मध्य प्रदेश
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में सेमीकंडक्टर-मैन्यूफैक्चरिंग रहेगा निवेशकों का प्रमुख आकर्षण : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
7 Feb, 2025 09:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2025 में सेमीकंडक्टर एक महत्वपूर्ण सेक्टर रहेगा। इसकी महत्वता को देखते हुए राज्य मंत्रि-परिषद ने "मध्यप्रदेश सेमीकंडक्टर पॉलिसी-2025" को मंजूरी दी है। इस नीति के लागू होने से सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के क्षेत्र में प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश की संभावनाएं बढ़ गई हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल होने वाले निवेशकों के बीच इस सेक्टर को लेकर उत्साह और रुचि देखी जा रही है, जिससे राज्य में अधिक से अधिक निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इस पॉलिसी से राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंड्क्टर विनिर्माण केन्द्र के रूप में विकसित एक स्थायी ईको-सिस्टम स्थापित किया जा सकेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का विजन भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन निर्माण और तकनीकी विकास के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिये प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री का मानना है कि भारत का सेमीकंडक्टर क्षेत्र एक क्रांति की कगार पर है। उनका लक्ष्य है कि इलेक्ट्रॉनिक और सेमीकंडक्टर्स का शत-प्रतिशत निर्माण भारत में ही किया जाये। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वास जताया कि सेमीकंडक्टर पॉलिसी से प्रधानमंत्री श्री मोदी के लक्ष्य की प्राप्ति में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण योगदान दे सकेगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि यह पालिसी राज्य को सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो घरेलू और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में मदद करेगी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नेतृत्व करने के अवसर प्राप्त होंगे। साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।
निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष प्रावधान
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि सेमीकंडक्टर पॉलिसी के अंतर्गत निवेशकों के लिए पूंजी निवेश अनुदान (कुल निवेश का 25% अथवा भारत सरकार द्वारा प्रदान की गई सब्सिडी का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो) दिया जाएगा। राज्य सरकार गैर-सरकारी अनुमोदित परियोजनाओं के लिए कंपनियों को 40 प्रतिशत (अधिकतम 150 करोड़ रुपए) तक पूंजी निवेश अनुदान देगी। यह अनुदान ब्याज 6 प्रतिशत अथवा लागू ब्याज दर (जो भी कम हो) इकाई स्थापना के बाद 5 वर्षों तक (अधिकतम 10 करोड़ रुपए) दिया जाएगा। सेमीकंडक्टर पॉलिसी के अंतर्गत कंपनियों को रियायती दरों पर भूमि उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, पहले 10 वर्षों के लिए 2 रुपए प्रति यूनिट बिजली टैरिफ सब्सिडी भी दी जाएगी। इससे संचालन लागत कम होगी और निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा। पॉलिसी में 400 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं के लिए इन्फ्रास्ट्रक्टर के लिए सहयोग, कर में छूट और कुछ अतिरिक्त वित्तीय सहायताएं भी दी जाएंगीं।
पांच वर्षों में 2700 करोड़ रुपए का निवेश और 14,400 रोजगार
सेमीकंडक्टर पॉलिसी से प्रदेश में अगले पांच वर्षों में 2700 करोड़ रुपए का निवेश आने की आशा है। इससे 3,782 करोड़ रुपए निर्यात और 1,702 करोड़ रुपए स्टेट जीएसटी राजस्व से प्राप्त होंगे। साथ ही बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होगा।
पॉलिसी में पीपीपी मोड को बढ़ावा
मध्यप्रदेश सेमीकंडक्टर पॉलिसी-2025 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे सरकारी निकायों, शैक्षणिक संस्थानों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग बढ़ेगा, साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी प्रोत्साहन मिलेगा। इसके फलस्वरूप वैश्विक विशेषज्ञता और तकनीक को मध्यप्रदेश में लाया जा सकेगा।
निवेशकों को अनुसंधान और विकास के लिए प्रोत्साहन फंड
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि सेमी कंडक्टर पॉलिसी में सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) और तकनीकी नवाचार में निवेश के लिए विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा। सेमीकंडक्टर तकनीक में अनुसंधान के लिए विशेष फंड के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। राज्य सरकार पॉलिसी में नई परियोजनाओं के लिए अनुमोदन प्रक्रिया को सरल और तेज बनाने के लिए सरलीकृत नियामक तंत्र का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार, प्रावधान प्रक्रिया में विलंब को न्यूनतम करने और कंपनियों को इकाई स्थापना एवं विस्तार में सुविधा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जीआईएस में पहली बार होंगी सेक्टर वाइस समिट
7 Feb, 2025 09:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट (जीआईएस) पहली बार भोपाल में हो रहा है। इसे लेकर मोहन सरकार तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है। इस मेगा इवेंट के जरिए मप्र की ब्रांडिंग की जाएगी। देश-दुनिया के बड़े-बड़े दिग्गज निवेशकों के सामने मप्र में संभावित संभावनाओं की झलक दिखलाई जाएगी। भोपाल में 24 और 25 फरवरी को आयोजित जीआईएसमें पहली बार सेक्टर वाइस समिट होंगी। इस समिट से एमएसएमई सेक्टर को बस्टर डोज मिलने की संभावना है। मप्र की अद्वितीय भौगोलिक स्थिति, समृद्ध प्राकृतिक संसाधन, विकसित बुनियादी ढांचा और उद्योग-अनुकूल नीतियां इसे निवेश के लिए देश का सबसे आकर्षक डेस्टिनेशन बनाती हैं। शहरी विकास, पर्यटन, माइनिंग, रिन्यूएबल एनर्जी, आईटी और एमएसएमई, ये सभी क्षेत्र अपनी असीमित संभावनाओं और अनुकूल वातावरण से निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। मप्र खनिज संपदा से समृद्ध राज्य है। यह देश में डायमंड, लाइमस्टोन, बॉक्साइट, कोयला, मैंगनीज और तांबे का प्रमुख उत्पादक है। पन्ना स्थित एशिया की एकमात्र डायमंड माइंस और विशाल कोयला भंडार राज्य को माइनिंग इंडस्ट्री के लिए एक आदर्श डेस्टिनेशन बनाते हैं। जीआईएस में माइनिंग समिट से खनन आधारित उद्योगों, मूल्यवर्धित प्र-संस्करण और नीतिगत प्रोत्साहनों पर चर्चा होगी।
प्रदेश में 12.50 लाख एमएसएमई इकाइयां
राजधानी में 24-25 फरवरी को होने वाली ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बूस्ट मिलेगा। इससे बड़ी संख्या में रोजगार भी सृजन होने की उमीदें हैं। एमएसएमई ने भी इसकी तैयारी में लैंडबैंक बढ़ाते हुए 14 पिछड़े जिलों में नए औद्योगिक पार्क विकसित करने की तैयारी है। अभी प्रदेश में 12.50 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं। इनमें 66 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। जीआईएस में देश के बड़े उद्योगपतियों के साथ विदेशों के भी निवेशक शामिल होंगे। हाल ही में मुयमंत्री डॉ मोहन यादव ने जापान की यात्रा की। वहां के निवेशकों ने अपने मौजूदा उद्यमों का विस्तार करने की बात कही है। इसके पहले सीएम की ब्रिटेन और जर्मनी यात्रा के दौरान भी वहां की कंपनियों ने निवेश में रुचि दिखाई थी। यह तीनों देश जीआइएस में सहभागी रहेंगे। यदि एक बड़ा उद्योग लगेगा तो उसकी सहयोगी करीब 20 यूनिट शुरू होंगी। जैसे भोपाल में भेल की स्थापना के बाद गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में अधिकांश उसकी सहायक इकाइयां स्थापित की गई हैं। इसी प्रकार पीथमपुर में आयसर की सहायक यूनिट्स भी स्थापित की गई। सरकार का टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना पर भी काफी जोर है। उद्योग आयुक्त दिलीप कुमार के अनुसार एमएसएमई की इकाइयों में बड़े उद्योगों की तुलना में चार से पांच गुना अधिक रोजगार मिलता है।
पूरे प्रदेश में लैंडबैंक तैयार
अधिकारियों के अनुसार जीआईएस में एमएसएमई की अलग समिट का आयोजन किया जा रहा है। इसे देखते हुए पूरे प्रदेश में लैंडबैंक तैयार किया जा रहा है। खासतौर पर औद्योगिक दृष्टि से पिछड़े जिलों में नए औद्योगिक पार्क बनाए जा रहे हैं। निवाड़ी, टीकमगढ़, मऊगंज, सतना, आगरमालवा, सीहोर, खरगोन, बैतूल, सागर, बालाघाट, उज्जैन, रीवा, धार, कटनी जिलों में औद्योगिक पार्क विकसित किए जा रहे हैं। इन पार्कों में उद्योग शुरू होने से यहां विकास हो सकेगा। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में राज्य के प्रमुख 6 सेक्टर्स पर केंद्रित समिट के आयोजन की महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। यह पहली बार होगा जब हर सेक्टर के विशेषज्ञ, नीति-निर्माता और निवेशक एक मंच पर आकर विशेषज्ञ चर्चाओं, अवसरों और नीतिगत सुधारों पर संवाद करेंगे। इसमें सरकार की कोशिश है कि शहरी विकास, टूरिज्म, खनन, रिन्यूएबल एनर्जी, आईटी, और एमएसएमई में अधिक से अधिक निवेश हो। साथ ही सरकार मध्य प्रदेश के उन प्रवासियों को भी एमपी में निवेश के लिए प्रेरित करेगी, जो अन्य जगहों पर जाकर बस गए हैं। सीएम ने अपने जापान दौरे के दौरान इसके संकेत भी दिए थे, वहां उन्होंने मध्य प्रदेश के लोगों से मुलाकात की थी।
एमएसएमई सेक्टर राज्य की आर्थिक रीढ़
मप्र का एमएसएमई सेक्टर राज्य की आर्थिक रीढ़ है, जहां लाखों सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम कार्यरत हैं। वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट योजना, नए क्लस्टर और निर्यात प्रोत्साहन नीतियां इसे निवेश के लिए एक डेस्टिनेशन बना रही हैं। एमएसएमई समिट में उद्योगों को वित्तीय सहयोग, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और नए बाजारों तक पहुंच को लेकर चर्चा होगी। प्रवासी भारतीयों को प्रदेश के उद्योग, स्टार्ट-अप, पर्यटन, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहभागिता के लिए आमंत्रित किया गया है। यह समिट न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति में प्रवासी भारतीयों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा, बल्कि मध्यप्रदेश को वैश्विक निवेश का प्रमुख केंद्र बनाने की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। मध्यप्रदेश प्रवासी भारतीय समिट का उद्देश्य विश्वभर में बसे मध्यप्रदेश के प्रवासी भारतीयों को एक मंच पर लाना और उनकी उपलब्धियों को सम्मानित करने के साथ ही मध्यप्रदेश के विकास में प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर चर्चा की जाएगी। साथ ही समिट मध्यप्रदेश के प्रवासी भारतीयों को अपनी जड़ों से जुडऩे का महत्वपूर्ण अवसर भी मिलेगा। इन विभागीय समिट से सरकार मध्यप्रदेश में निवेशकों को सुरक्षित, पारदर्शी और उद्योग-अनुकूल वातावरण देने के लिए प्रतिबद्ध है। जीआईएस के इस नए स्वरूप से न केवल उद्योग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार और आर्थिक विकास के नए अवसर भी सृजित होंगे। मध्यप्रदेश अब सिर्फ निवेश का केंद्र नहीं, बल्कि भारत के औद्योगिक भविष्य का निर्माण करने वाला प्रमुख राज्य बन रहा है। मध्य प्रदेश सरकार की कोशिश है कि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट से कम से कम चार लाख करोड़ तक के निवेश प्रस्ताव आए। उद्योगपतियों को परेशानी ना हो और उन्हें लुभाने के लिए सरकार दनादन नई नीतियां ला रही है। ताकि बिना किसी परेशानी के उद्योगपति एमपी में अपने काम को आगे बढ़ाए। उसी का नतीजा रहा कि सीएम ने जापान से लौटते ही मध्य प्रदेश में सेमी कंडक्टर को लेकर नई पॉलिसी लाए। यह भारत में उभरता हुआ क्षेत्र है। इसमें निवेश की भी बड़ी संभावनाएं हैं। इससे पहले सात रीजनल इंडस्ट्री समिट से भी हजारों करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। कुछ उद्योगों के लिए जमीन भी आवंटित कर दी गई है।
महिला सशक्तिकरण सैद्धांतिक नहीं, कार्य रूप में परिणित करने का विषय : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
7 Feb, 2025 09:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि आज विश्व के कई देशों के लिए महिला सशक्तिकरण चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन भारत देश के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण प्राचीन काल से आराधना का विषय भी रहा है। हमारे भारतीय समाज में महिलाओं के लिए आदर कोई सैद्धांतिक विषय नहीं है, महिलाओं को सशक्त बनाने का संकल्प कार्य रूप में परिणित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के लिए एक तिहाई जनप्रतिनिधित्व पर जोर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार भी शासकीय सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर रही है। प्रदेश में नए-नए उद्योग आ रहे हैं, इनमें भी महिलाओं को बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है। रेडीमेड गारमेंट उद्योग में कार्य करने वाली बहनों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। लाड़ली लक्ष्मी और लाड़ली बहना योजना के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में बालिकाओं को विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं। सत्य साईं महिला महाविद्यालय जैसे उच्च शिक्षण संस्थान बधाई के पात्र हैं, जो नेशनल असेसमेंट एंड एक्रीडिटेशन कॉउंसिल (नैक) द्वारा ए प्लस ग्रेड प्राप्त है। इस महाविद्यालय की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होना एक विशेष उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को सत्य साईं महाविद्यालय, भेल भोपाल के स्वर्ण जयंती महोत्सव और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में शामिल होकर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाविद्यालय में ऑडिटोरियम निर्माण और आइ.टी. और ए.आइ रिसर्च लैब के लिए राज्य शासन द्वारा आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बहनों और बेटियों के बिना संसार सूना है। महिलाओं का सम्मान सर्वोपरि है। आज भारत पूरे विश्व को महिला सशक्तिकरण का संदेश भी दे रहा है। देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर जनजातीय समाज की बहन आसीन हैं। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के सम्मान और सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। हमारे राष्ट्र की संस्कृति प्राचीन समय से महिलाओं के सम्मान के कारण जानी जाती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अध्यात्म के क्षेत्र में रहते हुए पूज्य सत्य साईं महाराज ने उच्च शिक्षा को भी प्रोत्साहित किया। उनकी प्रेरणा से भोपाल में इस महाविद्यालय की स्थापना और प्रगति आनंद का विषय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सत्य साईं महाराज की इस वर्ष 23 नवम्बर को जन्मशती पर आंध्रप्रदेश के पुट्टपर्थी सहित विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। सनातन की ध्वजा धारण करने वाले महापुरूष समाज कल्याण के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वूपर्ण योगदान देते रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सम्पूर्ण महाविद्यालय परिवार को रजत जयंती महोत्सव के अवसर पर बधाई दी।
कार्यक्रम में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण, विमुक्त घुमक्कड़ और अर्द्धघुमन्तु राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर ने विभिन्न प्रतिभाओं को पुरस्कृत किया। प्रारंभ में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का पौधे भेंट कर स्वागत किया गया। महाविद्यालय की प्रगति का प्रतिवेदन प्राचार्य डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया। स्वर्ण जयंती महोत्सव में सत्य साईं संगठन के पदाधिकारी निमिष पंड्या, जम्मू भंडारी, मीना पिम्पलापुरे सहित शिक्षक-शिक्षिकाएं और छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित थीं।
समन्वित प्रयासों व आमजनों में जागरूकता से कैंसर का होगा निदान: उप मुख्यमंत्री शुक्ल
7 Feb, 2025 08:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि कैंसर की समय पर पहचान समुचित उपचार के लिये महत्वपूर्ण है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा कैंसर उपचार के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। शासकीय अस्पतालों के साथ ही निजी चिकित्सालय में इस बीमारी के विरूद्ध लड़ाई में सहभागी बन रहे हैं। सभी के समन्वित प्रयासों व आमजनों में जागरूकता से ही कैंसर मुक्त देश का मार्ग प्रशस्त होगा। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने रीवा में विश्व कैंसर दिवस के उपलक्ष्य में वॉकाथन रैली को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
नेशनल हास्पिटल रीवा के संयोजन में आयोजित रैली कलेक्ट्रेट परिसर में आरंभ होकर शहर के विभिन्न मार्गों से गुजरती हुई अटल पार्क में समाप्त हुई। रैली में कौशल विकास एवं रोजगार राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गौतम टेटवाल, विधायक मनगवां इंजी. नरेन्द्र प्रजापति, चिकित्सक तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।
20 फीसदी कम लागत में बनेगा अयोध्या बायपास प्रोजेक्ट
7 Feb, 2025 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग की योजनाओं-परियोजनाओं के लिए कंसलटेंट और इंजीनियरों द्वारा जो ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा रही है उसमें खामियां ही खामियां सामने आ रही हैं। ऐसा ही एक और मामला प्रकाश में आया है। एक और बड़े प्रोजेक्ट के खर्च का अनुमान गलत साबित हुआ है। राजधानी के अयोध्या बायपास प्रोजेक्ट की लागत का जो अनुमान लगाया गया है उससे 20 फीसदी कम में उसका निर्माण होगा।गौरतलब है कि लोक निर्माण विभाग अपनी परियोजनाओं के लिए निजी कंसलटेंट कंपनियों से डिटेल प्राजेक्ट रिपोर्ट बनवाता है। जानकारी के अनुसार कई परियोजनाओं की डिटेल प्राजेक्ट रिपोर्ट में कई खामियां सामने आ चुकी हैं।
836 करोड़ में होगा काम
राजधानी के एक और बड़े प्रोजेक्ट पर खर्च का अनुमान गलत साबित हुआ है। अधिकारियों ने जिस अयोध्या बायपास प्रोजेक्ट की लागत दस अरब रुपए से अधिक तय की थी, वो काम अब महज 836 करोड़ रुपए में हो रहा है। यह अनुमानित लागत से 20 फीसदी कम है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कंसलटेंट ने डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में और इंजीनियरों ने किस आधार पर योजना पर इतना अधिक खर्च होने का एस्टीमेट बना लिया। पीडब्ल्यूडी के ब्रिज सेक्शन ने मुबारकपुर चौराहा से मिसरोद तक रोड नेटवर्र्क और कनेक्टिविटी सुधारने का कॉन्सेप्ट प्लान बनाया था। मकसद यह था कि कहीं भी ट्रैफिक को रूकना न पड़े। रानी कमलापति और मुख्य रेलवे स्टेशन तक पीक अवर्स में भी दस मिनट में पहुंचा जा सके। पीडब्ल्यूडी ने प्रोजेक्ट पर तीन हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया था। इसमें 20 फ्लायओवर, आठ ब्रिज समेत अन्य निर्माण की जरूरत बताई गई थी। इसे तत्कालीन विधायक कृष्णा गौर को दिखाया था। फिर दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को इसका छोटा सा प्रेजेंटेशन दिया था। मंत्री ने इस प्रोजेक्ट पर आगे बढऩे की सैद्धांतिक सहमति दे दी थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों को मप्र पीडब्ल्यूडी के सहयोग से विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए थे।
अलग-अलग एजेंसी करेंगी काम
कॉन्सेप्ट प्लान पर विचार विमर्श के बाद अधिकारियों ने तय किया कि प्रोजेक्ट को दो हिस्सों में किया जाएगा। यह कार्य अलग-अलग एजेंसियां करेंगी। ऐसे में अयोध्या बायपास दस लेन प्रोजेक्ट का जिम्मा एनएचएआई को दिया गया है। केंद्र सरकार के इंडस्ट्रियल कॉरीडोर के तहत प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इसकी प्लानिंग की है। इसके केवल सिविल वर्क पर 1048 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया था। इससे भी कम लागत में एजेंसी पूरा प्रोजेक्ट करने के लिए फाइनल की जा चुकी है। रवि इंफ्राबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को प्रोजेक्ट का जिम्मा सौंपा गया है। कंपनी 836 करोड़ में यह कार्य करेगी। काम जल्द रफ्तार पकड़ेगा। यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि राज्य सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए 1219 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। वही मिसरोद-रत्नागिरी तिराहा कॉरीडोर का कार्य एनएच डिवीजन को दिया गया है। इसकी डीपीआर बनने के बाद ही लागत का अनुमान लगाया जा सकेगा।
20 लाख आबादी को सीधा फायदा
इस प्रोजेक्ट में रत्नागिरी से आसाराम तिराहा तक 16 किमी लंबे मौजूदा फोर लेन बायपास को 10 लेन किया जाएगा। करोंद चौराहा, पीपुल्स मॉल और मीनाल रेसीडेंसी के पास पलाय ओवर बनेंगे। टे्रफिक के दबाव को कम करने के लिए 18 अंडरपास का निर्माण किया जाएगा। अयोध्या बायपास दस लेन से 20 लाख आबादी को सीधा फायदा होगा। भोपाल-रायसेन एनएच 23 और भोपाल विदिशा मार्ग नेशनल हाइवे से जुड़ जाएगा। रत्नागिरी चौराहा से एयरपोर्ट जाने में अभी 50 मिनट लगते हैं। अयोध्या बायपास के दस लेन होने पर यह दूरी करीब 25 मिनट में तय की जा सकेगी। प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई भोपाल देवांश बुवाल का कहना है कि रवि इफाबिल्ड 836 करोड़ रुपए में यह प्रोजेक्ट कर रही है। हमने जितने खर्च का अनुमान लाया था, उसके मुकाबले कम लागत में कंपनी के काम के लिए तैयार होने की वजह प्रतिस्पर्धा है। हाइब्रिड एन्यूटी मोड पर यह प्रोजेक्ट किया जाएगा।
फिर नए अभियान की सुगबुगाहट शुरू वसूली के टारगेट नहीं हो पा रहे पूरे
7 Feb, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । राजस्व महाअभियान का द्वितीय चरण समाप्त होने के बाद ही अन्य अभियानों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है, लेकिन आरसीएमएस पोर्टल, सारा ऐप व अन्य तरह के पोर्टलों की धीमी गति पर किसी भी राजनीतिक प्रतिनिधि, मुख्यमंत्री या अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है। तकनीकी परेशानियां जहां पेंडेंसी बढ़ा रही हैं, वहीं तहसीलदार और पटवारियों, उच्च अधिकारियों पर गाज गिरने का कारण बन रही हैं।
नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन सहित राजस्व के विभिन्न मामलों के निराकरण को लेकर सरकार अब तक तीन बार महाअभियान छेड़ चुकी है। महाअभियान के दौरान प्राप्त आंकड़ों के आधार पर न केवल तेजी से प्रकरणों की सुनवाई की गई, बल्कि सीएम हेल्पलाइन सहित प्रदेश स्तर पर ग्रेडिंग सुधारने में इंदौर सफल भी हुआ, लेकिन इस दौरान फार्मा रजिस्ट्री, ईकेवाईसी और अन्य दायित्व तहसीलदार और पटवारी द्वारा पूरे नहीं करने पर गाज भी गिरी है। जहां कई अधिकारियों के मासिक वेतन की कटौती हुई, वहीं कारण बताओ नोटिस भी थमाए गए। उच्च अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार दिसंबर-जनवरी में चले राजस्व महाअभियान तृतीय चरण की तकनीकी खराबी अधिकारियों को बहुत महंगी पड़ी है। सर्वर पर काम नहीं होने से जहां वे परेशान होते रहे, वहीं उनका ट्रैक रिकार्ड भी बिगड़ा है। सरकार अब तकनीकी खराबियों में सुधार करने के बजाय एक और नया अभियान शुरू करने जा रही है। बताया जाता है कि मार्च महीने में एक और नया अभियान शुरू होने जा रहा है। इस दौरान तहसीलदार और पटवारियों को राजस्व वसूली का टारगेट दिया जाता है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर अब आवेदनों के निराकरण के साथ वसूली का भी प्रेशर रहेगा। वहीं दूसरी ओर सर्वर की परेशानी फिर सामने आएगी। दबी जुबान में अधिकारियों ने कहा कि काम करवाना है तो पहले तकनीकी खामियों को दूर किया जाए। ज्ञात हो कि सर्वर भी कमजोर होने के कारण अधिकारियों को दिन-रात बैठकर काम करना पड़ रहा है। देर रात जागकर अधिकारी पोर्टल पर काम कर रहे हैं।
बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी(मप्र): छात्रों को घर बैठे ई-मेल पर ही मिल जाएगी मार्कशीट, लागू हुई नई डिजिटल व्यवस्था
7 Feb, 2025 02:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने छात्रों के लिए बड़ा बदलाव किया है। छात्रों को मार्कशीट के लिए कॉलेज या विश्वविद्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। छात्र घर बैठे अपनी ई-मेल आईडी पर मार्कशीट प्राप्त कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था से न केवल छात्रों को दस्तावेज प्राप्त करने में आसानी होगी, बल्कि पर्यावरण को भी लाभ होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार हर साल 5 लाख से अधिक छात्रों को डिग्री और अन्य शैक्षणिक दस्तावेज देने में 140 क्विंटल कागज की खपत होती है।
डिजिटल प्रक्रिया से इस नुकसान को रोका जा सकेगा। इस नई व्यवस्था का लाभ लेने के लिए छात्रों को परीक्षा फॉर्म भरते समय अपनी ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। सही ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर देना अनिवार्य होगा, क्योंकि गलत जानकारी देने पर छात्रों को अपने दस्तावेज प्राप्त करने में परेशानी हो सकती है।
छात्रों को नहीं देना होगा अतिरिक्त शुल्क
बीयू प्रशासन का कहना है कि छात्रों को पढ़ाई और परीक्षा शुल्क के अलावा डिग्री के लिए अतिरिक्त शुल्क नहीं देना चाहिए। इसलिए अब डिग्री और अन्य दस्तावेज ई-मेल के जरिए निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे।
पर्यावरण को मिलेगा बड़ा लाभ
इस बदलाव का सबसे बड़ा लाभ पर्यावरण को होगा। हर साल हजारों पेड़ों को कटने से बचाया जा सकेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार 140 क्विंटल कागज की खपत में कमी आने से कागज उत्पादन में इस्तेमाल होने वाली ऊर्जा और पानी की भी बचत होगी। इतने कागज के लिए करीब साढ़े तीन हजार पेड़ों को काटना पड़ता है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए ये साल बड़ी खुशखबरी लेकर आया, सेवानिवृत्ति पर ग्रेच्युटी देगी सरकार, आया आदेश
7 Feb, 2025 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: मध्य प्रदेश के वन विभाग के कर्मचारियों के लिए यह साल बड़ी खुशखबरी लेकर आया है. आपको बता दें कि वन विभाग में स्थायी और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को रिटायरमेंट और मृत्यु पर अधिकतम 10 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिलेगी. जानकारी के लिए बता दें कि वन मुख्यालय की ओर से गुरुवार 6 फरवरी 2025 को यह नया नियम जारी किया गया. इसे ग्रेच्युटी एक्ट 2010 के तहत लागू किया गया है. कर्मचारी मंच लंबे समय से इसकी मांग कर रहा था. यह फैसला आने के बाद कर्मचारी काफी खुश हैं. इसके साथ ही अन्य विभागों में भी इसी तरह के बदलाव की उम्मीद है।
पहले मिलती थी इतनी ग्रेच्युटी
इस फैसले के आने से पहले वन विभाग में स्थायी कर्मचारियों और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी एक्ट 1972 के तहत रिटायरमेंट और मृत्यु पर 3 लाख 50 हजार रुपये की ग्रेच्युटी दी जा रही थी, लेकिन अब इसमें बढ़ोतरी कर दी गई है. केंद्र सरकार ने ग्रेच्युटी एक्ट 1972 की जगह नया ग्रेच्युटी एक्ट 2010 लागू किया है। इस बदलाव के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी के तौर पर 3.5 लाख की जगह अधिकतम 10 लाख रुपए देने का निर्देश है। यह नियम मध्य प्रदेश में 14 साल बाद लागू किया गया है।
जानिए क्या है ग्रेच्युटी
रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी एक तरह का बोनस है जो कर्मचारी को लंबी सर्विस के बाद मिलता है। इससे रिटायरमेंट के बाद जीवन यापन में मदद मिलती है या फिर परिवार के सदस्यों को आर्थिक सहायता मिलती है।
मंत्रिपरिषद का 3 साल पुराना फैसला अब तक लागू नहीं
7 Feb, 2025 12:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश में राज्य के कर्मचारियों की स्वास्थ्य बीमा योजना को लेकर लेतलाली सामने आई है। राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जितेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया है और योजना को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। सिंह ने पत्र में कहा है कि 4 जनवरी 2020 को मंत्रिपरिषद ने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन तीन साल बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है। वर्तमान में चिकित्सा प्रतिपूर्ति के नियमों के तहत जब प्रदेश, संभागीय या जिला बोर्ड द्वारा स्वीकृति जारी की जाती है, तो कर्मचारियों को कुल व्यय का मात्र 20 से 30 प्रतिशत ही मिल पाता है।
कर्मचारी संघ ने बताया कि अगर कोई कर्मचारी या अधिकारी खुद स्वास्थ्य बीमा कराता है, तो उसे सालाना 25 से 30 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं। मंत्रिपरिषद के निर्णय के अनुसार, न्यूनतम अंशदान के आधार पर स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने से सभी कर्मचारी, अधिकारी और पेंशनर्स सहमत हैं। कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि कोरोना काल के बाद गंभीर बीमारियों के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सेवारत कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना को तुरंत लागू किया जाए, जिससे उन्हें समय पर स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिल सके।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आईपीएस सर्विस मीट का दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया
7 Feb, 2025 12:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शुक्रवार को कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आईपीएस सर्विस मीट का दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ यादव ने मध्यप्रदेश पुलिस की सराहना की और कहा कि हमारी पुलिस समाज की सुरक्षा सेवा में 24 घंटे मुस्तैदी से कार्य कर रही है।
आईपीएस सर्विस मीट में सीएम डॉ मोहन यादव जी का उद्बोधन
पुलिस से बहुत प्रेम करता हूं, यह बहुत काम करते हैं : सीएम डॉ मोहन यादव
लोग यह कहते हैं कि मेरा पुलिस वालों से ज्यादा प्रेम है और यह सही भी है। पुलिस के लोग बहुत काम करते हैं। इसलिए मैं पुलिस से प्रेम करता हूं। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शुक्रवार को दो दिनी आईपीएस सर्विस मीट का शुभारंभ करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि संगठन बनाना और उसे चलाना दोनों ही बहुत ही कठिन काम हैं। यह मीट कार्यशाला की तरह है। यहां हम अपने पुलिस परिवार के साथ मिलते हैं। प्रशिक्षण का काम भी चलता है।
यह भी बोले सीएम
* पुलिस की शुरुआत मनोविज्ञान और मन स्थिति से होती है।
* मध्य प्रदेश पुलिस पर पूरे देश को गर्व है।
* मुख्यमंत्री ने आईपीएस अफसर से पूछा कि मीट को हिंदी में लिखना हो तो क्या लिखेंगे? जवाब मिला मीट में दिल मिलता है।
* जब सभी सीमाएं बंद हो जाती हैं तो लोग पुलिस के पास भागते हैं
* आपकी प्रशिक्षण की पद्धति भी बहुत अच्छी है।
* पुलिस को तुरंत एक्शन लेना होता है। तुलनात्मक रूप से पुलिस को ज्यादा काम करना पड़ता है। इसीलिए समाज में पुलिस पर अलग प्रकार का भरोसा है।
* यह जो आपको पावर मिला है इसका सही उपयोग किया जाना चाहिए।
* दक्षता में संवेदनशीलता भी होना चाहिए।
* अच्छे काम करने के लिए मन स्थिति अच्छी होनी चाहिए और यह शक्ति अगर किसी के पास है तो वह आईपीएस अफसर के पास होती है।
* आजकल कितने प्रकार की बातें होने लगी हैं। पुलिस के लेकर भी संकट की स्थिति बनने लगी है। लेकिन पुलिस को हर स्थिति में हालात को संभालना होता है।
* आपस में भले ही झगड़ा हो लेकिन बाहर के लोगों को झगड़े का एहसास नहीं होना चाहिए यही हमारे संस्कार का भाव है।
* कई जातियों को हमने क्रिमिनल जाति घोषित कर दिया है। ऐसा करने के पीछे बड़ा योगदान उनका है जिन्होंने हमें गुलाम बनाकर ऐसी स्थिति में छोड़ा है। वास्तव में ऐसी जाति के लोग भी बहुत ही कर्मठ होते हैं।
भोपाल पुलिस कमिश्नरेट के विभिन्न थाना क्षेत्रों में पुलिस द्वारा सायबर सुरक्षा "सेफ क्लिक" अभियान के तहत किया जनसंवाद
7 Feb, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज़न संवाद, नुक्कड़ नाटक, रैली इत्यादि माध्यमों से आमजनों को साइबर सुरक्षा के प्रति कर रहे जागरुक
भोपाल । पुलिस मुख्यालय के निर्देशानुसार दिनाँक 01/02/2025 से 11/02/2025 तक सायबर अपराध के संबंध में जागरुकता हेतु चलाये जा रहे सायबर सुरक्षा सेफ क्लिक अभियान के तारतम्य में पुलिस आयुक्त भोपाल श्री हरिनारायणाचारी मिश्र एवं अतिरिक्त पुलिस आयुक्त भोपाल श्री अवधेश गोस्वामी के दिशा निर्देशों पर भोपाल शहर के सभी थानों में सायबर सुरक्षा "सेफ क्लिक" अभियान चलाया जा रहा हैl आज थाना पिपलानी क्षेत्र अंतर्गत सायबर सुरक्षा(सेफ क्लिक) जागरुकता अभियान के तहत आज TIT कालेज पिपलानी में सायबर सुरक्षा "सेफ क्लिक" अभियान के तारतम्य में जनसंवाद किया गया, आम जनता को चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसे क्राइम की गंभीरता के बारे में समझाया गया तथा किस तरह इस स्कैम से बचना है इस बारे में भी अवेयर किया गया ।
साथ ही किसी भी अंजान मोबाइल नंबर से आए वीडियो एवं ऑडियो कॉल से होने वाले क्राइम के बारे में भी बताया गया तथा उनसे किस तरह बचाव किया जाए इस बारे में अवेयर किया गया एवं किसी के साथ सायबर फ्राड होंने पर तुरंत शिकायत करने के लिये हेल्पलाईन नं. 1930 एवं भोपाल पुलिस सायबर हैल्पलाइन नम्वर 9479990636 पर सूचित करने हेतु बताया गया। उक्त कार्यक्रम में एडिशनल डिप्टी कमिश्नर श्री शैलेंद्र सिंह चौहान थाना प्रभारी श्री अनुराग लाल कॉलेज का स्टाफ स्टूडेंट समेत लगभग 500 लोग मौजूद रहे।
बिना अनुमति अब 10 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ेगी फीस
7 Feb, 2025 11:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्यप्रदेश में निजी स्कूलों में बस किराया और ट्यूशन फीस को लेकर बड़ा अपडेट है। अब निजी स्कूल अलग से बस फीस नहीं ले पाएंगे और इसे भी वार्षिक का ही भाग माना जाएगा। मध्यप्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम-2024 सदन से पारित होने के बाद राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने मुहर लगा दी है। नए नियम के तहक बिना अनुमति अब 10त्न से अधिक फीस नहीं बढ़ेगी। 25000 से ज्यादा सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए जिला समिति की अनुमति लेनी होगी। इसी फीस में बस का शुल्क भी शामिल होगा। नई कानून पर राज्यपाल ने मुहर लगाई है। मध्यप्रदेश के 18000 स्कूल इसके दायरे में आएंगे। इस नए नियम से अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी।
यह विधेयक निजी स्कूलों की फीस नीति को नियमित करने और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न सिर्फ अभिभावकों के आर्थिक बोझ को कम करेगा, बल्कि शिक्षा में समानता और सभी बच्चों को शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित करेगा। सरकार के इस प्रयास से शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की उम्मीद है, जो छात्रों और अभिभावकों के हित में साबित हो सकते हैं। यह विधेयक निजी स्कूलों की फीस नीति को नियमित करने और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
माधव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने जारी होगी अधिसूचना
7 Feb, 2025 10:47 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि एमपी को जल्द ही 9वां टाइगर रिजर्व मिलने वाला है। केंद्र सरकार की स्वीकृति के बाद नए टाइगर रिजर्व की अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है। इसके लिए औपचारिकताएं पूरी करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। उन्होंने कहा कि नए टाइगर रिजर्व के बाद चंबल अंचल में भी वन्यजीवों की समृद्धि बढ़ेगी। इसके बाद देश भर में सबसे अधिक टाइगर रिजर्व वाले राज्यों की कैटेगरी में शामिल एमपी में एक और टाइगर रिजर्व बढ़ जाएगा। बुधवार को श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य से चीतों को खुले जंगल में छोडऩे के बाद सीएम यादव ने गुरूवार को कहा कि वन्यजीव संरक्षण में मध्यप्रदेश नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। माधव टाइगर अभयारण्य जल्द ही राज्य का 9वां टाइगर रिजर्व बनेगा। इससे चंबल अंचल में वन्यजीवों की समृद्धि बढ़ेगी। कूनो नेशनल पार्क से अभी तक 7 चीतों को जंगल में स्वछंद विचरण के लिये छोड़ा गया है। कूनो में वीरा के 2 नए शावकों को मिलाकर कुल 26 चीते हो गये हैं। इन चीतों की मॉनिटरिंग के लिये 2 दल गठित किए गए हैं।
कूनो में बुधवार को 5 और चीते छोड़े गए हैं। यह गर्व की बात है कि पहले छोड़े गए चीते न केवल शिकार कर रहे हैं, बल्कि कुशलता से जंगल में विचरण कर रहे हैं। प्रकृति और संतुलन की यह अनमोल झलक हमारे प्रदेश में दिख रही है। उन्होंने कहा कि राज्य को नया टाइगर अभयारण्य मिलने वाला है। माधव टाइगर रिजर्व की काफी हद तक औपचारिकता पूरी कर ली गई हैं। कल पालपुर कूनो में चीते छोड़े गए हैं। अब तक पांच चीते छोड़े जा चुके हैं। चीतों में परिवार परम्परा है। नर चीते साथ रहे थे। दो मादा और तीन नर चीते एमपी की आबोहवा में खुद को ढाल रहे हैं।
भोपाल सहित सभी जिलों में प्रदर्शन, पुरानी पेंशन समेत 51 मांगों को लेकर होगा विरोध
7 Feb, 2025 09:44 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन तेज होने जा रहा है। मध्य प्रदेश अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा ने आंदोलन के तीसरे चरण की घोषणा कर दी है। इसके तहत 7 फरवरी को राजधानी भोपाल में सतपुड़ा भवन और प्रदेश के सभी जिलों में कलेक्ट्रेट के सामने प्रदर्शन किया जाएगा।कर्मचारी संगठन 51 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं। प्रमुख मांगों में पुरानी पेंशन बहाली, लंबित महंगाई भत्ते का भुगतान, पदोन्नति पर लगी रोक हटाने, वाहन और गृह भत्ता बढ़ाने जैसी मांगें शामिल हैं। इसके अलावा अनुकंपा नियुक्ति में सीपीसीटी का बंधन हटाने, परिवीक्षा अवधि 2 वर्ष करने और पेंशन के लिए अर्हता सेवा 25 वर्ष करने की मांग भी की जा रही है।
आंदोलन का चौथा चरण 16 फरवरी को
आंदोलन का चौथा चरण 16 फरवरी को होगा, जिसमें प्रदेश के सभी जिलों से प्रतिनिधि भोपाल के आंबेडकर पार्क में एकत्रित होंगे। इस दौरान बड़ी सभा का आयोजन किया जाएगा, जिसे मोर्चा में शामिल सभी घटक संगठनों के प्रांताध्यक्ष और पदाधिकारी संबोधित करेंगे। कर्मचारी संगठन संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने, निगम-मंडल के कर्मचारियों को शासकीय सेवकों के समान लाभ देने और शिक्षकों को नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता देने जैसी महत्वपूर्ण मांगों को लेकर भी आवाज उठा रहे हैं। आंदोलन के अगले चरणों की घोषणा 16 फरवरी के बाद की जाएगी। भोपाल के आंबेडकर पार्क में कर्मचारी नेता इकट्ठे होंगे और आगे की रणनीति पर निर्णय लेंगे। मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष एमपी द्विवेदी बताते हैं कि 10 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है। सत्र के दौरान कर्मचारी बड़ा आंदोलन करने पर विचार कर रहे हैं। वे कहते हैं कि ये आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा। इस बार सरकार को मांगों पर ठोस निर्णय लेना ही पड़ेगा, क्योंकि कर्मचारी बहुत नाराज हैं।
कोर्ट के आदेश के एक माह बाद भी नहीं जारी हुए वेतन के आदेश, लाखों श्रमिक परेशान
7 Feb, 2025 08:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को नए वेतन आदेशों का इंतजार है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने इस मामले में श्रम आयुक्त को पत्र लिखकर तत्काल आदेश जारी करने की मांग की है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे के अनुसार, 1 अप्रैल 2024 को मुख्यमंत्री ने श्रमिकों के वेतन में 2,225 रुपए की वृद्धि की घोषणा की थी और इसके आदेश भी जारी किए गए थे।
इंदौर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद श्रम विभाग ने पुराने वेतन पर लौटने के निर्देश दे दिए थे। महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब इंदौर हाईकोर्ट ने 3 दिसंबर 2024 को वेतनवृद्धि के 1 अप्रैल 2024 को जारी किए गए आदेश को सही माना और पुन: उसी के अनुसार वेतन आदेश जारी करने के निर्देश दिए। लेकिन श्रम विभाग की ओर से अभी तक कोई नया आदेश जारी नहीं किया गया है।
कोर्ट के आदेश को दो महीना बीत जाने के बाद भी श्रमिकों को एरियर सहित बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है। इससे प्रदेश के लाखों दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों को पुरानी दर पर ही वेतन लेना पड़ रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी मंच ने मांग की है कि श्रम विभाग जल्द से जल्द नए वेतन आदेश जारी करे ताकि श्रमिकों को उनका वाजिब हक मिल सके।