धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
11 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, व्यवसायिक वृत्ति में सुधार अवश्य ही होगा।
वृष राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष होगा, इष्ट-मित्रों से कुछ मानसिक बेचैनी बढ़ेगी।
मिथुन राशि :- अनावश्यक बेचैनी तथा धन हानि संभव है, तनाव पूर्ण वातावरण बनेगा।
कर्क राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, इधर-उधर भटकना पड़ेगा, दूसरों के कार्य बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- सतर्कता से कार्य करें, अधिकारी वर्ग असमंजस में रखेगा, वातावरण अनुकूल होगा।
कन्या राशि :- रुके हुये कार्य निपटा लें, बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा, कार्य बन जायेगा।
तुला राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास तथा कार्य-व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक विभ्रम रहेगा, इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री-वर्ग से हर्ष होगा।
धनु राशि :- तनाव व अरोप से बचिये, वाद-विवाद की संभावना बनेगी, यात्रा होगी।
मकर राशि :- शुभ समाचार हर्षयुक्त रखेगा, स्थिति यथावत् रहे, इष्ट-मित्र सहयोगी होगा।
कुंभ राशि :- चिन्तायें मन को बेचैनी रखेंगी, तनाव, क्लेश व अशांति, मनोबल बढ़ेगा।
मीन राशि :- प्रयत्न निष्फल होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, व्यवसायिक व्यवस्था बनेगी।
गहरे ध्यान का अनुभव कैसे करें?
10 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ध्यान कोई क्रिया नहीं है; यह ‘कुछ न करने’ की कला है. जब मन शांत होता है तभी आप ध्यान का अनुभव कर सकते हैं. जब मन किसी कार्य में व्यस्त रहता है तो वह थक जाता है, क्योंकि किसी भी तरह की एकाग्रता, चिंतन या मन की कोई भी गतिविधि आपके शरीर की ऊर्जा को नष्ट करती है. ध्यान आपको थकाता नहीं है, बल्कि यह आपको गहरा विश्राम देता है. ध्यान के समय हम देखने, सुनने, सूंघने, चखने जैसी सभी इंद्रिय गतिविधियों से दूर हो जाते हैं. इससे मिलने वाला विश्राम लगभग गहरी नींद जैसा है, लेकिन ध्यान नींद नहीं है.
ध्यान माने सब कुछ छोड़कर विश्राम करना. जब आप घूमना-फिरना, काम करना, बात करना, देखना, सुनना, सूंघना, चखना, सोचना सब कुछ बंद कर देते हैं केवल तभी जाकर आपको नींद आती है. हालांकि नींद में भी आपके भीतर कुछ अनैच्छिक क्रियाएं जैसे सांस लेना, दिल की धड़कन, भोजन पचाना, रक्त-संचार आदि ही रह जाते हैं लेकिन नींद भी पूर्ण विश्राम नहीं है.
हमारी चेतना की चार अवस्थाएं हैं: जाग्रत, स्वप्न, सुषुप्ति और ध्यान की अवस्था. जब आप भीतर से सजग हैं, लेकिन फिर भी पूरी तरह से विश्राम की गहरी अवस्था में हैं, वही ध्यान है. जब मन स्थिर हो जाता है तभी ध्यान लगता है.
जब मन में किसी भी प्रकार की इच्छा बनी रहती है उस समय ध्यान लगना मुश्किल होने लगता है. इसलिए भगवान श्री कृष्ण गीता में कहते हैं, ‘जब तक सभी तरह का संकल्प नहीं छूटता, तब तक मन शांत नहीं होता.’ मान लीजिए कि सोने से पहले आपके मन में एक विचार आता है कि लाइट का स्विच बंद करना है तो आंख बंद करके आप सोने की कितनी भी चेष्टा कर लें आपको नींद नहीं आएगी. आपके मन में यही विचार चलता रहेगा कि, अरे स्विच नहीं बंद किया. जैसे यदि आपकी आंख में रेत का केवल एक छोटा सा कण पड़ जाए तो वह न तो आपको आंख बंद करने देता है और न ही आंख खोल के देखने देता है. इसी तरह से मन यदि विचारों में अटक जाता है तो हो सकता है कि एकदम फालतू का विचार हो, लेकिन वह भी आपको परेशान कर डालता है. इसलिए मन को शांत करना हो तो वैराग्य में आ जाएं. यह सोचिए कि हम सब एक दिन मरने वाले हैं. मृत्यु के ज्ञान से मन शांत हो जाता है.
क्या आपने देखा है कि जब आप किसी की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं, तब आपके मन में क्या हो रहा होता है? प्रतीक्षा की प्रक्रिया में आप हर बीत रहे पल का निरीक्षण करते हैं और यही प्रतीक्षा आपको ध्यान में ले जा सकती है. जब आपको प्रतीक्षा करनी होती है तब आप या तो निराश हो सकते हैं या फिर ध्यानमग्न हो सकते हैं. समय का अनुभव करना ही ध्यान है.
ध्वनि से मौन तक, गति से स्थिरता तक की यात्रा ही ध्यान है.
हालांकि ध्यान कर्म या क्रिया से विपरीत प्रतीत होता है, लेकिन ध्यान क्रिया का पूरक है. हम देखते हैं कि जीवन में सब-कुछ परिवर्तित हो रहा है. ये परिवर्तन हम इसलिए जान पाते हैं, क्योंकि हमारे भीतर कुछ ऐसा है जो परिवर्तित नहीं हो रहा है. वह जो सदा हमारे साथ है हम उसे आत्मा या चेतना का अपरिवर्तित पहलू कहते हैं. ध्यान हमारी चेतना के उस स्थिर और अपरिवर्तनशील संदर्भ बिंदु तक की यात्रा है.
आसन, प्राणायाम, संतुलित भोजन और ज्ञान
ये सभी गहरे ध्यान में उतरने में मदद करते हैं. प्रायः लोग सोचते रहते हैं कि ध्यान के दौरान कोई शोर नहीं होना चाहिए पर ऐसा नहीं है. यदि आपके आस-पास आवाज जो रही हो तो गहरे ध्यान में जाने के लिए वातावरण में हो रही आवाजों को ध्यान से सुनें और उन्हें स्वीकार कर लें, उनसे लड़ें नहीं. आप जितना अधिक शोर से छुटकारा पाना चाहेंगे, वह आपको उतना ही अधिक विचलित करेगा. यह मन का सिद्धांत है कि आप जिस किसी चीज का विरोध करते हैं वह उतना ही अधिक प्रबल बना रहता है और इससे समस्या समाप्त नहीं होती. इसलिए सबसे पहले आपको उसका विरोध बंद करना चाहिए. ध्यान की गहराई में जाने के लिए प्राणायाम का अभ्यास करें. प्राणायाम से आपका मन स्थिर होने लगता है और ध्यान करना आसान हो जाता है.
हमारा भोजन भी ध्यान पर गहरा प्रभाव डालता है. भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है- सात्विक, राजसिक और तामसिक. तामसिक भोजन के सेवन से बहुत अधिक आलस्य, तन्द्रा और जड़ता आती है. यदि शरीर में बहुत अधिक तामसिक ऊर्जा हो तो आप ध्यान करने के लिए बैठेंगे लेकिन नींद में चले जाएंगे. ऐसे ही राजसिक भोजन के सेवन से हमारे मन में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, जैसे कभी आप बहुत खुश अनुभव करेंगे और कभी छोटी सी बात पर ही उदास हो जाएंगे.
जब शरीर में रजस असंतुलित हो जाता है तब मन में बहुत से विचार आने लगते हैं और बेचैनी होने लगती है. रजस के कारण ध्यान में हमारा शरीर एक स्थिति में स्थिर नहीं रह पाता और हम ध्यान में नहीं जा पाते. इसका यह अर्थ नहीं है कि आप राजसिक भोजन बंद कर दें. अगर सभी लोग हमेशा शांत और एकसमान स्थिति में रहें तो जीवन में कोई रंग ही नहीं होगा. थोड़ा बहुत रजस जीवन को रंगीन बनाता है लेकिन जब यह अधिक होने लगे और असहनीय लगे तो फिर आपको सात्विक आहार की ओर मुड़ना चाहिए. सात्विक और हल्का आहार आसानी से पच जाता है और शरीर को त्रिदोषों से मुक्त रखता है जिससे आपके ध्यान में गहराई आती है.
अक्षय नवमी ... ये 2 उपाय दूर कर देंगे घर की दरिद्रता और वास्तु दोष! देवघर के आचार्य से जानें
10 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का बेहद खास महत्व है. इस दिन को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखकर आंवला पेड़ के नीचे पूजा की जाती है. अक्षय नमवी का महत्व अक्षय तृतीया के समान होता है. इस दिन भी कोई नए कार्य की शुरुआत की जा सकती है. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. तो आइए देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं इस बार अक्षय नवमी पर क्या खास हो रहा है.
हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन अक्षय नवमी का व्रत रखा जाता है. इस दिन को आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस साल 10 नवंबर को अक्षय नवमी का व्रत रखा जाएगा. अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही आंवला पेड़ की भी पूजा की जाती है. पुराणों के अनुसार इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी.
अक्षय नवमी के दिन करें धन के लिए ये उपाय
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अक्षय नवमी के दिन गुप्त दान का विशेष महत्व है. उस दिन आंवले पेड़ के नीचे पूजा कर एक कोहड़े में धन रखकर किसी ब्राह्मण को दान करें. इसके साथ ही किसी ब्राह्मण को आंवला पेड़ के नीचे भोजन अवश्य करना चाहिए. इससे घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होगी और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी. दूसरा उपाय ये कि अक्षय नवमी के दिन घर की उत्तर या पूर्व दिशा में आंवला का पौधा लगाएं, इससे घर का वास्तु दोष समाप्त हो जाएगा.
इस दिन भगवान विष्णु ने भी की महादेव की पूजा, इस दिन व्रत करने से मिल सकता है बैकुंठ
10 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद व्रत रखना चाहिए और रात में भगवान विष्णु की कमल के फूलों से पूजा करना चाहिए, शिव जी को तुलसी अर्पित करना चाहिए.बैकुंठ चतुर्दशी एक मात्र ऐसा दिन है जब शिव जी को तुलसी और विष्णु जी को बेलपत्र चढ़ती है. बैकुंठ चतुर्दशी, भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित एक पवित्र दिन है. इस दिन को शैवों और वैष्णवों की पारस्परिक एकता का प्रतीक माना जाता है.
बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि : बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत रुप से पूजा – अर्चना कि जाती है. धूप-दीप, चन्दन तथा पुष्पों से भगवान का पूजन तथा आरती कि जाती है. भगवत गीता व श्री सुक्त का पाठ किया जाता है तथा भगवान विष्णु की कमल पुष्पों के साथ पूजा करते हैं. श्री विष्णु का ध्यान व कथा श्रवण करने से समस्त पापों का नाश होता है. विष्णु जी के मंत्र जाप तथा स्तोत्र पाठ करने से बैकुण्ठ धाम की प्राप्ति होती है.
बैकुण्ठ चतुर्दशी का महात्म्य : बैकुण्ठ चतुर्दशी व्रत का भी विशेष महात्म्य है इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए शास्त्रों की मान्यता है कि जो एक हजार कमल पुष्पों से भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं, वह भव-बंधनों से मुक्त होकर बैकुण्ठ धाम पाते हैं. मान्यता है कि कमल से पूजन करने पर भगवान को समग्र आनंद प्राप्त होता है तथा भक्त को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बैकुण्ठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में सरोवर, नदी इत्यादि के तट पर 14 दीपक जलाने चाहिए. बैकुण्ठाधिपति भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा उन्हें तुलसी पत्ते अर्पित करते हुए भोग लगाना चाहिए.
इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत करना चाहिए शास्त्रों की मान्यता है कि जो एक हजार कमल पुष्पों से भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन कर शिव की पूजा अर्चना करते हैं, वह भव-बंधनों से मुक्त होकर बैकुण्ठ धाम पाते हैं. मान्यता है कि कमल से पूजन करने पर भगवान को समग्र आनंद प्राप्त होता है तथा भक्त को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. बैकुण्ठ चतुर्दशी को व्रत कर तारों की छांव में सरोवर, नदी इत्यादि के तट पर 14 दीपक जलाने चाहिए. बैकुण्ठाधिपति भगवान विष्णु को स्नान कराकर विधि विधान से भगवान श्री विष्णु पूजा अर्चना करनी चाहिए तथा उन्हें तुलसी पत्ते अर्पित करते हुए भोग लगाना चाहिए.
बैकुंठ चतुर्दशी से जुड़ी कुछ खास बातेंः
यह त्योहार कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है.
इस दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा की जाती है.
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु और शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
इस दिन पूजा-पाठ करना चाहिए और मंदिर में घी का दीपक जलाना चाहिए.
इस दिन गंगा स्नान करना और शाम के समय दीपदान करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है.
इस दिन भगवान शिव को भिजी तुलसी का भोग लगाया जा सकता है.
इस दिन तीर्थ घाट पर पवित्र नदी के किनारे दीपदान करना सबसे शुभ माना जाता है.
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद, भगवान शिव सृष्टि चलाने की ज़िम्मेदारी फिर से विष्णु जी को सौंपते हैं.
बैकुण्ठ चतुर्दशी कथा : प्राचीन मतानुसार एक बार भगवान विष्णु देवाधिदेव महादेव का पूजन करने के लिए काशी आए. वहा मणिकर्णिका घाट पर स्नान करके उन्होंने एक हज़ार स्वर्ण कमल पुष्पों से भगवान विश्वनाथ के पूजन का संकल्प किया. अभिषेक के बाद जब वे पूजन करने लगे तो शिवजी ने उनकी भक्ति की परीक्षा के उद्देश्य से एक कमल पुष्प कम कर दिया. भगवान श्रीहरि को पूजन की पूर्ति के लिए एक हज़ार कमल पुष्प चढ़ाने थे. एक पुष्प की कमी देखकर उन्होंने सोचा मेरी आंखें भी तो कमल के ही समान हैं. मुझे ‘कमल नयन’ और ‘पुंडरीकाक्ष’ कहा जाता है. यह विचार कर भगवान विष्णु अपनी कमल समान आंख चढ़ाने को प्रस्तुत हुए.
विष्णु जी की इस अगाध भक्ति से प्रसन्न होकर देवाधिदेव महादेव प्रकट होकर बोले- “हे विष्णु! तुम्हारे समान संसार में दूसरा कोई मेरा भक्त नहीं है. आज की यह कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी अब ‘बैकुंठ चतुर्दशी’ कहलायेगी और इस दिन व्रत पूर्वक जो पहले आपका पूजन करेगा, उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होगी. भगवान शिव, इसी बैकुण्ठ चतुर्दशी को करोड़ो सूर्यों की कांति के समान वाला सुदर्शन चक्र, विष्णु जी को प्रदान करते हैं.इसी दिन शिव जी तथा विष्णु जी कहते हैं कि इस दिन स्वर्ग के द्वार खुले रहेंगें.मृत्युलोक में रहना वाला कोई भी व्यक्ति इस व्रत को करता है, वह अपना स्थान बैकुण्ठ धाम में सुनिश्चित करेगा.
पूजा में ध्यान रखें ये बातें : भगवान विष्णु को केसरिया चंदन मिले जल से स्नान कराएं. स्नान के बाद चंदन, पीले वस्त्र, पीले फूल वहीं शिवलिंग पर दूध मिले जल से स्नान के बाद सफेद आंकड़े के फूल, अक्षत, बिल्वपत्र और दूध से बनी मिठाईयों का भोग लगाकर चंदन धूप व गो घृत जलाकर भगवान विष्णु और शिव का नीचे लिखे मंत्रों से स्मरण करें –
विष्णु मंत्र
पद्मनाभोरविन्दाक्ष: पद्मगर्भ: शरीरभूत्.
महर्द्धिऋद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वज:..
अतुल: शरभो भीम: समयज्ञो हविर्हरि:.
सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जय:..
शिव मंत्र
वन्दे महेशं सुरसिद्धसेवितं भक्तै: सदा पूजितपादपद्ममम्.
ब्रह्मेन्द्रविष्णुप्रमुखैश्च वन्दितं ध्यायेत्सदा कामदुधं प्रसन्नम्..
मंत्र स्मरण के बाद खासतौर पर दोनों देवताओं को कमल फूल भी अर्पित करें. पूजा व मंत्र जप के बाद विष्णु व शिव या त्रिदेव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर घर के द्वार पर दीप प्रज्जवलित भी करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, अर्थ-व्यवस्था अनुकूल, सामाजिक कार्य अवश्य होंगे।
वृष राशि :- थकाव, असमर्थता का वातावरण बनेगा, प्रत्येक कार्य में विलम्ब व उद्विघ्नता बनेगी।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब में तनाव व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा धन का लाभ अवश्य ही होगा।
कर्क राशि :- धन का व्यय एवं चिन्तायें असमंजस में रखेंगी, विरोधी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से संतोष, दैनिक कार्यगति कष्टप्रद होगी, धैर्य रखें।
कन्या राशि :- कार्य-व्यवसाय अनुकूल, चिन्तायें कम होंगी तथा स्वभाव में बेचैनी अवश्य बनेगी।
तुला राशि :- आकस्मिक घटना का शिकार होने से बचें, प्रत्येक कार्य में बाधा उत्पन्न होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य-व्यवसाय में समृद्धि के साधन बनें तथा कार्य-योजना सफल अवश्य होगी।
धनु राशि :- प्रत्येक कार्य में विलम्ब तथा उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन मिले, मनोबल, पराक्रम उत्साहवर्धक होगा।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति मंद, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- इष्ट-मित्रों से लाभ, अधिकारी वर्ग का समर्थन मिले, सुख-समृद्धि के साधन बनेंगे।
गंगाजल घर में किस दिशा, स्थान और पात्र में रखना चाहिए? जानें इस पवित्र जल से जुड़े कुछ जरूरी नियम
9 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गंगा नदी एक बेहद ही पवित्र नदी है. लोग देशभर में मौजूद गंगा नदी में डुबकी लगाने जाते हैं ताकि उनके सारे पाप और बुरे कर्म धुल जाएं. गंगा नदी में डुबकी लगाने की कई शुभ तिथियां हैं जैसे गंगा दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति, गंगा सप्तमी आदि. लोग जब भी गंगा नदी जाते हैं तो गंगाजल (Gangajal) अपने साथ डिब्बे में भरकर जरूर लाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि इसके पानी को अमृत समाना माना गया है. इसका पूजा-पाठ में खूब इस्तेमाल होता है. सूर्य देवता को गंगाजल से अर्घ्य दिया जाता है. शिव जी को भी गंगाजल से जलाभिषेक किया जाता है. कुछ लोग गंगाजल ले तो आते हैं, लेकिन घर में इसे सही जगह पर नहीं रखते. इसे रखने के लिए भी प्लास्टिक के डब्बे का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. चलिए जानते हैं गंगाजल लाने के बाद घर में कहां और किस पात्र में रखना चाहिए.
गंगाजल का इस्तेमाल कब किया जाता है?
-पूजा-पाठ में गंगाजल का इस्तेमाल किया जाता है.
-मृत्यु से संबंधित संस्कार में भी गंगाजल उपयोग किया जाता है.
– शुभ कार्यों जैसे शिशु के जन्म, गृह प्रवेश, घर, मंदिर या अन्य स्थान को शुद्ध करने के लिए.
गंगाजल को किस बर्तन में रखना चाहिए?
स्पिरिचुअल लीडर डॉ. शिवम साधक जी महाराज ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट शिवमसाधक_जी पर गंगाजल से जुड़े कुछ उपायों पर एक महत्वपूर्ण पोस्ट साझा किया है, जिसमें वे गंगाजल को किस दिशा और किस पात्र में रखने की जानकारी दे रहे हैं. वे कहते हैं कि लोग अक्सर गांग नदी में स्नान करने के बाद प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल में गंगाजल भरकर लाते हैं और घर आकर उसी में रहने देते हैं. आप बेशक, गंगा नदी से प्लास्टिक के डिब्बे, बोतल में भरकर गंगाजल घर लाएं, लेकिन घर पर आते ही पात्र बदल देना चाहिए. इसे हमेशा शुद्ध पात्र में रखें. इसके लिए आप मिट्टी, पीतल, तांबे, कांसे, चांदी के बर्दन में गंगाजल रखें. प्लास्टिक के केन में रखना अशुभ है. यदि आपने अब तक घर में गंगाजल प्लास्टिक के केन, बोतल में रखा हुआ है तो इसे फौरन ही किसी धातु के पात्र में रख दें. आपको बता दें कि गंगाजल न तो कभी खराब होता है और न ही अशुद्ध होता है. इसमें कीड़े भी नहीं पनपते हैं.
घर में गंगाजल को किस दिशा में रखना चाहिए?
लोग गंगाजल गंगा नदी से ले तो आते हैं, लेकिन उसे कहीं भी रख देते हैं. बेडरूम, किचन, लिविंग रूम के किसी भी अलमारी में घुसा कर रख देते हैं. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, गंगाजल को कभी भी इधर-उधर दूषित जगह पर ना रखें. इसे घर के ईशान कोण में रखें. यदि यहां रखना संभव नहीं है तो घर के मंदिर में गंगाजल रखें.
राहु का ये रत्न भूलकर भी धारण ना करें इन 4 राशि के जातक, फायदे की जगह पहुंचाता है हानि, बिगाड़ देगा सारे काम!
9 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में आने वाली विभिन्न तरह की परेशानियों का कारण कई बार समझ नहीं आता और ज्योतिष शास्त्र में इसका कोई ना कोई हल जरूर मिलता है. वहीं ज्योतिष में रत्न शास्त्र को भी काफी महत्व दिया गया है. जिसमें 9 रत्नों का उल्लेख मिलता है. हर रत्न नवग्रहों में से किसी ना किसी ग्रह से जुड़ा होता है. आप यदि सही रत्न को धारण करते हैं तो आपके जीवन में व्याप्त परेशानियों से आपको राहत मिलती है और कई समस्याओं का समाधान निकलता है. वहीं गलत रत्न धारण करने से स्वास्थ्य, आर्थिक आदि समस्यों की बाढ़ आ जाती है. 9 रत्नों में से एक गोमेद को राहु का रत्न कहा जाता है. ऐसे में इस रत्न को धारण करने से पहले जान लें कि किसे पहनना चाहिए और किसे नहीं? इस बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे आइए जानते हैं.
मेष राशि वाले जातक
इस राशि का स्वामी मंगल है, जिसे युद्ध का देवता भी कहा गया है. पंडित जी के अनुसार, इस राशि के जातक उत्साह से भरे और काफी साहसी होते हैं. मेष राशि वालों को गोमेद रत्न भूल कर भी नहीं पहनना चाहिए क्योंकि इसका संबंध राहु से है और जब आप इस रत्न को धारण करते हैं तो आपको अशुभ परिणाम मिलते हैं.
कर्क राशि वाले जातक
इस राशि का स्वामी चंद्रमा है और ये लोग काफी भावुक और परिवार प्रेमी होते हैं. चूंकि चंद्रमा का प्रभाव इस राशि के जातकों पर गहरा होता है, ऐसे में आपको भी गोमेद रत्न को भूलकर भी धारण नहीं करना चाहिए. यदि आप इस रत्न को धारण करते हैं तो आपके जीवन में विभिन्न तरह की समस्याएं आ सकती हैं.
सिंह राशि वाले जातक
इस राशि के स्वामी सूर्य हैं और आमतौर पर इसलिए सूर्य का प्रभाव भी सिंह राशि के जातकों पर अधिक होता है. ऐसे में इन लोगों को गोमेद रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए. चूंकि सूर्य और राहु दोनों ही एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं. ऐसे में आप इसे धारण करने से बचें.
मीन राशि वाले जातक
राहु को एक अशुभ ग्रह के रूप में जाना जाता है और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति ग्रह है. ये दोनों ग्रह भी एक दूसरे के विरोधी माने जाते हैं. ऐसे में जब आप गोमेद रत्न धारण करते हैं तो आपके जीवन में कई तरह की समस्याएं आती हैं. आपको इस रत्न के धारण करने से मानसिक तनाव और चिंता बढ़ सकती है.
कब है देव उठनी एकादशी? पूजा में करें पीली चीजों का इस्तेमाल
9 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर महीने 2 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं.सनातन धर्म में इस व्रत का अपना विशेष महत्व है.कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देव उठनी एकादशी के नाम से जानते हैं.यह दिन हिन्दू धर्मावलंबियों के लिए खास होता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु चार महीने बाद शयन मुद्रा से जगते हैं. उनके जागने के साथ ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं.
देव उठनी एकादशी
काशी के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य स्वामी कन्हैया महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु जब शयन मुद्रा में रहते हैं, तो हर तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है.लेकिन जब देव उठनी एकादशी को वो जगते हैं, तो दोबारा से शादी,विवाह,मुंडन सहित अन्य मांगलिक कार्य शुरू होते हैं.
देव उठनी एकादशी कब है?
सनातन पंचांग के अनुसार,इस बार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 11 नवम्बर की शाम 6 बजकर 46 मिनट पर हो रही है जो अगले दिन यानी 12 नवम्बर को 4 बजकर 14 मिनट तक रहेगी.ऐसे में उदया तिथि के अनुसार इस बार देवउठनी एकादशी का व्रत 12 नवम्बर को ही रखा जाएगा.
भगवान विष्णु की पूजा में करें पीली चीजों का प्रयोग
स्वामी कन्हैया महाराज के बताया कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है. इसलिए इस दिन भक्त भगवान विष्णु की पूजा आराधना भी करते हैं. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए. स्नान के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु के पूजम में पीले वस्त्र, फूल और मिठाई का प्रयोग जरूर करना चाहिए. इससे विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा भी भक्तों पर बनी रहती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
9 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रभुत्व वृद्धि, स्त्री-वर्ग से उल्लास, सफलता के साधन अवश्य ही जुटायें।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनें, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मिथुन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार अवश्य ही होगा।
कर्क राशि :- व्यवसायिक क्षमता मंद, किसी से धोखा तथा आरोप लग सकता है सावधान रहें।
सिंह राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, तनाव, क्लेश व अशांति, सार्थक प्रयोजन बना ही रहेगा।
कन्या राशि :- मानसिक उद्विघ्नता, धन का व्यय होगा, आर्थिक समृद्धि के साधन बनेंगे ध्यान दें।
तुला राशि :- व्यावसायिक क्षमता मंद, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बन ही जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री से हर्ष, कार्य-व्यावसाय के साधन बनेंगे।
धनु राशि :- व्यवसायिक चिन्तायें रहेंगी, थकावट, बेचैनी बनें, कपट से बचने का प्रयास करें।
मकर राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, चिन्तायें कम हों, सफलता के साधन अवश्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- स्त्री-वर्ग से तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, उपद्रव अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक उद्वविघ्नता, स्वभाव में बेचैनी अवश्य बनेगी।
किचन में रखी ये एक चीज है बेहद चमत्कारी, सरल उपाय से खुल जाएंगे भाग्य, नौकरी-व्यापार में मिलेगा लाभ
8 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय घरों में लौंग और इलायची का इस्तेमाल खाने-पीने की चीजों के अलावा पूजा पाठ में किया जाता है. इसे माउथ फ्रेशनर के रूप में भी खाया जाता है और चाय का जायका बढ़ाने में भी उपयोग किया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं आपकी किचन में रखी इलायची आपका भाग्य भी चमका सकती है. दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में इलायची के कई ऐसे उपाय बताए गए हैं, जो चमत्कारी सिद्ध होते हैं. यदि आपको अधिक मेहनत और पूरी ईमानदारी से किए गए कार्य का कोई फल प्राप्त नही हो रहा है और आप आर्थिक रूप से भी काफी परेशान हो चुके हैं तो इलायची का उपाय आपके लिए कारगर है. आपके नौकरी और कारोबार के लिए इसके कुछ उपाय कर सकते हैं. आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
नौकरी-कारोबार के लिए उपाय
यदि आप नौकरीपेशा हैं या फिर कारोबारी हैं और लगातार कड़ी मेहनत के बावजूद आपको आपकी उम्मीद के मुताबिक लाभ नहीं मिल रहा है तो आप इसके लिए एक उपाय कर सकते हैं. आपको किसी भी मंगल या शनिवार को हनुमान जी को 2 इलायची अर्पित करना है. इससे पहले आपको उनकी प्रतिमा के सामने दंडवत होना होगा. इसके अगले दिन दोनों इलायची को अपने कार्यस्थल पर किसी साफ स्थान पर रख दें.
आर्थिक तंगी दूर करने का उपाय
यदि आप अपने कार्य को पूर्ण ईमानदारी से करते हैं, लेकिन मेहनत के बावजूद आपको इसका फल नहीं मिल रहा है और आर्थिक परेशानी भी बढ़ती जा रही है तो इलायची का उपाय आपको करना चाहिए. इसके लिए शुक्रवार को 7 इलायची पीले कपड़े में बांधें और अपनी तिजोरी में रख दें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी की कृपा से आपकी आर्थिक परेशानी दूर होने लगती है.
घरेलू कलह दूर करने का उपाय
यदि आपके घर में आए दिन लगातार कलह और क्लेश का वातावरण बनता है और परिवार के सदस्यों में झगड़े होते हैं या फिर पति-पत्नी की रिश्तों में खटास आ गई है तो आपको इलायची का उपाय करना चाहिए. इसके लिए आप शुक्रवार की रात एक इलायची को अपने तकिये के नीचे रख कर सोएं. ऐसा आपको लगातार तीन शुक्रवार करना है. इससे आपको लाभ मिलेगा.
ॐ नमः शिवाय का जाप करने के होते हैं नियम, महिलाओं को ऐसे बोलना चाहिए ये मंत्र, अगर आप भी कर रहे हैं गलती तो पूजा होगी असफल !
8 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव के पंचाक्षरी शिव मंत्र में प्रकृति के पांचों तत्वों को नियंत्रित करने की शक्ति है. “ओम् नम: शिवाय:” में न पृथ्वी, म: जल, शि अग्नि, वा प्राण वायु और य आकाश को इंगित करते हैं. शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव ने स्वयं इस मंत्र में बारे में माता पार्वती को बताते हुए कहा था कि कलयुग में यह मंत्र सभी पापों और कष्टों को हरने वाला होगा. लेकिन इस मंत्र का जाप करने के लिए आपको पहले गुरुदीक्षा लेनी चाहिए, ओम नमः शिवाय एक वैदिक मंत्र है और इसका जाप करने के लिए सबसे पहले किसी गुरु से इस मंत्र को लेना चाहिए. अगर आपने किसी गुरु से यह मंत्र प्राप्त नहीं किया है तो इसका जाप आपको ग़लत परिणाम भी दे सकता है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए अन्य कई मंत्र हैं जिनका जाप करके आप उन्हें शीघ्र प्रसन्न कर सकते हैं.
शिव जी से जुड़े कुछ और मंत्र:
1. शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय ‘श्रीभगवते साम्बशिवाय नमः. स्नानीयं जलं समर्पयामि’ मंत्र का जाप करना चाहिए.
2. शिव जी का गायत्री मंत्र है, ‘ओम् तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्’.
3. सोमवार को पूजा करते समय नामावली मंत्रों का जाप करना अधिक फलदायी माना जाता है.
भगवान शिव भक्तों से अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. उन्हें उनकी प्रिय चीजें भांग, धतुरा, आक फूल, शमी के पत्ते, बेल पत्र चढ़ाना चाहिए. हालांकि भोले बाबा को केवल जल चढ़ाकर भी प्रसन्न किया जा सकता है. पंचाक्षरी शिव मंत्र ओम् नम: शिवाय:” के जाप का भी बहुत महत्व है. इस मंत्र के जाप से मोक्ष प्राप्ति होती है. हालांकि इस मंत्र का ठीक से जाप करना जरूरी होता है. यहां तक कि स्त्री पुरुष के लिए इस मंत्र के जाप के अलग अलग नियम हैं. महाशिवपुराण में इस मंत्र के जाप को लेकर विस्तार से बताया गया है. आइए जानते हैं पंचाक्षरी शिव मंत्र “ओम् नम: शिवाय:”के जाप क्या नियम हैं और इसका महत्व.
ओम् नमः शिवाय’ मंत्र के बारे में: धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, महिलाओं को ओम् नमः शिवाय’ का जाप नहीं करना चाहिए.महिलाओं को ओम् नमः शिवाय’ की जगह ओम् शिवाय नमः का उच्चारण करना चाहिए. महिलाओं को ओम् नम: शिवाय: मंत्र का जाप करते समय पंचाक्षर से शुरू करके षडाक्षर तक जाना चाहिए.ओम् नमः शिवाय मंत्र का जाप रुद्राक्ष माला से किया जाता है.महिलाओं के लिए शिव जी का मंत्र ‘ओम् पार्वतीपतये नमः’ माना जाता है. स्कन्दपुराण के मुताबिक, ‘ओम् नमः शिवाय’ महामंत्र मोक्ष प्रदाता है.
अक्षय नवमी पर करें ये उपाय, धन संबंधी समस्या के साथ वैवाहिक जीवन का क्लेश होगा खत्म!
8 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना करने का विधान है. इस दिन आंवला के वृक्ष पर दूध अर्पित करें और और पूर्व की ओर मुख करके ॐ धात्र्ये नमः मंत्र का जप करें. ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है.इसके अलावा कुछ ऐसे उपाय हैं जिन्हें करके हमें श्री हरि विष्णु की कृपा प्राप्त होगी और हमारे जीवन से हर तरह की समस्या का समापन होगा, आइये ऐसे कुछ उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की कपूर व घी के दीपक से आरती करें और 108 बार परिक्रमा करें. इसके साथ ही आंवला के वृक्ष के नीचे ब्राह्मण, गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. साथ ही खुद भी वृक्ष के पास भोजन करें. ऐसा करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है और परिवार के सदस्यों की उन्नति भी होती है.
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पौधे का दान करना बहुत उत्तम माना गया है. इसके साथ ही आप भी अपने घर की उत्तर दिशा में आंवला का वृक्ष लहाएं. अगर उत्तर दिशा में पौधा लगाना संभव नहीं है तो पूर्व दिशा में भी लगा सकते हैं. ऐसा करने से वास्तु दोष दूर होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है, जिससे परिवार के सभी सदस्यों की समस्याएं दूर होती हैं.
अक्षय नवमी के दिन उपवास रखना बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन उपवास रखकर आंवला के वृक्ष की पूजा करें और भगवान विष्णु को आंवले का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद उस आंवले का सेवन कर लें. ऐसा करने से सभी पाप नष्ट होता जाते हैं और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है. साथ ही इस दिन गरीब व जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़ों का दान करने से घर में धन धान्य की कमी नहीं होती है.
अक्षय नवमी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना करने के बाद हनुमानजी को सिंदूर, चोल और पान का बीड़ा अर्पित करें. इसके बाद पूजा अर्चना करें और सुंदरकांड का पाठ करें. ऐसा करने से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही भगवान विष्णु के साथ हनुमानजी की कृपा भी प्राप्त होती है.
अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करें और फिर एक पीला कपड़ा लें. उसमें 4 आंवले जो एक दिन पहले के तोड़े हुए हैं उन्हें उस कपड़े में रख लें. इसके बाद उस पोटली को तांबे या पीतल के बर्तन में रख कर अपने बेडरूम की अलमारी में रख लें. हर माह के शुक्ल पक्ष की अवामी को आंवले बदलें. ऐसा सिर्फ आपको 5 नवमी तिथियों तक करना है. इससे आपको लाभ दिखने लगेगा.
अक्षय नवमी के दिन तिल के तेल का दीया जलाकर उससे आंवले के पेड़ की पूजा करें एवं आरती उतारें. फिर इसके बाद उस दीपक में अपने और अपने जीवनसाथी से 5 कपूर उसार कर डाल दें और दीपक को आंवले के पेड़ के नीचे रखकर घर आ जाएं. ध्यान रहे कि इस उपाय को पति-पत्नी को साथ में करना है तभी इसका शुभ फल प्राप्त होगा और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी.
अक्षय नवमी के दिन भगवान विष्णु को 5 गेंदे के फूल लाल कपड़े में रखकर चढ़ाएं. फिर उस पोटली को घर की पूर्व दिशा में बांध दें. इसके आलवा, आप बागवान विष्णु को एक शंख भी अर्पित कर सकते हैं. शंख चढ़ाने से भी श्री हरि नारायण शीघ्र प्रसन्न होकर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं. साथ ही, घर एवं दांपत्य जीवन में पसरी कैसी भी नकारात्मकता क्यों न हो उसे दूर कर देते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद हो, कार्यकुशलता से संतोष होगा, ध्यान दें।
वृष राशि :- शारीरिक क्षमता में कमी, उदासीनता, विरोधी तत्वों से बचिये, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, दूसरों के कार्यों से परेशानी, खिन्नता अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- मन में तनाव, धन और सामर्थ्य फलप्रद होगा तथा कार्यगति मन विक्षुब्ध रखेगी।
सिंह राशि :- दूसरों के कार्यों में समय नष्ट न करें, स्त्री-वर्ग से तनाव तथा क्लेश अवश्य होगा।
कन्या राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, अग्नि-चोटादि का भय, आशानुकूल सफलता मिलेगी।
तुला राशि :- प्रयत्न सफल हों, मित्र-वर्ग से तनाव, मानसिक अशांति, विभ्रम बेचैनी बनेगी।
वृश्चिक राशि :- चिन्तायें कम हों, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, धन-लाभ, सफलता के साधन जुटायें।
धनु राशि :- समय व्यर्थ जायेगा, कार्य में विलम्ब व बाधा, इष्ट-मित्रों से हानि होगी, धैर्य रखें।
मकर राशि :- अधिकारियों से तनाव, क्लेश, मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- अनायास विभ्रम, मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता मन को कष्टप्रद रखेगी।
मीन राशि :- धन और शक्ति व्यर्थ जायेगी, मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि के योग बनेंगे।
दीपक को न रखें जमीन पर
7 Nov, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जगत में सभी लोग धन और वैभव चाहते हैं और इसके लिए जी जान से प्रयास करते हैं। उनके हर प्रयास के पीछे असली लक्ष्य सुख शान्ति और अपने परिवार की खुशहाली और तरक्की होती है पर लेकिन कई बार आपने देखा होगा की सब प्रयास करने के बाद हम धन सम्पदा तो कमा लेते है पर घर की शान्ति और अमन बिगड़ जाता है। ऐसी क्या गलतियां हैं जो भूलवश हम करते रहते है और जिनके कारण हमारे सुखी जीवन पर ग्रहण लगा रहता है।
दीपक हमारे घर में प्रतिदिन जलाया जाता है। दीपक का प्रयोग हम भगवान् की पूजा के लिए करते है। कभी गलती से भी दीपक को ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए।
शिवलिंग की पूजा हम प्रतिदिन करते है ,पर क्या आप जानते है कभी शिवलिंग ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। कई लोग मंदिर साफ़ करते समय कई बार शिवलिंग ज़मीन पर रखते है। ऐसा कभी न करे। शालिग्राम की पूजा तो सभी करते है। पर ज्योतिष एक बात हमेशा ध्यान में रखे कि कभी भी शालिग्राम को ज़मीन पर न रखे। इससे आप के घर कि आर्थिक स्थिति ख़राब हो सकती है।जनेऊ को बहुत पवित्र माना गया है। इसलिए इसे कभी ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। न ही फेकना चाहिए। अगर आप का जनेऊ ख़राब है तो उसे पेड़ की टहनी से बाँध दे या पेड़ की जड़ में डाल दे। शंख का प्रयोग हर रोज पूजा पाठ में किया जाता है। इसलिए कभी भी शंख को ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए। शंख बजाने के बाद हमेशा उसे धोकर रखना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भोजन की थाली को भी कभी जमीन पर नहीं रखना चाहिए ऐसा करना भी दुर्भाग्य की वजह बन जाता है।
शनिदेव के हैं नौ वाहन
7 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूर्यपुत्र शनिदेव न्याय के देवता हैं हालांकि लोग उनके कोप से भयभीत रहते हैं पर वह हमेशा ही कार्यों के अनुरुप परिणाम देते हैं। उनके कई वाहन हैं। शनि के वाहनों की बात करते हुए सामान्य। रूप से कौवे के बारे में ध्या न आता है, लेकिन उनके कौवे सहित कुल 9 वाहन है। जिनमें से कई को ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व के अनुसार बेहद शुभ माना गया हैं। इसके बावजूद जरूरी नहीं है कि वे सभी आपके लिए भी शुभ ही हों। इसलिए ये जानना अत्यंित आवश्याक है कि कौन शुभ है और कौन अशुभ। शास्त्रों की माने तो शनि जिस वाहन में सवार होकर किसी व्येक्तिर की कुंडली में प्रवेश करते हैं उसकी राशि की गणना करके तय होता है कि उनका आगमन व्यडक्तिे के लिए अच्छाि है या बुरा।
इस गणना की विधि सुनने में कठिन लगती है पर है गणित के सूत्रों की तरह एक दम तय है। इसके लिए जन्म नक्षत्र की संख्या और शनि के राशि बदलने की तिथि के नक्षत्र की संख्या जोड कर उसके योगफल को नौ से भाग करना होता है। इस गणना से मिली संख्या के आधार पर ही शनि का वाहन निर्धारित होता है। एक दूसरी विधि भी है, इसमें शनि के राशि प्रवेश करने की तिथि की संख्या, ऩक्षत्र संख्या, वार संख्या और नाम के प्रथम अक्षर संख्या सभी को जोडकर योगफल को 9 से भाग देदें, जो शेष संख्या आयेगी वो शनि के वाहन की जानकारी देगी। दोनो विधियों मे यदि शेष 0 बचे तो मानना चाहिए कि आपकी अपेक्षित संख्याच 9 है।
सूर्य देव का परिवार
रविवार को सूर्यदेव का दिन माना जाता है। यश और सम्मान हासिल करने के लिए सभी लोग उनकी पूजा करते हैं। पर क्या0 आप सूर्यदेव के परिवार को जानते हैं। सूर्य देव का परिवार काफी बड़ा है। उनकी संज्ञा और छाया नाम की दो पत्निोयां और दस संताने हैं। जिसमे से यमराज और शनिदेव जैसे पुत्र और यमुना जैसी बेटियां शामिल हैं। मनु स्मृ ति के रचयिता वैवस्वत मनु भी सूर्यपुत्र ही हैं।
सूर्य देव की दो पत्नि यां संज्ञा और छाया हैं। संज्ञा सूर्य का तेज ना सह पाने के कारण अपनी छाया को उनकी पत्नीे के रूप में स्थासपित करके तप करने चली गई थीं। लंबे समय तक छाया को ही अपनी प्रथम पत्नीं समझ कर सूर्य उनके साथ रहते रहे। ये राज बहुत बात में खुला की वे संज्ञा नहीं छाया है। संज्ञा से सूर्य को जुड़वां अश्विनी कुमारों के रूप में दो बेटों सहित छह संताने हुईं जबकि छाया से उनकी चार संताने थीं।
देव शिल्पीि विश्वशकर्मा सूर्य पत्नी् संज्ञा के पिता थे और इस नाते उनके ससुर हुए। उन्होंिने ही संज्ञा के तप करने जाने की जानकारी सूर्य देव को दी थी।
धर्मराज या यमराज सूर्य के सबसे बड़े पुत्र और संज्ञा की प्रथम संतान हैं।
यमी यानि यमुना नदी सूर्य की दूसरी संतान और ज्येसष्ठा पुत्री हैं जो अपनी माता संज्ञा को सूर्यदेव से मिले आर्शिवाद के चलते पृथ्वीत पर नदी के रूप में प्रसिद्ध हुईं।
सूर्य और संज्ञा की तीसरी संतान हैं वैवस्वत मनु वर्तमान (सातवें) मन्वन्तर के अधिपति हैं। यानि जो प्रलय के बाद संसार के पुर्निमाण करने वाले प्रथम पुरुष बने और जिन्होंिने मनु स्मृकति की रचना की।
सूर्य और छाया की प्रथम संतान है शनिदेव जिन्हेंे कर्मफल दाता और न्याययधिकारी भी कहा जाता है। अपने जन्म से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे। भगवान शंकर के वरदान से वे नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान पर नियुक्तं हुए और मानव तो क्या देवता भी उनके नाम से भयभीत रहते हैं।
छाया और सूर्य की कन्या तप्तिै का विवाह अत्यन्त धर्मात्मा सोमवंशी राजा संवरण के साथ हुआ। कुरुवंश के स्थापक राजर्षि कुरु का इन दोनों की ही संतान थे, जिनसे कौरवों की उत्पत्ति हुई।
सूर्य और छाया पुत्री विष्टि भद्रा नाम से नक्षत्र लोक में प्रविष्ट हुई। भद्रा काले वर्ण, लंबे केश, बड़े-बड़े दांत तथा भयंकर रूप वाली कन्या है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी कड़क बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया है।
सूर्य और छाया की चौथी संतान हैं सावर्णि मनु। वैवस्वत मनु की ही तरह वे इस मन्वन्तर के पश्चाडत अगले यानि आठवें मन्वन्तर के अधिपति होंगे।
संज्ञा के बारे में जानकारी मिलने के बाद अपना तेज कम करके सूर्य घोड़ा बनकर उनके पास गए। संज्ञा उस समय अश्विनी यानि घोड़ी के रूप में थी। दोनों के संयोग से जुड़वां अश्विनीकुमारों की उत्पत्ति हुई जो देवताओं के वैद्य हैं। कहते हैं कि दधीचि से मधु-विद्या सीखने के लिये उनके धड़ पर घोड़े का सिर रख दिया गया था, और तब उनसे मधुविद्या सीखी थी। अत्यंओत रूपवान माने जाने वाले अश्विनीकुमार नासत्य और दस्त्र के नाम से भी प्रसिद्ध हुए।
सूर्य की सबसे छोटी और संज्ञा की छठी संतान हैं रेवंत जो उनके पुनर्मिलन के बाद जन्मीे थी। रेवंत निरन्तर भगवान सूर्य की सेवा में रहते हैं।