धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
इस विधि से दीपक जलाएंगें तो पल में पूरी होगी मनोकामना
16 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में दीपक जलाने का विशेष महत्व है। हर पूजा और शुभ कार्य में अग्निदेव की पूजा की जाती है। इसलिए बिना दीपक जलाए कोई भी पूजा पूरी नहीं होती है। दीपक जलाने से घर में सुख, शांति और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपक जलाने के कुछ नियम होते हैं। अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाए तो इससे जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। तो आइए जानते हैं कि आपको अपने घर के मंदिर में दीपक जलाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपसे कोई गलती न हो।
दीपक को कहाँ और किस दिशा में रखना चाहिए?
पूजा करते समय हमेशा भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक रखना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पूजा के समय तेल का दीपक हमेशा दाहिनी ओर और घी का दीपक हमेशा बाईं ओर रखना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंदिर में दीपक जलाते समय हमेशा उसकी दिशा का ध्यान रखना चाहिए। अगर आप गलत दिशा में दीपक जलाते हैं तो आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दीपक की दिशा हमेशा पश्चिम दिशा में रखें। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
विक के भी नियम हैं
दीपक जलाते समय बाती का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर बाती को गलत तरीके से लगाया जाए तो यह आपको नुकसान भी पहुंचा सकती है। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि तेल का दीपक जलाने के लिए हमेशा लाल रंग की मोली बत्ती का ही प्रयोग करें। वहीं दूसरी ओर अगर आप घी की बत्ती का दीपक जला रहे हैं तो रुई की बत्ती का इस्तेमाल करें। दीपक को तोड़ने के लिए हमेशा सावधान रहें। ऐसा माना जाता है कि टूटे हुए दीपक के इस्तेमाल से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। ऐसा दीपक लगाने से मां लक्ष्मी नाराज होती हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन करें ये उपाय, करियर कारोबार में मिलेगी खूब तरक्की
16 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि को बेहद ही खास माना जाता हैं अभी ज्येष्ठ का पावन महीना चल रहा हैं जो हिंदू पंचांग का तीसरा महीना होता हैं और इस महीने पड़ने वाली अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या के नाम से जाना जाता हैं जो कि इस बार 19 मई को पड़ रही हैं इस बार की ज्येष्ठ अमावस्या बेहद ही खास हैं क्योंकि इसी दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी किया जाएगा।
अमावस्या के दिन को स्नान दान व पूजा पाठ के लिए उत्तम माना जाता हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर अमावस्या के दिन कुछ आसान से उपायों को किया जाए तो कारोबार व करियर में मनचाही तरक्की मिलती हैं और समस्याओं का समाधान हो जाता हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कुछ उपाय बता रहे हैं जिन्हें ज्येष्ठ अमावस्या पर करना उत्तम रहेगा।
ज्येष्ठ अमावस्या पर करें ये काम-
ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पितरों को समर्पित होती हैं और इस तिथि के देवता पितृगण माने जाते हैं ऐसे में इस दिन जल में काले तिल, गंगाजल, चीनी और सफेद पुष्प डालकर तप्रण करें इस दौरान 'ॐ पितृभ्य: नम:' इस मंत्र का जाप करें मान्यता है कि ऐसा करने से सात पीढ़ियों के पापों का नाश हो जाता हैं। वही इसके अलावा आप इस दिन शाम के वक्त घर के ईशान कोण में एक घी का दीपक जरूर जलाएं। इससे माता लक्ष्मी का घर में वास होता हैं और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा मिल जाता हैं।
अमावस्या तिथि पर शाम के वक्त काले कुत्ते को सरसों तेल में चुपड़ी रोटी खिलाना भी शुभ माना जाता हैं मान्यता है कि ऐसा करने से शनि और केतु के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं साथ ही शनि कृपा जातक पर बसरती हैं जिससे सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं साथ ही साथ करियर व कारोबार में भी तरक्की होती हैं। अमावस्या पर आप काले कुत्ते की सेवा कर सकते हैं इससे बहुत लाभ मिलता हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 मई 2023)
16 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक रहेगा, कार्यगति में सुधार, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें कष्टप्रद रखें, शरीर कष्ट, करोबार में बाधा बनेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होगा, स्त्री से सुख प्राप्त होगा।
कर्क राशि :- सोचे कार्य समय पर पूर्ण होंगे, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि होगी।
सिंह राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, सुख-शांति से समय व्यतीत होगा।
कन्या राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य बनेंगे, ध्यान दें।
तुला राशि :- योजना पूर्ण होगी, सतर्कता से कार्य निपटा लेवें, रुके कार्य बन ही जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्तायें कम होंगी, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य मिलेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम, भावनायें संवेदनशील रहेंगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव व क्लेश, मानसिक अशांति, कार्य अवरोध होगा।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें किन्तु आपके हाथ से कुछ नया कार्य अवश्य होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम होगा, ध्यान रखें।
कई रंगों के होते हैं 'सुच्चे मोती', देते हैं मनचाहे लाभ
15 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सर्वप्रथम तो यह जान लीजिए कि मोती खनिज नहीं, बल्कि जैविक रत्न होता है और इसका निर्माण समुद्र के गर्भ में, एक विशेष प्रकार के जीव,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
सर्वप्रथम तो यह जान लीजिए कि मोती खनिज नहीं, बल्कि जैविक रत्न होता है और इसका निर्माण समुद्र के गर्भ में, एक विशेष प्रकार के जीव, जिसे 'घोंघा' कहते हैं, के द्वारा किया जाता है। घोंघा सीप के अंदर रहता है। मोती के विषय में कहा जाता है कि स्वाति नक्षत्र में वर्षा की बूंद जब सीप के खुले मुंह में पड़ती है, तब मोती का जन्म होता है लेकिन वैज्ञानिक धारणा यह है कि जब कोई विजातीय कण सीप के भीतर प्रविष्ट हो जाता है तो घोंघा उस पर अपने शरीर से निकलने वाले मुक्ता-पदार्थ का आवरण चढ़ाना शुरू कर देता है और इस प्रकार धीरे-धीरे वह कण मोती का रूप धारण कर लेता है।
सौम्या, नीरज, मुक्ता, मुक्ताफल, मैक्तिक, शुक्तिज, शौक्तिकेय, शशि रत्न तथा शशि प्रिय, ये सब नाम मोती के बताए जाते हैं। अंग्रेजी में इसे 'पर्ल' कहते हैं। मोतियों की बीस जातियां हैं : जरठ, अतिसांव, मत्स्याल, शुक्ति, कृशा, आवृता, जब्बा, छाबना, लहा, शिदूल, प्राप्त, तान, चौंच, सुन्ना, कागा, लवा, मसा, रिक्ता, वियाता आदि।
मोती सफेद, काला, पीला, लाल और आसमानी रंग का होता है। यह चंद्रमा का प्रतीक है और दक्षिण भारत में मद्रास दरभंगा खाड़ी, फारस की खाड़ी, सिंहल द्वीप (श्री लंका), वेनेजुएला (दक्षिण अमरीका), चूना खाड़ी (बंगाल) और आस्ट्रेलिया में मिलता है।
फारस की खाड़ी में उत्पन्न होने वाला मोती 'बसरे का मोती' कहलाता है, जो सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। प्रसिद्ध रत्न पारखी एवं ज्योतिषि श्री रत्न चंद धीर के अनुसार, मोती सात अन्य स्थानों पर भी पैदा होता है। उनका विवरण यूं है।
गजमुक्ता : हाथियों में एक नर कुंजर हाथी होता है और उसका मस्तक रात को भी चमकता है। यह मोती उससे मिलता है। राजस्थान के एक राजघराने में गजमुक्ता मोतियों की माला है, जिसे पहन लेने से बिजली जलाने की आवश्यकता महसूस नहीं होती।
शंखमुक्ता : यह मोती पंचजन्य शंख में पाया जाता है। इसे धारण करने से मनुष्य धनी हो जाता है।
सर्पमुक्ता : वासुकी जाति का भूजंग नाग, जिसका रंग सफेद या काला होता है, जब आयु के सौ वर्ष पार करता है, तब मणि के रूप में यह मोती उसके सिर में आ जाता है। यह मोती कामधेनु कहलाता है।
शुकर मुक्ता : शूकर जाति में एक ऐसा शूकर होता है जो यौवन काल में पागल हो जाता है। वह अपना सिर चारों ओर पटकता है और उसका सिर लहूलुहान हो जाता है। यह मोती उसके मस्तक से प्राप्त होता है। यह वाक् सिद्धि के लिए श्रेष्ठ है। बीरबल के पास शूकर मुक्ताओं की माला थी, जिसके कारण वह कभी वाक् शक्ति में पराजित नहीं हुए।
वंशमुक्ता : जिस वन में बांसों के झुंड होते हैं, श्रवण, स्वाति और पुण्य नक्षत्र में इस बांस से बांसुरी जैसी ध्वनि निकलती है, जो नक्षत्र के आरंभ से समाप्ति तक रहती है। इस बीच पारखी इस बांस को काट लेते हैं। उसी बांस की गांठ में हरे रंग का वंश मुक्ता मोती होता है। इसके पहनने से सुंदरता को चार चांद लग जाते हैं।
आकाश मुक्ता : पुण्य नक्षत्र में यदि खूब वर्षा हो, तो यह मोती आकाश से गिरता है। सागर में, रेत में, जंगल में भी यह मोती गिरता है। इसका रंग सफेद और काला होता है। ऐसा माना जाता है कि इसके पहनने से हर प्रकार का शारीरिक रोग ठीक हो जाता है।
मीन मुक्ता : यह मोती मछली के अंदर से प्राप्त होता है। इस मछली का आकार बड़ा होता है और पंख सुनहरा होता है। मोती रंग में पीला होता है। इसकी अंगूठी पहन कर अंधेरे में सब कुछ देखा जा सकता है।
मेष मुक्ता : रविवार को पुण्य नक्षत्र हो या श्रवण नक्षत्र, वर्षा में यह आकाश से गिरता है। इस मोती का रंग सफेद होता है। इसके पहनने से प्रतिष्ठा बढ़ती है और पेट के रोग नहीं होते।
सीप मुक्ता : यह मोती सीपियों से मिलता है। ज्योतिषी चंद्र ग्रह में इसी मोती को पहनने का परामर्श देते हैं।
जानिए चंदन से जुड़े धार्मिक लाभ और अलग-अलग चंदन का क्या होता है महत्व
15 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंदन का सिर्फ आयुर्वेद में ही नहीं बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। किसी भी देवी-देवता की पूजा बिना चन्दन के सम्पन्न नहीं होती है। पूजा के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले चंदन कई प्रकार के हाते हैं जैसे लाल चंदन, पीला चंदन, सफेद चंदन, हरि चंदन, गोपी चंदन आदि।
चंदन का प्रयोग श्रीहरि विष्णु को तिलक लगाने से लेकर उनके मंत्रों का जाप करने के लिए इसकी माला का प्रयोग किया जाता है। चंदन सिर्फ आपकी आस्था से ही नहीं बल्कि आपकी मनोकामनाओं से भी जुड़ा होता है। आइए जानते हैं अलग-अलग चन्दन को लगाने का क्या महत्व होता है।
सफेद चन्दन का महत्व
मान्यता है कि गले में सफेद चंदन की माला को धारण करने से श्रीहरि विष्णु की कृपा बनी रहती है और साधक को मानसिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
चंदन की माला की तरह चंदन का तिलक भी शुभता लिए होता है। मान्यता है कि श्रीराम, श्रीकृष्ण और शिवजी की पूजा में चंदन का तिलक अर्पण करने के बाद उसे प्रसाद स्वरूप माथे पर लगाने से सभी पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। माथे पर लगा तिलक सभी आपदाओं से बचाता हुआ सुख-सौभाग्य का कारक बनता है।
सफेद चंदन की माला से महासरस्वती, महालक्ष्मी मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का जप करना विशेष शुभफलप्रद होता है।
लाल चन्दन
ज्योतिष के अनुसार शक्ति की साधना में चंदन की लड़की का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। मान्यता है कि लाल चंदन की माला से देवी दुर्गा के लिए किया जाने वाला मंत्र जप न सिर्फ उनसे मनचाहा वरदान दिलाता है बल्कि पूजा के इस उपाय से मंगल ग्रह से जुड़ा मंगल दोष भी दूर होता है।
प्रतिदिन प्रात:काल तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें लाल चन्दन, लाल फूल एवं चावल डालकर प्रसन्न मन से सूर्य मंत्र का जाप करते हुए भगवान सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्यदान से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य आयु, आरोग्य, धन, धान्य, पुत्र, मित्र, तेज, यश, विद्या, वैभव और सौभाग्य को प्रदान करते हैं।
गोपी चन्दन
स्कंद पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को अधिकतर गोपी चन्दन अर्पित किया जाता है और फिर भक्त अपने माथे पर इसे लगते हैं। इस तिलक को धारण करने वाले को समस्त तीर्थ स्थानों में दान देने तथा व्रत पालन करने का फल मिलता है। मान्यता है कि प्रतिदिन गोपी-चंदन से तिलक धारण करने वाला पापी मनुष्य भी भगवान कृष्ण के धाम, गोलोक वृन्दावन को प्राप्त होता है।
हरि चन्दन
शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु और उनके अवतारों को हरि चन्दन का तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर लगाएं। ऐसा करने से आपका मन और दिमाग दोनों शांत रहेंगे। इसके साथ ही व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ-साथ मान-सम्मान की भी प्राप्ति होगी। हरि चन्दन तुलसी की शाखाओं और जड़ से तैयार किया जाता है। इसको धारण करने से मनुष्य के रोग और शोक दूर होकर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
इन 5 कामों को करने से शनिदेव हो सकते हैं नाराज, बिगड़ने लगते हैं सारे काम
15 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शनिदेव को ज्योतिष में न्याय का देवता माना गया है और इसके अलावा शनिदेव के बारे में मान्यता है कि यह व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर शुभ-अशुभ फल प्रदान करते हैं। शनिदेव की शुभ द्दष्टि जिस किसी पर पड़ जाती है वह व्यक्ति को मालामाल कर देते हैं, वहीं शनिदेव की अशुभ छाया पड़ने से व्यक्ति राजा से रंक भी बन जाता है। शास्त्रों में शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं जिसको करने से व्यक्ति के ऊपर शनि का अशुभ प्रभाव कम हो जाता है। शास्त्रों में शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं।
बाथरूम में गंदगी का होना
अक्सर हम घर के हर हिस्से की साफ-सफाई का विशेष ध्यान देते हैं लेकिन बाथरूम की सफाई का उतना महत्व नहीं देते जितना रखना चाहिए। जिन घरों में बाथरूम में गंदगी पड़ी रहती है वहां पर शनिदेव नाराज रहते हैं। ऐसे में शनिदेव की अशुभ छाया पड़ने से बचने के लिए हमेशा बाथरूम को साफ रखना चाहिए।
किचन में जूठे बर्तन
रात में खाना खाने के बाद अक्सर कई लोगों की आदत होती है कि जूठे बर्तन का ढ़ेर लगाकर रख देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में किचन में जूठे बर्तन रखने से घर पर नकारात्मक ऊर्जाओं का वास होता है। साथ ही शनिदेव की अशुभ छाया भी अक्सर बनी रहती है। इसलिए किचन में कभी भी जूठे बर्तन नहीं रखना चाहिए।
पैरों को हिलाना
कई लोगों की आदत होती है वे जब भी बैठते हैं तो पैर हिलाने लगते हैं। ज्योतिष में पैरों को लगातार हिलाने को अशुभ माना जाता है। इस बुरी आदत से भी शनिदेव नाराज हो जाते हैं।
पैर जमीन पर घसीटते हुए चलना
कुछ लोगों की यह आदत होती है कि वे जब भी चलते हैं तो लगातार अपने पैरों को जमीन पर घसीटते हुए चलते हैं। इस आदत को बुरा माना जाता है। इससे शनिदेव की अशुभ छाया पड़ती है जिससे व्यक्ति को कार्यो में लगातार असफलताएं मिलती है और आर्थिक तंगी का शिकार होना पड़ता है।
भारत में इन 4 मंदिरों में प्रेमियों की हर मुराद होती है पूरी, जानें क्या है मान्यता
15 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विवाह एक ऐसा बंधन है जो दो लोगों को जीवनभर के लिए प्यार के रिश्ते में बांध देता है. दुनिया में विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रथा है. ऐसी मान्यता है कि ये रिश्ते स्वर्ग से बनकर आते हैं. लेकिन कुछ लोगों के लिए यह रास्ता बेहद कठिन हो जाता है. ऐसे में लोग मंदिरों का सहारा लेते हैं, क्योंकि लोग अक्सर जिससे प्यार करते हैं, शादी उसी से रचाने की चाह रखते हैं. आज आपके लिए हमने चार मंदिरों की एक लिस्ट तैयार की है, जो भारत में प्रेम विवाह करने वाले लोगों के लिए लोकप्रिय हैं. आइए इन मंदिरों के बारे में जानें...
श्री मंगलेश्वर मंदिर
यह मंदिर तिरुचिरापल्ली जिले के त्रिची बस स्टैंड से लगभग 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लालगुडी गांव के आसपास के क्षेत्र में स्थित है. कहा जाता है कि यह मंदिर खास कर लव मैरिज की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर उत्तरा नक्षत्र के तहत पैदा होने वाली अविवाहित महिलाओं पर अपनी कृपा बरसाती है. इस मंदिर में दर्शन मात्र से विवाह में हो रही अनुचित देरी जैसे मामले सुलझाए जाते हैं. खास तौर पर आप यहां 'मंगल्या महर्षि' नाम के एक ऋषि का दर्शन पा सकते हैं, जो उत्तरा नक्षत्र में ही पैदा हुए थे. वे सभी देवताओं के गुरु हैं, जो विवाह के समय का निर्णय करते हैं. वह जोड़े को अक्षत के साथ आशीर्वाद देते हैं.
श्री कल्याणसुंदरेश्वर मंदिर
श्री कल्याणसुंदरेश्वर मंदिर, नागपट्टिनम जिले में थिरुमानंचेरी नामक स्थान पर कोकिलाम्बिका समीथा में स्थित है. यह मंदिर विवाह संबंधी दोषों को प्रभावी ढंग से दूर करने के लिए प्रसिद्ध है. थिरुमानम और चेरी तमिल शब्द है. जिसका शाब्दिक अर्थ है 'विवाह' और 'गांव'. स्थानीय लोगों के अनुसार, यह वही स्थान है, जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह रचाया था. ऐसा कहा जाता है कि देवी पार्वती को श्राप मिला था. फिर पार्वती का ऋषि भरत मुनि के आश्रम में एक इंसान के रूप में पृथ्वी पर जन्म हुआ. बाद में भरत मुनि ने भगवान शिव से अपनी बेटी की शादी करने का अनुरोध किया. भगवान शिव ने इसे स्वीकार कर लिया. बाद में इसी मंदिर में इनकी शादी संपन्न हुई. इस मंदिर में भगवान शिव और पार्वती एक दूसरे के हाथ थामे मुद्रा में खड़े हैं. यहां पार्वती के झुके सिर उनके शर्मीलेपन का संकेत देती है.
श्री सिष्ट गुरु नाथेश्वर मंदिर
यह मंदिर भी जोड़ों को विवाह का वरदान देने के लिए प्रसिद्ध है. यह मंदिर कुड्डालोर जिले के तिरुथलूर में स्थित है. बता दें कि भगवान के शिवलिंग को यहां कई नामों से पुकारा जाता है. जैसे- सिष्ट गुरु नाथेश्वरर या थावा नेरी आलुदयार आदि, तो वहीं देवी को पूंगकोढाई या शिवलोक नायकी नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में गुरु दक्षिणामूर्ति के लिए एक गर्भगृह है। यहां विवाह संबंधी दोषों को दूर करने के लिए दैनिक आधार पर उनकी और भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। यहां सात सप्ताह तक भक्तों को घी के दीप जलाकर बिल्वपत्र और फूलों से अर्चना करनी होती है.
श्री वेदपुरेश्वर मंदिर
श्री वेदपुरेश्वर मंदिर, तिरुवेधिकुडी में तिरुवयारु के पास मंगैयारकरसी समथा में स्थित है. यहां भगवान शिव विराजमान हैं. मान्यता है कि यहां लिंग स्वयं प्रकट हुए थे. खास बात यह है कि इस पर कुछ ही दिन सूर्य की किरणें पड़ती हैं यानी कि हर साल केवल मार्च और अप्रैल के महीने में. इस मंदिर की शासक देवी मंगैयारकारसी हैं. जिसका शाब्दिक अर्थ है- महिलाओं के बीच राजकुमारी, जहां मंगयार- महिला और अरसी- रानी). ऐसी मान्यता है कि यहां मनचाहे वर से विवाह रचाने के लिए महिलाओं को देवी पर चंदन का लेप के साथ साड़ी और थाली अर्पित करना जरूरी होता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (15 मई 2023)
15 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- साधन-सम्पन्नता के योग फलप्रद हों, आर्थिक योजना अवश्य सफल होगी।
वृष राशि :- अपने किये पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बेचैनी, क्लेश तथा अशांति होगी।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- दैनिक कार्य में सफलता, स्त्री से सुख, इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, ध्यान दें।
सिंह राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, हानि, भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी, ध्यान रखें।
कन्या राशि :- धन प्राप्ति, आशानुकूल सफलता में वृद्धि, बिगड़ी कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों से कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
धनु राशि :- कार्ययोजना पूर्ण होगी, बड़े-बड़े लोगों में मेल-मिलाप अवश्य होगी, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, स्थिति में सुधार तथा चिन्ता कम होगी, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- आर्थिक योजनापूर्ण होगी, शरीर-कष्ट, मानसिक-बेचैनी, कार्य रुकेंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति में बाधा, चिन्ता उद्विघ्नता, धन का व्यय होगा, विवाद से बचें।
पैर में काला धागा बांधने से नजर और नकारात्मक ऊर्जा से होने वाले लाभ और सावधानियाँ....
14 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिन बच्चों को बार-बार बुरी नजर लगती है उसके पैरों में काला धागा बांधा जाता है जो उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से बचाए रखता है। पैर में काला धागा पहनने का अलग महत्व है। पर इसे पहनते समय कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि काला धागा पहनने पर सभी लोगों को एक जैसे परिणाम नहीं मिलते। काले धागे को बांधने के लाभ और सावधानियां।
शनि ग्रह से है संबंध
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, काले धागे का संबंध शनि ग्रह से बताया गया है। माना जाता है कि पैर में काला धागा बांधने से शनि देव आपकी रक्षा करते हैं। जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है।
पैसों की तंगी होगी दूर
पैर के अंगूठे में काला धागा पहनना ज्यादा अच्छा समझा जाता है। इससे स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। पैर में काला धागा पहनने से छाया ग्रह राहु और केतु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है। इससे पैसों की तंगी भी दूर होती है।
इन राशियों को नहीं पहनना चाहिए काला धागा
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष और वृश्चिक राशि वालों को काला धागा नहीं बांधना चाहिए। इन दोनों राशियों के स्वामी मंगल देव हैं, जिनका रंग लाल है। मान्यता है कि मंगल का काले रंग से बैर है। ऐसे में इन राशि के लोगों को काला धागा बांधने के दुष्प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं।
कुछ सावधानियां भी जरूरी
शास्त्रों के अनुसार, मंगलवार के दिन पैर में काला धागा पहनने से शनि देव की कृपा आप पर बनी रहती है। बाजार से काला धागा लाकर बांधने की जगह भैरव नाथ मंदिर से धागा लाकर बांधना चाहिए। इससे उसका लाभ कई गुना बढ़ जाता है। काले धागे को चारों ओर गांठ लगाकर ही पहनना चाहिए। धागा पहनते समय गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे पवित्रता बनी रहती है। महिलाएं गायत्री मंत्र का जाप करने से बचें।
कब से शुरू हो रहें पितृपक्ष, जानिए सही तारीख
14 May, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कुछ ऐसे दिन और महीने होते हैं जो पितरों यानी पूर्वजों को समर्पित होते हैं और इसके देवता पूर्वजों को भी माना जाता हैं। इस दौरान किसी भी तरह को शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता हैं लेकिन इसमें पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण व पिंडदान करना उत्तम माना जाता हैं।
पितरों को समर्पित महीने को पितृपक्ष के नाम से जाना जाता हैं। पितृपक्ष का महीना भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आरंभ हो जाता है और अश्विन मास की अमावस्या पर समाप्त हो जाता हैं। इस महीने में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म और पिंडदान करना उत्तम माना जाता हैं।
मान्यता हैं कि श्राद्ध कर्म करके पितरों का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता हैं। पितृपक्ष के दौरान जो लोग पितरों के निमित्त श्राद्ध व पिंडदान करते हैं उन पर सैदव पूर्वजों की कृपा रहती हैं जिससे सुख समृद्धि व तरक्की होती हैं लेकिन अगर पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती हैं तो इससे जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं साथ ही साथ परिवार में क्लेश, आर्थिक तंगी, तरक्की में बाधा और वंश वृद्धि में परेशानी होती हैं। ऐसे में अगर आप भी पूर्वजों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो इसके लिए पितृपक्ष के दिन बेहद खास हैं तो आज हम आपके इसके आरंभ और समापन की तिथि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू धर्म में श्राद्ध बहुत महत्वपूर्ण होता हैं इन दिनों में व्यक्ति अपने पूर्वजों को याद करते हैं साथ ही उनका अभार भी प्रकट करते हैं मान्यता हैं कि अगर पूर्वज तृप्त होते हैं तो उनका आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता हैं जिससे परिवार में सुख शांति व समृद्धि बनी रहती हैं इस बार पितृपक्ष का आरंभ 29 सिंतबर से हो रहा हैं जो कि 14 अक्टूबर दिन शनिवार यानी की सर्व पितृ अमावस्या पर समाप्त हो जाएगा।
घर में चाहते हैं बरकत तो इन बातों का रखें खास ध्यान
14 May, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई अपने जीवन में सुख शांति और धन प्राप्ति की इच्छा रखता हैं इसके लिए लोग प्रयास भी करते हैं लेकिन फिर भी अगर उन्हें मनचाहा लाभ नहीं मिलता हैं तो ऐसे में व्यक्ति निराश और परेशान हो जाता हैं।
अगर आपको भी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं या फिर घर की बरकत रुक गई हैं तो ऐसे में आप कुद बातों का ध्यान रखकर माता लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं मान्यता है कि इन पर धन की देवी की कृपा रहती हैं उन्हें घर में हमेशा ही बरकत बनी रहती हैं और धन की कमी नहीं होती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख में घर की बरकत से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
घर की बरकत के नियम-
अगर आप घर में बरकत चाहते हैं तो जब भी घर से बाहर जाए तो खाली हाथ कभी ना लौटे बल्कि घर के बुजुर्ग और बच्चों के लिए कुछ न कुछ जरूर लेकर आए। ऐसा करने से धन की देवी प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा भक्तों पर बरसाती हैं इसके अलावा घर से अगर कोई बाहर जा रहा हैं तो उसके जाते ही घर में कभी भी झाड़ू नहीं लगाना चाहिए।
ऐसा करने से दरिद्रता का वास होता हैं और कार्यों में कई तरह की बताएं भी आती हैं। धन लाभ पाने के लिए रोजाना घर में कपूर और लौंग जलाकर धुनी जरूर करें ऐसा करने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पूरे परिवार को मिलता हैं और रोग दोष भी दूर हो जाता हैं।
केवट कौन थे? क्यों मनाई जाती है केवट जयंती? क्या करते हैं इस दिन?
14 May, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के निषाद समाज, केवट समाज और मछुआरा समाज के लिए केवट जयंती मनाते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार 15 मई को है केवट जयंती।
इस दिन को हर राज्य में अलग अलग तरह से वहां की परंपरा के हिसाब से मनाया जाता है। यह केवट कौन थे? क्यों मनाई जाती है इनकी जयंती और क्या कहते हैं इस दिन।
कौन थे केवट?
गुहराज निषादजी ने अपनी नाव में प्रभु श्रीराम को गंगा के उस पार उतारा था। वे केवट थे अर्थात नाव खेने वाले। निषादराज गुह मछुआरों और नाविकों के मुखिया थे। श्रीराम को जब वनवास हुआ तो वे सबसे पहले तमसा नदी पहुंचे, जो अयोध्या से 20 किमी दूर है। इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज (इलाहाबाद) से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था।
क्यों मनाई जाती है केवट जयंती?
पंचांग भेद से चैत्र शुक्ल पंचमी, वैशाख कृष्ण चतुर्थी, बैशाख कृष्ण अष्टमी और ज्येष्ठ कृष्ण एादशी के दिन केवट समाज गुहराज निषादजी की जयंती मनाता है।
क्या करते हैं इस दिन?
यह जयंती बड़े ही धूप धाम से मनाई जाती है।
इस दिन चल समारोह भी निकाला जाता है।
इस दिन केवट समाज श्रीराम के साथ ही गुहराज निषादजी की पूजा करता है।
निषादराज केवट का वर्णन रामायण के अयोध्याकाण्ड में किया गया है।
मागी नाव न केवटु आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना॥
चरन कमल रज कहुं सबु कहई। मानुष करनि मूरि कछु अहई॥
श्रीराम ने केवट से नाव मांगी, पर वह लाता नहीं है। वह कहने लगा- मैंने तुम्हारा मर्म जान लिया। तुम्हारे चरण कमलों की धूल के लिए सब लोग कहते हैं कि वह मनुष्य बना देने वाली कोई जड़ी है। वह कहता है कि पहले पांव धुलवाओ, फिर नाव पर चढ़ाऊंगा।
प्रभु श्रीराम ने नाव उतराई के लिए केवटी जो अंगुठी देना चाहिए परंतु उन्होंने इनकार कर दिया और चरण पकड़कर कहा कि जिस तरह मैंने आज आपको इस पार उतारा है आप भी मुझे इस भवसागर के उस पार उतार देना प्रभु।
अपरा एकादशी पर करें ये आसान उपाय, पूरी होगी हर मनोकामना
14 May, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत पड़ते हैं लेकिन इन सभी में एकादशी का व्रत बेहद ही खास होता हैं जो हर माह की एकादशी तिथि पर किया जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी की तिथि भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक हैं और एकादशी का व्रत जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता हैं।
इस दिन भक्त उपवास रखकर भगवान की विधिवत पूजा करते हैं मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ से श्री हरि की कृपा बरसती हैं लेकिन इसी के साथ ही एकादशी के दिन अगर कुछ विशेष उपायों व कार्यों को पूरी श्रृद्धा भाव से किया जाए तो प्रभी अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं तो आज हम आपको अपरा एकादशी के दिन किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
धार्मिक पंचांग के अनुसार अपरा एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता हैं जो कि इस बार 15 मई दिन सोमवार को पड़ रही हैं इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं और सभी प्रकार के कष्टों व दुखों का भी अंत हो जाता हैं।
एकादशी पर करें ये उपाय-
आपको बता दें कि एकादशी के दिन उपवास रखते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संग में पूजा जरूर करनी चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और श्री हरि की कृपा बरसती हैं जिससे जीवन के सभी दुखों का अंत हो जाता हैं इसके अलावा अगर आपकी कोई विशेष इच्छा हैं जो पूरी नहीं हुई हैं तो आप एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद विष्णु चालीसा का मन ही मन 11 बार पाठ जरूर करें और अंत में अपनी मनोकामना प्रभु से कहें इस उपाय को करने से हर इच्छा पूरी होती हैं। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी केसर वाली खीर का भोग लगाने से धन समृद्धि का आशीर्वाद मिलता हैं और आर्थिक परेशानियों का अंत हो जाता हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (14 मई 2023)
14 May, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मित्रों से ईष्या रहेगी, सुख का कार्य होगा, व्यवसाय गति उत्तम होगी।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार प्राप्त होगा, धन की प्राप्ति होगी, संवेदनशील होंगे।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति, झगड़े से बचिये, अर्थ-व्यवस्था कुछ अनुकूल अवश्य ही बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य-कुशलता से सहयोग, स्त्री-वर्ग से हर्ष तथा भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी।
सिंह राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, कुटुम्ब की समस्या अवश्य ही सुलझेगी, ध्यान दें।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस व असमर्थता का वातावरण हीनभावना बनायेगा।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल होगा तथा कार्य-व्यवसाय गति अनुकूल अवश्य ही बनेगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, कार्य-कुशलता से अनुकूलता बनेगी।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम होगी, भाग्य साथ देगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही सुधर जायेंगे।
मकर राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थिति में सुधार अवश्य होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री-शरीर सुख, मानसिक बेचैनी से बचिये, कार्यगति अनुकूल अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
तुलसी के चमत्कारी उपाय, जो आर्थिक तंगी से दिलाएंगे छुटकारा....
13 May, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी का बहुत महत्व है। तुलसी को पूजनीय माना गया है। इसे घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है। साथ ही इसके वैज्ञानिक तौर पर भी कई गुण हैं। इसका इस्तेमाल कई बीमारियों में किया जाता है। यह सर्दी-खांसी से लेकर कई बड़ी और भयंकर बीमारियों में भी एक कारगर औषधि है।
आर्थिक तंगी होगी दूर
तुलसी के 11 पत्तों को सुखाकर उस पर सरसों के तेल और नारंगी सिंदूर से राम लिखें। इसकी माला बनाकर हनुमान जी को चढ़ाएं। इस उपाय करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
भगवान विष्णु को अर्पित करें तुलसी
तुलसी के पत्तों को लाल रंग के कपड़े में बांधकर अपने पर्स या अलमारी में रखें। इस उपाय से धन में वृद्धि होती है तथा घर में सुख-समृद्धि आती है। भगवान विष्णु को तुलसी अर्पित करने से धन संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
इस उपाय से दूर होंगे कलेश
अगर आप अपने घर में होने वाले रोज-रोज के कलेश से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ये उपाय आपके काम आ सकता है। तुलसी के 4-5 पत्ते तोड़कर साफ कर लें। इसके बाद उन्हें जल से भरे हुए पीतल के लोटे में डाल दें। इस जल को घर के दरवाजे और अन्य स्थानों पर छिड़क दें। गंगाजल में तुलसी के पत्ते मिलाकर छिड़काव करें। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
तुलसी पर रोज जलाएं घी का दीपक
शाम के समय नियमित रूप से (रविवार को छोड़कर) तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। शुक्रवार के दिन तुलसी के पौधे के पास आटे और घी से बना हुआ दीपक जलाएं। इससे जल्दी धन लाभ प्राप्त होता है।