धर्म एवं ज्योतिष
भगवान गणेश की मूर्ति से घर के बड़े वास्तु दोष हो सकते हैं दूर, जानिए मंगलकर्ता कैसे देंगे आशीर्वाद
7 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व बताया गया है. हमारा घर हो या कार्यस्थल वास्तु के नियमों का पालन करने पर ही हमें शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में आ रही सभी प्रकार की मुसीबतें दूर होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने लोकल 18 को बताया कि वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि घर और कार्यक्षेत्र में वास्तु नियमों का ध्यान रखने से व्यक्ति को इसके अच्छे परिणाम ही प्राप्त होते हैं.
आपने कई लोगों को अपने ऑफिस डेस्क या फिर अपनी कार में गणेश जी रखते देखा होगा. हमारे हिंदू धर्म में गणेश जी को बुद्धि के देवता और मंगलकर्ता के रूप में देखा जाता है. किसी भी मांगलिक कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसा करने से उस कार्य में कोई बाधा नहीं आती. वहीं वास्तु शास्त्र की दृष्टि से भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना बहुत ही शुभ माना जाता है. वास्तु की दृष्टि से ऐसा करना बहुत ही शुभ माना जाता है. तो चलिए जानते हैं गणेश जी की मूर्ति स्थापित करने के कुछ वास्तु नियम.
कौन सी दिशा शुभ
यदि आपका मुख्य द्वार उत्तर या दक्षिण दिशा में है, तो गणेश जी की मूर्ति लगाना शुभ माना जाता है. मूर्ति या तस्वीर इस प्रकार लगाएं की गणेश जी का मुख अंदर की ओर हो. मुख्य द्वार पर सिंदूरी रंग की मूर्ति लगाना बहुत ही शुभ होता है. हमें पूजा-पाठ के लिए घर के उत्तर-पूर्वी कोने में गणपति जी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. वहीं घर के मुख्य द्वार पर भी गणेश जी की मूर्ति लगाना उत्तम माना जाता है, क्योंकि यह घर का सबसे महत्वपूर्ण स्थान होता है. यहीं से सकारात्मक ऊर्जा घर के अंदर प्रवेश करती है. इसके अलावा वास्तु शास्त्र के अनुसार ऑफिस डेस्क पर भी भगवान श्रीगणेशजी की मूर्ति लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है. हमे ऑफिस डेस्क पर गणेश जी की सफेद रंग की मूर्ति लगानी चाहिए. इसके साथ ही कार्यक्षेत्र में गणेश जी की खड़ी हुई प्रतिमा लगाना अधिक शुभ माना जाता है. बस इस बात का ध्यान रखें कि गणेश जी का मुख दक्षिण दिशा में नहीं होना चाहिए. तभी आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी.
मूर्ति का रंग
वास्तु आप बच्चों के स्टडी रूप में गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना चाहते हैं, तो इसके लिए पीले या हल्के हरे रंग की मूर्ति सबसे बेहतर मानी जाती है. आप इसे बच्चों के स्टडी टेबल पर स्थापित कर सकते हैं, इससे शिक्षा क्षेत्र में सफलता की संभावना बढ़ जाती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार आप घर में गणेश जी की सफेद रंग की मूर्ति स्थापित करना बहुत ही शुभ माना गया है. इसी के साथ आप सिंदूरी रंग की गणपति जी की मूर्ति भी घर में स्थापित कर सकते हैं.
शनिवार को गणेश चतुर्थी, इस एक भजन से करें गणेश जी और बजरंग बली की एकसाथ उपासना
7 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूरती मोरया…’ इसी गूंज के साथ कल यानी 7 सितंबर को भगवान गणेश हमारे घरों में विराजने वाले हैं. द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 07 सितंबर, शनिवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा. इस दिन गणेशजी की पूजा-आराधना का बड़ा महत्व है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर रवि योग सुबह 06:02 बजे से बन रहा है. इस योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग भी दोपहर 12:34 बजे से बनेगा. गणेश चतुर्थी पर जहां देशभर में जमकर जश्न मनाया जाता है, वहीं महाराष्ट्र समेत कई इलाकों में इस दिन गणपति बप्पा की प्रतिमा घर लाने का भी रिवाज है. लोग गणेश जी को अपने घर धूम-धाम के साथ लाते हैं और फिर उनकी सेवा करने के बाद विदाई करते हैं. गणेश चतुर्थी के इस मौके पर संगीत के माध्यम से भगवान गणेश को खुश करना चाहते हैं तो आप ये गणेश जी का भजन जरूर गाएं.
ईश्वर की आराधना में संगीत और भजनों का बहुत महत्व होता है. यही वजह है कि हम भगवान की आराधना के लिए आरतियां गाते हैं. इतना ही नहीं, हमारे अधिकांश ग्रंथ काव्य रूप में ही लिखे गए हैं ताकि उनमें एक लय हो, और उन्हें गा-गाकर सुना और सुनाया जा सके. आज हम आपको गणेश जी एक एक भजन बता रहे हैं, जिसे आप इस चतुर्थी पर गा सकते हैं. इस भजन की सबसे विशेष बात ये है कि इसमें गणेश जी के साथ हनुमान जी का भी स्मरण किया गया है. ऐसे में शनिवार के दिन पड़ रही इस गणेश चतुर्थी के दिन ये भजन आपको जरूर गाना चाहिए.
गणेश चतुर्थी स्पेशल भजन
गाओ रे गणेश मनाओ हनुमाना
यह दोनों देव बड़े बलवाना…
गणपति तो माता गोरा ने जाए
अंजनी ने जाए वीर हनुमाना…
ताल तलैया मेरे गणपत नहावे
गंगा में गोता लगाया हनुमाना…
पीला पीतांबर मेरे गणपत पहने
लाल लंगोटा पहने हनुमाना…
लड्डू मोदक मेरे गणपत को भावे
रोठ चूरमा खावे हनुमाना…
रिद्धि सिद्धि मेरे गणपत लावे
रोग दोष संकट काटे हनुमाना…
अटके काम मेरे गणपत बनावे
बेड़ा पार लगा दे हनुमाना…
ये भजन ‘गीतों की सरगम’ नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट द्वारा शेयर किया गया है. आप सब को हमारी तरफ से गणेश चतुर्थी की ढेर सारी शुभकामनाएं.
कई सालों बाद भी अगर नहीं हुई संतान तो करें 4 अचूक उपाय ! जल्द घर में गूंजने लगेगी किलकारी
7 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शादी के काफ़ी समय बाद भी यदि आपके घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंज रही है तो जरूर कुंडली में कोई न कोई दोष होगा अन्यथा संतान कारक ग्रह अस्त हो सकता है अपनी नीच राशि स्थित हो सकता है अथवा उस घर या ग्रह पर कोई ख़राब दृष्टि हो सकती है. जब तक उस ग्रह या भाव का सही से उपाय नहीं किया जाता है तब तक संतान सम्बन्धी योग नहीं बनता है.
संतान न होने के ये कारण हो सकते हैं
1- जातक की कुंडली में काल सर्प दोष, पितृ दोष संतान भाव को प्रभावित कर रहा हो.
2- संतान कारक ग्रह किसी एक या एक से अधिक पाप ग्रहों के प्रभाव में हो सकता है.
3- घर के अंदर या बेडरूम में वास्तु दोष हो.
4- राहू-केतु का सम्बन्ध संतान भाव से बन रहा हो या संतान कारक ग्रह राहू – केतु के प्रभाव में हो.
5- अगर जातक या जतिका की कुंडली में देवगुरु बृहस्पति कहीं पीड़ित अवस्था में हो तब भी संतान सुख में कमी होती है.
6- रविवार का व्रत करें एवं आदित्यह्रदय स्त्रोत्र का नियमित पाठ करें.
बार बार हो सकता है मिसकैरेज
यदि इनमे से कोई भी परिस्थिति अगर बनती है तब जातक को एक या एक से अधिक बार मिसकैरेज के योग भी बनते हैं या बेबी कंसीव ही नहीं होता जबकि दम्पति मेडिकली फिट होते हैं.अगर आप में से किसी को भी है संतान सम्बंधित समस्या तो उन्हें सबसे पहले किसी अच्छे ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखाकर उसके उपाय कर सकते हैं साथ ही हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ उपाय जो आप बिना कुंडली दिखाए करके भी संतान सुख प्राप्त कर सकते हैं.
यह करें उपाय :
1- हरे पत्ते की सब्जी या पत्ते चौदह बुधवार तक काली गाय को खिलाएं.
2- भोलेनाथ को हर सोमवार पंचमेवा डालकर खीर मंदिर में दें। 16 सोमवार ऐसा करने के बाद संतान संबंधी खुशखबरी अवश्य मिलेगी।
3- संतान गोपाल मंत्र का जाप करें –
मंत्र : ऊं देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।
4- पितृ दोष, कालसर्प दोष आदि सम्बंधित दोष की शांति कराएं.
कोई भी उपाय हमेशा पूर्ण समर्पण और विश्वास के साथ करें आपको निश्चित ही संतान सम्बंधित खुशखबरी मिलेगी.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (शनिवार, 7 सितंबर 2024)
7 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, कार्य सम्पन्नता अवश्य होगी।
वृष राशि - कुटुम्ब की चिन्ता व समस्या अनायस बढ़ेगी, किसी के कष्ट से व्यग्रता अवश्य ही बनेगी।
मिथुन राशि - कार्य व्यवसाय में बाधा, मानसिक, उद्विघ्नता तथा कार्य में व्यर्थ भ्रम बन जायेगा।
कर्क राशि - धन लाभ, बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा, प्रयास सफल होंगे।
सिंह राशि - असमंजस का वातावरण बना ही रहेगा, अनायास कार्य विफल होंगे तथा सुख होगा।
कन्या राशि - विपरित परिस्थितियों के वातावरण की संरचना होगी तथा व्यवसाय में बाधा बनेगी।
तुला राशि - सुख समृद्धि के योग बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा, ध्यान से कार्य संपन्न कर ले।
वृश्चिक राशि - स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता बने तथा कार्य अवरोध अवश्य होगा।
धनु राशि - अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थिगित रखे अन्यथा हानि होने की प्रबल संभावना है।
मकर राशि - भाग्य का सितारा साथ देगा। बिगड़े कार्य बनेंगे तथा विश्sाष कार्य सम्पन्न अवश्य होंगे।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे। दैनिक कार्य में अनुकूलता बनी ही रहेगी। समय का ध्यान दें।
मीन राशि - प्रबलता प्रभुत्व वृद्धि, भौतिक सफलता के साधन जुटाए रुके कार्य बन जाएंगे।
गणेश चतुर्थी 2024: गणेश जी की मूर्ति की स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त, यहां जानें
6 Sep, 2024 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणेश चतुर्थी। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य माना जाता है। वह सभी गणों के स्वामी हैं। उनकी पूजा करने से न केवल सुख-समृद्धि बल्कि ज्ञान की भी प्राप्ति होती हैं। किसी भी नए काम की शुरुआत यदि गणेश जी के नाम से की जाए, तो वह हमेशा सफल होता है। वैसे तो रोजाना ही भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन सप्ताह में बुधवार का दिन उनकी पूजा के लिए समर्पित होता है। वहीं विशेष फल की प्राप्ति के लिए भाद्रपद माह और भी शुभ होता है।
हिंदू धर्म में इस माह को भगवान गणेश के जन्म से जुड़ा गया है। बता दें भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। हर साल इस तिथि को एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, जो 10 दिनों तक लगातार चलता है। इस साल गणेश चतुर्थी का उत्सव 7 सितंबर से शुरू होगा, जबकि गणेश विसर्जन 17 सितंबर, 2024 के दिन किया जाएगा।
इस दौरान उनकी पूजा करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती हैं। इस दिन ब्रह्म योग और चित्रा नक्षत्र का निर्माण हो रहा है, जो इस तिथि की महत्ता को अधिक बढ़ा रहे हैं। ऐसे में गणेश चतुर्थी के शुभ मुहूर्त के बारे में भी जान लेते हैं।
गणेश चतुर्थी तिथि 2024
भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर, 2024 को दोपहर 3 बजकर 2 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 38 मिनट पर होगा।
मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार 7 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी की पूजा और मूर्ति स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मुहूर्त का समापन उसी दिन दोपहर के 1 बजकर 33 मिनट पर होगा।
यहां विराजे हैं सोभाग्येश्वर महादेव, हरतालिका तीज पर मंदिर में लगती है भीड़, अद्भत है इनकी महिमा
6 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध महाकाल की नगरी में महादेव के कई रूप विराजमान है. जिनकी अलग ही पहचान हैं. माना जाता है कि महाकाल की नगरी में कंकर में शंकर का वास होता है, ऐसे ही एक मंदिर 84 महादेवों में 61 वां स्थान रखने वाले श्री सौभाग्येश्वर महादेव नाम से प्रसिद्ध है. यह मंदिर पटनी बाजार क्षेत्र मे स्थित है. हरतालिका तीज के दिन 24 घंटे महादेव के दर्शन होते हैं.
व्रत रखने वाली महिलाएं और युवतियां यहां दर्शन के लिए पहुंचती हैं.यहां युवतियां अच्छा पति मिलने की कामना के साथ पूजन के लिए आती हैं. हरतालिका तीज पर रात से मंदिर मे श्रद्धालूओ का सैलाब देखने को मिलता है. परंपरा अनुसार गुरुवार रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे. इसके बाद 24 घंटे निरंतर दर्शन पूजन का सिलसिला चलेगा.
कब है हरतालिका तीज
भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगा. उदिया तिथि के चलते हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को ही रखा जाएगा.
बालूरेट से बना है शिवलिंग
श्रद्धालु आभा भाटिया ने लोकल 18 से कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बालू रेत से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की थी. इसी मान्यता के चलते व्रती महिलाएं व युवतियां बालू से निर्मित शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना करती हैं. भगवान सौभाग्येश्वर महादेव का शिवलिंग भी बलुआ पत्थर से निर्मित है. इसलिए भी हरतालिका तीज पर इनके पूजन की विशेष मान्यता और अधिक बढ़ जाती है.
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज के महत्व के बारे में सौभाग्येश्वर मंदिर के पुजारी परिवार की अंजना पंड्या ने बताया कि मान्यता है. माता पार्वती को उनकी सखी द्वारा हरा गया था.इस वजह से इसे हरतालिका तीज पर्व कहा गया है. इस पर्व पर महिलाओं व कन्याओं द्वारा बाबा के पूजन का महत्व है. इससे सुख-स्मृद्धि की प्राप्ति होती है, कन्याओं को अच्छा वर मिलता है वहीं महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए कामनाएं करती हैं. मंदिर में ऐसे तो 12 महीने ही श्रद्धांलु की भीड़ देखने को मिलती है. लेकिन, हरतालिका तीज के दिन रात 12 बजे से ही महिला श्रद्धालूओ की कतारे लग जाती है.
सौभाग्येश्वर महादेव का रहस्य
स्कंद पुराण के अनुसार प्राकृत कल्प में अश्वाहन राजा की पत्नी मदमंजरी यूं तो सुंदर और सुशील तथा पतिव्रता थी. लेकिन दुर्भाग्यवश वह हमेशा ही राजा द्वारा प्रताड़ित रहती थी. क्योंकि राजा जब उसका स्पर्श करता था. उस राजा को मुरछा आ जाती थी. एक बार गुस्से में राजा ने मदमंजरी को जंगल में भेज दिया. उसने वहीं साधना रत एक तेजस्वी मुनि से अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने का उपाय पूछा है.
शिवलिंग की उपासना
उस मुनि ने उसे अपने तपोबल से जाना की कन्यादान के समय राजा पर पाप ग्रहों की दृष्टि के कारण ही मदमंजरी का हाल हुआ है. उस तेजस्वी मुनि ने मदमंजरी को महाकाल वन स्थित इस सौभाग्य देने वाले शिवलिंग की उपासना करने को कहा, रानी द्वारा वैसा वैसा ही करने पर उसे सौभाग्य की प्राप्ति हुई. मदमंजरी का दुर्भाग्य समाप्त कर उसे सौभाग्य प्रदान करने के कारण इस शिवलिंग की तभी से सौभाग्येश्वर के रूप में ख्याति हुई. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन पूजन करने से हमारा दुर्भाग्य सौभाग्य में बदल जाता है.
गंगाघाट की चिपचिपी मिट्टी से मूर्तिकार ने बनाई इतनी सुंदर मूर्ति,भक्त भी हो गए हैरान
6 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणेशोत्सव के करीब आते ही सूरत में मिट्टी, पीओपी और वेस्ट मटेरियल से बनी गणेश प्रतिमाओं की धूम मच गई है. खासकर पिछले 2-3 वर्षों में मिट्टी की मूर्तियों का क्रेज तेजी से बढ़ा है. इस साल, सूरत के मूर्ति विक्रेता ने कोलकाता बेसिन से मां गंगा की चिपचिपी मिट्टी मंगवाकर विशेष गणेश मूर्तियाँ बनाई हैं, जो पर्यावरण के प्रति जागरूक भक्तों के बीच बेहद पॉपुलर हो रही हैं.
100 प्रतिशत मिट्टी से बनी मूर्ति की खासियत
सूरत में 100 प्रतिशत मिट्टी की गणेश प्रतिमाओं की मांग सबसे ज्यादा है. आम धारणा यह है कि मिट्टी की मूर्तियाँ जल्दी टूट जाती हैं और दरारें पड़ जाती हैं, लेकिन कोलकाता से लाई गई विशेष चिपचिपी मिट्टी से बनी ये मूर्तियाँ टिकाऊ हैं. इस विशेष मिट्टी का बंधन बहुत मजबूत होता है, जिससे मूर्ति आसानी से नहीं टूटती.
गंगा की मिट्टी से बनी मूर्तियाँ और उनकी खासियत
इस मिट्टी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ 30 मिनट में पानी में घुल जाती है, जिससे विसर्जन के बाद पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. पानी में घुलने के बाद इस मिट्टी से पौधे लगाए जा सकते हैं, और भगवान को चढ़ाए गए फूलों का उपयोग किया जाता है. गंगा घाट की पवित्र मिट्टी से बनी ये मूर्तियाँ भक्तों के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं.
विशेष कारीगरों द्वारा तैयार की गई मूर्तियाँ
बंगाल से विशेष रूप से मंगवाए गए तीन ट्रक चिपचिपी मिट्टी से ये मूर्तियाँ बनाई गई हैं. इन मूर्तियों को 2 सांचों के माध्यम से आकार दिया जाता है और फिर अलग-अलग प्रकार से सजाया जाता है. इस साल करीब 2000 मूर्तियाँ तैयार की गई हैं, जो पूरी तरह से पर्यावरण-अनुकूल हैं. 18 इंच से छोटी सभी मूर्तियाँ केवल 30 मिनट में पानी में पूरी तरह घुल जाती हैं, जिससे पर्यावरण पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता.
ग्राहकों की प्रतिक्रिया
ग्राहक जिया आहूजा, जो पिछले तीन साल से यह मूर्ति खरीद रही हैं, का कहना है, “यह मूर्ति पूरी तरह से पीओपी से मुक्त है और हम इसे घर पर बिना किसी चिंता के रख सकते हैं. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हमें सूरत में रहते हुए गंगा की मिट्टी से बनी मूर्ति प्राप्त हो रही है.”
सूरत के मूर्ति विक्रेता निशित कपाड़िया ने बताया कि इस साल इको-फ्रेंडली मूर्तियों की मांग तेजी से बढ़ी है और इन मूर्तियों को बंगाली कारीगरों द्वारा मां दुर्गा की कृपा से तैयार किया गया है.
कब शुरू होगी शारदीय नवरात्रि? देवघर के ज्योतिषी ने बताया कलश स्थापना का सही मुहूर्त, जानें सब
6 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माना जाता है कि मां दुर्गा भक्त के सभी कष्ट हर लेते हैं. इसलिए हिंदू धर्म नवरात्रि का खास महत्व है. वहीं साल भर में कुल चार बार नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है. दो गुप्त नवरात्रि जो गृहस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण नहीं होता है.
एक चैत्र महीने और दूसरा शारदीय नवरात्रि मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि का त्योहार कुछ ही दिनों में आने वाला है. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है. इस साल कब शुरू हो रहा नवरात्री का त्यौहार और घटस्थापन का क्या शुभ मुहूर्त है.देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते है.
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से होने जा रहा है. 3 अक्टूबर को ही कलश स्थापन होने वाला है. इस दिन से ही माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की शुरुआत होने वाली है. पूरी 9 दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा आराधना भक्त करने वाले हैं. माँ दुर्गा के हर रूपों की पूजा आराधना करने से सभी प्रकार के मनोकामनाएं पूर्ण होती है. कष्ट समाप्त हो जाती है.
कब से शुरू हो रहा प्रतिपदा तिथि
अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 3अक्टूबर को ब्रह्म मुहूर्त मे यानी 3 बजकर 12 मिनट से शुरू होने वाला है. समापन अगले दिन 4 अक्टूबर रात के 2बजकर 43 मिनट में उदयातिथि के अनुसार 3 अक्टूबर को ही प्रतिपदा तिथि है.
कलश स्थापन का क्या है शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल बताते है कि प्रतिपदा तिथि के दिन कई लोग अपने घरों में तो कई दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापना करने का विधान है. माय कलश स्थापना करने का शुभ मुहूर्त ब्रह्ममुहूर्त ही माना गया है. यानी 3 अक्टूबर की सुबह 5 से लेकर 7बजे तक. अगर इस समय आप कलश स्थापना ना कर पाए तो अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना भी शुभ ही माना जाता है. उस दिन 11बजकर 52मिनट से लेकर 12 बजकर 40मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहने वाला है. इस मुहूर्त में कलश स्थापन कर सकते हैं.
जानिए किस दिन होगी किस देवी की पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं की प्रथम दिन यानी प्रतिपदा तिथि मे 03अक्टूबर को मां शैलपुत्री की पूजा आराधना की जाती है.
नवरात्री के दूसरे दिन 04अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाएगी
नवरात्रि के तीसरे दिन 05अक्टूबर मां चंद्रघंटा की पूजा आराधना की जाएगी
नवरात्रि के चौथे दिन 06अक्टूबर मां कुष्मांडा की पूजा आराधना की जाएगी
नवरात्रि के पांचवें दिन 07अक्टूबर मां स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाएगी
नवरात्रि के छठे दिन 08अक्टूबर मां कात्यायनी की पूजा आराधना की जाएगी.
नवरात्रि के सातवें दिन 09अक्टूबर माँ कालरात्रि की पूजा आराधना की जाएगी.
नवरात्रि के आठवें दिन 10 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना की जाएगी.
नवरात्रि के नौवे दिन 11 अक्टूबरमां महागौरी की पूजा आराधना की जाएगी.
नवरात्रि के दसवें दिन विजयादशमी मां दुर्गा का विसर्जन होगा.
डोली पर हो रहा है माता का आगमन
दिन के अनुसार माता का आगमन और प्रस्थान के वाहन का निर्णय लिया जाता है. विशाल माता का आगमन गुरुवार के दिन होने जा रहा है यानी माता डोली पर सवार होकर धरती पर वास करने वाली हैं. डोली पर सवारी शुभ नहीं माना जाता है यानी लोग मौसमी बीमारी की चपेट में आने वाले हैं.
सुहागिन महिलाएं क्यों करती हैं हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार? अयोध्या के ज्योतिषी से जानें धार्मिक कारण
6 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिस प्रकार सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत रखा जाता है ठीक उसी प्रकार विवाहित महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि के दिन करती हैं. हरतालिका तीज का व्रत भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित होता है. हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं विवाहित जीवन में खुशियों के आगमन के लिए महादेव की पूजा और व्रत करती हैं,वहीं इस व्रत को कुंवारी लड़कियां विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए करती हैं. पूजा की शुरुआत करने से पहले सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं. ऐसी मान्यता है कि हरतालिका तीज का व्रत 16 श्रृंगार के बिना अधूरा है. तो चलिए अयोध्या के ज्योतिषी से जानते हैं हरतालिका तीज पर 16 श्रृंगार का धार्मिक महत्व.
दरअसल, अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि सनातन धर्म सुहागन महिलाएं शादी के बाद 16 श्रृंगार करती हैं. महिलाओं के श्रृंगार को सुहाग की निशानी भी माना जाता है और पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं. जिसका वर्णन धार्मिक ग्रंथो में भी देखने को मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने 16 श्रृंगार कर इस व्रत की शुरूआत की था जिसकी वजह से उनका दांपत्य जीवन सदैव खुशियों से भरा रहता है. 16 श्रृंगार में इत्र, पायल, बिछिया, अंगूठी, गजरा, कान की बाली या झुमके, शादी का जोड़ा, मेहंदी, मांगटीका, काजल, मंगलसूत्र, चूड़ियां, बाजूबंद, कमरबंद, सिंदूर और बिंदी शामिल है.
ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत आज यानी 5 सितंबर को दोपहर 12:21 से शुरू हो चुकी है . जिसका समापन कल यानी 6 सितंबर को दोपहर 3:30 पर समाप्त होगा. ऐसी स्थिति में हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को किया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 6:02 से लेकर 8:33 तक रहेगा. इस दौरान आप भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना विधि विधान से कर सकते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (शुक्रवार, 6 सितंबर 2024)
6 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा बनी रहेगी तथा धन का लाभ होगा।
वृष राशि - तत्परता एवं उदंडता से धन का लाभ, कार्य पूर्ण सफलता व सहयोग से बिगड़े कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि - कार्यक्षमता के साधन बने, योजनाएं फलीभूत हो विशेष कार्य निपटा ले, कार्य का ध्यान रखे।
कर्क राशि - कार्य योजना फलीभूत होगी तथा प्रयत्न एवं परिश्रम पूर्णत सफल व संतुष्ट होंगे।
सिंह राशि - दूसरों के कार्य से व्यर्थ भ्रमण करना होगा, धन का व्यय तथा मानसिक बेचैनी बढ़ेगी।
कन्या राशि अशुद्ध गोचर होने से मानसिक बेचैनी बढ़ेगी, विशेष कार्य स्थिगित रखे, लेनदेन में हानि हो।
तुला राशि - बिगड़े कार्य बनें, कार्य सफलता से संतोष होगा तथा धन का विशेष लाभ निश्चय होगा।
वृश्चिक राशि - धन का व्यय होगा, थकावट बेचैनी बनी ही रहेगी किन्तु कार्य वृत्ति में सुधार सफल होंगे।
धनु राशि - योजनाएं फलीभूत हो, स्त्रीवर्ग से उल्लास होगा तथा भ्रम से बचकर चले ध्यान रखे।
मकर राशि - परिश्रम से सोचे कार्य पूर्ण होंगे तथा कार्य गति में निश्चय ही कार्य सुधार होगा।
कुंभ राशि - धन और समय बेकार जाए, समय पर सोचे कार्य पूर्ण हो जाएंगे तथा कार्य अवरोध होगा।
मीन राशि - सुख समृद्धि के साधन बने, रुके व सोचे हुए कार्य पूर्ण अवश्य हो जाएंगे।
हरतालिका तीज पर पड़ रहा शुभ योग
5 Sep, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन मान्यताओं के अनुसार हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। इस वर्ष शुक्रवार 6 सितंबर 2024 को हरतालिका तीज व्रत पड़ेगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र, आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए बिना पानी के उपवास रखती है। इसे इसी कारण निर्जला उपवास भी कहा जाता है। ये उपवास सभी व्रतों में कठिन माना जाता है, क्योंकि इसका पारण अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में होता है। तब तक पानी भी नहीं पीया जा सकता है।
इस साल हरतालिक तीज पर कई शुभ योग बन रहे हैं। पंचांग के अनुसार इस दिन शुक्ल योग बन रहा है। इस दौरान चन्द्रमां तुला राशि में रहेंगे। ऐसे में पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती हैं।
इस प्रकार करें पूजा :
हरतालिका तीज के शुभ दिन पर पूजा का मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक रहने वाला है। इस अवधि में आप शिव-पार्वती की पूजा कर सकते हैं।
तीज पर पूजा करने के लिए सबसे पहले ब्रह्ममुहूर्त में ही स्नान कर लें। फिर साफ वस्त्रों को धारण करें। शुभ महुर्त के अनुसार पूजा की सभी सामग्रियों को एकत्र कर लें। इस दौरान सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार के साथ पूजा में बैठे।
सबसे पहले शुद्ध काली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएं। फिर जहां भी पूजा कर रहे हैं, वहां पर केले के पत्तों से मंडप बना लें। इसके बाद गौरी-शंकर की मूर्ति को चौकी पर स्थापित कर लें। अब गौरी-शंकर की मूर्ति का गंगाजल, पंचामृत से अभिषेक करें।
भगवान गणेश को दूर्वा और जनेऊ चढ़ाएं। इस दौरान भगवान शिव को चंदन, मौली, गुलाल, अक्षत, धतूरा, आंक के पुष्प, भस्म, अबीर, 16 प्रकार की पत्तियां आदि अर्पित करें। इस दौरान देवी पार्वती को सुहाग की सामग्री चढ़ाएं।
अब धूप, दीप लगाकर हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें, और बाद में आरती करें। रात्रि जागरण कर हर प्रहर में इसी तरह पूजा करें। आप अगले दिन अंतिम प्रहर की पूजा के बाद देवी पार्वती को चढ़ाया हुआ सिंदूर अपनी मांग में भर सकती हैं। वहीं मट्टी के शिवलिंग का विसर्जन कर दें और सुहाग की सामग्री को दान में दें। इसके बाद व्रत खोल लें।
गणेश जी की स्थापना 07 सितंबर को होगी।
5 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले होती है और हर शुभ कार्य की शुरुआत भी गणेश पूजा से ही होती है।
हिंदू मान्यता के अनुसार इस बार गणेश जी की स्थापना 07 सितंबर को होगी। यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद अगले दस दिनों तक देश भर में गणेश पूजा की धूम रहेगी। मान्यता है कि इन दिनों अपने भक्तों को आशीर्वाद देने और उनकी सारी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए गणपति बप्पा सभी के घरों में पधारते हैं। हर कोई जानता है कि गणपति बप्पा बुद्धि के देवता हैं। 10 दिन तक चलने वाले इस पर्व पर भक्त गणपति की लगातार 10 दिन तक पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। माना जा है कि है कि गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की पूजा करने से सारी बाधाएं दूर होती हैं।
यह भी कहा जाता है कि जहां बप्पा विराजते हैं, वहां हर पल सुख-समृद्धि का वास होता है। फिर अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की मूर्ति का पूजा पाठ के साथ ही विसर्जन होता हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस उत्सव की शुरुआत 7 सितंबर से होगी और इसका समापन 17 सितंबर को होगा
सबसे ज्यादा प्रभाव वाला ग्रह है चंद्रमा
5 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंद्रमा पृथ्वी पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला ग्रह है। इसका सीधा असर व्यक्ति के मन और संस्कारों पर पड़ता है। इसलिए चंद्रमा से बनने वाले एक-एक योग इतने ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।
चंद्रमा से तीन प्रकार के शुभ योग बनते हैं- अनफा, सुनफा और दुरधरा इन तीनों में से एक योग भी अगर कुंडली में हो तो व्यक्ति को विशेष शक्ति मिलती है। अगर तीनों ही योग कुंडली में हों तो व्यक्ति जीवन में अद्भुत सफलता पाता है।
क्या है अनफा योग और इसका प्रभाव क्या होता है?
जब चंद्रमा से पिछले भाव में कोई ग्रह हो तो अनफा योग बनता है।
अगर चंद्रमा से पिछले भाव में सूर्य हो तो यह योग भंग हो जाता है।
इस योग के होने से व्यक्ति को जीवन में खूब सारी सुख सुविधा मिलती हैं।
व्यक्ति खूब सारी यात्राएं करता है और अत्यंत व्यवहार कुशल होता है.
अनफा योग के होने से व्यक्ति राजनीति में भी सफलता पा जाता है।
अगर कुंडली में अनफा योग हो तो किस प्रकार इसका लाभ उठाना चाहिए?
एक चांदी का कड़ा जरूर धारण करें।
घर को ख़ास तौर से शयन कक्ष को साफ़ सुथरा रखें।
घर में फूल और फूलों की सुगंध का प्रयोग करें।
सुनफा योग क्या है और क्या है इसका प्रभाव?
जब चंद्रमा से दूसरे भाव में कोई ग्रह हो तो सुनफा योग बनता है।
अगर यह ग्रह सूर्य होगा तो यह योग नहीं बनेगा।
सुनफा योग होने से व्यक्ति को शिक्षा में खूब सफलता मिलती है।
व्यक्ति अत्यंत धनवान होता है और वाणी से सफलता प्राप्त करता है।
सुनफा योग होने से व्यक्ति को प्रशासन के क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है।
सुनफा योग होने पर किस प्रकार लाभ उठाना चाहिए?
नशे, झूठ बोलने और कर्ज लेने से बचना चाहिए।
प्रातः काल सौंफ और मिसरी का सेवन करना चाहिए।
नियमित रूप से भगवद्गीता या रामचरितमानस का पाठ करें।
क्या है दुरधरा योग और इसका प्रभाव?
दुरधरा योग से दूसरे और द्वादश भाव में ग्रह हों तो दुरधरा योग बनता है.
इन ग्रहों में सूर्य नहीं होना चाहिए।
दुरधरा योग होने पर व्यक्ति जन्म से ही संपन्न और समृद्ध होता है।
जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।
ऐसा योग कभी-कभी व्यक्ति को वैराग्य की ओर भी ले जाता है और व्यक्ति धर्मात्मा होता है।
दुरधरा योग होने पर किस प्रकार इससे लाभ उठाना चाहिए?
धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और आचरण शुद्ध रखना चाहिए।
नियमित रूप से हल्की सुगंध का प्रयोग करना चाहिए।
चांदी के पात्र से दूध और जल का सेवन करना चाहिए।
रंग भी बताता है व्यक्तित्व
5 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रंगों का भी हमारे जीवन में अहम स्थान है। रंगों को लेकर सबकी अपनी अलग-अलग पसंद होती है। ऐसा माना जाता है कि लोगों के पसंदीदा रंग केवल उनकी खुशी ही नहीं, बल्कि उनके व्यक्तित्व के बारे में भी जानकारी देते हैं। आप किसी भी इंसान के पसंदीदा रंग के आधार पर उसकी पूरी शख्सियत का अंदाजा लगा सकते हैं। आइए जानते हैं कि कौनसा रंग क्या कहता है।
लाल रंग को पसंद करने वाले लोग जीवन को भरपूर आनंद के साथ जीना पसंद करते हैं और उन्हें प्रकृति से बेहद प्यार होता है। बड़े कदम उठाने या फैसले लेने में वे हिचकिचाते नहीं है और हर पल ऊर्जा तथा रोमांच से भरे रहते हैं।
नीला रंग को पसंद करने वाले लोग शांत स्वभाव के होते हैं और अपनी मंजिल को पाने के लिए वह बड़े रास्ते तय करना भी जानते हैं।
गुलाबी रंग विशेषकर लड़कियों को बहुत अधिक भांता है। यह मासूमियत और प्रकृति से लगाव को दर्शाता है। इस रंग को पसंद करने वाले लोग दान आदि कार्यों में रुचि रखते हैं। पीला रंग को पसंद करने वाले लोग तर्कसंगत होते हैं और जीवन के प्रति अपनी सोच के साथ बने रहते हैं। ये लोग कल्पनाशील भी होते हैं।
वहीं काला रंग मजबूत इरादों वाले और अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध बच्चों का पसंदीदा रंग काला होता है। इस रंग को पसंद करने वाले लोग अपनी सोच को लेकर सख्त मिजाज होते हैं और किसी भी रेस को जीतने के लिए बड़ा कदम उठाने से शर्माते नहीं हैं। वे सुंदरता और कभी न खत्म होने वाली शैली पर अधिक भरोसा रखते हैं।
हरा रंग को पसंद करने वाले लोग आत्मविश्वास से भरे और आकर्षक व्यक्तित्व केहोते हैं। वे किसी भी प्रम में आगे रहने के लिए अवसरों की तलाश करते हैं और किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने से नहीं घबराते। वे प्रकृति प्रेमी भी होते हैं।
नारंगी रंग को पसंद करने वाले लोग मैत्रीपूर्ण व्यवहार रखने वाले और किसी भी माहौल में घुल-मिल जाने वाले लोगों का पसंदीदा रंग नारंगी होता है। ऐसे लोगों के प्रति हर किसी को लगाव होता है।
विष योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने करें ये उपाय
5 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ योग जीवन में कष्टकारी रहते हैं और ऐसे समय में संयम और सावधानी की जरुरत होती है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 2 मार्च शनिवार दोपहर 12 बजे तक रहेगा। अभी शनि धनु राशि में हैं। चंद्रमा धनु राशि में आ गया है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 36 घंटे तक भारी रहता है। विष योग जीवन में सब कुछ विपरीत कर सकता है। पढ़ाई, परीक्षा, नौकरी-व्यापार और सेहत में इंसान की चाल बिगाड़ सकता है।
इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
एक सूखा नारियल गोले में शक्कर भर कर पीपल के नीचे रखें।
शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं।
सरसों तेल का दीपक जलाएं।
आठ राशियों पर विष योग का असर होगा।
आठ राशियों पर ख़तरा है। पढ़ाई, नौकरी-व्यापार पर ख़तरा आ सकता है। शत्रु या विरोधी परेशान कर सकते हैं। पैसे की तंगी होगी, क़र्ज़ में डूब सकते हैं। वृषभ राशि पर शनि की ढैया है। कन्या राशि पर शनि की चतुर्थ ढैया है। वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। मकर और कुम्भ राशि पर तो शनि ही हैं।
ये उपाय करें-
विष योग के बाद शनिवार से चने दान करे।
शनिवार काले तिल डालकर नहाएं।
किसी गरीब को भोजन कराएं।
दवाई खरीदकर गरीब को दें।
शनि चंद्र का विष योग, सेहत हो सकती है खराब।
बदलते मौसम में सेहत ख़राब हो सकती है। वायरल बुखार, सर्दी जुकाम से बचें, फोड़े-फुंसी, रोग से बचने के के लिए नीम या तुलसी या सहजन का सेवन करें। पांच दिनों तक इनकी ख़ास सब्ज़ी का सेवन करें। नीम की पत्तियों को बैंगन में डाल कर सब्ज़ी बना कर चावल के साथ सेवन करें।
चंद्र शनि के विष योग से आएगी मुसीबत-
परीक्षा ख़राब हो सकती है। धन की कमी हो सकती है, नौकरी व्यापार में अचानक कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है। विष योग का उपाय करें। शनि मंदिर या पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाएं। चने या काली उड़द -चावल की खिचड़ी दान करें और शनि मंदिर में पूजा करते रहें। शनि मन्त्र का जाप करें - ॐ शनिश्चराय नमः।
सूर्य पर्वत पर क्रॉस दिखाता है संकट
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हमारी हथेली पर ऐसे कई निशान होते हैं जो छोटी-छोटी रेखाओं के मिलने या टकराने से बनते हैं। इनमें कुछ निशान हमें शुभ फल प्रदान करते हैं, किंतु कुछ बेहद अशुभ होते हैं। कुछ खास स्थितियों में चक्र का निशान जहां हथेली के कुछ शुभ निशानों में माने जाते हैं, वहीं कुछ ऐसे निशान भी हैं जो हर परिस्थिति में बेहद अशुभ स्थितियां लाते हैं। जानिए हाथ में बनने वाले अशुभ निशान क्रॉस के बारे में।
सूर्य ग्रह हमें समाज में यश, सम्मान और प्रतिष्ठा दिलाता है और इसी पर्वत पर अशुभ चिह्न का होना मुसीबतें खड़ी कर देता है। सूर्य पर्वत पर स्थित क्रॉस संकट को दर्शाता है। यह व्यक्ति को प्रसिद्धि, कला या धन की खोज में निराशाजनक संकेत देता है। इस पर्वत पर क्रॉस व्यक्ति की बेईमान प्रकृति को दर्शाता है। व्यक्ति अच्छे मस्तिष्क होने के बावजूद दोहरी प्रकृति का होता है। यह निशान व्यक्ति की बुद्धि को नष्ट करने का काम भी करता है। सब कुछ जानते हुए भी वह बुरे कर्म करने लगता है।
चंद्र पर्वत पर क्रॉस पद, तो व्यक्ति कल्पना से प्रभावित रहेगा। व्यक्ति सदैव सपनों की दुनिया मे रह कर खुद को धोखा देगा। जब क्रॉस शुक्र पर्वत पर स्थित हो तो कुछ संकट या प्रेम संबंध में कष्ट का संकेत देता है। शुक्र प्रेम संबंधों और विलासता का कारक माना गया है, इसलिए क्रॉस का अशुभ चिह्न जीवन के इन्हीं दो बड़े क्षेत्रों पर आक्रमण करता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली पर बना क्रॉस का निशान मुसीबत, निराशा, खतरा और कभी-कभी जीवन में संकट का संकेत देता है। क्रॉस के लक्षण विभिन्न पर्वतों और रेखाओं की स्थिति पर निर्भर करते हैं।
यह व्यक्ति में शत्रु और चोटों के कारण संकट को दर्शाता है। यह संघर्ष, झगड़े और हिंसा द्वारा मृत्यु का भी संकेत देता है। ऐसे व्यक्ति का अगर किसी के साथ झगड़ा हो, तो वह अमूमन उग्र रूप ले लेता है।