धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अधिक संघर्षशीलता से बचिये, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति, स्त्री-वर्ग से सुख मिलेगा।
वृष राशि :- कार्यवृत्ति अनुकूल, चिन्तायें कम होंगी, स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास अवश्य ही मिलेगा।
मिथुन राशि :- कोई शुभ समाचार हर्षप्रद रखे, थकावट, बेचैनी, धन का व्यय अवश्य होगा।
कर्क राशि :- तनाव से क्लेश व अशांति होते हुये भी व्यवस्था का कार्य अवश्य बनेगा, धैर्य रखें।
सिंह राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक हो, तनाव व अशांति से बचिये, विभ्रम अवश्य होगा।
कन्या राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, अधिकारियों से समर्थन मिलेगा, योजना फलीभूत होगी।
तुला राशि :- सोचे कार्य समय पर पूरे होंगे, बौद्धिक विकास होगा, चिन्ता कम होगी।
वृश्चिक राशि :- कोई शुभ समाचार मिलेगा, अनायास तनाव, क्लेश व अशांति बनेगी।
धनु राशि :- अनायास यात्राओं से बचिये, स्त्री-शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी होगी धैर्य रखें।
मकर राशि :- योजनायें फलीभूत हों, कार्य-कुशलता से संतोष होगा, दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे।
कुंभ राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास एवं दैनिक समृद्धि के साधन जुटायें, कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- मानसिक शांति बनाये रखें, मानसिक उद्विघ्नता से बेचैनी बढ़ेगी।
दुर्लभ जड़ी बूटियों से दी जाती है यहां हवन में आहुति, होता है ये फायदा
27 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद स्थित रामगढ़ कसारी भिखारी बाबा आश्रम में आयोजित होने वाले रुद्र महायज्ञ का विशेष महत्व है. यहां हवन में आहुति देने के लिए दुर्लभ जड़ी-बूटियों से निर्मित सामग्री का उपयोग किया जाता है. यह आयोजन भक्तों और श्रद्धालुओं के बीच आस्था और विश्वास का केंद्र बन चुका है.
आयोजक भिक्षुक भिखारी जंगली दास दीनबंधु रमाशंकर गिरी जी महाराज ने बताया कि इस महायज्ञ में तुलसी को जड़ी-बूटियों की रानी और अश्वगंधा को महाराजा माना जाता है. इनके साथ अन्य औषधीय पौधों का मिश्रण तैयार कर हवन कुंड में आहुति दी जाती है. यज्ञ का मुख्य उद्देश्य वातावरण को शुद्ध करना और रोगों से मुक्ति प्रदान करना है.
रोग निवारण और वातावरण शुद्धि का दावा
महाराज जी के अनुसार, इस यज्ञ में सम्मिलित होने वाले भक्तों को मानसिक और शारीरिक रोगों से राहत मिलती है. हवन के दौरान मंत्रोच्चार और औषधीय धुएं के प्रभाव से वातावरण में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं. भक्तों का मानना है कि यज्ञ में सम्मिलित होने से रोग निवारण तत्काल शुरू हो जाता है.
दूर-दूर से उमड़ते हैं श्रद्धालु
इस नौ दिवसीय महायज्ञ में देश के विभिन्न प्रांतों और जनपदों से श्रद्धालु भाग लेते हैं. हवन स्थल पर भक्तों के लिए भंडारे का भी आयोजन किया जाता है. कार्यक्रम के अंतिम दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इस आयोजन की भव्यता को और भी बढ़ा देती है.
आयोजन का महत्व और परंपरा
यह विराट रुद्र महायज्ञ कई वर्षों से अनवरत चल रहा है. महाराज जी का कहना है कि इस आयोजन का उद्देश्य न केवल रोगों से मुक्ति दिलाना है, बल्कि विश्व के कल्याण और वातावरण को शुद्ध रखना भी है.
महायज्ञ का विशेष आकर्षण
दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों से हवन सामग्री का निर्माण.
रोग निवारण और मानसिक शांति के लिए विशेष मंत्रोच्चार.
विशाल भंडारा और भक्तों की सेवा.
9 दिवसीय आयोजन में देशभर से श्रद्धालुओं की सहभागिता.
सोनभद्र के इस धार्मिक और औषधीय महत्व वाले आयोजन को देखने और अनुभव करने के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. उनका विश्वास इस आयोजन को और भी खास बना देता है.
प्रतियोगी छात्र पहनाएं ये रत्न, एकाग्रता के साथ ही तेजी से बढ़ेगी याददाश्त! जानें कई और लाभ
27 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह का वर्णन मिलता है. इन 9 ग्रहों के अपने-अपने प्रतिनिधि रत्न हैं. अगर आपकी कुंडली में कोई ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में विराजमान हैं तो उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करके उसके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है. यहां हम बात करने जा रहे हैं लाजवर्त स्टोन के बारे में. जिसका संबंध राहु- केतु और शनि ग्रह से माना जाता है. यह रत्न तीनों ग्रह के नकारात्मक प्रभाव को कम करने की शक्ति रखता है. रत्न विज्ञान मुताबिक लाजवर्त धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है. साथ ही नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मका आती हैं. कार्यक्षेत्र और बिजनेस में सफलता मिलती है. लाजवर्त रत्न दुर्घटनाओं से बचाता है. साथ ही इस रत्न को धारण करने से भाग्य का साथ मिलता है और धन आगमन के मार्ग खुलते हैं.आइए जानते हैं लाजवर्त धारण करने की विधि और इसके लाभ.
कैसा होता है लाजवर्त : लाजवर्त बाजार में आसानी से मिल जाता है. यह ज्यादा महंगा भी नहीं होता है. लाजवर्त नीले रंग का होता है. इसके ऊपर गोल्डन रंग की धारियां होती हैं. ये रत्न अफगानिस्तान, यूएसए और सोवियत रूस में भी पाया जाता है.
ये लोग कर सकते हैं धारण: रत्न विज्ञान मुताबिक जिन लोगों की कुंडली में शनि सकारात्मक (उच्च) के स्थित हो, वो लोग लाजवर्त को धारण कर सकते हैं. साथ ही मकर और कुंभ राशि, लग्न वाले लाजवर्त धारण कर सकते हैं. क्योंकि इन राशियों पर शनि देव का आधिपत्य है. वहीं अगर कुंडली में राहु- केतु सकारात्मक (उच्च) के स्थित हों तो भी लाजवर्त पहना जा सकता है. लाजवर्त के साथ मूंगा और माणिक्य पहनने से बचना चाहिए.
रत्न शास्त्र अनुसार लाजवर्त को कम से कम सवा 8 से सवा 10 रत्ती का पहनना चाहिए. इसको शनिवार के दिन चांदी में धारण किया जा सकता है. इसको लॉकेट, अंगूठी और ब्रेसलेट में भी धारण किया जा सकता है. लाजवर्त मध्यमा उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है. इसे पहनने से पहले सरसों या तिल के तेल में पांच घंटे पहले डुबोकर रखें. इसके बाद शनि देव के बीज का मंत्र का 108 बार जप करें. साथ ही शाम के समय इसे धारण करें.
लाजवर्त धारण करने से लाभ :
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि, मकर और कुंभ राशि के जातक लाजवर्त रत्न धारण कर सकते हैं. इस रत्न को धारण करने से मानसिक क्षमता का विकास होता है.
शिक्षण कार्य से जुड़े व्यक्तियों के लिए यह रत्न उनकी क्षमताओं को बढ़ाता है, जिससे की वे अपना पूरा ध्यान अपने काम पर लगा सकें.
इस रत्न के प्रयोग से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है और चीजों को याद रखने की आदत बनती है.
पढ़ाई में कमजोर छात्रों के लिए यह रत्न किसी चमत्कार से कम नहीं है. इसे बुद्धि और ज्ञान को बढ़ाने वाला कारक माना जाता है.
गुरुवार को बृहस्पति देव की इस विधि से करें पूजा, चमक उठेगी किस्मत, दूर होंगे कष्ट और घर में होगा सुख-शांति का वास
27 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. इसी तरह गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा की जाती है. बृहस्पति को देवताओं का गुरु माना जाता है यही वजह है कि इस दिन को गुरुवार कहा जाता है. जिस तरह हर देव के पूजा की एक खास विधि तय है उसी तरह सप्ताह के सात दिन भी किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित किए गए हैं. धार्मिक मान्यता है कि दिन विशेष के अनुसार देवताओं की पूजा करने से उस पूजा का विशेष लाभ प्राप्त होता है. साथ ही, बृहस्पतिदेव जीवन से सारे कष्ट दूर कर उसका जीवन सुख,शांति एवं समृद्धि से भर देते हैं. अब सवाल है कि आखिर गुरुवार के दिन क्या करना चाहिए? क्या है
बृहस्पति देव की पूजा विधि
गुरुवार के दिन बृहस्पतिदेव की पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर उस पानी से नहाना चाहिए. इसके बाद माथे पर केसर या हल्दी का तिलक लगाएं. बृहस्पति देव की मूर्ति या तस्वीर को पीले रंग के कपड़े पर विराजित करना चाहिए. इसके बाद विधि-विधान से उनकी पूजा-आरती करना चाहिए. पूजा में पीले फूल, केसरिया चंदन, प्रसाद के तौर पर गुड़ और चने की दाल का भोग अवश्य लगाना चाहिए. यही ऐसा न कर सकें तो कोई भी पीले रंग का पकवान चढ़ाना चाहिए. इसके अलावा केले के वृक्ष में जल अर्पित करने के साथ ही उसकी धूप-दीप से पूजा करना चाहिए.
बृहस्पतिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
गुरुवार को विष्णु भगवान का विधि-विधान से पूजन करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं. इस दिन ब्राह्मणों का आदर-सत्कार कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. इसके अलावा गुरुवार को केसर और चने की दाल का मंदिर में दान करें. साथ ही, योग्य व्यक्तियों को गुरुवार के दिन ज्ञानवर्धक पुस्तकों का दान करना चाहिए.
गुरुवार के दिन ध्यान रखने योग्य बातें
गुरुवार के दिन हेयर कटिंग या शेविंग नहीं करवाना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख में बाधा पैदा होती है.
इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए.
गुरुवार का दिन दक्षिण, पूर्व, नैऋत्य दिशा में यात्रा करने के लिए वर्जित माना जाता है.
इस दिन कपड़े धोना और घर का पोछा लगाना भी वर्जित माना गया है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बाधाओं से विचलित न हों, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- शुद्ध गोचर रहने से समय की अनुकूलता से लाभांवित हों, रुके कार्य बन जायेंगे।
मिथुन राशि :- कार्यवृत्ति अनुकूल, चिन्तायें कम हों, स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास अवश्य ही बनेगा।
कर्क राशि :- दैनिक स्थिति में सुधार, चिन्तायें कम हों किन्तु स्वभाव में खिन्नता बनेगी।
सिंह राशि :- संघर्ष फलप्रद रहे, सोचे कार्य समय पर बनेंगे, मित्रों से सुख व सहयोग मिलेगो।
कन्या राशि :- दैनिक व्यवसायिक गति अनुकूल होगी, क्लेश व अशांति, समय व्यर्थ जायेगा।
तुला राशि :- सोचे कार्य समय पर पूर्ण होंगे तथा बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होगी।
वृश्चिक राशि :- प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं, मनोवृत्ति-भावनायें उत्साहवर्धक अवश्य होंगी।
धनु राशि :- स्थिति कुछ असमंजस में रखे, विघटनकारी तत्व परेशानी पैदा करेंगे, सतर्क रहें।
मकर राशि :- घटना का शिकार होने से बचें, स्वभाव अनुकूल रहेगा, धनागमन से शांति होगी।
कुंभ राशि :- उद्विघ्नता-असमंजस का वातावरण क्लेशयुक्त रखे, कार्य से संतोष होगा।
मीन राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, कुछ नई चिन्तायें मन उद्विघ्न रखेंगी, धैर्य से कार्य करें।
ठाठ-बाट से निकली महाकाल की सवारी, चांदी की पालकी पर चंद्रमोलेश्वर स्वरूप में बाबा ने दिए दर्शन
26 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में मार्गशीर्ष माह की दूसरी व कार्तिक- मार्गशीर्ष (अगहन) माह की चौथी सवारी सोमवार 25 नवम्बर को सायं 4 बजे निकाली गईं. सावन-भादो की तरह कार्तिक अगहन मास के साथ मार्गशीर्ष (अगहन) मे भी बाबा महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा रही है.
मार्गशीर्ष पक्ष के दूसरे सोमवार को दूसरी सवारी को सभामंडप में शाम 4 बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ निकाला गया. अस्टविनायक मंदिर के पुजारी चमु गुरु ने कहा कि आज बाबा ने भगवान श्री चन्द्रमौलीश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर प्रजा का हॉल जानने नगर भ्रमण पर मंदिर परिसर से निकले है.
सभामंडप में पूजन के बाद नगर भर्मण पर निकले बाबा
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक श्री गणेश कुमार धाकड़ ने कहा कि पालकी को मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दिया गया. सवारी परंपरानुसार एवं पूर्ण गरिमामय तरीके से निकाली गईं. सवारी में आगे तोपची, कडाबीन, पुलिस बैण्ड घुडसवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान नगर वासियों को बाबा के आगमन की सूचना देते चलते हुए दिखाई दिए.
जानिए किन मार्गो से गुजरी सवारी
भगवान महाकाल कि पालकी के साथ पंडे-पुजारियों का दल शामिल रहे.सवारी महाकाल मंदिर चौराहे से गुदरी, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा के रामघाट पर पहुंची, जहां शिप्रा के जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया.पूजन के पश्चात सवारी गणगौर दरवाजा, कार्तिकचौक, ढाबारोड, टंकी चौक, तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीगेट, सराफा, छद्धीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार वापस गुदरी होते हुए महाकाल मंदिर पहुंचकर रात में समाप्त होगी. संपूर्ण सवारी मार्ग पर भगवान महाकाल का मंचों से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया.
मराठा समय की परंपरा का आज भी प्रभाव
महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है. महाराष्ट्रीय परंपरा में शुक्ल पक्ष से माह का शुभारंभ माना जाता है. कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से शुरू होती है. इसी वजह से आज अगहन मास की दूसरी सवारी निकाली गई.
बोधगया महाबोधि मंदिर: स्वर्ग से उतरेंगे भगवान बुद्ध, तांत्रिकों ने महाबोधि मंदिर में की महाकाल पूजा, भारत-भूटान संबंधों को मिलेगी मजबूती
26 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बोधगया महाबोधि मंदिर: 24 नवंबर तक बोधगया के पवित्र महाबोधि महाविहार मंदिर में भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस महापूजा में प्रसिद्ध भूटानी मठों से 150 संघों, जिसमें डुक थुबटेन चोलिंग मठ, टैगो तांत्रिक बौद्ध मठ और रॉयल भूटान मठ शामिल हुए. इससे भारत-भूटान संबंधों को नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है.
बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर परिसर में बोधिवृक्ष के नीचे भूटान द्वारा महापूजा की गई, जिसमें भव्य आकांक्षा प्रार्थनाएं और 16 अर्हत पूजा और महाकाल की पूजा हुई. यह पूजा शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए एक आह्वान था. 24 नवंबर तक आयोजित यह पूजा बोधगया के पवित्र महाबोधि महाविहार मंदिर में एक भव्य आध्यात्मिक कार्यक्रम है. इस महापूजा में प्रसिद्ध भूटानी मठों से 150 संघों, जिसमें डुक थुबटेन चोलिंग मठ, टैगो तांत्रिक बौद्ध मठ और रॉयल भूटान मठ शामिल हुए.
बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति ने बताया कि यह महापूजा भारत और भूटान के बीच स्थायी आध्यात्मिक संबंध को रेखांकित करती है. महापूजा ने दोनों संस्कृतियों के बीच एक पुल के रूप में कार्य किया, जिससे भक्तों को सार्वभौमिक शांति और सद्भाव की साझा आकांक्षा में एकजुट किया गया. बताया जाता है यह पूजा तुशिता स्वर्ग से बुद्ध के अवतरण दिवस को चिह्नित करता है. यह दिन भूटान में मातृ दिवस के साथ मेल खाता है. इस शुभ अवसर ने महापूजा का महत्व अधिक बढ़ा दिया.
इस महापूजा की अध्यक्षता एक प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता महासंघ राजा दोरजी लोपेन रिनपोछे कर रहे थे. लोपेन समतेन दोरजी, खेंचेन त्शोमो दोरजी और कोलकाता में रॉयल भूटान वाणिज्य दूतावास के महावाणिज्य दूत ताशी पंजोर की उपस्थिति ने पूजा की शोभा बढ़ाई. भूटान के बीस समर्पित प्रायोजकों ने इस पवित्र प्रयास में अपना सहयोग दिया.
सोलह अर्हत बौद्ध धर्म में प्रसिद्ध अर्हत तका एक समूह है. भगवान बुद्ध ने व्यक्तिगत रूप से अपने शिष्यों में से सोलह अर्हत का चयन किया और उनसे धर्म की रक्षा करने का अनुरोध किया था. 16 अर्हत में पिंडोल भारद्वाज, कनकवत्स, कनक भारद्वाज, सुविंद, बकुल व नकुल, श्रीभद्र, कालिका, वज्रीपुत्र, गोपक, पंथक, राहुल, नागसेन, अंगज, वनवासीं, अजीत व चुड़ापंथक शामिल है.
भूटान व तिब्बती परंपराओं के अनुसार, ल्हाबाब ड्यूचेन चार बौद्ध पवित्र दिनों में से एक है, जो बुद्ध के जीवन की चार घटनाओं की याद दिलाता है. ल्हाबाब डुचेन तुशिता स्वर्ग से बुद्ध के अवतरण और पृथ्वी पर लौटने का उत्सव है. तुसिता इच्छा क्षेत्र (कामधातु) के छह देव-लोकों में से एक है, जो यम स्वर्ग और निर्माण रहित स्वर्ग के बीच स्थित है. कहा जाता है कि अन्य स्वर्गों की तरह, तुशिता तक ध्यान के माध्यम से पहुंचा जा सकता है.
मार्गशीर्ष है भगवान श्री हरि का प्रिय माह, 4 आसान उपाय से दूर होगी पैसों की तंगी, हमेशा गर्म रहेगी जेब!
26 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर का नौवां महीने मार्गशीर्ष अपने आप में खास है. इस महीने को अग मास के नाम से भी जाना जाता है और भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद लाभकारी बताया गया है. इस महीने में भगवान शिव की पूजा से भी शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस महीने में दान-पुण्य करने से जातक को उत्तम परिणाम मिलते हैं. पंडित जी कहते हैं कि मार्गशीर्ष महीने आप सिर्फ 4 आसान उपाय करके अपने घर की पैसों से जुड़ी समस्या यानी कि आर्थिक तंगी को दूर कर सकते हैं. आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में.
1. जीवन की परेशानियां दूर करने का उपाय
यदि आपके जीवन में लगातार परेशानियां आ रही हैं और आप कई उपायों के बावजूद इनसे दूर नहीं हो पा रहे हैं तो मार्गशीर्ष माह में किया गया ये उपाय आपके बेहद काम आने वाला है. आपको इस महीने में भगवान विष्णु का शहद, दूध, गंगाजल और दही से अभिषेक करना होगा. वहीं पूजा के दौरान शंख जरूर बजाएं. ऐसा करने से आपको तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी.
2. धन-धान्य में वृद्धि के उपाय
स्कंदपुराण के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में भगवान की आराधना करना बेहद लाभकारी है. इस महीने में आप तुलसी के पौधे के पास शाम के समय घी का दीपक लगाएं. इस उपाय को करने से आपके धन-धान्य में वृद्धि होगी. साथ ही आपको यदि स्वास्थ्य से संबंधित कोई परेशानी है तो उससे भी राहत मिलेगी.
3. सौभाग्य प्राप्ति के उपाय
मार्गशीर्ष माह में श्रीहरि की पूजा का महत्व बताया गया है और यदि आप इस महीने में भगवद गीता का पाठ करते हैं तो यह और भी लाभकारी है. ध्यान रहे इस महीने में आप जब भी पूजा करें तो घंटी जरूर बजाएं. साथ ही ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप भी करें. ऐसा करने से आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी.
4. मोक्ष प्राप्ति के उपाय
यदि आपके जीवन में कोई बड़ी परेशानी है और आप उससे उबरना चाहते हैं तो इस महीने में तुलसी की मंजरी को भगवान विष्णु को अर्पित करें. इसी के साथ आपको विष्णु सहस्त्रनाम का 108 बार जाप भी करना होगा. इससे भी आपकी समस्त प्रकार की समस्याएं दूर होंगी.
पूजा करते समय खड़े होकर आरती करनी चाहिए या नहीं? कहीं आप ये गलती तो नहीं कर रहे!
26 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. इसके साथ जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करना चाहिए. आपने देखा होगा कि आरती के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं होती. आरती करने के बाद भगवान से आशीर्वाद लिया जाता है और प्रार्थना की जाती है.
आरती करने का सही तरीका
कई लोग खड़े होकर आरती करते हैं, जबकि कुछ लोग बैठकर आरती करते हैं. चलिए जानते हैं कि आरती खड़े रहकर क्यों करनी चाहिए. आरती करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है. माना जाता है कि इसके बिना पूजा अधूरी रहती है. आरती से घर में सुख-समृद्धि का वास रहता है.
शास्त्रों के अनुसार आरती
शास्त्रों के अनुसार, खड़े होकर आरती करनी चाहिए, जिसे बहुत शुभ माना जाता है. इससे पूजा पूर्ण मानी जाती है और ईश्वर का आशीर्वाद मिलता है. यह कहा जाता है कि जब हम खड़े होकर आरती करते हैं, तो हम ईश्वर के प्रति अपना सम्मान दर्शाते हैं. इसलिए, आरती खड़े होकर करनी चाहिए.
आरती के लाभ
भगवान के प्रति प्रार्थना करने से मन का बोझ हल्का हो जाता है. साथ ही, खड़े होकर आरती करने से व्यक्ति का क्रोध और अहंकार भी समाप्त हो जाता है. आरती करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और यह घर के वातावरण को शुद्ध करती है. घर में रोजाना आरती करने से मन में शांति मिलती है. इसलिए आरती करना शुभ माना जाता है. यह भगवान के प्रति हमारा प्रेम भी दर्शाती है.
विशेष परिस्थितियों में आरती
ध्यान देने योग्य बात यह है कि जिनको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, वे बैठकर भी आरती कर सकते हैं. आरती करने के लिए साफ और शुद्ध मन होना आवश्यक है. इस प्रकार, आरती करने से न केवल पूजा पूर्ण होती है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि भी आती है. उम्मीद है, इस जानकारी से आपको आरती के सही तरीके और उसके महत्व के बारे में जानकारी मिली होगी
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
26 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, किसी घटना का शिकार होने से बचें।
वृष राशि :- असमंजस की स्थिति क्लेशप्रद रखे, विरोधी तत्व परेशान करेंगे ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, विरोधी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
कर्क राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक हों, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास हो, कार्य पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- अर्थ-लाभ, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझें, स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा।
तुला राशि :- विवादग्रस्त होने से बचें अन्यथा संकट में फंस सकते हैं, धैर्य से काम लें।
वृश्चिक राशि :- अधिकारी वर्ग सहायक बनेंगे, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, सफलता मिलेगी।
धनु राशि :- व्यर्थ विवाद, अनावश्यक विभ्रम, धन का व्यय, स्थिति कष्टप्रद बनेगी।
मकर राशि :- योजनायें फलीभूत हों, कार्य कुशलता से संतोष, समृद्धि के साधन जुटायें।
कुंभ राशि :- विरोधी तत्व परेशान करेंगे, व्यर्थ विभ्रम, मानसिक बेचैनी बनेगी।
मीन राशि :- सोचे हुये कार्य समय पर पूरे होंगे किन्तु अधिक ढीलेपन से परेशानी होगी।
धूमधाम से मनाई जाएगी प्रभु राम की पहली वर्षगांठ, तैयारियों में जुटा मंदिर ट्रस्ट, राम दरबार की भी होगी स्थापना
25 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राम मंदिर निर्माण समिति और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक धर्म नगरी अयोध्या में आयोजित होने वाली है. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फैसला भी लिए जाएगा. जहां 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्रभु राम विराजमान हुए हैं. प्रभु राम के विराजमान होने को लगभग 10 महीने से ज्यादा समय भी हो चुका है. ऐसे में राललला के स्थापित होने के वर्षगांठ पर भव्य समारोह मनाने की तैयारियों पर चर्चा हुई.
22 जनवरी को होगा राम मंदिर का वर्षगांठ
आगामी 22 जनवरी साल 2025 में राम मंदिर में किस प्रकार की तैयारी की जाए. कैसे प्रभु राम के विराजमान होने का वर्षगांठ मनाया जाए. इन तमाम बिंदुओं पर राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में निर्णय लिया जाएगा, लेकिन सूत्रों की मानें, तो 22 जनवरी को साल 2025 को राम मंदिर में राम दरबार की भी स्थापना होगी. इसको लेकर अब भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष भी धर्म नगरी अयोध्या पहुंच चुके हैं. वह इस बैठक में सम्मिलित भी होंगे.
इसके अलावा 25 नवंबर को श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक मणिरामदास छावनी में की जाएगी, जिसमें मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण कार्य पर भी मंथन किया जाएगा. बता दें कि मंदिर में रामलला के स्थापित होने का वर्षगांठ भव्य तरीके से मनाया जाएगा.
दूसरे तल का जल्द होगा निर्माण कार्य
बता द कि अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर के दूसरे तल का भी निर्माण कार्य पूरा होने वाला है. साथ ही मंदिर के चारों तरफ बंद रहे परकोटा के सभी मंदिर को भी तेजी के साथ पूरा किया जा रहा है. इतना ही नहीं जनवरी तक राम मंदिर में राम दरबार की भी स्थापना होने का अनुमान भी लगाया जा रहा है. यानी की अब राम भक्त जल्दी प्रभु राम के दर्शन पूजन के साथ ही राम दरबार में पूरे परिवार का भी दर्शन पूजन कर सकेंगे.
मंदिर के निर्माण कार्यों का लिया जायजा
वहीं, परिसर में स्थित ट्रस्ट कार्यालय में कार्यदाई संस्था एल एंड टी और टाटा के इंजीनियरों के साथ भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष निपेंद्र मिश्रा ने बैठक कर चल रहे निर्माण कार्य की विस्तृत जानकारी ली. बता दें कि कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को देखते हुए राम मंदिर में चल रहे कार्यों में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है.
मंदिर निर्माण कार्य पर होगा मंथन
वहीं, जनवरी तक तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र सहित मंदिर के प्रथम तल का काम पूरा किए जाने की तैयारी है. साथ ही नृपेंद्र मिश्रा ने राम मंदिर के प्रथम तल व दूसरे तल के कार्यों की प्रगति जानी. ऐसे ही शिखर निर्माण के कार्यों की जानकारी ली. जहां सप्त मंडपम व शेषा अवतार मंदिर के निर्माण की प्रगति भी पर भी मंथन किया.
भारतीय शादी की ये 5 रस्में हैं खास, इनके बिना अधूरा है विवाह, जानें क्यों हैं महत्वपूर्ण और दूसरी शादियों से अलग
25 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शादी हमारी जिंदगी का एक अहम हिस्सा है और ऐसा कहा जाता है कि शादी के बाद किसी भी लड़का या लड़की की नई जिंदगी की शुरुआत होती है. दुनियाभर के लोग शादी करते हैं और फेमिली को आगे बढ़ाते हैं. लेकिन, बात हो भारतीय शादियों की तो यह खुशियों और उत्सव से भरी होती है. यह सिर्फ एक दिन का नहीं बल्कि 5 से 7 दिन की खास परंपराओं में पिरोया गया बंधन है. भारतीय शादियों की कुछ ऐसी रस्में हैं जो इसे दुनियाभर की शादियों से अलग बनाती हैं. आइए जानते हैं भारतीय शादी की खास रस्मों के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
1. मेहंदी
भारतीय शादियों में मेंहदी का बड़ा महत्व और पूरा एक दिन मेंहदी के लिए समर्पित होता है. यह रस्म दूल्हा और दुल्हन दोनों के लिए खास है. इसके अलावा अपने हाथों में दुल्हन के साथ उसके रिश्तेदार और उसकी सहेलियां भी मेहंदी लगाती हैं.
2. हल्दी
बिना हल्दी के भारतीय शादियां अधूरी होती हैं. इसके लिए भी एक से दो दिन दिए जाते हैं और हल्दी लड़का व लड़की दोनों को लगाई जाती है. हल्दी लगाने से रूप निखरता है और ऐसा माना जाता है कि हल्दी की ये रस्म किसी भी अनिष्ट से बचाती है.
3. सेहरा बांधना
हल्दी और मेंहदी की रस्म के बाद सेहरा को खास माना जाता है, जो कि बारात ले जाने से पहले दूल्हा को बांधा जाता है. सेहरा बांधने वाले को नेग या फिर शगुन के तौर पर उपहार दिया जाता है. यह रस्म विवाह की सभी रश्मों में महत्वपूर्ण मानी जाती है.
4. जूता चुराई
बारात लेकर जब लड़का, लड़की के घर पहुंचता है तो वहां खाना आदि के बाद इस रस्म को निभाया जाता है. इस दौरान लड़की की बहनें और सहेलियां मिलकर लड़के के जूते छिपा देती हैं और उन्हें लौटाने के लिए नेग और उपहार की मांग करती हैं.
5. वधू का प्रवेश
जब लड़का अपनी दुल्हन को साथ लेकर आता है तो उसे ग्रहलक्ष्मी कहा जाता है और वह जब घर में प्रवेश करती है तो उसके हाथ में हल्दी लगवाकर छाप लगवाए जाते हैं. यह एक महत्वपूर्ण रस्म है जो लड़की को ससुराल के सुख-दुःख में बराबर की हिस्सेदारी पक्की करती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि, शुभ समाचार मिलने का योग, समय का ध्यान रखें।
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी, स्वाभाव में खिन्नता, थकावट, असमंजस की स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- बेचैनी से स्वभाव में खिन्नता, मन भ्रमित होगा, मान-प्रतिष्ठा में कमी, सावधान रहें।
कर्क राशि :- दैनिक कार्य वृद्धि में सुधार एवं योजनायें फलीभूत होंगी, कार्य बनेगा ध्यान दें।
सिंह राशि :- विसंगति से हानि, आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य बन ही जायेंगे।
कन्या राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास, सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा, नवीन कार्य होंगे।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा पर आंच आने का डर, विवाद-ग्रस्त होने से बचें, धैर्य रखें।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि, संवृद्धि, संवर्धन के योग बनेंगे।
धनु राशि :- शुभ समाचार से संतोष, दैनिक कार्यगति अनुकूल, मनोकामना पूर्ण होगी, ध्यान दें।
मकर राशि :- विघटनकारी तत्व परेशान करें, अचानक यात्रा के प्रसंग अवश्य ही बनेंगे।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी, परिश्रम से व्यवस्था अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटायें, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, कार्य बनेंगे।
इस समुदाय में लिए जाते हैं 7 की जगह सिर्फ 4 फेरे, इसके पीछे की कहानी भी है बड़ी रोचक
24 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में विवाह व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. वहीं दुनियाभर में होने वाले विवाह की अपेक्षा यह काफी अलग होता है और इसमें कई सारी रस्मों को निभाया जाता है. इनमें सबसे खास माने जाते हैं सात फेरे. ऐसा कहा जाता है 7 फेरे 7 जन्मों का साथ होता है. लेकिन कई स्थान ऐसे हैं जहां 7 की जगह सिर्फ 4 फेरे ही लिए जाते हैं. क्यों होता है
पंडित जी कहते हैं कि, फेरों के संबंध में पारस्कार गृहसूत्र और यजुर्वेद में भी सिर्फ 4 फेरों का ही उल्लेख मिलता है, जिसके साथ 7 वचन लिए जाते हैं. लेकिन, लोकाचार में फेरों की संख्या कई बार बढ़ने के बाद 4 से 7 हो गई. लेकिन आज भी कई स्थनों पर सिर्फ 4 फेरे ही लिए जाते हैं.
विवाह के 4 फेरों का महत्व
सिख समुदाय की शादी सिर्फ 4 फेरे लेने के साथ ही संपन्न हो जाती है और ऐसा माना जाता है कि 4 फेरों में वर और वधू वैवाहिक जीवन से जुड़े पहलुओं के बारे में जान लेते हैं. सिख समुदाय में शादी दिन में होती है और इस दौरान दुल्हन के पिता केसरी रंग की पगड़ी पहनते हैं. इस पगड़ी का एक सिरा दूल्हे के कंधे पर और दूसरा सिरा दुल्हन के हाथ में दिया जाता है. वहीं दूल्हा और दुल्हन गुरु ग्रंथ साहिब को बीच में रखकर चार फेरे लेते हैं. इसमें पहले के 3 फेरों में दुल्हन आगे रहती है और दूल्हा पीछे. वहीं आखिरी फेरे में दूल्हा आगे होता है और दुल्हन पीछे.
क्या है 4 फेरों का अर्थ?
सिख समुदाय में 4 फेरों के साथ संपन्न होने वाले विवाह में पहला फेरा धर्म के मार्ग पर चलने की सीख देता है. इसमें बताया जाता है कि, वैवाहिक जीवन में धर्म से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए. वहीं दूसरे फेरे में सीमित धन में सुखी रहने और ज्ञान के बारे में बताया जाता है. तीसरे फेरे में काम से अवगत कराया जाता है, जबकि चौथे फेरे में वर-वधु को मोक्ष के बारे में बताया जाता है.
इस समुदाय में भी होते हैं 4 फेरे
हालांकि, सिर्फ सिख समुदाय के अलावा कुछ और भी ऐसे स्थान हैं जहां विवाह के दौरान 4 फेरे ही लिए जाते हैं. इनमें राजस्थान के कुछ राजपूत घरानों में भी 4 फेरों की परंपरा है. इसके पीछे एक कहानी भी प्रचलित है कि एक बार राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी राठौड़ के विवाह के दौरान फेरे लेते वक्त अचानक उन्हें सूचना मिली कि लुटेरे किसी बुजुर्ग महिला की गाय चुराकर भाग रहे हैं. तो पाबूजी अपने 4 फेरे में ही विवाह पूरा कर गाय की रक्षा के लिए निकल पड़े थे. तभी से यहां पर 7 की जगह 4 फेरों की परंपरा चली आ रही है. राजस्थान ही नहीं देश के कुछ अन्य राज्यों में भी 7 के स्थान पर 4 फेरे ही लेकर शादी संपन्न हो जाती है.
कुंडली में सूर्य और शनि का योग दे रहा पीड़ा? तो पंडित जी के बताए ये उपायों से मिलेगी राहत, एक बार जरूर करें ट्राई
24 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में ज्योतिष शास्त्र का बड़ा महत्व बताया गया है और ऐसा कहा जाता है कि यदि आपकी कुंडली में ग्रहों की दिशा या दशा ठीक नहीं है तो आपके जीवन में कई सारे परेशानियां आ सकती हैं. खास तौर पर बात करें सूर्य और शनि की तो दोनों के बीच पिता और पुत्र का संबंध है, लेकिन दोनों में शत्रुता भी है. ऐसे में दोनों के संबंध ठीक नहीं माने जाते और यदि किसी की कुंडली में सूर्य और शनि का योग बनता है तो जातक का जीवन समस्याओं से घिर जाता है. लेकिन आप इस समस्या को कुछ उपायों से दूर कर सकते हैं. आइए जानते हैं
1. सूर्य और शनि योग के प्रभाव
जब भी किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में होते हैं तो इसका कुप्रभाव व्यक्ति के जीवन पर दिखाई देता है. जिसकी वजह से व्यक्ति को तनाव और अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही धीरे धीरे इसके प्रभाव से व्यक्ति गुस्सैल होता जाता है और उसके पारिवारिक झगड़े भी शुरू हो जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उसके संबंध भी बिगड़ने लगते हैं. ऐसे में व्यक्ति के आत्मसम्मान में भी कमी आती है. खास तौर पर पिता और पुत्र के बीच संबंधों में खटास आ सकती है.
2. रविवार को इन उपायों को आजमाएं
– यदि आपकी कुंडली में सूर्य और शनि योग है तो इसके लिए आप प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य दें. ध्यान रहे अपको जल तांबे के लोटे से देना है और इसमें गुड़ और लाल फूल भी मिलाना है. यदि आप रोजाना ऐसा नहीं कर सकते हैं तो रविवार के दिन करें, जो कि सूर्यदेव को समर्पित दिन है.
3. आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें
इसके अलावा आप सूर्य और शनि के दुष्प्रभाव से बचने रविवार के दिन आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें. इस उपाय को करने से भी आपको सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलेगी.
4. शनिवार को इन उपायों को आजमाएं
– इसके अलावा आप इस योग के प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर जाकर दर्शन कर सकते हैं. इस दौरान आप शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा आप 11 शनिवार तक करें, इससे आप दुष्प्रभावों से बच सकेंगे.
5. काली चींजों का करें दान
इसके अलावा आप शनिवार के दिन काली चीजों का दान भी कर सकते हैं. जैसे कि काले कपड़े, काले अनाज या जूते-चप्पल का दान. इस उपाय को करने से आपको तमाम परेशानियों से राहत मिलेगी.