राजनीति
नीतीश और ममता के बाद अब कौन संभ्रालेगा इंडिया गठबंधन की कमान
2 Mar, 2025 08:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। एनडीए को टक्कर देने के लिए भाजपा विरोधी कई दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया था। इसके लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने खूब भागदौड़ की थी। अंतत: रिजल्ट वहीं के वहीं रहा। इस गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए कई चेहरे सामने आए जिसमें खुद नीतीश कुमार, टीएमसी प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और राहुल गांधी के नाम की भी चर्चा हुई। चर्चा सिर्फ चर्चा रह गए और इसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब एक बार फिर नेतृत्व को लेकर बात हो रही है, इसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बात होने लगी है।
कई राज्यों में चुनावी हारों के बाद देश भर से इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के भीतर से आवाज उठने लगी। अधिकतर सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि यह गठबंधन अब अपना महत्व खो रहा है। ऐसा कांग्रेस पार्टी की वजह से हो रहा है। दिल्ली में गठबंधन के दो सहयोगी दलों कांग्रेस और आप के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण राज्य में भाजपा को शानदार जीत मिली है। इसी तरह हरियाणा में भी कांग्रेस और आप ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और वहां भी अनुमान के विपरीत भाजपा को शानदार जीत मिली थी।
इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और आप के बीच तकरार का असर इंडिया गठबंधन के भविष्य पर पड़ने लगा। सहयोगी दलों से आवाज उठने लगी कि गठबंधन में कोई बड़ा नेता संयोजक पद पर होना चाहिए। इसमें सबसे बड़ा नाम पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी का था। ममता बनर्जी ने भी खुलेआम संयोजक की भूमिका निभाने की इच्छा जता चुकी है। फिर महाराष्ट्र में गठबंधन से सहयोगी दलों शिवसेना उद्धव गुट और शरद पवार की एनसीपी ने भी कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए। जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल पूछे। दिल्ली चुनाव के दौरान आप नेता अरविंद केजरीवाल ने तो इंडिया गठबंधन से ही कांग्रेस को बाहर करने की मांग कर डाली थी।
इन सबके बीच अब इंडिया के संयोजक पक्ष के लिए एक नए चेहरे के नाम की चर्चा हो रही है। वो हैं सपा मुखिया अखिलेश यादव। सपा के एक बड़े नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा है कि यूपी में अखिलेश यादव सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं। लोकसभा में सपा दूसरी सबसे बड़ी विपक्ष पार्टी है। उसके पास 37 सांसद हैं। ऐसे में हम चाहते हैं अखिलेश यादव हो इंडिया गठबंधन के संयोजक का पद दिया जाए।
सीएम फडणवीस ने शिंदे के फैसले पर लगाई रोक, सफाई के ठेके को किया रद्द
2 Mar, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सीएम देवेंद्र फडणवीस के रिश्तों में सबकुछ खटास नजर आ रही है या फिर दोनों के बीच सबकुछ ठीक होने का दिखावा किया जा रहा है? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि सीएम फडणवीस ने शिंदे के कार्यकाल में हुए एक और फैसले पर रोक लगा दी है। जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के सीएम थे, तब तानाजी सावंत के पास स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उस समय अधिकारियों के तबादले, एम्बुलेंस की खरीद में अनियमितता के आरोप लगे थे। साथ ही स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों की सफाई का काम ठेके पर दिया था। इसके लिए हरसाल 638 करोड़ रुपए के हिसाब से तीन साल के लिए 3,190 करोड़ रुपए का ठेका पुणे की एक निजी कंपनी को दिया था, लेकिन अब इस ठेके को फडणवीस ने रद्द कर दिया है।
इस फैसले को लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच चल रहे गुप्त संघर्ष का संदेह विपक्ष जता रहा है, लेकिन शिवसेना (शिंदे गुट) के नेता और सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने कहा इस फैसले के पीछे कोई पार्टीगत कारण नहीं है। सिर्फ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, बल्कि हर सरकारी विभाग को नियमों के मुताबिक काम करना चाहिए। हम जनता के प्रति उत्तरदायी हैं।
इस बीच शिवसेना (उद्धव गुट) पार्टी के नेता संजय राउत ने भी इस फैसला का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे के कार्यकाल में जो काम हुए, उनमें केवल भ्रष्टाचार ही हुआ था। शिंदे के समय स्वास्थ्य मंत्री कौन थे, यह सभी को पता है। बीजेपी ने भ्रष्ट मंत्रियों का विरोध किया था। उनमें से एक स्वास्थ्य मंत्री भी थे। सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग सीधे जनता से जुड़ा होता है, लेकिन अगर उस विभाग में भ्रष्टाचार हो रहा है तो यह सही नहीं है। सीएम देवेंद्र फडणवीस अगर इस भ्रष्टाचार को रोक रहे हैं तो हम उनका स्वागत करते हैं।
आप नेता नरेश बाल्यान की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
2 Mar, 2025 11:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जांच की अवधि को 60 दिन का विस्तार दिया। दिल्ली पुलिस ने 90 दिन की मोहलत मांगी थी। उनकी 90 दिन की हिरासत अवधि 3 मार्च को समाप्त हो रही थी। इस मामले में उन्हें 4 दिसंबर 2024 को गिरफ्तार किया गया था। बता दें जब बाल्यान ने अदालत से जमानत मांगी थी तो दिल्ली पुलिस ने बाल्यान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया था कि बाल्यान की गैंगस्टर कपिल सांगवान (उर्फ नंदू के साथ सांठगांठ है। पुलिस के अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी थी कि मामले के सह-आरोपित रितिक उर्फ पीटर और सचिन चिकारा ने कबूल किया है कि बाल्यान सांगवान के संगठित अपराध सिंडिकेट में एक मददगार और साजिशकर्ता था और उसने अपराध करने के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंडिकेट के एक सदस्य को रुपये मुहैया कराए थे। वहीं पर इस पूरे मसले पर नरेश बाल्यान की तरफ से पेश अधिवक्ता एमएस खान ने तर्क देते हुए कहा था कि प्राथमिकी में कोई नया अपराध नहीं है। संगठित अपराध आईपीसी के तहत अन्य अपराधों से अलग है। वकील ने तर्क दिया कि मकोका के तहत प्राथमिकी संगठित अपराध के खिलाफ नहीं है, यह कपिल सांगवान के नेतृत्व वाले संगठित अपराध सिंडिकेट के खिलाफ है।
मंत्री चौधरी ने किया सवाल पूछा- सीएम साहब आपकी कामयाबी के पीछे भी बहुभाषित हैं
2 Mar, 2025 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। तमिलनाडु में हिंदी भाषा को लेकर बड़ा बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है। यहां हिंदी का विरोध करते हुए सीम स्टॉलिन ने यहां तक कह दिया कि हमने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि युद्ध के लिए तैयार रहें। उनके इस बयान पर जयंत चौधरी ने उन पर तीखा पलटवार किया है। अब शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने राज्य के मुख्यमंत्री स्टालिन पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा, भाषा सेतु होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं! केंद्रीय मंत्री ने तमिलनाडु के सीएम के उस बयान की भी आलोचना की है जिसमें उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से युद्ध के लिए तैयार रहने का बयान दिया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर केंद्र सरकार और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है। स्टालिन केंद्र सरकार पर शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रहे हैं। स्टालिन ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा था- युद्ध के लिए तैयार रहें। उनके इस बयान पर जयंत चौधरी ने उनपर तीखा पलटवार किया है।
राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के नेता और शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने स्टालिन को सीधे निशाने पर लेते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूछा- माननीय मुख्यमंत्री स्टालिन, आप कितनी भाषाएं बोल और समझ सकते हैं? निस्संदेह, बहुभाषावाद ने आपकी सफलता में भूमिका निभाई होगी, फिर तमिलनाडु के युवाओं को इसी अवसर से क्यों वंचित किया जाए? एनईपी पर बहस सिर्फ हिंदी और तमिल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की भाषाई पहचान, सांस्कृतिक विविधता और शिक्षा नीति के भविष्य से जुड़ा बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
स्टालिन को दोबारा टैग कर जयंत चौधरी ने लिखा– मुख्यमंत्री स्टालिन ने अब तक जवाब नहीं दिया, लेकिन मैं जानता हूं कि वो 3-4 भाषाएं बोल सकते हैं. दक्षिण भारत के कई महान नेता डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, एचडी देवेगौड़ा, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, पीवी नरसिम्हा राव और केआर नारायणन बहुभाषी थे, फिर तमिलनाडु की नई पीढ़ी को इस लाभ से वंचित क्यों रखा जाए?
मणिपुर मामले को लेकर गृह मंत्री शाह ने राज्यपाल, सेना और अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों के साथ की बैठक
2 Mar, 2025 09:36 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
8 मार्च से लोग कहीं भी आ-जा सकेंगे
इंफाल। गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को मणिपुर के हालात पर समीक्षा बैठक की। इस दौरान शाह ने सडक़ें ब्लॉक करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्री ने 8 मार्च से मणिपुर में सभी सडक़ों पर बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा है।
मई 2023 से जारी हिंसा के बाद मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों ने अपने-अपने इलाकों की सडक़ों पर बाड़ेबंदी कर रखी है। इसका मकसद अन्य समुदाय के लोगों को अपने इलाके में आने से रोकना है। गृह मंत्री ने इस तरह का ब्लॉकेज खत्म करने के आदेश दिए हैं।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद यह पहली समीक्षा बैठक थी। मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था। मीटिंग में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, मणिपुर सरकार के शीर्ष अधिकारी, सेना और अर्धसैनिक बलों के अधिकारी शामिल थे।
हथियार सरेंडर करने की समय सीमा बढ़ी
मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने उग्रवादियों से हथियार सरेंडर करने की समय सीमा 6 मार्च शाम 4 बजे तक बढ़ा दी। 20 फरवरी से अब-तक 300 से ज्यादा हथियार सरेंडर किए जा चुके हैं। इनमें मैतेई ग्रुप अरम्बाई टेंगोल के सरेंडर किए गए 246 हथियार शामिल हैं। 20 फरवरी को भल्ला ने सभी समुदायों के लोगों, विशेष रूप से घाटियों और पहाडिय़ों में रहने वाले लोगों से अनुरोध किया था कि वे लूटे गए हथियार और गोला-बारूद को नजदीकी पुलिस थानों, चौकियों या सुरक्षा बलों के शिविर में सरेंडर कर दें।
गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर जामनगर पहुंचे पीएम मोदी
2 Mar, 2025 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जामनगर | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से दो दिनों के लिए गुजरात दौरे पर हैं| इसके अंतर्गत पीएम मोदी का शनिवार की शाम जामनगर में आगमन हो गया है| पीएम मोदी के आगमन के चलते जामनगर के दिव्यम सर्कल से पायलट बंगला तक रोड शो जैसा माहौल दिखा| सड़क की दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग पीएम मोदी की एक झलक पाने को जमा हो गए| जामनगर एयरपोर्ट से पीएम मोदी सीधे सर्किट हाउस के लिए रवाना हो गए| पीएम मोदी जामनगर के सर्किट हाउस में ही रात्रि विश्राम करेंगे| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गुजरात दौरे के दौरान सासनगीर, सोमनाथ और वनतारा जाएंगे| साथ ही विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे| पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किये गये हैं| सासनगिर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है| भालछेल हेलीपैड से लेकर सिंहसदन तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं| सभी वन्य जीव अधिकारी भी सासन पहुंच गये हैं| विश्व वन्यजीव दिवस 3 मार्च को मनाया जाएगा। शेरों के संरक्षण एवं प्रजनन परियोजना को लेकर बैठक होगी| पीएम मोदी के दौरे से जुड़े सुरक्षा कारणों के चलते गिर सफारी 2 और 3 मार्च को पर्यटकों के लिए बंद रहेगी|
पश्चिम बंगाल चीफ ने ममता बनर्जी के बेबुनियाद बयानों को किया ख़ारिज, कहा- प्रोटोकॉल का पालन होता है
1 Mar, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चुनावी हेरफेर के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची अद्यतन प्रक्रिया स्थापित कानूनी प्रोटोकॉल का पालन करती है। यह टिप्पणी ममता बनर्जी द्वारा भाजपा पर राज्य में चुनावों को प्रभावित करने के लिए फर्जी मतदाताओं को जोड़ने का आरोप लगाने के बाद आई है।
पश्चिम बंगाल के सीईओ ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर मतदाता सूची अद्यतन की प्रक्रिया के बारे में बताया। सीईओ ने क्या कहा पोस्ट में लिखा है, "आरपी अधिनियम 1950, मतदाता पंजीकरण नियम 1960 और मतदाता सूची पर मैनुअल के अनुसार, किसी भी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में संबंधित बीएलओ, एईआरओ, ईआरओ, डीईओ और सीईओ मतदाता सूची के अद्यतन के लिए काम करते हैं। यह राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ स्तर के एजेंटों की सक्रिय भागीदारी से किया जाता है। कोई भी विशिष्ट दावा या आपत्ति पहले पश्चिम बंगाल में संबंधित 80,633 बीएलओ, 3,049 ईआरओ और 294 ईआरओ के समक्ष की जानी चाहिए।"
चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया, "मतदाता सूची तैयार करने के हर चरण में राजनीतिक दल शामिल होते हैं। अगर किसी राजनीतिक दल को किसी भी चरण पर कोई आपत्ति होती है, तो उसे तुरंत सुना जाता है। नाम जोड़ने या हटाने पर हर आपत्ति की जांच मतदाता सूची अधिकारी द्वारा की जाती है। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में चुनाव के बाद 48 लाख मतदाताओं के नाम जोड़े जाने पर सवाल उठाए, लेकिन सीईओ कार्यालय तक सिर्फ एक शिकायत पहुंची।" ममता बनर्जी ने कहा, "चुनाव आयुक्त के कार्यालय में बैठकर उन्होंने ऑनलाइन फर्जी मतदाता सूची बनाई है और पश्चिम बंगाल के हर जिले में फर्जी मतदाता जोड़े गए हैं।
इसी तरकीब का इस्तेमाल कर उन्होंने दिल्ली और महाराष्ट्र में चुनाव जीते हैं। महाराष्ट्र में विपक्ष इन तथ्यों को पकड़ नहीं पाया। ज्यादातर फर्जी मतदाता हरियाणा और गुजरात से हैं। भाजपा चुनाव आयोग के आशीर्वाद से मतदाता सूची में हेराफेरी कर रही है, बंगाल की संस्कृति ने आजादी को जन्म दिया है।"
ममता बनर्जी ने क्या कहा ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लोगों से मतदाता सूची में अपने नाम सत्यापित करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के बहाने वैध मतदाताओं को हटाया जा सकता है। उन्होंने कहा, "एनआरसी और सीएए के नाम पर किसी भी दिन असली नाम हटाए जा सकते हैं। इसके दो मुख्य उद्देश्य हैं। एक तो टीएमसी को हराना और उनके माध्यम से लोगों के नाम सूची से हटाना। यह चुनाव आयोग के आशीर्वाद से हो रहा है। डेटा ऑपरेटरों पर नज़र रखें।
अगर कोई जमीनी स्तर पर है, तो वह टीएमसी है। 2026 के विधानसभा चुनाव में हमें गेंद को जोर से मारना है, और इसकी शुरुआत मतदाता सूची से होगी। यह बूथ स्तर पर करना होगा। जिला अध्यक्ष को यह करना होगा।"
शिवसेना-बीजेपी के रिश्तों में नई कड़वाहट, फडणवीस ने शिंदे सरकार के फैसले को पलटा
1 Mar, 2025 03:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप-मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच सियासी तकरार बढ़ने के आसार दिख रहे हैं. शिंदे सरकार के दौरान स्वास्थ्य विभाग के 3,200 करोड़ रुपये के काम को देवेंद्र फडणवीस ने स्थगित कर दिया है. तानाजी सावंत पर बिना किसी कार्य अनुभव के कंपनी को मैकेनिकल सफाई का ठेका देने का आरोप लगा है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार के दौरान की कथित अनियमितताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. शिंदे सरकार के कई फैसले स्थगित कर दिए गए, वहीं कुछ को रद्द भी कर दिया गया. तानाजी सावंत शिंदे सरकार के दौरान स्वास्थ्य मंत्री थे. उनके कार्यकाल के दौरान अधिकारियों के तबादलों और एम्बुलेंस खरीद सहित हजारों करोड़ रुपये के घोटाले होने की बात सामने आ रही है.
सफाई के काम की कराई जा रही थी आउटसोर्सिंग
स्वास्थ्य विभाग के अधीन सभी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों की सफाई का कार्य आउटसोर्सिंग से कराने पर सहमति बनी. इसके लिए 30 अगस्त 2024 को पुणे की एक निजी कंपनी को सालाना 638 करोड़ रुपये और 3 साल के लिए कुल 3,190 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया.
इस फैसले को लेकर पहले से चल रही नाराजगी?
सीएम फडणवीस ने मंत्रियों के ओएसडी और निजी सचिव के मामले में भी सख्त रुख अपनाया है. मंत्रियों के ओएसडी और सचिव की नियुक्त के लिए 125 नाम भेजे गए थे, जिसमें सीएम ने 109 नामों को मंजूरी दी है जबकि 16 नामों को रोक दिया है. उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि वह किसी दलाल को यह जिम्मेदारी नहीं देंगे. इन नामों में कुछ ऐसे नाम है जिनके सुझाव को एकनाथ शिंदे की शिवसेना की ओऱ से भी गए थे. इस फैसले की उद्धव ठाकरे गुट ने भी तारीफ की थी. शिवसेना यूबीटी ने कहा था कि फडणवीस राज्य के शासन में अनुशासन लाने के लिए मजबूत कदम उठा रहे हैं. सीएम फडणवीस ने भ्रष्टाचार के नाले की सफाई शुरू कर दी है.
ओवैसी ने योगी को घेरा, कहा- उनके पूर्वजों की कोई भूमिका नहीं थी स्वतंत्रता संग्राम में
1 Mar, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, 'योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि उर्दू की किताबें संत नहीं बनातीं, बल्कि कट्टरपंथी बनाती हैं। लेकिन योगी के दावे के मुताबिक, उनके अपने किसी ने आजादी की लड़ाई तो नहीं लड़ी। योगी ने अरबी नहीं पढ़ी, तो साइंटिस्ट क्यों नहीं बने? आरएसएस के लिए ही है कि आर्य भी बाहर से आएं। अगर यहां कोई है, तो वे आदिवासी और द्रविड़ियंस ही हैं।'
ओवैसी ने कहा, 'योगी को यह पसंद नहीं आया कि अरब देश आजादी की बात कर रहे हैं।' 'बीजेपी एक धर्म, एक भाषा, एक संस्कृति, एक नेता के तौर पर पूरी तरह तैयार है।' ओवैसी ने यह भी कहा कि रमजान में फिलिस्तीन और गाजा के लोगों के लिए दुआ करें।
अकबरुद्दीन ओवैसी का भी बयान आया
असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है और वे उनके भाई असदुद्दीन के दामाद हैं। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'क्या कोई है जिसे आपकी इतनी जरूरत है, जो आपसे इतनी खुलकर बात कर सके।' वक्फ बिल हो या गिरफ्तारियां, वो लड़ रहा है, प्रतिस्पर्धा कर रहा है, आपकी आवाज बुलंद हो रही है। यहां अपनी बात रखना अलग बात है लेकिन वहां विरोधियों के सामने अपनी आवाज उठाना सिर्फ असदुद्दीन ओवैसी में है।'
असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी का भी बयान सामने आया है और वे उनके भाई असदुद्दीन के दामाद हैं। अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा, 'क्या कोई है जिसे आपकी इतनी जरूरत है, जो आपसे इतनी खुलकर बात कर सके।' वक्फ बिल हो या गिरफ्तारियां, वो लड़ रहा है, प्रतिस्पर्धा कर रहा है, आपकी आवाज बुलंद हो रही है। यहां अपनी बात रखना अलग बात है लेकिन वहां विरोधियों के सामने अपनी आवाज उठाना सिर्फ असदुद्दीन ओवैसी में है।'
अगर रोजगार होता तो लोग इजराइल क्यों जाते?
इससे पहले भी ओवैसी सीएम योगी पर निशाना साध चुके है। ओवैसी ने कहा था कि भारत सरकार अपने भारतीयों को इजरायल की यात्रा न करने की सलाह दे रही है। यह भाजपा राज्य और केंद्र की विफलता का पुख्ता सबूत है कि असहाय गरीबों को इजरायल जैसी जगहों पर काम दिया जा रहा है। अगर यहां रोजगार के अवसर पैदा होते हैं तो कोई इजरायली निर्माता क्यों जाएगा? योगी ने इजरायल की इतनी पूजा की है, लेकिन फिर भी भारत को सबसे ज्यादा धन अरब देशों से मिलता है।
मणिपुर में गृहमंत्री अमित शाह की अहम बैठक आज, राष्ट्रपति शासन के बाद पहली बार होगी चर्चा
1 Mar, 2025 09:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने आज यानी शनिवार को पहली बैठक बुलाई है. ये समीक्षा बैठक सुबह 11 बजे नॉर्थ ब्लॉक गृहमंत्रालय में होगी. अमित शाह मणिपुर की सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेंगे. गृहमंत्री के साथ बैठक में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, मणिपुर सरकार के अधिकारी, सेना के अधिकारी,अर्धसैनिक बल के शीर्ष अधिकारी भी शामिल होंगे. मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पार्टी के कुछ विधायकों के विद्रोह के बाद इस्तीफा दे दिया था. राज्य में पिछले 2 साल से दो जातियों के बीच हिंसा देखी जा रही है. अब तक मणिपुर में साल 1951 के बाद से 11 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है. राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद से अब पहली बार अमित शाह रिव्यू मीटिंग करने वाले हैं और इस बैठक में आगे की रणनीति को लेकर चर्चा होगी.
कौन-कौन होगा शामिल?
मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद शीर्ष 4 अधिकारियों के साथ नई दिल्ली में गृह मंत्री की यह पहली बैठक होगी. मीटिंग की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, राज्यपाल अजय भल्ला, सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह, डीजीपी राजीव सिंह और मुख्य सचिव पीके सिंह आज नई दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं. बैठक दोपहर में निर्धारित है. हम इस बात का भी इंतजार कर रहे हैं कि मीटिंग का नतीजा क्या होगा और उसके बाद क्या निर्णय लिए जाएंगे.
लोगों से हथियार सरेंडर करने की अपील
हिंसा के दौरान पहाड़ियों और घाटी दोनों में भीड़ ने लगभग 6500 बंदूकें और 600000 गोला-बारूद लूट लिए थे. इसी के बाद यह बैठक इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है. जब मणिपुर में सेना और केंद्रीय खुफिया एजेंसियों सहित सभी बल लूटे गए हथियारों को वापस लाने के लिए काम कर रहे हैं. साथ ही हथियार सरेंडर करने के लिए केंद्रीय एजेंसियां कुकी और मैतेई दोनों समूहों के साथ काम कर रही हैं.
लोगों को हथियार वापस करने के लिए राज्यपाल भल्ला ने सात दिन की माफी योजना शुरू की थी. इसी के तहत 650 हथियार और गोला-बारूद लोगों ने सरेंडर किए हैं. पुलिस शस्त्रागारों से लूटे गए 6500 हथियारों में से, सेना अब तक सिर्फ 2500 के आसपास ही बरामद कर पाई है. राज्यपाल भल्ला ने शुक्रवार को हथियार सरेंडर करने की समय सीमा 6 मार्च तक बढ़ा दी है और लोगों को आश्वासन दिया कि समय सीमा से पहले लूटे गए हथियार वापस करने पर कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
दो जातियों के बीच भड़की थी हिंसा
3 मई 2024 को पूरे मणिपुर में जातीय संघर्ष शुरू होने के लगभग 22 महीने बाद भी सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो पाई है. 13 फरवरी, 2024 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, कुछ दिनों बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने पार्टी के कुछ विधायकों के विद्रोह के बाद इस्तीफा दे दिया था. एन बीरेन सिंह के इस्तीफे से एक महीने पहले, केंद्र ने पूर्व गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को राज्यपाल नियुक्त किया था.
WCD ने खरगे के दावे का किया खंडन, कहा- 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना का पैसा गायब नहीं हुआ'
1 Mar, 2025 07:58 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (WCD) ने शुक्रवार को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के संबंध में स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि ‘‘कोई सार्वजनिक धन गायब नहीं हुआ है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को दावा किया कि सूचना के अधिकार कानून (RTI) के तहत मिली जानकारी से पता चला है कि सरकार की महत्वाकांक्षा ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये गायब हो गए हैं। खरगे के इस दावे के बाद मंत्रालय ने यह स्पष्टीकरण जारी किया। मंत्रालय ने बताया कि इस साल 31 जनवरी तक ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत कुल 952.04 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं।
WCD ने दी सफाई
WCD ने कहा, 'इसमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवंटित 526.55 करोड़ रुपये तथा राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न गतिविधियों पर खर्च किए गए 425.49 करोड़ रुपये शामिल हैं।' मंत्रालय ने ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘झूठा विमर्श गढ़ने के लिए तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया गया है। कोई सार्वजनिक धन गायब नहीं हुआ है। सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसी योजनाओं के माध्यम से हर बालिका को बचाने और शिक्षित करने के अपने मिशन में दृढ़ है, जो एक जन आंदोलन बन गया है और महत्वपूर्ण सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन ला रहा है।’’
मल्लिकार्जुन खरगे ने किया था दावा
बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने शुक्रवार को दावा करते हुए कहा था कि सूचना के अधिकारी कानून के तहत जो जानकारी मिली है, उससे पता चलता है कि सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ में 455 करोड़ रुपये गायब हो गए हैं। खरगे ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट लिखकर कहा, ‘‘सूचना का अधिकार कानून से खुलासा हुआ है कि मोदी सरकार की ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना में 455 करोड़ रुपये गायब हो गए हैं। ‘‘बहुत हुआ नारी पर वार’’ वाले भाजपाई विज्ञापन की गूंज पिछले 10 वर्षों से उन सभी महिलाओं की चीखों का उपहास उड़ा रही है, जो भाजपा राज में और कभी-कभी भाजपा के गुंडों द्वारा प्रताड़ित हुईं हैं।’’
AAP नेता अवध ओझा की कार से चोरी हुए पहिये, वीडियो में कैद हुई घटना
1 Mar, 2025 07:13 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अवध ओझा की कार के पहिये चोरी कर लिए गए हैं। अवध ओझा ने सोशल मीडिया के जरिये कार के पहियों के चोरी होने की खबर दी है। उन्होंने बताया है कि ये घटना दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में हुई है। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें अवध ओझा सर अपनी कार को दिखा रहे हैं। जिसके चारों पहिये गायब दिख रहे हैं और पहियों की जगह ईंटे लगी हुई हैं।
वीडियो आया सामने
अवध ओझा सर की गाड़ी के पहिये चोरी होने से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। उन्होंने कहा है कि व्यस्त सड़क पर दिन दहाड़े कथित तौर पर उनकी कार के पहिये चोरी कर लिए गए। उन्होंने पूछा कि एक व्यस्त इलाके में इस तरह की घटना कैसे हो सकती है।
क्या बोले अवध ओझा?
सामने आए वीडियो में अवध ओझा कह रहे हैं- "विधानसभा पटपड़गंज में म्युनिसिपैलिटी, मेन रोड के सामने। ये देखिए दिल्ली की कानून व्यवस्था। नई गाड़ी पब्लिक प्लेस में खड़ी है, कितनी सफाई के साथ 4 चक्के ले गए। ईंटे लगाई हैं। अमृत काल के दौर में, राम राज्य के दौर में ऐसी घटना बहुत ही चिंता का विषय है और परेशानी का विषय है। इस घटना की जवाबदेही देनी होगी कि ऐसी घटनाएं कब रुकेंगी और जनता को इससे कब राहत मिलेगी।"
असम कांग्रेस नेताओं की बैठक में गुस्साए राहुल, गोगोई को जिम्मेदारी मिलने पर क्या फैसला
28 Feb, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कांग्रेस को अगले साल होने वाले असेंबली चुनावों को लेकर जिन दो राज्यों से उम्मीद हैं, उनमें असम और केरल प्रमुख है। इन राज्यों में सत्ता वापसी की बात हो रही है। असम चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस के नए मुख्यालय में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश नेताओं से गुरुवार को बैठक की, जिसमें कई पहलुओं पर चर्चा की गई। असम नेताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल मौजूद थे।
वहीं दूसरी ओर असम के प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र बोरा, लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई, सांसद रकीबुल हुसैन, सीएलपी लीडर देवब्रत सैकिया, प्रदेश के सीनियर लीडर प्रदीप बारदोलोई समेत कई लोग शामिल थे। बैठक के बाद राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा- आज कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के नेतृत्व में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं के साथ बैठक में शामिल हुआ। असम ने भ्रष्टाचार और नफरत की राजनीति को हटाने और कांग्रेस के साथ मोहब्बत और प्रगति की राजनीति को गले लगाने का मन बना लिया है।
वही बैठक खत्म होने के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र कुमार बोरा ने कहा कि असम से जुड़े अहम मुद्दों और रणनीति को लेकर शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की, जहां असम के सीनियर नेता और तमाम पदाधिकारी मौजूद थे। सभी ने एकसुर से संकल्प लिया कि हम एकजुट होकर आने वाले चुनाव में असम से बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। बोरा ने सीएम हिमंता बिस्वा सरमा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरमा देश के सबसे भ्रष्ट सीएम हैं और हमने उनके भ्रष्टाचार से जुड़े तमाम सबूत अपने शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दिए हैं।
अगले साल असम में विधानसभा चुनाव होने हैं. दिल्ली में बैठा हाईकमान चुनाव को लेकर इतना सीरियस है कि तैयारियां अभी से शुरु हो गई. पार्टी एक्शन में आई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को दिल्ली में असम के कांग्रेस नेताओं को बुलाया. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने तो बैठक में सभी नेताओं को वॉर्निंग तक दे डाली.
अपने काम गिनाने के साथ बार-बार याद दिला रहे लालू का जंगल राज
28 Feb, 2025 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पटना। इस साल बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी बिसात बिछ चुकी है। सत्तारूढ़ गठबंधन को एक बार फिर अपने किए गए के कामों पर ही ज्यादा भरोसा है। लालू यादव के राज को जिस तरह जंगल राज का नाम दिया गया है उसे निशाने पर रखकर पिछले कई चुनाव एनडीए जीत चुका है। एक बार फिर उसी को भुनाने की तैयारी है। अब देखना है कि ये कहां तक सही साबित होती है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसी हफ्ते भागलपुर में एक सभा में राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के शासनकाल को ‘जंगल राज’ बताते हुए हमला किया था। नीतीश कुमार तो हर मंच पर जंगल राज को याद कराते रहते हैं। पीएम मोदी के साथ सभा में उपस्थित नीतीश कुमार ने कहा था कि मुझे उम्मीद है कि आपको याद होगा कि जब हम बिहार 2005 में सत्ता में आए थे, तब क्या स्थिति थी। सूर्यास्त के बाद कोई भी घर से बाहर नहीं निकलता था। जाहिर है कि एनडीए एक बार फिर जंगल राज को फिर से मुद्दा बनाकर जनता के डर को भुनाना चाहती है लेकिन क्या 20 साल बाद भी आम लोग लालू के कार्यकाल की गलतियों को आधार बनाकर वोटिंग करेंगे?
क्या एनडीए सरकार के पास अपनी उपलब्धियां कम हैं जो उसे एक बार फिर नकारात्मक कैंपेन जो 20 साल पहले की बात है उस पर भरोसा करना पड़ रहा है? आखिर 20 सालों से प्रदेश के सीएम नीतीश कुमार सत्ता में हैं। क्या इतना समय जनता के बीच बताने के लिए काफी नहीं होता है? फिर अब तो बीजेपी भी साथ में हैं। केंद्र सरकार के साथ मिलकर बिहार में डबल इंजन की सरकार चल रही है। राज्य सरकार में दो-डिप्टी सीएम बीजेपी के ही हैं, फिर आखिरकार लालू राज का नाम क्यों लिया जा रहा है? आखिर बीजेपी ने ये देख लिया है कि अब नेगेटिव कैंपेन का असर जनता पर नहीं हो रहा है।
दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीतने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही रहा है। बीजेपी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में ध्रुवीकरण की राजनीति के बजाय एक सूत्रीय विकास की बातें की थी, जिसका असर हुआ और लोगों ने बीजेपी को आम आदमी पार्टी के मुकाबले तरजीह दी और बीजेपी को जीत हासिल हुई। ऐसा भी नहीं है कि नीतीश के नाम उपलब्थियां नहीं हैं। नीतीश सरकार के नेतृत्व में कानून व्यवस्था आज भी पहले की तुलना में बेहतर है। यही कारण है कि कभी बिहार से बड़े डॉक्टर्स ने पलायन कर दिया था। आज मेदान्ता और पारस जैसे बड़े हॉस्पिटल ग्रुप बिहार पहुंच रहे हैं। बिहार में विदेशी सैलानियों की बढ़ती संख्या बताती है कि बिहार में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। 2023 की तुलना में 2024 में करीब 2 लाख विदेशी पर्यटक बिहार पहुंचे। बिहार में विदेश निवेश में भी लगातार बढ रहा है। पावर सप्लाई भी पिछले कुछ सालों में बहुत बेहतर हुई है।
सात महीनों के अंतराल में आए दो केंद्रीय बजटों में बिहार के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश की झड़ी लगा दी है, जिसमें राजमार्ग, हवाई अड्डे, बाढ़ नियंत्रण और पर्यटन विकास जैसी योजनाएं शामिल हैं। हालांकि विपक्ष बार-बार नीतीश सरकार पर विशेष राज्य की मांग पूरी न करा पाने के लिए दबाव डालता रहता है।
'नफरत की राजनीति को नकारने का मन बना लिया', राहुल गांधी- आगामी असम विधानसभा चुनाव को लेकर बोले
28 Feb, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कांग्रेस नेतृत्व ने गुरुवार को असम के अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति पर विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ पार्टी के प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भूपेन बोरा, लोकसभा सदस्य गौरव गोगोई और राज्य के कई अन्य नेता शामिल हुए। बैठक में सत्तारूढ़ भाजपा से एकजुट होकर लड़ने का संकल्प लिया गया। बैठक के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि असम की जनता ने नफरत की राजनीति को नकारते हुए कांग्रेस की प्रेम और प्रगति की राजनीति को अपनाने का फैसला किया है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी बात की, जिसमें उन्होंने पार्टी के आगामी चुनाव अभियान को मजबूत बनाने के लिए असम के नेताओं के प्रयासों की सराहना की।
मुख्यमंत्री राज्य को बेच रहे हैं
असम कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जितेंद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा, आज की इस बैठक में असम के हर क्षेत्र से कांग्रेस नेता मौजूद थे। इस बैठक में आगामी असम विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की गई। उन्होंने दावा किया, "बैठक में यह भी मुद्दा उठाया गया कि असम के मुख्यमंत्री राज्य को बेच रहे हैं, माफियागिरी कर रहे हैं और 'सिंडिकेट' चला रहे हैं, जिससे असम के लोगों को काफी परेशानी हो रही है।" सिंह के अनुसार, बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी असम का दौरा करेंगे और वहां उनकी रैलियां होंगी। उन्होंने दावा किया कि असम में भाजपा और उसके मुख्यमंत्री घबराए हुए हैं, जबकि कांग्रेस पूरी मजबूती से काम कर रही है और असम के लोगों के लिए लड़ रही है।
"भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकेंगे"
भूपेन बोरा ने कहा, "हमने संकल्प लिया है कि हम सभी एकजुट होकर आगामी चुनावों में असम से भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।" उन्होंने दावा किया, "हिमंत बिस्वा सरमा देश के सबसे भ्रष्ट मुख्यमंत्री हैं और हमने मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार से जुड़े सभी सबूत शीर्ष नेतृत्व के सामने रख दिए हैं।" बोरा ने कहा, "हम और हमारे सभी नेता लोगों के बीच जाएंगे और भ्रष्टाचार के इन सबूतों को उनके सामने रखेंगे।"
चुनाव से पहले वार-पलटवार शुरू
असम में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं सरमा और भाजपा ने हाल ही में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की पत्नी पर पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी 'आईएसआई' से संबंध होने का आरोप लगाया था। गोगोई ने इस आरोप को 'हास्यास्पद' करार देते हुए खारिज कर दिया।
अब केरल के पार्टी नेताओं के साथ बैठक
कांग्रेस नेतृत्व शुक्रवार को केरल के पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेगा। केरल के कांग्रेस नेताओं की बैठक इस मायने में महत्वपूर्ण है कि इन दिनों पार्टी सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर की नाराजगी की अटकलें लगाई जा रही हैं। तिरुवनंतपुरम से लोकसभा सदस्य थरूर द्वारा एक अखबार में लिखे गए हाल के लेख को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। इस लेख में उन्होंने केरल में निवेश के माहौल को बढ़ावा देने के लिए वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार की तारीफ की है। इसके लिए वह केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ नेताओं के निशाने पर हैं। केरल में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल है। अगले साल मार्च-अप्रैल में केरल और असम में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।