राजनीति
मोहन भागवत के बाद आरएसएस मुखपत्र में लिखा-स्वार्थ के लिए मंदिर का प्रचार गलत
2 Jan, 2025 09:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र पांचजन्य ने मंदिर-मस्जिद विवाद पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन किया है। पांचजन्य ने संपादकीय में लिखा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए मंदिरों का प्रचार कर रहे हैं और खुद को हिंदू विचारक के रूप में पेश कर रहे हैं। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने संपादकीय कि मंदिरों पर यह कैसा दंगल में लिखा- मंदिरों का राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल स्वीकार्य नहीं है। इसे राजनीति का हथियार नहीं बनाना चाहिए। भागवत का बयान गहरी दृष्टि और सामाजिक विवेक का आह्वान है।
मोहन भागवत ने 19 दिसंबर को पुणे में कहा था कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को लगता है कि वे नई जगहों पर इस तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन सकते हैं। हर दिन एक नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है? भारत को दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। हालांकि, आरएसए के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने मोहन भागवत से अलग राय रखी थी। पत्रिका ने इसे ऐतिहासिक सच जानने और सभ्यतागत न्याय की लड़ाई कहा था।
भ्रामक प्रचार को बढ़ावा देना चिंताजनक
भागवत के बयान के बाद मीडिया में लड़ाई जैसी स्थिति पैदा हो गई है। या तो यह जानबूझकर बनाई जा रही है। एक स्पष्ट बयान से कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। भागवत का बयान समाज से इस मुद्दे पर समझदारी से निपटने की एक स्पष्ट अपील थी। इन मुद्दों पर अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार को बढ़ावा देना चिंताजनक है। सोशल मीडिया ने इसे और बढ़ाया है। कुछ असामाजिक तत्व खुद को सामाजिक समझदार मानते हैं। वे सोशल मीडिया पर समाज की भावनाओं का शोषण कर रहे हैं। ऐसे असंगत विचारकों से दर रहना जरूरी है। भारत एक सभ्यता और संस्कृति का नाम है, जो हजारों साल से विविधता में एकता का सिद्धांत न केवल सिखाता रहा है, बल्कि इसे जीवन में भी अपनाया है। आज के समय में मंदिरों से जुड़े मुद्दों को राजनीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चिंताजनक है। सरसंघचालक ने इस प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह दृष्टिकोण दिखाता है कि हिंदू समाज को अपनी सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करते हुए राजनीतिक झगड़ों, व्यक्तिगत महिमामंडन और विवादों से बचना चाहिए। भागवत का संदेश एक गहरी सामाजिक चेतना को जागृत करता है। यह हमें याद दिलाता है कि इतिहास के घावों को कुरेदने के बजाय हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करते हुए समाज में सामंजस्य और सौहार्द की भावना को बढ़ावा देना चाहिए।
‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ नामक पुस्तक का विमोचन करेंगे अमित शाह
2 Jan, 2025 08:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह की अध्यक्षता करेंगे। इस दौरान वह ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ नामक पुस्तक का विमोचन करेंगे। इस कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समेत प्रख्यात लेखक, शिक्षाविद्, मंत्रालय के अधिकारी और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहेंगे। यह जानकारी बुधवार को भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने दी है।
आपको बता दें, ‘जम्मू कश्मीर एंड लद्दाख: थ्रू द एजेस’ शीर्षक वाली पुस्तक में जम्मू कश्मीर और लद्दाख की कहानी है। यह शीर्षक जम्मू कश्मीर और लद्दाख की वास्तविक कहानी को बताने का प्रयास करता है, जो विषय विशेषज्ञ और कम जानकार दोनों के लिए एक सिंहावलोकन हेतु सक्षम बनाता है। इसे सात खंडों में प्रस्तुत किया गया है। यह इस क्षेत्र के तीन हजार वर्षों से अधिक के इतिहास को कवर करता है। समावेशन के लिए चयनित प्रत्येक चित्रण एक युग उसके महत्व और भारतीय इतिहास के बड़े ऐतिहासिक कैनवास में योगदान का प्रतिनिधि होने के कारण बेहद सावधानी से किया गया है। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित यह पुस्तक नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत और भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव क्या अपनी रणनीति बदलेंगे?
1 Jan, 2025 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लखनऊ। यूपी में पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक यानी पीडीए पॉलिटिक्स से मजबूत बीजेपी को बैकफुट पर धकेलने वाले अखिलेश यादव क्या 2025 में अपनी रणनीति बदलेंगे? सवाल उठने लगा है कि अखिलेश यादव के लिए 2024 अच्छा रहा। उन्होंने समाजवादी पार्टी को माय यानी मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकालकर गैर यादव पिछड़ा और दलित समाज के भी स्वीकार्य बनाने में सफलता हासिल की है। हालांकि, लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतकर देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनने के बाद भी अखिलेश को अन्य प्रदेशों में तबज्जो नहीं मिली। ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की रणनीति पर सवाल उठाए जाने लगे हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन इंडिया का स्वरूप बदलता दिख रहा है। प्रदेश में मजबूत आम आदमी पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। लोकसभा चुनाव में आप और कांग्रेस गठबंधन के तहत चुनाव लड़ी थी, लेकिन बीजेपी को मात देने में सफल नहीं रही। ऐसे में आप ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ छोड़ा है। दरअसल आप को लगने लगा है कि कांग्रेस का वोट बैंक आप की तरफ शिफ्ट होना संभव नहीं है। आपसे गठबंधन कर कांग्रेस ही फायदे में रहेगी। आपके बदले रुख के बाद इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों के बीच भी हलचल तेज हो गई है।
दरअसल तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाया। यह सवाल राहुल गांधी की रणनीति पर उठाया जाना माना। इसके बाद विवाद में सपा और सहयोगी भी कूद पड़े। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद शिवसेना उद्धव गुट की ओर से 6 दिसंबर बाबरी मस्जिद विध्वंस के समर्थन में बयान आया। इस पर समाजवादी पार्टी ने आपत्ति जताई। विवाद इस कदर गहराया कि सपा ने इंडिया गठबंधन से बाहर होने के संकेत दे दिए। वहीं, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का नेता न चुने जाने का दावा किया। उन्होंने राहुल गांधी को नेता ही मानने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में अखिलेश ने सपा-कांग्रेस गठबंधन बरकरार रहने की बात कही थी।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सपा की रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं। पार्टी दिल्ली को लेकर क्या फैसला लेती है, यह देखना दिलचस्प होगा। दरअसल, लोकसभा चुनाव के बाद हुए पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी का रुख अलग दिख रहा है। हरियाणा में सपा ने कांग्रेस के लिए मैदान खुला छोड़ दिया था। वहीं, महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में पार्टी उतरी। पार्टी ने 8 उम्मीदवार उतारे। इंडिया गठबंधन से दो सीटों पर समर्थन मिला और उन पर पार्टी जीती भी। अखिलेश यादव सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने का दावा करते नजर आते हैं, लेकिन विधानसभा चुनावों में वे सहयोगी दलों के समर्थन की बात करते हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आप अलग-अलग मैदान में उतरेंगी। दोनों दलों ने अपने-अपने उम्मीदवार का ऐलान भी कर दिया है। एक-दूसरे पर हमले भी कर रही हैं। पिछले दिनों अखिलेश यादव पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का समर्थन करते दिखे।
आप दिल्ली की सत्ता पर एक दशक से काबिज है। पार्टी की स्थिति प्रदेश में मजबूत है। ऐसे में प्रदेश की विपक्षी पार्टी बीजेपी पर बढ़त बना सकती है। वहीं समाजवादी पार्टी की स्थिति उस स्तर की नहीं दिखती है। ऐसे में अगर अखिलेश चुनाव से दूर रहने और आप को समर्थन देने का ऐलान करते हैं तो आश्चर्य नहीं होगा। वहीं दिल्ली से कांग्रेस को यूपी चुनाव 2027 का संकेत भी मिल सकता है।
वायनाड भूस्खलन को गंभीर आपदा घोषित करने पर प्रियंका गांधी ने जताई खुशी
1 Jan, 2025 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने हाल ही में वायनाड में हुए भूकंप को गंभीर आपदा के रूप में घोषित कर दिया है। इस घटना के बाद कांग्रेस महासचिव और वायनाड से लोकसभा सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने खुशी जताई है। गृह मंत्रालय ने केरल सरकार को भूकंप के वर्गीकरण की मान्यता दी है, लेकिन अभी तक पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा नहीं की गई है। प्रियंका गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह से तत्काल धन राशि की मांग की है ताकि पुनर्वास के लिए जरूरी सहायता पहुंचाई जा सके। उन्होंने यह भी जताया कि यदि दंड प्राप्त करने वाले लोगों को अच्छे से मदद पहुंचाने के लिए पर्याप्त धनराशि पहुंचाई जाए, तो वह सभी धन्य होंगे। पिछले महीने प्रियंका ने केरल के सांसदों के साथ गृह मंत्री से मिलकर भूकंप प्राप्त करने वालों के लिए तत्काल वित्तीय सहायता और बुनियादी सुविधाओं की मांग की थी। उन्होंने वायनाड के लोगों के साथ दिखाए गए सहानुभूति के संदेश को बढ़ावा दिया और पुराने ढांचे को बहाल करने का भी आग्रह किया था। केरल के सांसदों ने भी केंद्र सरकार से पीड़ितों के लिए तेजी से धनराशि जारी करने की मांग की है, ताकि उन्हें जल्दी से जल्दी मदद पहुंचाई जा सके। भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता पहुंचाने के लिए सरकार से अग्रह किया गया है। इस समय महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति इस आपदा के प्राभाव से उबरने के लिए साथ मिलकर काम करें और तत्काल मदद पहुंचाने में सहायता करें। इस संकट के समय में, सहानुभूति और सहयोग की भावना हमें एक साथ खड़े होकर आगे बढ़ने में सहायता करेगी।
चिराग ने छात्रों पर लाठीचार्ज के बाद सीएम नीतीश से की हस्तक्षेप की अपील
1 Jan, 2025 11:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने पटना में बिहार लोक सेवा आयोग के अभ्यर्थियों पर हुए लाठीचार्ज के बाद इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हस्तक्षेप की अपील की है। उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा कि जल्द ही इस पहल के सार्थक परिणाम दिखेंगे। यह हमारी सरकार की सकारात्मक सोच और छात्रों के प्रति संवेदनशीलता का परिणाम है।
चिराग ने आगे लिखा कि पटना में हुए छात्रों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के इस्तेमाल का मैं कभी समर्थक नहीं रहा, पुलिस को संयम बरतना चाहिए। छात्र अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतरे हैं तो उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से समझा कर उनकी समस्याओं के निदान के लिए प्रयास करना चाहिए। न कि उन पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करना चाहिए। मैंने मुख्यमंत्री से इस बात को भी कहा है कि ऐसे पुलिस अधिकारी जो ऐसे कार्यों में संलिप्त पाए जाते हैं, उन पर भी कानून कार्रवाई की जानी चाहिए।
चिराग ने इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा कि बिहार के युवाओं और बीपीएससी अभ्यर्थियों के मुद्दों को लेकर एनडीए सरकार के प्रमुख सहयोगी होने के नाते मैंने बिहार सरकार और माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से तुरंत हस्तक्षेप करने की अपील की है। चिराग ने आगे लिखा कि इसके परिणामस्वरूप सरकार की ओर से मुख्य सचिव ने अभ्यर्थियों और छात्रों के साथ संवाद की प्रक्रिया शुरू कर दी है। चिराग ने लिखा कि मैं अभ्यर्थियों से भी अपील करता हूं कि वे शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से अपनी बातों को सरकार के समक्ष रखें और किसी भी राजनीतिक व्यक्तियों के बहकावे में आने से बचें। यह मुद्दा पूर्ण रूपेण युवाओं के भविष्य और बिहार के विकास से जुड़ा है, जिसे राजनीति से ऊपर रखकर हल किया जाना चाहिए।
शर्मिष्ठा ने खुद के भाई को फटकारा और कांग्रेस को खूब सुनाई खरी-खरी
1 Jan, 2025 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति स्व.प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी इन दिनों कांग्रेस को खूब खरी खोटी सुना रहीं हैं। यहां तक की वो अपने भाई को भी बख्शने को तैयार नहीं हैं। उनकी नाराजगी इस पर को लेकर है कि उनके पिता प्रणब का जब निधन हुआ था तो कांग्रेस ने उनके सम्मान में सीडब्ल्यूसी की बैठक तक नहीं बुलाई थी। फिर पूर्व पीएम डॉ मनमोहन सिंह के लिए स्मारक बनाने के कांग्रेस क्यों अड़ी हुई है। अपने एक्स पोस्ट पर शर्मिष्ठा ने लिखा की, राहुल के भक्त-चेले जो मेरे पिता को उनके आरएसएस दौरे के लिए संघी कहते हैं, मैं उन्हें चुनौती देती हूं कि अपने नेता से सवाल करें कि उन्होंने संसद में नरेंद्र मोदी को गले क्यों लगाया, जिन्हें उनकी मां ने मौत का सौदागर कहा था? उनके घटिया तर्क के हिसाब से तो राहुल भी मोदी के ही साथी हुए? शर्मिष्ठा ने एक दूसरे पोस्ट में लिखा, इन मूर्खों और चाटुकारों के झुंड के साथ कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिश के लिए राहुल गांधी को शुभकामनाएं! जाइए अपनी नफरत की दुकान चलाए। मुझे परवाह नहीं!
शर्मिष्ठा ने अपने भाई को दिया जवाब
अपने भाई अभिजीत मुखर्जी की प्रतिक्रिया पर पलटवार करते हुए शर्मिष्ठा ने एक पोस्ट में कहा, शर्म आनी चाहिए उस व्यक्ति पर जो एक ऐसी पार्टी में फिर से शामिल होना चाहता है जिसके समर्थक दिन-रात उसके पिता को सबसे घिनौने तरीके से गाली देते हैं। गौरतलब है कि कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया था। अभिजीत ने कहा था कि मनमोहन सिंह के निधन पर किसी तरह का विवाद नहीं होना चाहिए। अपनी बहन के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि 2020 में प्रणब मुखर्जी के निधन के दौरान कोविड-19 प्रतिबंध लागू थे। उन्होंने कहा, कांग्रेस एक रैली निकालना चाहती थी, लेकिन वे कोविड-19 के कारण यह नहीं कर सके। लेकिन वे आए और मुलाकात की। यहां तक कि पीएम मोदी, राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता भी आए।
बीड सरपंच हत्या को लेकर फडणवीस सरकार पर बढ़ा मंत्री को हटाने का दबाव
1 Jan, 2025 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार बीड के मस्साजोग सरपंच की मौत के बाद दबाव में है। कथित तौर पर बीड सरपंच संतोष देशमुख की एनसीपी मंत्री धनंजय मुंडे के करीबी सहयोगी के इशारे पर हत्या कर दी गई। उसको लेकर लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। बुलढाणा जिले के सिंदखेड राजा में लोगों ने विरोध मार्च निकाला और वाल्मिक कराड और अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। लातूर और बीड में भी विरोध हो चुका है।
संतोष देशमुख के अपहरण और हत्या ने महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। उनकी छवि साफ-सुथरी थी। दावा किया जा रहा है कि बीड में एक सौर ऊर्जा कंपनी की जबरन वसूली की कोशिश को रोकने के बाद उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्या से जातिगत मतभेद भी खुलकर सामने आ गया है, क्योंकि देशमुख मराठा समुदाय से थे और कथित हत्यारे वंजारी समुदाय से हैं। मराठा योद्धा राजा शिवाजी के वंशज संभाजी राजे ने मामले में कार्रवाई की मांग के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल से मुलाकात की बात कही है। एनसीपीएसपी के बीड लोकसभा सांसद बजरंग सोनवाने ने घोषणा की है कि अगर दोषियों को 2 जनवरी तक गिरफ्तार नहीं किया तो वे अनशन पर बैठ जाएंगे। केवल विपक्ष ही नहीं है जो दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहा है, महायुति के भी कई विधायक संतोष देशमुख के परिवार के साथ हैं।
बता दें सोमवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने देशमुख के परिवार से मुलाकात की थी और कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह सही है कि दोषियों को गिरफ्तार करने में इतना समय लगना चाहिए। इधर मारे गए सरंपच के भाई ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने याचिका में धनंजय मुंडे को महाराष्ट्र मंत्रिमंडल से हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। सरंपच के भाई ने याचिका में अनुरोध किया कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए यह जरूरी है। याचिका औरंगाबाद पीठ में हुई है।
बता दें पुलिस के मुताबिक मस्साजोग गांव के सरपंच देशमुख का 9 दिसंबर को किडनैप हुआ था। आरोप है कि बीड में एक ऊर्जा कंपनी से जबरन वसूली की कोशिश को विफल करने के प्रयास में उनका अपहरण कर लिया। देशमुख को प्रताड़ित किया गया और बाद में उनकी हत्या कर दी गई। उनकी लाश अपहरण स्थल से 40 किलोमीटर दूर मिली थी। विपक्षी दलों और बीजेपी के एक विधायक ने धनंजय मुंडे पर अपने सहयोगी वाल्मीक कराड के साथ घनिष्ठ संबंध होने का आरोप लगाया था। जबरन वसूली के मामले में दर्ज की गई प्राथमिकी में कराड का नाम सामने आया था और वह इसके बाद से ही फरार है। सरपंच की हत्या के सिलसिले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है।
महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणा के बयान पर केरल में बवाल, सीएम विजयन ने की आलोचना
1 Jan, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने महाराष्ट्र के मंत्री नितेश राणा के केरल को मिनी पाकिस्तान बताने सम्बंधी बयान को अत्यंत दुर्भावनापूर्ण और अत्यंत निंदनीय बताया है और कहा है कि यह केरल के खिलाफ घृणा अभियान को दर्शाता है। एक्स पर पोस्ट करते हुए विजयन ने लिखा, महाराष्ट्र के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नितेश राणे के केरल को मिनी पाकिस्तान करार देने वाली अपमानजनक टिप्पणी अत्यंत दुर्भावनापूर्ण और निंदनीय है। इस तरह की बयानबाजी धर्मनिर्पेक्षता और सांप्रदायिक सद्भाव के गढ़ केरल के खिलाफ संघ परिवार द्वारा चलाए जा रहे घृणा अभियानों को दर्शाती है। हम केरल पर इस घृणित हमले की कड़ी निंदा करते हैं और सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों से संघ परिवार के घृणित प्रचार के खिलाफ एकजूट होने का आह्वान करते हैं।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता नारायण राणे के 42 वर्षीय बेटे नितेश राणे देवेंद्र फडणवीस सरकार में मत्स्य पालन और बंदरगाह विकास जैसे विभागों का कार्यभार संभाल रहे हैं। नितेश राणे ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा पर निशाना साधते हुए कहा था कि दोनों केरल के वायनाड से इसलिए जीते क्योंकि वो मिनी पाकिस्तान है। उन्होंने कहा था, केरल मिनी पाकिस्तान है और इस वजह से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा वहां से चुने गए। सभी आतंकवादी उनके लिए वोट करते हैं। यह सच है और आप पूछ सकते हैं। वे आतंकवादियों को साथ से सांसद बने हैं।
इस बयान पर कांग्रेस प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा, नीतेश राणे से और क्या उम्मीद की जा सकती है? उन्हें इसी काम के लिए चुना गया है। हालांकि, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और देवेंद्र फडणवीस से पूछना चाहता हूं वह व्यक्ति (राणे) मंत्री हैं और उन्होंने भारत की संप्रभुता और एकता को बनाए रखने के लिए संविधान की शपथ ली है। अब वह देश के एक राज्य को पाकिस्तान बता रहे हैं। वह वहां के मतदाताओं को आतंकवादी कह रहे हैं। क्या उन्हें मंत्री पद पर बने रहने का अधिकार होना चाहिए?
इस मामले में नितेश राणे ने सफाई दी है। उन्होंने कहा, केरल भारत का हिस्सा है। हालांकि, घटती हुई हिंदुओं की आबादी को लेकर हर किसी को चिंता करनी चाहिए। वहां पर हिंदुओं का मुस्लिम या फिर क्रिश्चन धर्म अपनाना रोजाना की बात हो गई है।
बिहार में विपक्षी गठबंधन में तनातनी, तेजस्वी के लिए खड़ी हो रहीं चुनौतियां
31 Dec, 2024 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। बिहार में विपक्षी गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। यहां जो खबरें आ रहीं है उसके आधार पर चर्चा होने लगी है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले समय में तेजस्वी यादव की राह में कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी।एनडीए में तो केवल बयानबाजी तक ही बात सीमित रही है, जबकि विपक्षी दलों के बीच विवाद बहुत गहरा गया है। विपक्षी गठबंधन की सबसे बड़ी चिंता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व को लेकर उत्पन्न हुई है। लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं, और इसके लिए वे अपनी सारी ताकत झोंक रहे हैं। तेजस्वी भी अपना काम कड़ी मेहनत से कर रहे हैं, लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि आरजेडी के भीतर ही पार्टी के बड़े नेता उनके साथ नहीं हैं।
लालू यादव का कांग्रेस और वाम दलों के साथ गठबंधन काफी पुराना है, और वे कई बार पार्टी के हित में कांग्रेस के पक्ष में खड़े रहे हैं। हालांकि, पिछले साल पटना में हुई इंडिया ब्लॉक की बैठक में उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व को चुनौती दी और ममता बनर्जी को इस गठबंधन का नेतृत्व सौंपने पर सहमति दे दी। यह स्थिति कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि राहुल गांधी को पहले ही बिहार में तेजस्वी यादव द्वारा ड्राइवर की भूमिका निभाई गई थी, और अब कांग्रेस और लालू के बीच रिश्ते और भी खटास भरे हुए हैं। इस स्थिति में, राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का स्वरूप भी प्रभावित हुआ है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ममता बनर्जी ने कांग्रेस को किनारे कर दिया था, और अब आम आदमी पार्टी और टीएमसी भी कांग्रेस के खिलाफ सख्त रुख अपना रही हैं।
फरवरी 2024 से लेकर अब तक कई प्रमुख नेताओं ने आरजेडी को छोड़ दिया है, जिनमें अफाक करीम, बुलो मंडल, देवेंद्र प्रसाद यादव, रामबली प्रसाद चंद्रवंशी और श्याम रजक जैसे नेता शामिल हैं। अब पूर्व एमएलसी आजाद गांधी ने भी पार्टी छोड़ दी है। इसके अलावा, आरजेडी के दो विधायक चेतन आनंद और नीलम देवी ने फरवरी में तेजस्वी यादव की योजना को झटका दिया था, जब उन्होंने नीतीश कुमार के पक्ष में वोट किया था। इस स्थिति को देखते हुए, तेजस्वी की ताकत लगातार कमजोर होती जा रही है।
झूठ एक दिन उजागर हो ही जाता है, मैं जो वादा करती हूं, उसे पूरा करती हूं
31 Dec, 2024 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
संदेशखली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी संदेशखली पहुंची। उनका यह दौरा चर्चा में रहा क्योंकि संदेशखाली हिंसा के एक साल बाद वह पहली बार यहां पहुंची थीं। सीएम ममता ने यहां रैली की। इस दौरान ममता ने बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि झूठ एक दिन उजागर हो ही जाता है। लोकसभा चुनाव से पहले सामूहिक दुष्कर्म को लेकर संदेशखाली में हिंसा हुई थी।
सीएम ममता ने लक्ष्मी भंडार योजना का जिक्र किया, जिसके बारे में कई लोगों का मानना है कि यह तृणमूल के लिए चुनावों में गेम चेंजर साबित हुई। उन्होंने कहा कि आपको विधवा पेंशन के लिए इंतजार या भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। जब तक आप जीवित रहेंगी आपको यह मिलती रहेगी, सिर्फ 60 साल की उम्र तक नहीं। मैं कम बोलती हूं, लेकिन जो वादा करती हूं, उसे पूरा करती हूं। मैं बकवास नहीं करती या ऐसा कुछ करने का वादा नहीं करती, जो मैं नहीं कर सकती।
सीएम ने महिलाओं से कहा कि बदमाशों पर भरोसा न करें। ममता बनर्जी ने कहा कि अच्छी तरह से रहें, साथ रहें। सीएम ममता ने कहा कि यदि आप राज्य की योजनाओं के लिए आवेदन करना चाहते हैं और आपके दरवाज़े पर आना चाहते हैं तो प्रशासन दुआरे सरकार आयोजित करेगी। अगर कोई आपको गुमराह करे तो उसकी बात न सुनें। ये सरकारी योजनाएं हैं। आपको सीधे लाभ मिलेगा और आपको किसी को भुगतान करने की ज़रूरत नहीं है। यह राज्य का पैसा है, जनता का पैसा है, आपका पैसा है।
ममता ने कहा कि झूठ लंबे समय तक नहीं टिकते, एक दिन उनका पर्दाफाश हो जाता है। आपने देखा कि यह सब दिखावा था। पैसा आएगा और जाएगा, लेकिन आत्मसम्मान बना रहता है। आप बीजेपी की साजिश के बारे में जानते हैं। उसके पास बहुत पैसा है। वह जो पैसे ऑफर करता है, उसे मत लीजिए। अगर संदेशखली में कुछ भी होता है, तो कुछ ही सेकंड में सूचना मेरे पास पहुंच जाती है। मैं सुबह से रात तक आपकी सुरक्षा में हूं। रैली से पहले उन्होंने संदेशखाली के कुछ ग्रामीणों से भी बात की।
राहुल गांधी विपक्ष के नेता नहीं, बाउंसर की तरह कर रहे थे व्यवहार
31 Dec, 2024 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। बीजेपी सांसद प्रतापचंद्र सारंगी ने एक बार फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की आलोचना करते हुए उनके व्यवहार को लोकसभा में विपक्षी नेता के पद के लिए उपयुक्त होने के बजाय बाउंसर बताया है। संसद में हाथापाई के बाद घायल सारंगी ने कहा कि वह अब तुलनात्मक रूप से बेहतर हैं और उन्हें 28 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
बता दें 19 दिसंबर की संसद में हुई धक्का-मुक्की की घटना को याद करते हुए सारंगी ने कहा कि यह तब हुआ जब हम सभी बीजेपी सांसद एक प्रवेश द्वार के पास खड़े थे, शांतिपूर्वक तख्तियां लिए हुए अंबेडकर के अपमान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अचानक राहुल गांधी अपनी पार्टी के कुछ साथियों के साथ आए और लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने लगे। वह लोकसभा में विपक्ष के नेता की तरह नहीं, बल्कि एक बाउंसर की तरह व्यवहार कर रहे थे।
सारंगी ने दावा किया कि गेट के पास गांधीजी के लिए बिना किसी व्यवधान के गुजरने के लिए पर्याप्त जगह थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सामने खड़े सांसद मुकेश राजपूत को धक्का दे दिया। राजपूत मेरे ऊपर गिर गए और मेरा सिर पत्थर जैसी वस्तु के कोने से टकराया, जिससे मैं घायल हो गया। उन्होंने कहा कि जब किसी ने उन्हें घटना की जानकारी दी तो राहुल गांधी मेरे पास आए लेकिन वह बिना कोई वास्तविक चिंता दिखाए तुरंत चले गए।
हिम्मत है तो अगले कैबिनेट में 10 साल का एरियर देकर दिखाओ
31 Dec, 2024 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (आप) ने पुजारियों और ग्रंथियों से वादा किया है जिसके लिए उसे कई सालों से घेरा जा रहा था। दिल्ली की आप सरकार ने कहा है कि यदि विधानसभा चुनाव में जीत मिली तो दिल्ली के पुजारियों और ग्रंथियों को भी 18 हजार रुपए मासिक सम्मान राशि दी जाएगी। अब तक दिल्ली सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती रही बीजेपी ने केजरीवाल के वादे पर जोरदार प्रहार किया है। बीजेपी ने इसे झूठा वादा बताते हुए मांग की है कि पहले पुजारियों और ग्रंथियों को एरियर दिया जाए।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक्स पर एक वीडियो जारी कर कहा कि केजरीवाल सरकार से पुजारियों-ग्रंथियों को तुरंत एरियर देने की मांग की। उन्होंने लिखा- 10 साल तक मंदिरों के पुजारी और गुरुद्वारों के ग्रंथी उनकी सूची में थे ही नहीं, अब उन्हें ठगने का नया नाटक शुरू कर दिया है। हिम्मत है तो अगले कैबिनेट में 10 साल का एरियर देकर दिखाओ। नकली सेक्युलरिज्म का खेल अब नहीं चलेगा। गिरिराज ने कहा कि केजरीवाल ने पहले महिलाओं को बुरबक बनाने की कोशिश की और अब दूसरों को ज्ञान देने वाले लोगों के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है।
गिरिराज ने कहा कि केजरीवाल जी आपने तो रंग बदलने की राजनीति में महारत पा ली। लेकिन एक दिन पहले तो दिल्ली की दीदियों को बुरबक बनाया, पोल खुल गया। अब पुजारियों और ग्रंथियों को बुरबक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यदि आप में हिम्मत है और सही में देना चाहते हैं तो 10 साल में जितना मौलवियों को पैसा दिया वह जोड़कर एकमुश्त एयरियर कैबिनेट में पास करके पुजारियों और ग्रंथियों को दें, तब समझूंगा कि आपकी देने की इच्छा है। आखिर चुनाव आया है तब ही आपके मन में प्रश्न उठा। इससे पहले तो आपके मन में कभी नहीं आया।
झूठ को बार-बार फैलाने से वह सच नहीं बन जाएगा: हरदीप सिंह पुरी
31 Dec, 2024 01:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। देश की राजधानी में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी पर निशाना साधते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग की है। इस पर केंद्रीय मंत्री पुरी ने पलटवार करते हुए केजरीवाल को जवाब दिया है।
केंद्रीय मंत्री पुरी ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि एक ही झूठ को बार-बार फैलाने से वह सच हो नहीं बन जाएगा। आपके झूठे होने का बार-बार प्रमाण जरूर देगा। सच्चाई यह है कि आज तक कहीं भी, किसी भी रोहिंग्या को, कोई भी ईडब्ल्यूएस फ्लैट नहीं दिया गया है। पुरी ने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के विधायक ने रोहिंग्या को दिल्ली में बसाकर, उन्हें मुफ्त राशन, पानी और बिजली के साथ 10 हजार रुपए देकर उनका वोटर कार्ड बनवाया है, क्योंकि रोहिंग्या किस पार्टी के वोटर हो सकते हैं, यह पूरे देश को पता है। इनकी तो फितरत ऐसी है कि ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको केजरीवाल ने ठगा नहीं।
दरअसल, दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि मेरा पुलिस से निवेदन है कि हरदीप पुरी को गिरफ्तार कर लीजिए। उनके पास सारे डाटा हैं। उन्होंने कहां-कहां रोहिंग्याओं को बसाया, ये पोस्ट करके बताया है। ये इतनी मेहनत करने की नौटंकी क्यों कर रहे हैं। इस आरोप पर खुद केंद्रीय मंत्री पुरी ने केजरीवाल को सोशल मीडिया एक्स के जरिए जवाब दिया है।
पुरी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा कि झूठ की धूप से तो बर्फ भी नहीं पिघलती, सच तो फिर भी चट्टान की तरह होता है। एक ही झूठ को बार-बार फैलाने से वह सच में तो बदलेगा नहीं। केजरीवाल जी के विधायक ने उन्हें दिल्ली में बसाकर है, क्योंकि रोहिंग्या किस पार्टी के वोटर हो सकते हैं, यह पूरे देश जानता है। उन्होंने आगे लिखा कि केजरीवाल जी का रोहिंग्या को बार-बार सपोर्ट करना देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। जिस ट्वीट को आधार बनाकर ये झूठ फैला रहे हैं, उसका क्लेरिफिकेशन उसी दिन महज कुछ घंटे बाद गृह मंत्रालय और मेरे द्वारा दे दिया गया था। यह पब्लिक डोमेन में है, फिर भी झूठ फैलाना बेशर्म जैसा है। यह निम्न स्तर की राजनीति की पराकाष्ठा है। शर्म करिए, झूठ बोलने से बाज आइए।
2025 में आख़िर कैसा रहेगा राजनीतिक मतभेदों का पारा?
31 Dec, 2024 12:55 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। 2025 में भारत का राजनीतिक पटल गरमा गरम रहेगा। दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों के साथ-साथ मुंबई महानगरपालिका के चुनाव भी होंगे। कांग्रेस संगठनात्मक बदलावों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि भाजपा और संघ अपने 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बड़े आयोजन करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 75 वर्ष के हो जाएंगे और भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भी मिलेगा। 2024 भारतीय राजनीति के लिए एक महत्त्वपूर्ण साल था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सत्ता बरकरार रखी, लेकिन विपक्षी दलों ने भी अपनी चुनौती पेश की। राज्य चुनावों, किसान आंदोलनों, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों ने राजनीति को नया मोड़ दिया। यह साल यह दिखाता है कि भारतीय राजनीति अब केवल दो प्रमुख दलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि क्षेत्रीय और समाजवादी दल भी राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 2024 ने यह साबित किया कि भारतीय राजनीति में 2025 में और अधिक बदलाव और संघर्ष देखने को मिल सकता है।
वर्ष 2025 चुनावों से परे देखने का एक अवसर प्रदान करता है। 2024 में, भारत, में राजनीति ने आश्चर्यजनक मोड़ लिया। ये घटनाक्रम कुछ जगहों पर अभूतपूर्व थे, दूसरों में तेज़ या अप्रत्याशित थे। इसने दिखा दिया कि भारतीय राजनीति में अब क्षेत्रीय दलों की ताकत लगातार बढ़ रही है और भविष्य में ये दल राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं। 2025 में चुनावों से परे देखने का मौका मिलेगा। यह शायद ऐसा साल होगा जिसमें शासन केंद्र में होगा। 2024 के लोकसभा चुनाव का एक संदेश यह था कि लोग संयम के साथ निरंतरता को प्राथमिकता देते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने जानबूझकर जनादेश को ग़लत तरीके से पढ़ने का विकल्प चुना है। उनकी राजनीतिक स्थिति सख्त हो गई है और उन्होंने अपनी कटु प्रतिद्वंद्विता को रोज़मर्रा की राजनीति, संसद और उससे परे तक ले गए हैं।
संसद में घिनौना हंगामा और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से दुश्मनी और बढ़ेगी। हालात सामान्य होने के लिए दोनों पक्षों को अपने-अपने राजनीतिक और वैचारिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के साथ ही संवाद और बातचीत के लिए कोई बीच का रास्ता निकालना होगा। ऐसा लगता नहीं है कि मंदिर और मस्जिद पर राजनीति 2025 में ख़त्म हो जाएगी। 10 मस्जिदों / मजारों से जुड़ी कम से कम 18 याचिकाएँ इस समय अदालतों में लंबित हैं। मुस्लिम स्थलों पर हिंदू अधिकारों का दावा करने वाले नए मुकदमों में से अधिकांश उत्तर प्रदेश में दायर किए गए हैं। विधानसभा चुनाव अभी दो साल से ज़्यादा दूर हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में राजनीतिक परिदृश्य अभी से गरमाने लगा है।
2025 में होने वाले प्रमुख विधानसभा चुनाव तीन प्रमुख राजनीतिक ब्रांडों-नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और नरेंद्र मोदी के लिए एक परीक्षा होंगे। अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव ब्रांड नीतीश के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी, जिनका राजनीतिक निधन एक से ज़्यादा बार लिखा जा चुका है। चुनाव में तेजस्वी यादव की राजनीतिक क्षमता का भी परीक्षण होगा, जो लंबे समय से बिहार के मुख्यमंत्री बनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। 2013 से दिल्ली में सत्ता में काबिज अरविंद केजरीवाल आप को लगातार तीसरी बार सत्ता में ला पाएंगे? आज, केजरीवाल की छवि और उनकी राजनीति का ब्रांड दोनों ही दांव पर हैं। प्रधानमंत्री की ब्रांड वैल्यू भी बिहार और दिल्ली दोनों में परखी जाएगी। 2014 से तीन बार सभी सात लोकसभा सीटें जीतने के बावजूद भाजपा ढाई दशक से अधिक समय से दिल्ली में राजनीतिक रूप से निर्जन है।
लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक-जिसे अब संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया है-भाजपा की इस बात की परीक्षा लेगा कि वह इस मामले में अपनी बात मनवा पाती या नहीं। पिछले 10 वर्षों में, भाजपा विवादास्पद कानून पारित करवाने में सफल रही है, जिसमें जम्मू-कश्मीर को विभाजित करने और (पूर्ववर्ती) राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने का विधेयक भी शामिल है। अब स्थिति अलग है। लगभग पूरा विपक्ष एक राष्ट्र, एक चुनाव प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट है। जाति, जनगणना, यूसीसी ऐसे वर्ष में जब केंद्र सरकार विलंबित दशकीय जनगणना अभ्यास शुरू करने का इरादा रखती है, जाति पर बयानबाजी और भी तीखी हो जाएगी। बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार जनगणना में जाति को शामिल करेगी।
जाति और सामाजिक न्याय का मुद्दा भाजपा के हिंदुत्व के अभियान का मुकाबला कर सकता है और इसी कारण से भाजपा बटेंगे तो कटेंगे और एक हैं तो सुरक्षित हैं जैसे राजनीतिक नारे दे रही है। यूसीसी को आगे बढ़ाने के प्रयास राजनीति में नई दरार पैदा कर सकते हैं। बी.आर.अंबेडकर की विरासत को लेकर संसद में बयानबाजी से संकेत मिलता है कि दस्ताने पूरी तरह से बंद हो चुके हैं। प्रधानमंत्री ने मौजूदा सांप्रदायिक नागरिक संहिता के बजाय धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता की ओर बढ़ने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। 2024 का साल भारतीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण बदलावों और घटनाओं से भरा रहा। यह साल ख़ास तौर पर लोकसभा चुनाव, विपक्षी एकजुटता, राज्यों में राजनीतिक बदलाव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिए चुनौतियों का साल रहा। साथ ही, यह दिखाता है कि बीजेपी को राज्यों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करनी होगी।
2024 भारतीय राजनीति के लिए एक महत्त्वपूर्ण साल था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने अपनी सत्ता बरकरार रखी, लेकिन विपक्षी दलों ने भी अपनी चुनौती पेश की। राज्य चुनावों, किसान आंदोलनों, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों ने राजनीति को नया मोड़ दिया। यह साल यह दिखाता है कि भारतीय राजनीति अब केवल दो प्रमुख दलों तक सीमित नहीं रही, बल्कि क्षेत्रीय और समाजवादी दल भी राष्ट्रीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 2024 ने यह साबित किया कि भारतीय राजनीति में 2025 में और अधिक बदलाव और संघर्ष देखने को मिल सकता है।
चिराग और नीतिश की नजदीकियां, क्या बिहार में कोई नया गुल खुलाएगी
31 Dec, 2024 11:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आरा । लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की राजनीति में बढ़ती महत्वकांक्षाएं और भाजपा से बढ़ती दूरी अब बिहार की राजनीति को नए मोड़ पर ला सकती हैं। चिराग ने हाल ही में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में 50 सीटों पर लड़ाने की घोषणा की थी, जो भाजपा के लिए चिंता का कारण बन गई है। इस घोषणा से साफ हो गया है कि चिराग अब अपने राजनीतिक रास्ते पर अकेले ही आगे बढ़ने को तैयार हैं। चिराग का यह कदम भाजपा के लिए एक नए राजनीतिक चुनौती का संकेत हो सकता है, खासकर तब जब उनकी नजदीकी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बढ़ रही है।
भाजपा के लिए चिंता का कारण बन सकती ये नजदीकियां
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि चिराग अब भाजपा से बात न बनने के कारण मुख्यमंत्री नीतीश के साथ अपनी राजनीतिक पटरी जोड़ने में लगे हैं। यह संभव है कि नीतीश कुमार और चिराग मिलकर एक नया गठबंधन बनाएंगे, जिसमें वाम दल, लोजपा (आर), बसपा और अन्य छोटे दल शामिल हो सकते हैं। इस नए गठबंधन का मकसद भाजपा और राजद को छोड़कर एक नए विकल्प के तौर पर विधानसभा चुनाव में उतारना है। अगर यह गठबंधन बनता है, तब यह भाजपा के लिए बड़ा संकट बन सकता है, क्योंकि बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान एक मजबूत गठबंधन भाजपा के लिए परेशानी पैदा कर सकता है।
चिराग की विदेश यात्राओं पर भी भाजपा की नजरें
चिराग की विदेश यात्राओं पर भी भाजपा की नजरें टिकी हुई हैं। उन्होंने हाल ही में अमेरिका, पेरिस और लंदन की यात्रा की है, इससे सवाल उठने लगा है कि चिराग पासवान भविष्य में कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा को यह डर है कि चिराग पासवान का यह बढ़ता प्रभाव उनके समर्थक वोट में विभाजन का कारण बन सकता है। इसके पहले चिराग ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था, लेकिन अब उनकी राजनीति की दिशा भाजपा से दूर होती जा रही है।