धर्म एवं ज्योतिष
साल 2024 के अंत में शनि देव की बदलेगी चाल, 2025 में इन 4 राशि वालों को होगा धन-लाभ!
9 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कर्मफल दाता शनि देव समय-समय पर अपनी राशि व नक्षत्र में बदलाव करते रहते हैं. इस समय शनि अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान हैं. नक्षत्र की बात करें तो शनि शतभिषा नक्षत्र में संचरण कर रहे हैं. दिसंबर में शनि अपने नक्षत्र में परिवर्तन करेंगे. शनि के नक्षत्र परिवर्तन का भी असर 12 राशियों के जीवन में अच्छा या फिर बुरा पड़ता है. बता दें कि शनि इस समय राहु के नक्षत्र शतभिषा में विराजमान है. लेकिन आने वाली 27 दिसंबर को वह नक्षत्र परिवर्तन करके पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करने वाले हैं. गुरु के नक्षत्र में प्रवेश करने से कुछ राशि के जातकों को साल 2025 में लाभ मिलने वाला है. आइए जानते हैं शनि के पूर्व भाद्रपद नक्षत्र में जाने से किन राशियों को मिलेगा लाभ.
मेष राशि : शनि पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करके इस राशि के ग्यारहवें भाव में रहने वाले हैं. लाभेश में शनि के होने से इस राशि के जातकों को किसी न किसी तरह से धन की प्राप्ति हो सकती है. लंबे समय समय से रुके काम पूरे हो सकते हैं. लंबे समय से अटकी हुई कोई इच्छा पूरी हो सकती है. घर, संपत्ति या फिर वाहन खरीदने का सपना पूरा हो सकता है. पुराने दोस्तों से मुलाकात हो सकती है. इसके साथ ही स्वार्थी लोगों से थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है, वरना आपका फायदा उठा सकते हैं.
वृषभ राशि : इस राशि में शनि दसवें भाव में विराजमान है. भाग्य के स्वामी होने के कारण आपको हर क्षेत्र में सफलता हासिल हो सकते हैं. गुरु के नक्षत्र में जाने से इस राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है. दसवें भाव में शनि और लग्न भाव में गुरु विराजमान है. ऐसे में इस राशि के जातकों को भौतिक सुखों की प्राप्ति हो सकती है. आपके जीवन में कई बदलाव देखने को मिल सकता है. परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा. आप अपने लक्ष्यों को पाने में सफल हो सकते हैं. करियर के क्षेत्र में आपको खूब लाभ मिल सकता है. इसके साथ ही तरक्की और वेतन वृद्धि हो सकती है. शनि के मार्गी अवस्था में इस नक्षत्र में आने से कई यात्राएं भी कर सकते हैं.
कन्या राशि : पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करके शनि छठे भाव में रहने वाले हैं. मार्गी गति से इस नक्षत्र में प्रवेश करने से इस राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है. करियर के क्षेत्र में आपको काफी लाभ मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. नई नौकरी तलाश कर रहे जातकों को काफी लाभ मिल सकता है. डिफेंस, वकील और डॉक्टरों के लिए ये अवधि काफी अच्छी साबित हो सकती है. योग, साधना में आपका काफी अधिक लगाव हो सकता है . व्यापार के क्षेत्र में भी काफी लाभ मिलने के आसार नजर आ रहे हैं. जीवन में कई खुशियों की दस्तक हो सकती है.
वृश्चिक राशि : इस राशि में शनि चौथे भाव में रहने वाले हैं. इसके साथ ही शनि गुरु के नक्षत्र में प्रवेश करेंगे. बता दें कि गुरु सातवें भाव में विराजमान होंगे. ऐसे में इस राशि के जातक कुछ नया काम आरंभ कर सकते हैं. इससे आपको लाभ के साथ आनंद आएगा. इसके साथ ही शनि ढैय्या बना रहे हैं. ऐसे में मन में कई उलझनें हो सकती है. लेकिन इससे आप आसानी से निकल जाएंगे. गुरु की कृपा से आपको करियर के क्षेत्र में खूब लाभ मिल सकता है. पदोन्नति के साथ वेतन वृद्धि हो सकती है. इसके साथ ही व्यापार के क्षेत्र में भी काफी लाभ हो सकता है.
क्या आपके अंगूठे, होंठ और कान पर तिल है? जानिए इसका आपकी किस्मत से क्या है कनेक्शन
9 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शरीर पर हर किसी के कुछ न कुछ जन्मचिह्न होते हैं. इसके पीछे कुछ कारण और विज्ञान भी है. समुद्र शास्त्र में शरीर पर तिल होने के शुभ और अशुभ प्रभावों के बारे में लिखा गया है. कुछ तिल व्यक्ति के लिए लाभकारी होते हैं, जबकि कुछ तिल अशुभ माने जाते हैं. समुद्र शास्त्र के अनुसार, शरीर पर कुछ तिल अशुभ माने जाते हैं, ये तिल नकारात्मक संकेत देते हैं, तो चलिए नाशिक के धार्मिक जानकार डॉ. नरेंद्र धराणे से ये जानकारी जानते हैं…
छोटी अंगुली पर तिल: जिस व्यक्ति की छोटी अंगुली पर तिल होता है, उन्हें बहुत सारा धन मिलता है, लेकिन जीवन में बहुत दुख भी सहने पड़ते हैं. ऐसे लोग हमेशा किसी न किसी संघर्ष का सामना करते हैं.
बाएं हाथ पर तिल: बाएं हाथ पर तिल होना यह संकेत देता है कि यह व्यक्ति बहुत गुस्सैल है. ये लोग जल्दी गुस्सा हो जाते हैं और हमेशा अपने आस-पास के लोगों पर नजर रखते हैं.
होठों पर तिल: होठों पर तिल होने का मतलब है कि व्यक्ति अधिक संवेदी (more sensitive) है. इसके साथ ही, होठों पर तिल यह भी संकेत देता है कि इस व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उतार-चढ़ाव वाली रहती है, यानी उसकी आर्थिक स्थिति अस्थिर रहती है.
कान पर तिल: बता दें कि कान पर तिल होना अशुभ माना जाता है. इससे यह संकेत मिलता है कि व्यक्ति की उम्र कम होती है. ऐसे लोग को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते हैं.
आंख पर तिल: बता दें कि आंख के बाएं हिस्से पर तिल होना अशुभ माना जाता है. ऐसे लोग अपनी शादीशुदा जिंदगी में कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं. पति-पत्नी के बीच मतभेद हो सकते हैं.
अंगूठी की अंगुली पर तिल: अंगूठी की अंगुली पर तिल होना भी अशुभ माना जाता है. ऐसे लोग आंखों से संबंधित बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. साथ ही, ऐसे लोग झूठे आरोपों का सामना कर सकते हैं, और उनकी प्रतिष्ठा को खतरा हो सकता है.
मंगल का रत्न है मूंगा, दोष की शांति के साथ आत्मविश्वास की कमी करता है दूर! जानें इसके फायदे
9 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आपने अक्सर लोगों को कई तरह के रत्न पहने देखा होगा, जिसमें लाल कलर का मूंगा रत्न भी शामिल है. रत्नों का लोगों के जीवन पर काफी अच्छा प्रभाव रहता है. रत्न शास्त्र के अनुसार, लाल मूंगा धारण करने से लोगों को कई तरह के लाभ मिलते हैं. ऐसी मान्यता है कि लाल रंग का मूंगा रत्न पहनने से लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है और ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को ऊर्जा, तेज का प्रतीक माना जाता है. मूंगा पहनने से लोगों को दुश्मनों से छुटकारा मिलता है और जीवन आने वाली बाधाओं से मुक्ति मुक्ति मिलती है. इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलने लगती है.
रत्न शास्त्र के मुताबिक, मूंगा रत्न धारण करने से व्यक्ति का आलस्य दूर होता है. इस रत्न को पहनने से व्यक्ति के विचारों में स्पष्टता आती है और सभी कामों को समय के अंदर पूरा करने का साहस मिलता है. पहनने से व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है. जिन लोगों को चिंता या अवसाद ज्यादा रहता है, उन्हें मूंगा जरूर धारण करना चाहिए.
हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं है मूंगा : लाल रंग का मूंगा रत्न हर किसी के लिए फायदेमंद नहीं होता है. इसको केवल वे लोग पहन सकते हैं जो मेष, वृश्चिक राशि वाले हों या लग्न में सिंह, धनु, मीन राशि वाले हों. यदि उनकी कुंडली में मांगलिक दोष हो तो ऐसे व्यक्ति को मूंगा धारण करने से लाभ मिलता है. मूंगा मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करता है. इसको लेकर एक जरूरी ये बात है कि जो लोग मूंगा के साथ नीलम रत्न पहनते हैं उन्हें नुकसान उठना पड़ सकता है. इसलिए मूंगा पहनने वाले लोग नीलम रत्न न पहनें.
इन राशियों के लिए मूंगा लाभकारी : मूंगा रत्न समुद्र के अंदर पाया जाता है. दरअसल मूंगा एक प्रकार की लकड़ी होती है और इसका रंग लाल होता है. रत्न शास्त्र अनुसार जिस व्यक्ति की लग्न मेष, वृश्चिक हो या सिंह, धनु, मीन हो, वह लोग मूंगा पहन सकते हैं. क्योंकि मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल ग्रह है. साथ ही अगर कुंडली में मंगल ग्रह उच्च का विराजमान हो तो भी मूंगा पहना जा सकता है. वहीं अगर कुंडली में मंगल और गुरु की युति बन रही हो तो एक साथ मूंगा और पुखराज धारण कर सकते हैं. लेकिन मूंगा के साथ नीलम और पन्ना नहीं पहनना चाहिए. अन्यथा नुकसान हो सकता है.
मूंगा पहनने से क्या लाभ होता है
मूंगा धारण करने से व्यक्ति के अंदर साहस आता है साथ ही आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. मेडिकल क्षेत्र से जुड़े छात्रों को मूंगा पहनने से काफी लाभ होता है.
किसी व्यक्ति में अगर आत्मविश्वास की कमी हो या फिर जो सपनों में डर जाता हो तो वह अपनी कुंडली दिखाकर मूंगा धारण कर सकते हैं.
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मांगलिक दोष हो तो ऐसे व्यक्ति को मूंगा धारण करना से लाभ मिलता है. मूंगा मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
9 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- साधन संपन्नता के योग फलप्रद हो, आर्थिक योजना अवश्य ही फलप्रद होगी।
वृष राशि :- अपने किए पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बेचैनी, क्लेश तथा अशांति होगी।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाए, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, समस्याओं का समाधान होगा।
कर्क राशि :- दैनिक कार्यों में सफलता मिले, स्त्री से सुख, इष्ट मित्र सुखवर्धक अवश्य होंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास हो, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्य रुचि बढ़ेगी।
कन्या राशि :- धन प्राप्त, आशानुकूल में वृद्धि, बिगड़े कार्यों की योजना सफल हो जाएगी।
तुला राशि :- बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जाएगे, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, ध्यान रखे।
वृश्चिक राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों के सहयोग से कार्य योजन का लाभ होगा।
धनु राशि :- कार्य योजना पूर्ण होवे, बड़े बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा, कार्य अवरोध से बचें।
मकर राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, स्थिति में सुधार तथा चिन्ता अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होवे, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्यों में बाधा, चिन्ता उद्विघ्नता बने, धन का व्यय अवश्य ही होगा।
हथेली के इस हिस्से पर है तिल तो अमीर होगा शख्स, जानें आप अपना भी भविष्य
8 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सामुद्रिक शास्त्र में हथेली पर तिलों का बहुत महत्व है. तिल किस हिस्से पर है, उसका आकार, रंग और उसकी संख्या से व्यक्ति के भविष्य और जीवन की घटनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. इससे व्यक्ति के कुंडली के माध्यम से उसके भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है. आइए जानते हैं हथेली में शुभ और अशुभ तिलों के बारे में…
ज्योतिष गौरव दीक्षित के मुताबिक, दाहिने हथेली के ऊपरी भाग पर तिल होने का संकेत है कि व्यक्ति धनवान होता है. अगर बायीं हथेली के ऊपरी भाग पर तिल है तो व्यक्ति के हाथ में पैसा नहीं टिकेगा. ऐसे व्यक्ति के लिए धन जोड़ने में कठिनाई होती है.
हथेली के सेंटर में तिल
यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख-शांति और सफलता का प्रतीक माना जाता है. इसके अलावा ऐसा व्यक्ति को एक अच्छा जीवनसाथी, परिवार में प्रेम और सामाजिक प्रतिष्ठा देने वाला होता है. कभी-कभी यह तिल कठिनाइयां और संघर्षों को भी दर्शाता है, लेकिन अगर यह अत्यधिक न हो तो इसे शुभ ही माना जाता है.
हथेली के ऊपरी हिस्से में तिल
यह तिल आत्मविश्वास, साहस और सफलता का प्रतीक होता है. ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं और उनका सामाजिक रुतबा अच्छा हो सकता है. अगर यह तिल बहुत बड़ा हो या डार्क हो तो यह किसी शारीरिक या मानसिक कठिनाई का संकेत हो सकता है.
हथेली के निचले हिस्से में, छोटी अंगुली के पास
यह तिल व्यक्ति को बुद्धिमान, बातों के सही विश्लेषक और अच्छे संचारक बनाता है. ऐसे व्यक्ति अच्छे वक्ता और लेखक हो सकते हैं. अगर तिल बहुत बड़े आकार का हो या हल्के रंग का हो, तो यह संकेत हो सकता है कि व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो.
हथेली के निचले हिस्से में, अंगूठे के पास
यहां पर तिल होने से व्यक्ति को प्रेम और सुखद वैवाहिक जीवन का अनुभव होता है. यह व्यक्ति को खुला दिमाग और प्रेम संबंधों में सफलता दिलाने वाला माना जाता है. अगर यह तिल बहुत गहरे रंग का हो, तो यह प्रेम या परिवार में तनाव की ओर इशारा कर सकता है.
राम भक्तों के लिए खुशखबरी, फरवरी में करें प्रभु राम और इन मंदिरों का दर्शन!
8 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या में प्रभु राम का मंदिर तेजी से बन रहा है. मंदिर का निर्माण इस कदर किया जा रहा है. यह साल 2025 तक संपूर्ण मंदिर को बना लिया जाए. इसको लेकर निर्माण कार्य में लगी संस्थाएं तीव्र गति के साथ मंदिर को पूरा भी कर रही है. इसी बीच अयोध्या राम मंदिर से एक बड़ी खबर राम भक्तों के लिए निकलकर सामने आई है.
यहां राम भक्त बीते 22 जनवरी को प्रभु राम के मंदिर में विराजमान हुए थे. प्रभु राम के विराजमान होने को लगभग 1 साल पूरा होने वाला है. यह साल 2025 के फरवरी माह में राम भक्त प्रभु राम के साथ-साथ सप्त मंदिर के अलावा कुबेर टीले का भी दर्शन कर सकेंगे .
भक्त लाखों की संख्या में प्रतिदिन करते थे दर्शन
राम मंदिर परिसर में केवल राम भक्त लाखों की संख्या में प्रतिदिन दर्शन करते थे. लेकिन, अब फरवरी 2025 में राम मंदिर में स्थित सभी सप्त मंदिर के साथ कुबेर टीले का भी दर्शन कर सकेंगे. हालांकि आपको बताते चलें. हर राम भक्त के मन में इच्छा होती है. वह परिसर में बन रहे. हर एक मंदिर का दर्शन पूजन कर सके. उनकी मनसा अनुरूप राम मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा फैसला राम भक्तों के हित में लिया है.
सप्त मंदिरों का निर्माण फरवरी
अयोध्या पहुंचे भवन निर्माण समिति के अध्यक्ष निपेंद्र मिश्रा ने बताया कि राम मंदिर परिसर में बनने वाले सप्त मंदिरों का निर्माण भी साल 2025 के फरवरी माह में पूरा हो जाएगा. इसके बाद राम भक्त राम मंदिर के साथ-साथ सप्त मंदिर के भी दर्शन कर सकेंगे. इसके अलावा कुबेर टीले पर स्थित जटायु के दर्शन भी राम भक्त फरवरी में कर सकेंगे. इसको लेकर बैठक में फैसला भी कर लिया गया है .
छत पर बैठा उल्लू करे ऐसी आवाज तो समझिए होने वाली है मां लक्ष्मी की कृपा, इस बात पर हो जाएं सावधान
8 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उल्लू अगर किसी की छत पर बैठता है और वहां बैठकर आवाज करता है तो इन बातों को लेकर लोगों में कई प्रकार की धारणाएं हैं. उल्लू के छत पर बैठने को लेकर लोगों के मन में अच्छी और बुरी धारणाएं सदियों से चली आ रही हैं. वैसे तो हिंदू धर्म में उल्लू को धन की देवी मां लक्ष्मी की सवारी बताया गया है. वहीं उल्लू के दिखने या आवाज करने को लेकर शुभ और अशुभ के बारे में बहुत सी बातें बताई गई हैं.
हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार उल्लू मां लक्ष्मी की सवारी है. अगर उल्लू दिन या रात में आपको दिख जाए तो ये बेहद ही शुभ होता है. उल्लू के दिखने से आपके जीवन में चल रही आर्थिक तंगी, परेशानियां दूर हो जाती हैं. हिंदू धर्म में उल्लू का दिखाना शुभ बताया गया है. वहीं उल्लू कुछ परिस्थितियों ओर यम की दिशा में बैठकर अजीब हरकत करे तो यह अशुभ बताया गया है.
होता है धन लाभ
उल्लू के छत पर बैठने और आवाज करने से शुभ और अशुभ की हिंदू धर्म में उल्लू को बहुत शुभ बताया गया है. उल्लू का दिखाना यानी जीवन में धन आदि का लाभ होता है. अगर आर्थिक तंगी और परेशानियां आपके जीवन में चल रही हैं और ऐसे में आपको मां लक्ष्मी की सवारी उल्लू बोलता हुए दिखे तो आर्थिक तंगी, आर्थिक समस्याएं खत्म हो जाती हैं. उल्लू का दिन और रात में दिखाना तथा आवाज करना बहुत ही शुभ होता है.
कब नहीं होता शुभ
पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि कुछ परिस्थितियों में उल्लू के छत पर बैठने और अलग प्रकार की आवाज करने से जीवन में आर्थिक तंगी, दुख, बीमारियां आ जाती हैं. उल्लू दो प्रकार की आवाज करता है. एक उल्लू का बोलना और दूसरा उल्लू का रोना, दोनों ही आवाजें अलग-अलग होती हैं. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार अगर उल्लू आपके घर के आंगन या छत पर बैठकर रोता है तो यह बेहद ही अशुभ संकेत है.
माना जाता है कि उल्लू के रोने से घर में दरिद्रता, दुख, परेशानी, आर्थिक तंगी आदि सभी आ जाती हैं. वहीं अगर उल्लू आपके घर की छत पर दक्षिण दिशा में बैठकर रोता है तो यह गंभीर बीमारी, असाध्य रोग आने का संकेत होता है. उल्लू के दक्षिण दिशा में बैठकर रोने, घर के आंगन में या छत पर बैठकर उल्लू रोता दिखे तो बिना देरी किए उसे वहां से उड़ा देना चाहिए और घर में शांति का पाठ, हवन यज्ञ जरूर करवाना चाहिए जिससे घर से नकारात्मक ऊर्जा पूरी तरह खत्म हो जाए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम योजनाएं फलीभूत होवेगी, लाभ मिलेगा।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील बनेगी, ध्यान रखें ।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तनाव झगड़े से बचें, कार्य व्यवस्था कुछ अनूकूल बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होवेगी।
सिंह राशि :- इष्टमित्रों से सुखवर्धक फल प्राप्त होगा, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, समय का ध्यान रखे।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस स्थिरता का वातावरण, हीन भावना की उत्पत्ति हो जाएगी।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल हो जाएगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, पूर्ण कार्य हो जाने से कार्य कुशल अनुकूल बनें।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य बन जाएगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थितियों में सुधार होवेगा, खुशी मिलेगी।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख मानसिक बैचेनी से बचिए कार्य गति में अनुकूलता अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
मासिक दुर्गाष्टमी पर देवी को लगाएं 3 खास चीजों का भोग
7 Dec, 2024 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Masik Durga Ashtami : हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर महीने की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है और लोग इस दिन व्रत रखने के साथ ही मां दुर्गा की आराधना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति आती है. साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है. इस बार मासिक अष्टमी का व्रत 08 दिसंबर को रखा जाएगा. भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार, यदि आप सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो इस दिन आप मां दुर्गा को उनका प्रिय भोग जरूर लगाएं. कौन सी हैं वे चीज और कैसे लगाएं भोग? आइए जानते हैं.
1. हलवा का भोग
हमेशा से यह बात आपने सुनी होगी कि मां दुर्गा का हलवा काफी पसंद है. भक्त अपनी मुरादें पूरी कराने के लिए मां को हलवा पूरी का भोग खूब लगाते हैं. शक्ति की आराधना में आप भी दुर्गाष्टमी के दिन घी से बने हलवा का भोग लगाएं. माना जाता है कि इस भोग से माता आपकी सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं. साथ ही उनके आशीर्वाद से आपको जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है.
2. केले का भोग
मां दुर्गा को केले का भोग भी जरूर लगाएं. मासिक दुर्गाष्टमी पर लगाए गए केले के भोग से व्यक्ति को कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं आपको मनचाहे परिणाम मिलते हैं और यदि आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं तो आपको इससे भी छुटकारा मिलता है और स्थिति ठीक होती है.
3. सफेद रंग की मिठाई का भोग
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा को सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना भी बेहद शुभ माना गया है. ऐसा कहा जाता है कि, इससे आपके जीवन में सकारात्मकता आती है और आपको जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है. यदि आप मां से किसी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं तो उन्हें सफेद मिठाई का भोग जरूर लगाएं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
7 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख कार्य, व्यवसाय गति उत्तम योजनाएं फलीभूत होवेगी, लाभ मिलेगा।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील बनेगी, ध्यान रखें ।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तनाव झगड़े से बचें, कार्य व्यवस्था कुछ अनूकूल बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होवेगी।
सिंह राशि :- इष्टमित्रों से सुखवर्धक फल प्राप्त होगा, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, समय का ध्यान रखे।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय, असमंजस स्थिरता का वातावरण, हीन भावना की उत्पत्ति हो जाएगी।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो तथा कार्य व्यवसाय गति अनुकूल हो जाएगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित हो, पूर्ण कार्य हो जाने से कार्य कुशल अनुकूल बनें।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य बन जाएगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थितियों में सुधार होवेगा, खुशी मिलेगी।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख मानसिक बैचेनी से बचिए कार्य गति में अनुकूलता अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
शादी के कई साल बाद भी नहीं गूंजी किलकारी? इस दिन करें केले के पेड़ की पूजा; जल्द मिलेग खुशखबरी
6 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी मनाया जाता है. माना जाता है कि इसी दिन मिथिला में सीता स्वयंवर जीतकर भगवान श्री राम ने माता जानकी से विवाह रचाया था. इस शुभ अवसर पर श्री राम और माता सीता की विशेष पूजा का विधान है. इससे आपके सुख-सौभाग्य में तो बढ़ोतरी होगी ही, साथ ही आपके सारे काम भी सिद्ध होंगे. इसके अलावा इस दिन केले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज से जानते है केले के पेड़ का पूजन का महत्व व विधि.
जानिए कब मनाई जाएगी विवाह
वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12:49 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि का समापन 6 दिसंबर को दोपहर 12:7 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विवाह पंचमी या राम विवाह 6 दिसंबर को है.
केले के पेड़ की पूजा
विवाह पंचमी के दिन केले के पेड़ का विशेष महत्व होता है. ज्योतिष के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को गुरु से संबंधित दोष है, तो वह केले के पेड़ की पूजा करने से दूर हो जाता है. देवताओं के गुरु यानी बृहस्पति को विवाह, संतान और धर्म का जानकार माना जाता है. ऐसे में जिनके विवाह या संतान प्राप्ति में देरी हो रही है, उन्हें इस तिथि पर केले के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
जानले केले के पेड़ की पूजा विधि
– विवाह पंचमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें.
– इसके बाद पीले वस्त्र पहनकर केले के पेड़ पर पीली रस्सी बांधें.
– हल्दी-चंदन के साथ फूल चढ़ाने के बाद धूप और घी का दीपक जलाएं.
– भगवान राम के मंत्रों का जाप करें और श्रीराम भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं.
– केले के पेड़ की पूजा करते समय लक्ष्मीनारायण का ध्यान करें.
इसके बाद अक्षदा, पंचामृत, सुपारी, लौंग, इलायची, दीपक जैसी चीजें चढ़ाएं.
– फिर केले के पेड़ की 21 बार परिक्रमा करें और केले के पेड़ के सामने अपनी विवाह संबंधी मनोकामना करें.
वो था महाभारत का सबसे सत्यवादी शख्स, ये युधिष्ठिर नहीं, खूबसूरत अप्सरा हुई उसकी दीवानी
6 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत में केवल एक शख्स ऐसा है जिसने कभी कोई झूठ नहीं बोला. हमेशा सच ही कहा. उन्हें युधिष्ठिर से बड़ा सत्यवादी और सच की राह पर चलने वाला पाया गया. ये शख्स ताजिंदगी अविवाहित रहा. उन्हें दो महिलाओं ने शादी करने का प्रस्ताव दिया तो उन्होंने इनकार कर दिया. स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी तो उनके आकर्षण में बंधी पृथ्वी तक चली आई. कई तरीके से उन्हें रिझाने की कोशिश की.
ये शख्स भीष्म पितामह थे, जिन्होंने कभी झूठ नहीं बोला. अपने दिए गए वचनों का आजीवन पालन किया. उन्होंने महाभारत में सबसे लंबी जिंदगी जी. तीन पीढ़ियों का साथ दिया. उनका वास्तविक नाम देवव्रत था. उनके जीवन के बड़े सच आगे बताएंगे और ये भी कि किस तरह उर्वशी उनके प्यार में पागल हो गई थी.
देवव्रत ने पिता राजा शांतनु को प्रसन्न करने और उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया. राजगद्दी छोड़ दी. उनकी इस महान प्रतीज्ञा के कारण उन्हें “भीष्म” की उपाधि मिली. पांडवों के लिए वो पितामह थे लिहाजा वह भीष्म पितामह कहे जाने लगे.
हमेशा सच पर टिके रहे, कभी कोई झूठ नहीं बोला
भीष्म ने हर परिस्थिति में धर्म और सत्य का पालन किया, चाहे वह उनके लिए कितना भी कष्टदायक क्यों न हो. उन्होंने कौरवों का पक्ष केवल अपने वचन के कारण लिया, भले ही वह जानते थे कि पांडव धर्म के मार्ग पर हैं. उनकी पांच बड़े सच के बारे में हम आगे बताएंगे लेकिन पहले ये जान लीजिए कि किस तरह भीष्म को दो महिलाओं ने शादी का प्रस्ताव दिया और वह नहीं माने.
कौन थी विवाह का प्रस्ताव देने वाली पहली स्त्री
पहली स्त्री अंबा थीं, जो काशी नरेश की बेटी थीं. भीष्म पितामह ने अपने भाइयों (विचित्रवीर्य और चित्रांगद) के लिए काशी की तीन राजकुमारियों (अंबा, अंबिका, और अंबालिका) का स्वयंवर जीतकर हरण किया. हालांकि अंबा पहले से ही शाल्व राजा से प्रेम करती थीं. उनसे विवाह करना चाहती थी. जब भीष्म ने यह सुना, तो उन्होंने उन्हें वापस जाने दिया, लेकिन शाल्व ने उन्हें अस्वीकार कर दिया क्योंकि वह भीष्म द्वारा हरण की जा चुकी थी.
अब अंबा वापस भीष्म के पास वापस लौटीं. उन्होंने भीष्म से प्रतिज्ञा तोड़कर उनसे शादी की मांग की. भीष्म ने अपने ब्रह्मचर्य व्रत और प्रतिज्ञा के कारण इसे अस्वीकार कर दिया.
तब अंबा ने प्रतिज्ञा की कि वह भीष्म के विनाश का कारण बनेगी. उसने कठोर तपस्या कर भगवान शिव से वरदान पाया. अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्म लेकर कुरुक्षेत्र युद्ध में भीष्म की मृत्यु का कारण बनी.
स्वर्ग की अप्सरा कैसे पड़ीं प्यार में
अब आइए जानते हैं कि कैसे स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी भी भीष्म के प्यार में पड़ गईं. वह किसी भी हालत में उनसे शादी करना चाहती थीं. महाभारत के अधिकांश प्रमुख संस्करणों में उर्वशी और भीष्म पितामह की कहानी का उल्लेख नहीं मिलता है. यह कथा महाभारत के मूल पाठ से अधिक लोक कथाओं और बाद के ग्रंथों में पाई जाती है.
भीष्म पितामह यानि देवव्रत जब युवा थे, तो उनकी वीरता, तप और तेजस्विता की ख्याति हर ओर फैल चुका थी. उनका व्यक्तित्व सुदर्शन और सुंदर था. इससे स्वर्ग की अप्सराएं भी उन्हें पाना चाहती थीं.
उर्वशी को लगा कि वह रूप का जादू चला सकेंगी
अप्सरा उर्वशी अपने सौंदर्य और आकर्षण के लिए प्रसिद्ध थीं. वह भीष्म की दीवानी हो गईं. उन्हें अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था. उर्वशी ने सोचा कि वह निश्चित तौर पर शांतनु को अपने रूप और मोहकता से आकर्षित कर लेगी. वह तब उनके आकर्षण में बंधकर अपना व्रत तोड़ देंगे और तब वह उनसे शादी कर लेंगी.
दुनिया का पहला मंदिर जहां शिव जी बने वट वृक्ष, पूजा से मिटती हैं शारीरिक और मानसिक बीमारियां!
6 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आश्रम एक ऐसी जगह होती है जो आत्मा को शांति देती है. भारत में कई आश्रम हैं, जहां हिंदू देवताओं की पूजा होती है, लेकिन गांधीनगर के आदलाज के पास शेरथा गांव में एक ऐसा आश्रम है, जहां किसी देवता की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा नहीं होती. इस वडावाला महादेव आश्रम में भगवान शिव की पूजा वट वृक्ष के रूप में महामृत्युञ्जय मंत्र के जाप से की जाती है.
दुनिया का पहला ऐसा मंदिर
लोकल 18 से बात करते हुए वडावाला महादेव आश्रम के प्रबंध ट्रस्टी,रजनीशभाई पटेल ने कहा कि यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जहां भगवान भोलेनाथ को वट वृक्ष के रूप में स्थापित किया गया है. इस दाढ़ी वाले महादेव को 2023 के पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को स्थापित किया गया. ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से पूजा करता है, भगवान भोलेनाथ उसकी सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को पूरा करते हैं. इस दाढ़ी वाले महादेव के मात्र दर्शन से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से राहत मिलती है.
महामृत्युञ्जय मंत्र का महत्व
इस आश्रम में नियमित रूप से महामृत्युञ्जय मंत्र का जाप किया जाता है. इसका उद्देश्य समाज और राष्ट्र का निर्माण करना है. साथ ही, यह मंत्र हिंदू संस्कृति की रक्षा करने और समाज में सकारात्मकता फैलाने का काम करता है. यहां योग-प्राणायाम और ध्यान जैसे स्वास्थ्यवर्धक कार्य (Healthy work) भी किए जाते हैं, जो शरीर और मन को बहुत लाभ पहुंचाते हैं. अब तक इस संगठन द्वारा 50,000 से अधिक वट वृक्ष लगाए जा चुके हैं.
महामृत्युञ्जय मंत्र की विशेषता
बता दें कि भगवान शिव का यह मंत्र आध्यात्मिक साधना से भी अधिक लाभकारी है. इसे रुद्र मंत्र या त्र्यंबकम मंत्र भी कहा जाता है. यह मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित है. यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक शांति के लिए भी अत्यधिक उपयोगी है.
वट वृक्ष का महत्व
वट वृक्ष को हमारा राष्ट्रीय वृक्ष माना गया है. यह अक्षय वृक्ष के रूप में जाना जाता है. यह न केवल पक्षियों के लिए आश्रय और भोजन प्रदान करता है, बल्कि इसे लगाने से व्यक्ति को 1000 अश्वमेध यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, वट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा करने से सुख और समृद्धि प्राप्त होती है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है. भगवान बुद्ध ने भी वट वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था.
पर्यावरण और कृषि में योगदान
वट वृक्ष निरंतर ऑक्सीजन प्रदान करता है और अपनी मोटी जड़ों से भूकंप के झटकों को भी सहन करता है. यदि इसे नदी, झील या तालाब के किनारे लगाया जाए, तो यह पक्षियों के लिए घर बन जाता है और किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नष्ट करता है. इससे फसल उत्पादन बढ़ता है और किसानों के कीटनाशक खर्च में भी कमी आती है.
10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प
इस संगठन ने भारत की सभी छोटी और बड़ी झीलों व नदी किनारों पर 10 करोड़ वट वृक्ष लगाने का संकल्प लिया है, ताकि मानव जीवन और पर्यावरण को बेहतर बनाया जा सके.
मोक्षदा एकादशी के दिन भूलकर न करें ये काम, वर्ना विष्णु भगवान होंगे नाराज!
6 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सभी दिन और महीने भक्ति के लिए समर्पित बताए गए हैं. ऐसे ही हिंदू कैलेंडर का कोई मास या तिथि भी किसी देवता या भगवान को खास समर्पित माना जाता है. जैसे हिंदू कैलेंडर का मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु को समर्पित मास बताया गया है. इस मास में अगर भगवान विष्णु के निमित्त पूजा पाठ, हवन, मंत्र उच्चारण, मंत्रों का जाप, विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, व्रत आदि किया जाए तो विशेष फलों की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए बहुत से पर्व आते हैं लेकिन मार्गशीर्ष मास में बेहद ही आसान उपाय से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल में कुल 24 एकादशी तिथि का आगमन होता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के अंश से महाशक्ति देवी एकादशी का जन्म हुआ था तो वहीं अगले पक्ष शुक्ल पक्ष में मोक्षदा एकादशी को मोक्ष की प्राप्ति केवल व्रत करने से मिलने की धार्मिक मान्यता है.
मोक्षदा एकादशी पर किस गलती से भगवान विष्णु नाराज होते हैं
मोक्षदा एकादशी पर क्या नहीं करना चाहिए कि मोक्ष प्राप्ति के लिए मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का व्रत विधि विधान से करने पर विशेष फल प्राप्त होता है. मार्गशीर्ष मास भगवान विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी का व्रत विधि विधान से करने पर ही मोक्ष की प्राप्ति होती है.
वे आगे बताते हैं कि मोक्षदा एकादशी का व्रत करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके एकादशी के व्रत का संकल्प करें और एकादशी का पाठ करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप, हवन आदि करना चाहिए. एकादशी के व्रत का पारायण अगले दिन किया जाता है जिसमें एकादशी व्रत की महिमा का पाठ करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रो का जाप करके प्रसाद वितरण करना चाहिए.
व्रत में वर्जित होती हैं ये चीजें
पंडित जी आगे बताते हैं कि एकादशी का व्रत करने से पहले कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. दशमी तिथि से ही प्याज, लहसुन और मांसाहारी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए. दशमी तिथि से इन वस्तुओं को पूर्ण रूप से बंद कर देना चाहिए साथ ही व्रत के दौरान चावल या चावल से बनी कोई भी सामग्री ग्रहण नहीं करनी चाहिए. अगर इन वस्तुओं का सेवन आपके द्वारा व्रत के दौरान किया गया है तो आपके जीवन में अनेकों प्रकार के दुख, संकट आ जाएंगे और भगवान विष्णु आपसे नाराज हो जाएंगे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
6 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बैचेनी उद्विघ्नता से बचिए समय पर सोचे हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान दें।
वृष राशि :- चिंताएं कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य ही होगी, कष्ट होवे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाये, व्यावसायिक क्षमताओं में वृद्धि अवश्य बनेंगी, कार्य व्यवसाय अवश्य बढ़े।
कर्क राशि :- व्यथ धन का व्यय समय व शन्ति नष्ट होवेगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- भोग एश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहेगा, विरोधी वर्ग आपको अवश्य ही परेशान करेंगे, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- समय ठीक नहीं सोचकर चले, समय व धन नष्ट होवे, क्लेश व अशांति, यात्रा से कष्ट होगा।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन जुटायें कार्य में बाधा उत्पन्न होने से कार्य रुकेंगे।
वृश्चिक राशि :- चोट आदि से बचिए, भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होगा, समय सीमा का ध्यान रखे।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिए भाग्य का सितारा बड़ा ही प्रबल होवेगा, चोट चपेट से बचकर चले।
मकर राशि :- परिश्रम विफल होगा, चिंता व यात्रा व्यग्रता तथा स्वास्थ्य नरम गरम रहेगा।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटनाओं से कष्ट चोट आदि का भय होगा, ध्यान रखकर कार्य करें।
मीन राशि :- अधिकारियों से कष्ट मित्र सहायक न होवे, समय का ध्यान रखकर कार्य अवश्य करें।