धर्म एवं ज्योतिष
पुखराज, गोमेद, हीरा समेत ये 9 रत्न असली है या नकली? जानें टेस्ट का सही तरीका
18 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का महत्व काफी अधिक है. लोग इन्हें आर्थिक तंगी दूर करने, धन लाभ और जीवन में शुभ फल प्राप्त करने के उद्देश्य से धारण करते हैं. हालांकि, यदि रत्न नकली हो तो यह लाभ की बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसलिए असली और नकली रत्न की पहचान करना बेहद जरूरी है. ज्योतिष मान्यता के अनुसार हमारे ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को कंट्रोल करने की क्षमता रखते हैं. इनकी कीमत को ध्यान में रखते हुए पैसा लगाने से पहले इनकी शुद्धता जांचने के कुछ आसान तरीके जान लेने चाहिए.
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित ग्रह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने बताया कि रत्नों का ज्योतिष और जीवन में विशेष महत्व है. यह ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित कर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. सही रत्न धारण करने से आर्थिक तंगी दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं. हर रत्न का अपना महत्व और फायदे हैं. वहीं असली रत्न पहनने से स्वास्थ्य लाभ, आत्मविश्वास और वैवाहिक जीवन में सुधार होता है. हालांकि, नकली रत्न नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए असली रत्न की पहचान जरूरी है. कई तरीकों से आप आसानी से असली और नकली रत्न की पहचान कर सकते हैं. ध्यान रखें कि सही रत्न धारण करने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं.
माणिक : माणिक की जांच के लिए इसे चांदी की थाली में रखकर सूरज की रोशनी में रखें. यदि चांदी लाल रंग की दिखाई देने लगे, तो माणिक असली है.
मोती : मोती की पहचान के लिए इसे पानी से भरे कांच के गिलास में डालें. अगर पानी में किरणें निकलती हुई दिखें, तो मोती असली है.
मूंगा : मूंगे की जांच करने के लिए इसे कांच या शीशे पर रगड़ें. यदि कोई आवाज न हो, तो मूंगा असली है. साथ ही, हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें मूंगे पर डालें. यदि झाग बनें, तो यह असली है.
पन्ना : पन्ने की पहचान के लिए इसे हल्दी पर रगड़ें. यदि हल्दी लाल हो जाए, तो पन्ना असली है. इसके अलावा, पानी भरे ग्लास में पन्ना डालने पर हरी किरणें निकलती दिखनी चाहिए.
पुखराज : पुखराज को एक दिन दूध में रखकर देखें. यदि इसका रंग या चमक न बदलें, तो यह असली है.
हीरा : हीरे की जांच के लिए इसे गर्म दूध में डालें. अगर दूध तुरंत ठंडा हो जाए, तो हीरा असली है.
नीलम : नीलम को पानी भरे कांच के गिलास में डालें. यदि पानी के ऊपर नीली किरणें दिखें, तो यह असली है.
गोमेद : गोमेद में बुलबुले नहीं होते. इसे 24 घंटे गोमूत्र में रखने पर यदि इसका रंग बदल जाए, तो यह असली है.
लहसुनिया : लहसुनिया को पत्थर पर रगड़ने पर भी यह टूटता नहीं. अंधेरे कमरे में रखने पर इसकी चमक स्पष्ट दिखती है.
एक के बाद एक रोग पीछा नहीं छोड़ते तो करें ये उपाय, सूर्य देव की उपासना से टूटेगा बीमारियों से नाता
18 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू कैलेंडर के मार्गशीर्ष मास के बाद पौष मास आता है. साल 2024 में पौष मास की शुरुआत 16 दिसंबर से हो गई थी. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इस माह में सूर्य का तेज कम हो जाता है जिससे बहुत सी शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सूर्य का तेज कम होने के कारण शरीर में खुजली, दाने होना, चर्म रोग, आंख के रोग, पेट की समस्या आदि सभी होने का खतरा बना रहता है. सूर्य देव ग्रहों के स्वामी हैं, अगर सूर्य देव कुंडली में मजबूत स्थिति में हैं तो इन सभी रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है. सूर्य देव को मजबूत करने के लिए धार्मिक ग्रंथ स्तोत्रावली आदि में सूर्य देव को मजबूत करने और शुभ फल प्रदान करने के बहुत से स्तोत्र मंत्र जाप का वर्णन दिया गया है.
ऐसे करें सूर्य देवता को प्रसन्न
किन स्तोत्र और मंत्रों के जाप से पौष मास में सूर्य मजबूत होंगे इसकी जानकारी लोकल 18 के साथ साझा करते हुए हरिद्वार के ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि “आदित्य हृदय स्तोत्र” का पाठ करने से सूर्य देव कुंडली में कमजोर होने पर भी शुभ फल प्रदान करते हैं. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को समर्पित होता है. अगर रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि करके अपने नित्य कार्यों से निवृत होकर घर के देवालय या किसी सिद्ध पीठ स्थल पर किया जाए तो शरीर में होने वाले रोगों से मुक्ति मिल जाती है. पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि आदित्य हृदय स्तोत्र के साथ सूर्य देव के 12 नाम वाले मंत्र का जाप करना भी विशेष लाभदायक होता है. सूर्य देव ग्रहों के स्वामी हैं और उनके 12 नाम वाले मंत्र जप करने से अन्य सभी समस्याएं भी खत्म हो जाती हैं.
सूर्य देव के 12 नाम वाले मंत्र
ॐ सूर्याय नम:
ॐ मित्राय नम:
ॐ रवये नम:
ॐ भानवे नम:
ॐ खगाय नम:
ॐ पूष्णे नम:
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:
ॐ मारीचाय नम:
ॐ आदित्याय नम:
ॐ सावित्रे नम:
ॐ अर्काय नम:
ॐ भास्कराय नम:
नए साल में किस दिन से बजेगी शहनाई? देवघर के आचार्य से जानें शुभ तिथियां
18 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं. जैसे ही सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो खरमास की शुरुआत हो जाती है. साल भर में दो बार खरमास लगता है, जब सूर्य धनु राशि में होते हैं तब और जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तब. वहीं, खरमास में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, जनेऊ इत्यादि की मनाही हो जाती है. अब ऐसे में एक बार फिर खरमास लगा है और ये कब खत्म होगा, आइए देवघर आचार्य से जानते हैं…
15 दिसंबर को सूर्य के धनु राशि में प्रवेश के साथ ही खरमास की शुरुआत हो गई. खरमास के शुरू होने के साथ ही सभी प्रकार के मांगलिक कार्य बंद हो गए हैं. वहीं नए साल में 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. तब मकर संक्रांति के बाद खरमास की समाप्ति होगी. इसी के बाद शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाएगी.
नए साल में इस दिन से बजेगी शहनाई
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, खरमास की शुरुआत के साथ शहनाई का शोर थम चुका है. लेकिन, 14 जनवरी 2025 को खरमास की समाप्ति होने जा रही है. इसके बाद फिर से नए साल यानी 2025 में शहनाई बजनी शुरू हो जाएगी. वहीं, 16 जनवरी से लग्न की शुरुआत होने जा रही है. साल 2025 की जनवरी में 16, 17, 19, 20, 22, 23, 24, 27 तारीख को विवाह के शुभ तिथि रहने वाली है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
18 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति, किसी परेशानी से बचिए, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझ जाएगी।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिएगा, नहीं तो अपने किए पर पछताना ही पड़ेगा, ध्यान रखे।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्य में सफलता, सहयोग तथा संतोष होगा धन लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- विरोधियों का समर्थन फलप्रद होगा तथा शुभ कार्य के योग अवश्य ही बन जाएगा।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे, स्थिति पूर्ण नियंत्रण पर बनी ही रहेगी, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व प्रतिष्ठा वृद्धि होगी, धन लाभ आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से विशेष समर्थन फल प्राप्त होवे तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ, कार्य कुशलता से संतोष होगा, पराक्रम एवं समृद्धि के योग बन जाएगे।
धनु राशि :- स्त्री शरीर चिन्ता, विवाद ग्रस्त होने से बचिएगा, रुके कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, दैनिक कार्य गति में सफलता अवश्य प्राप्त होगी।
कुंभ राशि :- कार्य व्यवसाय में उत्तेजना, धन का व्यय तथा शक्ति निश्फल अवश्य होगी।
मीन राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होवे, सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
लोहड़ी पर्व पर क्यों जलाई जाती है आग? क्या है अग्नि पूजा का रहस्य, पंडित जी से जान लें सच्चाई
17 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2025 के पहले महीने यानी जनवरी में त्योहारों की बयार रहेगी. इस माह लोहड़ी, पोंगल व मकर संक्रांति जैसे कई प्रमुख पर्व मनाए जाएंगे. सबसे पहले 15 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. इसके ठीक एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. लोहड़ी हर वर्ष पौष माह के अंतिम दिन उत्साह व उमंग के साथ मनाया जाता है. इसी दिन से माघ मास की शुरुआत भी हो जाती है. लोहड़ी सिख समुदाय का प्रमुख त्योहार है. इस पर्व पर रात में आग जलाई जाती है, जिसे लोहड़ी कहा जाता है. यह अग्नि पवित्र व शुभता का प्रतीक होती है. इस अग्नि में तिल, गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक आदि अर्पित किए जाते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं लोहड़ी पर आग क्यों जलाते हैं? इस बारे में News18 को बता रहे हैं प्रतापविहार गाजियाबाद के ज्योतिषाचार्य राकेश चतुर्वेदी-
2025 में कब मनाया जाएगा लोहड़ी का पर्व?
मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है. सूर्य मकर राशि में 15 जनवरी को सुबह 2 बजकर 43 मिनट में प्रवेश करेंगे इसलिए उदया तिथि को मानते हुए मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा. वहीं, मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है इसलिए लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी दिन रविवार को मनाया जाएगा.
लोहड़ी पर आग का महत्व
लोहड़ी का पर्व होली के जैसे मनाया जाता है. इस दिन रात्रि में एक स्थान पर आग जलाई जाती है. आसपास के सभी लोग इस आग के इर्द-गिर्द इकट्ठा होते हैं. सभी लोग मिलकर अग्निदेव को तिल, गुड़ आदि से बनी मिठाइयां अर्पित करते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. लोग अग्निदेव की परिक्रमा करते हैं और सुख-शांति व सौभाग्य की कामना करते हैं. अग्नि में नई फसलों को समर्पित किया जाता है और ईश्वर को धन्यवाद अर्पित करते हैं. इसके अलावा भविष्य में उत्तम फसल के लिए प्रार्थना करते हैं.
लोहड़ी पर क्यों जलाते हैं आग?
मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की आग की परंपरा माता सती से जुड़ी है. जब राजा दक्ष ने महायज्ञ का अनुष्ठान किया था, तब उन्होंने सभी देवताओं को बुलाया पर शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया. फिर भी माता सती महायज्ञ में पहुंचीं, लेकिन उनके पिता दक्ष ने भगवान शिव की बहुत निंदा की. इससे आहत सती ने अग्नि कुंड में अपनी देह त्याग दी. ऐसा कहा जाता है कि यह अग्नि मां सती के त्याग को समर्पित है. इस दिन परिवार के सभी लोग अग्नि की पूजा करके परिक्रमा करते हैं. अग्नि में तिल, रेवड़ी, गुड़ आदि अर्पित करके प्रसाद के रूप में बांटा जाता है. इस तरह लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है.
लोहड़ी पर पूजा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, लोहड़ी की रात साल की सबसे लंबी रात होती है. इसके बाद दिन बड़े होने लगते हैं. मौसम अनुकूल होने लगता है, जो फसलों के लिए उत्तम होता है. इसलिए लोहड़ी पर किसान नई फसल की बुआई करना शुरू कर देते हैं. लोहड़ी पर पूजा का विशेष विधान है. लोहड़ी पर पश्चिम दिशा में मां आदिशक्ति की प्रतिमा स्थापित कर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. प्रतिमा पर सिंदूर का तिलक लगाएं और तिल से बने लड्डू अर्पित करें.
सपने में सांप दिखना शुभ या अशुभ, किस संकेत का क्या है मतलब, शास्त्र के अनुसार जानें सबकुछ
17 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही सांप की पूजा की जाती रही है. जब भी लोग अपने आसपास सांप देखते हैं, तो डर जाते हैं. स्वप्न शास्त्र के अनुसार सांप का दिखना भी महत्वपूर्ण संकेत देता है, जिसे समझने की जरूरत है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सपने में सांप का दिखना शुभ माना जाता है या अशुभ? आइए उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं सपने में सांप का दिखना किस बात का संकेत देता है.
जानिए क्या है सपने में सांप दिखना
– अक्सर बहुत सारे लोग को सपने मे बार-बार सांप दिखते हैं, तो उन्हें यह समझना चाहिए कि आपकी कुंडली में पितृ दोष या कालसर्प दोष बना हुआ है. बार-बार सपने में सांप को देखना शुभ नहीं माना जाता है. इसके उपाय के लिए दोषों की शांति कराना चाहिए.
– स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर सपने मे किसी को ढेर सारे सांप दिखे, तो इसको शास्त्रों में शुभ नहीं माना जाता है. यह सपना यह बताता है कि जल्द ही आप पर मुसीबत आने वाली है. कहीं वाद-विवाद होने वाला है.
– जैसा कि सभी जानते है सांप और नेवले एक दूसरे के जानी दुश्मन माने जाते है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर व्यक्ति सपने में सांप और नेवले की लड़ाई देखता है, तो समझ जाइए असल जिंदगी में आप किसी विवाद में फंसने वाले हैं. कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाना पड़ सकता है.
– स्वप्न शस्त्र के अनुसार अगर सपने में सांप आपके पीछे पड़ा हुआ है, तो यह जानना चाहिए कि आपके ऊपर जल्द ही कोई मुसीबत आने वाली है. यह सपना अशुभ घटना का संकेत देता है.
– अक्सर देखा जाता है कि इंसान सांप को देख कर भागने लगता है कि सांप उन्हें काट नहीं ले, लेकिन सपने में अगर आपको सांप काट लेता है. तो बहुत कम लोगों को पता होगा कि यह शुभ संकेत है. इसका मतलब आपको कोई शुभ समाचार मिलने वाला है.
– स्वप्न शस्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को सपने में काला सांप फन उठाएं दिख रहा है, तो यह शुभ संकेत माना गया है. उन्हें समझना चाहिए. कि जल्द ही जीवन में खुशहाली आने वाली है.
राहु की महादशा में रंक से राजा और राजा को भिखारी बनने में देर नहीं लगती,जानें राहु को प्रसन्न करने के उपाय!
17 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में वर्णित नवग्रहों की महादशा या अंतर्दशा का सामना हर व्यक्ति को करना पड़ता है. इन दशाओं के शुभ-अशुभ दोनों परिणाम मिलते हैं. आज हम राहु की महादशा के बारे में बात कर रहे हैं.कुंडली में राहु की स्थिति कमजोर होने पर महादशा में जातक को सफलता पाने में बहुत संघर्ष का सामना करना पड़ता है. राहु एक मायावी ग्रह है जो महादशा के दौरान जातक को सामाजिक व आर्थिक उतार-चढ़ाव का अनुभव कराता है. इस दौरान व्यक्ति को शारीरिक व मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस दशा के कारण जातक का स्वभाव चिड़चिड़ा, चिंता, गुस्सैल या निराशा ग्रस्त हो जाता है. महादशा के प्रभाव के कारण कुछ जातक कानूनी गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं, जिसके कारण इन्हें मुश्किल दौर से गुजरना पड़ता है. इस दौरान व्यक्ति भय और संदेह से घिरा रहता है.
राहु की महादशा कितने वर्ष की होती है: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु की महादशा 18 वर्षों की होती है. राहु की महादशा में 3, 6 या 9 वर्षों में सकारात्मक व नकारात्मक रहते हैं. राहु की महादशा छठे और आठवें वर्ष में सबसे ज्यादा कष्टकारी होती है.
राहु की महादशा शुभ फल देती है: राहु की स्थिति पर महादशा के परिणाम निर्भर करते हैं. जन्मकुंडली में राहु की शुभ स्थिति होने पर मायावी ग्रह जातक को रंक से राजा बना देता है और अशुभ स्थिति में होने पर राजा से रंक बनाने में पल भर नहीं लगाता है. राहु की शुभ स्थिति में जातक खूब मान-सम्मान, पद व पैसा हासिल करते हैं.
कुंडली के एकादश भाव यानी लाभ भाव में यदि राहु आसीन हो, तो यह अत्यंत शुभ फल प्रदायक होता है. व्यक्तित्व में बला का आकर्षण होता है. इनकी कीर्ति चहुंओर फैलती है. ये लोग फ़र्श से अर्श तक का सफ़र करते हैं. जीवन अपार धन अर्जित करते हैं. समृद्ध लोगों में इनकी गणना होती है. मितभाषी होते हैं. विदेश या विदेशियों के द्वारा बड़े लाभ का मार्ग प्रशस्त होता है. कई बार ये उचित माध्यमों से इतर धन लाभ के प्रयास में कामयाब हो सकते हैं. उत्तम वाहन का सुख मिलता है.
कालांतर में लोग आपको अभिमानी समझने लगते हैं. हद तक अभिमानी हो सकते हैं. यह राहु असंभव प्रतीत होने वाली इच्छाओं की पूर्ति का भी मार्ग प्रशस्त करता है. यह योग जीवन के अरिष्टों का नाश करने वाला होता है. शारीरिक रूप से ये बली और हष्ट-पुष्ट होते हैं. श्रमसाध्य कार्यों में अग्रणी होते हैं. साथ ही भोग-विलास में भी रुचि होती है. कवि हृदय हो सकते हैं. आयु दीर्घ होती है. इंद्रियों पर नियंत्रण करके ये लोग मानव से महामानव बन सकते हैं. शास्त्रों का गहरा ज्ञान होता है. इसलिए समाज में विद्वान माने जाते हैं. स्वभाव चंचल होता है. विनोदप्रिय होते हैं. इनके मित्र चतुर लोगों में गिने जाते हैं.
राहु की महादशा के दौरान, इन उपायों को करने से राहु के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है:
राहु की दशा में जातक को हर सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए और शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए.
राहु महादशा में जातक को हर शनिवार के दिन बरगद के पेड़ की पूजा करनी चाहिए.
राहु के उपाय के लिए “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का जाप करें. राहु काल के दौरान, रोज़ 108 बार मंत्र का जाप करना फ़ायदेमंद माना जाता है.
राहु को प्रसन्न करने के लिए, शनिवार को बहते पानी में काले तिल चढ़ाएं.
राहु से जुड़ा हेसोनाइट (गोमेद) रत्न पहनने से राहु की ऊर्जा संतुलित होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
17 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मान प्रतिष्ठा बाल-बाल बचें, कार्य व्यवसाय गति उत्तम, स्त्री से हर्ष उल्लास होगा।
वृष राशि :- धन प्राप्त के योग बनेंगे, नवीन मैत्री तथा मंत्रणा फल प्राप्त होगा, समय का ध्यान रखे।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहे, व्यावसायिक क्षमता में वृद्धि होवे तथा कार्य अवश्य बन जाएगे।
कर्क राशि :- सामाजिक मान प्रतिष्ठा, कार्यकुशलता से संतोष, रुके कार्य बन ही जाएंगे, ध्यान दें।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर कार्य पूर्ण होंगे तथा व्यवसाय गति उत्तम अवश्य बनेगी।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद्र रहे तथा कार्य कुशलता से संतोष होगा, ध्यान रखे।
तुला राशि :- दैनिक व्यवसाय गति उत्तम, मान सम्मान तथा व्यावसायिक चिन्ताएं कम होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता न मिलें, कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- स्थिति अनियमित रखे तथा नियंत्रण स्थिति को रखना आवश्यक होगा, ध्यान रखे।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता एवं भाव में मानसिक उद्विघ्नता, अस्थिरता अवश्ह ही होगी।
कुंभ राशि :- योजनाएं फलीभूत होगी, विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य ही करेंगे।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य होगा।
सूर्य पूजा के लिए उत्तम माना जाता है पौष का महीना, इन 4 चीजों के दान से मिलेगा मान-सम्मान, दूर होगी परेशानी!
16 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म ग्रंथों में हर महीने का अपना खास महत्व होता है. हर महीने आने वाले व्रत, पर्व और त्योहार के चलते हिंदू कैलेंडर के महीनों की महत्ता को बढ़ा देते हैं. इन्ही महीनों में से पौष या पूस का महीना भी काफी खास माना जाता है. यह महीना मार्गशीर्ष के बाद आता है और इसमें भगवान सूर्य की पूजा करना बहुत लाभकारी होता है. इसके साथ ही इस महीने यदि पितरों को याद कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा पौष के महीने में दान-पुण्य करना भी काफी शुभ फलदायी साबित होता है. तो आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे से कब से शुरू हो रहा है पौष का महीना और इस महीने किन-किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है.
1. लोटे का दान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तांबे का लोटा सूर्य ग्रह से संबंधित होता है. इसलिए अगर आप पौष के महीने में तांबे के लोटे का दान करते हैं तो इससे आपको लाभ होगा. साथ ही बता दें कि तांबे का लोटा दान करने से पितृदोष का निवारण भी होता है.
2. पौष माह में करें सफेद वस्तु का दान
पौष के महीने में सफेद रंग की चीजों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. सफेद चीजों को चंद्रमा ग्रह का कारक माना जाता है. इस दौरान सफेद रंग की वस्तुओं का दान करने से व्यक्ति को पितृदोषों से मुक्ति मिलती है.
3. पौष माह में करें दीपदान
पौष माह में दीपदान करना बहुत महत्व रखता है. ऐसा कहा जाता है अगर इस महीने में दीपदान किया जाए तो घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. साथ ही वास्तु दोष भी दूर होते हैं.
4. पौष माह में करें जूते-चप्पल का दान
पौष माह में जूते-चप्पल का दान करने से शनिदोषों से मुक्ति पाई जा सकती है. इसके साथ ही जीवन में जो भी परेशानियां चल रही हों उससे भी जल्द छुटकारा मिल सकता है. इसलिए पौष के महीने में जूते-चप्पल का दान करना अच्छा माना जाता है.
2025 में कब-कब है अमावस्या, किस दिन शनि और सोमवती मुहूर्त? इस दिन यह काम करना बिल्कुल न भूलें
16 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार नए साल में 12 अमावस्या आएगी. इनमें दो बार शनि अमावस्या और एक बार सोमवती अमावस्या आएगी. हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को खास माना गया है और धर्म ग्रंथों में चंद्रमा की 16वीं कला को अमा कहा गया है. इस दिन पितरों और पीपल की पूजा करने का विधान है. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, इनमें शनि अमावस्या और सोमवती अमावस्या का महत्व अधिक है.
साल में इतनी बार अमावस्या
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष दो बार शनि अमावस्या और एक बार सोमवती अमावस्या आएगी. हिंदू धर्म में वर्षभर में 12 अमावस्या होती हैं. यानी हर माह एक अमावस्या आती है. अमावस्या तिथि कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन होती है और इस दिन आकाश में चांद दिखाई नहीं देता. पंडित सुरेंद्र राजगुरु ने Local 18 को बताया कि अमावस्या का हिन्दू समाज में काफी महत्व है. अमावस्या की रात काली होती है और इस दिन पितरों को पूजने का विधान होता है. सालभर में 12 अमावस्या आती है. दिन के हिसाब से जब अमावस्या सोमवार, मंगलवार और शनिवार को आती है, तब महत्व बढ़ जाता है.
कब-कब आएगी अमावस्या तिथि
अमावस्या तिथि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 29 जनवरी, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 फरवरी, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 29 मार्च, वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 अप्रैल, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 27 मई, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 25 जून, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 24 जुलाई, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 23 अगस्त, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 21 सितंबर, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 21 अक्टूबर, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 20 नवंबर और पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 19 दिसंबर को आएगी.
खरमास में करें ये उपाय, जीवन में आएगी खुशियों की बौछार और धन की सुनामी!
16 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धनार्क के दौरान शादी-विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. हालांकि, इस एक महीने के दौरान कथाएं, पूजा-अर्चना और धार्मिक गतिविधियां अधिक होती हैं. चूंकि गुरु और सूर्य धनार्क में ज्ञान के संगम में रहते हैं, इसलिए इस समय कोई भी शुभ कार्य नहीं होता. खरमास का सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है. वडोदरा की प्रसिद्ध ज्योतिषी विजयाराजे ने इस बारे में जानकारी दी है…
सिंह (Leo): यह समय सकारात्मक बदलाव (Positive Change) और प्रोफेशनल तरक्की (Positive Change) के लिए उत्तम माना जा रहा है. करियर और घर के लिए यह समय लाभदायक साबित होगा. हालांकि, महिलाओं को पीठ दर्द की समस्या हो सकती है. यदि आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं, तो फिलहाल इससे बचें. इस राशि के जातकों को प्रतिदिन मंदिर जाकर भगवान को पीले फूल अर्पित करने चाहिए.
2. कन्या (Virgo): इस समय स्वास्थ्य और दैनिक जीवन की सहूलियतों को लेकर आपकी उम्मीदें पूरी हो सकती हैं. हालांकि, हृदय से जुड़ी समस्याओं का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आप विदेश जाने की योजना बना रहे हैं, तो यह समय अनुकूल रहेगा. इस राशि के लोगों को घर से निकलने से पहले अपनी मां के चरण स्पर्श करने चाहिए.
3. तुला (Libra): तुला राशि के लिए यह समय भावनात्मक जुड़ाव (Emotional connection) और पारिवारिक संबंधों (Family ties) में कमी ला सकता है. इस दौरान अपने आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण रहेगा. इस राशि के जातकों में कुछ नया करने की इच्छा जागेगी और ऊर्जा का स्तर बढ़ा रहेगा.
4. वृश्चिक (Scorpio): यह समय आपदा से निपटने और भावनाओं के गहराई से जुड़े प्रयासों को बढ़ावा देगा. इस दौरान दोस्तों और परिवार के साथ रिश्तों को मजबूत करें. आय या जमा धन में कमी हो सकती है. इस राशि के जातकों को प्रतिदिन तांबे के लोटे में कुंकुम मिलाकर सूर्यनारायण को जल अर्पित करना चाहिए.
घर के इन जगहों पर भूलकर भी न रखें पैसा, पैर जकड़ के बैठ जाएगी कंगाली, जानें ज्योतिष से पूरी बात
16 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
क्या आप जानते हैं कि घर में पैसे रखने का स्थान भी आपकी आर्थिक स्थिति पर असर डाल सकता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में कुछ ऐसे स्थान होते हैं जहां पैसा रखने से सकारात्मक ऊर्जा रुक जाती है, जिस वजह से गरीबी, कर्ज और अधिक खर्च जैसी समस्याएं हो सकती हैं. अगर आपको इस बारे में कुछ नहीं पता है तो आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार किन जगहों पर आपको पैसे रखने से बचना चाहिए, ताकि धन और समृद्धि हमेशा आपके साथ रहे.
घर की तिजोरी
ज्योतिष गौरव दीक्षित के मुताबिक, वास्तु शास्त्र में घर की तिजोरी को एक निश्चित दिशा में रखना चाहिए. तिजोरी को कभी भी अंधेरी जगह पर नहीं रखना चाहिए. अगर तिजोरी को अंधेरी जगह पर रखा जाए तो इससे घर में धन की कमी और आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं. इसी तरह तिजोरी को भी ऐसे स्थान पर नहीं रखना चाहिए जहां हवा का संचार न हो, क्योंकि इससे धन की कमी और आर्थिक संकट हो सकता है. वास्तु में माना जाता है कि तिजोरी का स्थान घर की उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, जहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.
दीवार के पास शौचालय या बाथरूम
घर में पैसे रखने का एक और स्थान जिसे वास्तु शास्त्र में गलत माना जाता है, वह है दीवार के पास. अगर आप अपना पैसा ऐसे स्थान पर रखते हैं जहां दीवार के पास शौचालय या बाथरूम हो तो इससे भी वास्तु दोष हो सकता है। माना जाता है कि ऐसी जगहों पर पैसे रखने से पैसा टिकता नहीं है और फिजूलखर्ची भी बढ़ती है। परिणामस्वरूप आर्थिक संकट एवं धन विकार संभव है. इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार धन को उस स्थान से दूर रखना चाहिए जहां शौचालय या स्नानघर हो.
दक्षिण दिशा में पैसा रखना
वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा में पैसा रखना भी गलत माना जाता है. दक्षिण दिशा को यम स्थान माना जाता है और यहां धन रखने से घर में दरिद्रता और धन की कमी हो सकती है. इस दिशा में पैसा रखने से घर में आर्थिक तंगी और दरिद्रता आती है, जिसका असर परिवार की खुशियों पर पड़ सकता है. इसलिए वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में धन रखने के लिए उत्तर, उत्तर-पूर्व और पूर्व दिशा सबसे अच्छी मानी जाती है. क्योंकि ये दिशाएं सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होती हैं और घर में समृद्धि लाती हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
16 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है, तनावपूर्ण वार्ता से बचिएगा, कार्य का ध्यान अवश्य दें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता, कार्य कुशलता से संतोष होवे तथा कार्य करें।
मिथुन राशि :- चिन्ताएं कम हो, सफलता के साधन जुटाए तथा शुभ समाचार अवश्य ही प्राप्त होगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा तथा सुख समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास होवे, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी तथा कार्य गति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचें, संघर्ष से अधिकारियों का भाग्य तथा साथ अवश्य प्राप्त होगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहें, परिश्रम से सोचे कार्य अवश्य ही हो जाएगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेश, स्थिति सामर्थ्य के योग्य अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- भावनाएं मन को विक्षुब्ध रखे, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से कार्य अवश्य सफल होगे।
मकर राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बन सकेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यावसायिक समृद्धि के साधन बनेंगे, कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार अवश्य ही मिलेगे।
आज साल की आखिरी पूर्णिमा, विधि-विधान से करे लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा
15 Dec, 2024 07:46 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल की आखिरी पूर्णिमा 15 दिसंबर को पड़ रही है। इस दिन आपको भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना चाहिए।
सनातन धर्म में मार्गशीर्ष माह को बहुत अहम माना गया है। इस महीने में आने वाले व्रत-त्यौहार का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यता है के अनुसार, इस माह में आने वाले व्रत-त्यौहार के दिन सच्चे दिल से पूजा-पाठ करने से जीवन की परेशानियां खत्म होती हैं। फिलहाल मार्गशीर्ष माह चल रहा है और मार्गशीर्ष माह खत्म होने से पहले पूर्णिमा तिथि आएगी। यह साल की अंतिम पूर्णिमा होगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, साल 2024 और दिसंबर माह की आखिरी पूर्णिमा का व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानि 15 दिसंबर को रखा जाएगा। इस दिन लक्ष्मी-नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन व्रत रखने के साथ-साथ आपको कुछ विशेष नियमों का भी पालन अवश्य करना चाहिए। अगर इन बातों का ध्यान नहीं रखा गया, तब पूजा का पूरा फल नहीं मिलता है। दरअसल, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन आपको कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा का सीधा संबंध चंद्र देव से है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देना और उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। लेकिन इस दिन गलती से भी चंद्र देवता का अपमान नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं और सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। हिंदू धर्म में पूर्णिमा की रात का विशेष महत्व होता है। इसमें पूर्णिमा की रात को सोने के बजाय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-शांति और धन की बरकत होती है।
पूर्णिमा के दिन दिन बाल, दाढ़ी या नाखून काटने से बचें। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और चंद्र देव नाराज हो सकते हैं। इससे घर में क्लेश और आर्थिक परेशानियां आ सकती हैं। पूर्णिमा के दिन काले कपड़े पहनने से बचना चाहिए। काला रंग नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस दिन हल्के और शुभ रंग जैसे सफेद या पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
मर्दों को क्यों और किस धातु का पहनना चाहिए कड़ा? जीवन पर क्या होता है असर
15 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष विद्वानों की मानें तो कड़ा का संबंध ग्रहों से माना गया है. ऐसे में पुरुषों को दाएं हाथ में कड़ा जरूर पहनना चाहिए. ऐसा करने से कुंडली में बैठे कई दोषों से मुक्ति मिलती है. लेकिन, इसका लाभ तभी है जब आप इसको नियम पूर्वक पहनते हैं. ब सवाल है कि हाथ में किस धातु का कड़ा पहनना शुभ होता है? क्या क्या फायदे होते हैं? हाथ में कड़ा किस दिन पहनना चाहिए?
क्यों पहनें कड़ा: आजकल हाथ में कड़ा पहनना फैशन में है. लेकिन, क्या आपको पता है कि इसे पहनने का मकसद सिर्फ फैशन ही नहीं, वास्तु दोष दूर करना भी है. दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में कड़ा का संबंध सीधा ग्रहों से माना गया है. यही वजह है कि, पुरुषों को दाएं हाथ में कड़ा पहनने की सलाह दी जाती है. इसको पहनने से कुंडली में बैठे कई दोषों से मुक्ति मिलती है. साथ ही यह असफलता को पछाड़ कर सफलता की ओर ले जाता है.
किस धातु का कड़ा पहनें: ज्योतिषार्य के अनुसार, कई लोग बिना कुछ विचारे किसी भी धातु का कड़ा पहन लेते हैं, जोकि गलत है. इसका आपका नुकसान भी देखने को मिल सकता है. ऐसे में जरूरी है कि ज्योतिष की सलाह के अनुसार ही कड़ा पहनें. यदि आप ऐसा नहीं भी कर पाते हैं तो चांदी का कड़ा पहनना चाहिए. दरअसल, चांदी का कड़ा पहनने से ग्रहों से छुटकारा मिलता है. साथ ही घर में हमेशा धन-दौलत की कमी नहीं होती है.
क्या है चांदी का महत्व: पंडित जी के मुताबिक, चांदी का सीधा संबंध चंद्रमा और शुक्र दोनों से माना जाता है. यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा शुभ होने से आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा. वहीं, शुक्र के अनुकूल होने से आपको संपन्नता प्राप्त हो सकती है. साथ ही चांदी का कड़ा पहनने से सुख समृद्धि और यश की भी प्राप्त होगी और मां लक्ष्मी की कृपा आप पर बनी रहेगी. ऐसे में चांदी को हमेशा सोमवार या शुक्रवार के दिन धारण करना चाहिए. क्योंकि सोमवार को चंद्रमा की और शुक्रवार को शुक्र की कृपा होती है.
चांदी पहनने के फायदे: चांदी को धारण करने से मन शांत और एकाग्रचित रहता है. चांदी को शीतलता प्रदान करने वाली धातु माना जाता है. ऐसे में इसको धारण करने से आप अपने गुस्से को भी काबू में रख सकते हैं. इसके अलावा चांदी को पहनने से मन की चंचलता कम होती है जिससे वैवाहिक जीवन में स्थायित्व आता है. चांदी का कड़ा पहनने से सर्दी-जुकाम जैसी समस्या दूर रहती है साथ ही त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी नहीं होती.
निगेटिविटी दूर करे चांदी: वास्तु शास्त्र में चांदी सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ाने वाला धातु है. इसके अनुसार चांदी का कड़ा पहनने से आपके जीवन से हर प्रकार की नकारात्मकता दूर होती है. और मन में आने वाले नकारात्मक विचार चांदी धारण करने से दूर होते हैं. वास्तु शास्त्र के अनुसार शुक्रवार के दिन चांदी का कड़ा धारण करने से पहले किसी ज्योतिष की सलाह जरूर लें.