मध्य प्रदेश
खंडवा में गलत रूट पर दौड़ने लगी डबल डेकर मालगाड़ी, टला बड़ा रेल हादसा
10 Feb, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खंडवा: रूट परिवर्तन के कारण एक डबल डेकर मालगाड़ी मध्य रेलवे के सीमावर्ती स्टेशन खंडवा पहुंच गई। यहां यार्ड में ओएचई की ऊंचाई डबल डेकर से कम होने पर ट्रेन को आउट स्टेशन पर रोक दिया गया। इससे बड़ा हादसा टल गया। बताया जा रहा है कि मध्य रेलवे ने मामले की संयुक्त जांच के आदेश जारी किए हैं। सोमवार सुबह 10:30 बजे से भुसावल में मंडल स्तर पर समीक्षा बैठक शुरू हो गई है। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में डीआरएम द्वारा समीक्षा की जा रही है।
18 स्टेशनों से होकर पहुंची
रविवार को आंध्र प्रदेश के पेनुकोंडा से गुड़गांव के फरुखनगर जा रही डबल डेकर मालगाड़ी जलगांव से गलत ट्रैक पर 18 स्टेशनों से होकर करीब 147 किमी दूर खंडवा पहुंच गई। यहां स्टेशन यार्ड में इस गलती का पता तब चला, जब डबल डेकर इंजन के पहले कोच की छत ओएचई से चिपक जाने के कारण बिजली आपूर्ति बंद हो गई। इससे हड़कंप मच गया। मालगाड़ी में करीब 66 करोड़ रुपए कीमत की 264 एसयूवी कारें लदी थीं।
ट्रेनों की आवाजाही पर कोई असर नहीं
मालगाड़ी के माल यार्ड के ट्रैक पर होने से ट्रेनों की आवाजाही पर कोई असर नहीं पड़ा। 6 फरवरी को पेनुकोंडा से रवाना हुई मालगाड़ी को जलगांव और अमलनेर होते हुए गुजरात-राजस्थान होते हुए हरियाणा के फरुखनगर पहुंचना था। रेलवे अधिकारियों की गलती के कारण मालगाड़ी हादसे के बाद करीब पांच घंटे तक खंडवा स्टेशन यार्ड में खड़ी रही।
मौके पर पहुंची टीआरडी की टीम
बताया जाता है कि रविवार दोपहर को मालगाड़ी भुसावल से खंडवा स्टेशन के होम सिग्नल से डाउन ट्रैक पर इटारसी की ओर जाने के लिए पहुंची थी। पिलर नंबर-567/6ए के पास पहले कोच का ऊपरी हिस्सा ओएचई से चिपकने लगा। इसकी सूचना मिलने पर टीआरडी की टीम मौके पर पहुंची। मौके पर जांच के बाद मालगाड़ी को वापस भेजने का निर्णय लिया गया और उसे वापस भुसावल भेजा गया।
आउटर से वापस भेजा गया
खंडवा रेलवे स्टेशन प्रबंधक अरविंद कुमार साहा ने बताया कि मालगाड़ी किस रूट से जाएगी। इसका निर्णय कंट्रोलर और उच्च स्तर पर लिया जाता है। खंडवा स्टेशन पर ओएचई लाइन की ऊंचाई कम होने के कारण वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद मालगाड़ी को आउटर से वापस भेजा गया। इससे ट्रेनों की आवाजाही पर कोई असर नहीं पड़ा।
भारतीय रेलवे महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं के सुगम आवागमन के लिए युद्धस्तर पर कार्यरत
10 Feb, 2025 06:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रयागराज क्षेत्र के आठों स्टेशन, जिनमें प्रयागराज जंक्शन शामिल है, पूरी तरह से संचालित हैं। रेलवे ने रविवार को 330 ट्रेनें और आज दोपहर 3 बजे तक 201 ट्रेनें चलाईं, ताकि तीर्थयात्रियों की भीड़ को संभाला जा सके।रेल मंत्री और रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने 12 जनवरी 2025 को होने वाले अगले अमृत स्नान, माघी पूर्णिमा के पहले तीर्थयात्रियों की भीड़ और रेलवे की तैयारियों की समीक्षा की।
भोपाल | लगातार भारी भीड़ के बावजूद, भारतीय रेलवे युद्धस्तर पर काम कर रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को महाकुंभ में लाने और स्नान के बाद उनके घर पहुंचाने की सुविधा प्रदान की जा सके। एक दिन पहले आई एक भ्रामक मीडिया रिपोर्ट का खंडन करते हुए, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया के माध्यम से जानकारी दी कि प्रयागराज क्षेत्र के आठ विभिन्न स्टेशनों से लगभग 330 ट्रेनों के माध्यम से 12 लाख 50 हजार यात्रियों को उनके घर पहुंचाया गया। भीड़ कम न होने के बावजूद, भारतीय रेलवे इन स्टेशनों से हर 4 मिनट में एक ट्रेन चलाकर यह सुनिश्चित कर रहा है कि श्रद्धालुओं को उनके पवित्र स्नान के बाद प्रतीक्षा न करनी पड़े।
अगले पवित्र माघी पूर्णिमा अमृत स्नान से पहले, एक रेक औसतन 3780 यात्रियों को एक बार में ले जा रही है, जो दर्शाता है कि भीड़ अभी भी कम नहीं हुई है। ज़ोनल और मंडल रेल अधिकारियों के साथ एक बैठक में स्थिति की समीक्षा करते हुए, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ, श्री सतीश कुमार ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि रेलवे द्वारा की जा रही सभी सेवाओं और प्रयासों को मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाए। उन्होंने बताया कि प्रयागराज जंक्शन सहित अन्य सात स्टेशन - प्रयागराज छिवकी, नैनी, सुबेदारगंज, प्रयाग, फाफामऊ, प्रयागराज रामबाग और झूंसी पूरी तरह से संचालित हैं।उन्होंने यह भी बताया कि केवल एक स्टेशन, प्रयागराज संगम, किसी भी अमृत स्नान से दो दिन पहले और दो दिन बाद बंद किया जाता है, जो एक सामान्य प्रक्रिया है। यह प्रयागराज जिला प्रशासन के सुझाव पर किया जाता है और ऐसा पहले के सभी अमृत स्नानों में भी किया गया है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।
श्री सतीश कुमार ने मीडिया और रेलवे के ज़ोनल और मंडल जनसंपर्क कार्यालयों से आग्रह किया कि वे रेलवे द्वारा श्रद्धालुओं को महाकुंभ नगरी तक पहुंचाने के लिए किए गए भारी प्रयासों को उजागर करें, विशेष रूप से आसपास के क्षेत्रों में यातायात बाधाओं की खबरों के बीच।
आज दोपहर 3 बजे तक आठ स्टेशनों से, जिनमें प्रमुख प्रयागराज जंक्शन भी शामिल है, 201 से अधिक विशेष और नियमित ट्रेनें 9 लाख से अधिक तीर्थयात्रियों को लेकर रवाना हो चुकी थीं।इससे पहले, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ श्री सतीश कुमार ने रेल भवन स्थित वॉर रूम में केंद्रीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव को प्रयागराज क्षेत्र में रेलवे की सेवाओं के सुचारू संचालन के बारे में जानकारी दी। वॉर रूम में सभी रेलवे स्टेशनों से सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हो रहे थे। दोनों ने भीड़ की वर्तमान स्थिति की समीक्षा की और माघी पूर्णिमा के अगले अमृत स्नान के लिए रेलवे की तैयारियों पर चर्चा की।
बाद में, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने मीडिया और आम जनता से अपील की कि वे प्रयागराज जंक्शन पर सेवाओं के प्रभावित होने के बारे में अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों पर विश्वास न करें। उन्होंने कहा कि तथ्यों को आसानी से सत्यापित किया जा सकता है, यदि आठ रेलवे स्टेशनों का दौरा किया जाए, जहां मेले की विशेष ट्रेनें, महाकुंभ के लोगो के साथ सजी हुई, दिन-रात चल रही हैं।भारतीय रेलवे द्वारा सामान्य दिनों में 330 ट्रेनें चलाना, भारत की जनता के प्रति इसकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। यह संख्या पिछले महीने मौनी अमावस्या के दौरान चलाई गई 360 ट्रेनों के लगभग बराबर है, जब भीड़ अपने ऐतिहासिक शिखर पर थी।यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे रेलवे के आधिकारिक स्रोतों से नवीनतम अपडेट प्राप्त करें और भ्रामक सूचनाओं से बचें।
मोहन सरकार करेगी खर्च में कटौती, आखिर क्या है बजट प्लान?
10 Feb, 2025 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: केंद्रीय बजट के बाद राज्य सरकार में भी खजाने का हिसाब-किताब बढ़ गया है। कमाऊ विभागों पर फोकस ज्यादा है। खर्च कम करने के लिए भी हिसाब-किताब किया जा रहा है। अनावश्यक खर्चों में भी कटौती की जा रही है। दूसरी ओर यह भी तय किया गया है कि जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए खजाना खुला रहेगा, वहीं सरकार ने उन योजनाओं को बजट नहीं देने का भी फैसला किया है, जो अपनी उपयोगिता खो चुकी हैं। इससे जो बजट बचेगा, उसका इस्तेमाल दूसरे कामों में किया जाएगा। सरकार 10 मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में बजट पेश करेगी। यह चार लाख करोड़ तक हो सकता है। विभागों से प्रस्ताव मांगे गए हैं।
कर्ज का बोझ कम करने को लेकर जोर
चालू वित्तीय वर्ष में बजट 3.65 लाख करोड़ का है। राज्य पर इससे ज्यादा का कर्ज है। कर्ज का बोझ कम करने को लेकर सरकार चिंतित है। इसलिए आय बढ़ाने के साधनों पर मंथन चल रहा है। सीएम पहले ही कमाऊ विभागों से चर्चा कर चुके हैं। आम आदमी का भी ख्याल रखा जा रहा है। युवाओं, महिलाओं, गरीबों, किसानों के लिए अलग-अलग प्रावधान किए जा रहे हैं। सरकार इन वर्गों के लिए अलग-अलग मिशन भी चला रही है। इस वर्ग के लिए चलाई जा रही योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया जा रहा है। केंद्रीय योजनाओं का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त राज्यांश भी रखा जाएगा। वहीं वित्त विभाग ने विभागों को समान प्रकृति की योजनाओं को मर्ज करने पर विचार करने के निर्देश दिए हैं। जिन योजनाओं के लक्ष्य पूरे हो चुके हैं, उन्हें बंद करने को कहा गया है। इन योजनाओं के लिए वित्त विभाग बजट नहीं देगा। अंतिम निर्णय सीएम स्तर पर लिया जाएगा।
एम्स पहुंचकर हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाले डॉक्टर और मरीज से मिले माननीय सीएम डॉ मोहन यादव
10 Feb, 2025 02:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देहदान करने वाले को मिलेगा राजकीय सम्मान : सीएम डॉ मोहन यादव
भोपाल: प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में अंग प्रत्यारोपण के लिए संसाधन जुटाए जाएंगे। प्रत्यारोपण के लिए एक राज्य स्तरीय संस्थान की स्थापना भी की जाएगी। अंग प्रत्यारोपण और देहदान को लेकर गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा। जिससे चिकित्सा विद्यार्थियों को सीखने की सुविधा मिल सके और उनकी नींव मजबूत हो सके। देहदान करने वाले व्यक्ति की अंत्येष्टि राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोमवार को राजधानी भोपाल के एम्स अस्पताल पहुंचकर हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाली डॉक्टर्स टीम से मुलाकात की। सीएम डॉ यादव ने ट्रांसप्लांट के मरीज दिनेश मालवीय से भी मुलाकात की और उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की। गौरतलब है कि एम्स भोपाल की यह पहली ट्रांसप्लांट सर्जरी है। मरीज दिनेश करीब दो साल से बीमार थे। उनका हृदय सिकुड़ रहा था और वह मात्र 20% काम करने तक की स्थिति तक पहुंच गया था। उन्हें 22 जनवरी को एम्स में एडमिट किया गया था। 23 जनवरी को उनका हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया। जिसके बाद सोमवार को उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
सीएम ने कहा
• एम्स की सर्जरी टीम बधाई की पात्र है। इनकी सफल पारी के लिए शुभकामनाएं
• सरकार की कोशिश है कि प्रदेश में इस तरह की चिकित्सा सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाएगा
• प्रदेश सरकार ने यहां के बाशिंदों की सुविधा के लिए एयर एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई है
• हाल ही में बालाघाट की 4 साल की बच्ची को एयर लिफ्ट किया गया है
• बीमारी के हालात में समय कीमती होता है। दूरदराज के इलाकों से आवागमन दूभर हो जाता है
अंगदान/देहदान को लेकर बोले
अंगदान करने वाले व्यक्ति का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा
प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण से संबंधित राज्यस्तरीय संस्थान की स्थापना की जाएगी
अंगदान करने वाले व्यक्ति के परिवार को आयुष्मान कार्ड प्रदाय किया जाएगा
अंगदान करने वाले व्यक्तियों के परिवारों को राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया जाएगा
प्रदेश के सभी मेडीकल कालेजों में अंगदान व अंग प्रत्यारोपण की सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी
पीएम की पाठशाला पर कहा
यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने विद्यार्थियों को संबल देने का काम किया
शिक्षा ही आखिरी हल नहीं है। पूरा जीवन ही एक परीक्षा है
मप्र में तबादलों का दौर जारी, प्रदेश आइएएस कैडर में 379 अफसर, 45 केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर
10 Feb, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: मोहन सरकार ने 13 महीने के कार्यकाल में करीब 42 तबादला आदेश जारी कर 277 आईएएस अफसरों की जिम्मेदारी बदल दी। इसके बाद भी प्रशासनिक सर्जरी अभी बाकी है। तबादले होने वाले अफसरों में करीब 5 फीसदी ऐसे हैं, जिनकी जिम्मेदारी दो से चार बार बदली जा चुकी है। कुछ पर तबादले की तलवार अभी भी लटकी हुई है। सबसे ज्यादा 186 अफसरों का तबादला 10 महीने तक मुख्य सचिव रहीं वीरा राणा के कार्यकाल में हुआ था, जबकि मौजूदा मुख्य सचिव के चार महीने के कार्यकाल में 91 का तबादला हुआ।
बता दें कि मध्य प्रदेश आईएएस कैडर में अभी 379 अफसर हैं। इनमें से करीब 45 केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं और 334 कार्यरत हैं। इनमें से तबादले भी किए गए हैं। हालांकि एक साल पहले यह संख्या ज्यादा थी, जो रिटायरमेंट के चलते कम होती जा रही है। जनवरी 2024 में उन्हें गृह से नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया, साथ ही जल संसाधन व अन्य की जिम्मेदारी भी दी गई। जून 2024 में उन्हें मुख्यमंत्री का एसीएस बनाया गया। वे अंत तक सीएस की दौड़ में प्रभावी रूप से बने रहे। अब उन्हें सीएम का सबसे करीबी माना जाता है। बताया जाता है कि पिछली सरकारों में भी डॉ. राजौरा मुख्यमंत्रियों की गुड लिस्ट में रहे।
पीएस संजय शुक्ला की जिम्मेदारी बार-बार बदली
जून 2024 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रमुख सचिव बनाया गया। इससे पहले उन्हें जनवरी 2024 में प्रमुख सचिव पीएचई से प्रमुख सचिव राज्यपाल, मार्च 2024 में प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास की जिम्मेदारी दी गई। नवंबर 2024 में नगरीय विकास एवं आवास विभाग भेजा गया। इस दौरान अन्य जिम्मेदारियां भी दी गईं। माना जा रहा है कि शुक्ला की जिम्मेदारी बार-बार बदली गई।
एसीएस संजय दुबे को गृह से वापस बुलाया गया
वे लंबे समय तक ऊर्जा विभाग में प्रमुख सचिव रहे। जनवरी 2024 में उन्हें गृह भेजा गया, जहां से अगस्त 2024 में हटाकर जीएडी की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें अन्य विभागों का प्रभार भी दिया गया। मोहन सरकार ने उन्हें गृह विभाग में लंबी पारी नहीं खेलने दी।
केंद्र में रहे कन्याल के चार तबादले
जनवरी 2024 में किशोर कन्याल को शाजापुर कलेक्टर से हटाकर मप्र शासन में उप सचिव बनाया गया। इसी महीने उन्हें उप सचिव मप्र शासन से उप सचिव वन बनाकर भेजा गया, अक्टूबर 2024 में उन्हें श्योपुर कलेक्टर बनाया गया, जनवरी 2025 में उन्हें श्योपुर से हटाकर गुना कलेक्टर की जिम्मेदारी दी गई। मोहन सरकार में कन्याल के ताबड़तोड़ तबादले होते रहे, जबकि कई आईएएस प्रतीक्षा में रहे।
ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ एसीएस मनु श्रीवास्तव लूप लाइन में
जनवरी 2024 में उन्हें तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास से ऊर्जा में भेजा गया, नवंबर 2024 में उन्हें यहां से हटाकर अक्षय ऊर्जा विभाग उनके पास ही रह गया। इसके साथ ही उन्हें खेल एवं युवा कल्याण की जिम्मेदारी दी गई, जबकि वे ऊर्जा क्षेत्र के अनुभवी अधिकारी माने जाते हैं।
कंसोटिया की वापसी
शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए अक्टूबर 2022 में उन्हें पशुपालन एवं डेयरी से वन विभाग में भेज दिया। मोहन सरकार ने सीएस राणा के समय उन्हें मंत्रालय से हटाकर जून 2024 में प्रशासन अकादमी में भेज दिया। सूत्रों के अनुसार सीएस अनुराग जैन ने जनवरी 2025 में उन्हें गृह विभाग का प्रशासनिक मुखिया बना दिया।
मप्र: यूपी जाने वाले मार्गों पर आज 30 से लेकर 50 कि.मी तक लंबा जाम, सीएम मोहन ने प्रशासन को किया अलर्ट
10 Feb, 2025 01:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में एक बार फिर आस्था की लहर उमड़ पड़ी है. हालात ये हैं कि लोगों को महाकुंभ स्थल पर खड़े होने की जगह नहीं मिल पा रही है और प्रयागराज की ओर जाने वाली सड़कें आसपास के राज्यों तक बुरी तरह जाम हैं. सोमवार को सामने आई जानकारी के मुताबिक आज मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से उत्तर प्रदेश जाने वाली सड़कों पर 30 से 50 किलोमीटर लंबा जाम लगा हुआ है. हालात ये हैं कि कई रास्तों पर लोग 10 घंटे से भी ज्यादा समय से एक ही जगह पर भूखे-प्यासे खड़े हैं. अब इस महाजाम को देखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एमपी में बिगड़ते हालात को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. उत्तर प्रदेश से सटे एमपी राज्य में ट्रैफिक जाम की स्थिति शायद सबसे भयावह हो गई है।
यहां हालात ये हैं कि मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक उत्तर प्रदेश जाने वाले सभी रास्ते पूरी तरह से वाहनों से भरे हुए हैं. खासकर प्रयागराज जाने वाली सड़कों जैसे जबलपुर-कटनी-रीवा-सतना-सिवनी जिलों पर 30 से 50 किलोमीटर तक लंबा जाम लगा हुआ है। हजारों वाहन सड़कों पर बुरी तरह फंसे हुए हैं। बिगड़ते यातायात के हालात को देखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही श्रद्धालुओं से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा दिए जा रहे निर्देशों का सहयोग करने की अपील भी की गई है।
बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे ज्यादा परेशानी में
एमपी सीएम मोहन यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट कर लिखा- 'प्रयागराज महाकुंभ 2025 में शामिल होने जा रहे प्रदेश और अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के कारण चाकघाट (रीवा) से जबलपुर-कटनी-सिवनी जिले तक यातायात प्रभावित होने के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया है, वाहनों में ज्यादातर बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।'
'श्रद्धालुओं को सुविधाएं मुहैया कराएं अधिकारी'
सीएम ने यह भी लिखा- 'इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी जिला प्रशासन और नगरीय निकाय अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निर्देशित किया गया है कि वे श्रद्धालुओं सहित सभी प्रभावित लोगों के लिए भोजन, पानी, उचित आवास, शौचालय और अन्य नागरिक सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था करें। सभी श्रद्धालुओं से मेरा विनम्र अनुरोध है कि आप भी यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने में प्रशासन का सहयोग करें।'
जिला प्रशासन ने जिले में भिक्षावृत्ति पर रोक लगाई
10 Feb, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर राजधानी की सडक़ों से लेकर प्रमुख मार्गों को सजाने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस बीच जिला प्रशासन ने जिले में भिक्षावृत्ति पर रोक लगा दी है। प्रशासन के अनुसार भिक्षुक शहर के प्रमुख चौराहों पर खड़े होकर यातायात में व्यवधान पैदा करने के अलावा शहर की छवि को बिगाड़ रहे थे। जिला प्रशासन के आदेश के बाद राजधानी के प्रमुख चौराहों से भिखारी गायब हो गए हैं। उनके लिए भिक्षुक गृह तैयार किया है, लेकिन वहां एक भी भिखारी नहीं पहुंचा है।
दरअसल, भोपाल जिला प्रशासन ने भिखारियों को खदेडऩे में जितनी तेजी दिखाई है। उसकी खासी चर्चा है। जिसकी वजह यह बताई जा रही है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान देशी, विदेशी निवेशक शहर के प्रमुख चौराहों से गुजरेंगे। शहर का भ्रमण करेंगे। इस दौरान चौराहों एवं प्रमुख मार्गों पर भिखारी दिखने से शहर की छवि बिगड़ेगी। यही वजह है कि कलेक्टर ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 (2) एवं धारा 223 के तहत भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध के आदेश कर दिए हैं। जिसके तहत भिक्षा देने या भिखारी से कोई सामान खरीदने पर भी जेल जाना पड़ेगा। कलेक्टर के इस आदेश के बाद निगमायुक्त भोपाल ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कोलार स्थित आश्रय स्थल को भिक्षुक गृह घोषित किया है। वहां कोई भिखारी नहीं पहुंचा है।
अफसरों की टीम पकड़ेगी भिखारी
ट्रैफिक सिग्नल, चौराहों, धार्मिक स्थलों, पर्यटन स्थलों एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भिक्षावृत्ति पर रोक लगाए जाने के बाद भोपाल जिलाधीश कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने एक टीम गठित की है। जो प्रमुख स्थलों, ट्रैफिक सिग्नल, धार्मिक स्थलों पर भिक्षावृत्ति करने एवं भिक्षा देने वालों की वीडियोग्राफी / फोटोग्राफी कर संबंधित के विरूद्ध पुलिस में कार्यवाही करवाएगी। साथ ही भिक्षुकों को पकडक़र आश्रय स्थल भिजवाएंगे। टीम में आरके सिंह संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय विभाग, रणवीर कुमार अपर आयुक्त नगर निगम, सुनील सोलंकी जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास एवं सुधीर कुमार श्रीवास्तव सहायक आयुक्त आदिम जाति कल्याण विभाग को जिला स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
लोक कल्याण सरोवर से किसानों को होगा दोहरा लाभ
10 Feb, 2025 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। मप्र में अब 5 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली सडक़ का निर्माण करने पर तालाब बनाना अनिवार्य होगा। वहीं इस तालाब से निकले खनिज का इस्तेमाल सडक़ों के निर्माण में किया जाएगा। इसके मद्देनजर मप्र सरकार अब लोक कल्याण सरोवर योजना लॉन्च करने जा रही है।
इस योजना से किसानों को दोहरा लाभ मिलेगा। यदि किसी किसान की जमीन निर्माणधीन सडक़ की जद में उनकी जमीन आती है, तो जितनी जमीन सरकार लेगी उसकी मोटा मुआवजा देगी। वहीं किसान के जमीन के आसपास तालाब बनने से फसलों का दोगुना उत्पादन होगा।
इन जिलों में सडक़ निर्माण के दौरान बनाए तालाब
रीवा, सीधी, सतना, शहडोल, देवास, खंडवा, सीहोर, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, टीकमगढ़, अलीराजपुर, नीमच, उज्जैन, बुरहानपुर, सिवनी, खरगोन में सडक़ निर्माण के दौरान तालाब की खुदाई की गई है। जब सडक़ का निर्माण होता है, तो बड़ी मात्रा में ठेकेदार को मिट्टी, गिट्टी और मलबे की जरूरत होती है। ऐसे में ठेकेदारों को सरकार द्वारा तय की जगह से खनिज निकालने के एवज में रॉयल्टी देनी पड़ती है। अब सरकार लोक कल्याण सरोवर योजना के माध्यम से इस रॉयल्टी में सडक़ ठेकेदारों को छूट देने जा रही है। जिससे कि इस योजना को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके साथ ही सरकार खनिज के परिवहन का खर्च देने पर भी विचार कर रही है। इससे जहां सडक़ निर्माण की लागत कम होगी वहीं किसानों की आय दोगुना होगी।
प्रदेश के 17 जिलों में बन गए ऐसे 50 तालाब
पीडब्ल्यूडी के ईएनसी केपीएस राणा ने बताया कि सीधी जिले में एक सडक़ ठेकेदार ने मिट्टी और मुरम निकालने के खनिज विभाग से अनुमति ली थी। उसने जहां से खोदाई की, वहां तालाब बन गया। इसके आसपास मुंडेर बनाकर उसमें पेड़-पौधे भी लगा दिए। जिसके बाद ऐसे ही ठेकेदारों को प्रदेश के 17 जिलों में 50 तालाब बनाने के लिए प्रोत्साहित किया गया। अब इस योजना को पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी है।
समीक्षा के आधार पर तय होगा वर्तमान अध्यक्षों का भविष्य
10 Feb, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अब मोर्चा और प्रकोष्ठ की समीक्षा करने जा रहे हैं। कौन-सा मोर्चा सक्रिय हैं और कौन-सा नहीं, इसको लेकर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उस आधार पर इनमें बदलाव किया जाएगा। वैसे भी अधिकांश मोर्चा और प्रकोष्ठ ठंडे पड़े हुए हैं।
कोई भी पार्टी अपने साथ मोर्चा और प्रकोष्ठ के माध्यम से ऐसे वर्ग को जोडऩे की कोशिश करती है, जो राजनीतिक आयोजनों से दूर रहता है या फिर राजनीति से कोई मतलब नहीं रखता। जातिगत, पेशेवर और युवाओं तथा महिलाओं को पार्टी से जोडऩे के लिए इस प्रकार के मोर्चा-प्रकोष्ठ बनाए जाते हैं, लेकिन ये भी राजनीतिक गुटबाजी में बंधकर रह जाते हैं। इसी को लेकर अब प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी मोर्चा और प्रकोष्ठ के कामों की समीक्षा कर रहे है। सभी मोर्चा और प्रकोष्ठ पूर्व मुख्यमंत्री और अध्यक्ष कमलनाथ के समय से बने हुए हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश निष्क्रिय हैं। पटवारी का मानना है कि जिस उद्देश्य के साथ इनका गठन किया जाता है, उसको लेकर कोई प्रयास नहीं किए जाते और संगठन से नए लोग नहीं जुड़ते हैं। संगठन की मजबूती के क्रम में यह काम किया जाएगा। जल्द ही समीक्षा पूरी करने के बाद इन मोर्चा-प्रकोष्ठों में नए चेहनों को शामिल किया जाएगा। वैसे पटवारी द्वारा प्रदेश कार्यकारिणी, प्रवक्ता या अन्य नियुक्तियों के मामलों में जिस तरह से बवाल मचा था, उससे पटवारी ही नहीं चाहते कि इन नियुक्तियों में कोई जल्दबाजी हो।
जातीय समीकरण बैठाने में जुटी पार्टी
10 Feb, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मप्र में नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम तय होना है। जिसके लिए प्रक्रिया तो जारी है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल लगातार हो रही देरी से उठ रहा है। क्योंकि काफी मशक्कत के बाद भाजपा ने जिला अध्यक्षों की घोषणा तो कर दी लेकिन प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में देरी क्यों हो रही है। हालांकि, भाजपा का कहना है कि फिलहाल पार्टी की प्राथमिकता दिल्ली विधानसभा चुनाव है, जिसके तुरंत बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चुन लिया जाएगा। अब सवाल यह है कि पार्टी इस बार अध्यक्ष पद के लिए क्या फॉर्मूला तय करती है? भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो एमपी भाजपा अध्यक्ष के लिए पार्टी अपने पुराने और आजमाए हुए फॉर्मूले पर ही भरोसा करने वाली है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में भाजपा ने साल 2003 के विधानसभा चुनाव में 10 सालों की कांग्रेस सरकार को हटाकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। तब जिस फॉर्मूले पर भारतीय जनता पार्टी ने काम किया, उसने भाजपा को मध्यप्रदेश में बेहद मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया। यह फॉर्मूला था ओबीसी मुख्यमंत्री और सवर्ण प्रदेश अध्यक्ष का। 2003 में उमा भारती को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था जो ओबीसी वर्ग से आती हैं। उमा भारती के बाद बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान और अब मोहन यादव एमपी के मुख्यमंत्री बने और यह चारों ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं, इन सभी मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में भाजपा के संगठन की जिम्मेदारी यानी प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा कैलाश जोशी, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रभात झा, नंदकुमार सिंह चौहान, राकेश सिंह और वीडी शर्मा को मिला जो सभी सवर्ण वर्ग से आते हैं।
जातिगत फैक्टर हो सकता है टर्निंग पॉइंट
ओबीसी सीएम वाली सरकार और सामान्य वर्ग वाला प्रदेश अध्यक्ष बनाकर 2003 से भाजपा ने सत्ता और संगठन में जो संतुलन बनाया, उसने एमपी भाजपा को देश का सबसे मजबूत संगठन बना दिया और माना जा रहा है कि भाजपा इसी फॉर्मूले पर इस बार भी भरोसा करने जा रही है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि जातिगत समीकरण किस वर्ग के लिए सटीक बैठने की संभावना है।
ब्राह्मण
भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जो ब्राह्मण वर्ग से आते हैं, उनका कार्यकाल पूरा हो चुका है। सियासी गलियारों की मानें तो वीडी शर्मा को कोई नई जिम्मेदारी देकर एमपी में वीडी शर्मा की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। ऐसे में ब्राह्मण वर्ग से जो नाम रेस में हैं- उनमें पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला और विधायक रामेश्वर शर्मा का नाम सामने आ रहा है। जातिगत समीकरणों की बात करें तो फिलहाल मोहन कैबिनेट में सबसे कम भागीदारी ब्राह्मण वर्ग की है, जिसमें सिर्फ दो मंत्री शामिल हैं। राजेंद्र शुक्ला और राकेश शुक्ला। विधानसभा चुनाव के नतीजे आए थे तो भाजपा के 27 ब्राह्मण विधायक चुनाव जीते थे लेकिन सरकार में भागीदारी के मामले में यह वर्ग पीछे रह गया। अब जब 2027 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं तो पड़ोसी राज्य में ब्राह्मण को एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा एमपी और यूपी के सवर्णों को खुश करने की कोशिश कर सकती है। दूसरी तरफ, सरकार में ब्राह्मणों की कम भागीदारी से सवर्णों की नाराजगी का जो डर भाजपा की सता रहा है, उससे भी उसे छुटकारा मिल सकता है।
क्षत्रिय
2003 के बाद से लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष बनने की जिम्मेदारी एमपी भाजपा के क्षत्रिय वर्ग से आने वाले नेताओं को ही मिली है। नरेंद्र सिंह तोमर, नंदकुमार सिंह चौहान और राकेश सिंह। वर्तमान में मोहन कैबिनेट की बात करें तो इसमें 4 मंत्री क्षत्रिय वर्ग से आते हैं- जिनमें राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह, गोविंद सिंह राजपूत और प्रद्युम्न सिंह तोमर शामिल हैं। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर हैं जो क्षत्रिय वर्ग से आते हैं। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भाजपा ने किरण देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एमपी में संदेश लगभग साफ कर दिया है कि यहां इस वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनेगा।
वैश्य
बीते कुछ दिनों में जो नाम तेजी से प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी के रूप में उभरा है- उनमें हेमंत खंडेलवाल का नाम है जो वैश्य समाज से आते हैं। मोहन कैबिनेट में फिलहाल 2 वैश्य वर्ग से आने वाले मंत्री हैं- कैलाश विजयवर्गीय और चेतन कश्यप। ऐसे में देखना यह है कि क्या सीएम की पसंद कहे जा रहे हेमंत खंडेलवाल को जिम्मेदारी मिलती है या नहीं?
अनुसूचित जाति
मोहन कैबिनेट में अनुसूचित जाति के मंत्रियों की संख्या 4 है और एक डिप्टी सीएम हैं- जगदीश देवड़ा। जाहिर है सरकार में इस वर्ग की भागीदारी बेहतर है, इसलिए 2003 फॉर्मूले में यह वर्ग फिट नहीं बैठता। हालांकि, जिस तरह से अंबेडकर के नाम पर इन दिनों सियासी माहौल बना हुआ है, माना जा रहा है कि भाजपा एससी वर्ग को अपने पाले में करने के लिए किसी एससी वर्ग के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दांव चल सकती है। अगर ऐसा होता है तो लाल सिंह आर्य का नाम सबसे ऊपर आ जाएगा जो भाजपा एससी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
ओबीसी
मध्यप्रदेश में 2003 के बाद से ही भाजपा ने ओबीसी वर्ग से ही मुख्यमंत्री बनाया है और वर्तमान में ओबीसी वर्ग से आने वाले मोहन यादव सीएम हैं। वहीं, दूसरी तरफ उनकी कैबिनेट में 8 से ज्यादा मंत्री ओबीसी वर्ग से आते हैं। दूसरी तरफ, 2003 के फॉर्मूले को देखें तो ओबीसी सीएम और सामान्य वर्ग से प्रदेश अध्यक्ष बनाने का नियम रहा है, ऐसे में अगला प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी वर्ग से बनने के आसार न के बराबर हैं।
अनुसूचित जनजाति
वर्तमान में मोहन कैबिनेट में अनुसूचित जनजाति वर्ग से 5 मंत्री बने हुए हैं। एमपी में 47 एसटी सीटें हैं, जबकि दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर अनुसूचित जाति ही हार या जीत का फैसला करती है। जाहिर है यह एक बड़ा वोट बैंक है और इसे साधने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लिए एसटी चेहरे पर भी दांव चल सकती है। अगर ऐसा होता है तो सुमेर सिंह सोलंकी, दुर्गादास उइके (मोदी कैबिनेट में मंत्री)और गजेंद्र पटेल का नाम ऊपर आ सकता है।
जातिगत समीकरण और अनुभव को दी जाएगी तवज्जो
मध्यप्रदेश भाजपा के संगठन से जुड़े सूत्रों की मानें को दिल्ली आलाकमान ने कुछ बातें पहले से ही साफ कर दी हैं, जिनके आधार पर ही अगले प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। इसके लिए सीएम मोहन यादव की पसंद का भी ध्यान रखा जाएगा, क्योंकि सत्ता और सरकार के बीच तालमेल बनाए रखना सबसे अहम कड़ी होगी। इसके अलावा नेता ऐसा हो जिससे जातिगत समीकरणों को साधने में सहूलियत तो हो ही, वहीं नेता इतना अनुभवी भी हो कि वो भाजपा की रीढ़ कहे जाने वाले संगठन को बखूबी लीड कर सके
25 घायल, कार को बचाने की कोशिश में हुआ हादसा, कार भी हुई क्षतिग्रस्त
10 Feb, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल। राजधानी के मिसरोद थाना इलाके में भोपाल-नर्मदापुरम हाईवे पर देर रात भीषण हादसा हो गया। यहॉ उज्जैन से वाराणसी जा रही रमाशिव ट्रेवल्स की बस रात करीब साढ़े 12 बजे सागर हॉस्पिटल के पास डिवाइडर से टकराकर पलट गई। घटना के समय बस में करीब 50 यात्री सवार थे। एक्सीडेंट में कोई जनहानि की सूचना नहीं है, लेकिन 25 यात्री गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मौके पर मौजूद लोगो ने बताया की बस के पीछे से आ रही है, एक क्रेटा कार कार अचानक कट मारकर ओवरटेक करते हुए बस के सामने आ गई, जिसे बचाने के प्रयास में बस डिवाइडर से टकरा कर पलट गई। मौके पर मौजूद लोगो ने फौरन ही बस का शीशा तोड़कर भीतर फंसे लोगो को बाहर निकालना शुरू कर दिया। लोगो का कहना है कि एक्सीडेंट के बाद क्रेटा कार भी बुरी तहर क्षतिग्रस्त हो गई, उसमें से तीन लोग निकलकर मौके से भाग गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने एंबुलेस की मदद से घायल यात्रियों को दो निजी अस्पतालो सहित एम्स पहुंचाया है। बस में सवार एक यात्री का कहना है कि बस पूरी तरह से भरी हुई थी। एक तेज रफ्तार से आई क्रेटा कार ने बस को कट मारते हुए ओवरटेक किया। उसे बचाने की कोशिश में बस डिवाइडर से टकराई और काफी दूर जाकर पलट गई। पुलिस ने क्षतिग्रस्त कार और बस को जप्त कर जॉच शुरु कर दी है। वहीं कार में सवार फरार लोगो की जानकारी जुटाई जा रही है, जिसके बाद ही यह पता चल सकेगा की हादसे के समय कार कौन चला रहा था, वहीं पुलिस घटना का सही कारण जानने के लिये आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे भी खंगाल रही है।
श्रेष्ठ कर्मों और व्यवहार से पहचान बनाई स्व. रामदयाल प्रजापति ने : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
9 Feb, 2025 09:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्व. रामदयाल प्रजापति ने एक श्रेष्ठ जन-प्रतिनिधि की पहचान बनाई। उनका जीवन श्रेष्ठ कर्मों और कुशल व्यवहार से जाना गया है। उनके निधन के बाद उनके प्रति विभिन्न जन-प्रतिनिधियों और नागरिकों द्वारा व्यक्त विचारों से भी यह सिद्ध होता है कि वे एक कर्मठ व्यक्तित्व के धनी थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार की शाम हिन्दी भवन में स्व. रामदयाल प्रजापति को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित की गई सभा को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि वर्ष 1994-1995 से उनका प्रजापति से संबंध रहा है। उन्होंने भोपाल नगर निगम के अध्यक्ष और माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष के नाते अपने कार्य और आचरण से सभी को प्रभावित किया। उन्होंने सभी को साथ लेकर चलने में विश्वास रखा। उनके व्यक्तित्व का यह अनूठा गुण था। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्व. प्रजापति के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा को वरिष्ठ सांसद वी.डी. शर्मा ने कहा कि स्व. रामदयाल प्रजापति सदैव कार्यकर्ता के भाव से सौंपे गए दायित्व पूरे करते रहे। संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने कहा कि स्व. प्रजापति वरिष्ठ नेता होते हुए भी सहज व्यवहार से जाने जाते थे। उन्होंने आधुनिक युग के अनुकूल सूचना प्रौद्योगिकी माध्यमों का भी कुशलता से उपयोग किया। श्रद्धांजलि सभा को विधायक भगवानदास सबनानी और अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी, शैलेंद्र प्रधान, उमाशंकर गुप्ता और पी.सी. शर्मा, पार्षदगण, भोपाल की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी, स्व प्रजापति के परिजन और मित्रजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। श्रद्धांजलि सभा का संचालन पूर्व सांसद आलोक संजर ने किया। श्रद्धांजलि सभा में स्व. राम दयाल प्रजापति की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन भी रखा गया। उल्लेखनीय है की गत एक फरवरी को रामदयाल प्रजापति का निधन हुआ है।
ऊर्जा मंत्री तोमर के आहवान पर स्वच्छ, हरे-भरे और नशा मुक्त ग्वालियर के लिए दौड़े शहरवासी
9 Feb, 2025 09:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : ग्वालियर को स्वच्छ, हरा-भरा और नशा मुक्त बनाने के लिए ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की पहल पर शुरु किए गए अभियान के तहत रविवार सुबह कांच मिल से पाताली हनुमान तक मिनी मैराथन दौड़ का आयोजन किया गया। ऊर्जा मंत्री तोमर के साथ जन-प्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं, वरिष्ठजन और विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस मिनी मैराथन दौड़ में सहभागिता की।
ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि हम सभी ने एक सच्ची भावना के साथ बीते एक माह पूर्व यह संकल्प लिया था कि ग्वालियर को स्वच्छ, हरा-भरा, प्रदूषण मुक्त और नशा मुक्त बनाने का अभियान चलाएंगे। इसी अभियान के तहत बीते माह से प्रतिदिन सीताराम धुन का वाचन निरंतर किया जा है। इसी कड़ी में हर माह सुन्दरकाण्ड और 200 से 1000 मीटर की मिनी मैराथन दौड़ का आयोजन करने का भी हम सभी ने संकल्प लिया है। ऊर्जा मंत्री ने शपथ दिलाई कि हम प्रतिदिन अपनी दैनिक दिनचर्या में से कुछ समय निकालकर ग्वालियर को स्वच्छ, हरा-भरा, प्रदूषण मुक्त और नशा मुक्त बनाने के अभियान के लिए खुद समय देंगे और अपने आसपास रहने वाले लोगों को भी इस अभियान से जुड़ने और साफ-सफाई रखने के लिए प्रेरित करेंगे।
ऊर्जा मंत्री तोमर ने उपस्थित लोगों का आवाह्न किया कि वे एक अच्छे समाज का निर्माण करें। जैसे हम अपने परिवार के दायित्वों का निर्वहन करते हैं, वैसे ही हम अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करें। अपने घर परिवार बेटे बेटियों मित्र मंडली को संस्कारवान बनाएंगे, तभी हम संस्कारवान समाज का निर्माण कर सकेंगे।
झीलों के शहर में आपका स्वागत है - मुख्यमंत्री डॉ. यादव
9 Feb, 2025 09:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से रविवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में केन्द्रीय ऊर्जा एवं शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर खजुराहो सांसद वी.डी. शर्मा भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन्द्रीय मंत्री खट्टर का बुके देकर आत्मीय स्वागत अभिनंदन किया और निवास कार्यालय कक्ष से बड़ी झील के सौंदर्य का अवलोकन कराया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह झील ही भोपाल की सबसे बड़ी पहचान है। झीलों के शहर में आपका स्वागत है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन्द्रीय मंत्री खट्टर के भोपाल प्रवास को स्मरणीय बताया और प्रतीक स्वरूप उन्हें राजा भोज की प्रतिमा देकर सम्मानित भी किया।
जीआईएस देगा मध्यप्रदेश के स्टार्ट-अप्स को नई उड़ान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
9 Feb, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यावद ने कहा है कि देश के औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विज़न पर काम करते हुए मध्यप्रदेश तेजी के साथ एक मजबूत स्टार्ट-अप हब के रूप में उभर रहा है। प्रदेश सरकार नवाचार, उद्यमिता और रोजगार सृजन को प्राथमिकता देते हुए युवा उद्यमियों की आकाँक्षाओं के अनुकूल स्टार्ट-अप कल्चर को विकसित करने की दिशा में प्रभावी रणनीति अपना रही है। हमारा प्रयास मध्यप्रदेश को "स्टार्ट-अप और नवाचार का केंद्र" बनाना है, जहां युवा उद्यमियों को अपने आईडियाज़ को सफल व्यवसायों में बदलने के लिए अनुकूल माहौल और पूरा सहयोग मिले।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि आगामी 24 एवं 25 फरवरी को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट कई मायनों में खास होगी। समिट में कई देशों के उद्यमी एवं निवेशक शामिल होंगे। इससे हमारे युवा उद्यमियों को अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी और नवाचारों का ज्ञान मिलेगा और मध्यप्रदेश के स्टार्ट-अप्स को नई उड़ान मिलेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्टार्ट-अप्स न केवल प्रदेश के आर्थिक विकास में योगदान देंगे, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेंगे। हम प्रदेश में स्टार्ट-अप्स के विकास के लिए वित्तीय सहायता, सशक्त नीतिगत ढांचा और आधुनिक बुनियादी ढांचे की सुविधा प्रदान कर रहे हैं और इस दिशा में हमारी सरकार ठोस कदम उठा रही है। इससे न केवल नवाचार को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदेश के युवा उद्यमी अपने सपनों को साकार कर सकेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में ‘एमपी स्टार्ट-अप पॉलिसी एंड इम्प्लीमेंटेशन स्कीम लागू है, जिसके तहत स्टार्ट-अप्स को वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचा सहयोग और नीति समर्थन उपलब्ध कराया जा रहा है। नई स्टार्टअप नीति के अनुसार स्टार्ट-अप्स को कुल निवेश का 18 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता (अधिकतम 18 लाख रूपये तक) दी जाती है। यह सहायता स्टार्ट-अप के विकास के प्रत्येक चरण के लिए अलग-अलग प्रदान की जाती है, जिसमें अधिकतम 4 चरणों तक सहायता मिल सकती है। इस नीति के अनुसार स्टार्ट-अप्स को वित्तीय प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचा सहयोग और क्षमता निर्माण जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके अलावा, स्टार्ट-अप्स को सरकारी निविदाओं में अनुभव और टर्न ओवर की शर्तों में छूट दी गई है और उन्हें अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट से भी मुक्त रखा गया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार स्टार्ट-अप्स को अनिवार्य लाइसेंस एवं परमिट शुल्क से छूट प्रदान कर रही है और दो वर्षों तक सरकारी खरीद में प्राथमिकता दे रही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के पास भरपूर बिजली, पानी, और प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं, जो इसे निवेशकों के लिए एक आईडियल डेस्टिनेशन बनाते हैं।
मध्यप्रदेश देश के प्रमुख औद्योगिक गलियारों से जुड़ा हुआ है, जिससे यहां से उत्पादों का सुगम और कम लागत में परिवहन संभव है। यह रणनीतिक बढ़त उन कंपनियों के लिए लाभदायक होगी, जो अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहती हैं। नवाचार और उद्योगों के लिए उपयुक्त केंद्र भारत के हृदय प्रदेश के रूप में पहचाने जाने वाले मध्यप्रदेश में 300 से अधिक औद्योगिक पार्क मौजूद हैं। प्रदेश की 8 करोड़ से अधिक की जनसंख्या के साथ, यह प्रतिभाओं का एक विशाल केंद्र है, जहां 1,287 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, 1,373 सरकारी एवं निजी कॉलेजों और आईआईटी-आईआईएम जैसे शीर्ष शिक्षण संस्थानों से हर साल हजारों स्नातक पास आउट होते हैं। प्रदेश सरकार स्कूल और कॉलेजों के छात्रों में नवाचार और उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देने के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित कर रही है। युवाओं को प्रारंभिक स्तर पर ही सही मार्गदर्शन और संसाधन उपलब्ध होने पर वे अपने स्टार्ट-अप्स को सफलतापूर्वक स्थापित कर सकेंगे।
प्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता का परिणाम है कि आज प्रदेश में 4,900 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स कार्यरत हैं। आईटी, सेमीकंडक्टर, टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल और सोलर जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए विशेष औद्योगिक पार्क विकसित किए गए हैं, जो स्टार्ट-अप्स के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारा लक्ष्य 'स्टार्ट-अप इंडिया' के तहत पंजीकृत स्टार्ट-अप्स की संख्या को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना और कृषि एवं खाद्य क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को 200 प्रतिशत तक बढ़ावा देना है। इसके लिए प्रदेश में 72 इनक्यूबेटर कार्यरत हैं और उत्पाद-आधारित स्टार्ट-अप्स को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रदेश सरकार का यह ठोस प्रयास मध्यप्रदेश को भारत के सबसे प्रमुख स्टार्ट-अप हब में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय सहायता और विशेष प्रोत्साहन
• महिला, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को विशेष सहायता स्टार्टअप के पहले निवेश पर 18 प्रतिशत (18 लाख रूपये तक) की वित्तीय सहायता।
• अन्य स्टार्ट-अप्स को पहले निवेश पर 15 प्रतिशत (₹15 लाख तक) की सहायता।
• स्टार्ट-अप्स द्वारा आयोजित कार्यक्रमों के लिए 5 लाख रूपये प्रति इवेंट (अधिकतम 20 लाख रूपये प्रति वर्ष) तक सहायता।
• इनक्यूबेटर्स के विस्तार के लिए एक बार में 5 लाख रूपये का अनुदान।
• स्टार्ट-अप्स के किराए के 50 प्रतिशत हिस्से (अधिकतम 5 हजार रूपये प्रति माह) की तीन वर्षों तक प्रतिपूर्ति।
• पेटेंट कराने की लागत के लिए अधिकतम 5 लाख रूपये तक की सहायता।
• घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय इवेंट्स में भाग लेने पर 75 प्रतिशत तक खर्च की प्रतिपूर्ति (50 हजार रूपये तक घरेलू इवेंट्स और 1.5 लाख रूपये तक अंतर्राष्ट्रीय इवेंट्स)।
• स्टार्ट-अप्स के लिए लाइसेंस फीस में छूट और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट।