धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
नौकरी-बिजनेस में अपार सफलता दिलाएंगे हल्दी के ये अचूक टोटके
13 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हल्दी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना गया हैं इसका प्रयोग हर पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान में किया जाता है। बिना हल्दी के पूजा भी संपन्न नहीं मानी जाती हैं वही इसके अलावा हर घर की रसोई में भी हल्दी का इस्तेमाल भोजन के स्वाद को बढ़ाने और सेहत के लिहाज से किया जाता हैं जिस कारण हल्दी घरों में बड़ी आसानी से मिल जाती हैं।
ज्योतिष में भी हल्दी को उपयोगी बताया गया हैं हल्दी के कई ऐसे उपाय हैं जिन्हें करने से व्यक्ति को नौकरी कारोबार में मनचाही सफलता मिल सकती हैं साथ ही साथ धन लाभ भी होता हैं तो आज हम आपको हल्दी के अचूक टोटके बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हल्दी के अचूक टोटके-
अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु कमजोर स्थिति में हैं और वह अशुभ फल प्रदान कर रहा हैं तो ऐसे में एक वस्त्र में हल्दी की गांठ बांधकर तकिए के नीचे रखकर सोना चाहिए। इस उपाय को करने से कुंडली का गुरु मजबूत होता हैं और साथ ही नौकरी व कारोबार में सफलता की संभावनाएं बढ़ने लगती हैं।
वही इसके अलावा अगर आपका धन कहीं पर अटका हुआ हैं। तो ऐसे में आप थोड़े चावल को हल्दी में मिलाकर लाल वस्त्र में बांधकर अपने पर्स में रख लें मान्यता हैं कि इस उपाय को करने से अटका धन जल्दी मिल जाता हैं। अगर आप जीवन में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो ऐसे में गुरुवार के दिन श्री गणेश को हल्दी के गांठ की माला अर्पित करें मान्यता है कि ऐसा करने से सफलता के मार्ग खुल जाते हैं।
एकादशी के दिन व्रत के अलावा जरूर करें ये उपाय, पूरे होंगे अधूरे काम
13 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक नजरिए से निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है. भगवान विष्णु की विशेष आराधना के लिए समर्पित यह एकादशी इस वर्ष 31 मई 2023 को मनाई जाएगी. निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) भक्तों द्वारा किए जाने वाले सबसे कठोर और सख्त उपवासों में से एक माना जाता है.
पूरे दिन दिन लोग भोजन और पानी से परहेज करते हैं और अपना समय प्रार्थना, ध्यान और भक्ति गतिविधियों में बिताते हैं. इस दिन व्रत रखने के अलावा कुछ और उपाय हैं जिन्हें करने से साधक को लाभ प्राप्त होता है.
निर्जला एकादशी का व्रत इस वर्ष 31 मई 2023, दिन बुधवार को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 30 मई को दोपहर 01:07 पर प्रारंभ हो जाएगा जो, अगले दिन यानी 31 मई को 01:45 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं, व्रत पारण का समय 01 जून 2023 को सुबह 05:24 से लेकर 08:10 तक रहेगा.
धार्मिक मान्यता के अनुसार निर्जला एकादशी का दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस लिए कोशिश करें कि, श्रद्धा के रूप में निर्जला एकादशी के एक दिन पहले और उसके दिन मांसाहारी भोजन का सेवन न करें. ऐसा करना अशुभ माना जाता है.
यदि आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी चिंता है तो निर्जला एकादशी जैसे कठोर उपवास का पालन करने से परहेज करें. स्वास्थ्य कारण अगर आप व्रत नहीं भी रख पाते हैं तो, एकादशी के दिन विधि-विधान से विष्णु पूजा करे. इससे भी साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं.
निर्जला एकादशी के दिन पूजा और प्रार्थना के लिए मंदिर जाएं या अपने घर में एक पवित्र स्थान बनाएं. भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और उनका आशीर्वाद लें. इस दिन विष्णु सहस्रनाम या भगवान विष्णु को समर्पित अन्य भक्ति भजनों का जाप करना भी शुभ माना जाता है.
एकादशी के दिन जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देना भी बहुत लाभकारी माना जाता है. धार्मिक नजरिए से, ऐसा करने से जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है. यदि संभव हो तो इस दिन अनाज, वस्त्र या पैसे दान करें.
कब मनाई जाएगी शनि जयंती, जानें तिथि और इससे जुड़े उपाय
13 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि जयंती को शनि अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार इस तिथि को भगवान शनि की जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है. अपने ज्योतिषीय प्रभावों के कारण शनि भगवान कई लोगों का जीवन प्रभावित करते हैं.
धार्मिक नजरिए से शनि जयंती के दिन जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा और विधि-विधान से उनकी आराधना करते हैं उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. इसके साथ-साथ यदि आपकी कुंडली में शनि से जुड़ा कोई दोष है, तो इस दिन जरूर शनि पूजा करें.
शनि जयंती की तिथि
पंचांग के अनुसार शनि जयंती 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. हालांकि, अमावस्या की तिथि 18 मई की रात्रि 09 बजकर 42 मिनट से ही प्रारंभ हो जाएगी जो अगले दिन यानी 19 मई को रात्रि 09 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार शनि 19 मई को ही मनाई जाएगी. इस दिन शनि देव स्वराशि कुंभ में विराजमान होंगे जिसके कारण शनि जयंती पर शनि देव की पूजा खास करके लाभकारी साबित होगा.
शनि से जुड़े उपाय
माना जाता है कि नियमित रूप से शनि मंत्र का जाप करने से, शनि के अशुभ प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है. पूजा के दौरान "ओम शं शनैश्चराय नमः।" मंत्र का जाप करें. कोशिश करें कि इसका जाप कम से कम 108 बार करें.
ज्योतिष के अनुसार नीला नीलम शनि ग्रह से जुड़ा होता है और माना जाता है कि शनि के दुष्प्रभावों से बचने के लिए यह काफी कारगर होता है. लेकिन, किसी भी रत्न को धारण करने से पहले एक जानकार ज्योतिषी से परामर्श करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि वे आपको उपयुक्तता और उचित प्रक्रिया पर मार्गदर्शन कर सकते हैं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शनि को प्रसन्न करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इसके अलावा शनि देव की पूजा करते समय उन्हें काल तिल, नीले फूल और काले वस्त्र अर्पित करें.
शनि जयंती के दिन शनि चालीसा का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है. इसस भगवान शनि प्रसन्न होते हैं और साधक पर अपनी विशेष कृपा बनाए रखते हैं.
गंगा दशहरा के दिन करें पवित्र स्नान, होगा सभी पापों का नाश
13 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाएं जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन गंगा दशहरा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं जो हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर पड़ती हैं इस दिन का खास महत्व होता हैं।
धार्मिक तौर पर गंगा मो माता का दर्जा दिया गया हैं और इनकी विधिवत पूजा भी की जाती हैं ऐसे में गंगा दशहरा के गंगा स्नान के साथ साथ पूजा पाठ करने से साधक देवी देवताओं की कृपा व आशीर्वाद मिलता हैं मान्यता है कि इस विशेष दिन पर अगर गंगा में स्नान किया जाए तो जीवन की समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और मोक्ष मिलता हैं।
वही यहं भी कहा जाता हैं कि गंगा दशहरा पर भी देवी गंगा धरती पर अवतरित हुई थी। इस साल यह पर्व 30 मई को मनाया जाएगा। तो आज हम आपको इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
गंगा दशहरा की तिथि-
धार्मिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को सुबह 11 बजकर 49 मिनट से आरंभ हो रही हैं और इस तिथि का समापन 30 मई को दोपहर 1 बजकर 7 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में गंगा दशहरा का पर्व 30 मई दिन मंगलवार को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि गंगा दशहरा के शुभ दिन पर ही ज्येष्ठ माह का दूसरा बड़ा मंगल भी हैं। ऐसे में इस शुभ दिन पर मां गंगा और भगवान हनुमान की पूजा आराधना साधक को अपार कृपा और लाभ प्रदान कराएंगी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (13 मई 2023)
13 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे तथा कार्य-योजना अवश्य ही बनेगी।
वृष राशि :- नवीन मंत्रणा सफल होगी, संवेदनशील होने से बचिये, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष, कुछ चिंता, व्यवसायिक अवरोध, कष्ट होगा।
कर्क राशि :- मन में व्यग्रता व उद्विघ्नता बनेगी, कार्यगति श्रेष्ठ होगी, रुके कार्य बनेंगे, स्थिति पर ध्यान रखें।
सिंह राशि :- साधन संपन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी।
कन्या राशि :- विरोधी परेशान करें, धन का व्यर्थ व्यय होगा, असमंजस की स्थिति बनी रहेगी।
तुला राशि :- कार्य-व्यवसाय में बाधा, तनाव, क्लेश व अशांति से बचने का प्रयास करें।
वृश्चिक राशि :- चिंता बनी रहेगी, कुटुम्ब की समस्याओं से समझदारी से निपटें।
धनु राशि :- बिगड़े कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता से हर्ष, सहायोग अवश्य मिलेगा।
मकर राशि :- विरोध परेशान करेंगे, धन का व्यर्थ व्यय होगा, कार्य अवरोध होगा।
कुंभ राशि :- स्वास्थ्य नरम रहेगा, तनावपूर्ण स्थिति कष्टप्रद बनेगी, ध्यान दें।
मीन राशि :- दूसरों के कार्यों में धन तथा समय नष्ट न करें, समय स्थिति का ध्यान रखें।
आस्था से जुड़े कैंची धाम पर आखिर क्यों खिचे चले आते हैं देशी-विदेश भक्त
12 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड की मनोरम एवं शांत वादियों के बीच स्थित बाबा नीम करोली से जुड़ा कैंची धाम अक्सर खबरों की खबर में बना रहता है. इस पावन धाम पर क्या देशी और क्या विदेशी हर रोज बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
बाबा के चमत्कार से प्रभावित होकर न सिर्फ विराट कोहली और अनुष्का, बल्कि एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्क तक बाबा की देहरी पर जाकर अपना मत्था टेक चुके हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर आस्था से जुड़े कैंची धाम का क्या रहस्य है कि क्या आम और क्या खास सभी यहां खिंचे चले आते हैं.
कौन थे बाबा नीम करोली
सनातन परंपरा से जुड़े सिद्ध संतों में से एक बाबा नीम करोली के बारे में मान्यता है कि वे पवनपुत्र हनुमान का स्वरूप थे. साधु बनने से पहले उनका नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. मान्यता है कि उन्होंने किशोरावस्था में ही साधू वेश धारण कर लिया था. बाबा नीम करौली के तमाम भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार ही मानते हैं.
हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि बाबा नीम करोली को हनुमान जी की चमत्कारी सिद्धियां प्राप्त थीं और वे उन्हीं के जरिए वे अक्सर अपने भक्तों का उद्धार किया करते थे. वैसे बाबा नीम करोली ने देश में कई हनुमान मंदिर बनवाए थे.
कब-कब दिखा बाबा का चमत्कार
बाबा नीम करोली के तमाम चमत्कारिक किस्से मशहूर हैं. मान्यता है कि एक बार बाबा के पावन धाम में बन रहे भंडारे में अचानक से घी कम पड़ गया तो लोग परेशान होने लगे. जब यह बात बाबा नीम करोली तक पहुंची तो उन्होंने अपने भक्तों से नदी से पानी भर कर लाने को कहा.
मान्यता है कि बााब नीम करोली ने उस पानी को स्पर्श करके घी में बदल दिया था. कुछ ऐसे ही जब एक बार बाबा भक्त कड़ी धूप में निढाल पड़कर गिरने वाला था तब बाबा ने अचानक से बादल की छतरी प्रदान कर उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाने में मदद की.
मान्यता है कि जब फेसबुक की हालत ठीक नहीं थी तो उसके मालिक मार्क जुकरबर्ग बाबा नीम करोली के आश्रम पहुंचे, जिसके बाद उनकी कारोबार एक बार फिर चल निकला. बाबा के ऐसे अनगिनत चमत्कारों को कई किताबों और लेखों के जरिए लिखा जा चुका है.
कहां है कैंची धाम
बाबा नीम करौली के जिस कैंची धाम आश्रम की स्थापना 1964 में हुई थी, वह उत्तराखंड के नैनीताल जिले से महज 17 किमी दूर अल्मोड़ा मार्ग पर पड़ता है. जबकि भवाली से इसकी दूरी महज 09 किमी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन से बाबा का आश्रम लगभग 36 किमी दूर पड़ता है. काठगोदाम कैंची धाम जाने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है.
श्रीराम कृपा पाने का ये हैं सबसे सर्वोत्तम मार्ग
12 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में देवी देवताओं की आराधना व पूजा को उत्तम माना गया हैं। ऐसे में हर कोई भगवान को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाना चाहता हैं ऐसे में अगर आप भी श्रीराम की कृपा चाहते हैं और अपनी सभी मुरादों को पूरा करना चाहते हैं तो नियमित रूप से श्रीराम सहस्रनामावली का पाठ कर सकते हैं मान्यता है कि ये चमत्कारी पाठ भक्तों की हर मुराद पूरी करता हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्रीराम सहस्रनामावाली स्तोत्र।
श्रीराम सहस्रनामावाली-
ओं राजीवलोचनाय नमः ।
ओं श्रीमते नमः ।
ओं श्रीरामाय नमः ।
ओं रघुपुङ्गवाय नमः ।
ओं रामभद्राय नमः ।
ओं सदाचाराय नमः ।
ओं राजेन्द्राय नमः ।
ओं जानकीपतये नमः ।
ओं अग्रगण्याय नमः ।
ओं वरेण्याय नमः ।
ओं वरदाय नमः ।
ओं परमेश्वराय नमः ।
ओं जनार्दनाय नमः ।
ओं जितामित्राय नमः ।
ओं परार्थैकप्रयोजनाय नमः ।
ओं विश्वामित्रप्रियाय नमः ।
ओं दान्ताय नमः ।
ओं शत्रुजिते नमः ।
ओं शत्रुतापनाय नमः ।
ओं सर्वज्ञाय नमः । २०
ओं सर्वदेवादये नमः ।
ओं शरण्याय नमः ।
ओं वालिमर्दनाय नमः ।
ओं ज्ञानभाव्याय नमः ।
ओं अपरिच्छेद्याय नमः ।
ओं वाग्मिने नमः ।
ओं सत्यव्रताय नमः ।
ओं शुचये नमः ।
ओं ज्ञानगम्याय नमः ।
ओं दृढप्रज्ञाय नमः ।
ओं खरध्वंसिने नमः ।
ओं प्रतापवते नमः ।
ओं द्युतिमते नमः ।
ओं आत्मवते नमः ।
ओं वीराय नमः ।
ओं जितक्रोधाय नमः ।
ओं अरिमर्दनाय नमः ।
ओं विश्वरूपाय नमः ।
ओं विशालाक्षाय नमः ।
ओं प्रभवे नमः । ४०
ओं परिवृढाय नमः ।
ओं दृढाय नमः ।
ओं ईशाय नमः ।
ओं खड्गधराय नमः ।
ओं श्रीमते नमः ।
ओं कौसलेयाय नमः ।
ओं अनसूयकाय नमः ।
ओं विपुलांसाय नमः ।
ओं महोरस्काय नमः ।
ओं परमेष्ठिने नमः ।
ओं परायणाय नमः ।
ओं सत्यव्रताय नमः ।
ओं सत्यसन्धाय नमः ।
ओं गुरवे नमः ।
ओं परमधार्मिकाय नमः ।
ओं लोकज्ञाय नमः ।
ओं लोकवन्द्याय नमः ।
ओं लोकात्मने नमः ।
ओं लोककृते नमः ।
ओं परस्मै नमः । ६०
ओं अनादये नमः ।
ओं भगवते नमः ।
ओं सेव्याय नमः ।
ओं जितमायाय नमः ।
ओं रघूद्वहाय नमः ।
ओं रामाय नमः ।
ओं दयाकराय नमः ।
ओं दक्षाय नमः ।
ओं सर्वज्ञाय नमः ।
ओं सर्वपावनाय नमः ।
ओं ब्रह्मण्याय नमः ।
ओं नीतिमते नमः ।
ओं गोप्त्रे नमः ।
ओं सर्वदेवमयाय नमः ।
ओं हरये नमः ।
ओं सुन्दराय नमः ।
ओं पीतवाससे नमः ।
ओं सूत्रकाराय नमः ।
ओं पुरातनाय नमः ।
ओं सौम्याय नमः । ८०
ओं महर्षये नमः ।
ओं कोदण्डिने नमः ।
ओं सर्वज्ञाय नमः ।
ओं सर्वकोविदाय नमः ।
ओं कवये नमः ।
ओं सुग्रीववरदाय नमः ।
ओं सर्वपुण्याधिकप्रदाय नमः ।
ओं भव्याय नमः ।
ओं जितारिषड्वर्गाय नमः ।
ओं महोदाराय नमः ।
ओं अघनाशनाय नमः ।
ओं सुकीर्तये नमः ।
ओं आदिपुरुषाय नमः ।
ओं कान्ताय नमः ।
ओं पुण्यकृतागमाय नमः ।
ओं अकल्मषाय नमः ।
ओं चतुर्बाहवे नमः ।
ओं सर्वावासाय नमः ।
ओं दुरासदाय नमः ।
ओं स्मितभाषिणे नमः । १००
ओं निवृत्तात्मने नमः ।
ओं स्मृतिमते नमः ।
ओं वीर्यवते नमः ।
ओं प्रभवे नमः ।
ओं धीराय नमः ।
ओं दान्ताय नमः ।
ओं घनश्यामाय नमः ।
ओं सर्वायुधविशारदाय नमः ।
ओं अध्यात्मयोगनिलयाय नमः ।
ओं सुमनसे नमः ।
ओं लक्ष्मणाग्रजाय नमः ।
ओं सर्वतीर्थमयाय नमः ।
ओं शूराय नमः ।
ओं सर्वयज्ञफलप्रदाय नमः ।
ओं यज्ञस्वरूपिणे नमः ।
ओं यज्ञेशाय नमः ।
ओं जरामरणवर्जिताय नमः ।
ओं वर्णाश्रमकराय नमः ।
ओं वर्णिने नमः ।
ओं शत्रुजिते नमः । १२०
ओं पुरुषोत्तमाय नमः ।
ओं विभीषणप्रतिष्ठात्रे नमः ।
ओं परमात्मने नमः ।
ओं परात्परस्मै नमः ।
ओं प्रमाणभूताय नमः ।
ओं दुर्ज्ञेयाय नमः ।
ओं पूर्णाय नमः ।
ओं परपुरञ्जयाय नमः ।
ओं अनन्तदृष्टये नमः ।
ओं आनन्दाय नमः ।
ओं धनुर्वेदाय नमः ।
ओं धनुर्धराय नमः ।
ओं गुणाकराय नमः ।
ओं गुणश्रेष्ठाय नमः ।
ओं सच्चिदानन्दविग्रहाय नमः ।
ओं अभिवन्द्याय नमः ।
ओं महाकायाय नमः ।
ओं विश्वकर्मणे नमः ।
ओं विशारदाय नमः ।
ओं विनीतात्मने नमः । १४०
ओं वीतरागाय नमः ।
ओं तपस्वीशाय नमः ।
ओं जनेश्वराय नमः ।
ओं कल्याणप्रकृतये नमः ।
ओं कल्पाय नमः ।
ओं सर्वेशाय नमः ।
ओं सर्वकामदाय नमः ।
ओं अक्षयाय नमः ।
ओं पुरुषाय नमः ।
ओं साक्षिणे नमः ।
ओं केशवाय नमः ।
ओं पुरुषोत्तमाय नमः ।
ओं लोकाध्यक्षाय नमः ।
ओं महामायाय नमः ।
ओं विभीषणवरप्रदाय नमः ।
ओं आनन्दविग्रहाय नमः ।
ओं ज्योतिषे नमः ।
ओं हनुमत्प्रभवे नमः ।
ओं अव्ययाय नमः ।
ओं भ्राजिष्णवे नमः । १६०
ओं सहनाय नमः ।
ओं भोक्त्रे नमः ।
ओं सत्यवादिने नमः ।
ओं बहुश्रुताय नमः ।
ओं सुखदाय नमः ।
ओं कारणाय नमः ।
ओं कर्त्रे नमः ।
ओं भवबन्धविमोचनाय नमः ।
ओं देवचूडामणये नमः ।
ओं नेत्रे नमः ।
ओं ब्रह्मण्याय नमः ।
ओं ब्रह्मवर्धनाय नमः ।
ओं संसारोत्तारकाय नमः ।
ओं रामाय नमः ।
ओं सर्वदुःखविमोक्षकृते नमः ।
ओं विद्वत्तमाय नमः ।
ओं विश्वकर्त्रे नमः ।
ओं विश्वहर्त्रे नमः ।
ओं विश्वधृते [कृते] नमः ।
ओं नित्याय नमः । १८०
ओं नियतकल्याणाय नमः ।
ओं सीताशोकविनाशकृते नमः ।
ओं काकुत्स्थाय नमः ।
ओं पुण्डरीकाक्षाय नमः ।
ओं विश्वामित्रभयापहाय नमः ।
ओं मारीचमथनाय नमः ।
ओं रामाय नमः ।
ओं विराधवधपण्डिताय नमः ।
ओं दुःस्वप्ननाशनाय नमः ।
ओं रम्याय नमः ।
ओं किरीटिने नमः ।
ओं त्रिदशाधिपाय नमः ।
ओं महाधनुषे नमः ।
ओं महाकायाय नमः ।
ओं भीमाय नमः ।
ओं भीमपराक्रमाय नमः ।
ओं तत्त्वस्वरूपिणे नमः ।
ओं तत्त्वज्ञाय नमः ।
ओं तत्त्ववादिने नमः ।
ओं सुविक्रमाय नमः । २००
ओं भूतात्मने नमः ।
ओं भूतकृते नमः ।
ओं स्वामिने नमः ।
ओं कालज्ञानिने नमः ।
ओं महापटवे नमः ।
ओं अनिर्विण्णाय नमः ।
ओं गुणग्राहिणे नमः ।
ओं निष्कलङ्काय नमः ।
ओं कलङ्कघ्ने नमः ।
ओं स्वभावभद्राय नमः ।
ओं शत्रुघ्नाय नमः ।
ओं केशवाय नमः ।
ओं स्थाणवे नमः ।
ओं ईश्वराय नमः ।
ओं भूतादये नमः ।
ओं शम्भवे नमः ।
ओं आदित्याय नमः ।
ओं स्थविष्ठाय नमः ।
ओं शाश्वताय नमः ।
ओं ध्रुवाय नमः । २२०
ओं कवचिने नमः ।
ओं कुण्डलिने नमः ।
ओं चक्रिणे नमः ।
ओं खड्गिने नमः ।
ओं भक्तजनप्रियाय नमः ।
ओं अमृत्यवे नमः ।
ओं जन्मरहिताय नमः ।
ओं सर्वजिते नमः ।
ओं सर्वगोचराय नमः ।
ओं अनुत्तमाय नमः ।
ओं अप्रमेयात्मने नमः ।
ओं सर्वादये नमः ।
ओं गुणसागराय नमः ।
ओं समाय नमः ।
ओं समात्मने नमः ।
ओं समगाय नमः ।
ओं जटामुकुटमण्डिताय नमः ।
ओं अजेयाय नमः ।
ओं सर्वभूतात्मने नमः ।
ओं विष्वक्सेनाय नमः । २४०
ओं महातपाय नमः ।
ओं लोकाध्यक्षाय नमः ।
ओं महाबाहवे नमः ।
ओं अमृताय नमः ।
ओं वेदवित्तमाय नमः ।
ओं सहिष्णवे नमः ।
ओं सद्गतये नमः ।
ओं शास्त्रे नमः ।
ओं विश्वयोनये नमः ।
ओं महाद्युतये नमः ।
ओं अतीन्द्राय नमः ।
ओं ऊर्जिताय नमः ।
ओं प्रांशवे नमः ।
ओं उपेन्द्राय नमः ।
ओं वामनाय नमः ।
ओं बलिने नमः ।
ओं धनुर्वेदाय नमः ।
ओं विधात्रे नमः ।
ओं ब्रह्मणे नमः ।
ओं विष्णवे नमः । २६०
ओं शङ्कराय नमः ।
ओं हंसाय नमः ।
ओं मरीचये नमः ।
ओं गोविन्दाय नमः ।
ओं रत्नगर्भाय नमः ।
ओं महामतये नमः ।
ओं व्यासाय नमः ।
ओं वाचस्पतये नमः ।
ओं सर्वदर्पितासुरमर्दनाय नमः ।
ओं जानकीवल्लभाय नमः ।
ओं पूज्याय नमः ।
ओं प्रकटाय नमः ।
ओं प्रीतिवर्धनाय नमः ।
ओं सम्भवाय नमः ।
ओं अतीन्द्रियाय नमः ।
ओं वेद्याय नमः ।
ओं अनिर्देशाय नमः ।
ओं जाम्बवत्प्रभवे नमः ।
ओं मदनाय नमः ।
ओं मथनाय नमः । २८०
ओं व्यापिने नमः ।
ओं विश्वरूपाय नमः ।
ओं निरञ्जनाय नमः ।
ओं नारायणाय नमः ।
ओं अग्रण्ये नमः ।
ओं साधवे नमः ।
ओं जटायुप्रीतिवर्धनाय नमः ।
ओं नैकरूपाय नमः ।
ओं जगन्नाथाय नमः ।
ओं सुरकार्यहिताय नमः ।
ओं स्वभुवे नमः ।
ओं जितक्रोधाय नमः ।
ओं जितारातये नमः ।
ओं प्लवगाधिपराज्यदाय नमः ।
ओं वसुदाय नमः ।
ओं सुभुजाय नमः ।
ओं नैकमायाय नमः ।
ओं भव्यप्रमोदनाय नमः ।
ओं चण्डांशवे नमः ।
ओं सिद्धिदाय नमः । ३००
ओं कल्पाय नमः ।
ओं शरणागतवत्सलाय नमः ।
ओं अगदाय नमः ।
ओं रोगहर्त्रे नमः ।
ओं मन्त्रज्ञाय नमः ।
ओं मन्त्रभावनाय नमः ।
ओं सौमित्रिवत्सलाय नमः ।
ओं धुर्याय नमः ।
ओं व्यक्ताव्यक्तस्वरूपधृते नमः ।
ओं वसिष्ठाय नमः ।
ओं ग्रामण्ये नमः ।
ओं श्रीमते नमः ।
ओं अनुकूलाय नमः ।
ओं प्रियंवदाय नमः ।
ओं अतुलाय नमः ।
ओं सात्त्विकाय नमः ।
ओं धीराय नमः ।
ओं शरासनविशारदाय नमः ।
ओं ज्येष्ठाय नमः ।
ओं सर्वगुणोपेताय नमः । ३२०
ओं शक्तिमते नमः ।
ओं ताटकान्तकाय नमः ।
ओं वैकुण्ठाय नमः ।
ओं प्राणिनां प्राणाय नमः ।
ओं कमठाय नमः ।
ओं कमलापतये नमः ।
ओं गोवर्धनधराय नमः ।
ओं मत्स्यरूपाय नमः ।
ओं कारुण्यसागराय नमः ।
ओं कुम्भकर्णप्रभेत्त्रे नमः ।
ओं गोपीगोपालसंवृताय नमः ।
ओं मायाविने नमः ।
ओं व्यापकाय नमः ।
ओं व्यापिने नमः ।
ओं रैणुकेयबलापहाय नमः ।
ओं पिनाकमथनाय नमः ।
ओं वन्द्याय नमः ।
ओं समर्थाय नमः ।
ओं गरुडध्वजाय नमः ।
ओं लोकत्रयाश्रयाय नमः । ३४०
ओं लोकचरिताय नमः ।
ओं भरताग्रजाय नमः ।
ओं श्रीधराय नमः ।
ओं सद्गतये नमः ।
ओं लोकसाक्षिणे नमः ।
ओं नारायणाय नमः ।
ओं बुधाय नमः ।
ओं मनोवेगिने नमः ।
ओं मनोरूपिणे नमः ।
ओं पूर्णाय नमः ।
ओं पुरुषपुङ्गवाय नमः ।
ओं यदुश्रेष्ठाय नमः ।
ओं यदुपतये नमः ।
ओं भूतावासाय नमः ।
ओं सुविक्रमाय नमः ।
ओं तेजोधराय नमः ।
ओं धराधाराय नमः ।
ओं चतुर्मूर्तये नमः ।
ओं महानिधये नमः ।
ओं चाणूरमर्दनाय नमः । ३६०
घर में लगाएं ये पौधा, चमक उठेंगी परिवार की किस्मत
12 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म और वास्तुशास्त्र में कई ऐसे पौधे हैं जिन्हें शुभ और सकारात्मकता से भरा माना जाता हैं मान्यता है कि इन पौधों को अगर घर की सही दिशा और स्थान में लगाया जाए तो जीवन में खुशियों का आगमन होता हैं और तरक्की के योग बनने लगते हैं।
इसी में एक पौधा है मोरपंखी का जिसे घर की उचित दिशा में अगर लगाया जाए तो इससे खूब लाभ मिलते हैं साथ ही साथ परिवार की तरक्की भी होने लगती हैं तो आज हम आपको मोरपंखी पौधे से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
घर में लगाएं मोरपंखी-
वास्तु की मानें तो घर में मोरंपखी का पौधा लगाने से सुख शांति सदा बनी रहती हैं साथ ही बरकत भी होने लगती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोरपंखी में माता लक्ष्मी का वास होता हैं ऐसे में इसे लगाने से आर्थिक तंगी व कर्ज से मुक्ति मिलती हैं।
अगर आपके बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है तो भी आप इस पौधे को घर में लगा सकते हैं मान्यता है कि इसे लगाने से व्यक्ति को उच्च शिक्षा प्राप्त होती है साथ ही साथ बुद्धि भी तेज हो जाती हैं। इसके अलावा मोरपंखी को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना बहुत शुभ होता हैं इस पौधे को अगर घर के प्रवेश द्वार पर लगाया जाए तो इससे घर की नकारात्मकता दूर हो जाती हैं और सकारात्मकता का संचार होता हैं साथ ही मन में अगर किसी तरह का भय है तो वह भी दूर हो जाता हैं।
निर्जला एकादशी पर करें ये आसान सा उपाय, पूर्ण होंगे सभी काम
12 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में एकादशी व्रत को सभी व्रतों में खास माना जाता हैं जो कि हर महीने की एकादशी तिथि पर पड़ती है। शास्त्र अनुसार एकादशी की तिथि जगत के पालनहार श्री विष्णु की प्रिय तिथि है और एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता हैं।
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से प्रभु का आशीर्वाद साधक को मिलता हैं।
पंचांग के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन मनाया जाता हैं इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 31 मई को किया जाएगा। इस दिन भक्त बिना जल अन्न ग्रहण किए दिनभर उपवास रखते हैं और पूजा पाठ करते हैं इस दिन कुछ उपायों को करने से ईश्वर कृपा मिलती हैं और सभी कार्य पूर्ण हो जाते हैं, तो आज हम एकादशी पर किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
एकादशी पर करें ये उपाय-
ज्योतिष अनुसार निर्जला एकादशी के शुभ दिन पर साधक भगवान विष्णु को एक नारियल व थोड़ा सा बादाम अर्पित करें ऐसा करने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती है और सुख में वृद्धि होती हैं। वही इसके अलावा एकादशी के दिन शाम को तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं और ॐ नमो वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें फिर 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें।
मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कार्य बिना बाधा के पूर्ण हो जाते हैं। निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा में प्रभु को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें और पीले रंग का भोग लगाएं। ऐसा करने से भक्त की हर मनोकामना भगवान पूरी कर देते हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 मई 2023)
12 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बेचैनी व उद्विघ्नता से बचिये, सोचे कार्य समय पर होंगे, कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष राशि :- चिन्तायें कम हों, सफलता के साधन जुटायें, अचानक लाभ के योग अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य ही होगी।
कर्क राशि :- धन का व्यर्थ व्यय होगा, समय व शांति नष्ट होगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि :- भोग-एश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहे, विद्यर्थी जीवन आपके लिये परेशानीकारक रहेगा।
कन्या राशि :- समय व धन नष्ट होगा, क्लेश व अशांति, यात्रा में कष्ट, चिंता अवश्य बनेगी।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन अवश्य जुटायेंगे, कार्यबाधा, कार्य अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- चोटादि से बचिये, भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होगा, ध्यान दें।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिये, मानसिक उद्विघ्नता बनेगी, ध्यान रखें।
मकर राशि :- परिश्रम विफल होगा, चिंता व यात्रा में व्याग्रता, स्वास्थ्य नरम रहेगा।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटना से चोटादि का भय होगा, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- अधिकारी से कष्ट, इष्ट-मित्र सहायक न होंगे, समय कष्टप्रद हो ध्यान रखें।
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए जरूर करें ये उपाय
11 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Apara Ekadashi 2023 Upay: प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी पर अपरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल अपरा एकादशी आज 15 मई 2023, दिन सोमवार को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ये एकादशी पापों का नाश करने वाली मानी गई है। मान्यता है कि अपरा एकादशी का व्रत करने से सभी प्रकार का भय दूर होता है और प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। इसके अलावा ज्योतिष में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपरा एकादशी के दिन करने से तमाम तरह के कष्ट दूर होते हैं और भगवान विष्णु की कृपा से तरक्की के रास्ते खुलते हैं। आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में...
पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं
धर्म शास्त्रों में पीपल के पेड़ में देवताओं का निवास स्थान बताया गया है, इसलिए श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए अपरा एकादशी के दिन पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और जल चढ़ाएं।
मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए करें ये कार्य
अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मां लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। ऐसे में शाम को पूजा के बाद घर के हर एक हिस्से में दीपक जरूर जलाएं। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है और आपके घर में कभी धन की कमी नहीं होती है।
भगवान विष्णु का गाय के दूध से करें अभिषेक
अपरा एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में गाय का दूध लेकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें। ऐसा करने से आपको भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होगा और जीवन में खुशियां आएंगी।
न खाएं चावल
किसी भी एकादशी तिथि के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। एकादशी के दिन चावल खाना शुभ नहीं होता है। कहा जाता है कि एकादशी के दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है।
सोने से पहले करें इन मंत्रों का जाप, दूर होगी हर बाधा
11 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अधिकतर लोग रात को सोते समय कुछ मंत्रों का जाप करते हैं ताकि उन्हें अधिक शांति मिले और उनका नींद भी अच्छी हो। इस तरह के मंत्रों के जाप से न सिर्फ शांति मिलती है बल्कि मानसिक तनाव भी कम होता है।
चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही मंत्रों के बारे में, जिनका जाप करने से हमारी नींद अच्छी होती है और हम तनाव से मुक्त होते हैं।
अमृतास्य पुत्राय वीरासेनाय स्वाहा
यह मंत्र सोने से पहले जाप किया जाता है। इसके जाप से नींद अच्छी आती है और तनाव भी कम होता है।
ओम नमो नारायण
यह मंत्र भी सोने से पहले जाप किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से नींद अच्छी आती है और मन की शांति होती है।
ओम ह्रीं श्रीं क्लीं नमः
यह मंत्र भगवान विष्णु के लिए जाना जाता है। इसके जाप से नींद अच्छी आती है और मन की शांति होती है।
ओम नमः शिवाय
यह मंत्र भगवान शिव के लिए जाना जाता है। इसके जाप से नींद अच्छी आती है और मन की शांति मिलती है।
सोने से पहले मंत्र जाप करने का महत्व:-
शांति के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपके मन को शांति मिलती है और आपकी नींद अच्छी आती है।
स्वस्थ जीवन के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपका शरीर स्वस्थ रहता है। मंत्र जाप करने से आपका दिल स्वस्थ रहता है, आपका रक्तचाप संतुलित रहता है और आपकी नींद भी अच्छी आती है।
धन के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपके धन में वृद्धि होती है। अगर आप नियमित रूप से मंत्र जाप करते हैं तो आपको धन और समृद्धि की अधिक संभावना होती है।
भूत-प्रेत से बचाव के लिए:-
मंत्र जाप करने से आपको भूत-प्रेत से बचाव मिलता है। मंत्र के जाप से नींद में बुरे सपने तंग नहीं करते है।
मानसिक स्थिरता के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपकी मानसिक स्थिरता बढ़ती है। ये मंत्र आपको तनाव से मुक्ति देते हैं और आपके अंदर सकारात्मकता भर देते हैं।
उच्च ज्ञान के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपकी बुद्धि उच्च होती है। ये मंत्र आपकी सोच को साफ करते हैं और आपको ज्ञान का अधिक स्रोत प्रदान करते हैं।
समस्याओं से निजात के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपको समस्याओं से निजात मिलती है। अगर आपको कोई समस्या है तो आप उस समस्या का समाधान ढूंढने के लिए इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
आध्यात्मिक उन्नति के लिए:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने से आपकी आध्यात्मिक उन्नति होती है। ये मंत्र आपको आध्यात्मिक जीवन की ओर ले जाते हैं और आपको अपनी आत्मा से जोड़ते हैं।
सोने से पहले मंत्र जाप करने का तरीका:-
सुखद वातावरण:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने के लिए सुखद वातावरण बनाएं। कम बिजली वाली लाइट जलाएं और ध्यान करें ताकि वातावरण शांत और सुखद हो।
समय:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने के लिए सही समय चुनें। आमतौर पर रात्रि समय मंत्र जाप करने का उत्तम समय होता है।
बैठना:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने के लिए सही ढंग से बैठें। आप चाहें तो आसन लगाकर या कुर्सी पर बैठकर मंत्र जाप कर सकते हैं। यदि आप अपने बिस्तर पर हैं तो अपने सिर के नीचे एक तकिया रखें ताकि आप सही स्थिति में बैठ सकें।
मंत्र:-
सोने से पहले मंत्र जाप करने के लिए सही मंत्र चुनें। आप किसी भी धार्मिक मंदिर से या अपने धर्म गुरु से मंत्र लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं। मंत्र जाप करने के लिए आप अपनी पसंद के आधार पर कुछ मंत्र चुन सकते हैं, जैसे ओम, हरे कृष्णा, श्री राम, गणपति जी आदि।
ध्यान:-
सोने से पहले मंत्र जाप करते समय ध्यान केंद्रित करें। अपनी सांसों को नियंत्रित करने के लिए अपने ध्यान को अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
दूध के ये आसान टोटके दूर करेंगे हर संकट
11 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर घर की रसोई में दूध का इस्तेमाल रोजाना किया जाता है सेहत के लिहाज से दूध बेहद जरूरी माना गया हैं तो वही धार्मिक तौर पर भी दूध को पवित्र और पूजनीय बताया गया हैं कई धार्मिक अनुष्ठान व पूजा पाठ में दूध का इस्तेमाल किया जाता हैं
ज्योतिषशास्त्र में दूध के कई ऐसे उपाय व टोटके बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति हर समस्या से निजात पा सकता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा दूध के अचूक व असरदार उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
दूध के आसान उपाय-
अगर आपको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा हैं या फिर धन की बचत नहीं हो पा रही हैं तो ऐसे में आप रविवार की रात एक गिलास दूध अपने सिर के पास रखकर सोएं। इसके बाद अगले दिन सुबह उठकर बिना कुछ कहेइस दूध को बबूल के पेड़ की जड़ में चढ़ा दें। ऐसा हर रविवार करने से आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिल जाता हैं और करियर व कारोबार में तरक्की मिलती हैं।
अगर आपकी कुंडली में राहु दोष है जिसके कारण अशुभ परिणाम झेलना पड़ रहा हैं तो ऐसे में सांप को दूध पिलाएं। इसके साथ ही दूध में काले तिल मिलाकर शिव जी को अर्पित करें ऐसा करने से संकट टल जाता है। अगर आप मानसिक रूप से परेशान रहते हैं या फिर जीवन में तनाव अधिक हैं तो ऐसे में आप चंद्र देव को दूध अर्पित करें ऐसा करने से जीवन में शांति आती हैं।
हर गुरुवार को करें ये पाठ, चमक उठेगी किस्मत
11 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बृहस्पतिवार के दिन श्री बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का पाठ करने से देव गुरु बृहस्पति प्रसन्न रहते हैं. बृहस्पतिवार का दिन देव गुरु बृहस्पति और प्रभु श्री विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है.
जब आपकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, तो मांगलिक कार्यों की तरफ झुकाव बढ़ता है. विवाह के लिए भी बृहस्पति ग्रह को कारक माना जाता है. जब भी आप बृहस्पति चालीसा का पाठ करें तो उससे पहले बृहस्पति देव की पूजा विधि विधान से कर लें.
श्री बृहस्पति देव चालीसा:-
दोहा
प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खान।
श्री गणेश शारद सहित, बसों ह्रदय में आन॥
अज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्वामी सुजान।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ तुम हो कृपा निधान॥
चौपाई
जय नारायण जय निखिलेशवर। विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर॥
यंत्र-मंत्र विज्ञानं के ज्ञाता।भारत भू के प्रेम प्रेनता॥
जब जब हुई धरम की हानि। सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी॥
सच्चिदानंद गुरु के प्यारे। सिद्धाश्रम से आप पधारे॥
उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा। ओय करन धरम की रक्षा॥
अबकी बार आपकी बारी। त्राहि त्राहि है धरा पुकारी॥
मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा। मुल्तानचंद पिता कर नामा॥
शेषशायी सपने में आये। माता को दर्शन दिखलाए॥
रुपादेवि मातु अति धार्मिक। जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख॥
जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की। पूजा करते आराधक की॥
जन्म वृतन्त सुनायए नवीना। मंत्र नारायण नाम करि दीना॥
नाम नारायण भव भय हारी। सिद्ध योगी मानव तन धारी॥
ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित। आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित॥
एक बार संग सखा भवन में। करि स्नान लगे चिन्तन में॥
चिन्तन करत समाधि लागी। सुध-बुध हीन भये अनुरागी॥
पूर्ण करि संसार की रीती। शंकर जैसे बने गृहस्थी॥
अदभुत संगम प्रभु माया का। अवलोकन है विधि छाया का॥
युग-युग से भव बंधन रीती। जंहा नारायण वाही भगवती॥
सांसारिक मन हुए अति ग्लानी। तब हिमगिरी गमन की ठानी॥
अठारह वर्ष हिमालय घूमे। सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें॥
त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन। करम भूमि आए नारायण॥
धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी। जय गुरुदेव साधना पूंजी॥
सर्व धर्महित शिविर पुरोधा। कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा॥
ह्रदय विशाल शास्त्र भण्डारा। भारत का भौतिक उजियारा॥
एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता। सीधी साधक विश्व विजेता॥
प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता। भूत-भविष्य के आप विधाता॥
आयुर्वेद ज्योतिष के सागर। षोडश कला युक्त परमेश्वर॥
रतन पारखी विघन हरंता। सन्यासी अनन्यतम संता॥
अदभुत चमत्कार दिखलाया। पारद का शिवलिंग बनाया॥
वेद पुराण शास्त्र सब गाते। पारेश्वर दुर्लभ कहलाते॥
पूजा कर नित ध्यान लगावे। वो नर सिद्धाश्रम में जावे॥
चारो वेद कंठ में धारे। पूजनीय जन-जन के प्यारे॥
चिन्तन करत मंत्र जब गाएं। विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं॥
मंत्र नमो नारायण सांचा। ध्यानत भागत भूत-पिशाचा॥
प्रातः कल करहि निखिलायन। मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन॥
निर्मल मन से जो भी ध्यावे। रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे॥
पथ करही नित जो चालीसा। शांति प्रदान करहि योगिसा॥
अष्टोत्तर शत पाठ करत जो। सर्व सिद्धिया पावत जन सो॥
श्री गुरु चरण की धारा। सिद्धाश्रम साधक परिवारा॥
जय-जय-जय आनंद के स्वामी। बारम्बार नमामी नमामी॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 मई 2023)
11 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - कुटुम्ब में तनाव, क्लेश व अशांति, कार्य में व्यवधान, प्रतिष्ठा की हानि होगी।
वृष राशि - इष्ट मित्र से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप, लाभप्रद समय बना रहेगा।
मिथुन राशि - अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी, सफलता के साधन जुटायें, कार्य अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि - मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव, क्लेश व हानि संभावित है, धैर्य से कार्य करें।
सिंह राशि - समय नष्ट होगा, व्यवसायिक गति मंद होगी, असमंजस की स्थिति से बचकर चलें।
कन्या राशि - आर्थिक योजना सफल होगी, व्यवसायिक क्षमता अवश्य अनुकूल होगी।
तुला राशि - धन का व्यय तथा आलस्य से हानि, मानसिक उद्विघ्नता, धैर्य के साथ आगे बढ़ें।
वृश्चिक राशि - स्त्री वर्ग से क्लेश व हानि, विघटनकारी तत्व आपको परेशान कर सकते हैं।
धनु राशि - कुटुम्ब की समस्या सुलझेगी, धन का व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण की स्थिति बनेगी।
मकर राशि - अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न होगी, कार्य में व्यवधान से हानि, कार्यगति मंद होगी।
कुंभ राशि - दैनिक कार्यगति में सुधार, चिन्ता कम होगी, सफलता के साधन जुटायेंगे।
मीन राशि - मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति अनुकूल होगी, समय का ध्यान रखें।