धर्म एवं ज्योतिष
प्राचीन संभलेश्वर मंदिर तो सुन ही लिया, जानिए कहां है रेलेश्वर महादेव मंदिर
21 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महादेव ही अकेले वे देवता हैं, जो हर किसी के हैं. उनके भी जिसके पास मुंह नहीं है. उनके भी जिसके कई मुख हैं. तभी उनकी बारात के बारे में बताते हुए गोस्वामी तुलसीदास ने लिख दिया है-
कोउ मुख हीन बिपुल मुख काहू, बिनु पद कर कोउ बहु पद बाहू.
बिपुल नयन कोउ नयन बिहीना,रिष्टपुष्ट कोउ अति तनखीना.
थोड़ी पुरानी हिंदी है, लिहाजा अर्थ समझा देना उचित होगा. गोस्वामी तुलसीदास ने शिव बारात में शामिल जीव जंतुओं, प्रेत, किन्नर और देवों का वर्णन करते हुए लिखा है कि कोई बिना मुंह वाला है तो किसी के बहुत सारे मुंह हैं. कोई बिना हाथ-पैरों के है तो कोई बहुत सारे पैरों वाला है. कोई बहुत सी आंखों वाला है, तो कोई बिना आंखों का ही है. कोई बहुत तगड़ा-तदंरुस्त है तो बिल्कुल सीकिया है. वे ये दिखाना चाहते हैं कि महादेव की बारात में सब शामिल होते हैं, चाहें वो किसी भी तरह के हो. बारात में तो खास लोग
वैसे भी दुनिया के धार्मिक साहित्य में ऐसा कोई देवता नहीं है जिसके लिए कहा जा सके कि वो नृत्य-संगीत के देवता नटराज भी हैं और गले में सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव जंतु लपेटे रहते हैं. उनके बहुत सारे नाम धर्म की पुरानी किताबों में है, तो अब भी जिसे जो मन करता है वो नाम उन्हें दे देता है. अब संभल में पुराना मंदिर निकला तो उसे संभलेश्वर का नाम दे दिया गया.
जानते हैं कहां है रेलेश्वर महादेव मंदिर
वैसे ये कोई पहला मंदिर नहीं है. पहले से ही यूपी में रेलेश्वर महादेव का भी एक मंदिर है. ग़ाज़ियाबाद रेलवे स्टेशन के प्रताप विहार वाले हिस्से में रेलवे का बड़ा सा वर्कश़प है. रेलवे कॉलोनी भी है. रेलवे के और भी बहुत सारे दफ्तर हैं. हो सकता है कि किसी को लगा हो कि रेलवे के काम काज को ठीक रखने में महादेव की कृपा की जरूरत है तो रेलेश्वर महादेव की स्थापना कर दी गई. बाकायदा बोर्ड भी लगा है. पुजारी वक्त-वक्त पर महाराज की पूजा अर्चना भी करते हैं. ऐसा नहीं कि रेलवे के अलावा दूसरे लोगों को रेलेश्वर महादेव की पूजा करने की मनाही है. जो चाहे उनकी पूजा कर सकता है. वैसे भी भारत में पहली रेल तो 1853 में चली. महादेव तो अनादि हैं,अनंत हैं.
संभलेश्वर मंदिर की कहानी
बहरहाल, ये सब कुछ याद आया संभल में निकले संभलेश्वर महादेव से. सभी को याद होगा कि संभल में बिजली की चेकिंग के दौरान एक ऐसा हिंदू मंदिर मिला, जिसे अवैध कब्जे के चक्कर में बंद ही कर दिया गया था. साथ ही बंद किए गए कई कुएं भी मिले. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने जोरदार तरीके से मंदिर को मुक्त कराया. कुएं खुलवाए गए. कुएं से भी खंडित मूर्तियां निकलीं.
मंदिर की साफ सफाई कराई गई.
इसे ही संभलेश्वर महादेव का नाम दिया गया. हालांकि मंदिर में दूसरी मूर्तियां भी हैं, लेकिन शिवजी के महत्व को देखते हुए ये नाम उचित भी था. साथ ही संभल का नाम भी इससे जुड़ा हुआ है. इस लिहाज से भी ये नाम ठीक है. योगी सरकार इस मंदिर पर किए गए अवैध कब्जे को खत्म करने के लिए आस पास की पैमाइश भी करा रही है. इससे पता चल सकेगा कि किन लोगों ने कितना अवैध कब्जा कर मंदिर का अस्तित्व खत्म किया था. इस तरह से एक प्राचीन महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा हो सकेगी. अवैध कब्जा भी हटेगा. लोगों की श्रद्धा को फलने-फूलने का अवसर मिलेगा.
खरमास कब होगा समाप्त? इस पूरे 1 महीने भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, होगा अशुभ, इन कार्यों को करने से मिलेगा शुभ फल
21 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल खरमास 15 दिसंबर से शुरू हो चुका है. खरमास में कोई भी शुभ कार्य करने से मनाही होती है. इस साल 15 दिसंबर से लेकर 14 जनवरी 2025 को खरमास समाप्त होगा. तब तक कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी-ब्याह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि नहीं की जाती है. अगर कोई करता है, तो उसे शुभ नहीं अशुभ फल की प्राप्ति हो सकती है. आप चाहते हैं कि आपके साथ कोई अनहोनी ना हो तो जान लें कि खरमास में क्या करना चाहिए और क्या करने से बचना चाहिए.
खरमास क्या है? (What is Kharmas)
ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव कहते हैं कि सूर्य देव जब धनु राशि में प्रवेश करते हैं तब धनु संक्रांति होती है. इसी राशि परिवर्तन और धनु संक्रांति पड़ने से खरमास महीने की शुरुआत हो जाती है. इस दौरान भगवान सूर्य धनु राशि में ही रहते हैं. इसी के बाद मकर संक्रांति मनाई जाएगी. खरमास के समाप्त होते ही आप सभी मांगलिक और शुभ कार्यों को कर सकते हैं. शादी-ब्याह भी की जाएगी. जब धनु राशि से मकर राशि में भगवान सूर्य प्रवेत करते हैं तो मकर संक्रांति सेलिब्रेट किया जाता है.
खरमास में क्या करना चाहिए (kharmas me kya karna chahiye)
खरमास के महीने में पूजा-पाठ प्रतिदिन करते रहना चाहिए. मंत्रों का जाप करना चाहिए. इन शुभ कार्यों को करने से आपको कई लाभ हो सकते हैं. प्रतिदिन सूरज भगवान की पूजा करने से विशेष लाभ होगा. जल से अर्घ्य दें, सूर्य मंत्रों का जाप करें. इस पूरे महीने आप कृष्ण भगवान, विष्णु भगवान की भी पूजा करनी चाहिए. आपके जीवन में मौजूद सभी दुख-दर्द, परेशानी दूर होंगी और इच्छाओं की पूर्ति होगी. बृहस्पति ग्रह का प्रभाव कम होने से आप इनकी भी पूजा और मंत्रों का जाप कर सकते हैं. आपके बिगड़े कार्य होंगे पूरे. यदि आप खरमास में तुलसी मां की पूजा करें और शाम में तुलसी पौधे के पास दीपक जलाते हैं तो घर में सुख-समृद्धि आती है. घर में शांति बरकरार रहती है. इस पूरे महीने आपको बिस्तर का त्याग कर देना चाहिए और फर्श पर गद्दे बिछाकर सोएं. स्टील, कांच आदि बर्तनों में भोजन करने की बजाय पत्तलों में खाना भी शुभ माना गया है.
खरमास में क्या नहीं करना चाहिए? ( kharmas me kya nahi karna chahiye)
– आप चाहते हैं कि आपके घर सुख-समृद्धि आए, बरकत हो, तरक्की हासिल हो तो आप खरमास महीने में कोई भी शुभ कार्य करने से बचें. कोई भी नए व्यापार की शुरुआत न करें. किसी से बिजनेस डील न करें. शादी-ब्याह, घर खरीदना, गृह प्रवेश, मुंडन, जमीन, वाहन, रत्न, गहने, कपड़े आदि खरीदने से परहेज करें.
– जनेऊ संस्कार से भी बचना चाहिए. यदि आप शादी-ब्याह कर लेते हैं तो हो सकता है कि आगे चलकर आपके जीवन में परेशानियां उत्पन्न हो जाएं. आपके रिश्ते में खटास आ जाए. दांपत्य जीवन में नेगेटिव प्रभाव देखने को मिल पाता है. बेहतर है कि आप कोई भी मांगलिक कार्य खरमास समाप्त होने के बाद ही करें.
– खरमास के दौरान तामसिक भोजन भी नहीं करना चाहिए. ऐसे में मांस-मछली, प्याज, लहसुन, शराब, धूम्रपान करने से बिल्कुल भी परहेज करें.
– बेटी की शादी हुई है और खरमास पड़ गया है तो उसे इस दौरान अपने घर से विदा करने से भी बचना चाहिए. विदाई का शुभ कार्य खरमास लगने से पूर्व या समाप्त होने के बाद ही करें.
-यदि आपके घर कोई दुखियारा, गरीब, जरूतमंद या भिखारी आकर कुछ मांगता है तो उसे बुरा और अपशब्द करने से भी बचना चाहिए. डांटकर भगाने से बचें. ऐसा करना आपके लिए अशुभ होगा.
शनिवार व्रत से प्रसन्न होंगे शनि देव, मिटेंगे पाप और कष्ट, जानें मुहूर्त, त्रिपुष्कर योग, भद्रा, राहुकाल
21 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौष माह का शनिवार व्रत है. इस दिन मृत्यु लोक की भद्रा है. रवि योग बनेगा, लेकिन षष्ठी तिथि में त्रिपुष्कर योग भी बना है. उस दिन पौष कृष्ण षष्ठी तिथि, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, प्रीति योग, वणिज करण, पूर्व का दिशाशूल और सिंह राशि में चंद्रमा है. शनिवार व्रत रखकर कर्मफलदाता और न्याय के देवता शनि देव की पूजा करते हैं. शनि महाराज की कृपा से व्यक्ति के पाप और कष्ट मिटेंगे. शनि देव की पूजा करने से साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों में कमी होती है. शनिवार को शनि महराज को काला तिल, सरसों का तेल, नीले फूल, काला या नीला कपड़ा आदि चढ़ाएं. शनि मंदिर में जाकर छाया दान करें. इससे भी आपको लाभ होगा. पूजा के समय शनि रक्षा स्तोत्र या शनि कवच का पाठ करें. ऐसे भक्तों की रक्षा शनि देव करेंगे.
शनिवार व्रत के दिन भद्रा है, इसका प्रारंभ दोपहर में 12 बजकर 21 मिनट पर होगा. इसका वास स्थान पृथ्वी है. इस समय में आपको कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा में कोई भी शुभ कार्य करने से उसमें बाधाएं आती हैं और वह पूर्ण नहीं हो पाता है. इस वजह से पृथ्वी लोक की भद्रा का समय मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित है. शनि की कृपा पाने के लिए आप शनिवार को गरीब और जरूरतमंद लोगों को कंबल, काला छाता, जूते, चप्पल, काला तिल, सरसों का तेल, लोहा, स्टील के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं. इस बाल, नाखून, दाढ़ी न बनाएं. अपने नीचे के कर्मचारियों के साथ अच्छे से बर्ताव करें. सफाई कर्मचारी, नौकर आदि से भी अच्छे से पेश आएं. वैदिक पंचांग से जानें आज का शुभ मुहूर्त, त्रिपुष्कर योग, भद्रा समय, राहुकाल, दिशाशूल, चौघड़िया समय, सूर्योदय, चंद्रोदय आदि.
आज का पंचांग, 21 दिसंबर 2024
आज की तिथि- षष्ठी – 12:21 पी एम तक, उसके बाद सप्तमी
आज का नक्षत्र- पूर्वाफाल्गुनी – 06:14 ए एम, दिसम्बर 22 तक, फिर उत्तराफाल्गुनी
आज का करण- वणिज – 12:21 पी एम तक, विष्टि – 01:22 ए एम, दिसम्बर 22 तक, फिर बव
आज का योग- प्रीति – 06:23 पी एम तक, उसके बाद आयुष्मान्
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- शनिवार
चंद्र राशि- सिंह
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 07:10 ए एम
सूर्यास्त- 05:29 पी एम
चन्द्रोदय- 11:20 पी एम
चन्द्रास्त- 11:34 ए एम
आज के मुहूर्त और शुभ योग
ब्रह्म मुहूर्त: 05:20 ए एम से 06:15 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 11:59 ए एम से 12:40 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:03 पी एम से 02:44 पी एम
त्रिपुष्कर योग: 22 दिसम्बर, 06:14 ए एम से 07:10 ए एम तक
रवि योग: 07:10 ए एम से 06:14 ए एम, दिसम्बर 22
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
शुभ-उत्तम: 08:27 ए एम से 09:45 ए एम
चर-सामान्य: 12:19 पी एम से 01:37 पी एम
लाभ-उन्नति: 01:37 पी एम से 02:54 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम: 02:54 पी एम से 04:12 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति: 05:29 पी एम से 07:12 पी एम
शुभ-उत्तम: 08:54 पी एम से 10:37 पी एम
अमृत-सर्वोत्तम: 10:37 पी एम से 12:20 ए एम, दिसम्बर 22
चर-सामान्य: 12:20 ए एम से 02:02 ए एम, दिसम्बर 22
लाभ-उन्नति: 05:28 ए एम से 07:10 ए एम, दिसम्बर 22
अशुभ समय
राहुकाल- 09:45 ए एम से 11:02 ए एम
गुलिक काल- 07:10 ए एम से 08:27 ए एम
यमगण्ड- 01:37 पी एम से 02:54 पी एम
दुर्मुहूर्त- 07:10 ए एम से 07:51 ए एम, 07:51 ए एम से 08:32 ए एम
भद्रा: 12:21 पी एम से कल 01:22 ए एम तक
दिशाशूल- पूर्व
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
भोजन में – 12:21 पी एम तक, फिर श्मशान में
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
21 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष यात्रा, राज सुख, सफलता, हानि गृह कलह तथा मानसिक अशांति काल रहेगा।
वृष राशि :- विरोध व्यय, कष्ट अशांति तथा शिक्षा तथा लेखन कार्य में सफलता प्राप्ति का योग है।
मिथुन राशि :- व्यापार में गति, यात्रा विवाद, उद्योग व्यापार की स्थिति कभी हानि कभी लाभ प्राप्त होवे।
कर्क राशि :- शरीर मध्यम, भूमि व राज भय, लाभ सफलता का दिन साबित होगा, रुके कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- वाहन भय, राज सुख, यात्रा होवे, शुभ कार्य में व्यवधान होगा, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- व्यय प्रवास, विरोध हानि, लाभ होवे राज कार्य में व्यवस्था के बाद लाभ होगा।
तुला राशि :- रोग भय, सुख, यात्रा व्यापार में सुधार होगा, रुके कार्य अवश्य बन जाएंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, लाभ विरोध, भूमि लाभ राज व शासकीय कार्य में व्यवस्था बनी रहेगी।
धनु राशि :- लाभ धर्म में रुचि, यश, हर्ष, यात्रा, शिक्षा जगत की स्थिति सामान्य बनी रहेगी।
मकर राशि :- विरोध, व्यापार में हानि, शरीर कष्ट, धार्मिक खर्च होगा, रुके कार्य बन जाएंगे।
कुंभ राशि :- लाभ, हानि, व्यय, प्रभाव रोग, भय, विरोधी असफल होने, सजग रहे।
मीन राशि :- राजभय, मान भय, चोर भय, राजकार्य में विलंब, परेशानी, तकरार विरोध होगा।
नये साल में शनिदेव, राहु-केतु समेत इन बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन, जीवन में आएंगे कई उतार-चढ़ाव
20 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नया साल शुरु होने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं. ज्योतिषियों के अनुसार साल 2025 ग्रह गोचर की दृष्टि से बेहद खास रहने वाला है, क्योंकि इस साल कई बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होगा. जिसका असर सभी राशियों पर पड़ेगा। कुछ राशियों पर इसका शुभ परिणाम देखने को मिलेगा तो वहीं कुछ राशि के जातकों के जीवन में उतार-चढ़ाव जैसी स्थितियां भी बन सकती हैं.
नए साल 2025 में जिन बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन होागा उनमें भौतिक सुख-सुविधा के कारक ग्रह शुक्र, ग्रहों के न्यायाधीश शनि, देवगुरु बृहस्पति व मायावी ग्रह राहु व केतु का भी राशि परिवर्तन होने वाला है. इन तीन ग्रहों के राशि परिवर्तन से कई राशि के जातकों को विशेष लाभ मिलेगा. तो आइए जानते हैं कि कौन-कौन से ग्रह कब-कब बदलेंगे अपनी राशि.
शुक्र ग्रह गोचर
भौतिक सुख-सुविधा व सुखों के कारक ग्रह शुक्र देव का राशि परिवर्तन 28 जनवरी 2025 को होगा. इस तारीख में शुक्र देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे और 30 मई तक इसी राशि में गोचर करेंगे. इसके बाद मीन राशि से निकलकर शुक्रदेव का मेष राशि में गोचर होगा. ज्योतिष के अनुसार शुक्रदेव का राशि परिवर्तन कई राशि के जातकों के लिए लाभकारी रहेगा.
शनि गोचर 2025
कर्मफलदाता शनिदेव 29 मार्च को कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे. इस राशि में शनिदेव 3 जून, 2027 तक रहेंगे. शनिदेव के इस राशि परिवर्तन से मकर राशि में चल रही साढ़ेसाती समाप्त होगी व मकर राशि वालों को साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी. इसके साथ ही कर्क राशि व वृश्चिक राशि के जातकों को भी शनि की ढैय्या से मुक्ति मिलेगी.
गुरु गोचर 2025
देवगुरु बृहस्पति का गोचर 14 मई को मिथुन राशि में होगा. गुरु ग्रह वृषभ 14 मई 2025 को वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे और 17 अक्टूबर तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे. इसके बाद बृहस्पतिदेव का मिथुन राशि से कर्क राशि में गोचर होगा और फिर 5 दिसंबर को पुनः वक्री चाल चरकर देवगुरु मिथुन राशि में गोचर करेंगे. इस साल गुरुदेव का इस तरह गोचर करने से कई राशि के जातकों को भरपूर लाभ मिलने वाला है.
राहु-केतु गोचर 2025
ज्योतिषशास्त्र में राहु-केतु को मायावी ग्रह कहा जाता है. राहु और केतु दोनों एक साथ राशि परिवर्तन करते हैं. इसी कड़ी में बता दें कि नये साल 2025 में राहु-केतु का भी राशि परिवर्तन होगा. 18 मई को राहु मीन राशि से निकलकर कुंभ राशि में गोचर करेंगे और केतु कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे. राहु-केतु के राशि परिवर्तन से कई राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा.
रावण के 5 अधूरे सपने, अगर हो जाते पूरे तो आज कुछ और ही होती दुनिया
20 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लंका का राजा रावण एक प्रकांड्य विद्वान, महाज्ञानी और महा पराक्रमी था. उसने तीनों लोगों पर अपना आधिपत्य स्थापित कर रखा था. 9 ग्रह उसके चरणों में पड़े रहते थे. शनि देव को उसने बंदी बना रखा था. उससे देवता भी भय खाते थे. रावण ने अपने जीते जी हर सपने को पूरा करना चाहा, लेकिन उसके कुछ सपने ऐसे भी थे, जो अधूरे रह गए. आइए जानते हैं रावण के 5 अधूरे सपनों के बारे में.
सोने में सुगंध पैदा करना: सोने की नगरी लंका में हर सुख और ऐशोआराम के साधन थे. पूरी लंका सोने से बनी थी, जिसकी चमक हर किसी को अपनी ओर खिंचती थी. लेकिन उस सोने में कोई सुगंध नहीं थी. रावण चाहता था कि वह सोने में सुगंध पैदा कर दे, लेकिन यह सपना भी अधूरा रह गया.
समुद्र के खारे पानी को मीठा बनाना: रावण की नगरी लंका चारों ओर समुद्र से घिरी हुई थी, जिसका पानी खारा था. रावण चाहता था कि समुद्र का पानी मीठा हो जाए. रावण का यह पहला सपना था, जो अधूरा रह गया.
पिता के सामने कोई पुत्र न मरे: रावण एक और सपना था कि किसी भी पिता का कोई पुत्र न मरे. अपनी आंखों के सामने पुत्र को मरता देखना, दुनिया का सबसे बड़ा कष्ट होता है. लेकिन जो व्यक्ति ने जन्म लिया है, उसका मरना निश्चित है. इस वजह से रावण का यह भी सपना पूरा नहीं होना था.
100 साल बाद नए साल पर बन रहा दुर्लभ योग, शनि-सूर्य मिलकर चमकाएंगे इन राशियों की किस्मत,ताबड़तोड़ चलेगा बिजनेस
20 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
2025 में नया साल शनि और सूर्य के दुर्लभ संयोग का गवाह बनने जा रहा है, जो 100 वर्षों में पहली बार हो रहा है. इस दुर्लभ योग से तीन राशियों की किस्मत चमकेगी. ये राशियां वे होती हैं, जिन्हें हर दिशा से शुभ परिणाम मिलने की संभावना है.
कहा कि वैसे तो साल 2025 में कई बड़े ग्रह अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं, लेकिन सबसे खास बात यह है कि साल 2025 में शनि भी अपना राशि परिवर्तन करेंगे और उसी दिन आंशिक सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. ऐसा शुभ संयोग करीब 100 सालों के बाद देखने को मिलेगा. शनि अभी कुंभ राशि में विराजमान है, लेकिन साल 2025 के मार्च महीने में शनि मीन राशि में जाने वाले हैं और उसी दिन सूर्य ग्रहण पड़ रहा है. यह दुर्लभ संयोग तीन राशियों के ऊपर सकरात्मक प्रभाव डालने वाला है. वह तीन राशि है मिथुन, कर्क, और मकर.
मिथुन राशि जातक के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. शनि की राशि परिवर्तन करने से आंशिक सूर्य ग्रहण का प्रभाव से आर्थिक उन्नति का योग बनेगा. आत्मविश्वास में वृद्धि होने वाली है. हर अधूरे कार्य पूर्ण होगी. नौकरीपेशा लोगों के लिए पदोन्नति और वेतन वृद्धि का भी योग बनेगा .
कर्क राशि जातक के ऊपर इस दुर्लभ संयोग से सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. जमीन, प्रॉपर्टी, वाहन इत्यादि खरीदने का योग बन रहा है. के सीलसिले से विदेश यात्रा का भी योग बन रहा है. व्यापार विस्तार के शुभ अवसर प्राप्त होंगे. संतान इच्छुक दंपति को नए साल में संतान की प्राप्ति हो सकती है. इनकम डबल हो सकती है. साथ ही बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है.
सोमवती अमावस्या का हरिद्वार में सबसे ज्यादा महत्व, गंगा स्नान से मिलेगा मोक्ष!
20 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल में 12 अमावस्या का आगमन होता है. हिंदू धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या के दिन पितृ कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, स्नान, दान आदि करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अमावस्या यदि सोमवार के दिन होती है, तो इसका महत्व लाखों गुना बढ़ जाता है. सोमवार के दिन होने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं. सोमवती अमावस्या के दिन पितृ कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, दान आदि करने पर लाख गुना फल मिलता है और इस दिन गंगा स्नान करने मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. अमावस्या या सोमवती अमावस्या का सबसे अधिक फल तीर्थ नगरी हरिद्वार में प्राप्त होता है. हरिद्वार में मां गंगा का सबसे अधिक महत्व धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है.
हरिद्वार में गंगा के महत्व की जानकारी लोकल 18 से साझा करते हुए कि गंगा का अवतरण धरती पर राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष देने के लिए हुआ था. राजा भगीरथ की कठोर तपस्या के बाद मां गंगा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर मानव कल्याण के लिए आई थीं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, विशेष तिथि पर मां गंगा में स्नान करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है. मां गंगा का उद्गम स्थल गोमुख है. जिसके बाद मां गंगा पहाड़ों के अनेक क्षेत्रों से होते हुए समतल क्षेत्र हरिद्वार में सबसे पहले प्रवेश करती हैं. हरिद्वार में हर की पौड़ी के ब्रह्म कुंड जहां पर भगवान ब्रह्मा ने लाखों साल तक तपस्या की थी और अमृत की बूंदें गिरने से हर की पौड़ी पर मां गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है, इसलिए विशेष तिथि सोमवती अमावस्या के दिन तीर्थ नगरी हरिद्वार में गंगा स्नान करने मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को मिलेगी मुक्ति
वह आगे बताते हैं कि साल 2024 के आखिरी सप्ताह में सोमवती अमावस्या पौष मास में होगी. सोमवती अमावस्या के दिन पितृ कार्य, धार्मिक अनुष्ठान, गंगा स्नान, दान आदि करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है. अमावस्या के दिन हरिद्वार में कोई भी धार्मिक कार्य करने पर उसका संपूर्ण फल मिलता है लेकिन यदि संयोग से अमावस्या सोमवार के दिन होती है, तो सोमवती अमावस्या का फल लाखों गुना प्राप्त होता है. सोमवती अमावस्या के दिन हरिद्वार में ब्रह्म मुहूर्त में यदि गंगा स्नान किया जाए, तो मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को शांति देने के और कुंडली से पितृदोष खत्म करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन दोपहर से पहले धार्मिक अनुष्ठान, पिंडदान, तर्पण, कर्मकांड आदि श्रद्धा भक्ति भाव से करने पर प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को मुक्ति मिलती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय कष्ट, व्यावसाय बाधा, लाभ, पारिवारिक समस्या उलझन भरी रहेगी।
वृष राशि :- राजभय रोग, स्वजन सुख, शिक्षा व लेखन कार्य में सफलता व प्रगति होवेगी।
मिथुन राशि :- वाहन भय, मातृ कष्ट, हानि तथा अशांति का वातावरण रहेगा, लाभ के अवसर बनेंगे।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ कार्य, विवाद, राज कार्य मामलें मुकदमें में प्रगति, जीत होगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, कार्य व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार होगे, रुके कार्य बन जाएगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ और धीरे-धीरे सुधार होगा, अवरोध में सुधार होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हर्ष, राज लाभ, शरीर कष्ट, खर्च की मात्रा बढ़ेगी, आर्थिक कष्ट बढ़ जाएंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति से लाभ, यात्रा संपत्ति, लाभ, व्यापारी गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि :- अल्प लाभ चोट और अग्नि शरीर भय, मानसिक परेशानी अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, कार्य व्यय, शारीरिक सुख होवे, कभी-कभी कुछ कष्ट अवश्य होवे।
कुंभ राशि :- सुख व्यय, संतान सुखकार्य, सफलता उत्साह की वृद्धि होगी, ध्यान रखें।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, न्याय, लाभ हानि, अधिकारियों से मन मुटाव अवश्य बनेगा।
सोना धारण करने से होता है गुरु मजबूत
19 Dec, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोना पहनना सभी को पसंद होता है पर इस कीमती धातु को पहनने के भी कई नियम होते हैं। ज्योतिष के रत्न शास्त्र में बताया गया है कि, सोना धारण करने से गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। जातकों को कुंडली में ग्रहों की स्थिति और राशि के अनुसार रत्न को धारण करना चाहिए। सोने को पहनने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें पालन करना काफी जरुरी है अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। सोने का सही विधि और सही तरीके से धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। सोने के धारण से करने से धन-लाभ व संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं सोने को कब और कैसे धारण करना आवश्य होता है। सोने का गुरु से संबंधित होने के कारण सोना को गुरुवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। इसे पहनने से पहले शुद्ध करना जरुरी है। आप चाहे तो इसे अंगूठी या चेन के रुप में धारण से कर सकते हैं। सोने को शुद्धि करने के लिए आप गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करें। फिर इसे आप भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद अंगूठी और चेन को पहन सकते हैं। माना जाता है कि, रविवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन सोना धारण करना शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोने का धारण मेष, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों को धारण करना चाहिए। वहीं, मकर, मिथुन, कुंभ और वृषभ राशि के जातकों को सोना नहीं पहनना चाहिए। इसके साथ ही कुंडली में गुरु की स्थिति देखकर ही सोना का धारण करना चाहिए।
खरमास में इस कारण नहीं होते शुभ कार्य
19 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खरमास सोमवार से शुरु हुआ है। सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं होते हैं। इस दौरान सूर्य 30 दिनों तक धनु राशि में रहेंगे। खरमास साल में दो बार आता है। इस दौरान विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ-मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। ज्योतिष के अनुसार, खरमास तब लगता है जब सूर्य देव धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं।
ज्योतिष के अनुसार, भगवान सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति के घर में आते हैं तो वो अपना तेज कम कर देते हैं। इसके साथ ही इस अवधि में बृहस्पति ग्रह की शुभता कम हो जाती है। इसलिए सूर्य देव के तेज कम होने और देवगुरु बृहस्पति की शुभता का प्रभाव कम होने के वजह से खरमास में विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं।
एक तरफ खरमास में मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, तो दूसरी तरफ खरमास सूर्य और विष्णु की पूजा करना काफी शुभ और फल देने वाला होता है। इस दौरान दान-पुण्य करना बेहद शुभ माना जाता है। खरमास का महीना दान-पुण्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान आप धार्मिक कार्य कर सकते हैं। धार्मिक कार्यों के लिए ये महीना बेहद शुभ होता है। इस दौरान आप धार्मिक ग्रंथों का पाठ और पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला भक्तों के मन को है लुभाती
19 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भक्ति की परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले भगवान हैं। योगेश्वर रूप में वे जीवन का दर्शन देते हैं तो बाल रूप में उनकी लीलाएं भक्तों के मन को लुभाती है।आज पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोई कान्हा की भक्ति से सराबोर है। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय श्रीकृष्ण का जो महामंत्र प्रसिद्ध हुआ, वह तब से लेकर अब तक लगातार देश दुनिया में गूंज रहा है। आप भी मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र के जाप की शुरुआत कर सकते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
१५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय प्रसिद्ध हुए इस मंत्र को वैष्णव लोग महामन्त्र कहते हैं। इस्कान के संस्थापक के श्रील प्रभुपाद जी अनुसार इस महामंत्र का जप उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक शिशु अपनी माता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रोता है।
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
भगवान श्रीकृष्ण के इस द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। प्रेम विवाह करने वाले अभिलाषा रखने वाले जातकों के लिए यह रामबाण साबित होता है।
कृं कृष्णाय नमः
यह पावन मंत्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया है। इसके जप से जीवन से जुड़ी तमाम बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।
जीवन में आई विपदा से उबरने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यह बहुत ही सरल और प्रभावी मंत्र है। इस महामंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण बिल्कुल उसी तरह मदद को दौड़े आते हैं जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की मदद की थी।
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
श्रद्धा और विश्वास के इस मंत्र का जाप करने से न सिर्फ तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाने में यह महामंत्र काफी कारगर साबित होता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 6 ।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।।
कन्हैया की स्तुति करने के लिए तमाम मंत्र हैं लेकिन यह मंत्र उनकी मधुर छवि का दर्शन कराती है। इस मंत्र की स्तुति में कान्हा की अत्यंत मनमोहक छवि उभर कर सामने आती है। साथ ही साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी और विश्व के पालनकर्ता होने का भी भान होता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय तथा पारिवारिक समस्या अवश्य उलझेगी
वृष राशि :- अनुभव सुख मंगल कार्य विरोध मामलें मुकदमों पर प्राय: जीत की संभावना हो।
मिथुन राशि :- कुसंगत हानि, विरोध भय यात्रा, सामाजिक कार्यों में व्यवधान अवश्य बनेंगे।
कर्क राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ अवश्ह ही होगा।
सिंह राशि :- तनाव व विवाद से बचे, विरोधियों की चिन्ता, राजकार्यों से प्रतिष्ठा मिल सकेगी।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ तथा कार्य उत्तम होवे।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन क्रय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य कर सकेंगे, ध्यान रखे।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, हर्ष कष्ट, व्यय होवे, व्यापार में सुधार होवे, खर्च होवे।
धनु राशि :- यात्रा में हानि, मित्र कष्ट, व्यय की कमी किन्तु कुछ व्यवस्था का अनुभव होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहन आदि, रोग, धार्मिक कर्म, कुछ अच्छे कार्य हो सकते है, ध्यान रखे।
कुंभ राशि :- अभीष्टसिद्ध, राज भय, कार्य बाधा, राज कार्यों में रुकावट का अनुभव अवश्य होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोग भय, संपर्क लाभ, राज कार्य में विलंब परेशानी होगी।
तोड़ना तो दूर इस दिन छुएं भी नहीं तुलसी का पौधा, नहीं तो तरस जाएंगे सुख समृद्धि के लिए!
18 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. मान्यता है पूजा करने से परिवार में सुख और शांति आती है. भगवान की पूजा में कई चीजों का प्रयोग किया जाता है जिसे बहुत ही पवित्र माना गया है. इन पवित्र चीजों में तुलती के पौधे का विशेष महत्व होता है. पूजा, धार्मिक अनुष्ठान, व्रत और त्योहार में तुलसी के पत्तों का प्रयोग अवश्य करते हैं. हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत ही शुभ पौधा माना गया है. तुलसी के पौधे का न केवल धार्मिक महत्व है बल्कि यह एक चमत्कारिक औषधीय पौधा भी है. इसका स्पर्श व इससे होकर आने वाली हवा बहुत लाभकारी है. घर के आंगन में या छत पर तुलसी को रोज सुबह-शाम जल चढ़ाएं. शाम को तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है एवं सभी देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है. आइए जानते हैं हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का महत्व.
तुलसी के पौधे का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत पवित्र माना जाता है. इसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और भगवान विष्णु को भी तुलसी बहुत प्रिय है.
तुलसी के पौधे को जड़ी-बूटियों की रानी कहा जाता है. इसमें कई औषधीय गुण होते हैं. तुलसी के पत्तों में एंटीबायोटिक, एंटीफंगल, और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं.
तुलसी के पत्तों को खाने से खून साफ़ रहता है और त्वचा और बाल स्वस्थ रहते हैं.
तुलसी के पत्तों के रस को बुखार, ब्रोंकाइटिस, खांसी, पाचन संबंधी शिकायतों में देने से राहत मिलती है.
तुलसी के पत्ते सांस की बदबू से छुटकारा दिलाते हैं.
तुलसी के बीज संतान उत्पत्ति की समस्या में कारगर होते हैं.
तुलसी के पौधे में वायु-शोधक गुण होते हैं.
तुलसी के पौधे के आस-पास सकारात्मक ऊर्जा होती है.
तुलसी के पौधे को घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है.
तुलसी के पौधे के सामने रोज़ शाम को दीपक जलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है
पुखराज, गोमेद, हीरा समेत ये 9 रत्न असली है या नकली? जानें टेस्ट का सही तरीका
18 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का महत्व काफी अधिक है. लोग इन्हें आर्थिक तंगी दूर करने, धन लाभ और जीवन में शुभ फल प्राप्त करने के उद्देश्य से धारण करते हैं. हालांकि, यदि रत्न नकली हो तो यह लाभ की बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है. इसलिए असली और नकली रत्न की पहचान करना बेहद जरूरी है. ज्योतिष मान्यता के अनुसार हमारे ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को कंट्रोल करने की क्षमता रखते हैं. इनकी कीमत को ध्यान में रखते हुए पैसा लगाने से पहले इनकी शुद्धता जांचने के कुछ आसान तरीके जान लेने चाहिए.
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित ग्रह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने बताया कि रत्नों का ज्योतिष और जीवन में विशेष महत्व है. यह ग्रहों की ऊर्जा को संतुलित कर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. सही रत्न धारण करने से आर्थिक तंगी दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में उन्नति के मार्ग खुलते हैं. हर रत्न का अपना महत्व और फायदे हैं. वहीं असली रत्न पहनने से स्वास्थ्य लाभ, आत्मविश्वास और वैवाहिक जीवन में सुधार होता है. हालांकि, नकली रत्न नुकसान पहुंचा सकते हैं, इसलिए असली रत्न की पहचान जरूरी है. कई तरीकों से आप आसानी से असली और नकली रत्न की पहचान कर सकते हैं. ध्यान रखें कि सही रत्न धारण करने से ही शुभ फल प्राप्त होते हैं.
माणिक : माणिक की जांच के लिए इसे चांदी की थाली में रखकर सूरज की रोशनी में रखें. यदि चांदी लाल रंग की दिखाई देने लगे, तो माणिक असली है.
मोती : मोती की पहचान के लिए इसे पानी से भरे कांच के गिलास में डालें. अगर पानी में किरणें निकलती हुई दिखें, तो मोती असली है.
मूंगा : मूंगे की जांच करने के लिए इसे कांच या शीशे पर रगड़ें. यदि कोई आवाज न हो, तो मूंगा असली है. साथ ही, हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कुछ बूंदें मूंगे पर डालें. यदि झाग बनें, तो यह असली है.
पन्ना : पन्ने की पहचान के लिए इसे हल्दी पर रगड़ें. यदि हल्दी लाल हो जाए, तो पन्ना असली है. इसके अलावा, पानी भरे ग्लास में पन्ना डालने पर हरी किरणें निकलती दिखनी चाहिए.
पुखराज : पुखराज को एक दिन दूध में रखकर देखें. यदि इसका रंग या चमक न बदलें, तो यह असली है.
हीरा : हीरे की जांच के लिए इसे गर्म दूध में डालें. अगर दूध तुरंत ठंडा हो जाए, तो हीरा असली है.
नीलम : नीलम को पानी भरे कांच के गिलास में डालें. यदि पानी के ऊपर नीली किरणें दिखें, तो यह असली है.
गोमेद : गोमेद में बुलबुले नहीं होते. इसे 24 घंटे गोमूत्र में रखने पर यदि इसका रंग बदल जाए, तो यह असली है.
लहसुनिया : लहसुनिया को पत्थर पर रगड़ने पर भी यह टूटता नहीं. अंधेरे कमरे में रखने पर इसकी चमक स्पष्ट दिखती है.