धर्म एवं ज्योतिष
700 साल पुराना है ये राधा-कृष्ण मंदिर, यहीं गिरा था महाप्रभु चैतन्य का अंग्र वस्त्र, जानें रोचक कथा
26 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप झारखंड की राजधानी रांची में रहते हैं. आप चुटिया के राधा वल्लभ मंदिर के बारे में तो जरूर ही जानते होंगे. यह रांची के इतिहास का एक महत्वपूर्ण धरोहर है. इस मंदिर की खूबसूरती देखते बनती है. इससे जुड़ी एक दिलचस्प कहानी है जो शायद ही लोग जानते होंगे. जन्माष्टमी के अवसर पर आपको बताते हैं कि यह मंदिर कैसे बनकर तैयार हुआ था.
मंदिर के पुजारी गोकुल महंत दास ने लोकल 18 से कहा कि यह मन्दिर करीब 700 साल पुराना है. यह मंदिर के बनने के पीछे भी एक रोचक घटना है. यह मंदिर उस समय के राजा रघुनाथ साहदेव ने बनाया था. यह जो एरिया है चुटिया उस समय राजा की राजधानी हुआ करती थी.
चैतन्य महाप्रभु से जुड़ा है किस्सा
महंत गोकुल दास ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु श्री कृष्ण भगवान के परम भक्त थे. भक्त तो उन्हें स्वयं श्री कृष्ण का अवतार मानते थे. ऐसे में वह एक बार अपनी पूरी टोली के साथ पुरी में श्री जगन्नाथ भगवान का दर्शन करने निकले थे. उन्हें रास्ते में विश्राम के रूप में इसी जगह का चयन किया. वह रात भर आराम कर सुबह चले गए. सुबह जाते समय उनका एक अंग वस्त्र यही गिर गया. वही सुबह राजा यहां शिकार के लिए निकले. उन्हें यह अंग वस्त्र दिखा, यह उठाते ही उन्हें ऐसा महसूस हुआ. यह कोई दिव्य आत्मा का है. यह कोई साधारण वस्त्र नहीं है. यहां पर स्वयं चैतन्य महाप्रभु आए थे. उन्होंने निश्चय किया. यहीं पर राधा कृष्ण मंदिर का निर्माण किया जाएगा.
होती है हर मनोकामना पूरी
महंत गोकुल दास बताते हैं कि इस मंदिर में हर मनोकामना में पूरी होती है. यहां लोग दूर-दूर से मुराद लेकर आते हैं. कोई संतान तो कोई शादी को लेकर. यहां जन्माष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. रात भर उत्सव मनता है. वह भोग प्रसाद घी माखन से लेकर खिचड़ी तक की लगाई जाती है.
कृष्ण जन्माष्टमी पर लगाए इस मिठाई का भोग, बाल गोपाल हो जाएंगे प्रसन्न, घर पर ऐसे करें तैयार
26 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान कृष्ण के जन्मदिन को राजस्थान सहित पूरे भारतवर्ष में कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मंदिरों और घरों में विशेष प्रकार के व्यंजन से बाल गोपाल को भोग लगाया जाता है. इस उत्सव पर एक विशेष प्रकार की मिठाई का भोग बाल गोपाल को जरूर लगाया जाता है. इसके अलावा विश्व प्रसिद्ध खाटू श्याम जी को भी इस मिठाई का भोग लगाया जाता है. इस स्पेशल मिठाई का नाम है मिल्क पेड़ा. बाल गोपाल के लिए यह स्पेशल मिठाई केवल गाय के दूध से बनाई जाती है.
आप भी कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण को मिल्क पेड़ा मिठाई का भोग लगा सकते हैं. इसे बनाना भी बेहद आसान है. यह मिठाई दूध, चीनी और कुछ विशेष मसालों से बनाई जाती है. आमतौर पर इसे पिसे हुए पेड़े के आकार में तैयार किया जाता है और कभी-कभी ऊपर से ड्राई फ्रूट्स भी डाले जाते हैं. इसकी खासियत इसका मलाईदार और मीठा स्वाद है.
मिल्क पेड़ा मिठाई बनाने की सामग्री
1. दूध :1 लीटर गाय का दूध
2.चीनी : 1 कप (स्वाद अनुसार)
3. घी : 2 टेबल स्पून
4. खोया (मावा) – 1 कप
5. इलायची पाउडर – 1/2 टीस्पून
6. सिल्वर वर्क (चांदी के वर्क) – सजाने के लिए
7. पिसे हुए ड्राई फ्रूट्स –
आप चाहें तो इसमें अपनी पसंद के अनुसार केसर और अन्य मसाले भी डाल सकते हैं.
मिल्क पेड़ा मिठाई बनाने की विधि
(1) दूध को उबालें: सबसे पहले एक बड़ी कढ़ाई में गाय का दूध को डालें और उसे उबालें. दूध को गाढ़ा करने के लिए उसे लगातार चलाते रहें ताकि वह तली में न लगे.
(2) खोया बनाएं और चीनी डालें: जब दूध लगभग आधा रह जाए और गाढ़ा हो जाए, तो उसमें खोया (मावा) डालें और अच्छी तरह मिला लें. अब इसमें चीनी डालें और अच्छे से मिलाएं. चीनी पूरी तरह घुल जाने तक इसे पकाते रहे.
(3) घी और इलायची पाउडर डालें: जब मिश्रण गाढ़ा और सूखा होने लगे, तो उसमें घी डालें और मिलाए. घी डालने के बाद मिश्रण को लगातार चलाते रहें. इसके बाद मिश्रण को तब तक पकाएं जब तक यह कढ़ाई के किनारे छोड़ने लगे. फिर उसमें इलायची पाउडर डालें और अच्छी तरह मिला लें.
(4) ठंडा कर सजावट करें: मिश्रण को एक थाली में निकाल लें और ठंडा होने दें. जब मिश्रण थोड़ा ठंडा हो जाए, तो छोटे-छोटे गोल आकार के पेड़े बना लें फिर पेड़ों पर ड्राई फ्रूट्स और चांदी का वर्क सजाएं और पेड़े को पूरी तरह ठंडा होने के बाद भोग लगाए.
इस विधि के तहत आप आसानी से कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मिल्क पेड़ा मिठाई बना सकते हैं. गाय के दूध से बनी होने के कारण यह मिठाई भगवान कृष्ण को बहुत पसंद है.
पितरों का चाहते हैं आशीर्वाद? तो इस सोमवती अमावस्या पर करें ये उपाय, बने कई शुभ संयोग
26 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अमावस्या की विशेष मान्यता है. खासकर सोमवार के दिन आने वाली अमावस्या पर्व के रूप में मानी जाती है. सोमवार के दिन पड़ने के कारण ही इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं. इस साल सितंबर में सोमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. सोमवती अमावस्या के अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में अपने आस पास पवित्र नदियों में स्नान, दान करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है.
खास कर सुहागिन इस दिन पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. इससे संतान के जीवन में सुख की प्राप्ति होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने बताया कि भाद्रपद में सोमवती अमावस्या का कैसा संयोग बन रहा है. साथ ही पितरों का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सोमवती अमावस्या पर क्या-क्या करें, जानें सही तारीख, महत्व और उपाय.
सोमवती अमावस्या की सही तारीख
पंडित पंकज पाठक के अनुसार हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि 2 सितंबर को सुबह 05:21 मिनट पर शुरू होगी. इसके बाद अगले दिन 3 सितंबर को सुबह 07:24 मिनट पर इसका समापन होगा. इसलिए सोमवती अमावस्या 2 सितंबर दिन सोमवार को मनाई जायगी. ये भाद्रपद माह की अमावस्या होगी. कहते हैं कि इस तिथि पर पितरों का श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान कर दिया जाए, तो जीवन के हर दुख और सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
ब्रह्म मुहूर्त:- सुबह 04:38 मिनिट से सुबह 05.24 मिनिट तक.
पूजा मुहूर्त:- सुबह 06:09 मिनिट से सुबह 07:44 मिनिट तक.
अमावस्या में क्या करें
सोमवती अमावस्या का दिन पितरों और शिव पूजा के लिए समर्पित माना गया है. इस दिन आप सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी में स्नान करें. इसके बाद फिर कच्चे दूध में दही, शहद मिलाकर भगवान शिव जी का अभिषेक कीजिये. साथ ही चौमुखी घी का दीपक जलाकर शिव चालीसा का पाठ कीजिये. इस दिन अगर महिलाएं व्रत करती है, तो उनके सुहाग पर संकट नहीं आता साथ ही वंश वृद्धि होती है. इसके अलावा कार्यों में आ रही अड़चने खत्म होती है. बिगड़े हुए काम पूरे होते है. सोमवती अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए. इसके अलावा मछलियों को आटे की गोलियां बनाकर खिलाएं. साथ ही चीटिंयों को आटा डालें. पीपल, बरगद, केला, तुलसी जैसे पेड़ भी लगाने चाहिए. इनमें देवताओं का वास माना जाता है. मान्यता है इससे सोमवती अमावस्या पर किए गए ये कार्य पितरों को प्रसन्न करते हैं जिसके कारण जीवन में खुशहाली आती है.
भगवान कृष्ण को पसंद हैं ये 5 रंग, इस जन्माष्टमी पर पहनें उनका फेवरेट कलर, मन रहेगा खुश
26 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. इस पर्व में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. विष्णु जी के आठवें अवतार ही भगवान कृष्ण हैं, जिन्हें धर्म की स्थापना करने के लिए अवतार लेना पड़ा था. हिंदू धर्म में आने वाला यह त्योहार काफी खास है. इस दिन कान्हा के मनपसंद पकवान बनते हैं और माखन की मटकी फोड़ी जाती है. भक्त उनके पसंदीदा रंगों के ट्रेडिशनल कपड़े पहनते हैं. आइए बताते हैं वो 5 रंग जो कान्हा को खूब पसंद है. इस जन्माष्टमी आप वियर कर सकते हैं.
वैसे तो सारे रंग के अपने महत्व होते हैं लेकिन कुछ रंगों में बेहद पॉजिटिव एनर्जी होती है. जन्माष्टमी पर ही नहीं, आप खुद को भी अच्छा महसूस करने के लिए कान्हा के मनपसंद रंगों को पहन सकते हैं. भगवान कृष्ण को सबसे अधिक प्रिय है पीला रंग. इसके अलावा उन्हें मोर के पंख का रंग, नीला, गोल्डन और गुलाबी रंग पसंद है. इस त्योहार में आप अपने आउटफिट का कलर ऐसा रख सकते हैं.
पीला रंग
महिलाएं पीले रंग की ट्रेडिशनल साड़ी या कुर्ती को वियर कर सकती हैं. जबकि पुरुष पीला कुर्ता चुन सकते हैं इसे आप नीली जींस के साथ या सफेद धोती के साथ पेयर कर सकते हैं.
मोर के पंख का रंग
कान्हा को बिना मोर के पंखों के नहीं देखा जाता है. उनका श्रृंगार मोर के पंख के बिना अधूरा है. यह रंग भी उनका फेवरेट है. आप इससे मैचिंग की साड़ी या सूट को वियर कर सकती हैं. इसके अलावा आप मैचिंग ज्वेलरी भी पहन सकती हैं. पुरुष इस रंग का कुर्ता चुन सकते हैं.
नीला
नीले रंग की साड़ी, कुर्ती या सूट तो हर महिला के पास होती है. यह रंग कान्हा का फेवरेट भी है. आप इस रंग की घाघरा-चोली भी पहन सकती हैं.
गोल्डन
अगर आपके पास गोल्डन पोशाक है तो अच्छी बात है, नहीं है तो किसी कपड़े पर गोल्ड प्रिंट हो तो भी चलेगा. लेकिन गोल्डन साड़ी महिलाओं पर खूब जचती है. यह आपको पूरी तरह से पारंपरिक लुक में तैयार करेगी.
गुलाबी रंग
गुलाबी रंग प्यार और करुणा का प्रतीक है. यह रंग कृष्ण का मनपसंदीदा है. आप हल्के गुलाबी रंग के पारंपरिक जोड़े को तैयार कर सकते हैं. मैचिंग ज्वेलरी के साथ आप इसे साड़ी या कुर्ती पर पहन सकती हैं
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
26 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- स्त्री सुख, पुत्र सुख मध्यम होगा तथा यश-प्रतिष्ठा की प्राप्ति अवश्य होगी।
वृष :- साप्ताहिक कार्य में रुचि बढ़ेगी, इच्छित कार्य की प्राप्ति होगी, कार्य व्यवसाय का ध्यान रखें।
मिथुन :- कार्य क्षेत्र में विफलता, अल्प व्यवसाय भय होगा, उठा रोग दब जायेगा।
कर्क :- कोई मित्र शत्रु हानि पहुंचान sकी चेष्ठा करेगा तथा अभिष्ठ कार्य में सफलता मिलेगी।
सिंह :- कार्य क्षेत्र में विफलता, अल्प व्यवस्थित जीवन, प्रभावशाली कार्य बनें अवसर मिलेगा।
कन्या :- पुराने व्यापार में वृद्धि होगी, नये व्यापार में हानि होगी, स्वजनों से मिलन होगा।
तुला :- राजकीय कार्य में प्रतिष्ठा, अन्य योजनाओं में आर्थिक लाभ अवश्य ही मिलेगा।
वृश्चिक :- भौतिक सुख-साधनों की कमी, प्रियजनों की उपेक्षा से हानि तथा पारिवारिक क्लेश बनेगा।
धनु :- कार्य सिद्धी, शारीरिक शिथिलता का निवारण होगा, गृहस्थ जीवन सुखमय रहेगा।
मकर :- पुरजन व्यक्तियों से कष्ट, अनियंत्रित दिनचर्या, मानसिक व्यथा बढ़ेगी।
कुम्भ :- लापरवाही अधिक, निद्रा से हानि संभव, सामान्य सुविधा अवश्य ही बनेगी।
मीन :- सामान्य ब्योहार का वातावरण करना उचित रहेगा, व्यवसायिक यात्रा योग बनेंगे।
September 2024 Vrat Tyohar List : हरतालिका तीज गणेश चतुर्थी और पितृ पक्ष समेत सितंबर में कई कई प्रमुख त्योहार, जानें तिथि और महत्व
25 Aug, 2024 11:09 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सितंबर के महीने में व्रत त्योहार की धूम रहने वाली है। इस वर्ष सितंबर महीना का आरंभ कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि से हो रहा है। इस महीने हरतालिका तीज, गणेश उत्सव, पितृपक्ष सहित कई प्रमुख व्रत त्योहार हैं। सितंबर के महीना व्रत त्योहार के साथ साथ ग्रह गोचर लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण रहने वाला है। सितंबर के महीने में कई बड़ा व्रत त्योहार हैं। इस महीने कजरी तीज, गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, पितृ पक्ष जैसे महत्वपूर्ण व्रत त्योहार मनाए जाएंगे।
पिठोरी अमावस्या\ सोमवती अमावस्या
2 सितंबर को पिठोरी अमावस्या का व्रत रखा जाएगा। इसे कुशग्रहणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही 2 सितंबर को सोमवार होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा। इस व्रत संतान की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही पितर भी प्रसन्न होते हैं। पिठोरी अमावस्या का व्रत करने से व्यक्ति को कार्यों में भी सफलता मिलती है
हरतालिका तीज, 6 सितंबर 2024
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है। इस बार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं। साथ ही इस व्रत को करने से माता पार्वती के साथ साथ भगवान विष्णु की कृपा भी प्राप्त होती है। यह व्रत काफी कठिन होता है। दरअसल, यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
कलंक चतुर्थी 7 सितंबर
भाद्रपद मास में आने वाली चतुर्थी का विशेष महत्व है। दरअसल, यह चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इसी दिन से अगले 10 दिनों तक गणेश उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कलंक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी भी कहा जाता है। इस बार यह कलंक चतुर्थी का व्रत 7 सितंबर को रखा जाएगा।
मुक्ताभरण संतान सप्तमी 10 सितंबर
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मुक्ताभरण संतान सप्तमी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है। यह व्रत संतान प्राप्ति के साथ साथ संतान की रक्षा, संतान की उन्नति के लिए रखा जाता है। इस व्रत के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है। मुक्ताभरण संतान सप्तमी का व्रत इस बार 10 सितंबर को रखा जाएगा।
श्री महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ 11 सितंबर
श्री महालक्ष्मी व्रत प्रारंभ भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से होती है और यह अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तक चलता है। इसी दिन इसका समापन होता है। इस बार इस व्रत का आरंभ 11 सितंबर 2024 बुधवार के दिन से होगा और मंगलवार 24 सितंबर तक यह व्रत चलेगा।
श्री राधाष्टमी, 11 सितंबर
भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन राधा अष्टमी का व्रत रखा जाता है। हिंदू धर्म में राधा अष्टमी का विशेष महत्व है। दरअसल, इस दिन राधा रानी का जन्म हुआ था। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इतना ही नहीं इस व्रत को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस बार राधा अष्टमी का व्रत 11 सितंबर को रखा जाएगा।
अनंत चतुर्दशी व्रत, 17 सितंबर
अनंत चतुर्दशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व है। इस बार अनंत चतुर्दशी का व्रत 17 सितंबर को रखा जाएगा। इसक दिन भगवान अनंत की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनंत सूत्र बाधा जाता है। इस दिन मांस मदिरा का भूलकर भी सेवन नहीं करना चाहिए।
पितृ पक्ष आरंभ 17 सितंबर 2024
पितृपक्ष प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर को है। लेकिन, पितृ पक्ष का आरंभ प्रतिपदा तिथि से माना जाता है। प्रतिपदा तिथि 18 सितंबर को हैं। पितृपक्ष के दौरान पितरों की पूजा की जाती है। साथ ही उनका तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। इन दिनों पितर धरती लोक पर आते हैं।
Aaj ka Panchang : भानु सप्तमी व्रत और त्रिपुष्कर योग आज, नोट करें दिन के शुभ-अशुभ मुहूर्त
25 Aug, 2024 08:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Aaj Ka Panchang 25 August 2024: आज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. दैनिक पंचांग के इस भाग में हम जानेंगे 25 अगस्त 2024, रविवार दिन के विषय में. पंचांग के अनुसार, आज भानु सप्तमी व्रत है, साथ ही आज त्रिपुष्कर योग बन रहा है. आइए जानते हैं, दिनभर के शुभ और अशुभ मुहूर्त के बारे में. यहां पढ़ें पूरा पंचांग
आज का पंचांग-
तिथि
03:39 ए एम, अगस्त 26 तक
आज सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय का समय : 05:55 ए एम
सूर्यास्त का समय : 06:55 पी एम
चंद्रोदय का समय: 10:31 पी एम
चंद्रास्त का समय : 11:57 ए एम
नक्षत्र :
भरणी – 04:45 पी एम तक
आज का करण :
विष्टि – 04:30 पी एम तक
बव – 03:39 ए एम, अगस्त 26 तक
आज का योग
ध्रुव – 12:29 ए एम, अगस्त 26 तक
आज का वार : रविवार
आज का पक्ष : कृष्ण पक्ष
हिन्दू लूनर दिनांक
शक सम्वत:
2046 क्रोधी
विक्रम सम्वत:
2081 पिङ्गल
गुजराती सम्वत:
2080
चन्द्रमास:
भाद्रपद – पूर्णिमान्त
श्रावण – अमान्त
आज का शुभ मुहूर्त (Aaj Ka Shubh Muhurat)
आज अभिजित मुहूर्त 11:59 ए एम से 12:51 पी एम तक रहेगा. विजय मुहूर्त 02:35 पी एम से 03:27 पी एम तक रहेगा. ब्रह्म मुहूर्त 04:26 ए एम से 05:09 ए एम तक और अमृत काल 11:26 ए एम से 12:55 पी एम तक रहेगा. साथ ही आज त्रिपुष्कर योग 04:45 पी एम से 03:39 ए एम, अगस्त 26 तक और रवि योग 05:55 ए एम से 04:45 पी एम तक रहेगा.
आज का अशुभ मुहूर्त (Aaj Ka Ashubh Muhurat)
दुर्मुहूर्त 05:10 पी एम से 06:02 पी एम तक रहेगा. राहुकाल 05:17 पी एम से 06:54 पी एम तक रहेगा. वर्ज्य 04:20 ए एम, अगस्त 26 से 05:53 ए एम, अगस्त 26 तक और भद्रा 05:55 ए एम से 04:30 पी एम तक रहेगा.
डंठल वाले खीरे के बिना क्यों अधूरी है कृष्ण जन्माष्टमी? काशी के ज्योतिषी से जानें धार्मिक कारण
25 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस साल 26 अगस्त को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि को हर घर और मंदिर में रोहिणी नक्षत्र के मध्य रात्रि में कान्हा का जन्म खीरे से कराया जाता है. खीरे से भगवान श्री कृष्ण के जन्म के पीछे क्या रहस्य है इसके बारे में काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने जानकारी दी है.
पंडित संजय उपाध्याय के अनुसार हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार खीरे का संबंध गर्भाशय से होता है. इसमें जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, खीरे को माता यशोदा के गर्भाशय का प्रतीक माना जाता है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म उसी खीरे में होता है जिसमें डंठल होता है.
गर्भ नाल का प्रतीक है खीरा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि ऐसा कहा जाता है खीरा का डंठल गर्भ नाल का प्रतीक होता है. जिस प्रकार गर्भ से बच्चा बाहर आने के बाद नाल को उससे अलग किया जाता है. उसी तरह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मध्य रात्रि में डंठल वाले खीरे से भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कराकर लोग इस उत्सव को बेहद ही धूमधाम से मनाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है.पं डित संजय उपाध्याय ने बताया कि खीरे को सनातन धर्म में बेहद शुद्ध फल माना जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण को बेहद प्रिय है खीरा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण को खीरा अत्यधिक प्रिय है.इसलिए उन्हें खीरे का भोग भी लगाया जाता है और फिर उसे प्रसाद स्वरूप भक्तों में बांटा जाता है.
इस योग में करें पूजा
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस बार देशभर में 26 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. इस बार जन्माष्टमी के दिन जयंति नामक योग भी बन रहा है जो अपने आप में बेहद शुभ है. धार्मिक मान्यता के अनुसार,इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा से तीन जन्म के पाप कट जाते हैं.
उज्जैन का वह आश्रम जहां श्रीकृष्ण ने सीखीं थी 64 कलाएं, जन्माष्टमी को लेकर विशेष तैयारी, जानिए मंदिर का रहस्य
25 Aug, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन दुनिया भर में महाकालेश्वर मंदिर के लिए जाना जाता है. इसके अलावा भी यहां कई धार्मिक स्थल हैं. जो इस शहर को बाकी शहरों से बेहद खास बनाते हैं. इन्हीं मंदिरो मे से एक श्री कृष्णा का एक मंदिर मंगलनाथ रोड पर स्थित है. जिसका नाम सांदीपनि आश्रम है. यहां भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शिक्षा प्राप्त की थी. आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण की उस पाठशाला के बारे में बताएंगे. यहां जन्माष्टमी कि क्या तैयारीया चल रही है.
जन्मआष्ट्मी यानि श्री कृष्णा का जन्मदिवस 26 अगस्त को आ रहा है. जिसको देखते हुए. उज्जैन के सभी कृष्णा मंदिर मे विशेष साज-सजा देखने को मिल रही है. सांदीपनि आश्रम मे भी यह पर्व बड़ी ही धूमधाम के सघ मनाया जायगा. जिसमें सोमवार को सुबह से दिनभर भगवान के दर्शन होंगे. 26 अगस्त को रात 12 बजे जन्म आरती होगी. 27 अगस्त को नंद महोत्सव मनाया जाएगा. भगवान पालना झूलेंगे. भक्तों को पंजेरी महाप्रसादी का वितरण होगा.
भगवान की बन रही पोशाक
ऐसे तो समय समय पर इस मंदिर मे सजा सज्जा देखने को मिलती है. लेकिन, जन्मआष्ट्मी के दिन यहा भगवान के लिए विशेष पोशाक बनाई जाती है. गुरु सांदीपनी परीवार के वंसज पंडित रूपम व्यास ने बताया कि जन्म उत्सव को लेकर पुजारी परिवार की महिलाओं द्वारा प्रतिवर्ष अनुसार 10 दिनों की कड़ी मेहनत कर कृष्ण बलराम व सुदामा जी की पोशाक बनाई जा रही है. पुजारी परिवार द्वारा बनाई गई पोशाक पहन कर ही प्रतिवर्ष जन्म आर्थिक की जाती है.
64 दिन मे सीखी इतनी विद्या
मंदिर के पुजारी रूपम व्यास ने मंदिर का इतिहास बताते हुए कहा कि हर रोज यहां पर दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने 64 दिन रहकर शिक्षा गहण की थी. भगवान ने 4 दिन में चार वेद, 6 दिन में 6 शास्त्र, 16 दिन में 16 कलाएं, 18 दिन में 18 पुराण सहित उपनिषद, छंद, अलंकार आदि का ज्ञान प्राप्त किया. यहां पर भगवान श्री कृष्ण की बैठी हुई प्रतिमा के दर्शन होते हैं.
जन्माष्टमी पर इन मंत्रों से करें बाल गोपाल की पूजा, भगवान श्रीकृष्ण होंगे खुश, पूरी करेंगे मनोकामनाएं!
25 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर देश और दुनियाभर के श्रीकृष्ण मंदिरों में भगवान बाल गोपाल की पूजा-अर्चना की जाती हैं. रात्रि के निशिता मुहूर्त में लड्डू गोपाल का जन्म उत्सव मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त दिन सोमवार को है. भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में रात के समय में हुआ था. इस बार जन्माष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर में 3:55 बजे से लेकर अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 5:57 बजे तक है. सर्वार्थ सिद्धि योग एक शुभ योग होता है, इसमें कार्य करना शुभ फलदायी माना जाता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं जन्माष्टमी की पूजा के मंत्रों के बारे में.
जन्माष्टमी 2024 पूजा मंत्र
ज्योतिषाचार्य डॉ. भार्गव बताते हैं कि आपको अपने घर पर यदि विधि विधान से जन्माष्टमी की पूजा करानी है तो उसके लिए आपको किसी पुरोहित या आचार्य को आमंत्रित करना चाहिए क्योंकि वह नियमपूर्वक पूजन कराएंगे. यदि आप स्वयं करना चाहते हैं तो पंचोपचार पूजन करें. इसमें धूप, दीप, गंध, फूल और नैवेद्य आदि से सरल विधि से पूजा होती है. यह आम जनमानस के लिए आसान है. इसमें आप चाहें तो कुछ पूजन मंत्र का उपयोग कर सकते हैं. आइए जन्माष्टमी पूजा के कुछ प्रमुख मंत्रों के बारे में जानते हैं.
1. आवाहन मंत्र
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्।
स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।
2. ध्यान मंत्र
ओम नारायणाय नमः, अच्युताय नमः, अनन्ताय नमः, वासुदेवाय नमः.
3. पंचामृत स्नान मंत्र
पंचामृतं मयाआनीतं पयोदधि घृतं मधु, शर्करा च समायुक्तं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्.
ॐ भूर्भुवः स्वः गणेशाम्बिकाभ्यां नमः, पंचामृतस्नानं समर्पयामि.
4. पूजा मंत्र
ओम नमो भगवते वासुदेवाय.
ओम कृष्णाय वासुदेवाय गोविंदाय नमो नमः.
जन्माष्टमी 2024 पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त 45 मिनट तक का है. आप पूजा रात में 12:01 बजे से 12:45 बजे के बीच कर सकते हैं. इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग बना रहेगा.
जन्माष्टमी के अवसर पर आप व्रत रखकर विधि विधान से भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करेंगे तो वे आपसे प्रसन्न होंगे. उनकी कृपा से आपके कार्य पूरे होंगे और मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी.
जन्माष्टमी के दिन घर लाएं मोर पंख, भगवान कृष्ण का मिलेगा आशीर्वाद
25 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन का इंतजार भक्तसाल भर करते हैं. वहीं इस साल जन्माष्टमी 26 अगस्त, दिन सोमवार को मनाई जा रही है. इस दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल की पूजा करते हैं. उन्हें झूला झुलाते हैं, नए कपड़े पहनाते हैं और नंदलाल को प्रसन्न करने के लिए माखन-मिश्री का भोग लगाने से लेकर तरह-तरह के उपाय भी करते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जन्माष्टमी के दिन यदि आप कान्हा जी का प्रिय मोखपंख अपने घर लाते हैं तो कई सारी परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है. दरअसल, वास्तु शास्त्र के अनुसार जन्माष्टमी के दिन घर में मोर पंख लाने से हर तरह के वास्तु दोष खत्म हो जाते हैं. इसे लगाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
सकारात्मक ऊर्जा लाता है मोर पंख
वास्तु शास्त्र में मोर पंख का बड़ा महत्व बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि यदि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आप मोर पंख लाते हैं तो इससे आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है. यही नहीं, यदि आपके घर में किसी प्रकार का वास्तु दोष है तो इससे भी आपको छुटकारा मिलता है.
इसके प्रभाव से आपके परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है. साथ ही यदि आपको लगता है कि आपके घर को किसी की बुरी नजर लग गई है तो आप इसे अपने घर के मुख्य द्वार पर भी लगा सकते हैं. ऐसा करने से यह आपके घर को बुरी नजर से बचाएगा.
मोर पंख रखने के नियम
जन्माष्टमी के दिन मोर पंख लाने के लिए कई नियम बताए गए हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार, इस दिन आपको कुल 8 मोर पंख लाना चाहिए और फिर इन सभी को एक साथ सफेद धागे से बांध दें. आप इन्हें घर में कहीं भी रख सकते हैं. बस ध्यान रहे रखी जाने वाली जगह साफ हो और इस दौरान आप ओम सोमाय नमः मंत्र का जाप करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Aug, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- राजकीय सम्मान तथा उच्चपद की प्राप्ति संभव है तथा संतान का सुख अवश्य मिलेगा।
वृष :- धन-स्वास्थ्य लाभ, मित्र-कुटुम्बियों से प्रेम, सहयोग बढ़ेगा तथा रुके कार्य बन जायेंगे।
मिथुन :- उत्तम विचार, भाग्य की उन्नति होगी, मानसिक अशांति, सुख, स्वजनों की कमी में मिलन होगा।
कर्क :- जमीन-जायजाद का लाभ मिलेगा, स्वास्थ्य कष्ट होगा, ध्यान रखें।
सिंह :- दाम्पत्य जीवन में उल्लास, पुत्र का भाग्योदय होगा तथा मौसमी प्रकोप हो सकता है।
कन्या :- दाम्पत्य में आकस्मिक झंझट आयेगा, पड़ोसियें से कष्ट, विवाद बनेगा, द्वोष, विचार रहेगा।
तुला :- भाग्योदय होगा, व्यवसायिक जीवन में उन्नति के लिए एक नया अवसर प्राप्त होगा।
वृश्चिक :- कार्य सिद्ध, स्त्री-पुत्रादि की कमी तथा मन अशांत रहेगा तथा कार्य जीवन सुखी रहेगा।
धनु :- सांसारिक सुखों की प्राप्ति, मित्र मिलाप, आमोद-प्रमोद तथा ब्यौहार में सफलता मिले।
मकर :- शैक्षणिक प्रगति में बाधा होगी, अनावश्यक व्यय से कार्य बनेंगे, क्रोध शांत रखें।
कुम्भ :- चतुराई एवं बैद्धिक विकास तथा अधिकांश प्रयत्नों से निश्य लाभ होगा, ध्यान रखें।
मीन :- विभिन्न रोगों से शरीर पीड़ित रहेगा, संतान शिक्षा से अधिकारी से पीड़ा होगी।
रात में कुत्ते का घर के बाहर रोना, क्या होने वाली है कोई अनहोनी? जानें डॉग का रोना शुभ है या अशुभ संकेत
24 Aug, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्सर जब आप देर रात सोए रहते हैं तो बाहर से अजीब सी रोने की आवाज आती सुनाई देती है, जिसे अचानक सुनकर नींद खुल जाती है. कई बार इस आवाज को सुनकर डर भी लग जाता है. जब आप बाहर देखते हैं तो पता चलता है गली, सड़क या आपके घर के बाहर कुत्ता भौंक या रो रहा है. तो क्या देर रात में कुत्ते का रोना या भौंकना अपशकुन होता है? क्या किसी अनहोनी, अप्रिय घटना के होने की तरफ इशारा करता है देर रात कुत्ते का रोना? चलिए जानते हैं किन-किन कारणों से कुत्ते रात में रो या भौंक सकते हैं.
कुत्ते के रोने से संबंधित कई मान्यताएं हैं प्रचलित
– धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रात में कुत्ते का रोना अपशकुन माना जाता है. आपने अपने घर के बुजुर्गों से भी ये कहते सुना होगा कि कुत्ते का रोना ठीक नहीं होता. यह किसी अनहोनी की तरफ इशारा करता है. ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, जब देर रात में घर के बाहर कुत्ता भौंकते हुए रोए तो यह किसी अनहोनी का संकेत हो सकता है. कई बार बुरी खबर भी सुनने को मिल सकती है. प्राचीन मान्यताओं की मानें तो कुत्ते को अप्रिय घटना का आभास पहले हो जाता है, इसलिए वे रोते हैं.
– शकुन शास्त्र के अनुसार, कुत्ता आपके घर के बाहर ही रो रहा है तो इसका मतलब है कि आपके घर पर कोई मुसीबत, परेशानी आने वाली है. ऐसे में कुछ भी करते समय सावधानी बरतें. घर के दरवाजे पर कुत्ता भौंके तो इससे आर्थिक हानि या नुकसान हो सकता है.
– कुछ मान्यताएं ऐसी भी हैं, जिसमें लोग कहते हैं कि रात में कुत्ता इसलिए रोता है क्योंकि उसे अपने आसपास नेगेटिव शक्ति मौजूद होने का आभास हो जाता है. इसलिए कुत्ता रोने लगता है.
– कई बार कुत्ता खुद किसी परेशानी में होता है, उसे कोई शारीरिक तकलीफ होती है तो भौंक कर या फिर तेज आवाज में रोकर अपने साथियों को बुलाने की कोशिश करता है.
– कई बार कुत्ता जब अकेला होता है तो भी वह भौंक कर अपने साथियों को अपने पास बुलाने की कोशिश करता है. कहा जाता है कि कुत्ते को भी अकेले रहना पसंद नहीं है. ऐसे में वे रोकर या भौंक कर साथी डॉग को बुलाते हैं.
– आपके घर में कोई पेट डॉग है और वह रात में खाना ना खाए. उदास रहे, उसकी आंखों से आंसू निकले तो नजरअंदाज न करें. यह भी अनहोनी का संकेत हो सकता है. रात में आपका पेट डॉग खाना छोड़ दे तो हो सकता है, उसे कोई शारीरिक समस्या हो. हालांकि, कुछ लोग इसे अशुभ, अनहोनी से जोड़ कर देखते हैं.
– वैज्ञानिक दृष्टि के अनुसार, कुत्ता अपने दोस्तों के पास भौंककर या रोकर अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश करता है. कहने का अर्थ ये है कि कुत्ते अपने डॉग फ्रेंड्स को संदेश देने के लिए रोते हैं.
1 नहीं, बल्की 12 तरह के होते हैं कालसर्प दोष, इससे जीवन में बढ़ती हैं अनेक परेशानियां, जानें इनके बारे में
24 Aug, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यदि आपके सपने में कई बार लगातार सांप दिखाई देते हैं या फिर आपको सांप से डर लगता है, जीवन में लगातार बाधाएं आ रही हैं और इनका कोई समाधान भी नहीं हो पा रहा है तो समझ लीजिए कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हो सकता है. इसके अलावा कुंडली में कई ऐसे शुभ और अशुभ योग बनते हैं जिससे पता चलता है कि आपको कौन सा दोष लगने वाला है या लगा हुआ है क्योंकि कालसर्प दोष कई प्रकार के होते हैं. आइए जानते हैं कालसर्प दोष के प्रकारों के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
यदि आपकी कुंडली में राहु लग्न में और केतु सप्तम भाव में हो तो अनंत काल सर्प दोष लगता है. वहीं यदि राहु द्वितीय भाव में और केतु अष्टम भाव में हो तो कुलिक काल सर्प दोष लगता है. जबकि, राहु तृतीय भाव में और केतु नवम भाव में हो तो वासकु काल सर्प दोष लगता है.
आपकी कुंडली में राहु चतुर्थ भाव में और केतु दशम भाव में हो तो शंखपाल कालसर्प दोष लगता है. वहीं राहु पंचम भाव में और केतु एकादश भाव में हो तो पद्य कालसर्प दोष लगता है. जबकि, राहु छठवें भाव में तथा केतु बारहवें भाव में हो तो महापद्म कालसर्प दोष लगता है.
यदि आपकी कुंडली में राहु सप्तम भाव में और केतु लग्न में स्थित हो तो तक्षक कालसर्प दोष लगता है. वहीं केतु दूसरे स्थान में तथा राहु अष्टम स्थान में हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष लगता है. जबकि केतु तीसरे स्थान में और राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ कालसर्प दोष लगता है.
यदि आपकी कुंडली में राहु सप्तम भाव में और केतु लग्न में स्थित हो तो तक्षक कालसर्प दोष लगता है. वहीं केतु दूसरे स्थान में तथा राहु अष्टम स्थान में हो तो कर्कोटक कालसर्प दोष लगता है. जबकि केतु तीसरे स्थान में और राहु नवम स्थान में हो तो शंखचूड़ कालसर्प दोष लगता है.
जन्माष्टमी के पहले घर लाएं ये वस्तुएं, घर में आएगी खुशहाली, बढ़ेगी सुख-समृद्धि, देवघर के ज्योतिष से जानें
24 Aug, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई चीज ऐसी हैं जो भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है. माना जाता है अगर ऐसी चीजों को घर में रखें तो भगवान श्री कृष्ण का साक्षात उस घर में वास होता है. जी हां भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाएगा. लेकिन उससे पहले आप अपने घर में कुछ वस्तुएं ले आते हैं तो आपका जीवन खुशहाली से भर जाएगा और घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होगी.क्या है वह वस्तु जानते है इस खबर से?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि इस साल 26 अगस्त दिन सोमवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा और इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा आराधना की जाएगी. लड्डू गोपाल को विशेष तरह से श्रृंगार करना चाहिए एवं 56 तरह के भोग भगवान श्री कृष्ण को लगाना चाहिए. इसके साथ ही लड्डू गोपाल को इस दिन झूला अवश्य झूलाये. वही कुछ चीज ऐसी हैं जो भगवान से कृष्ण को बेहद प्रिय है और जन्माष्टमी से पहले अपने घर में अवश्य लाकर रख लें.
जन्माष्टमी से पहले इन वस्तुओं को घर में लाकर रख लें
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कुछ वास्तु भगवान श्री कृष्ण को अति प्रिय है और वह वस्तु अगर घर में रहे तो भगवान श्री कृष्ण का साक्षात वास उस घर में होता है. सुख समृद्धि की वृद्धि होने के साथ और उस घर में धन दौलत की हमेशा बरकत होती है.
बांसुरी –
भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी अति प्रिय है. अगर घर में बांसुरी ला कर रख लेते हैं तो घर में कभी भी पारिवारिक कलह नहीं होगी.
मोर पंख –
श्री कृष्ण भगवान को मोर पंख अति प्रिय है शायद ही आपके बिना मोर पंख के श्री कृष्ण भगवान की कोई तस्वीर देखने को मिलेगी.इसलिए जन्माष्टमी से पहले एक मोर पंख घर के पूजा स्थल पर अवश्य रख लें इससे घर में हमेशा धन की बढ़ोतरी होगी और परिवार में शांति का माहौल रहेगा.
गाय और बछरा –
जन्माष्टमी के दिन या उससे पहले गाय और बछड़े की मूर्ति अवश्य खरीद ले.इसे कामधेनु गाय का प्रतीक माना जाता है.यह समुद्र मंथन के दौरान निकले 14 रतन में से एक होता है. इस मूर्ति को खरीद कर अगर आप अपने पूजा स्थल पर रख लेते हैं तो घर में संतान सुख की प्राप्ति होगी और मानसिक,शारीरिकतनाव से मुक्ति मिलेगी.