राजनीति
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी टिप्पणी के बाद भाजपा के निशाने पर
28 Mar, 2025 10:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी टिप्पणी के बाद भाजपा के निशाने पर आ गई हैं।
ब्रिटेन की यात्रा के दौरान सीएम ममता बनर्जी से पूछा गया था कि क्या भारत 2060 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने इस भविष्यवाणी को खारिज कर दिया, जिसके बाद भाजपा ने उनकी कड़ी आलोचना की।
साक्षात्कारकर्ता ने सवाल किया था, “हम ब्रिटेन में छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जल्द ही वह तीसरे नंबर पर होगा। मेरा अनुमान है कि भारत 2060 तक पहली सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।”
इस सवाल के जवाब में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं इससे असहमत हूं।”
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने सीएम ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए उन पर भारत की आर्थिक वृद्धि को स्वीकार करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
भाजपा प्रवक्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए लिखा, “ममता बनर्जी को शर्म आनी चाहिए!” उन्होंने कहा, “विश्व मानता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत आर्थिक उन्नति की ओर अग्रसर है! यहां तक कि विदेशी धरती पर भी छोटे इंडिया गठबंधन के नेता भारत के बारे में अच्छा नहीं बोल सकते।”
वरिष्ठ भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी ममता बनर्जी के बयान की निंदा करते हुए इसे अपमानजनक बताया।
अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भारत के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से परेशानी है। यह वाकई शर्मनाक है। विदेशी धरती पर ऐसा व्यवहार कौन कर सकता है?”
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भारत के दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने से परेशानी है… यह वाकई शर्मनाक है। यह उनके संवैधानिक पद के लिए अपमान है। विदेशी धरती पर कौन इस तरह का व्यवहार करता है?”
शक्ति यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘थका हुआ सीएम’ बताया
28 Mar, 2025 09:54 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता शक्ति यादव ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘थका हुआ सीएम’ बताया। उनके मुताबिक प्रदेश पर ‘रिटायर्ड अधिकारी’ हावी हैं, जिससे बिहार ‘भ्रष्टाचार के गहरे गड्ढे’ में फंस चुका है।
दरअसल, गुरुवार को पटना में भवन निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता तारिणी दास और अन्य अधिकारियों के ठिकानों पर पड़ी ईडी रेड को लेकर नीतीश सरकार पर हमला बोला। आरोप लगाया कि बिहार भ्रष्टाचार के दलदल में डूब गया है।
उन्होंने कहा कि बिहार भ्रष्टाचार के दलदल में डूब गया है और यहां “थके हुए मुख्यमंत्री” और “रिटायर्ड अधिकारी” शासन चला रहे हैं। यादव ने इसे सरकार के भ्रष्टाचार पर सीधा हमला करार दिया।
शक्ति यादव ने कहा, “तारिणी दास पर ईडी का छापा कोई साधारण बात नहीं है। यह सरकार के भ्रष्टाचार की पोल खोलता है। सत्ता में बैठे लोग रिटायर्ड अधिकारियों को बार-बार बिना कैबिनेट की मंजूरी के पदों पर बिठा रहे हैं। तारिणी दास को पहले उत्तर बिहार का मुख्य अभियंता बनाया गया। फिर कैबिनेट से बाद में मंजूरी लेकर इनका सेवा विस्तार किया गया। इतना ही नहीं, इन्हें भवन निर्माण निगम का भी जिम्मा दे दिया गया। यह सिर्फ एक उदाहरण नहीं है। रिटायर्ड अधिकारियों को ही बड़े पदों पर बैठाया जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “मुख्यमंत्री थके हुए हैं और राज्य में रिटायर्ड अधिकारी हावी हैं। बिहार भ्रष्टाचार के गहरे गड्ढे में फंस चुका है। जहां देखो, वहां भ्रष्टाचार दिखता है। लोग इन्हें भ्रष्टाचारियों का अड्डा यूं ही नहीं कहते। तारिणी दास जैसे लोगों की पहुंच ऊपर तक है। मुख्यमंत्री के आसपास बैठे कई मंत्री और नेता इन्हें संरक्षण दे रहे हैं। ये सब मिलकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।”
यादव ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह छापेमारी सत्ता के भ्रष्ट नायकों को बेनकाब कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार की सरकार में नियम-कानून को ताक पर रखकर अपने चहेतों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। जो अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, उन्हें फिर से बड़े पद देना और सेवा विस्तार करना, यह सब भ्रष्टाचार को बढ़ाने का खेल है। बिहार की जनता यह सब देख रही है।
बता दें कि 27 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने भवन निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर तारिणी दास के फुलवारी शरीफ स्थित पूर्णेंदु नगर के आवास पर छापेमारी की थी।
कई गाड़ियों में सवार होकर जांच टीम पूर्णेंदु नगर में स्थित तारिणी दास के घर पर पहुंची थी और गेट बंद कर दिया था, ताकि न कोई अंदर से बाहर जा सके और न कोई बाहर से अंदर आ सके। जानकारी के अनुसार, यह कार्रवाई कथित भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामले में की गई थी। ईडी की टीम ने उनके घर से महत्वपूर्ण दस्तावेज और संपत्ति से संबंधित कागजात जब्त कर लिए थे।
घुसपैठियों को शरण देने का काम सीपीआई (एम) ने बहुत तेजी से किया
28 Mar, 2025 08:16 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पश्चिम बंगाल सरकार पर भारत-बांग्लादेश सीमा पर फेंसिंग नहीं करने, अवैध घुसपैठ को बढ़ावा देने, अवैध ढंग से आधार कार्ड बनवाने के आरोप पर गुरुवार को भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जो काम पहले सीपीआई (एम) करती थी, वही काम आज तृणमूल कांग्रेस कर रही है।
भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, “घुसपैठियों को शरण देने का काम सीपीआई (एम) ने बहुत तेजी से किया था, उन लोगों का आधार कार्ड और राशन कार्ड बनवाया था। उस समय ममता बनर्जी ने वोटर लिस्ट को संसद में उछालकर स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के मुंह पर फेंका था और घुसपैठियों का नाम वोटर लिस्ट से निकालने के लिए कहा था। लेकिन जब से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी हैं, उन्होंने एक बार भी घुसपैठियों का नाम तक नहीं लिया। पहले जो काम सीपीआई (एम) करते थे, वही काम अब तेजी से ममता बनर्जी कर रही हैं।”
उन्होंने कहा, “करीब 450 किलोमीटर सीमा पर कटीले तार के बाड़ हो सकते हैं, लेकिन ममता बनर्जी जानबूझकर इसे होने नहीं दे रही हैं ताकि अवैध बांग्लादेशी यहां से भारत में आ पाएं और फर्जी तरीके से उनका वोटर और आधार कार्ड बन जाए। जितने वोटर लिस्ट में अवैध नाम होंगे, उसका फायदा टीएमसी को होगा। जो सरकार अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या को अपना वोट बैंक मानती है, वह कभी घुसपैठ पर लगाम नहीं लगाएगी। इस बार 2026 बंगाल चुनाव में टीएमसी सरकार को उखाड़ फेंकना है। गृह मंत्री अमित शाह ने जो कहा, वह बिल्कुल सही है।”
महाकुंभ में लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नहीं जाने और रॉबर्ट वाड्रा के बयान पर भाजपा नेता ने कहा, “कुंभ में राहुल गांधी और उनके परिवार के नहीं जाने पर निंदा हो रही है। इसलिए रॉबर्ट वाड्रा को स्पष्टीकरण देना पड़ा। उनके जाने से कुंभ में भीड़ बढ़ जाती और इसलिए वह नहीं गए, यह बात नहीं है। गांधी परिवार कुंभ को लेकर राजनीति करता है, जिसकी हम निंदा करते हैं। महाकुंभ आस्था की बात है, जिसमें सभी लोगों ने डुबकी लगाई। राहुल गांधी मंदिर में इतना माथा टेकते हैं, कम से कम एक बार कुंभ में जाकर नहा लेते, तो उनके सारे पाप धुल जाते।”
पी चिदंबरम ने अमेरिका के साथ 'टैरिफ वार' पर जताई चिंता, निर्यात घटने और महंगाई बढ़ने और व्यापार युद्ध शुरू होने जैसी आशंका
27 Mar, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को राज्यसभा में चेतावनी दी कि अगर अमेरिका के साथ 'टैरिफ वॉर' छिड़ता है तो भारत का निर्यात गिर सकता है, महंगाई बढ़ सकती है और दुनिया में व्यापार युद्ध शुरू हो सकता है। इसके साथ ही चिदंबरम ने सरकार से जानना चाहा कि इस स्थिति से बचने के लिए उसका क्या रुख है और उसने अभी तक अपने पत्ते क्यों नहीं खोले हैं? उच्च सदन में वित्त विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए चिदंबरम ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान का जिक्र किया कि वह 2 अप्रैल को 'टैरिफ वॉर' शुरू करेंगे। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात से वाकिफ हैं और जब उन्होंने ट्रंप के सामने इसका विरोध किया तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे नजरअंदाज करते हुए कहा कि वह भारत में टैरिफ वॉर शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने बजट में कुछ शुल्कों में कटौती की घोषणा की है, लेकिन ट्रंप निश्चित रूप से इससे संतुष्ट नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि अखबारों की खबरों से पता चला है कि कुछ और शुल्कों में कटौती पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री ने ट्रंप की खूब तारीफ की। उन्होंने सरकार से पूछा कि अगर 'चापलूसी और शुल्कों में कमी' के बावजूद 2 अप्रैल को भारतीय निर्यात पर जवाबी शुल्क लगाया जाता है तो उसका क्या रुख होगा? उन्होंने कहा कि शुल्क युद्ध विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उल्लंघन होगा और यह विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देगा। चिदंबरम ने कहा कि इस शुल्क युद्ध से दुनिया में व्यापार युद्ध छिड़ जाएगा।
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अगर शुल्क युद्ध और व्यापार युद्ध छिड़ता है तो इससे निर्यात कम होगा, मुद्रास्फीति बढ़ेगी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) कम होगा और मुद्रा का अवमूल्यन होगा। उन्होंने सरकार को सलाह दी कि वह ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों का समर्थन करके व्यापार युद्ध को रोकने की कोशिश करे जो समझदारी से बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के सामने प्रमुख चुनौतियां बढ़ती बेरोजगारी, खाद्य वस्तुओं, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में महंगाई, घटती खपत, आय में कोई वृद्धि न होना, मुद्रा का गिरता मूल्य, घरेलू वस्तुओं से संबंधित कर्ज में वृद्धि आदि हैं।
पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि सरकार ने स्वास्थ्य शिक्षा, सामाजिक कल्याण, कृषि, ग्रामीण और शहरी विकास, मध्याह्न भोजन योजना, जल जीवन मिशन, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में चालू वर्ष में बजटीय व्यय में 'बेरहमी' से कटौती की है। उन्होंने कहा कि उनके आंकड़े गलत साबित नहीं हो सकते, क्योंकि वे बजट दस्तावेज में प्रकाशित हैं। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा है कि उनका प्रयास रहा है कि हर साल राजकोषीय घाटे के मामले में सरकार द्वारा लिया जाने वाला कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में कम हो। उन्होंने कहा कि वह सरकार की इस मंशा की सराहना करते हैं।
उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे के मामले में स्थिति वहीं पहुंच गई है जहां से इसकी शुरुआत हुई थी और सरकार इसके लिए कोविड महामारी को जिम्मेदार ठहराती है। उन्होंने कहा कि हर सरकार को कुछ ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। उन्होंने पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान आए एशियाई आर्थिक संकट समेत विभिन्न संकटों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटे के मामले में वह सरकार को 'विफल' तो नहीं कहेंगे, लेकिन इसे 'लो पास' जरूर कहना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि जीडीपी के अनुपात में सरकारी कर्ज के बोझ में कमी का सरकार का दावा सही नहीं है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जब तक सकल कर राजस्व जीडीपी की तुलना में 12 प्रतिशत से अधिक नहीं होता, तब तक राजकोषीय नीति का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में सकल कर राजस्व जीडीपी की तुलना में 11.15 प्रतिशत से 11.64 प्रतिशत के बीच अटका हुआ है। उन्होंने कहा कि आयकर अधिनियम में संशोधन, कर संग्रह बढ़ाने के उपायों समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न उपायों के बावजूद यह वहीं अटका हुआ है। उन्होंने कहा कि राजस्व के बिना आपके पास कोई राजकोषीय नीति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि राजकोषीय नीति दस्तावेज में कोई राजकोषीय रणनीति नजर नहीं आती। चिदंबरम ने सरकार पर अपने 10 साल के शासन में संरक्षणवादी रवैया अपनाने का आरोप लगाया।
लोकसभा स्पीकर ने की सड़क परिवहन मंत्री की तारीफ करते हुए एक टिप्पणी, बोले- 'क्या कोई मार्ग बचा है क्या'
27 Mar, 2025 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: लोकसभा में गुरुवार को विपक्षी शिवसेना (यूबीटी) के एक सदस्य ने देशभर में सड़क और राजमार्ग बनाने के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की तारीफ की तो वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सड़क परिवहन मंत्री की तारीफ करते हुए एक टिप्पणी की। सदन में प्रश्नकाल के दौरान महाराष्ट्र के परभणी से शिवसेना यूबीटी सदस्य संजय जाधव ने गडकरी की तारीफ करते हुए कहा, "वे महाराष्ट्र के ऐसे बेटे हैं जिन्होंने देशभर में सड़कों पर खूब काम किया है।" उन्होंने कहा कि यह एक अभिनव मॉडल है और इस पर सरकार का एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ है।
गडकरी ने कहा कि पुणे से छत्रपति संभाजीनगर तक की यात्रा में अभी छह से सात घंटे लगते हैं, लेकिन इस मार्ग के बनने के बाद यह दो घंटे में पूरी हो जाएगी। केंद्रीय मंत्री के जवाब के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा, "क्या कोई रास्ता बचा है?" जम्मू-कश्मीर की बारामुल्ला संसदीय सीट से सांसद अब्दुल रशीद शेख के पूरक प्रश्न के उत्तर में गडकरी ने कहा कि उत्तरी राज्य में 2 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं पर काम चल रहा है और 105 सुरंगें बनाई जा रही हैं। गडकरी ने कहा कि वहां एशिया की सबसे बड़ी जोजिला सुरंग भी बनाई गई है।
हम बुनियादी ढांचे में पिछड़े राज्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं: गडकरी
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि मोदी सरकार ने उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों पर ध्यान केंद्रित किया है, जो बुनियादी ढांचे में पिछड़ गए हैं। अकेले जम्मू-कश्मीर में 2 लाख करोड़ रुपये के काम चल रहे हैं। 105 सुरंगें बनाई जा रही हैं। एशिया की सबसे बड़ी जोजिला सुरंग, जो 12 हजार करोड़ रुपये में बननी थी, वह 5.5 हजार करोड़ रुपये में बन रही है। इसका 70 फीसदी काम पूरा हो चुका है। कश्मीर में बीआरओ को भी काफी काम दिया गया है। एनएचआईडीसीएल को कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए एनएचआई की तर्ज पर बनाया गया है। जम्मू कश्मीर में 105 सुरंगों पर काम चल रहा है। अकेले जम्मू से श्रीनगर तक 36 सुरंगों पर काम चल रहा है। 22 बनकर तैयार हो चुकी हैं। जम्मू से श्रीनगर पहुंचने में पहले 9 घंटे लगते थे, जो अब साढ़े तीन घंटे में पूरे हो जाएंगे। कटरा से सीधे दिल्ली 6 घंटे में पहुंच सकेंगे।
पलटफोर्म X पर जानकारी साझा करते अमित शाह ने दी ख़ुशख़बरी! हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों ने त्यागा अलगाववाद
27 Mar, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद से जम्मू-कश्मीर लगातार बदलाव की राह पर है। इसी कड़ी में आज कश्मीर से एक बड़ी खबर आई है। हुर्रियत से जुड़े दो समूहों ने अलगाववाद छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दी है। हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकलाल और जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकमत ने अलगाववाद छोड़ दिया है।
JKPM और JKDPM ने भी छोड़ा अलगाववाद
बता दें कि इससे पहले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दो घटक दलों जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और J&K डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (JKDPM) ने अलगाववाद से अपने सभी नाता तोड़ने का ऐलान किया था। इसका ऐलान भी गृह मंत्री अमित शाह ने किया था। उन्होंने कहा था कि इससे भारत की एकता मजबूत होगी। बता दें कि JKPM का नेतृत्व शाहिद सलीम करते हैं, जबकि JKDPM का नेतृत्व वकील शफी रेशी करते हैं।
संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली
सलीम ने एक बयान में कहा कि उन्होंने खुद को और अपने संगठन को अलगाववादी विचारधारा से अलग कर लिया है और भारत और संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ ली है। सलीम ने यहां एक बयान में कहा, "मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं और मैं और मेरा संगठन दोनों भारत के संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हैं।" सलीम और रेशी के फैसलों का स्वागत करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने कहा कि यह कदम भारत की एकता को मजबूत करेगा और मोदी सरकार की एकीकरण नीतियों ने जम्मू-कश्मीर से अलगाववाद को 'खत्म' कर दिया है।
अलगाववादी समूहों पर प्रतिबंध
ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (एपीएचसी) जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों का एक समूह है। इसके अधिकांश घटकों पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। सलीम ने अपने संदेश में कहा कि उन्हें और उनके संगठन को 'ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस' की विचारधारा से कोई सहानुभूति नहीं है, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं और शिकायतों को दूर करने में सक्षम नहीं है। सलीम ने कहा, "मैं भारत का एक वफादार नागरिक हूं। मेरा संगठन और मैं किसी ऐसे संगठन या एसोसिएशन से जुड़े नहीं हैं, जिसका एजेंडा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत और उसके हितों के खिलाफ हो। मेरा संगठन और मैं दोनों ही भारत के संविधान के प्रति वफादार हैं।"
तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला
27 Mar, 2025 01:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में तमिलनाडु की डीएमके सरकार को भाषा नीति और परिसीमन विवाद के मुद्दे पर घेरा। जिस पर तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने योगी आदित्यनाथ पर तीखा हमला बोला और कहा कि योगी आदित्यनाथ कॉमेडी कर रहे हैं। अब इस पर तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने तमिलनाडु सीएम स्टालिन पर पलटवार किया है। अन्नामलाई ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'थिरु एमके स्टालिन, आप हमारे संविधान के और संघीय ढांचे के रक्षक के रूप में एक ठग कलाकार हैं। आमतौर पर ठग अमीरों को लूटते हैं, लेकिन डीएमके इस मामले में कोई भेदभाव नहीं करती और वे अमीर और गरीब दोनों को लूटते हैं। अब पूरा देश जानता है कि तमिलनाडु के सीएम के परिवार के कई निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं, जिनमें तीन भाषाएं पढ़ाई जाती हैं, लेकिन इसे सरकारी स्कूलों में सभी छात्रों के लिए लागू करने का विरोध किया जा रहा है। लोग आपको पाखंडी कह रहे हैं।'
अन्नामलाई ने कहा कि 'तमिलनाडु के सीएम को लगता है कि उनके पार्टी के लोगों द्वारा यहा-वहां किए गए नाटक पूरे तमिलनाडु की आवाज को दर्शाते हैं। यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अभी तक अहसास नहीं हुआ है कि लोगों का ध्यान महत्वहीन मामलों पर भटकाने के आपके प्रयासों का पर्दाफाश हो चुका है। अपनी अज्ञानता की दुनिया में जीते रहिए। हम आपको परेशान नहीं करेंगे।'
संसद में बोलने की इजाजत न दिए जाने के राहुल गांधी के दावे के सियासी गलियारे में जुबानी जंग तेज
27 Mar, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने गुरुवार को विपक्ष के नेता राहुल गांधी को संसद में बोलने की कथित अनुमति न देने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की आलोचना की। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक समय करार दिया। एएनआई से बात करते हुए संजय राउत ने कहा, 'राहुल गांधी लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं। अगर ऐसे नेता को स्पीकर संसद के अंदर बोलने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक समय नहीं तो और क्या है। अगर आपको विपक्ष को चुप कराना है तो आप संसद क्यों चला रहे हैं?'
उन्होंने लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, 'विपक्ष लोकतंत्र की आवाज है। अगर आप उस आवाज को ही चुप करा देंगे, तो एक दिन आप संसद भी बंद कर सकते हैं।' यह बयान उस समय आया है, जब लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को आरोप लगाया था कि उन्हें सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी गई।
क्या है मामला?
दरअसल, बीते दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सख्त हिदायत दी थी। उन्होंने कांग्रेस नेता से सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए नियमों का पालन करने को कहा था। इस पर राहुल की ओर से कहा गया कि मैंने तो कुछ भी नहीं बोला, मैं तो चुपचाप बैठा था। विपक्ष को बोलने ही कहा दिया जाता है।
राहुल गांधी ने क्या कहा?
इतना कहकर सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इस दौरान सदन से बाहर आए लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, 'एक कन्वेंशन है कि नेता प्रतिपक्ष को बोलने दिया जाता है। मैं जब भी खड़ा होता हूं तो मुझे बोलने नहीं दिया जाता। मैं नहीं जानता कि सदन किस प्रकार चल रहा है। यहां हम जो कहना चाहते हैं, हमें कहने नहीं दिया जाता है। मैंने कुछ नहीं किया, मैं बिल्कुल शांति से बैठा था। लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष की जगह होती है, लेकिन यहां विपक्ष की कोई जगह नहीं है। यहां केवल सरकार की जगह है। उस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ मेले के बारे में बोला, जिसमें मैं अपनी बात जोड़ना चाहता था। मैं बेरोजगारी के बारे में कुछ कहना चाहता था लेकिन मुझे नहीं बोलने दिया गया...।'
लोकसभा अलोकतांत्रिक तरीके से चल रही: राहुल
विपक्ष के नेता ने दावा किया कि उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा है और सदन को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष ने उनके बारे में टिप्पणी की और फिर उन्हें बोलने का मौका दिए बिना सदन को स्थगित कर दिया। पिछले सप्ताह उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई थी।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण जारी
27 Mar, 2025 11:39 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण जारी है। संसद सत्र के दौरान काफी हंगामा देखने को मिला है। आज भी हंगामे के आसार हैं। बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने राहुल गांधी को संसद में सही आचरण करने की नसीहत दी तो राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जा रहा। साथ ही जज के घर से नकदी मिलने का मामला भी खूब गरमाया हुआ है।
सड़कों पर नमाज वाली प्रथा किसने शुरू की?
भाजपा सांसद रवि किशन ने संभल SDM के बयान पर कहा, 'जनमानस को तकलीफ न देते हुए, अपने त्योहारों को मनाएं। जितने भी आलिम और मौलाना हैं, वे सभी कहते हैं कि नमाज़ मस्जिद में कबूल होती है। सड़को वाली प्रथा किसने शुरू की है?'
संसद की कार्यवाही शुरू
संसद की कार्यवाही शुरू हो गई है। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सवालों के जवाब दे रहे हैं।
'राहुल गांधी को जवाब देने का अधिकार'
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, 'यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और भाजपा की ओर से लगभग दोहराया जाने वाला कथन बन गया है, जब भी वे नहीं चाहते कि सदन चले, वे सबसे हास्यास्पद आरोप लगाते हैं। पिछली बार भी जब दोनों सदन स्थगित हो गए थे, तो किसी को नहीं पता था। वे (राहुल गांधी) विपक्ष के नेता हैं। उन्हें जवाब देने का अधिकार है।' लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के बयान पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, 'राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं... अगर ऐसे नेता को स्पीकर संसद के अंदर बोलने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक समय है... फिर आप संसद क्यों चला रहे हैं, अगर आपको विपक्ष को चुप कराना है... विपक्ष लोकतंत्र की आवाज है... अगर आप उस आवाज को चुप कराएंगे तो एक दिन आप संसद को बंद कर देंगे।'
सैलरी बढ़ने पर जब सवाल उठने पर मोदी सरकार की तरफ से मामले में सफाई आई
26 Mar, 2025 09:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। सांसदों की सैलरी बढ़ने पर जब सवाल उठने पर मोदी सरकार की तरफ से मामले में सफाई आ गई है। मोदी सरकार ने कहा है कि वेतन वृद्धि महंगाई के कारण हुई है। यह 2018 की नीति के मुताबिक हुई है। इस नीति में सैलरी को महंगाई के साथ जोड़ने का नियम है। सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार का कहना है कि 2018 में बनाया गया नियम सही और पूरी तरह पारदर्शी है। इस नियम के कारण मनमाने तरीके से सैलरी नहीं बढ़ सकती और आर्थिक मामलों में सावधानी बरती होती है। दरअसल, वित्त अधिनियम 2018 में सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 में बदलाव किया। बदलाव के बाद सांसदों की सैलरी महंगाई के साथ जोड़ दी गई।
साल 2018 में हुई बदलावों के बाद इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत प्रकाशित कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स (सीआईआई) का इस्तेमाल होता है। सूत्रों के मुताबिक इस बदलाव से पहले, वेतन वृद्धि अचानक होती थी। हर बार संसद से मंजूरी लेनी पड़ती थी। तब बदलाव के पीछे प्रक्रिया को गैर राजनीतिक बनाने और वेतन समायोजन के लिए तंत्र बनाने का तर्क दिया गया था। साल 2018 से पहले आखिरी बार सैलरी में बदलाव 2010 में हुआ था। तब संसद ने सांसदों का मासिक वेतन 16 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का बिल पास किया था। इस फैसले की लोगों ने बहुत आलोचना की थी। तब लोगों ने कहा था कि सांसद खुद को 3 गुना वेतन दे रहे हैं।
हालांकि, कुछ नेताओं ने सैलरी 5 गुना तक बढ़ाने की मांग की थी। इसमें मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव शामिल थे। मुलायम और लालू सहित कई नेताओं का कहना था कि महंगाई बहुत बढ़ गई है इसलिए वेतन भी बढ़ना चाहिए। अब सरकार का मानना है कि 2018 में जो नियम बनाया गया है, वह सबसे अच्छा है। इससे सैलरी में बढ़ोतरी अपने आप हो जाती है।
बिरला ने राहुल गांधी को सदन में मर्यादा में रहने की हिदायत दी
26 Mar, 2025 08:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जब भी मैं सांसद में बोलेने के लिए खड़ा होता हूं, मुझे बोलने नहीं दिया जाता। दरअसल राहुल गांधी ने ये टिप्पणी तब की जब सदन में बोलने के लिए खड़े होने के बाद भी उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया। जैसे ही वे बोलने के लिए खड़े हुए, सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने उन्हें सदन के नियमों का पालन करने की नसीहत दी। वहीं इस पर राहुल गांधी अपनी बात रख पाते अध्यक्ष ने कार्यवाही को स्थगित कर दिया।
इसके पहले लोकसभा स्पीकर ने राहुल गांधी से कहा कि सदन के आचरण और मर्यादा का पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ घटनाएं ऐसी आई हैं, जो सदन के लिहाज से ठीक नहीं थीं, और इसलिए उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में राहुल सदन की गरिमा का पालन करे।
राहुल गांधी के आचरण को लेकर यह टिप्पणी दी गई थी, विशेष रूप से तब जब उन्होंने सदन में बीच-बीच में प्रदर्शन कर कुछ टिप्पणियां कीं। बिरला ने यह सुनिश्चित करने की अपील की कि सदन में सभी सदस्य उचित आचरण का पालन करें।
सोनिया गांधी ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत कम बजट मिलने का आरोप लगाया
26 Mar, 2025 04:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत बहुत कम बजट आवंटित करने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इसके तहत गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले वित्तीय लाभ की पूरी राशि प्रदान की जानी चाहिए। शून्यकाल में इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिलाओं को मातृत्व लाभ प्रदान नहीं किया जा रहा है।
'केवल 5000 रुपये देने का प्रावधान किया गया'
सोनिया ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संसद ने सितंबर 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पारित किया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना का आधार यही था। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत अनौपचारिक क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को 6000 रुपये दिए जाने थे। उन्होंने कहा कि 2017 में शुरू की गई प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में यह अधिकार प्रदान किया जाना था, लेकिन इसके तहत ऐसी महिलाओं को केवल 5000 रुपये देने का प्रावधान किया गया। इसमें दूसरे बच्चे के जन्म पर भी ऐसी सहायता देने की बात कही गई, बशर्ते वह बच्चा लड़की हो।
'12000 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत'
सोनिया ने कहा कि 2022-23 में किए गए विश्लेषण के अनुसार, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 68 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को पहले बच्चे के जन्म के अवसर पर पहली किस्त प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि लेकिन अगले ही वर्ष इसमें भारी गिरावट आई और यह केवल 12 प्रतिशत रह गई। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि ऐसा क्यों होने दिया गया? उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत मातृत्व लाभ को पूरी तरह से लागू करने के लिए सालाना 12,000 करोड़ रुपये के बजट की जरूरत होगी।
कांग्रेस नेता ने इस पर आश्चर्य व्यक्त किया
सोनिया ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि बजट दस्तावेजों में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत किए गए आवंटन का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत इसके लिए एक कार्यक्रम ‘समर्थ’ है, जिसके लिए वर्ष 2025-26 में कुल बजटीय आवंटन 2521 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के लिए बहुत कम बजट उपलब्ध कराया जा रहा है।
लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष के लिए जगह होती है लेकिन यहां विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं', लोकसभा पर आरोप लगते राहुल
26 Mar, 2025 03:27 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने लोकसभा में बड़ा आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है. राहुल गांधी ने कहा, 'एक परंपरा है कि विपक्ष के नेता को बोलने दिया जाता है. जब भी मैं खड़ा होता हूं, मुझे बोलने नहीं दिया जाता. मुझे नहीं पता कि सदन कैसे चल रहा है।
राहुल ने और क्या कहा?
राहुल ने कहा, 'यहां हमें वो नहीं कहने दिया जाता जो हम कहना चाहते हैं. मैंने कुछ नहीं किया, मैं बहुत शांति से बैठा था. लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष के लिए जगह होती है लेकिन यहां विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं है. यहां सिर्फ सरकार के लिए जगह है. उस दिन प्रधानमंत्री मोदी ने कुंभ मेले के बारे में बात की, जिसमें मैं अपनी बात जोड़ना चाहता था. मैं बेरोजगारी के बारे में कुछ कहना चाहता था लेकिन मुझे बोलने नहीं दिया गया।
लोकसभा में सांसदों के आचरण को लेकर स्पीकर ने दी नसीहत
खबर यह भी है कि लोकसभा में सांसदों के आचरण को लेकर स्पीकर ने नसीहत दी है. दरअसल, दो दिन पहले राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी से अजीबोगरीब अभिवादन किया था. इस पर स्पीकर की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई. इसके बाद कांग्रेस सांसदों ने भी सदन में कहा कि जब पीएम सदन में आते हैं तो बीजेपी के सभी सांसद खड़े हो जाते हैं, यह सदन का अपमान है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का बयान सामने आया
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, 'आपसे सदन की मर्यादा और शालीनता के उच्च मानदंडों को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है. मेरी जानकारी में ऐसे कई मामले हैं, जब सांसदों का आचरण सदन की मर्यादा और परंपराओं के उच्च मानदंडों को बनाए रखने के अनुरूप नहीं था. पिता, बेटी, मां, पत्नी और पति इस सदन के सदस्य रहे हैं. इसलिए, इस संदर्भ में मैं विपक्ष के नेता से नियमों के अनुसार आचरण करने की अपेक्षा करता हूं. विपक्ष के नेता से विशेष रूप से अपने आचरण को बनाए रखने की अपेक्षा की जाती है।
आज तक महात्मा गांधी के सपने को पूरा क्यों नहीं किया गया? राहुल गांधी को तंज कसते हुए बोले सीएम योगी
26 Mar, 2025 02:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लोकसभा में विपक्ष के नेता, राहुल गांधी को एक 'नमूना' के रूप में वर्णित करते हुए, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया कि पार्टी अयोध्या में 'विवाद' को जीवित रखना चाहती है। एएनआई को एक साक्षात्कार में, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने पिछले दस दशकों में कांग्रेस द्वारा किए गए काम पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'एक भारत को श्रेष्ठ भारत नहीं होना चाहिए? तो आपको उनसे पूछना चाहिए कि वे छह से दस दशकों से क्या कर रहे थे? उन्हें अपने दादा, दादी और पिता से पूछना चाहिए था। उस समय उसने ऐसा क्यों नहीं किया? पूरे भारत को मोदी जी का समर्थन मिल रहा है। कांग्रेस ने ऐसा क्यों नहीं किया? वह हमेशा अयोध्या विवाद को विवाद बने रहना चाहता था। "
'मोदी जी ने गांधी के सपनों को पूरा किया'
सीएम योगी ने कहा, "काशी की संकीर्ण सड़क में, वह गांधीजी के नाम पर अपना सारा जीवन राजनीति कर रहे हैं। लेकिन 1916 में, गांधी ने काशी की संकीर्ण सड़क पर एक मजबूत टिप्पणी की। अयोध्या, राम मंदिर भी बनाया गया है।
भारत की यात्रा पर सीएम योगी का ताना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी के 'भारत जयर यात्रा' को 'भारत कोषो अभियान' बताया और कहा कि सभी को उनके इरादों से अवगत कराया गया है। उन्होंने कहा, "भरत जीनो यात्रा भारत ब्रेको अभियान का हिस्सा है। वह भारत के बाहर भारत की आलोचना करता है। देश ने अपने स्वभाव और इरादों को समझा है। भारत की राजनीति में, भरतिया जनता पार्टी के लिए राहुल जैसे कुछ नाम होने चाहिए, जिसमें एक रास्ता साफ और अच्छा है।" आइए हम आपको बताते हैं कि राहुल गांधी की भारत जीटो यात्रा 130 दिनों में 3,970 किमी की यात्रा की और 12 राज्यों और दो केंद्र क्षेत्रों को कवर किया।
सीएम योगी ने एसपी पर हमला किया
उत्तर प्रदेश के सीएम ने कांग्रेस के सहयोगी और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर भी हमला किया और कहा कि जिन्ना की प्रशंसा करने वालों को इतिहास नहीं पढ़ाना चाहिए। सीएम योगी ने कहा, "यह हमारी संस्कृति में कहा गया है कि जो कुछ भी पूजा जाता है, हम राम, कृष्ण, शिव का सम्मान करते हैं, उनकी पूजा करते हैं। इसलिए एक तरह से उनकी अच्छाई भी हमारे साथ है। सीएम योगी ने आगे कहा, "हम जिन्ना की महिमा करने वालों के इतिहास को जानते हैं। हमें याद है कि इस उत्तर प्रदेश में, हम जनायक वल्लभभाई पटेल की एकता के लिए अभियान कार्यक्रम में शामिल हो रहे थे। हमने इसके लिए देश के सभी लोगों को आमंत्रित किया था। हम बजेड और सभी पार्टियों को आमंत्रित करते थे। औरंगज़ेब और जिन्ना "तो देश के प्रति उनकी भावनाएं क्या होंगी? भारत की विरासत के प्रति उनकी भावनाएं क्या होंगी? भारत के महापुरुषों के प्रति उनकी भावनाएं क्या होंगी? इसे से देखा जा सकता है। और ये लोग अवसरवादी हैं। "
जिन्ना पर अखिलेश यादव का बयान
नवंबर 2021 में, समाजवादी पार्टी के प्रमुख ने कहा, "राष्ट्र महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और (मुहम्मद अली) के पिता सरदार पटेल ने एक ही संस्थान में अध्ययन किया और एक बैरिस्टर बन गए। उन्होंने (भारत) ने स्वतंत्रता लाने में मदद की और कभी भी किसी भी संघर्ष से पीछे हटने में मदद की।"
कुणाल कामरा विवाद पर सीएम योगी ने क्या कहा?
स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने महाराष्ट्र के उप -मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों से विवाद उठाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर तेजी से प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब किसी पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जाना नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो देश में मतभेद पैदा कर रहे हैं।
'कानून को ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए'
एएनआई को एक साक्षात्कार में, सीएम योगी ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कानून के दायरे में है। यह संवैधानिक मूल्यों के दायरे में होना चाहिए। और उस दायरे के भीतर, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। आपके व्यक्तित्व की स्वतंत्रता का उपयोग किसी और पर हमला करने के लिए नहीं किया जा सकता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों ने देश को विभाजित करने और विस्तार करने के लिए इस व्यक्ति की स्वतंत्रता पर विचार किया है।"
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ : मानसून सत्र तक बढ़ा जेपीसी का कार्यकाल
26 Mar, 2025 11:47 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। देश में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले दो विधेयकों पर विचार हेतु गठित संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट सौंपने के लिए कार्यकाल मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक के लिए बढ़ाया गया। इस संयुक्त समिति के अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद पीपी चौधरी ने समिति का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव लोकसभा में रखा, इस सदन ने ध्वनमति से मंजूरी दे दी गई।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ करने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर संसद की 39 सदस्यीय संयुक्त समिति विचार कर रही है। समिति को बजट सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन तक रिपोर्ट देने को कहा गया था। इन विधेयकों को पिछले साल 17 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया था।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में नरेन्द्र मोदी सरकार ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ पर उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था और समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस अवधारणा का जोरदार समर्थन किया था। इसके बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया और मोदी सरकार ने लोकसभा में दो विधेयक पेश किए, जिनमें से एक संविधान संशोधन विधेयक भी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद एवं पूर्व कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी की अध्यक्षता में 39 सदस्यीय संयुक्त संसदीय समिति गठित की थी।
बता दें कि 1951 से 1967 तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ होते थे। 1999 में विधि आयोग की रिपोर्ट में भी इसकी सिफारिश हुई थी। 2015 में संसदीय समिति की 79वीं रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के तरीके बताए गए। मोदी सरकार का कहना है कि एक साथ चुनाव कराने से खर्च और समय दोनों ही बचेगा।