धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सफलता के साधन जुटायें, कार्य-व्यावसाय अनुकूल हो, समय पर कार्य अवश्य करें।
वृष राशि :- कार्य अनुकूलता से चिन्ताएं कम होंगी, सफलता से संतोष, व्यावसायक गति उत्तम होगी।
मिथुन राशि :- दैनिक कार्यक्षमता में वृद्धि, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद बना ही रहेगा, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- स्वाभाव नरम रहे, शारीरिक क्षमता कमजारे हो, आर्थिक चिंता संभव होगी, कार्य निपटायें।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति में सुधार, कार्ययोजना बनेगी तथा अर्थ लाभ होगा।
कन्या राशि :- मानसिक तनाव व उद्विघ्नता, उद्वेग व अशांति, कार्य-व्यावसाय में बाधा अवश्य होगी।
तुला राशि :- मित्रों की उपेक्षा कष्टप्रद होगी, प्रयत्न सफल होंगे, कार्यवृत्ति में सुधार अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक बेचैनी तथा व्यर्थ धन का व्यय, कष्ट होगा।
धनु राशि :- तर्क-विर्तक से हानि, कष्ट होगा, प्रबलता, प्रभुत्व वृद्धि से कार्यकुशलता व कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- दूसरों के आरोप से बेचैनी तथा असमंजस तथा असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
कुम्भ राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं सुलझें, सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
मीन राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, लेनेदेन के मामले में हानि अवश्य होगी, ध्यान दें।
बालाजी मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं
24 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के ऐतिहासिक और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर है। तिरुपति महाराज जी के दरबार में देश-विदेश के भक्तों की भीड़ रहती है। यहां अमीर और गरीब दोनों जाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं। तिरुपति के इतने प्रचलित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं। इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं।
माना जाता है कि तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी।
मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था। इसके बाद से ही बालाजी की प्रतिमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ।
कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं।
कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब करीब 23 किलोमीटर दूर एक से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं। इतना ही नहीं वहीं से भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूसरी वस्तुएं भी आती हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में विराजमान हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में हों।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है।
कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार बार गीलापन आ जाता है।
सभी प्रकार के रोगों और पीड़ाओं से मुक्ति दिलाता है हनुमान यज्ञ
24 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
‘नासे रोग हरे सब पीरा। जो सुमिरे हनुमंत बलबीरा।।‘ हनुमान चालीसा की यह चौपाई बताती है कि बजरंग बली सभी प्रकार रोगों और पीड़ाओं से मुक्ति दिला सकते हैं। इसी प्रकार कलयुग में हनुमान यज्ञ सभी प्रकार की पीड़ा से मुक्ति दिलाने वाला और धन और यश की प्राप्ति के लिए एक उत्तम और चमत्कारिक उपाय के रूप में बताया जाता है। संतों के अनुसार हनुमान यज्ञ में इतनी शक्ति है कि अगर विधिवत रूप से यज्ञ को कर लिया जाए तो यह व्यक्ति की हर मनोकामना को पूरा कर सकता है। इसलिए शायद कई हिन्दू राजा युद्ध में जाने से पहले हनुमान यज्ञ का आयोजन जरूर करते थे।आइये जानते हैं कैसे होता है हनुमान यज्ञ और यदि कोई हनुमान यज्ञ नहीं करवा सकता है तो
हनुमान जी की कृपा प्राप्ति का अन्य उपाय-
हनुमान यज्ञ को एक सिद्ध ब्राह्मण की आवश्यकता से ही विधिवत पूर्ण किया जा सकता है। यह यज्ञ इंसान को धन और यश की प्राप्ति करवाता है। जो भी व्यक्ति हनुमान यज्ञ से हनुमान जी की पूजा करता है और ध्यान करता है उसके जीवन में सभी समस्याएं निश्चित रूप से समाप्त हो जाती हैं। हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह सर्वाधिक लोकप्रिय उपाय है। इस यज्ञ में हनुमान जी के मन्त्रों द्वारा, इनको बुलाया जाता है और साथ ही साथ अन्य देवों की भी आराधना इस यज्ञ में की जाती है। कहा जाता है कि इस यज्ञ में जैसे ही भगवान श्रीराम का स्मरण किया जाता है तो इस बात से प्रसन्न होकर, हनुमान जी यज्ञ स्थल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में विराजमान हो जाते हैं।
हनुमान यज्ञ के लिए कुछ आवश्यक वस्तुयें-
लाल फूल, रोली, कलावा, हवन कुंड, हवन की लकडियाँ, गंगाजल, एक जल का लोटा, पंचामृत, लाल लंगोट, पांच प्रकार के फल। पूजा सामग्री की पूरी सूची, यज्ञ से पहले ही ब्राह्मण द्वारा बनवा लेनी चाहिए।
हनुमान यज्ञ के लिए सबसे लिए मंगलवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस यज्ञ को विधिवत पूरा एक ब्राह्मण की सहायता से ही करवाया जा सकता है।
अगर कोई व्यक्ति किसी कारण, पंडित जी से यज्ञ या हवन नहीं करवा सकता है तो ऐसे वह स्वयं से भी एक अन्य पूजा विधान को घर में खुद से कर सकता है।
पूजन विधि
हनुमान जी की एक प्रतिमा को घर की साफ़ जगह या घर के मंदिर में स्थापित करें और पूजन करते समय आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके पश्चात हाथ में चावल व फूल लें व इस मंत्र (प्रार्थना) से हनुमानजी का स्मरण करें-
ध्यान करें-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।
अब हाथ में लिया हुआ चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें।
इसके बाद इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए हनुमानजी के सामने किसी बर्तन अथवा भूमि पर तीन बार जल छोड़ें।
ऊँ हनुमते नम:, पाद्यं समर्पयामि।।
अध्र्यं समर्पयामि। आचमनीयं समर्पयामि।।
इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। इसके पश्चात् हनुमान जी की उपयोगी और सरल ‘हनुमान चालीसा’ का कम से कम 5 बार जाप करें।
सबसे अंत में घी के दीये के साथ हनुमान जी की आरती करें। इस प्रकार यह यज्ञ और निरंतर घर में इस प्रकार किया गया पूजन, हनुमान जी को प्रसन्न करता है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाओं को भी पूरा करता है।
माणिक्य पहनने से पहले रखें ये सावधानियां
24 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है। कहा जाता है कि जिस किसी की कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव में होता है उसे माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। यह रत्न व्यक्ति को मान-सम्मान, पद की प्राप्ति करवाने में भी सहायक हैलेकिन माणिक्य पहनने से पहले जान ले कि दोषयुक्त माणिक्य लाभ की अपेक्षा हानि ज्यादा करता है। तो आइए जानते है कि क्या है वो सावधानियां:
रत्न ज्योतिष के अनुसार जिस माणिक्य में आड़ी तिरछी रेखाएं या जाल जैसा दिखाई दे तो वह माणिक्य गृहस्थ जीवन को नाश करने वाला होता है।
जिस माणिक्य में दो से अधिक रंग दिखाई दें तो जान लीजिए कि यह माणिक्य आपकी जिंदगी में काफी परेशानियां ला सकता है।
कहा जाता है जिस माणिक्य में चमक नहीं होती ऐसा माणिक्य विपरीत फल देने वाला होता है। तो कभी भी बिना चमक वाला माणिक्य न पहने।
धुएं के रंग जैसा दिखने वाला माणिक्य अशुभ और हानिकारक माना जाता है। वहीं मटमैला माणिक्य भी अशुभ होता है। इसे खरीदने से पहले देख लें कि ये इस रंग का न हो।
जन्म कुंडली से पता चलते हैं दाम्पत्य जीवन में कलह और मधुरता के योग
24 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दाम्पत्य में जीवन साथी अनुकूल हो तो हर तरह की परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है लेकिन यदि दाम्पत्य जीवन में दोनों में से किसी भी एक व्यक्ति का व्यवहार यदि अनुकूल नहीं रहता है तो रिश्ते में कलह और परेशानियों का दौर लगा रहता है। ज्योतिषशास्त्र में जातक की जन्म कुंडली को देखकर, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके दाम्पत्य जीवन में कलह के योग कब उत्पन्न हो सकते हैं।
जीवन में कलह के योग बनते हैं-
कुंडली में सप्तम या सातवाँ घर विवाह और दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध रखता है। यदि इस घर पर पाप ग्रह या नीच ग्रह की दृष्टि रहती है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि जातक की जन्मकुंडली के सप्तम भाव में सूर्य हो तो उसकी पत्नी शिक्षित, सुशील, सुंदर एवं कार्यो में दक्ष होती है, किंतु ऐसी स्थिति में सप्तम भाव पर यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह और सुखों का अभाव बन जाता है।
यदि जन्म कुण्डली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, द्वादश स्थान स्थित मंगल होने से जातक को मंगली योग होता है इस योग के होने से जातक के विवाह में विलम्ब, विवाहोपरान्त पति-पत्नी में कलह, पति या पत्नी के स्वास्थ्य में क्षीणता, तलाक एवं क्रूर मंगली होने पर जीवन साथी की मृत्यु तक हो सकती है।
जन्म-कुंडली के सातवें या सप्तम भाव में अगर अशुभ ग्रह या क्रूर ग्रह (शनि, राहू, केतु या मंगल) ग्रहों की दृष्टी हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह के योग उत्पन्न हो जाते हैं। शनि और राहु का सप्तम भाव होना भी वैवाहिक जीवन के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
राहु, सूर्य और शनि पृथकतावादी ग्रह हैं, जो सप्तम (दाम्पत्य)और द्वितीय (कुटुंब) भावों पर विपरीत प्रभाव डालकर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देते हैं।
यदि अकेला राहू सातवें भाव में तथा अकेला शनि पांचवें भाव में बैठा हो तो तलाक हो जाता है। किन्तु ऐसी अवस्था में शनि को लग्नेश नहीं होना चाहिए। या लग्न में उच्च का गुरु नहीं होना चाहिए।
अब इसी प्रकार एक सुखमय और मधुर वैवाहिक जीवन की बात करें तो जातक की जन्म-कुंडली में ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होनी चाहिए-
सप्तमेश का नवमेश से योग किसी भी केंद्र में हो तथा बुध, गुरु अथवा शुक्र में से कोई भी या सभी उच्च राशि गत हो तो दाम्पत्य जीवन सुखमय पूर्ण रहता है।
यदि दोनों में से किसी की भी कुंडली में पंच महापुरुष योग बनाते हुए शुक्र अथवा गुरु से किसी कोण में सूर्य हो तो दाम्पत्य जीवन अच्छा होता है।
यदि सप्तमेश उच्चस्थ होकर लग्नेश के साथ किसी केंद्र अथवा कोण में युति करे तो दाम्पत्य जीवन सुखी होता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में वैवाहिक जीवन को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो उपाय के लिए सबसे पहले पति-पत्नी की कुंडली का मिलान बेहद जरूरी हो जाता है। दोनों जातकों की कुंडली का एक मिलान करके ही ज्योतिषाचार्य उपाय को बता सकते हैं।
कई बार देखा गया है कि यदि पत्नी की कुंडली में यह दोष मौजूद है और पति की कुंडली अनुकूल है तो समस्या थोड़ी कम हो जाती है और इसी के उल्ट भी कई बार हो जाता है। लेकिन यदि दोनों व्यक्तियों की कुंडली में सप्तम भाव सही नहीं रहता है तो उस स्थिति में जीवन नरकीय बन जाता है। किसी भी परिस्थिति में कुंडली का मिलन समय से कराकर, उपायों को अगर अपनाया जाए तो पीड़ा कम हो जाती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
24 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वृष राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, विवादग्रस्त होने से बचें, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, इष्ट मित्र सुखप्रद रहें, विशेष कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- स्वभाव में बेचैनी, मानसिक विघ्नता, शरीर क्षमता कमजोर पड़ेगी, ध्यान अवश्य रखेंं।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार के योग बनेंगे, ध्यान रखें।
कन्या राशि :- समय पर सोचे हुए कार्य बनेंगे किन्तु कुछ बाधा विलम्ब संभव है।
तुला राशि :- मानसिक क्लेश व अशांति, मनोवृत्ति मलिन रहे, विरोधी तत्व परेशान करें।
वृश्चिक राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण हो, सफलता के साधन जुटायें, कार्य संतोष की चिन्ता होगी।
धनु राशि :- योजना फलीभूत होगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, निश्चय पूर्ण होगा व कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- इष्ट मित्रों से सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति, स्त्री-वर्ग से हर्ष, क्लेश तथा अशांति होगी।
कुम्भ राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्यकुशलता से संतोष एवं कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार, प्रत्येक कार्य में बाधा, उद्विघ्नता से अवश्य बचें।
29 या 30 अक्टूबर, कब है धनतेरस? हरिद्वार के ज्योतिषी से जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त
23 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में धनतेरस पर्व का विशेष महत्व है. यह पर्व हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है. धनतेरस के दिन बर्तन, आभूषण और वाहन खरीदना शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन लोग सोने और चांदी से निर्मित आभूषणों की भी खरीदारी करते हैं.वहीं कुछ लोग बाइक या कार की खरीदारी करते हैं. इस साल धनतेरस की तिथि को लेकर लोगों में कन्फ्यूजन है. कई राज्यों के ज्योतिषी का कहना है कि धनतेरस 29 अक्टूबर को है तो कई जानकारों का कहना है कि 30 अक्टूबर को धनतेरस मनाया जाएगा. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार दीपावली से दो दिन पूर्व धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा अर्चना करने की मान्यता है.
कि धनतेरस के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन का इंतजार लोग साल भर करते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10:32 से प्रारंभ हो जाएगी और 30 अक्टूबर की दोपहर 1:15 मिनट तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, धनतेरस का पर्व दिन मंगलवार 30 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में उदया तिथि में पर्व को मानने पर उसका संपूर्ण फल प्राप्त होता है.
धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त
कि साल 2024 में धनतेरस के त्योहार की उदया तिथि 30 अक्टूबर है. 30 अक्टूबर की प्रातः सूर्योदय से लेकर दोपहर 1:15 तक धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर महाराज की पूजा करने का शुभ मुहूर्त है. इस दिन माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज के मंत्रो का जाप और यज्ञ करने पर इसका कई गुना फल प्राप्त होगा. खरीदारी करने के लिए 29 और 30 अक्टूबर दोनों ही दिन शुभ होगें लेकिन यदि धनतेरस की पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 तक के धनतेरस की पूजा कर सकते हैं.
घर में छा सकती है कंगाली, अगर धनतेरस के दिन खरीद ली ये चीजें, देवघर के आचार्य से जानें
23 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खुशियों का त्योहार दिवाली के रूप में मनाया जाता है. दीपावली के दिन घर-घर में दीया जलाकर पुरे घर को दिये की रौशनी से जगमगाया जाता है. घर में दिए जलाने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर चली जाती है.सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
दीपावली के ठीक 2 दिन पहले धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. धनतेरस में खरीदारी करना अत्यंत शुभ माना जाता है. इससे माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर बेहद प्रसन्न होते हैं. लेकिन खरीदारी करते वक्त कई जातक भूल कर बैठते हैं. जिनकी वजह से माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर रुस्ट हो जाते हैं. इससे घर मे कंगाली भी छा सकती है.
क्या कहते है ज्योतिषाचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल 29 अक्टूबर धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा. धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन कुछ ना कुछ बाजारों से अवश्य खरीदना चाहिए. इससे 13 गुणा धन की बढ़ोतरी होती है.
खरीददारी करते वक्त रखे ध्यान
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि धनतेरस के दिन खरीदारी करना अत्यंत मंगलकारी होता है. कई लोग धनतेरस के दिन नए व्यापार की शुरुआत करते हैं. कई लोग धनतेरस के दिन वाहन,जमीन जायदाद इत्यादि खरीदते है. धनतेरस के दिन सबसे ज्यादा सोना चांदी और बर्तनों की बिक्री होती है. लेकिन कुछ चीज ऐसी होती हैं जो धनतेरस के दिन बिल्कुल भी नहीं खरीदना चाहिए.
इन चीजों की खरीददारी ना करे :
काला वस्तु :
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि धनतेरस के दिन अगर आप बाजार कुछ खरीदारी करने जाते हैं तो भूल कर भी काला वस्त्र या काला वस्तुएं नहीं खरीदें. इससे घर में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
एल्युमिनियम का बर्तन:
धनतेरस के दिन सबसे ज्यादा बिक्री बर्तन की होती है लेकिन ध्यान रहे लोहा, एल्युमिनियम की बर्तन भूलकर भी नहीं ख़रीदे.
कांच की वस्तु :
धनतेरस के दिन कांच से बनी कोई भी वस्तु खरीदना शुभ नहीं माना जाता है इससे माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और घर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है घर में कंगाली भी छा सकती है.
प्लास्टिक की वस्तुएं :
धनतेरस के दिन प्लास्टिक की वस्तुएं खरीद कर घर नहीं लाना चाहिए घर पर वास्तु दोष का प्रभाव पड़ सकता है. धन-धन और सुख समृद्धि में वृद्धि की बजाय जातक को नुकसान हो सकता है.
दिवाली को जरूर करें 5 सरल उपाय, धन की देवी मां लक्ष्मी का घर में होगा आगमन, दौलत से भर जाएगी तिजोरी!
23 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिवाली को धूमधाम से मनाने को लेकर देशभर में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. लगातार 6 दिनों तक चलते वाले इस पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है. इस बार दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा का विधान है. इस दिन हर व्यक्ति चाहता है कि लक्ष्मी उस पर मेहरबान हो. इसके लिए मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए लोग तमाम उपाय करते हैं. लेकिन, कुछ उपाय कारगर हो सकते हैं. यदि आप भी चाहते हैं कि दिवाली को घर में मां लक्ष्मी का आगमन हो और परेशानियां खत्म हो जाएं. तो कुछ उपाय कर सकते हैं. ऐसे ही पावरफुल उपायों के बारे में News18 को बता रहे हैं उन्नाव के ज्योतिषाचार्य ऋषिकांत मिश्र शास्त्री-
दिवाली पर मां लक्ष्मी को बुलाने के 5 पावरफुल उपाय
11 कौड़ियों का उपाय: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यदि आप चाहते हैं कि दिवाली को मां लक्ष्मी का घर में वास हो. तो दिवाली पूजन में 11 कौड़ियां, 21 कमलगट्टा, 25 ग्राम पीली सरसों लक्ष्मीजी को चढ़ाएं. अगले दिन तीनों चीजें लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजौरी में या जहां पैसा रखते हों वहां रख दें. ऐसा करने से धन लाभ के योग बनते हैं.
अशोक वृक्ष का उपाय: दिवाली के दिन कई लोग अशोक के वृक्ष की जड़ का पूजन करते हैं. ऐसा करने वाले जातकों के घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है. साथ ही धन संकत से निजात मिल सकती है.
अशोक वृक्ष का उपाय: दिवाली के दिन कई लोग अशोक के वृक्ष की जड़ का पूजन करते हैं. ऐसा करने वाले जातकों के घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है. साथ ही धन संकत से निजात मिल सकती है.
इन देव की करेंगे पूजा, तो रोग रहेंगे पूरे परिवार से दूर! हरिद्वार के ज्योतिष ने बताई पूजा विधि
23 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में निरोग रहने के लिए धन्वंतरी देव की पूजा करने का महत्व है. धन्वंतरी देव देवताओं के वैद्य हैं. धन्वंतरी देव को औषधि का देवता भी कहा गया है. कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि के दिन धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा पाठ करने पर धन के भंडार भर जाते हैं. वैसे ही निरोग रहने के लिए देवताओं के वैद्य धन्वंतरी देव की पूजा पाठ करने से सभी शारीरिक रोग और कष्ट दूर हो जाते हैं.
साल 2024 में निरोग रहने के लिए धन्वंतरी देव की पूजा 29 अक्टूबर को करने पर विशेष फल की प्राप्ति होगी. जबकि धन प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी और कुबेर महाराज की पूजा पाठ 30 अक्टूबर को करने पर फल प्राप्त होगा.
धन्वंतरी देव की पूजा का महत्व
जीवन भर निरोग रहने के लिए धन्वंतरी देव की पूजा पाठ करने की जानकारी लोकल 18 को देते हुए हरिद्वार के ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि साल 2024 में कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर की सुबह 10:32 से शुरू होगी. 30 अक्टूबर की दोपहर 1:15 तक मनाई जाएगी. शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार धन्वंतरी देव का प्राकट्य कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था. कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन्वंतरी देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.
समुद्र मंथन से हुए थे प्रकट
धन्वंतरी देव देवताओं के वैद्य हैं, जिनका प्राकट्य समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था. त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल में ही धन्वंतरी देव की पूजा और उनके मंत्रो का जाप करने से जीवन में आरोग्यता आती है. सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती हैं. हिंदू धर्म में धन्वंतरी देव की पूजा के लिए कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि सर्वश्रेष्ठ बताई गई है.
ऐसे करें धन्वंतरी देव की पूजा
घर के ईशान कोण या सूर्योदय की पूर्व दिशा में एक लकड़ी का चौकोर टुकड़ा रखें. उसके ऊपर लाल या पीला कपड़ा डालकर उसके ऊपर धन्वंतरी देव की मूर्ति अथवा चित्र को रखें. साथ ही मुट्ठी भर चावल या नया धान मूर्ति के सामने रखकर उसके ऊपर सरसों के तेल का दिया जलाएं. ताम्र पात्र में स्वच्छ जल या गंगाजल लेकर धूप घास से उसका छिड़काव शुद्धता के लिए करें. रोली, कुमकुम, मिष्ठान, खीर, पीले चावल, फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करके धन्वंतरी देव से रोगों से छुटकारा, निरोग शरीर और परिवार की दीर्घायु की प्रार्थना करते हुए ‘ॐ धन्वंतरी देवाय नमः’ मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से धन्वंतरी देव प्रसन्न होकर विशेष फल प्रदान करेंगे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग, मित्र लाभ, राज-भय, पारिवारिक समस्या अवश्य सुलझेगी।
वृष राशि :- अनुभव सुख, मंगल कार्य, विरोध, मुकदमों-मामलों में विजय।
मिथुन राशि :- कुसंगति से हानि, विरोध, भय, यात्रा, सामाजिक कार्यों में व्यवधान अवश्य होगा।
कर्क राशि :- भूमि-लाभ, स्त्री-सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ अवश्य ही होगा।
सिंह राशि :- तनाव व विवाद से बचें, विरोधियों की चिन्ता, राज कार्यों से प्रतिष्ठा मिल सकेगी।
कन्या राशि :- भूमि-लाभ, स्त्री-सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ तथा कार्य उत्तम होवेंगे।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन का भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य कर सकेंगे ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, हर्ष, कष्ट, व्यय होवे, व्यापार में सुधार होगा।
धनु राशि :- यात्रा में हानि, कष्ट, व्यय में कमी, व्यवस्था का अनुभव होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहन आदि सुख, रोग, धार्मिक कार्य, कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं ध्यान दें।
कुंभ राशि :- अभीष्ट सिद्ध, राज-भय, कार्य बाधा, राज कार्यों में रुकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोग भय, सम्पर्क लाभ, राज कार्य में विलम्ब, परेशानी होगी।
कलयुग को लेकर विष्णु पुराण में लिखी हैं ये 4 भविष्यवाणियां, आपको जानना है जरूरी, दुनिया में मचा रहीं तहलका
22 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपका दिन कैसा होगा? आपका सप्ताह कैसा होगा? यह महीना कैसे गुजरेगा? सालभर में क्या अच्छी और बुरी घटनाएं होंगे यहां तक कि आपका जीवन किस तरह का होगा? यह सब आप ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से जानते हैं. लेकिन यह दुनिया किस तरह बदलेगी? इस दुनिया में मानवता किस तरह खत्म होने लगेगी और किन चीजों का मोह बढ़ने लगेगा? ऐसी तमाम चीजों की भविष्यवाणी विष्णु पुराण में कलयुग को लेकर की गई हैं. आइए जानते हैं ऐसी 4 भविष्यवाणियों के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
1. धन देखकर रिश्ते बनेंगे
कलियुग को लेकर विष्णु पुराण में की गई भविष्यवाणी के अनुसार, कलयुग में रिश्त-नाते धन देखकर बनेंगे. इसका सीधा मतलब यह कि यहां व्यवहार या चरित्र से अधिक धन देखकर मित्रता होगी और धन देखकर ही सम्मान मिलेगा. वहीं धन के साथ ही मनुष्य का अहंकार भी काफी बढ़ेगा.
2. घर बनाने में खर्च होगा धन
विष्णु पुराण की भविष्यवाणी में कहा गया है कि, कलयुग में मनुष्य धन संचय करने में लगा रहेगा और इसके लिए कुछ भी करने से गुरेज नहीं करेगा. उसकी हर बात पैसों से जुड़ी होगी और जो धन संचय करेगा उसका अधिकांश उपयोग घर बनाने में ही होगा. वहीं इस युग में घर बनाने वालों के पास अपने घर नहीं होंगे, लेकिन कम मेहनत करने वाले लोग महलों में रहेंगे.
3. लगातार बढ़ेंगे जघन्य अपराध
विष्णु पुराण की भविष्यवाणी में कहा गया है जब कलयुग आएगा तो अपराधों की संख्या निरंतर बढ़ेगी. इस काल में चोरी, लूटपाथ, हत्या और महिला अपराधों बढ़ने से अशांति का वातावरण बनेगा. यहां उल्लेख किया है कि एक समय में मनुष्य छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे की हत्या करने लगेगा. यह वो समय होगा जब अपराधनी बिना डरे घूमने लगेंगे.
4. प्राकृतिक मृत्यु से ज्यादा अकाल मृत्यु होंगी
विष्णु पुराण की भविष्यवाणी के अनुसार, कलयुग में मौसम तेजी से अपना रुख बदलेगा, तेज बारिश से बाढ़ जैसे हालात बनेंगे तो सूखे की बारी भी आएगी. इस काल में बीमारियों का प्रकोप बढ़ने के साथ ही महामारी और दुर्घटनाएं भी तेजी से बढ़ सकती है. ऐसे में कलयुग में मनुष्य प्राकृतिक रूप से कम और अकारण अधिक मृत्यु को प्राप्त हो सकते हैं.
मिट्टी से नहीं... इस चीज से बनाएं यम दीया, जानें जलाने की विधि, अमंगल होगा दूर!
22 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दीपावली के पंच पर्वों की शुरुआत धनतेरस से होती है. पांच दिनों तक धूम मची रहती है. हर ओर खुशियां ही खुशियां होती हैं. लेकिन, इन्हीं खुशियों के बीच इस शुभ अवसर पर हमें हमारे पूर्वजों को नहीं भूलना चाहिए. इसलिए इन विशेष 5 दिन में एक यम देवता का भी होता है, जिसे छोटी दीपावली या नरक चतुर्दशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन यम दीपक जलाकर यमराज की पूजा की जाती है, जिससे उनकी कृपा पूर्वजों को मिलती है और उनका उद्धार होता है.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि 30 अक्टूबर को छोटी दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. इसी दिन को नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यम के नाम दीप दान किया जाता है. मृत्यु के पश्चात नरक के कष्ट से बचने के लिए नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान किया जाता है. इसके अलावा अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए भी यह नियम जरूरी माना गया है. साथ ही नरक चतुर्दशी के दिन गोधूलि बेला में यम के नाम दीप जलाया जाता है. लेकिन इसे नियम विधि से ही जलाएं.
इस विधि से जलाएं यम दीप
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन मृत्यु के देवता यम के नाम से गोधूलि बेला में गोबर का बना हुआ चतुर्मुखी दीप जलाना चाहिए. इससे परिवार के सदस्य के ऊपर अकाल मृत्यु का संकट समाप्त हो जाता है. ध्यान रहे कि चतुर्मुखी दीप हमेशा घर की दक्षिण दिशा में ही जलाएं. इसके लिए सबसे पहले गाय के गोबर का चतुर्मुखी दीया बना लें. उसमें लाल बाती लगाएं और सरसों तेल डालें. फिर दीया जलाएं. ऐसा करने से घर का अमंगल नाश होगा और सभी प्रकार के संकट समाप्त होंगे.
दिवाली पर मूलांक 5 वालों को मिलेगा दोस्तों का साथ, अति उत्साह से बचें, जानिए पर उपाय और शुभ रंग
22 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंक ज्योतिष के मुताबिक, दिवाली पर जन्मतारीख के हिसाब से लोगों के लिए अलग-अलग तरह के परिणाम आ सकते हैं. जन्मतारीख के हिसाब से मूलांक का पता चलता है और इसके आधार पर दिवाली के त्योहार पर मूलांक के हिसाब से कैसा रहेगा त्योहार और दिवाली पर शुभ रंग और उपाय जानिए.मूलांक के अनुसार कैसा रहेगा आपका दीपावली का त्यौहार, इस श्रृंखला में आज हम आपको बता रहे हैं कि मूलांक 5 वालों के लिए कैसी रहेगी दीपावली.
मूलांक 5 : यदि आपने किसी भी महीने की 5,14,23 तिथि पर जन्म लिया है तो आपका मूलांक बनता है 5
कैसे जानें मूलांक : जिस तरह हर व्यक्ति के नाम के अनुसार राशि होती है, उसी तरह उस व्यक्ति की जन्म तारीख से उसके जन्म का अंक होता है, जिसको जन्मांक अथवा मूलांक कहते हैं. हर ग्रह का एक नंबर होता है जो आपके मूलांक के रूप में उस ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. ज्योतिषशास्त्र की तरह अंक ज्योतिष से भी जातक के भविष्य, स्वभाव और व्यक्तित्व का पता लगता है. अंक शास्त्र के अनुसार, अपने नंबर निकालने के लिए आप अपनी जन्म तिथि, महीने और वर्ष को इकाई अंक तक जोड़ें और तब जो संख्या आएगी, वही आपका भाग्यांक होगा. और जन्म तारीख अंकों को जोड़ने पर उस जातक का मूलांक प्राप्त होता है. उदाहरण के तौर पर महीने के 5,14,23 तारीख को जन्मे लोगों का मूलांक 5 होगा.
मनी : पेशेवर समकक्षों से तालमेल बनाकर रखेंगे. प्रबंधन व संतुलन बढ़ाएंगे. मित्रों का सहयोग पाएंगे. अनुशासन से आगे बढ़ेंगे. नवीन प्रयासों में सामंजस्यता रखेंगे. विनम्रता दिखाएंगे. व्यवस्था पर नियंत्रण बढ़ाएंगे. कामकाज अपेक्षानुरूप बना रहेगा. अनुभवियों का साथ पाएंगे. रुटीन संवारें.
पर्सनल लाइफ: घरेलु विषयों में रुचि रहेगी. उत्सव आयोजन में शामिल होंगे. प्रेम में सरलता सहजता बनी रहेगी. परिजनों का साथ विश्वास पाएंगे. भावनात्मक के मामलों में सजग रहेंगे. अति उत्साह से बचेंगे. अवसर का इंतजार करेंगे. संबंधों में स्पष्टता बढ़ाएंगे. रिश्तों में फोकस रखेंगे.
हेल्थ : बात रखने में संकोच रहेगा. व्यवस्था में सुधार बढ़ाएंगे. निजी प्रयास संवरेंगे. उत्साह मनोबल रखेंगे. जीवनशैली आकर्षक रहेगी. सम्मान का भाव रखेगें.पेट की समस्या हो सकती है.
शुभ रंग : दीपावली पर फिरोजी कलर के कपड़े पहनें.
अंक ज्योतिष के मुताबिक, दीपावली पर मूलांक 5 वालों के लिए खास उपाय:
1. दिवाली पर दालचीनी पाउडर लें, उसके ऊपर से 7 बार घड़ी की विपरीत दिशा में अगरबत्ती घुमाएं और धन की कामना करते हुए पर्स में रख लें.
2. मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए दिवाली के दिन लक्ष्मी मंदिर में झाड़ू का दान दें.
3. अशोक के पेड़ की जड़ को भी गंगाजल से धोकर धन रखने वाले स्थान पर रख सकते हैं.
4. सुबह उठकर सबसे पहले सीधा पैर जमीन पर रखें, फिर नहाने के बाद दूध मिश्रित जल श्यामा तुलसी को अर्पित करें.
कब है छोटी दिवाली? इस दिशा में जलाएं यम दीया, अकाल मृत्यु के भय से मिलेगी मुक्ति
22 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है. यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है. इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता माने जाने वाले, यमराज की पूजा करने का विधान है और उनके समस्त दीपक भी जलाया जाता है.इस दिन का क्या महत्व है. आइए जानते है उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से विस्तार से.
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर सुबह 11 बजकर 23 मिनट से हो रही है. इसका समापन 31 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर होगा, क्योंकि चतुर्दशी तिथि में संध्या के समय यम दीया जलाया जाता है और यम देवता की पूजा की जाती है, इसलिए नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
अकाल मृत्यु के भय से मिलेगी मुक्ति
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. दीपक जलाकार यम से प्रार्थना की जाती है कि वो नरक के द्वार सदा हमारे लिए बंद रखें, ताकि हमें मोक्ष की प्राप्ति हो सके. इसके अलावा कई लोग बुराई व जीवन में मौजूद नकारात्मकता को दूर करने के लिए भी इस दिन दीपक जलाते हैं.
जानिए कैसा दीपक जलाना होगा शुभ
यमराज के प्रति नरक चतुर्दशी के दिन चौमुखी दीपक ही जलाना चाहिए. दीपक में सरसों का तेल भरना चाहिए. घर की अलग-अलग दिशा में अलग-अलग देवी-देवता का वास होता है. यमराज की दिशा शास्त्रों में दक्षिण दिशा बताई गयी है. इसलिए इस दक्षिण दिशा की तरफ दीपक को रख कर जलाना चाहिए.
भूल से भी ना करें इस दिन ये काम
– यमलोक के देवता कहलाने वाले यमराज की नरक चतुर्दशी के दिन पूजा की जाती है. इसलिए इस दिन किसी भी जीव की हत्या न करें.
– यम की दिशा दक्षिण मानी गयी है. इसलिए इस दिन घर की दक्षिण दिशा को भूल से भी गंदा ना रखें.
– शास्त्रों में तेल का दान विशेष महत्व रखता है, लेकिन इस दिन तेल का दान नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं. साथ ही इस दिन तामसिक भोजन नहीं खाना चाहिए.