धर्म एवं ज्योतिष
विजेता बनना है तो धारण करें वैजयंती माला
7 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म में सफल होने के लिए पूजा पाठ और हवन के साथ ही कई अन्य उपाय भी है। धर्म शास्त्रों के अनुसार
वैजयंती माला- एक ऐसी माला जो सभी कार्यों में विजय दिला सकती है। इसका प्रयोग भगवान श्री कृष्ण माता दुर्गा, काली और दूसरे कई देवता करते थे। रत्न के जानकार मानते हैं कि अगर इस माला को सही विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित करके धारण किया जाए तो इसके परिणाम आपको तत्काल मिल सकते हैं। कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो जिसमें रुकावट आएगी।
वैजयंती माला को धारण करने वाला इंद्र के समान सारे वस्त्रों को जीतने वाला बन जाता है और श्री कृष्ण के समान सभी को मोहित करने वाला बन जाता है और महर्षि नारद के समान विद्वान बन जाता है। इस सिद्ध माला को धारण करने वाला हर जगह विजय प्राप्त करता है। उसके सर्व कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं । यदि किसी काम में लंबे समय से बाधा आ रही है तो वह काम आसानी से बन जाता है। यह माला शत्रुओं का नाश भी करती है। वैजयंती माला को सिद्ध करने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। पूरा फल पाने के लिए जरूरी है कि माला सही विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही पहनी चाहिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
7 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, सम्पत्ति विषयक समस्यायें अवश्य कम होंगी।
वृष राशि :- स्त्री-वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति अवश्य होगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायें।
मिथुन राशि :- कार्य कुशलता में सुधार, बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप सुखवर्धक होगा।
कर्क राशि :- किसी उपद्रव से अशांति संभव है, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि के योग बनेंगे।
सिंह राशि :- योजना सफल होगी, शरीर कष्ट व मानसिक बेचैनी बनें, कार्य बन ही जायेंगे।
कन्या राशि :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेन-देन के मामले में हानि होगी।
तुला राशि :- कार्य कुशलता से संतोष एवं स्थिति पर नियंत्रण रखें, रुके कार्य बन जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- योजनायें सफल होंगी, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, कार्य मन लगाकर निपटा लें।
धनु राशि :- थकावट बेचैनी, किसी कष्ट में फंसने से बचिये, व्यापारिक क्षमता से लाभ होगा।
मकर राशि :- विरोधी तत्व परेशान करें, मित्रों से कष्ट, आरोप तथा मानसिक क्लेश बनेगा।
कुंभ राशि :- असमंजस व असमर्थता का वातावरण क्लेशयुक्त रखे, प्रत्येक कार्य में बाधा होगी।
मीन राशि :- विरोध एवं विवाद से बचें, कार्यगति में बाधा, विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
इस साल तुलसी विवाह कब है?
6 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है। इस दिन माता तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ संपन्न करवाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शालिग्राम को भगवान विष्णु का रूप ही माना जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक तुलसी विवाह करवाने से जातक के दांपत्य जीवन में मधुरता और खुशहाली आती है। वहीं कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। तो यहां जानिए कि इस साल तुलसी विवाह की सही तिथि और पूजा शुभ मुहूर्त क्या है।
तुलसी विवाह तिथि और शुभ मुहूर्त 2024
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 12 नवंबर को शाम 4 बजकर 4 मिनट पर होगा। द्वादशी समाप्त 13 नवंबर 2024 को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, तुलसी विवाह 13 नवंबर को मनाया जाएगा। तुलसी विवाह और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।
तुलसी विवाह का महत्व
बता दें कि हिंदू धर्म में तुलसी को अति पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा रहता वहां सदैव धन, समृद्धि का वास रहता है। तुलसी की रोजाना पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। वहीं तुलसी पूजा के दिन तुलसी माता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में आ रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही पति-पत्नी के बीच प्यार और बढ़ता और उनका रिश्ता पहले से भी अटूट हो जाता है। तुलसी पूजा के दिन भगवान शालिग्राम का दूल्हा और माता तुलसी का दुल्हन की तरह पूरा श्रृंगार किया जाता है।
तुलसी पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा
प्रचलित पौराणिक कथा के मुताबिक, जलंधर का जन्म भगवान शिव के क्रोध से हुआ था। जालंधर आगे चलकर असुरों का शासक बन गया और फिर उसे दैत्यराद जलंधर कहा जाने लगा। जलंधर का विवाह वृंदा से हुआ था वो एक पतिव्रता स्त्री थी। वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी। उसकी पतिव्रत की शक्तियों के कारण ही जलंधर दिनों दिन और शक्तिशाली होता चला गया है। वृंदा के पतिव्रत धर्म की वजह से ही देवता भी जलंधर से युद्ध में जीत नहीं सकते थे।
इस वजह से जलंधर को अपनी शक्ति का बहुत अभिमान होने और फिर उसने देवताओं पत्नियों को भी सताने लगा। इस पर शिवजी क्रोधित हो गए, जिस कारण महादेव और जलंधर के बीच युद्ध भी हुआ। लेकिन, जलंधर की शक्ति के कारण महादेव का हर प्रहार विफल होता गया। तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास पहुंच गए। विष्णु जी को जलंधर के रूप में देखकर उससे वृंदा अपने पति की तरह व्यवहार करने लगी और फिर वृंदा का पतिव्रता भंग हो गया। इस तरह महादेव द्वारा जलंधर का वध किया गया। इसके बाद वृंदा ने विष्णु जी को श्राप देकर पत्थर का बना दिया था। लेकिन फिर लक्ष्मी माता की विनती के बाद उन्हें वापस सही करके सती हो गई थीं। उनकी राख से ही तुलसी के पौधे का जन्म हुआ और उनके साथ शालिग्राम के विवाह की परंपरा की शुरुआत हुई।
कार्तिक और चैती छठ में क्या है अंतर? जानें व्रत पूजा के नियम और महत्व
6 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लोक आस्था का महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पर्व साल में दो बार होता है? एक बार कार्तिक माह में और दूसरा चैत्र माह में. इन दोनों पर्वों के बीच कुछ अंतर और समानताएं होती हैं. इस पर विस्तार से जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा ने लोकल 18 से चर्चा की. डॉ. कुणाल झा बताते हैं कि मास की व्यवस्थाओं के अनुसार, गणना का प्रारंभ चैत्र मास से माना जाता है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विक्रम संवत का प्रारंभ भी होता है और वसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है. इसी काल में त्रेता युग में भगवान राम का राज्याभिषेक भी हुआ था.
सूर्य षष्ठी व्रत के रूप में मनाए जाने वाले इस पर्व में सूर्य की आराधना को विशेष महत्व दिया गया है, क्योंकि भगवान राम ने स्वयं सूर्य की उपासना की थी. वहीं, कार्तिक मास का महत्व स्नान, साधना और धार्मिक अनुशासन के कारण और बढ़ जाता है. मिथिलांचल के लिए यह पर्व विशेष है, जहां सूर्य षष्ठी व्रत को धूमधाम से मनाया जाता है. कार्तिक मास के दौरान सिमरिया में कल्पवास का आयोजन भी होता है, जो मिथिलांचल क्षेत्र में अत्यंत प्रसिद्ध है.
बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है व्रत
मिथिलांचल में सूर्य और अन्य देवताओं की पूजा, विशेष रूप से बिना भगवान विष्णु का संकल्प लिए पूरी नहीं होती. वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु का आगमन होता है, जिससे मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ सकता है. ऐसे में सूर्य की आराधना स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी गई है. मिथिलांचल में इस व्रत को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, और यह परंपरा लोगों की आस्था का प्रतीक बन चुकी है.
बिहार के इस सूर्य मंदिर से क्या है छठ पूजा का कनेक्शन, यहां पहुंचते हैं 10 लाख श्रृद्धालु
6 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिले के विश्व प्रसिद्ध देव सूर्य मंदिर में छठ करने लाखों की संख्या में छठ व्रती पहुंचते हैं. इस दौरान भगवान सूर्य के त्रिमूर्ति स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है. भगवान सूर्य का ये त्रिमूर्ति मंदिर पूरे विश्व में सिर्फ़ एक ही है. इस मंदिर की ख्याति से देश भर के कोने कोने से लोग चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत को करने के लिए आते हैं.
तीन स्वरूप में भगवान सूर्य
इस मंदिर के मुख्य पुजारी ने बताया कि देव सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य पालनकर्ता, संहारकर्ता और सृष्टि कर्ता के रूप में विराजमान हैं. वहीं इस स्थान पर सबसे पहले देवताओं की माता अदिति ने रात भर का उपवास कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया था जिसके बाद से इस स्थान पर छठ महापर्व करने का महात्म बढ़ गया. भगवान सूर्य के तीनों स्वरूप जिसमें ब्रह्म मुहूर्त में भगवान सूर्य ब्रह्म का रूप धारण कर लेते हैं वहीं सायं काल में सूर्य महेश्वर यानी शिव का स्वरूप धारण कर लेते हैं वहीं सूर्यास्त के समय पालनकर्ता भगवान विष्णु के अवतार में रहते हैं.
पालनकर्ता, संहारकर्ता और सृष्टि कर्ता सूर्य
भगवान सूर्य की त्रिमूर्ति स्वरूप विश्व में एकमात्र मंदिर होने के कारण यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु छठ महापर्व करने आते हैं. इस मंदिर के मुख्य पुजारी राजेश पाठक ने बताया कि इस मंदिर में पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति हैं. भगवान सूर्य की यह त्रिमूर्ति स्वरूप प्रतिमा देव में स्थित सूर्यकुण्ड से प्राप्त हुई थी. ऐसी मान्यता हैं कि इस प्रदेश के राजा इला के पुत्र एल को कुष्ठ रोग हो गया था.
तालाब में नहाने से कुष्ठ रोग से निवारण
महराज के पुरोहितों ने सलाह दिया कि देव में स्थित सूर्यकुण्ड में स्नान कीजिए तो आपके रोग दूर हो जाएंगे. राजा एल ने देव में भगवान सूर्य की वाले विधिवत पूजन अर्चना कर इस सूर्यकुण्ड तालाब के पानी को पिया जिसके बाद उनके कुष्ठ रोग दूर हो गया. इस दौरान राजा एल को भगवान सूर्य की त्रिमूर्ति स्वरूप प्रतिमा उसी सूर्यकुण्ड तालाब से प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उसे मुख्य मंदिर में स्थापित किया गया. तब से ऐसी मान्यता है कि भगवान सूर्य के इस कुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोग के मिट जाते हैं.
10 लाख से अधिक श्रद्धालु
ऐसी ही मान्यता के कारण देव सूर्य मंदिर में छठ महापर्व करने हर साल 10 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं. जिसे लेकर चार दिवसीय छठ मेले का आयोजन भी किया जाता हैं. प्रशासन के तरफ से पिछले 2 महीने से कार्तिक छठ महापर्व की तैयारी की जाती हैं. वहीं इस अवसर पर बिहार सरकार के कई मंत्री और आलाधिकारी मौजूद रहते है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
6 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- थकावट, लेन-देन के मामले में हानि होगी तथा स्त्री-शरीर कष्ट अवश्य होगा।
वृष राशि :- मन में कुछ खिन्नता, नवीन योजना फलप्रद होगी तथा स्त्री-वर्ग से हर्ष होगा।
मिथुन राशि :- कार्ययोजना फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटायें, रुके कार्य अपके अनुकूल बनेंगे।
कर्क राशि :- योजना फलीभूत होंगी, प्रयास करने पर सफलता मिलेगी, समय अनुकूलता का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, प्रभुत्व वृद्धि, विशेष लाभ के योग अवश्य ही बनेंगे।
कन्या राशि :- चिन्तायें मन को व्यग्र रखें, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- अधिकारियों से तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी।
वृश्चिक राशि :- दैनिक कार्यगति मंद, स्थिति में सुधार, कार्य नियंत्रण करने में सफल होंगे।
धनु राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित हों तथा सतर्कता से कार्य अवश्य निपटा लें।
मकर राशि :- हाथ में आया हुआ धन व्यर्थ नष्ट जायेगा, कार्यकुशलता से संतोष निश्चय ही होगा।
कुंभ राशि :- कार्य में विलम्ब से बेचैनी संभव है, भाग्य साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
मीन राशि :- अनायास परेशानी, शत्रु पक्ष से सतर्क रहें, मान-प्रतिष्ठा पर आंच आने की संभावना है।
क्या सूर्यास्त के बाद लगाया जा सकता है मांग में सिंदूर? जानें क्या है इसका महत्व और नियम
5 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में विवाह के बाद महिलाएं अपने मांग में सिंदूर लगाती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पति की आयु से संबंध रखता है और अपने जीवनसाथी के प्रति महिलाओं का सम्मान दर्शाता है. यह भी कहा जाता है कि मांग में सिंदूर शादीशुदा होने की एक निशानी है. यह परंपरा काफी प्राचीन है और इसे आज भी बखूभी निभाया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं सिंदूर लगाने का क्या महत्व है और इससे जुड़े नियम क्या हैं? इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं
दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद मांग में सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. ठीक वैसे ही जैसे कि मंगलवार के दिन भी सिंदूर लगाने को लेकर मना किया जाता है. ऐसा क्यों है और क्या हैं इसके ज्योतिष नियम? आइए जानते हैं.
क्या है सिंदूर लगाने का महत्व
आपको बता दें कि, सिंदूर, हल्दी और पारे से बना मिश्रण होता है जिसका रंग लाल होता है. ज्योतिषाचार्य के अनुसार, सबसे पहले शादी के दौरान दूल्हा अपनी दुल्हन की मांग में सिंदूर भरता है. इसे सिंदूर दान कहा जाता है. वहीं, इस रस्म को भी कन्यादान की तरह अहम माना गया है. सिंदूर को सुहागिन की निशानी माना जाता है. धार्मिक महत्व की बात करें तो, सिंदूर को मां पार्वती के आशीर्वाद के रूप में देखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इससे मां पार्वती की कृपा मिलती है और पति की आयु लंबी होती है.
क्या सूर्यास्त के बाद लगाना चाहिए सिंदूर?
अब बात करें मांग में सिंदूर लगाने को लेकर एक खास नियम की तो ऐसा कहा जाता है कि सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. इसके पीछे धार्मिक कारण मिलता है, जिसके अनुसार भगवान सूर्य को ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक माना गया है और यह दिन के समय को नियंत्रित करता है. ऐसे में सूर्य उदय से लेकर सूर्यास्त तक के समय को सिंदूर लगाना शुभ माना गया है. वहीं शाम के बाद रात्रि का नियंत्रण चंद्रमा का होता है. ऐसे में कुछ ज्योतिष मान्यता हैं कि सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. क्योंकि, इससे सकारात्मक प्रभाव नहीं मिलता.
बिहार ही नहीं, हैदराबाद में भी धूमधाम से मनाई जाती है छठ पूजा, यहां तालाबों के पास सुरक्षाकर्मी हुए तैनात
5 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में द्रिक पंचांग के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल छठ पूजा 7 नवंबर 2024 को मनाया जायेगा. इस पर्व का समापन 8 नवंबर को होगा. इसकी झलक हैदराबाद के मलकम चेरुव में देखने को मिल रही है. यहां तालाबों को साफ किया जा रहा है. ताकि हर साल की तरह इस साल भी छठ पूजा धूमधाम से मनाई जा सके.
मलकम चेरुव में हो रही है तालाबों की सफाई
मलकम चेरुव में मौजुद सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि यहां तालाबों को सफाई हो चुकी है और इसमें पानी भी भरा जा चुका है. साथ ही तलाब के चारों तरफ बनी सीढ़ियों को भी साफ किया गया है. जहां महिलाए छठ पूजा पर स्नान कर सकती हैं. साथ ही इस बार भी छठ पूजा धूम धाम से मनाई जा सके.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम।
मलकम चेरुव में छठ पूजा को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है. यहां के तालाबों के पास किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है. ताकि साफ सफाई भी बनी रहे और कोई अप्रिय स्थिति न पैदा हो.
यहां होता है गणेश विसर्जन
सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि इस तालाब में गणेश विसर्जन भी होता है. ऐसे में यह जगह बहुत ही मशहूर है. यहां लोग बड़ी संख्या में घूमने भी आते हैं.
जानें कैसे पहुंचे मलकम चेरुव तालाब
हैदराबाद के शेखपेट फ्लाईओवर एक आखरी छोर पर स्थित है ये रायदुर्ग मेट्रो स्टेशन से 6.5 किमी दूर है ये पुराना मुंबई हाईवे किनारे एक खुबसुरत तलाब है और साथ पार्क भी है।
मंगलवार की पूजा में भूलकर भी न करें ये 6 काम, 'महावली हनुमान' होते हैं नाराज, परेशानियों का लग सकता अंबार
5 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है. इसी तरह मंगलवार का दिन भगवान श्रीराम के परमभक्त पवनपुत्र हनुमान जी का माना जाता है. इस दिन भक्त महावली हनुमान जी की पूजा करके खुद को कृतार्थ करते हैं. धार्मिक मान्यता है कि जो भी व्यक्ति मंगलवार के दिन विधि-विधान से बजरंगबली की पूजा करता है उसके जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं. लेकिन, हनुमान जी की कृपा पाने के लिए उनके नियमों की जानकारी का होना बेहद जरूरी है. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार के दिन ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे कुंडली में बाधाएं उत्पन्न हों. अब सवाल है कि आखिर मंगलवार की पूजा करते हैं तो क्या नहीं करना चाहिए? बजरंग बली की पूजा के नियम क्या हैं?
मंगलवार को इन 6 कामों को करने से बचें
व्रतधारी नमक न खाएं: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, मंगलवार का व्रत करने वाले लोगों को नमक का सेवन नहीं करना चाहिए. इसके अलावा, इस दिन मिठाई का दान किया जाता है. अगर आप दान कर रहे हैं तो मंगलवार के दिन खुद मीठा नहीं खाना चाहिए. ऐसा करने से हनुमान जी नाराज हो सकते हैं.
बाल-नाखून न काटें: ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार के दिन बाल और नाखून काटने की मनाही है. ऐसा माना जाता है कि मंगलवार के दिन बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना, नाखून काटना अशुभ होता है. मंगलवार को इन कामों को करने से व्यक्ति को जीवन में धन और बुद्धि की हानि हो सकती है.
हवन न कराएं: हनुमान जी की कृपा हमारे ऊपर बनी रहे इसके लिए पूजा-पाठ और हवन कराया जाता है. लेकिन ध्यान रहे कि मंगलवार को हवन नहीं करवाना चाहिए. हालांकि, हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाना शुभ माना जाता है.
धन का लेनदेन न करें: धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि, मंगलवार के दिन उधार पैसा ना किसी से लेना चाहिए और ना ही इस दिन किसी को उधार पैसा देना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इससे आर्थिक परेशानी और हानि होने की संभावना बढ़ जाती है.
मांस-मदिरा से दूरी रखें: मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित किया गया है, इसलिए इस दिन सात्विक रहना बहुत ज़रूरी है. ऐसा माना जाता है कि यदि आप मंगलवार के दिन शराब और मांसाहार करेंगे, तो आपके कामों में निश्चित ही बाधाएं आएंगी. ऐसे में मंगलवार के दिन शराब और मांसाहार से दूर रहना चाहिए.
काले वस्त्र न पहनें: मंगलवार के दिन काले रंग के वस्त्र भी नहीं पहनना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है. इसके अलावा, मंगलवार के दिन किसी भी कन्या या स्त्री को सौंदर्य प्रसाधन सामग्री नहीं खरीदनी चाहिए.
पुरानी या खंडित हो गई है घर में रखी लड्डू गोपाल की मूर्ति? तो क्या करें इस प्रतिमा का?
5 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप यानी कि लड्डू गोपाल की पूजा लगभग घरों में की जाती है और इन्हें घर में किसी नन्हें बालक की तरह रखा जाता है. उन्हें खाने पीने की चीजें खुद खाने से पहले अर्पित की जाती हैं. उन्हें स्नान कराना, कपड़े पहनाना और भोग लगाने से लेकर सुलाने तक का ख्याल रखा जाता है. लेकिन जब यह मूर्ति अधिक पुरानी हो जाती है या खंडित हो जाती है तो क्या करना चाहिए?
कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि मूर्ति पुरानी होने पर दूसरी मूर्ति स्थापित करना चाहिए लेकिन क्या जिस मूर्ति की आपने सालों से पूजा की और अपने घर का सदस्य माना उसे घर से बाहर करना ठीक है?
मूर्ति खंडित हो तो क्या करें?
यदि आपके घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति किसी कारणवश खंडित हो गई है तो ऐसी स्थिति में आपको उसे बदल लेना चाहिए क्योंकि, वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी देवी या देवता की खंडित मूर्ति को घर में रखना शुभ नहीं माना जाता. ऐसे में आप खंडित मूर्ति को किसी साफ या पवित्र स्थान पर रख सकते हैं. आप चाहें तो ऐसी मूर्ति को किसी पवित्र या पूजनीय वृक्ष के नीचे भी रख सकते हैं और उसकी जगह नई मूर्ति घर में स्थापित कर सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
5 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वृष राशि :- मित्र-वर्ग की उपेक्षा एवं अधिकारी वर्ग की उपेक्षा से कार्य हानि संभव है ध्यान अवश्य दें।
मिथुन राशि :- व्यवसायिक कार्य में वृद्धि किन्तु लापरवाही से हानि तथा धन का व्यय होगा।
कर्क राशि :- स्त्री-वर्ग से कष्ट तथा चिन्ता, कार्य अवरोध, मान हानि होने की संभावना है।
सिंह राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से सतर्कता से कार्य करें तथा कार्य निष्पादन करें लाभ होगा।
कन्या राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्य-व्यवसाय गति अनुकूल बनी रहेगी।
तुला राशि :- व्यवसायी कार्यों में वृद्धि होगी, साधन जुटाने का प्रयास करें, कार्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय तथा सुख-समृद्धि के योग अवश्य ही बनेंगे, कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्य योजना बनेगी, कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मकर राशि :- शारीरिक कष्ट, तनाव, क्लेश व अशांति, स्वभाव में क्रोध बना रहेगा।
कुंभ राशि :- किसी घटना का शिकार होने बचिये, भावुकता से हानि हो सकती है।
मीन राशि :- अचानक वाद-विवाद तथा कार्य उपेक्षा से हानि, दुर्घटना के योग बनेंगे।
आरती का बुझना या सोने का खोना, ये संकेत हैं अशुभता के, आए दिन हो रही हैं ये छोटी-छोटी घटनाएं, तो हो जाएं सतर्क
4 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में कई सारी मान्यताएं हैं इनमें से कुछ शास्त्रों से जुड़ी हैं और कुछ लोगों के विचारों से. इन्हीं में शामिल हैं हमारी जिंदगी में रोजाना होने वाली छोटी छोटी घटनाएं जिन्हें कई बार हम गंभीरता से लेते हैं और कई बार अनदेखा कर देते हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ये घटनाएं हमें अशुभ संकेत देती हैं और कुछ भी बुरा होने से पहले ही हमें बचाव के लिए कुछ उपाय करना चाहिए.
सोने की चीज खोना
यदि आपके पास कोई सोने की चीज है और यदि वह खो जाती है तो यह एक अशुभ संकेत है. ऐसे में आपको इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए माता लक्ष्मी को कमल का पुष्प अर्पित करना चाहिए. साथ ही आपको मंदिर में काठ का उल्लू दान करना चाहिए.
आरती का दिया बुझ जाना
कई बार ऐसा होता है कि आप आरती कर रहे हैं और दीया बुझ जाता है. यह भी अशुभ संकेत माना गया है. माना जाता है कि जब ईश्वर आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते तब ऐसा होता है. ऐसी स्थिति में आपको माफी मांगते हुए दूसरा दीया जलाना चाहिए.
भगवान गणेश की मूर्ति का टूटना
भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देव कहा गया है और बप्पा की मूर्ति लगभग घरों में होती है लेकिन, यह मूर्ति यदि टूटती है तो इसे अशुभता से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में आप इस मूर्ति को पवित्र नदी या तालाब मे विसर्जित कर दें और बुधवार को नई प्रतिमा की स्थापना करें.
पालतू कुत्ते का अचानक मर जाना
कई लोग अपने घर में कुत्ता पालते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि वह अचानक की मर जाता है. यह आपके घर में किसी संकट का संकेत देता है. ऐसे में आपको शनि देव की पूजा करना चाहिए और अपनी हर गलतियों के लिए क्षमा मांगना चाहिए.
सोमवार को शिव पूजा में करें ये 6 सरल उपाय, प्रसन्न हो जाएंगे भोलेनाथ, दूर कर देंगे विवाह में आ रही अड़चनें.!
4 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. इसी तरह सोमवार का दिन शिव जी को समर्पित है. माना जाता है कि, सोमवार का व्रत रखकर पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. साथ ही कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए भी ये व्रत रखती हैं. शादीशुदा महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं. इसके अलावा, कुछ सरल उपाय करने से जीवन से कष्ट दूर होते हैं, साथ ही विवाह की अड़चनें भी दूर होती हैं.
शिव की कृपा पाने के लिए सोमवार के 6 सरल उपाय
विवाह के योग बनेंगे: ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी बताते हैं कि, यदि आपकी शादी में कोई अड़चन, बाधा लगातार आ रही है तो इस दोष को दूर करने के लिए शिवलिंग पर केसर वाला दूध चढ़ाएं. जल्द ही आपके घर अच्छा रिश्ता आएगा और विवाह के योग बनेंगे.
आर्थिक तंगी दूर होगी: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, यदि आप आज के दिन आटे की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर मछली को खिलाएं तो आर्थिक तंगी की समस्या आपके जीवन से दूर हो सकती है. धन की कमी महसूस नहीं होगी.
मनोकानाएं पूरी होंगी: अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप सोमवार के दिन इक्कीस बेलपत्र चंदन से ओम नमः शिवाय लिखें. इसे किसी मंदिर में जाकर या फिर घर पर ही शिवलिंग पर अर्पित कर दें.
संतान की प्राप्ति होगी: यदि किसी शादीशुदा जोड़े को संतान की प्राप्ति नहीं हो रही है तो वे आज के दिन आटे से शिवलिंग बनाएं और सभी पर कम से कम ग्यारह बार जलाभिषेक अवश्य करें.
सुख-समृद्धि आएगी: आज के दिन शाम के समय आप शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर गंगाजल जरूर अर्पित करें. इस दौरान ओम नमः शिवाय का उच्चारण करते रहें. इससे भोलेनाथ सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देंगे.
बीमारियां दूर होंगी: यदि घर में किसी की तबीयत काफी दिन से खराब है, किसी को कोई रोग हुआ है तो उससे छुटकारा पाने के लिए आप शिव मंदिर जाकर 101 बार जलाभिषेक करें. इस दौरान आप ‘ॐ जूं स:’ मंत्र का जाप करते रहें.
घर के किचन में है पूजा स्थान? जानें रसोई में पूजाघर होना शुभ या अशुभ? क्या कहता है वास्तु शास्त्र?
4 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में वास्तु शास्त्र को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है और इसके अनुसार लगभग कार्यों को करने से आपको शुभ फल की प्राप्ति होती है. फिलहाल हम बात कर रहे हैं पूजा घर या पूजा के लिए स्थान की, जो कि कई घरों में हमें किचन में देखने को मिलता है. कई बार लोग ऐसा घर में स्थान की कमी के कारण भी करते हैं तो कई लोग किचन को पवित्र मानते हुए वहां देवी या देवताओं की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं. लेकिन, क्या किचन और पूजा का स्थान यानी कि मंदिर का एक साथ होना ठीक है या इससे भी कोई दोष लग सकता है. क्या कहता है वास्तु शास्त्र? आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से किचन और पूजा मंदिर से जुड़े नियमों के बारे में.
क्या किचन में पूजा का स्थान होना चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार किचन में कभी भी पूजा के लिए स्थान नहीं होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि, किचन अग्नि तत्व से जुड़ा होता है और जब यहां पूजा के लिए स्थान रखते हैं तो दो शक्तियों बीच टकराव का प्रभाव आपके घर की सकारात्मक ऊर्जा पर पड़ सकता है. इसलिए आपको किचन में भूलकर भी पूजाघर नहीं बनाना चाहिए.
पवित्रता भी हो सकती है बाधित
यह तो सभी जानते हैं कि पूजा पाठ के लिए किसी भी तरह की तामसिक चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है. जबकि, किचन में हर तरह की चीजों का उपयोग होता है. यदि आप शाकाहारी भी हैं तब भी लहसुन और प्याज का उपयोग लगभग किचन में होता ही है, जो कि तामसिक वस्तुएं मानी गई हैं. वहीं यहां उतनी सफाई नहीं रह पाती, जितनी मंदिर या पूजा के लिए अलग स्थान पर होती है. ऐसे में जब आप पूजा का स्थान किचन में रखते हैं तो इससे पवित्रता बाधित होती है.
पूजन में भी आ सकती है बाधा
आप जब भी मंदिर में या पूजा घर में पूजा कर रहे होते हैं तो वहां शांति का अनुभव करते हैं. क्योंकि, वहां का वातावरण भी अलग होता है और पूरी तरह से सकारात्मक ऊर्जा यहां मिलती है. वहीं बात करें किचन की तो यहां शांति नहीं होती और यहां ऊर्जा प्रवाह गतिशील होता है, जिससे आप जब किचन में पूजा के लिए स्थान बनाते हैं तो पूजा करते समय पूजन में कोई ना कोई बाधा आ सकती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
4 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, धन का व्यर्थ व्यय होगा, उपद्रव तथा क्लेश बना रहेगा।
वृष राशि :- कार्यगति में सुधार, सफलता के साधन बनें, स्त्री-वर्ग से हर्ष होगा, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- अधिकारियों के तनाव से बचें, अर्थलाभ, कार्यकुशलता से संतोष अवश्य होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब से हर्ष-उल्लास, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, विशेष कार्य बनेंगे, ध्यान दें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनें, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा बनें, व्यवसायिक कार्यों में सफलता मिलेगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से लेन-देन के मामले स्थगित रखें, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा तथा सामाजिक प्रतिष्ठा अवश्य बढ़ेगी।
धनु राशि :- अधिकारियों से समर्थन मिलेगा, कार्य कुशलता से संतोष होगा, रुके कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- मानसिक बेचैनी, तर्क-वितर्क से दूर रहें, आरोप का शिकार अवश्य हो सकते हैं।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनेंगे तथा आशानुकूल सफलता मिलेगी।
मीन राशि :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी तथा कार्यों में सफलता अवश्य ही बढ़ेगी।