धर्म एवं ज्योतिष
कब है छोटी दिवाली? इस दिशा में जलाएं यम दीया, अकाल मृत्यु के भय से मिलेगी मुक्ति
22 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले, यमराज की पूजा करने का विधान है और उनके समस्त दीपक भी जलाया जाता है.इस दिन का क्या महत्व है. आइए जानते है उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से विस्तार से.
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 23 मिनट से हो रही है. इसका समापन 31 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर होगा, क्योंकि चतुर्दशी तिथि में संध्या के समय यम दीया जलाया जाता है और यम देवता की पूजा की जाती है, इसलिए नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
अकाल मृत्यु के भय से मिलेगी मुक्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. दीपक जलाकार यम से प्रार्थना की जाती है कि वो नरक के द्वार सदा हमारे लिए बंद रखें, ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सके. इसके अलावा कई लोग बुराई व जीवन में मौजूद नकारात्मकता को दूर करने के लिए भी इस दिन दीपक जलाते हैं.
जानिए कैसा दीपक जलाना होगा शुभ
यमराज के प्रति नरक चतुर्दशी के दिन चौमुखी दीपक ही जलाना चाहिए. दीपक में सरसों का तेल भरना चाहिए. घर की अलग-अलग दिशा में अलग-अलग देवी-देवता का वास होता है. यमराज की दिशा शास्त्रों में दक्षिण दिशा बताई गयी है. इसलिए इस दक्षिण दिशा की तरफ दीपक को रख कर जलाना चाहिए.
भूल से भी ना करें इस दिन ये काम
– यमलोक के देवता कहलाने वाले यमराज की नरक चतुर्दशी के दिन पूजा की जाती है. इसलिए इस दिन किसी भी जीव की हत्या न करें.
– यम की दिशा दक्षिण मानी गयी है. इसलिए इस दिन घर की दक्षिण दिशा को भूल से भी गंदा ना रखें.
– शास्त्रों में तेल का दान विशेष महत्व रखता है, लेकिन इस दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. साथ ही इस दिन तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
22 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय, कष्ट, व्यापार बाधा, लाभ पारिवारिक समस्या, उलझन भरी रहेगी, ध्यान रखे|
वृष राशि :- राज भय रोग स्वजन सुख शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होगी| अधूरा..........................
मिथुन राशि :- वाहन भय, मातृ-पितृ कष्ट, हानि, व्यर्थ तनाव, अनाप-सनाप खर्च से परेशानी हो।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ-कार्य, विवाद, उद्योग-व्यापार में उच्च की स्थिति बन सकेगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, उत्तम व्यय, खर्च, सफलता, व्यवस्था में साधारण लाभ हो सकेगा।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री-कष्ट, विद्या लाभ, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे तथा संतान प्राप्त होगी।
तुला राशि :- यात्राऐं, हानि, राजभय, लाभ, शरीर कष्ट, व्यापार में सुधार, प्रगति की संभावना है।
वृश्चिक राशि :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पति लाभ, कारोबार में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी।
धनु राशि :- अल्प-लाभ, शरीर कष्ट, चोट आदि का भय है, शिक्षा की स्थति ठीक रहेगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि होने की संभावना है, शरीर सुख, उद्योग-व्यापार के लिए प्रयास करें।
कुंभ राशि :- लोगों से मेल-मिलाप के पश्चात भी कार्य अवरोध तथा बेचैनी अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, न्याय, लाभ-हानि, व्यय, जीवन संतोष जनक होगा।
करवा चौथ के दिन खरीदें ये चीज, पति-पत्नी के सारे झगड़े हो जाएंगे खत्म, बरसेगी कृपा!
20 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
करवा चौथ का त्यौहार है. महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखेंगी. ऐसे में करवा चौथ के दिन खास आभूषण खरीदने से पति की आयु लंबी होती है. लोकल 18 से बातचीत करते हुए ज्योतिष आचार्य अमन रस्तोगी बताते हैं कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चांदी को चंद्र और शुक्र की धातु माना गया है. करवा चौथ के दिन इसे खरीदने से यह पति-पत्नी के लिए रिश्ते के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है.
करवा चौथ के उपाय
विवाहित जोड़े के लिए इसे खरीदना शुभ भी माना जाता है. चांदी के आभूषण में मुख्य रूप से पायल और बिछिया खरीदना अच्छा होता है. इस आभूषण को पति-पत्नी दोनों में से कोई भी खरीद सकते हैं, लेकिन आभूषण केवल पति के नाम के खरीदे जाएंगे. महिलाएं इन आभूषणों को करवाचौथ के दिन धारण करेंगी.
चांदी के आभूषण का महत्व
ज्योतिष आचार्य अमन रस्तोगी बताते हैं कि करवाचौथ एक ऐसा त्योहार है, जो विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है. यह त्योहार पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है. इस व्रत को रखने से पति की उम्र लंबी होती है. करवा चौथ का व्रत पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास को बढ़ाता है. इस रिश्ते को और अधिक मजबूती देने के लिए करवा चौथ के दिन चांदी के गहने देना शुभ माना जाता है. चांदी के आभूषणों से पायल और बिछिया खरीदनी चाहिए.
ऐसे खरीदे चांदी के आभूषण
करवा चौथ के दिन सुबह और शाम कभी भी चांदी के आभूषण खरीदे जा सकते हैं. इन आभूषणों को संभव हो तो पति को अपनी पत्नी को गिफ्ट के तौर पर देना चाहिए. यदि पति कहीं बाहर नौकरी करते हैं तो पत्नी भी इन्हें पति के नाम से खरीद सकती है. साथ ही विवाहित जोड़ा साथ में रहते हैं तो इसे साथ में जाकर भी खरीदा जा सकता है.
चांदी के आभूषण धारण करने का तरीका
करवा चौथ के दिन महिलाएं जब चांदी के आभूषण खरीदेंगी तो इन आभूषणों को पति, सास या जेठानी की मदद से धारण कर सकती हैं. सुहागिन महिला का पति महिला को आभूषण पहना सकता है. यदि पति घर में ना हो तो ऐसे में सास या जेठानी की मदद से गहने धारण कर लें.
करवा चौथ पर सरगी का है विशेष महत्व, सास व्रत से पहले देती है बहु को, जानें इसमें क्या रखना चाहिए?
20 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
करवा चौथ का व्रत इस साल 20 अक्टूबर 2024, रविवार को रखा जा रहा है. यह पूरी तरह से निर्जला व्रत होता है, इसलिए इसे कठिन माना जाता है लेकिन इस व्रत के दौरान आपके शरीर में ऊर्जा बनी रहे, इसके लिए सरगी दी जाती है. इसमें श्रृंगार की सामग्री के अलावा खाने पीने की कई तरह की सामग्री को शामिल किया जाता है. यह सरगी सास या उनकी अनुपस्थिति में जेठानी द्वारा दी जाती है. इसे एक तरह से आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है. ऐसे में आपको यह पता होना जरूरी है कि सरगी में कौन-कौन सी चीजें होना चाहिए. आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानते हैं.
सरगी में क्या रखें?
– करवा चौथ के व्रत के दौरान सास द्वारा अपनी बहू को दी जाने वाली सरगी में 16 श्रृंगार की सामग्री का होना जरूरी है. इसलिए आप इसमें कुमकुम, बिंदी, मेहंदी, चूड़ी, साड़ी, सिंदूर, बिछिया, काजल आदि को जरूरी रूप से शामिल करें.
– आप सरगी में खाने पीने की जो चीजें रख रही हैं उसमें फलों को महत्व दें, ताकि दिनभर एनर्जी मिलती रहे. आप सेब, अनानास जैसे फल रख सकती हैं. इसके अलावा आप मेवे भी इसमें शामिल करें और यदि बहू गर्भवती है तो नारियल पानी भी रखें.
– सरगी में मिठाई भी रखी जाती है तो आप बाजार से खरीदी मिठाई या अपने हाथों से बनाई खीर रख सकती हैं.
इन बातों का भी रखें ध्यान
– सरगी घर में बहू को सास देती है, लेकिन यदि किसी वजह से सास नहीं है तो उनकी जेठानी भी सास के रूप में सरगी दे सकती हैं. इसके अलावा बड़ी बहन भी सरगी दे सकती है.
– ध्यान रहे सरगी को करवा चौथ का व्रत शुरू होने से पहले यानी कि सूर्योदय से पहले ब्रह्म मुहूर्त में खाना सही माना गया है.
– ध्यान रखने योग्य बात यह भी कि, भूलकर भी सरगी में कभी तेल या मसालेदार चीजों को शामिल नहीं करना चाहिए. क्योंकि, इससे आपको पूजा में दोष लग सकता है.
20 साल से पत्नी के लिए करवाचौथ व्रत रख रहे ये बीजेपी सांसद, अब संसदीय क्षेत्र में चलाई मुहिम
20 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रविवार को सुहागिनें करवाचौथ का व्रत रखेंगी. मान्यता के अनुसार आमतौर पर महिलाएं ही अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती हैं. दिनभर निर्जल रहकर, शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही कुछ खाती-पीती हैं लेकिन कई बार समाज में ऐसे भी उदाहरण मिल जाते हैं जो हर परंपरा और रीति-रिवाज से ऊपर उठकर इन मान्यताओं को एक नई दिशा दे रहे होते हैं.ऐसे ही भारतीय जनता पार्टी के एक सांसद हैं जो न केवल 20 साल से अपनी पत्नी के लिए करवाचौथ का व्रत रख रहे हैं, बल्कि इस बार उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में पुरुषों को करवाचौथ व्रत रखने के लिए प्रेरित करने की मुहिम भी छ़ेड़ दी है.
भारतीय जनता पार्टी के ये सांसद हैं प्रवीण खंडेलवाल. प्रवीण खंडेलवाल दिल्ली की चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद हैं और दिल्ली के बड़े व्यवसाई हैं. वे ट्रेडर्स के सबसे बड़े संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के फाउंडर और राष्ट्रीय महासचिव भी हैं.
करवा चौथ का व्रत आमतौर पर महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है, लेकिन यह केवल महिलाओं का ही व्रत नहीं होना चाहिए. पुरुषों के लिए भी इस व्रत का एक खास महत्व है. पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से मैं अपनी पत्नी कनक खंडेलवाल के साथ करवा चौथ का व्रत रखता हूं, और इसका उद्देश्य न केवल उनके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए प्रार्थना करना है, बल्कि परिवार की खुशहाली, समृद्धि और आपसी सहयोग को भी बढ़ावा देना है.’
दिनभर कैसे रखते हैं व्रत
कैट संगठन के समय से ही मुझे दिन भर अनेक कार्यक्रमों में जाना होता था, इसलिए मैं इस व्रत में दिन में केवल दो बार चाय और कम से कम जल ग्रहण करता हूं. जबकि मेरी पत्नी निर्जल व्रत रखती हैं. हम दोनों शाम को एक साथ चंद्र भगवान को अर्घ्य देकर और उनका पूजन कर ही भोजन ग्रहण करते हैं.
पहले करवाचौथ पर पत्नी को हुआ था आश्चर्य
खंडेलवाल कहते हैं, ‘जब मैंने पहली बार व्रत रखा तो यह उनके लिए यह एक सुखद आश्चर्य था क्योंकि उस समय समाज में आमतौर पर पुरुष इस व्रत का पालन नहीं करते थे. वह इसे हमारे रिश्ते में अनमोल कदम, आपसी समझ, सहयोग और प्रेम का प्रतीक मानती हैं. उनके चेहरे पर एक खास खुशी और गर्व देखने को मिलता है. वह जानती हैं कि मैं उनकी लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसी भावनात्मक जुड़ाव के साथ यह व्रत रख रहा हूं, जैसे वे. यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि हमारे रिश्ते में प्यार, सम्मान और सहयोग का प्रमाण है.
अब संसदीय क्षेत्र में चलाई मुहिम
प्रवीण खंडेलवाल खुद तो 20 साल से करवाचौथ व्रत रख ही रहे हैं, इस बार उन्होंने पुरुषों को व्रत के लिए प्रेरित करने की मुहिम अपने संसदीय क्षेत्र चांदनी चौक में शुरू की है. सांसद ने बताया कि वे पिछले कई सालों से संगठन से जुड़े देश भर के व्यापारियों को करवा चौथ व्रत रखने के लिए प्रेरित भी करते रहे हैं और इसी का परिणाम है कि अब दिल्ली सहित देश भर में लोग जिसमें खासतौर पर व्यापारी हैं, करवा चौथ का व्रत रखते हैं.
पुरुषों को इसलिए रखना चाहिए व्रत
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे विचार से पुरुषों को भी यह व्रत रखने के कई कारण हैं जिनमें मुख्य रूप से समानता और सम्मान का भाव सदा बनाये रखना है. करवा चौथ के व्रत के जरिए पुरुष अपनी पत्नी के प्रति अपना सम्मान और प्यार प्रकट कर सकते हैं. यह संदेश देता है कि रिश्ते में समानता होनी चाहिए, जहां दोनों एक-दूसरे की भलाई और दीर्घायु के लिए समर्पित होते हैं. जब पति भी व्रत रखते हैं, तो वे अपनी पत्नी की भावनाओं और समर्पण को समझने की कोशिश करते हैं, जिससे रिश्ते में गहराई और सामंजस्य आता है. यह व्रत आत्म नियंत्रण भी सिखाता है. यह पारिवारिक एकता के लिए भी एक धार्मिक अनुष्ठान है. साथ ही अगर पुरुष व्रत रखते हैं तो यह बताता है कि हमारी पारंपरिक मान्यताओं को समय के साथ कितने खूबसूरत तरीके से बदला और बढ़ाया जा सकता है. यह स्वस्थ समाज के लिए भी एक संदेश की तरह काम करता है.
जीवन का अर्थ बताती है अर्थी
20 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन भर व्यक्ति इसी सोच में उलझा रहता है कि उसका परिवार है, बीबी बच्चे हैं। इनके लिए धन जुटाने और सुख-सुविधाओं के इंतजाम में हर वह काम करने के लिए तैयार रहता है जिससे अधिक से अधिक धन और वैभव अर्जित कर सके। अपने स्वार्थ के लिए व्यक्ति दूसरों को नुकसान पहुंचाने के लिए भी तैयार रहता है। जबकि हर व्यक्ति के शरीर में आत्मा रूप में बसा ईश्वर गलत तरीके से, दूसरों को अहित पहुंचाकर लाभ पाने के लिए मना करता है। लेकिन जब व्यक्ति आत्मा की बात नहीं सुनता है तो आत्मा मौन धारण कर लेती है। आत्मा को उस दिन का इंतजार रहता है जब व्यक्ति अर्थी पर पहुंचता है। इस समय व्यक्ति को जीवन का अर्थ और आत्मा की कही बातें याद आती है। लेकिन इस समय पश्चाताप के अलावा कुछ और नहीं बचता है। सब कुछ मिट्टी में मिल चुका होता है। आपने मृत व्यक्ति को बांस की फट्ठियों पर लेकर जाते हुए कभी न कभी जरूर देखा होगा। बांस की फट्ठियों पर जिस पर शव को लिटाया जाता है इसे अर्थी कहते हैं। अर्थी को उठाने के लिए चार कंधों की जरूरत पड़ती है। जब व्यक्ति की अर्थी उठायी जाती है उस समय आत्मा मृत व्यक्ति से कहती है देखो, तुम्हारी यही औकात है।
तुम्हें खुद सहारे की जरूरत है, तुम झूठा अहंकार करते रहे कि तुम लोगों को आश्रय दे रहे हो। जिन लोगों के लिए तुम दिन रात धन-वैभव जुटाने में लगे रहे। आज वह संगी साथी परिवार तुम्हें विराने में ले जाकर अग्नि में समर्पित कर देगा। जीवन का मात्र यही अर्थ है। इसलिए अर्थी को जीवन का अर्थ बताने वाला कहा गया है। अर्थी ले जाते समय लोग जोर-जोर से नारे लगाते हैं राम नाम सत्य है, सब की यही गत्य है। नारे लगाने वाले लोग मृत व्यक्ति को और दुनियां को यह बताता है कि वास्तविक सत्य राम का नाम है। अंत में सभी की यही गति होनी है। इसलिए प्रभु का नाम भजते हुए ईमानदारी और सहृदयता के साथ जीवन जीना चाहिए।
जरूरतमंदों की सहायता से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। गीता के ग्यारहवें अध्याय का महात्म्य बताते हुए भगवान शिव ने कहा है कि जो व्यक्ति जरूरत के समय व्यक्ति से नज़र फेर लेता है वह नीच योनियों में जन्म लेता है। जरूरत के समय दूसरों की सहायता करने वाला व्यक्ति कई पापों से मुक्त हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को परमार्थी होना चाहिए। मनुष्य का जन्म ही इस उद्देश्य के लिए हुआ। जो व्यक्ति इस अर्थ को नहीं समझता उसे अर्थी पर जाकर ही जीवन का अर्थ ज्ञात होता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय, कष्ट, व्यापार बाधा, शुभ-समाचार, प्रसन्नता का योग, मित्र सहयोग अवश्य करें।
वृष राशि :- शत्रु भय, रोग, स्वजन सुख-लाभ दायक, जीवन दाम्पत्य सुख उत्तम बना रहेगा।
मिथुन राशि :- वाहन भय, मातृ-पितृ कष्ट, हानि, व्यर्थ तनाव, अनाप-सनाप खर्च से परेशानी हो।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ-कार्य, विवाद, उद्योग-व्यापार में उच्च की स्थिति बन सकेगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, उत्तम व्यय, खर्च, सफलता, व्यवस्था में साधारण लाभ हो सकेगा।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री-कष्ट, विद्या लाभ, कुछ अच्छे कार्य भी होंगे तथा संतान प्राप्त होगी।
तुला राशि :- यात्राऐं, हानि, राजभय, लाभ, शरीर कष्ट, व्यापार में सुधार, प्रगति की संभावना है।
वृश्चिक राशि :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पति लाभ, कारोबार में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहेगी।
धनु राशि :- अल्प-लाभ, शरीर कष्ट, चोट आदि का भय है, शिक्षा की स्थति ठीक रहेगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि होने की संभावना है, शरीर सुख, उद्योग-व्यापार के लिए प्रयास करें।
कुंभ राशि :- लोगों से मेल-मिलाप के पश्चात भी कार्य अवरोध तथा बेचैनी अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, न्याय, लाभ-हानि, व्यय, जीवन संतोष जनक होगा।
दिवाली पर लक्ष्मी जी की आरती करनी चाहिए या नहीं? मत करना ये भयंकर भूल, जानें पूजन की सही विधि
19 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
त्योहारों के सीजन की शुरुआत हो चुकी है और नवरात्र व करवा चौथ के बाद सभी को 5 दिनों के महापर्व यानी दिवाली के त्योहार का इंतजार है. हर वर्ष कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. इस विशेष दिन पर धन की देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है. दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा का विशेष विधान होता है, लेकिन क्या लक्ष्मी पूजन के दौरान माता लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए? वैसे तो लोग पूरे परिवार के साथ इस पूजन को करते हैं और पूजा विधि में अक्सर आखिर में देवी-देवताओं की आरती गाई जाती है. लेकिन लक्ष्मी पूजन पर माता लक्ष्मी की आरती को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. जानिए दिल्ली के प्रसिद्ध ज्योतिष डॉक्टर गौरव कुमार दीक्षित से इसके बारे में.
डॉक्टर गौरव कुमार दीक्षित बताते हैं कि दिवाली पर लक्ष्मी मां की आरती नहीं की जाती है. दिवाली के पूजन के दौरान आपको सिर्फ गणेश जी की और भगवान विष्णु जी की आरती ही करें. क्योंकि लक्ष्मी जी की आरती करने पर सभी लोग आरती पर खड़े हो जाते हैं और उसके बाद चले जाते हैं, वैसे ही अगर लक्ष्मी मां चली जाएगी तो आपके जीवन में धन की कमी आ जाएगी. इसलिए दिवाली के पूजन में कभी भी लक्ष्मी मां की आरती नहीं गानी चाहिए. बल्कि इस दिन लक्ष्मी माता का विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. आप चाहें तो माता लक्ष्मी का मंत्र गा सकते हैं. इसके साथ ही आपको पूजा के दौरान साबुत सुपारी पर मौली (कलावा) लपेट कर उसे पूजा में रखना चाहिए. पूजा के बाद इसी सुपारी को लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रखें. ये माता लक्ष्मी का ही स्वरूप होती है. साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा में साबुत धनिया जरूर रखना चाहिए.
क्या है दिवाली पर लक्ष्मी पूजन की सही विधि
1. ईशान कोण या उत्तर दिशा में साफ-सफाई करके स्वास्तिक बनाएं. उसके ऊपर चावल की ढेरी रखें. अब उसके ऊपर लकड़ी का पाट बिछाएं. पाट के ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और उसपर माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर रखें. इस तस्वीर में गणेशजी और कुबेर की तस्वीर भी हो. माता के दाएं और बाएं सफेद हाथी के चित्र भी होना चाहिए.
2. पूजन के समय पंचदेव की स्थापना जरूर करें. सूर्यदेव, श्रीगणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु को पंचदेव कहा गया है. इसके बाद धूप-दीप जलाएं. सभी मूर्ति और तस्वीरों को जल छिड़ककर पवित्र करें.
3. अब खुद कुश (घांस) के आसन पर बैठकर माता लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें. षोडशोपचार पूजा का अर्थ है, 16 क्रियाओं से पूजा करना. पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए.
4. माता लक्ष्मी सहित सभी के मस्तक पर हल्दी, कुमकुम, चंदन और चावल लगाएं. फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं. पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी अंगुली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी आदि) लगाना चाहिए. इसी तरह उपरोक्त षोडशोपचार की सभी सामग्री से पूजा करें.
यदि हम छोटी पूजा करना चाहते हैं तो पंचोपचार पूजन विधि का पालन कर सकते हैं. जबकि लक्ष्मी माता की विस्तृत पूजा की इच्छा है तो उसके लिए षोडशोपचार पूजन विधि का पालन करें.
धनतेरस पर इस शुभ मुहूर्त पर खरीदें सोना, चांदी और अन्य सामान, मां लक्ष्मी भर देंगी तिजोरी!
19 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ दिनों में दीपावली का त्योहार पूरे देश भर में मनाया जाएगा, लेकिन उससे पहले धनतेरस मनाया जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन ही भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन में अमृत कलश लेकर निकले थे. इस दिन भगवान धन्वंतरि माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा आराधना की जाती है. ऐसा करने से जातक को आरोग्य प्राप्ति होती है और ऊर्जावान महसूस करता है. इसके साथ ही धन की बढ़ोतरी होती है. वही, धनतेरस के दिन खरीदारी करना सबसे शुभ माना जाता है, लेकिन खरीदारी शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए धनतेरस के दिन क्या है खरीदारी के शुभ मुहूर्त जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से…
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा. इस साल 29 अक्टूबर धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन कुछ ना कुछ खरीदारी करना बेहद शुभ माना जाता है. इससे माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती है और धन में 13 गुणा की बढ़ोतरी होती है, लेकिन खरीददारी शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए.
खरीददारी करने का शुभ मुहूर्त
कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार धनतेरस के दिन तीन शुभ मुहूर्त है. जिसमे जातक सोना,चांदी,आभूषण बर्तन,जमीन जायदाद इत्यादि की खरीदारी कर सकते हैं.
-पहला शुभ मुहूर्त सुबह 07बजकर 50मिनट से लेकर 10.बजे तक. यह समय वृश्चिक लग्न का रहने वाला है जो स्थिर और बेहद शुभ माना जाता है.
-दूसरा शुभ मुहूर्त कुंभ लग्न करने वाला है यह भी बेहद स्थिर और शुभ माना जाता है यह दोपहर 02 बजे से लेकर दोपहर के 03 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है.
-तीसरा शुभ मुहूर्त प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त रहता है जो संध्या 6 बजकर 36 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 32 मिनट तक रहने वाला है. तीनों में यह मुहूर्त सबसे उत्तम और शुभ रहता है. शुभ मुहूर्त में खरीददारी करना है बेहद शुभकारी माना जाता है.
बायना के बिना अधूरा रहेगा करवा चौथ का व्रत! जानें किसे देना है और कब
19 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पति-पत्नी के प्यार का प्रतीक करवा चौथ का व्रत साल 2024 में 20 अक्टूबर रविवार को होगा. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं. साल भर में होने वाले कठिन व्रत में करवा चौथ का व्रत आता है. 13 से 14 घंटे सुहागन महिलाएं निर्जला रहकर इस व्रत को पूरा करती हैं. सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक यह व्रत विधि विधान से किया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है. सूर्योदय से पहले महिलाएं सास, जेठानी या किसी बुजुर्ग सम्माननीय महिला से सरगी लेकर खाती हैं और उसके बाद विधि विधान के साथ इस व्रत को करती हैं. वहीं, करवा चौथ पर बायना देने का भी रिवाज होता है. यदि करवा चौथ पर बायना ना दिया जाए तो व्रत अधूरा रहता है.
करवा चौथ पर बायना का महत्व
करवा चौथ पर बायना कब और किसको दिया जाए इसकी ज्यादा जानकारी लोकल 18 को देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करने का विधान होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार साल 2024 में 20 अक्टूबर रविवार की सुबह को 6:47 से करवा चौथ के व्रत की शुरुआत होगी और शाम 7:54 पर चंद्रोदय होने पर यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति का चेहरा छलनी में देखकर पूरा किया जाता है.
Dhanteras 2024: धनतेरस पर इस शुभ मुहूर्त पर खरीदें सोना, चांदी और अन्य सामान, मां लक्ष्मी भर देंगी तिजोरी!
इसके बाद व्रती सुहागन महिलाओं द्वारा सास, जेठानी या किसी बुजुर्ग महिला को बायना देने का रिवाज होता है. यदि महिलाओं द्वारा बायना ना दिया जाए तो करवा चौथ का व्रत अधूरा रहता है. बायना में खाने-पीने की सामग्री वस्त्र आदि होते है जिसको सांस जेठानी या कोई बुजुर्ग महिला लेकर व्रत रखने वाली सुहागन महिला को आशीर्वाद देती हैं. दरअसल, हिंदू धर्म में बायना सुख समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उपहार के रूप में देने का रिवाज है.
क्या है सरगी? करवा चौथ पर सास क्यों देती हैं अपनी बहू को? जानें इसका महत्व
19 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में महिलाओं के लिए कई सारे व्रत हैं, जिन्हें करने से उन्हें कोई ना कोई लाभ मिलता है. लेकिन सबसे अहम करवा चौथ का व्रत माना जाता है, जो कि सुहागिन महिला अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती है. यह व्रत पूरी तरह निर्जला होता है. ऐसे में सास अपनी बहू के लिए इस व्रत के दिन सरगी देती है, जिसमें खाने की कुछ चीजें होती हैं. क्या है करवाचौथ पर सरगी का महत्व? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
क्या है सरगी?
करवा चौथ का व्रत शुरू होने से पहले अपनी बहू को सास कुछ खाने की चीजें देती हैं, इसे ही सरगी कहा गया है. यह थाली खुद सास को ही तैयार करनी होती है. सरगी सुबह 4 से 5 बजे के बीच दी जाती है. जिनके घर में सास नहीं उन्हें सरगी जेठानी सास की भूमिका में देती है.
सरगी की थाली में क्या होता है?
सरगी में कुछ मीठा जरूर शामिल किया जाता है. इसमें खास तौर पर सूखे मेवे और खीर जैसी चीजें होती हैं. सास अपने हाथों से सेवई की खीर बनाकर देती है और इस थाली को खुद बड़े प्यार से सजाती है. इसके साथ ही इसमें पराठे और मिठाई भी शामिल होती है.
सरगी क्यों जरूरी है?
अब बात करें सरगी क्यों जरूरी है तो इसे करवा चौथ के लिए महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सरगी आशीर्वाद का एक स्वरूप होता है जिसे सास अपनी बहू के उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ देती है. इसमें खाने की चीजों के साथ श्रृंगार की सामग्री भी शामिल होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुछ विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, कुटुम्ब में अशांति का वातावरण बनेगा, समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग की चिन्ता रहेगी, तनाव, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा, मानसिक उद्विघ्नता बनेगी।
मिथुन राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति बनेगी, मानसिक विभ्रम व उद्विघ्नता का वातारण रहेगा, विरोधी परेशान करेंगे।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बनेगे, कार्य योजना परिश्रम से पूर्ण होगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, परिश्रम से सफलता मिलेगी, कार्य योजना बनेगी।
कन्या राशि :- क्लेश व अशांति से कार्य व्यवसाया में बाधा बनेगी, कार्य-व्यवसाय की गति मंद रहेगी, धैर्य से काम लें।
तुला राशि :- मानसिक उद्विघ्नता रहेगी, स्वास्थ्य नरम रहेगा, धन व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण होगा, ध्यान देने से कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति से मानसिक बेचैनी रहेगी, व्यर्थ भ्रमण में समय व धन व्यय होगा, सावधान रहें।
धनु राशि :- चिन्तायें कम होंगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा, तनाव, क्लेश व अशांति से बचें, धैर्य रखकर कार्य बना लें।
मकर राशि :- धन का व्यर्थ व्यय होगा, चोट-चपेटादि का भय, सतर्कता से कार्य करें, समय को ध्यान में रखकर आगे बढ़ें।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष होगा, समृद्धि के योग अवश्य बनेंगे, समय पर कार्य करने से धन लाभ होगा।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा मंद रहेगा, तनाव, क्लेश व अशांति से बचें, बने कार्यों में अनावश्यक बाधा बनेगी।
25 वर्षों से जल रही अखंड ज्योति, दर्शन से पूरी होती हैं मुरादें, जानिए कहां है ये मंदिर
18 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले में स्थित प्राचीन मठिया देवी मंदिर, आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. इस मंदिर में पिछले 25 वर्षों से लगातार अखंड ज्योति जल रही है, जो भक्तों की अपार श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है. यहां आने वाले लाखों भक्त इस अखंड ज्योति के सामने अपनी मुरादें मांगते हैं, और माना जाता है कि माता रानी की कृपा से उनकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. भक्तजन हमेशा मंदिर से आशीर्वाद लेकर ही लौटते हैं, क्योंकि यहां किसी की झोली खाली नहीं जाती.
फर्रुखाबाद के रेलवे रोड पर स्थित मठिया देवी मंदिर लगभग 200 वर्ष पुराना है. नवरात्रि के शुभ अवसर पर यहां विशेष हवन-पूजन और देवी मां का आवाहन किया जाता है. मंदिर की यह प्राचीनता और श्रद्धा इसे भक्तों के लिए खास बनाती है.
पुजारी ने बताया मंदिर की खासियत
मंदिर के पुजारी रमेश चंद्र मिश्रा ने लोकल18 को बताया कि इस मंदिर में वर्ष 1999 से लगातार अखंड ज्योति जलती आ रही है. मां मंगला गौरी की प्रतिमा के पास स्थित अलमारी में रखी इस अखंड ज्योति को निरंतर जलाए रखने में भक्तगण हमेशा सहयोग करते हैं. यह ज्योति दिन-रात बिना रुके जलती रहती है. माना जाता है कि जो भी भक्त एक बार इस अखंड ज्योति के दर्शन कर लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.
उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
शारदीय नवरात्र के दौरान, माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. अखंड ज्योति के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं और अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
अंग्रेजों की कोशिशों के बावजूद मंदिर अडिग
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर आजादी के दौर में अंग्रेजी हुकूमत के निशाने पर था. उन्होंने इसे हटाने के कई प्रयास किए, लेकिन मंदिर पर संकट डालने की उनकी कोशिशें नाकाम रहीं. इसके बाद अंग्रेजी शासन पर विपत्तियां आने लगीं. यहां मान्यता है कि जो भक्त माता के दर्शन करता है, उसकी बीमारियां दूर होती हैं और जीवन में आने वाली विपत्तियां टल जाती हैं. मठिया देवी मंदिर की यह अद्वितीय आस्था और इतिहास आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.
दिवाली से पहले घर पर भूलकर भी न लाएं ये चीजें, बढ़ सकती है नेगेटिविटी; साल भर रहेगी पैसों की समस्या
18 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दीपावली त्यौहार आने वाला है और बाजारों में दीपावली को लेकर रौनक बढ़ गई है. यह त्यौहार भारत में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पटाखे फोड़कर दीपावली का जश्न मनाते हैं. इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा आराधना की जाती है. विधि विधान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से साल भर घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और धन की बढ़ोतरी होती है.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए कहा कि हर साल दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस साल 31 अक्टूबर को दीपावली का त्यौहार मनाया जाएगा. इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा आराधना करनी चाहिए. इसके साथ ही इस दिन अर्धरात्रि में माता काली की भी पूजा आराधना होती है.
शुभ वस्तुएं
दीपावली से पहले कुछ वस्तुओं को खरीदकर घर लाना बेहद शुभ होता है जैसे सोना, चांदी, आभूषण और झाडू.
इन चीजों की न करें खरीदारी
काले रंग की वस्तु: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि दीपावली से पहले काले रंग का वस्तु भूलकर भी नहीं खरीदना चाहिए और कोशिश करें 15 दिन तक काला कपड़ा भी ना पहनें. इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
धारदार वस्तु ना खरीदें: ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कार्तिक महीने की शुरुआत लेकर दीपावली तक 15 दिनों का यम पक्ष रहता है. इन दिनों में धारदार वस्तु जैसे कैंची, कचिया, लोहा इत्यादि का नकारात्मक प्रभाव बढ़ता है.
खटा सामान: दीपावली से पहले या दीपावली के दिन खट्टा सामान जैसे नींबू, आचार आदि की खरीदारी नहीं करनी चाहिए. माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और आर्थिक तंगी झेलनी पड़ सकती है.
साफ सफाई: दीपावली से पहले घर में साफ सफाई रखनी चाहिए. पुराने जूते-चप्पल, टूटा हुआ सामान आदि घर से निकाल दें. अन्यथा माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं.
करवा चौथ के दिन करें यह खास उपाय, पति की दिर्घायु उम्र के साथ तरक्की के भी बनेंगे योग
18 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में करवा चौथ का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है. इस वर्ष यह व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन के लिए व्रत करती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण भी करती हैं.
इतना ही नहीं करवा चौथ के दिन अगर आप भी कुछ खास उपाय करते हैं तो जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति भी मिलती है. इस खबर में ज्योतिषी के माध्यम से जानेंगे कि करवा चौथ के दिन किस प्रकार के उपाय करने से जीवन में आ रही आर्थिक संबंधी समस्याएं समेत परिवार में चल रही मनमुटाव से भी निवारण मिल सकता है.
करवा चौथ के दिन इस मंत्र का करें जाप
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम ने लोकल 18 को बताया कि सनातन धर्म में महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बेहद महत्वपूर्ण होता है. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करती हैं. इस दिन महिलाएं चंद्रोदय तक उपवास करती हैं और अपने पति की सलामती और दीर्घायु की कामना के लिए पूजा-आराधना भी करती है. इस दिन कुछ खास उपाय करने से जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति भी मिल सकती है. ज्योतिषी ने बताया कि करवा चौथ के दिन ऊं श्री गणधिपतये नम: मंत्र का जाप करते हुए गणेश जी को पांच हल्दी की गांठें चढ़ाने के बाद पूजा-आराधना करनी चाहिए. कहा जाता है ऐसा करने से आर्थिक समस्या से मुक्ति मिलती है और धन का लाभ होता है.
वैवाहिक जीवन से परेशान लाग करें ये उपाय
अगर कोई वैवाहिक जीवन में कई समस्या से परेशान हैं तो, करवा चौथ के दिन गौरी पुत्र गजानन को दूर्वा के साथ 21 गुड़ की गोली अर्पित करनी चाहिए. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा करवा चौथ के दिन किसी भी शिव मंदिर में जाकर विधि-विधान पूर्वक महादेव की पूजा-आराधना करनी चाहिए, ऐसा करने से जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहती है. उन्होंने बताया कि करवा चौथ के दिन अगर पति और पत्नी के बीच में मनमुटाव चल रहा है तो, ऐसी स्थिति में गाय को केला खिलाना चाहिए. वहीं बेसन के लड्डू को गणपति बप्पा को अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से पति-पत्नी के बीच चल रहे झगड़े समाप्त हों जाएंगे.