छेड़खानी केस का आरोपी बना एजी: हरियाणा सरकार के फैसले पर बवाल
चंडीगढ़ : हरियाणा की नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली BJP सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने विकास बराला को सहायक महाधिवक्ता (Assistant Advocate General) नियुक्त किया है। विकास बराला पर एक पूर्व IAS अधिकारी की बेटी का पीछा करने और अपहरण करने की कोशिश करने का आरोप है। महाधिवक्ता (AG) हरियाणा के नेतृत्व वाली एक स्क्रीनिंग कमेटी ने विकास के नाम की सिफारिश की थी। इस कमेटी में कई बड़े अधिकारी शामिल थे।
कौन हैं विकास बराला
विकास बराला, हरियाणा BJP के पूर्व अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे हैं। विकास अब दिल्ली में हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। वे सुप्रीम कोर्ट (SC) जैसे न्यायिक मंचों पर सरकार की पैरवी करेंगे। नियुक्ति का आदेश हरियाणा के गृह सचिव ने 18 जुलाई को जारी किया था। विकास उन सात विधि अधिकारियों में से एक हैं जिन्हें हरियाणा सरकार ने दिल्ली में राज्य के कानूनी सेल के लिए नियुक्त किया है।
96 लॉ ऑफिर्सस की नियुक्ति
कुल मिलाकर, राज्य सरकार ने 96 विधि अधिकारियों को नियुक्त किया है। इनमें अतिरिक्त महाधिवक्ता, वरिष्ठ उप महाधिवक्ता, उप महाधिवक्ता और सहायक महाधिवक्ता जैसे पद शामिल हैं। इन सभी को 18 जुलाई को नियुक्त किया गया था। ये अधिकारी चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और दिल्ली में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे।
विकास बराला केस में सुनवाई 2 अगस्त को
टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने विकास बराला से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। विकास के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चंडीगढ़ की अदालत में चल रहा है। अगली सुनवाई 2 अगस्त को है। फिलहाल, अभियोजन पक्ष के सबूत दर्ज किए जा रहे हैं।
क्या है विकास बराला पर आरोप
शिकायत के अनुसार, 5 अगस्त, 2017 को विकास और उसके दोस्त आशीष ने कथित तौर पर एक IAS अधिकारी की बेटी का पीछा किया था। उन्होंने उस महिला की कार को रोकने की भी कोशिश की थी। लड़की ने चंडीगढ़ पुलिस को फोन किया, जिसके बाद पुलिस ने दोनों युवकों को पकड़ लिया। पुलिस ने उनके खिलाफ IPC की धारा 354D (पीछा करना) और मोटर वाहन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। उस समय विकास के पिता, सुभाष बराला, हरियाणा BJP के अध्यक्ष थे।
इस नियुक्ति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने एक ऐसे व्यक्ति को महत्वपूर्ण पद दिया है जिस पर गंभीर आरोप हैं। वहीं, सरकार का कहना है कि नियुक्ति नियमों के अनुसार की गई है।