राजनीति
महाराष्ट्र में बारात है लेकिन दूल्हा नहीं, कोई फूफा की तरह नाराज है
3 Dec, 2024 06:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरकार के गठन को लेकर प्रियंका चतुर्वेदी व संजय राउत ने कसा तंज
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के कई दिन बाद भी सरकार बनाने को लेकर सस्पेंस अभी भी बरकरार है। इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और संजय राउत ने महायुति गठबंधन पर तंज कसा है। प्रियंका चतुर्वेदी ने महाराष्ट्र की वर्तमान स्थिति को हास्यास्पद बताया। उन्होंने कहा कि बारात है लेकिन दूल्हा नहीं। कोई नाराज फूफा की तरह गुस्सा है। महायुति जनादेश का अनादर कर रही है।
महाराष्ट्र में दिल्ली का खेल चल रहा
शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने दावा किया कि महाराष्ट्र में दिल्ली का खेल चल रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली से डमरू बज रहा है और महाराष्ट्र के नेता नाच रहे हैं। बहुमत के बावजूद मुख्यमंत्री का नाम घोषित नहीं हो रहा। बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने जानकारी दी कि महायुति नेताओं की बैठक मुंबई के वर्षा बंगले पर होगी। वहीं, बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र में पर्यवेक्षकों के रूप में निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी को नियुक्त किया है। बीजेपी विधायक दल की बैठक बुधवार सुबह 10 बजे होगी, जिसमें सीएम पद के चेहरे का ऐलान किया जाएगा।
एकनाथ शिंदे की वजह से सरकार नहीं बन रही
शिवसेना नेता दीपक केसरकर ने साफ कहा कि सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को होगा। उन्होंने अफवाहों का खंडन करते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे की वजह से सरकार नहीं बन रही, यह गलत है। सीएम का नाम जल्द घोषित होगा। विपक्ष और शिवसेना (यूबीटी) का दावा है कि दिल्ली से बीजेपी नेतृत्व के हस्तक्षेप के चलते मुख्यमंत्री पद पर फैसला अटका है। महाराष्ट्र में सरकार गठन की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ने की उम्मीद है। सभी की निगाहें कल होने वाली बीजेपी विधायक दल की बैठक और 5 दिसंबर के शपथ ग्रहण समारोह पर टिकी हुई हैं।
महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री कौन? के सवाल पर बगलें झांक रहे हैं महायुति के नेता, कहानी कुछ और ही है!
3 Dec, 2024 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आए हुए आज दस दिन पूरे हो गए हैं। अब तक पूरी सरकार का गठन हो जाता और सरकार अपने काम लें लग जाती। पर,ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं हुआ कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ है। ऐसे में महायुति के किसी नेता से जब सवाल पूछा जाता है कि राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा तो,वो बगलें झांकने लगता है। जबकि सूत्र दावा करते फिर रहे हैं कि देवेंद्र फडणवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे। दूसरी तरफ ऐसा भी माना जा रहा है कि पर्ची किसी ऐसे नाम की निकलेगी जिसकी अभी तक कहीं कोई चर्चा ही नहीं हुई है। इसका सीधा उदाहरण मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ हो सकते हैं।
अजीत पवार को वित्त मंत्रालय मिलने की संभावना
सूत्रों के अनुसार, निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भाजपा आलाकमान की बात मानकर सीएम की कुर्सी छोड़ने के लिए तो तैयार हो गए थे, लेकिन नाराजगी के कारण मंत्री बनने के मना कर रहे थे। आखिरकार भाजपा नेता गिरीश महाजन की मध्यस्थता के बाद वह डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी हो गए हैं। जानकारी के मुताबिक, शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग जैसे बड़े मंत्रालय दिए जा सकते हैं जबकि अजीत पवार को वित्त मंत्रालय मिलने की संभावना है।
भाजपा शासित राज्यों के तमाम मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना
गिरीश महाजन की मुलाकात और शिंदे गुट के सांसदों के आग्रह के बाद महायुति का संकट सुलझ पाया है। पीएम मोदी के अलावा समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा और सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के शीर्ष नेता और भाजपा शासित राज्यों के तमाम मुख्यमंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 16 से 24 दिसंबर तक होने की संभावना है।
राजनीति में कोई संतुष्ट नहीं होता, मुख्यमंत्री डरा-डरा रहता है न जाने कब हाईकमान हटा दे
3 Dec, 2024 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नागपुर। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री के पद और राजनैतिक संतुष्टि को लेकर बड़ा बयान दिया है। यहां आयोजित एक पुस्तक के विमोचन समारोह में उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हमेशा ही डरा और सहमा रहता है। उसके भीतर डर बना रहता है कि न जाने कब हाईकमान उसकी छुट़टी कर दे। जहां तक राजनीति का सवाल है तो यहां कोई भी संतुष्ट नहीं होता है। गडकरी ने कहा है कि राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है और अपने वर्तमान पद से ऊंचे पद की आकांक्षा रखता है। नागपुर में जीवन के 50 स्वर्णिम नियम नामक पुस्तक के विमोचन के अवसर पर गडकरी ने कहा कि जीवन समझौतों, बाध्यताओं, सीमाओं और विरोधाभासों का खेल है।
मंत्री ने राजस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा कि राजनीति असंतुष्ट आत्माओं का सागर है, जहां हर व्यक्ति दुखी है... जो पार्षद बनता है वह इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे विधायक बनने का मौका नहीं मिला और विधायक इसलिए दुखी होता है क्योंकि उसे मंत्री पद नहीं मिल सका। भाजपा नेता ने कहा, जो मंत्री बनता है वह इसलिए दुखी रहता है कि उसे अच्छा मंत्रालय नहीं मिला और वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाया तथा मुख्यमंत्री इसलिए तनाव में रहता है क्योंकि उसे नहीं पता कि कब आलाकमान उसे पद छोड़ने के लिए कह देगा। उन्होंने कहा कि जीवन में समस्याएं बड़ी चुनौतियां पेश करती हैं और उनका सामना करना तथा आगे बढ़ना ही जीवन जीने की कला है।
खास बात है कि यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद भी महायुति अब तक सीएम नहीं चुन सकी है। खबरें हैं कि भाजपा मुख्यमंत्री पद अपने पास रखेगी। वहीं, दो अन्य दल एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के खाते में डिप्टी सीएम आ सकते हैं। फिलहाल, इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि चाहे व्यक्ति पारिवारिक, सामाजिक, राजनीतिक या कॉरपोरेट जीवन में हो, जीवन चुनौतियों और समस्याओं से भरा है और व्यक्ति को उनका सामना करने के लिए जीवन जीने की कला को समझना चाहिए। गडकरी ने कहा कि उन्हें अपने राजनीतिक जीवन में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की आत्मकथा का एक उद्धरण याद है, जिसमें कहा गया है, कोई व्यक्ति तब खत्म नहीं होता जब वह हार जाता है। वह तब खत्म होता है जब वह हार मान लेता है।
तुष्टिकरण की राजनीति न होती, तो भारत आज एक विकसित देश होता: केशव प्रसाद मौर्य
3 Dec, 2024 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लखनऊ। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर हमला करते हुए उन्हें सांपनाथ और नागनाथ बताया है। उन्होंने दोनों दलों पर समाज को बांटने और तुष्टिकरण की राजनीति के जरिए देश की प्रगति को रोकने का आरोप लगाया है।
मौर्य ने कहा कि सपा और कांग्रेस ने मुस्लिमों को हिंदुओं के खिलाफ खड़ा करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि देश ने तुष्टिकरण की राजनीति की भारी कीमत चुकाई है, और यदि यह राजनीति न होती, तो भारत आज एक विकसित देश होता। संभल विवाद पर मौर्य ने कहा कि वहां कोई दंगा नहीं हुआ, बल्कि यह दो अपराधियों के बीच आपसी संघर्ष था। उन्होंने सपा सांसद और विधायकों पर इस घटना को तूल देकर माहौल खराब करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब संभल में शांति है, तो सपा क्यों वहां का माहौल बिगाड़ना चाहती है। मौर्य ने साफ कहा कि प्रदेश सरकार अपराध मुक्त समाज और सुशासन के प्रति प्रतिबद्ध है। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून के खिलाफ काम करेगा, तो सरकार और न्यायपालिका अपना काम करेगी। उन्होंने किसानों से जुड़े मुद्दों पर कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन अगर किसान की आड़ में कोई गलत काम करेगा, तो उसका वही हाल होगा जो हरियाणा में कांग्रेस का हुआ है।
सरकार हर नागरिक की भलाई के लिए काम कर रही
मौर्य ने कहा कि सरकार हर नागरिक की भलाई के लिए काम कर रही है और किसी को भी अराजकता फैलाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। मौर्य ने इंडिया गठबंधन पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस गठबंधन का एकमात्र उद्देश्य पीएम मोदी को रोकना है, लेकिन यह कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने हरियाणा और महाराष्ट्र में गठबंधन की विफलताओं का हवाला देते हुए कहा कि जनता ने विपक्ष की राजनीति को नकार दिया है। मौर्य ने दावा किया कि आने वाले समय में दिल्ली में भी बीजेपी की सरकार बनेगी। उन्होंने राहुल गांधी और अखिलेश यादव पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी झूठ बोलने की मशीन हैं, जबकि अखिलेश अपराधियों और माफियाओं के संरक्षक हैं। उन्होंने सपा पर मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उपचुनाव में हार के बाद पार्टी अभी तक इससे उबर नहीं पाई है। मौर्य ने विश्वास जताया कि बीजेपी के नेतृत्व में यूपी और देश दोनों विकास के पथ पर अग्रसर रहेंगे।
ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं को अनुशासनहीनता और अनुचित टिप्पणियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की
3 Dec, 2024 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं को अनुशासनहीनता और अनुचित टिप्पणियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की। राज्य विधानसभा में विधायक दल की बैठक में बोलते हुए, बनर्जी ने घोषणा की कि जब तक वह प्रभारी हैं, टीएमसी में सभी महत्वपूर्ण निर्णय उनके द्वारा लिए जाएंगे।
बैठक के बाद टीएमसी के एक वरिष्ठ विधायक ने कहा, हमारी पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि दूसरों की बातों पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है। और जब तक वह हैं, पार्टी के मामलों पर अंतिम निर्णय वही लेंगी। उनका यह बयान पार्टी नेताओं द्वारा टीएमसी को शर्मसार करने वाली सार्वजनिक टिप्पणियों और आंतरिक सत्ता संघर्ष की बढ़ती अटकलों के बीच आया है।
बैठक में राज्य पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी सहित वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया, जिन्हें ममता बनर्जी का करीबी विश्वासपात्र माना जाता है। बनर्जी ने संगठनात्मक मामलों को भी संबोधित किया, 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले अपने जमीनी स्तर के संबंधों को मजबूत करने के लिए टीएमसी के छात्र और युवा विंग के संभावित पुनर्गठन का संकेत दिया।
बनर्जी ने विधायकों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और ऐसी टिप्पणियां करने से बचने की याद दिलाई, जो पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। उन्होंने ऐसे उदाहरणों का हवाला दिया, जहां नेताओं की सार्वजनिक टिप्पणियों ने अनावश्यक विवाद पैदा किए थे, जिसमें विधायक नारायण गोस्वामी की भड़काऊ टिप्पणियां और मंत्री हुमायूं कबीर के बयान शामिल हैं, जिसके कारण उन्हें कारण बताओ नोटिस दिया गया था।
महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ईवीएम के खिलाफ छेड़ेगी आंदोलन
3 Dec, 2024 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद ईवीएम एक बार फिर चर्चा में हैं। कांग्रेस ने इनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए इनके खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी की है। इस बहस के बीच, बांग्लादेश, जर्मनी, नीदरलैंड, जापान और आयरलैंड जैसे कई देशों ने ईवीएम का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया है।बांग्लादेश ने 2018 के आम चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल किया था, लेकिन इसके बाद विपक्षी दलों के विरोध और दुरुपयोग के आरोपों के चलते 2023 में पारंपरिक मतपेटियों पर लौट आया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने ईवीएम पर छेड़छाड़ के आरोप लगाए थे, जिसके दबाव में सरकार ने नई ईवीएम खरीदने का प्रस्ताव भी खारिज कर दिया था। इसके बजाय, बांग्लादेश ने पारंपरिक मतपत्रों की प्रक्रिया को अपनाकर चुनावी पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास को बहाल करने का प्रयास किया। जापान ने भी सुरक्षा और विश्वसनीयता के सवालों के चलते 2018 में नगरपालिका चुनावों के बाद ईवीएम का उपयोग बंद कर दिया था। यहां ईवीएम को पारदर्शिता की कमी और छेड़छाड़ के जोखिम के चलते नकारा गया।
सुरक्षा और विश्वसनीयता के सवालों के चलते कई देशों ने लगा दी बैन
जर्मनी में, 2009 में एक अदालत ने ईवीएम को असंवैधानिक घोषित कर दिया, क्योंकि ये आम नागरिकों के लिए पारदर्शी नहीं थी। इसके बाद जर्मनी ने कागजी मतपत्रों पर वापस लौटने का फैसला लिया। नीदरलैंड में 2006 में एक स्वतंत्र समूह ने ईवीएम की सुरक्षा खामियों को उजागर करते हुए बताया कि इन मशीनों से छेड़छाड़ संभव है। इसके बाद सरकार ने सभी ईवीएम को अमान्य घोषित कर दिया। इसी तरह, आयरलैंड ने 2010 में सुरक्षा और पारदर्शिता की कमी के चलते ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया। दूसरी ओर पाकिस्तान जैसे देश ईवीएम के इस्तेमाल पर विचार कर रहे हैं। उन्होंने एक प्रोटोटाइप विकसित किया है, लेकिन इसके उपयोग पर अंतिम फैसला अभी नहीं लिया गया है। भारत में ईवीएम का इस्तेमाल 1990 के दशक से हो रहा है और चुनाव आयोग इसे सुरक्षित और पारदर्शी मानता है। हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि इनका दुरुपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों ने इसके खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है।
ईवीएम को लेकर वैश्विक अनुभव यह बताता है कि चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास बेहद अहम है। भारत में इस तकनीक का इस्तेमाल जारी रखने या बंद करने का फैसला इस बहस पर आधारित होगा कि यह प्रक्रिया को कितना विश्वसनीय और निष्पक्ष बनाता है। ईवीएम पर विवाद केवल तकनीकी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की बुनियादी संरचना और जनता के विश्वास से जुड़ा मुद्दा है।
महाराष्ट्र में महाटेंशन... क्या शिंदे ही बन गए हैं महायुति सरकार के गठन में बाधा...
3 Dec, 2024 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा का रिजल्ट आने के 10 दिन बाद भी मुख्यमंत्री का नाम तय नहीं हो पाया है। महायुति यानी भाजपा, शिवसेना शिंदे और एनसीपी में एक सीएम और दो डिप्टी सीएम का फॉर्मूला तय किया गया है। वहीं महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि जनता चाहती है कि सीएम मैं ही रहूं। मैं आम लोगों के लिए काम करता हूं। मैं जनता का मुख्यमंत्री हूं। इसी वजह से लोग मानते हैं कि मुझे ही मुख्यमंत्री बनना चाहिए।
उधर, भाजपा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतामण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी को पर्यवेक्षक बनाया है। दोनों मंगलवार को मुंबई जाएंगे और विधायक दल की बैठक में सीएम चेहरे को लेकर बात करेंगे। हालांकि, भाजपा की ओर से देवेंद्र फडणवीस का सीएम बनना तय माना जा रहा है। इस बीच, अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की। सूत्रों के मुताबिक, इस मीटिंग में मंत्रियों की लिस्ट और उनके रिपोर्ट कार्ड पर चर्चा की गई।
सरकार गठन की तैयारी,सीएम तय नहीं
महाराष्ट्र में सरकार गठन तो छोडि़ए, मुख्यमंत्री कौन होगा ये ऐलान तक नहीं हो सका है। मुंबई से दिल्ली तक मैराथन बैठकों के दौर के बाद यह बात तो तय हो चुकी है कि मुख्यमंत्री भाजपा से ही होगा लेकिन कौन होगा? ये अभी तक तय नहीं है। अब बात इसे लेकर भी हो रही है कि महाराष्ट्र में महायुति सरकार के गठन में क्या कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ही बाधा बन रहे हैं?
सीएम शिंदे को लेकर शुरू हुई यह बहस निराधार भी नहीं है। हाल ही में सीएम शिंदे के साथ ही उनकी अगुवाई वाली पिछली सरकार में डिप्टी सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली तलब किया था। एकनाथ शिंदे, फडणवीस और अजित पवार ने दिल्ली पहुंचकर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। अमित शाह के आवास पर तीन घंटे तक चली मैराथन बैठक के बाद तीनों ही नेता उसी रात मुंबई लौट आए थे। मुंबई में महायुति नेताओं की बैठक होनी थी लेकिन एकनाथ शिंदे सतारा जिले में स्थित अपने पैतृक गांव चले गए और दो दिन वहीं रहे। इसकी वजह से महायुति नेताओं की बैठक में देरी हुई।
शिंदे गुट के नेता मांग रहे भारी-भरकम विभाग
शिंदे गुट के नेता गृह और अन्य भारी-भरकम विभाग की मांग को लेकर लगातार बैटिंग कर रहे हैं। कुछ नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि उन्हें वे सारे विभाग दिए जाने चाहिए जो पिछले ढाई साल से उनके पास थे। इसका सीधा मतलब है कि शिंदे गुट दबाव की राजनीति कर रहा है। एक तरफ महायुति की बैठक में देरी हो रही है जिसमें गृह, शहरी विकास और राजस्व जैसे विभागों के बंटवारे पर बात होनी है और दूसरी तरफ शिंदे गुट सभी महत्वपूर्ण विभाग अपने पाले में रखने के लिए दबाव बना रहा है। भाजपा ने इन सबके बीच सीएम का ऐलान भले ही न किया हो, शपथग्रहण की तारीख का ऐलान कर यह स्पष्ट संदेश दे दिया है कि सीएम उसका ही होगा, महायुति की ओर से नहीं। महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का शपथग्रहण 5 दिसंबर को शाम 5 बजे आजाद मैदान में होना है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट का तर्क है कि भाजपा विधायक दल की बैठक अभी नहीं हुई है जिसके बाद उनकी ओर से मुख्यमंत्री फेस का ऐलान किया जाना है। महायुति नेताओं की बैठक में जो फैसला होगा, उस पर भी गृह मंत्री अमित शाह से अप्रूवल लेना होगा। इसलिए भी कहा जा रहा है कि हर प्रक्रिया स्टैंडबाई मोड में है क्योंकि शिंदे की वजह से मीटिंग नहीं हो पा रही है। इसके पीछे स्वास्थ्य कारण ही हैं या राजनीतिक, ये भी चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि शिंदे गुट के नेता लगातार अपनी मांगों के जरिये दबाव बनाए हुए हैं।
अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल
3 Dec, 2024 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। यूपीएससी के अभ्यर्थियों को कोचिंग देने वाले मशहूर टीचर अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। आप के संयोजक व पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल व पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली। यह संभावना जताई जा रही है कि वह दिल्ली की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। अवध ओझा यूपी के गोंडा शहर के रहने वाले हैं। अपनी अनोखी पढ़ाने की शैली के कारण सोशल मीडिया पर उनके वीडियो बहुत वायरल होते हैं। उन्हें छात्र ओझा सर के नाम से बुलाते हैं। उनकी सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रियता है।
शिंदे के बीमार होने और अजित के दिल्ली जाने से महायुति की बैठक टली
3 Dec, 2024 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद अभी भी मुख्यमंत्री पद का फैसला नहीं हो सका है। महायुति गठबंधन में सीएम और अन्य प्रमुख पदों को लेकर असमंजस बरकरार है। इसी बीच कार्यवाहक सीएम एकनाथ शिंदे की तबीयत फिर खराब होने और अजित पवार के दिल्ली जाने से स्थिति और पेचीदा हो गई है। एकनाथ शिंदे के गले में संक्रमण और बुखार की शिकायत हो गई है। बीमार होने के कारण उन्होंने अपनी सभी आधिकारिक बैठकें रद्द कर दी हैं। शिंदे फिलहाल ठाणे में अपने घर पर ही हैं और मुख्यमंत्री आवास नहीं लौटे हैं।
अजित पवार महत्वपूर्ण चर्चा के लिए दिल्ली रवाना
महायुति गठबंधन की होने वाली अहम बैठक भी उनकी अस्वस्थता के चलते रद्द कर दी गई है। एनसीपी (अजित गुट) के नेता और डिप्टी सीएम अजित पवार महत्वपूर्ण चर्चा के लिए दिल्ली रवाना हो गए हैं। इस बीच महायुति के भीतर सत्ता और मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर चर्चा टल गई है। एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने अफवाहों पर विराम लगाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा- डिप्टी सीएम बनने की अटकलें निराधार हैं। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र सरकार में मंत्री बनने का अवसर मिलने पर भी उन्होंने संगठन के लिए काम करने को प्राथमिकता दी थी। उनका किसी मंत्री पद की लालसा नहीं है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति के घटक दलों—बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजित गुट)—के बीच सहमति नहीं बन पा रही है। गृह, शहरी विकास, और राजस्व जैसे प्रमुख मंत्रालयों पर चर्चा होना है। पांच दिसंबर को शपथ ग्रहण समारोह की योजना है, लेकिन अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि सीएम के साथ डिप्टी सीएम और अन्य मंत्रियों का शपथ ग्रहण होगा या नहीं। महायुति की लंबित बैठक में सीएम पद और मंत्रालयों के बंटवारे पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। महाराष्ट्र की सियासी स्थिति हर दिन नया मोड़ ले रही है।
कम से कम भागवत की ही सलाह का कर लें सम्मान
2 Dec, 2024 08:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा की टॉप लीडरशिप को विभाजनकारी रणनीति अपनाने वाली बता देशभर में मस्जिदों और दरगाहों के सर्वेक्षण कराने के प्रयासों का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने इस बीच कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 का विरोध कर रहे हैं और इसका विरोध करना जारी रखा जाएगा। उन्होंने भाजपा से संघ प्रमुख के 2022 के बयान का जिक्र करते हुए भाजपा के टॉप लीडर्स से उसे मानने की बात कही।
आखिर क्यों दिया खडगे ने आरएसएस प्रमुख का हवाला
दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा के टॉप लीडर्स से मोहन भागवत के 2022 के उस बयान पर ध्यान देने को कहा, जिसमें आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि हमारा उद्देश्य राम मंदिर का निर्माण करना था और हमें हर मस्जिद के नीचे शिवालय नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का भी हवाला दिया, जिसे धार्मिक स्थलों की 1947 जैसी स्थिति बनाए रखने के लिए खासतौर पर बनाया गया था। खड़गे की यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मद्देनजर आई है। संभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हुई हिंसा के बाद पूरे देश में तनाव की स्थिति बनने लगी थी, जिसे लेकर विपक्ष एक बार फिर भाजपा लीडरशिप के खिलाफ लामबंद होती दिखी है। यहां दिल्ली में आयोजित एक रैली के दौरान खड़गे ने कहा, कि पीएम नरेंद्र मोदी कहते हैं एक हैं तो सेफ हैं, लेकिन वे किसी को भी सेफ नहीं रहने दे रहे हैं। आप एकता की बात जरुर करते हैं, लेकिन आपके कार्य इसे धोखा देने जैसे हैं। खड़गे ने कहा कि आपके नेता मोहन भागवत ने तो कहा है कि अब जबकि राम मंदिर बन गया है, तो और अधिक पूजा स्थलों का सर्वे करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप उनके शब्दों का सम्मान करते हैं, तो और कलह क्यों पैदा कर रहे हैं? खड़गे ने बीजेपी से पूछा कि क्या वह लाल किला, ताजमहल, कुतुब मीनार और चार मीनार जैसी संरचनाओं को भी ध्वस्त कर देंगे, जो मुसलमानों ने बनवाई थीं।
गौरतलब है कि नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग, तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह के दौरान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी विवाद को लेकर अपनी एक प्रतिक्रिया में कहा था कि इतिहास वो है जिसे हम बदल नहीं सकते। इस इतिहास को न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने ही इसे बनाया है, यह उस समय घटा.... अब हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखना? इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अब हमको कोई आंदोलन नहीं करना है। हर दिन एक नया मुद्दा नहीं उठाना चाहिए। अब झगड़े क्यों बढ़ाएं? इसे याद करते हुए खड़गे भाजपा नेताओं को सीख दे रहे हैं।
अगर जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 फीसदी के नीचे गई तो समाज खत्म हो जाएगा
2 Dec, 2024 07:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली,। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने हिंदुओं का नाम लिए बगैर भारत में उनकी घटती जनसंख्या पर चिंता जाहिर जताई है। उन्होंने कहा कि अगर समाज की जनसंख्या वृद्धि दर गिरते-गिरते 2.1 फीसदी के नीचे चली गई तो तब समाज को किसी को बर्बाद करने की जरूरत नहीं, वह खुद ही खत्म हो जाएगा। इसलिए कम से कम तीन बच्चे पैदा करना जरूरी है।
नागपुर में एक सम्मेलन में भागवत ने कहा कि कुटुंब यानी परिवार समाज का हिस्सा है और हरेक कुटुंब इसकी इकाई है। भागवत ने भले ही ये संकेत हिंदुओं के संदर्भ में दिया है, लेकिन हकीकत ये है कि आज महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहा आम आदमी के लिए तीन-तीन बच्चे पैदा करना और उनका पालन-पोषण करना कितना मुश्किल हो सकता है। जहां एक बच्चे के पालन पर ही अच्छा खासा खर्च होता है। जानते हैं कि देश में बच्चे पालना कितना महंगा हो सकता है।
इस साल भारत बढ़ती आबादी की लंबी छलांग लगाते हुए चीन को पछाड़ कर जनसंख्या में दुनिया में नंबर वन पर आ गया। हालांकि, भारत में बहुसंख्यक हिंदू पिछली जनगणना में 80 फीसदी थे। जो अब इस साल तक उनकी जनसंख्या वृद्धि दर घटने से देश में उनकी कुल आबादी घटकर 78.9 फीसदी रह गई। वहीं, हिंदू आबादी अब भी देश में करीब 100 करोड़ है। दुनिया के 95 फीसदी हिंदू भारत में रहते हैं। वहीं, देश में मुस्लिम आबादी की वृद्धि दर बढ़ी है।
भारत में बच्चे के पालन-पोषण का बजट जगह, लाइफस्टाइल और व्यक्तिगत पसंद सहित कई तरह के फैक्टर्स पर निर्भर करता है। एक अध्ययन के मुताबिक एक बच्चे के जन्म से लेकर 18 साल तक के पालन-पोषण की अनुमानित लागत 30 लाख से लेकर 1.2 करोड़ रुपए तक आती है। यह शहरों और गांवों में परिस्थितियों के मुताबिक अलग-अलग हो सकती है।
भारत में बच्चों की देखभाल की लागत माता-पिता के लिए एक वित्तीय बोझ हो सकती है। डेकेयर सुविधाओं, प्रीस्कूल फीस और स्कूल के बाद की गतिविधियों जैसे फैक्टर्स के आधार पर ये खर्च अलग-अलग हो सकते हैं। एक बच्चे की देखभाल की लागत औसतन 15,000 से 30,000 रुपए प्रति माह होती है। महानगरों के मुकाबले छोटे शहरों और गांवों में यह लागत कम हो सकती है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कपड़े, भोजन और पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं। महंगाई और बदलती हाई-फाई जीवनशैली की वजह से ये खर्च बढ़ सकते हैं। हायर एजुकेशन के लिए ही अगर विदेश भेजना पड़ा तो यह रकम औसतन 25 लाख रुपए से लेकर 5 करोड़ रुपए तक हो सकती है।
भारत में अच्छा जीवन जीने की लागत शहर, परिवार के आकार और व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर अलग-अलग होती है। 4 लोगों के परिवार के बेहतर रहन-सहन के लिए 50,000 से लेकर 1,00,000 रुपए तक महीना खर्च हो सकता है। अगर परिवार में बच्चे हैं तो यह रकम और बढ़ सकती है। माता-पिता के लिए बच्चे के पालन-पोषण में शिक्षा सबसे बड़ा खर्च होती है। प्री-स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक, शिक्षा की लागत पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रही है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा अक्सर भारतीय माता-पिता के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता होती है, जिससे वे अपनी आय का एक हिस्सा इस पर खर्च करते हैं।
चिराग को झटका, गया की युवा विंग ने दिया सामूहिक इस्तीफा
2 Dec, 2024 06:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (एएलपीआर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की पार्टी के गया युवा लोकजन शक्ति पार्टी (रामविलास) विंग की पूरी कमेटी ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। इन्होंने पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिए जाने का आरोप लगाया है। यह चिराग के लिए एक झटका है।
इस संबंध में लोजपा (रामलिवास) के युवा विंग के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में युवा लोजपा के जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार ने आरोप लगाया है कि पार्टी में नेताओं और कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिया जा रहा है, बल्कि एक विशेष पक्ष के लिए ही ध्यान दिया जाता है, जबकि चिराग पासवान बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट का नारा देते हैं, लेकिन इसके विपरीत उनकी पार्टी में खास पक्ष की ही सुनी जाती है। मुकेश ने कहा कि हम लोग पिछले दस सालों से पार्टी से जुड़े हैं लेकिन अपनी ही पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं जिससे मन ऊब चुका है। बीमारी हो या कोई समस्या, पार्टी के सीनियर लोगों को इससे कोई लेना-देना नहीं है। मदद करने के लिए कोई आगे नहीं आता। इसलिए लगभग 100 से भी ज्यादा की संख्या में युवा लोजपा की कमेटी ने इस्तीफा दिया है। इसको लेकर अभी चिराग पासवान की प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
संसद: अडानी मुद्दे पर कांग्रेस का बीजेपी सरकार पर वार
2 Dec, 2024 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन सोमवार (2 दिसंबर) को संसद में जमकर हंगामा हुआ। सुबह 11 बजे लोकसभा में कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने अडानी का मुद्दा उठाया। विपक्षी सांसदों ने वी वांट जस्टिस के नारे लगाने शुरू कर दिए। हंगामे के चलते स्पीकर ने महज पांच मिनट में कार्यवाही स्थगित कर दी। वहीं, राज्यसभा में भी विपक्षी सांसदों ने हंगामा किया।
राज्यसभा की कार्यवाही भी स्थगित
राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। विपक्ष की मांग है कि सरकार उनके सवालों का जवाब दे। वहीं, सरकार इस सत्र के दौरान कई अहम विधेयकों पर चर्चा के लिए विपक्ष से सहयोग मांग रही है।
थरूर: सरकार को विपक्ष की बात सुननी चाहिए
संसद में विपक्षी दल मौजूदा सत्र की शुरुआत से ही अडानी का मुद्दा लगातार उठा रहे हैं। इसके साथ ही विपक्षी सांसद संभल में हुई हिंसा और अन्य मामलों को लेकर सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि सरकार को विपक्ष की बात सुननी चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में गठबंधन नेताओं ने रणनीति बनाई। विपक्ष का आरोप है कि सरकार संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा से बच रही है।
इतिहास के चुनिंदा लोगों का महिमामंडन... भारत की आजादी के बहाने जगदीप धनखड़ ने किस पर साधा निशाना
2 Dec, 2024 01:04 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इतिहास में कुछ लोगों के योगदान को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने और कई स्वतंत्रता सेनानियों को भुला देने पर निराशा जताई। धनखड़ रविवार को दिल्ली के भारत मंडपम में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की 138वीं जयंती पर पहुंचे थे। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें एक कुशल राजनीतिज्ञ,दूरदर्शी और राष्ट्रवादी बताया। उन्होंने किसानों के कल्याण और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के बीच संबंध पर भी प्रकाश डाला।
'इतिहास में चुनिंदा लोगों का महिमांडन'
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में इतिहास के कुछ चुनिंदा लोगों के महिमामंडन पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इतिहास की किताबों में भारत की आजादी का श्रेय कुछ ही लोगों को दिया जाता है,जबकि कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को नजरअंदाज कर दिया जाता है।यह कार्यक्रम भारत मंडपम में राजा महेन्द्र प्रताप सिंह की 138वीं जयंती के अवसर पर आयोजित किया गया था। धनखड़ ने इस अवसर पर 1915 में पहली भारत सरकार के गठन का भी जिक्र किया और ऐतिहासिक तथ्यों को सही ढंग से प्रस्तुत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
हमारे नायकों के साथ अन्याय हुआ- धनखड़
जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमारी इतिहास की किताबों ने हमारे नायकों के साथ अन्याय किया है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा इतिहास तोड़ा-मरोड़ा गया है,जिससे कुछ लोगों का एकाधिकार बन गया है,जिन्हें हमें आजादी दिलाने का श्रेय दिया जाता है। यह हमारे विवेक पर एक असहनीय पीड़ा है। यह हमारी आत्मा और हृदय पर बोझ है। उन्होंने इतिहास के इस विकृत रूप पर निराशा जताई और ऐतिहासिक वृत्तांतों में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की। उन्होंने 1915 में पहली भारत सरकार के गठन का जिक्र करते हुए इसे इन मुद्दों पर विचार करने का एक उपयुक्त अवसर बताया।
'न्याय का मजाक है'
धनखड़ ने कहा कि कितना बड़ा अन्याय,कितनी बड़ी त्रासदी। अपनी आजादी के 75वें वर्ष में,हम राजा महेन्द्र प्रताप सिंह जैसे महापुरुषों के वीरतापूर्ण कारनामों को स्वीकार करने में विफल रहे हैं, बुरी तरह विफल रहे हैं। हमारे इतिहास ने उन्हें वह स्थान नहीं दिया जिसके वे हक़दार हैं। हमारी आजादी की नींव,उनके और अन्य गुमनाम या कम-ज्ञात नायकों के सर्वोच्च बलिदानों पर बनी है। उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने इस उपेक्षा को न्याय का मजाक बताया और उन लोगों को उचित सम्मान देने के लिए ऐतिहासिक गलतफहमी को सुधारने के महत्व पर जोर दिया,जिन्होंने भारत की आजादी की नींव रखी।
किसानों की भी चर्चा
धनखड़ ने राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में किसानों के कल्याण के महत्व पर भी बात की। उन्होंने किसानों की भलाई को 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य से जोड़ा और किसानों से बातचीत के माध्यम से अपने मुद्दों को हल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना चाहिए कि आपस में न लड़ें या अपने ही लोगों को धोखा न दें,यही हम अपने दुश्मनों के लिए रखते हैं। हमारे लोगों को गले लगाया जाना चाहिए। जब तक किसानों के मुद्दे अनसुलझे रहेंगे,कोई कैसे आराम कर सकता है?
प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप देश के हर गांव में होनी चाहिए लखपति दीदी: सीतारमण
2 Dec, 2024 12:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि देश के हर गांव में लखपति दीदी होनी चाहिए। उसके लिए बैंको को जो काम करना है, वो कर रहे है। हर स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के माध्यम से महिलाओं को आर्थिक सहायता और ट्रेनिंग दी जा रही है। बिहार के मधुबनी में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान जनता को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि मेरा सभी से अनुरोध है कि बैंकों के जरिए जो योजनाएं भारत सरकार लायी है, वो उनका हिस्सा बनें और लाभ उठाएं जिससे सब लोग और सक्षम बन सकें। इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विभिन्न बैंकों द्वारा 50,294 लाभार्थियों को 1,121 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए।
मधुबनी में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के कुछ वरिष्ठ नागरिकों को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) कार्ड भी प्रदान किए गए। इससे पहले निर्मला सीतारमण ने बिहार के मधुबनी में बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की उपस्थिति में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर संसद सदस्य संजय कुमार झा, रामप्रीत मंडल, अशोक कुमार यादव और फैयाज अहमद भी उपस्थित थेI
क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम में संसद सदस्य रामप्रीत मंडल, संजय कुमार झा, डॉ. अशोक कुमार यादव और विधान सभा सदस्य विनोद नारायण झा, सुधांशु शेखर और घनश्याम ठाकुर भी शामिल हुए। इसके अलावा वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू, नाबार्ड के अध्यक्ष के.वी. शैजी; सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एमडी एम.वी. राव, सिडबी के सीएमडी मनोज मित्तल, डीएफएस के अतिरिक्त सचिव एम.पी. तंगिराला और एसबीआई के डीएमडी सुरिंदर राणा ने भी क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम में भाग लिया। इससे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और राज्यसभा सदस्य संजय झा के साथ मधुबनी में क्रेडिट आउटरीच कार्यक्रम के दौरान स्टालों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने उन स्टॉल मालिकों के साथ बातचीत की जिन्हें केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभ हुआ हैI