धर्म एवं ज्योतिष
इस प्रकार करें मां लक्ष्मी को खुश
31 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने से ही हमें सभी सुख और वैभव मिलते हैं। दिपावली के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे बेहतर योग होता है। इस समय किये गये इन उपायों से आप मां लक्ष्मी को खुश कर सकते हैं। इससे आप जीवन में धन समृद्धि के साथ ही सभी सुख पा सकते हैं।
.दीपावली पांच दिन का पर्व होता है तो इन पांचों दिन कम से कम एक दीप जरूर जलांए। इसके साथ ही लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पहले एक मुठ्ठी चावल रखें फिर उसके उपर दीपक रखें इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा होगी।
दीपावली के दिन सुबह पूजा के समय पीतल या तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर कर,उस मेंथोड़ी हल्दी डाल कर पूजा में रखें। पूजा के बाद इस जल को पूरे घर में झिड़क दें। इस तरह मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेंगी।
दीपावली की रात को पूजा करने के बाद सभी कमरों में शंख बजाना चाहिए इस से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दीपीवली के दिन आप अपनी पत्नी अथवा मां को लाल वस्त्र उपहार में दें मां और पत्नी को पूरा सम्मान दें क्योंकि मां लक्ष्मी भी वहीं कृपा बरसाती हैं जहां घर की लक्ष्मी का सम्मान होता है।दीपावली की रात को कपूर जला कर उसमें शुद्ध रोली डाल दें। फिर उस राख की पुडिया बना कर किसी लाल रूमाल में बांध रख लें। इससे प्रक्रिया को करने से व्यापार में समृद्धि होती है।
मां लक्ष्मी ने गौरीपुत्र गणेश को प्रथम पूज्य होने का वर देते हुए यह आशीर्वाद दिया था कि उनकी उपासना से मनुष्य पर लक्ष्मी कृपा भी हमेशा बनी रहेगी। ऐसे में दिवाली पूजन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। मां का आशीर्वाद सदैव बनाएं रखने के लिए आप भगवान गणेश का पूजन उनको प्रिय मंत्रों से करें।
भगवान गणेश की विधिवत पूजा के मंत्र हैं।
श्री गणेश बीज मंत्र:
ॐ गं गणपतये नमः॥
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर अर्पण करना चाहिए।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
इस मंत्र का जाप करते हुए गौरीपुत्र गणेश को अक्षत(चावल) चढ़ाएं।
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः॥
इस मंत्र का जाप करते हुए श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाएं:
त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव॥
गणपति पूजा में इस मंत्र से भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए:
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर॥
पुष्प समर्पित करने के लिए यह गणेश मंत्र:
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां॥
गणेश जी को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करें:
यह गणेश वंदना मंत्र है:
वन्दरहुं विनायक, विधि-विधायक, ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकम्।
गजकर्ण, लम्बोदर, गजानन, वक्रतुण्ड, सुनायकम्॥
श्री एकदन्त, विकट, उमासुत, भालचन्द्र भजामिहम।
विघ्नेश, सुख-लाभेश, गणपति, श्री गणेश नमामिहम॥
गणेश पूजा के बाद इस मंत्र से भगवान को प्रणाम करना चाहिए:
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,
लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
किसी भी कार्य के शुरू में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा॥
कुंडली दोष इस प्रकार होंगे दूर
31 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आपकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष है तो शुक्रवार को किए गए कुछ उपाय दोष से उन दोषों को दूर कर सकते हैं। कुंडली में शुक्र अशुभ हो, तो वैवाहिक जीवन में सुख नहीं मिल पाता है। यहां जानिए कुछ ऐसे उपाय जो शुक्रवार को करना चाहिए, जिनसे लक्ष्मी कृपा मिल सकती है और शुक्र के दोष भी दूर हो सकते हैं।
भगवान विष्णु के मंत्र का 108 बार जप करें।मंत्र: ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि। यदि आप चाहे तो भगवान विष्णु के नामों का जप भी कर सकते है।
शुक्र ग्रह के लिए हीरा, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा, दही, सफेद चंदन आदि चीजों का दान भी किया जा सकता है। किसी गरीब व्यक्ति को या किसी मंदिर में दूध का दान करें।
शुक्रवार को किसी विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें। सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी इस उपाय से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाए। साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें। मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
गायत्री मंत्र का करें पाठ
31 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंत्र का उच्चाारण करने से व्याक्ति के जीवन में खुशियों का संचार होता है। इस मंत्र का जाप करने से शरीर निरोग बनता है और इंसान को यश, प्रसिद्धि और धन की प्राप्ति भी होती है। हिन्दू धर्म में गायत्री मंत्र को विशेष मान्यता प्राप्त है। कई शोधों द्वारा यह भी प्रमाणित किया गया है कि गायत्री मंत्र के जाप से कई फायदे भी होते हैं जैसे : मानसिक शांति, चेहरे पर चमक, खुशी की प्राप्ति, चेहरे में चमक, इन्द्रियां बेहतर होती हैं, गुस्सा कम आता है और बुद्धि तेज होती है।
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र का अर्थ
भगवान सूर्य की स्तुति में गाए जाने वाले इस मंत्र का अर्थ निम्न है... उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे1
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या
गायत्री मंत्र के पहले नौ शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं...
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी,
प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
कब करें गायत्री मंत्र का जाप
यूं तो इस बेहद सरल मंत्र को कभी भी पढ़ा जा सकता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका दिन में तीन बार जप करना चाहिए।
प्रात:काल सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के पश्चात तक।
फिर दोबारा दोपहर को।
फिर शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले जप शुरू करना चाहिए।
गायत्री मंत्र के फायदे
दीपावली की सुबह करें खास विधि से पूजन
31 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिवाली पर मान्यता है कि मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं। इस मौके पर आप कुछ खास विधि से पूजन करेंगे तो मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन संपदा देगी। सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को नमन कर सफेद वस्त्र धारण करें और मां लक्ष्मी के श्री स्वरूप व चित्र के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें एवं कमल फूल चढ़ाएं। लक्ष्मी पूजन कर 11 कौड़ियां चढ़ाएं। अगले दिन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखें इससे धन वृद्धि होती है। लक्ष्मी का पूजन कर उन्हें मालपूए या गुलाबजामुन का भोग लगाकर उसे गरीबों में बांटने से चढ़ा हुआ कर्जा उतर जाता है।
साफ-स्वच्छ कपड़े पहनना और उन्हें करीने से संभाल कर रखने से घर में सकारात्मकता का संचार होता है और देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहती है। घर में साफ-सफाई और रोशनी का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इससे लक्ष्मी आकर्षित होती हैं। इसके विपरित जाले, गंदगी और धूल-मिट्टी फैली हो तो धन की कमी होती है।
हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य द्वार पर ‘श्रीं’ लिखने से लक्ष्मी प्रसन्न होकर धन देती हैं।
गाय के दूध से श्रीयंत्र का अभिषेक करने के बाद, अभिषेक का जल पूरे घर में छिड़क दें और घर में जहां आपका धन पड़ा हो वहां श्रीयंत्र को कमलगट्टे के साथ धन स्थान पर रख दें। इससे धन लाभ होने लगेगा। शंख में वास्तुदोष दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है। जहां नियमित शंख का घोष होता है और सुबह और शाम दोनों समय होता है, वहां के आसपास की हवा भी शुद्ध और सकारात्मक हो जाती है और घर की कलह खत्म होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है। जो लोग अपने जीवन व वास्तु में बदलाव चाहते हैं तो रोजाना सुबह-शाम शंख का घोष अवश्य ही करें।
भगवान गणेश का करें पूजन
मां लक्ष्मी ने गौरीपुत्र गणेश को प्रथम पूज्य होने का वर देते हुए यह आशीर्वाद दिया था कि उनकी उपासना से मनुष्य पर लक्ष्मी कृपा भी हमेशा बनी रहेगी। ऐसे में दिवाली पूजन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। मां का आशीर्वाद सदैव बनाएं रखने के लिए आप भगवान गणेश का पूजन उनको प्रिय मंत्रों से करें।
भगवान गणेश की विधिवत पूजा के मंत्र हैं।
श्री गणेश बीज मंत्र:
ॐ गं गणपतये नमः॥
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर अर्पण करना चाहिए।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
इस मंत्र का जाप करते हुए गौरीपुत्र गणेश को अक्षत(चावल) चढ़ाएं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
31 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक अवश्य होंगे, सुख के साधन बने किन्तु गुप्त चिन्ता बनी रहेगी।
वृष राशि :- अधिक भावुकता से हानि होने का भय, कार्य-व्यवसाय में सतर्कता अवश्य रखें।
मिथुन राशि :- लाभांवित योजना बनेगी, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, रुके कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- योजना फलीभूत होंगी, तनाव व बेचैनी बने, रुके कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
सिंह राशि :- चिन्ताएं कम होंगी, लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- कार्य योजना में बाधायें, मन उद्विघ्न रखें तथा विभ्रम होने से बचने का प्रयास करें।
तुला राशि :- किसी से धोखा व विवादग्रस्त होने की सम्भावना है, समय का ध्यान अवश्य रखें।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति में बाधा होते हुए भी कुछ सफलता मिलेगी, धैर्य से कार्य कर लेवें।
धनु राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव व मित्र की उपेक्षा से तनाव, अशांति तथा कार्यबाधा होगी।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल बनी ही रहेगी।
कुम्भ राशि :- कार्य विफलत्व, प्रयत्न करने पर भी सफलता दिखायी न देवे, अवरोध होगा।
मीन राशि :- तनाव कुछ कम हो, उद्विघ्नता बनी ही रहेगी, सतर्कता से रुके कार्य निपटा लेवें।
उज्जैन में मौजूद है कुबेर देव जी की 1100 साल पुरानी प्रतिमा, धनतेरस पर नाभि में घी डालने का है विशेष महत्व
30 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन, धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं से भरा पवित्र शहर है, जहां कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण मंदिर हैं. इन्हीं में से एक है कुंडेश्वर महादेव मंदिर, जहां 1100 साल पुरानी कुबेर देव की अनोखी प्रतिमा विराजमान है. उज्जैन में स्थित यह मंदिर विशेष रूप से धनतेरस के अवसर पर श्रद्धालुओं का प्रमुख आकर्षण बनता है. यहां कुबेर जी की नाभि पर घी और इत्र का लेप लगाने की परंपरा है, जो भक्तों के जीवन में धन-धान्य और समृद्धि का वास लाने में सहायक मानी जाती है.
कुबेर देव की अनोखी प्रतिमा और महिमा
कुंडेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित कुबेर जी की प्रतिमा को 1100 साल पुरानी बताया जाता है. इस प्रतिमा को मध्यकालीन शिल्पकारों द्वारा निर्मित माना जाता है, जोकि शंगु काल के उच्चकोटि के शिल्पकारों द्वारा निर्मित है. कुबेर जी की यह प्रतिमा बैठी मुद्रा में है, जो उन्हें धन के रक्षक और समृद्धि के देवता के रूप में प्रतिष्ठित करती है. प्रतिमा का आकर्षण इसकी तीखी नाक, उभरी हुई तोंद और अलंकारों से सुसज्जित स्वरूप में है, जो इसे अद्वितीय बनाता है.
घी और इत्र से कुबेर की नाभी पर लगाने की परंपरा
कुबेर जी की पूजा की अनोखी विशेषता यह है कि उनकी नाभि पर शुद्ध घी और इत्र का लेप किया जाता है. सांदीपनि आश्रम के पुजारी पंडित शिवांस व्यास बताते हैं कि कुबेर जी की पूजा में उनके उभरे हुए पेट (तोंद) पर घी मलने से विशेष लाभ होते हैं. यह माना जाता है कि धनतेरस के दिन कुबेर की नाभि पर इत्र और घी का लेप करने से माता लक्ष्मी का वास होता है, और भक्तों के जीवन में समृद्धि आती है. इस पूजा के बाद कुबेर जी को मिठाई का भोग लगाया जाता है, जिससे वे प्रसन्न होकर भक्तों की हर धन-संबंधी मनोकामना पूर्ण करते हैं.
श्रीकृष्ण से जुड़ी मान्यता
धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, कुबेर जी की यह प्रतिमा श्रीकृष्ण के समय की है. ऐसा माना जाता है कि जब भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम और मित्र सुदामा के साथ सांदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे, तब यह प्रतिमा उन्हें आश्रम में मिली थी. जब श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली और घर लौटने का समय आया, तब भगवान नारायण के सेवक कुबेर धन लेकर आश्रम में आए थे. किंतु गुरु सांदीपनि ने वह धन स्वीकार नहीं किया, और श्रीकृष्ण को गुरुदक्षिणा में अपने बेटे को वापस लाने का कहा. तब श्रीकृष्ण ने गुरु माता के बेटे को जीवनदान दिया और कुबेर जी से खजाना लेकर द्वारका नगरी का निर्माण किया.
धनतेरस पर कुबेर के दर्शन का विशेष महत्व
हर वर्ष धनतेरस के अवसर पर कुंडेश्वर महादेव मंदिर में कुबेर जी के दर्शन के लिए सैकड़ों श्रद्धालु उमड़ते हैं. इस दिन कुबेर जी की विशेष पूजा होती है, और भक्त उनकी प्रतिमा पर घी और इत्र लगाकर अपनी आर्थिक उन्नति की कामना करते हैं. देश-विदेश से आए श्रद्धालु कुबेर देव की पूजा-अर्चना करते हैं और धन-संपदा के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
श्री यंत्र से जुड़ी विशेषता
कुंडेश्वर महादेव मंदिर के गुंबद में बने श्री यंत्र का भी खास महत्व है, जो कि कुबेर देव और भगवान श्रीकृष्ण की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह यंत्र शुभता और धन के स्थायित्व का प्रतीक है, जिससे कुबेर जी के दर्शन से समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
गजलक्ष्मी मंदिर का प्रसाद खाने से होती है धन वर्षा, अनोखी है नोटों से सजे इस मंदिर की मान्यता
30 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश का पवित्र शहर उज्जैन देवी-देवताओं की उपासना के लिए जाना जाता है. यहां स्थित गजलक्ष्मी मंदिर में दीप पर्व के समय भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. गजलक्ष्मी, जोकि देवी लक्ष्मी के आठ रूपों में से एक हैं, की महिमा का यह मंदिर अपनी अद्वितीयता और धार्मिक आस्था के कारण श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है. उज्जैन के सराफा बाजार के मध्य में स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर करीब 2,000 वर्ष पुराना माना जाता है, जिसका वर्णन स्कंद पुराण में भी मिलता है.
विशेष दिन पर बरकत का प्रसाद
गजलक्ष्मी मंदिर में बरकत का प्रसाद सिर्फ एक दिन, धनतेरस के अवसर पर बंटता है. यह प्रसाद साल भर में एक बार ही भक्तों को प्राप्त होता है. मंदिर के पुजारी पंडित अवधेश शर्मा बताते हैं कि इस प्रसाद में पीले चावल और कौड़ी होती हैं, जिन्हें भक्त पूरे साल माता के चरणों में अर्पण करते हैं. इसके बाद धनतेरस के दिन यह प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. इस प्रसाद को अपने घर ले जाने से घर में मां लक्ष्मी का वास बना रहता है और धन, सुख-संपत्ति की वृद्धि होती है. दूर-दूर से लोग यहां इस खास प्रसाद को लेने आते हैं, क्योंकि यह माना जाता है कि यह प्रसाद घर में समृद्धि और खुशहाली लाता है.
सुहाग पड़वा पर सिंदूर प्रसाद
धनतेरस से लेकर दिवाली तक गजलक्ष्मी मंदिर में पांच दिवसीय उत्सव मनाया जाता है. आखिरी दिन यानी सुहाग पड़वा पर विशेष प्रकार का सिंदूर प्रसाद भक्तों में बांटा जाता है. यह सिंदूर माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे घर में रखने से वहां मां लक्ष्मी का वास स्थायी रूप से रहता है. वैभव जाटवा, जो पिछले 15 वर्षों से मंदिर के नियमित भक्त हैं, बताते हैं कि इस दिन यहां लंबी कतारें देखी जाती हैं. भक्त मानते हैं कि इस मंदिर में मां गजलक्ष्मी की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
नोटों की विशेष सजावट
गजलक्ष्मी मंदिर का एक और विशेष आकर्षण है, यहां का नोटों से किया गया श्रंगार. पिछले तीन वर्षों से इस मंदिर को दीवाली पर विशेष रूप से सजाया जाता है, जिसमें लाखों रुपए के नोटों का इस्तेमाल होता है. इस बार भी मंदिर को 20, 50, 100 और 200 के नोटों से सजाया जा रहा है. अभी तक करीब 2 लाख 51 हजार रुपए के नोटों का श्रंगार किया जा चुका है. दीपावली के समय मंदिर में माता गजलक्ष्मी को सोने के आभूषणों से सजाया जाता है, और इस दौरान 56 भोग अर्पित कर महाआरती की जाती है.
दिवाली के आयोजन और विशेष महाआरती
दीपावली के दिन गजलक्ष्मी मंदिर में विशेष महाआरती और पूजा का आयोजन होता है. इस दिन माता का अभिषेक 2100 लीटर दूध से किया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है. भक्त इसे अपने घर ले जाकर मिठाई के रूप में ग्रहण करते हैं. दोपहर 12 बजे महाआरती होती है, जिसमें दूर-दूर से भक्त शामिल होते हैं. दीपावली के दिन माता को महारानी रूप में दर्शन देने की मान्यता है, जिसके कारण मंदिर को लाखों के नोटों और सोने के आभूषणों से सजाया जाता है.
धार्मिक आस्था और अनोखी परंपरा
गजलक्ष्मी मंदिर में साल में एक बार बंटने वाले बरकत के प्रसाद की यह परंपरा और दिवाली के आयोजन उज्जैन की धार्मिक परंपरा को दर्शाते हैं. माता गजलक्ष्मी, जिन्हें राजा विक्रमादित्य की राजलक्ष्मी भी कहा जाता है, की आराधना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. इस मंदिर की महिमा और इसकी पवित्रता के कारण यहां देशभर से श्रद्धालु आते हैं. दीपावली के समय विशेष पूजा और सजावट से मंदिर की शोभा में चार चांद लग जाते हैं, और यहां का बरकत प्रसाद लेने से घर में लक्ष्मी का स्थायी निवास होता है.
पितृ दोष से पाना चाहते हैं मुक्ति, दीपावली के दिन करें ये टोटका, घर में बढ़ेगी सुख-समृद्धि
30 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दीपावली की शुरुआत धनतेरस के साथ हो गई है. दो दिनों के बाद दीपावली का त्योहार पूरे देश में खुशियों के साथ मनाया जाएगा. दीपावली के दिन लोग अपने-अपने घरों में दीप जलाते हैं और एक दूसरे को मिठाई भी बांटते हैं. दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा तो की ही जाती है, साथ ही यह दिन पितरों के लिए भी विशेष होता है, क्योंकि दीपावली अमावस्या तिथि पर मनाई जाती है, जो पितरों को समर्पित होती है. पितृ दोष से पीड़ित लोग दीपावली पर कुछ उपाय करके इससे मुक्ति पा सकते हैं.
हर साल दीपावली का त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष 31 अक्टूबर को प्रदोष युक्त अमावस्या है, जिस दिन दीपावली मनाई जाएगी. दीपावली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से उनकी कृपा तो मिलती ही है, साथ ही कुछ विशेष कार्य करके पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि यह तिथि पितरों को समर्पित मानी जाती है.
दीपावली के दिन क्या करें
पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या की रात पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का चौमुखा दीया जलाएं. यह दीया पितृ, पितामह, और पर-पितामह के नाम से जलाना चाहिए. इसके साथ ही पितरों के नाम से अन्न, वस्त्र, और जल का दान अवश्य करें, जिससे पितर प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने के बाद पितृसूक्त का पाठ भी अवश्य करें. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितर प्रसन्न होते हैं.
धनवंतरी पूजन से महापर्व का आगाज
30 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धनतेरस पर बाजार रहे गुलजार
कार्तिक कृष्णपक्ष त्रियोदशी को भगवान धनवंतरी के पूजन अर्चन के साथ 6 दिवसीय महापर्व का मंगलवार को अगाज हो गया। समुद्र मंथन में निकलें रत्नों में एक धनवंतरी को आयुर्वेद का जनक माना जाता हैं, इन्हें स्वास्थ्य का देवता भी कहा जाता हैं। वहीं शाम को धन के देवता कुबेर का पूजन कर उनसे सुख समृद्धि की कामना की गई।
पांच पर्वों के मेल से बने दीपोत्सव का पहला दिन खरीदी के नाम रहा। आज के दिन लोगों ने सोना चांदी के साथ विभिन्न घरेलू सामग्री की खरीददारी की। ऐसी मान्यता है कि धन त्रियोदशी को स्वर्णाभूषण तांबा, पीतल के बर्तन खरीदना शुभ होता है। धातु खरीदने से धन देवता कुबेर प्रसन्न होते हैं और वर्ष भर सुख समृद्धि बनी रहती है। सुबह से ही शहर के बाजारों में महिलाओं, पुरुषों की अच्छी खासी भीड़ देखी गई। बर्तन, सराफा, पटाखों, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां, लाई बताशा की दुकानों के साथ ही इलेक्ट्रानिक आइटम, व्हीकल्स शो रुम में काफी भीड़ देखी गई। खरीददारी का यह क्रम देर रात तक चलता रहा। हर किसी ने कुछ न कुछ खरीदकर सुख समृद्धि बनाए रखने की कामना धन देवता से की।
नरक चतुर्दशी आज........
इस साल दो अमावस्या की वजह से पांच दिवसीय पर्व सत्र 6 दिन का हो गया। आज बुधवार को नरक चतुर्दशी का त्यौहार मनाया जाएगा। इसे रुप चौदस भी कहा जाता हैं। ज्योतिषाचार्य पं.पीएल गौतमाचार्य के अनुसार इस दिन कृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का संहार कर सोलह हजार राज कन्याओं को उसकी कैद से मुक्त कराकर उनसे विवाह रचाया था। उस महादैत्य ने मरते समय भगवान से वरदान मांगा कि उसकी मृत्यु का दिन सर्वत्र खाने-पीने के रुप में मनाया जाए। वस्तुत: छोटी दीवाली या रुप चौदस भी इसी आयुर्वेद की महत्ता का परिचायक है।
हनुमान उत्सव का पर्व चौदस.........
शास्त्रों में उल्लेख है कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की अर्धरात्रि में देवी अंजनि के उदर से हनुमान जन्में थे। देश के कई स्थानों में इस दिन हनुमान जन्मोत्सव के रुप में भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दिन वाल्मीकि रामायण, सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ कर चूरमा, केला व अमरुद आदि फलों का प्रसाद वितरित किया जाता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
30 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय में विडम्बनापूर्ण योजनाएं फलीभूत हों, परंतु लाभ से आप वंचित रहेंगे।
वृष राशि :- व्यवसायिक तनाव तथा विवाद से कष्ट होगा, मानसिक अशांति, कष्टप्रद होगी।
मिथुन राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित हों, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा एवं धन का लाभ तथा उच्च कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- विरोधियों के तनाव से बचें तथा झूठे आश्वासन अवश्य प्राप्त होंगे, ध्यान अवश्य रखें।
कन्या राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विरोध होगा, कार्य स्थगित रखें, व्यर्थ यात्रा से हानि होगी।
तुला राशि :- मानसिक क्लेश व अशांति व आरोप, मनोवृत्ति संवेदनशील बनी रहे, रुके कार्य बना लें।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब में क्लेश व अशांति विभ्रम व असमंजस की स्थिति अवश्य ही होगी।
धनु राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, कल्याणकारी योजना अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- पुरानी योजना अवश्य ही फलप्रद होगी, समय की अनुकूलता का लाभ लेवें।
कुम्भ राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन जुटायें, तनाव, क्लेश व अशांति के वातावरण से बचेंगे।
मीन राशि :- अधिकारियों का समर्थन मिले, कार्य-व्यवसाय गति अवश्य ही बन जायेगी।
संतान प्राप्ति वाली चमत्कारी जगह! राधा रानी ने थी बनवाई, आज भी यहां स्नान करने के लिए लगती है भीड़
29 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कृष्ण की प्राण प्यारी राधा रानी की लीलाएं ब्रज में भी आपको देखने को मिलेंगीं. जहां कृष्ण हैं, वहीं राधा हैं, और जहां राधा हैं, वहीं कृष्ण हैं. गोवर्धन के पास एक गांव में ऐसा कुंड है, जहां राधा रानी ने अपने कंगन से कुंड का निर्माण कराया था. परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है. इसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है.
मथुरा के राधा कुंड की कहानी
राधा कुंड के सेवायत पुजारी मुकेश पंडित ने लोकल18 को जानकारी देते हुए बताया कि भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन गिरधारी की परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड पड़ता है, जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है. इस कुंड के बारे में मान्यता है कि नि:संतान दंपत्ति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को यहां दंपत्ति एक साथ स्नान करते हैं, तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है.
राधा रानी ने कंगन से खोदा था कुंड
नारद जी के कहने पर ही श्री कृष्ण ने यह कुंड अपनी बांसुरी से खोदा था और सभी तीर्थों से उस कुंड में आने की प्रार्थना की जिसके बाद सभी तीर्थ उस कुंड में आ गए. इसके बाद श्री कृष्ण के कुंड को देखकर राधा जी ने भी अपने कंगन से एक कुंड खोदा. जब श्री कृष्ण ने उस कुंड को देखा तो उसमें प्रतिदिन स्नान करने और उनके द्वारा बनाए गए, कुंड से भी अधिक प्रसिद्ध होने का वरदान दिया. जिसके बाद यह कुंड राधा कुंड के नाम से प्रसिद्ध हो गया. इस कुंड की अपनी एक अलग मान्यता भी है. इस प्रथा से जुड़ी एक कथा का पुराणों में भी वर्णन मिलता है. जिस समय कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था.
कृष्ण के गौहत्या से भी जुड़ी है मान्यता
उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप लेकर श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया और उन्हें मारने के लिए आया. भगवान श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पहचान लिया. इसके बाद श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पकड़कर जमीन पर फेंक दिया और उसका वध कर दिया. यह देखकर राधा जी ने श्री कृष्ण से कहा कि उन्हें गौ हत्या का पाप लग गया है. इस पाप से मुक्ति के लिए उन्हें सभी तीर्थों के दर्शन करने चाहिए.
श्री कृष्ण के कुंड की कहानी
राधा जी की बात सुनकर श्री कृष्ण ने नारद जी से इस समस्या के समाधान के लिए उपाय मांगा. देवर्षि नारद ने उन्हें उपाय बताया कि सभी तीर्थों का आह्वान करके उन्हें जल रूप में बुलाएं और उन सभी तीर्थों के जल को एक साथ मिलाकर स्नान किया. जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी. वहीं, श्री कृष्ण ने एक कुंड में सभी तीर्थों के जल को आमंत्रित किया और कुंड में स्नान करके पाप मुक्त हो गए. इस कुंड को कृष्ण कुंड कहा जाता है, जिसमें स्नान करके श्री कृष्ण गौ हत्या के पाप से मुक्त हुए थे. माना जाता है कि इस कुंड का निर्माण श्री कृष्ण ने अपनी बांसुरी से किया था.
धनतेरस पर सोना-चांदी छोड़िए, बस 10 रुपये की ये चीज खरीदने से भी प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी
29 Oct, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धन त्रयोदशी यानी धनतेरस दिवाली से पहले मनाई जाती है. इस दिन सोना, चांदी, आभूषण और महंगे सामान खरीदने की परंपरा है. लोगों का गहरा विश्वास है कि अगर घर में नई चीज़ें लाई जाती हैं तो देवी लक्ष्मी के घर में समृद्धि आती है. धन त्रयोदशी पर सोने की खरीदारी अधिक होती है. सिद्धांती शर्मा लक्ष्मी नरसिम्हा चारी कहते हैं कि जो लोग सोना नहीं खरीद सकते, वे नमक या गुड़ खरीद सकते हैं.
नमक और गुड़ खरीदने का महत्व
नमक और गुड़ को असली अम्मावारु (माता) के प्रतीक के रूप में माना जाता है. इसलिए जो लोग धन त्रयोदशी के दिन सोना नहीं खरीद सकते, उनके लिए इसे खरीदना ही पर्याप्त माना जाता है. हिंदू पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी प्रकट हुए थे. भगवान धन्वंतरि अपने हाथ में एक अमृत कलश लेकर आए थे. सभी देवताओं ने स्वास्थ्य और समृद्धि के प्रतीक के रूप में अमृत का यह कलश लाने वाले धन्वंतरि की पूजा की थी.
धन त्रयोदशी पर धन्वंतरि पूजा का महत्त्व
इसलिए धन त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. नए वस्त्र, विशेषकर नई साड़ी पहननी चाहिए. पूजा मन्दिर में धन लक्ष्मी या पारा लक्ष्मी देवी की मूर्ति स्थापित करें. घर के सोने-चांदी के आभूषणों को दूध से धोकर पानी से साफ करें. इन्हें धन लक्ष्मी की पूजा में रखा जाना चाहिए.
पूजा विधि और विशेष सामग्रियाँ
देवी लक्ष्मी को आरती देते समय आभूषण भी समर्पित किए जाने चाहिए. इसके बाद हल्दी, केसर, फूल, फल, एक छोटी जैकेट का टुकड़ा, थोड़ा गुड़ और पोंगली तम्बूलम में वायनम के साथ रखना चाहिए. घर की महिलाएं अगर पूजा के बाद यह कार्य करें तो धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. पुरोहित कहते हैं कि धन त्रयोदशी के दिन विशेष अनुष्ठान करने से देवी लक्ष्मी की संपूर्ण कृपा प्राप्त होती है.
त्रिपुष्कर योग में धनतेरस, लक्ष्मी-कुबेर पूजा से बनेंगे धनवान! देखें मुहूर्त, राहुकाल, दिशाशूल
29 Oct, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार त्रिपुष्कर योग में धनतेरस है. उस दिन धन्वंतरि जयंती, भौम प्रदोष और मंगलवार व्रत भी है. इस दिन कार्तिक कृष्ण द्वादशी तिथि, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, इन्द्र योग, तैतिल करण, उत्तर का दिशाशूल और कन्या राशि में चंद्रमा है. धनतेरस के लिए त्रयोदशी तिथि सुबह 10:31 बजे से शुरू होगी. धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाएगी, जिसका मुहूर्त मंगलवार को प्राप्त हो रहा है. धनतेरस पर लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा का मुहूर्त शाम 6:31 बजे से शुरू है. धनतेरस की शाम पूजा करने से धन, संपत्ति, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है. धनतेरस पर लोग शुभता के लिए सोना, चांदी, झाड़ू, धनिया, नमक आदि खरीदते हैं. लोक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से घर की बरकत होती है. धनतेरस पर सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त सुबह 10:31 बजे से है. इसके बाद से आप पूरे दिन खरीदारी कर सकते हैं. धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बना है, जिसमें किए गए शुभ कार्यों के तीन गुना फल प्राप्त होते हैं.
धनतेरस के दिन धन्वंतरि जयंती मनाते हैं. शाम के समय में देवताओं के वैद्य धन्वंतरि की पूजा करते हैं. इनकी उत्पत्ति सागर मंथन के समय हुई थी. ये हाथ में कलश लेकर प्रकट हुए थे. धनतेरस पर धन्वंतरि की पूजा करने से व्यक्ति निरोगी रहता है, उसे कोई रोग नहीं होता है. धनतेरस को धनत्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं. धनतेरस को भौम प्रदोष व्रत भी है क्योंकि त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखते हैं. इसमें शिव जी की पूजा शाम के समय करते हैं. भौम प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 5:38 बजे से है. प्रदोष व्रत और पूजा से कष्ट मिटते हैं और शिव कृपा से मनोकामनाएं पूरी होती हैं
धनतेरस पर मंगलवार व्रत भी है, जो वीर हनुमान जी के लिए समर्पित है. हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली का मंगल दोष दूर होता है. मंगल के शुभ प्रभाव के लिए आपको मंगलवार व्रत के साथ हनुमान जी की पूजा करनी होगी. मंगल के बीज मंत्र का जाप कर सकते हैं. पंचांग से जानते हैं धनतेरस के मुहूर्त, शुभ योग, सूर्योदय, चंद्रोदय, दिशाशूल, राहुकाल आदि.
आज का पंचांग, 29 अक्टूबर 2024
आज की तिथि- द्वादशी – 10:31 ए एम तक, उसके बाद त्रयोदशी
आज का नक्षत्र- उत्तराफाल्गुनी – 06:34 पी एम तक, फिर हस्त
आज का करण- तैतिल – 10:31 ए एम तक, गर – 11:53 पी एम तक, उसके बाद वणिज
आज का योग- इन्द्र – 07:48 ए एम तक, फिर वैधृति
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- मंगलवार
चंद्र राशि- कन्या
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:31 ए एम
सूर्यास्त- 05:38 पी एम
चन्द्रोदय- 04:27 ए एम, 30 अक्टूबर
चन्द्रास्त- 03:57 पी एम
धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त और योग
धनतेरस पूजा मुहूर्त: शाम 6:31 बजे से रात 8:13 बजे तक
धनतेरस पर सोना खरीदने का मुहूर्त: सुबह 10:31 बजे से 30 अक्टूबर को सुबह 6:32 बजे तक
त्रिपुष्कर योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 10:31 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 04:48 ए एम से 05:40 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
भौम प्रदोष 2024 पूजा मुहूर्त
शाम 5:38 बजे से रात 8:13 बजे तक
अशुभ समय
राहुकाल- 02:51 पी एम से 04:15 पी एम
गुलिक काल- 12:05 पी एम से 01:28 पी एम
दिशाशूल- उत्तर
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
नन्दी पर – 10:31 ए एम तक, फिर उसके बाद भोजन में.
दिवाली की शाम में दीपक से करें ये 7 उपाय...दूर हो जाएगी गरीबी! अयोध्या के ज्योतिषी से जानें सब
29 Oct, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में दीपावली का पर्व बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार यह पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के अमावस्या तिथि को मनाया जाता है जहां तक बात है दीपावली तो दीपक के बिना दिवाली की कल्पना भी नहीं की जा सकती. धार्मिक मान्यता के अनुसार दिवाली का पर्व रावण को हराकर भगवान राम के अयोध्या लौटने पर मनाया गया था. उस दिन कार्तिक मास की अमावस्या थी और अपने प्रभु श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में नगरवासियों ने घी के दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दीपावली में कुछ खास दीपक भी जलाए जाते हैं. कहा जाता है ऐसा करने से धन संपत्ति की भी बरसात होती है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि धन-संपत्ति को आकर्षित करने के लिए दीपावली पर दीपक जलाने का सही तरीका और नियम क्या है.
दरअसल अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कार्तिक अमावस्या की रात को दीपों का पर्व दीपावली मनाया जाता है जो इस वर्ष दो दिनों तक मनाए जाने की बात कही जा रही है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से घर में संपन्नता और सुख का वास होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुछ विशेष उपाय अपनाकर दीपावली पर धन वृद्धि और आर्थिक समृद्धि प्राप्त की जा सकती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के सामने एक दीपक घी का जलाना चाहिए. इसके अलावा चौमुखी दीपक भी जलाना चाहिए ऐसा करने से माता लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती है.
दीपावली की रात दक्षिण दिशा में भी दीपक जलाना चाहिए ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है साथ ही धन संपत्ति में भी बढ़ोतरी होती है.
अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं तो दीपावली के दिन घी का दीपक जलाना चाहिए.
यदि आप सफलता पाने में समस्या का सामना कर रहे हैं तो दीपावली के दिन मुख्य द्वार पर एक घी का दीपक जरूर जलाना चाहिए ऐसा करने से रुका हुआ कार्य पूरा होने लगता है.
इसके अलावा दिवाली के दिन अशोक के जड़ की पूजा करनी चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर में धन-संपत्ति अगर आप धन हानि से परेशान है तो फिर दिवाली के दिन पानी का नया घड़ा लाएं और उसमें पानी भरकर रसोई में रख दें ऐसा करने से घर में बरकत और खुशहाली आती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
29 Oct, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में विलम्ब, धन हानि, चिन्ता, असमर्थता का वातावरण क्लेशयुक्त होगा।
वृष राशि :- असमंजस-असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद रखे, सार्म्थय सुरक्षा समय की स्थिति से बनेगा।
मिथुन राशि :- योजनाएं फलीभूत हों, सफलता के साधन जुटायें तथा कार्य-दुर्घटना से बचेंगे।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, प्रयत्न से सफलता मिले, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- समृद्धि के साधन बनें, सतर्कता से रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कन्या राशि :- समृद्धि के साधन बनेंगे, सामाजिक तनाव व उद्विघ्नता तथा क्लेश से अशांति अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्वास्थ्य नरम रहे, असमर्थता के वातावरण से मानसिक उलझन बनी रहेगा।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब में क्लेश व अशांति, आरोप, विभ्रम, असमंजस का वातावरण बनेगा।
धनु राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, सफलता की कार्ययोजना बने, विशेष कार्य बन जायेंगे।
मकर राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्ता निवृत्ति तथा सफलता के साधन अवश्य ही जुटायें।
कुम्भ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक रहें, दैनिक कार्यगति में सुधार, इष्ट मित्र सहायक बने रहेंगे।
मीन राशि :- आर्थिक कार्ययोजना पूर्ण होगी, दुर्घटना के योग बनेंगे, समय कष्टप्रद, ध्यान रखें।