धर्म एवं ज्योतिष
पशुपतिनाथ का विग्रह है पंचमुखी महादेव मंदिर, दर्शन मात्र से द्वादश ज्योतिर्लिंग के फल होते हैं प्राप्त
20 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है. पूरे माह भक्त भगवान शिव के दर्शन करते हैं और विशेष पूजन का आयोजन भी कराते हैं. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के बरियाघाट में स्थित पशुपतिनाथ मंदिर की विशेष मान्यता है.
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता यह है कि यहां दर्शन करने मात्र से भक्तों को द्वादश ज्योतिर्लिंग का फल प्राप्त होता है. सावन माह में इस मंदिर में विशेष पूजन का आयोजन होता. दूर-दूर से भक्त भगवान भोले के पंचमुखी अवतार के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं.
द्वादश ज्योतिर्लिंग के फल की होती है प्राप्ति
मंदिर के पुजारी विपिन ने बताया कि यह मंदिर 550 वर्षों से भी अधिक पुराना है. इसे नेपाली बाबा द्वारा स्थापित किया गया था. कहा जाता है कि नेपाली बाबा के स्वप्न में भगवान पशुपतिनाथ ने दर्शन दिया था. इसके बाद मिर्जापुर के बरियाघाट में विग्रह स्थापित करने के लिए कहा गया. इसके बाद राजाओं ने स्थान खोजने के लिए सैन्य टुकड़ी भेजी. स्थान चिन्हित होने के बाद बरियाघाट पर पंचमुखी महादेव की स्थापना की गई. उन्होंने बताया कि जो भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं, वे पंचमुखी महादेव मंदिर में जल अर्पित कर सकते हैं. यहां दर्शन मात्र से ही द्वादश ज्योतिर्लिंग का फल प्राप्त होता है. पुजारी ने यह भी बताया कि यहां दर्शन करने से भक्तों की मुरादें पूरी होती है.
दर्शन के बाद पूर्ण हो जाती है मनोकामना
श्रद्धालु प्रीति सिंह ने बताया कि हर वर्ष सावन माह में दर्शन के लिए आते हैं. प्रीति सिंह के अनुसार भगवान में बड़ी शक्ति है और यहां दर्शन मात्र से ही हर मनोकामना पूरी हो जाती है. ममता पांडेय ने बताया कि उनके दादा भी यहां दर्शन के लिए आते थे और अब खुद आ रही हैं. यहां की शक्ति से उनकी हर मनोकामना पूरी हुई है. सावन माह में विशेष अनुष्ठान और रुद्राभिषेक यजमानों द्वारा आयोजित कराया जाता है.
जन्म लेने के कितने दिन बाद होता है अन्नप्राशन? जानिए सनातन धर्म में इसका महत्व
20 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जब बच्चा अपनी मां के गर्भ से बाहर आता है, तो उसके बेहतर स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना के लिए बहुत से संस्कार किए जाते हैं. हिंदू धर्म में बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कामना की जाती है. ऐसे ही जब बच्चा अपनी 6 महीने की आयु पूरी कर लेता है, तो हिंदू धर्म में अन्नप्राशन संस्कार करना बेहद ही जरूरी बताया गया है. अन्नप्राशन यानी अन्न को ग्रहण करना होता है. इस संस्कार के दौरान नवजात शिशु को पहली बार अनाज खिलाया जाता है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब नवजात शिशु 6 महीने की आयु पूर्ण कर लेता है तो वह अनाज खाने के लिए सक्षम हो जाता है. हिंदू धर्म में यह सभी संस्कार करने जरूरी बताए गए हैं. अन्नप्राशन संस्कार के करने से बच्चों की बल बुद्धि का विकास होता हैं और उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है.
जन्म के 6 महीने बाद होता है अन्नप्राशन संस्कार
अन्नप्राशन संस्कार को लेकर हमने हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि 16 संस्कारों के क्रम में अन्नप्राशन संस्कार नवजात शिशु के जन्म के 6 से 8 महीने बाद किया जाने वाला महत्वपूर्ण संस्कार होता है. इस दौरान नवजात शिशु को अनाज ग्रहण कराया जाता है वह बताते हैं कि बच्चे को पहले अनाज का सेवन हल्का कराया जाता है. माना जाता है कि बच्चा अनाज का सेवन करने के लिए सक्षम हो गया है.
अन्नप्राशन संस्कार क्यों करते हैं?
अन्नप्राशन संस्कार को परिवार के सभी सदस्य एक साथ इकट्ठे होकर सूक्ष्म समारोह की तरह मानते हैं, जिसमें पड़ोसियों रिश्तेदारों सगे संबंधियों को बुलाने का रिवाज होता है. वही बच्चों के बेहतर और उज्जवल भविष्य के लिए मंत्रो उच्चारण के साथ हवन यज्ञ भी कराया जाता है. कहीं-कहीं तो बच्चों को पहले अनाज का सेवन चांदी, सोने या अष्टधातु से निर्मित चम्मच से खिलाया जाता है. बच्चों को पहले अनाज का सेवन इन धातुओं से करने पर उसका शारीरिक विकास होने की धार्मिक मान्यता बताई गई है.
काफी प्राचीन है भोलेनाथ का यह मंदिर, यहां 40 दिन शिव चालीसा करने से हर मन्नत होती है पूरी!
20 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नाथनगरी बरेली से कई बड़े प्राचीन मंदिरों का इतिहास जुड़ा हुआ है. इसी तरह फरीदपुर रोड स्थित गोपाल शिव मंदिर एतिहासिक शिव मंदिर है. जहां सावन में लोग काफी दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. इसके बारे में यह कहा जाता है कि पहले यहां राम गंगा बहा करती थी, जहां एक गोपाल नाम के ग्वाला ने सिद्धि प्राप्त की थी. तभी से इसका नाम गोपाल शिव रखा गया. इस मंदिर की सावन के समय में काफी विशेषता मानी जाती है.
इस मंदिर के महंत नारायण गिरी ने लोकल 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि जो भी भक्त इस मंदिर में धोपेश्वर नाथ चालीसा करते हैं. वह जब तक बाबा के दर्शन नहीं करते हैं तब तक उनका पूजन पूर्ण नहीं माना जाता. इसके अलावा वे बताते हैं कि शिव चालीसा 40 दिनों की होती है, जिसमें कोई भी भक्त अपनी इच्छा अनुसार इतने दिनों में शिव चालीसा करने का प्राण लेता है और 40वें दिन में भगवान शिव का पूजन करता है. तभी शिव चालीसा पूर्ण होती है.
क्या है मान्यता
बाबा गोपाल शिव मंदिर के महंत ने बताया कि इसके बारे में यह कहा जाता है कि पहले यहां राम गंगा बहा करती थी. जहां एक गोपाल नाम के ग्वाला उस समय तप करने आते थे. फिर एक दिन जब उनकी माता ने उन्हें खाने के लिए आवाज लगाई लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब न आने पर माता ने पूछा क्या तुम सिद्ध हो गए हो, तब वे अपने माता के वचन अनुसार सिद्ध हो गए और फिर तुरंत बाबा लिंग में परिवर्तित हो गए.
किस तरह से होती है शिव चालीसा
भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए उनकी 40 दिन की धोपेश्वर नाथ चालीसा को पूर्ण रूप से कराना चाहिए. वे जब तक बाबा गोपाल शिव के दर्शन नहीं करते हैं, तब तक उनका पूजन पूर्ण नहीं माना जाता. वहीं धोपेश्वर नाथ चालीसा को करने के लिए कोई भी भक्त अपनी इच्छा अनुसार सावन के दिनों में शिव चालीसा करने का प्राण लेता है और 40 में दिन में भगवान शिव का पूजन करता है.तभी शिव चालीसा पूर्ण होती है.
यहां आए भक्तों का क्या है कहना
गोपाल शिव मंदिर के भक्तों ने हमें खास बातचीत के दौरान बताया कि वह इस मंदिर में दर्शन करने काफी समय से आ रहे हैं. इसके अलावा भी बताते हैं कि वे यहां सच्ची श्रद्धा भावना से भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं और उनकी सारी मनोकामनाएं महादेव पूरी करते हैं.
मूर्ति या देवी नहीं...इस मंदिर में चट्टान की होती है पूजा, है ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
20 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रंकिनी मंदिर, जिसे कपड़गढ़ी घाट रंकिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. झारखंड के जामशेदपुर जिले के पोटका ब्लॉक के रोहिनिबेरा गांव में स्थित है. यह मंदिर हाता-जादूगोड़ा राज्य राजमार्ग के पास स्थित है. यहां देवी काली के भौतिक रूप के रूप में पूजा जाता है. प्राचीन समय में यात्रा करते समय लोग घने जंगलों में सुरक्षा और भलाई के लिए इस मंदिर में पूजा किया करते थे.
मंदिर की ये है खास विशेषता
रंकिनी मंदिर की स्थापना 1947-50 के बीच की गई थी. मंदिर की विशेषता यह है कि देवी रंकिनी एक पत्थर के रूप में विराजमान हैं, जिसे स्थानीय लोग “जीवित पत्थर” मानते हैं. यह पत्थर कपड़गढ़ी घाटी में स्थित है, जो मुख्य मंदिर के नीचे बहते नाले के पास है.
इस मंदिर की कहानी दिलचस्प है. कहा जाता है कि देवी रंकिनी ने स्थान्य आदमी दिनबंधु सिंह को एक सपने में दर्शन दिए. उन्हें बताया कि वह पत्थर के रूप में पूजी जा रही हैं. देवी ने दिनबंधु से कहा कि वह इस पत्थर की पूजा करें. एक ऐसा स्थान स्थापित करें. जहां लोग आसानी से आ सकें और उनकी पूजा कर सकें. दिनबंधु ने देवी के आदेश पर इस पत्थर को पूजा के लिए स्थापित किया. इसके बाद से इस स्थान पर पूजा-अर्चना की परंपरा शुरू हुई.
मां की दिव्य उपस्थिति का प्रमाण
दिनबंधु के बाद, उनके बेटे मनसिंह और फिर मनसिंह के बेटे बैद्यनाथ सिंह ने मंदिर का संचालन संभाला. आज भी उनका परिवार और उनकी बनाई गई ट्रस्ट मंदिर की देखभाल कर रही है. पूजा की जाने वाली पत्थर का आकार समय के साथ बढ़ता जा रहा है. जिसे लोग मां की दिव्य उपस्थिति का प्रमाण मानते हैं. रंकिनी मंदिर न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर भी है. यह स्थल श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का प्रतीक है. उनके लिए एक प्रेरणादायक स्थल बना हुआ है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय, मानसिक अशांति एवं कष्ट, मन विक्षुब्ध रहे, विलम्ब से रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- चिन्ताग्रस्त होने से बचें, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल अवश्य ही बनेगी, प्रयत्न करते रहें।
मिथुन राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, ध्यान अवश्य दें।
कर्क राशि :- किसी प्रलोभन से बचें अन्यथा परेशानी में फंस सकते हैं, समय का ध्यान अवश्य रखें।
सिंह राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, विचार कर आगे बढ़ें।
कन्या राशि :- विवादग्रस्त होने की संभावना है, सोचे हुये कार्य समय पर होंगे, सुख प्राप्ति के योग हैं।
तुला राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, कार्यगति में सुधार, कार्ययोजना फलीभूत अवश्य ही होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, व्यावसायिक वृद्धि अवश्य होगी।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव, मित्र वर्ग से उपेक्षा से मन अशांत तथा कार्य में बाधा अवश्य ही होगी।
मकर राशि :- मान-प्रतिष्ठा में आंच आने का समय व भय होगा, कार्यगति में बाधा होगी, ध्यान दें।
कुंभ राशि :- किसी घटना का शिकार होने से बचें, चोटादि का भय अवश्य ही बनेगा, ध्यान दें।
मीन राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष, सुख मिले, बिगड़े कार्य बनेंगे, समय का लाभ लेवें, कार्य बन ही जायेंगे।
सावन खत्म होने से पहले इस मंदिर में कर लेंगे दर्शन, तो हो जाएगी सभी मनोकामनाएं पूर्ण!
19 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन माह के पवित्र दिनों में जयपुर के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है. जयपुर अपने प्राचीन मंदिरों और उनकी विशेष मान्यताओं के लिए भी प्रसिद्ध है. इन्हीं में से एक है ताड़केश्वर महादेव मंदिर, जो शहर के चारदीवारी बाजार के चौड़ा रास्ता में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका इतिहास जयपुर की स्थापना से भी पहले का है.
16वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया ताड़केश्वर महादेव मंदिर राजस्थानी स्थापत्य और स्थानीय संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है. मान्यता है कि यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहां कभी श्मशान घाट था और भारी संख्या में ताड़ के वृक्ष हुआ करते थे, इसलिए इस मंदिर का नाम ताड़केश्वर महादेव पड़ा. जयपुर के प्राचीन शिव मंदिरों में से एक इस मंदिर में दूर-दूर से भक्त विशेष मान्यता के कारण दर्शन के लिए आते हैं.
यहां 51 किलों से अभिषेक करने की हैं मान्यता
आपको बता दें सभी शिवालयों और मंदिर में भगवान शंकर को पानी और दूध से अभिषेक किया जाता हैं लेकिन ताड़केश्वर महादेव मंदिर में विशेष रूप से 51 किलों घी से भगवान शंकर के ज्योतिलिंग को अभिषेक करने की मान्यता हैं, जो वर्षों से चली आ रही हैं, जो भी भक्त ये अभीषेक करता हैं भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, आपको बता दें घी से अभिषेक करने की परम्परा यहां प्राचीन समय से ही चली आ रही हैं.
आपको बता दें इस मंदिर की वास्तुकला और डिजाइन उस समय के जयपुर रिसायत से वास्तुविद विद्याधर जी ने इसके निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी. इस मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से भी जाना जाता था. साथ ही मंदिर में स्थापित भव्य नंदी महाराज को भक्त अपनी परेशानियां बताते हैं और नंदी महाराज भक्तों की समस्याओं को भगवान शिव तक पहुंचाते हैं.
साल भर यहां लगा रहता है भक्तों का तांता
इस मंदिर में श्रावण महिने की तरह पूरे सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर के बारे में यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां जब से इस मंदिर की स्थापना हुई हैं. तब से यहां भगवान शंकर की अखंड ज्योत जल रही हैं जो आज भी बरकरार हैं. इस मंदिर में शिवरात्रि में पर्व पर देशभर से भगवान शंकर के दर्शन करने के लिए आते हैं यहां हर रोज हजारों की संख्या में भक्त आते हैं. मंदिर में भगवान शंकर के अलावा भगवान गणेश जी और ठाकुर जी विराजमान हैं, सावन मास के सोमवार को यहां सबसे ज्यादा लोग भगवान शंकर का अभिषेक करने आते हैं.
राखी बांधने पर 3 गांठें ही क्यों लगाई जाती हैं? कैसी हो पूजा की थाली, पंडित जी से जानें महत्व और जरूरी सामग्री
19 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में हिन्दू पर्व होली-दिवाली की तरह रक्षाबंधन भी धूमधाम से मनाया जाता है. इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को है. सभी भाई-बहनों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है. यह त्योहार हर वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र यानी राखी बांधती हैं. आपने अक्सर देखा होगा कि राखी में 3 गांठें लगाई जाती हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर राखी में 3 गांठें ही क्यों लगाई जाती हैं? क्या है इसका महत्व? पूजा की थाली में किन चीजों का होना जरूरी? इस सवालों के बारे में News18 को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य पं. ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-
राखी बांधने का शुभ समय?
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को मनाया जा रहा है. रक्षाबंधन वाले दिन भद्रा लगने की वजह से राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 19 अगस्त दोपहर 01:25 मिनट से रात 09:36 मिनट रहेगा. इस बीच बिना किसी दुविधा के भाइयों को राखी बांधी जा सकेंगी.
ऐसी हो रक्षाबंधन की थाली
रक्षाबंधन पर तैयार होने वाली थाली में रोली, अक्षत, हल्दी, नारियल, राखी, दीपक, मावा से बनी मिठाई या फिर खीर आदि का होना बेहद जरूरी है. माना जाता है कि चीजों के बिना पूजा अधूरी रह जाती है. साथ ही इन सभी चीजों का थाली में होना आवश्यक होता है, क्योंकि यह पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है.
राखी में तीन गांठों का महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, राखी में 3 गांठ लगाना बेहद शुभ होता है. कहा जाता है कि इन तीन गांठों का संबंध सीधे त्रिदेव यानी बह्मा, विष्णु और महेश से है. इसलिए राखी बांधते समय पहली गांठ भाई की लंबी उम्र के लिए होती है, दूसरी गांठ स्वयं की लंबी उम्र के लिए और तीसरी गांठ भाई-बहन के रिश्ते में प्यार और मिठास लाने के लिए होती है.
रक्षाबंधन , बन रहे ये शुभ योग, दोपहर 1:29 बजे तक रहेगी भद्रा, राखी के लिए मिलेगा सिर्फ इतने घंटे का मुहूर्त
19 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार के दिन श्रावण पूर्णिमा पर मनाया जाएगा. इस बार रक्षा बंधन पर दोपहर 1:29 बजे तक भद्रा काल रहेगा. इसके बाद पूरे दिन राखी बांधी जा सकेगी. इससे पहले विप्रजनों द्वारा श्रावणी उपाकर्म का आयोजन किया जाएगा. इससे पहले रविवार को घर के बाहर सुन मांडे जाएंगे. जिसके लिए पूरा दिन शुद्ध रहेगा.
पंडित रोहित (सोनू) पुजारी ने बताया कि इस बार भद्रा का वास पाताल लोक में रहेगा. जिससे अशुभ नहीं होगा. इस दिन से पंचक भी लग रहा है. उन्होंने बताया कि सोमवार को श्रवण नक्षत्र के बाद धनिष्ठा नक्षत्र के कारण यह राज पंचक होगा और इसे अशुभ नहीं माना जाता है. भद्रा काल में विप्रजनों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया जाएगा. इस पर रोक नहीं रहती है. इस दिन ऋग्वेदी, यजुर्वेदी ब्राह्मण उपाकर्म करेंगे. दोपहर 1:29 बजे तक भद्रा का प्रभाव रहेगा. इस दिन श्रवण नक्षत्र पूर्णिमा और सोमवार होने से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. साथ ही व्रत की पूर्णिमा भी इसी दिन रहेगी. बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने का मुहूर्त स्वार्थ सिद्धि योग में दोपहर से रात तक रहेगा.
ये है शुभ मुहूर्त
शनिदेव की बहन है भद्रा, इससे इसका प्रभाव रहता है तिथि, वार, योग, करण और नक्षत्र को मिलाकर पंचांग बनाया जाता है. पंडित के अनुसार करण तिथि के आधे भाग को भद्रा कहा जाता है. विशिष्टीकरण को ही भद्रा कहते हैं. सुबह 9 बजे शुरू होगी श्रावणी उपाकर्म पूजा श्रावण पूर्णिमा के दिन विप्रजनों द्वारा शहर में दो जगह श्रावणी उपाकर्म का आयोजन किया जाएगा. ग्रीन सीटी स्थित आनंदम स्विमिंग पुल में पंडित रोहित पुजारी के सानिध्य में व मंड्रेला रोड स्थित ग्रीन हाउस में पंडित दीनदयाल शुक्ला के सानिध्य में सुबह 9 बजे श्रावणी उपाकर्म की पूजा शुरू होगी. इसके अलावा जिले के अन्य कस्बों में भी विप्रजनों द्वारा श्रावणी उपाकर्म किया जाएगा. शुभ मुहूर्त दोपहर 2:06 से रात 8:09 तक पंडितों के अनुसार बहन द्वारा भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का शुभ मुहूर्त दोपहर 2:06 से रात 8:09 बजे तक सर्वश्रेष्ठ रहेगा. ज्योतिषियों के मुताबिक रक्षाबंधन के दिन श्रवण नक्षत्र, पूर्णिमा और सोमवार होने से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. साथ ही व्रत की पूर्णिमा भी इस दिन की महत्ता और बढ़ाएंगे. ऐसे में यह दिन रक्षाबंधन के दिन भी खास रहेगा.
श्याम भक्तों के लिए हरियाली एकादशी है बेहद खास, तुलसी की पत्तियों से सजे बाबा, दो दिवसीय मेले का हुआ आगाज
19 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बाबा श्याम का दो दिवसीय मासिक मेला आज से शुरू हो गया है. आज हरियाली एकादशी होने के कारण बाबा श्याम के मंदिर में भारी संख्या में भक्तों की भीड़ लगी है. बाबा श्याम को हरियाली एकादशी पर तुलसी पत्तियों से सजाया गया है. दिल्ली, मुंबई और कोलकाता सहित देश के कोने कोने से श्याम श्रद्धालु बाबा के दरबार में पहुंच रहे हैं और कतारबद्ध होकर बाबा श्याम के दीदार कर रहे हैं.
श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने बताया कि हर महीने बाबा श्याम का दो दिवसीय मासिक मेले का आयोजन होता है. यह मेला एकादशी व द्वादशी पर आयोजित होता है. एकादशी के अवसर पर बाबा श्याम की विशेष पूजा अर्चना पर श्रृंगार किया जाता है. एकादशी का दिन बाबा शाम के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए आने वाली हर एकादशी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
हरियाली एकादशी और बाबा श्याम
हरियाली एकादशी एक विशेष एकादशी होती है. इसे आमतौर पर ‘पद्म एकादशी’ भी कहा जाता है. यह एकादशी श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अगस्त के महीने में पड़ती है. इस दिन को विशेष रूप से हरियाली और प्रकृति के प्रति समर्पित माना जाता है. इस दिन बाबा श्याम की पूजा कर सकते हैं. हरियाली एकादशी के दिन भक्त विशेष पूजा, व्रत और उपवासी रहकर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और वातावरण को हरित बनाने के लिए भी प्रयास करते हैं.
तुलसी की पत्तियों से सजे बाबा श्याम
आज बाबा श्याम को हरित एकादशी के अवसर पर तुलसी की पत्तियों से सजाया गया है. एकादशी के अवसर पर आज विशेष आरती भी की गई है. तुलसी की पत्तियों से सजे बाबा श्याम आज बड़े ही मनमोहक नजर आ रहे हैं. मंदिर कमेटी के अनुसार कल द्वादशी की आवश्यक पर भी बाबा श्याम को मनमोहन फूलों और श्याम वस्त्रों से सजाया जाएगा और कल ही मासिक मेले का समापन होगा.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट-मित्रों से लाभ होगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, तथा रुके कार्य बन ही जायेंगे।
वृष राशि :- अपनों से तनाव, प्रत्येक कार्य में बाधा बने, लाभकारी योजना हाथ से निकल जायेंगी।
मिथुन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष तथा कार्यवृत्ति में सुधार होगा, कार्य बनेगा।
कर्क राशि :- कार्य योजना फलीभूत हों, दैनिक सफलता के कार्य संभव होंगे, कार्यगति में सुधार होगा।
सिंह राशि :- इष्ट-मित्रों सुखवर्धक होंगे, मनोबल उत्साहवर्धक बना रहेगा, कार्यगति में सुधार होगा।
कन्या राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, दैनिक व्यावसायक में सुधार होगा, चिन्तामुक्त होंगे।
तुला राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी, सोचे कार्य समय पर बनेंगे, किसी के धोखे से बचें।
वृश्चिक राशि :- दूसरों के कार्यों में भटकना पड़ेगा, समय को बचाकर चलने से लाभ होगा, ध्यान रखें।
धनु राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, कार्य योजना फलीभूत होगी, कार्य का ध्यान अवश्य रखें।
मकर राशि :- किसी का कार्य बनने से संतोष होगा, चिन्ता निवृत्ति, व्यावसायिक स्थिति में सुधार होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री-शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, उदर विकार, विद्या बाधा, कार्य बाधा अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बन जायेंगे, मित्रों का सहयोग अवश्य ही मिलेगा।
रक्षाबंधन का त्योहार नजदीक आते ही बढ़ गए राखियों के दाम, कीमत कर देगी हैरान
18 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रक्षाबंधन त्योहार में दो दिन बचे हैं. रक्षाबंधन का त्योहार सोमवार को मनाया जाएगा. इस समय बहनें राखी खरीद रही हैं. बाजार में तरह-तरह की डिजाइन की राखियां उपलब्ध हैं. राखी की कीमत में पांच से सात फीसदी की बढ़ोतरी देखी जा रही है. साथ ही बाजार में 20 रुपये से लेकर 250 रुपये तक की राखी उपलब्ध है.
अमरेली जिले की हेतवीबेन पटेल 32 साल की हैं और उन्होंने ग्रेजुएशन तक पढ़ाई की है. हेतवीबेन पटेल हर साल की तरह इस साल भी राखी बेच रही हैं. गुजरात के अलग-अलग इलाकों से राखी लाई जाती है और वे सड़क पर अच्छी जगहों पर स्टॉल लगाते हैं और अलग-अलग इलाकों में राखी बेचते हैं और अच्छी कमाई करते हैं. चालू सीजन में कीमतें पांच फीसदी तक बढ़ गई हैं. इसलिए राखी की कीमत थोड़ी बढ़ रही है.
बाजार में मिल रही डिजाइनर राखी
बाजार में तरह-तरह की राखियां उपलब्ध हैं. जिसमें बेनटेन, छोटाभामी की राखी है बच्चों के लिए भी रोशनी वाली राखियां बाजार में उपलब्ध हैं. इसके अलावा कार्टून भी बाजार में उपलब्ध हैं. बाजार में रुद्राक्ष, बड़ी, जर्मन सिल्वर, भाभी राखी उपलब्ध हैं. नए डिजाइन की राखियां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. ज्यादातर लोग राखी की खरीदारी के लिए दोपहर का समय चुन रहे हैं. बाजार में 80 रुपये से लेकर 250 रुपये तक की राखी उपलब्ध है. कच्चे माल की कीमत बढ़ने से राखी की कीमतें बढ़ी हैं.
क्या है राखी बांधने का सही मुहुर्त
इस वर्ष भद्रा 19 अगस्त को दोपहर 1:29 बजे तक और सूर्योदय से पहले रहेगी. अत: रक्षा बंधन दोपहर साढ़े बजे के बाद मनाना चाहिए. शाम 7 बजे तक चला, लाभ और अमृत शुभ चार हैं. इसलिए राखी बांधने का सबसे अच्छा समय दोपहर 1:30 बजे से शाम 7 बजे के बीच है. इसलिए शाम के समय राखी बांधना शुभ रहेगा. इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्योहार जन्माष्टमी तक मनाया जा सकता है, यानी जो लोग दूर रहते हैं वे जन्माष्टमी तक राखी बांध सकते हैं.
घर में सुख-शांति की कमी या आर्थिक समस्या से हैं परेशान? तो भगवान शिव के इस गण की लगा लें तस्वीर,
18 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई बार समय अच्छा होने के वाबजूद सब कुछ सही नहीं चल रहा होता है. पैसे कमाने के वाबजूद भी आर्थिक समस्या लगातार बनी रहती है. घर मे लगातार गृह कलेश होता ही रहता है. इंसान समझ नहीं पाता की क्या हो रहा है?. उनके साथ कभी इन सब चीजों का कारण घर मे लगे वास्तु दोष भी हो सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर जातक के घर मे वास्तु दोष पड़ जाए तो इंसान का जीवन तीतर बितर हो जाता है. इंसान चारो तरफ से परेशानिया से घिर जाता है.
इस धरती पर हर परेशानी का एक निवारण जरूर होता है. अगर जातक के घर मे ऐसी कभी भी परिस्थिति आये तो भगवान भोलेनाथ के सबसे प्रिय गण को अपने घर ले आये. जी हां नंदी की तस्वीर घर मे लगाने से सभी परेशानी समाप्त हो जाती है. लेकिन घर मे कब और किस दिशा मे लगानी चाहिए आईये जानते है देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि भगवान शिव के शिवलिंग को हम अपने घर में नहीं रख सकते हैं. वह शिवालय मे ही रहना चाहिए. लेकिन उनके जो सबसे प्रिय गण नंदी है. नंदी को अपने घर में रखने से वास्तु दोष समाप्त हो जाती है. क्योंकि अगर आप भगवान भोलेनाथ की सिर्फ पूजा कर रहे हैं उनके गण नंदी या किसी भी गण की पूजा नहीं करते है. आपकी पूजा असफल हो जाती है. आपके बातों को गण ही भगवान भोलेनाथ का पास पहुंचाते है. इसलिए भगवान शिव की पूजा के साथ उनके गण की पूजा अवश्य करे. यदि आपके घर मे लगातार परेशानिया बढ़ रही है तो नंदी की तस्वीर अवश्य लगाए.
किस दिशा मे और कब लगाना चाहिए
ज्योतिषाचार्य बताते है कि घर मे नंदी की तस्वीर अवश्य लगाना चाहिए. इससे भगवान भोलेनाथ बेहद प्रशन्न हो जाते है. नंदी की तस्वीर घर के पूर्व दिशा के दाए और सामने की तरफ बैठा हो तस्वीर लगा दे. इसके साथ ही जिस दिन शिववास हो उस दिन लगाए या आने वाले सावन पूर्णिमा के दिन लगा दे. अगर आप ऐसा करते है. आपकी सारी परेशानिया समाप्त हो जायेगी. घर मे लगे वास्तु दोष भी ख़त्म हो जायेगी. लगातार घर मे खुशहाली रहेगी.
घर पर 7 साधारण चीजों से ऐसे तैयार करें वैदिक राखी...हर संकट होगा दूर!
18 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार का पवित्र पर्व है. इस दिन बहन अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं. राखी को रक्षासूत्र भी कहा जाता है. आम तौर पर राखी या रक्षा सूत्र को लोग बाजार से खरीदते हैं लेकिन घर पर महज 2 रुपये खर्च कर आप वैदिक राखी को आसानी से तैयार कर सकते हैं. आइये जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से वैदिक राखी को तैयार करने की विधि.
पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार, कलावा, केसर, चंदन, अक्षत्र, दूर्वा घास, सरसों के दाने, लाल कपड़ा से आप घर पर वैदिक राखी को तैयार कर सकते हैं. यह राखी बाजार में बिकने वाली अन्य राखियों से कई ज्यादा असरदार होती है. क्योंकि इनमें यूज की गई सभी चीजों का सनातन धर्म में खासा महत्व होता है. चावल शुक्र का प्रतीक होता है जिससे माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है तो वहीं केशर और सरसों के दाने को गुरु का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा दूर्वा घास भगवान गणेश को अत्यंत प्रिय है इसलिए रक्षासूत्र में इसके प्रयोग से हर बाधा दूर होती है.
ऐसे करें वैदिक राखी तैयार
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस वैदिक राखी में लाल कपड़े के अंदर केसर, सरसों के कुछ दाने, चंदन , चावल और दूर्वा घास रखकर अच्छी तरह से बांध दें. उसके बाद कलावा को इस पोटली से बांधकर आप वैदिक राखी को आसानी से तैयार कर सकते हैं. यह राखी शुद्ध और पवित्र मानी जाती है.
बन रहे कई अद्भुत संयोग
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस दिन दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक भद्राकाल भी है. ऐसे में रक्षासूत्र 1 बजकर 24 मिनट के बाद ही बांधा जाएगा. इस बार रक्षाबंधन के दिन सौभाग्य, सिद्धि, शोभन योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का अद्भुत संयोग भी बन रहा है.
दिन के अनुसार लगाएं 7 रंगों का तिलक, सोमवार को मानसिक शांति के लिए चंदन से करें टीका, हर समस्या होगी दूर
18 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में तिलक लगाने का बड़ा महत्व बताया गया है. यह शुभता का प्रतीक माना जाता है और किसी भी शुभ कार्य से पहले तिलक लगाने का विधान है. जब भी घर में पूजा होती है या कोई धार्मिक अनुष्ठान होता है माथे पर तिलक जरूर लगाया जाता है लेकिन, क्या आप जानते हैं तिलक लगाने का महत्व क्या होता है? इसके क्या नियम हैं और किस दिन कौनसे रंग का तिलक लगाना चाहिए? यदि नहीं तो आइएजानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
तिलक लगाने का महत्व
हिन्दू धर्म में तिलक लगाने को लेकर मान्यता है कि इससे सकारात्मक प्रवाह बना रहता है. इससे आपके मन में अच्छे विचार आते हैं. तिलक लगाना सम्मान का सूचक है और इसे लगाने से आप अशुभ ग्रहों के प्रभाव को भी कम कर सकते हैं. इसके अलावा यह भी माना जाता है कि तिलक लगाने से आपका यश बढ़ता है.
वार के अनुसार लगाएं तिलक
1. सोमवार का दिन महादेव को समर्पित माना जाता है. इस दिन आप सफेद चंदन का तिलक लगाएंगे तो मन शांत रहेगा.
2. मंगलवार का दिन हनुमान जी के लिए खास माना जाता है और आप इस दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर माथे पर तिलक लगाएं.
3. बुधवार का दिन प्रथम पूज्य भगवान गणेश को समर्पित है और इस दिन आपको सूखे सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए. इससे आप पर बप्पा की कृपा बरसेगी.
4. गुरुवार का दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा के लिए विशेष माना गया है और पीला रंग शुभ माना जाता है. ऐसे में आप इस दिन पीला चंदन या हल्दी का तिलक लगाएं.
5. शुक्रवार के दिल को धन की देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए शुभ माना जाता है. लाल चंदन या कुमकुम माता को प्रिय है. ऐसे में आप कुमकुम का तिलक जरूर लगाएं.
6. शनिवार, जैसा कि नाम से स्पष्ट होता है कि शनि देव का प्रिय दिन है. इस दिन आपको
भस्म का तिलक लगाना चाहिए.
7. रविवार का दिन भगवान सूर्य की आराधना के लिए खास माना गया है. इस दिन आप यदि लाल चंदन का तिलक अपने माथे पर लगाते हैं तो आपके मान-सम्मान में वृद्धि होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
18 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट-मित्रों से लाभ, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य एक-एक करके बनेंगे।
वृष राशि :- अपने प्रत्येक कार्य में बाधा, लाभकारी कार्य हाथ से निकल सकता है, सावधानी से लाभ होगा।
मिथुन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति में सुधार, कार्य अनुकूल बनेगा।
कर्क राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी, दैनिक सफलता के साधन जुटायें, प्रलोभन से बचें।
सिंह राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, अनेक समस्यायें असमंजस में रखें तथा कार्य की बेचैनी बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री-वर्ग से तनाव के बाद शांति तथा भाग्य का सितारा साथ देगा, मानसिक प्रसन्नता रहेगी।
तुला राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, समय अनुकूल है, कार्य-कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा।
वृश्चिक राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी, सोचे कार्य समय पर बनेंगे, कार्य-योजना पर विचार होगा।
धनु राशि :- अर्थ-लाभ, कार्य-कुशलता में बाधा, स्वास्थ्य नरम रहेगा, पराक्रम उत्साहवर्धक अवश्य होगा।
मकर राशि :- उद्विघ्नता बनी ही रहेगी, किसी उत्तम समाचार से हर्ष अवश्य ही होगा, प्रसन्नता बनी रहे।
कुंभ राशि :- विरोधियों से परेशानी, चिन्ता व्याग्रता बनी ही रहेगी, विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
मीन राशि :- आय-व्यय सामान्य रहेगा, शारीरिक कष्ट, कार्य-क्षमता में भेद होगा, कार्य में रुकावट बनेगी।