राजनीति
राष्ट्रपति को सौंपा श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का निमंत्रण; राष्ट्रपति ने कहा शीघ्र तय करेंगी अयोध्या आने का समय
13 Jan, 2024 12:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली, महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को आर एस एस, विश्व हिन्दू परिषद एवं मंदिर निर्माण समिति प्रमुख के द्वारा 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का निमंत्रण सौंपा है। निमंत्रण पर माननीय राष्ट्रपति ने अत्यंत हर्ष व्यक्त किया ओर कहा कि अयोध्या आने व दर्शन करने का समय शीघ्र तय करेंगी।
विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने उक्त जानकारी देते हुए समाचार एजेंसी ईएमएस को बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख रामलाल, विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार एवं मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचे एवं महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का निमंत्रण सौंपा। निमंत्रण देने गए नेताओं ने माननीय राष्ट्रपति से समारोह में पधारने का आग्रह किया। निमंत्रण पर राष्ट्रपति ने अत्यंत हर्ष व्यक्त किया ओर कहा कि वे अयोध्या आने व दर्शन करने का समय शीघ्र तय करेंगी।
मोदी को नियति ने पहले ही चुन लिया था अयोध्या में राम मंदिर बनाने : आडवानी
13 Jan, 2024 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि नियति ने मोदी को पहले ही भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए चुन लिया था। उन्होंने 22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रहे राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि रथ यात्रा ने वृहद रूप लिया और उसका दूरगामी परिणाम हुआ था। सूत्रों बताया कि आडवाणी ने एक पत्रिका के विशेष अंक के लेख में राम मंदिर के लिए निकाली गई अपनी रथ यात्रा का संस्मरण लिखा है। उन्होंने यादों को ताजा करते हुए कहा कि रथ यात्रा को 33 साल पूरे हो रहे हैं। वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी उस पूरी रथ यात्रा के दौरान उनके साथ थे। उस समय नरेंद्र मोदी ज्यादा प्रसिद्ध नहीं थे लेकिन उसी समय नियति ने उन्हें भगवान राम का भव्य मंदिर बनाने के लिए चुन लिया था। आडवाणी ने कहा कि उन्होंने जब रथ यात्रा शुरू की थी तब उन्हें यह नहीं पता था कि यह यात्रा देश में एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी। लेकिन उसी दौरान भगवान राम ने अपने भव्य मंदिर के निर्माण के लिए अपने भक्त नरेंद्र मोदी को चुन लिया था।
वहीं राम मंदिर आंदोलन को अपनी राजनीतिक यात्रा की सबसे महत्वपर्ण घटना बताते हुए आडवाणी ने आंदोलन के दौरान अपने कई अनुभवों को भी लेख में शामिल किया है। राजनीति में दशकों तक उनके साथी रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए यह भी कहा कि राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की कमी बहुत खल रही है। राम मंदिर के सपने को साकार करने व अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनाने के उनके संकल्प को पूरा करने के लिए पीएम मोदी को बधाई देते हुए आडवाणी ने कहा कि जब पीएम मोदी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे तो वह उस समय देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करेंगे।
गौरतलब है कि अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे प्राण प्रतिष्ठा समारोह कार्यक्रम के लिए लालकृष्ण आडवाणी को भी निमंत्रित किया गया है। हालांकि पहले यह कहा जा रहा था कि खराब स्वास्थ्य के कारण आडवाणी अयोध्या नहीं जा पाएंगे लेकिन विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने आडवाणी के कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि करते हुए उनके स्वास्थ्य को देखते हुए डॉक्टर और मेडिकल तैयारी सहित तमाम व्यवस्थाएं अयोध्या में करने की जानकारी दी है।
अब थौबुल से शुरू होगी भारत जोड़ो न्याय यात्रा
13 Jan, 2024 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कांग्रेस की न्याय यात्रा मणिपुर की राजधानी इम्फाल की जगह अब 34 किलोमीटर दूर थौबुल से शुरू होगी। कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार की शर्तों की वजह से ये बदलाव किया है। राज्य सरकार ने यात्रा में 1 हजार लोगों के शामिल होने की परमिशन दी थी। कांग्रेस ने इन शर्तों की वजह से जगह में बदलाव किया है।
कांग्रेस के मणिपुर अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने कहा कि हमने 2 जनवरी को जिला प्रशासन से इम्फाल के हप्ता कांगजेइबुंग मैदान से यात्रा शुरू करने की अनुमति मांगी थी। कानून-व्यवस्था का हवाला देकर पहले इससे इनकार कर दिया गया। 10 जनवरी को सीएम से मुलाकात के बाद कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति मिली।
रूट में कोई बदलाव नहीं होगा।
मेघचंद्र ने कहा कि राज्य कांग्रेस की एक टीम ने फिर से डीजीपी राजीव सिंह और इंफाल पूर्व के डिप्टी कमिश्नर और एसपी की मौजूदगी में चीफ सेक्रेटरी विनीत जोशी से मुलाकात की थी। हमें बताया गया कि कार्यक्रम स्थल पर 1,000 से अधिक लोगों को अनुमति नहीं दी जाएगी। मेघचंद्र ने कहा कि शर्तें हमारे लिए चिंताजनक थीं। 10 जनवरी को देर रात थौबल जिले के डिप्टी कमिश्नर ने खोंगजोम के प्राइवेट ग्राउंड से यात्रा की अनुमति दी। इसके बाद हमने जगह बदलने का फैसला किया। 14 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े यहीं से यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे। रूट में कोई बदलाव नहीं होगा।
गठबंधन की बैठक आज, 14 पार्टियों के नेता होंगे शामिल
13 Jan, 2024 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । आगामी लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हैट्रिक रोकने की कवायद में जुटी विपक्षी पार्टियों के इंडिया गठबंधन की बैठक कल शनिवार को होनी है। इस बैठक में शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एमके स्टालिन, नीतीश कुमार समेत 14 पार्टियों को नेता बैठक में हिस्सा लेंगे। सुबह 11:30 बजे होने वाली इस वर्चुअल मीटिंग में सभी नेता एक दूसरे से बातचीत करेंगे और आगे की योजना तैयार करेंगे। 13 जनवरी को होने वाली ये बैठक बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। कारण, इस बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा तो होगी ही, साथ ही नीतीश कुमार को गठबंधन का संयोजक बनाने पर भी सहमति बन सकती है। हालांकि अभी बैठक के एजेंडा का खुलासा नहीं किया गया है।
बता दें कि विपक्षी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस यानी इंडिया गठबंधन की पहले भी कई बैठकें हो चुकी हैं। पटना, बेंगलुरु और मुंबई के बाद गठबंधन की बैठक दिल्ली में भी हो चुकी है। पहली मीटिंग बिहार के पटना में 23 जून को हुई थी। वहीं दूसरी मीटिंग बेंगलुरु में 17 और 18 जुलाई को हुई थी। तीसरी बैठक मुंबई में 31 और 1 सितंबर को हुई थी। चौथी बैठक दिसंबर में दिल्ली में हुई थी। इन बैठकों में पार्टियों को एक साथ लाने से लेकर सीट बंटवारे तक की चर्चा हो चुकी है। हालांकि राज्यवार सीट बंटवारा का मामला अभी फंसा हुआ है। माना जा रहा है कि इस बैठक में इस मुद्दे को सुलझाने का काम किया जाएगा। बता दें कि राज्यवार सीट बंटवारे को लेकर पार्टियों की अलग-अलग बैठकें भी हो चुकी हैं। अभी तक महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, आरजेडी और समाजवादी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग को लेकर बैठकें हो चुकी हैं। कई राज्यों में कांग्रेस और अन्य पार्टियों के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है।
पूर्व सीएम शिवराज बोले- अपन रिजेक्ट नहीं है, मेरी राजनीति किसी पद के लिए नहीं, बड़े लक्ष्य के लिए है
12 Jan, 2024 08:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भोपाल । मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान शुक्रवार को पुणे में भारतीय छात्र संसद के 13वें संस्करण कार्यक्रम में पहुंचे। कार्यक्रम में अपने संबोधन में सीएम शिवराज ने कहा कि कई लोग कहते पूर्व चीफ मिनिस्टर, लेकिन अपन रिजेक्टेट नहीं है। कई बार लोग कहते हैं कि कई साल हो गए बैठा हुआ है। लेकिन छोड़े के भी ऐसे आए कि आज भ्ज्ञी लोग बालते हैं...मामा, मामा, मामा। शिवराज ने आगे कहा कि छोड़ दिया इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीति नहीं करुंगा। मैं राजनीति करूंगा। मेरी राजनीति किसी पद के लिए नहीं बड़े लक्ष्य के लिए हैं।
देश, प्रदेश और समाज के लिए कुछ बड़ा काम करना है
पूर्व सीएम ने कहा कि स्वाभाविक रूप से लोगों के लिए जीना है। देश, प्रदेश और समाज के लिए कुछ बड़ा काम करना है। आज-कल दूसरे तरह के नेता भी हैं जो पॉलिटिक्स को ही करियर मान लेते हैं, यही करियर है लकधक कपड़े पहनकर कुर्ता-पजामा और सतही राजनीति करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि राजनीति में आना चाहिए मैं यहां जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं। कई बार लोग सोचते हैं कि हम क्या करेंगे राजनीति में आकार... ये तो बेकार काम है... लेकिन ये मानसिकता सभी के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि आप सोचो इंडिविजुअल रहकर काम करना चाहो तो अकेले रहकर कितना काम कर सकते हो। मैं शिवराज अकेला करता तो अपनी पत्नी के साथ 5 बेटियों की शादी करता, 50 बेटियों की शादी करता। लेकिन मैं राजनीति में आया MLA बना MP बना और मुख्यमंत्री बना तो लाखों शादियां हर साल होती हैं।
क्या चोरी करने वालों के लिए राजनीति छोड़ दें?
उन्होंने आगे कहा, आप अगर ऊपर जाते हैं और आवाज देते हैं तो वह सारी दुनिया को सुनाई देती है। आपको आह्वान करने आया हूं। राजनीति में आने से डरो मत आगे बढ़ो, आओ अगर तुम नहीं आओगे तो कौन आएगा ? बेईमान, अगर हम बेईमान नहीं है, हम अच्छे हैं, हम ईमानदार हैं, हम कर्मठ हैं, हम चरित्रवान हैं, हम देशभक्त हैं। हम राजनीति छोड़ दें तो क्या केवल चोरी करने वालों के लिए राजनीति सौप दें। क्या उनके जिम्मे सारे राजनीतिक अधिकार सौंपे जाएंगे और इसलिए मैं कह रहा हूं लीड करो लीड, तुम कर सकते हो क्योंकि तुम अनंत शक्तियों के भंडार हो। विधानसभा चुनावों में कई चुनावी विश्लेषकों ने कहा था कि मध्यप्रदेश में भाजपा नहीं जीतेगी। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि क्लीन स्वीप करेंगे। मेरी पार्टी के कुछ नेता भी मुझसे कहते थे, मुश्किल है, नहीं हो पाएगा। मैंने तय किया कि किसी भी कीमत पर मैं पार्टी को जिताऊंगा, कोई ताकत मुझे जीतने से नहीं रोक सकती। एक संकल्प पैदा हुआ और उसके अनुरूप काम किया। जब परिणाम आए, तब कांग्रेस ने नहीं, भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। सबसे ज़्यादा वोट आए और सबसे शानदार सीटें आईं। ये भी होता है।
ईमानदारी से काम करो जनता साथ देगी
उन्होंने कहा कि मैं अहंकार की बातें नहीं बोल रहा। मैं लड़ता हूं एक क्षेत्र से। अब तक मैं 11-12 चुनाव लड़ा हूं एक मुझे लड़ाया था पार्टी ने। दिग्विजय सिंह जी जब मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उनके खिलाफ भी लड़ने पहुंच गया था। लेकिन एक ही क्षेत्र से 11 बार जीता हूं और आज कोई मेरे क्षेत्र में जाकर देख लेना सरेआम मीडिया के सामने कह रहा हूं। मैं चुनाव में प्रचार करने नहीं जाता, एक दिन पहले फॉर्म भरने निकलता हूं तो गांव की जनता आती है मुझे थैली भेंट करती है। जिसमें पैसे और सूची होती है रामलाल के 100 रुपए, श्यामलाल के 200 रुपए और उस पैसे से चुनाव लड़ते हैं। ये भी होता है, ईमानदारी से काम करो जनता साथ देगी।
मुसलमान कभी... इस दलील पर SC में सिब्बल और तुषार के बीच हुई तीखी नोकझोंक
12 Jan, 2024 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के स्पेशल स्टेट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल दलील कोर्ट के सामने रखीं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने संवैधानिक पीठ में दलील देते हुए कहा कि देश में शिक्षा के मामले में मुसलमानों की हालत अनुसूचित जातियों से भी नीचे है.
कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए आगे कहा कि मुसलमानों को कभी भी पर्याप्त रूप से सशक्त नहीं बनाया गया है. वहीं इस दलील पर केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सिब्बल की दलील का जमकर विरोध किया. वैसे कई ऐसे मामले है, जिसमें कपिल सिब्बल और SG तुषार मेहता के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिल जाती है. ताजा मामला जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किए जाने के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के दौरान नोकझोंक होती रहती थी.
मामले की सुनवाई के दौरान वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि आर्टिकल 30 (अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार) में तो सिर्फ कुछ आरक्षण की बात है और अब उन्हें भी छीन लेने की कवायद शुरू कर दी गई है. अगर हमारे प्रशासन में अनुचित दखल दिया गया तो निश्चित रूप से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है. वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि मैं ये बताना चाहता हूं कि शिक्षा के मामले में अगर बात करें तो मुसलमान अनुसूचित जातियों से भी नीचे हैं. ये तथ्य हैं. हमें पर्याप्त रूप से सशक्त नहीं बनाया गया है और खुद को सशक्त बनाने का एकमात्र तरीका शिक्षा का माध्यम है और अधिकांश लोकप्रिय पाठ्यक्रमों में अल्पसंख्यक बहुत कम हैं और केवल बहुसंख्यक हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें सशक्त नहीं बनाने की कोशिश नहीं की गई.
वकील कपिल सिब्बल ने केंद्र सरकार के रुख पर सवाल उठाया. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2006 के फैसले का समर्थन करने पर केंद्र सरकार की आलोचना की, जिसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अधिनियम के कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया था. उन्होंने कहा कि केंद्र संसद द्वारा पारित कानून का समर्थन करने के लिए बाध्य है और ऐसे में केंद्र सरकार का रुख बहुत चिंताजनक है.
संवैधनिक बेंच के समक्ष वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल 1981 में एएमयू अधिनियम में हुए संशोधन को फिर से लागू करने की दलील देने की बात कर रहे थे. हालांकि इस नियम के मुताबिक, यह स्पष्ट किया गया था कि AMU जो मुहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल (एमएओ) कॉलेज का नया रूप है. वहीं भारत के मुसलमानों द्वारा स्थापित एक विश्वविद्यालय है. इससे पहले, इसी प्रावधान में लिखा था विश्वविद्यालय से अर्थ है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय. वहीं दलील देते हुए कहा कि यहां 1981 में अधिनियम की धारा 5 में एक और बिंदु जोड़ा गया था, जिससे विश्वविद्यालय को भारत में मुसलमानों की शिक्षा और संस्कृति को आगे बढ़ाने की अनुमति मिली थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया था, क्योंकि यह 1967 में सुप्रीम कोर्ट के अजीज बाशा मामले के फैसले के खिलाफ जाता था, जिसमें AMU को एक गैर-अल्पसंख्यक संस्थान घोषित किया गया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीजी कोर्स में मुसलमानों के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण को भी रद्द कर दिया था.
यह एक चिंताजनक मुद्दा है: कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि मान लीजिए कि 1981 का अधिनियम गलत है, फिर भी यह संसद द्वारा पारित कानून है. यह ठीक है फिलहाल यह अमान्य है, लेकिन क्या कोई सरकार कभी संसद के कानून के विपरीत किसी भी कोर्ट में दलील दे सकती है भले ही वह न मनाने वाला है. कार्यपालिका संसद के कानून के खिलाफ नहीं जा सकती, भले ही कोर्ट ने उसे रद्द कर दिया हो. वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि हर रोज हाईकोर्ट द्वारा कानून रद्द किए जाते हैं. यह पहली बार है जब सरकार ने हाईकोर्ट में समर्थन करने के बाद कहा है कि वह 1981 के अधिनियम के खिलाफ है. वे कहते हैं कि वे अपना मन बदल सकते हैं. हां, वे बदल सकते हैं लेकिन केवल तभी जब यह किसी कार्यकारी निर्णय से संबंधित हो न कि तब जब कानून संसद द्वारा पारित किया गया हो. यह एक गंभीर और चिंताजनक मुद्दा है.
सिब्बल की किस दलील पर तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया
संविधान पीठ के समक्ष कपिल सिब्बल की दलील से एक खामियों को उजागर करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर सरकार को हर संसदीय कानून का समर्थन करना ही है तो क्या उसे इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लागू किए गए. आपातकाल के 39वें संविधान संशोधन का भी समर्थन करना पड़ेगा. उस संशोधन ने तो मूलभूत अधिकारों को ही रोक दिया था. एसजी तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सामने सरकार का काम सिर्फ सही तरीके से कानून पेश करना है न कि हर परिस्थिति में उसका बचाव करना है. एसजी तुषार मेहता ने दलील देते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने 1981 के अधिनियम को सही ठहराया है और सरकार हमेशा हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन करती है.
आपको बता दे कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलील में इस बात पर पूरा जोर दिया कि केंद्र सरकार को कोर्ट द्वारा किसी कानून को रद्द कर दिए जाने के बाद भी उसका समर्थन करना चाहिए. उनके मुताबिक, ऐसा न करना संसद की गरिमा को कम करता है और कानून के पालन करने के अधिकार को कमजोर करता है.
देश ही नहीं दुनिया भी मानती है मोदी की गारंटी, जानें विदेश मंत्री ने केरल में ऐसा क्यों कहा
12 Jan, 2024 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने केरल के तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आज मोदी की गारंटी एक ऐसी चीज है जिसका लोहा न केवल देश बल्कि दुनिया भी मानती है। विदेश मंत्री ने दावा किया कि बीते दस वर्ष में देश में कई बदलाव हुए हैं और अब जब वह विदेश दौरे पर हैं तो वहां के लोग देश में हो रहे बदलाव के बारे में बात करना चाहते हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने केंद्र सरकार की 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' के दौरान तिरुवनंतपुरम में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही है कि आज मोदी की गारंटी एक ऐसी चीज है जिस पर न केवल देश बल्कि दुनिया भी विश्वास करती है।
उन्होंने आगे कहा कि मोदी की गारंटी है सुशासन, जन-केंद्रित नीतियां। इसका मतलब है कि जो भी विदेश में मुसीबत में है, चाहे वह सऊदी अरब में छात्र हो, यूएई में हो या यूक्रेन में छात्र फंस गया, उसके लिए भी प्रधानमंत्री मोदी हैं. पिछले 10 साल में बड़ा बदलाव आया है।
एक देश, एक चुनाव पर ममता बनर्जी को आपत्ति, पत्र में लिखा-
12 Jan, 2024 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस की चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने एक देश-एक चुनाव को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने एक देश एक चुनाव को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति को पत्र लिखा है। इस पत्र में ममता बनर्जी ने एक देश-एक चुनाव को लेकर असहमति जताई और लिखा कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराना भारत की संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ है।
पत्र में ममता बनर्जी ने लिखा कि साल 1952 में पहले आम चुनाव केंद्र के साथ राज्य स्तर पर भी हुए थे। कुछ साल तक ऐसे ही चला, लेकिन फिर यह सह अस्तित्व टूट गया। मुझे दुख है कि मैं इस एक देश-एक चुनाव के कॉन्सेप्ट के साथ सहमत नहीं हो सकती। हम आपके प्रस्ताव से असहमत हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम के अनुसार, वेस्टमिंस्टर सिस्टम में संघीय और प्रदेश स्तर के चुनाव अलग-अलग होना प्रमुख विशेषता है, जिसे बदला नहीं जाना चाहिए। इसी तरह भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में भी संघीय और प्रदेश स्तर के चुनाव अलग-अलग होना आधारभूत विशेषता है।
प्रदेश में एक साथ नहीं होंगे लोकसभा-विधानसभा चुनाव : जेपी नड्डा
11 Jan, 2024 10:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चंडीगढ़ । भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हरियाणा में संकेत दिए कि प्रदेश में एक साथ लोकसभा-विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। वहीं हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव अपने-अपने पूर्व निर्धारित समय पर होने की संभावना है। चर्चा चल रही थी कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इन चर्चाओं के आधार पर प्रदेश के सभी राजनीतिक दल लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव होने की रणनीति पर आगे बढ़ रहे थे। इधर भाजपा के प्रदेश नेतृत्व को पार्टी हाईकमान तथा केंद्रीय चुनाव आयोग से ऐसा कोई इशारा अभी तक नहीं मिला, जिस कारण संभावना जताई जा रही है कि राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव नहीं होंगे। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत के बाद ही कयास लगाए जाने लगे थे कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव लोकसभा के साथ हो सकते हैं। इसकी वजह यह है कि अक्टूबर 2024 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है, जबकि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यदि छह माह का अंतर हो तो केंद्रीय चुनाव आयोग को एक साथ चुनाव कराने का अधिकार होता है। बता दें कि हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा पंचकूला में आए थे। उन्होंने भाजपा की प्रदेश कोर ग्रुप और प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक में ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। हालांकि कुछ पदाधिकारियों ने इस मामले को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष से स्थिति भी साफ करने का अनुरोध किया, जिसके बाद उन्होंने कहा कि सभी लोकसभा चुनाव की तैयारी करें और 10 लोकसभा सीटों पर अपना फोकस ज्यादा करें।
राहुल से मिलने कर्नाटक के मंत्री दिल्ली रवाना, अंदरूनी कलह करेंगे दूर
11 Jan, 2024 07:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बेंगलुरु । अंदरूनी कलह दूर करने के लिए कर्नाटक के मंत्री राहुल गांधी से मिलने दिल्ली रवाना हुए हैं। मिली जानकारी के अनुसार कर्नाटक की 28 लोकसभा सीटों के प्रभारी मंत्री के.एन. राजन्ना गुरुवार को कांग्रेस के शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली रवाना हो गए। बैठक मुख्य रूप से रणनीतियों पर चर्चा करने और संसदीय चुनावों के लिए तैयारी करने के लिए आयोजित की गई है। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी कर्नाटक में कांग्रेस इकाई के भीतर अंदरूनी कलह का समाधान निकालेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला के स्पष्टीकरण के बावजूद कि कोई और उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। सहकारिता मंत्री और सीएम सिद्धारमैया के वफादार के.एन. राजन्ना ने गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना होने से पहले बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कहा कि अधिक उपमुख्यमंत्री पदों के सृजन से पार्टी को मदद मिलेगी। मंत्री राजन्ना ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में अतिरिक्त उपमुख्यमंत्री पद सृजित किए जाते हैं, तो इससे पार्टी को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में आलाकमान को सुझाव दिये हैं, और फैसले का पालन करेंगे। उन्होंने कहा, आलाकमान ने कर्नाटक की 28 एमपी सीटों के प्रभारी मंत्रियों की बैठक बुलाई है। हम सभी इसमें शामिल होंगे। गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने कहा कि राज्य में अतिरिक्त उपमुख्यमंत्री पद सृजित करने का प्रस्ताव आलाकमान के समक्ष है। हमें नहीं पता कि आलाकमान इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेगा। उन्होंने कहा, आज राहुल गांधी के साथ बैठक होगी और मुझे नहीं पता कि बैठक में क्या चर्चा होगी। सूत्रों ने कहा कि सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार के बीच दूरियां बढ़ती जा रही हैं। जिसे दूर करने का फार्मूला तय किया जा सकता है।
ममता ने तृणमूल प्रवक्ताओं की सूची बदलने का दिया आदेश
11 Jan, 2024 03:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता । तृणमूल कांग्रेस के भीतर बढ़ती अंदरूनी कलह और विभिन्न नेताओं के सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे के साथ झगड़ने के बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी ने हाल ही में पार्टी प्रवक्ताओं की सूची में तत्काल बदलाव का निर्देश दिया। ममता ने यह भी सख्त निर्देश दिया है कि जिन लोगों के नाम नई सूची में शामिल किए जाएंगे, उन्हें छोड़कर किसी अन्य नेता को पार्टी के आंतरिक मामलों के बारे में सार्वजनिक बयान देने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने यहां अपने आवास पर पार्टी संगठन की बैठक में इस फैसले की जानकारी दी। बैठक में मौजूद एक तृणमूल नेता ने बताया कि पार्टी अध्यक्ष ने महासचिव अभिषेक बनर्जी और प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी को यह जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि अब यह देखना होगा कि सूची में कौन बना रहता है और किसके नाम सूची से हटा दिए जाते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि जिन चेहरों के नाम हालिया वाकयुद्ध में सामने आए थे, उनमें से कुछ को सूची से हटाया जा सकता है। पिछले साल अभिषेक बनर्जी पार्टी में नेतृत्व पदों पर बने रहने के लिए ऊपरी आयु सीमा तय करने को लेकर मुखर हो गए थे। उसके बाद से हल्की खींचतान शुरू हो गई थी, लेकिन नए साल के पहले दिन से यह तेज होने लगी है।
इंडिया में शामिल होने की बजाय मायावती तीसरे मोर्चे की तैयारी में जुटीं
11 Jan, 2024 02:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लखनऊ । लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच इंडिया गठबंधन में इन दिनों बसपा सुप्रीमो मायावती को शामिल करने के लिए कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। आ रही ख़बरों के मुताबिक बसपा सुप्रीमो इन दिनों असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी के साथ संपर्क में हैं और तीसरे मोर्चे पर काम कर रही हैं। ऐसे में राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज है कि मायावती तीसरा मोर्चा बनाने में जुटीं हैं। हालांकि कांग्रेस बसपा सुप्रीमो से बात कर रही हैं, लेकिन इस बीच प्रदेश में तीसरे मोर्चे को सुगबुगाहट तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि मायावती इंडिया गठबंधन में शामिल होने को तैयार नहीं हैं, वो तीसरे मोर्चे की तैयारी कर रही हैं। दरअसल बीजेपी को हराने के लिए यूपी में इंडिया गठबंधन ख़ुद को मज़बूत बनाने में जुटा है। अगर बसपा सुप्रीमो इस गठबंधन में शामिल होती है तो यूपी में गठबंधन को फ़ायदा हो सकता है, इसलिए इन दिनों अखिलेश यादव के सुर भी बसपा को लेकर नरम दिखाई दे रहे हैं।
जानकार तो यही बता रहे हैं कि कुछ भी हो, मायावती इंडिया गठबंधन को झटका दे सकती हैं। मायावती अगर अलग से मैदान में उतरती है तो इससे इंडिया गठबंधन के लिए मुसीबतें बढ़ सकती हैं। बसपा और एआईएमआईएम का गठबंधन होता है तो ये तीसरा मोर्चा पश्चिमी और पूर्वी यूपी की कई सीटों पर इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ सकता है। यूपी में क़रीब ग्यारह ऐसी सीटें हैं जहां पर दलित और मुस्लिम वोटर अगर एकसाथ आते हैं तो निर्णायक भूमिका में रह सकते हैं। मायावती और ओवैसी की पार्टी अगर एकसाथ यूपी में चुनाव लड़ते हैं तो इससे कई सीटों पर असर पड़ सकता हैं। इनमें सहारनपुर की सीट शामिल हैं जहां मुस्लिम वोटर बीस फ़ीसद हैं।
इनके अलावा मुरादाबाद सीट भी 2019 में सपा ने जीती थी, लेकिन बसपा अलग रहकर इस सीट पर भी टक्कर दे सकती है। अलीगढ़ और संभल सीट पर भी मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका में हैं। पूर्वांचल में घोसी, ग़ाज़ीपुर, आज़मगढ़ ऐसी सीटें हैं जहां मुस्लिम वोटर बड़ी तादाद में हैं अगर दलित वोटर इसके साथ जुड़ जाएं तो मायावती यहां बड़ा खेल कर सकती हैं। अगर वो खुद भी न जीत पाएं तो भी वो इंडिया गठबंधन की हार की वजह बन सकती है। बता दें कि 15 जनवरी को मायावती का जन्मदिन हैं। इस दिन वो जो संदेश देंगी वहीं उनका आख़िरी फैसला होगा।
स्मृति ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना करने पर कांग्रेस की आलेचना की
11 Jan, 2024 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी ने 22 जनवरी को राम मंदिर उदघाटन में शामिल होने का निमंत्रण ठुकराने पर कांग्रेस की आलोचना की। ईरानी ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि कांग्रेस राम मंदिर के उदघाटन में शामिल नहीं होगी। सोनिया गांधी ने यहां तक दस्तावेज दाखिल कर कहा है कि भगवान राम की कोई प्रासंगिकता नहीं है। आज कांग्रेस ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से इनकार करने के बाद फिर से साबित कर दिया है कि वह क्या चाहती है। अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के अन्य राजनीतिक दलों ने भी साबित कर दिया है कि वे सनातन धर्म के खिलाफ हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने 22 जनवरी को राम मंदिर के उदघाटन समारोह के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और अधीर रंजन चौधरी को भी निमंत्रण भेजा गया था। हालांकि कांग्रेस ने अयोध्या में राम मंदिर के उदघाटन के निमंत्रण को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि भगवान राम को लाखों लोग पूजते हैं और धर्म एक व्यक्तिगत मामला है, हालांकि आरएसएस और भाजपा ने अयोध्या में मंदिर का एक राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाया है। कांग्रेस ने एक बयान में कहा कि भगवान राम में श्रद्धा रखने वाले लाखों लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी ने सम्मानपूर्वक उस कार्यक्रम के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया है जो स्पष्ट रूप से सिर्फ आरएसएस या भाजपा का कार्यक्रम है।
भाजपा ने किया कांग्रेस पर पलटवार कहा-वे बाबर का मकबरा देखना चाहते थे
11 Jan, 2024 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का इवेंट बताया है। इसके साथ ही घोषणा कर दी कि वे इस समारोह में शामिल नहीं होंगे। इस पर भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार किया है। भाजपा ने कहा है कि जब उनका सपना ही बाबर का मकबरा देखना था तो वे इस समारोह में कैसे जा सकते हैं। बता दें कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला विराजमान होंगे और उनकी भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन होगा। प्रधानमंत्री मोदी के हाथों राम मंदिर का उद्घाटन होगा। कांग्रेस ने भाजपा का इवेंट बताते हुए किनारा कर लिया है इस पर बीजेपी विपक्षी दलों पर भड़क गई है प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने विपक्षी दलों पर करारा हमला किया है। आरजेडी और जेडीयू ने बीजेपी पर इसे लेकर पलटवार किया है।
प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का न्योता ठुकरा कर कांग्रेस पार्टी ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। बिहार भाजपा के प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने बयान जारी कर कहा है कि जो लोग अयोध्या में बाबर का मकबरा देखना चाहते थे वे राम मंदिर कैसे सहन कर पाएंगे। ये लोग कभी भी रामलला को अपने घर में स्थापित होते हुए नहीं देख सकते। प्रवक्ता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बाबर के मकबरा की पक्षधर है। उसकी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने राम मंदिर बनवा दिया तो अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है और इसीलिए प्राण प्रतिष्ठा कब बहिष्कार कर रहे हैं।भाजपा के हमले पर कांग्रेस की सहयोगी दल राजद और जदयू ने पलटवार किया है। राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि भाजपा ने अयोध्या में भगवान राम लला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को पूरी तरह से अपना इवेंट बना लिया है। यह धर्म और आस्था का विषय है लेकिन भाजपा ने इसमें भी राजनीति कर रही है। इसे हम कभी स्वीकार नहीं कर सकते।
कांग्रेस के प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने भी बीजेपी पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि हम लोग किसी भी हालत में धर्म सत्ता के ऊपर राज सत्ता की लाठी चलते हुए नहीं देख सकते। इसीलिए उस कार्यक्रम में हम लोग नहीं जाएंगे। भाजपा ने प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन पर कब्जा कर लिया। इधर जेडीयू ने भी भाजपा का विरोध किया है। हालांकि नीतीश के नेताओं के सुर थोड़े नरम जरूर हैं। प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि भगवान राम सबके हैं लेकिन, कुछ लोग मार्केटिंग में लगे हैं। भगवान राम पर किसी एक का अधिकार नहीं हैं। इसलिए मार्केटिंग का कोई फायदा उन्हें नहीं मिलेगा। जहां तक उद्घाटन समारोह में जाने का सवाल है तो हमारे नेता खुद तय करेंगे की क्या कदम उठाना है।
शरद पवार के लिए फिर मुसीबत: शिवसेना शिंदे की हो गई, अब क्या अजीत की होगी एनसीपी?
11 Jan, 2024 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में दो बड़े दल शिवसेना और एनसीपी कभी किंगमेकर हुआ करते थे। आज दोनों दल दो-दो गुटो में बंट गए हैं। शिवसेना किस की है इसका फैसला स्पीकर राहुल नार्वेकर ने दे दिया है। बीते रोज उन्होने साफ कर दिया कि शिंदे की ही असली शिवसेना है। इसके बाद बारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी की है। इसमें शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग छिड़ी हुई है। दोनों ही दिग्गज नेता एनसीपी पर अपना अपना दावा ठोक रहे हैं। ऐसे में शरद पवार की धड़कने तेज होना लाजिमी है। माना जा रहा है कि कहीं शिवसेना जैसा ही हाल एनसीपी का न हो जाए। कहीं असली एनसीपी अजीत पवार की हो गई तो शरद पवार के लिए बड़ा राजनैतिक झटका होगा। इस तरह की चर्चा इसलिए जोर पकड़ रही है कि एनसीपी पर 31 जनवरी तक स्पीकर को फैसला लेना है।
महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर से उद्धव ठाकरे को जिस तरह से झटका मिला है, ऐसे में अब सबकी नजरें शरद पवार और अजित पवार के बीच जारी जंग पर टिक गई है। जिस तरह से उद्धव के खिलाफ और एकनाथ शिंदे के पक्ष में स्पीकर का फैसला आया है, ऐसे में शरद पवार की भी बेचैनी बढ़ सकती है। यहां बताना जरूरी है कि शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बगावत कर दी थी। एनसीपी में दो जुलाई को तब विभाजन हो गया था, जब अजित पवार और आठ अन्य विधायक एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल हो गये थे। इन आठ विधायकों में छगन भुजबल, हसन मुशरिफ, दिलीप वलसे पाटिल आदि शामिल हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में आखिरी सुनवाई 25 जनवरी से शुरू होगी, जो 27 जनवरी तक चलेगी और इसके बाद फिर स्पीकर अपना फैसला सुनाएंगे।
महाराष्ट्र में शिवसेना के बाद अब किसकी एनसीपी है असली, इस पर फैसले की बारी है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना पर अपना फैसला सुना दिया और एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को ही असली शिवसेना माना। इस फैसले से आहत उद्धव ठाकरे ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। उद्धव ठाकरे पर स्पीकर के फैसले के बाद अब शरद पवार की बारी है। शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच असली एनसीपी किसकी है, पर जंग जारी है, जिसे लेकर इस महीने यानी 31 जनवरी तक स्पीकर राहुल नार्वेकर को फैसला लेना है।
दरअसल, महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बुधवार को असली शिवसैनिक कौन से जुड़े अयोग्यता संबंधी कई याचिकाओं का निपटारा कर दिया। मगर अब एनसीपी के दो गुटों के बीच जारी झगड़े का फैसला करना है। एनसीपी गुट द्वारा दायर याचिकाओं पर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक 31 जनवरी तक फैसला लेना होगा। खबर के मुताबिक, महाराष्ट्र विधायिका सचिवालय के रिकॉर्ड से पता चलता है कि कार्यवाही 6 जनवरी को शुरू हुई। उम्मीद की जा रही है कि 18 जनवरी को या उससे पहले इस मामले में शामिल सभी पक्ष गवाहों की सूची साझा करेंगे और हलफनामा दाखिल करेंगे। इस मामले में गवाहों से 20 जनवरी को जिरह यानी क्रॉस एग्जामिनेशन होगी, जबकि उत्तरदाताओं से 23 जनवरी को जिरह होगी। बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने कहा था कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था।