धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
शनिवार से आरंभ हो रहा ज्येष्ठ माह, भूलकर भी न करें ये गलतियां
5 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को महत्वपूर्ण माना जाता हैं लेकिन ज्येष्ठ माह बेहद ही खास होता है। जो कि इस बार 6 मई दिन शनिवार से आरंभ होने जा रहा है। इस महीने पड़ने वाले मंगलवार का भी अपना महत्व होता है जिसे बड़े मंगल के नाम से जाना जाता है इस दिन भक्त भगवान हनुमान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं
मान्यता है कि बड़े मंगल पर दान पुण्य के कार्य करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। वही ज्योतिष की मानें तो ज्येष्ठ मास में कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना घर की बरकत चली जाती है और परिवार को गरीबी व दरिद्रता का सामना करना पड़ सकता हैं, तो आज हम आपको बता रहें हैं कि वो कौन से काम हैं।
ज्येष्ठ माह से जुड़े नियम-
आपको बता दें कि ज्येष्ठ के महीने में एक समय ही सोना चाहिए यानी इस महीने में दोपहर के वक्त सोने से रोग उत्पन्न होने लगता है इस महीने गर्मी का प्रकोप अधिक रहता है ऐसे में धूप में घूमना फिरना भी ठीक नहीं होता है। वही जिन लोगों को घर से बाहर निकलना पड़ता है वे ठंडी चीजों का सेवन करें। इसके अलावा इस महीने में वरुण देव की पूजा करना उत्तम होता है। पानी की बर्बादी वैसे तो कभी नहीं करनी चाहिए लेकिन इस महीने अगर कोई जल बर्बाद करता है तो उसे संकट का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा महीने पड़ने वाले बड़े मंगल को किसी को उधार में पैसा नहीं देना चाहिए ऐसा करने से धन मिलने में कठिनाई होती है साथ ही कर्ज भी बढ़ जाता है।
आपको बता दें कि इस महीने में बैंगन, राई, लहसुन, गर्मी करने वाली सब्जियां खाने से दोष लगता है साथ ही सेहत पर भी बुरा असर होता है। ज्येष्ठ मास में अन्न और जल का दान करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है और लक्ष्मी कृपा से धन धान्य की कमी नहीं होती है।
ग्रहण काल में करें इन मंत्रों का जाप, दूर हो जाएंगे सभी रोग दोष
5 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहण को ज्योतिषशास्त्र और धार्मिक तौर पर बेहद ही महत्वपूर्ण बताया गया है। मान्यता है कि ग्रहण एक अशुभ प्रक्रिया है जिसका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर भी होता है ऐसे में इससे बचने के लिए ज्योतिष में कई तरीके बताए गए है।
साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण कल यानी 5 मई दिन शुक्रवार को लग रहा है
इसी दिन वैशाख पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई जाएगी ऐसे में अगर आप चंद्र ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचना चाहते हैं तो इस दौरान कुछ चमत्कारी मंत्रों का जाप जरूर करें कहा जाता है कि इन मंत्रों के जाप से सभी प्रकार के रोग और दोष समाप्त हो जाते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये मंत्र।
करें इन मंत्रों का जाप-
धन प्राप्ति की इच्छा रखने वाले लोग ग्रहण काल के समय ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: वैभव लक्ष्मी के इस मंत्र का जाप कर सकते हैं मान्यता है कि इस मंत्र का जाप 108 बार करने से माता की कृपा बरसती है जिससे धन की कमी दूर हो जाती है। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के समय आप ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय।
बगलामुखी माता के मंत्र का जाप कर सकते है। इसका जाप सभी शत्रुओं से मुक्ति दिलाता है। वही इसके अलावा आप इस दौरान भगवान का स्मरण करते हुए गायत्री मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र और अन्य मंत्रों का जाप भी कर सकते है। ऐसा करने से आपको सभी सुख सुविधाओं की प्राप्ति होगी और अशुभता भी दूर रहती है।
कल वैशाख पूर्णिमा पर करें ये खास उपाय, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न
5 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या की तिथि को बेहद ही खास माना जाता है। अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली पूर्णिमा को वैशाख पूर्णिमा के नाम से जाना जा रहा है इसी दिन भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जा रहा है
इस बार वैशाख पूर्णिमा 5 मई दिन शुक्रवार यानी कल पड़ रही है ऐसे में ये दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम है इस दिन देवी मां की विधिवत पूजा आराधना के साथ अगर श्री महालक्ष्मी अष्टक का संपूर्ण पाठ किया जाए तो देवी मां जल्दी प्रसन्न होकर कृपा करती है और सभी परेशानियों को दूर कर देती है।
श्री महालक्ष्मी अष्टक-
श्री शुभ ॥ श्री लाभ ॥ श्री गणेशाय नमः॥
नमस्तेस्तू महामाये श्रीपिठे सूरपुजिते ।
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥१॥
नमस्ते गरूडारूढे कोलासूर भयंकरी ।
सर्व पाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥२॥
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्ट भयंकरी ।
सर्व दुःख हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥३॥
सिद्धीबुद्धूीप्रदे देवी भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी ।
मंत्रमूर्ते सदा देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ४ ॥
आद्यंतरहिते देवी आद्यशक्ती महेश्वरी ।
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ५ ॥
स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ती महोदरे ।
महापाप हरे देवी महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥ ६ ॥
पद्मासनस्थिते देवी परब्रम्हस्वरूपिणी ।
परमेशि जगन्मातर्र महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥७॥
श्वेतांबरधरे देवी नानालंकार भूषिते ।
जगत्स्थिते जगन्मार्त महालक्ष्मी नमोस्तूते ॥८॥
महालक्ष्म्यष्टकस्तोत्रं यः पठेत् भक्तिमान्नरः ।
सर्वसिद्धीमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥९॥
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनं ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्य समन्वितः ॥१०॥
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रूविनाशनं ।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥११॥
॥ इतिंद्रकृत श्रीमहालक्ष्म्यष्टकस्तवः संपूर्णः ॥
- अथ श्री इंद्रकृत श्री महालक्ष्मी अष्टक
अखंड सौभाग्य की कामना से रखें वट सावित्री व्रत
5 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में ऐसे कई सारे व्रत है जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से रखती है इन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत जो कि बेहद ही खास माना जाता है इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए रखती है इस दिन उपवास करते हुए पूजा पाठ किया जाता है।
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यह व्रत किया जाता है आपको बता दें कि इस व्रत को ब्रह्म सावित्री व्रत भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना के साथ बिना कुछ खाए निर्जला व्रत करती है और वट वृक्ष की विधिवत पूजा करती है तो आज हम आपको वट सावित्री व्रत पूजा की तारीख और शुभ मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
वट सावित्री व्रत की तारीख और मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई को रात्रि 9 बजकर 42 मिनट से आरंभ हो रही है और 19 मई को रात्रि 9 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो अमावस्या पर वट सावित्री का व्रत 19 मई को करना उत्तम रहेगा।
आपको बता दें कि इस दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजन की तैयारी करती है। सोलह श्रृंगार करने के बाद शुभ मुहूर्त में बरगद के पेड़ के नीचे महिलाएं शिव पार्वती और श्री गणेश की पूजा करती है। इसके बाद वृक्ष को पानी से सींचती है। फिर बरकत के चारों ओर सूती धागा बांधती है इसके बाद परिक्रमा करती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्य प्राप्ति के लिए दान पुण्य के कार्य करना भी उत्तम होता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 मई 2023)
5 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में तनाव, क्लेश व अशांति, धन का व्यर्थ व्यय होगा, प्रतिष्ठा हानि होगी।
वृष राशि :- इष्ट-मित्र से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप लाभप्रद रहेगा।
मिथुन राशि :- कार्य-व्यवस्था अनुकूल होगी, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव व क्लेश, हानि, संताप बना ही रहेगा।
सिंह राशि :- समय नष्ट न हो, व्यवसाय गति मंद, असमंजस की स्थिति से बचें।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल हो, व्यवसायिक क्षमता अवश्य अनुकूल बनेगी।
तुला राशि :- धन का व्यय होगा, परिश्रम से हानि, मानसिक विघ्नता से बचें, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री-कार्य से क्लेश व हानि, विघटनकारी तत्व आप को परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या सुलझाने में व्यय होगा तथा व्यर्थ भ्रमण होगा।
मकर राशि :- अर्थ-व्यवस्था छिन्न-भिन्न होगी, कार्य-व्यवसाय गति में ध्यान दें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, चिन्तायें कम होंगी तथा सफलता में बाधा बनेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, कार्यगति में सफलता के साथ आप अगे बढ़ेंगे।
केदारनाथ धाम का महत्व
4 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शनों का सबसे ज्यादा महत्व है। केदारनाथ मंदिर की मान्यता यह भी है कि जो व्यक्ति केदारनाथ के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ की यात्रा करता है। उसकी यात्रा निष्फल मानी जाती है। केदारनाथ मंदिर की मान्यता यह है कि केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिलिंगो में से एक है। “केदारनाथ धाम में ज्योतिलिंगो के दर्शन की बड़ी मान्यता है। इस स्थान के बारे में यह माना जाता है कि ज्योतिलिंग के दर्शन से समस्त पापो से मुक्ति मिल जाती है।
केदारनाथ धाम के निर्माण के बारे में अनेक मान्यताएं हैं। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार ये मंदिर 12-13 शताब्दी का है। इतिहासकार मानते है कि शैव लोग आदिगुरु शंकराचार्य से पहले केदारनाथ जाते रहे है। यह माना जाता है कि 1000 वर्ष से केदारनाथ मंदिर में तीर्थयात्रा जारी है। यह भी कहते है कि केदारेश्वर ज्योतिलिंग के प्राचीन मंदिर का निर्माण पांडवो ने कराया था। बाद में अभिमन्यु के पुत्र जन्मेजय ने इसका जीर्णोद्धार ( पुनःनिर्माण ) किया था लेकिन जो सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है वो है कि सतयुग में शासन करने वाले राजा केदार के नाम पर इस स्थान का नाम केदार पड़ा।
केदारनाथ धाम की मान्यताओं के दर्पण में केदारनाथ: लिंग पुराण के मतानुसार जो मनुष्य संन्यास लेकर केदारकुण्ड में निवास करता है, वह शिव समान हो जाता है।
कर्मपुराण में कहा गया है कि महालय तीर्थ में स्नान करने और केदारनाथ का तीर्थ करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है।पह्म पुराण में कहा गया है कि जब कुंभ राशि पर सूर्य तथा गुरु ग्रह स्थित हो, तब केदारनाथ का दर्शन तथा स्पर्श मोक्ष प्रदान करता है। हमारे सनातन धर्म में एक विशेष महापुराण है स्कंद पुराण, इसमें भी केदारनाथ का महात्म्य बताया गया है। केदारनाथ मंदिर के बारे में शिवपुराण में कहा गया है कि केदारनाथ में जो तीर्थयात्री आते है। उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है और अपने सभी पापो से मुक्त भी हो जाते है। केदारनाथ के जल को अत्यंत धार्मिक महत्व दिया जाता है
सूर्य देव को जल चढ़ाने से आता है तेज
4 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार सूर्य देव असीम ऊर्जा के स्रोत हैं, यह हमें मान सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाते हैं। इसलिए रविवार के दिन सूर्य देव को अघ्र्य देने (जल चढ़ाने) और उनकी पूजा से विशेष लाभ मिलता है। ऐसी मान्यता है कि प्रत्येक दिन सूर्य देव को जल चढ़ाने से व्यक्ति के पास किसी चीज की कमी नहीं रहती है। आपके व्यक्तित्व में सूर्य जैसा तेज आता है।
अगर आप किन्हीं कारणों से प्रतिदिन अघ्र्य नहीं दे सकते हैं तो रविवार के दिन दीजिए, इसका बड़ा लाभ मिलेगा।
अघ्र्य इस प्रकार दें
सूर्य देव को हमेशा तांबे के पात्र से ही अघ्र्य देना चाहिए। तांबा सूर्य देव के लिए प्रभावी धातु है। कभी भी अघ्र्य के लिए स्टील, चांदी, शीशे या प्लास्टिक के पात्रों का प्रयोग न करें।
विधि
स्नान करने के पश्चात आप एक तांबे के पात्र में स्वच्छ जल भर लें। उसमें रोली या लाल चंदन, लाल पुष्प, चावल और मिश्री डाल सकते हैं। भगवान सूर्य का ध्यान करने उनके सम्मुख जल अर्पित कर दें। इस दौरान आप इन मंत्रों में से किसी एक का जाप कर सकते हैं।
ॐ सूर्याय नम:
सूर्याय नमः ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
इन वस्तुओं का दान करें
सूर्य देव को अघ्र्य देने के बाद आप अपने सामर्थ्य के अनुसार, किसी ब्राह्मण या गरीब को तांबे के बर्तन, लाल कपड़े, गेंहू, गुड़, कमल-फूल और लाल चंदन रविवार के दिन दान करें।
समस्याओं से मिलेगी मुक्ति
ऐसा करने से सिरदर्द, पित्त रोग, आत्मिक निर्बलता, नेत्र दोष आदि समस्याओं से निजात मिलेगी। जोड़ों के दर्द और शरीर में अकड़न जैसी समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।
ढैय्या और साढ़ेसाती के संकेत समझें
4 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव का प्रभाव एक राशि पर ढाई या सात साल तक रहता है। इस वजह से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक पीड़ा उठानी पड़ सकती है।ज्योतिष के अनुसार, जब शनिदेव का प्रभाव राशि पर होता है तो वह आने से पहले कई संकेत देते हैं। उन संकेतों को ध्यान में रखकर आप सजग हो सकते हैं। आप उसके निवारण के लिए उपाय कर सकते हैं।
आप अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं यानी आपको नौकरी से निकाला जा सकता है।
आप जो व्यवसाय या व्यापार कर रहे हैं, उसमें मंदी आ जाएगी।
बुरी लत या गलत संगत में पड़ सकते हैं।
आप झूठ बोलने लगते हैं, हर वक्त झूठ का सहारा लेने लगते हैं।
आप किसी कानूनी पचड़े में पड़ सकते हैं, कोर्ट—कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
जमीन—जायदाद संबंधी विवाद हो सकता है।
भाई—बहन या परिवार के किसी सदस्य से विवाद हो सकता है।
आचरण हीन हो सकते हैं या अनैतिक कार्यों में लिप्त हो सकते हैं।
कर्ज के भंवर में फंस सकते हैं, उस कर्ज से मुक्त होने के रास्ते नहीं दिखेंगे।
इनके अलावा आप अपनी कुंडली से भी पता लगा सकते हैं कि आप पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती है या नहीं।
भगवान विष्णु को लगायें चने-गुड़ का भोग
4 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु की गुरुवार के दिन विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग व्रत रहते हैं, केले के पौधे की पूजा करते हैं, पीली वस्तुओं का दान करते हैं और भगवान को चने या चने की दाल और गुड़ का भोग लगाते हैं। चने और गुड़ का भोग लगाने से जुड़ी एक पौराणिक कथा है।
भगवान विष्णु के परमभक्त देवर्षि नारद उनसे आत्मा का ज्ञान व लेना चाहते थे लेकिन वे जब भी श्रीहरि से इसके बारे में अपनी इच्छा प्रकट करते तो भगवान कहते कि पहले उस ज्ञान के योग्य बनना होगा। नारद जी ने स्वयं को उस ज्ञान के योग्य बनाने के लिए कठोर तप किया लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। इसके पश्चात वे पृथ्वी लोक के भ्रमण पर चले गए।
इस दौरान उन्होंने एक जगह देखा कि भगवान श्रीहरि एक मंदिर में बैठे हैं और वृद्ध् महिला उनको कुछ खिला रही है। भगवान विष्णु के वहां से प्रस्थान करने के बाद नारद मुनि वहां पहुंचे और वृद्ध महिला से जानना चाहा कि वह भगवान को क्या खिला रही थीं।
उस वृद्ध महिला ने बताया कि उसने भगवान विष्णु को गुड़ और चने प्रसाद स्वरुप खिलाए। ऐसा कहा जाता है कि नारद जी वहां पर व्रत करने लगे और लोगों में प्रसाद स्वरुप गुड़-चना बांटने लगे। कुछ समय पश्चात भगवान विष्णु वहां प्रकट हुए और नारद मुनि से कहा कि सच्चे मन से जो भक्ति करता है, वह ज्ञान का अधिकारी होता है।
भगवान ने उस वृद्ध महिला को वैकुण्ठ जाने का आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भक्त उनको गुड़ और चना का भोग लगाएगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। ऐसी मान्यता है कि तभी से भगवान विष्णु को गुड़ और चना का भोग लगाते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की ये बातें आज भी हैं प्रासंगिक
4 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आधुनिक जीवन में सफलता का अर्थ पैसों और सुख-सुविधा की चीजों से जुड़ा हुआ है। आप जितना भी धन कमा लेंगे दुनिया आपको उतना ही कामयाबी कहेगी, अंधाधुध पैसे कमाने की होड़ में कोई व्यक्ति ये नहीं सोचता कि उससे भौतिक दुनिया की सुख-सुविधा कमाने के कारण कितने पाप हो गए हैं।
श्रीमद्भागवत गीता में भगवान कृष्ण ने कई नीतियों के उपदेश दिए हैं। इसमें बताए गए एक श्लोक के अनुसार, जो मनुष्य ये 4 आसान काम करता है, उसे निश्चित ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसे मनुष्य के जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्म माफ हो जाते हैं और उसे नर्क नहीं जाना पड़ता। आइए, जानते हैं उन कामों के बारे में।
दान
दान करने का अर्थ है किसी जरूरतमंद को वो चीज निशुल्क उपलब्ध करवाना, जिसे पाने में वो अक्षम है। दान करने से पहले या बाद किसी को भी दान के बारे में नहीं बताना चाहिए। दान को हमेशा गुप्त ही रखना चाहिए।
आत्म संयम
कई बार ऐसा होता है कि हमारा मन और दिमाग दोनों विपरीत दिशा में चलते हैं और हम अधर्म कर बैठते हैं। गीता में दिए गए ज्ञान के अनुसार मन को वश में कर लेने से व्यक्ति द्वारा किसी पाप को करने की संभावना रहती है।
सत्य बोलना
कलियुग में सत्य और असत्य का पता लगाना मुश्किल हो गया है। किसी भी व्यक्ति की बात को सुनने मात्र से ये नहीं कहा जा सकता कि वो झूठ बोल रहा है या सच। अगर आपने भूतकाल में कोई गलत काम किया है, तो आप शेष बचे जीवन में हमेशा सत्य बोलकर पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं।
ध्यान या जप
आधुनिक युग में ऐसे लोग बहुत कम बचे हैं, जो रोजाना ध्यान करते हो। पूजा-पाठ भगवान को प्रसन्न करने के लिए नहीं बल्कि स्वंय का स्वयं से मिलन करवाने के लिए की जाती है। आत्मध्यान करके हम आत्मसाक्षात्कार कर सकते हैं। नियमित रूप से स्वच्छ मन से जप या ध्यान करने से भूल से हुई गलतियों से पार पाया जा सकता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 मई 2023)
4 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- लेन-देन के मामले में हानि होगी, स्त्री-शरीर कष्टा, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- कुछ चिंता, नवीन योजना फलीभूत हो, स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास अवश्य ही बनेगा।
मिथुन राशि :- कार्य-कुशलता से सुख, वृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे, इष्ट-मित्र वर्ग सुखी होगा।
कर्क राशि :- लेन-देन के मामले में सतर्क रहें, अन्यथा विवाद की स्थिति निर्मित होगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से चिन्ता कम होंगी, अर्थ-व्यवस्था अनुकूल होगी।
कन्या राशि :- व्यवसाय कुशलता से संतोष होगा, व्यवस्था अनुकूल तथा कुटुम्ब में शांति होगी।
तुला राशि :- कार्य विशेष पर ध्यान दें, दूसरों के कार्यों में समय नष्ट न करें, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- प्रभुत्व-वृद्धि, कार्य-कुशलता से संतोष, धन का लाभ, आशानुकूल सफलता मिलेगी।
धनु राशि :- सोचे हुये कार्य हेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी, इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, नवीन योजना बनेगी।
मकर राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य पर ध्यान दें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार तथा अधिकारी वर्ग का समर्थन, इष्ट-मित्र सहयोगी होंगे।
मीन राशि :- किसी पर विश्वास न करें, धोखा, चिंता, व्यग्रता तथा धन का व्यय होगा।
इस साल कब है गंगा दशहरा? जानें तिथि और गंगा स्नान का महत्व
3 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन विधि पूर्वक मां गंगा की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है। वहीं गंगा नदी के जल को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। किसी भी शुभ कार्य और पूजा अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग जरूर किया जाता है। गंगाजल के बिना कोई भी मांगलिक कार्य पूरा नहीं होता है। मान्यताओं के अनुसार गंगा दशहरा के दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। ऐसे में यदि आप गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान करते हैं तो आपके सारे पाप धुल जाते हैं। इस दिन गंगा स्नान के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। चलिए जानते हैं गंगा दशहरा का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
गंगा दशहरा 2023 तिथि अनुसार ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि की शुरुआत 29 मई 2023 को दोपहर 11 बजकर 49 मिनट से हो रही है। इस तिथि का समापन 30 मई 2023 दोपहर 1 बजकर 07 मिनट पर होगा। उदया तिथि 30 मई को प्राप्त हो रही है, इसलिए इसी दिन गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
गंगा दशहरा का महत्व
गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी में स्नान के बाद मां गंगा की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है। दशहरा का मतलब है 10 विकारों का नाश, इसलिए गंगा दशहरा के दिन शुद्ध मन से गंगा नदी में डुबकी लगाने से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं।
लगने वाला है साल का पहला चंद्र ग्रहण, गर्भवती महिलाएं रहें सावधान
3 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म और ज्योतिषशास्त्र में ग्रहण को बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। अभी कुछ दिनों पहले जहां साल का पहला सूर्य ग्रहण लगा था तो वही अब तीन दिन बाद साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने वाला है।
इस बार चंद्र ग्रहण 5 मई दिन शुक्रवार को लगने जा रहा है। ग्रहण काल को लेकर ज्योतिषशास्त्र में कई महत्वपूर्ण बातें बताई गई है।
जिसके अनुसार ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को कुछ नियमों का पालन करना होता है वरना इसका अशुभ प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होता है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चंद्र ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को किन नियमों का पालन करना चाहिए इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते है।
चंद्र ग्रहण लगने का समय-
आपको बता दें कि इस बार साल का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई दिन शुक्रवार को रात्रि 8 बजकर 46 मिनट से शुरू हो जाएगा और रात 1 बजकर 2 मिनट तक रहने वाला है।
नियमों का करें पालन-
ज्योतिष की मानें तो ग्रहण काल के समय गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। बल्कि उन्हें घर में ही रखना चाहिए और अपना ख्याल रखना चाहिए। इस दौरान भोजन पकाने और भोजन करने से भी बचना चाहिए। ना ही किसी धारदार चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु पर इसका बुरा असर देखने को मिलता है। ग्रहण काल के समय गर्भ धारण किए हुए महिलाओं को भूलकर भी सोना नहीं चाहिए ऐसा करना वर्जित माना गया है। बल्कि सीधा बैठकर ईश्वर का ध्यान करना चाहिए और मंत्र जाप करते रहना चाहिए। इस दौरान फोन का भी प्रयोग करना ठीक नहीं माना जाता है।
जीवनभर रहना चाहते हैं सुखी, तो पढ़ें आज की विदुर नीति
3 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत के कई ऐसे पात्र हुए है जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं और उन्हें प्रेरणा स्तोत्र के तौर पर देखते हैं इन्हीं मुख्य पात्रों में एक पात्र महात्मा विदुर का भी है।
महात्मा विदुर कुशल, बुद्धिमान और एक विद्वान के तौर पर जाना जाता है।
जिनकी नीतियां दुनिया भर में प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि विदुर जी की नीति वैसे तो राजनीति पर आधारित मानी जाती है लेकिन व्यक्ति अपने दैनिक जीवन दमें इसका व्यापक रूप उपयोग कर सकता है। जो मनुष्य के जीवन को सरल बनाने में सहायता करती है। विदुर नीति अनुसार अगर मनुष्य को जीवनभर सुखी रहना है तो उसे कुछ बातों का अनुसरण करना होगा। तो आज हम आपको इसी विषय पर विदुर नीति के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते है।
आज की विदुर नीति-
विदुर नीति अनुसार किसी भी कार्य को आरंभ करने से पहले सोच विचार करना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि अधूरे मन से किया गया कार्य कभी पूरा फल प्रदान नहीं करता है और ऐसे में व्यक्ति सफलता से दूर रहता है अगर आप कार्यों में सफलता चाहते हैं तो उसे पूरे मन के साथ करें। इसके अलावा मनुष्य को उन लोगों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए। जो विश्वास के लायक नहीं है। लेकिन जो लोग भरोसे के लायक है आप उन पर हद से ज्यादा भरोसा कर सकते है।
जिन लोगों की इज्जत की जाती है वह कभी खुशी से खिलते नहीं है और ना ही अनादर होने पर वे क्रोधित होते है। ऐसे लोगों को ही ज्ञानी कहा जाता है। विदुर नीति अनुसार काम, क्रोध और लोग व्यक्ति का नाश कर सकता है ऐसे में इनसे दूरी बनाए रखें। जो लोग अच्छे कर्म करते हैं और बुरे कर्मों से दूर रहते हैं वे ही विद्वान कहलाते है। विदुर नीति कहती है कि जो बलवान होने के बाद भी दूसरों को क्षमा करता है और गरीब होने पर भी दान दे सकता है उसे स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है और ऐसे लोग हमेशा ही सुखी रहते है।
रोजाना करें शमी पेड़ की पूजा, शीघ्र पूर्ण होंगी सभी मनोकामनाएं
3 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा को श्रेष्ठ माना गया है। लेकिन धार्मिक तौर पर पेड़ पौधें का भी महत्व कम नहीं होता है। ऐसे कई सारे पेड़ पौधे हैं जिनपर देवी देवताओं का वास होता है और इनकी आराधना करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इन्हीं में से एक है शमी का पौधा जो बेहद ही खास माना जाता है।
मान्यता है कि शमी की अगर पूजा विधिवत तरीके से कि जाए तो शुभ ग्रहों की प्राप्ति होती है और कुंडली के ग्रह भी मजबूत हो जाते है। साथ ही साथ शमी की पूजा करने से शनिदेव और भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं। वास्तु नजरिए से अगर शमी को घर में लगा दिया जाए तो इससे घर का वास्तुदोष दूर हो जाता है साथ ही परिवार में सुख शांति बनी रहती है इसके अलावा शमी की पूजा मनोकामनाओं को शीघ्र पूरा करने वाली मानी जाती है तो आकज हम आपको शमी पौधे से जुड़े उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते है।
शमी से जुड़े उपाय-
अगर आप अपने घर में सुख शांति और समृद्धि की चाह रखते हैं तो ऐसे में तुलसी के संग शमी का पौधा घर में जरूर लगाएं और रोजाना शमी की पूजा करें साथ ही शाम के वक्त सरसों या तिल के तेल का दीपक भी जलाएं। ऐसा करने से धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और उनकी कृपा से धन संकट से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा अगर आप मनचाही नौकरी पाना चाहते हैं या फिर सरकारी नौकरी मिलने में कोई अड़चन आ रही है तो ऐसे में आप शनिवार के दिन घर की उत्तर दिशा में शमी का पौधा लगाएं और जल में लाल चंदन मिलाकर जल अर्पित करे इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप मन ही मन करें। अगर ऐसा रोजाना किया जाए तो इससे करियर व कारोबार में तरक्की मिलती है साथ ही मन की मुराद भी पूरी हो जाती है।