राजनीति
बीजेपी अब दिल्ली की तरह पश्चिम बंगाल में सत्ता पर काबिज होने बना रही रणनीति
18 Feb, 2025 11:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। बीजेपी ने दिल्ली चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर राजनीतिक ताकत दिखा दी है। अब पार्टी इसी ताकत का अनुभव पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों में दिखाने की रणनीति बना रही है। दिल्ली और पश्चिम बंगाल की राजनीतिक स्थिति की तुलना करने से कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक पहलुओं का पता चलता है।
दिल्ली में बीजेपी ने केवल सक्षम उम्मीदवार ही नहीं उतारे, बल्कि एक सशक्त चुनावी टीम भी तैयार की। पार्टी ने चुनाव प्रबंधन में वरिष्ठ नेताओं की भागीदारी तय की और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया। अरविंद केजरीवाल सरकार के खिलाफ जनता की नाराजगी को बीजेपी ने भुनाने का प्रयास किया। पार्टी ने दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया। आम आदमी पार्टी के नेताओं के बढ़ते बयानों को बीजेपी ने उनके खिलाफ भुनाया और जनता के मूड को भांपने में सफल रही।
बीजेपी अब दिल्ली की तरह ही पश्चिम बंगाल में भी ममता सरकार के खिलाफ नाराजगी को मुख्य मुद्दा बना सकती है। टीएमसी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोपों को जनता तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी। पार्टी पश्चिम बंगाल में भी मजबूत संगठनात्मक ढांचा तैयार कर सकती है। क्षेत्रीय नेताओं की भागीदारी बढ़ाकर जमीनी स्तर पर प्रभावशाली उम्मीदवारों को उतारने की योजना बना सकती है। बीजेपी ओडिशा चुनाव की तरह किसी विशेष मुद्दे को उभारकर जनता को आकर्षित करने की रणनीति पर काम कर सकती है।
दिल्ली में मिली सफलता को देखते हुए बीजेपी पश्चिम बंगाल में भी अपनी रणनीति को उसी तर्ज पर लागू करने की योजना बना रही है। पश्चिम बंगाल की राजनीतिक परिस्थितियां दिल्ली से अलग हैं, इसलिए बीजेपी को वहां की स्थानीय परिस्थितियों और मतदाताओं की प्राथमिकताओं के अनुरूप रणनीति को ढालना होगा। यदि पार्टी एंटी-इनकंबेंसी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को जनता तक पहुंचने में सफल होती है, तो आगामी विधानसभा चुनाव में उसे लाभ मिल सकता है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 'साजिश' की बात से इनकार किया
18 Feb, 2025 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली, रेलवे स्टेशन पर बीते दिनों मची भगदड़ की घटना के बाद से इसे लेकर हंगामा जारी है। स्टेशन पर भगदड़ मचने के कारण 18 लोगों की मौत हो गई और 15 घायल हो गए थे। विपक्ष इस घटना को लेकर लगातार सरकार पर निशाना साध रहा है। इस भगदड़ की कारणों को लेकर जांच की जा रही है। वहीं, अब सोमवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ को लेकर बयान दिया है। रेल मंत्री वैष्णव ने भगदड़ के पीछे किसी साजिश की बात से इनकार कर दिया है। आइए जानते हैं कि रेल मंत्री ने इस बारे में और क्या कुछ कहा है।
क्या बोले रेल मंत्री वैष्णव?
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को रेल भवन में मीडियाकर्मियों से कहा- ‘‘इस समय तो कोई साजिश नजर नहीं आती।’’ रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आगे ये भी बताया कि अब तक उपलब्ध सूचना से पता लगा है कि शनिवार को भगदड़ मचने के समय नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बहुत ज्यादा भीड़ नहीं थी। उन्होंने प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा को भगदड़ की वजह होने से इनकार करते हुए कहा- ‘‘जांच समिति इस पर गहराई से पड़ताल कर रही है।’’
कैसे मची भगदड़?
रेलवे के अधिकारियों के मुताबिक- ‘‘प्लेटफार्म संख्या 12 से शाम 7:15 बजे एक प्रयागराज स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी तथा टिकटों की बिक्री में वृद्धि को देखते हुए एक और स्पेशल चलाने की योजना बनाई गई, जो उसी प्लेटफार्म पर 8:50 बजे प्रतीक्षा कर रही थी।" अधिकारी ने जानकारी दी है कि रात करीब साढ़े आठ बजे प्लेटफार्म 12 पर प्रयागराज स्पेशल ट्रेन के लिए घोषणा की गई तो कुछ यात्री भ्रमित हो गए और उन्हें लगा कि यह घोषणा प्रयागराज एक्सप्रेस के लिए की गई है। अधिकारी ने कहा- ‘‘वे प्रयागराज एक्सप्रेस में चढ़ने के लिए प्लेटफॉर्म 14 पर थे, लेकिन ऐसा लगता है कि उद्घोषणा से वे भ्रमित हो गए और उन्होंने प्लेटफॉर्म 12 की ओर जाना शुरू कर दिया। सीढ़ियों पर कई यात्री बैठे थे और उन पर चढ़ते समय एक व्यक्ति जिसके सिर पर भारी सामान था, वह असंतुलित हो गया और दूसरे यात्रियों पर गिर गया जिससे भगदड़ मच गई।’’
रेलवे अधिकारियों ने दिन रात काम किया- रेल मंत्री
रेल मंत्री वैष्णव ने सोमवार को कहा कि ‘‘हमने पिछली असफलताओं और गलतियों से सीखा है और यही कारण है कि यात्रियों की इतनी बड़ी भीड़ को इतनी अच्छी तरह से प्रबंधित किया गया है। पिछले कुंभ मेले में केवल 4,000 ट्रेनें चलाई गई थीं, जबकि इस बार हमने 13,000 ट्रेनों की योजना बनाई थी और अब तक 12,583 ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं। दुनिया में किसी देश में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही नहीं होती। रेलवे अधिकारियों ने दिन रात काम किया है। इतनी बड़ी भीड़ को संभालना अत्यंत मुश्किल काम है।’’
सैम पित्रोदा का बयान, गलवान के शहीदों का अपमान
18 Feb, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस पर हमलावर बीजेपी
नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, राज्यसभा सांसद और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा के बयान को गलवान के शहीदों का अपमान बताया है। दरअसल कांग्रेस के करीबी राहुल गांधी के अंकल सैम पित्रोदा ने कहा था कि भारत को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है और यह धारणा छोड़ने की जरूरत है कि चीन दुश्मन है। बीजेपी नेता त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है। लेकिन, कुछ शक्तियां भारत के विकास को प्रभावित करने में लगी हुई है। ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष पित्रोदा ने सोमवार को चीन को लेकर जिस प्रकार का बयान दिया है, उससे यह बात साफ हो गई है कि कांग्रेस पार्टी के चीन के साथ हुए करार का इजहार अंकल सैम ने दिनदहाड़े कर दिया है। सांसद त्रिवेदी ने कहा, गंभीर बात ये है कि जिस प्रकार की बात पित्रोदा ने कही है, वे बातें भारत की अस्मिता, कूटनीति और भारत की संप्रभुता पर बहुत गहरा आघात है उन्होंने (पित्रोदा) कहा है कि चीन के साथ किसी प्रकार का विवाद ही नहीं है, यानी भारत ही आक्रामक मुद्रा लिए हुए है? भारत सरकार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में विश्व के हर देश के साथ अच्छे और सौहार्दपूर्ण संबंध चाहती है। लेकिन, राष्ट्रीय स्वाभिमान, सुरक्षा और सुदृढ़ता हमारे लिए सर्वोपरि है।
भाजपा नेता ने कहा कि इसके पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी कई बार इस तरह का बयान दे चुके हैं। राहुल गांधी ने एक विदेशी दौरे में कह दिया था कि चीन ने बेरोजगारी को कम करने में अच्छा काम किया है। पित्रोदा के बयान को उन्होंने गलवान के शहीदों का अपमान बताया। राज्यसभा सांसद त्रिवेदी ने पूछा, क्या यह गलवान के शहीदों का अपमान नहीं है? गलवान में हमारे सैनिक शहीद हो गए। लेकिन, इसके बावजूद अगर कांग्रेस ओवरसीज प्रमुख इस तरह की भाषा बोलता है, तब यह निंदनीय है। यह भारतीय सेना के बलिदान का घनघोर अपमान है।
बीजेपी नेता का आरोप, अमेरिकी फंडिग का आम चुनाव के दौरान किस दल को हुआ फायदा
17 Feb, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। क्या अमेरिका भारतीय चुनावों में हस्तक्षेप कर रहा था? यह सवाल अब बहुत गंभीर हो गया है। हाल ही में अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व में कार्यदक्षता विभाग ने भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर (करीब 1.82 करोड़ रुपये) सहित कई अन्य व्यय में कटौती की घोषणा कर दी है।
मस्क को हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका के सरकारी कार्यदक्षता विभाग (डीओजीई) का प्रमुख बनाया गया था। विभाग ने निर्णय को ‘शासन में सुधार और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने’ के लिए लिया है। इसके बाद मस्क ने पोस्ट में कहा कि अमेरिकी करदाताओं के पैसे को विभिन्न मदों पर खर्च किया जा रहा था, इसमें से भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवंटित 2.1 करोड़ डॉलर सहित कई अनुदान रद्द किए गए हैं।
इस पर भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित मालवीय ने भारत के चुनावों में बाहरी हस्तक्षेप करार देकर सवाल उठाया कि इस फंडिंग का लाभ किसे हुआ होगा। बीजेपी नेता मालवीय ने दावा किया कि यह कार्यक्रम कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सरकार के दौरान शुरू हुआ था, इससे भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को समर्थन मिला था।
यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने मस्क से भी मुलाकात की थी और दोनों ने अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, और ऊर्जा के क्षेत्रों में मौके पर चर्चा की थी। अमेरिकी विभाग ने इसके साथ ही बांग्लादेश, नेपाल, मोजाम्बिक, कंबोडिया, सर्बिया जैसे देशों में भी विभिन्न परियोजनाओं के लिए आवंटित राशि में कटौती की घोषणा की।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार को ठहराया जिम्मेदार
17 Feb, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार (15 फरवरी) रात भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की मौत हो गई। आम आदमी पार्टी (आप) ने इस हादसे के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सरकार की लापरवाही की वजह से यह दर्दनाक घटना हुई। उन्होंने सवाल किया कि आखिर कितनी मौतों के बाद रेल मंत्री जवाबदेह होंगे? संजय सिंह ने रविवार को (16 फरवरी) प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि स्टेशन पर हजारों की भीड़ थी, लेकिन कोई व्यवस्था नहीं थी। प्लेटफॉर्म नंबर बदलने की वजह से भगदड़ मची, जिससे कई श्रद्धालु कुचले गए। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या 15 से 18 बताई जा रही है, लेकिन असली आंकड़ा इससे ज्यादा हो सकता है। संजय सिंह ने कहा कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह हादसा हुआ। जब घटना हुई, तब वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं थे। उन्होंने आरोप लगाया कि रेल मंत्री ने हादसे को मानने से इंकार कर दिया, जबकि दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) ने पहले मौतों की बात स्वीकारी और फिर अपना ट्वीट एडिट कर दिया। उन्होंने कहा कि “बीजेपी सरकार हर बार हादसे के बाद पहले उसे झूठ बताती है, फिर जब लाशें सामने आ जाती हैं तो लीपापोती करने लगती है। संजय सिंह ने कहा कि महाकुंभ के दौरान उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह का हादसा हुआ था, जब अचानक प्लेटफॉर्म नंबर बदलने से भगदड़ मच गई थी। तब भी कई लोगों की जान गई थी, लेकिन सरकार ने उससे कोई सबक नहीं लिया। उन्होंने कहा कि “रेलवे को पता था कि इतनी भारी संख्या में श्रद्धालु यात्रा करेंगे, फिर भी कोई व्यवस्था नहीं की गई। अचानक प्लेटफॉर्म बदलने की अनाउंसमेंट करने से भगदड़ मचना तय था। संजय सिंह ने सवाल किया कि “क्या आम आदमी का मरना ही उसकी किस्मत बन गया है?” कभी नोटबंदी की लाइन में मरना, कभी कोरोना में ऑक्सीजन न मिलने से मरना, कभी पुल गिरने से मरना, तो कभी ट्रेन हादसे में मरना। “क्या सरकार को इन मौतों से कोई फर्क नहीं पड़ता? उन्होंने कहा कि सरकार हादसे के बाद संवेदना तक नहीं जताती। उल्टा, रिपोर्टर्स के फोन तक तोड़ दिए जाते हैं ताकि वे सच न दिखा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी गलतियों को स्वीकार करना चाहिए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने मांग की कि मृतकों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए और रेल मंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाए।
19 फरवरी की शाम बीजेपी विधायक दल की बैठक
17 Feb, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली में सरकार गठन को लेकर 19 फरवरी की शाम बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी। सूत्रों की ओर से यह जानकारी दी गई है। वहीं 20 फरवरी को नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक पहले यह बैठक सोमवार को प्रस्तावित थी, लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया था। सूत्रों ने बताया कि सोमवार को पर्यवेक्षकों के नाम की घोषणा की जाएगी और फिर बुधवार को विधायक दल के नेता का चयन किया जाएगा। शपथ ग्रहण समारोह दिल्ली के रामलीला मैदान में बुधवार को हो सकता है, जो भी विधायक दल सदन का नेता चुना जाएगा, वही दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री होगा। हालांकि, यह जिम्मेदारी किसे मिलेगी, इसे लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्टता नहीं है। बीजेपी पांच फरवरी को हुए विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करके 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में आई है। बीजेपी ने शानदार जीत के साथ दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) के 10 साल के शासन को खत्म कर दिया। बीजेपी ने दिल्ली की 70 विधानसभा सीट में से 48 पर जीत हासिल की। वहीं मुख्यमंत्री पद के लिए कई नवनिर्वाचित विधायकों के नाम चर्चा में हैं। शीर्ष पद के लिए सबसे आगे माने जाने वालों में प्रवेश वर्मा, बीजेपी की दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता और सतीश उपाध्याय शामिल हैं। प्रवेश वर्मा ने विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को हराया था। वह जाट बिरादरी से आते हैं। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदारों में माना जा रहा है। पवन शर्मा, आशीष सूद, रेखा गुप्ता और शिखा राय सहित अन्य को भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। पार्टी में कई नेताओं का मानना है कि राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ की तरह बीजेपी नेतृत्व नवनिर्वाचित विधायकों में से किसी एक पर दांव लगा सकता है।
बीजेपी आखिरकार मुस्लिमों का विश्वास क्यों नहीं जीत पाती
17 Feb, 2025 06:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । पीएम मोदी के सबका साथ, सबका विश्वास वाले मूल मंत्र को लेकर बीजेपी चलने की बात करती है। केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं का लाभ भी मुस्लिम समुदाय को बराबर से मिल रहा है, लेकिन मुस्लिमों के वोट बीजेपी को क्यों नहीं मिलते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी आखिरकार मुस्लिमों का विश्वास क्यों नहीं जीत पाती है? भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) मुसलमानों के बीच अपनी छवि सुधारने की लगातार कवायद कर रही है। पार्टी ने मुसलमानों में सबसे ज्यादा आबादी वाले पसमांदा समाज के जरिए सियासी आधार बनाने का लक्ष्य बनाया था। पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले से पसमांदा मुस्लिमों के बीच सियासी पैठ जमाने की कोशिश में है, लेकिन जमीनी स्तर पर सियासी प्रभाव नहीं दिख रहा है। दिल्ली चुनाव में मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट पर बीजेपी जरूर जीतने में सफल रही है, लेकिन मुसलमानों की बदौलत नहीं बल्कि मुस्लिम वोटों के बिखराव के बुनियाद पर उसे जीत मिली। ऐसे में सवाल यह उठता है कि बीजेपी आखिरकार मुस्लिमों का विश्वास क्यों नहीं जीत पा रही है केंद्र शासित प्रदेश में मुसलमानों की आबादी करीब 13 फीसदी है और 10 विधानसभा सीटों पर हार-जीत की भूमिका अदा करते हैं। दिल्ली की 7 सीटों पर मुसलमानों की आबादी 30 फीसदी से 60 फीसदी के बीच है। मटिया महल, ओखला, मुस्तफाबाद, बाबरपुर, सीलमपुर, बल्लीमारान और चांदनी चौक सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है। इन सीटों पर हुए मुकाबले में एक सीट मुस्तफाबाद में बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट को जीत मिली जबकि अन्य सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीते। इस तरह मुस्लिम वोटों का भरोसा आम आदमी पार्टी के साथ बना रहा, जबकि बीजेपी कुछ खास मुस्लिम वोट हासिल नहीं कर सकी। बीजेपी के तमाम बड़े नेता दावा कर रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में इस बार मुस्लिमों का वोट उनकी पार्टी को मिला है, लेकिन कितना वोट मिला है। इसका जवाब कोई नहीं दे रहा। मुस्लिमों के वोटिंग पैटर्न को लेकर मुस्तफाबाद विधानसभा सीट का विश्लेषण किया, जहां पर बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह बिष्ट विधायक चुने गए। इस सीट के नतीजे को लेकर सीएसडीएस से जुड़े प्रोफेसर हिलाल अहमद कहते हैं कि मुस्लिम वोटों के बदौलत बीजेपी नहीं जीती बल्कि मुस्लिम वोट बंटने के वजह से जीत मिली है। दिल्ली चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवारों को देखकर वोट देने के बजाय बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने की रणनीति पर ही वोट करते नजर आए। इसी का नतीजा है कि दिल्ली की मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद सीट छोड़कर बाकी सभी मुस्लिम सीटें आम आदमी पार्टी जीतने में कामयाब रही। हिलाल अहमद के मुताबिक, दिल्ली में महज 6 से 7 फीसदी मुस्लिम वोट ही बीजेपी को मिल सके हैं। मुस्लिमों का इतने वोट तो हमेशा से ही बीजेपी को मिलते रहे हैं, लेकिन पसमांदा मुस्लिमों को लेकर जिस तरह से पार्टी ने सियासी तानाबाना बुना था, वो पूरी तरह से फेल रहा। पसमांदा एक फारसी शब्द है, जो पस और मांदा से मिलकर बना है। पस का अर्थ-पीछे होता है और मांदा का अर्थ-छूट जाना। इस तरह से इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति विकास के मामले में पिछड़ गया हो। ऐसे में मुस्लिमों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े तबके को पसमांदा कहा जाता है। मुस्लिमों की कुल आबादी में पसमांदा मुस्लिमों की तादाद 80 से 85 फीसदी के बीच मानी जाती है और 15 फीसदी सवर्ण मुस्लिम है, जिनको अशराफ मुस्लिम कहा जाता है। पसमांदा मुस्लिम समाज में ओबीसी, अति-पिछड़ी और वंचित जातियां आदि शामिल होती हैं। इसमें धोबी, अंसारी, कुरैशी, नाई, तेली, बढ़ई, रंगरेज, दर्जी, धुनिया, फकीर, गुर्जर, कुंजड़ा और घाड़े जैसी तमाम जातियां शामिल हैं। बीजेपी की तरफ से इन पसमांदा लाभार्थियों तक पहुंचने और उनके बीच सियासी बनाने का प्रयास चल रहा है। बीजेपी पिछले 2 सालों से पसमांदा मुस्लिमों को जोड़ने के लिए तमाम कार्यक्रम और योजनाओं के साथ चल रही है, लेकिन उसके बाद भी पसमांदा मुस्लिमों का वोट बीजेपी को नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली के मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र के मुस्तफाबाद मंडल सीटों का उदाहरण लेते हैं, मुस्तफाबाद मंडल में 60 हजार कुल वोटर्स हैं, जिनमें 202 मतदाता हिंदू है बाकी सभी मुस्लिम वोटर्स हैं। मुस्लिम वोटर्स में पसमांदा मुस्लिम बड़ी संख्या में हैं, जिसमें तकरीबन 23 हजार सैफी (बढ़ई), 20 हजार मलिक (तेली), 12 हजार अंसारी (जुलहा), तीन हजार कुरैशी और 15 सौ शिया मुस्लिम हैं। मुस्तफाबाद मंडल सीट पर कुल 55 बूथ केंद्र हैं, जिसमें 60 हजार वोटों में से 42 हजार वोट पोल हुए थे। आम आदमी पार्टी को सबसे ज्यादा 22,374 वोट मिले तो एआईएमआईएम के ताहिर हुसैन को 11,728 वोट मिले। कांग्रेस के खाते में 2,593 वोट आए जबकि बीजेपी को महज 508 वोट ही मिल सके हैं।
दिल्ली का नया CM कौन?
17 Feb, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । सीएम को लेकर अंतिम निर्णय निश्चित रूप से केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से किया जाता है। केंद्रीय नेतृत्व 2014 से दस बार विभिन्न राज्यों में सीएम बदल चुका है। इसमें उत्तराखंड और गुजरात में दो-दो बार मुख्यमंत्री बदलना शामिल है। सीएम बदलने के इस बड़े काम को संभालना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राज्यों और बीजेपी के कार्यकर्ताओं में व्यापक अपील का स्पष्ट प्रतिबिंब है। इससे उन्हें सीएम नियुक्त करने और बदलने में पूरा नियंत्रण मिलता है। तथ्य यह है कि बीजेपी ने 2014 के बाद 12 मौकों पर काफी लो प्रोफाइल वाले नए चेहरे नियुक्त किए हैं। इनमें 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले और एक के बाद चार शामिल हैं। यह भी एक कड़ा संदेश देता है। पार्टी के एक नेता ने समझाया कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व एक ऐसा सख्त शासन चलाना चाहता है जिसमें कोई भी क्षेत्रीय नेता संगठन से बड़ा न हो और पार्टी की राज्य इकाइयां संगठन/कैडर संचालित होनी चाहिए, न कि व्यक्तित्व संचालित। इसके अलावा अन्य राज्य जहां बीजेपी ने सीएम बदले हैं उनमें हरियाणा, गोवा, कर्नाटक और त्रिपुरा शामिल हैं। बीजेपी ने असम और मध्य प्रदेश में चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री के रूप में भी नए चेहरों को चुना। सीएम बदलने के बाद इनमें से कई नेताओं को केंद्र का हिस्सा बना दिया गया। इनमें असम के पूर्व सीएम सर्बानंद सोनोवाल और शिवराज चौहान जो वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं। इसी तरह, हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर भी केंद्रीय मंत्री हैं। 2014 में सीएम पद के लिए चुने गए कई नेता ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाए और लोकसभा में हैं। ऐसे नेताओ में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, उत्तराखंड में त्रिवेंद्र रावत, कर्नाटक में बसवराज बोम्मई, त्रिपुरा में बिप्लब देब शामिल हैं। झारखंड के पूर्व सीएम रघुबर दास को ओडिशा का राज्यपाल नियुक्त किया गया था।'
दिल्ली कांग्रेस चीफ ने मांग लिया अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा
17 Feb, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । देश की राजधानी के सबसे प्रमुख स्टेशनों में से एक नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जो हुआ, उससे हर देशवासी आज दुखी है। महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज जा रहे उन 18 बदनसीबों की किस्मत में जैसे यह पुण्य लिखा ही नहीं था। एक भगदड़ ने उन्हें सदा के लिए अपने परिवारवालों से छीन लिया। स्टेशन के अंदर मची चीख पुकार में उन 18 जिंदगियों की सांसें भी सदा के लिए दब गईं। दिल को तोड़कर रख देने वाले हादसे पर राजनीतिक जगत से भी शोक संवनेदनाएं व्यक्त की जा रही हैं। इस बीच दिल्ली कांग्रेस चीफ देवेंद्र यादव ने हादसे पर नाराजगी जताते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का इस्तीफा मांगा है। देवेंद्र यादव ने कहा कि हर बार नाकाम साबित हो रहे विफल रेल मंत्री को स्वयं जल्द से जल्द इस्तीफा दे देना चाहिए। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में इस दुखद हादसे पर कहा कि रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में हुई मौतें रेल प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है। महाकुंभ जैसे इतने बड़े आयोजन को ध्यान में रखते हुए भीड़ के प्रबंधन की कोई तैयारी क्यों नहीं की गई? उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में हर बार नाकाम साबित हो रहे विफल रेल मंत्री को स्वयं तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। देवेंद्र यादव ने आगे कहा कि रेलवे प्रशासन की लापरवाही के कारण नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ और श्रद्धालुओं की मौत का समाचार बेहद दुखद है। हमारी मांग है कि घटना की विस्तृत जांच हो और पीड़ितों को उचित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाए। देवेंद्र यादव ने इस घटना पर एक वीडियो भी जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि आधिकारिक आंकड़ा 18 बताया गया है। इस दुख की घड़ी में हम उन पीड़ित परिवारवालों के साथ खड़े हैं। यह दुख और बढ़ गया कि जब पता चला कि लोगों ने फ्री ट्रेन वाली अफवाह उड़ाई और यह घटना हुई। किसी भी तरह की व्यवस्था न होने से लोगों की जानें गईं।
प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा नहीं होने की वजह से अब अगले माह भाजपा को मिलेगा नया अध्यक्ष
17 Feb, 2025 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा फिलहाल अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे। यह दायित्व संभाले हुए उन्हे करीब 6 साल हो गए हैं। कई बार नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा चली लेकिन कुछ न कुछ अड़चन आने के कारण नड्डा का कार्यकाल बढ़ता रहा है। इस बार भी कहा जा रहा है कि मार्च में भाजपा को जेपी नड्डा का विकल्प मिल पाएगा। इसकी वजह यह है कि भाजपा के संविधान के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम आधी राज्य इकाइयों के अध्यक्षों का चुनाव हो जाना चाहिए। वहीं प्रदेश अध्यक्षों के इलेक्शन से पहले जिलाध्यक्ष चुने जाने चाहिए। अब तक कई राज्य ऐसे हैं, जहां जिलाध्यक्ष ही नहीं चुने जा सके हैं और इसके कारण प्रदेश अध्यक्षों का इलेक्शन अटका है।
इससे पहले नड्डा लोकसभा चुनाव तक के लिए कार्य़काल विस्तार मिला था, लेकिन फिर महाराष्ट्र, हरियाणा जैसे राज्यों के चुनाव के कारण नए अध्यक्ष का चुनाव लटक गया। उम्मीद थी कि जनवरी या फरवरी तक भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा, लेकिन यह फिर से टल गया है। फिर इसी के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में भी देरी हो रही है। इसकी एक वजह यह भी रही कि भाजपा ने अपने संगठन की पूरी मशीनरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में उतार दिया था। इसके कारण कई राज्यों में संगठन चुनाव लटक गए। भाजपा ने अब तक 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 11 में ही प्रदेश अध्यक्ष चुने हैं। कई राज्यों में चुनाव जारी हैं और कहीं तो अध्यक्षों को रिपीट ही किया जा रहा है। अब तक आंध्र प्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में जिलाध्यक्षों का चुनाव हो चुका है। लेकिन उत्तराखंड, यूपी समेत कई राज्यों में अब भी इलेक्शन अटका हुआ है। भाजपा संगठन के लोगों का कहना है कि राज्यों में ही चुनाव होना फऱवरी या मार्च के शुरुआती दिनों तक संभव है। ऐसे में इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा।
इस तरह पूरी संभावना है कि मार्च के आखिर तक ही भाजपा को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। इस देरी कि एक वजह य़ह भी रही कि लोकसभा चुनाव के बाद भी लगातार राज्यों के चुनाव बने रहे। फिर दिल्ली विधानसभा चुनाव आ गया। अब बिहार विधानसभा इलेक्शन में करीब 6 महीने का वक्त है। ऐसे में बीच के इस समय का इस्तेमाल भाजपा संगठन में बदलाव के लिए करना चाहेगी। इससे संगठन की कमान संभालने वाले नए अध्यक्ष को भी तैयारी का मौका मिल जाएगा। भाजपा के अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का ही होता है, लेकिन जेपी नड्डा को इस बार विस्तार मिला। जेपी नड्डा भले ही पीएम नरेंद्र मोदी की छाया में रहे हैं, लेकिन उनके कार्य़काल को कई राज्यों में शानदार जीत और लगातार तीसरी बार केंद्र में सरकार बनने के लिए याद किया जाएगा।
अब जयशंकर की बांग्लादेश से होगी बात, जवाब देना हो जाएगा मुश्किल
17 Feb, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के जाने के बाद से ही लगातार भारत के खिलाफ मोर्चा खोले बैठे मोहम्म्द यूनुस को ट्रंप ने चारों खाने चित कर दिया है। इस बड़ी डिप्लोमेटिक जीत के बाद अब बांग्लादेश को ‘सबक सिखाने’ की बारी पीएम मोदी के खास दूत एस जयशंकर की है। जयशंकर बांग्लादेश के विदेश सलाहकार मोहिद हुसैन से मिलने वाले हैं। जयशंकर के पास ऐसे सवाल है जिनका जवाब देना हुसैन को मुश्किल हो जाएगा।
विदेश मंत्री एस जयशंकर मस्कट में 8वें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से मुलाकात करेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय और ओमानी सरकार द्वारा इसे संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है, जिसमें 27 देशों के विदेश मंत्री हिस्सा ले रहे हैं। एस जयशंकर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इसी बीच बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार संग जयशंकर की बैठक होगी।
कुंभ…कुंभ…कुंभ कोई मतलब नहीं है, सब फालतू चीज है: लालू यादव
17 Feb, 2025 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में मरने वालों के प्रति पूर्व रेल मंत्री लालू यादव ने संवेदनाएं व्यक्त की हैं।उन्होंने कहा कि घटना पर उन्हें बेहद दुख है, लेकिन इसकी जिम्मेवारी रेल मंत्री को लेनी चाहिए। इसी बीच लालू प्रसाद यादव से कुंभ को लेकर पूछे गए सवाल पर ऐसा जवाब दे दिया है जिस पर सियासी बवाल मच सकता है। पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि कुंभ को लेकर यह घटना घटी है, तो उन्होंने कहा कि कुंभ का कोई मतलब है, कुंभ…कुंभ…कुंभ कोई मतलब नहीं है। सब फालतू चीज है।
कुंभ पर लालू यादव के बयान पर जेडीयू ने उन्हें सियासत नहीं करने की नसीहत दी है। जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि सियासत के बजाय कैसे घायलों को और मृतकों के परिवार की मदद कर सकते हैं, इस पर बात करनी चाहिए न कि सियासत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता दल यूनाइटेड उन परिवारों के साथ खड़ा है जिन्होंने अपने परिजनों को खोया है। जेडीयू प्रवक्ता ने कहा कि रेल मंत्रालय और भारत सरकार पीड़ितों की हर संभव सहायता के लिए तत्पर है। बता दें कि प्रयागराज त्रिवेणी में अब तक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने पवित्र कुंभ स्नान कर लिया है। अभी भी लाखों श्रद्धालु हर दिन कुंभ स्नान कर रहे हैं। देश के आम से लेकर विशेष व्यक्ति तक कुंभ स्नान के लिए जाने के लिए आतुर हैं। लेकिन, लालू परिवार के कुंभ स्नान के लिए नहीं जाने को लेकर विपक्ष लगातार सवाल पूछ रहा है। वहीं, अब लालू यादव के कुंभ स्नान को लेकर दिये गए बयान के बाद सियासी बखेड़ा खड़ा हो सकता है। बता दें कि लालू परिवार भी बेहद धार्मिक कहा जाता है, लेकिन कुंभ स्नान को लेकर उनका यह बयान नये विवाद को जन्म दे सकता है।
तेलंगाना सीएम का आरोप, मोदी जब सीएम थे तब उनकी जाति सवर्ण थी
17 Feb, 2025 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बीजेपी ने रेड्डी के बयान को बताया असामाजिक और गैर जिम्मेदाराना
नई दिल्ली। तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का जन्म से पिछड़ा वर्ग से कोई संबंध नहीं था। उनके इस बयान के बाद विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने सीएम रेड्डी के बयान को असामाजिक और गैर जिम्मेदाराना बताया है। रेवंत रेड्डी का यह बयान बीजेपी द्वारा तेलंगाना में जाति सर्वे को लेकर उठाए गए आरोपों के जवाब में आया है।
सीएम रेवंत रेड्डी ने पीएम मोदी पर आरोप लगाया है कि उनकी मानसिकता पिछड़े वर्ग के खिलाफ है और उन्होंने दावा किया कि गुजरात के सीएम बनने से पहले मोदी जाति से सवर्ण थे। उन्होंने यह बयान सरकार के जाति सर्वे पर एक रिपोर्ट के बाद दिया है। रेड्डी के बयान के बाद बीजेपी नेताओं ने कई पोस्ट किए। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने सीएम रेवंत रेड्डी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रेड्डी को तथ्यों के आधार पर बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेवंत रेड्डी इतनी गैर जिम्मेदार तरीके से कैसे बोल सकते हैं? अगर आप कोई बयान देते हैं, तो वह तथ्यों के आधार पर होना चाहिए।
किशन रेड्डी ने यह भी कहा कि मोदी सरकार ने पिछड़े वर्गों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद ही पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया, जबकि यह कांग्रेस सरकारों के दौरान नहीं हुआ था। बीजेपी ने रेवंत रेड्डी के बयान का विरोध किया और पार्टी नेता एन रामचंद्र राव ने इसे सस्ती लोकप्रियता बताया। उन्होंने कहा कि यह बयान कांग्रेस सरकार के जाति सर्वे की विफलता से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के मंत्रियों ने खुद कहा कि पूरे जनगणना को फिर से देखा जाना चाहिए क्योंकि कुछ लोग बाहर रह गए हैं।
बीजेपी के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लक्ष्मण ने सीएम रेड्डी के बयान को गलत बताया और याद दिलाया कि पीएम मोदी की जाति को 1994 में कांग्रेस सरकार के दौरान ओबीसी सूची में शामिल किया गया था। लक्ष्मण ने कहा कि रेवंत रेड्डी का पीएम नरेंद्र मोदी की जाति पर दिया गया बयान गलत है। वहीं केंद्रीय मंत्री बंदी संजय ने भी रेवंत रेड्डी को घेरते हुए कहा कि आपका शोध इतना विफल हुआ कि आप एक तथ्य भूल गए। पीएम नरेंद्र मोदी को 1994 में कांग्रेस के शासन में ओबीसी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
बांदी संजय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधा और सवाल किया कि अब बताएं कि राहुल गांधी किस जाति के हैं? उनका धर्म क्या है? क्या उन्हें पता है या आपको पता है? उनके दादा फिरोज जहांगीर गांधी थे। हिंदू परंपरा में जाति पिता की वंशावली से जुड़ी होती है। उन्होंने चुनौती दी कि अगर कोई बहस करना चाहता है कि कौन कानूनी रूप से धर्म परिवर्तन किया है तो सीएम को 10 जनपथ से शुरुआत करनी चाहिए।
पीएम मोदी के स्वदेश लौटते ही दिल्ली सीएम को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज
16 Feb, 2025 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस और अमेरिका की अपनी दो देशों की यात्रा पूरी करने के बाद दिल्ली पहुंच गए हैं। पीएम मोदी की स्वदेश वापसी के साथ ही दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर जहां राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं वहीं अलग-अलग खेमों ने लामबंदी भी शुरु कर दी है। पीएम मोदी के स्वदेश वापस आने के बाद दिल्ली में नई सरकार के गठन को लेकर कवायद तेज हो गई है। माना जा रहा है कि एक-दो दिन में दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का चयन कर लिया जाएगा। वहीं, दिल्ली में बीजेपी सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 19 या 20 फरवरी को होने की संभावना है। नई सरकार की कमान किसके हाथों में होगी, इसे लेकर सियासी हलके में कयासों का बाजार भी गर्म है, वहीं अलग-अलग खेमों ने अपने नेता को आगे करने और ताजपोशी करवाने के लिए लामबंदी भी करना शुरु कर दी है। वैसे पार्टी सूत्रों की मानें तो दिल्ली सीएम चुने हुए विधायकों में से ही तय किया जाएगा, लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह चौंकाने वाला फैसला भी ले सकते हैं। फिलहाल सभी की नजरें दिल्ली के नए सीएम के नाम पर टिकी हुई हैं।
नई सरकार की प्रथमिकताएं
दिल्ली की नई सरकार के सामने वैसे तो अनेक समस्याएं होंगी, लेकिन जिन पर फोकस रहेगा उनमें रोजाना की अन्य चीजों के अलावा स्वच्छ पेयजल आपूर्ति, बेहतर नागरिक बुनियादी ढांचे और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की योजना बनाने का है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दिल्ली की नई सरकार पू्र्व की सरकार द्वारा चलाई गई जनहितकारी योजनाओं को ज्यादा नहीं छेड़गी, लेकिन जहां आवश्यक होगा वहां बदलाव जरुर किया जाएगा। बहरहाल सभी की नजरें इस पर टिकी हुई हैं कि दिल्ली का नया मुख्यमंत्री कौन बनेगा और नई सरकार किन नई योजनाओं के साथ राजधानी के विकास को गति देगी।
छवि सुधारने आरजेडी कर रही मंथन, दिल्ली में बिहार पॉलिसी डायलॉग का आयोजन
16 Feb, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसको लेकर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपनी छवि सुधारने के लिए सक्रिय हो गया है। आज 15 फरवरी को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बिहार पॉलिसी डायलॉग का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन सोन वैली डेवलपमेंट फाउंडेशन की ओर से किया गया है। इस पॉलिसी डायलॉग में कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और सार्वजनिक वित्त जैसे विषयों पर विशेषज्ञों और शिक्षाविदों द्वारा विचार रखे जाएंगे। आरजेडी इन विचारों को अपने आगामी घोषणा-पत्र में शामिल करने की योजना बना रही है। पार्टी महासचिव शाश्वत गौतम के मुताबिक इस कार्यक्रम का अगला चरण पटना में आयोजित किया जाएगा, जहां प्राप्त सुझावों को विस्तृत रूप से परखा जाएगा।
पार्टी विचार कर रही है बिहार का बजट भारी-भरकम ब्याज से मुक्त कैसे बनाया जाए? जनता की आर्थिक क्षमता बढ़ाने के लिए राहत योजनाओं से अलग क्या रणनीति अपनाई जाए? स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में निजी संस्थानों की बढ़ती भूमिका को संतुलित करने के लिए क्या उपाय किए जाएं? पार्टी अंदरखाने ओबीसी इंटलेक्चुअल वर्ग को एक मंच पर लाने की रणनीति पर भी विचार कर रही है, जिससे आगामी बजट सत्र और विधानसभा चुनाव में इसे लाभ मिल सके।
आरजेडी बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री राबड़ी देवी देने का श्रेय लेती है, लेकिन अब तक महिलाओं को लेकर कोई बड़ा कदम नहीं उठाया है। तेजस्वी यादव ने ‘माई-बहन सम्मान योजना’ के तहत महिलाओं के खाते में हर माह 2500 रुपए देने का वादा किया है। साथ ही पार्टी की महिला विंग की अध्यक्षता रितु जायसवाल को सौंपी गई है। पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़ों को देखें तो बिहार में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था। इसी कारण तेजस्वी ने अपने भाषणों में ‘एम मतलब महिला और वॉय मतलब युवा’ का नारा दिया है।
तेजस्वी बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बनाते हुए युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने अपने शासनकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि 17 महीने में किया कमाल, हमें दीजिए पूरे 5 साल। उनकी टीम में युवा नेतृत्व को महत्व दिया है, जिसमें राज्यसभा सांसद संजय यादव और पूर्व में नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके शाश्वत गौतम जैसे पढ़े-लिखे युवाओं को जगह दी गई है। बिहार में 8 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए आरजेडी इस पॉलिसी डायलॉग के जरिए से अपनी छवि सुधारने और जनसंपर्क मजबूत करने में जुटी हुई है।