ग्रामीण महिलाएं देश की रीढ़ - वे सशक्त तो देश सशक्त

विनीत श्रीवास्तव

संपादक

ग्रामीण महिलाओं की ताकतसंघर्ष और सफलता को प्रेरित करने वाले अनेक पल आज देश में मौजूद हैं। ये पल ग्रामीण महिलाओं के साहसदृढ़ संकल्प और उनके योगदान को सम्मान देते हैं ग्रामीण भारत में निवास करने वाली महिलाओं की प्रगति और सशक्तिकरण की एक से बढ़कर एक प्रेरणादायक सच्ची कहानियां आज मौजूद हैं। पारंपरिक रूप से पिछड़े और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से भरे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अब अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ रही हैं। यह परिवर्तन शिक्षास्वास्थ्यआर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक समानता के क्षेत्रों में अब देखा जा सकता है। सही बात तो यह है कि ग्रामीण महिलाएं देश की रीढ़ हैं। उन्हें सशक्त बनानादेश को सशक्त बनाना है। जिसे आज हम साकार होते हुए देख रहे हैं आज ग्रामीण महिला उद्यमी ग्रामीण क्षेत्रों में रहकर अपने छोटे व्यवसायउद्योग या कौशल के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं। ग्रामीण महिलाएं न केवल अपने परिवार की आय बढानें में मदद कर रही हैंबल्कि समुदाय और देश की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। ग्रामीण महिला उद्यमिता ने हाल के वर्षों में तेजी से विकास किया हैजिसमें सरकारी योजनाओंगैर-सरकारी संगठनों और तकनीकी सहायता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिलाओं की सफलता की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि सही मार्गदर्शन और संसाधनों के साथ ग्रामीण महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और सफलता प्राप्त कर सकती हैं।

दरअसल महिला दिवस हर साल मार्च को मनाया जाता है। अगले अंक (पत्रिका का मार्च के अंक) के प्रकाशन से पहले महिला दिवस निकल चुका होगा इसलिए आज महिलाओं के सम्मान में लिखना तो बनता है यह दिन महिलाओं के सामाजिकआर्थिकसांस्कृतिक और राजनीतिक उपलब्धियों को सम्मान देने और लैंगिक समानता की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए समर्पित है। यह दिन महिलाओं के अधिकारोंसशक्तिकरण और उनके योगदान को मानने का अवसर प्रदान करता है। और फिर हमारा देश तो ग्रामीण क्षेत्रों में निवास कर रही महिलाओं की ओर सफलता के लिए देख रहा है ऐसें में हम आज ग्रामीण महिलाओं के सम्मान की बात नहीं करें तो किसकी बात करें। दरअसल महिला दिवस न केवल एक उत्सव या दिन हैबल्कि यह एक आंदोलन है जो लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करता है । यह दिन हमें याद दिलाता है कि महिलाएं समाज की रीढ़ हैं और उनके बिना विकास असंभव है।

ग्रामीण महिलाओं के बढ़ते कदम को आंकड़ों से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। शिक्षास्वास्थ्यआर्थिक स्वतंत्रताऔर राजनीतिक भागीदारी के क्षेत्रों में उनकी प्रगति ने न केवल उनके जीवन को बेहतर बनाया हैबल्कि पूरे समाज और देश के विकास में योगदान दिया है। यह प्रगति ग्रामीण भारत के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल संकेत है। ग्रामीण महिलाओं के बढ़ते कदम को आंकड़ों के माध्यम से समझना उनकी प्रगति और सशक्तिकरण की स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है। भारत सरकारअंतरराष्ट्रीय संगठनोंऔर विभिन्न शोध संस्थानों द्वारा जारी आंकड़े ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में सुधार और उनकी प्रगति को दर्शाते हैं। यहां कुछ प्रमुख आंकड़े और तथ्य आपके सामने रख रहे हैं

v  राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अनुसार देश में आज 10 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हुई हैं।  

v  वही 2023 तकभारत में लगभग 85 लाख स्वयं सहायता समूह हैंजिनमें अधिकांश सदस्य ग्रामीण महिलाएं हैं। इन समूहों ने 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का ऋण प्राप्त किया हैजिससे उन्हें छोटे व्यवसाय शुरू करने में मदद मिली है।

v  एएसईआर 2022 रिपोर्ट के अनुसारग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल नामांकन दर में वृद्धि हुई हैऔर 15-16 वर्ष की आयु की 90% से अधिक लड़कियां स्कूल में नामांकित हैं।

v  महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत, 55% से अधिक कार्यबल महिलाएं हैंजो ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर रहा है।

v  कौशल विकास मिशन के तहत, 2015 से 2023 के बीच, 50 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को विभिन्न कौशल प्रशिक्षण प्रदान किए गए हैं।

v  राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के अनुसारग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत प्रसव की दर 81% हो गई हैजो महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार को दर्शाता है।

v  आंगनवाड़ी सेवाओं के माध्यम से, 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाएं और बच्चे पोषण सहायता प्राप्त कर रहे हैं।

v  2023 तकमाइक्रोफाइनेंस संस्थानों ने 30 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाओं को छोटे ऋण प्रदान किए हैं।

v  10 लाख से अधिक ग्रामीण महिलाएं अब अपने छोटे व्यवसाय चला रही हैंजैसे कि हस्तशिल्पकृषिऔर डेयरी उत्पादन।

v  जन धन योजना के माध्यम से, 20 करोड़ से अधिक महिलाओं ने बैंक खाते खोले हैंजिससे उनकी वित्तीय समावेशन में वृद्धि हुई है।

ग्रामीण भारत में महिलाओं की प्रगति और सशक्तिकरण की एक प्रेरणादायक कहानी है। पारंपरिक रूप से पिछड़े और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से भरे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अब अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए आगे बढ़ रही हैं। यह परिवर्तन शिक्षास्वास्थ्यआर्थिक स्वतंत्रताऔर सामाजिक समानता के क्षेत्रों में देखा जा सकता है। ग्रामीण महिलाओं के बढ़ते कदम न केवल उनके जीवन को बेहतर बना रहे हैं बल्कि पूरे समाज और देश के विकास में योगदान दे रहे हैं। यह प्रगति ग्रामीण भारत के भविष्य के लिए एक उज्ज्वल संकेत है। ग्रामीण महिला सशक्तिकरण न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए फायदेमंद है। यह ग्रामीण विकास और राष्ट्रीय प्रगति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीण महिला सशक्तिकरण ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सामाजिकआर्थिकऔर राजनीतिक रूप से सशक्त बनाने की प्रक्रिया है। यह उन्हें अपने जीवन के निर्णय लेनेआर्थिक रूप से स्वतंत्र होनेऔर समाज में समान अधिकार प्राप्त करने में सक्षम बनाता है। भारत सरकार और विभिन्न गैर-सरकारी संगठन ने इस दिशा में कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं।

अंत में इतना ही कहूँगा की विकसित ग्रामीण महिलाएंविकसित समाज और विकसित राष्ट्र की नींव हैं। जिसे हमें अब नई नई उच्चाईयों पर देखने की आदत में शामिल कर लेना चाहियें।