धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
1 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, योजनाएं फलीभूत होगी, कार्य विशेष पर ध्यान देकर निपटा लें।
वृष राशि :- दूसरों की समस्याओं में फंसने से बचिए, किसी के कार्य में हस्तक्षेप करने से हानि होवेगी।
मिथुन राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि, प्रतिष्ठा, मानसिक वृद्धि के योग बनेंगे, विशेष कार्य निपटा लें।
कर्क राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित होंगे, तथा कार्य कुशलता से हर्ष अवश्य ही होगा, ध्यान देवे।
fिसंह राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि, मनोवृत्ति, संवेदनशील बनी रहेगी, स्थितियों को संभाले।
कन्या राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, विशेष कार्य स्थिगित रखे, ध्यान रखे।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होवे, सामाजिक कार्यों में मान प्रतिष्ठा बढ़ जाएगी।
धनु राशि :- धन लाभ कार्यकुशलता से संतोष, सामाजिक कार्य में मान प्रतिष्ठा बढ़े, किन्तु कार्य अवरोध होवे।
मकर राशि :- सफलता के साधन जुटाए, सामान्य स्थिति में बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य सम्पन्न व लाभ होवे।
कुंभ राशि :- मित्र परेशान करें, मानसिक उद्विघ्नता व्यर्थ धन का व्यय तथा आरोप लगेगा।
मीन राशि :- चिन्ताएं कम हो, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बन जाएगे, ध्यान रखे।
बहुत शक्तिशाली है बजरंग बाण का पाठ, कष्ट और विपत्ति से मिलती है मुक्ति, लेकिन रोज ना करें इसका जाप, जानें नियम
30 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में भगवान श्री राम के अनन्य भक्त हनुमान जी को चिरंजीवी का वरदान प्राप्त है. ऐसा कहा जाता है कि वे आज भी संसार में किसी ना किसी रूप में हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हरने के लिए वे जरूर आते हैं. उनकी पूजा के लिए कई नियम हैं, जिनमें कुछ मंत्रजाप भी शामिल हैं. इनमें भी बजरंब बाण का काफी महत्व बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि, यदि आप किसी संकट या विपत्ति में हैं और इस मंत्र का जाप करते हैं तो हनुमान जी अवश्य ही सहायता के लिए आते हैं. लेकिन, बजरंग बाण को पढ़ने के लिए भी कुछ नियम बताए गए हैं.
रोज नहीं करना चाहिए बजरंग बाण का पाठ
बजरंग बाण के पाठ से शक्तिशाली ऊर्जा मिलती है इसलिए इसे संकट के समय या किसी विपत्ति के समय ही पढ़ा जाता है. लेकिन आप इसे अकारण यानी कि रोजाना पढ़ते हैं तो आपको इसके कुछ विपरीत परिणाम भी मिल सकते हैं. दरअसल, बजरंग बाण में एक उग्र ऊर्जा होती है और जब आप इसका पाठ रोजाना करते हैं तो इससे मिलने वाली इस ऊर्जा को आप सहन नहीं कर सकते. जिससे आप मानसिक अशांति के साथ ही कई अन्य नुकसान में भी फंस सकते हैं.
कब करें बजरंग बाण का पाठ?
जब आप किसी विपत्ति में हों या किसी बड़े संकट से घिर गए हों तो ऐसी स्थिति में आपको बजरंग बाण का पाठ करना चाहिए. इसका पाठ करने से आपको हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है. आप जब शत्रुओं से घिरे होते हैं और बजरंग बाण का पाठ करते हैं तो हनुमान जी आपकी सहायता करते हैं. लेकिन जब इसका पाठ आप अकारण ही करते हैं तो आपसे हनुमान जी नाराज हो सकते हैं, इसलिए ऐसा करने से बचें.
किस समय करें पाठ?
आप यह जान चुके हैं कि बजरंग बाण का पाठ रोजाना या अकारण नहीं करना चाहिए. लेकिन यह जानना भी जरूरी है कि बजरंग बाण के पाठ के लिए उचित समय क्या है? यहां हम आपको बता दें कि, हनुमान जी की पूजा के लिए सबसे उत्तम दिन मंगलवार का माना गया है. इसी प्रकार मंगलवार के दिन बजरंग बाण का पाठ करना आपके लिए सबसे ज्यादा शुभ होगा.
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजन का बेहद खास संयोग, दक्षिणमुखी होकर करें ये काम, पितर देंगे वरदान!
30 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को पितृ पूजन के लिए समर्पित माना गया है. अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है. वहीं, मान्यता है कि अगर पितृ प्रसन्न रहें तो घर में किसी भी संकट का आगमन नहीं हो सकता. घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. लेकिन, अगर पितृ नाराज रहें तो घर में उथल पुथल मची रहती है. इसके अलावा, उस अमावस्या तिथि का प्रभाव और भी अधिक हो जाता है, जो शनिवार को पड़े. इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या के साथ भी कुछ ऐसा ही है.
मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या तिथि 30 नवंबर को है. अमावस्या तिथि पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या पर बेहद शुभ योग भी बन रहा है. अमावस्या के दिन सुकर्मा और धृति योग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन के महत्व दोगुना कर देंगी. हर अमावस्या तिथि के दिन दक्षिणामुखी बैठकर पितृ के निमित्त तर्पण अवश्य करना चाहिए. इससे पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. खास बात ये भी मार्गशीर्ष अमावस्या शनिवार को पड़ेगी, जो और भी श्रेष्ठ है.
कब है मार्गशीर्ष अमावस्या
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 नवंबर सुबह 09 बजकर 12 मिनट पर होगी. समापन अगले दिन 01 दिसंबर सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा. 30 को दिन भर अमावस्या है, इसलिए 30 नवंबर दिन शनिवार को ही अमावस्या का श्राद्ध, तर्पण इत्यादि किया जाएगा.
अमावस्या के दिन करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितरों के नाम से तर्पण अवश्य करें. इसके साथ ही पितरों के नाम से दीपदान करना चाहिए. साथ ही इस दिन ब्राह्मण भोजन अवश्य कराएं. अमवास्या के दिन जल में तिल मिलाकर पितृ के नाम से पीपल पेड़ के नीचे अर्पण करते हैं तो पितृ बेहद प्रशन्न होंगे और आपके के ऊपर कृपा बरसेगी.
मार्गशीर्ष दर्श अमावस्या कल, शनि पूजा से ढैय्या-साढ़ेसाती में होगा लाभ, देखें मुहूर्त, राहुकाल, दिशाशूल
30 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मार्गशीर्ष की दर्श अमावस्या शनिवार को है. इस दिन मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी तिथि, विशाखा नक्षत्र, अतिगण्ड योग, शकुनि करण, पूर्व का दिशाशूल और वृश्चिक राशि में चंद्रमा है. सुबह 10:29 बजे से अमावस्या तिथि प्रारंभ होगी. ऐसे में मार्गशीर्ष या अगहन की दर्श अमावस्या 30 नवंबर को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दर्श अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं. इस वजह से उनके लिए तर्पण, दान, श्राद्ध, पिंडदान आदि करते हैं. इससे खुश होकर पितर आशीर्वाद देते हैं, जिससे घर में सुख समृद्धि बढ़ती है. परिवार के लोग उन्नति करते हैं.
दर्श अमावस्या के दिन शनिवार व्रत भी है. जो लोग उपवास रखते हैं या जिन पर साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव है, वे लोग शनि महाराज की पूजा करें. शनि देव के समक्ष बैठकर शनि चालीसा, शनि स्तोत्र आदि का पाठ करें. शनि पूजा के लिए काले तिल, सरसों के तेल, काले या नीले रंग के वस्त्र, नीले फूल, शमी के फूल आदि का उपयोग करें. पूजा के दौरान शनिवार व्रत कथा सुनें. फिर शमी के पेड़ की पूजा करें. शाम को शमी के पेड़ के नीचे तिल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. ऐसा करने से शनि महाराज आप पर प्रसन्न होंगे. साढ़ेसाती, ढैय्या या शनि दोष के दुष्प्रभाव दूर होंगे.
शनिवार को काला कंबल, काले रंग का छाता, जूते, चप्पल, लोहे या स्टील के बर्तन, सरसों का तेल, काला तिल, काली उड़द आदि का दान करना चाहिए. गरीबों और असहाय लोगों की मदद करें. इससे शनि देव खुश होते हैं. आज के पंचांग से जानते हैं शुभ मुहूर्त, राहुकाल, दिशाशूल, सूर्योदय, चंद्रोदय आदि.
आज का पंचांग, 30 नवंबर 2024
आज की तिथि- चतुर्दशी – 10:29 ए एम तक, उसके बाद अमावस्या
आज का नक्षत्र- विशाखा – 12:35 पी एम तक, फिर अनुराधा
आज का करण- शकुनि – 10:29 ए एम तक, चतुष्पाद – 11:14 पी एम तक, फिर नाग
आज का योग- अतिगण्ड – 04:45 पी एम तक, उसके बाद सुकर्मा
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- शनिवार
चंद्र राशि- वृश्चिक
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:56 ए एम
सूर्यास्त- 05:24 पी एम
चन्द्रोदय- चन्द्रोदय नहीं
चन्द्रास्त- 04:31 पी एम
दर्श अमावस्या के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 05:08 ए एम से 06:02 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 11:49 ए एम से 12:31 पी एम
विजय मुहूर्त: 01:54 पी एम से 02:36 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 05:21 पी एम से 05:48 पी एम
अमृत काल: 03:12 ए एम, दिसम्बर 01 से 04:56 ए एम, दिसम्बर 01
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
शुभ-उत्तम: 08:14 ए एम से 09:33 ए एम
चर-सामान्य: 12:10 पी एम से 01:28 पी एम
लाभ-उन्नति: 01:28 पी एम से 02:47 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम: 02:47 पी एम से 04:05 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति: 05:24 पी एम से 07:05 पी एम
शुभ-उत्तम: 08:47 पी एम से 10:29 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम: 10:29 पी एम से 12:10 ए एम, दिसम्बर 01
चर-सामान्य: 12:10 ए एम से 01:52 ए एम, दिसम्बर 01
लाभ-उन्नति: 05:15 ए एम से 06:57 ए एम, दिसम्बर 01
अशुभ समय
राहुकाल- 09:33 ए एम से 10:51 ए एम
गुलिक काल- 06:56 ए एम से 08:14 ए एम
यमगण्ड- 01:28 पी एम से 02:47 पी एम
दुर्मुहूर्त- 06:56 ए एम से 07:38 ए एम, 07:38 ए एम से 08:20 ए एम
विंछुड़ो- पूरे दिन
दिशाशूल- पूर्व
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
श्मशान में – 10:29 ए एम तक, उसके बाद गौरी के साथ.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
30 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि, किसी शुभ समाचार सके मिलने को योग बन जाएगा|
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी स्वभाव में खिन्नता, थकावट असमजंस की स्थिति बन जाएगी|
मिथुन राशि :- बैचेनी से स्वभाव में खिन्नता, मन भ्रमित, मान प्रतिष्ठा में अपमान, कमी होगी|
कर्क राशि :- दैनिक कार्य वृत्ति में सुधार एवं योजनाएं फलीभूत होगी, कार्य बनेंगे, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- विसंगति से हानि, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य बन ही जायेंगे|
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास, सामाजिक कार्यों में मान प्रतिष्ठा होगी, ध्यान रखे|
तुला राशि :- मान प्रतिष्ठा में आंच आने का डर, विवाद ग्रस्त होने से बचिए, ध्यान अवश्य रखेंगे|
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व वृद्धि, संवृद्धि संघर्ष के योग बनेंगे, कार्य अवश्य करेंगे|
धनु राशि :- शुभ समाचार से संतोष, दैनिक कार्यगति अनुकूल, मनोकामना पूर्ण होगी, ध्यान दें|
मकर राशि :- विघटनकारी तत्व परेशान करें, अचानक यात्रा के प्रसंग अवश्य ही बनेंगे, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी, परिश्रम से व्यवस्था अनुकूल अवश्य होगी|
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटाए, अधिकारियों के समर्थन फलप्रद होगे, कार्य बन जायेंगे|
विवाह में देरी या दांपत्य जीवन में हो रही है परेशानी? विवाह पंचमी पर आजमाएं ये सरल उपाय
29 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष विवाह पंचमी 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी. यह दिन भगवान श्रीराम और माता सीता के विवाह की शुभ तिथि मानी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना करने से न केवल विवाह संबंधी बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि वैवाहिक जीवन भी मधुर और सुखमय बनता है.
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि विवाह पंचमी के दिन विवाहित जोड़े पूजा करके अपने दांपत्य जीवन में प्रेम और मधुरता बढ़ाने का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. इस वर्ष विवाह पंचमी 6 दिसंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस पावन अवसर पर माता सीता को सुहाग की सामग्री जैसे चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर आदि चढ़ाएं और किसी ब्राह्मण महिला को यह सामग्री दान करें. ऐसा करने से विवाह में आ रही अड़चनें दूर हो सकती हैं और विवाह योग्य युवक-युवतियों के लिए अच्छे रिश्तों के प्रस्ताव आने लगते हैं. वहीं इस दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा के साथ “श्रीराम रक्षा स्तोत्र” का पाठ करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इससे संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी होती है और दांपत्य जीवन सुखद बनता है.
सुखी वैवाहिक जीवन के लिए उपाय
अगर आपके विवाह में देरी हो रही है या रिश्ते बार-बार टूट रहे हैं, तो विवाह पंचमी के दिन कुछ सरल उपाय करके इन समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है. इस दिन माता सीता को सुहाग सामग्री अर्पित करें, जैसे लाल चूड़ी, सिंदूर, महावर, बिंदी आदि. इसके बाद ब्राह्मण स्त्री को ये सामग्री दान करें. यह माना जाता है कि ऐसा करने से शादी के प्रस्ताव आने लगते हैं और विवाह की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. विवाह पंचमी के दिन श्रीराम और माता सीता का विधिपूर्वक पूजन करें. पूजन के दौरान “श्रीराम रक्षा स्तोत्र” का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है. यह पाठ करने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूर्ण होती है. इस दिन व्रत रखने का भी विशेष महत्व है. यदि संभव हो, तो किसी गरीब या जरूरतमंद कन्या के विवाह में आर्थिक मदद का संकल्प लें
लव मैरेज के लिए उपाय
यदि आप प्रेम विवाह करना चाहते हैं, लेकिन किसी कारणवश रुकावट आ रही है, तो विवाह पंचमी के दिन रामचरितमानस में वर्णित राम-सीता विवाह प्रसंग का पाठ करें. इससे आपके रिश्ते में मजबूती आएगी और विवाह की बाधाएं समाप्त होंगी.
छोटे-छोटे उपाय बड़े लाभकारी
विवाह पंचमी पर किए गए ये छोटे-छोटे उपाय बड़े लाभकारी हो सकते हैं. इस दिन राम-सीता के आदर्श जीवन से प्रेरणा लेकर, पूजा और व्रत के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान करें। यह दिन न केवल व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है.
गीता जयंती पर करें ये काम...पितर होंगे खुश, अकाल मृत्यु का डर होगा दूर
29 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गीता जयंती मनाई जाती है. इस तिथि को मोक्षदा एकादशी भी मनाई जाती है. सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम शिष्य अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए मार्गशीर्ष महीने में गीता जयंती मनाई जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गीता जयंती के दिन श्रीमद्भागवत गीता का संपूर्ण पाठ करने से लाखों अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्त प्राप्ति होती हैं.
मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 दिसंबर को सुबह 03. 42 मिनट पर शुरू होगी और 12 दिसंबर को सुबह 01. 09 बजे समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान है. अतः 11 दिसंबर को गीता जयंती मनाई जाएगी
कर्म, भक्ति और ज्ञान योग की चर्चा
कि द्वापर युग में इसी दिन भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की भूमि पर अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. श्रीमद्भागवत गीता में मानव जीवन के रहस्यों का वर्णन है. श्रीमद्भागवत गीता में कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग के बारे में विस्तार से बताया गया है. गीता का पाठ करने से जीवन के सभी रहस्यों से पर्दा उठ जाता है. कहते हैं कि गीता का पाठ जो व्यक्ति करता है वह कभी गलत कार्य और गलत मार्ग पर नहीं जाता बल्कि प्रभु भक्ति में लीन होकर जीवन को सफल बनाता है. श्रीमद्भागवत गीता में कुल 700 श्लोक हैं.
भूलकर भी न करें ये काम
श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करते समय मन में श्रद्धा भक्ति भाव होने से भगवान कृष्ण हृदय में वास करके सभी आंतरिक व्याधियों खत्म कर देते हैं. यदि आपके मन में गीता का पाठ करते हुए श्रद्धा भक्ति भाव नहीं है तो कोई लाभ नहीं होगा. गीता का पाठ करने से मन को शांति और आध्यात्मिक विकास होता है. गीता जयंती पर यदि श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया जाए तो लाखों अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है जो कभी खत्म नहीं होता हैं. गीता का पाठ करने से भगवान श्री कृष्णा बहुत अधिक प्रसन्न होते हैं जिससे मोक्ष प्राप्ति का रास्ता खुल जाता है.
दीपक में जलाएं तुलसी की सूखी लकड़ी, हैरान कर देंगे इससे होने वाले लाभ, बुरी नजर से भी बचाएगा ये उपाय!
29 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को एक पवित्र और पूजनीय पौधा माना गया है. इसकी पूजा से कई सारे लाभ मिलते हैं क्योंकि तुलसी भगवान श्री हरि यानी कि विष्णु जी और माता लक्ष्मी दोनों को प्रिय है. ज्योतिष शास्त्र में भी तुलसी के पौधे का अत्यधिक महत्व बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि आप तुलसी की सूखी लकड़ी को दीपक में जलाते हैं तो इसके आपको कई सारे लाभ मिलते हैं. क्या लाभ मिलते हैं?
ईश्वर का मिलता है आशीर्वाद
जब आप दीपक में तुलसी की सूखी लकड़ी जलाते हैं तो आपको देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, जिससे आपके सफलता के हजारों द्वार खुलते हैं. इसके साथ ही इस उपाय से आपकी आर्थिक स्थिति ठीक होती है.
बुरी नजर से बचाती है
यदि आप दीपक में तुलसी की सूखी लकड़ी जलाते हैं तो ऐसा करने से आपके परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है. इसके अलावा यह उपाय आपके परिवार को बुरी नजर से भी बचाता है.
वातावरण शुद्ध होता है
जब आप तुलसी की लकड़ी का दीपक में जलाते हैं तो इससे आपके घर का वातावरण शुद्ध होता है और इसके प्रभाव से घर के सदस्यों को रोगों से मक्ति मिलती है औैर वे निरोगी रहते हैं.
धन लाभ मिलता है
दीपक में तुलसी की लड़की जलाने से धन लाभ के योग बनते हैं. ऐसे में यदि आपके पास किसी प्रकार की पैसों से जुड़ी परेशानी है तो वह दूर होती है और धन लाभ होने से आपकी आर्थिक स्थिति ठीक होती है.
मंत्र जाप में है बहुत ताकत, भोजन करने से पहले जरूर करें इस मंत्र का जाप, जानें इसका महत्व और क्यों है जरूरी?
29 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसी कई बातों का उल्लेख मिलता है जो हमारे जीवन में कई प्रकार के सकारात्मक बदलाव लाती हैं. भोजन को लेकर भी कुछ ऐसे ही नियम हैं, जिनका पालन करने से हमारे शरीर को ऊर्जा मिलती है. इनमें भोजन से पहले हाथ धोना, जमीन पर बैठकर भोजन करने के अलावा मंत्र जाप भी शामिल है. इनका काफी महत्व धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है.
आपने कई लोगों को देखा भी होगा जब वे भोजन करने से पहले ईश्वर को भोग लगाते हैं और एक मंत्र ”ॐ सह नाववतु. सह नौ भुनक्तु. सह वीर्यं करवावहै. तेजस्विनावधीतमस्तु. मा विद्विषावहै ॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:” का जाप करते हैं. कितना जरूरी है मंत्र जाप आइए जानते हैं
किसी भी प्रकार के पाप से बचाता है मंत्र जाप
ऐसी मान्यता है कि जब आप भोजन से पहले मंत्र जाप करते हैं तो यह हमें कई प्रकार के पापों से बचाता है. क्योंकि, इस दौरान हम उस ईश्वर को धन्यवाद दे रहे होते हैं जिन्होंने हमें भोजन उपलब्ध कराया है. साथ ही इस मंत्र से अनजाने में होने वाली गलतियों की क्षमा भी मांगी जाती है. ऐसे में यदि खाना बनाने से लेकर खाते समय आपसे कोई अनचाहे गलती हुई हो तो उससे भी मुक्ति मिलती है.
भोजन मंत्र से संस्कारों का प्रवेश
संस्कारों की हमारे जीवन में बड़ी भूमिका होती है और यदि आप भोजन से पहले मंत्र जाप करते हैं यानी कि ईश्वर को धन्यवाद देने के साथ ही क्षमा याचना करते हैं तो यह आपके संस्कारों को बढ़ाता है. इससे आपमें अच्छे संस्कार प्रवेश करते हैं औैर यह भोजन आपके लिए और भी फायदेमंद हो सकता है. इसलिए भोजन से पहले मंत्र जाप जरूरी बताया गया है.
नकारात्मकता होती है दूर
जब आप भोजन करते हैं तो कई सारी नकारात्मक ऊर्जा भी उत्तेजित होती हैं, जो आपके आस-पास ही होती हैं. ऐसे में जब आप भोजन करने से पहले मंत्र का जाप करते हैं तो नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश से भी आप बच जाते हैं. साथ ही आपके शरीर को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. इसलिए आपको भोजन से पहले मंत्र जाप जरूर करना चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
29 Nov, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी तनावपूर्ण स्थिति से बचकर चलें, अपने आप में निर्णय न करें, समय का ध्यान रखें।
वृष राशि :- कोई शुभ समाचार हर्षप्रद रखे, थकावट, बेचैनी, धन का व्यय होगा, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- व्यर्थ क्लेश व अशांति में फंसने से बचिये, विरोधी तत्व परेशान करेंगे।
कर्क राशि :- स्वभाव में बेचैनी, तनाव, क्लेश व अशांति होते हुये आपको लाभ होगा।
सिंह राशि :- असमंजस क्लेशप्रद रखेगा, झूठे आश्वासनों पर विश्वास न करें, कार्य अवश्य करें।
कन्या राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक होंगा, अधिकारियों से सर्मथन मिलेगा, योजना फलप्रद होगी।
तुला राशि :- संघर्ष से सफलता, कार्यगति अनुकूल होगी, समस्यायें सुलझेंगी ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- उपद्रव, विरोध व विवाद कष्टप्रद हो, धन का व्यर्थ व्यय संभव है, ध्यान दें।
धनु राशि :- मानसिक बेचैनी मन उद्विघ्न रखे, कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी।
मकर राशि :- इष्ट-मित्र सुखवर्धक हों, अधिकारी से तनाव बनेगा, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- कुटुम्ब की चिन्तायें, मन व्यग्र रखें, धन का व्यर्थ व्यय होगा, ध्यान दें।
मीन राशि :- व्यर्थ भ्रमण से धन हानि, चिन्तायें मन को उद्वविघ्न रखें, कार्य अवरोध होगा।
ज्यातिष के मुताबिक व्रत रखने से मिलता है फल
28 Nov, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं। लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
यह सब देखकर व्यक्ति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। ये कहते है कि फिर इसके बाद आकाशवाणी हुई कि ‘हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तूने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया।’ ये बात सुनकर उसे समझ में आया की उसने गलती कर दी। इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दे।
इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। ज्योतिषियों के मुताबिक जो व्यक्ति इस कथा को याद रखता उसे बुधवार को किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन अगर कोई व्यक्ति किसी नए काम की शुरुआत करता है तो उसे भी शुभ माना जाता है।
केमद्रुम दोष में जन्म लेने वाला व्यक्ति रहता है परेशान
28 Nov, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यदि जन्म कुंडली में चन्द्रमा किसी भी भाव में अकेला बैठा हो, उससे आगे और पीछे के भाव में भी कोई ग्रह न हो तो केमद्रुम दोष बनता है। केमद्रुम दोष में जन्म लेने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से हमेशा परेशान होता है। उसे हमेशा एक अज्ञात भय रहता है। उसके जीवन काल में अनेक उतार-चढ़ाव आते हैं। आर्थिक रूप से ऐसे व्यक्ति कमजोर ही रहते हैं। जीवन में अनेकों बार आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। ऐसे व्यक्ति खुद को बहुत समझदार समझते हैं। उन्हें लगता है की उनसे अधिक बुद्धिमान व्यक्ति कोई नहीं है। ऐसे व्यक्ति चिड़चिड़े और शक्की स्वभाव के होते हैं। संतान से कष्ट पाते हैं परन्तु दीर्घायु होते हैं। कुछ परिस्थितियों में केमद्रुम योग भंग या निष्क्रिय भी हो जाता है।
जन्म कुंडली में केमद्रुम दोष हो परन्तु चन्द्रमा के ऊपर सभी ग्रहों की दृष्टि हो तो केमद्रुम दोष के दुष्प्रभाव निष्क्रिय हो जाते हैं।-यदि चन्द्रमा शुभस्थान (केंद्र या त्रिकोण) में हो तथा बुद्ध, गुरु एवं शुक्र किसी अन्य भाव में एक साथ हो तो भी केमद्रुम दोष भंग हो जाता है।-यदि दसवें भाव में उच्च राशि का चन्द्रमा केमद्रुम दोष बना कर बैठा हो परन्तु उस पर गुरु की दृष्टि हो तो भी केमद्रुम दोष भंग माना जायेगा।यदि केंद्र में कहीं भी चन्द्रमा केमद्रुम दोष का निर्माण कर रहा हो परन्तु उस पर सप्तम भाव से बली गुरु की दृष्टि पड़ रही हो तो भी केमद्रुम दोष भंग हो जाता है।
भगवान राम के आलौकिक ये कार्य
28 Nov, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में भगवान राम को विष्णु का अवतार माना गया है। इनके बारे में कई ग्रंथ लिखे गए. रामचरितमानस में भगवान राम की महिमा को जो वर्णन मिलता है। वह सभी के दिलों को छू लेता है। क्याक आप जानते हैं विष्णु जी के सातवें अवतार श्री राम ने मर्यादा की स्थापना और अपनी मां कैकेयी की इच्छाैपूर्ति के लिए राजगद्दी छोड़ दी थी और वनवास स्वीकार किया था। इसलिए ही श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
श्री राम के जीवनकाल को महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत महाकाव्य रामयण में वर्णित किया है। राम पर तुलसीदास ने भी रामचरितमानस रचा है। राम के अलौकिक कार्यों को वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्यन में संस्कृत में वर्णित किया, जिसे तुलसीदासजी ने रामचरितमानस नाम से अवधि में रचा।
कहा जाता है कि भगवान राम का जन्म मनु के 10 पुत्रों में से एक पुत्र इक्ष्वाकु के कुल में हुआ था।
चैत्र नवमी को भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में चैत्र नवमी को रामनवमी के रूप में भी जाना जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि माता सीता की रावण से रक्षा करने जाते समय रास्तेज मंत आए समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था।
माना जाता है कि भगवान राम ने रावण को युद्ध में परास्ती करने के बाद रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था।
पुराणों में कहा गया है कि माता कैकेयी के कहे अनुसार वनवास जाते समय भगवान राम की आयु 27 वर्ष थी।
राम-रावण के युद्ध के समय इंद्र देवता ने श्री राम के लिए दिव्य रथ भेजा था। इसी में बैठकर भगवान राम ने रावण का वध किया था।
राम-रावण का युद्ध खत्म न होने पर अगस्त्य मुनि ने राम से आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने को कहा था।
अरण्यो नामक राजा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे वंश से उत्पन्न युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा। इन्ही के वंश में श्री राम ने जन्म लिया था। यह भी कहा जाता है कि गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्याा को पत्थर बनने का श्राप दिया था। इस श्राप से उन्हें भगवान राम ने ही मुक्ति दिलाई थी।
इस कारण मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है घंटी
28 Nov, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहते हैं, पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। ऐसा मानना है कि इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कि घंटी बजाने का सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्किब इसका वैज्ञानिक असर भी होता है। यही वजह है कि घंटी हमेशा मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है।
घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का. वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं1
ये फायदे भी हैं
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है. मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।
जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है। कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है।
ग्रहों का जीवन के साथ ही व्यवहार पर भी पड़ता है प्रभाव
28 Nov, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों का व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ व्यवहार पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा व्यवहार हमारे ग्रहों की स्थितियों से संबंध रखता है या हमारे व्यवहार से हमारे ग्रहों की स्थितियां प्रभावित होती हैं। अच्छा या बुरा व्यवहार सीधा हमारे ग्रहों को प्रभावित करता है। ग्रहों के कारण हमारे भाग्य पर भी इसका असर पड़ता है। कभी-कभी हमारे व्यवहार से हमारी किस्मत पूरी बदल सकती है।
वाणी-
वाणी का संबंध हमारे पारिवारिक जीवन और आर्थिक समृद्धि से होता है।
ख़राब वाणी से हमें जीवन में आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है।
कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटनाएं घट जाती हैं।
कभी-कभी कम उम्र में ही बड़ी बीमारी हो जाती है।
वाणी को अच्छा रखने के लिए सूर्य को जल देना लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र के जाप से भी शीघ्र फायदा होता है।
आचरण-कर्म
हमारे आचरण और कर्मों का संबंध हमारे रोजगार से है।
अगर कर्म और आचरण शुद्ध न हों तो रोजगार में समस्या होती है।
व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है।
साथ ही कभी भी स्थिर नहीं हो पाता।
आचरण जैसे-जैसे सुधरने लगता है, वैसे-वैसे रोजगार की समस्या दूर होती जाती है।
आचरण की शुद्धि के लिए प्रातः और सायंकाल ध्यान करें।
इसमें भी शिव जी की उपासना से अद्भुत लाभ होता है।
जिम्मेदारियों की अवहेलना
जिम्मेदारियों से हमारे जीवन की बाधाओं का संबंध होता है।
जो लोग अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं उठाते हैं उन्हें जीवन में बड़े संकटों, जैसे मुक़दमे और कर्ज का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति फिर अपनी समस्याओं में ही उलझ कर रह जाता है।
अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोताही न करें।
एकादशी का व्रत रखने से यह भाव बेहतर होता है।
साथ ही पौधों में जल देने से भी लाभ होता है।
सहायता न करना-
अगर सक्षम होने के बावजूद आप किसी की सहायता नहीं करते हैं तो आपको जीवन में मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी न कभी आप जीवन में अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं।
जितना लोगों की सहायता करेंगे, उतना ही आपको ईश्वर की कृपा का अनुभव होगा।
आप कभी भी मन से कमजोर नहीं होंगे।
दिन भर में कुछ समय ईमानदारी से ईश्वर के लिए जरूर निकालें।
इससे करुणा भाव प्रबल होगा, भाग्य चमक उठेगा।