धर्म एवं ज्योतिष
ये ग्रह बनता है पुरुषों में यौन रोगों का कारण, ज्योतिष से जानें इसे ठीक करने का सही उपाय!
3 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल की दृष्टि कमजोर शुक्र पर हो तो यह स्थिति उस व्यक्ति को ब्लड शुगर की परेशानी दे सकती है. इससे शरीर कमजोर और यौन इच्छा में कमी हो सकती है. दांपत्य जीवन में सुख के लिए ज्योतिषीशास्त्र में शुक्र की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई है. शुक्र नीच का हो या अस्त होकर कुंडली के बारहवें, चौथे और सातवें घर में बैठा हो तो व्यक्ति को दांपत्य जीवन में परेशानी होती है. ऐसे लोग किन्हीं कारणों से यौन सुख में कमी महसूस करते हैं.
मानव शरीर और शुक्र : शुक्र का सबसे अधिक प्रभाव, आंखों, नाक,ठुड्डी, कान, गर्दन, लिंग और शुक्राणु पर माना जाता है. कुंडली के पहले घर का स्वामी ग्रह यानी लग्नेश अगर कुंडली में सातवें घर में बैठा हो और उस पर चौथे घर के स्वामी ग्रह की दृष्टि हो तो दांपत्य जीवन बहुत ही अच्छा रहता है. इन्हें भौतिक सुख भी खूब प्राप्त होता है.
संतान प्राप्ति में बाधा और ज्योतिष : व्यक्ति की कुंडली में सातवें घरा का स्वामी शुक्र हो और घर में शनि और राहु भी हों तो इन दोनों ग्रहों की दृष्टि के प्रभाव से ऐसे व्यक्ति में शुक्राणु की कमी होती है, जिससे संतान प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है.
ज्योतिष और एड्स रोग : व्यक्ति की जन्मकुंडली में आठवें घर में घर के स्वामी के साथ शुक्र, शनि, राहु और मंगल हों तो ऐसे व्यक्ति को एड्स होने की आशंका रहती है. इस तरह की ग्रह स्थिति में व्यक्ति को मर्यादित रहना चाहिए और सेहत के मामले में अधिक सजग होना चाहिए. ज्योतिष संभावनाओं को बताता है जिसे सावधानी से टाला भी जा सकता है.
ज्योतिष और यौन रोग : माना जाता है कि वृश्चिक राशि का प्रभाव व्यक्ति के गुप्तांग पर होता है. अगर व्यक्ति की कुंडली में वृश्चिक राशि दूसरे, छठे या आठवें घर में हो और इन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो ऐसे व्यक्ति को यौन रोग होने की आशंका रहती है.
रत्न भी हैं लाभकारी : शुक्र की खराब स्थिति के कारण यौन रोग और नि:संतानता की स्थिति से जूझ रहे व्यक्ति को फिरोजा रत्न धारण करना चाहिए. फिरोजा के अतिरिक्त हीरा, जर्कन और गोमेद भी धारण कर सकते हैं. लेकिन सबसे अधिक जरूरी है कि आप किसी भी रत्न को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी को अपनी कुंडली अवश्य दिखाएं .
विवाह से एक साल तक ना धारण करें हीरा रत्न : हीरा शुक्र का रत्न है जिसका प्रचलन आजकल विवाह में अधिक होने लगा है. लोग दुल्हन को सगाई में हीरे की अंगूठी पहनाने लगे हैं. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह ठीक नहीं है. इससे संतान प्राप्ति में बाधा आती है.
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सातवें घर का स्वामी शुक्र हो और उस घर में शनि और राहु भी हों, तो इन दोनों ग्रहों की वजह से शुक्राणुओं की कमी हो सकती है. इससे संतान प्राप्ति में दिक्कत हो सकती है.
शनि, राहु और केतु की बिगड़ती है दशा तो व्यक्ति के जीवन में आती है तबाही, जानें जीवन पर पड़ने वाले इनके प्रभाव के बारे में
3 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह बेहद परेशान हो जाता है. समस्याओं से घिरने पर वह कई प्रकार के उपाय करता है लेकिन उनसे निकल नहीं पाता है. ज्योतिष शास्त्र में इसे शनि, राहु और केतु के प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि, जब ये तीनों किसी व्यक्ति के सिर पर सवार होते हैं तो उसके जीवन में तबाही मचती है.
शनि के गोचर का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे क्रूर ग्रह माना गया है और कहा जाता है कि, शनि जब किसी व्यक्ति की जन्म राशि से तृतीय, षष्ठ, एकादश स्थान पर भ्रमण करते हैं, तो यह शुभ माना जाता है और जब तक शनि शुभ स्थानों पर रहते हैं तब तक व्यक्ति को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है. इनमें गाड़ी, बंगला, प्रॉपर्टी, संपत्ति आदि शामिल हैं.
वहीं यदि शनि का गोचर जन्म राशि से प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, अष्टम, नवम, दशम अथवा द्वादश, इन स्थानों में हो तो यह अशुभ परिणाम देता है. ऐसे समय में व्यक्ति को लगातार परेशानियों को सामना करना पड़ता है लेकिन, व्यक्ति के जीवन में कष्ट उस समय और बढ़ जाते हैं जब कुण्डली में चलने वाली दशा भी विपरीत हो.यहां जानने वाली बात यह कि, यदि व्यक्ति की जन्म कुण्डली में शुभ ग्रहों की महादशा, अन्तर्दशा चल रही हो तो शनि के अशुभ गोचर का प्रभाव भी तीव्र नहीं होता.
राहु-केतु के गोचर का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में केतु को पाप ग्रह माना जाता है. जबकि, राहु को अशुभ और छाया ग्रह की संज्ञा दी गई है. गोचर में राहु के प्रभाव को शनि और केतु के प्रभाव को मंगल की तरह बताया गया है. शनि गोचर में तृतीय, षष्ठ, एकादश स्थानों पर शुभ माना गया है और इस स्थिति में राहु भी व्यक्ति को शुभ फल प्रदान करता है. जबकि, राहु का गोचर जब शुभ स्थानों पर हो तो यह व्यक्ति को लाभांवित करने का काम भी करता है लेकिन, अशुभ स्थानों पर हो तो यह व्यक्ति की बुद्धि को हर लेता है और यह उसे परेशानियों में डाल देता है.
दीवाली पर माता लक्ष्मी का हुआ भव्य श्रृंगार, तीन दिन में पहनाया गया 15 लाख का पोशाक
3 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राजस्थान के उदयपुर स्थित ऐतिहासिक लक्ष्मी मंदिर में दीपावली के अवसर पर माता लक्ष्मी का भव्य श्रृंगार किया गया है. इस अवसर पर माता को पांच लाख की लागत से बनी सोने के वर्क की विशेष पोशाक धारण कराया गया. यह पोषाक श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है. मंदिर प्रशासन के अनुसार, इस अलौकिक श्रृंगार दर्शन के लिए पूरे संभाग से सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचे और माता का आशीर्वाद प्राप्त किया.
माता लक्ष्मी का हुआ भव्य श्रृंगार
लगभग 450 वर्ष पुराने इस मंदिर का निर्माण महाराणा जगत सिंह के समय में जगदीश मंदिर की स्थापना के साथ हुआ था. तब से यह मंदिर दीपावली जैसे प्रमुख पर्वों पर विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार के लिए प्रसिद्ध है. आज भी उदयपुर के राज परिवार के सदस्य इस मंदिर में दीपावली के मौके पर दर्शन-पूजन के लिए आते हैं. उदयपुर शहर के भटियाणी चौहटा माता लक्ष्मी मदिर में तीन दिनों में माता लक्ष्मी को करीब 15 लाख रुपए की लागत से तैयार ड्रेस को पहनाया गया है. सभी ड्रेस माता लक्ष्मी ट्रस्ट की ओर से ही बनवाया गया था. वहीं भक्तों से सहयोग से करीब 10 लाख रुपए का भव्य डेकोरेशन भी कराया गया है,जो यहां आने वाले पर्यटकों को भी काफी ज्यादा आकर्षित कर रहा है.
डेकोरेशन पर खर्च हुए हैं 15 करोड़
दीपोत्सव के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान उदयपुर शहर को विशेष रूप से सजाया गया है. शहर में विभिन्न स्थानों पर आकर्षक स्वागत द्वार बनाए गए हैं और मुख्य मार्गों को रंगीन रोशनी से सजाया गया है. इस आयोजन के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत से विशेष डेकोरेशन की गई है, जो दीपावली की रौनक को कई गुना बढ़ा रही है. शहर की इस सजावट ने ना केवल स्थानीय निवासियों बल्कि पर्यटकों को भी मंत्रमुग्ध कर दिया है. इस खूबसूरती को निहारने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. खासकर शाम के समय का नाजार काफी भव्य प्रतीत होता है.
लाल अक्षत पूजा में होते हैं अत्यंत शुभ, जानें किन देवी-देवताओं को चढ़ाना चाहिए?, मिलता है सुख और सौभाग्य
3 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में पूजा-अर्चना में कई प्रकार की सामग्री रखी जाती है, इनमें अक्षत यानी कि चावल महत्वपूर्ण होते हैं. वहीं आपने विवाह, जन्मदिन, गृह प्रवेश जैसे शुभ अवसरों पर लाल अक्षत भी देखे होंगे. क्योंकि, इन्हें सुख-समृद्धि और सौभाग्य से जोड़कर देखा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा में लाल अक्षत का उपयोग करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. लेकिन, लाल अक्षत किन देवी-देवताओं को चढ़ाना चाहिए?
भगवान गणेश
प्रथम पूज्य भगवान गणेश को लाल अक्षत चढ़ाना अत्यंत लाभकारी माना गया है. खास तौर पर यदि आपको समस्याओं का सामना बार-बार करना पड़ रहा है या फिर अपनी कोई मनोकामना सिद्ध करना चाहते हैं तो आपको गणपति जी को लाल अक्षत जरूर अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से आपके कार्यों में सफलता भी मिलेगी.
मां दुर्गा
यदि आप मां दुर्गा को लाल अक्षत अर्पित करते हैं तो आपके सौभाग्य में वृद्धि होती है. ऐसी मान्यता है कि, यदि आपके कार्यों में लगातार बाधा आ रही है या व्यापार में किसी तरह का नुकसान उठाना पड़ रहा है तो आप जगदम्बा को लाल अक्षत जरूर अर्पित करें. ऐसा करने से बाधाएं तो दूर होंगी ही घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहेगी.
माता लक्ष्मी
धन की देवी माता लक्ष्मी को लाल अक्षत चढ़ाना सबसे शुभ माना जाता है. ऐसा करने से जातक को धन, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है. यदि आप आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं तो विशेष रूप से शुक्रवार के दिन आप माता लक्ष्मी को अक्षत अर्पित जरूर करें. इससे आप पर लक्ष्मी जी की कृपा बरसेगी और आपको धन-धान्य की प्राप्ति हो सकती.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
3 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य-व्यवस्था अनुकूल हो, समय पर सोचे कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, आरोप व क्लेश से असमंजस की स्थिति होगी।
मिथुन राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल, धन लाभ व आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कर्क राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थिगित रखें तथा शासकीय कार्य में हानि होगी।
सिंह राशि :- सतर्कता से रुके कार्य निपटा लेवें, संघर्ष से सफलता के योग अवश्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- तर्क-वितर्क से बचें, अनेक प्रकार की बाधायें, मन असमंजस में रहे, कार्य अवरोध होगा।
तुला राशि :- धन हानि, असमंजस की स्थिति अवश्य ही बनेगी विशेष कार्य अवरोध होगा।
वृश्चिक राशि :- मान-प्रतिष्ठा, सुख-भोग, एश्वर्य एवं समृद्धि के साधन आप अवश्य ही जुटायेंगे।
धनु राशि :- मानसिक बेचैनी, तनाव संभव तथा कार्यगति में सुधार तथा चिन्ता कम होगी।
मकर राशि :- सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि बने, धन का लाभ तथा आशानुकूल सफलता मिलेगी।
कुम्भ राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, कार्यकुशलता से संतोष तथा कठिन योजना बन जायेगी।
मीन राशि :- कार्य-कुशलता के योग बनेंगे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, ध्यान रखें।
क्या होती है गोधन पूजा? भाई की लंबी उम्र के लिए जीभ में कांटे डालती हैं बहनें
2 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूपी के कई इलाकों में गोवर्धन पूजा जैसी ही एक पूजा होती है. नाम है गोधन पूजा. इस अनोखी पारंपरिक पूजा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां अपने भाई के सुरक्षा के लिए करती हैं. पूजा के दौरान गाय की गोबर से तमाम सांप और बिच्छू बनाए जाते हैं. अंत में महिलाएं गोधन को कूटकर और रेंगनी का कांटे अपने जीभ में गाड़ कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं.
भाई के लिए की जाती है गोधन पूजा
बलिया जनपद के शनिचरी मन्दिर की रहने वाली शुभाश्री ने बताया कि इस पूजा के लिए सबसे पहले सुबह उठकर सभी लड़कियां इकट्ठा होती हैं और उस स्थान (जहां पूजा होगी) की साफ सफाई कर गोबर से पुताई करती हैं. गोबर से ही सांप, बिच्छू और गोधन बाबा की काल्पनिक प्रतिमा जमीन पर ही बनाई जाती है. इस साल गोधन पूजा 3 नवंबर को है.सारी लड़कियां तैयारी करने के बाद अपने घर चली जाती हैं. पूजा का सामान समेट कर फिर सारी महिलाएं पूजा स्थल पर जुटती हैं. प्रसाद में भाई के संख्या के मुताबिक मिट्टी के बर्तन में चिवड़ा और पटौरा, कुटकी या अन्य मिठाई डालकर सुंदर-सुंदर कपड़े से ढक कर लाती हैं. इसका मुख्य प्रसाद चना होता है. ऐसी मान्यता है कि इस प्रसाद को खाने से दाढ़ी मूछ आती है इसलिए लड़कियां नहीं खाती हैं.
क्या बोले इतिहासकार
प्रख्यात इतिहासकार डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बताते हैं कि गोधन पूजा भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत से जुड़ी गोवर्धन पूजा से अलग होती है. इसे महिलाएं प्राचीन काल से अपने अलग अंदाज में मनाती आ रहीं हैं.
क्या है गोधन पूजा की कथा
गोधन पूजा के पीछे कथा भी सुनाई जाती है. कहा जाता है कथा एक बहन और उसके भैया-भाभी से जुड़ी हुई है. लड़की की भाभी का एक प्रेमी था, जो इच्छाधारी नाग होता है. इस षड्यंत्र को न समझते हुए लड़की के भाई इच्छाधारी नाग को मार देता है. जिसे काट काटकर प्रेमी भाभी कुछ अंश खटिया के नीचे कुछ अंश दीये में, तो कुछ अपने जुडे में रख लेती है. इस बारे में पति कुछ समझ नहीं पता है. अंत में बहन को यह सब मालूम हो जाता है, जो अपने भाई की रक्षा करती है. इसे आज भी परंपरागत मुताबिक महिलाएं और लड़कियां इस पर्व को बड़े धूमधाम से मनाती है.
बहनें जीभ में डालती हैं कांटे
बहनें इस पूजा के दौरान रेंगनी (औषधि) के काटे अपने जीभ में डालती हैं. इसके बाद गोधन बाबा को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां कूटती हैं और गीत गाती हैं.
हथेली की रेखाएं बताती हैं शादी के बारे में, एक से अधिक विवाह के मिलते हैं संकेत, जानें रेखा से जुड़ी खास बातें
2 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जिंदगी की शुरुआत के साथ ही मृत्यु तक की योजनाओं के बारे में पहले ही लिखा जा चुका होता है. कई लोग कुंडली के माध्यम से अपने भविष्य के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं तो वहीं आपने कई लोगों को हथेली के माध्यम से भी कई सारी बातें जीवन से संबंधित पूछते सुना होगा. हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, आप अपनी हेथेलियों में मौजूद रेखाओं के माध्यम से जान सकते हैं कि आपका जीवनसाथी कैसा होगा और आपके कितने विवाह हो सकते हैं. यदि आपके मन में संकोच है कि आपकी एक से ज्यादा शादी हो सकती हैं तो आप खुद भी रेखाओं को देख और समझ सकते हैं. आइए जानते हैं विवाह रेखा से जुड़ीं कुछ ऐसी बातें जो आपको जानना जरूरी है.
विवाह रेखा के बारे में
हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार, विवाह की रेखा आपकी हथेली में छोटी उंगली के नीचे होती है और यह हृदय रेखा के ऊपर आपके हाथ के बाहरी भोग से शुरू होती है जो कि बुध पर्वत की ओर जाती है. इस रेखा को विवाह रेखा के नाम से जाना जाता है. यही वो रेखा है जो आपके विवाह से संबंधित कई सारी जानकारी देती है.
…तो नहीं होगा खुशहाल जीवन
यदि आपकी हथेली में विवाह रेखा कहीं से भी टूटी-फूटी है या फिर पतली है तो ऐसे लोगों का वैवाहिक जीवन खुशहाल नहीं माना जाता है क्योंकि यह संकेत देती है कि आप अपने विवाह के प्रति उदासीन होते हैं. ऐसे में जब आपका विवाह होता है तो उसमें लड़ाई झगड़े और कलह का माहौल हमेशा बना रहता है.
रेखा के रंग भी देते हैं कई संकेत
यहां आपको बता दें कि, विवाह रेखा में हल्के रंग भी होते हैं जो साफ तौर पर नजर नहीं आते, लेकिन गौर से देखने पर यह दिखाई देते हैं और यदि यह गुलाबी और गहरे नजर आते हैं तो आपको समझ लेना चाहिए कि आपके रिश्ते की शुरुआत अच्छी नहीं होगी, लेकिन आगे जाकर रिश्तों में मजबूती आएगी.
एक से ज्यादा विवाह का संकेत
यदि आपकी हथेली में विवाह रेखा की संख्या एक से अधिक है तो यह संकेत देती हैं कि आपका एक विवाह नहीं होगा. यानी कि आपकी शादी एक से अधिक हो सकती हैं. हालांकि, इन्हें इस नजरिए से भी देखा जाता है कि आपके एक से अधिक प्रेम संबंध भी हो सकते हैं.
भाई दूज पर तिलक की थाली में जरूर रखें ये चीजें, बना रहेगा भाई बहन में आपसी प्यार, जानें इसका महत्व
2 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है. इस पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष यह त्योहार 3 नवंबर 2024, रविवार को मनाया जाएगा. इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाती है. उसकी आरती उतारती है. साथ ही उसका मुंह मीठा कराकर उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर भोजन करते है उनकी उम्र में वृद्धि होती है.
भोपाल के ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा कहते हैं कि भाई दूज की पूजा की थाली में आपको सभी जरूरी चीजें ध्यान पूर्वक रखना चाहिए, क्योंकि अधूरी सामग्री से पूजा भी अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं थाली में रखी जाने वाली सामग्री के के बारे में.
रोली, अक्षत और कलावा
भाई दूज के लिए थाली तैयार करते समय में उसमें तिलक करने के लिए रोली जरूर रखना चाहिए. आप चाहें तो चंदन भी रख सकती हैं. इसी के साथ सुख-समृद्धि के लिए अक्षत यानी कि चावल भी रखें क्योंकि इसके बिना तिलक अधूरा है. थाली में लाल कलावा होना भी जरूरी है जिसे आप अपने भाई की कलाई पर बांधें.
सुपारी, चांदी का सिक्का और नारियल
तिलक की थाली में एक सुपारी जरूर रखें यह भगवान गणेश का प्रतीक है. साथ ही चांदी का सिक्का रखें, जो भाई के जीवन में धन-वैभव बनाए रखता है. इसमें एक नारियल भी रखें जो जीवन में नकारात्मकता को दूर करता है.
फूल माला, मिठाई, केला
तिलक की थाली में भाई को तिलक के बाद पहनाने फूल माला रखें और मुंह मीठा कराने कोई मिठाई भी थाली में रखें. आपको थाली में केला जरूर रखना चाहिए, क्योंकि इसे खिलाने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
2 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति किसी परेशानी से बचिये कुटुम्ब की समस्या में समय बीतेगा।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिये नहीं तो अपने किये पर पछताना पड़ेगा ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्यों में सफलता से संतोष धन लाभ बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
कर्क राशि :- विरोधी वर्ग का समर्थन फलप्रद हो तथा शुभ कार्यों के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे स्थिति पूर्ण नियंत्रण में रहे कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी धन लाभ तथा आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से समर्थन प्राप्त होगा तथा रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ कार्यकुशलता से संतोष पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे।
धनु राशि :- स्त्री-शरीर कष्ट चिन्ता विवादग्रस्त होने से बचिये कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य मिलेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय में उत्तेजना धन का व्यय एवं शक्ति निष्फल अवश्य होगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटायें इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे समय का ध्यान रखें।
हर चीज को शुद्ध करने वाली गंगा नदी, काशी में क्यों बहती है उल्टी? आधे से 1 घंटे होता है उल्टा बहाव
1 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Ganga Flow Reverse In Kashi : हिन्दू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र और पूज्यनीय नदी माना जाता है. इसे माता भी कहा गया है और इनके घाटों पर आरती भी की जाती है. ऐसा माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यहां तक कि किसी जगह को पवित्र करने के लिए गंगा जल का छिड़काव किया जाता है. पूजा के लिए आपके गंगा जल का उपयोग होते खूब देखा होगा. वहीं इसके जल को घरों में भी रखा जाता है. इसकी घरों में भी पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि घर में गंगाजल रखने से नकारात्मकता नहीं आती. लेकिन, क्या आप जानते हैं काशी उर्फ वाराणसी में गंगा उल्टी क्यों बहती है? और उसके पीछे का रहस्य है? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से.
गंगा कहां बहती है उल्टी?
काशी में स्थित मणिकर्णिका घाट से तुलसी घाट तक गंगा उल्टी बहती है, यह क्षेत्र करीब डेढ़ किलोमीटर का है. इस बीच दोनों घाटों के बीच करीब 45 घाट और पड़ते हैं. यहां करीब आधे से 1 घंटे तक गंगा का बहाव उल्टा होता है.
उल्टी गंगा का धार्मिक कारण
पुराणों के अनुसार, जब गंगा स्वर्ग से धरती पर आईं तब वे एक ही स्थान पर जा रही थीं लेकिन उसी समय वाराणसी के घाट पर भगवान दत्तात्रेय तपस्या कर रहे थे और जब गंगा वहां से गुजरीं तो इससे दत्तात्रेय के कमण्डल और कुशा आसन भी गंगा के साथ बह गए और करीब डेढ़ किमी आगे आने के बाद मां गंगा के साथ भगवान दत्तात्रेय के आसन और कुशा बहकर आ गए हैं और फिर वे उन्हें लौटाने पहुंची और इसके बाद उन्होंने क्षमा मांगी. ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान दत्तात्रेय ने मां गंगा को क्षमा किया तो वे फिर से सामान्य रूप से बहने लगीं.
क्या है इसका भौगालिक कारण?
गंगा नदी का उल्टा बहने का रहस्य भूगोल में मिलता है. जिसके अनुसार काशी में गंगा दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है, लेकिन जब गंगा नगर में प्रवेश करती हैं तब उसका बहाव धनुष के आकार का हो जाता है. इससे गंगा दक्षिण से आकर पहले पूर्व दिशा की ओर मुड़ती हैं और फिर पूर्वोत्तर की ओर. ऐसा इस स्थान के घुमावदार होने की वजह से होता है, जिससे वहां भंवर बनता है. इससे लहरें उठती हैं और भंवर से टकराने के कारण लहरें डेढ़ किलोमीटर उल्टी बहती हैं.
गोवर्धन पूजा पर करें ये उपाय, स्वास्थ्य, धन, पारिवारिक कलेश से मिलेगा छुटकारा!
1 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Govardhan Puja Upay: आज यानी कि 02 नवंबर को गोवर्धन पूजा है. इस दिन गाय के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसकी परिक्रमा की जाती है. आज के दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने से कई गुना अधिक शुभ फलों की प्राप्ति होती है. हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गोवर्धन पूजा मनाई जाती है.
गोवर्धन पूजा के दिन कुछ खास उपायों को करने से जीवन की अलग-अलग समस्याओं का समाधान मिलता है.
आज गोवर्धन पूजा के समय एक थाली में 5 गोमती चक्र और 5 कौड़ियां रखें और उनकी भी रोली-चावल से पूजा करें. पूजा के बाद उन्हें उठाकर एक लाल कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी में रख लें.
अगर आप अपने जीवन में खुशहाली बनाये रखना चाहते हैं तो आज आपको गाय माता की सेवा करनी चाहिए. आज गाय के माथे पर तिलक लगाकर, हरा चारा खिलाना चाहिए.
अगर आपको पेट संबंधी परेशानी बनी रहती है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आज गोवर्धन पूजा के समय गोवर्धन की आकृति के पास एक थाली में आपको राहु यंत्र स्थापित करना चाहिए और उसकी विधिवत पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद उस राहु यंत्र को संभालकर अपने पास रख लेना चाहिए या फिर ताबीज में भरवाकर अपने गले में धारण करना चाहिए.
अगर आप अपने बच्चों के करियर को उन्नत देखना चाहते हैं तो आज आपको विष्णु मंदिर में हरी सब्जियों का दान करना चाहिए. साथ ही विष्णु जी के मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए. मंत्र है- ‘ऊँ नमो भगवते नारायणाय.’
गोवर्धन पूजा के समय एक हल्दी की गांठ, एक गोमती चक्र, कौड़ी, जाफल और 5 मुखी रुद्राक्ष लेकर एक पोटली बनाएं और पूजा के बाद उस पोटली अपने पास रख लें. अगर आप इसे अपने पास नहीं रख सकते, तो अपने घर मंदिर में, तिजोरी में, ऑफिस के कैश बॉक्स में या अपने पर्स में भी रख सकते हैं.
अगर आपको गॉल ब्लैडर संबंधी कोई परेशानी बनी रहती है तो आज गोवर्धन पूजा के समय गोमेद की उचित विधि से पूजा करके, उसे धारण करना चाहिए. आप चाहें तो उसे लॉकेट में डलवाकर अपने गले में पहन सकते हैं या फिर अंगूठी में डलवाकर अपनी उंगली में भी पहन सकते हैं.
अगर आप अन्न, धन के मामले में पहले से बहुत समृद्ध हैं और अपनी समृद्धि को यूं ही बनाये रखना चाहते हैं तो आज आपको मंदिर में सवा किलो बाजरा या चावल का दान करना चाहिए.
अगर आप चाहते हैं कि आपके परिवार के सब सदस्यों की सेहत अच्छी बनी रहे तो आज अपने घर के मुख्य द्वार पर गोबर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और उस पर थोड़ी-सी खील चिपकाएं.
अगर आप अपने घर को हर तरह के सुख-साधनों से भर देना चाहते हैं तो आज आपको बाजरे की खिचड़ी बनाकर विष्णु मंदिर में दान करनी चाहिए.
गोवर्धन पूजा के दिन गाय को स्नान कराकर तिलक करें, फिर उसे चारा खिलाएं और सात बार परिक्रमा करें. ऐसा करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं.
गोवर्धन पूजा के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं. ऐसा करने से धन से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
गोवर्धन पूजा के दिन एक थाली में पांच गोमती चक्र और पांच कौड़ियां रखें. इनकी पूजा करें और फिर इन्हें लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख लें. ऐसा करने से धन के साधनों में बढ़ोतरी होती है.
गोवर्धन पूजा के दिन शाम के समय गाय के गोबर से बने कंडों को जलाकर पूरे घर में धुआं करें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
गोवर्धन पूजा के दिन तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं. ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है.
यहां है दुनिया में न्याय का सबसे बड़ा मंदिर, सब हारने के बाद लोग पहुंचते हैं इस खास जगह
1 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अल्मोड़ा जिले के चितई नामक जगह पर स्थित गोलू देवता का मंदिर देश में न्याय के देवता के मंदिर के तौर पर प्रसिद्ध है. मान्यता यह है कि जिसको अदालतों से न्याय नहीं मिल पाता है उसे गोलू देवता के दरबार में न्याय मिलता है. यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में यहां फरियादी पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं. श्रद्धालु अपनी फरियाद को यहां अर्जी के रूप में लिखकर मंदिर में टांग जाते हैं. जब आपको दुनिया के कहीं भी न्याय ना मिले और आपके जीवन में कष्टों के अलावा भी कुछ ना हो तब आपको अल्मोडा स्थित चितई गोलू जी देवता के मंदिर में अपनी अर्जी लेकर पहुंच जाना चाहिए. और जब आपकी मनोकामना पूरी हो जाये तो आपको यहां बापस जाकर गोल्ज्यू महाराज को धन्यवाद देते हुए एक घंटी अवश्य चढ़ा देनी चाहिए.
न्याय के देवता है गोलू देवता : मंदिर को गॉड ऑफ जस्टिस के नाम से भी जाना जाता है. लोग यहां पर एफिडेविट के साथ अपनी फरियाद लेकर आते हैं. मन्नत पूरी होने के बाद यहां पर भगवान गोलू देवता को घंटी चढ़ाई जाती है. ऐसा नहीं है कि छोटी बड़ी घंटी का महत्व अलग है. आपकी जैसी श्रद्धा हो आप वैसा भाव भगवान को दिखा सकते है. हर साल यहां पर देश के अलग अलग हिस्सों से लोग दर्शन के लिए आते हैं. इस मंदिर को घंटियों वाला मंदिर भी कहा जाता है. नए-नवेले जोड़े भी इस मंदिर में माथा टेकने आते हैं.
नामुमकिन है इस मंदिर की घंटियों को गिनना गोलू देवता चंद राजा बहादुर शासन काल में सेवा में जनरल थे. जिन्होंने एक लड़ाई में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. उन्हीं के सम्मान में इस स्थान की स्थापना की गई थी. 12वीं शताब्दी में चंद्रवंश के सेनापति ने इस मंदिर का निर्माण करवाया. हालांकि, इस बात का प्रमाण आज भी किसी के पास नहीं है कि यह मंदिर कब और कैसे बना. इसे किसने बनवाया इसे लेकर भी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है. मंदिर में मौजूद भगवान गोलू देवता को भगवान शिव और विष्णु का अवतार भी माना जाता है. इतनी अधिक संख्या में भक्तों की भीड़, चिट्ठी और घंटियां देखकर यह साफ है की कोई ना कोई दिव्य शक्ति इस स्थान पर जरूर है. ये दिव्य शक्ति यहां आने वाले हर इंसान की मनोकामना पूरी करती है. साथ ही उसे न्याय दिलाने का काम करती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (शुक्रवार, 1 नवंबर 2024)
1 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति किसी परेशानी से बचिये कुटुम्ब की समस्या में समय बीतेगा।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिये नहीं तो अपने किये पर पछताना पड़ेगा ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्यों में सफलता से संतोष धन लाभ बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
कर्क राशि :- विरोधी वर्ग का समर्थन फलप्रद हो तथा शुभ कार्यों के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे स्थिति पूर्ण नियंत्रण में रहे कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी धन लाभ तथा आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से समर्थन प्राप्त होगा तथा रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ कार्यकुशलता से संतोष पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे।
धनु राशि :- स्त्री-शरीर कष्ट चिन्ता विवादग्रस्त होने से बचिये कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य मिलेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय में उत्तेजना धन का व्यय एवं शक्ति निष्फल अवश्य होगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटायें इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे समय का ध्यान रखें।
प्रकाश फैलाएं घर में आयेगी लक्ष्मी
31 Oct, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिवाली के दिन हर कमरे में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करें। कुछ आसान तरीकों से आप उस कमरे को भी जगमग कर सकते हैं जहां कम रौशनी होती है। इससे घर में लक्ष्मी भी आती है।
जिस कमरे में ज्यादा अंधेरा रहता है, जहां तक संभव हो सके, अंधेरे कमरे की दीवारों पर हल्के रंग का पेंट करवाएं। लाइट शेड वाले परदे, बेडशीट का इस्तेमाल करें चमक को और बढ़ाने के लिए कमरे में परदे, बेडशीट और कुशन आदि के कलर्स भी लाइट शेड के रखें।
मिरर फर्नीचर से अंधेरे कमरे में फैलेगी रोशनी
ऐसे कमरे के लिए मिरर फर्नीचर का इस्तेमाल करना चाहिए। इसका फायदा यह होगा कि इस पर जहां से भी लाइट आएगी, यह और भी अधिक चमकने लगता है और कमरे में रोशनी बढ़ती है।
रिफ्लेक्टिंग फ्लोरिंग है अच्छा विकल्प
अंधेरे वाले कमरे में रिफ्लेक्टिंग फ्लोरिंग भी अच्छा विकल्प है, जिससे कमरे में चमक बढ़ सकती है। इसमें आजकल एलईडी का भी इस्तेमाल होता है।
कमरें में लाइट्स का ऐसे करें इस्तेमाल
इसके बावजूद भी अगर कमरे में प्रकाश नहीं आता तो आप क्रत्रिम रोशनी का इस्तेमाल कर सकते हैं। कमरे में हैंगिंग लाइट्स का प्रयोग भी अंधेरे को दूर कर सकता है। इसके अलावा दीवारों पर लैम्प्स भी लगवाए जा सकते हैं। यदि संभव हो तो कमरे की सीलिंग में लाइटिंग की व्यवस्था कर सकते हैं। आजकल लाइटिंग वाला सीलिंग फैन भी काफी चलन में है।बहरहाल यह जान लें कि आपका घर जितना चमकेगा उतनी ही लक्ष्मी आपके घर आयेगी।
इस प्रकार करें मां लक्ष्मी को खुश
31 Oct, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाने से ही हमें सभी सुख और वैभव मिलते हैं। दिपावली के दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सबसे बेहतर योग होता है। इस समय किये गये इन उपायों से आप मां लक्ष्मी को खुश कर सकते हैं। इससे आप जीवन में धन समृद्धि के साथ ही सभी सुख पा सकते हैं।
.दीपावली पांच दिन का पर्व होता है तो इन पांचों दिन कम से कम एक दीप जरूर जलांए। इसके साथ ही लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए पहले एक मुठ्ठी चावल रखें फिर उसके उपर दीपक रखें इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा होगी।
दीपावली के दिन सुबह पूजा के समय पीतल या तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर कर,उस मेंथोड़ी हल्दी डाल कर पूजा में रखें। पूजा के बाद इस जल को पूरे घर में झिड़क दें। इस तरह मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहेंगी।
दीपावली की रात को पूजा करने के बाद सभी कमरों में शंख बजाना चाहिए इस से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दीपीवली के दिन आप अपनी पत्नी अथवा मां को लाल वस्त्र उपहार में दें मां और पत्नी को पूरा सम्मान दें क्योंकि मां लक्ष्मी भी वहीं कृपा बरसाती हैं जहां घर की लक्ष्मी का सम्मान होता है।दीपावली की रात को कपूर जला कर उसमें शुद्ध रोली डाल दें। फिर उस राख की पुडिया बना कर किसी लाल रूमाल में बांध रख लें। इससे प्रक्रिया को करने से व्यापार में समृद्धि होती है।
मां लक्ष्मी ने गौरीपुत्र गणेश को प्रथम पूज्य होने का वर देते हुए यह आशीर्वाद दिया था कि उनकी उपासना से मनुष्य पर लक्ष्मी कृपा भी हमेशा बनी रहेगी। ऐसे में दिवाली पूजन में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। मां का आशीर्वाद सदैव बनाएं रखने के लिए आप भगवान गणेश का पूजन उनको प्रिय मंत्रों से करें।
भगवान गणेश की विधिवत पूजा के मंत्र हैं।
श्री गणेश बीज मंत्र:
ॐ गं गणपतये नमः॥
भगवान गणपति की पूजा के दौरान इस मंत्र को पढ़ते हुए उन्हें सिंदूर अर्पण करना चाहिए।
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्॥
इस मंत्र का जाप करते हुए गौरीपुत्र गणेश को अक्षत(चावल) चढ़ाएं।
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः॥
इस मंत्र का जाप करते हुए श्री गणेश को दूर्वा चढ़ाएं:
त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव॥
गणपति पूजा में इस मंत्र से भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पण करना चाहिए:
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर॥
पुष्प समर्पित करने के लिए यह गणेश मंत्र:
पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां॥
गणेश जी को भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करें:
यह गणेश वंदना मंत्र है:
वन्दरहुं विनायक, विधि-विधायक, ऋद्धि-सिद्धि प्रदायकम्।
गजकर्ण, लम्बोदर, गजानन, वक्रतुण्ड, सुनायकम्॥
श्री एकदन्त, विकट, उमासुत, भालचन्द्र भजामिहम।
विघ्नेश, सुख-लाभेश, गणपति, श्री गणेश नमामिहम॥
गणेश पूजा के बाद इस मंत्र से भगवान को प्रणाम करना चाहिए:
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय ,
लंबोदराय सकलाय जगध्दिताय।
नागाननाय श्रुतियग्यविभुसिताय,
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते॥
किसी भी कार्य के शुरू में गणेश जी को इस मंत्र से प्रसन्न करना चाहिए:
ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा॥