धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
रातोंरात किस्मत चमकाते हैं ये टोटके, दूर होती है धन की कमी
20 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई अपने जीवन में धनवान बनने की इच्छा रखता है इसके लिए लोग दिनों रात प्रयास और कड़ी मेहनत भी करते हैं लेकिन फिर भी अगर आर्थिक परेशानियां बनी रहती है और ये कम होने का नाम नहीं लेती है तो ऐसे में व्यक्ति निराश और परेशान हो जाता है।
अगर आप भी धन की कमी व आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और इससे छुटकारा पाने का कोई मार्ग नजर नहीं आ रहा है तो ऐसे में आप ज्योतिषीय द्वारा बताए गए कुछ उपायों व टोटको को आजमा सकते है। मान्यता है कि इन उपायों को करने से धन की कमी दूर हो जाती है साथ ही माता लक्ष्मी का घर परिवार में कृपा बनी रहती है, तो आइए जानते हैं ये अचूक टोटके।
अचूक टोटके-
अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान चल रहे हैं या फिर कर्ज का बोझ दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है और कम होने का नाम नहीं ले रहा हैं तो ऐसे में आप पूजन स्थल पर अक्षत या फिर दूर्वा से भरा एक कलश स्थापित करें और इस कलश में पांच रुपए का सिक्का रख दें। अब नियमित रूप से इस कलश की विधिवत पूजा करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से माता लक्ष्मी और श्री गणेश की कृपा होती है साथ ही साथ आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिलता है।
वही इसके अलावा पांच रुपए के सिक्के पर सिंदूर से अपने नाम का पहला अक्षर लिखें। इसके बाद इसे छत पर या पानी की टंकी के पास रातभर के लिए रख दें। अगली सुबह सिक्के को पूजन स्थल पर रखें। इसके बाद माता लक्ष्मी का आह्वान करते हुए लाल रंग के वस्त्र में इसे बांध लें और इस धन रखने वाली जगह पर रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से धन की कमी दूर हो जाती है साथ ही साथ हर तरह के कर्ज से मुक्ति मिलती है।
20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि सहित 4 शुभ योग, ग्रहों की स्थिति भी रहेगी खास
20 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या होती है। इस बार 20 अप्रैल, गुरुवार को वैशाख मास की स्नान-दान अमावस्या है। इसी दिन साल का पहला सूर्यग्रहण भी होगा, लेकिन भारत में दिखाई न देने से यहां इसका कोई महत्व नहीं माना जाएगा। इस दिन कई शुभ योग भी बनेंगे, जिसके चलते इस तिथि का महत्व और भी बढ़ गया है। आगे जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे.
सालों में एक बार बनता है ये शुभ संयोग
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या पर एक साथ कई शुभ योग बनेंगे। सालों में एक बार ऐसा मौका आता है जब अमावस्या पर सूर्यग्रहण भी हो और इतने सारे शुभ योग भी बने। इस दिन बनने वाले शुभ योग हैं-केदार, सर्वार्थसिद्धि, बुधादित्य और मानस।
4 ग्रह रहेंगे स्वराशि या उच्च राशि में
ज्योतिषाचार्य डॉ. मिश्र के अनुसार, 20 अप्रैल, गुरुवार को 4 ग्रह स्वराशि में रहेंगे। इस दिन सूर्य मेष राशि में रहेगा जो सूर्य की उच्च राशि है यानी इस राशि में सूर्य बलवान स्थिति में होता है। शनि कुंभ राशि में रहेंगे, जो इनकी स्वयं की राशि है। इनके अलावा गुरु मीन राशि में रहेंगे और शुक्र वृषभ राशि में रहेगा, जो इनकी स्वराशि है। ग्रहों की इस शुभ स्थिति में इस पर्व पर किए गए शुभ कामों का फल और भी बढ़ जाएगा।
ये काम कर सकते हैं इस दिन
20 अप्रैल को तिथि, वार और नक्षत्र से सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है। इसके अलावा केदार, बुधादित्य और मानस नाम के अन्य शुभ योग भी रहेंगे। इतने सारे शुभ योग एक साथ होने से ये दिन खरीदी व नए काम की शुरूआत के लिए भी शुभ रहेगा। इस दिन किए गए स्नान-दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है। अमावस्या तिथि पर शिवजी के साथ पितरों की पूजा भी करनी चाहिए। इस दिन नदियों, तीर्थों में स्नान, गोदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र दान करना पुण्य फलदायी माना जाता है।
मन की शांति और मानसिक बीमारियों से छुटकारा दिलाता है रुद्राक्ष, जानिए जरूरी नियम
20 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में रुद्राक्ष को बेहद ही शुभ माना जाता है। इसे शिव शंकर का आंसू बताया गया है। अधिकतर लोग रुद्राक्ष को घर के पूजन स्थल पर रखकर इसकी विधिवत पूजा करते है।
तो वही कुछ लोग रुद्राक्ष धारण करना पसंद करते है।
मान्यता है कि रुद्राक्ष को अगर सही तरीके व ज्योतिषीय सलाह के साथ धारण किया जाए तो इससे मानसिक बीमारियों से मुक्ति मिलती है साथ ही साथ मन की शांति व धन वृद्धि भी होती है, तो आज हम आपको अपने इस लेख में रुद्राक्ष धारण करने से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम-
ज्योतिष अनुसार अगर आप रुद्राक्ष का लाभ पाना चाहते हैं तो ऐसे में आप इसे नियम अनुसार धारण भी कर सकते है। ज्योतिष की मानें तो रुद्राक्ष को हमेशा ही लाल या फिर पीले रंग के धागे में ही धारण करना चाहिए इससे शुभ माना जाता है। इसे धारण करने के लिए पूर्णिमा, अमावस्या और सोमवार का दिन सबसे उत्तम माना जाता है।
वही इसके अलावा रुद्राक्ष को धारण करने के बाद मास मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। रुद्राक्ष को पहनने से पहले स्नान जरूर करना चाहिए। इसके साथ ही समय समय पर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप जरूर करें। वहीं रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट या अंत्येष्टि में नहीं ले जाना चाहिए इसे अच्छा नहीं माना जाता है।
शिवजी को दूल्हे के रूप में देख भगवान विष्णु ने किया मजाक, शिव की बारात में भूतप्रेत और औघड़ हुए शामिल
20 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अब वह शुभ घड़ी आ गई थी, जब स्वर्ग से लेकर नर्क तक खुशियां मनाई जा रही थी। अप्सराओं का नृत्य, नगाड़ों की थाप और शंखों की ध्वनि ने सबके रोम-रोम को आनंद से भर दिया।
शिवाजी दूल्हा बनकर गए। सभी देवी-देवता भी अपने-अपने विमानों से सजे हिमालय राज के घर पहुंचे। सब लोगों को चलते देख विष्णुजी मुस्कुराये और कहा कि सब लोग अपने-अपने दलों के साथ अलग-अलग चलें। क्या आप किसी और के घर जाकर खुद को हंसाएंगे? भगवान विष्णु की बात सुनकर सभी देवता भी हंसने लगे और अपनी-अपनी सेना लेकर अलग हो गए। इस पर महादेव भी मन ही मन हंसने लगे कि यह विष्णुजी भी मजाक का कोई मौका नहीं छोड़ते। इस पर शिवाजी ने भी अपने सहायक को भेजा और कहा कि सभी गणों को बुलाओ।
रामचरित मानस के बालकाण्ड में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं कि यह सुनकर शिवजी स्वयं हँसने लगे क्योंकि उनके गण नाना प्रकार की सवारियों के साथ और नाना प्रकार के वस्त्रों को देखकर प्रकट हुए। किसी के अनेक मुख थे तो किसी के मुखविहीन। किसी की अनेक आंखें थीं और किसी की आंखें नहीं थीं। कुछ के हाथ-पैर नहीं थे और कुछ के कई हाथ-पैर थे।
कुछ बहुत पतले थे तो कुछ बहुत मोटे। भयंकर आभूषणों से सुसज्जित, हाथ में एक खोपड़ी और उसके शरीर के चारों ओर ताजा रक्त लिपटा हुआ। कुछ के मुंह गधे, कुत्ते, सूअर और गीदड़ जैसे थे। भूत-प्रेत आदि भी उपस्थित थे और अपने स्वामी के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए बहुत खुश थे। वह खुशी में नाचते-गाते थे। अब पूरी बारात एक जैसी लग रही थी, क्योंकि जैसा दूल्हा और उसके वस्त्र थे, वैसे ही बारात भी थी।
आज होगा साल का पहला हाइब्रिड सूर्य ग्रहण
20 Apr, 2023 12:02 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में नजर नहीं आएगा
20 अप्रैल को सूर्यग्रहण संकर या हाइब्रिड किस्म का होगा। यह दुर्लभ नजारा आसमान में दिखने वाला है। यह चूक गए तो अगला हाइब्रिड सूर्यग्रहण 2031 में आएगा। यानी आठ साल इंतजार करना पड़ेगा। खास बात यह है कि एक क्षेत्र विशेष में यह ग्रहण पूर्ण या खग्रास सूर्यग्रहण होगा। वहीं, कुछ इलाकों में यह एन्यूलर या कुंडलाकार या वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। कुछ इलाकों के लिए आंशिक सूर्यग्रहण होगा। भारतीय खगोलप्रेमी जरूर इस बात से निराश हैं कि यह नजारा वे देश में नहीं देख सकेंगे।
राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि तीनों तरह के ग्रहण एक साथ दिखेंगे। इस वजह से इसे हाइब्रिड सोलर एक्लिप्स या संकर सूर्य ग्रहण कहा जाएगा। यह कितना दुर्लभ है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इस सदी में 224 सूर्यग्रहण होंगे। इनमें सात सूर्य ग्रहण ही हाइब्रिड होंगे। पिछला हाइब्रिड सूर्यग्रहण 10 साल पहले तीन नवंबर 2013 को हुआ था। वहीं, अगला हाइब्रिड सूर्यग्रहण 15 नवंबर 2031 को पड़ रहा है। यानी आठ साल इंतजार करना होगा।
ऑस्ट्रेलिया व दक्षिणी गोलाद्र्ध में दिखेगा
यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसे पश्चिम ऑस्ट्रेलिया के साथ ही दक्षिणी गोलाद्र्ध में देखा जा सकेगा। सारिका का कहना है कि इस दुर्लभ सूर्यग्रहण में पूर्ण या वलयाकार ग्रहण की स्थिति को दुनिया के लगभग चार लाख से कुछ कम ही लोग देख सकेंगे। वहीं, लगभग 70 करोड़ लोग आंशिक सूर्यग्रहण देख सकेंगे। खग्रास/वलयाकार सूर्यग्रहण की सबसे लंबी अवधि एक मिनट 16 सेकंड की होगी और यह समुद्र से दिखेगा। जमीन पर सबसे लंबा खग्रास सूर्यग्रहण 1 मिनट 14 सेकंड का होगा, जिसे पूर्वी तिमोर से देखा जा सकेगा। एक्समोथ पेनिन्सुला, ऑस्ट्रेलिया में यह सिर्फ एक मिनट दिखाई देगा।
20 अप्रैल को कब-क्या होगा?
7:04 बजे आंशिक सूर्यग्रहण का चरण शुरू होगा
9:07 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी
10:47 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्यग्रहण अपना वास्तविक आकार लेगा
12:29 बजे खग्रास/कुंडलाकार सूर्यग्रहण समाप्त होने लगेगा
1:29 बजे सूर्यग्रहण का आंशिक चरण भी समाप्त हो जाएगा।
क्या है हाइब्रिड सूर्य ग्रहण?
सारिका घारू का कहना है कि पृथ्वी की परिक्रमा करते चांद जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तो सूर्यग्रहण होता है। इस दौरान चांद पृथ्वी के नजदीक होता है तो सूर्य को पूरी तरह ढंक लेता है। उस भाग में खग्रास या पूर्ण सूर्यग्रहण दिखता है। यदि चंद्रमा दूर रहता है और सूर्य एक कंगन के रूप में चमकता दिखता है तो इसे वलयाकार या एन्यूलर सूर्यग्रहण कहते हैं। चंद्रमा न ज्यादा दूर हो और न ही ज्यादा पास तो हाइब्रिड सोलर एक्लिप्स की स्थिति बनती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (20 अप्रैल 2023)
20 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष, यात्रा, राजसुख, सफलता, हानि गृहकलह तथा मानसिक अशान्ति होगी।
वृष राशि - विरोध, व्यय कष्ट, अशान्ति लाभ कार्य की स्थिति संतोषप्रद रहेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि - व्यापार में क्षतियात्रा, विवाद, गृहकार्य, राजकार्य में व्यवस्था कुछ हानि देवें।
कर्क राशि - शरीर आदि मध्यम रहेगा, भूमि व राज लाभ, व्यय विकार का योग हैं।
सिंह राशि - वाहन आदि भय कष्ट होगा, राजसुख यात्रा, शिक्षा की स्थिति भी अच्छी रहेगी, ध्यान दें।
कन्या राशि - व्यय प्रवास विरोध, भूमि लाभ, उद्योग व्यापार से अड़चनें हो, ध्यान रखें।
तुला राशि - कार्य सिद्ध, लाभ, विरोध, प्रगति कुछ में अच्छे कार्य भी होंगे, संतान से प्रसन्नता बनें।
वृश्चिक राशि - रोग भय, मातृ दु:ख, खर्च यात्रा, गृहकार्य व राज कार्य में रुकावट बनेंगी।
धनु राशि - लाभ धर्म रुचि हर्ष यश, यात्रा कार्य में रुकावट बनेंगी, भय, व्यवस्था रहेगी।
मकर राशि - विरोध व्यापार में हानि, शरीर कष्ट, धार्मिक खर्च बढ़ेंगे।
कुंभ राशि - व्यय प्रवास, लाभ, प्रतिष्ठा, रोग, सामाजिक कार्यों में रुकावट, अनुभव हों।
मीन राशि - राजभय, यश लाभ मान चोट भय, मित्रों पारिवारिक लोगों से परेशानी होगी।
बुधवार के दिन करें ये चमत्कारी पाठ, शीघ्र उन्नति का मिलेगा वरदान
19 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में ईश्वर आराधना को श्रेष्ठ माना गया है। वही बुधवार का दिन गौरी पुत्र गणेश को समर्पित हैं क्योंकि इस दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन प्रभु की पूजा आराधना करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती है।
इस दिन भक्त पूजा पाठ के साथ साथ व्रत आदि भी रखते हैं लेकिन अगर इसके साथ ही श्री गणेश चालीसा का संपूर्ण पाठ पूरे मन से किया जाए तो भगवान जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों को शीघ्र उन्नति का वरदान भी प्रदान करते हैं तो ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, संपूर्ण गणेश चालीसा पाठ।
गणेश चालीसा-
॥ दोहा ॥
जय गणपति सदगुण सदन,
कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण,
जय जय गिरिजालाल ॥
॥ चौपाई ॥
जय जय जय गणपति गणराजू ।
मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना ।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला ।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं ।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित ।
चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता ।
गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे ।
मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी ।
अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी ।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥ 10 ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा ।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी ।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा ।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला ।
बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना ।
पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै ।
पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना ।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं ।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं ।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा ।
देखन भी आये शनि राजा ॥ 20 ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं ।
बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो ।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई ।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा ।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी ।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा ।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो ।
काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो ।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे ।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥ 30 ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा ।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई ।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें ।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे ।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई ।
शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी ।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा ।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै ।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥ 38 ॥
॥ दोहा ॥
श्री गणेश यह चालीसा,
पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै,
लहे जगत सन्मान ॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश,
ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो,
मंगल मूर्ती गणेश ॥
परशुराम जयंती पर करें ये उपाय, दूर होंगी सभी विपत्तियां
19 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन परशुराम जयंती का त्योहार बेहद ही खास माना जाता है। जो कि इस साल 22 अप्रैल को पड़ रहा है।
इसी पवित्र दिन पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने परशुराम का अवतार लिया था। इस पर्व को देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
परशुराम जयंती के दिन भगवान विष्णु और परशुराम की विधिवत पूजा आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है। इस दिन शोभा यात्रा भी निकाली जाती है। लेकिन अगर इस दिन पूजा पाठ और व्रत के साथ साथ भगवान परशुराम का ध्यान करके उनकी चालीसा का पाठ किया जाए तो साधक के जीवन में आने वाली हर विपत्ति का नाश हो जाता है और सुख में वृद्धि होती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए है, श्री परशुराम चालीसा।
श्री परशुराम चालीसा-
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि।
सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि॥
बुद्धिहीन जन जानिये, अवगुणों का भण्डार।
बरणों परशुराम सुयश, निज मति के अनुसार॥
॥ चौपाई ॥
जय प्रभु परशुराम सुख सागर, जय मुनीश गुण ज्ञान दिवाकर।
भृगुकुल मुकुट बिकट रणधीरा, क्षत्रिय तेज मुख संत शरीरा।
जमदग्नी सुत रेणुका जाया, तेज प्रताप सकल जग छाया।
मास बैसाख सित पच्छ उदारा, तृतीया पुनर्वसु मनुहारा।
प्रहर प्रथम निशा शीत न घामा, तिथि प्रदोष व्यापि सखधामा।
तब ऋषि कुटीर रुदन शिशु कीन्हा, रेणुका कोखि जनम हरि लीन्हा।
निज घर उच्च ग्रह छः ठाढ़े, मिथुन राशि राहु सुख गाढ़े।
तेज-ज्ञान मिल नर तनु धारा, जमदग्नी घर ब्रह्म अवतारा।
धरा राम शिशु पावन नामा, नाम जपत जग लह विश्रामा।
भाल त्रिपुण्ड जटा सिर सुन्दर, कांधे मुंज जनेउ मनहर।
मंजु मेखला कटि मृगछाला, रूद्र माला बर वक्ष बिशाला।
पीत बसन सुन्दर तनु सोहें, कंध तुणीर धनुष मन मोहें।
वेद-पुराण-श्रुति-स्मृति ज्ञाता, क्रोध रूप तुम जग विख्याता।
दायें हाथ श्रीपरशु उठावा, बेद-संहिता बायें सुहावा।
विद्यावान गुण ज्ञान अपारा, शास्त्र-शस्त्र दोउ पर अधिकारा।
भुवन चारिदस अरू नवखंडा, चहुं दिशि सुयश प्रताप प्रचंडा।
एक बार गणपति के संगा, जूडो भृगुकुल कमल पतंगा।
दांत तोड़ रण कीन्ह विरामा, एक दंत गणपति भयो नामा।
कार्तवीर्य अर्जुन भूपाला, सहस्रबाहु दुर्जन विकराला।
सुरगऊ लखि जमदग्नी पांहीं, रखिहहुं निज घर ठानि मन माहीं।
मिली न मांगि तब कीन्ह लड़ाई, भयो पराजित जगत हंसाई।
तन खल हृदय भई रिस गाढ़ी, रिपुता मुनि सौं अतिसय बाढ़ी।
ऋषिवर रहे ध्यान लवलीना, तिन्ह पर शक्तिघात नृप कीन्हा।
लगत शक्ति जमदग्नी निपाता, मनहुँ क्षत्रिकुल बाम विधाता।
पितु-बध मातु-रूदन सुनि भारा, भा अति क्रोध मन शोक अपारा।
कर गहि तीक्षण परशु कराला, दुष्ट हनन कीन्हेउ तत्काला।
क्षत्रिय रुधिर पितु तर्पण कीन्हा, पितु-बध प्रतिशोध सुत लीन्हा।
इक्कीस बार भू क्षत्रिय बिहीनी, छीन धरा बिप्रन्ह कहँ दीनी।
जुग त्रेता कर चरित सुहाई, शिव-धनु भंग कीन्ह रघुराई।
गुरु धनु भंजक रिपु करि जाना, तब समूल नाश ताहि ठाना।
कर जोरि तब राम रघुराई, बिनय कीन्ही पुनि शक्ति दिखाई।
भीष्म द्रोण कर्ण बलवन्ता, भये शिष्या द्वापर महँ अनन्ता।
शस्त्र विद्या देह सुयश कमावा, गुरु प्रताप दिगन्त फिरावा।
चारों युग तव महिमा गाई, सुर मुनि मनुज दनुज समुदाई।
दे कश्यप सों संपदा भाई, तप कीन्हा महेन्द्र गिरि जाई।
अब लौं लीन समाधि नाथा, सकल लोक नावइ नित माथा।
'चारों वर्ण एक सम जाना, समदर्शी प्रभु तुम भगवाना।
ललहिं चारि फल शरण तुम्हारी, देव दनुज नर भूप भिखारी।
जो यह पढ़ श्री परश चालीसा, तिन्ह अनुकूल सदा गौरीसा।
पूर्णेन्दु निसि बासर स्वामी, बसहु हृदय प्रभु अन्तरयामी।
॥ दोहा ॥
परशुराम को चारू चरित, मेटत सकल अज्ञान।
शरण पड़े को देत प्रभु, सदा सुयश सम्मान ।।
20 अप्रैल को लग रहा सूर्य ग्रहण, जानिए क्या करें और क्या नहीं
19 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म और ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण काल को बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस बार साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लग रहा है इसी दिन वैशाख मास की अमावस्या भी है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल के समय राहु और केतु के अशुभ प्रभाव पड़ जाते है जिस कारण इस दौरान कुछ कार्यों को करना वर्जित माना जाता है।
ज्योतिष में तो ग्रहण काल को लेकर कुछ नियम भी बताए गए है। जिनका पालन करना बेहद जरूरी होता हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि साल के पहले सूर्य ग्रहण पर किन कार्यों को करना चाहिए और किन से परहेज करना चाहिए तो आइए जानते है।
ग्रहण काल में क्या करें क्या नहीं-
ज्योतिष अनुसार ग्रहण काल के वक्त गर्भवती महिलाओं को अधिक ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान गर्भवती महिलाओं को कैंची, सुई, ब्लेड या चाकू का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। शास्त्र अनुसार ग्रहण काल में किसी प्रकार की चीजों काटने या सिलने की मनाही होती है। ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा ग्रहण के दौरान फल, पुष्प, पत्ते या फिर लकड़ी आदि को भी गर्भवती महिलाओं को नहीं तोड़ना चाहिए ऐसा करने से ग्रहण का दोष लगता है। इससे बचना उत्तम होता है।
मान्यता है कि ग्रहण के समय किसी भी तरह की पूजा पाठ या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान केवल भगवान का ध्यान करते रहना चाहिए। सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय भोजन करना भी वर्जित माना जाता है। ग्रहण काल के समय गर्भवती महिलाओं को अपने पास नारिलय रखना चाहिए इससे ग्रहण का अशुभ प्रभाव नहीं लगता है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं अपने पेट पर गेरू लगाकर रखें। इस उपाय को करने से शिशु पर नकारात्मक असर नहीं होता है। इस दौरान अधिक से अधिक समय तक गायत्री मंत्र या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
अहंकार से ज्ञान का नाश
19 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अहंकार से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है। अहंकार से ज्ञान का नाश हो जाता है। अहंकार होने से मनुष्य के सब काम बिगड़ जाते हैं। भगवान कण-कण में व्याप्त है। जहाँ उसे प्रेम से पुकारो वहीं प्रकट हो जाते हैं। भगवान को पाने का उपाय केवल प्रेम ही है। भगवान किसी को सुख-दुख नहीं देता। जो जीव जैसा कर्म करेगा, वैसा उसे फल मिलता है। मनुष्य को हमेशा शुभ कार्य करते रहना चाहिए।
कभी किसी को नहीं सताओ : धर्मशास्त्र के श्रवण, अध्ययन एवं मनन करने से मानव मात्र के मन में एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सद्भावना एवं मर्यादा का उदय होता है। हमारे धर्मग्रंथों में जीवमात्र के प्रति दुर्विचारों को पाप कहा है और जो दूसरे का हित करता है, वही सबसे बड़ा धर्म है। हमें कभी किसी को नहीं सताना चाहिए। और सर्व सुख के लिए कार्य करते रहना चाहिए।
गुप्तदान महादान : मनुष्य को दान देने के लिए प्रचार नहीं करना चाहिए, क्योंकि दान में जो भी वस्तु दी जाए, उसको गुप्त रूप से देना चाहिए। हर मनुष्य को भक्त प्रहलाद जैसी भक्ति करना चाहिए। जीवन में किसी से कुछ भी माँगो तो छोटा बनकर ही माँगो। जब तक मनुष्य जीवन में शुभ कर्म नहीं करेगा, भगवान का स्मरण नहीं करेगा, तब तक उसे सद्बुद्धि नहीं मिलेगी।
मृत्यु से कोई नहीं बच पाया : धन, मित्र, स्त्रि तथा पृथ्वी के समस्त भोग आदि तो बार-बार मिलते हैं, किन्तु मनुष्य शरीर बार-बार जीव को नहीं मिलता। अत: मनुष्य को कुछ न कुछ सत्कर्म करते रहना चाहिए। मनुष्य वही है, जिसमें विवेक, संयम, दान-शीलता, शील, दया और धर्म में प्रीति हो। संसार में सर्वमान्य यदि कोई है तो वह है मृत्यु। दुनिया में जो जन्मा है, वह एक न एक दिन अवश्य मरेगा। सृष्टि के आदिकाल से लेकर आज तक मृत्यु से कोई भी नहीं बच पाया।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 अप्रैल 2023)
19 Apr, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा प्रवृत्ति से लाभ, कुसंग से हानि, गृह कलह तथा मानसिक अशांति बनें।
वृष राशि - शुभ कार्य, भूमि से हानि, लॉटरी से हानि की संभावना बनी रहेंगी।
मिथुन राशि - अधिक व्यय, स्वजन कष्ट, विवाद, अस्थिर व अशांति का वातावरण रहेगा।
कर्क राशि - हानि, रोग भय, नौकरी में चिन्ता, राजकार्य गृह कार्य में व्यवस्था होगी।
सिंह राशि - निराशा, खेती से लाभ तथा शुत्र भय बना रहेगा, उद्योग व्यापार से लाभ होवें।
कन्या राशि - शरीर कष्ट, राज लाभ, व्यय भार, दाम्पत्य जीवन प्राय असमंजस रहेगा।
तुला राशि - चोटाग्नि भय, धार्मिक कार्य कष्ट, व्यापार में उलझन की स्थिति बने रहें।
वृश्चिक राशि - बाधा उलझन, लाभ, यात्रा कष्ट, गृहकार्य, राजकार्य में रूकावट की स्थिति रहेगी।
धनु राशि - शत्रु भय, मुकदमें में जीत, रोग भय, मानसिक परेशानी, अपवाद व्यर्थ उलझन बढ़ें।
मकर राशि - व्यापार में लाभ, शत्रु भय, धन सुख, कार्यों में सफलता के योग हैं कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि - कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त, सामाजिक कार्यों में रुकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि - स्वजन सुख, पुत्र चिन्ता, धन हानि, राज कार्य में विलम्ब, परेशानी बढ़ेगी।
शनि जयंती पर करें ये अचूक उपाय, कुंडली का शनिदोष होगा दूर
18 Apr, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाएं जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है। इन्हीं में से एक है शनि जयंती का पर्व, जो कि भगवान शनिदेव के जन्मदिन के तौर पर देशभर में मनाया जाता है।
इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा और व्रत आदि रखते है। इस बार शनि जयंती का त्योहार 19 मई को देशभर में मनाया जाएगा।
शनि जयंती का दिन भगवान श्री शनिदेव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन भक्त भगवान की कृपा पाने के लिए व्रत आदि करते हैं लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में शनिदोष हैं या फिर शनि की पीड़ा झेल रहे हैं
तो ऐसे में आप शनि जयंती के शुभ दिन पर भगवान की विशेष पूजा व उपायों को करके इन परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं तो आज हम आपको शनिजयंती पर शनिदेव की विशेष उपाय के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
शनिदोष से मुक्ति के लिए करें ये उपाय-
अगर किसी जातक को शनि की पीड़ा सता रही है या फिर कुंडली में शनि दोष हैं तो ऐसे में आप शनि जयंती के शुभ दिन पर शनिदेव की विशेष रूप से पूजा करें। ज्योतिष अनुसार अगर शनि जयंती के दिन शनिदेव को सरसों तेल अर्पित कर शनि मंत्र का मन ही मन जाप करें इसके बाद शनिदेव की सात परिक्रमा करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से शनि की पीड़ा व दोषों से मुक्ति मिलती है साथ ही शुभ फलों की भी प्राप्ति हो जाती है।
अक्षय तृतीया पर बन रहे हैं 6 शुभ योग, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन का महत्व जानें
18 Apr, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्षय तृतीया का पर्व शुभ कार्यों और इस दिन सोना खरीदने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन खरीदारी के साथ-साथ दान-पुण्य के काम करने का भी बहुत महत्व माना जाता है.
दिवाली की तरह अक्षय तृतीया पर भी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल की अक्षय तृतीया बेहद खास है, क्योंकि इस दिन 6 शुभ योग बन रहे हैं. इस शुभ योग में कुछ कार्य करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी. जानें अक्षय तृतीया 2023 पर बनने वाले शुभ योग के बारे में. साथ ही जानें अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त, पूजा विधि समेत डिटेल्स.
अक्षय तृतीया 2023 शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2023 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार इस वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का प्रारंभ 22 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 49 मिनट से हो रहा है. यह तिथि 23 अप्रैल को सुबह 07 बजकर 47 मिनट तक रहेगी.
अक्षय तृतीया 2023 के दिन बन रहे हैं ये 6 शुभ संयोग (Akshaya Tritiya 2023 Shubh Yoga)
त्रिपुष्कर योग: सुबह 05 बजकर 49 मिनट से 07 बजकर 49 मिनट तक.
आयुष्मान योग: इस दिन सुबह 09 बजकर 26 मिनट पर.
शुभ योग: सुबह 09 बजकर 36 मिनट से पूरी रात तक.
रवि योग: रात 11 बजकर 24 मिनट से 23 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक.
सर्वार्थ सिद्धि योग: 23 अप्रैल को रात 11 बजकर 24 मिनट से प्रातः 05 बजकर 48 मिनट तक.
अमृत सिद्धि योग: रात 11 बजकर 24 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 48 मिनट तक.
अक्षय तृतीया पर करें ये काम (Do this work on Akshaya Tritiya)
अक्षय तृतीया के दिन माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए. देवी लक्ष्मी के साथ विष्णु की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
अक्षय तृतीया का दिन विवाह आदि के लिए बेहद खास माना जाता है. इस दिन बिना शुभ मुहूर्त देखे अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय विवाह किया जा सकता है.
अक्षय तृतीया पर सोना या अन्य आभूषण खरीदना शुभ होता है. माना जाता है कि सोना आदि खरीदने से कई गुना वृद्धि होती है. इसके अलावा अगर आप कोई नया वाहन खरीदने की सोच रहे हैं तो यह आपके लिए भाग्यशाली साबित होगा.
अक्षय तृतीया को अखा तीज के रूप में भी जाना जाता है, जिसे भारत और नेपाल के कई क्षेत्रों में हिंदुओं और जैनियों द्वारा शुभ माना जाता है. यह पितरों को भी याद करने का दिन है.
अक्षय तृतीया व्रत और पूजन विधि (Akshaya Tritiya Vrat Puja Vidhi)
1. इस दिन व्रत करने वाले को प्रात: काल पीले वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. घर में विष्णु जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और तुलसी, पीले फूलों की माला या सिर्फ पीले फूल चढ़ाएं.
3. इसके बाद धूप और घी की बत्ती का दीपक जलाकर पीले आसन पर बैठ जाएं.
4. आगे विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा जैसे विष्णु से संबंधित ग्रंथों का पाठ करें.
5. अंत में विष्णु जी की आरती गाएं.
6. इसके साथ ही अगर जातक दान-दक्षिणा या जरूरतमंद लोगों को भोजन करा सकता है तो उसे उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya Shubh Muhurat)
1. अक्षय तृतीया उस दिन मनाई जाती है जब वैशाख के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पूर्वाहन काल में होती है.
2. यदि तृतीया लगातार 2 दिन पूर्वाहन को छू रही हो तो दूसरे दिन को अक्षय तृतीया माना जाएगा. हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इसे केवल एक ही स्थिति में दूसरे दिन मनाया जा सकता है यानी उस दिन के 3 से अधिक मुहूर्त तक तृतीया तिथि का प्रभाव होना चाहिए.
3. यदि अक्षय तृतीया सोमवार या बुधवार को रोहिणी नक्षत्र के साथ हो तो इसकी शुभता अत्यधिक बढ़ जाती है.
अक्षय तृतीया क्यों महत्वपूर्ण है? (Why is Akshaya Tritiya important)
ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर जो कुछ भी शुरू किया जाता है वह कम और अविनाशी होता है और समय के साथ फलता-फूलता है. इसलिए, इस दिन एक नया उद्यम शुरू करने या मूल्यवान वस्तु की खरीद करने के लिए शुभ माना जाता है. व्यवसायों के विस्तार और विकास के लिए नए निवेश करना भी आम बात है. ऐसा माना जाता है कि सोना खरीदना धन और समृद्धि का प्रतीक है जो समय के साथ बढ़ता है. इस सदियों पुरानी परंपरा का एक व्यावहारिक दृष्टिकोण यह है कि सोने में निवेश करना हमेशा लाभदायक होता है और पुनर्विक्रय पर लाभ होता है.
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व (Religious Significance of Akshaya Tritiya)
1. यह भगवान विष्णु के दस दशावतारों में से एक भगवान परशुराम का जन्मदिन है.
2. सतयुग के बाद यह त्रेता युग का प्रारंभ दिवस है.
3. यह वह दिन है जब सुदामा ने भगवान कृष्ण को अवल चढ़ाया था, जिन्होंने बदले में उन्हें भरपूर धन और खुशी का आशीर्वाद दिया था.
4. भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र दिया जब पांडव वनवास के लिए रवाना हुए, ताकि उनके पास हमेशा प्रचुर मात्रा में भोजन हो.
5. वेद व्यास ने महाकाव्य महाभारत लिखना शुरू किया.
6. पवित्र गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई.
7. पुरी जगन्नाथ में वार्षिक रथ यात्रा इसी दिन से शुरू होती है.
जानिए भगवान गणेश के 12 नाम कौन से हैं ? इनको रोज जपने से होता है ये फायदा
18 Apr, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रीगणेश जी को विघ्नहर्ता कहा गया है। किसी भी काम की शुरुआत में उनकी पूजा की जाती है क्योंकि वो देवताओं में प्रथम पूज्य है। श्री गणेश जी की सेवा करने से मनुष्य के दुखों का नाश हो जाता है और उसे समृद्धि प्राप्त होती है।
श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए उनके 12 नाम का जाप किया जाता है जोकि इस प्रकार है।
1. ॐ सुमुखाय नम: 2. ॐ एकदंताय नम: 3. ॐ कपिलाय नम: 4. ॐ गजकर्णाय नम: 5. ॐ लंबोदराय नम: 6. ॐ विकटाय नम: 7. ॐ विघ्ननाशाय नम: 8. ॐ विनायकाय नम: 9. ॐ धूम्रकेतवे नम: 10. ॐ गणाध्यक्षाय नम: 11. ॐ भालचंद्राय नम: 12. ॐ गजाननाय नम:
जो भी साधक श्री गणेश जी को रोज़ सिंदूर अर्पित कर इन 12 नाम का जाप करता है उसे कार्य सिद्धि प्राप्त होती है। नारद पुराण में इन 12 नाम को जपने के कुछ फायदे भी बताए गए है।
1 - विद्या की प्राप्ति - दरअसल भगवान गणेश जी को विद्या और बुद्धि का कारक माना गया है। ऐसे में सबसे पहला आशीर्वाद विद्या के रूप में ही प्राप्त होता है। जो बालक इन 12 नामों का रोज जाप करता है उसकी याददाश्त बेहद तीव्र होती है और वो मेधावी होता है।
2 - धन की प्राप्ति- भगवान गणेश जी को सुख समृद्धि का प्रतीक माना गया है। रिद्धि सिद्धि उनकी सेवा में रहती है जिसके कारण जिस भी जातक पर श्री गणेश प्रसन्न हो जाते है उसे सिद्धि प्राप्त होने में देर नहीं लगती है। गणेश जी का आशीर्वाद दरिद्रता को नष्ट कर धन के भंडार भर देता है।
3 - संतान की प्राप्ति - जो भी दंपत्ति संतान की चाह रखते है लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही तो ऐसे दंपत्ति सुबह शाम एक साथ गणेश जी के सामने बैठकर इन 12 नामों का जाप करें। गणेश जी अपने भक्त को हर संकट से बाहर निकाल देते है ऐसे में उनका यह उपाय आपकी झोली भरने का काम करेगा।
4 - मोक्ष की प्राप्ति- गणेश जी महाराज को प्रथम पूज्य का दर्जा दिया गया है ऐसे में कोई भी काम बिना उनके आशीर्वाद के पूरा नहीं हो सकता है। गणेश जी की आराधना करने से मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो भी मनुष्य इन 12 नामों का नित्य जाप करेगा उसे धरती पर ही स्वर्ग का अनुभव होगा।
कार्यस्थल में पाना चाहते हैं मान-सम्मान, तो आज की चाणक्य नीति
18 Apr, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य को भारत के महान विद्वानों और ज्ञानियों में से एक माना गया है। इनकी नीतियां पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।
चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया है। जो चाणक्य नीति कहा जाता है।
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य जीवन से जुड़े हर पहलु पर नीतियों का निर्माण किया है जिसे अगर कोई मनुष्य अपने जीवन में उतार लेता है तो उसका पूरा जीवन सरल और सहज हो जाता है। आचार्य चाणक्य ने कार्यस्थल से जुड़ी कुछ नीतियों के बारे में बताया है जिसका अगर मनुष्य पालन कर ले तो उसका मान सम्मान कार्यस्थल पर सदैव बना रहेगा। तो आज हम आपको इसी के विषय में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
कार्यस्थल से जुड़ी चाणक्य नीति-
चाणक्य नीति अनुसार व्यक्ति को हमेशा ही कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए। जो लोग समय का ध्यान नहीं रखते है और कार्यस्थल पर लापरवाही से काम करते हैं वे अपने सहयोगियों से पीछे हो जाते है। जिस कारण उन्हें सदा अपमान का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अगर आप मान सम्मान पाना चाहते हैं तो अनुशासन का ध्यान जरूर रखें। इसके अलावा अगर कार्यस्थल या फिर कहीं पर भी आपको सम्मान प्राप्त करना हैं।
तो भूलकर भी किसी की निंदा न करें। वही जो लोग दूसरों की निंदा करते हैं उनसे भी दूरी बना लेना चाहिए। ऐसा मनुष्य हर जगह मान सम्मान पाता है। चाणक्य नीति कहती हसै कि कार्यस्थल पर हमेशा ही व्यक्ति को शिष्टाचार के नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही सफलता और सम्मान हासिल करने के लिए मनुष्य को अपने व्यवहार में विनम्रता लानी चाहिए तभी वह सफल हो सकता है।