धर्म एवं ज्योतिष
इन 7 चीजों से करें शिवलिंग का अभिषेक, प्रसन्न हो जाएंगे देवो के देव महादेव, संतान प्राप्ति के लिए चढ़ाएं ये चीज
15 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. इसी तरह सोमवार के दिन देवो के देव महादेव की पूजा का विधान है. इस दिन शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जल, दूध आदि चढ़ाते हैं. कहा जाता है कि, श्रद्धाभाव से जल चढ़ाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं. हालांकि, अधिक लाभ के लिए कुछ चीजों का अभिषेक अधिक कारगर माना जाता है. ऐसा करने से जातक को आरोग्य प्राप्त होता है. साथ ही भगवान शिव के आशीर्वाद से घर में समृद्धि बनी रहती है. अब सवाल है कि शिवलिंग पर क्या चढ़ाने से क्या लाभ होता है?
शिवलिंग का इन 7 चीजें से अभिषेक करने से होगा लाभ
दूध: ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, शिवजी को देवताओं में सबसे दयालु बताया गया है. ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग तमाम तरह की चीजों का अभिषेक करते हैं, लेकिन दूध का अभिषेक सबसे उत्तम बताया गया है. बता दें कि, शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से घर में संतान वृद्धि होती है. साथ ही आरोग्य की भी प्राप्ति होती है.
तिल: शिवलिंग पर अभिषेक करने से पहले उससे जुड़े नियमों की जानकारी बेहद जरूरी है. मान्यता है कि, शिवलिंग पर तिल चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, बच्चों का मस्तिष्क तेज होता है और सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है.
दही: शिवलिंग पर दही चढ़ाने से परिवार में प्रेम बढ़ता है. विद्वानों की मानें तो, यदि कोई जातक अभिषेक सोमवार, शिवरात्रि या श्रावण के मास में नित्य करेंगे, तो अधिक लाभ मिलेगा. साथ ही, समस्त पापों का नाश हो जाएगा.
घी: शिवलिंग पर घी चढ़ाने से तेज की प्राप्ति होती है. वहीं, अगर शिवलिंग पर दही चढ़ाया जाता है तो इससे जीवन में उल्लास बना रहता है. साथ ही, भी तरह के दु:खों से मुक्ति प्राप्त होती है
इत्र: शिवलिंग पर इत्र अर्पित करने से धर्म की प्राप्ति होती है. वहीं शिवलिंग पर सुगंधित तेल चढ़ाने से व्यक्ति को धन-धान्य और भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. वहीं, शिवलिंग पर शहद अर्पित करने से सौंदर्य और लोकप्रियता मिलती है.
गेहूं और धतूरा: शिवलिंग पर गेहूं और धतूरा चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही, ऐश्वर्य और समृद्धि मिलती है, वहीं गन्ने का सर और चावल चढ़ाने से भी व्यक्ति के जीवन में समृद्धि बनी रहती है.
केसर: शिवलिंग पर केसर अर्पित करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं. शिवलिंग पर चंदन चढ़ाने से व्यक्ति के मान-सम्मान में वृद्धि होती है. ऐसा करने से लम्बी उम्र का वरदान प्राप्त होता है और सौंदर्य और लोकप्रियता मिलती है.
नए साल की पहली पूर्णिमा कब है?
15 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्नान और दान हर माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होता है. कई बार पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान एक ही दिन होते हैं, कभी-कभी ये अलग-अलग दिन होते हैं. पूर्णिमा व्रत एक दिन पहले और स्नान दूसरे दिन होता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, एक साल में 12 पूर्णिमा तिथियां होती हैं, लेकिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जब अधिकमास होता है तो उस साल 1 साल में 13 पूर्णिमा तिथियां होती हैं. पूर्णिमा व्रत के दिन सत्यनारायण भगवान, माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करते हैं, जबकि पूर्णिमा तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, उसके बाद दान करते हैं. इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि नए साल 2025 की पहली पूर्णिमा कब है?
नए साल की पहली पूर्णिमा 2025
नए साल के पहले माह जनवरी में पौष पूर्णिमा होगी. पंचांग के अनुसार, पौष पूर्णिमा की तिथि का प्रारंभ 13 जनवरी को प्रात: 05:03 बजे से होगा. यह तिथि 14 जनवरी को तड़के 03:56 बजे तक रहेगी. ऐसे में पौष पूर्णिमा 13 जनवरी सोमवार को होगी. नए साल की पहली पूर्णिमा पौष पूर्णिमा है. पौष पूर्णिमा का स्नान, दान और व्रत एक ही दिन है.
पौष पूर्णिमा का महत्व
नए साल में पौष पूर्णिमा के दिन से प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ होगा. इस दिन पहला शाही स्नान भी होगा. पौष पूर्णिमा को स्नान करने के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. स्नान के बाद गरम कपड़े, कंबल, तिल, गुड़, चावल आदि का दान करना चाहिए. इस दिन चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से कुंडली का चंद्र दोष दूर होता है.
आइए देखते हैं साल 2025 के पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान की पूरी लिस्ट.
पूर्णिमा व्रत स्नान दान कैलेंडर 2025
1. पौष पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 13 जनवरी 2025, सोमवार
2. माघ पूर्णिमा व्रत: 11 फरवरी 2025, मंगलवार
माघ पूर्णिमा स्नान-दान: 12 फरवरी 2025, बुधवार
3. फाल्गुन पूर्णिमा व्रत: 13 मार्च 2025, बृहस्पतिवार
फाल्गुन पूर्णिमा स्नान-दान: 14 मार्च 2025, शुक्रवार
4. चैत्र पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 12 अप्रैल 2025, शनिवार
5. वैशाख पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 12 मई 2025, सोमवार
6. ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत: 10 जून 2025, मंगलवार
ज्येष्ठ पूर्णिमा स्नान-दान: 11 जून 2025, बुधवार
7. आषाढ़ पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 10 जुलाई 2025, बृहस्पतिवार
8. श्रावण पूर्णिमा व्रत: 9 अगस्त 2025, शनिवार
श्रावण पूर्णिमा स्नान-दान: 10 अगस्त 2025, रविवार
9. भाद्रपद पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान : 7 सितंबर 2025, रविवार
10. आश्विन पूर्णिमा व्रत: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार
आश्विन पूर्णिमा स्नान-दान: 7 अक्टूबर 2025, मंगलवार
11. कार्तिक पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 5 नवम्बर 2025, बुधवार
12. मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान: 4 दिसम्बर 2025, बृहस्पतिवार
खरमास में इस दिन करें माता लक्ष्मी की पूजा, परेशानियां होंगी दूर, घर में होगी पैसों की बारिश
15 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जैसे ही सूर्य धनु राशि में गोचर करेंगे धनु संक्रांति की शुरुआत हो जायेगी. इसे खरमास भी कहते हैं. खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शादी विवाह, मुंडन, जनेऊ इत्यादि बंद हो जाते हैं. इसके साथ ही सभी प्रकार के शुभ कार्य भी बंद हो जाते हैं. खरमास को अशुभ महीना माना जाता है, लेकिन माना जाता है कि खरमास के महीने में माँ लक्ष्मी की आराधना हो और विशेस तिथि में हो, तो माता लक्ष्मी बेहद प्रशन्न होती हैं. जातक के घर में धन की कमी नही होती है. खरमास के किस तिथि में करना चाहिए माता लक्ष्मी पूजन जानते है
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास शुरु हो जाएगा, जिसे पूस का महीना भी कहा जाता है. इस साल खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर को होने वाला है और समापन 14 जनवरी होगा. यानी पूरे एक महीने खरमास रहने वाला है. खरमास के दिनों में सभी प्रकार के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते है ,लेकिन माता तुलसी की पूजा आराधना करनी चाहिए. क्युंकी माता तुलसी को लक्ष्मी का प्रतिक माना गया है. वहीं खरमास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अगर माता लक्ष्मी की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाए, तो घर मे सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.
किस विधि से करें पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं वैसे तो खरमास अशुभ है, लेकिन खरमास महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की सबसे उत्तम तिथि मानी जाती है. इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा आराधना पंचोउपचार विधि से करनी चाहिए. साथ ही तुलसी का मंजरी और कमल का पुष्प अगर माता लक्ष्मी को अर्पण करते हैं तो माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं. घर में आर्थिक समस्या समाप्त हो जाती और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
15 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्य गति में बाधा चिन्ताग्रस्त होवे, व्यर्थ भ्रमण तथा कार्य अवरोध होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप होवे तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्राप्त हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का उपयोग अवश्य करें।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल है, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय समस्याओं से घिरा है।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे तथा स्त्रीवर्ग से हर्ष अवश्य होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदनशील रहे, कुटुम्ब में सुख तथा धन प्राप्त के साधन अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे तथा किसी धारणा का अनदेख अपराध होगा।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखें।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता, स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखे।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सहयोगी, कार्य बनेंगे तथा कार्य गति अनुकूल होगी, अनुकूलता का लाभ लें।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बन जाएंगे, रुके कार्यों पर ध्यान दें।
घर पर भूलकर भी न रखें ये मूर्ति, तबाह हो जाएगी आपकी जिंदगी, खत्म ही नहीं होंगे क्लेश!
14 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मान्यताओं के अनुसार शनि देव को एक श्राप मिला था. ज्योतिषी पंडित अजय शास्त्री ने बताते हुए कहा कि उन्हें ऐसा श्राप मिला था कि वह जिसे भी देखेंगे, उसका अनिष्ट यानी बुरा हो जाएगा. यही कारण है कि शनिदेव की मूर्ति घर में रखने से पहले लोगों के मन में सवाल आते हैं कि मूर्ति घर में रखनी चाहिए कि नहीं.
मान्यताओं के अनुसार शनि देव को एक श्राप मिला था. ज्योतिषी पंडित अजय शास्त्री ने मान्यता को बताते हुए कहा कि उन्हें ऐसा श्राप मिला था कि वो जिसे भी देखेंगे उसका बुरा समय शुरू हो जाएगा.
वह जिसे भी देखेंगे, उसका अनिष्ट यानी बुरा हो जाएगा. शनि देव की दृष्टि घर के सदस्यों पर सीधे तौर पर ना पड़े, इसलिए उनकी मूर्ति घर के मंदिर में ना रखने की सलाह दी जाती है.
शनि देव की पूजा मंदिर में भी कर रहे हैं तो इस बात का खास ख्याल रखें कि कभी भी उनकी आंखों में आंखें डालकर उनके दर्शन न करें.
पूजा हमेशा मूर्ति के दाएं या बाईं खड़े होकर ही करना चाहिए. यह जानकारी सिर्फ मान्यताओं, धार्मिक ग्रंथों और विभिन्न माध्यमों पर आधारित है.
खरमास में इस विधि से करें तुलसी पूजा, खुश हो जाएंगी मां लक्ष्मी, भर-भरा कर बरसाएंगी धन
14 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे, तब से खरमास की शुरुआत हो जाएगी. साल भर में कुल दो बार खरमास लगता है. एक जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है तब और दूसरा जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है तब. खरमास पूरे 1 महीने तक रहता है. माना जाता है कि खरमास की शुरुआती के बाद से ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. वहीं सबके मन में यह सवाल जरूर आता होगा कि खरमास में क्या तुलसी पूजन करना चाहिए या नहीं, तो आईये सवाल का जवाब जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य ?
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि 15 दिसंबर को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं, जिसे धनु संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है या खरमास के नाम से भी. वैसे तो खरमास का महीना अशुभ माना जाता है. सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, लेकिन पूजा पाठ का महत्व दो गुणा हो जाता है.
खरमास में तुलसी पूजन करना चाहिए या नहीं
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल बताते हैं कि खरमास के दिनों में तुलसी पूजन अवश्य करनी चाहिए. खरमास में अगर आप तुलसी पूजन करते हैं, तो माता लक्ष्मी बेहद प्रसन्न होती हैं की तुलसी को माता लक्ष्मी का ही रूप माना गया है.
किस विधि से करें पूजा
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि खरमास के दिनों में हर रोज अगर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर तुलसी में तांबे के पात्र से जल अर्पण करते हैं, तो माता लक्ष्मी प्रसन्न होंगी इसके साथ ही हर रोज घी के दीपक अवश्य जलाएं. ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा और आर्थिक उन्नति होगी. ध्यान रहे खरमास के दिनों में तुलसी के पौधे में श्रृंगार समान बिल्कुल भी अर्पण ना करें और तुलसी का पत्ता ना तोड़े.
क्यूँ होता है खरमास अशुभ?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जब सूर्य गुरु की राशि धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो सूर्य और गुरु का प्रभाव कमजोर हो जाता है. शुभ कार्य के लिए गुरु और सूर्य का शुभ स्थिति में होना चाहिए. लेकिन खरमास के दिनों में गुरु और सूर्य दोनों कमजोर होते हैं. इसलिए खरमास को अशुभ माना जाता है और मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं.
हाथ की इस रेखा के कारण अधूरी रह जाती है प्रेम कहानी, जानें कैसी रहेगी आपकी लव लाइफ
14 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हस्तरेखा शास्त्र में बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्य उसके हाथों की लकीरों को देखकर भी बताया जा सकता है और ना सिर्फ भाग्य बल्कि उसके जीवन से जुड़े कई क्षेत्रों के बारे में हाथों को लकीरों को पढ़कर बताया जा सकता है. इसी कड़ी में आज हम हथेली की एक ऐसी लकीर के बारे में आपको जानकारी देंगे, जिससे की ये जाना जा सकता है कि आप अपने प्यार के मामले में कितने लकी हैं. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे.
जी हां, हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार मानव की हथेली पर विवाह रेखा ऐसी होती हैं, जिनसे आपका वैवाहिक जीवन जुड़ा होता है. इसके साथ ही हथेली पर बनी इस विशेष रेखा को देखकर आप जान सकते हैं कि आपको आपका प्यार मिलेगा या फिर आपकी प्रेम कहानी बीच में अधूरी रह जाएगी. तो आइए जानते हैं कौन सी हैं वो रेखाएं.
हथेली में कहां देखें विवाह और प्रेम रेखा
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, हथेली में कनिष्ठिका (छोटी) अंगुली के पास जो रेखाएं मौजूद होती हैं, उन्हें प्रेम रेखा और विवाह रेखा कहा जाता है. इन रेखाओं को देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति का प्रेम संबंध या फिर वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा. कई बार इस जगह बहुत सारी रेखाएं होती हैं, जो कि लव अफेयर्स या वैवाहिक जीवन को दर्शाती हैं.
अधूरी प्रेम कहानी को दर्शाती है ये रेखा
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के मंगल और बुद्ध पर्वत पर एक साथ बहुत सी रेखाएं बनी हैं तो यह आपकी लव लाइफ में मुश्किलों का संकेत सहित अधूरी प्रेम कहानी को भी दर्शाती हैं.
ये रेखा बताती है कैसे घर में होगा आपका रिश्ता
हथेली पर मौजूद विवाह रेखा यदि सूर्य रेखा को छूती हुई गुजरती है तो यह बहुत अच्छा संकेत माना जाता है. माना जाता है कि ऐसे लोगों का रिश्ता बेहद अमीर, समृद्ध और संपन्न परिवार में होता है.
तलाक के संकेत देती है ये रेखा
वहीं अगर किसी व्यक्ति की विवाह रेखा दो भागों में बंटी हुई होती है तो ऐसी में तलाक की संभावनाएं बनती हैं.
टूटी-फूटी विवाह रेखा
हस्तरेखा शास्त्री ने बताया कि अगर किसी व्यक्ति की विवाह रेखा काफी टूटी-फूटी या कटी हुई है तो ऐसे में विवाह या फिर प्रेम संबंधों में कई अड़चने आती है और रिश्ते टूटते-बिगड़ते रहते हैं.
वहीं अगर हथेली पर विवाह रेखा काफी स्पष्ट और साफ है तो ऐसे में सफल वैवाहिक जीवन का संकेत मिलता है या फिर प्रेम संबंधों में भी सफलता मिलती है.
विवाह में हो रही देर, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन लगाएं ये खास पौधा, हर काम होंगे पूरे
14 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूर्णिमा तिथि मां लक्ष्मी को समर्पित होती है. इस दिन का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व होता है. वहीं मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा का अपना अधिक महत्व है. इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को पड़ने वाली है. इस दिन मां लक्ष्मी की सच्चे मन से आराधना करने पर घर में धन की स्थिरता बढ़ती है और अन्य सभी परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है. इस दिन एक पौधा लगाने से हर काम में सफलता मिलती है. कौनसा है वो पौधा आइए जानते हैं
मार्गशीर्ष माह डेट और टाइम
पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर को दोपहर 04 बजकर 58 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 15 दिसंबर को दोपहर को 02 बजकर 31 मिनट पर इसका समापन होगा. उदया तिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर को मनाई जाएगी.
माना जाता है कि मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन अगर घर में कुछ विशेष तरह के पौधों को लगाया जाए तो इससे भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. इस बारे में ज्योतिषाचार्य ने बताया कि मां लक्ष्मी के प्रिय कुछ पौधे हैं जिन्हें मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन घर में लगाने से कई लाभ मिल सकते हैं. आइये जानते हैं कौन से हैं वो पौधे
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन लगाएं ये पौधा
1. शास्त्रों में जिक्र मिलता है कि मां लक्ष्मी को गुड़हल का पौधा बहुत प्रिय माना जाता है. इसलिए अगर मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन घर में गुड़हल का पौधा लगाया जाए तो इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साथ ही उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.
2. इसके अलावा यदि मार्गशीर्ष माह में गुड़हल का पौधा घर में लगाया जाए तो इससे घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है. इतना ही नहीं इससे पारिवारिक शांति भी बनी रहती है.
3. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन गुड़हल के पौधे को घर में लगाने से आपको अटका हुआ धन मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती है क्योंकि यह पौधा धन को वापस लाने में मदद करता है. इसके साथ ही यदि आपके ऊपर किसी प्रकार का कोई कर्ज है तो यह उससे भी मुक्ति दिलाता है.
4. मार्गशीर्ष के पूर्णिमा के दिन आप अपने रिश्तों में प्यार सम्मान बढ़ाने के लिए भी गुड़हल का पौधा लगा सकते हैं. गुड़हल का पौधा प्रेम और रिश्तों को मजबूत बनाने का काम भी करता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
14 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी, दुर्घटनाग्रस्त होने से बचे तथा अधिकारियों के तनाव से बचने का प्रयास अवश्य करें।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन अवश्य जुटाए तथा विशेष लाभ अवश्य ही होगा।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो, विशेष कार्य स्थिगित रखे, कार्य अवरोध होगे।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले, अर्थ व्यवस्था की विेशेष चिंता बन जाएगी।
सिंह राशि :- किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें,व्यावसायिक क्षमता में विेशेष वृद्धि होगी।
कन्या राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, चिन्ताए कम होगी, अवरोध के बाद रुके कार्य बन जाएंगे।
तुला राशि :- सामाजिक बेचैनी उद्विघ्नता के योग बनें तथा कुटुम्ब में क्लेश अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- सामर्थ्य वृद्धि के साथ-साथ तनाव भड़के तथा झगड़े संभावित होगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद हो, तनाव, व्यर्थ धन व्यय होगा, ध्यान दें।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाए तथा कार्य बनें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा बने हुए काम बिगड़े।
मीन राशि :- तनाव क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति होगी।
जानिए कितने तरह के होते है कुंभ, क्या है महा, अर्ध और पूर्ण कुंभ में अंतर
13 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में गंगा और यमुना के संगम पर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा. महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है. 45 दिनों तक चलने वाला यह महाकुंभ हिंदुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. इस दौरान कुल छह शाही स्नान होंगे. उम्मीद है कि इस बार महाकुंभ में देश विदेश के 40 करोड़ से ज्यादा लोग भाग लेंगे. पिछला अर्धकुंभ मेला साल 2019 में प्रयागराज में हुआ था. वहीं, इससे पहले साल 2013 में प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ था. जबकि कुंभ मेला हरिद्वार में लगा था.
दरअसल, कुंभ मेला चार प्रकार का होता है- कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ. सभी कुंभ मेला ग्रहों की स्थिति के अनुसार आयोजित किए जाते हैं. कुंभ मेले के आयोजन में वर्ष का समय भी बहुत महत्वपूर्ण है. प्रत्येक कुंभ मेले का अपना विशेष महत्व होता है.
महाकुंभ
अगला महाकुंभ अगले साल यानी 2025 में प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा. यह 13 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी को खत्म होगा. आखिरी बार महाकुंभ प्रयागराज में 2013 में आयोजित किया गया था. 12 साल बाद प्रयागराज फिर से कुंभ मेले की मेजबानी कर रहा है.
कुंभ मेला
कुंभ मेले का आयोजन प्रयागराज के अलावा हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में भी किया जाता है. यह मेला 12 साल के अंतराल पर मनाया जाता है. इसके लिए चारों स्थानों को बारी-बारी से चुना जाता है. इस दौरान श्रद्धालु गंगा, क्षिप्रा, गोदावरी और संगम (तीन नदियों का मिलन स्थल) में स्नान करते हैं.
अर्ध कुंभ
कुंभ मेले के विपरीत अर्धकुंभ हर छह साल के बाद मनाया जाता है. अर्धकुंभ केवल दो स्थानों पर आयोजित किया जाता है, प्रयागराज और हरिद्वार. अर्ध का मतलब होता है आधा. इसीलिए यह छह साल बाद आयोजित किया जाता है.
पूर्ण कुंभ
12 साल बाद मनाये जाने वाले कुंभ मेले को ही पूर्ण कुंभ मेला कहा जाता है. पूर्ण कुंभ केवल प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित होता है. इस तरह अगले साल जनवरी 2025 में प्रयागराज में लगने वाला मेला ना केवल कुंभ हैं, बल्कि एक पूर्ण कुंभ भी है. पिछला कुंभ मेला प्रयागराज में साल 2013 में आयोजित किया गया था. जो कुंभ प्रयागराज में होता है उसे बेहद शुभ माना जाता है.
महाकुंभ
प्रत्येक 144 साल के बाद जो कुंभ मेला आयोजित होता है उसे महाकुंभ कहा जाता है. इसका आयोजन केवल प्रयागराज में होता है. क्योंकि यह कुंभ मेला बहुत सालों बाद आता है और इसलिए यह विशेष महत्व रखता है. 12 पूर्ण कुंभ के बाद महाकुंभ होता है.
क्या है पौराणिक कथा
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत पान करने के लिए देवताओं और दानवों के लिए 12 दिनों तक लगतार युद्ध हुआ था. खास बात यह है कि ये 12 दिन मनुष्यों के लिए 12 वर्षों के समान हुए, इसलिए कुंभ भी बारह होते हैं. इनमें चार कुंभ धरती पर होते हैं और आठ देवलोक में. युद्ध के समय शनि, चंद्र और सूर्य आदि देवताओं ने कलश की रक्षा की थी. उसी समय से ही वर्तमान राशियों पर रक्षा करने वाले ग्रह आते हैं तब कुंभ का सुयोग बनता है.
कैसे होता है स्थान का निर्णय
कुंभ मेला किस स्थान पर आयोजित किया जाएगा इसका निर्णय ज्योतिषीय गणना के आधार पर किया जाता है. ज्योतिषी और अखाड़ों के प्रमुख एक साथ आते हैं और उस स्थान का निर्णय लेते हैं जहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाएगा. वे निर्णय पर पहुंचने के लिए हिंदू ज्योतिष के प्रमुख ग्रहों – बृहस्पति और सूर्य की स्थिति का निरीक्षण करते हैं. बृहस्पति यानी गुरु और सूर्य दोनों हिंदू ज्योतिष में प्रमुख ग्रह है. इसलिए इनकी गणना के आधार पर ही स्थान का चयन किया जाता है.
2024 की अंतिम पूर्णिमा पर करें ये 4 उपाय... खुश होंगी माता लक्ष्मी! मिलेगा 32 गुना फायदा
13 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान का विधान है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है. मार्गशीर्ष महीने को भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना माना गया है. इस माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस पूर्णिमा के दिन व्रत रहने से 32 गुना फल प्राप्त होता है. 15 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा मनाई जाएगी, जो इस साल की आखिरी पूर्णिमा भी है.
दरअसल, अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर शाम 4:58 बजे पर शुरू हो रही है और अगले दिन 15 तारीख को दोपहर 2: 31बजे पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पूर्णिमा तिथि 15 तारीख को होगी. लेकिन व्रत 14 तारीख को ही रखना है क्योंकि इसी दिन पूर्णिमा का चांद दिखेगा. 15 दिसंबर को स्नान और दान करना शुभ होगा. पूर्णिमा तिथि के दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जातक अनेक तरह के उपाय भी करते हैं.
पूर्णिमा तिथि के दिन पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाना बेहद शुभ माना जाता है. दीपक जलाने से पहले जल में दूध और गुलाब डालकर पीपल पर अर्पित करना चाहिए. कहा जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर लक्ष्मी जी का आशीर्वाद पाने के लिए तुलसी के पौधे को लाल कलावा, लाल चुनरी, और कच्चा दूध अर्पित करना शुभ माना जाता है.
इसके अलावा पूर्णिमा तिथि के दिन शाम के समय घर के ईशान कोण पर घी का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से धन की देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
पूर्णिमा तिथि के दिन घर में केले के पत्ते का मंडप सजाकर स्नान के बाद सत्यनारायण भगवान की कथा करनी चाहिए. भगवान को पंजीरी और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए.
माता लक्ष्मी को लाल चुनरी अर्पित करना चाहिए ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है.
बेहद खास है साल का अंतिम प्रदोष व्रत, इन उपायों से महादेव को करें प्रसन्न..2025 में होगी चांदी ही चांदी!
13 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर महीने में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा दूसरा शुक्ल पक्ष. इसी तरह हर पक्ष में त्रयोदशी तिथि भी होती है, जो भगवान शिव को समर्पित मानी जाती है. इस तिथि पर ही प्रदोष व्रत रहा जाता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है. इसी कड़ी में 2024 का अंतिम प्रदोष व्रत बेहद खास होने जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि इस दिन कुछ उपाय करने से आने वाले साल में भगवान शिव की कृपा जातक पर बनी रहेगी.
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि साल 2024 का अंतिम प्रदोष व्रत 28 दिसंबर दिन शनिवार को पड़ेगा. शनिवार को प्रदोष व्रत होने से इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाएगा. यदि जातक चाहते हैं कि आने वाला नया साल यानी 2025 उनका बढ़िया रहे और भगवान शिव की कृपा जातक पर बनी रहे, आर्थिक उन्नति हो या समस्याओं से छुटकारा मिले तो 2024 के अंतिम प्रदोष व्रत के दिन विशेष उपाय जरूर कर लें. इससे बड़ी राहत मिलेगी.
अंतिम प्रदोष पर करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि साल 2024 के अंतिम प्रदोष व्रत शनिवार 28 दिसंबर को पड़ रहा है. यह अत्यंत मंगलकारी माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा विधि विधान के साथ करनी चाहिए. इस दिन तांबे के पात्र से भगवान शिव के ऊपर जलाभिषेक करें. ध्यान रहे जल में तिल अवश्य मिला लें. साथ ही राम नाम लिखा बेलपत्र अर्पण करें. इससे भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं. प्रदोष के दिन पंचोपचार विधि से पूजा करनी चाहिए. ऐसा करते हैं तो आने वाला नया साल यानी 2025 बेहद शानदार रहेगा. भगवान भोलेनाथ की कृपा से घर में धन-धान्य की वृद्धि होगी. व्यापार में लाभ होगा. सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी.
कब से शुरू हो रही प्रदोष तिथि
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, साल के अंतिम प्रदोष व्रत की शुरुआत 28 दिसंबर रात 2 बजकर 43 मिनट मे शुरू हो रही है और समापन अगले दिन यानी 29 दिसंबर की रात 03 बजकर 12 मिनट पर हो रहा है. क्योंकि प्रदोष काल 28 दिसंबर की शाम को रहने वाला है, इसलिए 28 दिसंबर को ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
प्रसाद को लेकर उड़ी अफवाह का मंदिर ट्रस्ट ने किया खंडन, चंपत राय ने कह दी बड़ी बात
13 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान श्री राम के भोग प्रसाद को लेकर मीडिया में चल रही भ्रामक खबरों का राम मंदिर ट्रस्ट ने खंडन किया है. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से भगवान राम लला को बाहर के किसी भी तरह के भोग प्रसाद को नहीं लगाया गया है. भगवान राम की तरफ से श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है. वह ऐसा प्रसाद होता है जो लंबे समय तक खराब ना हो. राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि बाहर से केवल 56 भोग ही आता है.
भगवान के सामने थाल रख करके केवल समर्पित किया जाता है. लेकिन, उसको भी बहुत सोच विचार के ही रामलला को समर्पित किया जाता है. उसका भी भोग नहीं लगाया जाता है. भगवान राम लला को समर्पित किया गया 56 भोग यदि किसी श्रद्धालु को दिया जाए. उसकी तबीयत खराब हो जाए. इसको लेकर बहुत ही सतर्कता बरती जाती है. हम बाहर से किसी भी तरीके का भोग प्रसाद रामलला को समर्पित नहीं करते राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि बाहर से प्रसाद लाने की कोई भी आवश्यकता नहीं है.
मंदिर परिसर में ही बनाया जाता भोग प्रसाद
राम मंदिर परिसर में ही भगवान राम लला के लिए भोग भी बनाया जाता है. ये दुनिया का ऐसा कोई भी मंदिर नहीं है. जहां भगवान को आस पड़ोस या मोहल्ले से रास्ता चला हुआ भोग लगाया जाता हो राम मंदिर में भी भगवान राम लला को भोग लगाने के लिए राम मंदिर परिसर में ही भोग प्रसाद बनाया जाता है.
मंदिर ट्रस्ट ने किया खंडन
राम लला को भोग लगाने को लेकर तमाम समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होने के बाद राम मंदिर ट्रस्ट ने खंडन करते हुए कहा कि भगवान राम लला के परिषर में पिछले 30 वर्षों से बाहर का कोई भी भोग प्रसाद नहीं लगाया गया है. भगवान राम लला को 56 व्यंजनों का भोग समर्पित होता है. वह भी खूब सोच विचार के बाद ही ताकि किसी भी तरीके की स्वास्थ्य संबंधी समस्या किसी भी राम भक्त को न होने पाए राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने खंडन करते हुए.
मंदिर परिषद में ही बनाया जाता
भगवान राम लला की तरफ से श्रद्धालुओं को ऐसा प्रसाद वितरण किया जाता है. जो लंबे समय तक खराब ना हो इसके साथ ही भगवान के भक्तों से अपील करते हुए कहा कि बाहर से प्रसाद लाने की आवश्यकता ही नहीं है. भगवान राम लला के लगने वाले भोग को भी राम मंदिर परिषर में राम मंदिर परिषद में ही बनाया जाता है. देश और दुनिया के किसी भी मंदिर में बाहर से लाया हुआ है. भोग भगवान को नहीं लगाया जाता है. वहीं परंपरा राम मंदिर में भी संचालित है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यय बाधा, स्वभाव में उद्विघ्नता तथा दुख, कष्ट अवश्य ही होगा, समय का ध्यान अवश्य रखे।
वृष राशि :- किसी आरोप से बचे, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति अवश्य बन जाएगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- योजनाएं पूर्ण होगी, धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य ही होगा, ध्यान दें।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होगे, कार्यगति में सुधार होवे, विचारे हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- सामर्थ्य और धन अस्त-व्यस्त हो, सतर्कता से कार्य अवश्य ही निपटा लेवे, ध्यान देवे।
कन्या राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होवे, कार्य गति में सुधार होवे, घरेलू चिताएं कम होगी।
तुला राशि :- मानप्रतिष्ठा के साधन बने, स्त्रीवर्ग से सुख और शांति अवश्य ही बन जाएगी।
वृश्चिक राशि :- अग्नि चोट आदि का भय होगा, व्यर्थ धन का व्यय होगा, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम उद्वेग तथा मानसिक भय बना ही रहेगा।
मकर राशि :- विवाद ग्रस्त होने से बचिएगा, तनाव क्लेश तथा मानसिक अशांति अवश्य ही होगी।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक अवश्य होगे।
मीन राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, समय उल्लास में बीतेगा तथा मनोवृत्ति उत्तम बनेगी, ध्यान रखे।
14 मार्च से इन राशियों के जातकों के जीवन में आयेगा बदलाव
12 Dec, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिवार का दिन ‘न्याय के देवता’ शनिदेव की आराधना के लिए समर्पित है। कहा जाता है भगवान शनि की पूजा-आराधना करने से हर मनोकामना पूरी भी होती है! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करियर में सफलता पाने के लिए शनिदेव की पूजा करने की सलाह दी जाती है! ज्योतिष गणना के अनुसार फिलहाल शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान है और साल मार्च-2025 के महीने में मीन राशि में गोचर करेंगे! जिसका प्रभाव 12 राशि के जातकों पर सकारात्मक और नकारात्मक तौर पर देखने को मिलेगा!
‘न्याय के देवता’ शनि अभी कुंभ राशि में विराजमान है और शनिदेव 29 मार्च को रात 11. 01 बजे कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे! मीन राशि में शनि के गोचर करने से कई राशि के जातकों की किस्मत बदल सकती है तो कई राशि को सावधान रहने की जरूरत है लेकिन 3 रशियां ऐसी हैं जिनकी किस्मत बदल सकती है! जिसमें कर्क, वृश्चिक और मकर राशि के जातक शामिल हैं। गौरतलब है कि 2025 में होली 14 मार्च को है!
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा रहने वाला है! इस दौरान जातकों को कईतरह से लाभ होगा, जीवन के सभी संकट दूर होंगे, राजकीय सुख प्राप्त होगा! मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी, धन लाभ के योग बनेंगे, रुके हुए सभी कार्य पूर्ण होंगे!
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों पर हनुमान जी की विशेष कृपा रहेगी, सभी तरह का बिगड़ा काम बनेगा, करियर और कारोबार में नया आयाम मिलेगा, निवेश से लाभ होगा, परिवार में खुशियों का माहौल होगा, रुका हुआ धन वापस मिलेगा, शनिदेव की कृपा से नौकरी में प्रमोशन भी मिल सकता है!
मकर राशि: मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानी दूर होगी, अटका हुआ धन प्राप्त होगा, मार्च के बाद बिगड़े काम बनेंगे, नए काम की शुरुआत करने के योग हैं, सभी बिगड़े कार्य बनेंगे। मां की सेहत का ख्याल रखें। निवेश से विशेष लाभ होगा।