धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
सही दिशा में सोयें
18 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वास्तुशास्र के अनुसार जीवन में दिशाओं का बेहद महत्व है। अगर हम सही दिशा में नहीं रहते तो स्वास्थ्य के साथ ही हमें धन की हानि भी होती है और मान सम्मान भी कम होता है।
इन्सान के स्वास्थ्य का शयन कक्ष से सीधा संबंध है। हमारे धर्म ग्रंथों में सोने के कुछ नियम बताए गए हैं। इनका पालन करने से शरीर में कोई रोग नहीं होता, साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। मनुस्मृति में लिखा गया है कि सूने घर में अकेले नहीं सोना चाहिए। जहां बिल्कुल अंधेरा हो, वहां सोने से भी बचना चाहिए। साथ ही मंदिर और श्मशान में कभी नहीं सोना चाहिए। अच्छी सेहत के लिए सुबह जल्दी उठाना जरूरी है। कुछ लोगों की आदत होती है कि सोने से पहले पैर धोते हैं। यह अच्छा है, लेकिन भीगे पैर सोना धर्म ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है। बताते हैं कि सूखे पैर होने से घर में लक्ष्मी आती है।
पलंग या खाट टूटा हो तो उस पर न सोएं। खाने के तुरंत बाद बिस्तर पर न जाएं। झूठे मुंह सोना अशुभ है। आप किस दिशा में सोते हैं, यह भी बहुत अहम है। पूर्व की तरफ सिर करके सोने से विद्या, पश्चिम की ओर सिर करके सोने से प्रबल चिन्ता, उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि व मृत्यु, तथा दक्षिण की तरफ सिर करके सोने से धन व आयु की प्राप्ति होती है।
कई लोगों को दिन में सोने की आदत होती है। इसे तुरंत छोड़ दें। दिन में तथा सुर्योदय एवं सुर्यास्त के समय सोने वाला रोगी और दरिद्र हो जाता है।
बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। दक्षिण दिशा में पांव रखकर कभी नहीं सोना चाहिए। इस तरफ यम और दुष्टदेवों का निवास रहता है। इसका वैज्ञानिक कारण यह भी है कि मस्तिष्क में रक्त का संचार कम को जाता है।
सोते समय हदय पर हाथ रखकर नहीं सोना चाहिए। पैर पर पैर रखकर भी नहीं सोना चाहिए। माथे पर तिलक लगा है तो सोने से पहले उसे साफ कर लें। तिलक लगाकर सोना अच्छा नहीं माना जाता।
इसलिए ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताया जाता है
18 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है, क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं, प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। आप मुझे यह बताएं कि इस अस्तित्व में कौन ज्यादा स्थायी है? कौन अधिक मौलिक है, प्रकाश या अंधकार? निश्चित ही अंधकार। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं? क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अगर आप अपनी तर्क-बुद्धि की सीमाओं के अंदर जी रहे हैं तब हम आपको ईश्वर को प्रकाश जैसा बताते हैं। अगर आपको बुद्धि की सीमाओं से परे थोड़ा भी अनुभव हुआ है, तो हम ईश्वर को अंधकार जैसा बताते हैं, क्योंकि अंधकार सर्वव्यापी है।
अंधकार की गोद में ही प्रकाश अस्तित्व में आया है। वह क्या है जो अस्तित्व में सभी चीजों को धारण किए हुए है? यह अंधकार ही है। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जलकर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज हो। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।
तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है? क्या चीज हमेशा थी और क्या हमेशा रहेगी? अंधकार। वह क्या है जिसे आप ईश्वर कहते हैं? वह जिससे हर चीज पैदा होती है, उसे ही तो आप ईश्वर के रूप में जानते हैं। अस्तित्व में हर चीज का मूल रूप क्या है? उसे ही तो आप ईश्वर कहते हैं। अब आप मुझे यह बताएं कि ईश्वर क्या है, अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। हर चीज शून्य से पैदा होती है। विज्ञान ने आपके लिए यह साबित कर दिया है।
और आपके धर्म हमेशा से यही कहते आ रहे हैं -ईश्वर सर्वव्यापी है। और केवल अंधकार ही है जो सर्वव्यापी हो सकता है।
प्रकाश का अस्तित्व बस क्षणिक है, प्रकाश बहुत सीमित है, और खुद जलकर खत्म हो जाता है, लेकिन चाहे कुछ और हो या न हो, अंधकार हमेशा रहता है। लेकिन आप अंधकार को नकारात्मक समझते हैं। हमेशा से आप बुरी चीजों का संबंध अंधकार से जोड़ते रहे हैं। यह सिर्फ आपके भीतर बैठे हुए भय के कारण है। आपकी समस्या की यही वजह है। यह सिर्फ आपकी समस्या है, अस्तित्व की नहीं। अस्तित्व में हर चीज अंधकार से पैदा होती है। प्रकाश सिर्फ कभी-कभी और कहीं-कहीं घटित होता है। आप आसमान में देखें, तो आप पाएंगे कि तारे बस इधर-उधर छितरे हुए हैं और बाकी सारा अंतरिक्ष अंधकार है, शून्य है, असीम और अनन्त है।
यही स्वरूप ईश्वर का भी है। यही वजह है कि हम कहते हैं कि मोक्ष का अर्थ पूर्ण अंधकार है। यही वजह है कि योग में हम हमेशा यह कहते हैं कि चैतन्य अंधकार है। केवल तभी जब आप मन के परे चले जाते हैं, आप अंधकार का आनन्द उठाना जान जाते हैं, उस अनन्त, असीम सृष्टा को अनुभव करने लगते हैं। जब आपकी आंखें बंद होती हैं, तो उस अंधकार में आपके सभी अनुभव और ज्यादा गहरे हो जाते हैं!
बालाजी मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं
18 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के ऐतिहासिक और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर है। तिरुपति महाराज जी के दरबार में देश-विदेश के भक्तों की भीड़ रहती है। यहां अमीर और गरीब दोनों जाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं। तिरुपति के इतने प्रचलित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं। इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं।
माना जाता है कि तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी।
मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था। इसके बाद से ही बालाजी की प्रतिमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ।
कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं।
कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब करीब 23 किलोमीटर दूर एक से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं। इतना ही नहीं वहीं से भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूसरी वस्तुएं भी आती हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में विराजमान हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में हों।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है।
कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार बार गीलापन आ जाता है।
नंदी के बिना शिवलिंग को माना जाता है अधूरा
18 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव के किसी भी मंदिर में शिवलिंग के आसपास एक नंदी बैल जरूर होता है क्यों नंदी के बिना शिवलिंग को अधूरा माना जाता है। इस बारे में पुराणों की एक कथा में कहा गया है शिलाद नाम के ऋषि थे जिन्होंने लम्बे समय तक शिव की तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर शिलाद को नंदी के रूप में पुत्र दिया था।
शिलाद ऋषि एक आश्रम में रहते थे। उनका पुत्र भी उन्हीं के आश्रम में ज्ञान प्राप्त करता था। एक समय की बात है शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो संत आए थे। जिनकी सेवा का जिम्मा शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र नंदी को सौंपा। नंदी ने पूरी श्रद्धा से दोनों संतों की सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं।
इस बात से शिलाद ऋषि परेशान हो गए। अपनी परेशानी को उन्होंने संतों के आगे रखने की सोची और संतों से बात का कारण पूछा। तब संत पहले तो सोच में पड़ गए। पर थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा, नंदी अल्पायु है। यह सुनकर मानों शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई। शिलाद ऋषि काफी परेशान रहने लगे।
एक दिन पिता की चिंता को देखते हुए नंदी ने उनसे पूछा, ‘क्या बात है, आप इतना परेशान क्यों हैं पिताजी।’ शिलाद ऋषि ने कहा संतों ने कहा है कि तुम अल्पायु हो। इसीलिए मेरा मन बहुत चिंतित है। नंदी ने जब पिता की परेशानी का कारण सुना तो वह बहुत जोर से हंसने लगा और बोला, ‘भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है। ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उनकी ही जिम्मेदारी है, इसलिए आप परेशान न हों।’
नंदी पिता को शांत करके भगवान शिव की तपस्या करने लगे। दिनरात तप करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए। शिवजी ने कहा, ‘क्या इच्छा है तुम्हारी वत्स’. नंदी ने कहा, मैं ताउम्र सिर्फ आपके सानिध्य में ही रहना चाहता हूं।नंदी से खुश होकर शिवजी ने नंदी को गले लगा लिया। शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों में सबसे उत्तम रूप में स्वीकार कर लिया।इसके बाद ही शिवजी के मंदिर के बाद से नंदी के बैल रूप को स्थापित किया जाने लगा।
कारोबार बढ़ाने करें यह उपाय
18 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मनुष्य अपनी उन्नति के लिए व्यवसाय शुरू करता है, किंतु कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति मेहनत तो बहुत करता है, परंतु उतना लाभ उसको नहीं मिलता। जिससे वह हमेशा दुखी रहता है।
ऐसे दुखी व्यक्ति नीचे लिखे मंत्र का जप करें। ईश्वर के आशीर्वाद से व्यापार में अत्यंत लाभ मिलेगा।
मंत्र : ॐ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्री श्री श्रीं।
इस मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखें।
पूर्ण साफ मन से प्रदोष के दिन स्नान करके प्रभु शिव का ध्यान करते हुए पूर्ण निराहार होकर व्रत (उपवास) रखें। उस दिन अन्न न लें।
शाम को (गोधूली बेला में) शिवजी का पूजन करें एवं असगंध के फूल को घी में डूबाकर रख लें।
तीन माला जाप उपरोक्त मंत्र की करें। तत्पश्चात एक माला से मंत्र पढ़ते हुए हवन करें।
यह प्रयोग 11 प्रदोष तक लगातार करें। पूर्ण फल मिलेगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 मई 2023)
18 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य बाधा, स्वाभाव में उद्विघ्नता तथा दु:ख अवश्य ही बनेगा, ध्यान दें।
वृष राशि :- आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति अवश्य बनेगी।
मिथुन राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कर्क राशि :- मित्र-सुखवर्धक होंगे, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्तायें कम होंगी।
सिंह राशि :- सामर्थ और धन अस्त-व्यस्त हो, सतर्कता से कार्य अवश्य ही निपटा लेवें।
कन्या राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्ता कम होगी।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा के साधन बनें, स्त्री से सुख-शांति अवश्य ही बनेगी।
वृश्चिक राशि :- अग्नि-चोटादि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, रुके कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- मन में खिन्नता, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा भय बना ही रहेगा।
मकर राशि :- विवादग्रस्त होने से बचें, क्लेश व मानसिक अशांति बनेगी, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, इष्ट-मित्र सुखवर्धक हेंगे।
मीन राशि :- भोग-एश्वर्य की प्राप्ति, समय उल्लास से बीते तथा मनोवृत्ति उत्तम रहेगी।
लहसुन और प्याज खाना व्रत में क्यों वर्जित माना जाता है जानिए इसकी वजह....
17 May, 2023 05:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
व्रत की पवित्रता को बनाए रखने के लिए कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण किया जाता है। व्रत में लहसुन-प्याज खाने की भी मनाही है। हालांकि इन दोनों के स्वास्थ्य लाभ भी भरपूर हैं।
ये है पौराणिक कथा
जब देवताओं और असुरों के बीच मंथन हुआ था तो उस मंथन में सबसे आखिर में अमृत निकला था। इसके बाद देवताओं को अमृत पान कराने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया। लेकिन तभी दो असुर राहु और केतु ने देवताओं का रूप धारण कर अमृत पान कर लिया। जिसके कारण भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका सिर, धड़ से अलग कर दिया। जहां-जहां उनका रक्त गिरा, वहां-वहां लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हो गई। ऐसा माना जाता है कि तभी लहसुन-प्याज में से इतनी गंध आती है।
इनके सेवन से भटकता है मन
आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है सात्विक, राजसिक और तामसिक। पुराणों में प्याज और लहसुन को राजसिक और तामसिक माना जाता है। साथ ही इन्हें राक्षसी प्रवृत्ति का भोजन भी माना जाता है। इनके सेवन से मन भटक सकता है वहीं व्रत के एकाग्र मन की आवश्यकता होती है। इसलिए व्रत के दौरान इनके सेवन की मनाही है।
अध्यात्म के मार्ग पर चलने में बाधा
सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां जुनून, उत्तेजना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं जिस कारण अध्यात्म के मार्ग पर चलने में कठिनाई होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कारण इनका सेवन वर्जित माना गया है।
व्यवहार में आता है बदलाव
लहसुन और प्याज के ज्यादा सेवन से व्यक्ति के व्यवहार में भी बदलाव आता है। ये सब्जियां अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आती हैं। इसलिए ब्राह्मणों के लिए इसका सेवन निषिद्ध है।
विवाह में आने वाली बाधाओं को रोकने के लिए करे, गुरुवार के दिन इन चीजों का दान....
17 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में गुरुवार के दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की पूजा करने का विधान है। इस दिन भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति गुरुवार के दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति की उपासना करते हैं। उनकी सारी मनोकामनाएं यथाशीघ्र पूर्ण होती हैं। साथ ही कुंडली में गुरु भी मजबूत होता है। ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली में गुरु मजबूत रहने से विवाहित महिलाओं को सुख, सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है, तो अविवाहित लड़कियों की शीघ्र शादी होती है। साथ ही करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। कुंडली में गुरु कमजोर रहने से अविववाहितों की शादी में बाधा आती है। इसके लिए अविवाहित लड़कियों को गुरु मजबूत करने हेतु गुरुवार का व्रत करना चाहिए। साथ ही गुरुवार के दिन इन चीजों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से कुंडली में गुरु मजबूत होता है।
अविवाहित लड़कियां शादी में आ रही बाधा को दूर करने के लिए हर गुरुवार के दिन पीली दाल का दान करें। सामान्य लोग भी पीली दाल का दान कर सकते हैं। इससे सुख, शांति और धन में वृद्धि होती है। अविवाहित लड़कियों की शादी के योग बनते हैं।
अगर आप अपने जीवन में सुख, सौभाग्य और धन प्राप्त करना करना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन पीले वस्त्र का दान करें। अविवाहित लड़कियां कुंडली में गुरु मजबूत करने के लिए जरूरतमंदों को पीले रंग के कपड़े दान कर सकती हैं।
अगर आपकी शादी में बाधा आ रही है, तो शीघ्र विवाह के लिए गुरुवार के दिन जरूरतमंद बच्चों को स्टेशनरी की चीजें उपहार में दें। आसपास के बच्चों को ट्यूशन दें। इस उपाय को करने से भी गुरु मजबूत होता है। कुंडली में गुरु मजबूत रहने से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
अविवाहित लड़कियां गुरुवार के दिन पीले चन्दन का दान करें। साथ ही गुरुजन और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं। इससे भी गुरु मजबूत होता है।
17 मई को है बुध प्रदोष व्रत, शिव जी के 10 दान देंगे मनचाहा वरदान
17 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार दिन बुधवार, 17 मई 2023 को ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2023) रखा जा रहा है। मान्यता के अनुसार यह व्रत सभी प्रकार के मनोकामना पूर्ति करने वाला होता है। इस व्रत में भगवान शिव जी (Lord Shiva) की पूजा की जाती है। साथ ही बुधवार श्री गणेश का दिन होने से उनके पूजन का भी विशेष महत्व माना जाता है। अत: इस गणेश पूजन करना लाभदायी होता है।
हिन्दू धर्म में हर माह दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं तथा यह दिन शिव जी से जुड़ा हुआ बताया गया है। अत: यह व्रत चंद्र दोष दूर करता है तथा सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और हर कार्य में सफलता मिलती हैं। त्रयोदशी तिथि को ही प्रदोष कहते हैं। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा भी अलग-अलग होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार बुधवार को आने वाले प्रदोष व्रत करने से ज्ञान एवं शिक्षा की प्राप्ति होती है। साथ ही जिस भी तरह की कामना से यह व्रत किया जाता है, वह मनोवांछित कामना अवश्य ही पूर्ण होती है।
आइए जानते हैं यहां किन चीजों का दान करने से शिव जी प्रसन्न होकर देंगे मनचाहा वरदान- (Lord Shiva Daan Samgri)
1. दूध का दान।
2. चीनी/ शकर
3. सफेद गाय को रोटी और गुड़ खिलाएं।
4. चींटियों को शकर का बूरा मिला आटा खिलाएं।
5. गौ माता को हरा चारा खिलाना।
6. चांदी का दान।
7. मछलियों को आटे की गोलियां खिलाएं।
8. सफेद कपड़ा या तैयार सिले हुए वस्त्र।
9. चावल और काले तिल का दान।
10. गरीब, असहायों को भोजन करवाना।
अत: इस दिन शिव जी की चीजों का दान करने तथा श्री गणेश का पूजन और बुध ग्रह से संबंधित चीजें, जैसे- मूंग की छिल्के वाली दाल, हरी सब्जी आदि दान करने से फायदा मिलेगा।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर में मुस्लिम युवकों ने की चादर चढ़ाने की कोशिश !
17 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र सरकार ने नासिक के प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में गैर-हिंदू समूह द्वारा जबरदस्ती प्रवेश करने की कोशिश की घटना को गंभीरता से लिया है. इस मामले में नासिक पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है.
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fandanvis) ने मंगलवार को त्र्यंबकेश्वर मंदिर में जबरन प्रवेश करने का प्रयास करने वाले मुस्लिम समूह की कथित घटना की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का आदेश दिया है.
जानकारी के मुताबिक, शनिवार रात त्र्यंबकेश्वर मंदिर में सुरक्षा गार्डों ने अलग धर्म के लोगों के एक समूह के प्रयास को विफल कर दिया, जिन्होंने मंदिर परिसर में जबरन घुसने की कोशिश की. मंदिर प्रबंधन के अनुसार, केवल हिंदुओं को ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति है. मंदिर ट्रस्ट ने इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है.
पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि मामला दर्ज कर लिया गया है. मामले की जांच चल रही है. जबकि चार आरोपियों को गिरफ्तार करने की भी जानकारी सामने आ रही है. आरोप है कि 4-5 मुस्लिम युवकों ने कथित तौर पर मंदिर परिसर में प्रवेश करने और शिवलिंग पर चादर चढ़ाने की कोशिश की.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और एसआईटी जांच के आदेश दिए है. डिप्टी सीएम कार्यालय ने एक बयान में कहा, "उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने त्र्यंबकेश्वर मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर इकट्ठा होने की कथित घटना पर प्राथमिकी दर्ज कर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. उपमुख्यमंत्री ने इस घटना की जांच के लिए अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक रैंक (एडीजी स्तर) के अधिकारियों के नेतृत्व में एसआईटी के गठन का आदेश दिया है. एसआईटी न केवल इस साल की घटना की जांच करेगी, बल्कि पिछले साल हुई ऐसी ही एक अन्य घटना की भी जांच करेगी."
कहां और किस दिशा में रखना चाहिए दीपक, जानिए इससे जुड़े जरूर नियम
17 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में ईश्वर आराधना को सर्वोंत्तम माना जाता हैं और इस धर्म में पूजा पाठ से जुड़े कई नियम बताए गए हैं जिसके अनुसार देवी देवताओं की पूजा में उनके समक्ष दीपक जलाना महत्वपूर्ण होता हैं।
धार्मिक कार्यक्रम व अनुष्ठान में अग्निदेव की पूजा महत्वपूर्ण होती हैं यही कारण है कि सभी पूजा पाठ में दीपक प्रज्वलित किया जाता हैं।
बिना दीपक जलाएं किसी भी तरह की पूजा पूर्ण नहीं होती हैं ऐसे में अगर आप भी रोजाना सुबह शाम की पूजा में दीपक जलाते हैं तो इससे जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखना भी आपके लिए जरूरी है तो आज हम आपके दीपक जलाने से जुड़े नियम के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
दीपक जलाने से जुड़े नियम-
अगर आप देवी देवताओं की पूजा में दीपक जला रहे हैं तो ऐसे में इसे हमेशा ही भगवान की मूर्ति या उनकी तस्वीर के सामने रखना चाहिए। इसके अलावा पूजा में हमेशा ही तेल का दीपक अपने दाईं ओर और घी का दीपक हमेशा बाईं ओर ही रखना चाहिए।
ज्योतिष की मानें तो मंदिर में दीपक जलाते वक्त आपको उसकी दिशा का ध्यान रखना चाहिए अगर आप गलत दिशा में दीपक प्रज्वलित करते हैं तो कई तरह की परेशानियों का सामना आपको करना पड़ सकता हैं ऐसे में दीपक जलाते वक्त उसे हमेशा ही पश्चिम दिशा में रखना चाहिए ऐसा करने से सकारात्मकता का संचार होता हैं और सुख शांति भी परिवार में बनी रहती हैं। इसके साथ ही तेल का दीपक जलाने में हमेशा लाल मौली की बाती का प्रयोग करना चाहिए वही अगर आप घी का दीपक जला रहे हैं तो इसमें रूई की बाती का इस्तेमाल कर सकते हैं इसे अच्छा माना जाता हैं।
इस व्रत में क्यों करते हैं बरगद पेड़ की पूजा, जानें पूजा का महत्व
17 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत रखना बहुत शुभ और लाभकारी माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं.
मान्यता है कि इस दिन व्रती द्वारा बरगद के पेड़ की पूजा करने का भी विधान है. हिंदू पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को दिन रखा जाता है. इस वर्ष यह तिथि 19 मई 2023 को पड़ रही है.
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त, यानी की अमावस्या तिथि 18 मई की रात्रि 09 बजकर 42 से ही शुरू हो जाएगी. वहीं, इसका समापन अगले दिन यानी 19 मई 2023 को रात 09 बजकर 22 मिनट पर होगा.
सनातन धर्म में, त्योहार उदया तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं जिसके चलते वट सावित्री व्रत 19 मई को ही रखा जाएगा. पूजा का शुभ फल पाने के लिए शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें.
क्यों करते हैं बरगद पेड़ की पूजा
धार्मिक मान्यता के अनुसार बरगद वृक्ष में त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का वास होता है. ऐसे में इस पेड़ की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. क्योंकि बरगद के पेड़ की आयु बहुत लंबी होती है इसलिए इसे अक्षय वृक्ष भी कहा जाता है. ऐसे में विवाहित महिलाएं द्वारा इस वृक्ष की पूजा करने से उनके पति की आयु लंबी होती है.
शनि जयंती पर शनि शिंगणापुर मंदिर में कराएं तेल अभिषेक
इसके अलावा दांपत्य जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर हो जाती हैं. इस दिन व्रत रखने का विधान होता है. पूजा के दौरान महिलाएं हाथ में रक्षा सूत्र लेकर, बरगद पेड़ की परिक्रमा करती हैं और विधि-विधान से पूजा करती हैं. माना जाता है कि इस पूजा से आर्थिक परेशानियां भी दूर होती हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 मई 2023)
17 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव-पूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री को शारीरिक कष्ट, मानसिक बेचैनी बढ़ेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख, कार्यगति विशेष अनुकूल रहेगी।
मिथुन राशि :- भोग-एश्वर्य प्राप्ति के बाद तनाव व कष्ट होगा, विवाद व तनाव से बचकर चलें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल होगा, व्यावसाय मंद होगा, आर्थिक योजना पूर्ण होगी।
कन्या राशि :- कार्य-व्यवसाय गति सामान्य रहे, व्यर्थ परिश्रम, कार्यगति मंद अवश्य होगी।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोटादि का भय होगा, कार्य-उत्साह कम होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति अनुकूल रहे, संभावित कार्ययोजना बनेगी, कार्य बाधा-मुक्त संपन्न होंगे।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बनें किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी-वर्ग से तनाव, क्लेश होगा, मानसिक अशांति बनेगी, ध्यान दें।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें, हाथ में कुछ न लगे किन्तु नया कार्य बना ही लेवें।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब में सुख-समय बीते, समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखें।
जीवन में चाहिए सफलता तो करना चाहिए ये जरूरी काम
16 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य द्वारा रचित चाणक्य नीति को सफल जीवन जीने का साधन माना जाता है.
इनके द्वारा बताए गए कार्यों को जीवन की प्रगति के लिए बहुत ही अनुकूल भी माना गया है. हम सभी अपने जीवन में सफलता की कामना करते हैं.
ऎसे में यदि कुछ बातों को हम उचित रुप से अपने जीवन में शामिल कर लें तो उसके द्वारा सफलता को पाना संभव हो सकता है. आचार्य चाणक्य द्वारा दी गई शिक्षाओं का पालन करने से व्यक्ति हमेशा दुखों और कष्टों से दूर रहता है.
आइए जानते हैं कि सफलता प्राप्त करने का मुख्य सूत्र क्या है : -
मानव जीवन में ज्ञान का स्थान सदैव उच्च स्तर पर रहा है, यह ज्ञान ही जीवन का सर्वोच्च मूल्य भी है. व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर के जीविकोपार्जन करता है, ज्ञान द्वारा सदैव सफलता प्राप्त करता है. लेकिन जो अज्ञानवश कोई भी काम करता है, उसके हाथ हमेशा खाली रहते हैं. इसलिए जीवन में सही मार्गदर्शक का होना बहुत जरूरी है. ऐसे ही एक मार्गदर्शक थे आचार्य चाणक्य, जिनके द्वारा चाणक्य नीति आज भी लाखों युवाओं का मार्गदर्शन कर रही है.
चाणक्य नीति में धर्म, अर्थ, राजनीति के साथ-साथ जीवन की अन्य महत्वपूर्ण नीतियों के बारे में भी बताया गया है. माना जाता है कि जो लोग इन नीतियों का पालन करते हुए अपना जीवन व्यतीत करते हैं, उन्हें हमेशा सफलता मिलती है. चाणक्य नीति के इस भाग में आइए जानते हैं कि मनुष्य को सफलता पाने के लिए किस महत्वपूर्ण चीज पर काम करना चाहिए.
चाणक्य नीति की इस शिक्षा का ध्यान रखें
गुणैरुत्तमतां यान्ति नोच्चैरासनसंस्थितैः प्रसादशिखरस्थोऽपि किं काको गरुडायते. इसके अनुसार व्यक्ति अपने गुणों से ही महान बनता है, ऊंचे पद पर बैठने से नहीं. यदि कौआ महल की छत पर बैठ जाए तो वह गरुड़ नहीं बन जाता.
चाणक्य नीति के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने बताया है कि जो लोग अच्छे गुणों के साथ कोई भी कार्य करते हैं, वही श्रेष्ठ और सफल व्यक्ति कहलाते हैं. जरूरी नहीं कि वह किसी ऊंचे पद पर बैठा व्यक्ति ही हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर महल के शीर्ष पर एक कौआ बैठता है, तो उसे गरुड़ के समान शक्तिशाली नहीं कहा जा सकता है. वह हमेशा एक कमजोर और अप्रिय बात करने वाला ही रहेगा. लेकिन जमीन पर बैठे गरुड़ हमेशा पक्षीराज कहलाएंगे. इसलिए व्यक्ति को हमेशा अपने गुणों पर काम करना चाहिए और गुणों को अपने अंदर लाना चाहिए. ये सफलता प्राप्त करने के मुख्य स्तंभ बन जाते हैं.
पीपल की पूजा का क्या है धार्मिक कारण?
16 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पीपल का पेड़ हिन्दू धर्म में बड़ा पवित्र माना जाता है। इस पेड़ को पूजे जाने का कारण पौराणिक कथाओं में मिलता है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार लक्ष्मी और उसकी छोटी बहन दरिद्रा विष्णु के पास गई और प्रार्थना करने लगी कि हे प्रभो! हम कहां रहें? इस पर विष्णु भगवान ने दरिद्रा और लक्ष्मी को पीपल के वृक्ष पर रहने की अनुमति प्रदान कर दी। इस तरह वे दोनों पीपल के वृक्ष में रहने लगीं।
सूर्योदय से पहले कभी भी पीपल की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इस समय धन की देवी लक्ष्मी की बहन दरिद्रा यानी अलक्ष्मी का वास होता है। अलक्ष्मी दरिद्रता की देवी मानी जाती हैं और हमेशा गरीबी व जीवन में परेशानी लाती हैं। इसलिए सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करनी चाहिए और न ही इस वृक्ष के पास जाना चाहिए, ऐसा करने से घर में दरिद्रता चली आती है। हमेशा सूर्योदय के बाद ही पीपल की पूजा करें।
विष्णु भगवान की ओर से यह वरदान मिला कि जो व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उसे शनि ग्रह के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी। उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी। शनि के कोप से ही घर का ऐश्वर्य नष्ट होता है, मगर शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले पर लक्ष्मी और शनि की कृपा हमेशा बनी रहेगी। धर्मशास्त्रों में पीपल के वृक्ष को भगवान विष्णु का निवास माना गया है।
पद्मपुराण के अनुसार पीपल की परिक्रमा करके प्रणाम करने से आयु में वृद्धि होती है। शनि की साढ़े साती और ढैया काल में पीपल की परिक्रमा और पूजन करने से साढ़े साती और ढैया का प्रकोप कम होता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार पीपल में पितरों का वास होने के साथ ही देवताओं का भी वास होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार पीपल की जड़ में श्री विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान श्री हरि और फल में सब देवताओं से युक्त भगवान का अच्युत निवास है। इसीलिए पीपल के वृक्ष का पूजन किया जाता है।
इसी लोक विश्वास के आधार पर लोग पीपल के वृक्ष को काटने से आज भी डरते हैं, लेकिन यह भी बताया गया है कि यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।
गीता में पीपल की उपमा शरीर से की गई है।
'अश्वत्थम् प्राहुख्ययम्' अर्थात अश्वत्थ (पीपल) का काटना शरीर-घात के समान है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी पीपल प्राणवायु का केंद्र है। यानी पीपल का वृक्ष पर्याप्त मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड ग्रहण करता है और ऑक्सीजन छोड़ता है।
संस्कृत में को 'चलदलतरु' कहते हैं। हवा न भी हो तो पीपल के पत्ते हिलते नजर आते हैं। ' पात सरिस मन डोला'- शायद थोड़ी-सी हवा के हिलने की वजह से तुलसीदास ने मन की चंचलता की तुलना पीपल के पत्ते के हिलने की गति से की गई है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर रोज पीपल के वृक्ष के पूजा करनी चाहिए, क्योंकि अलग-अलग दिन अलग देवी-देवताओं का वास होता है। इससे न केवल सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है बल्कि अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। पीपल की पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से सभी तरह के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल की पूजा करना सर्वोत्तम माना गया है। साथ ही उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पीपल के पौधे लगाने चाहिए, ऐसा करने से चारों तरह सकारात्मक वातावरण बना रहता है। गीता में भगवान कृष्ण ने पेड़ों में खुद को पीपल बताया है इसलिए पीपल के पेड़ लगाने से पुण्य फल की प्राप्ति भी होती है और पीपल की हर रोज पूजा करने पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
पीपल का पेड़ बृहस्पति ग्रह से जुड़ा है और बृहस्पति को सकारात्मक ग्रह माना जाता है। इसलिए पीपल के पेड़ की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।