धर्म एवं ज्योतिष
छत पर बैठा उल्लू करे ऐसी आवाज तो समझिए होने वाली है मां लक्ष्मी की कृपा, इस बात पर हो जाएं सावधान
8 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उल्लू अगर किसी की छत पर बैठता है और वहां बैठकर आवाज करता है तो इन बातों को लेकर लोगों में कई प्रकार की धारणाएं हैं. उल्लू के छत पर बैठने को लेकर लोगों के मन में अच्छी और बुरी धारणाएं सदियों से चली आ रही हैं. वैसे तो हिंदू धर्म में उल्लू को धन की देवी मां लक्ष्मी की सवारी बताया गया है. वहीं उल्लू के दिखने या आवाज करने को लेकर शुभ और अशुभ के बारे में बहुत सी बातें बताई गई हैं.
हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार उल्लू मां लक्ष्मी की सवारी है. अगर उल्लू दिन या रात में आपको दिख जाए तो ये बेहद ही शुभ होता है. उल्लू के दिखने से आपके जीवन में चल रही आर्थिक तंगी, परेशानियां दूर हो जाती हैं. हिंदू धर्म में उल्लू का दिखाना शुभ बताया गया है. वहीं उल्लू कुछ परिस्थितियों ओर यम की दिशा में बैठकर अजीब हरकत करे तो यह अशुभ बताया गया है.
होता है धन लाभ
उल्लू के छत पर बैठने और आवाज करने से शुभ और अशुभ की हिंदू धर्म में उल्लू को बहुत शुभ बताया गया है. उल्लू का दिखाना यानी जीवन में धन आदि का लाभ होता है. अगर आर्थिक तंगी और परेशानियां आपके जीवन में चल रही हैं और ऐसे में आपको मां लक्ष्मी की सवारी उल्लू बोलता हुए दिखे तो आर्थिक तंगी, आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती हैं. उल्लू का दिन और रात में दिखाना तथा आवाज करना बहुत ही शुभ होता है.
कब नहीं होता शुभ
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि कुछ परिस्थितियों में उल्लू के छत पर बैठने और अलग प्रकार की आवाज करने से जीवन में आर्थिक तंगी, दुख, बीमारियां आ जाती हैं. उल्लू दो प्रकार की आवाज करता है. एक उल्लू का बोलना और दूसरा उल्लू का रोना, दोनों ही आवाजें अलग-अलग होती हैं. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अगर उल्लू आपके घर के आंगन या छत पर बैठकर रोता है तो यह बेहद ही अशुभ संकेत है.
माना जाता है कि उल्लू के रोने से घर में दरिद्रता, दुख, परेशानी, आर्थिक तंगी आदि सभी आ जाती हैं. वहीं अगर उल्लू आपके घर की छत पर दक्षिण दिशा में बैठकर रोता है तो यह गंभीर बीमारी, असाध्य रोग आने का संकेत होता है. उल्लू के दक्षिण दिशा में बैठकर रोने, घर के आंगन में या छत पर बैठकर उल्लू रोता दिखे तो बिना देरी किए उसे वहां से उड़ा देना चाहिए और घर में शांति का पाठ, हवन यज्ञ जरूर करवाना चाहिए जिससे घर से नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह खत्म हो जाए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम योजनाएं फलीभूत होवेगी, लाभ मिलेगा।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील बनेगी, ध्यान रखें ।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तनाव झगड़े से बचें, कार्य व्यवस्था कुछ अनूकूल बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होवेगी।
सिंह राशि :- इष्टमित्रों से सुखवर्धक फल प्राप्त होगा, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, समय का ध्यान रखे।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस स्थिरता का वातावरण, हीन भावना की उत्पत्ति हो जाएगी।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल हो जाएगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, पूर्ण कार्य हो जाने से कार्य कुशल अनुकूल बनें।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य बन जाएगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थितियों में सुधार होवेगा, खुशी मिलेगी।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख मानसिक बैचेनी से बचिए कार्य गति में अनुकूलता अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
मासिक दुर्गाष्टमी पर देवी को लगाएं 3 खास चीजों का भोग
7 Dec, 2024 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Masik Durga Ashtami : हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है और लोग इस दिन व्रत रखने के साथ ही मां दुर्गा की आराधना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है. साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. इस बार मासिक अष्टमी का व्रत 08 दिसंबर को रखा जाएगा. भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार, यदि आप सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आप मां दुर्गा को उनका प्रिय भोग जरूर लगाएं. कौन सी हैं वे चीज और कैसे लगाएं भोग? आइए जानते हैं.
1. हलवा का भोग
हमेशा से यह बात आपने सुनी होगी कि मां दुर्गा का हलवा काफी पसंद है. भक्त अपनी मुरादें पूरी कराने के लिए मां को हलवा पूरी का भोग खूब लगाते हैं. शक्ति की आराधना में आप भी दुर्गाष्टमी के दिन घी से बने हलवा का भोग लगाएं. माना जाता है कि इस भोग से माता आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. साथ ही उनके आशीर्वाद से आपको जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है.
2. केले का भोग
मां दुर्गा को केले का भोग भी जरूर लगाएं. मासिक दुर्गाष्टमी पर लगाए गए केले के भोग से व्यक्ति को कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं आपको मनचाहे परिणाम मिलते हैं और यदि आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं तो आपको इससे भी छुटकारा मिलता है और स्थिति ठीक होती है.
3. सफेद रंग की मिठाई का भोग
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना भी बेहद शुभ माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि, इससे आपके जीवन में सकारात्मकता आती है और आपको जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है. यदि आप मां से किसी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं तो उन्हें सफेद मिठाई का भोग जरूर लगाएं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
7 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम योजनाएं फलीभूत होवेगी, लाभ मिलेगा।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील बनेगी, ध्यान रखें ।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तनाव झगड़े से बचें, कार्य व्यवस्था कुछ अनूकूल बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होवेगी।
सिंह राशि :- इष्टमित्रों से सुखवर्धक फल प्राप्त होगा, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, समय का ध्यान रखे।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस स्थिरता का वातावरण, हीन भावना की उत्पत्ति हो जाएगी।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल हो जाएगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, पूर्ण कार्य हो जाने से कार्य कुशल अनुकूल बनें।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य बन जाएगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थितियों में सुधार होवेगा, खुशी मिलेगी।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख मानसिक बैचेनी से बचिए कार्य गति में अनुकूलता अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
शादी के कई साल बाद भी नहीं गूंजी किलकारी? इस दिन करें केले के पेड़ की पूजा; जल्द मिलेग खुशखबरी
6 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन मिथिला में सीता स्वयंवर जीतकर भगवान श्री राम ने माता जानकी से विवाह रचाया था. इस शुभ अवसर पर श्री राम और माता सीता की विशेष पूजा का विधान है. इससे आपके सुख-सौभाग्य में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ ही आपके सारे काम भी सिद्ध होंगे. इसके अलावा इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है केले के पेड़ का पूजन का महत्व व विधि.
जानिए कब मनाई जाएगी विवाह
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12:49 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 6 दिसंबर को दोपहर 12:7 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विवाह पंचमी या राम विवाह 6 दिसंबर को है.
केले के पेड़ की पूजा
विवाह पंचमी के दिन केले के पेड़ का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को गुरु से संबंधित दोष है, तो वह केले के पेड़ की पूजा करने से दूर हो जाता है. देवताओं के गुरु यानी बृहस्पति को विवाह, संतान और धर्म का जानकार माना जाता है. ऐसे में जिनके विवाह या संतान प्राप्ति में देरी हो रही है, उन्हें इस तिथि पर केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
जानले केले के पेड़ की पूजा विधि
– विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
– इसके बाद पीले वस्त्र पहनकर केले के पेड़ पर पीली रस्सी बांधें.
– हल्दी-चंदन के साथ फूल चढ़ाने के बाद धूप और घी का दीपक जलाएं.
– भगवान राम के मंत्रों का जाप करें और श्रीराम भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं.
– केले के पेड़ की पूजा करते समय लक्ष्मीनारायण का ध्यान करें.
इसके बाद अक्षदा, पंचामृत, सुपारी, लौंग, इलायची, दीपक जैसी चीजें चढ़ाएं.
– फिर केले के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करें और केले के पेड़ के सामने अपनी विवाह संबंधी मनोकामना करें.
वो था महाभारत का सबसे सत्यवादी शख्स, ये युधिष्ठिर नहीं, खूबसूरत अप्सरा हुई उसकी दीवानी
6 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत में केवल एक शख्स ऐसा है जिसने कभी कोई झूठ नहीं बोला. हमेशा सच ही कहा. उन्हें युधिष्ठिर से बड़ा सत्यवादी और सच की राह पर चलने वाला पाया गया. ये शख्स ताजिंदगी अविवाहित रहा. उन्हें दो महिलाओं ने शादी करने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इनकार कर दिया. स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी तो उनके आकर्षण में बंधी पृथ्वी तक चली आई. कई तरीके से उन्हें रिझाने की कोशिश की.
ये शख्स भीष्म पितामह थे, जिन्होंने कभी झूठ नहीं बोला. अपने दिए गए वचनों का आजीवन पालन किया. उन्होंने महाभारत में सबसे लंबी जिंदगी जी. तीन पीढ़ियों का साथ दिया. उनका वास्तविक नाम देवव्रत था. उनके जीवन के बड़े सच आगे बताएंगे और ये भी कि किस तरह उर्वशी उनके प्यार में पागल हो गई थी.
देवव्रत ने पिता राजा शांतनु को प्रसन्न करने और उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया. राजगद्दी छोड़ दी. उनकी इस महान प्रतीज्ञा के कारण उन्हें “भीष्म” की उपाधि मिली. पांडवों के लिए वो पितामह थे लिहाजा वह भीष्म पितामह कहे जाने लगे.
हमेशा सच पर टिके रहे, कभी कोई झूठ नहीं बोला
भीष्म ने हर परिस्थिति में धर्म और सत्य का पालन किया, चाहे वह उनके लिए कितना भी कष्टदायक क्यों न हो. उन्होंने कौरवों का पक्ष केवल अपने वचन के कारण लिया, भले ही वह जानते थे कि पांडव धर्म के मार्ग पर हैं. उनकी पांच बड़े सच के बारे में हम आगे बताएंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए कि किस तरह भीष्म को दो महिलाओं ने शादी का प्रस्ताव दिया और वह नहीं माने.
कौन थी विवाह का प्रस्ताव देने वाली पहली स्त्री
पहली स्त्री अंबा थीं, जो काशी नरेश की बेटी थीं. भीष्म पितामह ने अपने भाइयों (विचित्रवीर्य और चित्रांगद) के लिए काशी की तीन राजकुमारियों (अंबा, अंबिका, और अंबालिका) का स्वयंवर जीतकर हरण किया. हालांकि अंबा पहले से ही शाल्व राजा से प्रेम करती थीं. उनसे विवाह करना चाहती थी. जब भीष्म ने यह सुना, तो उन्होंने उन्हें वापस जाने दिया, लेकिन शाल्व ने उन्हें अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह भीष्म द्वारा हरण की जा चुकी थी.
अब अंबा वापस भीष्म के पास वापस लौटीं. उन्होंने भीष्म से प्रतिज्ञा तोड़कर उनसे शादी की मांग की. भीष्म ने अपने ब्रह्मचर्य व्रत और प्रतिज्ञा के कारण इसे अस्वीकार कर दिया.
तब अंबा ने प्रतिज्ञा की कि वह भीष्म के विनाश का कारण बनेगी. उसने कठोर तपस्या कर भगवान शिव से वरदान पाया. अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्म लेकर कुरुक्षेत्र युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बनी.
स्वर्ग की अप्सरा कैसे पड़ीं प्यार में
अब आइए जानते हैं कि कैसे स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी भी भीष्म के प्यार में पड़ गईं. वह किसी भी हालत में उनसे शादी करना चाहती थीं. महाभारत के अधिकांश प्रमुख संस्करणों में उर्वशी और भीष्म पितामह की कहानी का उल्लेख नहीं मिलता है. यह कथा महाभारत के मूल पाठ से अधिक लोक कथाओं और बाद के ग्रंथों में पाई जाती है.
भीष्म पितामह यानि देवव्रत जब युवा थे, तो उनकी वीरता, तप और तेजस्विता की ख्याति हर ओर फैल चुका थी. उनका व्यक्तित्व सुदर्शन और सुंदर था. इससे स्वर्ग की अप्सराएं भी उन्हें पाना चाहती थीं.
उर्वशी को लगा कि वह रूप का जादू चला सकेंगी
अप्सरा उर्वशी अपने सौंदर्य और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध थीं. वह भीष्म की दीवानी हो गईं. उन्हें अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था. उर्वशी ने सोचा कि वह निश्चित तौर पर शांतनु को अपने रूप और मोहकता से आकर्षित कर लेगी. वह तब उनके आकर्षण में बंधकर अपना व्रत तोड़ देंगे और तब वह उनसे शादी कर लेंगी.
दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!
6 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आश्रम एक ऐसी जगह होती है जो आत्मा को शांति देती है. भारत में कई आश्रम हैं, जहां हिंदू देवताओं की पूजा होती है, लेकिन गांधीनगर के आदलाज के पास शेरथा गांव में एक ऐसा आश्रम है, जहां किसी देवता की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा नहीं होती. इस वडावाला महादेव आश्रम में भगवान शिव की पूजा वट वृक्ष के रूप में महामृत्युञ्जय मंत्र के जाप से की जाती है.
दुनिया का पहला ऐसा मंदिर
लोकल 18 से बात करते हुए वडावाला महादेव आश्रम के प्रबंध ट्रस्टी,रजनीशभाई पटेल ने कहा कि यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ को वट वृक्ष के रूप में स्थापित किया गया है. इस दाढ़ी वाले महादेव को 2023 के पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को स्थापित किया गया. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है, भगवान भोलेनाथ उसकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इस दाढ़ी वाले महादेव के मात्र दर्शन से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से राहत मिलती है.
महामृत्युञ्जय मंत्र का महत्व
इस आश्रम में नियमित रूप से महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप किया जाता है. इसका उद्देश्य समाज और राष्ट्र का निर्माण करना है. साथ ही, यह मंत्र हिंदू संस्कृति की रक्षा करने और समाज में सकारात्मकता फैलाने का काम करता है. यहां योग-प्राणायाम और ध्यान जैसे स्वास्थ्यवर्धक कार्य (Healthy work) भी किए जाते हैं, जो शरीर और मन को बहुत लाभ पहुंचाते हैं. अब तक इस संगठन द्वारा 50,000 से अधिक वट वृक्ष लगाए जा चुके हैं.
महामृत्युञ्जय मंत्र की विशेषता
बता दें कि भगवान शिव का यह मंत्र आध्यात्मिक साधना से भी अधिक लाभकारी है. इसे रुद्र मंत्र या त्र्यंबकम मंत्र भी कहा जाता है. यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक शांति के लिए भी अत्यधिक उपयोगी है.
वट वृक्ष का महत्व
वट वृक्ष को हमारा राष्ट्रीय वृक्ष माना गया है. यह अक्षय वृक्ष के रूप में जाना जाता है. यह न केवल पक्षियों के लिए आश्रय और भोजन प्रदान करता है, बल्कि इसे लगाने से व्यक्ति को 1000 अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. भगवान बुद्ध ने भी वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था.
पर्यावरण और कृषि में योगदान
वट वृक्ष निरंतर ऑक्सीजन प्रदान करता है और अपनी मोटी जड़ों से भूकंप के झटकों को भी सहन करता है. यदि इसे नदी, झील या तालाब के किनारे लगाया जाए, तो यह पक्षियों के लिए घर बन जाता है और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करता है. इससे फसल उत्पादन बढ़ता है और किसानों के कीटनाशक खर्च में भी कमी आती है.
10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प
इस संगठन ने भारत की सभी छोटी और बड़ी झीलों व नदी किनारों पर 10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है, ताकि मानव जीवन और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके.
मोक्षदा एकादशी के दिन भूलकर न करें ये काम, वर्ना विष्णु भगवान होंगे नाराज!
6 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सभी दिन और महीने भक्ति के लिए समर्पित बताए गए हैं. ऐसे ही हिंदू कैलेंडर का कोई मास या तिथि भी किसी देवता या भगवान को खास समर्पित माना जाता है. जैसे हिंदू कैलेंडर का मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु को समर्पित मास बताया गया है. इस मास में अगर भगवान विष्णु के निमित्त पूजा पाठ, हवन, मंत्र उच्चारण, मंत्रों का जाप, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, व्रत आदि किया जाए तो विशेष फलों की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुत से पर्व आते हैं लेकिन मार्गशीर्ष मास में बेहद ही आसान उपाय से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी तिथि का आगमन होता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के अंश से महाशक्ति देवी एकादशी का जन्म हुआ था तो वहीं अगले पक्ष शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी को मोक्ष की प्राप्ति केवल व्रत करने से मिलने की धार्मिक मान्यता है.
मोक्षदा एकादशी पर किस गलती से भगवान विष्णु नाराज होते हैं
मोक्षदा एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए कि मोक्ष प्राप्ति के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत विधि विधान से करने पर विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.
वे आगे बताते हैं कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके एकादशी के व्रत का संकल्प करें और एकादशी का पाठ करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, हवन आदि करना चाहिए. एकादशी के व्रत का पारायण अगले दिन किया जाता है जिसमें एकादशी व्रत की महिमा का पाठ करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप करके प्रसाद वितरण करना चाहिए.
व्रत में वर्जित होती हैं ये चीजें
पंडित जी आगे बताते हैं कि एकादशी का व्रत करने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. दशमी तिथि से ही प्याज, लहसुन और मांसाहारी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. दशमी तिथि से इन वस्तुओं को पूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए साथ ही व्रत के दौरान चावल या चावल से बनी कोई भी सामग्री ग्रहण नहीं करनी चाहिए. अगर इन वस्तुओं का सेवन आपके द्वारा व्रत के दौरान किया गया है तो आपके जीवन में अनेकों प्रकार के दुख, संकट आ जाएंगे और भगवान विष्णु आपसे नाराज हो जाएंगे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
6 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बैचेनी उद्विघ्नता से बचिए समय पर सोचे हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान दें।
वृष राशि :- चिंताएं कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य ही होगी, कष्ट होवे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाये, व्यावसायिक क्षमताओं में वृद्धि अवश्य बनेंगी, कार्य व्यवसाय अवश्य बढ़े।
कर्क राशि :- व्यथ धन का व्यय समय व शन्ति नष्ट होवेगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- भोग एश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहेगा, विरोधी वर्ग आपको अवश्य ही परेशान करेंगे, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- समय ठीक नहीं सोचकर चले, समय व धन नष्ट होवे, क्लेश व अशांति, यात्रा से कष्ट होगा।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन जुटायें कार्य में बाधा उत्पन्न होने से कार्य रुकेंगे।
वृश्चिक राशि :- चोट आदि से बचिए, भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होगा, समय सीमा का ध्यान रखे।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिए भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होवेगा, चोट चपेट से बचकर चले।
मकर राशि :- परिश्रम विफल होगा, चिंता व यात्रा व्यग्रता तथा स्वास्थ्य नरम गरम रहेगा।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटनाओं से कष्ट चोट आदि का भय होगा, ध्यान रखकर कार्य करें।
मीन राशि :- अधिकारियों से कष्ट मित्र सहायक न होवे, समय का ध्यान रखकर कार्य अवश्य करें।
समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
5 Dec, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है। इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
तुलसी पूजन और गो सेवा से रहेंगे रोग दूर
5 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, बहुत सारे ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति सरल एवं सुलभ जीवन व्यतित कर सकता है। उन्हीं में से तुलसी पूजन और गो सेवा दो ऐसे शुभ कर्म हैं, जिस घर में प्रतिदिन होते हैं, वहां का द्वार रोग कभी नहीं खटखटाते और मिलते हैं ढेरों लाभ।
‘स्कंद पुराण’ के अनुसार जिस घर में तुलसी का बगीचा होता है (एवं प्रतिदिन पूजन होता है), उसमें यमदूत प्रवेश नहीं करते।’
‘पद्म पुराण’ में आता है कि ‘कलियुग में तुलसी का पूजन, कीर्तन, ध्यान, रोपण और धारण करने से वह पाप को जलाती है और स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करती है।’
‘पद्म पुराण’ के उत्तर खंड में आता है कि कैसा भी पापी, अपराधी व्यक्ति हो, तुलसी की सूखी लकडिय़ां उसके शव के ऊपर, पेट पर, मुंह पर थोड़ी-सी बिछा दें और तुलसी की लकड़ी से अग्नि शुरू करें तो उसकी दुर्गति से रक्षा होती है। यमदूत उसे नहीं ले जा सकते।
‘गरुड़ पुराण’ (धर्म कांड-प्रेत कल्प : 38.99) में आता है कि ‘तुलसी का पौधा लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जल कर विनष्ट हो जाते हैं।’
‘मृत्यु के समय जो तुलसी-पत्ते सहित जल का पान करता है वह सपूर्ण पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक में जाता है।’ (ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंड : 21.43)
‘जो दारिद्रय मिटाना व सुख-सपदा पाना चाहता है उसे शुद्ध भाव व भक्ति से तुलसी के पौधे की 108 परिक्रमा करनी चाहिए।’
ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से बरकत होती है।
व्रत रखने से मिलता है फल
5 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
यह सब देखकर व्यक्ति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। ये कहते है कि फिर इसके बाद आकाशवाणी हुई कि ‘हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तूने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया।’ ये बात सुनकर उसे समझ में आया की उसने गलती कर दी। इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दे।
इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। ज्योतिषियों के मुताबिक जो व्यक्ति इस कथा को याद रखता उसे बुधवार को किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन अगर कोई व्यक्ति किसी नए काम की शुरुआत करता है तो उसे भी शुभ माना जाता है।
सूर्यदेव की लकड़ी की प्रतिमा होती है शुभ
5 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मान्यता है कि भगवान गणेश के साथ-साथ सूर्य देव की उपासना करना बहुत फलदायी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। इसीलिए इसकी शुभ-अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव डालती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार सूर्य देव की अलग-अलग प्रतिमाएं रखना शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अपनी इच्छानुसार घर में सूर्य देव की प्रतिमाएं रखी जा सकती हैं। तो आइए आज जानते हैं कि सूर्य देव की कौन सी प्रतिमा को घर में रखा जा सकता है।
लकड़ी की प्रतिमा
ज्योतिष और वास्तु के अनुसार सूर्यदेव की लकड़ी की प्रतिमा घर रखना बहुत अच्छा माना जाता है। मान्यता है कि इसके निरंतर पूजा-पाठ करने से घर के लोगों का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। इसके साथ ही उन्हें भाग्य का साथ मिल जाता है।
मिट्टी की प्रतिमा
जिस जातक की कुंडली में सूर्य दोष हो और उसके सभी कामों में बार-बार बाधाएं आ रही हो तो वो इंसान घर में पत्थर या मिट्टी की सूर्य प्रतिमा रख सकता है। कहा जाता है कि इसकी पूजा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है।
तांबे की प्रतिमा
कहते हैं कि घर में सकारात्मकता बनाए रखने के लिए हर किसी को तांबे से बनी प्रतिमा रखनी चाहिए। इसके शुभ असर से सभी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
चांदी की प्रतिमा
कार्य क्षेत्र में अधिकार बनाए रखने के लिए चांदी की सूर्य प्रतिमा रख सकते हैं।
सोने की प्रतिमा
सोने से बनी सूर्य प्रतिमा घर में रखने और उसकी पूजा करने से घर में धन-धान्य बढ़ता है, सुख-समृद्धि बनी रहती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
5 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में तनाव, क्लेश व अशांति, व्यर्थ धन का व्यय तथा पीड़ा धन की हानि होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप तथा लाभप्रद बना रहेगा तथा कार्य अवरोध होगा।
मिथुन राशि :- कार्य व्यवस्था अनुकूल हो, सफलता के साधन जुटाए तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
कर्क राशि :- मनोवत्ति, उदर विकार तथा मनोवांछित कार्य संपन्न होवे, क्लेश व हानि संभावित होवे, ध्यान दें।
सिंह राशि :- समय नष्ट न होवे, व्यवसायिक क्षमता अवश्य अनुकूल बनेगी, कार्यवृद्धि के योग है।
कन्या राशि : आर्थिक योजना सफल होगी, व्यावसायिक क्षमता अवश्य अनुकूल बनेगी, कार्य वृद्धि के योग है।
तुला राशि :- धन का व्यय, व्यर्थ परिश्रम से हानि, मानसिक उद्विघ्नता तथा परेशानी होगी तथा कष्ट होगा।
वृश्चिक राशि :- स्त्री कार्य से क्लेश व हानि, विघटनकारी तत्व आपको परेशान करेंगे, व्यवसाय का ध्यान दें।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या सुलझे, धन का व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण अवश्य होवेगा, घरेलू व्यवस्था का ध्यान दे। मकर राशि :- अर्थ व्यवस्था, छिन्न-भिन्न होगी कार्य, व्यवसाय गति उत्तम समय का उपयोग कर लाभ लें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्य गति में सुधार चिन्ताएं कम होगी तथा सफलता के साधन जुटाए, ध्यान रखेंगे।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होवे तथा कार्यगति अनुकूल अवश्य ही बन जाएगी, ध्यान दे।
दिसंबर में कितनी एकादशी आएंगी? पूजा करते वक्त रखें इन बातों का ध्यान
4 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म एकादशी तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. साल में 24 एकादशी तिथि का व्रत रखा जाता है और प्रत्येक एकादशी का व्रत भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी तिथि के दिन भक्त श्री हरि विष्णु के लिए उपवास रखते हैं और विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा आराधना करते हैं. एकादशी तिथि माह में दो बार पड़ती है. एक कृष्ण पक्ष में तो दूसरा शुक्ल पक्ष में. ऐसी मान्यता है कि जो भी जातक इस व्रत का पालन करते हैं उनकी सभी इच्छाएं पूरी भी होती हैं. साथ ही इस दिन नारायण का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि दिसंबर महीने में कब-कब है एकादशी का व्रत.
एकादशी दिसंबर 2024
कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि दिसंबर महीने में 11 दिसंबर को देर रात्रि 3:42 से शुरू हो रही है, जिसका समापन 12 दिसंबर को देर रात्रि 1:09 पर होगा. पंचांग को देखते हुए मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर को मनाया जाएगा. वहीं दिसंबर महीने में पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 25 दिसंबर को देर रात्रि 10:29 पर शुरू हो रही है, जिसका समापन 27 दिसंबर को देर रात्रि 12:43 पर होगा. उदय तिथि के मुताबिक 26 दिसंबर को सफलता एकादशी का व्रत रखा जाएगा .
एकादशी के दिन इन बातों का रखें ध्यान
एकादशी तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले घर की साफ सफाई करनी चाहिए. फिर पवित्र नदियों में स्नान अथवा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए. मंदिर में चौकी की स्थापना करनी चाहिए. उसमें श्री यंत्र के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. देसी घी का दीपक जलाना चाहिए और लास्ट में फल फूल गोपी का चंदन मिठाई तुलसी पत्र आदि का भोग लगाना चाहिए. फिर विधि विधान पूर्वक श्री हरि विष्णु की पूजा पाठ करनी चाहिए.
व्रत रखना होता है शुभ
एकादशी के दिन व्रत रखने से बहुत सारे फायदे मिलते हैं. कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से सारे पाप माफ हो जाते हैं. अगर आप भी एकादशी के दिन व्रत रखना चाहें, तो पूजा-पाठ के साथ व्रत रख सकते हैं.