धर्म एवं ज्योतिष
भाई दूज पर बहनें कर लें ये 10 आसान उपाय, लंबी होगी भाई की उम्र, रिश्ते में भी आएगी मधुरता..!
28 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का समापन होता है. भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है. हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज के पर्व मनाया जाता है. देशभर में भाई दूज के पर्व को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. यह दिन भाई बहन के प्यार और स्नेह के रिश्ते का प्रतीक होता है. हालांकि इस साल भाई दूज का पर्व किस दिन मनाया जाएगा इस बात को लेकर लोगों के बीच, थोड़ी दुविधा है. ऐसे में आइए जानते हैं इस साल भाई दूज का पर्व किस दिन मनाया जाता है.
भाई दूज का महत्व :
पौराणिक कथाओं के अनुसार है इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना जी से मिलने आए थे और तब से ही भाई दूज का पर्व यम द्वितीया के पर्व के रूप में भी मनाया जाने लगा. ऐसा माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में तिलक करने से भाई को सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं उसकी दीर्घायु होती है. भाई दूज का यह पर्व सिर्फ तिलक तक ही सीमित नहीं है बल्कि भाई-बहन के रिश्ते की गहराई और प्यार को भी दर्शाता है. इस विशेष दिन पर बहनें अपने भाइयों के सुख समृद्धि की कामना करती हैं और भाई भी अपनी बहनों के प्रति प्रेम और सुरक्षा का वचन देते हैं.
भाई दूज पर ये उपाय किए जा सकते हैं:
1. भाई दूज के दिन बहनें भाई को अपने घर बुलाएं या शाम को उनके घर जाकर उन्हें भोजन कराएं और तिलक लगाएं.
2. भाई दूज के दिन बहनें भाई को पान भेंट करें. मान्यता है कि ऐसा करने से बहनों का सौभाग्य अखंड रहता है.
3. भाई दूज के दिन बहनें यमराज के नाम से चौमुखी दीपक जलाकर घर के बाहर रखें.
4. भाई दूज के दिन भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करें.
5. भाई दूज के दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को खाना खिलाएं.
6. भाई दूज के दिन तिलक करते समय बहनें “गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े” ऐसा कहें.
7. भाई दूज के दिन तिलक की थाली में सफ़ेद चावल रखें.
8. भाई दूज के दिन तिलक की थाली में सुपारी रखें.
9. भाई दूज के दिन तिलक की थाली में चांदी का सिक्का रखें.
10. भाई दूज के दिन भाई को नारियल, गरी, मिसरी, काला चना, पान और सुपारी दें.
धनतेरस के दिन दीया किस दिशा में जलाएं? कौन सी दिशा में दीपक की लौ, यहां जानें हकीकत और धन्वंतरी पूजन का समय
28 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिपाली का त्योहार 5 दिन पहले से शुरू हो जाता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वंतरी और माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा का विधान है. माना जाता है कि इस दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा करने से जातक को आरोग्य की प्राप्ति होती है. वहीं, मां लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा से धन लाभ होता है, जिससे घर में बरकत बनी रहती है. लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि उससे जुड़े नियमों की जानकारी का होना.
धनतेरस के दिन लोग सोना, चांदी और बर्तन खरीदते हैं. इसके अलावा, इस दिन एक दीया भी जलाया जाता है. ये दीया शुभता का प्रतीक माना जाता है. माना जाता है कि धनतेरस के दिन दीया जलाने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है. अब सवाल है कि आखिर धनतेरस पर दीया किस दिशा में जलाना चाहिए? दीया जलाते समय किस दिशा में रखें मुंह? धन्वंतरी पूजन किस समय करें?
धनतेरस 2024 की सही तिथि
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत मंगलवार 29 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर होगी, त्रयोदशी तिथि का समापन बुधवार 30 अक्टूबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसी गोधूल काल में भगवान धनवंतरी की पूजा की जा सकती है. ऐसी स्थिति में धनतेरस 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
धन्वंतरी पूजा का शुभ मुहूर्त
राकेश चतुर्वेदी के मुताबिक, धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरी की पूजा की जाती है. ऐसे में धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की शुरुआत गोधूल काल में मंगलवार 29 अक्टूबर शाम 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. इस तरह धनतेरस पर भगवान धन्वंतरी, गणेश और कुबेर जी की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 41 मिनट का समय मिलेगा.
धनतेरस के दिन इस दिशा में जलाएं दीया
धनतेरस के दिन दीप जलाने के लिए, ईशान कोण दिशा को शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, यह दिशा देवी-देवताओं की मानी जाती है. इस दिशा में दीप जलाने से परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है.
इस दिशा में न जलाएं दीया
पश्चिम दिशा को राहु की दिशा माना जाता है. इस दिशा में दीप जलाने से लोगों को अशुभ फल मिल सकते हैं और जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है.
इस दिशा में हो दीपक की लौ
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा की ओर दीपक की लौ होना शुभ होता है. उत्तर दिशा में दीपक रखने से धन में वृद्धि होती है. वहीं, पश्चिम दिशा की ओर दीपक की लौ का जलना बेहद अशुभ बताया गया है. इसलिए इस दिशा में दीपक का मुंह करके नहीं रखना चाहिए.
सिर्फ फल नहीं, ये सब्जियां चढ़ाने से भी खुश होती हैं मां लक्ष्मी, बढ़ता है धन भंडार
28 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिवाली के अवसर पर लोग देवी लक्ष्मी को अपनी पसंदीदा चीज़ें अर्पित करने के लिए खरीदारी करने में जुट जाते हैं. इसी परंपरा के तहत थार के रेगिस्तान में लोग देवी लक्ष्मी को सूखी सब्ज़ियाँ अर्पित करते हैं. ऐसी ही एक सब्ज़ी है ‘कोठींबा,’ जिसका सबसे अधिक उत्पादन बीकानेर और उसके आसपास के इलाकों में होता है. कहा जाता है कि लक्ष्मीजी को यह सब्ज़ी बहुत पसंद है, जिससे इसकी माँग में भी वृद्धि हो जाती है.
कोठींबा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष पंडित युगल नारायण रंगा का कहना है कि पहले यह सब्ज़ी केवल रेगिस्तान में ही उगती थी. इस सब्ज़ी का इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है. दिवाली के दौरान बीकानेर और आसपास के क्षेत्रों के लोग देवी लक्ष्मी को अर्पण के लिए इस कोठींबा सब्ज़ी को ख़रीदते हैं. वहीं, कई लोग इसका आनंद लेते हैं और इससे विशेष पकवान बनाते हैं और अगले दिन उसका स्वाद लेते हैं.
काचरी की प्रसिद्ध चटनी: एक खास रसोई का हिस्सा
दरअसल, कोठींबा (काचरी) सब्ज़ी का सबसे अधिक उपयोग चटनी बनाने में होता है. काचरी की यह चटनी राजस्थान का प्रमुख व्यंजन है और यह विदेशों में भी मशहूर है. इसकी विशेषता यह है कि यह कई दिनों तक खराब नहीं होती है. स्वास्थ्य के लिए लाभकारी इस काचरी की फसल श्रावण मास में शुरू होती है और चार से पाँच महीने तक चलती है. यह सब्ज़ी मुख्य रूप से बीकानेर और उसके आसपास के क्षेत्रों में उगती है और राजस्थान के अन्य इलाकों में भी इसकी आपूर्ति की जाती है.
कोठींबा के स्वास्थ्य लाभ और बाज़ार में कीमत
यह सब्ज़ी बाज़ार में 30 से 40 रुपये प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं और इससे अनेक बीमारियाँ दूर होती हैं. इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है, सर्दी-खांसी में राहत मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट भी होते हैं.
त्रिलोक संरचना पर बना है ये अनोखा मंदिर, दर्शन करने से घर में आती है खुशहाली! बन जाते हैं बिगड़े काम
28 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिले में कई प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर स्थित हैं, जो जिले की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं. ये मंदिर सदियों से यहां की धार्मिक परंपराओं को सहेजे हुए हैं और इनकी वास्तुकला अद्वितीय है. इन मंदिरों में से हर एक की अपनी विशेष पहचान और महत्व है, जो जालोर को एक पवित्र धार्मिक स्थल बनाते हैं. लेकिन इन सभी मंदिरों के बीच, भीनमाल में रामसीन रोड पर स्थित लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ, जिसे 72 जिनालय मंदिर नाम से भी जाना जाता है, एक विशेष स्थान रखता है.इस मंदिर का निर्माण एक भव्य श्री यंत्र की रेखा पर किया गया है, जो मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इस मंदिर को बनवाने का उद्देश्य यह था कि यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. यह मंदिर जैन धर्म के 72 तीर्थंकरों की प्रतिमाओं से सुसज्जित है और इसे विशेष रूप से वर्तमान, भूत और भविष्य की त्रिलोक संरचना पर आधारित किया गया है, जो इसे अनूठा बनाता है.
संगमरमर से निर्मित अद्भुत मंदिर
करीब सौ बीघा भूमि में फैला यह मंदिर करीब 63,504 वर्ग फुट क्षेत्र में संगमरमर से निर्मित है, जो अपनी सुंदरता और भव्यता से हर आने वाले को मंत्रमुग्ध कर देता है. इसकी स्थापना सुमेरमल लुंकड़ द्वारा की गई, जिन्होंने साल 1991 में त्रिस्तुतिक जैनाचार्य हेमेंद्रसूरीश्वर म.सा. से प्रेरणा लेकर इस पवित्र तीर्थ का निर्माण आरंभ किया. भूमि चयन के लिए वास्तुशास्त्र और दिशाओं का ध्यान रखते हुए रामसीन रोड पर जगह तय की गई और 2 मई 1996 को शुभ मुहूर्त में इस महातीर्थ की नींव रखी गई. फरवरी 2011 में इस मंदिर का प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हुआ और इसे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया.
दर्शन मात्र से होती है सुख की प्राप्ति
मंदिर के पुजारी भरत कुमार त्रिवेदी ने बताया कि यहां सिर्फ जैन अनुयायी ही नहीं, बल्कि 36 कौम के लोग भी दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं. मान्यता है कि यहां केवल दर्शन मात्र से ही धर्म, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. मंदिर के परिसर में तीनों चौबीस तीर्थंकरों की देवकुलिकाएं, गणधर मंदिर, गुरु मंदिर, कुलदेवी मंदिर सहित महावीर स्वामी, नाकोड़ा भेरूजी और मणिभद्र के मंदिर भी शामिल हैं, जो इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं.इसके अलावा, यहां एक विशाल भोजनशाला भी है, जहां एक साथ 2,000 लोग बैठकर भोजन कर सकते हैं. यह भोजनशाला सभी श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क भोजन सेवा प्रदान करती है, जिससे सभी भक्तगणों को सेवा और समर्पण का अनुभव होता है. भीनमाल का यह लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ मंदिर, जिसे 72 जिनालय भी कहा जाता है, अपनी अद्वितीय वास्तुकला और धार्मिक महत्व के कारण जालोर के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक बन चुका है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में विलम्ब, धन हानि, चिन्ता, असमर्थता का वातावरण क्लेशयुक्त होगा।
वृष राशि :- असमंजस-असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद रखे, सार्म्थय सुरक्षा समय की स्थिति से बनेगा।
मिथुन राशि :- योजनाएं फलीभूत हों, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य-दुर्घटना से बचेंगे।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, प्रयत्न से सफलता मिले, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- समृद्धि के साधन बनें, सतर्कता से रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कन्या राशि :- समृद्धि के साधन बनेंगे, सामाजिक तनाव व उद्विघ्नता तथा क्लेश से अशांति अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्वास्थ्य नरम रहे, असमर्थता के वातावरण से मानसिक उलझन बनी रहेगी।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब में क्लेश व अशांति, आरोप, विभ्रम, असमंजस का वातावरण बनेगा।
धनु राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, सफलता की कार्ययोजना बने, विशेष कार्य बन जायेंगे।
मकर राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्ता निवृत्ति तथा सफलता के साधन अवश्य ही जुटायें।
कुम्भ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक रहें, दैनिक कार्यगति में सुधार, इष्ट मित्र सहायक बने रहेंगे।
मीन राशि :- आर्थिक कार्ययोजना पूर्ण होगी, दुर्घटना के योग बनेंगे, समय कष्टप्रद, ध्यान रखें।
एक नींबू से निकलेगा हर समस्या का हल
27 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन: हिंदू धर्म में दिवाली को ‘दीपों की रोशनी’ का पर्व माना जाता है. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है. इस दिन पूरे देश को दीयों की रोशनी से रौशन करते हुए धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पूजा जाता है. इसके साथ ही दिवाली के दिन लोग नए कपड़े पहनकर गणेश-लक्ष्मी जी की पूजा अर्चना भी करते हैं.
यदि दिवाली के दिन आप अपनी राशि के मुताबिक कपड़ों के रंग का चयन करते हैं,तो यह आपके लिए बेहद शुभ साबित हो सकता है. राशि के अनुसार रंगों वाले कपड़े पहनने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से कि दिवाली के दिन किस राशि के जातकों को किस रंग के कपड़े पहनने चाहिएं.
मेष – लाल रंग देवी लक्ष्मी को पिर्य माना जाता है. मेष राशि के जातक दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के लिए लाल रंग के कपड़े पहन कर पूजा करे तो माँ लक्ष्मी साल भर प्रसन्न रहेगी.
वृषभ – दिवाली के दिन वृषभ राशि के लोगों को लक्ष्मी पूजन के दौरान नीले रंग के कपड़े पहन कर माता लक्ष्मी की पूजा करना शुभ माना जाता है. इस रंग से आपको मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी और धन लाभ और समृद्धि के योग भी बनेंगे.
मिथुन – इस राशि के जातक को चाहिए कि दिवाली के दिन नारंगी रंग पहन कर पूजा करे. नारंगी रंग धन को आकर्षित करने में सहायक माना जाता है. इसलिए मिथुन राशि के जातक को लक्ष्मी पूजा मे यह रंग जरूर पहनना चाहिए.
कर्क – इस राशि वाले जातक दिवाली के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हरे रंग के कपड़े धारण करना चाहिए. इस राशि के लिए हरा रंग सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है.
सिंह – दिवाली के दिन सिंह राशि के जातकों को भूरे रंग के कपड़े पहनना चाहिए. यह सिंह राशि वालों के लिए यह रंग बहुत शुभ माना जाता है.
कन्या – इस राशि के जातको को चाहिए. कि दिवाली पर सफेद रंग के कपड़े पहन कर पूजा करना चाहिए. अगर आप पूरी तरह से सफेद कपड़े नहीं पहनना चाहते हैं. इससे आर्थिक स्थिति मे सुधार के साथ धन कि देवी प्रसन्न होती है.
तुला – इस राशि के जातक को दिवाली के दिन पूजन के दौरान पीले या इससे मिलते जुलते रंग के कपड़े पहना शुभ माना जाता है.
वृश्चिक – इस राशि के जातकों को दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन के लिए मैरून रंग के कपड़े पहनने चाहिए. ऐसा करने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
धनु – इस राशि के जातको के लिए दिवाली के दिन बैंगनी रंग के कपड़े बेहद शुभ रहने वाले हैं. इससे मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है.
मकर – इस राशि के जातक को दिवाली के दिन नीले रंग के कपड़े पहन कर माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए. इससे देवी प्रसन्न होती है.
कुंभ – इस राशि के जातक को दिवाली के लक्ष्मी पूजन मे ग्रे रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है हैं. ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है.
मीन – इस राशि के जातक को माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए दिवाली के दिन पूजन मे गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना गया है.
धनतेरस पर 1 दिया जलाने से खत्म होता है अकाल मृत्यु का खतरा
27 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
किसी राज्य में हेम नामक राजा था. ईश्वर की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ. बेटे की कुंडली में लिखा था कि शादी के चार दिन बाद राजकुमार की मृत्यु हो जाएगी. ऐसे में राजा ने उसे ऐसी जगह भेज दिया, जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े लेकिन वहां उन्होंने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया. रीति के अनुसार, विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ गए. राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जाना. दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई. यमराज ने बताया कि मृत्यु अटल है, लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति दीप प्रज्वलित करेगा वह अकाल मृत्यु से बच सकता है. इसी कारण से हर साल धनतेरस पर यम का दीपक जलाने की परंपरा है.
यम का दीपक जलाने का महत्व:
1. ज्योतिष के मुताबिक, घर की दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज होते हैं.
2. पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस पर दक्षिण दिशा में यम का दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हैं.
3. इससे घर में सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु का भय दूर होता है.
4. स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी यम के दीपक का वर्णन मिलता है.
यम का दीपक क्यों जलाया जाता है:
धनतेरस की शाम को मां लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करने से साथ यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी पूजन किया जाता है. घर की दक्षिण दिशा में एक चार मुख वाला दीपक जलाया जाता है. इस चार मुख वाले दीपक को ही ‘यम का दीपक’ कहा जाता है. ज्योतिष के मुताबिक, घर की दक्षिण दिशा की स्वामी यमराज होते हैं. पौराणिक मान्यता है कि धनतेरस पर दक्षिण दिशा में यम का दीपक लगाने से यमराज प्रसन्न होते हैं. घर में सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है.
ऐसे जलाएं ‘यम का दीपक’:
धनतेरस के दिन आटे का चौमुखा दीपक बनाएं और उसमें सरसों का तेल भरें, इसमें चार बाती लगाकर घर की दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जलाएं. इसके अलावा घर के मुख्य द्वार पर गाय के घी का दीपक जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और खूब धन-संपत्ति देती हैं.धनतेरस के दिन सूर्सास्त के बाद शाम को ही यमराज के निमित्त दीपक जलाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि दीपदान से यमदेव प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से सुरक्षा करते है. धनतेरस की शाम घर के बाहर 13 दीपक जलाए. इन्हें मुख्य द्वार पर रखें. वहीं, एक पुराना मिट्टी के दीपक में चार बाती लगा लें और इसे सरसों के तेल से प्रज्वलित करें. अब घर के बाहर दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके इस दीपक को जलाएं और मंत्र उच्चारण करते हुए इसे रखें.
मंत्र : मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह, त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति’
कहते हैं इससे अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है और नर्क की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य-व्यवस्था अनुकूल हो, समय पर सोचे कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, आरोप व क्लेश से असमंजस की स्थिति होगी।
मिथुन राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल, धन लाभ व आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कर्क राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थिगित रखें तथा शासकीय कार्य में हानि होगी।
सिंह राशि :- सतर्कता से रुके कार्य निपटा लेवें, संघर्ष से सफलता के योग अवश्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- तर्क-वितर्क से बचें, अनेक प्रकार की बाधायें, मन असमंजस में रहे, कार्य अवरोध होगा।
तुला राशि :- धन हानि, असमंजस की स्थिति अवश्य ही बनेगी विशेष कार्य अवरोध होगा।
वृश्चिक राशि :- मान-प्रतिष्ठा, सुख-भोग, एश्वर्य एवं समृद्धि के साधन आप अवश्य ही जुटायेंगे।
धनु राशि :- मानसिक बेचैनी, तनाव संभव तथा कार्यगति में सुधार तथा चिन्ता कम होगी।
मकर राशि :- सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि बने, धन का लाभ तथा आशानुकूल सफलता मिलेगी।
कुम्भ राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, कार्यकुशलता से संतोष तथा कठिन योजना बन जायेगी।
मीन राशि :- कार्य-कुशलता के योग बनेंगे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, ध्यान रखें।
दिवाली पर दौड़ी चली आएंगी मां लक्ष्मी, दरवाजे पर लगाएं इन पत्तों से बने तोरण, घर में हमेशा बरकरार रहेगी खुशहाली
26 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में दिवाली को ‘दीपों की रोशनी’ का पर्व माना जाता है. पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है. इस दिन पूरे देश को दीयों की रोशनी से रोशन करते हुए धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पूजा जाता है. इस दिन के पहले ही लोग अपने घर की साज सजा जोरो पर करते नजर आ रहे है. ऐसे मे कुछ लोग अपने घर मे तोरण भी लगाते है. ऐसे मे कुछ ऐसे पत्ते है जिनके तोरण बनाने से माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती है. आइए जानते है उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से कौन से पत्ते से घर पर तोरण दुवार बांधना चाहिए.
जरूर लगाए इन पतो के तोरण
पान के पत्तों से तोरण: पान के पत्ते का तोरण लगाना बहुत ही शुभ माना जाता है. पान के पत्ते को शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है. इसे घर के मुख्य द्वार पर लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. पान के पत्ते देवी – देवताओं को प्रसन्न करते हैं. इसलिए दिवाली के दिन पान के पते का तोरण लगाना शुभ होता है.
अशोक के पत्तों का तोरण: अशोक के पत्ते की माला बनाकर घर के मुख्य द्वार पर टांगने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है. घर के मुख्य द्वार पर इसका वंदनवार बहुत ही शुभ माना जाता है. इसलिए दिवाली के दिन अशोक के पतो का तोरण जरूर बनाना चाहिए.
गेंदा के फूलों से तोरण: दिवाली पर कोशिश करें कि दरवाजे पर ताजा फूलों का तोरण ही लगाएं. इसकी खुशबू न सिर्फ आपके घर को महका देगी बल्कि इससे आपके घर में खुशहाली भी आएगी. इससे दरवाजे की सुंदरता तो बढ़ती ही साथ ही यह शुभ भी होता है. गेंदे के फूल के बारे में कहा जाता है कि यह वास्तव में एक फूल नहीं बल्कि छोटे-छोटे कई फूलों का एक गुच्छा होता है.गेंदे के फूल को आम के पत्तों के बंधनवार के साथ दरवाजे पर लगाने से सकारात्मकता घर में आती है.
रमा एकादशी कब है? आर्थिक तंगी से पाना है छुटकारा, तो इस दिन करें ये अचूक उपाय
26 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म एकादशी तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है. प्रत्येक एकादशी अलग-अलग होती है, लेकिन हर एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन विधि विधान पूर्वक भगवान विष्णु की पूजा आराधना की जाती है.
रमा एकादशी कब है
रमा एकादशी 28 अक्टूबर को है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से जातकों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके साथ ही जीवन में कई तरह की खुशियों का भी आगमन होता है. अगर आप भी आर्थिक तंगी से परेशान हैं. उससे निजात पाना चाहते हैं तो फिर रमा एकादशी के दिन भक्ति भाव से भगवान विष्णु की पूजा आराधना करें. पूजा के दौरान कुछ चीजों से भगवान विष्णु का अभिषेक करें.
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि यह व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी तिथि के दिन भक्त भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार के उपाय भी करते हैं. कहा जाता है इस दिन उपाय करने से भगवान विष्णु समस्त दुखों का नाश भी करते हैं. अगर आप भी आर्थिक तंगी से मुक्ति पाना चाहते हैं. तो इस दिन अनेक प्रकार की चीजों से भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए.
मनोकामनाएं होगीं पूर्ण
भगवान विष्णु के लिए नारियल बहुत प्रिय माना जाता है. रमा एकादशी के दिन नारियल के जल से भगवान श्री हरि विष्णु का अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से समस्त मनोकामना पूरी होती है. इसके अलावा अगर आप पद प्रतिष्ठा मान सम्मान और धन में वृद्धि प्राप्त करना चाहते हैं. तो इसके लिए रमा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. गाय के कच्चे दूध से भगवान श्री हरि का अभिषेक करें. ऐसा करने से सकल मनोरथ की प्राप्ति होती है .
नौकरी और तरक्की पाने का उपाय
अगर आप करियर में सफलता पाना चाहते हैं, तो फिर आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस दिन शुद्ध शहद से श्री हरि का अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान सूर्य की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है. रमा एकादशी के दिन कारोबार में तरक्की पाने के लिए भगवान विष्णु का गंगाजल में पान के पत्ते मिलकर अभिषेक करना चाहिए. ऐसा करने से बुद्धदेव की भी कृपा बरसती है. साथ ही कारोबार में तरक्की की योग बनते हैं .
धनतेरस पर खरीदें 200 रुपए की ये 4 सामग्री, गरीबों पर बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा!
26 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धनतेरस का पर्व दिवाली से ठीक पहले मनाया जाता है, जो पांच दिवसीय दीपावली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है, इस साल कार्तिक त्रयोदशी की शुरुआत 29 अक्तूबर को सुबह 10:31 बजे होगी। वहीं समापन 30 अक्तूबर को दोपहर 01:15 बजे होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 30 अक्तूबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा.
धार्मिक मान्यता है कि धनतेरस के दिन किसी भी प्रकार की नई चीज़ें खरीदना अत्यधिक शुभ माना जाता है. खासकर सोना, चांदी, वाहन, बर्तन, और वस्त्रों की खरीदारी का महत्व बहुत अधिक होता है. मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी और कुबेर देवता प्रसन्न होते हैं और साल भर घर में धन-धान्य बना रहता है. हालांकि, सोना-चांदी और अन्य महंगी चीजें खरीदना सभी के लिए संभव नहीं होता. ऐसे में शास्त्रों में कुछ सरल और किफायती वस्तुओं के बारे में भी बताया गया है, जिन्हें खरीदने से भी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सोना-चांदी खरीदने के नहीं है पैसे ?
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित शिव शक्ति ज्योतिष एंड वास्तु सेंटर की ज्योतिषी शकुंतला बेलवाल ने बताया कि परंपरा के अनुसार, धनतेरस के दिन सोना, चांदी, बर्तन और वाहन की खरीदारी शुभ मानी जाती है. लेकिन हर कोई इन महंगी चीजों को खरीदने में सक्षम नहीं होता. ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि हमारे शास्त्रं में कुछ ऐसी साधारण और सस्ती चीजों का भी वर्णन किया गया है, जिनकी खरीदारी करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में धन-संपत्ति का वास बना रहता है. वो चीजें हैं हल्दी, काली हल्दी और छोटे बर्तन जैसे चम्मच, कटोरी, या ग्लास. ये चारों सामान 200 रुपए से कम कीमत में मिल जाएंगे.
गृह लक्ष्मी की प्रतीक है हल्दी
ज्योतिषी शकुंतला बेलवाल ने बताया कि हल्दी को गृह लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. यह शुभता और समृद्धि का प्रतीक है और इसे खरीदने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. हल्दी की खरीदारी से घर में आर्थिक समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा काली हल्दी का भी विशेष महत्व है. इसे विशेष रूप से सौभाग्य और धन की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है. धनतेरस के दिन काली हल्दी की खरीदारी से भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और यह घर में धन-धान्य बनाए रखने में सहायक मानी जाती है. वहीं अगर बड़े बर्तन खरीदना संभव न हो, तो छोटे बर्तन जैसे चम्मच, कटोरी, या गिलास खरीद सकते हैं. इन छोटे बर्तनों को भी शुभ माना जाता है, और इनसे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इन धातुओं को पवित्र माना जाता है और इन्हें घर में लाने से सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
26 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में विघ्न-बाधा, धन हानि, चिन्ता व असमंजस की स्थिति अवश्य बन जायेगी।
वृष राशि :- सफलता के साधन जुटायें, इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे तथा विशेष कार्य आप अवश्य ही करें।
मिथुन राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, योजनाएं फलीभूत हों तथा इष्ट मित्र सुखवर्धक व सहयोगी होगी।
कर्क राशि :- कहीं तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा स्त्री शरीर कष्ट अवश्य बने।
सिंह राशि :- विरोधियों के तनाव से बचें, क्रोध, अशांति व झूठे आश्वासन से आप बचकर चलें।
कन्या राशि :- अर्थ लाभ होकर हाथ से जाता रहे, विभ्रम, आवेश व अशांति आप में अवश्य बनेगी।
तुला राशि :- आर्थिक समस्याएं सुलझें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, पारिवारिक चिन्ता कम होगी।
वृश्चिक राशि :- अग्नि चोटादि का भय, सतर्कता से कार्य करें तथा कार्य अवरोध, विरोधियों से सतर्क रहें।
धनु राशि :- कला-कौशल एवं निर्माणकारी योजना बने, प्रभुत्व वृद्धि से कार्य अवश्य ही बना लेवें।
मकर राशि :- स्थिति यथावत चलती रहे परंतु स्त्री वर्ग से भोग-एश्वर्य की प्रप्ति अवश्य होगी।
कुम्भ राशि :- योजनाबद्ध रुके कार्य करने में सफलता अवश्य मिले तथा सार्थक सफलता बनेगी।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास तथा सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी, कार्य बनेंगे।
क्या आप भी दिवाली पर होना चाहते हैं मालामाल? जानें खरीदारी का शुभ समय!
25 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जैसे-जैसे दिवाली नजदीक आ रही है, लोगों में अनोखा उत्साह देखने को मिल रहा है. शास्त्रों के अनुसार इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करना, कोई शुभ खरीदारी करना या फिर देवी-देवताओं की पूजा-उपासना करना उत्तम माना जाता है. तो आइए दिवाली के दिनों में पूजन या खरीदारी के लिए कौन से शुभ मुहूर्त हैं, इसकी विशेष जानकारी प्राप्त करें. इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजर और वास्तु एक्सपर्ट डॉ. रविभाई जोशी के साथ बात करते हुए उन्होंने बताया कि दिवाली का पर्व भारतभर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. इसके साथ-साथ चोपड़ा पूजन, लक्ष्मी पूजन, गणेश पूजन सहित अन्य देवी-देवताओं का भी पूजन किया जाता है. साथ ही दिवाली के शुभ पर्व में दीपदान का एक विशेष महत्व है. इतना ही नहीं, इन दिनों में सोना-चांदी, चोपड़े, वाहन या अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी के लिए भी उत्तम समय माना जाता है. जिसमें दीपावली पर्व (विक्रम संवत 2080) और नूतन वर्ष (विक्रम संवत 2081) के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं.
चोपड़ा लाने के लिए (गुरुपुष्य महासिद्धि योग) – दि. 24/10/24, गुरुवार
विक्रम संवत 2080 के आसो वद आठम के दिन नए वर्ष के चोपड़े, सोना-चांदी, वाहन या अन्य शुभ खरीदारी के लिए श्रेष्ठ समय सुबह 6:10 से 7:45, सुबह 10:38 से 3:50, शाम 4:31 से 9:11 बजे तक रहेगा. साथ ही विक्रम संवत 2080 के आसो वद नौम के दिन शुभ खरीदारी के लिए शुभ समय सुबह 6:01 से 7:40 बजे तक रहेगा.
धनतेरस – दि. 29/10/24, मंगलवार
विक्रम संवत 2080 के आसो वद तेरस के दिन धन्वंतरि पूजन, लक्ष्मी पूजन, गणपति पूजन, धनपूजा, कुबेर पूजा, श्री यंत्र पूजा एवं सोना-चांदी और चोपड़ों की खरीदारी के लिए शुभ समय सुबह 9:35 से 1:47, दोपहर 3:11 से 4:35, रात 7:35 से 9:11 और रात 10:48 से 3:37 तक रहेगा.
दिवाली – दि. 1/11/24, शुक्रवार
इस बार दिवाली विक्रम संवत 2080 के आसो वद शुक्रवारी अमावस्या के दिन आएगी. इस दिन स्वाति नक्षत्र 27:31 तक रहेगा. इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन, दीपावली पूजन इत्यादि के लिए श्रेष्ठ समय सुबह 6:50 से 10:35, दोपहर 12:35 से 1:35, शाम 16:40 से 17:55 तथा रात 21:05 से 10:25 तक रहेगा.
नूतन वर्ष (विक्रम संवत 2081) – दि. 2/11/24, शनिवार
विक्रम संवत 2081 के कार्तिक सुद एकम के दिन नए वर्ष में किसी भी शुभ कार्य के लिए शुभ समय सुबह 8:14 से 11:00 और दोपहर 12:24 से 4:33 तक रहेगा.
भाऊबीज – दि. 3/11/24, रविवार
विक्रम संवत 2081 के कार्तिक सुद द्वितीया के दिन देव पूजा करने का उत्तम समय सुबह 8:15 से 12:24 तक रहेगा.
लाभ पांचम – दि. 6/11/24, बुधवार
विक्रम संवत 2081 के कार्तिक सुद पंचमी के दिन किसी भी नए शुभ कार्य के लिए श्रेष्ठ समय सुबह 6:04 से 9:31 तक रहेगा.
इस दिन मनाई जाएगी दिवाली, दूर हुआ कंफ्यूजन, ज्योतिषी से जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
25 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म दीपावली का विशेष महत्व होता है. दीपावली के दिन दीप जलाकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. इतना ही नहीं मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास काल के बाद जब प्रभु राम अयोध्या पहुंचे थे, तो अयोध्या वासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. प्रत्येक वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दीपावली का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर दोपहर लगभग 3:00 बजे शुरू हो रही है. जिसका समापन 1 नवंबर को हो रहा है. अमावस्या की रात में दीपक जलाकर लक्ष्मी और गणेश की पूजा आराधना होती है. ऐसी स्थिति में दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा.
अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:00 बजे शुरू हो रही है. रात्रि में दीपदान का महोत्सव होता है, तो ऐसी स्थिति में अमावस्या की रात्रि में ही दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, जो 31 अक्टूबर को है. उस दिन 3:40 से ही पूजा का शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएगा. नवीन प्रतिष्ठान दुकान की पूजा इस दौरान की जा सकती है और माता लक्ष्मी की पूजा का शाम 5:15 से लेकर 8:55 तक विशेष मुहूर्त है. इस दौरान लक्ष्मी गणेश की पूजा आराधना करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न भी होंगी.
बृहस्पतिवार के दिन इस वर्ष दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है. जिसकी पूजा आराधना करने से कई गुना फल की प्राप्ति भी होगी. इतना ही नहीं अयोध्या के ज्योतिषी ने बताया कि दीपावली के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान करना चाहिए. उसके बाद माता लक्ष्मी भगवान गणेश की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए.
31 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी. इसी दिन अमावस्या तिथि की शुरुआत भी हो रही है. प्रदोष व्यापानि तथा रात्रि अमावस्या तिथि में दीप जलाने का विधान है. इसी दिन लक्ष्मी जी की पूजा आराधना की जाती है. गोधूलि बेला में इसकी पूजन होना चाहिए. भविष्य पुराण के अनुसार इस दिन राजा बलि का पूजन आराधना किया जाता है. इसके अलावा इस दिन दान दक्षिणा भी दिया जाता है. ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति भी होती है.
दीपावली के दिन पूजा विधि में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद कलावा, रोली, सिंदूर, एक नारियल, अक्षत, लाल वस्त्र , फूल, पांच सुपारी, लौंग, पान के पत्ते, घी, कलश, कलश हेतु आम का पल्लव, चौकी, समिधा, हवन कुण्ड, हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल), फल, बताशे, मिठाईयां, पूजा में बैठने हेतु आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रूई, आरती की थाली कुशा, रक्त चंदनद, श्रीखंड चंदन को पूजन सामग्री में शामिल करना चाहिए उसके बाद लक्ष्मी गणेश की पूजा आराधना करनी चाहिए.
दिवाली से पहले घर में लगा लें ये 5 पौधे, छप्पर फाड़कर बरसेगा धन, मां लक्ष्मी देंगी सुख-समृद्धि का आशीर्वाद
25 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में दिवाली को ‘दीपों की रोशनी’ का पर्व माना जाता है. हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर दीपावली मनाई जाती है. इस दिन पूरे देश को दीयों की रोशनी से रौशन करते हुए धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को पूजा जाता है. दीपोत्सव पर्व पर जहां बर्तन और सोना चांदी खरीदना शुभ माना जाता है तो वहीं, कुछ खास पौधों की भी विशेष खरीददारी हो रही है.
जी हां, दिवाली के मौके पर मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ कुछ ऐसे पौधे भी लगाने चाहिए, जिससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. आइए उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते हैं कि दिवाली के पहले किन पौधों को लगाने से मां लक्ष्मी ज्यादा प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि और धन धान्य का आशीर्वाद देती हैं.
जरूर लगाएं दिवाली के पहले ये 5 पौधे…
सफेद पलाश – जिन लोगों के परिवार में लम्बे समय से रोग बना हो उसे इस प्लांट को जरूर लगाना चाहिए. इस पौधे को माता लक्ष्मी का पौधा भी कहा जाता है. माना जाता है कि पलाश के फूल माता लक्ष्मी पर चढ़ाने से मां खुश होती हैं. इस पौधे को घर में लगाने से धनवर्षा होने लगती है. इससे परिवार के लोगों की सेहत में भी सुधार आता है.
क्रसुला प्लांट – इस पौधे को जेट प्लांट भी कहते हैं. इसे लगाने से घर में धन का आगमन होता है और धन की देवी मां लक्ष्मी हैं. इस कारण से क्रसुला के पौधे को मां लक्ष्मी से जुड़ा माना जाता है. क्रसुला का पौधा धन को आकर्षित भी करता है. यह पौधा घर में धन आगमन के साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी संचार करता है.
मनी प्लांट– आज के समय में हर किसी के घर में पौधे दिख जाते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा देखे जाने वाला पौधा मनी प्लांट होता है. मनी प्लांट लगाने से घर में खुशहाली आती है और धन समृद्धि आती है. मनी प्लांट घर की हवा को शुद्ध करने का काम करता है. जहां यह पौधा होता है वहां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में प्रवेश करती है.
स्नेक प्लांट – घर के मेन गेट पर यह पौधा रखना शुभ माना जाता है. इसे मेन गेट पर रखने से यह बुरी ऊर्जा से बचाता है, धन को आकर्षित करता है और नकारात्मक ऊर्जा को बाहर ही रहने देता है. अगर बिजनेस में तरक्की और काम में सफलता चाहते हैं तो इसे ऑफिस में भी रखा जा सकता है. इससे नौकरी या बिजनेस में तरक्की होती है और सफलता प्राप्त होती है.
तुलसी पौधा – यह एक ऐसा पौधा है जो आसानी से सभी के घरों में मिल जाता है. यह भगवान विष्णु को तुलसी सबसे प्रिय है, इसे मां लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा हरा-भरा होता है, उस घर के लोग सदैव सुखी रहते हैं. माता लक्ष्मी भी ऐसे घरों में वास करती हैं. मां लक्ष्मी की कृपा आपके घर पर बनी रहे, इसलिए दिवाली के पहले तुलसी का पौधा जरूर लगाना चाहिए.