धर्म एवं ज्योतिष
26 या 27 अगस्त, कब मनाई जाएगी मथुरा-वृन्दावन में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी? बांके बिहारी मंदिर में तैयारियां शुरू
14 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रीकृष्ण जन्माष्ट्मी का पर्व भारत समेत पूरी दुनिया के कई हिस्सों में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. लेकिन कान्हा की जन्मस्थली मथुरा में इस उत्सव की धूम देखने लायक होती है. मथुरा-वृन्दावन में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. इसके लिए व्यापक सुरक्षा के इंतजाम किये जा रहे हैं. ब्रज में इन दिनों श्रीकृष्ण का 5251 वां जन्मदिन धूमधाम से मनाने के लिए व्यापक तैयारियां चल रही हैं. देशभर में कई भक्त अपने घरों में भी श्रीकृष्ण के जन्मस्थल मथुरा की जन्माष्टमी के अनुसार ही व्रत रखते हैं और कनुआ का जन्मदिन मनाते हैं. आपको बता दें कि इस बार मथुरा-वृंदावन में 2 दिनों तक श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाएगा. अधिकारियों ने बताया कि ब्रज में इन दिनों श्रीकृष्ण का 5251 वां जन्मदिन धूमधाम से मनाने के लिए व्यापक तैयारियां चल रही हैं.
अलग-अलग दिन होगी मथुरा-वृंदावन की जन्माष्टमी
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान सहित सभी प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाया जाएगा. जबकि वृन्दावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी 27 अगस्त की रात्रि में मनाई जाएगी. ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालु दो-दो दिन जन्माष्टमी का आनन्द ले सकेंगे. हर वर्ष भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि की मध्यरात्रि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है. इसके दूसरे दिन नवमी के अवसर पर मंदिरों में नन्दोत्सव (कृष्ण जन्म की खुशी का उत्सव) मनाया जाता है, जिसमें प्रतीकात्मक नन्द बाबा अपने यहां पुत्र जन्म होने के अवसर पर उत्सव मनाते हैं.
संतों के अनुसार, इस बार ब्रज में सभी मंदिरों एवं ब्रज के घरों में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव 26 अगस्त की मध्यरात्रि को मनाया जाएगा. दिन में व्रत रखा जाएगा और रात के 12 बजे भगवान के जन्म के बाद धनिया से बनी पंजीरी का भोग लगाकर व्रत का पारण किया जाएगा. वृन्दावन स्थित ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 27 अगस्त को मनाई जाएगी. मंदिर के प्रबंधक मुनीश शर्मा ने बताया कि बांकेबिहारी मंदिर में वर्ष भर आयोजित होने वाले सभी पर्वोत्सव मंदिर के पुरोहित द्वारा तय किए गए पंचांग के अनुसार सम्पन्न किए जाते हैं, जो उदयात (यानि जिस तिथि में सूर्योदय होता है) के आधार पर तय किए जाते हैं.
रात 2 बजे होगी ठाकुर जी की मंगला आरती
बिहारी जी मंदिर के पुरोहित एवं सेवायत आचार्य छैलबिहारी गोस्वामी ने बताया कि हर वर्ष की शुरुआत में ही मंदिर के सभी त्योहार-पर्वों का पंचांग तैयार कर लिया जाता है और फिर पूरे वर्ष उसी के मुताबिक सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं. उन्होंने बताया, ‘इस साल क्योंकि अष्टमी तिथि में सूर्योदय 27 अगस्त को होगा, इसलिए मंदिर की परंपरा के अनुसार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व उसी दिन मनाया जाएगा तथा मध्य रात्रि पश्चात ठाकुर जी की मंगला आरती दो बजे की जाएगी.’ आपको बता दें कि मंगला आरती विशेष आरती है जो वर्ष में एक बार, केवल इसी दिन की जाती है. बांके बिहारी मंदिर के इतिहास के जानकार एवं सेवायत आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि 27 अगस्त को निर्धारित समय पर ही दर्शन व आरतियां की जाएंगी जिसके बाद रात 12 बजे से आराध्य का महाभिषेक होगा, जिसके दर्शन आम दर्शनार्थियों के लिए सुलभ नहीं होंगे. अब ये आरती रात 2 बजे होगी, जबकि कुछ दशक पहले तक ये मंगला आरती भोर में चार बजे होती थी, जिसमें सीमित संख्या में ही भक्त सम्मिलित होते थे. आचार्य प्रह्लाद बल्लभ गोस्वामी ने बताया कि मंगला आरती पूरी होने के बाद भक्त ठाकुर जी के दर्शन कर पाएंगे.
रक्षाबंधन पर बन रहा है अद्भुत संयोग, इस मुहूर्त में बांधें राखी, मिलेगा लाभ! आयोध्या के ज्योतिषी से जानें सब
14 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को दर्शाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उनकी सलामती की दुआ भी करती हैं, इसके बदले भाई इस दिन बहन को रक्षा करने का वचन भी देता है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष सावन माह की पूर्णिमा तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा और इस दिन सावन का आखिरी सोमवार भी है, जिसे बहुत ही शुभ संयोग माना जा रहा है. ऐसी स्थिति में रक्षाबंधन पर कई दुर्लभ संयोग का निर्माण भी हो रहा है. इस दिन किस समय राखी बांधना अच्छा रहेगा. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताने जा रहे हैं.
ज्योतिषीय गणना के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग, शोभन सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है. इस योग में किया गया कार्य बहुत शुभ माना जाता है. शोभन योग में किसी भी कार्य की शुरुआत करना बेहद शुभ होता है, तो वहीं सर्वार्थ सिद्धि में किया गया कार्य काफी अच्छा रहता है. इसके अलावा इस दिन रवि योग भी बन रहा है. रवि योग को समृद्धि और सुखदायक माना जाता है.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि रक्षाबंधन का पर्व 19 अगस्त को है और 19 अगस्त के दिन सावन का अंतिम सोमवार भी है. इस दिन भद्रा का साया भी है. बहनें अपने भाई को दोपहर 1:24 से लेकर शाम 4:02 तक राखी बांध सकती हैं. इसके बाद शाम के 6:40 से लेकर रात्रि 9:00 तक राखी बांधा जा सकता है .
राखी में धार्मिकता का अनोखा संगम, भाई की कलाई पर सजाएं इस बार खाटूश्यामजी का प्यार
14 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रावण महीने में एक ओर जहां शिवालयों में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम मची है. वहीं, बाजार राखियों की दुकानों से गुलजार हो रहे हैं. रक्षाबंधन का पर्व इस बार 19 अगस्त को मनाया जाएगा. खास बात यह है कि इस बार खाटूश्यामजी और राधे-कृष्ण की राखियों की बिक्री का क्रेज अधिक है. इसके साथ ही दिल्ली और कोलकाता की राखियों की भी डिमांड अधिक है.
जयपुर में बड़ी चौपड़ हुए आसपास के क्षेत्र में दुकानों पर 100 से 200 प्रकार की विविध बेहतर लुकिंग की राखियां होलसेल पर मिल रही है. राखी विक्रेता रोहित अवस्थी ने बताया कि बाजार में 1 से लेकर 500 रुपए तक की राखियां उपलब्ध हैं. इस बार राखियों में धार्मिकता का असर है. भगवान शिवजी, गणेशजी, राधे-कृष्ण की राखियां विविध डिजाइन में उपलब्ध हैं. सबसे अधिक डिमांड खाटूश्यामजी की डिजाइन वाली राखियों की है. जो 50 रुपए से लेकर 400 रुपए तक की बेची जा रही हैं. बच्चों के लिए कार्टून वाली राखियां भी बाजार में है, जिनमें राखी के साथ खिलौने बंधे हुए है.
डाकघरों में वाटरप्रूफ लिफाफे
दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले भाइयों को डाक से राखियां भेजना शुरू हो गया है. डाकघर में पहली बार विशेष प्रकार के बॉक्स में राखियां भेजी जा रही हैं. डाक विभाग के अनुसार राखी का लिफाफा छोटा 10 रुपए, बड़ा 15 रुपए, विशेष बॉक्स 30 रुपए में उपलब्ध है. राखी लिफाफे व राखी बॉक्स के अतिरिक्त डाक शुल्क के रूप में साधारण डाक शुल्क प्रति 20 ग्राम मात्र 5 रुपए, रजिस्ट्री शुल्क 21 रुपए व अतिरिक्त शुल्क देकर स्पीड पोस्ट व पार्सल भी करवाई जा सकती है. पार्सल शुल्क प्रति 500 ग्राम तक मात्र 19 रुपए हैं.
बाजार में इन राखियों का है क्रेज…
भगवान स्वरूप में राखियां, महिलाएं चूड़े में घड़ी टाइप में चूड़े, चंदन बूटी, स्टोन पैटर्न, भैया-भाभी जोड़ी, कड़े टाइप व चूड़े, जैसी राखियां, बच्चों के लिए कार्टून घड़ी, लाइट गुड्डे म्यूजिक राखी और ब्रेसलेट, घड़ी वाली राखी आदि का क्रेज है.
आस्था: हनुमान जी के 'जिंदा' होने का एहसास कराती है यह लेटी हुई मूर्ति, दर्शन के लिए लगी रहती है श्रद्धालुओं की भीड़
14 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पवन पुत्र बंजरगबली के चमत्कारों के किस्से से दुनिया भर के लोग परिचित हैं, लेकिन महाभारत कालीन सभ्यता से जुडे उत्तर प्रदेश के इटावा के बीहडों मे स्थित पिलुआ महावीर मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति सैकडों साल से उनके जिंदा होने का एहसास कराती नजर आ रही है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
इटावा में यमुना नदी के किनारे जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रूरा गांव के पास पिलुआ महावीर का मंदिर है. इस मंदिर में हनुमान जी की लेटी हुई एक ऐसी मूर्ति है, जिसका मुखार बिंदु आज तक कोई नहीं भर सका है. श्रद्धालु मूर्ति के मुखार बिंदु में चाहे प्रसाद चाहे दूध या फिर अन्य कोई भी वस्तु डालते हैं. वह नहीं भरता है. कहा जाता है यह किसी को आज तक पता नहीं लग सका है.
यहां भी लेटी हुई है मूर्ति
वैसे तो हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद में भी है, लेकिन जैसी मूर्ति यहां पर है, ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में नहीं है. हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है. कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है. आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां हैं. महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की माने तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी ग्रहण करती है.
मंदिर के पुजारी ने बताया
कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं. मंदिर के पुजारी जवाहर सिंह बताते हैं कि बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे हुए है, लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नहीं लगा पाया कि इसके मुखार बिंदु में प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है. इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा.पवन पुत्र बंजरगबली के चमत्कारों के किस्से से दुनिया भर के लोग परिचित हैं, लेकिन महाभारत कालीन सभ्यता से जुडे उत्तर प्रदेश के इटावा के बीहडों मे स्थित पिलुआ महावीर मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति सैकडों साल से उनके जिंदा होने का एहसास कराती नजर आ रही है. इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
इटावा में यमुना नदी के किनारे जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रूरा गांव के पास पिलुआ महावीर का मंदिर है. इस मंदिर में हनुमान जी की लेटी हुई एक ऐसी मूर्ति है, जिसका मुखार बिंदु आज तक कोई नहीं भर सका है. श्रद्धालु मूर्ति के मुखार बिंदु में चाहे प्रसाद चाहे दूध या फिर अन्य कोई भी वस्तु डालते हैं. वह नहीं भरता है. कहा जाता है यह किसी को आज तक पता नहीं लग सका है.
यहां भी लेटी हुई है मूर्ति
वैसे तो हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति इलाहबाद में भी है, लेकिन जैसी मूर्ति यहां पर है, ऐसी दूसरी मूर्ति देश और दुनिया के किसी भी दूसरे हिस्से में नहीं है. हनुमान जी की इस प्रतिमा के मुख में हर वक्त पानी भरा रहता है. कितना भी प्रसाद मुंह में डालो पूरा प्रसाद मुंह में समा जाता है. आज तक किसी को पता नहीं चला कि यह प्रसाद जाता कहां हैं. महाबली हनुमान जी की प्रतिमा लेटी हुई है और लोगों की माने तो ये मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी ग्रहण करती है.
मंदिर के पुजारी ने बताया
कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं. मंदिर के पुजारी जवाहर सिंह बताते हैं कि बीहड़ में स्थापति हनुमान मंदिर की मूर्ति अपने आप में कई चमत्कार समेटे हुए है, लेकिन आज तक इसके इस रहस्य को कोई पता नहीं लगा पाया कि इसके मुखार बिंदु में प्रसाद के रूप में जाने वाला दूध, पानी और लडडू आखिरकार जाता कहां है. इसको चमत्कार नहीं तो और क्या कहा जायेगा.
राम-नाम की सुनाई देती है ध्वनि
हनुमान भक्तों का यह भी दावा है कि हनुमान जी इस मंदिर में जीवित अवस्था में हैं, तभी एकांंत में सुनने पर प्रतिमा से सांसें चलने की आवाज सुनाई देती है. बताया जाता है कि हनुमान जी के मुख से राम नाम की ध्वनि भी सुनाई देती है. बजरंगबली के ऐसे चमत्कारों के बारे में सुनकर एवं देखकर लोगों का विश्वास उनमें और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
यमुना नदी के किनारे है मंदिर
मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी बजरंगबली के दर्शन करता है. उसके जीवन में कभी कष्ट नहीं आते हैं. हनुमान जी की मूूर्ति इतनी प्रभावशाली है कि इनकी आंखों में देखते ही लोगों की परेशानियां हल हो जाती हैं. इन्हें लगाया जाने वाला कई गुणा भोग भी इनके उदर को नहीं भर पाता है. यमुना नदी के किनारे बसे महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़े इस मंदिर में हनुमान जी के चमत्कार के आगे हर कोई नतमस्तक है.
मंदिर बना है आस्था का केंद्र
इस मूर्ति के उदगम के बारे में कहा जाता है कि प्रतापनेर के राजा हुक्म तेज प्रताप सिंह को ऐसा सपना आया, जिसमें इस मूर्ति के इसी स्थान पर निकले होने की बात बताई गई. जिसके बाद राजा ने इस मूर्ति को अपने महल में काबिज करने की कोशिश की, लेकिन राजा हार गया और हनुमान जी की मूर्ति आज अपने स्वरूप में हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बनी हुई है.
प्राण प्रतिष्ठित नहीं है प्रतिमा
यह चमत्कारिक मंदिर चौहान वंश के अंतिम राजा हुक्म देव प्रताप की रियासत में बनाया गया था. यहां की सबसे खास बात यह है कि इस मंदिर में महाबली हनुमान जी की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठित नहीं है. कहा जाता है यहां हनुमान जी खुद जीवित रूप में विराजमान हैं.
राजा ने विधि विधान से कराया था मंदिर का निर्माण
300 साल पहले यह क्षेत्र प्रतापनेर के राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह चौहान के अधीन था. एक दिन हनुमान जी ने राजा को सपने में दर्शन दिया और इस मूर्ति के बारें में बताया. फिर राजा उस स्थान पर गए और इस मूर्ति को अपने महल ले जाने की कोशिश करने लगे. राजा के लाख कोशिश करने के बाद भी यह मूर्ति बिल्कुल भी नहीं हिली. फिर राजा ने विधि-विधान से इसी स्थान पर प्रतिमा की स्थापना कराकर मंदिर का निर्माण कराया. धीरे-धीरे यह मंदिर हनुमान भक्तों की आस्था का केंद्र बन गई.
दर्शन करने से मनोकामना होती है पूर्ण
इटावा के बीहड़ों में निर्जन स्थान पर एक टीले पर यह मंदिर स्थित होने के बावजूद हर मंगलवार को भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ता है, कहा जाता है कि जो भी भक्त अपनी मुराद लेकर आता है. बजरंग बली द्वार उसे खाली नहीं लौटना पड़ता है. इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी कई मन्नतें लेकर आते हैं और मान्यता है कि सच्चे दिल से मांगी गई मुरादें बजरंगबली पूरी करते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
14 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य-कुशलता एवं समृद्धि के योग फलप्रद हों तथा उत्साह से कार्य बनेंगे, धैर्य से कार्य करें।
वृष राशि :- कार्य तत्परता से लाभ होगा एवं इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, रुके कार्य तत्काल बना लें।
मिथुन राशि :- व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्य-कुशलता से संतोष, बिगड़े कार्य शनै: शनै: बन जायेंगे।
कर्क राशि :- धन सोच-समझ कर लगायें अन्यथा हानि संभव है, मानसिक विभ्रम एवं क्लेश होगा।
सिंह राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, लेने-देन के मामले में हानि हो सकती है।
कन्या राशि :- मानसिक विभ्रम के कारण परेशानी, सतर्कता से कार्य अवश्य करें, समय का ध्यान रखें।
तुला राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे, कार्य-कुशलता से संतोष होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, कार्य योजना फलीभूत अवश्य होगी, सफलता के साधन जुटायें।
धनु राशि :- धन लाभ, सफलता के साधन जुटायें, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, ध्यान अवश्य दें।
मकर राशि :- आरोप-प्रत्यारोप, क्लेश संभव है, धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री-शरीर कष्ट व चिन्ता व असमंजस से बचकर चलें।
मीन राशि :- इष्ट-मित्र सहायक रहें, दैनिक कार्य में अनुकूलता बनेगी, ध्यान रखकर कार्य करें उत्तम होगा।
भद्रा काल में बहनों को क्यों नहीं बांधनी चाहिए राखी? 'पाप के देवता' से है इसका संबंध
13 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पर्वों में प्रमुख स्थान रखने वाला त्योहार रक्षाबंधन इस बार 19 अगस्त को मनाया जाएगा. मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूती मिलती है. रक्षाबंधन के दिन सुबह-सुबह ही बहने अपने भाइयों की कलाई में रखी बांधती हैं और प्रेम के इस त्योहार को मनाती हैं. लेकिन इस बार 19 अगस्त को बहन और भाइयों को दोपहर तक का इंतजार करना होगा. 19 अगस्त को दोपहर तक भद्रा काल चलेगा. भद्राकाल में बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी नहीं बांधती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसी मान्यता क्यों है? आखिर क्यों भद्राकाल में बहनों को भाइयों को राखी नहीं बांधनी चाहिए? सेलिब्रिटी एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार, ‘यह सुनिश्चित हो कि त्योहार शुभ मुहूर्त में मनाया जाए.’ आइए जानते हैं क्या है इसका नियम.
एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन सूरी के अनुसार पंचांग में 5 प्रमुख अंग होते हैं. ये प्रमुख अंग है तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण. भद्रा भी पंचांग से जुड़ा हुआ है. भद्रा काल राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते सामान्य नहीं रह पाएंगे. इसलिए राखी बांधने का सही समय तय करने के लिए पंचांग और ज्योतिष शास्त्र का ध्यान रखा जाता है.
क्या होता है भद्रा काल
भद्रा काल एक विशेष समय अवधि को कहा है जो भारतीय पंचांग के अनुसार अपशकुन का समय माना जाता है. यह समय किसी भी शुभ कार्य के लिए बिल्कुल भी अनुकूल नहीं हो सकता है. भद्रा काल का उल्लेख ज्योतिष शास्त्र में भी है. भद्रा काल में राखी बांधने से विशेष अशुभ परिणामों की आशंका होती है. पौराणिक कहानी के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है. देवी भद्रा का स्वभाव विनाश करना है. इसलिए राखी को भद्रा काल के बाहर बांधना ही उचित माना जाता है. एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार, भद्रा काल माता पार्वती के भाई भगवान विष्णु के पुत्र भद्रा के नाम पर रखा गया है. भगवान विष्णु के पुत्र भद्रा को भगवान शिव ने अपना द्वारपाल बनाया था और उन्हें यह आदेश दिया था कि जब भी कोई शुभ कार्य हो तो वह उस समय में उपस्थित न हों. इसलिए, जब भी भद्रा काल होता है, तब कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
राखी बांधने का यह समय शुभ
19 अगस्त को दोपहर डेढ़ बजे तक भद्रा काल लगा है. इसलिए इस समय राखी नहीं बांधी जाएगी. रक्षाबंधन का मुहूर्त दोपहर 1:30 से रात 9:06 बजे तक है. इस दिन राखी बांधने के लिए करीब साढ़े 7 घंटे तक का समय उत्तम रहेगा.
265 साल पुराना मंदिर, जहां भगवान हनुमान ने भक्त के लिए लिया था अनदेखा रूप, हर मन्नत होती है पूरी!
13 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में अनोखी जगहों की कोई कमी नहीं है. हर राज्य, शहर और गांव में एक अनोखा मंदिर बना है. राजस्थान के चुरू जिले में तो ऐसा मंदिर है, जो पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है. इस मंदिर का नाम है सालासर धाम. यहां हनुमान जी का दाढ़ी और मूंछ वाला अवतार देखने के लिए मिलता है. हनुमान जी ने भक्त का वचन पूरा करने के लिए ऐसा अवतार लिया था.
सालासर धाम की कहानी
सिद्ध पुरुष श्री मोहनदास जी महाराज भगवान हनुमान की खूब भक्ति करते थे. हनुमान जी उनसे बहुत प्रसन्न हुए. उन्होंने ढूंढी-मंछ वाले अवतार में दर्शन दिए. मोहनदास ने वचन लिया कि आगे भी वो इसी रूप में दर्शन दें. वचन पूरा करने के लिए 1755 में भगवान शनिवार के दिन असोटा गांव में मूर्ति बनकर प्रकट हुए. उनके भक्त ने 1759 में सालासर में मंदिर बनवाया. मंदिर की देखभाल का जिम्मा उदयराम जी और उनके वंशजों को सौंपा गया. हनुमान जी के बाल स्वरूप को बालाजी के रूप में पूजा जाता है. इसी वजह से इस मंदिर को सालासर बालाजी मंदिर कहते हैं.
हर साल चढ़ते लाखों नारियल
सालासर धाम में नारियल चढ़ाकर पूजा की जाती है. हर साले लाखों नारियर यहां लोग भेंट करते हैं, जिन्हें दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जाता. मंदिर के बाहर और आसपास पूरा बाजार लगता है, जहां नारियल के ढेर दिखाई देते हैं.
सालासर धाम में हर मन्नत होती है पूरी
सालासर धाम में दर्शन करने से भक्तों की हर मुसीबत खत्म हो जाती है. बीमारीयां दूर हो जाती हैं. सेहत बेहतर होती है. अपना घर लेने के लिए लोग इस मंदिर में पूजा करते हैं. जिन लोगों का बच्चा न हो वो भी इस मंदिर में पूजा करने पहुंचते हैं.
हर साल लगते हैं 2 मेले
सालासर धाम में हर दिन हजारों लोग पहुंचते हैं. लेकिन यह लगने वाला मेला और भी खास है. शरद पूर्णिमा और चैत्र पूर्णिमा पर यहां खास मेला लगता है. इन मेलों में लाखों लोग पहुंचते हैं, जिस वजह से राज के 1.5 बजे ही मंदिर के पट खुल जाते हैं.
सालासर बालाजी कैसे जाएं?
सुजानगढ़, रतनगढ़, लक्ष्मणगढ़, सीकर और जयपुर का रेलवे स्टेशन सालासर धाम से पास है. सुजानगढ़ और सीकर का स्टेशन सबसे पास है. खाटू श्याम मंदिर से यह धाम लगभग 2 घंटे दूर है. रिंगस से सालासर बालाजी की बस और गाड़ी मिल जाएगी. यहां आसपास बहुत सारे होटल और धर्मशाला भी बनी हैं, जहां आप ठहर सकते हैं. किराया भी ज्यादा नहीं होगा.
खुदाई के बाद प्रकट हुए थे भोलेनाथ, सालों भर शिवलिंग के बगल से निकलता है जल, रोचक है झरना शिव मंदिर की कहानी
13 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जहां आस्था की बात होती है, वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर आते हैं. सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का महीना माना जाता है. इस महीने में श्रद्धालु शिवालयों में पूजा अर्चना करने पहुंचते है. भगवान भोलेनाथ से जुड़ीं कई आस्था और कहानी सुनने को मिलती है. ऐसी हीं कहानी झारखंड के पलामू जिले के शिव मंदिर की है. जहां धरती की खुदाई के बाद भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए थे.
दरअसल, पलामू जिले के राजहरा गांव में सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर है. झरना शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में सावन के मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते है. इस मंदिर के नाम में भी खासियत है. जहां भगवान भोलेनाथ के बगल से सालों भर जल निकलता रहता है. जिस कारण इसका नाम झरना शिव मंदिर है.
एक व्यक्ति के स्वप्न में आए थे भगवान तब हुआ था मंदिर निर्माण
स्थानीय निवासी ब्रजकिशोर पांडे ने लोकल 18 को बताया की झरना शिव मंदिर की कहानी रोचक है. ये मंदिर करीब 200 वर्ष पुराना है. उस दौरान स्थानीय निवासी द्वारिका नूनिया के पूर्वज के स्वप्न में भगवान भोलेनाथ आये थे. उन्होंने बताया कि इस जगह भगवान भोलेनाथ विराजमान हैं. वहीं इस जगह एक मटके में पैसा है. जिसके बाद खुदाई की गई तो भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए. इतना हीं नहीं हकीकत में वहां एक मटका भी मिला, जिसमें चांदी के सिक्के और पैसे थे. जिससे मंदिर निर्माण कराया गया. तबसे यहां पूजा अर्चना की जा रही है और मेले का आयोजन होता आ रहा है.
शिवलिंग को स्पर्श करता हुआ निकलता है जल
पुजारी विनोद पाठक ने लोकल 18 को बताया को यहां की सबसे खास बात है की 12 महीने शिवलिंग के पास के पत्थर से जल निकलता है. हालांकि पिछले कुछ महीनों से यह जल निकलना बंद है. मगर पहले के समय में लोग इस जल से स्नान करते थे. यह जल इतना शुद्ध होता था कि लोग अपने घर पीने के लिए भी ले जाते थे. उन्होंने बताया की मंदिर परिसर में शिव परिवार, हनुमान जी, ब्रह्म स्थान मौजूद है. इसके अलावा 1 टन का 13 फिट लंबा त्रिशूल लगाया गया है. शिवरात्रि में यहां मेले का आयोजन होता है.
कब है पुत्रदा एकादशी? क्या है इस व्रत का महिष्मति राज्य से कनेक्शन! काशी के ज्योतिषी से जानें सब
13 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैदिक हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी के व्रत होते हैं. यानि हर महीने 2 बार एकादशी का व्रत होता है. वैसे तो हर एकादशी व्रत का अपना विशेष महत्व है. लेकिन सावन महीने की शुक्ल पक्ष के एकादशी व्रत की खासी महिमा है. इसे पुत्रदा एकादशी के नाम से जानते हैं. इस दिन पूजा और व्रत का अपना विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखा जाता है.इस व्रत का सीधा कनेक्शन द्वापर युग से जुड़ा है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि सावन शुक्ल पक्ष के एकादशी तिथि की शुरुआत 15 अगस्त को सुबह 6 बजे से होगी. जो अगले दिन यानी 16 अगस्त को सुबह में 5 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगा. ऐसे में पुत्रदा एकादशी का व्रत 15 अगस्त गुरुवार के दिन रखा जाएगा.
ऐसे करें पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन सिंहासन पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर रखकर उन्हें पुष्प, पीला पेड़ा अर्पण करना चाहिए. इसके बाद घी का दीपक जलाकर उनकी पूजा करनी चाहिए.
पुत्रदा एकादशी पर दान का महत्व
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि पुत्रदा एकादशी पर वस्त्र, अन्न-धन, तुलसी के पौधे और मोर पंख का दान बेहद शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि इस तिथि पर दान और पुण्य करने से घर में हेमशा सुख-समृद्धि का वास बना रहता है. साथ ही जीवन भर आर्थिक समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है. इसके साथ ही मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाती हैं. ऐसे में क्षमता अनुसार इस तिथि पर कुछ न कुछ अवश्य दान करें.
कैसे शुरू हुआ पुत्रदा एकादशी का व्रत?
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक मान्यता के अनुसार महिष्मति राज्य के राजा महीजित को कोई संतान नहीं थी. वे बड़े ही पुण्य का काम करते थे. संतान न होने से नाराज राजा ने अपने प्रजा और ब्राह्मणों की एक बैठक बुलाई. ब्राह्मण और प्रजा दोनो ने इस समस्या के निजात के लिए तप शुरू किया इस दौरान उन्हें लोमस ऋषि मिले. जिन्होंने इस समस्या के लिए सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने की बात कही. जिसके बाद राजा,प्रजा और ब्राह्मणों ने इस व्रत को रखा.जिसके प्रभाव से राजा महीजित को संतान की प्राप्ति हुई.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे प्रयास जारी रखें, प्रयत्नशीलता एवं तत्परता से लाभ होगा।
वृष राशि :- समय पर सोचे कार्य निपटा लें, कार्य तत्परता से लाभ अवश्य ही हो जायेगा, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी तथा कार्य संतोष होगा।
कर्क राशि :- परीक्षा में सफलता संभव है, सामर्थ के अनुसार प्रयास अवश्य करें, लाभ अवश्य होगा।
सिंह राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्तायें कम हों, सफलता के साधन जुटायें, कार्य निपटा लें।
कन्या राशि :- परिश्रम करने पर भी सफलता दिखाई न दे, स्त्री-वर्ग से तनाव तथा कष्ट अवश्य होगा।
तुला राशि :- कुछ लोगों से मेल-मिलाप फलप्रद, कार्य-क्षमता अनुकूल रहेगी, रुके कार्य अवश्य ही पूरे होंगे।
वृश्चिक राशि :- स्वास्थ्य नरम रहेगा, चोट का भय, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य अवश्य बनेंगे।
धनु राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, दैनिक कार्यगति में सुधार होगा तथा कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, इष्ट-मित्रों से परेशानी होगी, किसी धोखे से बचकर रहें।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय गति मंद होते हुये भी साधन सफलता अवश्य बनेगी, ध्यान दें।
मीन राशि :- विघटनकारी तत्वों से परेशानी होगी, अनायास कुछ बाधायें संभंव अवश्य आयेंगी।
लड्डू या पेड़ा नहीं... भगवान राम को भाती है यह चीज, मंदिर में जरूर लगाएं इस चीज का भोग
12 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान राम के भक्तों का सपना पूरा हो गया है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है. भक्त अब भगवान राम के दर्शन करने के लिए अयोध्या जाते हैं. अगर आपको भी मंदिर जाकर भगवान राम के दर्शन करने हैं तो, उन्हें ऐसी चीज चढ़ाएं जो उन्हें खूब पसंद हो. अगर आप लड्डू-पेड़ा चढ़ा रहे हैं, तो इसके जगह उनकी पसंदीदा चीज को चुन सकते हैं.
भगवान राम को क्या पसंद है?
ऐसा नहीं है कि आप भगवान राम को लड्डू या पेड़ा नहीं चढ़ा सकते. लेकिन आप आज उस चीज को चुन सकते हैं जो भगवान राम को खूब पसंद है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम को खीर बहुत पसंद है. कहा जाता है कि जब राजा दशरथ के यहां भगवान राम और उनके भाइयों का जन्म हुआ था तो सबसे पहले खीर बनाई गई थी. ये खीर पायसम या पायेश चावल से बनाई जाती है. चीनी और ड्राई फ्रुट्स डालकर इसे स्वादिष्ट बनाया जाता है. खाने में यह काफी मलाईदार होती है.
भगवान राम के लिए जलेबी बनाते थे हनुमान
रामायण और मनुस्मृति जैसे कई प्राचीन ग्रंथों में शशकुली नामक एक व्यंजन का उल्लेख है, जो बेसन से बना एक मीठा फूड है जिसे घी में तला जाता है. कुछ लोगों का मानना है कि शशकुली को अब जलेबी कहा जाता है. माना जाता है कि राम को जलेबी खाना बहुत पसंद था इसलिए हनुमान खुद उनके लिए यह मीठा व्यंजन बनाते थे.
14 साल के वनवास में उन्हें सबसे ज्यादा क्या पसंद आया
जब भगवान राम को 14 साल का वनवास मिला था, तब उन्होंने कंदमूल और बेर खूब खाएं थे. भगवान राम को तभी कंदमूल और बेर का भी भोग लगाया जाता है. रामचरितमानस के अनुसार, भगवान राम ने सबरी के जूठे बेर खाए थे, ऐसे में आप भगवान राम को बेर का भी भोग लगा सकते हैं.
पैरों के तलवे में बना है चक्र का निशान, कुंडली में राजयोग का है संकेत, जानें कितने भाग्यशाली हैं आप!
12 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में ऐसी कई बातें सुनने और पढ़ने को मिलती हैं, जिनमें आपका भविष्य छुपा होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आपकी जन्म कुंडली आपके पूरी जीवन के भेद खोलती है. इसी प्रकार सामुद्रिक शास्त्र में शारीरिक संरचना के आधार पर भविष्य से जुड़ी बातों का उल्लेख मिलता है. ऐसी मान्यता है कि जिस तरह ज्योतिषी आपके हाथ की रेखाओं को देखकर भाग्यशाली रेखाएं बताते हैं. इसी प्रकार आपके पैर के तलवे बहुत कुछ कहते हैं. पैरों के तलवे कौन से संकेत देते हैं? आइए, जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
1. चक्र का निशान
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के पैरों के तलवों में चक्र का निशान बना होता है, उनकी कुंडली में राजयोग होता है. हालांकि आपके जीवन में सुख-सुविधाओं में कुछ देर हो सकती है लेकिन आपके पास आलीशान घर, गाड़ी और कीमती चीजें एक दिन जरूर होंगी.
2. धनुष, शंख का निशान
यदि आपके पैर में धनुष या शंख का निशान है तो समझ जाइए कि आपकी किस्मत कभी भी बदल सकती है. आप रातों-रात तरक्की कर सकते हैं. हालांकि इसका फल आपको तुरंत नहीं मिलेगा लेकिन जब मिलता है तो छप्पर फाड़कर मिलता है.
3. मछली, घोड़े का निशान
जिन लोगों के तलवों में मछली, घोड़े, पर्वत का निशान बना होता है तो ऐसे लोगों को मान-सम्मान भी खूब मिलता है. नौकरीपेशा वाले जातकों को ऊंचा पद मिलता है. ये लोग काफी रचनात्मक होते हैं और धन कमाने में माहिर होते हैं.
4. रथ का निशान
आपके पैरों के तलवे में यदि रथ का निशान बना है तो समझ जाइए कि आप बड़े ही भाग्यशाली हैं. ऐसे लोग यदि व्यापार करते हैं तो उन्हें सफलता जरूर मिलती है. साथ ही व्यापार में नाम और धन दोनों ही कमाते हैं. इन लोगों के बारे में कहा जाता है कि इन्हें थोड़ी मेहनत का बड़ा फल मिलता है.
भूरी आंखों वाले होते हैं रचनात्मक, आंखों के 6 रंगों से पहचानें पर्सनालिटी, क्या कहता है सामुद्रिक शास्त्र
12 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ईश्वर द्वारा दिया गया हमारा शरीर अनमोल है. हमारे शरीर का एक-एक अंग कीमती है और खूबसूरत भी. खास तौर पर आंखों की बात करें तो इनमें एक अलग ही इमोशन देखने को मिलता है. कई लोग आंखों ही आंखों बातें कर लेते हैं, तो कई आंखों को देखकर समझ या भांप लेते हैं. ऐसा कहा जाता है कि आंखों को पड़ने भी एक कला होती है. हालांकि, हर व्यक्ति इसमें माहिर नहीं होता. वहीं सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार अलग-अलग आंखों के रंगों से आप किसी भी व्यक्ति के स्वभाव को समझ सकते हैं. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से आंखों से जुड़े रहस्यों के बारे में.
1. कंजी यानी पीले रंग की आंखें
यदि किसी व्यक्ति की आखों का रंग कंजी यानी पीला है तो ऐसे लोग मौज-मस्ती वाले होते हैं. इनके लिए कोई परिस्थिति खराब नहीं होती. यह हर परिस्थिति में खुद को ढाल लेते हैं.
2. नीली आंखें
सामुद्रिक शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की आंखें नीली होती हैं वे दूसरों की मदद के लिए हमेशा खड़े रहते हैं. जिसमें कभी-कभी खुद का नुकसान भी करा लते हैं. इन्हें शांति पसंद होती है.
3. ग्रे आंखें
यदि किसी व्यक्ति की आंखें ग्रे यानी सलेटी कलर की होती हैं तो वे काफी जिंदादिल होते हैं. ये लोग किसी तरह के बंधन को पसंद नहीं करते है और हमेशा कुछ नया करना इन्हें अच्छा लगता है.
4. भूरी आंखें
इस तरह की आखों वाले लोग काफी रचनात्मक होते हैं लेकिन ये अपना जीवन अपनी तरह से जीना पसंद करते हैं. ऐसे लोग अपने जीवन में प्यार को अधिक महत्व देते हैं और अपने पार्टनर के प्रति वफादार होते हैं.
5. काली आंखें
जब आपकी आंखों का रंग काला होता है तो आपमें आत्मविश्वास काफी अधिक होता है. ऐसे व्यक्ति जिम्मेदार होते हैं और अपना हर फैसले बहुत ही सोच समझकर लेते हैं और विपरीत परिस्थितियों का सामना अकेले ही करते हैं.
6. हरी आंखें
जिन लोगों की आंखें हरे रंग की होती हैं वे काफी आलसी होते हैं. किसी भी काम को यह कल पर टालना पसंद करते हैं. ये लोग अपनी भावनाएं भी प्रदर्शित नहीं कर पाते और रिश्तों में रहस्य रखना पसंद करते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 अगस्त 2024)
12 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- मनोबल संवेदनशील रहे, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
वृष :- शरीर कष्ट, चिन्ता व बाधाएं, अनेक प्रकार के विचार, असमंजस में रहेंगे, कष्ट होगा।
मिथुन :- संघर्ष में सफलता, समृद्धि के योग बनेंगे तथा सामाजिक मान प्रतिष्ठा, अवश्य ही बढ़ेगा।
कर्क :- अर्थव्यवस्था की चिन्ता बनी रहेगी, दैनिक प्रयत्न सफल अवश्य ही होगी, ध्यान दें।
सिंह :- योजनाएं फलीभूत हो, तनाव से बचियेगा, कार्य अवरोध से दुख अवश्य ही होगा।
कन्या :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल, चिन्ता कम हो उत्तम कार्य बनेंगे तथा अवरोध बने।
तुला :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होगें, अधिकारियों से सुख लाभ अवश्य ही होगा, ध्यान रखे।
वृश्चिक :- अशुद्ध गोचर होने से कार्य विफल होगा तथा मानसिक व्यग्रता अवश्य होगी।
धनु :- प्रकृति संवेदनशील रहे, भोग ऐश्वर्य में समय बीतेगा, समय का ध्यान रखेंगे।
मकर :- मानसिक विभ्रम उद्विघ्नता रखे तथा मानसिक असमंजस से पीड़ा होगी।
कुम्भ :- सफलता के लिए धैर्य से कार्य लें, स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास होगा।
मीन :- मानसिक क्लेश व अशांति, शरीर कष्ट चिन्ता मन व्यग्र बना रहेगा।
क्या आपको भी सपने में दिखते हैं अपने पूर्वज? कैसे पहचानें शुभ या अशुभ
11 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सपनों की अपनी दुनिया होती है. आप कई बार सोते समय ऐसे सपने देखते हैं, जिसके बार में आप कभी नहीं सोचते लेकिन यह सोचकर भूल जाते हैं कि यह सपने हैं. वहीं कई बार ऐसे सपने भी आते हैं जो आपके ज़हन में रह जाते हैं और आप उनके बारे में बार बार सोचते हैं. इन्हीं में से एक हैं सपने में किसी को मृत देखना और खास तौर पर अपने किसी रिश्तेदार का. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने भविष्य को लेकर कुछ न कुछ संकेत देते हैं. इसमें हर एक सपने का मतलब बताया गया है. साथ ही इनके संकेतों के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गई है. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से सपने में मृत रिश्तेदार को देखने का क्या मतलब है.
मृत रिश्तेदार को देखना
ऐसा माना जाता है कि जो लोग हमसे जुड़े होते हैं. वह अक्सर हमारे सपने में आते हैं. वहीं यदि आपके सपने में कोई मृत रिश्तेदार दिखाई देता है तो इसका संकेत है कि वह आपसे कुछ कहना चाहता है.
रोता हुआ नजर आना
यदि आपके सपने में कोई मृत रिश्तेदार रोता हुआ दिखाई देता है तो वह इस ओर इशारा करता है कि उसकी कोई ख्वाहिश अधूरी रह गई है और वह आपकी मदद से उसे पूरा कराने का संकेत करता है.
मृत रिश्तेदार से बात करना
कोई आपके सपने में आता है और आपसे बात करता है, जो कि मृत रिश्तेदार है तो इसे स्वप्न शास्त्र में शुभ स्वप्न बताया गया है. यह संकेत है कि आपके रुके हुए काम पूरे होने वाले हैं और आपको इनका आशीर्वाद मिलने वाला है.
मृत रिश्तेदार का गुस्सा
अगर आप अपने सपने में किसी मृत रिश्तेदार को गुस्से में देखते हैं तो यह अशुभ स्वप्न माना गया है. यह आपको भविष्य में किसी अनहोनी घटना का संकेत देता है. साथ ही वह व्यक्ति आपके द्वारा किए गए गलत कार्य से दुखी भी माना जाता है, जिसे आप सुधार सकते हैं.