धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
24 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- यात्रा से लाभ, परिवार से लाभ, कार्य में रुकावट होगी, समय का ध्यान रखें।
वृष :- धार्मिक कार्यों में खर्च होगा, धन का आभाव मन में खेद तथा दुख अवश्य होगा।
मिथुन :- व्यापारिक योजना बने, शरीर सुख तथा लाभ के कार्य में बाधा होगी।
कर्क :- चिन्ताओं की समाप्ति होगी, नये कार्य-व्यापार से लाभ के कार्य होंगे तथा बाधा बनेगी।
सिंह :- शारीरिक कष्ट, परेशानी, स्त्री से अनवन तथा सामान्य लाभ होगा।
कन्या :- संघर्ष, कार्य व्यापार में अशांति हो, संतान से सुख समाचार मिले।
तुला :- रोग, शरीर व्याधि से कष्ट धन की कमी, घर में कलह होगी, ध्यान दें।
वृश्चिक :- मेहनत से कार्य पूर्ण हों, स्त्री का सहयोग फलदायी होगा, व्यय की वृद्धि होगी।
धनु :- खांसी-जुकाम का प्रभाव रहेगा, स्त्री से मन-मुटाव होगा, ध्यान रखें।
मकर :- व्यापार में सुधार होगा, शत्रुपक्ष से सावधान रहें, स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
कुम्भ :- संघर्षपूर्ण स्थिति होगी, लाभ तथा व्यय होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मीन :- व्यापार में लाभ, कार्यक्षेत्र में सुधार, भूमि-भवन की खरीद-फरोख्त अवश्य होगी।
इन 5 चीजों से नाराज होते हैं लड्डू गोपाल, जन्माष्टमी पर भूलकर भी न करें, निष्फल होगी पूजा
23 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जगत के पालन हार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरुप की जन्माष्टमी के दिन घर-घर में पूजा की जाती है. इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं. जिसे प्यार से लड्डू गोपाल भी कहते हैं. वैसे तो सालों भर लड्डू गोपाल की पूजा और सेवा की जाती है, लेकिन जन्माष्टमी के दिन विशेष लड्डू गोपाल की पूजा आराधना की जाती है. माना जाता है की जन्माष्टमी के दिन ही लड्डू गोपाल का जन्म हुआ था. जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की पूजा आराधना तो करनी चाहिए. लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जो भूल कर भी जन्माष्टमी के दिन ना करें तो अच्छा है. क्योंकि इससे भगवान श्री कृष्णा ना खुश हो सकते हैं और जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
क्या कहते है ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित आनंद किशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि हर साल जन्माष्टमी भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. इस साल 26 अगस्त को जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाएगा. इसी दिन व्रत भी रखा जाएगा. जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल की विशेष पूजा आराधना और श्रृंगार करनी चाहिए. इसके साथ ही लड्डू गोपाल का प्रिय भोग भी लगाना चाहिए. इससे लड्डू गोपाल बेहद प्रसन्न होते हैं. जातक की मनोकामनाएं अवश्यक पूर्ण करते हैं.
जन्मआष्ट्मी के दिन नहीं करनी चाहिए ये कार्य :
ज्योतिषाचार्य बताते हैं की जन्माष्टमी के दिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिनकी मनाही होती है. जैसे बाल, दाढ़ी नाखून इत्यादि ना कटवाए. जन्माष्टमी के दिन जातक को भूलकर भी बाल नाख़ून इत्यादि कटवाना नहीं चाहिए.
काली वस्त्र का उपयोग न करें :
जन्माष्टमी के दिन भूलकर भी काले वस्त्र का उपयोग जातक को नहीं करना चाहिए. ना ही भगवान श्री कृष्ण को काले वस्त्र का श्रृंगार करें. ऐसा करने से आपके जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
तामसिक भोजन का ना करे सेवन :
जन्माष्टमी के दिन तामसिक भोजन का सेवन भूल कर भी नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही चावल का भी सेवन न करें. इससे भगवान श्री कृष्णा रुष्ट हो सकते हैं.
तुलसी पत्ता नहीं तोड़े :
जन्माष्टमी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना नहीं चाहिए माना जाता है कि तुलसी के पत्ता में माता लक्ष्मी का वास होता है. ऐसा करने से पूजा असफल हो जाती है.
गाय बछरे को भूखा ना रखे :
क्योंकि माना जाता है कि लड्डू गोपाल को गाय बछड़ा बेहद प्रिय है. इसलिए जन्माष्टमी के दिन घर का सबसे पहला अन्न गाय बछड़े को ही खिलाएं. घर के पास से किसी भी गाय बछड़े को भगाए नहीं. उन्हें मारे नहीं अगर ऐसा करते हैं, तो आप पाप के भागी बन सकते हैं.
जन्माष्टमी पर करें तुलसी से जुड़े उपाय, प्रसन्न होकर लक्ष्मी-नारायण भर देंगे झोली,
23 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मान्यता के अुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर हुआ था. यही कारण है कि हर साल भाद्र माह की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है. लोग व्रत भी रहते हैं. वहीं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर इस दिन कुछ उपाय कर लिए जाएं तो साल भर लक्ष्मीनारायण का आशीर्वाद मिलता है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने तुलसी से जुड़ा अचूक उपाय बताया है.
कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 26 अगस्त को प्रात: 3 बजकर 39 मिनट पर शुरू होकर 27 अगस्त को तड़के 2 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होने वाली है. जन्माष्टमी 26 अगस्त सोमवार को मनाई जाएगी. 26 अगस्त सोमवार को जन्माष्टमी के दिन पूजा का मुहूर्त रात 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक है. यह निशिता मुहूर्त है.
जन्माष्टमी पर करें ये उपाय
1. जन्माष्टमी के दिन तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता की 11 बार परिक्रमा करें. माना जाता है कि जो कोई जन्माष्टमी पर ऐसा करता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है.
2. जन्माष्टमी पर पूजन के समय लड्डू गोपाल को माखन का भोग लगाएं तो उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें. साथ ही भगवान को भी तुलसी पत्ता अर्पित करें. माना जाता है कि जन्माष्टमी के दिन ऐसा करने से आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.
3. बहुत प्रयास के बाद भी नौकरी या बिजनेस में तरक्की नहीं मिल रही हो तो जन्माष्टमी पर तुलसी माता को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं. ऐसा करते हुए भगवान श्रीकृष्ण से मन ही मन अपनी मनोकामना कहें. मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द ही मनोकामना पूरी हो जाती है.
4. जन्माष्टमी के दिन घर में तुलसी का पौधा लगाने से वैवाहिक जीवन में आ रही दिक्कतें दूर हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है. इसके अलावा यह उपाय उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जिनकी शादी में दिक्कतें आ रही हैं.
बोकारो में यहां प्राचीन गणेश मंदिर, 100 साल से भक्तों की मनोकामना हो रही पूरी, जानें मान्यता
23 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बोकारो के चास पुराना बाजार में स्थित प्राचीन गणेश मंदिर स्थानीय लोगों के आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र है. यहां बीते 100 वर्षों से भगवान गणेश कि पूजा धूमधाम से आयोजन किया जा रहा है. प्राचीन गणेश मंदिर के पूर्वजों के वंशज उत्तम ने लोकल 18 से कहा कि 1913 में, मोदक समाज के पूर्वजों ने भगवान गणेश को कुल देवता मानते हुए. इस मंदिर की नींव रखी.
1920 में इस मंदिर को पक्के रूप में पुनर्निर्मित किया गया. इसके बाद, मंदिर में राजस्थान से पत्थर मंगवाकर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की गई. यह मंदिर आसपास क्षेत्र के लोगों और श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है. समय के साथ हुए बदलाव को देखते हुए 2019 में मंदिर का आधुनिक सौंदर्यकरण किया गया. जिसने मंदिर को एक नया सुंदरस्वरूप दिया है.
प्रसाद के रूप चढ़ाए जाते है गुड़ के लड्डू
वहीं मंदिर के पुरोहित संजय खवास ने बताया कि सबसे पहले उनके पूर्वज धारापति खवास ने मंदिर में पूजा अर्चना शुरू किया था. अब वह मंदिर में अपनी सेवा दे रहे हैं हर साल गणेश चतुर्थी और सकट चतुर्थी के अवसर पर मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. यहां भगवान गणेश के छोटी प्रतिमा को दूध से अभिषेक कर फल, फूल अर्पण किए जाते हैं. उसके बाद भगवान गणेश को गुड़ के लड्डू का भोग चढ़ाया जाता है. प्रसाद के रूप में गुड़ के लड्डू भी दिए जाते हैं. इसके अलावा भक्ति कार्यक्रम और महाप्रसाद के रूप में खिचड़ी और खीर का वितरण भी किया जाता है.वहीं मंदिर में पूजा अर्चना करने आए श्रद्धालु वेदांत पाल ने बताया कि वह बचपन से पूजा अर्चना करने आ रहे हैं. उनके अनुसार श्रद्धालु जो सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से मनोकामना जरूर पूर्ण होती है.
काफी प्राचीन है भगवान शिव का यह मंदिर, यहां श्री कष्ण ने की थी पूजा, हर सोमवार लगता है मेला
23 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के खेरेश्वर धाम मंदिर में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों के साथ आकर शिवलिंग की पूजा की थी और हवन किया था. इसीलिए यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया. आज दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां पर आते हैं. यह मंदिर अलीगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 13 किलोमीटर दूर खैर बाईपास पर खेरेश्वर चौराहा के पास बना है, जो श्रद्धालुओं की अपार श्रद्धा एवं भक्ति का केंद्र है.
खेरेश्वर धाम मंदिर एक ऐतिहासिक धर्मस्थल है. इस मंदिर का इतिहास द्वापर काल से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि यहां भगवान श्री कृष्ण और दाऊजी महाराज स्वंय अपनी सेना के साथ आए थे. वे मथुरा से गंगा स्नान के लिए राजघाट जा रहे थे. इस दौरान उन्होंने इस मंदिर स्थल पर विश्राम किया था. कहा जाता है कि दाऊजी महाराज ने रास्ते में अपने हल की धुलाई की थी. इसी के चलते उस जगह को हलदुआ के नाम से जाना जाने लगा.
ब्रज की देहरी कहे जाने वाले अलीगढ़ का इतिहास पौराणिक कथा और कहानियों से भी जुड़ा हुआ है. साक्षात भगवान श्री कृष्ण के चरण अलीगढ़ की धरती पर पड़ चुके हैं. लोधा क्षेत्र में स्थित सिद्धपीठ खेरेश्वर धाम भगवान श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम के साथ आए हुए थे. पांडवों के साथ उन्होंने खेरेश्वर धाम स्थित शिव मंदिर पर हवन भी किया था, इसलिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेरेश्वर धाम की मान्यता है और यहां कई प्रांतों के श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ और श्री बांके बिहारी जी के स्वरूप के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं. स्वामी हरिदास जी की कर्म स्थली के रूप में भी खेरेश्वर धाम को जाना जाता है.
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सतपाल सिंह ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण खेरेश्वर धाम में रुके थे. इसलिए धीरे धीरे खेरेश्वर धाम में भक्तों का आना शुरू हो गया. ऐसा भी बताया जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों के साथ आकर उन्होंने शिवलिंग की पूजा की थी और हवन किया था, इसीलिए यह मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में प्रसिद्ध हो गया.आज जिले भर के साथ ही दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा आदि जगहों से भी श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए यहां पर आते हैं. प्रत्येक सोमवार को मंदिर में विशाल मेला भी लगता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
वृष :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, विवादग्रस्त होने से अवश्य बचें।
मिथुन :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक रहें, विशेष कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क :- स्वास्थ्य हानि से बेचैनी, मानसिक उद्विघ्नता, शरीर क्षमता कमजोर पड़ेगी, ध्यान रखें।
सिंह :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार के योग बनेंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कन्या :- समय पर सोचे हुए कार्य बनेंगे किन्तु कुछ बाधा व विलम्ब अवश्य होगा।
तुला :- मानसिक क्लेश व अशांति, मनोवृत्ति मलिन रहे तथा विरोधी तत्व परेशान अवश्य करें।
वृश्चिक :- आर्थिक योजना पूर्ण हों, सफलता के साधन जुटायें, कार्य संतोष की चिन्ता होगी।
धनु :- कार्य योजना फलीभूत होगी, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, रुके कार्य बनेंगे।
मकर :- इष्ट मित्रों से सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति, स्त्री वर्ग से हर्ष, तनाव तथा क्लेश, अशांति बनेगी।
कुम्भ :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष एवं रुके कार्य बनेंगे।
मीन :- दैनिक कार्यगति में सुधार, प्रत्येक कार्य में बाधा उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
भादों में करें ध्रर्म के अनुसार आचरण
22 Aug, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग का छठा माह भाद्रपद अर्थात भादो प्रारंभ हो गया है। सनातन धर्म के अनुसार भाद्रपद माह चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में से दूसरा महीना है। इसलिए इसमें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा सदैव पूर्वा या उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में पड़ती है तथा आकाशगंगा में पूर्वा भाद्रपद अथवा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के योग बनने से इस माह का नाम भाद्रपद व भादो रखा गया है। भाद्रपद महीने में सनातन धर्म के अनेक पर्व आते हैं। जिनमें जन्माष्टमी, गणेशोत्सव व तीज मुख्य हैं। भादो मास में पड़ने वाले इन विशिष्ट उत्सवों ने सदियों से भारतीय धर्म परम्पराओं और लोक संस्कृति सभी और फैली है।
भाद्रपद माह में स्नान, दान तथा व्रत करने से जन्म-जन्मान्तर के पाप नाश हो जाते हैं। भादो में अनेक लोक व्यवहार के कार्य निषेध होने के कारण यह माह शून्य मास भी कहलाता है। भादो में नए घर का निर्माण, विवाह, सगाई आदि मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते, इसलिए भादो में भक्ति, स्नान-दान के लिए उत्तम समय माना गया है। इस दौरान जमीन पर ही सोना चाहिय और संयमित जीवन व्यतीत करना चाहिये।
भाद्रपद माह धार्मिक तथा व्यावहारिक नजरिए से जीवनशैली में संयम और अनुशासन को अपनाना दर्शाता है। इसलिए इसमें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है। शास्त्रनुसार भाद्रपद माह में कुछ कार्य निषेद्ध हैं तथा कुछ खाद्य सामाग्री पर भी वर्जना बताई गयी है। भादो में हरी शाक सब्जियों के अलावा शहद गुड, तिल, दही और नारियल के तेल का सेवन नहीं करना चाहिये। वहीं दूध , घी और मक्खन का अधिक से अधिक सेवन लाभ कारी रहता है।
भादों में पड़ने वाली तीज का महिलाओं को इंतजार रहता है। हिन्दू धर्म में चार प्रकार की तीज मनायी जाती है। जिसमें अखा तीज, हरियाली तीज, कजरी, और हरितालिका तीज शामिल है। इस दौरान आकाश में घुमड़ती काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली अथवा कजरी तीज कहा जाता है। कजरी तीज को लेकर मान्यता है कि शिव-गौरी की पूजा करने से सौभाग्यवती स्त्री को अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। दांपत्य जीवन सुखमय होने के साथ ही इसमें प्रेम का वास होता है। वहीं कुंवारी कन्याओं के व्रत रखने को लेकर माना जाता है कि उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
जानें, मंगलसूत्र धारण करने के नियम और इसका महत्व
22 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में विवाह में मंगलसूत्र का सबसे अहम स्थान है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन का प्रतीक माने जाने वाले मंगलसूत्र को धारण करने के नियम और सावधानियां भी बतायी गयी हैं।
मंगलसूत्र एक काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। इसके अंदर बहुत सारी चीज़ें जुड़ी होती हैं और हर चीज़ का सम्बन्ध शुभता से होता है। माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और पति के जीवन के सारे संकट कट जाते हैं जबकि यह महिलाओं के लिए भी रक्षा कवच और सम्पन्नता का काम करता है।
मंगलसूत्र के अंदर क्या-क्या चीज़ें होती हैं?
मंगलसूत्र में पीला धागा होता है
इसी पीले धागे में काली मोतियाँ पिरोई जाती हैं
साथ में एक सोने या पीतल का लॉकेट भी लगा हुआ होता है
यह लॉकेट गोल या चौकोर , दोनों हो सकता है
मंगलसूत्र में सोना या पीतल भले ही न लगा हो पर पीले धागे में काली मोतियाँ जरूर होनी चाहिए
मंगलसूत्र में लगी हुयी चीज़ें कैसे ग्रहों को नियंत्रित करती हैं ?
मंगलसूत्र का पीला धागा और सोना या पीतल बृहस्पति का प्रतीक है
जिससे महिलाओं का बृहस्पति मजबूत होता है
काले मोतियों से महिलाएं और उनका सौभाग्य बुरी नज़र से बचे रहते हैं
यह भी मानते हैं कि मंगलसूत्र का पीला हिस्सा माँ पार्वती है और काले हिस्सा भगवान शिव
शिव जी की कृपा से महिला और उसके पति की रक्षा होती है
तथा माँ पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है
मंगलसूत्र धारण करने के नियम और सावधानियां क्या हैं ?
मंगलसूत्र या तो स्वयं खरीदें या अपने पति से लें
किसी अन्य से मंगलसूत्र लेना उत्तम नहीं होता
मंगलसूत्र मंगलवार को न खरीदें
धारण करने के पूर्व इसे माँ पार्वती को अर्पित करें
जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो मंगलसूत्र को न उतारें
मंगलसूत्र में लगा हुआ सोना अगर चौकोर हो तो बहुत उत्तम होगा
हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्की होना अच्छा नहीं
22 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विवाह के लिए वर-वधू का योग देखने में हस्तरेखा का बहुत बड़ा योगदान होता है। किसी भी विवाह का भविष्य वर और कन्या की हथेली पर उपस्थित विभिन्न रेखाओं, पर्वतों और चिह्नों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ ऐसी रेखाओं के बारे में जान लें जो विवाह के मामले में अच्छी साबित नहीं होतीं।
हृदय रेखा
यदि आपकी हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्की है तो आपके लिए वैवाहिक संयोग अच्छे नहीं हैं। ऐसे में विवाह होने के बाद भी आपके संबंधों में विच्छेद हो सकता है।
मंगल पर्वत
यदि आपका मंगल पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित हो या फिर मंगल पर दोषपूर्ण चिह्न हो तो ऐसे में विवाह करना आपके लिए सही नहीं होगा।
शुक्र पर्वत हों कम विकसित
शुक्र पर्वत कम विकसित होने पर वैवाहिक जीवन में शारीरिक संतुष्टि नहीं प्राप्त होती। चंद्र पर्वत और बृहस्पति के कम विकसित होने पर भी ऐसा ही होता है।
हृदय रेखा पर काले चिह्न अशुभ
यदि आपकी हृदय रेखा पर किसी प्रकार के काले चिह्न शुभ नहीं है। मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में जरूरत से ज्यादा दूरी होना सही नहीं है। हाथ का निचला क्षेत्र अत्यधिक विकसित होना अच्छा नहीं माना जाता। ये सभी बातें विवाह पश्चात शारीरिक अनुकूलता के लिए सही नहीं है। ये सभी विकार असंतुष्ट यौन संबंधों को दर्शाते हैं।
संतान सुख नहीं मिल पाता इनको
अगर आपकी हृदय रेखा छोटी है और शुक्र व गुरु पर्वत के उभार भी कम हैं। विवाह रेखा के ऊपर क्रॉस है। जिस स्थान पर मस्तिष्क रेखा बुध रेखा को काटती है, अगर वहां तारा है तो यह शुभ नहीं है।
ऐसे में हो सकता है तलाक भी
विवाह रेखा अंत में दो भागों में बंट रही हो। शुक्र पर्वत पर जाल या फिर एक-दूसरे को काटती हुई रेखाएं हो तो ये शारीरिक अक्षमता को दर्शाता है। विवाह रेखा को कोई रेखा काटे तो तलाक की आशंका बढ़ जाती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
22 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- योजनाएं फलीभूत हों, प्रत्येक कार्य में विलम्ब के कारण विशेष लाभ नही होगा।
वृष :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, परिश्रम से सोचे गये कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन :- परिश्रम से सफलता के कार्य जुटायें, सोचे हुए कार्य पूर्ण अवश्य ही होवेंगे, ध्यान रखें।
कर्क :- आर्थिक चिन्ताएW संभव हों, योजनाएW फलीभूत होंगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह :- मानसिक बेचैनी, मित्रों से धोखा, अनायास विभ्रम कष्टप्रद होगा, ध्यान रखें।
कन्या :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों तथा मित्रों से मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि अवश्य होगी।
तुला :- मान-प्रतिष्ठा पर आंच का भय, किसी की सहायता से सुरक्षा संभव होगी।
वृश्चिक :- आर्थिक योजन पूर्ण हों, सफलता के साधन बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु :- असमंजस की स्थिति बनी ही रहेगी, समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे।
मकर :- समय की अनुकूलता से लाभांवित हों, कल्याणकारी योजना अवश्य ही बनेगी।
कुम्भ :- तनाव-क्लेश, अशांति, मानसिक विभ्रम तथा उत्तेजना की वृद्धि होगी, ध्यान रखें।
मीन :- मानसिक तनाव व क्लेश, अशांति, धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, कार्य बनेंगे।
बेलेश्वर मंदिर का अनोखा है इतिहास, यहां दर्शन करने मात्र से पूरी होती है मनोकामना
21 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र में हजारों मंदिर हैं. हर मंदिर की एक अनोखी कहानी है. आज हम ऐसे ही एक मंदिर की कहानी जानने जा रहे हैं. यह मंदिर बालाघाट पर्वत श्रृंखला की गोद में प्रकृति के सान्निध्य में स्थित बेलेश्वर का मंदिर है. बाहर से किले की तरह दिखने वाले मंदिर का मुख्य द्वार भी उतना ही प्रभावशाली है. बेलेश्वर मंदिर धाराशिव जिले के भूम तालुका के पखरूद में स्थित है . मंदिर में महादेव की पिंडी पर बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं. इसलिए इस मंदिर को बेलेश्वर कहा जाता है.
राजा सुल्तानराव ने की थी मंदिर की स्थापना
खरदा संस्थाओं के राजा सुल्तानराव राजेनिम्बलकर एक बार काशी गए. वे वहां से महादेव की 7 पिंडियां लाए और उन्होंने खारद्या के चारों ओर 7 लिंगों की स्थापना की. उनमें से एक है बेलेश्वर मंदिर. उन्होंने इस मंदिर को गुरु तुकाराम महाराज को समर्पित किया था और कहा जाता है कि मंदिर का देउलवाड़ा भी राजा सुल्तानराव राजा निंबालकर ने बनवाया था.
परिसर में है तीर्थ स्वामी महाराज की स्माधि
मंदिर के सामने परिसर में एक छोटे से मंदिर में श्री तुकाराम तीर्थ स्वामी महाराज की समाधि है. वहीं उनके सामने मंदिर में विट्ठल-रुक्मिणी की मूर्तियां हैं और मंदिर प्रकृति के करीब है. इस स्थान पर दत्तात्रेय की एकमुखी मूर्ति देखी जा सकती है। इस स्थान पर वह गुफा देखी जा सकती है जहां तुकाराम महाराज तपस्या करते थे। यह भी कहा जाता है कि इस गुफा से एक रास्ता खरदा के किले तक जाता है। मंदिर में एक इमली का पेड़ है जिसकी दो शाखाएँ हैं। उनमें से एक की पत्तियों का स्वाद मीठा होता है। तो एक शाखा की पत्तियाँ खट्टी हो जाती हैं, इसलिए भक्त इसे चमत्कार कहते हैं।
कब है गणेश चतुर्थी? किस तारीख से शुरू होगा 10 दिनों तक चलने वाला गणेश उत्सव
21 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणेश चतुर्थी का 10 दिनों का उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है. गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में गणपति बप्पा को लेकर आते हैं, उनकी विधि विधान से पूजा-अर्चना करते हैं. फिर उसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी का विसर्जन करते हैं. हालांकि गणेश विसर्जन के भी अलग-अलग नियम हैं, जिसके तहत सभी लोग 10 दिनों तक गणपति बप्पा को नहीं रखते हैं. गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र समेत पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का उत्सव लगातार 10 दिनों तक चलता है. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि गणेश चतुर्थी कब है? गणेश चतुर्थी का मुहूर्त क्या है? गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है?
गणेश चतुर्थी 2024 तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर में 3 बजकर 1 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के आधार पर गणेश चतुर्थी का शुभारंभ 7 सितंबर शनिवार से होगा. उस दिप गणेश जी की मूर्ति की स्थापना होगी और व्रत रखा जाएगा.
गणेश चतुर्थी 2024 मुहूर्त
7 सिंतबर को गणेश चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त 2 घंटे 31 मिनट तक है. उस दिन आप गणपति बप्पा की पूजा दिन में 11 बजकर 03 मिनट से कर सकते हैं. मुहूर्त का समापन दोपहर में 1 बजकर 34 मिनट पर होगा.
4 शुभ योग में है गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं. गणेश चतुर्थी को सुबह में ब्रह्म योग है, जो रात 11 बजकर 17 मिनट तक है, उसके बाद से इन्द्र योग बनेगा. इन दो योगों के अलावा रवि योग सुबह में 06:02 ए एम से दोपहर 12:34 पी एम तक है. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 12 बजकर 34 मिनट तक है, जो अगले दिन 8 सितंबर को सुबह 06 बजकर 03 मिनट तक है.
गणेश चतुर्थी 2024 भद्रा
गणेश चतुर्थी के दिन भद्रा भी लग रही है. भद्रा सुबह में 06 बजकर 02 मिनट से लग रही है, जो शाम 05 बजकर 37 मिनट पर खत्म होगी. इस भद्रा का वास पाताल में है.
कब है हरतालिका तीज? इस बार अद्भुत संयोग, देवघर के आचार्य से जानें व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त
21 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हरतालिका तीज पर सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. विशेष कर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल में यह पर्व वृहद रूप से मनाया जाता है. हरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है, क्योंकि इसमें निर्जला व्रत रखा जाता है. इस बार हरतालिका तीज पर अद्भुत संयोग भी बन रहा, जिसका व्रती महिलाओं को खास लाभ होने वाला है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल 6 सितंबर को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद पाने के लिए निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन अवश्य करें. विशेष कर नव विवाहित महिलाओं को इस दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए.
हरतालिका तिथि के दिन शुभ संयोग
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हरतालिका तीज के दिन इस साल बेहद शुभ संयोग का निर्माण होने जा रहा है, यानी इस दिन रवि योग और अमृत सिद्धि योग के साथ चित्रा नक्षत्र भी है जो बहुत शुभ माना जाता है. ऐसे में व्रत रखकर प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दोगुने फल की प्राप्ति होगी.
क्या है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हरतालिका तीज के दिन रात्रि में चंद्रमा को देखकर ही अपने पति के हाथों इस व्रत को तोड़ा जाता है. इस बार 6 सितंबर को चंद्रोदय के बाद शाम 7:55 बजे तक व्रत तोड़ने का शुभ मुहूर्त है. हरतालिका तीज पर शाम 7:55 मिनट से पहले चंद्रमा का दर्शन कर अर्घ्य प्रदान कर पति के हाथों व्रत तोड़ सकती हैं.
विवाहित महिलाएं करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाएं हरे रंग का वस्त्र पहनकर पति की लंबी उम्र की कामना लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य को अवश्य प्रदान करें. इससे अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
यहां रात में राधा-कृष्ण साक्षात करते हैं रासलीला! आती है घुंघरू बजने की आवाज, दिलचस्प है कहानी
21 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपने निधिवन के बारे में तो जरुर सुना होगा. जो की वृंदावन में है. वहां पर साक्षात रात में राधा कृष्ण भगवान रासलीला रचाने आते हैं. किसी को भी देखने की मनाही होती है. बिल्कुल ऐसे ही झारखंड की राजधानी रांची में भी एक जगह है. यहां पर रात में राधा कृष्ण साक्षात रास रचाते हैं और इसे भी कोई नहीं देखता बल्कि, शाम में ही दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं.
रांची के चुट्टिया स्थित राधा कृष्ण मंदिर में कृष्ण भगवान और राधा मां साक्षात आते है. यहां पर एक कमरा है. जहां पर कृष्ण भगवान के साथ राधा मां और 11 गोपिया है. यह रात में रास रचाते हैं. यहां पर किसी भी भक्तों का आना माना है. केवल दूर से ही दर्शन देते हैं. वहीं,शाम होते-होते दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. फिर सुबह 5:00 बजे खुलते हैं.
आते हैं घुंघरू के आवाज
मंदिर के पुजारी महंत गोकुल दास बताते हैं कि रात में आपको साफ तौर पर घुंघरू की आवाज आएंगे. यहां पर ऐसे कई भक्त जन भी है जो आसपास रहते हैं. रात में बड़ा तेज गाने की आवाज आती है. ऐसा लगता है कि मानो कोई दिल खोलकर रासलीला रचा रहा हो. यह धुन सुनने के लिए भी आपका मन पवित्र होना बेहद जरूरी है. यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है और तब से हमारे पूर्वज इस मंदिर की रखवाली करते आ रहे हैं.वह भी यही कहते थे कि यहां पर कृष्ण भगवान आते हैं.हमारे पूर्वज ने हमें बताया, लोगों ने देखने की कोशिश की तो उनके बड़े असाधारण तौर से मृत्यु हो गई. इसलिए तब से शाम में ही दरवाजा बंद कर दिया जाता है.
होती है हर मुराद पूरी
यहां पर हर एक लोगों की मुराद पूरी होती है.जो यहां पर बड़े सच्चे मन से कुछ भी मांगता है तो कृष्ण भगवान दिल खोलकर उसे वह चीज देते हैं. आपकी नीयत साफ होनी चाहिए. थोड़ा इंतजार करना है. पूरे विश्वास के साथ. मन में किसी भी तरह का कोई भी शंका नहीं रखनी है. फिर देखिए आपकी कौन सी इच्छा यहां पूरी नहीं होगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
21 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य विफलत्व, समय में योजनाएं फलीभूत हों किन्तु लाभ से वंचित अवश्य ही रहेगा।
वृष राशि :- कहीं विस्फोटक स्थित कष्टप्रद हो किन्तु भाग्य का सितारा प्रबल रहे, लाभ अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब की चिन्तायें मन व्याग्र रखें, आकस्मिक भय अवश्य होगा, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा एवं धन लाभ का योग अवश्य ही बनेगा, ध्यान दें।
सिंह राशि :- धन लाभ, कार्य-कुशलता से संतोष, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल अवश्य ही बन जायेगी।
कन्या राशि :- दैनिक कार्यगति मंद, मन में उद्विघ्नता बनेगी, रुके कार्यों को पूरा करने में मन लगायेंगे।
तुला राशि :- मानसिक उद्विघ्नता बनें, स्वास्थ्य नरम रहेगा, कार्य में संतोष होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
वृश्चिक राशि :- सफलता के साधन बनें, इष्ट-मित्र फलप्रद एवं सुखवर्धक होंगे, कर्मचारी सहयोग करेंगे।
धनु राशि :- विरोधी तत्व परेशान करेंगे, अनायास बाधा, शरीर कष्ट, बचकर चलने से लाभ होगा।
मकर राशि :- मानसिक बेचैनी, अशांति, तनाव, अधिकारियों से विरोध बनेगा, ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि :- लोगों से मेल-मिलाप के पश्चात् कार्य अवरोध तथा बेचैनी अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा मंद रहेगा, तनाव-क्लेश व अशांति अवश्य बनेगी, धन का व्यय होगा।