते हैं. अगर आप भी आने वाले नए साल के पहले दिन किसी धार्मिक स्थल पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो हम आपको बेगूसराय जिला के सबसे ख़ास धार्मिक पर्यटन स्थल जयमंगला गढ़ के बारे में बताने जा रहे हैं.
अगर बात जयमंगला गढ़ की जाए तो इस मंदिर को अखंड भारत के 52 शक्तिपीठों में से एक जयमंगला गढ़ सिद्धपीठ का दर्जा प्राप्त है. देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक इस मंदिर को जागृत स्थल और सिद्ध शक्तिपीठ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार जब सती का शव लेकर भगवान भोले शंकर तांडव कर रहे थे, तब देवी का वाम स्कंध इसी स्थान पर गिरा था. इसी समय से यह मंदिर पूरे देश में चर्चित है. अगर आप यहां नए साल पर आते हैं और यहां जो मन्नत मांगते हैं ऐसी मान्यता है कि पूरी हो जाती है. यहां आने वाले पर्यटकों ने बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से इस मंदिर की जानकारी मिली थी. नए साल को लेकर यहां 48 घंटे तक काफी सुरक्षा व्यवस्था रहती है.
ऐसे पहुंचे जयमंगला गढ़ मंदिर
इस शक्तिपीठ मंदिर में पहुंचना बेहद ही आसान है. आप यहां पर रेल मार्ग से भी आ सकते हैं. बेगूसराय रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से 22 किलोमीटर दूर मंझौल बस स्टैंड पहुंच जाए. फिर यहां से आपको जयमंगला गढ़ शक्तिपीठ के लिए कोई भी वाहन से 7 किमी दूर मंदिर परिसर आ सकते हैं. अगर किराए की बात की जाए तो आपको आने-जाने में मात्र 80 रुपए खर्च होंगे.
4 महीने नदी में डूबा रहता है यह मंदिर, नहीं होता नुकसान, यहां डेढ़ हजार साल पुराना शिवलिंग!
27 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जो आश्चर्य से भरे पड़े हैं. कई मंदिरों के रहस्य तो आज तक विज्ञान भी नहीं जान सका. ऐसा ही एक मंदिर जबलपुर में भी है, जो चार महीने पानी में डूबा रहता है. आश्चर्य तो ये है कि इसके बावजूद मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता. बताया जाता है कि यह मंदिर करबी डेढ़ हजार साल पुराना है.
आपने भोलेनाथ के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के बारे में तो सुना ही होगा, जहां पर भोलेनाथ प्रत्यक्ष तौर पर प्रकट हुए थे. आज हम आपको जबलपुर संस्कारधानी के ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो लगभग 1.5 हजार साल पुराना बताया जाता है. इसके बारे में काफी कम लोगों को जानकारी है. जबलपुर के खारी घाट में मां नर्मदा के किनारे स्थित पंचाक्षर भोलेनाथ का मंदिर अद्भुत है.
कहीं से देखो दिखेंगे भोलेनाथ!
पुजारी मनीष दुबे ने बताया की इस मंदिर की देखभाल करते हुए वह अपने परिवार की आठवीं पीढ़ी हैं और सैकड़ों वर्षों से उनका परिवार यहां की देखभाल कर रहा है. आगे बताया कि मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किए गए पत्थर आज के जमाने में कहीं और देखने को नहीं मिलते. खास बात यह है कि इस मंदिर को चारों दिशाओं से देखने पर आपको हर दिशा से भोलेनाथ के दर्शन होते हैं. मंदिर में भोलेनाथ का प्राचीन शिवलिंग है. साथ-साथ उनका पूरा परिवार विराजित है, जिसमें कार्तिकेय जी, गणेश भगवान, मां भगवती और भोलेनाथ के वाहन नंदी स्थापित हैं. यह सभी प्रतिमाएं लगभग 1.5 हजार वर्ष पुरानी हैं.
साल में 4 महीने पानी में डूबा रहता है मंदिर
मनीष दुबे ने बताया कि साल के 4 महीने मां नर्मदा के किनारे स्थित यह मंदिर पानी के अंदर ही डूबा रहता है. बारिश के दिनों में मां नर्मदा स्वयं भोलेनाथ का यहां अभिषेक करती हैं. साथ ही मां नर्मदा के किनारे स्थित भोलेनाथ के शिवलिंग का विशेष महत्व है. जो भक्ति पूरी श्रद्धा के साथ मां नर्मदा में स्नान करने के पश्चात नर्मदा जल से भोलेनाथ का अभिषेक करता है, उसकी समस्याएं दूर होती हैं.
जबलपुर का प्राचीन घाट
जबलपुर संस्कारधानी के इस घाट पर खारी विसर्जित की जाती है, इसलिए इसे खारी घाट बोला जाता है. यह जबलपुर के सबसे प्राचीन घाटों में से एक है. यहीं पर स्थित है भोलेनाथ का यह प्राचीन मंदिर.
बुधवार को करें इन 5 मंत्रों का जाप, भगवान गणेश का मिलेगा आशीर्वाद, खुल जाएगा तरक्की का द्वार
27 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में सप्ताह का सभी दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है. इसी तरह बुधवार का दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित है. यही वजह है कि इस दिन गणेश जी की पूजा का विधान है. मान्यता है कि बुधवार को विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि विघ्नहर्ता की पूजा के दौरान कुछ मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. आइए उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री से जानते हैं इन मंत्रों के बारे में-
बुधवार को विधि-विधान से पूजा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि इन मंत्रों का जाप करें.
ज्योतिषार्य के मुताबिक, भगवान गणेश की पूजा के दौरान 'ॐ गं गणपतये नमः' का जाप जरूर करना चाहिए. ध्यान रहे कि इस मंत्र का जाप 108 बार करें. यह मंत्र जितना सरल है उतना ही प्रभावी होता है. इस मंत्र के जाप से आर्थिक प्रगति व समृद्धि में लाभ होता है.
'वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरुमे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।' यह मंत्र भगवान गणेश जी की पूजा का दूसरा सबसे प्रभावी मंत्र है. इस मंत्र का जाप आप 51 या 108 कर सकते हैं. इस मंत्र का अर्थ है कि जिनकी सुंड घुमावदार है, जिनका शरीर विशाल है, जो करोड़ सूर्यों के समान तेजस्वी हैं, वे सभी काम बिना बाधा के पूरे करने की कृपा करें.
'ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।' भगवान गणेश को समर्पित यह मंत्र समाज में मान प्रतिष्ठा दिलाता है. इस मंत्र का भी 108 बार जाप करना चाहिए. पूजा के दौरान इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति की नौकरी की समस्या तुंरत हल हो जाती है. साथ ही तरक्की के द्वार खुलते हैं.
बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा में 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. इस मंत्र का जाप भी आप 51 या 108 बार कर सकते हैं. इस मंत्र का जाप आपको हर बुधवार को करना है. इस मंत्र का जाप करने से संकट दूर होते हैं. (Image- Canva)
भगवान गणेश को समर्पित 'ऊँ गं गणपतये नम:' मंत्र का जाप बुधवार के दिन जरूर करना चाहिए. यदि आप इस मंत्र का उच्चारण पूरी निष्ठा के साथ करेंगे, तो जीवन से अंधकार समाप्त हो जाएगा. इसके साथ ही जीवन में आने वाले सभी संकट भी दूर होंगे
जब परीक्षा लेने आए त्रिदेव को सती ने शिशु बनाया! जानें भगवान दत्तात्रेय के जन्म की रोचक कथा
27 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिले में करीब 300 साल पहले महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण आए थे, जिनके वंशज आज भी लक्ष्मीपुरा, बरियाघाट, चकराघाट, रामपुरा में निवास करते हैं. इन्हीं लोगों के द्वारा लक्ष्मीपुरा में भगवान दत्तात्रेय का मंदिर बनवाया गया और फिर जयपुर से मूर्ति मंगवा कर स्थापित की गई थी.
26 दिसंबर को अगहन मास की पूर्णिमा को दत्तात्रेय भगवान का जन्मोत्सव जयंती के रूप में मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, दत्तात्रेय भगवान त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्मक रूप हैं. हिंदू धर्म में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था.
सती अनुसुइया की परीक्षा लेने पहुंचे भगवान
लक्ष्मीपुरा निवासी महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार के सुयश बाखले बताते हैं कि भगवान दत्तात्रेय के जन्म को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अत्रि ऋषि और अनुसुइया देवी आश्रम में सुख पूर्वक निवास करते थे. देवी अनुसुइया का सतीत्व पूरे विश्व में विख्यात था. देवी अनुसुइया के सतीत्व की ख्याति देवी सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती तक पहुंची तो देवीयों को ये सहन नहीं हुआ. तीनों देवियों ने अपने-अपने पतियों से इस बात का हठ किया कि वो अनुसुइया के सतीत्व की परीक्षा लें. ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही जानते थे कि अनुसुइया महासती हैं, लेकिन देवियों के हठ के आगे विवश हो गए.
परीक्षा लेने आए भगवान बने बालक
आगे बताया, अगहन माह की पूर्णिमा को त्रिदेव अनुसुइया देवी के आश्रम में पहुंचे. उस समय अत्रि ऋषि वन में गए थे. ब्राह्मणों ने देवी अनुसूया से भिक्षा मांगी. देवी ने तीनों के लिए ही भोजन बनाया, लेकिन ब्राह्मणों ने कहा कि ये भोजन विकारों से युक्त है. हमें केवल ऐसी चीज चाहिए जिसकी उत्पत्ति तो हुई हो, लेकिन स्पर्श नहीं हुआ हो. जैसे मां का ममतामयी दूध, देवों की ये बात सुनते ही अनुसुइया जान गईं कि मेरी परीक्षा ली जा रही है. देवी ने मुस्कुराते हुए कमंडल से जल लेकर तीनों ही देवों पर छिड़क दिया. उसी समय ही तीनों देवता नवजात शिशु बन गए. उसके बाद देवी अनुसुइया ने उन्हें दुग्धपान कराया. अत्रि ऋषि जब आश्रम लौटे तो तीन शिशुओं को देखकर सारी बात समझ गए. सती अनुसुइया की परीक्षा लेने आए जब तीनों देवता अपने घर नहीं लौटे तो देवियों को उनकी चिंता सताने लगी.
पालने में झूल रहे थे भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश
तब देवियां ऋषि अत्रि के आश्रम में पहुंची और सती अनुसुइया से प्रार्थना की और पूछा कि उनके पति परीक्षा लेने के लिए आए थे, लेकिन घर नहीं लौटे. तब माता अनुसुइया इशारा करती हैं कि जो पालने में झूल रहे हैं, वही भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं. आप अपने-अपने पति को पहचान कर साथ ले जाइए. तीनों नवजात शिशु के रूप में थे तब फिर माता से प्रार्थना की कि हमें इस रूप में हमारे पति वापस कर दो, तब माता ने जल छिड़का तो वह त्रिदेव अपने मूल रूप में आ गए.
दत्त भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्मक रूप
साथ ही देवी ने उनसे वर मांगा कि पुनः तीनों भगवान एक रूप में धरती पर अवतरित होंगे और अगहन माह की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय ने धरती पर जन्म लिया और तभी से ही दत्तात्रेय जयंती मनाई जाने लगी. दत्तात्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्मक रूप हैं. उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साधक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है. हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था, इसलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है.
दत्त भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्मक रूप
साथ ही देवी ने उनसे वर मांगा कि पुनः तीनों भगवान एक रूप में धरती पर अवतरित होंगे और अगहन माह की पूर्णिमा को भगवान दत्तात्रेय ने धरती पर जन्म लिया और तभी से ही दत्तात्रेय जयंती मनाई जाने लगी. दत्तात्रेय भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश का एकात्मक रूप हैं. उन्हें गुरु वंश का प्रथम गुरु, साधक, योगी और वैज्ञानिक माना जाता है. हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रचलित विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया था, इसलिए उन्हें त्रिदेव का स्वरूप भी कहा जाता है.
दत्त भगवान के 24 गुरु थे
सुयश बाखले आगे बताते हैं कि भगवान दत्त के साथ हमेशा एक गाय और आगे चार कुत्ते रहते हैं. औदुंबर वृक्ष के समीप इनका निवास बताया गया है. भगवान दत्तात्रेय ने जीवन में कई लोगों से शिक्षा ली. दत्तात्रेय ने अन्य पशुओं के जीवन और उनके कार्यकलापों से भी शिक्षा ग्रहण की. दत्तात्रेय कहते हैं कि जिससे जितना-जितना गुण मिला है, उनको उन गुणों को प्रदाता मानकर उन्हें अपना गुरु माना है. उन्होंने पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य, कबूतर, अजगर, सिंधु, पतंग, भंवरा, मधुमक्खी, हाथी, हिरण, मछली, पिंगला, कुररपक्षी, बालक, कुमारी, सर्प, शरकृत, मकड़ी और भृंगी जैसे 24 गुरु बनाए हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 दिसंबर 2023)
27 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यय बाधा, स्वभाव में उद्विघ्नता तथा दु:ख कष्ट अवश्य ही बनेगा।
वृष राशि :- किसी आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति अवश्य ही बढ़ेगी।
मिथुन राशि :- योजनाएं पूर्ण होगी, धन का लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हो, कार्यगति से सुधार हो तथा चिन्ताएं कम होवेगी।
सिंह राशि - मनोबल उत्साहवर्धक हो, कार्यगति में सुधार होवे, चिन्ताएं कम होवेगी।
कन्या राशि :- सामर्थ्य और धन अस्त व्यस्त हो, सर्तकता से कार्य अवश्य ही निपटा लेवे।
तुला राशि :- मान प्रतिष्ठा, सुख के साधन बने, स्त्री वर्ग से सुख, शांति अवश्य बनें।
वृश्चिक राशि :- अग्नि चोट आदि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम व उद्धेग तथा भय बना ही रहेगा।
मकर राशि - विवाद ग्रस्त होने से बचिएगा, तनाव क्लेश मानसिक अशांति बनेगी।
कुंभ राशि - धन लाभ, आशानुकूल सफलता मिलेगी, इष्टमित्र सुखवर्धक होगे।
मीन राशि - भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, समय उल्लास से बीते, मनोवृत्ति उत्तम बनेगी, ध्यान रखे।
एमपी में यहां है छोटा केदारनाथ धाम, झरने के पानी से होता है शिव का जलाभिषेक
26 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड का केदारनाथ धाम पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. लेकिन क्या आपको पता है मध्य प्रदेश में भी एक केदारनाथ धाम है जो लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. यह धाम एमपी के गुना शहर से 25 किलो मीटर दूर उमरी के जंगलो में स्थित है. यहां पहुचंने के लिए छोटे और संकीर्ण रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. भक्त भी यहां आकार आश्चर्य और अनोखा महसूस करते है.
बता दें पहाड़ों को काटकर मंदिर तक पहुंचने का रास्ता बनाया गया है. इस सिद्ध स्थल के चारों ओर घने जंगल हैं. जंगलों के बीचो बीच पहाड़ों के होने से इस स्थान पर कई वर्षो से संत महात्मा तपस्या भी कर रहे है. यहां आपको मंदिर के साथ चार वाटरफाल भी देखने को मिल जाएगा. ये झरने 12 महीने पहाड़ों से गिरते हुए पानी से यहाँ की सुन्दरता को चार चाँद लगाते है.
इस झरने से 12 माहीने गिरता है पानी
इस प्राचीन सिद्ध स्थल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां जो पहाड़ों से निरंतर गिरने वाले जल से शिव का अभिषेक होता रहता है. भक्तो को भी शिव के दर्शन के लिए इसी गिरते हुए जल के बीचो बीच से होकर गुजरना पड़ता है और भीगते हुए शिव के दर्शन होते है .इस सिद्ध स्थल पर एक कुंड भी है जहां लोग स्नान करके शिव के दर्शन को जाते है.ऐसा कहा जाता है की इस कुंड में स्नान करने से शरीर की कई सारी त्वचा संबधी समस्या समाप्त हो जाती है. इसका जल इतना साफ़ और स्वच्छ होता है की आसपास से आए श्रद्धालु इसे भरकर अपने घर भी ले जाते है.सावन के सोमवार में यहां भक्तो की काफी मात्रा में भीड़ देखने को मिलती है. सावन के महीने में मेला का आयोजन की किया जाता है. काफी दूर दूर से श्रदालु दर्शन को आते है.आज यह सिद्ध स्थल दर्शन के साथ पर्यटक के रूप में विकिसित होता जा रहा है.
नए साल के पहले दिन करें ऋषिकेश के इन 6 मंदिरों का दर्शन, जीवन रहेगा खुशहाल
26 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ऋषिकेश में स्थित कुंजापुरी देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है .मान्यता है कि यहां देवी सती के बाल (कुंज) गिरे थे जिस कारण इस स्थान का नाम कुंजापुरी पड़ा.यह प्रसिद्ध सिद्धपीठों में एक है. ऋषिकेश से बस या टैक्सी में 16 किमी की दूरी तय कर नरेंद्रनगर पहुंचा जा सकता है. यहां से मंदिर परिसर तक छोटे वाहन से जा सकता हैं. यहां सांय तक हर समय वाहन की सुविधा है. यहां से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पड़ता है, जबकि हवाई सेवा जौलीग्रांट तक है.
ऋषिकेश से 5 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों के बीचों बीच स्थित प्राचीन मन इच्छा देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध व पूजनीय मंदिर है. इस मंदिर का इतिहास लगभग 500 वर्ष पुराना है. इस मंदिर में विशेष रुप से पिंडी की पूजा की जाती है क्योंकि मान्यता है की यहां मां दुर्गा ने पिंडी के रुप में दर्शन दिए थे जोकि स्कंद पुराण में वर्णित है. इस मंदिर के 5 किलोमीटर के दायरे में कोई भी भी दुकान या बाजार नहीं है. 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रानीपोखरी के वासियों की ये कुल देवी हैं.
नीलकंठ महादेव ऋषिकेश से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव का एक भव्य मंदिर है. इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था. उन्होंने अपनी शक्ति के प्रभाव से उस विष को अपने कंठ तक ही सीमित रखा और गले से नीचे नहीं जाने दिया. इसीलिए उन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है. इस मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है.
ऋषिकेश में लक्ष्मण झूला के पास आदि बद्रीनाथ द्वारकाधीश मंदिर स्थित है. यह काफी प्राचीन मंदिर है. इसक मंदिर की मान्यता बद्रीनाथ धाम के समान है. दशकों पहले जब मोटर मार्ग की सुविधा नहीं थी, तब तीर्थ यात्री इस मंदिर में विश्राम किया करते थे. इसके साथ ही जो भी यात्री बद्रीनाथ धाम के दर्शन नहीं कर पाते थे, वो यहां हाथ जोड़ लिया करता थे. मान्यता है कि यहां के दर्शन करने से उन्हें बद्रीनाथ धाम के समान फल की प्राप्ति होती है.
ऋषिकेश में स्थित श्री भरत मंदिर यहां का बहुत पुराना और पवित्र मंदिर माना जाता है. यह मंदिर भगवान हृषिकेश नारायण को समर्पित है. माना जाता है कि इस शहर का अस्तित्व इस मंदिर से जुड़ा हुआ है. 9वीं शताब्दी में बने इस मंदिर में भगवान विष्णुजी की ऐसी मूर्ति है "जो केवल एक शालिग्राम पत्थर (काले रंग का एक पत्थर) को काट कर बनाई है.आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीयंत्र भी इस मंदिर में है.
वीरभद्र मंदिर ऋषिकेश के आमबाग आईडीपीएल कॉलोनी वीरभद्र क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर का भी अपना एक रोचक इतिहास है. मान्यता है की इस मंदिर में भगवान शिव ने वीरभद्र का क्रोध शांत करवाया था और उसे गले लगाया था तभी से वीरभद्र शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान है, और तभी से यह मंदिर वीरभद्र मंदिर के नाम से जाना जाता है. दूर दराज से लोग यहां इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं.
घर पर कौओं का आना शुभ होता है या अशुभ? ज्योतिषी से जानें सबकुछ
26 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्सर आपने अपने घरों या फिर खिड़की दरवाजों में कौआ का आकर बैठना जरूर देखा होगा. हालांकि, देखने में तो यह सामान्य चीज है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र में कौआ का घर में आने का एक विशेष महत्व बताया गया है. अगर आपके घर में भी कौवे आते हैं तो यह खबर आपके लिए है. कौवे का घर में आना कई सारे संकेतों को दर्शाता है.
झारखंड की राजधानी रांची के पंचवटी प्लाजा स्थित अग्रवाल रतन के ज्योतिष आचार्य संतोष कुमार चौबे ने कहा कि अगर आपके घर में भी कौआ आते हैं तो उसके कई सारे मतलब हो सकते हैं. कभी-कभी इसका संकेत शुभ होता है तो कभी-कभी अशुभ.यह निर्भर करता है कि कौआ कब और कैसे आता है.
जाने कौवे के आने का संकेत
ज्योतिषाचार्य संतोष आगे कहा कि अगर आपके घर में सुबह-सुबह कौआ आपकी छत पर आकर बैठ गया है तो इसका मतलब है आपके घर में किसी मेहमान का आगमन होने वाला है.आपको उसके लिए विशेष तैयारी करके रखनी चाहिए. वहीं, अगर कोई कौआ आपके घर से निकलते समय आपकी तरफ मुंह करके कुछ बोलता है. तो समझ लीजिए आप जो भी कार्य के लिए जा रहे हैं उसमे सफलता निश्चित ही हासिल करेंगे. यह एक शुभ संकेत है. उन्होंने बताया कि वहीं अगर आपके घर में कौवे झुंड में आते हैं तो आपको सतर्क हो जाने की जरूरत है. इसका मतलब यह है कि आपके घर में या आपके जीवन में कोई अनहोनी हो सकती है. इसके अलावा अगर आपके घर में कौवा दक्षिण दिशा में मुंह करके बोलता है तो इसका मतलब है आपके पूर्वज आपसे नाराज है.आपके ऊपर पृत दोष है.आपको पृत दोष दूर करने के उपाय करने चाहिए.
छत पर कौवे आने पर जरूर करें यह काम
ज्योतिष शास्त्र संतोष कुमार चौबे आगे बताते हैं कि घर पर कौआ आना कई बार आपके पूर्वज भी हो सकते हैं. इसीलिए कौवा आपकी छत पर आये तो उनके लिए एक कटोरी में दाना या पानी जरूर रखें.या कुछ खाने की चीज जैसे रोटी वगैरा थोड़े मात्रा में ही जरूर रखा करें.इससे आपके पूर्वज प्रसन्न रहेंगे.
सीवान में नहीं है धार्मिक स्थलों की कमी, नये साल में यहां करें दर्शन और सैर सपाटा, द्वापर युग से है संबंध
26 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
द पंच मंदिरा मंदिर सीवान के दहा नदी के किनारे स्थित है. इस दुर्गा मंदिर की अहमियत इसलिए ज्यादा है क्योंकि यह नदी के तीर पर स्थित है. इसका नजारा काफी अद्भुत है. यहां 24 घंटे श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. अधिकांश श्रद्धालु पूजा करने के बाद नदी के किनारे बैठकर अनुपम नजारे का आनंद लेते हैं.
महेंद्रनाथ मंदिर-ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जो सीवान के सिसवन में स्थित है. यहां पर मानव निर्मित झील है जो 52 एकड़ में फैली हुई है. इस मंदिर की स्थापना नेपाल के राजा महेंद्र सिंह ने की थी. यहां प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रदालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.
सीवान में धार्मिक स्थलों की कोई कमी नहीं है. इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है जरती माई का मंदिर, जो महाराजगंज में स्थित हैं. इस मंदिर में मां चामुंडा माता के दर्शन कर सकते हैं. मंदिर के गर्भ गृह में जरती मांई विराजी हैं. यह शक्ति पीठ है और यहां मुंह दिखाई रस्म, मुंडन संस्कार के साथ साथ-साथ शादी भी होती है.
सीवान का एक और धार्मिक स्थल श्री जलेश्वर नाथ धाम भी काफी प्रसिद्ध है. यह भीखबांध स्थित बड़े सरोवर के पास है. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के अंदर शिवलिंग के दर्शन होते हैं. यह शिवलिंग काफी प्राचीन है. इसके अलावा यहां एक सुंदर झील और उसके आस-पास बागीचा है.
सीवान कचहरी में कचहरी दुर्गा माता का मंदिर स्थित है. जिसे लोग कोर्ट वाली मांई कहते हैं. यह मंदिर शक्तिपीठ से कम नहीं है. ऐसी मान्यता है कि यहां आकर जो भी भक्त मां दुर्गा का दर्शन और पूजन करने के बाद मन की बात कह देते हैं, वह अवश्य पूरी हो जाती है. मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि दूर-दराज से श्रद्धालु आकर मां के दर्शन पूजन करते हैं.
सीवान जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में सोहगरा धाम भी शामिल है. यह बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित है. इस मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. भगवान शिव को समर्पित यह बेहद प्राचीन मंदिर है. यहां दर्शन और पूजन के लिए बिहार के साथ-साथ यूपी के भी श्रद्धालु आते हैं.
सीवान जिले के मैरवा में स्थित धार्मिक स्थल श्री बाबा हरिराम ब्रह्मा मंदिर बेहद खास है. यह मैरवा धाम के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर हरि बाबा ब्रह्म को समर्पित है. मंदिर के पास सरोवर है, जहां आपको बड़ी-बड़ी मछलियां दिखेंगी. घूमने फिरने के लिहाज से भी मैरवा धाम बेहतर है.
सीवान जिला के दरौली में स्थित पंच मंदिर घाट सुंदर धार्मिक स्थल है. यहां पास से ही घाघरा नदी गुजरती है. यहां आपको सुंदर घाट देखने मिलेंगे. साथ ही भगवान श्री राम के दर्शन हो जाएंगे. मंदिर सरोवर के बीच बना है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 दिसंबर 2023)
26 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनावपूर्ण वातावरण से बचिए, स्त्री शारीरिक मानसिक कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के सर्मथन से सुख होवे, कार्य गति विशेष अनुकूल किन्तु विचार भेद अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भोग ऐश्वर्य प्राप्ति, वाद, तनाव व क्लेश होवे, तनाव से बचकर अवश्य चले।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ दें, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि - परिश्रम सफल हो, व्यवसाय मंद हो, आर्थिक योजना सफल अवश्य ही हो जाएगी।
कन्या राशि :- कार्य गति सामान्य रहे, व्यर्थ परिश्रम, कार्यगति मंद अवश्य होगा, ध्यान रखें।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचे, चोट चपेट आदि का भय होगा, रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य गति अनुकूल रहे, लाभान्वित कार्य योजना बनेगी, बाधा आदि से बच सकेंगे।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बने, किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा कार्य अवरोध अवश्य होवे।
मकर राशि - अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश होगा, मानसिक अशांति, कार्य अवरोध बनेगा।
कुंभ राशि - मनोबल बनाए रखे, योजनाएं पूर्ण हो तथा नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि - दैनिक कार्य गति उत्तम, कुटुम्ब में सुख समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखगें।
सर्दी का बढ़ने लगा सितम, भगवान को भी ओढ़ाई गई गर्म शॉल, गर्माहट के लिए जलाई अंगीठी
20 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मानो तो मैं गंगा मां हूं, ना मानो तो बहता पानी, जी हां यह कहावत यहा भी लागू होती है कि अगर भगवान के प्रति आस्था है तो पत्थर में भी भगवान नजर आते है. जोधपुर के शनिधाम में इसी आस्था के साथ शनिधाम महंत पंडित हेमंत बोहरा ने भगवान को सर्दी ना लगे इसके लिए भगवान की मूर्तियों पर शॉल ओढ़ाने के साथ उन्हे मफलर व अन्य सर्दी के कपड़े ओढ़ाने के साथ अलाव की भी व्यवस्था की गई है.
जोधपुर में जब से सर्दी बढ़ी है तब से एक ओर जहां लोगों ने खुद के बचाव के लिए सर्दी के कपड़े, रजाई और कम्बलों की अच्छी खासी व्यवस्था की है. तो वहीं, जोधपुर के मंदिरों में भी भगवान को ठंड से बचाने के लिए खास इंतजाम किए गए हैं. यहां भगवान की मूर्तियों को गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही रात में देवी-देवताओं के श्रृंगार के बाद उन्हें गर्म शॉल और गर्म कपड़ों से ढका जाता है.
जोधपुर के शनिधाम के महंत पंडित हेमंत बोहरा का कहना है कि उनकी यह भगवान के प्रति श्रद्धा और स्वभाव जताने का तरीका है. श्रद्धालुओं को इससे खुशी मिलती है. वैसे भी जिस तरह इंसान को ठंड लगती है वैसे भगवान को भी ठंड लगती है, क्योंकि यह सभी मूर्तियां प्राण प्रतिष्ठित होती है और भक्तों का भगवान पर अत्यंत गहरा भरोसा होता है तभी भावनाएं आपस में जुड़ी रहती हैं. यही नहीं, शनि धाम में विराजित तमाम तरह के भगवान की मूर्तियों पर शॉल इत्यादि की व्यवस्था की गई है. जोधपुर के शनिधाम में पंडित हेमंत बोहरा ने भगवान शनिदेव, हनुमान जी, ठाकुरजी व सभी भगवानों की मूर्तियों को सर्दी के कपड़े पहनाए गए है.
जानिए इसके पीछे क्या है मान्यता
पौराणिक मान्यता अनुसार सर्दी शुरू होते ही वैष्णव मंदिरों में पुजारी द्वारा ठाकुर जी की प्रतिमा को ऊनी वस्त्र पहनाकर सर्दी से बचाव किए जाते हैं. इसके साथ ही समूचे मंदिर प्रांगण में ऊनी गलीचा भी बिछाया जाता है. साथ ही तेज सर्दी के दौरान गर्म अंगीठी से ठाकुरजी को अलाव से भी ताप करवाने की परंपरा है. जोधपुर के शनि धाम में आने वाले श्रद्धालुओं ने भी अपनी भावनाओं से अवगत करते हुए बताया कि उनकी भगवान में श्रद्धा है इसलिए अपनी ओर से भी शॉल व गरम कपड़ों इत्यादि की व्यवस्था करते हैं और यह भावना का मामला है इसे शब्दों में विवेचित नहीं किया जा सकता.
दक्षिणमुख शनि के देश में केवल दो ही मंदिर
हेमंत बोहरा बताते है कि जोधपुर के शनिधाम के इस शनि मंदिर की मान्यता की बात करें तो महाराष्ट्र के अंदर आने वाले शनि शिंगणापुर जिसकी सिद्धपीठ राजस्थान में केवल इसी जोधपुर के मंदिर में है. दो ही पीठ है एक शनि शिंगणापुर महाराष्ट्र में जहां दक्षिणमुख में शनि और भगवान हनुमान पिपलेश्वर महादेव के साथ विराजमान है और दूसरी पीठ राजस्थान का यह पहला शनिधाम जो दक्षिण मुख में शनि और भगवान हनुमान पिपलेश्वर महादेव के साथ विराजमान है. दक्षिणमुख में शनि और भगवान हनुमान की यह मान्यता है कि यह तुरंत फलदायक और शीघ्र मनोकामनाएं पूर्ण करते है.
इस दिन पड़ेगा साल का आखिरी एकदशी व्रत, ज्योतिषी से जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
20 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल में 24 एकादशी व्रत होते हैं. मार्गशीष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी जाता है. मार्गशीष माह में पढ़ने वाले इस एकादशी व्रत का खासा महत्व है. हिन्दू पंचाग के अनुसार इस साल साल का अंतिम एकादशी का व्रत 22 दिसंबर को रखा जाएगा. हालांकि कुछ लोग 23 दिसंबर को भी यह व्रत रखेंगे. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में अर्जुन को गीता के उपदेश दिया था.
काशी के ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि इस बार 22 दिसम्बर 2023 को सुबह 8 बजकर 15 मिनट से एकादशी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन यानी 23 दिसम्बर को सुबह 7 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. ऐसे में 22 दिसम्बर को गृहस्थ जन और 23 दिसम्बर को वैष्णव सम्प्रदाय से जुड़े लोग इस व्रत को रखेंगे.
कष्ट होते हैं दूर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पूजा और व्रत से भगवान विष्णु की कृपा के साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद भी मिलता है. इसके अलावा जीवन के सभी कष्ट और क्लेश भी दूर होते हैं.
इस दिन न करें ये काम
एकादशी तिथि पर शास्त्रों में कई सारी चीजों की मनाही भी है. इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा इस दिन मांस-मदिरा का सेवन करने से भी परहेज करना चाहिए. इससे मनुष्य पाप का भागी बनता है. इन सब के अलावा इस दिन बाल, नाखून काटने से भी लोगों को परहेज करना चाहिए.
1 जनवरी को बन रहा अद्भुत संयोग...भोलेनाथ साल भर बरसाएंगे कृपा, बस याद रखें ये पूजा विधि
20 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अब हम लोग 2023 को पीछे छोड़कर 2024 में प्रवेश करने वाले हैं. लोग नई साल की तैयारी में जुट चुके हैं. महज कुछ ही दिनों के बाद नये साल का आगमन होने वाला है.ज्योतिषविदों के अनुसार नए साल के पहले दिन यानी एक जनवरी 2024 के दिन बेहद अद्भुत संयोग बनने जा रहा है. जिससे लोगों का साल भर शुभ रहने वाला है. ऐसे मे पहला दिन बहुत ही खास रहने वाला है.
वहीं हिन्दू धर्म में सभी दिन अलग अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं. इस साल यानी 2024 का पहला दिन सोमवार को पढ़ रहा है और सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित रहता है. तो आईये देवघर के ज्योतिषआचार्य से जानते हैं कि साल का पहला दिन के दिन क्या अद्भुत बनने जा रहा है?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के पागलबाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि नए साल यानी 2024 के पहले दिन 100 साल के बाद ऐसा संयोग बनने जा रहा है. एक जनवरी को दिन सोमवार पड़ रहा है और तिथियां में सबसे शुभ तिथि पंचमी तिथि है. इसके साथ ही इस दिन शिववास और अमृत सिद्धि योग भी है. सोमवार दिन पंचमी तिथि और शिववास की युति नया साल का पहला दिन को बेहद शुभ बनाने जा रहा है. वहीं ज्योतिषआचार्य की माने तोनए साल का पहला दिन भगवान शिव नंदी पर बैठकर 2024 को प्रारंभ करने वाले हैं.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के पागलबाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि नए साल यानी 2024 के पहले दिन 100 साल के बाद ऐसा संयोग बनने जा रहा है. एक जनवरी को दिन सोमवार पड़ रहा है और तिथियां में सबसे शुभ तिथि पंचमी तिथि है. इसके साथ ही इस दिन शिववास और अमृत सिद्धि योग भी है. सोमवार दिन पंचमी तिथि और शिववास की युति नया साल का पहला दिन को बेहद शुभ बनाने जा रहा है. वहीं ज्योतिषआचार्य की माने तोनए साल का पहला दिन भगवान शिव नंदी पर बैठकर 2024 को प्रारंभ करने वाले हैं.
भगवान के चरणों में करें नए साल की शुरुआत, यह हैं 5 प्रमुख गणेश मंदिर
20 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप भी अपने नए साल की शुरुआत मंदिर में करना चाह रहे हैं तो आज हम आपको भगवान गणेश के 5 प्रमुख और प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे, जहां दर्शन और पूजा पाठ करके आप अपने नए साल को खास बना सकते हैं. यह पांचों मंदिर मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के अलग-अलग शहरों में मौजूद हैं और खास मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध हैं.
सिद्धिविनायक गणेश मंदिर
खरगोन शहर में कुंदा नदी के तट पर श्री सिद्धि विनायक गणेश मंदिर स्थित है. यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है. मंदिर में रखी एक पत्थर से बनी गणेश जी की प्रतिमा का निर्माण नागा साधुओं द्वारा किया गया था. जब मूर्ति को बैलगाड़ी से महाराष्ट्र ले जा रहे थे तब किले की घाटी चढ़ नहीं पाए और मूर्ति की स्थापना यहीं करनी पड़ी थी.
श्री षष्टानंद सिद्धेश्वर गजानंद मंदिर
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 59 KM दूर ग्राम चोली गांव में श्री षष्टानंद सिद्धेश्वर गजानंद मंदिर मौजूद है. पांडव कालीन इस मंदिर में विराजित भगवान गणेश की नृत्य मुद्रा में छः भुजाओं के साथ साढ़े ग्यारह फिट ऊंची प्रतिमा है, यह मूर्ति एक पाषाण (पत्थर की शिला) पर बनी है. नृत्य मुद्रा में पाषाण से निर्मित भगवान गणेश की यह प्रतिमा पूरे देश में इकलौती बताई जाती है.
श्री चिंतामण गणेश मंदिर
खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 58 KM दूर पवित्र नगरी महेश्वर में पेशवा मार्ग पर श्री चिंतामण गणेश मंदिर मौजूद है. यहां भगवान गणेश अपनी दोनो पत्नियां, रिद्धी सिद्धि के साथ विराजमान है. यह मंदिर होलकर कालीन होकर 1700 ईसवी में देवी अहिल्या बाई होलकर द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था. यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने की मान्यता है.
गोबर गणेश मंदिर
महेश्वर में गोबर गणेश मंदिर भी मौजूद है. मंदिर में विराजित गणेश जी की प्रतिमा गोबर से निर्मित है. यह मंदिर लगभग 900 साल पुराना बताया जाता है. 250 साल पहले अहिल्या बाई होलकर ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. माना जाता है की गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए यहां धन की कामना लिए दूर दूर से भक्त दर्शन के लिए आते है.
उच्छिष्ट महा गणेश मंदिर
यह मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 70 KM दूर सनावद में ओंकारेश्वर रोड़ पर स्थित है. बताया जाता है उच्छिष्ट महा गणेश के मंदिर भारत में कम ही है. इस मंदिर में गणेश जी के दर्शन केवल महीने में चतुर्थी के दिन ही होते हैं. बाकी दिन मंदिर का पट बंद रहता है. मान्यता है कि मंदिर में गुड़, पान या मोदक खाकर भगवान के दर्शन करने से मनवांछित फल मिलता है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (20 दिसंबर 2023)
20 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय कष्ट, व्यावसाय बाधा, लाभ, पारिवारिक समस्या उलझन भरी रहेगी।
वृष राशि :- राजभय रोग, स्वजन सुख, शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होवेगी।
मिथुन राशि :- वाहन भय, मातृ कष्ट, हानि तथा अशांति का वातावरण रहेगा, लाभ के अवसर बनेंगे।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ कार्य, विवाद, राज कार्य मामलें मुकदमें में प्रगति, जीत होगी।
सिंह राशि - शरीर कष्ट, कार्य व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार होगे, रुके कार्य बन जाएगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ और धीरे-धीरे सुधार होगा, अवरोध में सुधार होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हर्ष, राज लाभ, शरीर कष्ट, खर्च की मात्रा बढ़ेगी, आर्थिक कष्ट बढ़ जाएंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति से लाभ, यात्रा संपत्ति, लाभ, व्यापारी गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि :- अल्प लाभ चोट और अग्नि शरीर भय, मानसिक परेशानी अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि - शत्रु से हानि, कार्य व्यय, शारीरिक सुख होवे, कभी-कभी कुछ कष्ट अवश्य होवे।
कुंभ राशि - सुख व्यय, संतान सुखकार्य, सफलता उत्साह की वृद्धि होगी, ध्यान रखें।
मीन राशि - पदोन्नति, राजभय, न्याय, लाभ हानि, अधिकारियों से मन मुटाव अवश्य बनेगा।