धर्म एवं ज्योतिष
ठाकुर बांके बिहारी इस साल हो जाएंगे 545 साल के, बैंड बाजों के साथ विशेष व्यंजनों का लगाया जाएगा भोग
4 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भगवान बांके लाल का प्राकट्य उत्सव बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ हर्ष साल की भांति इस साल भी मनाया जाएगा. ठाकुर बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव की तैयारियां जोरों पर चल रही है. इस बार भगवान को विशेष व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा और विशेष पोशाक धारण कराई जाएगी. आइये जानते हैं कि इस बार बांके बिहारी का कौन सा प्राकट्य उत्सव मनाया जा रहा है.
मनाया जाएगा 545वां प्राकट्य उत्सव
जन-जन की आराध्य ठाकुर बांके बिहारी का 550 साल पूर्व वृंदावन में प्रकट हुए और तभी से लेकर आज तक उनका प्रकाट्योसव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. ठाकुर जी का यह उत्सव अलौकिक और अद्भुत होता है. हजारों की संख्या में लोग ठाकुर के इस उत्सव में भाग लेने के लिए देश और विदेश से यहां आते हैं.
बांके बिहारी मंदिर के पुजारी ने बताया
ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के सेवायत पुजारी श्रीनाथ गोस्वामी ने लोकल 18 की टीम से बातचीत की. उन्होंने बताया कि भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव 550 साल से मानते चले आ रहे हैं. इतना ही नहीं भगवान का यह उत्सव एक अद्भुत और अलौकिक छटा वृंदावन में विखेरता है. श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं कि बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी का प्राकट्य उत्सव मनाया जाता है. वह पल दिव्य और भव्य होता है.
विशेष व्यंजनों का लगाया जाएगा भोग
उन्होंने कहा कि करीबन पौने 200 साल पूर्व बिहारी जी को मंदिर में विराजमान किया गया है. ब्रजवासियों और बांके बिहारी के भक्तों के लिए बहुत बड़ा पाव यह होता है. निधिवन राज से स्वामी हरिदास जी बधाई लेकर पधारते हैं. ठाकुर बांके बिहारी की सवारी निधिवन से निकलकर बांके बिहारी मंदिर तक पहुंचती है. बैंड बाजों के साथ यह पर्व मनाया जाता है. इस बार ठाकुर जी का 545 प्राकट्य उत्सव मनाया जाएगा. ठाकुर जी को विशेष व्यंजनों का भी भोग लगाया जाएगा.
धूमधाम से मनाया जायेगा उत्सव
करते समय जब तक हरिदास जी महाराज की सवारी बांके बिहारी मंदिर नहीं आ जाती, तो उनका भोग नहीं लगता है. बांके बिहारी और स्वामी हरिदास जी एक साथ बैठकर भोग लगाते हैं. ठाकुर जी की आरती और भोग राज का समय भी बढ़ जाता है.
सोहन हलवे का लगाया जाता है भोग
बिहार पंचमी के दिन ठाकुर जी को पीले वस्त्र धारण कराए जाते हैं. विशेष श्रृंगार किया जाता है. ठाकुर बांके बिहारी जी को सोहन हलवे का भोग लगाया जाता है. मूंग दाल का हलवा भी उसे समय विशेष प्रिय होता है ठाकुर बांके बिहारी को और रास्ते में हलवे का प्रसाद लोगों को बांटते हुए आते हैं.
कब है मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत? रवि योग में होगी गणेश पूजा, जानें तारीख, मुहूर्त और महत्व
4 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी का व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन गणेश जी की पूजा करते हैं. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा नहीं करते हैं. मार्गशीर्ष की विनायक चतुर्थी दिसंबर की पहली चतुर्थी है. इस बार मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी के दिन रवि योग बन रहा है. इस शुभ योग में ही गणपति बप्पा की पूजा होगी. इस व्रत को करने से संकट दूर होते हैं और काम में सफलता मिलती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के कि मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी कब है? गणेश पूजा मुहूर्त और शुभ योग कौन से हैं?
मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी तारीख 2024
पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 4 दिसंबर को दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से शुरु होगी. इस तिथि का समापन 5 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर विनायक चतुर्थी का व्रत 5 दिसंबर गुरुवार को रखा जाएगा.
मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त
इस साल मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 9 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है. उस दिन गणेश जी की पूजा के लिए आपको 1 घंटा 40 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
व्रत के दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 11 मिनट से सुबह 06 बजकर 05 मिनट तक है. उस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक है.
3 शुभ योग में मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी व्रत
इस बार मार्गशीर्ष विनायक चतुर्थी 3 शुभ योग में है. उस दिन रवि योग सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम 05 बजकर 26 मिनट तक है. पूजा के समय रवि योग रहेगा, इसमें सूर्य देव का प्रभाव अधिक होता है, जिसकी वजह से हर प्रकार के दोष मिट जाते हैं.
विनायक चतुर्थी को प्रात:काल से वृद्धि योग बन रहा है, जो दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा. उसके बाद वृद्धि योग बनेगा. व्रत के दिन उत्तराषाढा नक्षत्र सुबह से लेकर शाम 5 बजकर 26 मिनट तक है. उसके बाद श्रवण नक्षत्र है, जो पूरी रात तक है.
विनायक चतुर्थी पर पाताल की भद्रा
विनायक चतुर्थी वाले दिन भद्रा है. भद्रा का समय सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक है. उस दिन भद्रा का वास पाताल लोक में है.
पुण्य समझकर दान में गलती से कभी न देना किसी को ये 6 चीजें, आपके घर आएगी दरिद्रता, चला जाएगा सुख-चैन
4 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्सर हम अपने रिश्तेदारों, दोस्तों या फिर आसपास रहने वाले लोगों को कुछ ना कुछ भेंट में देते रहते हैं. खासकर तब, जब कोई व्रत-त्योहार हो, बर्थडे, शादी-ब्याह हो तो लेन-देन का सिलसिला अक्सर चलता ही रहता है. कई बार कुछ लोग जरूरतमंदों, गरीबों, अपने घर में काम करने आने वाले सर्वेंट्स को या फिर मंदिर आदि में कुछ ना कुछ चीजें भी दान कर देते हैं. इसमें कुछ लोग इसके बदले पैसे लेते हैं तो कुछ मुफ्त में इन चीजों को दान में देते हैं. हालांकि, अधिकतर लोग कुछ ऐसी चीजें भी दान में दे डालते हैं, जिन्हें गलती से भी नहीं देना चाहिए. यह आपके घर में खुशियों के बदले कष्ट, दुख, अशांति, गृह क्लेश, आर्थिक तंगी का कारण बन सकते हैं. चलिए जान लीजिए की कौन-कौन सी चीजों को कभी भी किसी को दान में नहीं देना चाहिए.
किन चीजों को दान में देने की गलती नहीं करनी चाहिए?
झाड़ू- स्पिरिचुअल लीडर डॉ. शिवम साधक जी महाराज कहते हैं कि कभी भी किसी को भूलकर भी झाड़ू दान में नहीं देना चाहिए. झाड़ू में मां लक्ष्मी का निवास होता है. यदि आप झाड़ू का दान करते हैं तो समझ लीजिए की आपके घर में कभी भी लक्ष्मी नहीं टिकने वाली.
धारदार वस्तु- कभी भी किसी को धारदार, नुकीली चीजें दान में नहीं देना चाहिए. इससे घर में तनाव का वातावरण हमेशा बना रहता है. घर में बहुत ज्यादा लड़ाई-झगड़े शुरू हो सकते हैं. पति-पत्नी के बीच रिश्ते में कड़वाहट आ सकती है.
फटे ग्रंथ, फटी किताबें- यदि आप किसी को फटे ग्रंथ और फटी हुई किताबें दान करते हैं तो आपका भाग्य खराब हो सकता है, इसलिए कभी भी फेट ग्रंथ, फटी किताबें दान करने से बचें.
तेल- उपयोग किया हुआ तेल यानी जला हुआ तेल किसी को भी कभी भी न दें दान में. इसे दान में देना ठीक नहीं माना गया. जला हुआ तेल देते हैं तो भी आपका जीवन कष्टमय होने वाला है. इसे बहुत ज्यादा अशुभ माना जाता है.
स्टील के बर्तन- यदि आप किसी को भी अपने घर के स्टील के बर्तन दान में देते हैं तो इससे सुख समृद्धि नष्ट होती है.
बासी भोजन- कई बार लोग फ्रिज में रखा बासी खाना गरीबों को खाने के लिए दे देते हैं. ऐसा करने से बचें. बासी भोजन दान करेंगे तो घर में दुख-दर्द बढ़ेगा. आप कार्ट कचहरी के चक्कर लगाते रहेंगे और कोर्ट कचहरी में ही सारा धन खर्च होने लगेगा. इसलिए, कभी भी इन 6 चीजों को किसी को भी दान न करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
4 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा स्त्री शरीर कष्ट, कुछ बाधाएं मन चितिंत रहेगा, कार्य संतोष होगा।
वृष राशि :- मान प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि तथा कार्य कुशलता से संतोष होगा तथा रुके कार्य धीरे-धीरे बन जाएगे।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तथा झगड़े से बचे, क्रोध करने से कार्य अवरोध होगा तथा हानियां हो सकती है।
कर्क राशि :- कार्य व्यवसाय में सुधार हो, अर्थलाभ कार्यकुशलता से संतोष होगा, कार्य के साथ समय का ध्यान रखे।
सिंह राशि :- व्यवहारिक गति अनुकूल, तनाव, क्लेश व अशांति तथा व्यर्थ धन का व्यय होगा, ध्यान रखे।
कन्या राशि : योजनाएं फलीभूत हो अधिकारियों के तनाव से बचे, सतर्क रहकर कार्य करें, समय का ध्यान रखे।
तुला राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखे, लेन देन के मामलें में हानि होगी, सर्तकता से कार्य करें, अवरोध होगा।
वृश्चिक राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखे, लेन देन के मामलें में हानि होगी, कुटुम्ब की चिन्ता, विशेष रुप से रहेगी।
धनु राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता एवं असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा, समय का ध्यान रखकर कार्य करें।
मकर राशि :- क्रोध व अशांति से बचिए, मानसिक विभ्रम तथा व्यवस्था नष्ट हो सकती है, विरोध से बचे।
कुंभ राशि :- नवीन योजनाएं फलप्रद हो, कार्य कुशलता से संतोष होगा, किन्तु कार्यगति में अवरोध होगा।
मीन राशि :- इष्ट मित्र से तनाव, क्लेश व अशांति से बचिएगा, मनोबल की कमी, कार्य में ध्यान दें।
शुद्ध देसी घी न हो..तो घर की तुलसी के पास इस तेल का जलाएं दीया, मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, दौड़ा आएगा धन!
3 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा हो और उसकी रोज पूजा हो, वहां हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है. क्योंकि, तुलसी को माता लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. आमतौर पर हिंदुओं के घरों में महिलाएं तुलसी पूजा करती हैं. रोज सुबह-शाम महिलाएं तुलसी के नीचे दीपक भी जलाती हैं. लेकिन, कई बार अज्ञानता या देसी घी उपलब्ध न होने के कारण महिलाएं किसी भी तेल का दीया जला देती हैं, जो अशुभ हो सकता है.
कि तुलसी पौधे के नीचे दीपक जलाना शुभ माना जाता है. इससे घर में पवित्रता बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आर्थिक समस्या समाप्त हो जाती है. सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं. ज्यादातर घरों में महिलाएं शाम के समय दीपक जलाती हैं. तुलसी पौधे के नीचे जलने वाले दीये को देसी घी में ही जलाना चाहिए, अगर घी न हो तब इस तेल का उपयोग करें.
इस तेल में जलाएं दीपक
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हर रोज तुलसी का पूजन अवश्य करना चाहिए. साथ ही दीपक जलाना चाहिए. तुलसी में दीपक जलाने से माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं. लेकिन, दीया तेल का नहीं, शुद्ध देसी घी का जलाना चाहिए. घी भी भैंस का नहीं, बल्कि देसी गाय का होने से शुभ माना जाता है. साथ ही, जिस दिन अमावस्या हो उस दिन तिल के तेल का भी दिया जला सकते हैं. क्योंकि, माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के शरीर से हुई है, इसलिए यह शुभ माना जाता है.
बर्थडे केक पर मचा बवाल: काल भैरव मंदिर में अब नहीं कटेगा केक, मंदिर प्रबंधन ने लिया फैसला, जानें वजह
3 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के दरबार में अब केक काटने की परंपरा पर रोक लग गई है. मंदिर प्रबंधन ने इसका फैसला लिया है. दरसअल, बीते दिनों ममता राय नाम की सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर के गर्भगृह में बर्थडे सेलिब्रेशन और केक काटे जाने का वीडियो सामने आया था. इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस छिड़ी थी, जिसमें मंदिर प्रबंधन पर लोग तरह तरह की टिप्पणी कर रहे थे.
इसके अलावा काशी विद्वत परिषद और अन्य संतो ने भी इस पर नाराजगी जताई है. विश्व हिंदू सेना के प्रमुख अरुण पाठक ने भी इसे गलत बताया था. जिसके बाद मंदिर व्यवस्थापक नवीन गिरी ने बैठक बुलाई. बैठक के बाद मंदिर प्रबंधन ने परिसर में किसी भी उत्सव के दौरान यहां केक काटने पर प्रतिबंध लगा दिया.
भैरव अष्टमी पर भी नहीं कटेगा केक
मंदिर व्यवस्थापक नवीन गिरी ने बताया कि अब भैरव अष्टमी जैसे आयोजनों पर भी मंदिर परिसर में केक नहीं काटा जाएगा. इसके अलावा उन्होंने जनता से भी अपील की है कि वह मंदिर प्रबंधन के इस फैसले का साथ दें और ऐसे आयोजनों से बचें. बता दें कि हर साल भैरव अष्टमी के दिन काल भैरव मंदिर में भक्तों की ओर से केक काटकर उनका जन्मदिन मनाया जाता है.
फैसला स्वागत योग्य
मंदिर में केक काटे जाने के फैसले पर रोक के बाद काशी विद्वत परिषद ने भी मंदिर प्रशासन के इस फैसले का स्वागत किया है. काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि सनातन धर्म में केक काटे जाने की कोई परंपरा नहीं है. ऐसे में कालभैरव मंदिर का यह फैसला काफी सराहनीय है.
फोटोग्राफी पर भी लग सकता है रोक
काल भैरव मंदिर में जल्द ही भक्तों के द्वारा की जा रही फोटोग्राफी पर भी मंदिर प्रशासन रोक लगा सकता है. इसके लिए भी मंदिर प्रबंधन अब विचार कर रहा है.
अयोध्या में राम विवाह से पहले दिखा त्रेता युग का नजारा, माता सीता के साथ इस दिन सात फेरे लेंगे प्रभु राम
3 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान सीताराम के विवाह को लेकर अयोध्या में तैयारी दिखने लगी है. मठ मंदिरों में राम कथाओं का आयोजन हो रहा है, तो विवाह पूर्व की रस्मे भी की जाने लगी हैं. कहीं पर भगवान के विवाह के लिए मंडप सजाया जा रहा है, तो कहीं माड़ो, कहीं भगवान की कथाओं का आयोजन हो गया है. पंचमी को भगवान श्री सीताराम जी का विवाह धूमधाम से संपन्न होगा और इस बार भगवान श्री सीताराम का विवाह 6 दिसंबर को पड़ रहा है. ऐसे में मठ मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान भी शुरू कर दिए गए हैं.
धूमधाम से हो रही है तैयारी
अयोध्या के तमाम प्राचीन मठ मंदिर ऐसे हैं. जहां पर दूल्हा सरकार के रूप में भगवान रामलला पूजे जाते हैं. कहीं मां जानकी जी की उपासना को प्राथमिकता दी जाती है. भगवान के विवाह को लेकर विवाह पूर्व की सभी तैयारी धूमधाम से की जाती हैं.
भव्य महल में विराजमान हैं रामलला
अयोध्या के मठ मंदिरों में मां जानकी को कोई बिटिया बनाकर उनके पांव पूजेगा, तो कोई भगवान रामलला की बारात लेकर वर पक्ष की तरफ से निकलेगा. वर वधु की वैवाहिक रश्मों में शामिल होगा. धूमधाम से वैदिक रीति रिवाज से भगवान राम का विवाह संपन्न होगा. इस विवाह में इस बार उत्साह तब और बढ़ गया जब भगवान रामलला अपने भव्य महल में विराजमान है.
ऐसे में देश और दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए रामनगरी आकर्षण का केंद्र है. हर छोटे बड़े पर्व और महापर्व पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में अयोध्या पहुंच रहे हैं. ऐसे में सीताराम जी के विवाह की तैयारी हो तो फिर क्या कहना. इस वजह से रामलला के आंगन में रामलला के घुड़चढ़ी की तैयारी जोरों से चल रही है.
भव्यता के साथ मनाया जाएगा राम विवाह
जगतगुरु राम दिनेश आचार्य ने बताया कि अयोध्या में 500 वर्ष बाद प्रभु राम विराजमान हुए हैं. प्रभु राम के विराजमान होने के बाद या पहले राम विवाह है. जिसे भव्यता के साथ मनाया जा रहा है. अयोध्या में उत्साह शुरू हो गया है. मठ मंदिरों में भजन कीर्तन हो रहे हैं. पूरी नगरी त्रेता युग की तरह नजर आ रही है.
वहीं, रंग महल मंदिर के महंत रामशरण दास ने बताया कि इस बार अद्भुत तरीके से माता किशोरी और प्रभु राम का विवाह किया जाएगा. इसकी सारी तैयारी चल रही है. ऐसे में मठ मंदिर को सजाया जा रहा है. साथ ही मंडप बनाया गया है. जहां भक्तों में अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
3 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सामाजिक कार्यो में प्रतिष्ठा प्रभुत्व, वृद्धि कार्य कुशलता से संतोष होगा, ध्यान दें।
वृष राशि :- वृथा थकावट बैचेनी मानसिक विभ्रम धन का व्यय भ्रमणशीलता होगी, कार्य पूर्ण होगें।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व वृद्धि के कार्य बन जाएंगे।
कर्क राशि :- इष्ट मित्रों से सुख एश्वर्य तथा भोग विलास में समय बीतेगा, सुख समृद्धि के योग बनेंगे।
सिंह राशि :- सामाजिक कार्य में समय व्यतीत होगा, समय पर सोचे हुए कार्य पूर्ण अवश्य होंगे।
कन्या राशि : दूसरों के कार्यो में समय शक्ति नष्ट न करें, व्यावसायिक क्षमता में बाधा ही होगी।
तुला राशि :- अनायास विभ्रम मानसिक बैचेनी बनेगी तथा स्वभाव नरम-गरम बना ही रहेगा।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ आशानुकूल समय व सफलता का हर्ष होगा, कार्य में संतोष होगा।
धनु राशि :- तनाव क्लेश व अशांति मानसिक उद्विघ्नता होगी रूके कार्य बन जाएंगे।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, मित्रों से परेशानी तथा चिंता बनेगी तथा मानसिक परेशानी होगी।
कुंभ राशि :- इष्टमित्र सुख वर्धक होगें, व्यवसायिक गति अनुकूल कार्मिक चिंता अवश्य बनेंगी।
मीन राशि :- किसी अपने का कार्य बनने से संतोष होंवें, दैनिक कार्यगति की अनुकूलता बनी रहेगी।
दक्षिण भारत में 'काली शर्ट और काली धोती' पहनने की है अनोखी मान्यता, भगवान आयप्पा के लिए 41 दिन रखते हैं व्रत, जानें परंपरा
2 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हाईटेक सिटी हैदराबाद शहर अपनी संस्कृति के लिए दुनियां भर में प्रसिद्ध है. हैदराबाद शहर में आपको काले कपड़े पहने लोग अधिक मिलेंगे, जो नंगे पांव रहते हैं, ये लोग ऐसे ही अपनी पसंद से काला कपड़ा नहीं पहनते हैं. इसके पीछे एक धार्मिक मान्यता होती है. इस पोशाक के कुछ संभावित कारण यहां दिए गए हैं. प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर की तीर्थयात्रा के दौरान जो आम तौर पर नवंबर और जनवरी के बीच मनाई जाती है. भक्त काले या मोरनी नीली धोती और शॉल पहनते हैं.
41 दिनों तक लोग रखते हैं व्रत
कि भगवान अय्यपा के लिए 41 दिन का व्रत रखा जाता है, जिसमे हम काले कपड़े पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं. लोग नंगे पांव रहते हैं. इसके पीछे की मान्यता ये है कि केरल में अयप्पा पंथ में यह माना जाता है कि काले कपड़े पहनने वाले भक्त सबरीमाला जाते हैं. जहां भगवान अयप्पा रहते हैं. जहां 41 दिनों तक हम दिन में सिर्फ एक बार खाना खा सकते हैं, उसमे भी मांसाहारी व्यंजन का भोजन नहीं करना है. खाने में केवल दाल–चावल का सेवन सकते है. उपमा खा सकते हैं. जहां उन्हें तरह के खाने होते हैं. इस समय केवल पानी का सेवन कर सकते हैं.
41 दिनों की इस अवधि में उन्हें अच्छाई के कार्य का पालन करना होगा और मनशुद्धि, शरीर शुद्धि, वस्त्र शुद्धि, आहार शुद्धि, वाणी शुद्धि और ग्रह शुद्धि रखनी होगी. ऐसा कहा जाता है कि भगवान अयप्पा के दर्शन करने से पहले व्यक्ति को स्वयं अयप्पा बनना पड़ता है.
जानें कब से कब तक पहनते हैं काले कपड़े
उन्होंने बताया कि काली धोती प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के दर्शन के लिए लिए जाने वाले 41 दिनों के व्रत का एक हिस्सा है. यह प्रथा आमतौर पर नवंबर से जनवरी के बीच के महीनों में बड़ी संख्या में देखी जाती है. जहां स्वामी लोग काली या मोरनी धोती और शॉल पहनते हैं. ताकि आम लोगों के बीच उनकी पहचान हो सके.
ये है सांस्कृतिक परंपरा
दक्षिण भारत में कुछ समुदायों या परिवारों द्वारा काली शर्ट और धोती पहनना भी एक सांस्कृतिक परंपरा होती है. यह उनकी सांस्कृतिक पहचान को व्यक्त करने और उनकी विरासत के साथ संबंध बनाए रखने का एक तरीका होता है. यहां लोग काले या नीले रंग का इस्तेमाल करते हैं.
शादी में दूल्हा-दुल्हन को 7 फेरों के बाद क्यों दिखाते हैं ध्रुव तारा? क्या है ये परंपरा, जानें इस खास रस्म के बारे में
2 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में विवाह सिर्फ एक दिन का इवेंट नहीं है. इसकी रस्में करीब 3 दिन तक चलती हैं जो कई बार अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हो सकती हैं. तिलक फलदान और गोद भराई से शुरू हुई रस्में कन्यादान, सिंदूरदान और फेरे के बाद भी खत्म नहीं होतीं क्योंकि 7 फेरों के बाद भी कई ऐसी रस्में निभाना होती हैं जिनके बिना विवाह संपन्न नहीं माना जाता. इनमें से एक है फेरों के बाद ध्रुव तारा दिखाना. आपने यदि हिन्दू विवाह की रस्मों को पूरी तरह से देखा है तो आपने भी दूल्हा द्वारा अपनी दुल्हन को ध्रुव तारा दिखाते हुए देखा होगा. विवाह के बीच में ध्रुव तारा क्यों देखा जाता है और यह किसका प्रतीक है?
किसका प्रतीक है ध्रुव तारा?
हिन्दू धर्म में ध्रुव तारा का बड़ा महत्व बताया गया है. इसे उत्तर सितारा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह उत्तर दिशा को इंगित करता है. ऐसी मान्यता है कि, भगवान विष्णु ने आकाश में नजर आने वाले ध्रुव तारा को ही पहला तारा माना था.
क्यों दिखाया जाता है ध्रुव तारा?
जब विवाह होने वाला होता है तब बीच में ही यानी कि फेरों के बाद ध्रुव तारा दिखाने की रस्म होती है. इसमें दूल्हा अपनी दुल्हन को सप्त ऋषियों के साथ ध्रुव तारा का आकाश में दिखाता है. ऐसा कहा जाता है कि जिस प्रकार आकाश में ध्रुव तारा स्थिर होता है वैसे ही इसे देखने वाले वर और वधु के जीवन में प्रेम भी स्थिर बना रहता है.
इसके अलावा ध्रुव तारे को ही शुक्र का तारा भी कहा गया है और शुक्र भौतिक जीवन या यूं कहें के सुखमय जीवन का दाता है. इसलिए ध्रुव तारा के दर्शन से नवदंपत्ति का जीवन भी सुखमय हो जाता है.
7 फेरों के बाद ही क्यों देखा जाता है ध्रुव तारा?
यह सवाल किसी के भी मन में आता है कि ध्रुव तारा सात फेरों के बाद ही क्यों दिखाया जाता है. इसका कारण यह कि, इस समय तक विवाह संपन्न होने की कगार पर होता है और इसलिए जब दूल्हा दुल्हन एक दूसरे के हो चुके होते हैं तो उनके संबंध में स्थिरता लाने के लिए ध्रुव तारा दिखाया जाता है.
महाकुंभ में स्नान करने से मिलता है मोक्ष ! जानिए कुंभ के पीछे छिपे ज्योतिष रहस्य
2 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के चार शहरों में आयोजित होने वाला कुंभ मेला को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन कहा जाता है. कुंभ मेले की उत्पत्ति का वर्णन 8वीं शताब्दी के दार्शनिक शंकराचार्य ने किया. संस्थापक मिथक बताता है कि कैसे राक्षसों और राक्षसों ने समुद्र मंथन के रत्न कहे जाने वाले पवित्र घड़े यानि अमृत के कुंभ के लिए लड़ाई लड़ी. ऐसा माना जाता है कि मोहिनी का रूप धारण करके राक्षसों के चंगुल से भगवान विष्णु ने कुंभ को निकाला था. जब वे स्वर्ग की ओर इसे ले जा रहे थे, तो बूंदें उन चार स्थलों पर गिरीं, जहाँ आज कुंभ मनाया जाता है, अर्थात् हरिद्वार, उज्जैन, नासिक और प्रयागराज.
कुंभ का पौराणिक महत्व : पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि प्रजापति ब्रह्मा ने यमुना और गंगा के संगम पर स्थित दशाश्वमेध घाट पर अश्वमेध यज्ञ करके ब्रह्मांड का निर्माण किया था, जिसके कारण प्रयागराज में कुंभ सभी कुंभ त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण है. इस त्यौहार के ज्योतिषीय महत्व को समुद्र मंथन की कथा दर्शाती है, जब भगवान विष्णु को 12 दिव्य दिन स्वर्ग पहुंचने में लगे थे. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर बारहवें वर्ष जब माघ महीने में अमावस्या के दिन बृहस्पति मेष राशि में प्रवेश करता है,तो कुंभ मनाया जाता है.
कुंभ का ज्योतिष महत्व :
जब सूर्य मकर राशि में और बृहस्पति वृषभ राशि में होता है, तो कुंभ मेला प्रयागराज में होता है.
जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तो कुंभ उज्जैन में होता है.
जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तो कुंभ हरिद्वार में आयोजित होता है.
जब बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करता है, तो यह नासिक में आयोजित होता है.
कुंभ का सामाजिक महत्व : कुंभ मेले का सामाजिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह दुनिया का एकमात्र ऐसा आयोजन है जिसके लिए किसी आमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती है, फिर भी लाखों तीर्थयात्री इस विशाल आयोजन के लिए आते हैं. कुंभ मेला एक सामाजिक संदेश भी देता है जो सभी मनुष्यों के कल्याण, अच्छे विचारों को साझा करने और रिश्तों को बनाए रखने और मजबूत करने का है. मंत्रों का जाप, पवित्र व्याख्याएँ, पारंपरिक नृत्य, भक्ति गीत और पौराणिक कहानियाँ लोगों को एक साथ लाती हैं, जिससे कुंभ का सामाजिक महत्व झलकता है.
कुंभ मेले का इतिहास : कुंभ का महत्व अमृत है. इसके अलावा, ऐसा कहा जाता है कि कुंभ मेले के पीछे की कहानी तब की है जब देवता पृथ्वी पर रहा करते थे. ऐसा कहा जाता है कि ऋषि दुर्वासा के अभिशाप ने उन्हें दुर्बल कर दिया था और दुष्ट उपस्थिति ने ग्रह पर तबाही मचा दी थी. उस समय, भगवान ब्रह्मा ने देवताओं को असुरों की सहायता से अनन्त स्थिति का अमृत बनाने के लिए प्रेरित किया. बाद में असुरों को पता चला कि देवताओं ने उनके साथ अमृत साझा न करने की योजना बनाई है इसलिए उन्होंने 12 दिनों तक उनका पीछा किया, जिसके दौरान अमृत चार स्थानों पर गिरा जहा अब कुंभ मेला आयोजित किया जा रहा है. हालाकि कुंभ मेले की शुरुआत के बारे में ठीक-ठीक बताना मुश्किल है, लेकिन कुछ विद्वानों के अनुसार, कुंभ मेला 3464 ईसा पूर्व में शुरू हुआ था और यह हड़प्पा और मोहनजो-दारो संस्कृति से 1000 साल से भी पहले से मौजूद एक परंपरा है. चीनी यात्री ह्वेन त्सांग की पुस्तक में ‘कुंभ-मेला’ का उल्लेख किया गया है. 629 ईसा पूर्व में की गई अपनी ‘भारतयात्रा’ यात्रा विवरण में उन्होंने महान सम्राट हर्षवर्धन के राज्य में प्रयाग में आयोजित हिंदू मेले का उल्लेख किया है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
2 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बन जाएंगे।
वृष राशि :- चिन्ताएं कम हो, स्त्रीवर्ग से सुखवर्धक स्थिति होगी तथा प्रभुत्व में वृद्धि अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े हुए कार्य बनेंगे तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि :- लेन देन के मामलें में हानि, व्यर्थ प्रयास न करें, किन्तु यात्र के प्रसंग बन सकते है।
सिंह राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, मनोवृत्ति संवेदनशील बनी रहेगी, समय का ध्यान रखना अवश्य करेगा।
कन्या राशि :- मान प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि, अधिकारियों का समर्थन फल प्रद होगा व्यवस्था का ध्यान रखेंगे।
तुला राशि :- व्यवसाय की चिन्ता कम, व्यवसाय गति उत्तम, कार्य सफल होगा, सफलता की साधन जुटाएंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा व विलंब, कलह तथा पीड़ा, स्थितियों को समझ कर कार्य निपटावें।
धनु राशि :- आर्थिक चिन्ताएं मन उद्विघ्न करें तथा प्रयत्नशील रहे, रुके कार्यों पर विेशष ध्यान देंवे।
मकर राशि :- धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष तथा कार्य शर्त में सुधार होगा, कार्य करें, कार्य न रोके।
कुंभ राशि :- धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष, रुके कार्य गति में सुधार अवश्य होवे, ध्यान रखेंगे।
मीन राशि :- अधिकारियों का सर्मथन फलप्रद रहेगा, कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, समय का ध्यान रखे।
ग्वालियर में 1000 साल पुराना हनुमान मंदिर, मंगल और शनिवार को यहां उमड़ती है भीड़, मान्यता जान आप भी पहुंचेंगे धाम
1 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्वालियर में लक्ष्मण तलैया पर स्थित किले का हनुमान मंदिर लगभग 1000 साल पुराना है. इस मंदिर के विषय में कहा जाता है. यह मंदिर किसी के द्वारा बनवाया गया नहीं है यहां पर भगवान हनुमान स्वयं अपने आप केले में से प्रकट हुए थे. यह मंदिर 1000 सालों से स्थित है.
ग्वालियर में लक्ष्मण तलैया पर स्थित यह मंदिर किले के अंदर बना हुआ है. यहां पर ऐसा माना जाता है इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को दर्शन करने से विशेष प्रभाव प्राप्त होता है. यहां श्रद्धालु हर मंगल और शनि को दर्शन करने आते हैं. इसके अलावा इस मंदिर में पूजा पाठ करने के लिए स्थानीय लोग हर रोज सुबह और शाम आया करते हैं इस मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया जाता है. ऐसा बताया जाता है. यह मंदिर लगभग 1000 से डेढ़ हजार साल पुराना है. इस मंदिर पर आसपास के भक्तों की गहरी आस्था है.
शनिवार को सुंदरकांड करने का है विशेष फल
ग्वालियर के इस मंदिर में शनिवार के दिन लोग आवश्यक रूप से पूजा पाठ करने आते हैं.जिसमें शनिवार के दिन आकर लोग हनुमान बाहुक, एवं सुंदरकांड का पाठ किया करते हैं. यहां शनिवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करने का बहुत महत्व है. सुंदरकांड का पाठ करने पर सभी संकटों का निवारण होता है.ऐसा लोगों की आस्था है.पंडित रमेश चंद्र भार्गव ने लोकल 18 से कहा कि बताया यह मंदिर मान सिंह तोमर एवं उनके समकक्ष काल का रहा है. यहां पर तोमर वंश के द्वारा लंबे समय तक पूजा करी जाती रही है इसके अलावा एक जमाने में सिंधिया रियासत भी यहां पर अपनी गहरी आस्था रखती है.
अक्सर पति-पत्नी में होती है तकरार? विवाह पंचमी पर करें 3 चीजों का दान, दांपत्य जीवन में आएगी खुशियों की बहार
1 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू पंचांग के नौवें महीने मार्गशीर्ष को पवित्र माह के रूप में देखा जाता है. वहीं इस महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन विवाह पंचमी मनाई जाती है. पुराणों के अनुसार, इसी दिन भगवान राम और माता का सीता का विवाह हुआ था. तभी से इस दिन को विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर को मनाई जाएगी.
इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व बताया गया है. ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों की बहार आती है. लेकिन आपको ध्यान रखना चाहिए कि कौन सी चीजों का दान करने से लाभ मिलेगा.
1. कौड़ियों का दान
ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी को कौड़ियां बेहद प्रिय हैं और इन्हें लक्ष्मी जी का प्रतीक भी माना जाता है. इसलिए आप यदि विवाह पंचमी के दिन कौड़ियों का दान करते हैं तो आपके वैवाहिक जीवन से सभी प्रकार की परेशानियां दूर होती हैं और आपके जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जिससे आपके रिश्ते में मधुरता और मजबूती बनी रहती है.
2. पालकी का दान
यदि किसी लड़की का विवाह नहीं हो पा रहा है यानी कि रिश्ता जुड़ने के बाद भी बार-बार टूट रहा है तो आपको खिलौने के रूप में किसी भी धातु से बनी पालकी दान करना चाहिए. दान भी उसी कन्या द्वारा किया जाना चाहिए, जिसकी शादी में रुकावट आ रही है. यह दान आपको शुभ फल प्रदान करेगा और जल्दी विवाह के योग बनेंगे.
3. श्रृंगार वस्तु का दान
स्त्रियों के लिए श्रृंगार काफी महत्वपूर्ण है और इसे हिन्दू धर्म में सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं बल्कि शुभता का प्रतीक भी माना गया है. पंडित जी के अनुसार, यदि आप विवाह पंचमी के दिन सोलह श्रृंगार के सामान दान करती हैं तो इससे आपके वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं और आपका जीवन सुखमय हो जाता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या, तर्पण-श्राद्ध से पाएं पितरों का आशीर्वाद, जानें स्नान-दान मुहूर्त, दिशाशूल, राहुकाल
1 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रविवार को मार्गशीर्ष अमावस्या है. इस दिन मार्गशीर्ष कृष्ण अमावस्या तिथि, अनुराधा नक्षत्र, सुकर्मा योग, शकुनि करण, पश्चिम का दिशाशूल और वृश्चिक राशि में चंद्रमा है. मार्गशीर्ष अमावस्या को सुबह में स्नान के बाद अपनी क्षमता अनुसार दान देते हैं. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान बाद पितरों के लिए जल, काले तिल, अक्षत्, फूल आदि से तर्पण करते हैं. इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है. जिन लोगों ने अपने पितरों का श्राद्ध, पिंडदान आदि नहीं किया है, वे मार्गशीर्ष अमावस्या पर कर सकते हैं. श्राद्ध और पिंडदान आदि दिन में 11:30 बजे के बाद से कर सकते हैं. इससे पितर खुश होते हैं और उनकी कृपा से परिवार की उन्नति होती है. जो लोग अपने पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, दान आदि नहीं करते हैं, उनको पितृ दोष लगता है.
अमावस्या को शाम के समय में पितरों के लिए दीप जलाना भी अच्छा माना जाता है. यह दीप घर के बाहर दक्षिण दिशा में सरसों या तिल के तेल वाला होना चाहिए. जो लोग रविवार व्रत रखते हैं, उनको शाम के समय में मीठा भोजन करना चाहिए. उससे पहले सुबह में स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं. जल में लाल चंदन, लाल फूल, गुड़ आदि डालकर अर्पित करें. उसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ें. सूर्य कृपा से आपको कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी. पिता का सहयोग प्राप्त होगा. रविवार को गुड़, लाल कपड़ा, केसर, तांबे के बर्तन, घी आदि का दान करना चाहिए. इस उपाय से कुंडली का सूर्य दोष मिटता है. सूर्य के शुभ प्रभाव से उच्च पद प्राप्त होता है. वैदिक पंचांग से जानते हैं आज का शुभ मुहूर्त, चौघड़िया समय, सूर्योदय, चंद्रोदय, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
आज का पंचांग, 1 दिसंबर 2024
आज की तिथि- अमावस्या – 11:50 ए एम तक, फिर शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा
आज का नक्षत्र- अनुराधा – 02:24 पी एम तक, उसके बाद ज्येष्ठा
आज का करण- नाग – 11:50 ए एम तक, फिर किंस्तुघ्न – 12:20 ए एम, दिसम्बर 02 तक
आज का योग- सुकर्मा – 04:34 पी एम तक, उसके बाद धृति
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- रविवार
चंद्र राशि- वृश्चिक
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 06:57 ए एम
सूर्यास्त- 05:24 पी एम
चन्द्रोदय- 06:58 ए एम
चन्द्रास्त- 05:14 पी एम
मार्गशीर्ष अमावस्या के शुभ मुहूर्त
स्नान-दान समय: सुबह 05:08 बजे से प्रारंभ
तर्पण और श्राद्ध का समय: दिन में 11 बजे से दोपहर 03:30 बजे तक
ब्रह्म मुहूर्त: 05:08 ए एम से 06:02 ए एम
विजय मुहूर्त: 01:55 पी एम से 02:37 पी एम
अभिजीत मुहूर्त: 11:49 ए एम से 12:31 पी एम
गोधूलि मुहूर्त: 05:21 पी एम से 05:48 पी एम
अमृत काल: 06:27 ए एम, दिसम्बर 02 से 08:09 ए एम, दिसम्बर 02
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 08:15 ए एम से 09:33 ए एम
लाभ-उन्नति: 09:33 ए एम से 10:52 ए एम
अमृत-सर्वोत्तम: 10:52 ए एम से 12:10 पी एम
शुभ-उत्तम: 01:29 पी एम से 02:47 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
शुभ-उत्तम: 05:24 पी एम से 07:05 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम: 07:05 पी एम से 08:47 पी एम
चर-सामान्य: 08:47 पी एम से 10:29 पी एम
लाभ-उन्नति: 01:52 ए एम से 03:34 ए एम, दिसम्बर 02
शुभ-उत्तम: 05:16 ए एम से 06:57 ए एम, दिसम्बर 02
अशुभ समय
राहुकाल- 04:05 पी एम से 05:24 पी एम
गुलिक काल- 02:47 पी एम से 04:05 पी एम
यमगण्ड- 12:10 पी एम से 01:29 पी एम
दुर्मुहूर्त- 04:00 पी एम से 04:42 पी एम
विंछुड़ो- पूरे दिन
दिशाशूल- पश्चिम
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
गौरी के साथ – 11:50 ए एम तक, उसके बाद श्मशान में.