धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 सितंबर 2024)
11 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - कार्यवृत्ति में सुधार, कुटुम्ब की चिन्ता सुलझे, मित्र वर्ग सहायक हेगा ध्यान दें।
वृष राशि - कार्य कुशलता से संतोष, अधिक तीव्रता से आर्थिक हानि सम्भव, मन में व्यग्रता बने।
मिथुन राशि - समृद्धि के साधन जुटाये, कार्य कुशलता से संतोष हो तथा कार्य की वृद्धि होगी।
कर्क राशि - विरोधी तत्व परेशान करेंगे, कार्य व्यवसाय में अनियमित्ता होगी, ध्यान अवयश्य रखें।
सिंह राशि - अधिकारियों के आरोप से बचें, कार्य क्षमता बनी ही रहेगी, विशेष कार्य निपटायें।
कन्या राशि - स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होगा, समृद्धि के योग बनेंगे, कार्य-कुशलता से लाभ होगा।
तुला राशि - सम्पन्न शीलता सफल होगा, इष्टमित्र सुख वर्धक होगें, व्यवसाय ठीक से चलेगा।
वृश्चिक राशि - स्त्री शरी कष्ट, मानसिक बेचैनी, स्वभाव में उद्विघ्नता तथा मन में विभ्रम होगा।
धनु राशि - तनाव क्लेश व अशान्त मन रहेगा, मानसिक उद्विघ्नता तथा मन विभ्रम हेवेगा।
मकर - सफलता एवं समृद्धि के साधन जुटायें, कार्य कुशलता की ओर ध्यान अवश्य देवें।
कुंभ राशि - स्वभाव में क्रोध व आवेश से हानि परेशानी तथा भावुकता से बचकर चलें।
मीन राशि - अधिकारियों से तनाव कम हो कुछ, योजना सफल हो, स्त्री से सुख मिलेगा ध्यान दें।
भगवान गणेश को जरूर चढ़ाए ये 5 चीजें, बप्पा हो जाएंगे प्रसन्न, घर में आएगी खुशी, इस रंग का भी बड़ा है महत्व
10 Sep, 2024 06:44 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश जी को दूर्वा (दूब) बहुत पसंद है. दूर्वा का बिना गणेश जी की पूजा अधूरी मानी जाती है, गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते समय ऊँ गं गणपतये नमः: मंत्र का जाप करना चाहिए. पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि कश्यप के द्वारा दूर्वा देने से गणेश जी की पेट जलन में शांति मिली थी, तब से भगवान गणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है.
गणेश उत्सव के दौरान, लाल रंग का उपयोग विशेष महत्व रखता है. श्री गणेश जी को लाल गुड़हल (मदार) का फूल चढ़ाना चाहिए, क्योंकि गणेश जी की पूजा में लाल रंग के प्रयोग का महत्व अत्यधिक है. लाल रंग शुभ और मंगलकारी माना जाता है, जो गणेश जी के भक्तों के लिए सौभाग्य और समृद्धि दायक है. विशेष रूप से लाल गुड़हल का फूल गणेश जी को अत्यधिक प्रिय होता है, इसलिए इसे पूजा में अर्पित करना शुभ माना जाता है. भगवान गणेश को लाल रंग अत्यंत प्रिय है, जो सौभाग्य, उत्साह, साहस और जीवन का प्रतीक माना जाता है, गणेश पुराण के अनुसार, गणेश जी ने बाल्यकाल में सिंदूर नामक एक असुर का संहार किया था, इस युद्ध के बाद गणेश जी ने उस असुर के रक्त को अपने शरीर पर लगाया था, जिससे लाल रंग का विशेष महत्व उत्पन्न हुआ. इसी कारण से गणपति महाराज को लाल सिंदूर और लाल रंग विशेष रूप से प्रिय हो गए, गणेश जी को लाल रंग का सिंदूर चढ़ाया जाता है. हिन्दू धर्म में सिंदूर को मंगल यानी शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. गणेशजी को मोदक या लड्डू का नैवेद्य अच्छा लगता है. गणेश पूजा के अवसर पर मोदक के लड्डू बनाए जाते हैं. मोदक के अलावा गणेशजी को मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं. शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू भी पसंद हैं. इसके अलावा आप उन्हें बूंदी के लड्डू भी अर्पित कर सकते हैं. भगवान गणेश जी को आटे का भुना पंजीरी और उसमें शक्कर मिश्रित करके भोग लगाएं. नारियल तोड़ें और उसका भोग लगाएं तो भगवान गणेश जी बहुत प्रसन्न होते हैं. पंजीरी का प्रसाद घर में गेहूं आटे को भूनकर और शक्कर डालकर आसानी से बनाया जा सकता है. पंजीरी का प्रसाद गणेश जी को अतिप्रिय है.
यहां 5000 साल पहले हुआ था सुभद्रा और अर्जुन का विवाह, कई ऐतिहासिक घटनाओं और युद्धों का गवाह है ये स्थान
10 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाद्राजून’ का संबंध महाभारत काल से माना जाता है. इसी कारण इस स्थान को पांच हजार साल पुराना माना जाता है. ‘भाद्राजून’ शब्द दो शब्दों- सुभद्रा व अर्जुन को मिलाकर बना है. सुभद्रा भगवान श्रीकृष्ण की बहन थी और अर्जुन पाण्डु पुत्र थे. सुभद्रा-अर्जुन’ का प्रसंग भी महाकाल में ही हुआ था. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पाण्डु के पुत्र महान योद्धा धनुर्धर अर्जुन को भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से प्रेम हो गया था. यहां पर ही उन दोनों ने एक मंदिर के पुजारी की मदद से विवाह किया. कहां जाता है कि सुभद्रा-अर्जुन का विवाह संपन्न करने वाले पुजारी को अर्जुन ने एक शंख और सुभद्रा ने अपने नाक की बाली भेंट स्वरूप प्रदान की थी. इसलिए जिस स्थान पर उनका विवाह संपन्न करवाया था, उस स्थान का नाम शंखवाली पड़ गया जो आज भी विद्यमान है. यहां पहाड़ी के पीछे सुभद्रा देवी का प्राचीन मंदिर भी हैं जिसे ‘धुमदामाता मंदिर’ के नाम से जाना जाता है. ‘भाद्राजून’ राजस्थान के ऐतिहासिक और प्राचीन स्थलों में से एक है. यह राजस्थान के जालोर-जोधपुर मार्ग पर जालोर जिला मुख्यालय से लगभग 54 किलोमीटर दूर स्थित है. यह स्थल जोधपुर से तकरीबन 97 किमी, उदयपुर से 200 किमी, जयपुर से 356 किमी और दिल्ली से 618 किमी है. यह एक छोटा सा गांव है, जो यहां का इतिहास, दुर्ग व महल के कारण राज्य में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता हैं. भाद्राजून पश्चिमी राजस्थान के जालोर जिले में यह प्राचीन स्थल लूणी नदी के बेसिन पर स्थित है. भाद्राजून पिछली कई सदियों में हुए अनेक ऐतिहासिक घटनाओं और युद्धों का गवाह रहा है. यहां पर मारवाड़ राजवंश और मुगल साम्राज्य के शासकों के बीच अनेक युद्ध और आक्रमण हुए. यहां के शासकों ने मारवाड़ के जोधपुर राजघराने के अधीन रहकर शासन चलाया और क्षेत्र की समृद्धि के लिए व प्रजा की रक्षा के लिए काम किया. एक छोटे से पहाड़ पर स्थित मजबूत व सुरक्षित भाद्राजून के किले का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में किया गया. इसके चारों ओर पहाड़ियां व घाटियां होने के कारण इस दुर्ग को अत्यधिक प्राकृतिक सुरक्षा मिली हुई थी. इसी कारण यह दुर्ग सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है. यह दुर्ग घोड़े के खुर के आकार की घाटी से जुड़ा हुआ है और इसमें केवल एक ओर पूर्व दिशा से ही प्रवेश किया जा सकता है. दुर्ग पर अनेक प्राचीन अवशेष आज भी दिखाई पड़ते हैं. ठाकुर बख्तावर सिंह ने यहां विक्रम संवत 1863 में ‘बखत सागर' नामक एक जलाशय का निर्माण करवाया था.
अयोध्या में धार्मिक अनुष्ठानों का दौर, रामलला को सुनाई जाएगी सुंदरकांड और गीत
10 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या: प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा के बाद एक बार फिर अयोध्या में धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत होने जा रही है. रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद, देशभर से राम भक्त अपनी-अपनी भक्ति के अनुसार प्रभु राम को प्रसन्न करने के प्रयास में जुटे हैं. अब रामलला को पहली बार देश की मातृशक्ति द्वारा सुंदरकांड का पाठ सुनाया जाएगा, जबकि विभिन्न स्थानों के वैदिक विद्वान यज्ञ और अनुष्ठान कर देश में अमन और शांति के लिए प्रभु राम से प्रार्थना करेंगे. अयोध्या में रामलला के मंदिर में विराजमान होने के बाद से अब तक लगभग 3 करोड़ से अधिक राम भक्त रामलला का दर्शन कर चुके हैं. अब, राम नगरी में धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत की जा रही है, जहां भक्त अपनी भक्ति के अनुसार भगवान रामलला को प्रसन्न करने का प्रयास करेंगे. नवंबर माह से अयोध्या में बड़े स्तर पर धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन शुरू हो जाएगा. इसमें हर 15 दिन में भारत की मातृशक्ति भगवान राम को सुंदरकांड का पाठ सुनाएंगी. यह अनवरत चलने वाला एक अनुष्ठान होगा जिसमें देशभर से ढाई सौ महिलाएं हर 15 दिन पर अयोध्या आकर रामलला को सुंदरकांड का सामूहिक पाठ सुनाएंगी. अयोध्या में धार्मिक अनुष्ठान की इस कड़ी में महाराष्ट्र के बच्चे भी शामिल होंगे, जो भगवान रामलला को गीत रामायण का पाठ सुनाएंगे. वहीं, तमिलनाडु से आने वाले 500 राम भक्त लोक कल्याण, विश्व शांति, और देश की समृद्धि के लिए 2 महीने तक भगवान रामलला के समक्ष विराट यज्ञ करेंगे. यह यज्ञ नवंबर और दिसंबर के महीनों में आयोजित होगा. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि पूरे भारत से राम भक्त अयोध्या आकर भगवान राम को अपनी भक्ति के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में महाराष्ट्र से बच्चे आकर अयोध्या में गीत रामायण का पाठ करेंगे. यह आयोजन रामलला के मंदिर के निकटतम स्थल पर किया जाएगा. उन्होंने आगे बताया कि हर 15 दिन पर देश के विभिन्न हिस्सों से ढाई सौ महिलाएं अयोध्या आकर सामूहिक रूप से सुंदरकांड का पाठ करेंगी. यह क्रम निरंतर चलता रहेगा. साथ ही, तमिलनाडु से आने वाले 500 लोग अयोध्या में 2 महीने तक यज्ञ करेंगे, जो देश की सुख-समृद्धि और विश्व शांति के लिए आयोजित किया जाएगा.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 सितंबर 2024)
10 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - भाग्य का सितारा साथ देगा, किसी के बहकावे से कष्ट, व्यर्थ परिश्रम से बचकर चलें, हानि हो।
वृष राशि - कार्य कुशलता से संतोष, प्रयत्न सफल होंगे, विवेक पूर्ण संघर्ष, लाभप्रद निश्चय होगा।
मिथुन राशि - आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मानसिक प्रभुत्व वृद्धि, यात्रा में सावधान बरतें।
कर्क राशि - प्रयास विफुल हों, दैनिक कार्य में बाधा, अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न बनी ही रहेगी।
सिंह राशि - आर्थिक कार्यगति मे सुधार व अनुकूलता रहेगी, कुटुम्ब व स्त्री की चिंता बनेगी।
कन्या राशि - कुटुम्ब व स्त्री की चिन्ता, सुख कम होगा, व्यावसायिक कार्य में सफलता मिलेगी।
तुला राशि - भाग्य का सितारा साथ दे, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि - स्थिति में सुधार होते हुए भी फलप्रद नहीं, मन में उद्विघ्नता अवश्य बन रहेगी।
धनु राशि - कार्यगति में अनुकूलता, सुखों में समय बीते, बुजुर्गों की राय का लाभ मिलेगा।
मकर - स्त्री वर्ग से भोग-एश्वर्य की प्राप्ति, कार्यकुशलता से सुख बना ही रहेगा ध्यान दें।
कुंभ राशि - कार्य गति में अनुकूलता, चिंताएW कम हों अत सफलता के साधन अवश्य जुटायें।
मीन राशि - चिन्ताएW दूर हो, इष्ट मित्र सुख वर्धक हा, सोचे हुए कार्य अवश्य पूर्ण होगे।
बुरहानपुर की मिट्टी से बनी प्रतिमा से सजेगा महाराष्ट्र का पंडाल, बप्पा की खूब बरसी कृपा
9 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र के लोगों पर इस बार भगवान श्री गणेश की अतिरिक्त कृपा बरसाने जा रही है. अभी तक महाराष्ट्र के लोग अपने यहीं पर भगवान श्री गणेश की प्रतिमाएं बनवाते थे. लेकिन इस बार उन्होंने सबसे अधिक मिट्टी से बनी भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं को ऑडर बुरहानपुर मे किया है. जो कलाकार बनाने में जुट गए हैं. इस बार कलाकारों का कहना है कि करीब 50 से अधिक प्रतिमाओं का हमारे पास आर्डर है. कलाकार 3 महीने पहले से प्रतिमाएं बना रहे हैं. इसमें गंगा की मिट्टी ताप्ती नदी की मिट्टी और खेतों की काली मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है.
50 से अधिक ऑर्डर महाराष्ट्र के मिले
लोकल 18 की टीम को कलाकार असीम कुमार शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मैं 35 वर्षों से बुरहानपुर में मिट्टी से भगवान श्री गणेश की प्रतिमाएं बना रहा हूं. पहले केवल नाम मात्र के आर्डर ही मिलते थे. लेकिन इस बार 50 से अधिक ऑर्डर महाराष्ट्र के मिले हुए हैं. अब महाराष्ट्र के लोग भी मिट्टी से बनी भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं को पसंद कर रहे हैं. इस बार महाराष्ट्र के लोगों पर भगवान श्री गणेश की अतिरिक्त कृपा बरसेगी लोगों ने 4 फीट से लेकर तो 10 फीट तक की गणेश प्रतिमाओं के आर्डर दिए हैं. जिसको मेरे द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है. 7 सितंबर को भगवान श्री गणेश का सार्वजनिक पांडालों सहित घरों में स्थापना होगी.
तीन मिट्टी से बनती है प्रतिमाएं
कलाकारों का कहना है कि गंगा मैया की मिट्टी ताप्ती मैया की मिट्टी और खेतों की काली मिट्टी से हम यह प्रतिमा बनाते हैं. प्रतिमा बनाने के लिए सबसे पहले घास का इस्तेमाल किया जाता है. घास से हम स्ट्रक्चर खड़ा कर लेते हैं. उसके बाद इस मिट्टी को लगाते हैं और आकार देना शुरू कर देते हैं. भगवान श्री गणेश की प्रतिमाएं बन जाती है. हमारे हाथों की कलाकारी लोगों को पसंद आ रही है. इसलिए लोग अब मिट्टी की प्रतिमा की ओर अपना रुझान बढ़ा रहे हैं. यह पर्यावरण का भी संदेश देती है.
चातुर्मास का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व, देशभर से साधु संतों का जमावड़ा, दिया जा रहा गायों के महत्व का संदेश
9 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिले के रेवदर में नंदगांव मनोरमा गोलोक नंदगांव केसुआ में पिछले करीब दो माह से चल रहे श्री गोकरुणा चातुर्मास आराधना महोत्सव में देश भर से साधु संत पहुंच रहे हैं. यहां परिसर में दत्त चौक पर विशाल दत्तात्रेय भगवान और गाय की मनमोहक मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. परिसर में स्थित इस सर्कल का नाम दत्त चौक रखा गया है. यहां हो रहा ये आयोजन ऐतिहासिक है, जो 4 माह तक लगातार जारी रहेगा. इसमे देशभर से आने वाले साधु संत हर समाज को गायों के महत्व और गो सेवा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है.
यहां चल रहे कार्यक्रम में शुक्रवार को कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज के प्रतिनिधियों ने देशभर से आए सैकड़ों संतों का बहुमान किया. प्रदेश के जालोर, सिरोही समेत गुजरात और देशभर से आए समाज के गोभक्तों ने गोऋषि स्वामी दत्तशरणानंद महाराज, सूरजकुंड के संत अवधेश चैतन्य महाराज और महंत चेतन आनंद महाराज, गोविंद बल्लभ दास महाराज, श्रीपति धाम और पूज्य निर्मल दास महाराज से आशीर्वाद लिया. समारोह में गोऋषि महाराज ने कुम्हार समाज के गोसेवा से जुड़ाव को बताते हुए आगे भी गायों की सेवा निरंतर जारी रखने की बात कही. श्रीपति धाम के गोविंद बल्लभ दास ने कहा कि कुम्हार कुमावत प्रजापति समाज की उपमा भगवान ब्रह्मा के उपासक के रूप में की जाती है.
क्या है चातुर्मास कार्यक्रम
हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है व्रत. भक्ति और शुभ कर्म के 4 महीने को हिंदू धर्म में ‘चातुर्मास’ कहा गया है. श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास में ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति के साथ वातावरण भी शुद्ध रहता है. चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है.
मेहनत के बाद भी किस्मत नहीं दे रही साथ? इस 1 मंत्र का जाप करें शुरू, रातोंरात खुलेगा भाग्य, बनने लगेंगे काम.!
9 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जब बच्चा पैदा होता है तब ग्रह नक्षत्रों की चाल के आधार पर उसकी जन्म कुंडली का निर्माण होता है. जन्म कुंडली के अनुसार ही उस व्यक्ति के पूरे जीवन में घटनाएं घटित होती हैं. क्या उसे अच्छा मिलेगा क्या उसे बुरा मिलेगा यह सब पूर्व निहित है. जीवनकाल में तमाम ऐसी दिक्कतें आती हैं जिनका समाधान निकल पाना असंभव सा लगता है. मेहनत के बाद भी किस्मत साथ नहीं देती है. ऐसी स्थिति में कुछ मंत्रों के जाप से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर किया जा सकता है. आज एक ऐसे ही मंत्र के बारे में बता रहे हैं कासगंज सोरों के ज्योतिषाचार्य गौरव कुमार दीक्षित-
बदल सकता है भाग्य
व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से ही फल मिलता है. कुछ लोगों का भाग्य इतना तेज होता है कि बिना ज्यादा प्रयास किए ही उन्हें सफलता मिल जाती है. ज्योतिष शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय भी बताए गए हैं जो भाग्य को बदलने या भाग्योदय करने का काम करते हैं. ऐसे ही एक ऐसा ही चमत्कारी मंत्र है जो भाग्योदय करने का काम करता है. ये मंत्र इतना शक्तिशाली है कि इसके जाप करने से व्यक्ति की सारी परेशानियां दूर होने लगती हैं और धन, सुख -सम्रद्धि आदि उसके जीवन में आना शुरू हो जाती है.
भाग्योदय मंत्र और इसके जाप की विधि
भाग्योदय मंत्र एक ऐसा मंत्र है जो आपकी बंद किस्मत के दरवाजे भी खोल सकता है. यह बहुत ही प्रभावी मंत्र है इस मंत्र को पूर्ण विधि के साथ करने से पूर्ण फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कुंडली में ग्रह नक्षत्र के दोस्त को भी यह शांत करता है उसके बाद ही आपको अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है.
मंत्र : ॐ ऐं श्रीं भाग्योदयं कुरु कुरु श्रीं ऐं फट् ।।
यह मंत्र बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी है, इसका जाप करने से लेकिन इसके जाप की अपनी उचित विधि है. विधिपूर्वक इसका जाप ना करने से ये मंत्र व्यर्थ हो जाता है.
कब करना चाहिए इस मंत्र का जाप
इस मंत्र का जाप हमेशा सोने से पहले करना चाहिए. इस मंत्र का जाप कम से कम 11 बार जरूर करें. इसे आप अपनी इच्छानुसार आप 21 या 51 या 108 बार भी कर सकते हैं.एक माला जाप करने से इसका असर बहुत जल्दी होता है.
कितने दिन करना चाहिए इस मंत्र का जाप
इस भाग्योदय मंत्र का जाप लगातार 21 दिनों तक लगातार करना है. इस मंत्र के जाप से पहले अपने हाथ-पैर धो लें एवं साफ स्वच्छ वस्त्र पहनकर इस मंत्र जाप करें एवं जाप के बाद भगवान का हाथ जोड़कर धन्यवाद करें और क्षमा याचना करें.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (सोमवार, 9 सितंबर 2024)
9 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - किसी के द्वारा धोखा देने से मनोवृत्ति खिन्न रहेगी, धन का व्यय, व्यर्थ परिश्रम होगा।
वृष राशि - समय अनुकूल नहीं, लेनदेन के मामले स्थिगित रखें तथा अपवाद बन सकता है ध्यान दें।
मिथुन राशि - व्यर्थ समय जाये, यात्रा के प्रसंग में थकावट, बेचैनी बनी ही रहेगी, उत्साहहीन कार्य होगें।
कर्क राशि - प्रयत्नशीलता विफल हो, परिश्रम करने पर ही कुछ सफलता मिलेगी, साधन जुटायें।
सिंह राशि - परिश्रम से कार्य पूर्ण होगें, तर्क-वितर्क में विजय होवे, सफलता मिले, धन लाभ होगा।
कन्या राशि - व्यावसायिक कार्यकुशलता से संतोष होगा, अर्थव्यवस्था अनुकूल बनेगी, ध्यान दें।
तुला राशि - किसी तनावपूर्ण वातावरण से बचिये, मन उद्विघ्नता से परेशान रहेगा, मित्रों से लाभ।
वृश्चिक राशि - परिस्थिति में सुधार होते हुए फलप्रद कार्य होगा किन्तु कार्यविफलत्व हो सकेगें ध्यान दें।
धनु राशि - स्त्री वर्ग से उल्लास इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे तथा रुके कार्य अवश्य बन जायेंगे।
मकर - स्वभाव में क्लेश व अशांति, व्यर्थ विभ्रम-भय तथा उद्विघ्नता बनी ही रहेगी।
कुंभ राशि - कार्यगति अनुकूल, चिन्ताए कम होंगी, सफलता के साधन अवश्य ही जुटायें।
मीन राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, इष्ट मित्रों का समर्थन फलप्रद अवश्य होगा।
5000 साल पुराना गणपति का ऐसा मंदिर जहां मेल से मन्नत भेजते हैं भक्त
8 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गणेश चतुर्थी पूरे भारत में धूमधाम से मनाई जाती है, और इस दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव होता है. आज इस खास मौके पर हम आपको भगवान गणेश के एक खास मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जो 5 हजार साल पुराना है और अपनी अनूठी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है.
राजकोट जिले के उपलेटा से 24 किलोमीटर दूर ढाक गांव में स्थित श्री गणेश जी का मंदिर प्राकृतिक परिवेश में बसा हुआ है. इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता यह है कि यहां भगवान गणेश सिंह पर विराजमान हैं, जो अन्य मंदिरों से अलग है. यहां के पुजारी भरतगिरि दयागिरि गोस्वामी बताते हैं कि यह सिद्धिविनायक गणेश मंदिर स्वतः प्रकट हुआ था और यह गणपति त्रेतायुग के काल से संबंधित हैं.
सपने में गणेश जी का आना और स्थापना मंदिर के इतिहास के बारे में पुजारी ने बताया कि लगभग 5हजार साल पहले एक भक्त के सपने में भगवान गणेश आए और उन्होंने उससे कहा, “तुम मुझे जमीन से बाहर निकालो.” भक्त ने भगवान की आज्ञा का पालन किया और उनकी मूर्ति को बाहर निकालकर स्थापित किया, तब से यह स्थान गणपति की पूजा का केंद्र बन गया.
पुजारी के अनुसार, हर युग में भगवान गणेश का वाहन अलग होता है. सतयुग में गणेश जी का वाहन मोर, त्रेतायुग में सिंह, द्वापरयुग में चूहा और कलयुग में घोड़ा होता है. इस मंदिर में भगवान गणेश सिंह पर विराजमान हैं, जो त्रेतायुग के समय से यहां पूजे जाते हैं. इस मंदिर में गणेश चतुर्थी बहुत धूमधाम से मनाई जाती है और भक्तों का विश्वास है कि यहां की गई हर प्रार्थना पूरी होती है.
जो भक्त मंदिर में व्यक्तिगत रूप से नहीं आ सकते, वे अपने दुख-दर्द भगवान गणेश को मेल के जरिए भेजते हैं. मंदिर के पुजारी गर्भगृह में गणपति जी के समक्ष अकेले में इन पत्रों को पढ़ते हैं. इस अनोखी परंपरा के कारण, दूर-दूर से भक्त, विशेषकर मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों से, इस मंदिर में दर्शन करने और अपनी आस्था व्यक्त करने आते हैं. गणेशोत्सव के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता बल्कि अनूठी मान्यताओं और भक्ति-भाव के लिए भी प्रसिद्ध है, जो इसे गणेश भक्तों के बीच एक पवित्र स्थल बनाता है.
राधा अष्टमी पर न करें ये गलतियां, वरना नाराज हो जाएगी राधा रानी, ऐसे रखें व्रत
8 Sep, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या: सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से राधा अष्टमी का पर्व भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. राधा अष्टमी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाया जाता है. यह दिन भगवान कृष्ण की प्रिय राधा रानी को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक राधा अष्टमी के दिन राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था. मथुरा बरसाना समेत पूरे देश में धूमधाम के साथ राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा आराधना की जाती है और उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है. लेकिन राधा अष्टमी के दिन कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत भी है तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं .
दरअसल अयोध्या की ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस वर्ष राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा, कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का पर्व भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा आराधना की जाती है. पूजा आराधना के दौरान तथा व्रत के दौरान कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत भी है राधा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए .
अगर आप राधा अष्टमी के दिन व्रत हैं तो इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन प्याज मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए . इसके साथ राधा रानी को पंचामृत खीर पंजीरी हलवे का भोग लगाना चाहिए उसके बाद भक्तों में प्रसाद को वितरित करना चाहिए. राधा अष्टमी के इस मौके पर राधा कृष्ण और लड्डू गोपाल का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए उसके बाद माता किशोरी का श्रृंगार करना चाहिए ऐसा करना अत्योधिक पुण्य दाई माना जाता है
इसके अलावा राधा जी की पूजा आराधना करते समय विभिन्न प्रकार के स्रोत श्लोक और वैदिक मित्रों का जाप करना चाहिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए किसी भी प्रकार के बाद विवाद से बचना चाहिए किसी के बारे में बुरा ना ही सोच ना ही बुरा किसी को कहे.
अनोखी है भक्त की कहानी, हादसे के बाद कर दी इस जिले में गणेश पूजा की शुरुआत, अब उमड़ती है भीड़
8 Sep, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहते है आस्था का न रूप होता है न हीं कोई ढंग. यह एक भाव होता है. भाव कभी भी हो सकता है. गणपति महोत्सव को लेकर देश भर में विशेष तैयारी है. खास तौर पर महाराष्ट्र में विशेष पूजा आयोजित होती है. मगर झारखंड के पलामू जिले के रहने वाले रंजित कुमार की कहानी कुछ अलग है. पलामू जिले में गणपति पूजा की परंपरा की शुरुआत रंजित सोनी ने 19 साल पहले किया था. अब इस जिले में कई स्थान पर पूजा आयोजित होती है.
पलामू जिले के मेदिनीनगर शहर के बेलवटीका गणपति चौक समीप 19 वर्ष पहले गणपति महोत्सव की शुरुआत हुई थी. जिले भर में कहीं इस पूजा नहीं आयोजित होती थी.रंजित सोनी ने लोकल18 से कहा कि 19 वर्ष पहले उनके साथ एक हादसा हुआ था. जिसके बाद उनके बचने का कोई चांस न था. भगवान गणेश के चमत्कार से वो ठीक हुए. इसके बाद पहली बार मेदिनीनगर शहर में गणपति पूजा आयोजित किए.
19 वर्ष पहले कोलकाता में सिल्ली गुड़ी की बस के पास वो खड़े थे. बस के ऊपर से एक बड़ा पार्सल का सामान उनके छाती पर गिर गया. इसके बाद वो पूरी तरह बेहोश हो गए.बाद में जब आंख खुला तो मारवाड़ी सोसाइटी अस्पताल कोलकाता में आई सी यू में थे. जिसके बाद डॉक्टर जवाब दे दिया था.घर वालों का रो रो कर बुरा हाल था. मगर रात में ऐसा चमत्कार हुआ. वो अहले सुबह ठीक हो गए. आंख खुला तो देखा की सामने गणपति बप्पा को प्रतिमा है.जिसके बाद मन में आस्था जगी.
इसके बाद 19 वर्ष पहले मेदिनीनगर में आकर गणपति पूजा को आयोजित किए. जिसके बाद लगातार आज तक करते आ रहे है. पूजा के लिए नागपुर से मूर्ति मंगाते है. यहां की मूर्ति में वैसी खूबी नहीं होती है. इसीलिए हर साल मूर्ति महाराष्ट्र से मंगाया जाता है. ट्रेन के माध्यम से मूर्ति मंगाते है. जो मूर्ति के लागत मूल्य से भी ज्यादा खर्चा लाने में लग जाता है.इस वर्ष 7.5 फिट ऊंची मूर्ति लाई गई है. जिसकी कीमत लगभग 30 हजार रुपए है.
गणपति पूजा 10 दिनों तक आयोजित किया जाता है. इस बार भी 7 सितंबर से 17 सितंबर तक आयोजित होगा. इस दौरान सुबह शाम पूजा और आरती होती है.वहीं शाम 6 बजे से 8 बजे तक प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होता है. इसके अलावा लकी ड्रा कॉन्टेस्ट होगा.जिसके लिए 350 रुपए का चंदा लिया जाता है. इस बार खास तौर पर 10 एलईडी टीवी, 5 साइकिल, 10 घरेलू गैस चूल्हा, 10 फ्री डिश, 10 स्टेन फैन और 10 आयरन रखा गया है.वहीं 17 सितंबर को महाराष्ट्र के लाल बाग का राजा के विश्रजन के बाद यहां विश्रजन किया जायेगा.
किसी भी अनुष्ठान के लिए अब नहीं पड़ेगा भटकना, दरभंगा विश्वविद्यालय उपलब्ध कराएगा पुरोहित
8 Sep, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
किसी भी प्रकार के पूजा पाठ, शादी विवाह, उपनयन, मुंडन या फिर श्राद्ध कर्म के लिए पुरोहित की आवश्यकता होती है. ऐसे में लोगों को समय पर अच्छे पुरोहित नहीं मिल पाते हैं या फिर कई बार देखा गया है कि पुरोहित मिल ही नहीं पाते हैं. इस स्थिति में अब लोगों को किसी प्रकार की कोई टेंशन लेने की बात नहीं है. क्योंकि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के द्वारा अब लोगों को पुरोहित भी उपलब्ध कराया जाएगा.
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष ने बताया कि अब किसी प्रकार के अनुष्ठान या कर्मकांड को लेकर भटकना नहीं पड़ेगा. अब लोगों को विश्वविद्यालय पुरोहित उपलब्ध कराएगा.
डॉक्टर कुणाल कुमार झा बताते हैं कि यह एकेडमिक करियर काउंसलिंग की जो बैठक की गई थी. उसमें यह निर्णय लिया गया कि एक वर्षीय कोर्स का शुभारंभ किया जाए जिसमें जन्म कुंडली निर्माण, वास्तु विज्ञान, कर्मकांड से संबंधित एकोदिष्ट पारवन इत्यादि जो कर्मकांड में आता है उस सब का विधान यह एक वर्षीय कोर्स में करवाया जाएगा. जिसे अनुमोदित करके राज भवन भेजा गया है.
अब यह राज भवन से अनुमोदित होकर आएगा उसके बाद क्रियान्वय होगा. खास करके सामाजिक दृष्टि कोण को देखते हुए यह कदम उठाया गया है और समाज के किसी व्यक्ति को कहीं भटकना न पड़े चाहे वह पुरोहित कर्म के लिए या जन्म कुंडली निर्माण के लिए या वास्तु संबंधित या गृह आरंभ संबंधित इन सब से संबंधित जो भी प्रक्रिया है इस सब के विधान के लिए किसी भी प्रकार का भटकाव समाज में ना हो उसकी व्यवस्था के लिए यह निर्णय विश्वविद्यालय के द्वारा लिया गया है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन ( रविवार, 8 सितंबर 2024 )
8 Sep, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - स्त्री वर्ग से भोग-एश्वर्य की प्राप्ति किन्तु व्यावसायिक तनाव तथा क्लेश प्राप्त होगा।
वृष राशि - धन और समय की सुरक्षा करें, योजनाएं फलीभूत हो तथा सामाजिक सम्मान अवश्य मिलेगा।
मिथुन राशि - आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य होगा।
कर्क राशि - धन लाभ, बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा, रुके कार्य बन ही जायेंगे।
सिंह राशि - विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेन-देन के मामले में सतक्&ैता रखें तथा कार्य बन ही जायेंगे।
कन्या राशि - धन हानि, मानसिक व्यग्रता से बचें तथा भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्य सम्पन्न करें।
तुला राशि - मन उद्विघ्नता से परेशानी बनेगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, सतर्कता से कार्य करें।
वृश्चिक राशि - प्रतिष्ठा, बालबाल बचे, विशेष कार्य में हानि हो सकती है, समय का ध्यान अवश्य रखें।
धनु राशि - विभ्रम, उपद्रव से बचें, विशेष कार्य में हानि हो सकती है, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मकर राशि - धन का व्यय, असमर्थता का वातावरण रहेगा तथा इष्ट मित्र सुख वर्धक अवश्य ही होंगे।
कुंभ राशि - योजनाए फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें, मन में प्रसन्नता के योग अवश्य बनेंगे।
मीन राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, इष्ट मित्र व अधिकारियों से समर्थन अवश्य ही मिलेगा।
निर्धन को भी करोड़पति बना देता है यह राजयोग, क्या आपकी कुंडली में यह है? इन उपायों से करें सक्रिय
7 Sep, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के योग और दोष बताए गए हैं किसी भी इंसान के जीवन में इन योग और दोषों की बजह से काफ़ी सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव आते हैं. के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाने में इन राजयोगों की बड़ी भूमिका होती है. आज हम आपको एक ऐसे राजयोग के बारे में बताएंगे जो अगर किसी की कुंडली में हो तो वह व्यक्ति किसी भी संकट से निकलने में सक्षम होता है और अपने जीवन में खूब धन और प्रसिद्धि प्राप्त करता है. यह योग है गजकेसरी योग.
क्या है गजकेसरी योग ?
गजकेसरी योग एक बहुत ही शुभ योग माना गया है और यह किसी भी जातक की कुंडली में हो तो वह कितना भी गरीब घर में पैदा हुआ हो फिर भी वह धनी हो जाएगा, इतना ताकतवर राजयोग है ये. कुंडली में यह योग देवगुरु वृहस्पति और चंद्रमा से बनता है, कुंडली में गुरु और चंद्र दोनों ही पूर्णबली हो तो यह योग बनता है, कुण्डली में गजकेसरी योग होने पर धन दौलत, नाम, मान -सम्मान सब प्राप्त होता है.
ऐसे बनता है गजकेसरी योग
कुंडली में गजकेसरी योग गुरु और चंद्र से बनता है अगर केंद्र स्थान यानी लग्न,चौथे और दसवें (1,4,10) भाव में गुरु-चंद्र साथ में हो और दोनों ग्रह बली हों तो यह योग बनता है. यदि इन ग्रहों की आपस में युति ना हो तब भी गज केशरी योग बन जाता है बशर्ते गुरु और चन्द्रमा दोनों बली हों और आपस में दृष्टि सम्बन्ध बना रहे हों. इस योग में भी सबसे बड़ा राजयोग जब फलित होगा जब गुरु अपनी उच्च राशि में चंद्रमा के साथ अथवा चंद्रमा भी उच्च राशि में गुरु के साथ हो.जैसे कर्क राशि में गुरु और चन्द्रमा बैठे हों अथवा वृषभ राशि में चन्द्रमा के साथ गुरु बैठे हों या दोनों में से कोई एक अपनी उच्च राशि में बैठकर दूसरे के साथ दृष्टि सम्बन्ध स्थापित कर रहे हों.
यहां सबसे अच्छे परिणाम देता है गजकेसरी योग
यदि अपनी उच्च राशि में बैठकर गुरु और चन्द्रमा आपस में सम्बन्ध बनाकर 4 या 10वें भाव में गजकेसरी योग बना रहे हैं तब ऐसा जातक अपने जीवन में भवन, भूमि, वाहन, माता से सम्बंधित पूर्ण सुख प्राप्त करता है एवं व्यापार में बहुत ऊँचाइयाँ प्राप्त करता है.
जिन जातकों की कुंडली में गजकेसरी योग है उन्हें दूध में हल्दी अथवा केसर मिलाकर पीना चाहिए इससे उनकी कुंडली में यह योग सक्रिय बना रहता है और पूर्ण सुख प्राप्त होता है.